Bathroom video Leaked सुर्खियों में रहने के लिए उर्वशी खेलती है पब्लिसिटी स्टंट!

एक्ट्रेस उर्वशी रौतेला बौलीवुड की बोल्ड एक्ट्रेसेस में से एक है. जो अपनी बोल्डनेस और ब्यूटी के लिए जानी जाती है. उनक फैशन, लुक और एक्ट्रेसेस से बिलकुल हटके है. वे अपनी बोल्ड लुक को लेकर काफी पौपुलर है. लेकिन उर्वशी हमेशा ही सुर्खियो में बनीं रहती है उनका लाइमलाइट में आना उनकी कोई फिल्म या गाना नहीं होता है वो लाइमलाइट में आने के लिए क्या क्या करती है ये यहां आप पड़ सकते है.

 

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उर्वशी का हाल में एक बाथरूम वीडियो धड़ल्ले से वायरल हो रहा है जिसे लेकर वे इन दिनों सुर्खियों में थी. उर्वशी का ये वीडियो लीक हुआ है, जिसमे वे न्यूड नजर आ रही है. इसमे एक्ट्रेस कपड़े बदलती हुई नजर आ रही लेकिन, इंटरनेट पर सिर्फ इसे पब्लिक स्टंट बताया गया है. इससे लेकर सोशल यूजर्स तरह तरह के कमेंट कर रहे है. हालांकि इस वीडियो की सच्चाई ये सामने आई है कि ये असली वीडियो नहीं है ये महज उनकी एक फिल्म जेएनयू का बताया जा रहा है. इसके अलावा लोग इसे ग्रेट ग्रैंड मस्ती का वीडियो बता रहे है. लेकिन ऐसा पहली दफा नहीं है जब सुर्खियों में आने के लिए उर्वशी ने पब्लिक स्टंट का सहारा लिया हो. इससे पहले भी कई दफा उर्वशी मीडिया की लाइमलाइट में आई है.

क्रिकेटर हार्दिक पंड्या और ऋषभ पंत से थे अफेयर

साल 2018 में उर्वशी रौतेला का नाम क्रिकेटर हार्दिक पंड्या के साथ भी जुड़ा था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक्ट्रेस क्रिकेटर से गौतम सिंघानिया की पार्टी में मिली थीं. दोनों की यहीं दोस्ती हुई और फिर इनके डेटिंग की खबरें भी आने लगीं. इसके अलावा उर्वशी का नाम साल 2019 में क्रिकेटर ऋषभ पंत के साथ जुड़ना शुरु हुआ. दोनों के अफेयर की खबरें आने लगी थीं. हालांकि ऋषभ ने साल 2020 की शुरुआत में अपनी गर्लफ्रेंड ईशा नेगी के साथ तस्वीर शेयर कर सारी अफवाहों को बेसलेस साबित कर दिया था. उर्वशी क्रिकेटर्स के बीच भी अपना पब्लिसिटी स्टंट खेलती दिखीं है. उनका मीडिया की लाइमलाइट में आने की यही वजह है कि वे किसी भी तरह का हथकंड़ा अपना लेती है.

इसके अलावा कुछ टाइम तक उर्वशी रौतेला का नाम पाकिस्तीनी क्रिकेटर नसीम शाह से भी जुड़ा था.

जब सुष्मिता पर लगाया आरोप

उर्वशी रौतेला एक बार तब भी सुर्खियों में आई थीं जब उन्होंने सुष्मिता सेन पर आरोप लगाया था. उनका कहना था मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन ने साल 2012 मिस यूनिवर्स का ताज छोड़ने के लिए कहा था. हालांकि उनका कहना था कि वह उस वक्त क्राउन के लिए काफी छोटी है. हालांकि फिर वे 2015 में वो फिर वापिस आई और मिस यूनिवर्स का खिताब जीता.

एल्विश के साथ वीडियो सौन्ग में हौट सीन को लेकर चर्चा में आई उर्वशी

उर्वशी रौतेला एक बार तब भी सुर्खियों में आई थी. जब एक्ट्रेस ने एल्विश यादव के साथ एक हौट  वीडियो सौन्ग बनाया था. वीडियो का नाम था. ‘हम तो दीवाने’ सौन्ग. इस वीडियो में फेमस यूट्यूबर एल्विश के साथ उर्वशी रौतेला थी. जिसमें एक्टर-एक्ट्रेस ने काफी हौट सीन दिए थे. इनकी वीडियो पर यूट्यूब पर इसे 5 लाख व्यूज मिले. इस गाने के साथ उर्वशी खूब सुर्खियों आई थी.

बोनी कपूर ने उर्वशी रौतेला को गलत जगह किया था टच

बौलीवुड की उर्वशी रौतेला जब भी बहुत सुर्खियों में आई थी. जब उनका वीडियो सोशल मीडिया पर छा गया था. इस वीडियो में उर्वशी रौतेला के साथ मशहूर एक्ट्रेस श्रीदेवी के पति बोनी कपूर भी नज़र आए. इस वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड करने के बाद फ़ैन्स बोनी कपूर पर ग़ुस्सा करना लग थे.

दरअसल, इस वीडियो में ऐसा लग रहा था कि बोनी कपूर उर्वशी रौतेला को बंप को टच कर रहे हैं. बाद में उर्वशी रौतेला ने इस मुद्दे पर जवाब भी दिया उन्होंने कहा कि फ़ोटो और वीडियो ग़लत ऐंगल से लिया गया हैं. लेकिन उनका इस तरह से सफाई देना साफ मीडिया की लाइमलाइट में आना के लिए होता है.

यौनजनित बीमारियां: बताने में शर्म कैसी

यौनजनित एलर्जी एवं रोगों का पता नहीं चल पाता, क्योंकि यह थोड़ा निजी सा मामला है. इस बारे में बात करने में लोग झिझकते हैं और अकसर चिकित्सक या परिजनों को भी नहीं बताते. जहां यौन संसर्ग से होने वाले रोग (एसटीडी) कुछ खास विषाणु एवं जीवाणु के कारण होते हैं, वहीं यौनक्रिया से होने वाली एलर्जी लेटेक्स कंडोम के कारण हो सकती है. अन्य कारण भी हो सकते हैं, परंतु लेटैक्स एक प्रमुख वजह है.

यौन संसर्ग से होने वाले रोग

एसटीडीज वे संक्रमण हैं जो किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संसर्ग करने पर फैलते हैं. ये रोग योनि अथवा अन्य प्रकार के सैक्स के जरिए फैलते हैं, जिन में मुख एवं गुदा मैथुन भी शामिल हैं. एसटीडी रोग एचआईवी वायरस, हेपेटाइटिस बी, हर्पीज कौंपलैक्स एवं ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) जैसे विषाणुओं या गोनोरिया, क्लेमिडिया एवं सिफलिस जैसे जीवाणु के कारण हो सकते हैं.

इस तरह के रोगों का खतरा उन लोगों को अधिक रहता है जो अनेक व्यक्तियों के साथ सैक्स करते हैं, या फिर जो सैक्स के समय बचाव के साधनों का प्रयोग नहीं करते हैं.

कैंकरौयड : यह रोग त्वचा के संपर्क से होता है और अकसर पुरुषों को प्रभावित करता है. इस के होने पर लिंग एवं अन्य यौनांगों पर दाने व दर्दकारी घाव हो जाते हैं. इन्हें एंटीबायोटिक्स से ठीक किया जा सकता है और अनदेखा करने पर इन के घातक परिणाम हो सकते हैं. कंडोम का प्रयोग करने पर इस रोग के होने की आशंका बहुत कम हो जाती है.

क्लैमाइडिया : यह अकसर और तेजी से फैलने वाला संक्रमण है. यह ज्यादातर महिलाओं को होता है और इलाज न होने पर इस के दुष्परिणाम भी हो सकते हैं. इस के लक्षण स्पष्ट नहीं होते, परंतु कुछ मामलों में योनि से असामान्य स्राव होने लगता है या मूत्र त्यागने में कष्ट होता है. यदि समय पर पता न चले तो यह रोग आगे चल कर गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब या पूरी प्रजनन प्रणाली को ही क्षतिग्रस्त कर सकता है, जिस से बांझपन की समस्या हो सकती है.

क्रेब्स (प्यूबिक लाइस) : प्यूबिक लाइस सूक्ष्म परजीवी होते हैं जो जननांगों के बालों और त्वचा में पाए जाते हैं. ये खुजली, जलन, हलका ज्वर पैदा कर सकते हैं और कभीकभी इन के कोई लक्षण सामने नहीं भी आते. कई बार ये जूं जैसे या इन के सफेद अंडे जैसे नजर आ जाते हैं. कंडोम का प्रयोग करने पर भी इन जुंओं को रोका नहीं जा सकता, इसलिए बेहतर यही है कि एक सुरक्षित एवं स्थायी साथी के साथ ही यौन संसर्ग किया जाए. दवाइयों से यह समस्या दूर हो जाती है.

गोनोरिया : यह एक तेजी से फैलने वाला एसटीडी रोग है और 24 वर्ष से कम आयु के युवाओं को अकसर अपनी चपेट में लेता है. पुरुषों में मूत्र त्यागते समय गोनोरिया के कारण जलन महसूस हो सकती है, लिंग से असामान्य द्रव्य का स्राव हो सकता है, या अंडकोशों में दर्द हो सकता है. जबकि महिलाओं में इस के लक्षण स्पष्ट नहीं होते. यदि इस की चिकित्सा समय से न की जाए, तो जननांगों या गले में संक्रमण हो सकता है. इस से फैलोपियन ट्यूब्स को क्षति भी पहुंच सकती है जो बांझपन का कारण बन सकती है.

हर्पीज : यह रोग यौन संसर्ग अथवा सामान्य संपर्क से भी हो सकता है. मुख हर्पीज में मुंह के अंदर या होंठों पर छाले या घाव हो सकता है. जननांगों के हेर्पेस में जलन, फुंसी हो सकती है या मूत्र त्याग के समय असुविधा हो सकती है. य-पि दवाओं से इस के लक्षण दबाए जा सकते हैं, लेकिन इस का कोई स्थायी इलाज मौजूद नहीं है.

एचआईवी या एड्स : ह्यूमन इम्यूनोडैफिशिएंसी वाइरस अथवा एचआईवी सब से खतरनाक किस्म का यौनजनित रोग है. एचआईवी से पूरा तंत्रिका तंत्र ही नष्ट हो जाता है और व्यक्ति की जान भी जा सकती है. एचआईवी रक्त, योनि व गुदा के द्रव्यों, वीर्य या स्तन से निकले दूध के माध्यम से फैल सकता है. सुरक्षित एवं स्थायी साथी के साथ यौन संबंध रख कर और सुरक्षा उपायों का प्रयोग कर के एचआईवी को फैलने से रोका जा सकता है.

पैल्विक इन्फ्लेमेटरी डिसीज : पीआईडी एक गंभीर संक्रमण है और यह गोनोरिया एवं क्लेमिडिया का ठीक से इलाज न होने पर हो जाता है. यह स्त्रियों के प्रजनन अंगों को प्रभावित करता है, जैसे फैलोपियन ट्यूब. गर्भाशय या डिंबग्रंथि में प्रारंभिक अवस्था में कोई लक्षण स्पष्ट नहीं होते. परंतु इलाज न होने पर यह बांझपन या अन्य कई समस्याओं का कारण हो सकता है.

यौनजनित एलर्जी : इस तरह की एलर्जी की अकसर लोग चर्चा नहीं करते. सैक्स करते वक्त कई बार हलकीफुलकी एलर्जी का पता भी नहीं चलता. परंतु, एलर्जी से होने वाली तीव्र प्रतिक्रियाओं की अनदेखी नहीं हो सकती, जैसे अर्टिकेरिया, एंजियोडेमा, अस्थमा के लक्षण, और एनाफाइलैक्सिस. इन में से कई एलर्जिक प्रतिक्रियाएं तो लेटैक्स से बने कंडोम के कारण होती हैं. कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे कि वीर्य से एलर्जी, गस्टेटरी राइनाइटिस आदि.

लेटैक्स एलर्जी : यह एलर्जी कंडोम के संपर्क में आने से होती है और स्त्रियों व पुरुषों दोनों को ही प्रभावित कर सकती हैं. लेटैक्स एलर्जी के लक्षणों में प्रमुख हैं- जलन, रैशेस, खुजली या अर्टिकेरिया, एंजियोडेमा, अस्थमा के लक्षण और एनाफाइलैक्सिस आदि. ये लक्षण कंडोम के संपर्क में आते ही पैदा हो सकते हैं.

यह एलर्जी त्वचा परीक्षण या रक्त परीक्षण के बाद पता चल पाती है. यदि परीक्षण में एलजीई एंटीबौडी मिलते हैं तो इस की पुष्टि हो जाती है, क्योंकि वे लेटैक्स से प्रतिक्रिया करते हैं. लेटैक्स कंडोम का प्रयोग बंद करने से इस एलर्जी को रोका जा सकता है.

वीर्य से एलर्जी : बेहद कम मामलों में ऐसा होता है, लेकिन कुछ बार वीर्य में मौजूद प्रोटीन से स्त्री में इस तरह की प्रतिक्रिया हो सकती है. कई बार भोजन या एनसैड्स व एंटीबायोटिक्स में मौजूद प्रोटीन पुरुष के वीर्य से होते हुए स्त्री में एलर्जी करने लगते हैं. इस का लक्षण है- योनि संभोग के 30 मिनट के भीतर योनि में जलन. अधिक प्रतिक्रियाओं में एरियूटिकेरिया, एंजियोडेमा, अस्थमा और एनाफाइलैक्सिस आदि शामिल हैं. प्रभावित महिला के साथी के वीर्य की जांच कर के इस एलर्र्जी की पुष्टि की जा सकती है.

दरअसल, नियमित यौन जीवन जीने वाले महिलाओं व पुरुषों को किसी विशेषज्ञ से प्राइवेट पार्ट्स की समयसमय पर जांच कराते रहना चाहिए. इस से यौनजनित विभिन्न रोगों का पता चलेगा और उन से आप कैसे बचें, इस का भी पता चल सकेगा. यदि ऐसी कोई समस्या मौजूद हुईर्, तो आप उचित इलाज करा सकते हैं. यह अच्छी बात नहीं है कि झिझक या शर्र्म के चलते ऐसी बीमारियों का इलाज रोक कर रखा जाए. यदि आप को या आप के साथी को ऐसी कोईर् बीमारी या एलर्जी हो, तो तत्काल विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए.

मैं और मेरी मंगेतर की बहन एक-दूसरे से प्यार करने लगे हैं, हमें क्या करना चाहिए?

सवाल
मेरी मंगनी हो गई है, पर मैं अपनी मंगेतर की बहन से प्यार करता हूं. वह भी मुझ से प्यार करती है, पर उस की भी मंगनी हो गई है. अब हमें क्या करना चाहिए?

जवाब
आप दोनों को अपने प्यार का इजहार पहले ही कर देना चाहिए था, तब सीधे सीधे आप दोनों की ही मंगनी हो जाती. अभी चूंकि आप लोगों की शादी नहीं हुई है, लिहाजा घर वालों को सारी बातें बता दें, ताकि आप की शादी प्रेमिका से ही हो.

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साली ने जीजा को चखाया मजा

कल्पना से मेरी शादी 2 साल पहले हुई थी. उस की छोटी बहन शालिनी उस समय 16 साल की थी. वह कल्पना से ज्यादा खूबसूरत थी, चंचल भी बहुत थी.

कल्पना से शादी तय होने से पहले मैं अगर उसे देख लेता, तो उसी से शादी करता.

मैं ने कल्पना से शादी तो कर ली थी, मगर शालिनी को पाने की इच्छा मन में रह गई थी.

वैसे भी कहावत है कि साली आधी घरवाली होती है. मेरे 2 दोस्तों ने इस की पुष्टि भी की थी. उन्होंने मुझे बताया था कि उन के भी अपनी सालियों से नाजायज रिश्ते हैं.

मैं ने तय कर लिया था कि कोशिश करूंगा, तो मैं भी शालिनी को पा लूंगा.

शालिनी ने शादी के दिन मेरी खातिरदारी में कोई कमी नहीं की थी. मेरे साथ वह बराबर बनी रहती थी. वह कभी हंसीमजाक करती थी, तो कभी छेड़छाड़.

शालिनी ने बातोंबातों में यह भी कह दिया था, ‘‘आप इतने हैंडसम हैं कि मैं आप पर फिदा हो गई हूं. अगर मैं आप को पहले देख लेती, तो झटपट आप से शादी कर लेती. दीदी को पता भी नहीं चलने देती.’’

मैं ने भी झट से कह दिया था, ‘‘चाहो तो अब भी तुम मुझे अपना बना सकती हो. तुम्हारी दीदी को पता भी नहीं चलेगा.’’

उस ने भी मुसकराते हुए कह दिया था, ‘‘ऐसी बात है, तो किसी दिन आप को अपना बना लूंगी.’’

पता नहीं, शालिनी ने मजाक में यह बात कही थी या दिल से, मगर मैं ने उस की यह बात दिल में बैठा ली थी.

एक पत्नी से जो सुख मिलने चाहिए, वे तमाम सुख कल्पना से मुझे मिले. वह मेरी छोटीछोटी जरूरतों का भी खयाल रखती थी. इस के बावजूद मैं शालिनी को पाने की तमन्ना जेहन से निकाल नहीं पाया.

एक बार फोन पर मैं ने कहा था कि किसी बहाने से तुम से मिलने मुंबई आ जाऊं? तो उस ने जवाब दिया था, ‘‘आ जाते तो अच्छा होता, मेरे दिल को करार मिल जाता.

‘‘मगर, ऐसे में मामामामी को शक भी हो सकता है, इसलिए थोड़ा इंतजार कीजिए. मौका देख कर मैं खुद ही कोलकाता आ जाऊंगी?’’

उस के बाद मैं ने कभी मुंबई जाने का विचार नहीं किया. दरअसल, मैं नहीं चाहता था कि मेरे चलते शालिनी की बदनामी हो.

इसी तरह 2 साल बीत गए. एक दिन अचानक शालिनी ने फोन पर कहा, ‘जीजाजी, अब आप के बिना रहा नहीं जाता. हफ्तेभर बाद मैं आप के पास आ रही हूं.’

मैं खुशी से खिल उठा. शालिनी 12वीं पास कर कालेज में चली गई थी. वह गरमी की छुट्टियों में कोलकाता आ रही थी.

एक हफ्ते बाद शालिनी आई. उसे रिसीव करने मैं अकेले ही रेलवे स्टेशन पहुंच गया था. वह पहले से ज्यादा गदरा गई थी. उस की खूबसूरती देख कर मेरे मुंह से लार टपक गई. मुझ से रहा नहीं गया, तो उस से कह दिया, ‘‘तुम तो पहले से ज्यादा खूबसूरत हो गई हो. तुम्हें चूम लेने का मन करता है.’’

‘‘रास्ते पर ही चूमेंगे क्या…? पहले घर तो पहुंचिए,’’ कह कर शालिनी ने मुसकान बिखेर दी.

घर पहुंचने के बाद उस से अकेले में मिलने का मौका नहीं मिला. वह अपनी बहन के साथ चिपक सी गई थी.

उस रात मुझे ठीक से नींद नहीं आई. रातभर यही सोचता रहा कि जब शालिनी के साथ हमबिस्तरी करूंगा, तो वह कितना सुखद पल होगा.

रातभर जगे रहने के चलते मेरी आंखें लाल हो गई थीं. सुबह बाथरूम से बाहर आया, तो शालिनी से सामना हो गया.

मेरी तरफ देखते हुए उस ने कहा, ‘‘क्या बात है जीजाजी, आप की आंखें लाल हैं. क्या रात में नींद नहीं आई?’’

‘‘नहीं?’’

‘‘क्यों?’’

‘‘रातभर तुम्हारी याद आती रही?’’

‘‘मेरी क्यों? दीदी तो आप के साथ थीं. आप मुझ से जो चाहते हैं, वह दीदी भी तो दे ही सकती हैं. फिर मेरे लिए क्यों परेशान हैं?’’

‘‘देखो शालिनी, फालतू की बात मत करो. तुम अच्छी तरह जानती हो कि मैं तुम्हें पाना चाहता हूं. जब तक तुम्हें पा नहीं लूंगा, मुझे चैन नहीं मिलेगा.’’

मैं ने शालिनी को बांहों में लेना चाहा, तो वह बिजली सी तेजी के साथ बाथरूम में चली गई और झट से भीतर से दरवाजा बंद कर लिया.

फिर अंदर से वह बोली, ‘‘मुझे पाने के लिए सही मौका आने दीजिए जीजाजी. मैं खुद अपनेआप को आप के हवाले कर दूंगी.’’

2 दिन बाद कल्पना की तबीयत कुछ खराब थी, तो उस ने खाना बनाने के लिए शालिनी को रसोई में भेज दिया.

मौका ठीक देख कर मैं रसोई में गया. शालिनी खाना बनाने में बिजी थी. उस की पीठ दरवाजे की तरफ थी. पीछे से एकबारगी मैं ने उसे बांहों में भर लिया.

पहले तो वह घबराई, मगर मुझे देखते ही सबकुछ समझ गई. वह जोर लगा कर मेरी बांहों से अलग हो गई, फिर बोली, ‘‘अगर दीदी ने देख लिया होता, तो मेरा जीना मुश्किल कर देतीं. कहीं ऐसा किया जाता है क्या?

‘‘मुझे पाने  के लिए जिस तरह आप बेकरार हैं, मैं भी आप को पाने के लिए उसी तरह बेकरार हूं. मगर उस के लिए सही मौका चाहिए न.’’

कुछ सोचते हुए शालिनी ने कहा, ‘‘आप ऐसा कीजिए कि रात में जब दीदी गहरी नींद में सो जाएं, तो मेरे कमरे में आ जाइए.

‘‘दीदी जल्दी से गहरी नींद में सो जाएं, इसलिए उन के दूध में नींद की दवा मिला दूंगी. आप जा कर कैमिस्ट से नींद की दवा ले आइए.’’

शालिनी की बात मुझे जंच गई.

कुछ देर बाद नींद की दवा ला कर मैं ने उसे दे दी.

नींद की दवा ले कर शालिनी पहले मुसकराई, फिर बोली, ‘‘आप सो मत जाइएगा, नहीं तो रातभर जल बिन मछली की तरह मैं तड़पती रह जाऊंगी.’’

‘‘कैसी बात करती हो. तुम्हें पाने के लिए मैं खुद तड़प रहा हूं, फिर सो कैसे जाऊंगा. तुम दरवाजा खोल कर रखना. मैं हर हाल में आऊंगा.’’

रात का भोजन करने के बाद मैं अपने कमरे में जा कर बिस्तर पर लेट गया.

कल्पना 10 बजे के बाद बिस्तर पर आई और बोली, ‘‘आज मुझे तंग मत कीजिएगा. न जाने क्यों नींद से मेरी आंखें बंद होती जा रही हैं.’’

मैं समझ गया कि शालिनी ने नींद की दवा वाला दूध उसे पिला दिया है.

कुछ देर बाद ही कल्पना गहरी नींद में सो गई.

थोड़ी देर बाद बिस्तर से उठ कर मैं यह जानने के लिए मां के कमरे में गया कि वे भी सो गई हैं या जगी हुई हैं?

मां भी गहरी नींद में थीं.

जब मैं शालिनी के कमरे में गया, उस समय रात के 11 बज गए थे.

शालिनी मेरा इंतजार कर रही थी. वह फुसफुसाई, ‘‘आप ने अच्छी तरह देख लिया है न कि दीदी गहरी नींद में सो गई हैं?’’

‘‘मैं ने उसे हिलाडुला कर देखा है. वह गहरी नींद में है.’’

अचानक मुझे कुछ खयाल आया और मैं ने शालिनी से कहा, ‘‘आज हम दोनों के बीच जो कुछ भी होगा, वह तुम भूल से भी दीदी को मत बताना.’’

‘‘अगर बता दूंगी तो क्या होगा?’’ पूछ कर शालिनी मुसकरा उठी.

‘‘तुम बेवकूफ हो क्या? हमबिस्तरी की बात किसी को नहीं बताई जाती. अगर तुम्हारी दीदी को पता चला गया, तो तुम्हारी तो बेइज्जती होगी ही, मुझे भी नहीं छोड़ेगी.

वह पूरे महल्ले में मुझे बदनाम कर देगी. मैं सिर उठा कर चल नहीं पाऊंगा,’’ मैं ने उसे समझाने की कोशिश की.

‘‘ऐसी बात है तो मुझ से हमबिस्तरी क्यों करना चाहते हैं? पत्नी के वफादार बन कर रहिए,’’ उस ने मुझे सीख देने की कोशिश की.

उस की बात से मैं चिढ़ गया और कहा, ‘‘तुम तो नाहक में बात बढ़ा रही हो. मैं तुम्हें हर हाल में पाना चाहता हूं और आज पा कर रहूंगा. वैसे भी तुम मेरी साली हो और साली पर जीजा का हक होता ही है.’’

‘‘तुम दीदी या किसी और को बताओगी तो बता देना. तुम्हें पाने के लिए मैं बदनामी सह लूंगा.’’

‘‘मैं ने तो ऐसे ही कहा था. आप नाराज क्यों हो गए? मैं जानती हूं कि ऐसी बातें किसी को नहीं बताई जाती हैं. मैं तो खुद आप को पाना चाहती हूं, फिर किसी को क्यों बताऊंगी.’’

मैं समय बरबाद नहीं करना चाहता. दरवाजा बंद करने लगा, तो शालिनी ने रोक दिया. कहा, ‘‘दरवाजा बंद करने से पहले मेरी एक बात सुन लीजिए.’’

‘‘बोलो?’’

‘‘बात यह है कि मैं पहली बार आप से संबंध बनाऊंगी, इसलिए मुझे शर्म आएगी.

‘‘मैं चाहती हूं कि हमबिस्तरी के समय कमरे में अंधेरा हो और हम दोनों में से कोई किसी से बात न करे. जो कुछ भी हो चुपचाप हो.’’

शालिनी का बेलिबास शरीर देखने की बहुत इच्छा थी. मुझे उस की इच्छा का भी ध्यान रखना था, इसलिए उस की बात मैं ने मान ली.

वह खुश हो कर बोली, ‘‘अब आप पलंग पर जा कर बैठिए. मैं बाथरूम हो कर तुरंत आती हूं.’’

लाइट बंद कर और दरवाजा बंद कर शालिनी चली गई. मैं उस के लौटने का इंतजार करने लगा.

कुछ देर बाद ही शालिनी आ गई. दरवाजा अंदर से बंद कर वह पलंग पर आई, तो मेरा दिल खुशी से बल्लियों उछलने लगा.

मेरा 2 साल का सपना पूरा होने जा रहा था. उसे बांहों में भर कर मैं ने खूब चूमा. उस के बाद…

घुप अंधेरा होने के चलते भले ही उस का शरीर नहीं देख पाया, मगर उसे भोगने का मौका तो मिला था.

मैं ने पूरे जोश के साथ उस के साथ हमबिस्तरी की. मंजिल पर पहुंचते ही मुंह से निकल गया, ‘‘मजा आ गया शालिनी.’’

शालिनी कुछ बोली नहीं.

कुछ देर बाद बिस्तर से उठ कर उस ने अपने कपड़े ठीक कर लिए.

मैं ने भी अपने कपड़े दुरुस्त कर लिए, तो उस ने लाइट जला दी.

फिर तो मेरी बोलती बंद हो गई. आंखों के आगे अंधेरा छा गया.

शालिनी समझ कर अंधेरे में जिस के साथ मैं ने हमबिस्तरी की थी, वह शालिनी नहीं, बल्कि पत्नी कल्पना थी. वह मुसकरा रही थी.

उस की मुसकान देख कर मैं शर्म से पानीपानी हो गया.

मैं कुछ कहता, उस से पहले कल्पना बोली, ‘‘आप तो मुझे प्यार करने का दावा करते थे. कहते थे कि किसी पराई औरत से नाजायज संबंध बनाने से बेहतर मर जाना पसंद करूंगा, फिर यह क्या था?’’

मैं चाह कर भी कुछ बोल नहीं पा रहा था. सिर उठा कर मैं उसे देख भी नहीं पा रहा था.

अचानक दरवाजे पर किसी ने हौले से दस्तक दी. कल्पना ने दरवाजा खोल दिया.

दरवाजे पर शालिनी थी. वह झट से अंदर आ गई. फिर मुसकराते हुए मुझ से बोली, ‘‘क्यों जीजाजी, मजा आया?’’

मेरे कुछ कहने से पहले कल्पना बोली, ‘‘तुम्हारे जीजाजी को बहुत मजा आया शालिनी.’’

‘‘सच जीजाजी?’’

मैं कुछ बोल नहीं पाया. मगर यह समझ गया कि सब शालिनी और कल्पना की मिलीभगत है.

मेरे नजदीक आ कर शालिनी बोली, ‘‘आप तो साली को आधी घरवाली समझते थे, फिर आप ने शर्म से सिर क्यों झुका लिया?’’

फिर वह मुझे समझाते हुए बोली, ‘‘देखिए जीजाजी, साली को आधी घरवाली समझ कर उस के साथ नाजायज संबंध बनाने की सोच छोड़ दीजिए.

‘‘पत्नी को इतना प्यार कीजिए कि उसी में आप को हर दिन एक नया शरीर मिलने का एहसास होगा, जैसा कि आज आप ने महसूस किया.’’

कुछ देर चुप रह कर शालिनी ने कहा, ‘‘मैं ने दीदी के साथ मिल कर आप को जो सबक सिखाया, उस के लिए माफ कर दीजिएगा.

‘‘दरअसल बात यह थी कि जब मुझे एहसास हो गया कि आप मेरा जिस्म पाना चाहते हैं, तो एक दिन मैं ने आप का इरादा दीदी को बताया.

‘‘दीदी को मेरी बात पर यकीन नहीं हुआ. उन्हें आप पर पूरा यकीन था. उन्होंने मुझ से कहा कि आप मर जाएंगे, मगर किसी पराई औरत से संबंध नहीं बनाएंगे.

‘‘उस के बाद मैं ने दीदी को सुबूत देने का फैसला कर लिया. यह बात साबित करने के लिए ही मुझे मुंबई से कोलकाता आना पड़ा.’’

मैं सबकुछ समझ गया था. गलती के लिए पत्नी और साली से माफी मांगनी पड़ी. पत्नी का मैं ने विश्वास तोड़ा था, इसलिए वह मुझे माफ नहीं करना चाहती थी, मगर शालिनी के समझाने पर माफ कर दिया.

मुझे माफी मिल गई, तो शालिनी से पूछा, ‘‘मैं यह नहीं समझ पाया कि कमरे में तुम्हारी दीदी कब और कैसे आईं?’’

‘‘मैं ने दीदी को अपनी सारी योजना बता दी थी. उन्हें नींद की दवा नहीं दी गई थी.

‘‘जब आप दीदी को छोड़ कर मेरे पास आए थे, उस समय वे जगी हुई थीं.

‘‘आप को कमरे में बैठा कर मैं बाथरूम के बहाने गई और दीदी को भेज दिया.

‘‘अंधेरा होने के चलते आप को जरा भी शक नहीं हुआ कि साली है या घरवाली.’’

उम्र में शालिनी मुझ से छोटी थी, मगर उस ने मुझे ऐसा सबक सिखाया कि उस की चतुराई पर मैं गर्व किए बिना न रह सका.

शालिनी की सूझबूझ से मैं अपने चरित्र से गिरने से बच गया था.

 

नाइट फ्लाइट :ऋचा से बात करने में क्यों कतरा रहा था यश

मुंबई का अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा. अभी शाम के 5 भी  नहीं बजे थे. यश की फ्लाइट रात के 8 बजे की थी. वह लंबी यात्रा में किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहता था. सो, एयरपोर्ट जल्दी ही आ गया था. उस ने टैक्सी से अपना सामान उतार कर ट्रौली पर रखा. हवाईअड्डे पर काफी भीड़ थी. वह मन ही मन सोच रहा था, आजकल हवाई यात्रा करने वालों की कमी नहीं है. यश ने अपना पासपोर्ट और टिकट दिखा कर अंदर प्रवेश किया.

यश ने एयर इंडिया के काउंटर से चेकइन कर अपना बोर्डिंग पास लिया. उस ने अपने लिए किनारे वाली सीट पहले से बुक करा ली थी. उसे यात्रा के दौरान विंडो या बीच वाली सीट से निकल कर वौशरूम जाने में परेशानी होती है. उस के बाद वह सुरक्षा जांच के लिए गया. सुरक्षा जांच के बाद टर्मिनल 2 की ओर बढ़ा जहां से एयर इंडिया की उड़ान संख्या ए/314 से उसे हौंगकौंग जाना था. वहां पर वह एक किनारे कुरसी पर बैठ गया. अभी भी उस की फ्लाइट में डेढ घंटे बाकी थे. हौंगकौंग के लिए और भी उड़ानें थीं पर उस ने जानबूझ कर नाइट फ्लाइट ली ताकि रात जहाज में सो कर गुजर जाए और सारा दिन काम कर सके. उस की फ्लाइट हौंगकौंग के स्थानीय समय के अनुसार सुबह 6.45 बजे वहां लैंड करती.

थोड़ी देर बाद एक बुजुर्ग आ कर यश की बगल में एक सीट छोड़ कर बैठ गए. बीच की सीट पर उन्होंने अपना बैग रख दिया. देखने में वे किसान लग रहे थे. उन्होंने अपना बोर्डिंग पास यश को दिखाते हुए पंजाबी मिश्रित हिंदी में पूछा, ‘‘पुत्तर, मेरा जहाज यहीं से उड़ेगा न?’’

यश ने हां कहा और अपनी किताब पढ़ने लगा. बीचबीच में वह सामने टीवी स्क्रीन पर न्यूज देख लेता. लगभग आधे घंटे के बाद एक युवती आई. यश की बगल वाली सीट पर बुजुर्ग का बैग रखा था. लड़की ने यश से कहा, ‘‘प्लीज, आप अपना बैग हटा लेते, तो मैं यहां बैठ जाती.’’

यश ने मुसकराते हुए बुजुर्ग की ओर इशारा कर कहा, ‘‘यह बैग उन का है.’’

उस बुजुर्ग को हिंदी ठीक से नहीं आती थी. लड़की के समझाने पर उन्होंने अपना बैग नीचे रखा. तब लड़की ने यश की ओर देख कर कहा, ‘‘मैं थोड़ी देर में वौशरूम से आती हूं.’’

इस बार यश ने सिर उठा कर उसे देखा और मुसकराते हुए, ‘इट्स ओके’ कहा. फिर लड़की को जाते हुए देखा. लड़की खूबसूरत थी. उस की पतली कमर के ऊपर ब्लू स्कर्ट और स्कर्ट के बाहर झांकती पतली टांगें उसे अच्छी लगी थीं. ऊपर एक सफेद टौप था. उस ने हाईहील सैंडिल पहनी थी.

करीब 10 मिनट के बाद एक हाथ में स्नैक्स और दूसरे में कोक का कैन लिए वह लड़की आ रही थी. पहले स्नैक्स खाती, फिर कोक सिप करती. यश ने देखा कि उसे हाईहील पहन कर चलने में कुछ असुविधा हो रही थी. वह जैसे ही अपनी कुरसी पर बैठने जा रही थी कि थोड़ा लड़खड़ा पड़ी. उस ने अपने को तो संभाल लिया पर कोक का कैन हाथ से छूट कर यश की गोद में जा पड़ा. कुछ कोक छलक कर उस की जींस पर गिरी जिस से जींस कुछ गीली हो गई थी.

यश ने खड़े हो कर कैन उसे पकड़ाया. लड़की बुरी तरह शर्मिंदा थी, बोली, ‘‘आई एम ऐक्सट्रीमली सौरी.’’ और बैग में से कुछ टिश्यूपेपर निकाल कर उस की जींस पोंछने लगी.

यश को यह अच्छा नहीं लगा, वह बोला, ‘‘आप रहने दें, मैं खुद कर लेता हूं.’’ और उस के हाथ से टिश्यू ले कर खुद गीलापन कम करने की कोशिश करने लगा.

थोड़ी देर बाद बोर्डिंग की घोषणा हुई. यह भी इत्तफाक ही था कि वह लड़की और बुजुर्ग दोनों यश की बगल की सीटों पर थे. बुजुर्ग को विंडो सीट और लड़की को बीच वाली सीट मिली थी.

विमान के कैप्टन ने यात्रियों का स्वागत करते हुए कहा कि मुंबई से हौंगकौंग तक की उड़ान करीब 8 घंटे 35 मिनट की होगी. पर लगभग 2 घंटे के बाद विमान एक घंटे के लिए दिल्ली में रुकेगा. जिन यात्रियों को हौंगकौंग जाना है, कृपया अपनी सीट पर बैठे रहें. विमान परिचारिका ने सुरक्षा नियम समझाए. बुजुर्ग यात्री पहली बार हवाई जहाज से यात्रा कर रहे थे. उन्हें बैल्ट बांधने में लड़की ने मदद की. उन्होंने बताया कि वे कनाडा जा रहे हैं. वे कुछ दिन हौंगकौंग में अपनी भतीजी की शादी के सिलसिले में रुकेंगे.

फिर उन्हें हौंगकौंग से वैंकुवर जाना है. उन के बेटे ने उन का ग्रीनकार्ड स्पौंसर किया है.

निश्चित समय पर विमान ने टेकऔफ किया. बातचीत का सिलसिला यश ने शुरू किया. वह लड़की से बोला, ‘‘मैं यश मेहता, सौफ्टवेयर इंजीनियर हूं. मेरी कंपनी बैंकिंग सौफ्टवेयर बनाती है. अभी मैं एक प्रोडक्ट के सिलसिले में हौंगकौंग के बार्कले इन्वैस्टमैंट बैंक और एचएसबीसी बैंक जा रहा हूं.’’

‘‘ग्लैड टू मीट यू, मैं ऋचा शर्मा. हौंगकौंग में हमारा बिजनैस है.’’

‘‘तब तो आप अकसर वहां जाती होंगी.’’

‘‘जी नहीं, पहली बार जा रही हूं.’’

तब तक जलपान दिया गया. यश और ऋ चा ने देखा कि वे बुजुर्ग बारबार उठ कर बाथरूम जा रहे हैं जिस के चलते ऋचा को ज्यादा परेशानी हो रही थी. यश किनारे वाली सीट पर था तो वह अपने पैर बाहर की तरफ मोड़ लेता.

बुजुर्ग ने बताया कि उन्हें शुगर और किडनी दोनों बीमारियां हैं. उन की एक आदत यश और ऋ चा दोनों को बुरी लगी कि विमान परिचारिका जो भी कुछ सामान अगलबगल की सीट पर देती, वे अपने लिए भी मांग बैठते.

कुछ देर बाद विमान दिल्ली हवाई अड्डे पर उतर रहा था. करीब एक घंटे के बाद विमान ने हौंगकौंग के लिए उड़ान भरी. आधे घंटे के बाद डिनर सर्व हुआ. डिनर के बाद यश सोने की तैयारी में था. तभी ऋ चा ने अपने रिमोट से परिचारिका को बुलाने के लिए कौलबैल का बटन दबाया. थोड़ी देर में वह आई. ऋचा ने उस के कान में धीरे से कुछ कहा. परिचारिका ‘श्योर मैम, मैं देखती हूं,’ बोल कर चली गई.

कुछ ही देर बाद वह लौट कर आई. उस ने एक टिश्यू में लिपटा हुआ कुछ सामान ऋचा को दिया. बुजुर्ग ने कहा, ‘‘पुत्तर, एक मुझे भी दे दो.’’

परिचारिका बोली, ‘‘सर, यह आप के काम की चीज नहीं है.’’

‘‘तुम मुझे दो तो सही. मैं देख लूंगा, मेरे लिए है या नहीं.’’

ऋचा शरमा रही थी और अपनी हंसी भी नहीं छिपा पा रही थी. बारबार समझाने पर भी वे नहीं मान रहे थे. तब परिचारिका ने झुंझला कर कहा, ‘‘आप को भी मासिकधर्म है क्या?’’

बुजुर्ग बोले, ‘‘छि, क्या बोलती है?’’

तब जा कर उन की समझ में बात आई. यश ने कहा, ‘‘मैं देख रहा हूं आप हर चीज अपने लिए मांग रहे हैं?’’

‘‘आते समय मेरे बेटे ने समझाया था कि शर्म नहीं करना, सब चीजें जहाज में फ्री मिलती हैं.’’

यश हंस पड़ा. इसी बीच ऋचा सैनिटरी नैपकिन ले कर वौशरूम चली गई. 10 मिनट बाद वह लौट कर अपनी सीट पर आ रही थी. बगल की सीट पर बैठा यात्री सो रहा था और उस का हैडफोन नीचे गिरा था. ऋचा का पैर हैडफोन की तार में फंस गया, ऊपर से हाईहील, पैंसिल नोक वाली सैंडिल. ऋचा गिर पड़ी और उस की स्कर्ट भी कुछ इस तरह उठ गई थी कि उस का अधोवस्त्र भी झलकने लगा. वह उठने की कोशिश कर रही थी, पर दोबारा फिसल पड़ी थी. यश ने उसे सहारा दे कर अपनी सीट पर बैठाया और खुद बीच वाली सीट पर बैठ गया.

‘‘थैंक्स अ लौट,’’ ऋ चा बोली.

‘‘इट्स ओके. पर एक बात पूछूं, बुरा न मानिए.’’

ऋचा के पूछिए बोलने पर वह बोला, ‘‘आप हाईहील में सहज नहीं लगती हैं, फिर फ्लाइट में क्यों इसे पहन कर आई हैं?’’

‘‘हाईहील के बगैर मेरी हाइट 5 फुट से भी कम हो जाती है. वैसे, मैं रैगुलर इसे यूज नहीं करती.’’

थोड़ी देर बाद ऋ चा को नींद आ गई. उस ने नींद में यश के कंधे पर अपना सिर रख दिया. यश को उस का सामीप्य अच्छा लग रहा था. कंधे पर एक खुशनुमा बोझ तो था, पर उस के बदन और बालों की खुशबू यश को रोमांचित कर रही थी. वह यथावत स्थिति में बैठा रहा. उसे डर था कि कहीं हिलनेडुलने से ऋचा की नींद न टूट जाए और वह इस आनंद से वंचित रह जाए. बीच में कभी ऋचा की नींद खुलती तो वह सीधा हो कर बैठती, पर 5 मिनट के अंदर फिर यश के कंधों पर लुढ़क जाती.

इस बीच, यश ने दोनों सीटों के बीच वाले हिस्से को उठा कर खड़ा कर दिया. कभी तो ऋ चा का सिर उस के सीने पर भी आ जाता, तब उस की नींद खुलती और सौरी बोल कर सीधी हो जाती और बोलती, ‘‘मुझ से नींद बरदाश्त नहीं होती. मैं कहीं भी जाती हूं किसी तरह अपने सोनेभर की जगह बना ही लेती हूं.’’

यश ने कहा, ‘‘आप कहें तो मैं आप के लिए कुछ और जगह बना दूं. मेरे पैर पर तकिया रख कर सो लें.’’

‘‘ओह, नोनो.’’

पर 10 मिनट के अंदर उस का सिर यश के पैर पर रखे तकिए पर आ गया. यश को भी नींद आ रही थी, पर वह अपनी नींद कुरबान करने को तैयार था, बल्कि एकाध बार तो उस का दाहिना हाथ ऋ चा के बालों पर फिसलने लगता.

देखतेदेखते लैंडिंग की भी घोषणा हुई. तब यश ने धीरे से ऋचा का सिर हिला कर कहा ‘‘उठिए, बैल्ट बांधिए. हम हौंगकौंग पहुंच रहे हैं.’’

‘‘इतनी जल्दी आ गए. मुझे तो पता ही नहीं चला.’’ और फिर सीधा बैठ कर बैल्ट बांधती हुई बोली, ‘‘क्या मैं रातभर इसी तरह सोती आई? सौरी, आप को तकलीफ दी.’’

‘‘कोई बात नहीं, इट्स अ प्लेजर फौर मी. अगर सफर लंबा होता तो मुझे और खुशी होती.’’

ऋ चा मुसकरा कर रह गई. ऋ चा और यश दोनों का इमिग्रेशन और कस्टम एक ही डैस्क पर हुआ. वहीं लाइन में खड़े यश ने कहा, ‘‘आप के साथ का सफर बड़ा प्यारा रहा. क्या हम आगे भी मिल सकते हैं?’’

‘‘हां, मिलने में कोई बुराई नहीं है.’’

‘‘तो शाम को विंधम स्ट्रीट के इंडियन रैस्टोरैंट में मिलते हैं. जब हौंगकौंग आता हूं, वहां मैं अकसर डिनर करता हूं. लाजवाब स्वाद है वहां के खाने में.’’

ऋ चा हंस कर बोली, ‘‘तब तो वहां मैं जरूर मिलूंगी.’’

दोनों एयरपोर्ट से बाहर निकले. दोनों के लिए तख्तियां ले कर कार के ड्राइवर्स खड़े थे. दोनों अपनेअपने गंतव्य स्थान पर गए.

यश 2-3 घंटे होटल में आराम कर अपने काम पर चला गया. दिनभर वह शाम को ऋचा से होने वाली मुलाकात को सोच कर रोमांचित होता रहा.

यश ने शाम को उस इंडियन रैस्टोरैंट में अपने लिए टेबल बुक कर लिया था. होटल पहुंच कर वह अपने टेबल पर बैठा बारबार घड़ी देख रहा था. सोच रहा था कि ऋचा बोल कर भी क्यों नहीं आई. वह सोच ही रहा था कि तभी ऋचा एप्रन पहने सामने आ खड़ी हुई. उसे मेनू बुक देते हुए बोली, ‘‘गुड इवनिंग सर, आप खाने में क्या पसंद करेंगे?’’

यश उसे वेट्रैस की ड्रैस में देख कर घबरा गया और बोला, ‘‘तुम यहां वेट्रैस हो? यही तुम्हारा बिजनैस है?’’

‘‘रिलैक्स सर. अच्छा, आज मेरी पसंद का डिनर लें. आप को शिकायत का मौका नहीं दूंगी.’’

यश ने उस का हाथ पकड़ कर बैठाना चाहा तो वह बोली, ‘‘मैं डिनर ले कर आती हूं. दोनों साथ बैठ कर खाएंगे.’’

यश हैरानपरेशान सा बैठा था. थोड़ी देर में वह भरपूर खाना ले कर आई और एप्रन खोल कर रख दिया. दोनों खाते रहे. यश ने 2-3 बार पूछना चाहा कि क्या वह वेट्रैस है, पर हर बार वह टाल जाती.

खाना खत्म होते ही एक युवक उन के पास आया और उस ने ऋ चा से पूछा, ‘‘कुछ और चाहिए. खाना पसंद आया तुम्हारे वीआईपी गैस्ट को?’’

यश उस युवक की ओर देखने लगा. ऋ चा बोली, ‘‘मीट माई हस्बैंड, नीलेश.’’

यश भौचक्का सा कभी ऋचा, तो कभी नीलेश को देखता रहा. थोड़ी देर बाद नीलेश बोला, ‘‘हमारी शादी 2 महीने पहले इंडिया में हुई थी. इसे मायके में कुछ दिन रुकने का मन था. मैं यहां पहले चला आया. इस होटल में मेजर शेयर हमारा है. आप ने यात्रा में ऋचा की काफी सहायता की है. वह आप की बहुत तारीफ कर रही थी. दरअसल, इस टेबल की वेट्रैस आज छुट्टी पर है. ऋ चा बोली कि उस का एक खास गैस्ट आ रहा है, वह खुद मेहमाननवाजी करेगी. और आज का डिनर हमारी तरफ से कौंप्लीमैंट्री रहा.’’

यश अभी तक इस आश्चर्यजनक वाकए से उबर नहीं सका था, वह बोला, ‘‘ऋचा, आप ने पहले क्यों नहीं बताया?’’

‘‘मैं ने कहा था कि मेरा बिजनैस है. पर जब आप ने इंडियन रैस्टोरैंट का नाम लिया तो मैं ने सोचा, क्यों न सरप्राइज दिया जाए, और आप को कुछ देर और रोमांचित होने का मौका दिया मैं ने.’’

‘‘नौट फेयर ऋचा, मुझे आप ने अपने बारे में अंधेरे में रखा.’’

ऋचा ने यश की पीठ थपथपाई और कहा, ‘‘वी विल रिमेन गुड फ्रैंड्स. इस होटल में जब भी चाहो, आ जाना. बिल नहीं भी देंगे तो भी चलेगा. पर हर बार मैं सर्व नहीं कर सकूंगी. होप यू डौंट माइंड.’’

नीलेश और ऋचा दोनों होटल के बाहर तक यश को छोड़ने आए.

यश ने टैक्सी ली और वापस अपने होटल आ गया. रिलैक्स हो कर सोफे पर बैठ गया. उसे एहसास हो रहा था कि हम बिना दूसरे के बारे में जाने न जाने क्याक्या सोच बैठते हैं. ऋचा को देख उस ने न जाने क्याक्या सोच लिया था. गलती तो उसी की थी. मन तो बावरा होता है, लेकिन अपनी सोच पर तो हमारी खुद की पकड़ होती है. यश को अपनेआप पर हंसी आ गई. फिर लंबी सांस भर कर बोला, ‘‘नौट अगेन.’’

दाग का सच : ललिया के कपड़ों पर कैसा दाग था

पूरे एक हफ्ते बाद आज शाम को सुनील घर लौटा. डरतेडरते डोरबैल बजाई. बीवी ललिया ने दरवाजा खोला और पूछा, ‘‘हो गई फुरसत तुम्हें?’’

‘‘हां… मुझे दूसरे राज्य में जाना पड़ा था न, सो…’’

‘‘चलिए, मैं चाय बना कर लाती हूं.’’

ललिया के रसोईघर में जाते ही सुनील ने चैन की सांस ली.

पहले तो जब सुनील को लौटने में कुछ दिन लग जाते थे तो ललिया का गुस्सा देखने लायक होता था मानो कोई समझ ही नहीं कि आखिर ट्रांसपोर्टर का काम ही ऐसा. वह किसी ड्राइवर को रख तो ले, पर क्या भरोसा कि वह कैसे चलाएगा? क्या करेगा?

और कौन सा सुनील बाकी ट्रक वालों की तरह बाहर जा कर धंधे वालियों के अड्डे पर मुंह मारता है.

चाहे जितने दिन हो जाएं, घर से ललिया के होंठों का रस पी कर जो निकलता तो दोबारा फिर घर में ही आ कर रसपान करता, लेकिन कौन समझाए ललिया को. वह तो इधर 2-4 बार से इस की आदत कुछकुछ सुधरी हुई है. तुनकती तो है, लेकिन प्यार दिखाते हुए.

चाय पीते समय भी सुनील को घबराहट हो रही थी. क्या पता, कब माथा सनक उठे.

माहौल को हलका बनाने के लिए सुनील ने पूछा, ‘‘आज खाने में क्या बना रही हो?’’

‘‘लिट्टीचोखा.’’

‘‘अरे वाह, लिट्टीचोखा… बहुत बढि़या तब तो…’’

‘‘हां, तुम्हारा मनपसंद जो है…’’

‘‘अरे हां, लेकिन इस से भी ज्यादा मनपसंद तो…’’ सुनील ने शरारत से ललिया को आंख मारी.

‘‘हांहां, वह तो मेरा भी,’’ ललिया ने भी इठलाते हुए कहा और रसोईघर में चली गई.

खाना खाते समय भी बारबार सुनील की नजर ललिया की छाती पर चली जाती. रहरह कर ललिया के हिस्से से जूठी लिट्टी के टुकड़े उठा लेता जबकि दोनों एक ही थाली में खा रहे थे.

‘‘अरे, तुम्हारी तरफ इतना सारा रखा हुआ है तो मेरा वाला क्यों ले रहे हो?’’

‘‘तुम ने दांतों से काट कर इस को और चटपटा जो बना दिया है.’’

‘‘हटो, खाना खाओ पहले अपना ठीक से. बहुत मेहनत करनी है आगे,’’ ललिया भी पूरे जोश में थी. दोनों ने भरपेट खाना खाया.

ललिया बरतन रखने चली गई और सुनील पिछवाड़े जा कर टहलने लगा. तभी उस ने देखा कि किसी की चप्पलें पड़ी हुई थीं.

‘‘ये कुत्ते भी क्याक्या उठा कर ले आते हैं,’’ सुनील ने झल्ला कर उन्हें लात मार कर दूर किया और घर में घुस कर दरवाजा बंद कर लिया.

सुनील बैडरूम में पहुंचा तो ललिया टैलीविजन देखती मिली. वह मच्छरदानी लगाने लगा.

‘‘दूध पीएंगे?’’ ललिया ने पूछा.

‘‘तो और क्या बिना पिए ही रह जाएंगे,’’ सुनील भी तपाक से बोला. ललिया ने सुनील का भाव समझ कर उसे एक चपत लगाई और बोली, ‘‘मैं भैंस के दूध की बात कर रही हूं.’’

‘‘न… न, वह नहीं. मेरा पेट लिट्टीचोखा से ही भर गया है,’’ सुनील ने कहा.

‘‘चलो तो फिर सोया जाए.’’

ललिया टैलीविजन बंद कर मच्छरदानी में आ गई. बत्ती तक बुझाने का किसी को होश नहीं रहा. कमरे का दरवाजा भी खुला रह गया जैसे उन को देखदेख कर शरमा रहा था. वैसे भी घर में उन दोनों के अलावा कोई रहता नहीं था.

सुबह 5 बजे सुनील की आंखें खुलीं तो देखा कि ललिया बिस्तर के पास खड़ी कपड़े पहन रही थी.

‘‘एक बार गले तो लग जाओ,’’ सुनील ने नींद भरी आवाज में कहा.

‘‘बाद में लग लेना, जरा जल्दी है मुझे बाथरूम जाने की…’’ कहते हुए ललिया जैसेतैसे अपने बालों का जूड़ा बांधते हुए वहां से भाग गई. सुनील ने करवट बदली तो ललिया के अंदरूनी कपड़ों पर हाथ पड़ गया. ललिया के अंदरूनी कपड़ों की महक सुनील को मदमस्त कर रही थी.

सुनील ललिया के लौटने का इंतजार करने लगा, तभी उस की नजर ललिया की पैंटी पर बने किसी दाग पर गई. उस का माथा अचानक से ठनक उठा.

‘‘यह दाग तो…’’

सुनील की सारी नींद झटके में गायब हो चुकी थी. वह हड़बड़ा कर उठा और ध्यान से देखने लगा. पूरी पैंटी पर कई जगह वैसे निशान थे. ब्रा का मुआयना किया तो उस का भी वही हाल था.

‘‘कल रात तो मैं ने इन का कोई इस्तेमाल नहीं किया. जो भी करना था सब तौलिए से… फिर ये…’’

सुनील का मन खट्टा होने लगा. क्या उस के पीछे ललिया के पास कोई…? क्या यही वजह है कि अब ललिया उस के कई दिनों बाद घर आने पर झगड़ा नहीं करती? नहींनहीं, ऐसे ही अपनी प्यारी बीवी पर शक करना सही नहीं है. पहले जांच करा ली जाए कि ये दाग हैं किस चीज के.

सुनील ने पैंटी को अपने बैग में छिपा दिया, तभी ललिया आ गई, ‘‘आप उठ गए… मुझे देर लग गई थोड़ी.’’

‘‘कोई बात नहीं,’’ कह कर सुनील बाथरूम में चला गया.

जब वह लौटा तो देखा कि ललिया कुछ ढूंढ़ रही थी.

‘‘क्या देख रही हो?’’

‘‘मेरी पैंटी न जाने कहां गायब हो गईं. ब्रा तो पहन ली है मैं ने.’’

‘‘चूहा ले गया होगा. चलो, नाश्ता बनाओ. मुझे आज जल्दी जाना है,’’ सुनील ने उस को टालने के अंदाज में कहा. ललिया भी मुसकरा उठी. नाश्ता कर सुनील सीधा अपने दोस्त मुकेश के पास पहुंचा. उस की पैथोलौजी की लैब थी.

सुनील ने मुकेश को सारी बात बताई. उस की सांसें घबराहट के मारे तेज होती जा रही थीं.

‘‘अरे, अपना हार्टफेल करा के अब तू मर मत… मैं चैक करता हूं.’’

सुनील ने मुकेश को पैंटी दे दी.

‘‘शाम को आना. बता दूंगा कि दाग किस चीज का है,’’ मुकेश ने कहा.

सुनील ने रजामंदी में सिर हिलाया और वहां से निकल गया. दिनभर पागलों की तरह घूमतेघूमते शाम हो गई. न खाने का होश, न पीने का. वह धड़कते दिल से मुकेश के पास पहुंचा.

‘‘क्या रिपोर्ट आई?’’

मुकेश ने भरे मन से जवाब दिया, ‘‘यार, दाग तो वही है जो तू सोच रहा है, लेकिन… अब इस से किसी फैसले पर तो…’’

सुनील जस का तस खड़ा रह गया. मुकेश उसे समझाने के लिए कुछकुछ बोले जा रहा था, लेकिन उस का माथा तो जैसे सुन्न हो चुका था.

सुनील घर पहुंचा तो ललिया दरवाजे पर ही खड़ी मिली.

‘‘कहां गायब थे दिनभर?’’ ललिया परेशान होते हुए बोली.

‘‘किसी से कुछ काम था,’’ कहता हुआ सुनील सिर पकड़ कर पलंग पर बैठ गया.

‘‘तबीयत तो ठीक है न आप की?’’ ललिया ने सुनील के पास बैठ कर उस के कंधे पर हाथ रखा.

‘‘सिर में बहुत तेज दर्द हो रहा है.’’

‘‘बैठिए, मैं चाय बना कर लाती हूं,’’ कहते हुए ललिया रसोईघर में चली गई. सुनील ने ललिया की पैंटी को गद्दे के नीचे दबा दिया. चाय पी कर वह बिस्तर पर लेट गया.

रात को ललिया खाना ले कर आई और बोली, ‘‘अजी, अब आप मुझे भी मार देंगे. बताओ तो सही, क्या हुआ? ज्यादा दिक्कत है, तो चलो डाक्टर के पास ले चलती हूं.’’

‘‘कुछ बात नहीं, बस एक बहुत बड़े नुकसान का डर सता रहा है,’’ कह कर सुनील खाना खाने लगा.

‘‘अपना खयाल रखो,’’ कहते हुए ललिया सुनील के पास आ कर बैठ गई.

सुनील सोच रहा था कि ललिया का जो रूप अभी उस के सामने है, वह उस की सचाई या जो आज पता चली वह है. खाना खत्म कर वह छत पर चला गया. ललिया नीचे खाना खाते हुए आंगन में बैठी उस को ही देख रही थी.

सुनील का ध्यान अब कल रात पिछवाड़े में पड़ी चप्पलों पर जा रहा था. वह सोचने लगा, ‘लगता है वे चप्पलें भी इसी के यार की… नहीं, बिलकुल नहीं. ललिया ऐसी नहीं है…’

रात को सुनील ने नींद की एक गोली खा ली, पर नींद की गोली भी कम ताकत वाली निकली. सुनील को खीज सी होने लगी. पास में देखा तो ललिया सोई हुई थी. यह देख कर सुनील को गुस्सा आने लगा, ‘मैं जान देदे कर इस के सुख के लिए पागलों की तरह मेहनत करता हूं और यह अपना जिस्म किसी और को…’ कह कर वह उस पर चढ़ गया.

ललिया की नींद तब खुली जब उस को अपने बदन के निचले हिस्से पर जोर महसूस होने लगा.

‘‘अरे, जगा देते मुझे,’’ ललिया ने उठते ही उस को सहयोग करना शुरू किया, लेकिन सुनील तो अपनी ही धुन में था. कुछ ही देर में दोनों एकदूसरे के बगल में बेसुध लेटे हुए थे. ललिया ने अपनी समीज उठा कर ओढ़ ली.

सुनील ने जैसे ही उस को ऐसा करते देखा मानो उस पर भूत सा सवार हो गया. वह झटके से उठा और समीज को खींच कर बिस्तर के नीचे फेंक दिया और फिर से उस के ऊपर आ गया.

‘‘ओहहो, सारी टैंशन मुझ पर ही उतारेंगे क्या?’’ ललिया आहें भरते हुए बोली.

सुनील के मन में पल रही नाइंसाफी की भावना ने गुस्से का रूप ले लिया था.

ललिया को छुटकारा तब मिला जब सुनील थक कर चूर हो गया. गला तो ललिया का भी सूखने लगा था, लेकिन वह जानती थी कि उस का पति किसी बात से परेशान है.

ललिया ने अपनेआप को संभाला और उठ कर थोड़ा पानी पीने के बाद उसी की चिंता करतेकरते कब उस को दोबारा नींद आ गई, कुछ पता न चला.

ऐसे ही कुछ दिन गुजर गए. हंसनेहंसाने वाला सुनील अब बहुत गुमसुम रहने लगा था और रात को तो ललिया की एक न सुनना मानो उस की आदत बनती जा रही थी.

ललिया का दिल किसी अनहोनी बात से कांपने लगा था. वह सोचने लगी थी कि इन के मांपिताजी को बुला लेती हूं. वे ही समझा सकते हैं कुछ.

एक दिन ललिया बाजार गई हुई थी. सुनील छत पर टहल रहा था. शाम होने को थी. बादल घिर आए थे. मन में आया कि फोन लगा कर ललिया से कहे कि जल्दी घर लौट आए, लेकिन फिर मन उचट गया.

थोड़ी देर बाद ही सुनील ने सोचा, ‘कपड़े ही ले आता हूं छत से. सूख गए होंगे.’

सुनील छत पर गया ही था कि देखा पड़ोसी बीरबल बाबू के किराएदार का लड़का रंगवा जो कि 18-19 साल का होगा, दबे पैर उस की छत से ललिया के अंदरूनी कपड़े ले कर अपनी छत पर कूद गया. शायद उसे पता नहीं था कि घर में कोई है, क्योंकि ललिया उस के सामने बाहर गई थी.

यह देख कर सुनील चौंक गया. उस ने पूरी बात का पता लगाने का निश्चय किया. वह भी धीरे से उस की छत पर उतरा और सीढि़यों से नीचे आया. नीचे आते ही उस को एक कमरे से कुछ आवाजें सुनाई दीं.

सुनील ने झांक कर देखा तो रंगवा अपने हमउम्र ही किसी गुंडे से दिखने वाले लड़के से कुछ बातें कर रहा था.

‘‘अबे रंगवा, तेरी पड़ोसन तो बहुत अच्छा माल है रे…’’

‘‘हां, तभी तो उस की ब्रापैंटी के लिए भटकता हूं,’’ कह कर वह हंसने लगा.

इस के बाद सुनील ने जो कुछ  देखा, उसे देख कर उस की आंखें फटी रह गईं. दोनों ने ललिया के अंदरूनी कपड़ों पर अपना जोश निकाला और रंगवा बोला, ‘‘अब मैं वापस उस की छत पर रख आता हूं… वह लौटने वाली होगी.’’

‘‘अबे, कब तक ऐसे ही करते रहेंगे? कभी असली में उस को…’’

‘‘मिलेगीमिलेगी, लेकिन उस पर तो पतिव्रता होने का फुतूर है. वह किसी से बात तक नहीं करती. पति के बाहर जाते ही घर में झाड़ू भी लगाने का होश नहीं रहता उसे, न ही बाल संवारती है वह. कभी दबोचेंगे रात में उसे,’’ रंगवा कहते हुए कमरे के बाहर आने लगा.

सुनील जल्दी से वापस भागा और अपनी छत पर कूद के छिप गया. रंगवा भी पीछे से आया और उन गंदे किए कपड़ों को वापस तार पर डाल कर भाग गया.

सुनील को अब सारा मामला समझ आ गया था. रंगवा इलाके में आएदिन अपनी घटिया हरकतों के चलते थाने में अंदरबाहर होता रहता था. उस के बुरे संग से उस के मांबाप भी परेशान थे.

सुनील को ऐसा लग रहा था जैसे कोई अंदर से उस के सिर पर बर्फ रगड़ रहा है. उस का मन तेजी से पिछली चिंता से तो हटने लगा, लेकिन ललिया की हिफाजत की नई चुनौती ने फिर से उस के माथे पर बल ला दिया. उस ने तत्काल यह जगह छोड़ने का निश्चय कर लिया.

ललिया भी तब तक लौट आई. आते ही वह बोली, ‘‘सुनिए, आप की मां को फोन कर देती हूं. वे समझाएंगी अब आप को.’’

सुनील ने उस को सीने से कस कर चिपका लिया, ‘‘तुम साथ हो न, सब ठीक है और रहेगा…’’

‘‘अरे, लेकिन आप की यह उदासी मुझ से देखी नहीं जाती है अब…’’

‘‘आज के बाद यह उदासी नहीं दिखेगी… खुश?’’

‘‘मेरी जान ले कर ही मानेंगे आप,’’ बोलतेबोलते ललिया को रोना आ गया.

यह देख कर सुनील की आंखों से भी आंसू छलकने लगे थे. वह सिसकते हुए बोला, ‘‘अब मैं ड्राइवर रख लूंगा और खुद तुम्हारे पास ज्यादा से ज्यादा समय…’’ प्यार उन के चारों ओर मानो नाच करता फिर से मुसकराने लगा था.

बेटी की चिट्ठी: क्या था पिता का स्मृति के खत का जवाब

प्यारे पापा, नमस्ते.

सभी बच्चों की वरदियां बन गई हैं, पर मेरी अभी तक नहीं बनी है. मैडम रोज डांटती हैं. किताबें भी पूरी नहीं खरीदी हैं. जो खरीदी हैं, उन पर भी मम्मी ने खाकी जिल्द नहीं चढ़ाई है. अखबार की जिल्द लगाने के लिए मैडम मना करती हैं. कोई भी बच्चा अखबार की जिल्द नहीं चढ़ाता.

आप जल्दी घर पर आएं और वरदी व जिल्द जरूर लाएं. मम्मी ने मुझे जो टीनू की पुरानी वरदी दी थी, वह अब छोटी हो गई है. कई जगह से घिस भी गई है. मम्मी की आंख में दर्द रहता है.

आप की बेटी स्मृति.
कक्षा-5.

*प्यारे पापा, नमस्ते.

मेरे जूते और जुराबें फट गई हैं. मां ने जूते सिल तो दिए थे, मगर उन में अंगूठा फंसता है. ऐसे में दर्द होता है. मैडम कहती हैं कि जूते छोटे पड़ गए हैं, तो नए ले लो. ये सारी उम्र थोड़े ही चलेंगे. मेरे पास ड्राइंग की कलर पैंसिलें नहीं हैं. रोजरोज बच्चों से मांगनी पड़ती हैं. आप घर आते समय हैरी पौटर डब्बे वाली कलर पैंसिलें जरूर लाना.

हमारे स्कूल में फैंसी बैग कंपीटिशन है, पर मेरा तो बैग ही फट गया है. आप एक अच्छा सा बैग भी जरूर ले आना, नहीं तो मैं उस दिन स्कूल नहीं जाऊंगी.

आप की बेटी स्मृति.
कक्षा-5.

*

प्यारे पापा, नमस्ते.

हमारे स्कूल का एनुअल फंक्शन 15 दिन बाद है. सभी बच्चे कोई न कोई प्रोग्राम दे रहे हैं. मुझे भी देना है. कोई अच्छी सी ड्रैस ले आना. मम्मी के सिर में दर्द रहता है. डाक्टर ने बताया कि चश्मा लगेगा, तभी दर्द ठीक होगा. उन की नजर बहुत कमजोर हो गई है.

सभी बच्चों ने गरम वरदियां ले ली हैं. ठंड बढ़ गई है. गरमी वाली वरदी रहने दें, अब सर्दी वाली वरदी ही ले आएं. मम्मी ने इस बार भी अखबार की जिल्द चढ़ाई थी. मैडम ने 10 रुपए जुर्माना कर दिया है. 2 महीने की फीस भी जमा करानी है. आप इस बार पैसे ले कर जरूर आना, नहीं तो मेरा नाम काट दिया जाएगा.

आप की बेटी स्मृति.
कक्षा-5.

*

प्यारे पापा, नमस्ते.

मैडम ने कहा है कि स्कूल बस का किराया नहीं दे सकते, तो पैदल आया करो. कम से कम फीस तो हर महीने भेज दिया करो, नहीं तो किसी खैराती स्कूल में जा कर धूप सेंको. स्कूल में डाक्टर अंकल ने हमारा चैकअप किया था. मेरे नाखूनों पर सफेदसफेद धब्बे हैं. डाक्टर अंकल ने बताया कि कैल्शियम की कमी है. मम्मी की आंखें ज्यादा खराब हो गई हैं. वे दिनरात अखबार के लिफाफे बनाती रहती हैं. मैडम ने कहा है कि अगर घर पर कोई पढ़ा नहीं सकता, तो ट्यूशन रख लो.

पापा, आप घर वापस क्यों नहीं आते? मुझे आप की बड़ी याद आती है. मम्मी कहती हैं कि आप रुपए कमाने गए हो, फिर भेजते क्यों नहीं?

आप की बेटी स्मृति.
कक्षा-5.

*

प्यारे पापा, नमस्ते.

मैं ने ट्यूशन रख ली है, मगर आप पैसे जरूर भेज देना. अगले महीने से इम्तिहान शुरू हो रहे हैं. सारी फीस देनी होगी. आप वरदी नहीं लाए. मुझे ठंड लगती है. मैडम कहती हैं कि यह लड़की तो ठंड में मर जाएगी. क्या मैं सचमुच मर जाऊंगी?

पापा, ट्यूशन वाले सर भी रुपए मांग रहे हैं. वे कहते हैं कि जब रुपए नहीं हैं, तो पढ़ क्यों रही हो? किसी के घर जा कर बरतन साफ करो. हां पापा, मुझे ड्राइवर अंकल ने स्कूल बस से नीचे उतार दिया. आजकल पैदल ही स्कूल जा रही हूं. पढ़ने का समय नहीं मिलता. हमारी गाय भी थोड़ा सा दूध दे रही है. मम्मी कहती हैं कि चारा नहीं है. लोगों के खेतों से भी कब तक लाते रहेंगे.

पापा, आप हमारी बात क्यों नहीं सुनते?
आप की बेटी स्मृति.
कक्षा-5.

प्यारे पापा, नमस्ते.

मेरे सालाना इम्तिहान हो गए हैं. मां ने गाय बेच कर सारी फीस जमा करा दी. ट्यूशन वाले सर के भी रुपए दे दिए हैं. बाकी बचे रुपयों से मां के लिए ऐनक खरीदनी पड़ी. पिछले दिनों आए तूफान व बारिश से घर की छत उखड़ गई है.

पापा, आप खूब सारे रुपए ले कर जल्दी घर आएं, तब तक मेरे इम्तिहान का रिजल्ट भी निकल जाएगा. पापा, क्या आप को हमारी याद ही नहीं आती? हमें तो आप हर पल याद आते हैं.

आप की बेटी स्मृति.
कक्षा-5.

प्यारे पापा, नमस्ते.

मेरा रिजल्ट आ गया है. मैं अपनी क्लास में फर्स्ट आई हूं. मुझे बैग, जूते और वरदी लेनी है. और हां पापा, इस बार मैं पुरानी नहीं, नई किताबें लूंगी. पुरानी किताबों के कई पन्ने फटे होते हैं.

आजकल स्कूल में मेरी छुट्टियां चल रही हैं. सभी बच्चे बाहर घूमने जाते हैं. मैं भी मम्मी के साथ कागज के लिफाफे बनाना सीख रही हूं, ताकि इस बार मुझे स्कूल पैदल न जाना पड़े.

पापा, बारिश में छत से पानी टपकता है. बाकी बातें मैं आप के घर आने पर करूंगी. अब की बार आप घर नहीं आए, तो मैं आप को कभी चिट्ठी नहीं लिखूंगी. तब तक मेरी और आप की कुट्टी.

आप की बेटी स्मृति.
कक्षा-5.

स्मृति की लिखी इन सभी चिट्ठियों का एक बड़ा सा बंडल बना कर संबंधित डाकघर ने इस टिप्पणी के साथ उसे वापस भेज दिया, ‘प्राप्तकर्ता पिछले साल हिंदूमुसलिम दंगों में मारा गया, जिस की जांच प्रशासन ने हाल ही में पूरी की है, इसलिए ये सारी चिट्ठियां वापस भेजी जाती हैं.’

पट्टेदार ननुआ : कैसी थी ननुआ की जिंदगी

ननुआ और रनिया रामपुरा गांव में भीख मांग कर जिंदगी गुजारते थे. उन की दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त भी नहीं हो पाता था. ननुआ के पास हरिजन बस्ती में एक मड़ैया थी. मड़ैया एक कमरे की थी. उस में ही खाना पकाना और उस में ही सोना.

मड़ैया से लगे बरामदे में पत्तों और टहनियों का एक छप्पर था, जिस में वे उठनाबैठना करते थे. तरक्की ने ननुआ की मड़ैया तक पैर नहीं पसारे थे, पर पास में सरकारी नल से रनिया को पानी भरने की सहूलियत हो गई थी. गांव के कुएं, बावली या तो सूख चुके थे या उन में कूड़ाकचरा जमा हो गया था. एक समय ननुआ के पिता के पास

2 बीघे का खेत हुआ करता था, पर उस के पिता ने उसे बेच कर ननुआ की जान बचाई थी. तब ननुआ को एक अजीबोगरीब बीमारी ने ऐसा जकड़ा था कि जिला, शहर में निजी अस्पतालों व डाक्टरों ने मिल कर उस के पिता को दिवालिया कर दिया था, पर मरते समय ननुआ के पिता खुश थे कि वे इस दुनिया में अपने वंश का नाम रखने के लिए ननुआ को छोड़ रहे थे, चाहे उसे भिखारी ही बना कर.

ननुआ की पत्नी रनिया उस पर लट्टू रहती थी. वह कहती थी कि ननुआ ने उसे क्याकुछ नहीं दिया? जवानी का मजा, औलाद का सुख और हर समय साथ रहना. जैसेतैसे कलुआ तो पल ही रहा है. गांव में भीख मांगने का पेशा पूरी तरह भिखारी जैसा नहीं होता है, क्योंकि न तो गांव में अनेक भीख मांगने वाले होते हैं और न ही बहुत लोग भीख देने वाले. गांव में भीख में जो मिलता है, उस से पेटपूजा हो जाती है, यानी गेहूं, चावल, आटा और खेत से ताजी सब्जियां. कभीकभी बासी खाना भी मिल जाता है.

त्योहारों पर तो मांगने वालों की चांदी हो जाती है, क्योंकि दान देने वाले उन्हें खुद ढूंढ़ने जाते हैं. गांव का भिखारी महीने में कम से कम 10 से 12 दिन तक दूसरों के खेतखलिहानों में काम करता है. गांव के जमींदार की बेगारी भी. कुछ भी नहीं मिला, तो वह पशुओं को चराने के लिए ले जाता है, जबकि उस की

बीवी बड़े लोगों के घरों में चौकाबरतन, पशुघर की सफाई या अन्न भंडार की साफसफाई का काम करती है. आजकल घरों के सामने बहती नालियों की सफाई का काम भी कभीकभी मिल जाता है. ननुआ व रनिया का शरीर सुडौल था. उन्हें काम से फुरसत कहां? दिनभर या तो भीख मांगना या काम की तलाश में निकल जाना.

गांव में सभी लोग उन दोनों के साथ अच्छे बरताव के चलते उन से हमदर्दी रखते थे. सब कहते, ‘काश, ननुआ को अपना बेचा हुआ 2 बीघे का खेत वापस मिल जाए, तो उसे भीख मांगने का घटिया काम न करना पड़े.’ गांव में एक चतुर सेठ था, जो गांव वालों को उचित सलाह दे कर उन की समस्या का समाधान करता था. वह गांव वालों के बारबार कहने पर ननुआ की समस्या का समाधान करने की उधेड़बुन में लग गया.

इस बीच रामपुरा आते समय पटवारी मोटरसाइकिल समेत गड्ढे में गिर गया. उसे गंभीर हालत में जिला अस्पताल ले जाया गया. वहां से उसे तुरंत प्रदेश की राजधानी के सब से बड़े सरकारी अस्पताल में भरती कराया गया. पटवारी की रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई थी और डाक्टरों ने उसे 6 महीने तक बिस्तर पर आराम करने की सलाह दी थी. पटवारी की पत्नी मास्टरनी थी और घर में और कोई नहीं था. पटवारी की पत्नी के पास घर के काम निबटाने का समय नहीं था और न ही उसे घर के काम में दिलचस्पी थी.

फिर क्या था. सेठ को हल मिल गया. उस की सलाह पर गांव की ओर से रनिया को पटवारी के यहां बेगारी के लिए भेज दिया गया. वह चोरीछिपे ननुआ को भी पटवारी के घर से बचाखुचा खाना देती रही. अब तो दोनों के मजे हो रहे थे. पटवारी रनिया की सेवा से बहुत खुश हुआ. उस ने एक दिन ननुआ को बुला कर पूछा, ‘‘मैं तुम्हारी औरत की सेवा से खुश हूं. मैं नहीं जानता था कि घर का काम इतनी अच्छी तरह से हो सकता है. मैं तुम्हारे लिए कुछ करना चाहता हूं. कहो, मैं तुम्हारे लिए क्या करूं?’’ सेठ के सिखाए ननुआ ने जवाब दिया, ‘‘साहब, हम तो भटकभटक कर अपना पेट पालते हैं. आप के यहां आने पर रनिया कम से कम छत के नीचे तो काम कर रही है, वरना हम तो आसमान तले रहते हैं. हम इसी बात से खुश हैं कि आप के यहां रनिया को काम करने का मौका मिला.’’

‘‘फिर भी तुम कुछ तो मांगो?’’ ‘‘साहब, आप तो जानते ही हैं कि गांव के लोगों को अपनी जमीन सब से ज्यादा प्यारी होती है. पहले मेरे पिता के पास 2 बीघा जमीन थी, जो मेरी बीमारी में चली गई. अगर मुझे 2 बीघा जमीन मिल जाए, तो मैं आप का जिंदगीभर एहसान नहीं भूलूंगा.’’

‘‘तुम्हें तुम्हारी जमीन जरूर मिलेगी. तुम केवल मेरे ठीक होने का इंतजार करो,’’ पटवारी ने ननुआ को भरोसा दिलाया. पटवारी ने बिस्तर पर पड़ेपड़े गांव की खतौनी को ध्यान से देखा, तो उस ने पाया कि ननुआ के पिता के नाम पर अभी भी वही 2 बीघा जमीन चढ़ी हुई है, क्योंकि खरीदार ने उसे अभी तक अपने नाम पर नहीं चढ़वाया था. पहले यह जमीन उस खरीदार के नाम पर चढ़ेगी, तभी सरकारी दस्तावेज में ननुआ सरकारी जमीन पाने के काबिल होगा. फिर सरकारी जमीन ननुआ के लिए ठीक करनी पड़ेगी. उस के बाद सरपंच से लिखवाना होगा. फिर ननुआ को नियमानुसार जमीन देनी होगी, जो एक लंबा रास्ता है. पटवारी जल्दी ठीक हो गया. अपने इलाज में उस ने पानी की तरह पैसा बहाया. वह रनिया की सेवा व मेहनत को न भूल सका.

पूरी तरह ठीक होने के बाद पटवारी ने दफ्तर जाना शुरू किया व ननुआ को जमीन देने की प्रक्रिया शुरू की. बाधा देने वाले बाबुओं, पंच व अफसरों को पटवारी ने चेतावनी दी, ‘‘आप ने अगर यह निजी काम रोका, तो मैं आप के सभी कामों को रोक दूंगा. इन्हीं लोगों ने मेरी जान बचाई है.’’ पटवारी की इस धमकी से सभी चौंक गए. किसी ने भी पटवारी के काम में विरोध नहीं किया. नतीजतन, पटवारी ने ननुआ के लिए जमीन का पट्टा ठीक किया. आखिर में बड़े साहब के दस्तखत के बाद ही राज्यपाल द्वारा ननुआ को

2 बीघा जमीन का पट्टा दे दिया गया. नए सरकारी हुक्म के मुताबिक पट्टे में रनिया का नाम भी लिख दिया गया. गांव वाले ननुआ को ले कर सेठ के पास गए. ननुआ ने उन के पैर छुए.

सेठ ने कहा, ‘‘बेटा, अभी तो तुम्हारा सिर्फ आधा काम हुआ है. ऐसे तो गांव में कई लोगों के पास परती जमीनों के पट्टे हैं, पर उन के पास उन जमीनों के कब्जे नहीं हैं. बिना कब्जे की जमीन वैसी ही है, जैसे बिना गौने की बहू. ‘‘पटवारी सरकार का ऐसा आखिरी पुरजा है, जो सरकारी जमीनों का कब्जा दिला सकता है. वह जमींदारों की जमीनें सरकार में जाने के बाद भी इन सरकारी जमीनों को उन से ही जुतवा कर पैदावार में हर साल अंश लेता है.

‘‘पटवारी के पास सभी जमीन मालिकों व जमींदारों की काली करतूतों का पूरा लेखाजोखा रहता है. ऊपर के अफसर या तो दूसरे सरकारी कामों में लगे रहते हैं या पटवारी सुविधा शुल्क भेज कर उन्हें अपने पक्ष में रखता है. ‘‘पटवारी ही आज गांव का जमींदार है. और वह तुम्हारी मुट्ठी में है. समस्या हो, तो रनिया के साथ उस के पैर पड़ने चले जाओ.’’

ननुआ को गांव वालों के सामने जमीन का कब्जा मिल गया. गांव में खुशी की लहर दौड़ गई. पटवारी ने घोषणा की, ‘‘इस जमीन को और नहीं बेचा जा सकता है.’’

अब ननुआ के लिए पटवारी ही सबकुछ था. उस का 2 बीघा जमीन पाने का सपना पूरा हो चुका था. ननुआ व रनिया ने मिल कर उस बंजर जमीन को अपने खूनपसीने से सींच कर उपजाऊ बना लिया, फिर पटवारी की मदद से उसे उस ऊबड़खाबड़ जमीन को बराबर करने के लिए सरकारी मदद मिल गई.

पटवारी ने स्थानीय पंचायत से मिल कर ननुआ के लिए इंदिरा आवास योजना के तहत घर बनाने के लिए सरकारी मदद भी मुहैया करा दी. ननुआ व रनिया अपने 2 बीघा खेत में गेहूं, बाजरा, मक्का के साथसाथ दालें, तिलहन और सब्जियां भी उगाने लगे. किनारेकिनारे कुछ फलों के पेड़ भी लगा लिए. मेंड़ पर 10-12 सागौन के पेड़ लगा दिए. उन का बेटा कलुआ भी पढ़लिख गया. उन्होंने अपने घर में पटवारी की तसवीर लगाई और सोचा कि कलुआ भी पढ़लिख कर पटवारी बने.

प्रियंका चौपड़ा की तरह इन एक्ट्रैसस ने चुना विदेशी पति, नहीं चाहिए था इंडियन मुंडा

देशविदेश की जानीमानी एक्टैस प्रियंका चौपड़ा आज अपना 42वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रही है. जब प्रिंयका ने मिस इंडिया का खिताब जीता था, तब भी वह उतनी ही हसीन लगती थी जितनी आज लगती हैं. प्रियंका ने अपने वर्क, फैशन, फैमिली सभी पर ध्यान दिया. आज विदेश में अपना घर बसा लिया. प्रियंका बौलीवुड की उन एक्ट्रैसस में से एक है जिन्होंने अपना पति विदेशी चुना है.

 

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प्रियंका चौपड़ा

प्रियंका चौपड़ा ने अमेरिकन सिंगर और एक्टर निक जौनस से शादी की. जिसके बाद वह विदेश जाकर बस गई. प्रियंका चौपड़ा की आज एक बेटी है मालती. जिसके साथ वे सोशल मीडिया पर कई वीडियोज और फोटोज शेयर करती रहती है. प्रियंका का यह कदम उनकी लाइफ के लिए बेहतर था. इसलिए आज वे अपने विदेशी पति के साथ और विदेश में बेहद खुश है. प्रियंका बौलीवुड की लास्ट मूवी ‘द स्काई इज पिंक’ में नजर आई थीं. प्रिंयका एक्ट्रेस के साथ साथ एक अच्छी सिंगर भी है और आज एक वाइफ और मदर का किरदार भी अच्छे से निभा रही है. हाल ही में प्रियंका अनंत अंबानी की शादी में पहुंची थी. जहां उन्होंने जमकर ठुमके लगाए.

 माधुरी ने चुना यूके के डॉ. श्रीराम माधव को अपना जीवनसाथी

बात जब परदेसी दूल्हे की आती है तो बौलीवुड की ब्यूटी क्वीन माधुरी दीक्षित का भी नाम इसी लिस्ट में आता है, उन्होंने ने भी एक विदेशी दुल्हे को अपना लाइफ पार्टनर चुना. अपनी एक्टिंग से लोगों को दीवाना बनाया. फिर बौलीवुड में अफेयर्स के चर्चे सुने, पहले उनका नाम संजय दत्त के साथ जोड़ा गया था. जिसके बाद माधुरी ने एक इंडियन एक्टर या बौय से शादी न करके विदेश में रहने वाले डॉ. श्रीराम माधव से शादी की. जो कि यूके के रहने वाले हैं . आज दोनों के दो बच्चे हैं. बात करें, माधुरी दीक्षित के वर्क फ्रंट की तो वे अब टीवी के रियलिटि डांस शोज में बतौर जज नजर आती हैं. Bollywood

माधुरी इंडस्ट्री में अपने डांस और एक्टिंग के लिए काफी मशहूर है. आज भी लोग धक-धक गर्ल के फैंस है. लोग उन्हे अपना गुरु मानते है. उनका भी अपनी लाइफ एक विदेशी हसबैंड को चुनना गलत साबित नहीं हुआ. इसलिए आज वे अपनी हैप्पी मैरीड लाइफ जी रही है.

प्रीति जिंटा के पति बनें जीन गुडइनफ़

बौलीवुड में डिंपल गर्ल के नाम से मशहूर एक्ट्रेस प्रीति जिंटा ने भी इंडियन पति न चुनकर विदेशी हसबैंड चुना. जो उनका लाइफ को एक बेहतकर दिशा में ले गया, लेकिन प्रीति के लिए अपने लाइफ पार्टनर को चुनना इतना असान नहीं रहा. उनका अफेयर पहले बिजसनेसमैन नेस वाडिया से चला. हालांकि कुछ टाइम बाद दोनों अलग हो गए. फिल्में तो प्रीति की चलती रही, लेकिन उन्होंने गुपचुप शादी कर ली. उन्होंने अमेरिकी बिजनेसमैन जीन गुडइनफ से साल 2016 में सात फेरे लिए.

बता दें की प्रीति और जेन की उम्र में 10 साल का अंतर है. प्रीति के पति उनसे दस साल छोटे हैं. प्रीति और जेन की मुलाकात अमेरिका में हुई थी. दोनों मिले और बात आगे बढ़ी और धीरेधीरे दोस्ती प्यार में बदल गई. बात करें, प्रीति के आज के वक्त की तो, प्रीति अब फिल्मों में कम नजर आती हैं, लेकिन वे आईपीएल के दौरान लगातार देखी जाती हैं. प्रीति जिंटा की आईपीएल टीम का नाम पंजाब किंग्स है जो पहले किंग्स 11 पंजाब के नाम से जानी जाती थी.

मैथियास बो है तापसू पन्नू के बैंडमिनटन खिलाड़ी पति

तापसी पन्नू बौलीवुड की खूबसूरत और टैलेंट से भरी एक्ट्रेस है, जिन्होंने फिल्मों में काम किया फिर विदेशी दूल्हा चुन लिया. उन्होंने काफी लंबे समय तक एक विदेशी मुंडे को डेट किया. जिनका नाम है मैथियास बोए. ये पेशे ये डेनिश डेनमार्क के बैडमिंटन प्लेयर हैं है.

मैथियास ने साल 1988 में इंटरनेशनल लेवल पर खेलने की शुरुआत की थी. उन्होंने साल 2012 में हुए ओलंपिक में मेन्स डबल्स में सिल्वर मेडल जीता था. इन दोनों की पहली मुलाकात साल 2013 में इंडियन बैडमिंटन लीग के दौरान हुई थी. मैथियास बोए लखनऊ स्थित टीम अवध वौरियर्स का हिस्सा थे, जबकि तापसी पन्नू चैंपियन हैदराबाद हौटशौट्स की ब्रांड एंबेसडर थीं.

साल 2014 में, दोनों की डेटिंग की अफवाहें तेज हो गईं, जब मैथियास इंडिया ओपन में खेल रहे थे और तापसी पन्नू अक्सर उनका हौसला बढ़ाती दिखाई देती थीं. लेकिन सच्चाई तब सामने आने लगी, जब दोनों एकदूसरे के साथ पर्सनल और प्रोफेशनल अचीवमेंट्स को साथ सेलिब्रेट करने लगे और उसे जुडी फोटोज भी सोशल मीडिया पर शेयर की. जिसके बाद साल 2024 में मार्च में दोनों ने एक दूसरे के साथ सात फेरे लिए. तापसी और मैथियास ने दो रीतिरिवाजों से शादी की है, एक है डेनिश तरीके से, दूसरी इंडियन तरीके से.

ileana d’cruz का हसबैंड है अमेरिकन ‘माइकल डोलन’

इलियाना डिक्रूज ने भले ही बौलीवुड में कम फिल्में की हो, लेकिन पौपुलर एक्ट्रेस में शुमार है. इलियान वुरूण धवन के साथ ‘मैं तेरा हीरो’ से काफी मशहूर हुई थी. हालांकि फिल्मों पर स्टोप लगाकर उन्होंने अमेरिका में रहने वाले माइकल डोलन से शादी की. उन्होंने विदेशी पति को चुना. जिस रिश्ते पर उन्होंने चुप्पी बनाई रखी. इसके बाद इलियाना ने जब रिश्ते को डिसकोल्ज किया तो बताया कि माइकल डोलन से शादी कर ली. अब उनसे उन्हे एक बेटा है, इलियाना विदेश में ही रहती है, लकिन इस साल इलियाना ने काफी लंबे समय के बाद ‘दो और दो प्यार’ फिल्म में काम किया है. जो 19 अप्रैल 2024 को रीलिज हुई.

इलियाना की लव स्टोरी की बात करें, तो उन्होंने इस बात का जिक्र कही नहीं किया है. इलियाना का कहना है ये एक खूबसूरत रिश्ता है. इलियाना अपने रिलेशन को काफी प्राइवेट रखती है.

बदचलन औरत : आलम क्यों बना अपनी मां का दुश्मन

यह घटना उत्तर प्रदेश के बिजनौर शहर की है, जहां छम्मो नाम की एक औरत अपने शौहर अली और बेटे आलम के साथ एक किराए के मकान में रहती थी. छम्मो गदराए बदन की औरत थी. उस की खूबसूरती और उठी हुई मोटीमोटी छाती देख कर कोई भी उस की तरफ फौरन खिंच जाता था.

छम्मो का उठा हुआ सीना देख कर लोग अपनी लार टपकाते थे. जब वह चलती तो लोग उस के उठे हुए कूल्हे देख कर उस पर नजर गड़ाए रहते और उसे पाने की लालसा रखते.

बिजनौर में छम्मो अपने शौहर अली के साथ खुशीखुशी रह रही थी. उस का 5 साल का बेटा आलम 10वीं जमात में पढ़ता था. छम्मो का शौहर अली एक ट्रक ड्राइवर था, जो महीनेभर में 20 दिन तो घर से बाहर ही रहता था.

अली की माली हालत काफी कमजोर थी, जबकि छम्मो फैशनपरस्त औरत थी. इस बात पर उस का अपने शौहर अली से झगड़ा होता था.

यही वजह थी कि अली ने अब घर आना छोड़ दिया था और वह अपनी जिस्मानी जरूरत बाहर की औरतों के पास जा कर पूरी करने लगा था. अली के घर पर न आने और खर्चा न देने से छम्मो कुछ दिन तो काफी परेशान रही, फिर उस ने अपने जीने और मौजपरस्ती का एक नया रास्ता ढूंढ़ लिया.

हुआ यों था कि एक सुबह जब छम्मो नहा कर निकली, तो उस ने तौलिए से अपने जिस्म को ढक रखा था. वह आईने के सामने खड़ी हो कर कुछ गुनगुना रही थी कि अचानक उस का तौलिया उस के जिस्म से हट कर फर्श पर गिर गया.

छम्मो ने जब अपने खूबसूरत बदन और ऊंची उठी हुई छाती को आईने में देखा, तो वह हैरान रह गई. वह सोचने लगी कि इस गदराए बदन से तो किसी भी मर्द को अपनी ओर खींच कर उसे लूटा जा सकता है.

छम्मो ने अब अपने शिकार को ढूंढ़ना शुरू कर दिया. जल्द ही उस ने एक वकील शाहिद को अपनी मदमस्त जवानी का दीवाना बना लिया. शाहिद छम्मो के नाजुक और गदराए बदन को देख कर लार टपकाने लगा और उसे घूरघूर कर अपने दिल की ख्वाहिश छम्मो को बताने की कोशिश करने लगा.

छम्मो शाहिद का इशारा भांप गई, तो उस ने भी अपनी कातिल मुसकान बिखेर कर उसे बेकाबू कर दिया.

शाहिद मौका देख कर छम्मो के पास आया और बोला, ‘‘आप कितनी खूबसरत हो. मैं ने पहले कभी आप को यहां नहीं देखा.’’

छम्मो हंसते हुए बोली, ‘‘हां, मैं अभी  कुछ दिन पहले ही यहां किराए पर

रहने आई हूं. मेरा घर महल्ला काजीपुरा में है.’’

शाहिद ने कहा, ‘‘तो आज शाम की चाय मुझ नाचीज के साथ हो जाए?’’

छम्मो हंसते हुए बोली, ‘‘आप का हुक्म सिरआंखों पर. आप अगर मेरे साथ चाय पीना चाहते हैं, तो मैं कौन होती हूं आप को मना करने वाली.’’

शाम का समय था. छम्मो और शाहिद एक कैफे में बैठे चाय की चुसकी ले रहे थे. आसमान में काले घने बादल छाए हुए थे. मौसम आज कुछ ज्यादा ही रंगीन नजर आ रहा था.

शाहिद ने छम्मो के हाथ पर अपना हाथ रखा, तो वह मुसकरा दी. शाहिद समझ गया कि छम्मो को उस की यह हरकत बुरी नहीं लगी.

तभी तेज बारिश शुरू हो गई. वे दोनों अपनेआप को बारिश से बचतेबचाते भी बुरी तरह भीग गए.

छम्मो के भीगे कपड़े उस के जिस्म से चिपक गए, तो उस के बदन का एकएक अंग साफ नजर आने लगा,

जिसे देख कर शाहिद छम्मो का दीवाना हो गया.

शाहिद ने छम्मो से कहा, ‘‘बुरा न मानो, तो एक बात कहूं कि आज रात हम दोनों इस होटल में ही रुक जाते हैं. बारिश का कुछ पता नहीं है कि कब रुकेगी. वैसे भी हमारे कपड़े बुरी तरह भीग गए हैं.’’

छम्मो बोली, ‘‘नहीं, मेरा बेटा घर पर अकेला है. वह मेरी राह देख रहा होगा. मुझे अब चलना चाहिए.’’

शाहिद बोला, ‘‘ठीक है, मैं तुम्हें अपनी गाड़ी से घर तक छोड़ देता हूं.’’

शाहिद ने गाड़ी स्टार्ट की और छम्मो को अपनी बगल वाली सीट पर बैठाया और उस के घर की तरफ चल दिया.

कुछ ही देर में छम्मो का घर आ गया, तो शाहिद बोला, ‘‘मुझे ठंड लग रही है, एक कप गरमागरम कौफी तो पिला दो.’’

छम्मो पहले तो कुछ न बोली, पर जब शाहिद ने दोबारा कहा, तो उस ने कहा, ‘‘ठीक है, आ जाओ.’’

छम्मो जैसे ही घर पहुंची, तो उस ने देखा कि उस का बेटा आलम अभी तक घर नहीं आया है.

छम्मो ने फौरन आलम को फोन लगाया और उस से पूछा, ‘‘आलम, तुम  कहां हो?’’

आलम बोला, ‘‘अम्मी, मैं अपने दोस्त के घर आया था. हम पढ़ाई कर रहे थे कि तभी तेज बारिश आ गई, तो अंकलआंटी ने बोला कि तुम आज रात हमारे घर पर ही सो जाओ. मैं ने उन्हें बहुत मना किया, पर बारिश बहुत तेज थी, तो मजबूरन मुझे यहीं रुकना पड़ रहा है.

‘‘आप फिक्र मत करो, मैं सुबह होते ही आ जाऊंगा,’’ कह कर आलम ने फोन रख दिया.

शाहिद और छम्मो पूरी तरह भीग चुके थे. छम्मो ने शाहिद को अपने शौहर अली के कपड़े देते हुए कहा, ‘‘आप को ठंड लग रही होगी. आप कपड़े बदल लें, तब तक मैं आप के कपड़े इस्तरी से सुखा देती हूं.’’

छम्मो का गोरा बदन अभी भी भीगे हुए कपड़ों में संगमरमर की तरह साफ चमक रहा था, जिसे शाहिद निहार रहा था और उसे अपने आगोश में लेने का बहाना ढूंढ़ रहा था.

तभी छम्मो बोली, ‘‘मैं कपड़े बदल लेती हूं, उस के बाद आप को कौफी पिलाती हूं, ताकि शरीर में कुछ गरमी आ जाए.’’

छम्मो कपड़े बदलने अपने कमरे में गई और एक सुर्ख गुलाबी रंग की नाइटी पहन कर जब बाहर आई, तो शाहिद उसे देख कर अपने होश खो बैठा.

वह नाइटी छम्मो के गोरे बदन पर अलग ही कयामत ढा रही थी. उस की ऊंची उठी हुई छाती उस की नाइटी से बाहर निकलने को बेताब थी.

शाहिद ने फौरन छम्मो की कमर में अपनी बांहों का जाल डाल दिया और उस के रसीले होंठों को चूसने लगा.

शाहिद की पकड़ इतनी मजबूत थी कि छम्मो अपनेआप को उस की पकड़ से छुड़ाने की नाकाम कोशिश करती रही, फिर कुछ देर बाद उस ने खुद को शाहिद की बांहों में धकेल दिया.

शाहिद छम्मो की गरदन पर अपने चुम्मों की बौछार करने लगा, तो छम्मो कसमसाने लगी और उस ने भी शाहिद को कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया. कुछ ही देर में उन दोनों के बीच जिस्मानी रिश्ता बन गया. पूरी रात यह सिलसिला चलता रहा.

सुबह होते ही शाहिद छम्मो को 5,000 रुपए दे कर बोला, ‘‘हमें खुश करने का तुम्हारा इनाम.’’

छम्मो ने खुश हो कर शाहिद को अपने गले लगा लिया और उस के गाल पर एक चुम्मा रसीद करते हुए उस का शुक्रिया अदा करने लगी.

अब शाहिद और छम्मो को जब भी मौका मिलता, वे दोनों एकदूसरे से अपनी जिस्मानी जरूरत पूरी करते और खूब मजा लेते. शाहिद हर बार छम्मो को एक मोटी रकम अदा करता था.

एक दिन छम्मो शाहिद के साथ अपने ही घर में रंगरलियां मना रही थी कि अचानक उस का शौहर अली आ गया.

घर बंद था. अली ने दरवाजा खटखटाया, पर काफी देर तक दरवाजा नहीं खुला, तो वह बाहर ही इंतजार करने लगा.

काफी देर बाद जब दरवाजा खुला, तो अंदर से किसी गैरमर्द को बाहर निकलते देख अली हैरान हो गया और वह अंदर जा कर छम्मो से बोला, ‘‘कौन था जिस के साथ तुम भीतर से दरवाजा बंद कर के बैठी थी?’’

छम्मो बोली, ‘‘तुम्हें इस से क्या मतलब? मैं किस के साथ हूं, क्या कर रही हूं, तुम होते कौन हो मुझ से यह मालूम करने वाले?’’

अली ने कहा, ‘‘मैं तुम्हारा शौहर हूं. मुझे भी यह जानने का पूरा हक है कि तुम बंद कमरे में किस के साथ हो और क्या कर रही हो.’’

छम्मो बोली, ‘‘मैं तुम्हें यह हक नहीं देती और तुम अपने गरीबान में झांक कर देखो, जो बीवी को अकेला छोड़ कर चले गए. तुम न तो मुझे खर्चा देते हो और न ही जिस्मानी सुकून. मैं नहीं मानती तुम्हें कुछ भी अपना.

‘‘आज से मेरे काम में टांग अड़ाने या मुझ से कुछ पूछने की हिम्मत मत करना, वरना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा.’’

अली छम्मो की यह बात सुन कर दंग रह गया. वह समझ गया कि छम्मो को इस दलदल में घुसाने का जिम्मेदार कुछ हद तक वह भी है. वह कुछ नहीं बोला और वहां से चुपचाप चला गया.

अब छम्मो खुलेआम शाहिद के साथ मजे करने लगी. वह अपना जिस्म शाहिद को सौंप देती, जिस के एवज में शाहिद उसे मोटी रकम दे दिया करता.

उधर जब लोगों को छम्मो और शाहिद के इस नाजायज रिश्ते का पता चला, तो वे तरहतरह की बातें करने लगे. पर किसी के अंदर छम्मो के इस गलत रिश्ते का विरोध करने की हिम्मत न थी, क्योंकि छम्मो झगड़ालू किस्म की औरत थी और लड़ने झगड़ने के लिए तैयार रहती थी.

आलम के सारे दोस्त उस का मजाक उड़ाते और उस पर तंज कसते. आलम परेशान रहने लगा. उस ने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया, पर उस के अंदर अपनी अम्मी से कुछ भी पूछने की हिम्मत नहीं थी.

एक रात की बात है. आलम अपने घर पर सोया हुआ था कि तभी शाहिद वहां आ गया. आलम को सोता देख उस ने छम्मो को अपनी बांहों में उठाया और बिस्तर पर ले गया.

छम्मो भी बेकाबू हो गई. उस का तनमन जोश में आने लगा और उस ने शाहिद को अपनी बांहों में भर लिया.

शाहिद ने भी छम्मो को चूमना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर में पूरा कमरा कामुक आवाजों से गूंजने लगा. वे दोनों अपने जिस्म की आग बुझाने के लिए इतने बेताब हो गए कि उन्होंने एकदूसरे के कपड़े उतारने शुरू कर दिए. उन्हें यह भी खयाल न आया कि आलम घर में है. वे अभी एकदूसरे के जिस्म का मजा ही ले रहे थे कि आलम की नींद खुल गई. उस ने कामुक आवाज सुन कर अपनी अम्मी के कमरे में झांक कर देखा, तो हैरान रह गया.

अपनी अम्मी की करतूत देख आलम रोने लगा. उसे लोगों की कही बात सच होती दिख रही थी. उसे अपनी अम्मी से नफरत हो रही थी. वह समझ गया कि उस की अम्मी एक गंदी औरत है. पर वह कुछ कर न सका और अंदर ही अंदर घुटने लगा.

कुछ दिन बाद छम्मो बेटे आलम से बोली, ‘‘चलो, आज कोटद्वार से ऊपर दुगड्डे की पहाड़ी पर घूमने चलते हैं. वहां का मौसम बड़ा ही सुहाना रहता है. बहुत दिन हो गए पहाड़ी पर घूमे हुए.’’

आलम बोला, ‘‘ठीक है, मैं चलने के लिए तैयार हूं.’’

आलम ने अपने गुस्से और नफरत का अंदाजा अपनी अम्मी को नहीं होने दिया और उन के साथ दुगड्डे की पहाडि़यों का नजारा देखने चला गया.

काफी ऊंचाई पर पहुंच कर जब आलम ने देखा कि अब वे दोनों एकांत में हैं, तो उस ने मौका देख कर अपनी अम्मी को पहाड़ियों से नीचे धक्का दे दिया.

पलभर में ही छम्मो पहाड़ी से गिरती और पत्थरों से टकराती हुई गहरे पानी में जा गिरी.

आलम ने अम्मी को अपनी आंखों से नीचे गिरता देखा था, जिस का सदमा उस के दिल पर एक गहरी छाप छोड़ गया.

इस के बाद आलम अपने घर आ गया और गुमसुम सा रहने लगा. न किसी से बातचीत, न किसी से मिलना. न खाने की फिक्र, न पहनने की चिंता.

वह तो बस हर समय गहरी सोच में डूबा रहता.

कई दिनों तक जब छम्मो आसपास के लोगों को दिखाई न दी, तो उन्होंने आलम से छम्मो के बारे में पूछा.

इतना सुनते ही आलम पागलों की तरह चिल्लाते हुए बोला, ‘‘मार डाला… मैं ने अपनी अम्मी को मार डाला… वह गंदी औरत थी…’’

लोग आलम को अजीब सी नजरों से देखने लगे. एक आदमी ने कहा, ‘‘भला तुम क्यों अपनी अम्मी को मारोगे?’’

पर आलम बोलता रहा, ‘‘मार डाला. मैं ने एक गंदी औरत को मार डाला. पहाड़ी से धक्का दे कर मार डाला.’’

तभी दूसरा आदमी बोला, ‘‘यह तो पागल हो गया है. भला यह क्यों अपनी अम्मी को मारेगा और कैसे मारेगा?’’

आलम चिल्लाते हुए बोला, ‘‘मैं ने ऐसे मारा तुम देख लो, वह ऐसे मरी,’’ कहते हुए वह तेज रफ्तार से भाग कर दोमंजिला मकान की छत पर चढ़ गया और चिल्ला कर बोला, ‘‘ऐसे मरी छम्मो…’’ कहते हुए उस ने ऊपर से छलांग लगा दी. पलभर में ही आलम ने भी तड़पतड़प कर दम तोड़ दिया.

लोग आलम की यह हरकत देख कर हैरान रह गए. उन्हें समझ आ गया कि आलम ने ही अपनी मां को पहाडि़यों से धक्का दे कर नीचे फेंक दिया था, जिस से वह मर गई.

इस तरह आलम अपनी मां की ऐयाशी के चलते उस की जान का दुश्मन बन गया. उस ने अपनी अम्मी को तो मार ही डाला, पर इस मौत का असर उस के दिल पर इस कदर हुआ कि वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठा और उस ने अपनेआप को भी मौत के गले लगा लिया.

बरबादी : एक थप्पड़ की चुकाई भारी कीमत

जब गीदड़ की मौत आती है, तो वह शहर की ओर भागता है और जब किसान की बरबादी आती है, तो वह अपने खेत बेचता है.

कर्णपुर के चौधरी राजपाल सिंह और महिपाल सिंह दोनों सगे भाई 40 बीघा जमीन के खुशहाल काश्तकार थे. खेतीबारी की सब सुखसुविधाएं उन के पास थीं और जमीन भी उन की ऐसी कि सोना उगले.

बड़ा भाई राजपाल जितना सीधा, सरल और मेहनती था, छोटा भाई महिपाल उतना ही मक्कार और कामचोर था.

राजपाल को तो खेती करने के अलावा किसी और बात की कोई सुध ही नहीं थी. वह निपट अनपढ़ था. उसे तो हिसाबकिताब से दूरदूर तक का कोई मतलब ही नहीं था. ऐसा लगता था कि वह मिट्टी का बना है और उसे खेती में ही मरखप जाना है.

राजपाल का दैनिक खर्चा बस इतना सा था कि उसे दिनभर के लिए बीड़ी का एक बंडल चाहिए होता था. उसे तो बस यह चिंता रहती थी कि उस के खेतों में बढ़िया फसल कैसे हो. इस को ले कर उस की दूसरे किसानों से प्रतियोगिता चलती रहती थी.

छोटा भाई महिपाल 10वीं जमात तक पढ़ गया था. वह खेती की तरफ नजर भी नहीं धरता था. पिताजी के गुजर जाने के बाद लिखतपढ़त और हिसाबकिताब के सारे काम उस के हिस्से में आ गए थे. सुबह से ही तैयार हो कर वह किसी न किसी बहाने शहर चांदपुर की ओर निकल जाता, थिएटर में सिनेमा देखता, खातापीता, मौज उड़ाता और देर शाम घर लौटता. घर लौट कर ऐसा जाहिर करता कि शहर में न जाने कितने पहाड़ तोड़ कर आया है.

सब जानते थे कि राजपाल तो महिपाल का गुलाम है. चौधरी खानदान की पूरी जायदाद का असली वारिस तो महिपाल ही है. 40 बीघा जमीन के मालिक होने की मुहर महिपाल पर ही लगी हुई थी, इसलिए उस के लिए शादी के रिश्ते खूब आ रहे थे.

जाट समाज के चौधरी किसी की जोत की जमीन को ही उस की अमीरी की निशानी मानते हैं. महिपाल की शादी भी एक बड़े चौधरी की बेटी के संग धूमधाम से हो गई. बड़े भाई राजपाल को इस शादी से रत्तीभर भी फर्क नहीं पड़ा. उस की शादी तो पहले ही ‘खेतीबारी’ से हो गई थी.

वैसे भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों में पांडवों के समय से यह प्रथा चली आ रही थी कि हर जाट परिवार में एक भाई कुंआरा जरूर रहता था. इस की वजह जोत की जमीन को बंटने से बचाना होती थी. ज्यादातर यह भाई छोटा होता था, जो अपने किसी एक बड़े भाई और भाभी के साथ रहने लगता था. उस के मरने के बाद उस जमीन पर उसी बड़े भाई का हक मान लिया जाता था.

लेकिन यहां मामला कुछ उलटा हो गया था. यहां बड़ा भाई कुंआरा था, जो अपने छोटे भाई की पत्नी के साथ नहीं रह सकता था. छोटे भाई की पत्नी के आ जाने पर राजपाल का हवेली के अंदर आनाजाना भी तकरीबन बंद हो गया था. वह बाहर वाली बैठक में ही रहने लगा था.

एक दिन महिपाल का अपने पड़ोसी सतेंद्र से झगड़ा हो गया. बात बढ़ने पर महिपाल ने सतेंद्र के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया. अब तो दोनों परिवार लट्ठ ले कर आमनेसामने आ गए, लेकिन सतेंद्र के पिता राजेंद्र सिंह एक अनुभवी और शातिर इनसान थे. उन्होंने हाथ जोड़ कर और माफी मांग कर झगड़ा खत्म कराया.

सतेंद्र को अपने पिता की यह बात बहुत अखरी. उसे तो थप्पड़ का बदला लेना था, इसलिए वह अपने पिता पर ही लालपीला होने लगा, ‘‘बाबूजी, आप को दुशमनों से माफी मांगने की क्या जरूरत थी. मैं तो अकेला ही दोनों भाइयों के सिर फोड़ देता.’’

‘‘सतेंद्र, तू सिर तो फोड़ देता, फिर जेल कौन जाता? पुलिस के डंडे कौन खाता? मुकदमा कौन लड़ता? रोज कचहरी के चक्कर कौन लगाता? वकीलों की भारी फीस कौन भरता? ये ही रास्ते तो बरबादी की ओर ले जाते हैं. इस में किसानों के खूड़ (जमीन) तक बिक जाते हैं.’’

‘‘लेकिन पिताजी, आप ने तो उन से माफी मांग कर हमारी नाक ही कटवा दी.’’

‘‘बेटा, होश में आओ. ठंडे दिमाग से काम लो. तेरे लगे थप्पड़ का बदला मैं महिपाल की बरबादी से लूंगा. बस, तू अब देखता जा. उसे नंगाभूखा कर के न छोड़ा तो कहना.’’

राजेंद्र सिंह को पता था कि महिपाल कुछ करताधरता तो है नहीं, बस अपने बड़े भाई राजपाल की मेहनत पर ऐश करता है. अगर राजपाल की शादी करा दी जाए और दोनों भाइयों का बंटवारा हो जाए, तो महिपाल खुद घुटनों पर आ जाएगा.

इस के लिए राजेंद्र सिंह ने राजपाल से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कीं और उस के साथ उठनाबैठना शुरू किया, फिर उसे अपने विश्वास में लिया और शादी करने के लिए तैयार किया.

राजेंद्र सिंह की रिश्तेदारी में एक लड़की थी, जिस के अनपढ़ और सांवली होने के चलते शादी होने में दिक्कत आ रही थी. राजेंद्र सिंह ने दोनों तरफ से ऐसा टांका भिड़ाया कि बात बन गई.

कुछ नानुकर के बाद छोटे भाई महिपाल को भी इस शादी के लिए ‘हां’ करनी पड़ी. आखिर वह अपने ही बड़े भाई की शादी का विरोध कब तक और कैसे करता?

राजपाल की शादी होते ही सबकुछ 2 हिस्सों में बंट गया, हवेली से ले कर खेती की जमीन तक. शादी के बाद राजपाल और महिपाल में तनातनी भी रहने लगी. गांव में ऐसा कौन सा बंटवारा हुआ है, जिस में दोनों पक्ष संतुष्ट हो जाएं. राजेंद्र सिंह यही तो चाहते थे.

बंटवारे के बाद महिपाल को परेशान देख सतेंद्र ने अपने पिता से कहा, ‘‘बाबूजी, आप ने तो कमाल ही कर दिया. आप तो लोमड़ी से भी ज्यादा होशियार निकले.’’

राजेंद्र सिंह ने कुटिलता से मुसकरा कर कहा, ‘‘बेटा, अभी तू देखता जा. उस महिपाल को एक थप्पड़ की कीमत कितनी भारी चुकानी पड़ेगी.’’

महिपाल को खेतीबारी का काम तो आता नहीं था, वह तो अपने बड़े भाई राजपाल की मेहनत पर मौज उड़ाता आ रहा था. खुद खेती करना उस के बूते की बात नहीं थी. अपने हिस्से की 20 बीघा जमीन उस ने बंटाई पर दे दी. पहले वह 40 बीघा जमीन की कमाई खा रहा था, अब 20 बीघा जमीन का भी केवल बंटाई का आधा हिस्सा मिल रहा था. उस की आमदनी बंटवारे के बाद केवल एकचौथाई रह गई थी.

महिपाल को पहले से ही शहर की लत लगी हुई थी. उस ने सोचा कि जोड़े हुए पैसे से क्यों न चांदपुर शहर में दुकान खोल ली जाए. दुकान पर बस बैठना ही तो होता है, करनाधरना कुछ खास नहीं. उस ने शहर के बाहरी इलाके में एक दुकान किराए पर ले ली और उस में परचून की दुकान खोल ली. दुकान बढि़या चल निकली, तो महिपाल अपने परिवार को भी शहर में ले आया.

दुकान और मकान का किराया अच्छाखासा था. उस ने सोचा कि गांव में तो अब रहना नहीं, फिर क्यों न गांव की हवेली का अपना हिस्सा बेच दिया जाए. उस ने वह हिस्सा राजपाल को ही बेच दिया.

परिवार के शहर में आने के बाद तो महिपाल के पैर दुकान पर टिकते न थे. पुरानी आदतें उस की गई नहीं थीं. पत्नी और बच्चों के साथ महिपाल कभी फिल्म देखने, कभी शहर घूमने और कभी किसी नई जगह की ओर निकल जाता. वह हरिद्वार में एक बाबा का शिष्य भी बन गया था. बाबा के कहने पर उस ने बाबा के आश्रम के बनने में 2 लाख रुपए भी दिए थे.

कुछ दिनों के बाद महिपाल की दुकान के बराबर में एक बनिए ने भी अपनी परचून की दुकान खोल ली. बनिया कारोबार करने में माहिर था. वह दुकान पर जम कर बैठता था. उस ने महिपाल के जमेजमाए ग्राहक तोड़ने शुरू कर दिए. उस ने ग्राहकों के लिए ‘होम डिलीवरी’ भी शुरू कर दी.

महिपाल को कारोबार के ये दांवपेंच नहीं आते थे. वह अपनी चौधराहट के अहम में ‘होम डिलीवरी’ जैसे काम नहीं कर सकता था. बनिए की दुकान के सामने धीरेधीरे महिपाल की दुकान बैठने लगी.

कम आमदनी होने पर महिपाल ने परचून की दुकान ही बंद कर दी. अपनी दुकान का परचून का सामान भी उसी बनिए को बेच दिया. उस का संबंध चूंकि गांव से था, इसलिए उस ने सोचा कि उस के लिए कृषि यंत्रों और हार्डवेयर की दुकान खोलना ठीक रहेगा, लेकिन इस के लिए बड़ी रकम की जरूरत थी, तो उस ने अपनी 5 बीघा जमीन भी बेच दी.

दुकान तो ठीक थी, लेकिन बड़ी समस्या यह थी कि किसान सामान उधार मांगते थे और गन्ने की फसल आने पर उधार चुकाने की बात करते थे. मजबूर हो कर महिपाल को उधार देना पड़ा, लेकिन गन्ने की फसल आने पर भी किसान उधार चुकाने में आनाकानी करते थे. कई तो दुकान की तरफ आना ही छोड़ देते थे और फोन भी नहीं उठाते थे. उधारी ने महिपाल की दुकान का भट्ठा बैठाना शुरू कर दिया.

ऐसे समय में ही एक दिन राजेंद्र सिंह उस की दुकान पर आए. महिपाल तो पुरानी बातों को पहले ही भुला चुका था. एकदूसरे का हालचाल जानने के बाद दोनों में बातें होने लगीं.

‘‘चाचा, लगता है कि कारोबार करना अपने बस की बात नहीं है.’’

‘‘क्यों, क्या हुआ महिपाल?’’

तब महिपाल ने अपनी सारी दास्तान राजेंद्र सिंह को बता दी. वे उस की परेशानी की बात सुन कर मन ही मन बड़े खुश हुए, लेकिन बाहर से ऐसा दिखावा किया जैसे बड़े दुखी हों.

तभी राजेंद्र सिंह को अपने बेटे सतेंद्र के गाल पर लगे थप्पड़ की याद आई. तब उन्होंने महिपाल की बरबादी के ताबूत में आखिरी कील ठोंकते हुए कहा, ‘‘महिपाल, तेरी गलती यह है कि तू दो नावों पर सवार है. गांव में भी अभी तेरी जमीन है और शहर में भी तू पैर जमाने की कोशिश कर रहा है.’’

‘‘फिर क्या करूं चाचा?’’

‘‘मैं तो कहता हूं महिपाल कि तू यह दुकान का चक्कर छोड़ और एक डेरी खोल ले. हम गांव वाले दुकान के बजाय यह काम आसानी से संभाल सकते हैं. हमें गायभैंस पालना भी आता है और दूध का काम तो हम आसानी से कर ही लेते हैं.’’

‘‘लेकिन चाचा, शहर में डेरी खोलने के लिए तो बहुत ज्यादा जमीन चाहिए.’’

‘‘देख महिपाल, कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना पड़ता ही है. ऐसा कर गांव की जमीन बेच कर शहर में जमीन खरीद ले और फिर डेरी खोल कर मालामाल हो जा. वहीं पर अपनी शानदार कोठी भी बना लेना. किराए के मकान में कब तक रहता रहेगा… अपना मकान होगा, अपनी डेरी होगी, नौकरचाकर होंगे, तो शहर में भी तेरा रुतबा गांव जैसा ही हो जाएगा.’’

‘‘चाचा, आप कह तो बिलकुल सही रहे हो. किराए का मकान और दुकान बड़े महंगे पड़ते हैं. अपनी जगह का कम से कम किराया तो नहीं देना पड़ता. मैं आप की सलाह पर जरूर विचार करूंगा.’’

‘‘विचार करना छोड़ बेटा, अमल कर, अमल,’’ यह कह कर राजेंद्र सिंह मुसकराते हुए और यह सोचते हुए चल दिए, ‘महिपाल, गांव से तो तू उजड़ेगा ही और शहर में भी तू बस नहीं पाएगा. अब तुझे पूरी तरह बरबाद होने से कोई नहीं रोक सकता.’

लेकिन महिपाल को तो राजेंद्र सिंह की बात जम गई. वह तो सुनहरे सपनों में खो गया. उस ने दुकान में रखे कृषि यंत्र और हार्डवेयर का सामान सस्ते दामों पर एक बनिए को बेच दिया. अब वह अपनी बची हुई 15 बीघा जमीन भी बेचने की जुगाड़ में लग गया.

राजपाल और उस के दूसरे हमदर्दों ने उसे खेती की जमीन न बेचने की सलाह दी, लेकिन महिपाल पर तो राजेंद्र सिंह की बातों का ऐसा रंग चढ़ा था कि उस पर लाख कोशिश करने पर भी कोई और रंग चढ़ नहीं सकता था. 15 बीघा जमीन में से 10 बीघा जमीन तो खुद राजेंद्र सिंह ने खरीदी और 5 बीघा जमीन राजपाल ने.

जमीन बेचने से महिपाल के हाथ में एक बड़ी रकम आई. लेकिन इस के बदले जब वह शहर में डेरी के लिए जमीन खरीदने निकला, तो वहां की जमीन की कीमत सुन कर उस के होश फाख्ता हो गए. लेकिन बढ़े कदम अब पीछे नहीं खींचे जा सकते थे. गांव की बीघे की जमीन यहां गज में बदल गई.

जमीन खरीदने और मकान बनाने में ही महिपाल की दोतिहाई रकम खर्च हो गई. कुछ रकम उस ने अपने खर्चे और मौजमस्ती में उड़ा दी. तब वह डेरी के लिए बड़ी मुश्किल से 3 भैंस और 2 गाय खरीद पाया.

लेकिन महिपाल को अंदाजा नहीं था कि डेरी खोलना टेढ़ी खीर है. उसे चारा लाने और गायभैंस की देखभाल के लिए 24 घंटे का एक महंगा नौकर भी रखना पड़ा. वह और उस की पत्नी भी दिनरात डेरी के ही काम में लगे रहते. दूध के काम से उन्हें सवेरे जल्दी उठना पड़ता और रात को भी सोने में देर हो जाती. चारे की महंगाई सिर चढ़ कर बोल रही थी. चारे के अलावा भी डेरी के अनेक खर्चे थे, जिन का महिपाल को तनिक भी एहसास नहीं था.

डेरी का काम कर के महिपाल 2-3 साल में ही हांफ गया. दूध से गायभैंस भागती तो दूसरी खरीदनी उस के लिए भारी पड़ जाती. उधर बच्चे बड़े हो गए थे. बड़ी बेटी शीला के लिए एक अच्छा लड़का मिला, तो महिपाल ने अपनी मूंछ ऊंची रखने के लिए डेरी वाली जमीन बेच कर उस की शादी में खूब दहेज दिया और बरातियों की शानदार आवभगत की.

अब महिपाल के पास केवल मकान बचा था. दोनों बेटे नकुल और विकुल ध्यान न देने की वजह से बिगड़ गए थे. नकुल ने किसी तरह बीए कर लिया था. उस की नौकरी लगवाने के चक्कर में महिपाल दलालों के चंगुल में फंस गया. वे नकुल की नौकरी लगवाने के लिए 15 लाख रुपए मांग रहे थे. मरता क्या न करता, महिपाल ने मकान बेच कर दलालों को पैसे थमा दिए.

दलालों ने दिल्ली में किराए पर एक औफिस खोल रखा था. नकुल को उन्होंने 1-2 महीने अफसर बना कर उस औफिस में बैठाया और अच्छीखासी तनख्वाह दी, फिर उसे वहां से भगा दिया.

किराए के मकान में महिपाल बिना किसी आमदनी के कितने दिन रहता. थकहार कर और मूंछें नीची कर के उस ने एक ठेकेदार के यहां मुनीम की नौकरी शुरू कर दी.

नकुल बेरोजगार हो कर आवारा किस्म के लड़कों की संगत में उठनेबैठने लगा और नशे का शिकार हो गया. छोटा बेटा विकुल किसी लड़की के चक्कर में पड़ गया था. अपनी प्रेमिका को महंगा गिफ्ट देने के लिए वह मोबाइल चोरी करने लगा और एक दिन पुलिस द्वारा पकड़ लिया गया.

महिपाल ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि गांव की जमीन बेच कर उस की ऐसी बरबादी होगी. दोनों ही बेटे नालायक निकल जाएंगे. उसे लगने लगा कि वह दिल का मरीज बनता जा रहा है.

एक दिन महिपाल दिल के डाक्टर के पास पहुंचा, तो डाक्टर ने जांच करने के बाद बताया, ‘‘महिपालजी, आप तो दिल के मरीज हो चुके हैं. आप को जल्दी ही दिल का आपरेशन करवाना होगा.’’

महिपाल पर घर चलाने लायक पैसा था नहीं, वह दिल का आपरेशन क्या कराता. उस ने यह बात अपने परिवार से भी छिपा कर रखी. एक दिन घर में कुरसी पर बैठेबैठे ही उस की गरदन पीछे को लुढ़क गई. उस की पत्नी और बेटों के पास अब उस के अंतिम संस्कार करने के लिए भी पैसे नहीं थे.

उस के क्रियाकर्म के लिए राजपाल और कुछ गांव वाले ट्रैक्टरट्रौली में बैठ कर आए. उन्होंने मिलजुल कर उस के अंतिम संस्कार का इंतजाम किया. इस काम में राजेंद्र सिंह ने भी हाथ बंटाया.

महिपाल की अर्थी उठाने वालों में सब से आगे राजेंद्र सिंह और उन का बेटा सतेंद्र था. दोनों महिपाल की अर्थी उठाए हुए एकदूसरे की ओर देख कर मुसकरा रहे थे. महिपाल की बरबादी के काफिले को राजेंद्र सिंह ने आखिरी मुकाम पर पहुंचा दिया था. इस का एहसास किसी को भी नहीं था कि एक थप्पड़ की कीमत इतनी बड़ी और भारी हो सकती है.

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