भीतर लगी आग: मेमसाहब के चंगुल में फंसा नौकर

‘‘मेमसाहब, क्या अब मैं घर जाऊं?’’ रामलाल अपना काम निबटा कर सुधा मैडम के पास आ कर बोला.

पहले तो सुधा मैडम ने उसे ऊपर से नीचे तक हवस की नजर से देखा, जबकि रामलाल का चेहरा नीचे था, फिर वे रामलाल की ठोड़ी ऊंची करते हुए बोलीं, ‘‘आज इतनी जल्दी क्यों जा रहा है रामलाल?’’

रामलाल ने कोई जवाब नहीं दिया, वापस मुंह लटका दिया.

सुधा मैडम फिर उस की ठोड़ी ऊंची करते हुए बोलीं, ‘‘शरमा क्यों रहा है रामलाल? बोल न, इतनी जल्दी क्यों जाना चाह रहा है? ऐसा क्या काम है? ’’

‘‘अब मैं आप को क्या बताऊं मेमसाहब,’’ रामलाल उसी तरह नीची गरदन कर के बोला.

‘‘बताने में शर्म आ रही है क्या? मेरी आंखों में आंखें डाल कर देख,’’ फिर उन्होंने कहा, ‘‘आज जल्दी क्यों जाना चाहता है?’’

सुधा मैडम ने जब यह बात कही, तब रामलाल उन की आंखों में आंखें डाल कर बोला, ‘‘मेमसाहब, मेरी पत्नी चंपा अभी महीनाभर पीहर में रह कर आज ही लौटी है.’’

‘‘अच्छा, मैं अब समझी. तेरी जोरू आई है और तेरी नईनई शादी हुई है, इसलिए उस की याद सता रही है,’’ सुधा मैडम ने जब यह बात कही, तब रामलाल मुसकरा दिया.

सुधा मैडम भी मुसकराते हुए बोलीं, ‘‘तब तो मैं तुझे रोकूंगी नहीं, मगर जाने से पहले मेरा एक काम करेगा क्या?’’

‘‘कौन सा काम?’’ रामलाल ने पूछा.

रामलाल अभी 2 महीने पहले ही इस सरकारी बंगले में नौकर बन कर आया है. सुधा मैडम के पति दिनेश गुप्ता बड़े अफसर हैं. उन का पूरे शहर में दबदबा है. सरकारी बंगला है. उन के 2 बेटे हैं, जो इंजीनियरिंग कालेज जबलपुर में पढ़ रहे हैं.

‘‘साहब आएदिन दौरे पर रहते हैं. आज भी 4 दिन के लिए वे दौरे पर गए हुए हैं. अफसर होने के नाते उन की जिंदगी बिजी रहती है. कभी दफ्तर से जल्दी लौट आते हैं, तो कभी काम ज्यादा होने के चलते देर रात को घर आते हैं.

सुधा मैडम ज्यादातर अकेली रहती हैं. हालांकि, गेट पर चौकीदार बहादुर पहरा देता है. रामलाल को इसलिए रखा है कि वह घर का काम करे और अकेली रह रही मेमसाहब की देखरेख भी करे.

‘‘मेमसाहब, ऐसा कौन सा काम है?’’ रामलाल ने दोबारा पूछा, तब सुधा मैडम अतीत से वर्तमान में लौटीं. वे बोलीं, ‘‘अरे रामलाल, तू तो आज रातभर जोरू से मजे करेगा.’’

जवाब देने के बजाय रामलाल शरमा गया, फिर उस के गाल पर हाथ रखते हुए वे बोलीं, ‘‘शर्म कैसी?’’

‘‘आप तो मेमसाहब… बताइए, मुझ से क्या काम है?’’ बात बदलते हुए रामलाल बोला.

‘‘तू मेरा एक काम कर देगा?’’ सुधा मैडम ने हवस भरी नजर से रामलाल को देख कर कहा.

‘‘आप काम तो बताइए…’’

‘‘चल बैडरूम में. तुझे वही काम करना है, जो तू अपनी जोरू के साथ करेगा,’’ रामलाल का हाथ पकड़ कर सुधा मैडम अपने बैडरूम में ले गईं.

रामलाल ‘नहींनहीं’ कह कर इनकार करता रह गया. बैडरूम में जाते ही सुधा मैडम ने थोड़ी देर के बाद ही अपना गाऊन उतार दिया और रामलाल को अपनी बांहों में भर लिया.

उसी दिन उन दोनों के बीच मेमसाहब और नौकर का रिश्ता खत्म हो गया. बिस्तरबाजी के बाद सुधा मैडम ने अपने कपड़े पहनते हुए कहा, ‘‘रामलाल, हमारे बीच जोकुछ हुआ है, किसी से कहना मत. तुम्हारे साहब 4 दिन के लिए दौरे पर गए हैं और मैं अपनेआप को रोक नहीं सकी.’’

‘‘मैं किसी से नहीं कहूंगा मेमसाहब, मगर मुझे नौकरी से मत निकालना,’’ रामलाल हाथ जोड़ते हुए बोला.

‘‘जब तक इस शहर में तुम्हारे साहब हैं, तब तक तुझे यहां से नहीं निकलने दूंगी. हां, मौके और समय पर इसी तरह से अपनी सेवा देते रहना,’’ सुधा मैडम ने जब यह कहा, तब गरदन हिलाते हुए बोला, ‘‘हां मैमसाहब, क्या अब मैं घर जाऊं?’’

‘‘हां, जा और अपनी जोरू को संतुष्ट करना. कल उसे अपने साथ ले कर आना,’’ सुधा मैडम ने मुसकराते हुए जवाब दिया.

रामलाल बंगले से बाहर निकल गया. अभी वह दालान पार कर ही रहा था कि चौकीदार बहादुर उस पर उड़ती हुई नजर से देखते हुए बोला, ‘‘अरे रामलाल, आज तो तू बहुत जल्दी जा रहा है.’’

‘‘हां, चौकीदार साहब,’’ रामलाल ने इतना ही कहा. यह कहने के साथ ही उस के चेहरे पर आई मुसकराहट देख कर चौकीदार बहादुर फिर बोला, ‘‘ऐसी कौन सी बात है रामलाल, बड़े खुश नजर आ रहे हो?’’

‘‘कुछ भी तो नहीं,’’ रामलाल अपनी मुसकराहट छिपाते हुए बोला.

‘‘लगता है कि मेमसाहब ने कुछ उपहार दिया है,’’ चौकीदार बहादुर ने जब यह कहा, तब रामलाल सोच में पड़ गया. उसे मेमसाहब के साथ बिताए वे पल याद आ गए. मगर, मेमसाहब ने कहा है कि यह बात किसी से कहना मत. यह बात तो उस के होंठों पर आतेआते रह गई. मगर इन बड़े लोगों के चोंचले बड़े होते हैं.

ये दबेकुचले लोगों का शोषण पैसे से भी करते हैं और जिस्म से भी. आखिर मेमसाहब के भीतर आग जल रही थी, जो उन्होंने उस के बदन से खेल कर शांत कर दी.

रामलाल को चुप देख कर चौकीदार बहादुर बोला, ‘‘अरे रामलाल, चुप क्यों है? ऐसा मेमसाहब ने क्या कह दिया, जो खुश नजर आ रहा है.’’

‘‘अरे चौकीदार साहब, मेमसाहब ने तो कुछ नहीं कहा. आप को बेकार का शक है,’’ कह कर रामलाल गेट से बाहर हो गया.

फिर भी जाते हुए चौकीदार ने ताना कसते हुए कहा, ‘‘मत बता रामलाल, देरसवेर पता तो चल ही जाएगा.’’

पर रामलाल अनसुनी करते हुए सड़क पर हो लिया. सड़क पर आने के बाद भी उस का मन मचल रहा था. रहरह कर उसे मेमसाहब के साथ गुजारे वे पल याद आ रहे थे.

जब से वह मेमसाहब के यहां काम पर लगा है, तब से वे ज्यादा ही मेहरबान रही हैं. कभी साड़ी का आंचल गिरा देती हैं, कभी ब्लाउज का ऊपर का एक बटन खोल देती हैं. वह कनखियों से देख लेता है. एक नौकर की हैसियत से कभी आगे बढ़ने की कोशिश नहीं की, मगर आज तो मेमसाहब ने खुद ही आगे आ कर सारी दीवार गिरा दी.

मगर चंपा का बदन मेमसाहब के बदन से बहुत गठा हुआ है. मेमसाहब अब ढलती उम्र में चल रही हैं, फिर भी उन में जोश अब भी कायम है. कहते हैं न आम कितना ही पिलपिला हो, मगर मजा देता है. यही मजा मेमसाहब से उसे मिला है. मगर चंपा की बात और है.

यह बात चंपा को कहनी चाहिए या नहीं, चंपा उस की जोरू है, उस से छिपा कर नहीं रखना चाहिए. साफसाफ बता देना चाहिए. मगर कहीं चंपा नाराज हो गई तो… नहीं, उसे नहीं बताना चाहिए.

यही सोचतेसोचते रामलाल कब घर आ पहुंचा, उसे पता भी नहीं चला. चंपा उसी का इंतजार कर रही थी. वह नाराज हो कर बोली, ‘‘आने में इतनी देर क्यों कर दी?’’

‘‘मेमसाहब ने मुझे आने ही नहीं दिया,’’ रामलाल के मुंह से निकल पड़ा.

‘‘ऐसे कह रहे हो, जैसे मेमसाहब ने चिपका लिया.’’

‘‘हां, ऐसा ही समझो.’’

‘‘क्या कहा? मेमसाहब के साथ…’’ जब चंपा ने गुस्से से कहा, तो उस के मुंह पर हाथ रखते हुए रामलाल बोला, ‘‘ऐसा कुछ नहीं है, जो तुम समझ रही हो. अरे, मैं तो जल्दी निकल रहा था. मेमसाहब सामान की लिस्ट पकड़ा कर बोलीं कि रामलाल, बाजार से यह सामान ले आओ और मैं सामान लेने चला गया.’’

‘‘झूठ तो नहीं बोल रहे हो न?’’ चंपा शक जाहिर करते हुए बोली.

‘‘नहीं, बिलकुल नहीं.’’

‘‘खाओ मेरी कसम.’’

‘‘चंपा, तुम्हारी कसम खा कर कहता हूं कि मैं झूठ नहीं बोल रहा हूं.’’

‘‘ठीक है, तुम्हारी सचाई तुम्हारे साथ है.’’

‘‘हां, तुम्हें भी कल मेरे साथ चलना है, मेमसाहब ने तुम्हें बुलाया है.’’

‘‘जरूर चलूंगी, अब यहीं बातें करते रहोगे, बिस्तर तक नहीं चलोगे. महीनेभर की लगी आग नहीं बुझाओगे?’’ जब चंपा ने यह कहा, तब रामलाल उसे उठा कर बिस्तर पर ले गया.

पुराना कोट : संतोख ने क्यों बेची अमानत

कड़ाके की ठंड पड़ रही थी. चौकचौराहों पर लोग अलाव जला कर आग ताप रहे थे. रविवार का दिन था और विरेश के औफिस की छुट्टी थी. वह घर पर बैठा चाय पी रहा था कि उस की पत्नी शैली ने उस से कहा, ‘‘आज शौपिंग करने चलते हैं. आप के लिए एक कोट खरीद दूंगी. कितनी सर्दी पड़ रही है.’’

‘‘लेकिन, मेरे पास कोट तो है ही. मुझे इस की जरूरत नहीं है,’’ विरेश ने कहा.

‘‘अरे, वही पुराना ब्लैक कोट. उसे 3-4 सालों से पहन रहे हैं आप. इस बार ब्राउन रंग का कोट आप के लिए पसंद कर दूंगी. आप पर खूब जंचेगा,’’ पत्नी शैली ने मुसकरा कर कहा. विरेश ने आखिर पत्नी की बात मान ली.

शाम को शैली शौपिंग के लिए तैयार हो गई थी. शैली की खूबसूरती का क्या कहना, मेकअप ने उस का रूप और निखार दिया था. उस ने इतनी कंपकंपाती ठंड में भी हलकाफुलका सलवारकमीज ही पहना था. अलबत्ता, होंठों पर हलकी चौकलेटी लिपस्टिक लगाई थी, जिसे देख कर विरेश का दिल प्यार करने के लिए मचल उठा था.

‘‘किस पर बिजली गिराने का इरादा है?’’ विरेश ने चुटकी ली.

‘‘इस सर्दी में मेरे हुस्न की थोड़ी गरमी जरूरी है, नहीं तो आप को ठंड लग सकती है,’’ शैली ने मनमोहक अंदाज में हंस कर कहा.

विरेश ने उसे भरपूर नजर से निहारते हुए कहा, ‘‘लड़कियों और औरतों को क्या ठंड नहीं लगती है? चाहे कितनी भी सर्दी क्यों न पड़ रही हो, वे कम कपड़ों में ही घर से बाहर शौपिंग करने चली जाती हैं. उन पर ठंड का कोई असर नहीं होता है क्या?’’

‘‘अगर हम ठंड की परवाह करेंगी, तो अपना फैशन और हुस्न की नुमाइश कैसे करेंगी…’’ शैली ने विरेश को प्यार से समझाया.

विरेश और शैली प्यारभरी बातें करते हुए एक बड़े शोरूम में आ गए थे. शैली ने विरेश के लिए एक ब्राउन कलर का कोट पसंद कर दिया था, जिसे पहन कर विरेश वाकई स्मार्ट दिख रहा था.

बाजार में शैली ने अपनी पसंद की पापड़ी चाट खाई. वे दोनों 1-2 घंटे के बाद घर लौट आए थे.

रात के 11 बज रहे थे. दिन से ज्यादा रात में ठंड पड़ रही थी. अपने कमरे में विरेश और शैली रजाई के अंदर दुबक गए थे. अब दोनों एकदूसरे से लिपट कर सर्दी से थोड़ी राहत महसूस कर रहे थे. 2 जवां जिस्म प्यार करने के लिए तड़प उठे थे. जिस्म की आग धीमेधीमे सुलगने लगी थी. विरेश शैली के उभारों को सहलाने लगा.

शैली ने विरेश के होंठों को चूम कर कहा, ‘‘आप शाम से ही रोमांटिक मूड में आ गए थे.’’

‘‘हां, क्यों नहीं. तुम खूबसूरत और सैक्सी जो लग रही थीं. इस ठंडी रात में प्यार करने के लिए मेरा दिल मचल उठा है,’’ विरेश शैली के ऊपर आते हुए बोला.

शैली ने विरेश को जोर से जकड़ लिया. रात में दोनों ने जीभर कर मजे लिए. जब जिस्म की प्यास बुझ गई, तब वे दोनों गहरी नींद में सो गए.

सुबह की कुनकुनी धूप खिली हुई थी. धूप में कुरसी पर बैठा विरेश अखबार पढ़ रहा था. अखबार में खबर छपी थी, ‘ठंड ने कहर बरपाया. 2 लोगों की मौत. शीतलहर का प्रकोप जारी.’

खबर पढ़ कर विरेश सहम गया. तभी रसोईघर से शैली ने किसी काम से विरेश को अपने पास बुलाया, ‘‘मेरा एक काम कर दो.’’

‘‘क्यों नहीं. पर पहले वह नेक काम तो बताओ?’’ विरेश ने कहा.

‘‘वह पुराना ब्लैक कोट किसी गरीब को दे दीजिए. किसी जरूरतमंद का ठिठुरती ठंड से बचाव हो जाएगा. अपनी अलमारी में नए कोट की जगह भी बन जाएगी.’’

विरेश ने कुछ सोचते हुए शैली से कहा, ‘‘संतोख को वह कोट दे देते हैं. वही मजदूर जो ईंटबालू ढोने से ले कर साफसफाई का हमारा काम कर देता है.’’

‘‘ठीक मजदूर है, उसी को वह पुराना कोट दे दीजिएगा,’’ शैली ने अपनी रजामंदी जताई.

दूसरे दिन विरेश वह पुराना कोट ले कर संतोख की झोंपड़ी की तरफ चला गया.

कालोनी में छोटेबड़े मकानों के बीच जो थोड़ी सी जगह बची थी, वहां कुछ मजदूर, मिस्त्री, रिकशे वाले अपनी झोंपड़ी बना कर रहते थे. संतोख भी यहीं रह कर शहर में मजदूरी करता था.

विरेश को संतोख अपनी झोंपड़ी के पास मिल गया था.

‘‘कहिए साहब, कुछ काम है क्या?’’ संतोख हैरानी से विरेश को देखते हुए बोला.

‘‘कोई काम तो अभी नहीं है. बस, यह कोट तुम्हें देने चला आया,’’ विरेश ने कहा.

‘‘अरे साहब, मेरे लिए इतना अच्छा कोट. पूरे जाड़े इसी कोट को पहनूंगा,’’ कहते हुए संतोख ने वह कोट ले लिया.

‘‘संतोख, इस कोट को संभाल कर रखना,’’ कह कर विरेश चला गया.

विरेश घर पर आ गया था. शैली ने पूछा, ‘‘क्या संतोख मिल गया था?’’

‘‘हां, मिल गया था. उसे कोट दे कर आ रहा हूं,’’ विरेश ने कहा.

‘‘हम लोग के हाथों एक बढि़या काम तो हो गया. संतोख जैसे जरूरतमंद को वह कोट जाड़े में बहुत काम आ जाएगा,’’ कह कर शैली घरेलू काम में लग गई.

संतोख सुबह में मजदूरी करने जा रहा था. वह विरेश का दिया हुआ कोट पहने हुए था. उसे रास्ते में मुकेश मिल गया. मुकेश बिजली मिस्त्री था. उस की नजर संतोख के कोट पर पड़ी. उसे संतोख का कोट पसंद आ गया.

मुकेश मन ही मन सोचने लगा कि इस कोट को संतोख से किसी तरह ले लूं, तो इस कंपकंपाती ठंड में बड़ी राहत हो जाएगी.

यह सोच कर मुकेश ने संतोख से कहा, ‘‘संतोख, यह कोट बेचोगे. मैं इसे खरीदना चाहता हूं.’’

संतोख पलभर के लिए सोच में पड़ गया. लेकिन रुपए मिलने के लालच ने उस का ईमान डिगा दिया,’’ मुकेश, तुम इस कोट के कितने रुपए दोगे?’’

‘‘700 रुपए दे दूंगा,’’ मुकेश ने ललचाई नजरों से कोट की तरफ देखते हुए कहा.

‘‘700 रुपए तो नहीं, 800 रुपए में यह कोट दे दूंगा. अगर मंजूर है, तो बोलो?’’ संतोख ने कहा.

‘‘700 रुपए ही दूंगा, लेकिन 100 रुपए की शाम को शराब की पार्टी कर दूंगा,’’ मुकेश ने कहा.

‘‘ठीक है, यह लो कोट. चलो, अब फटाफट रुपए निकालो.’’

मुकेश ने 700 रुपए जेब से निकाल कर संतोख को दे दिए. संतोख ने कोट उतार कर उसे दे दिया. मुकेश खुशी से कोट ले कर चला गया.

कोट खरीद कर मुकेश ने जाड़े से बचाव का एक रास्ता पा लिया था, वहीं संतोख ने चंद रुपए की खातिर जाड़े में ठंड लगने का खतरा मोल ले लिया था.

शाम हो गई थी. मुकेश संतोख के साथ शराब के ठेके पर पहुंच गया.

उस ने अपने पैसे से शराब की बोतल खरीदी और संतोख के साथ शराब पीने बैठ गया.

एक गिलास के बाद दूसरा गिलास. इस तरह दोनों ने पूरी शराब की बोतल खाली कर डाली. जब संतोख पर नशा हावी हो गया, तब वह बैठने लगा, ‘‘शराब में बहुत गरमी होती है. जाड़े में शराब पीने से देह गरम हो जाती है. इस के पीने से सर्दी बिलकुल नहीं लगती है.’’

मुकेश ने कहा, ‘‘संतोख, तुम ठीक कहते हो. शराब पीने से मजा तो आता ही है, ठंड भी भाग जाती है. शराब पी लो तो ठंड में भी भलेचंगे रहोगे. देह में गरमी और फुरती बनी रहेगी.’’

दोनों नशे में लड़खड़ाते हुए अपने घर चले गए. 2 दिन बाद जब संतोख मजदूरी कर के घर लौटा, तब उस के बदन व सिर में तेज दर्द हो रहा था. उस की बीवी लाजो ने उस का बदन छू कर देखा, ‘‘अरे, आप का बदन तो बहुत गरम लग रहा है. आप को बुखार हो गया है.’’

‘‘मुझे बहुत ठंड लग रही है. जल्दी से मुझे कंबल ओढ़ा दो,’’ संतोख ने मरियल आवाज में कहा. लाजो ने उसे कंबल ओढ़ा दिया.

संतोख ने बुखार में तपते हुए किसी तरह रात बिताई. दूसरे दिन वह डाक्टर के पास गया.

डाक्टर ने संतोख का चैकअप किया, ‘‘तुम को ठंड लग गई है. कुछ दवाएं लिख देता हूं.’’

डाक्टर ने दवाएं परचे पर लिख दीं. डाक्टर ने संतोख से पूछा, ‘‘क्या तुम ने 1-2 दिन पहले शराब पी थी?’’

‘‘हां, डाक्टर साहब,’’ संतोख ने सकुचाते हुए कहा.

‘‘देखो, उसी शराब ने तुम को बीमार कर दिया. अब कभी शराब मत पीना,’’ कह कर डाक्टर ने इशारे से उसे जाने को कहा. संतोख डाक्टर के चैंबर से बाहर आ गया.

संतोख के जाते ही डाक्टर ने अपने पास बैठे जूनियर डाक्टर को बुलाया, ‘‘शराब गरम होती है. जब कोई शराब पीता है, तो एकाएक उस के बदन में गरमी आ जाती है. लेकिन बाहर तो सर्दी पड़ रही है. सर्दी के असर से ठंड लगने का डर बढ़ जाता है. संतोख के साथ भी यही हुआ?है.’’

‘‘लेकिन, ये लोग मानते कहां हैं. शराब पीना नहीं छोड़ते हैं,’’ जूनियर डाक्टर ने कहा.

4-5 दिन बीत जाने के बाद भी संतोख का मर्ज ठीक होने के बजाय बढ़ता ही गया. महंगी दवाएं खरीदने से घर का खर्च चलाना मुश्किल होने लगा. चारपाई पर पड़े हुए बीमार संतोख ने लाजो से कहा, ‘‘कुछ रुपए विरेश

बाबू से मांग कर ले आओ. उन को बोलना कि ठीक हो जाने पर रुपए वापस कर दूंगा.’’ लाजो बिना देर किए विरेश से रुपए मांगने चली गई.

‘‘विरेश बाबू, संतोख बीमार है. घर का खर्च चलाने के लिए पैसे नहीं है. 500 रुपए मिल जाते तो… बाद में पैसे वापस कर दूंगी,’’ लाजो ने कहा.

‘‘संतोख को हुआ क्या है?’’ विरेश ने कहा.

‘‘उसे ठंड लग गई है,’’ लाजो ने सकुचाते हुए कहा.

‘‘मैं अभी आता हूं. तुम घर जाओ. रुपए संतोख के हाथ में ही दूंगा और उस से तबीयत का हाल भी पूछ लूंगा,’’ विरेश ने कहा.

विरेश थोड़ी ही देर में संतोख को देखने उस की झोंपड़ी में चला गया, ‘‘कैसी तबीयत है अब? कुछ सुधार लग रहा है?’’ विरेश ने संतोख से पूछा.

‘‘कुछ सुधार नहीं है, साहब. तबीयत बिगड़ती ही जा रही?है,’’ संतोख ने कहा.

‘‘जो कोट दिया था, उसे पहना कि नहीं?’’ विरेश ने पूछा.

संतोख ने कोई जवाब नहीं दिया. वह खामोश ही रहा. तभी उस की बीवी लाजो ने कहा, ‘‘क्या कहूं साहब, संतोख उस कोट को बेच कर दारू पी गया.’’

यह सुन कर विरेश को बहुत बुरा लगा. उस के दिल पर चोट लगी थी.

‘‘ऐसा क्यों किया संतोख. मैं ने कोट इस कड़कड़ाती ठंड में तुम्हें पहनने के लिए दिया था,’’ विरेश ने उदास हो कर कहा.

संतोख कुछ नहीं बोला. उस की आंखों में आंसू छलक आए. विरेश ने उस के हाथ में 5 सौ रुपए रखे और झोंपड़ी से बाहर निकल गया.

घर आ कर विरेश ने शैली को बताया, ‘‘संतोख ने तो वह कोट पहना तक नहीं. उसे ठंड लग गई है. उस कोट को बेच कर वह शराब पी गया.’’

यह सुनते ही शैली संतोख को भलाबुरा कहने लगी, ‘‘ये छोटे लोग होते ही ऐसे हैं. इन को किसी की भलाई नहीं चाहिए. चंद रुपए के लिए हमारा दिया हुआ कोट बेच दिया. वह भी ठेके पर जा कर शराब पीने के लिए. अब बीमार पड़ा है. मरने दीजिए उसे.’’

विरेश खामोश हो कर शैली की बात सुनता रहा. वह कुछ न बोला. शैली अपना गुस्सा संतोख पर उतार चुकी थी.

4-5 दिन बीते थे. विरेश और शैली मार्केट से घर लौट रहे थे. संतोख की झोंपड़ी के पास लोगों की भीड़ लगी हुई थी. झोंपड़ी से संतोख की बीवी लाजो के रोने की आवाजें आ रही थीं. विरेश और शैली किसी अनहोनी के डर से ठिठक कर रुक गए.

विरेश ने वहां खड़े एक शख्स से पूछा, ‘‘क्या बात है? संतोख ठीक तो है न?’’

‘‘संतोख तो मर गया. उस की बीवी लाजो बहुत रो रही है साहब,’’ उस आदमी ने बताया. विरेश और शैली यह सुन कर सन्न रह गए.

बढ़े हुए प्रोस्टेट से आपकी सेक्स लाइफ हो सकती है प्रभावित!

कहीं इरेक्टाइल डिस्फंक्शन या यौन संतुष्टि में कमी जैसी किसी परेशानी से तो आप सामना नहीं कर रहे? यह समस्या प्रोस्टेट के बढ़ने से भी हो सकती हैं .यदि आपका प्रोस्टेट नार्मल साइज से बड़ा है तो यह आपकी सेक्स लाइफ को खराब कर सकता है.

असल में प्रोस्टेट ग्लैंड जिसको पौरुष ग्रंथि भी कहा जाता है वीर्य बनाने वाली महत्वपूर्ण ग्लैंड है. कई बार उम्र के साथ-साथ या हार्मोनल चेंज के कारण यह बढ़ जाती है. इस कारण बहुत से पुरुषों को परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है.

अगर आपकी भी प्रोस्टेट ग्लैंड बढ़ी हुई है, तो आपको भी सेक्स संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. ये यौन समस्यायें , प्रोस्टेट की स्थिति के अनुसार भिन्न भिन्न होती है.बढ़ा हुआ प्रोस्टेट आपकी पेशाब करने की सक्षमता को सीधा प्रभावित करते हैं.इस परेशानी की वजह से  बहुत सी सेक्स संबंधित समस्या होने लगती है . और यह समस्याएं बढ़े हुए प्रोस्टेट की स्थिति के मुताबिक बढ़ती हैं.

कुछ आम सेक्चुअल साइड इफैक्ट्स इस प्रकार हैं-

  • इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (erectile dysfunction)
  • यौन संतुष्टि में कमी (reduced sexual satisfaction)
  • इरेक्शन को बनाए रखने में समस्याएं (problems maintaining an erection)
  • कामेच्छा में कमी (decreased libido)इन साइड इफेक्ट्स को प्रभावित करने वाले फैक्टर हैं-
  • उम्र
  • जेनेटिक्स और
  • एंजाइटीआइए जानते हैं लक्षण ताकि आप  मालूम कर सके कि कहीं आप इस परेशानी से तो ग्रस्त नहीं.लक्षण (Symptoms)

कई बार पुरुषों को पता ही नहीं चलता कि उन्हें प्रोस्टेट से जुड़ी समस्या है. यदि नीचे दिए गए लक्षणों में से कोई भी दो लक्षण आपको परेशान कर रहे हैं ,तो आपको डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए. यह भी संभव है कि यह परेशानी किसी और वजह से हो.

  • पेशाब के लिए जाएं और पेशाब करने में परेशानी हो. पेशाब करने की
  • पेशाब  शुरू होने पर हल्की धारा का निकलना.
  • चाहे दिन हो या रात लेकिन बार-बार पेशाब  की जरूरत महसूस होना.
  • पेशाब करने के बाद भी डिस्चार्ज होना.
  • पेशाब करने के बाद ब्लैडर का भरा हुआ फील होना.
  • पेशाब  करते समय तेज दर्द महसूस होना.

बढ़े हुए प्रोस्टेट का असर

नई दिल्ली स्थित अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल में सीनियर कंसलटेंट और यूरोलॉजिस्ट डॉ. एसके पाल का कहना है कि पिछले कुछ सालों से पुरुषों से जुड़ी गुप्त रोगों की समस्याएं दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं.बढ़े हुए प्रोस्टेट के इलाज में प्रयोग होने वाली दवाइयां या सर्जरी के कारण इरेक्टाइल डिस्फंक्शन होता है या सेक्स लाइफ प्रभावित होती है .आइए जानते हैं किस प्रकार.

सेक्स इच्छा का कम होना

प्रोस्टेट बढ़ने के कारण पुरुषों को समय से पहले ही बुढ़ापा अपनी गिरफ्त में ले लेता है. ऐसे पुरुष संकोच में रहते हैं. ये ग्लैंड्स प्रजनन के लिए सीमन बनाते हैं. उपचार के समय दवाइयों की वजह से प्रभावित होने के कारण सेक्स की इच्छा कम हो जाती है.

स्खलन शरीर के अंदर

डॉ अनूप  धीर, सीनियर कंसलटेंट एंड सर्जन अपोलो हॉस्पिटल के अनुसार बढ़े हुए प्रोस्टेट के कारण स्खलन की समस्या हो जाती है. स्खलन बाहर होने की बजाय शरीर के अंदर होने लगता है. मेडिकल भाषा में इसे रिवर्स इजैकुलेशन भी बोलते हैं.

बांझपन की समस्या

  • इन ग्लैंड्स के बढ़ने पर शीघ्र पतन और शुक्राणु में कमी जैसी समस्याएं पनपने लगती हैं. जिस कारण बांझपन की समस्या हो सकती है. इस वजह से सेक्स लाइफ अत्यधिक प्रभावित होती है.
  • शोध के अनुसार प्रोस्टेट इंफेक्शन या बड़े हुए प्रोस्टेट के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों के साइड इफेक्ट के कारण भी पुरुषों की सेक्स इच्छा में कमी होती है. यह भी एक वजह है पुरुषों की सेक्स लाइफ प्रभावित होने की.
  • इसके अलावा इन दवाओं का सेवन करने वाले व्यक्ति का शुक्राणुओं की गिनती  भी कम हो जाती है. व्यक्ति नपुंसकता का शिकार तक हो जाता है.

सेक्स से विमुखता

बढ़े हुए प्रोस्टेट के लिए दो प्रकार से सर्जरी की जाती है. पहली टीयूआरपी सर्जरी और दूसरी प्रॉस्टेटिक आर्टरी इंबोलाइजेशन सर्जरी. लेकिन इस सर्जरी के फौरन बाद सेक्स के लिए मनाही है. इसलिए 20 से 25 दिन तक सेक्स से दूर रहने की सलाह दी जाती है. जिस वजह से सेक्स लाइफ प्रभावित होती है. जब दवाइयां असर नहीं करती तब प्रोस्टेक्टॉमी शल्य चिकित्सा से इन ग्लैंड्स को निकाला जाता है. डॉक्टर एसके पाल का कहना है कि इस का  खास साइड इफेक्ट सेक्स  विमुखता है. इरेक्शन को बनाए रख पाने में असफल होने पर अक्सर पुरुष हीन भावना का शिकार हो जाते हैं.इस वजह से भी अपने पार्टनर से दूरी बना लेते हैं.

मैं यूरिन प्रौैब्लम से परेशान हूं, छींकने, खांसने और हंसने पर यूरिन निकल जाता है मैं क्या करूं?

सवाल
मैं 27 वर्षीय गृहिणी हूं. 10 वर्षों से मैं यूरिन प्रॉब्लम से परेशान हूं. छींकने, खांसने और हंसने पर पेशाब निकल जाता है. 2 बार यूरोडायनैमिक जांच करवा चुकी हूं. 3 महीने पहले जांच में पता चला कि गौल ब्लैडर की मूत्रधारण क्षमता केवल 22 एमएल है. दवा ले रही हूं, लेकिन अभी भी पेशाब रोकना मुश्किल हो जाता है. मैं अपनी यूरिन प्रॉब्लम को कैसे ठीक कर सकती हूं?

जवाब
आप के विवरण से लगता है आप बेहद कम धारण क्षमता वाले गौल ब्लैडर के साथसाथ मिश्रित मूत्र असंयम से पीडि़त हैं. मैं मानती हूं कि आप कोई ऐंटीकोलिनर्जिक दवा ले रही होंगी, जो काम नहीं कर रही है. समस्या के विस्तृत विश्लेषण, जांच, पेशाब की जांच, सिस्टोस्कोपी और अन्य परीक्षणों के लिए किसी मूत्र विशेषज्ञ से परामर्श करें. इस प्रकार के कम धारण क्षमता वाले गौल ब्लैडर के मामले में टीबी जैसे पुराने संक्रमण के बारे में भी निश्चिंत हो जाना जरूरी है.

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यूरीन इन्फेक्शन से निजात दिलाएंगे ये आसान से घरेलू उपाय

यूरीन इन्फेक्शन का प्रमुख कारण ज्यादा देर तक पेशाब रोके रहना है. पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में इसकी संभावना ज्यादा होती है. कई बार लोग ज्यादा देर तक पेशाब से रोके रहते हैं, जिसके कारण पित्ताशय में बैक्टीरिया इकट्ठे हो जाते हैं और इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. पित्ताशय में होने वाले इसी संक्रमण को यूरीन इन्फेक्शन कहते हैं. यूरीन इन्फेक्शन की वजह से किडनी पर बहुत बुरा असर पड़ता है. ऐसे में किडनी फेल होने की भी संभावना रहती है.

लक्षण

यूरीन इन्फेक्शन की वजह से पेशाब में जलन, गुप्तांगों में खुजली, रुक रुककर पेशाब आना, मूत्र का रंग गहरा पीला होना, मूत्र से बदबू आना, मू्त्र के साथ खून का आना, थकान और कमजोरी महसूस होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं.

इलाज

खूब पानी पिएं

यूरीन इन्फेक्शन से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिए. दिनभर में लगभग छ: से सात लीटर पानी पीना जरूरी होता है. आयूरीन इन्फेक्शन ब्लैडर में बैक्टीरिया के जमाव की वजह से होता है. ऐसे में खूब पानी पीने से ब्लैडर में बैक्टीरिया जमा नहीं होने पाता है और संक्रमण से बचाव होता है.

खट्टे फलों का करें सेवन

खट्टे फलों का सेवन करें क्योंकि इनमें साइट्रिक एसिड होता है. ये साइट्रिक एसिड बैक्टीरिया को खत्म करने में मददगार होते हैं, इसलिए पेशाब में इंफेक्शन होने पर खट्टे फलों का सेवन करना चाहिए या फिर उनका रस पीना चाहिए. इसके लिए आप नींबू, संतरा और आंवला जैसे खट्टे फलों का इस्तेमाल कर सकते हैं.

लस्सी पिएं

दिन में कम से कम दो बार लस्सी पीएं. लस्सी ब्लैडर में पनप रहे बैक्टीरिया को बाहर करने में मदद करता है. इसके अलावा लस्सी पीने से पेशाब में जलन की समस्या से भी राहत मिलता है. ये यूरीन इंफेक्शन की समस्या को कम करने में भी सहायक है.

सेब का सिरका

एप्पल साइडर विनेगर यानी कि सेब का सिरका यूरीन इन्फेक्शन में बेहद लाभकारी है. इसके लिए एक गिलास पानी में 2-3 चम्मच सेब का सिरका और आधा चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन बार पिएं. इससे आपको बहुत जल्द ही असर दिखाई देगा.

इसके अलावा पेशाब में संक्रमण रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की कोशिश करें. तेज पेशाब लगे तो उसे ज्यादा देर तक रोके नहीं. शारीरिक संबंध बनाने के बाद पेशाब करना न भूलें. बाथरूम को हमेशा साफ सुथरा रखें और खुली जगहों पर पेशाब करने से बचें.

कभी हुआ करती थी राजाओं की बेटी, आज है फिल्मों में एक्ट्रेस 

सऊदी अरब की हसीन राजकुमारी इनदिनों सुर्खियों में है. जिन्होंने अपने पति को सोशल मीडिया पर तीन बार तलाक लिख कर डिवोर्स ले लिया है. इनका नाम राजकुमारी शेखा महरा बिंत मोहम्‍मद बिन राशिद अल मख्‍तूम उर्फ शेखा महरा है. इन्होंने चौंकाने वाले अंदाज में पति को तलाक दिया है. जिस वजह से ये ट्रेंड कर रही है. ये पहली दफा है कि किसी रौयल फैमली के सदस्‍य ने इस तरह से तलाक का ऐलान किया है. शेखा महरा ने इंस्‍टाग्राम पर पोस्‍ट कर कहा कि डियर हसबैंड आप किसी गैर के साथ व्‍यस्‍त हैं, ऐसे में मैं आपको तलाक देती हूं. 

 

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जिसके बाद से राजुकमारी अपने तलाक को लेकर सुर्खियों में है. हालांकि ऐसी कई लड़कियां है जो रौयल फैमिली से है और आज फिल्मों में काम करती है या किया करती थी. जी हां, राजघरानों की लड़किया जो एक्ट्रेस बनीं है. जिन्होंने फिल्म की दुनिया में कदम रखा और अपनी जगह पौपुलर एक्ट्रेस के रूप में बना ली.

अदिति राव हैदरी

अदिति राव हैदरी दो शाही परिवारों की वंशज हैं. वे दो राजघरानों से संबंध रखती है. उनके नाना तेलंगाना के वानापार्थी स्टेट के नेता थे, जबकि उनके दादा मोहम्मद सहेल अकबर हैदरी थे, जो ब्रिटिश शासन में आसाम के गवर्नर थे. अदिति राव हैदरी आज फिल्मों में अपनी एक्टिंग के लिए जानी जाती है उन्होंने हाल में हीरामंडी फिल्म की, जिसमे उनकी एक्टिंग काफी शानदार थी. इससे पहले एक्ट्रेस ने फिल्म पद्मावत की थी. जो कि साल 2018 में आई थी. फिल्म की रीलिज को लेकर काफी बवाल हुआ था, लेकिन फिल्म सक्सेस रही.   Film

सोनल चौहान

सोनल चौहान उत्तर प्रदेश के मैनपुरी रौयल राजपूत फैमिली से संबंध रखती हैं. पारंपरिक राजपूताना शाही परिवार से संबंध रखने के बावजूद सोनल ने बौलीवुड में करियर बनाने का फैसला किया. एक्ट्रेस सोनल चौहान ने हाल में फिल्म आदीपुरुष की थी. जिसमे सोनल रावण की पत्नी मंदोदरी बनीं थी. यानी सैफ अली खान के साथ वाइफ का रोल निभाया था. 

भाग्यश्री

भाग्यश्री का महाराष्ट्र सांगली के पटवर्धन रौयल फैमिली से हैं. वो राजा विजय माधवराव परवर्धन की बेटी हैं. भाग्यश्री का पूरा नाम श्रीमंत राजकुमारी भाग्यश्री राजे पटवर्धन है. भाग्याश्री की पहली मूवी सलमान खान के साथ ‘मैने प्यार किया’ थी. इस मूवी से भाग्यश्री को एक एक्ट्रेस की पहचान मिली थी. आखिरी बार भाग्यश्री ‘किसी का भाई किसी की जान’ में नजर आई थी. जिसमें उनका कुछ मिनटों का रोल था. 

सागरिका घाटगे

फिल्म चक दे इंडिया फेम सागरिका घाटगे कोल्हापुर के शाही घराने कागल से ताल्लुक रखती हैं. सागरिका बौलीवुड के जानेमाने एक्टर विजेंद्र घाटगे की बेटी हैं. एक्ट्रेस सागरिका घाटगे चकदे इंडिया मूवी से काफी फेमस हुई थी. सागरिका ने क्रिकेटर जहीर खान से शादी की. इसके बाद सागरिका ने फिल्मों से दूरी बना ली. वह शादी के बाद अब पति और परिवार संग खुशहाल जिंदगी गुजार रही हैं. अब सागरिका जहीर खान की पत्नी के नाम से भी जानी जाती है. 

सारा अली खान

सारा अली खान आज बौलीवुड की बेहतरीन एक्ट्रेस की लिस्ट में शुमार हो चुकी हैं. सारा बौलीवुड के नवाब सैफ अली खान की बेटी हैं. सारा पटौदी खानदान के नवाब रहे मंसूर अली खान की पोती है. लेकिन सारा शाही परिवार से होने के बावजूद सिंपल जिंदगी जीना पसंद करती हैं.  सारा की मां का नाम अमृता सिंह है. पेशे से अमृता भी एक्ट्रेस है. उन्होंने सैफ अली खान से तलाक ले लिया था. लेकिन अब अमृता की बेटी सारा फिल्मों में कमाल दिखा रही है.

सारा की पहली फिल्म ‘केदारनाथ’ थी. जो कि सुशांत सिंह राजपूत के साथ की थी. इसके अलावा सारा अपने अफेयर्स को लेकर भी काफी चर्चा में रहती है. सारा अली खान का नाम विजय देवरकोंडा और क्रिकेटर शुभमन गिल के साथ जुड़ चुका है हालांकि इससे पहले सारा अली खान का नाम कार्तिक आर्यन के साथ भी जोड़ा जा चुका है लेकिन दोनों एक दूसरे के अच्छे दोस्त हैं.

धर्मकर्म से जुड़े हैं ये क्रिकेटर्स कहीं अंधविश्वासी तो नहीं हो गए, कौन है ये Top Players!

आम लोगों की तरह सैलिब्रिटी भी काम शुरु करने से पहले भक्ति का सहारा जरूर लेते देखे गए हैं लेकिन जब यही काम पौपुलर स्टार्स करते नजर आते हैं तो ये एक आम बात से उठकर मुद्दा बन जाता है. ऐसा ही Cricket जगत के  स्टार्स करते नजर आते हैं. जो भक्ति से इस कदर जुड़े हुए हैं कि वो क्रिकेट के मैदान में भी नजर आता है. 

 

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Cricket के जानेमाने खिलाड़ी भक्ति में आज कुछ इस तरह सिमट गए है कि उन्हे अंधविश्वासी कहा जा सकता है वे अपना कोई भी काम बिना भक्ति के शुरु करते हुए नहीं नजर आते है. सबसे ज्यादा चर्चा में विराट कोहली नजर आते हैं जिनके अक्सर पत्नी अनुष्का के साथ वीडियो वायरल होती रहती है, इसके बाद क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर भी भक्तिभाव दिखाने से बिलकुल पीछे नहीं हटते है, वे धर्मकर्म से जुड़े हर कार्यकर्म में नजर आते हैं, तो क्या इन क्रिकेटर्स का भक्त होना युवाओं के लिए सही है. 

विराट कोहली  

हाल ही में विराट कोहली पत्नी अनुष्का के साथ लंदन में राम भजन करते हुए नजर आए. उनका वीडियो सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से वायरल हो रहा है, कई लोग हैरान हैं तो कई उन्हे Blessing देते हुए नजर आ रहे हैं. इसमें अनुष्का राम ‘जय श्री राम’ का जप करती दिख रही है अनुष्का इन दिनों फिल्मों में नजर नहीं आती है शायद भक्ति ही अब उनका एक सहारा बन चुका है जिसमें लीन होकर अंधविश्वास की ओर जाती दिख रही है. खबरों के मुताबिक, जल्द वे ‘चकदा एक्सप्रेस’ मूवी में एक्टिंग करती नजर आएंगी.

लंदन के एक वीडियो में  राम भजन का प्रोग्राम हो रहा है यहां के सभी लोग राम नाम का जाप करते दिख रहे हैं. साथ में विराट कोहली शांत बैठे दिख रहे हैं. ये वीडियो अब हर खबर की हेडलाइन बन चुका है कि क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी इन दिनों राम भजन करते दिख रहे हैं. बता दें कि पिछले साल भी कपल ने कीर्तन अटैंड किया था जिसकी कुछ फोटोज अनुष्का ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर की थी. हालांकि ये पहली दफा नहीं विराट कोहली शिव भक्त है जिससे जुडी कई बार वे स्टोरी और फोटो शेयर करते नजर आते है.

सचिन तेंदुलकर

सचिन तेंजदुलकर जिन्हें खुद क्रिकेट का भगवान कहा जाता है वे खुद भगवान से दूर नहीं रहते है, सचिन तेंदुलकर हमेशा से ही आध्यात्मिक रहे हैं. उन्हे भक्ति पर इतना विश्वास रहा है कि वे अपने क्रिकेट किट में भगवान का स्टिकर और भगवान की कुछ मूर्तियां रखते हैं.

सोशल मीडिया की बात करें तो वह हमेशा गणेश चतुर्थी और दिवाली जैसे मौकों पर अपनी तस्वीर भगवान के साथ जरूर पोस्ट करते हैं. खेल के दिग्गज और भारत के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति होने के नाते, उन्हे अंधविश्वास की श्रेणी में देखा जा सकता है कि वह किस तरह अपने हर काम के लिए धर्म कर्म का सहारा लेते हैं. इतना ही नहीं, अयोध्या राम मंदिर भी वे अंबानी परिवार के साथ दर्शन के लिए पहुंचे थे जिसकी फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी.Cricket

सचिन अपने पूरे परिवार को लेकर किसी भी धर्म सम्मेलन मे नजर आ जाते हैं उनका इस तरह का होना कहीं न कहीं अंधविश्वासी होना दर्शाता है. हालांकि उनके फैंस को ये सब खूब पसंद आता है. सोशल मीडिया पर सचिन तेंदुलकर की ऐसी कई वीडियोज है जिसमें वह भक्ति करते नजर आते हैं.

 केशव महाराज

केशव महाराज साउथ अफ्रीका क्रिकेट टीम के खिलाड़ी हैं. केशव अपनी गेंदबाजी के लिए जाने जाते हैं, वे दुनिया के नंबर 1 गेंदबाज कहे जाते हैं. लेकिन भक्ति से उनका भी गहरा नाता जुड़ा है. केशव महाराज खुद बताते हैं कि वे हनुमान के अंधभक्त है. वह हिंदू धर्म के प्रति गहरी आस्था रखते हैं. इनका पूरा नाम केशव आत्मानंद महाराज है. केशव महाराज की सोशल मीडिया पर ऐसी कई पोस्ट है जिसमें उन्होंने संस्कृत में श्लोक लिखा है.

बल्ले पर लिखा है ‘ऊँ’

केशव महाराज भी अपने खेल और जरूरी कामों से पहले भगवान का सहारा लेते है. वह खेलने से पहले भगवान को जरूर याद करते हैं वह अपने बैट पर ‘ऊँ’ का स्टीकर लगाते हैं और खुद को हनुमान भक्त कहते हैं.

लिटन दास

बांग्लादेश के खास खिलाड़ी लिटन दास भी धर्म कर्म के कामों में लगे रहते हैं, जो बिना भक्ति आगे नहीं बढ़ते हैं. लिटन बांग्लादेशी खिलाड़ी है लेकिन खुद को श्री कृष्ण का भक्त कहते हैं युवा खिलाड़ी कृष्ण भक्ति से दूर नहीं है. इस बात की जानकारी लिटन अपने इंस्टाग्राम अकाउंट के बायो पर दी हुई है. वे बायो में खुद को श्री कृष्ण का सेवक बताते है.

लिटन दास अपने घर में श्री कृष्ण की मूर्ति रखते है साथ ही भगवान गणेश की पूजा करते है. उनका नेशनल और इंटरनेशनल रिकोर्ड भी काफी अच्छा है क्या भक्ति ही उन्हे इस शिखर पर ले आई है.

एल्विन कालीचरन

साईं भक्ति में हर अमीर आदमी मगन है ऐसे में क्रिकेट जगत का खिलाड़ी भी साईं बाबा की भक्ति में पीछे नहीं है हालांकि ये खिलाड़ी भारतीय नहीं है वेस्ट इंडीज की टीम से खेला करते थे लेकिन ये साईं के बहुत बड़े फोलोअर है जो आज भी खुद को साई से दूर नहीं रखते है ये अपने इंस्टा पर भी साई फोलोअर के गुरु की फोटो पोस्ट करते है उनके आश्रम जाते है नाम है एल्विन कालीचरन.

जो क्रिकेट के साथसाथ धर्म से भी जुड़े हुए है. इनका इस तरह भक्ति में होने की क्या वजह इसका खुलासा तो इन्होंने नहीं किया लेकिन कई बार इंटरव्यू में इस बात का जिक्र किया है कि वे साईं बाबा को मानते है और उनके अंध भक्त है.

Cricketers को इनके अलावा कई बार मैदान में हाथ जोड़कर प्रणाम करते हुए, जमीन चुमते हुए, गले में डाले हुए ताबीज को चुमते हुए पाया गया है. इतना ही नहीं, कई बार छक्का लगाने के बाद क्रिकेटर्स आसमान की तरफ देखते है. खिलाडियों के ये सभी इशारें अंधविश्वास को दिखाता है, मानों उनका छक्का भगवान ने ही लगाया हो, लेकिन ऐसा तो नहीं है, क्योंकि बिना मेहनत किए आप एक अच्छे खिलाड़ी नहीं बन सकते है चाहे आपने पूजा पाठ में कितना धन बहाया हो.

ये आप बाकि प्लेयर्स के रिकोर्ड से अंदाजा लगा सकते है. कि उनका पूजा पाठ से कई ज्यादा ध्यान अपनी कड़ी मेहनत पर है जो आज उन्हे इस मुकाम पर पहुंचा चुके है. इसलिए किसी भी तरह की अंध भक्ति आपका करियर, पैसा, हैल्थ नहीं दे सकती है.

मेरी पत्नी मेरे छोटे भाई में ज्यादा ही रुचि लेने लगी है, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल
मैं 40 वर्षीय शादीशुदा पुरुष हूं. शादी के कुछ समय बाद ही मेरा ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया. घर में बुजुर्ग मातापिता की देखभाल करने के चलते मैं पत्नी को अपने साथ ले कर नहीं आया. अपने छोटे भाई, पत्नी और बुजुर्ग मातापिता को छोड़ कर मैं अकेला किराए का मकान ले कर रहता था.

इस बीच पत्नी ने कई दफा मेरे साथ आने की जिद की, पर मैं टालता रहा. इधर कुछ दिनों से मैं ने महसूस किया है कि मेरी पत्नी मेरे छोटे भाई में ज्यादा ही रुचि लेने लगी है. मैं ने इस बारे में कई बार पत्नी से बात करनी चाही पर कर नहीं पाया. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब
यहां गलती कहीं न कहीं आप की ही है. आप ने अपनी पत्नी को अकेला छोड़ा, तो जाहिर है अपनी शारीरिक व मानसिक जरूरतों के लिए वह स्वाभाविक रूप से आप के छोटे भाई की तरफ आकृष्ट हो गई. लेकिन आप को अपनी पत्नी से इस बारे में खुल कर बात करनी चाहिए. हो सकता है बात करने से और प्यार से समझाने से वह समझ जाए.

आप की कोशिश यही होनी चाहिए कि जल्द से जल्द पत्नी को अपने साथ ले आएं. पत्नी के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं. पुरानी बातों को भूल कर गृहस्थी को प्यार और विश्वास के साथ चलाएं.

डेटिंग टिप्स: क्यों जरूरी है डेट

आज की व्यस्त जिंदगी में प्यार की राह में कदम बढ़ाने से पहले लड़का और लड़की एकदूसरे के बारे में काफी कुछ जान लेना चाहते हैं. इस के लिए वे डेट पर जाने का प्लान करते हैं. वैसे भी कुछ मुलाकातें किसी भी प्यार भरे रिश्ते को पूरा करने के लिए बहुत जरूरी होती हैं. ये मुलाकातें ही तय करती हैं कि आप का फ्यूचर कैसा होगा.

1. फिल्म लाइफ इन मैट्रोका हीरो

इरफान खान और हीरोइन कोंकणा सेन प्लान कर के पहली डेट पर मिलते हैं. लेकिन पहली बार मिलने पर इरफान की नजर कोंकणा पर कम उस के कपड़ों और फीगर पर ज्यादा होती है. ऐसे में कोंकणा का मूड खराब हो जाता है और वह सोचने लगती है कि कैसा है यह? इस का तो मेरे कपड़े और फीगर पर ही ध्यान है. अत: कोंकणा सेन को डेट पसंद नहीं आती है.

ऐसे में अगर आप अपनी डेट को यादगार बनाना चाहती हैं, तो जानिए कुछ खास बातें जो न सिर्फ आप के प्यार को परवान चढ़ाएंगी वरन चंद मुलाकातों में ही नजदीकियां भी बढ़ जाएंगी.

2. क्यों जरूरी है डेटिंग

मनोचिकित्सक प्रांजलि मल्होत्रा बताती हैं, ‘‘किसी अपोजिट सैक्स से मिलने की जो खुशी होती है वह किसी भी व्यक्ति को रोमांच से भर देती है. डेटिंग ही व्यक्ति को अपने रूटीन काम से हटा कर लाइफ में स्पार्क देती है और इसी से अच्छी फीलिंग्स आने लगती हैं. आप खुद पर न सिर्फ पूरी तरह से ध्यान देने लगती हैं वरन अपने कपड़ों, बिहेवियर पर भी ध्यान देने लगती हैं. दरअसल, हम सब में एक सैक्सुअल ऐनर्जी होती है, जो मनमस्तिष्क में रोमांच भर देती है. जब किसी से मिलने की खुशी होती है, तो वह ऐसी फीलिंग देती है कि उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. उसे लगता है कि वह किसी के लिए इतना इंर्पोटैंट है या समाज में डिजायरेबल है. तभी कोई उस से मिलना चाहता है. डेटिंग हमें सोशल ऐटिकेट्स भी सिखाती हैं.’’

3. डेटिंग करें जम कर

डेटिंग चाहे पार्टनर चुनने की हो या फ्रैंडशिप की, डेटिंग जम कर करें. डेट पर जाना अपनेआप में एक दिलचस्प अनुभव होता है. इस के जरीए एकदूसरे को समझनेपरखने का मौका मिलता है.

4. फर्स्ट डेट

डेट पर जाना किसी बड़े टास्क से कम नहीं होता है. यह किसी भी लड़के या लड़की के लिए महत्त्वपूर्ण पल होता है. फिर जब बात हो पहली डेट पर जाने की तो यह और भी जरूरी हो जाता है कि आप अपनी फर्स्ट डेट को यादगार बनाएं. फर्स्ट डेट पर आप अपना इंप्रैशन ऐसा दें कि सामने वाला आप से दोबारा मिलने को बेताब हो उठे. इस के लिए इन बातों का ध्यान रखें:

– समय और स्थान का चुनाव पहले ही कर लें और अपने तय समय से पहले पहुंच जाएं.

– पहली बार डेटिंग पर जा रही हैं, तो ज्यादा भड़कीले कपड़े पहनने के बजाय सिंपलसोबर बन कर जाएं. मेकअप भी कम से कम करें.

– पहली बार मिलने पर अपने पार्टनर के लिए गिफ्ट ले जाना न भूलें और गिफ्ट ऐसा हो जो उसे पसंद आए.

– पहली डेट पर ज्यादा ऐक्साइटमैंट न दिखाएं. अपने बिहेवियर को कंट्रोल में रखें. उस में बनावटीपन न लाएं.

5. डेटिंग को सफल बनाएं ऐसे

ड्रैस का चुनाव: आप ऐसे कपड़ों का चुनाव करें, जिन में न सिर्फ आप की पर्सनैलिटी में निखार आए, बल्कि आप कंफर्टेबल भी महसूस कर सकें.

6. डेटिंग के लिए स्थान व समय: फर्स्ट

डेट के लिए किसी सार्वजनिक स्थान का चयन करें ताकि आप सहज और सुरक्षित महसूस करें. फर्स्ट डेट पर ज्यादा समय न बिताएं. संभव हो तो मील लंच पर ही मिलें. इस से आप का पार्टनर आप के टाइम की वैल्यू भी समझेगा. फर्स्ट डेट पर जो बिल आए उसे शेयर जरूर करें.

7. क्या न करें

– डेटिंग को सिर्फ टाइमपास या मौजमस्ती न समझें, बल्कि सामने वाले को जाननेसमझने का मौका दें.

– डेटिंग के दौरान फ्लर्टिंग न करें.

– डेटिंग के दौरान धूम्रपान व नशीले पदार्थों का सेवन न करें.

– फर्स्ट डेट में ही ज्यादा करीब जाने की कोशिश न करें.

– अगर पार्टनर की कोई बात पसंद नहीं आ रही है तो चुप रहें. किसी बात पर बहस न करें.

– फर्स्ट डेट में फिजिकल होने की कोशिश न करें.

– फर्स्ट डेट में खुद ही न बोलती जाएं, बल्कि उस की भी सुनें.

– डेटिंग को इंटरव्यू न बनाएं और हंसीमजाक भी सोचसमझ कर करें.

7. जब पार्टनर हो नापसंद

किसी से मिलने से पहले आप उस के बारे में पौजिटिव ही सोचते हैं. लेकिन मिलने के बाद असलियत पता चलती है कि उस का लुक बिहेवियर कैसा है. दूर से सभी अच्छे लगते हैं. यदि पार्टनर पसंद न आए तो इन बातों पर गौर फरमाएं:

– फर्स्ट डेट को इक्वल टु शादी न समझें. पसंद न आने पर सिर्फ फ्रैंडशिप भी रख सकती हैं.

– पसंद न आने पर उस के साथ ज्यादा टाइम स्पैंड न करें.

– फर्स्ट डेट पर पसंद न आने पर भी अपनी नापसंद उस पर जाहिर न होने दें.

– जब भी किसी से फर्स्ट डेट पर मिलें पहले से ही उस के बारे में जानकारी ले लें कि वह कैसा है, तब प्रौब्लम नहीं होगी.

8. डेटिंग को बनाएं रोमांचक

आप अपनी फर्स्ट डेटिंग को इस तरह रोमांचक बना सकती हैं:

लौंग ड्राइव: युवाओं में लौंग ड्राइव का बहुत क्रेज होता है. आप अपने पार्टनर को ऐसी जगह ले जाएं जहां आप दोनों लौंग ड्राइव का भरपूर मजा ले सकें.

मूवी या पार्क: डेटिंग के दौरान मूवी देखने जा सकते हैं. यदि मूवी देखना पसंद न हो तो पार्क में बैठ सकते हैं.

इन्ट्रैस्टिंग उपाय: डेटिंग को रोमांचक बनाने के लिए आप बोटिंग, फिशिंग या और भी इन्ट्रैस्टिंग साधन ढूंढ़ सकते हैं.

विंडो शौपिंग: मस्ती और फन के साथ विंडो शौपिंग या फिर हौट शौपिंग भी कर सकते हैं. इस से आप एकदूसरे की पसंदनापसंद को भी जान पाएंगे.

गैटटुगैदर: किसी को जाननेसमझने का सब से अच्छा औप्शन है गैटटुगैदर. आप अपने पार्टनर को अधिक कंफर्टेबल महसूस करवाने के लिए घर पर भी कुछ और फ्रैंड्स के साथ गैटटुगैदर कर सकते हैं. आप चाहें तो घर पर ही कैंडल लाइट डिनर भी कर सकते हैं.

नेताजी मोंटेसरी स्कूल: किस बुरी आदत से परेशान थे सब

सालभर से मैं यानी कमल घर नहीं जा पाया था. पहलेपहल तो काम से छुट्टी ही नहीं मिली और जब तक छुट्टी मिलने की उम्मीद जगी, कोरोना अपनी हद पर पहुंच चुका था. ऐसे में हर जगह लगे लौकडाउन के चलते जिंदगी 10 बाए 10 फुट के उस कमरे तक सिमट कर रह गई, जो रातभर सोने के लिए भी नाकाफी था. ऐसे में गांव जाना तो दूर कमरे से बाहर कदम रखना ही बैन हो गया. बस मैं था और मेरा मोबाइल फोन. कोई संकेत मिलता तो सब्जी वगैरह खरीद लाता और आ लेटता अपने घोंसले में. गनीमत थी कि किन्हीं वजहों से पिछले 3 महीने की तनख्वाह गांव नहीं भिजवा पाया था, वरना खाने के लाले पड़ते, सो अलग. सुबह मैं बड़े इतमीनान से उठता. नित्य क्रिया से फारिग हो कर नाश्ता बना कर खाता और बैठ जाता कभी मोबाइल फोन पर इंटरनैट चला कर,

तो कभी टैलीविजन खोल कर. ऐसे ही कामों में पूरा दिन बीत जाता. पहलेपहल तो गांव से ढेरों फोन आया करते मेरी खैरखबर लेने और गांव की खैरियत की खबर देने के लिए. खैरियत भी कैसी? जितने भी फोन आते, बस यही सूचना होती कि अमुक को कल कोरोना हुआ था और आज चल बसा. उन दुखद सूचनाओं से मैं इतना आजिज आ गया कि गांव से आने वाले फोन रिसीव करने ही बंद कर दिए. कभी मन करता तो मां को फोन लगा लेता या फिर भैया से बात हो जाती. ऐसे ही एक दिन मां से बात करने के लिए फोन लगाया था, मगर फोन मां के बजाय भाभी ने उठाया. भाभी से बात करना मैं कम ही पसंद करता था. पहली बात तो यह कि भाभी अनपढ़ थीं, ऊपर से इतनी बातूनी कि गांवभर की खबर एक सांस में बता दिया करती थीं. पड़ोस की चाची का मां से झगड़ा हुआ था,

गांव के दूसरे छोर पर रहने वाले बिशन ताऊ की बेटी का रिश्ता तय हुआ था, लेकिन लड़के को दहेज में कार चाहिए थी, इसलिए रिश्ता टूट गया और बैजू चाचा के बेटे नादान उम्र में ही नशा करने लगे हैं जैसी खबरें सुनाने में भाभी खुशी महसूस किया करती थीं. फोन मिल ही गया तो मजबूरन मैं ने उन को नमस्ते की और उन की खैरियत पूछी. मगर इस बात में उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं थी. उन को तो जो सूचनाएं देनी थीं, बिना रुके बताती चली गईं. उन्हीं दर्जनों सूचनाओं में से एक सूचना ऐसी भी थी, जो मेरी दिलचस्पी के काबिल थी. मनोहर अंकल के घर की खबर. पता चला कि कोरोना में मनोहर अंकल का एकलौता बेटा और पत्नी एकएक कर के चल बसे. बाकी बचे अपाहिज मनोहर अंकल और उन की बेटी मानसी. भाभी ने बताया कि इतना सब हो जाने के बाद जब घर में फाके की नौबत आई,

तो गांवभर से लोग पैसे इकट्ठा कर के मनोहर अंकल को देने उन के घर गए, मगर मानसी ने पैसे लेने से मना कर दिया. कई दिन तक उन दोनों बापबेटी ने एक वक्त खाना खा कर गुजारा किया, फिर एक दिन मानसी ने अपने घर पर बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू कर दिया. आज उस मकान में पूरा स्कूल चलता है, जिस का नाम रखा है ‘नेताजी मोंटेसरी स्कूल’. अब वह अपना और पिता का गुजारा बेहतर ढंग से चला रही है. यह घटनाक्रम 2 महीने पुराना था और इस दौरान जाने कितनी बार मां और भैया से फोन पर बात हुई. किसी ने इस दर्दनाक घटना का जिक्र न किया. फोन एक तरफ पटक कर मैं निढाल सा चारपाई पर लेट गया, यह कल्पना करने के लिए कि भाई और मां को खो देने के बाद मानसी पर क्या गुजर रही होगी. मानसी के पिता की शराब की लत ने सारी जमीन छीन ली थी. वे खुद अपाहिज हो कर चारपाई पर पड़े थे. घर की गुजरबसर का कोई तय जरीया था ही नहीं.

अगर मानसी पढ़ने से वंचित रह गई होती, तो आज क्या हालत होती. स्कूल का नाम सुनते ही पलभर को एक अजीब सी खुशी और सुकून का एहसास हुआ. पढ़ाई के दिनों में मैं सामाजिक कामों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया करता था. तब मानसी प्यार से मुझे ‘नेताजी’ कह कर बुलाया करती थी. स्कूल को मेरा नाम देना इस बात का संकेत जरूर था कि स्कूल के दिनों का प्यार आज भी उस के दिल में जिंदा था. मुझे लगा कि जिंदगी ने 15 साल पहले के वाकिए को ताजा कर दिया था. तब मैं और मानसी 10वीं जमात में पढ़ते थे. मानसी का भाई हम से 2 क्लास आगे ही था. एक दिन अचानक मानसी ने स्कूल आना बंद कर दिया. मास्टरजी ने उस के भाई को क्लास में बुला कर वजह पूछी, तो उस ने बताया कि पिताजी उसे आगे पढ़ने नहीं देना चाहते हैं. 2 दिन बाद मास्टरजी ने मनोहर अंकल को स्कूल बुलाया था. वे स्कूल में दाखिल हुए तो नशे में उन के कदम लड़खड़ा रहे थे और मुं*ह से शराब की बदबू दूर तक महसूस हो रही थी. ‘‘आप की बेटी पढ़ाई में अव्वल है. ऐसे बच्चे को तो बढ़ावा देना चाहिए और आप उस की पढ़ाई बंद करा रहे हैं?’’ बड़े अदब के साथ मास्टरजी ने समझाना चाहा.

‘‘मास्टर साहब, लड़के कमा कर घर चलाते हैं. बेटियों को तो बस रोटी बनानी होती है. अब पढ़े या न पढ़े, क्या फर्क पड़ता है?’’ मनोहर अंकल ने जैसे बेरुखी से जवाब दे कर उम्मीद पर पानी फेर दिया. ‘‘फर्क तो बहुत पड़ता है मनोहरजी. कल बेटों की शादी करोगे तो पढ़ीलिखी बहू लाओगे. आप की बेटी भी किसी के घर की बहू बन कर जाएगी. पढ़लिख लेगी तो किसी की मुहताज नहीं रहेगी. वैसे भी बुरे वक्त में कमाया धन रहे न रहे, विद्या काम जरूर आती है.’’ मास्टरजी ने समझाने की बहुत कोशिश की थी, लेकिन मनोहर अंकल जिद पर अड़े रहे. यह सब पूरी क्लास के सामने हुआ था. हम सब को इस बात का दुख था, इसलिए उन के जाने के बाद सब ने तय किया था कि कुछ न कुछ किया जाना चाहिए. अगले एक हफ्ते तक क्लास में पढ़ाई न हुई. सब बच्चे मास्टरजी को साथ ले कर बारीबारी से मनोहर अंकल के पास जाते और उन को मनाने की कोशिश करते, मगर एक हफ्ते की उस परेड का कोई अच्छा नतीजा सामने न आया. उस दिन शाम को घर लौट कर मैं ने पापा से सवाल किया,

‘‘किसी आदमी को मनाने का आसान तरीका क्या है?’’ ‘‘हर आदमी की कोई न कोई कमजोरी जरूर होती है. पता चल जाए तो काम हो गया समझो,’’ पापा ने जवाब दिया. एक घंटे बाद मैं मनोहर अंकल के पास बैठा उन के लिए पैग बना रहा था. अगले दिन मानसी स्कूल में आई, तो सब हैरान थे. और अगले 5 साल पापा परेशान रहे कि रोज एक तय रकम उन के पर्स से गायब कैसे हो रही थी. मानसी और मैं ने साथसाथ बीएससी की थी. मनोहर अंकल के मिजाज में मानसी के मामले में अचानक आई नरमी सब के लिए एक राज की बात थी. मानसी के लिए भी. हालांकि मानसी को लगा कि इस सब बदलाव के पीछे मेरी ही कोई सोच रही होगी, इसीलिए मेरे प्रति उस का लगाव तब प्यार में बदल गया था, लेकिन उस बात के बारे में या तो मैं जानता था या खुद मनोहर अंकल. कालेज की पढ़ाई खत्म कर के मैं हैदराबाद चला आया था और मानसी पीछे गांव में ही छूट गई थी. लौकडाउन खुला, तो मैं गांव लौटा. मैं ने पाया कि गांव का नक्शा ही बदल गया था. कीचड़ से भरी सड़कें अब साफसुथरी थीं.

ज्यादातर मकानों पर रंगरोगन हो गया था, जिस से गांव में शहर जैसी झलक नजर आती थी. और अकसर यहांवहां भटकते छोटे बच्चे कहीं दिखाई न दिए. हाथ में अपना बैग थामे मैं घर की ओर बढ़ा चला जा रहा था कि एक मकान के अहाते से बच्चों की चिल्लपों की आवाज सुन कर ठहर गया. दरवाजे पर बोर्ड लगा हुआ था, ‘नेताजी मोंटेसरी स्कूल’. दरवाजे के अंदर कदम रखा, तो वह हाथ में पतली सी डंडी लिए बच्चों के इर्दगिर्द चक्कर लगाती किताब का कोई पाठ पढ़ाती दिखी. आधा चक्कर काट कर उस का मुंह मेरी तरफ हुआ, तो उस की नजर मुझ पर पड़ी. कई पलों तक उस के मुंह से कोई शब्द न निकला. आखिर हम बहुत दिनों के बाद एकदूसरे से रूबरू जो हुए थे. ‘‘कमल, तुम इतने दिनों बाद लौटे हो,’’ कुछ कहने के लिए जब शब्द न हों, तो उस हालत में कुछ भी कह देने की वजह से उस ने शिकायत की. ‘‘छुट्टी नहीं मिली,’’ मैं ने छोटा सा जवाब दिया. ‘‘पापा तुम्हें दिनरात याद करते हैं. कहते हैं कि वह आ नहीं सकता, तो कम से कम बात ही कर ले.’’ ‘‘अच्छा, तो क्या तुम फोन नहीं कर सकती थी?’’ ‘‘तुम्हारा नंबर होता तो बात करती न. पर ऐसी क्या बात है कि पापा तुम से मिलने के लिए इतने उतावले हैं?’’ ‘‘क्या पता, होगी कोई बात.’’ ‘‘तो चलो और मिल लो. आजकल उन की तबीयत भी बहुत खराब रहती है. शायद तुम्हें देख कर कुछ राहत मिल जाए. तुम्हें तो पता है कि वे जिस भी हाल में हों, मेरे लिए एकमात्र सहारा हैं.’’ स्कूल के पीछे बने मकान के बरामदे में वे एक चारपाई पर पड़े थे. शरीर सूख कर कांटा हो चुका था और चेहरे की चमक गायब थी. ‘‘पापा, शहर से कमल बाबू आए हैं,

’’ मानसी बोली. मेरा नाम सुनते ही जैसे उन के शरीर में बिजली का करंट दौड़ गया. उन्होंने उठने की कोशिश की, मगर उठ न पाए. ‘‘आप लेटे रहिए,’’ मैं ने कहा और उन के पास बैठ गया. उन्होंने तकिए के नीचे हाथ डाला. हाथ बाहर आया तो उस में कुछ रुपए थे. वे रुपए उन्होंने मेरी तरफ बढ़ाए. ‘‘रुपए… मुझे किसलिए?’’ उन का मकसद जानते हुए भी अनजान बने रहने की ऐक्टिंग करते हुए मैं ने पूछा. ‘‘याद है कमल, बचपन में जब मैं ने मानसी को पढ़ाने से मना कर दिया था, तब तुम ने मुझे शराब की बोतल दे कर राजी किया था और तय नियम के हिसाब से तुम रोज मुझे एक बोतल शराब की दे जाया करते थे. ‘‘मैं ने पढ़ाईलिखाई की अहमियत को कभी नहीं समझा.

शराब पीने की बुरी आदत जो थी. मगर जब कुदरत ने इस घर के सारे कमाने वालों को अपने पास बुला लिया, तब मानसी की पढ़ाईलिखाई ने इस घर को संभाला. ‘‘अगर उस वक्त तुम ने मुझे मानसी को स्कूल भेजने के लिए न मनाया होता, तो आज हम भूखे मर गए होते,’’ कहतेकहते उन का गला रुंध गया और वे मेरा हाथ थाम कर रोने लगे. मैं ने मानसी की ओर देखा, तो वह भी नम आंखों और चेहरे पर मुसकान लिए मेरी तरफ देख रही थी. इस पुराने राज के मानसी के सामने खुलने से मुझे सुखद एहसास हुआ. मैं ने अपना बैग उठाया और घर की तरफ चल दिया.

प्यार चढ़ा परवान : हवस के मारे प्रमिला और शंकर

प्रमिला और शंकर के बीच अवैध संबंध हैं, यह बात रामनगर थाने के लगभग सभी कर्मचारियों को पता था. मगर इन सब से बेखबर प्रमिला और शंकर एकदूसरे के प्यार में इस कदर खो गए थे कि अपने बारे में होने वाली चर्चाओं की तरफ जरा भी ध्यान नहीं जा रहा था.

शंकर थाने के इंचार्ज थे तो प्रमिला एक महिला कौंस्टेबल थी. थाने के सर्वेसर्वा अर्थात इंचार्ज होने के कारण शंकर पर किसी इंस्पैक्टर, हवलदार या स्टाफ की उन के सामने चूं तक करने की हिम्मत नहीं होती थी.

थाने की सब से खूबसूरत महिला कौंस्टेबल प्रमिला थाने में शेरनी बनी हुई थी, क्योंकि थाने का प्रभारी उस पर लट्टू था और वह उसे अपनी उंगलियों पर नचाती थी.

जिन लोगों के काम शंकर करने से मना कर देते थे, वे लोग प्रमिला से मिल कर अपना काम करवाते थे.

प्रमिला और शंकर के अवैध रिश्तों से और कोई नहीं मगर उन के परिजन जरूर परेशान थे. प्रमिला 1 बच्चे की मां थी तो शंकर का बड़ा बेटा इस वर्ष कक्षा 10वीं की परीक्षा दे रहा था.

मगर कहते हैं न कि प्रेम जब परवान चढ़ता है तो वह खून के रिश्तों तक को नजरअंदाज कर देता है. प्रमिला के घर में अकसर इस बात को ले कर पतिपत्नी के बीच झगड़ा होता था मगर प्रमिला हर बार यही दलील देती थी कि लोग उन की दोस्ती का गलत अर्थ निकाल रहे हैं. थाना प्रभारी जटिल केस के मामलों में या जहां महिला कौंस्टेबल का होना बहुत जरूरी होता है तभी उसे दौरों पर अपने साथ ले जाते हैं. थाने की बाकी महिला कौंस्टेबलों को यह मौका नहीं मिलता है इसलिए वे लोग मेरी बदनामी कर रहे हैं. यही हाल शंकर के घर का था मगर वे भी बहाने और बातें बनाने में माहिर थे. उन की पत्नी रोधो कर चुपचाप बैठ जाती थीं.

शंकर किसी न किसी केस के बहाने शहर से बाहर चले जाते थे और अपने साथ प्रमिला को भी ले जाते थे. अपने शहर में वे दोनों बहुत कम बार साथसाथ दिखाई देते थे ताकि उनके अवैध प्रेम संबंधों को किसी को पता न चलें. लेकिन कहते हैं न कि खांसी और प्यार कभी छिपाए नहीं छिपता, इन के साथ भी यही हो रहा था.

एक दिन शाम को प्रमिला अपने प्रेमी शंकर के साथ एक फिल्म देख कर रात देर से घर पहुंची तो उस के पति ने हंगामा खड़ा कर दिया. दोनों में जम कर हंगामा हुआ.

प्रमिला के घर में घुसते ही अमित ने गुस्से से कहा,”प्रमिला, तुम्हारा चालचलन मुझे ठीक नहीं लग रहा है. पूरे मोहल्ले में तुम्हारे और डीएसपी शंकर के अवैध संबंधों के चर्चे हो रहे हैं. तुम्हें शर्म आनी चाहिए. 1 बच्चे की मां हो कर तुम किसी पराए मर्द के साथ गुलछर्रे उड़ा रही हो…”

अमित की बात बीच में ही काटती हुई प्रमिला ने शेरनी की दहाड़ती हुई बोली,”अमित, बस करो, मैं अब और नहीं सुन सकती… तुम मेरे पति हो कर मुझ पर ऐसे घिनौने लांछन लगा रहे हो, तुम्हें शर्म आनी चाहिए. मेरे और थाना प्रभारी के बीच दोस्ताने रिश्ते हैं. कई बार जटिल और महिलाओं से संबंधित मामलों में जब दूसरी जगह जाना पड़ता है तब वे मुझे अपने साथ ले जाते हैं, जिस के कारण बाकी के लोग मुझ से जलते हैं और मुझे बदनाम करते हैं.

“अमित, तुम्हें एक बात बता दूं कि तुम्हारी यह दो टके की मास्टर की नौकरी से हमारा घर नहीं चल रहा है. तुम्हारी तनख्खाह से तो राजू के दूध के 1 महीने का खर्च भी नहीं निकलता है…समझे. फिर तुम्हारे बूढ़े मांपिता भी तो हमारी छाती पर बैठे हुए हैं, उन की दवाओं का खर्च कहां सा आता है, यह भी सोचो.

“अमित, पैसे कमाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, कई पापड़ बेलने पड़ते हैं. थाना प्रभारी के साथ मेरे अच्छे संबंधों की बदौलत मुझे ऊपरी कमाई में ज्यादा हिस्सा मिलता है, फिर मैं उन के साथ अकसर दौरे पर जाती हूं तो तब टीएडीए आदि का मोटा बिल भी बन जाता है. यह सब मैं इस परिवार के लिए कर रही हूं. तुम कहो तो मैं नौकरी छोड़ कर घर पर बैठ जाती हूं, फिर देखती हूं तुम कैसे घर चलाते हो?“

अमित ने ज्यादा बात बढ़ाना उचित नहीं समझा. वह जानता था कि प्रमिला से बहस करना बेकार है. वह प्रमिला को जब तक रंगे हाथों नहीं पकड़ लेता तब तक वह उस पर हावी ही रहेगी. अमित के बुजुर्ग पिता ने भी उसे चुप रहने की सलाह दी. वे जानते थे कि घर में अगर रोजाना कलह होते रहेंगे तो घर का माहौल खराब हो जाता है और घर में सुखशांति भी नहीं रहती है.

उन्होंने अमित को समझाते हुए कहा,”बेटा अमित, बहू से झगड़ा मत करो, उस पर अगर इश्क का भूत सवार होगा तो वह तुम्हारी एक भी बात नहीं सुनेगी. इस समय उलटा चोर कोतवाल को डांटने वाली स्थिति बनी हुई है. जब उस की अक्ल ठिकाने आएगी तब सबकुछ ठीक हो जाएगा.

“बेटा, वक्त बड़ा बलवान होता है. आज उस का वक्त है तो कल हमारा भी वक्त आएगा.“

अपने उम्रदराज पिता की बात सुन कर अमित ने खामोश रहने का निर्णय ले लिया.

एक दिन जब प्रमिला अपने घर जाने के लिए रवाना हो रही थी, तभी उसे शंकर ने बुलाया.

“प्रमिला, हमारे हाथ एक बहुत बड़ा बकरा लगने वाला है. याद रखना किसी को खबर न हो पाए. कल सुबह 4 बजे हमारी टीम एबी ऐंड कंपनी के मालिक के घर पर छापा डालने वाली है. कंपनी के मालिक सुरेश का बंगला नैपियंसी रोड पर है. हम आज रात उस के बंगले के ठीक सामने स्थित होटल हिलटोन में ठहरेंगे. मैं ने हम दोनों के लिए वहां पर एक कमरा बुक कर दिया है. टीम के बाकी सदस्य सुबह हमारे होटल में पहुंचेंगे, इस के बाद हमारी टीम आगे की काररवाई के लिए रवाना हो जाएगी. तुम जल्दी से अपने घर चली जाओ और तैयारी कर के रात 9 बजे सीधे होटल पहुंच जाना, मैं तुम्हें वहीं पर मिलूंगा.“

“यस सर, मैं पहुँच जाऊंगी…” कहते हुए प्रमिला थाने से बाहर निकल गई.

सुबह ठीक 4 बजे सायरन की आवाज गूंज उठी. 2 जीपों में सवार पुलिसकर्मियों ने एबी कंपनी के बंगले को घेर लिया. गहरी नींद में सो रहे बंगले के चौकीदार हडबड़ा कर उठ गए. पुलिस को गेट पर देखते ही उनकी घिग्घी बंध गई. चौकीदारों ने गेट खोल दिया. कंपनी के मालिक सुरेश के घर वालों की समझ में कुछ आता इस से पहले पुलिस ने उन सब को एक कमरे में बंद कर के घर की तलाशी लेनी शुरू कर दी.

प्रमिला को सुरेश के परिवार की महिला सदस्यों को संभालने का जिम्मा सौंपा गया था.

करीब 2 घंटे तक पूरे बंगले की तलाशी जारी रही. छापे के दौरान पुलिस ने बहुत सारा सामान जब्त कर लिया.

कंपनी का मालिक सुरेश बड़ी खामोशी से पुलिस की काररवाई को देख रहा था. वह भी पहुंचा हुआ खिलाड़ी था, उसे पता था कि शंकर एक नंबर का भ्रष्ट पुलिस अधिकारी है. उसे छापे में जो गैरकानूनी सामान मिला है उस का आधा तो शंकरऔर उस के साथी हड़प लेंगे, फिर बाद में शंकर की थोड़ी जेब गरम कर देगा तो वह मामले को रफादफा भी कर देगा.

बंगले पर छापे के दौरान मिले माल के बारे में सुन कर थाने के अन्य पुलिस वालों के मुंह से लार टपकने लगी. शंकर ने सभी के बीच माल का जल्दी से बंटवारा करना उचित समझा. बंटवारे को ले कर उन के अर्दली और कुछ कौंस्टबलों में झगड़ा भी शुरू हो गया. शंकर ने अपने अर्दली और अन्य कौंस्टबलों को समझाया मगर उन के बीच लड़ाई कम होने के बजाय बढ़ती ही गई.

शंकर ने छापे में मिला हुआ कुछ महंगा सामान उसी होटल के कमरे में छिपा कर रखा था. इधर बंटवारे से नाराज अर्दली और 2 कौंस्टेबल शंकर से बदला लेने की योजना बनाने लगे.

उन्होंने तुरंत अपने इलाके के एसपी आलोक प्रसाद को सारी घटना की जानकारी दी. उन्हें यह भी बताया कि शंकर और प्रमिला हिलटोन होटल में रूके हुए हैं.

उन्हें रंगे हाथ पकड़ने का यह सुनहरा मौका है. एसपी आलोक प्रसाद को यह भी सूचना दी गई कि कंपनी मालिक के घर पर पड़े छापे के दौरान बरामद माल का एक बड़ा हिस्सा शंकर और प्रमिला ने अपने कब्जे में रखा था, जो उसी होटल में रखा हुआ है.

एसपी आलोक प्रसाद अपनी टीम के साथ तुरंत होटल हिलटोन पर पहुंच गए. इस मौके पर कंपनी के मालिक के साथसाथ शंकर की पत्नी और प्रमिला के पति को भी होटल पर बुला लिया गया ताकि शंकर और प्रमिला के बीच के अवैध संबंधों का पर्दाफाश हो सके.

एसपी आलोक प्रसाद ने डुप्लीकैट चाबी से होटल के कमरे का दरवाजा खुलवाया, तो कमरे में शंकर और प्रमिला को बिस्तर पर नग्न अवस्था में सोए देख कर सभी हैरान रह गए.

एसपी को सामने देख कर शंकर की हालत पतली हो गई. वह बिस्तर से कूद कर अपनेआप को संभालते हुए उन्हें सैल्यूट करने लगा.

शंकर के सैल्यूट का जवाब देते हुए आलोक प्रसाद ने व्यंग्य से कहा,”शंकर पहले कपड़े पहन लो, फिर सैल्यूट करना. यह तुम्हारे साथ कौन है? इसे भी कपड़े पहनने के लिए कहो…”

प्रमिला की समझ में कुछ नहीं आया कि यह सब क्या हो रहा है. वह दौड़ कर बाथरूम में चली गई.

कुछ देर के बाद आलोक प्रसाद ने सभी को अंदर बुलाया. शंकर की पत्नी तो भूखी शेरनी की तरह शंकर पर झपटने लगी. वहां मौजूद लोगों ने किसी तरह बीचबचाव किया.

आलोक प्रसाद ने प्रमिला के पति की ओर मुखातिब होते हुए कहा,”अमित, अपनी पत्नी को बाथरूम से बाहर बुला दो, बहुत देर से अंदर बैठी है, पसीने से तरबतर हो गई होगी…”

“प्रमिला बाहर आ जाओ, अब अपना मुंह छिपाने से कोई फायदा नहीं है, तुम्हारा मुंह तो काला हो चुका है और तुम्हारी करतूतों का पर्दाफाश भी हो चुका है,“ अमित तैश में आ कर कहा.

प्रमिला नजरें और सिर झुकाते हुए बाथरूम से बाहर आई. उसे देखते ही अमित आगबबूला हो उठा और वह प्रमिला पर झपटने के लिए आगे बढ़ा, मगर उसे भी समझा कर रोक दिया गया.

“अमित, अब पुलिस अपना काम करेगी. इन दोनों को इन के अपराधों की सजा जरूर मिलेगी…” कहते हुए आलोक प्रसाद शंकर के करीब पहुंचे  और उन के कंधे पर हाथ रखते हुए बोले,”शंकर, कंपनी मालिक के घर छापे के दौरान जब्त माल कहां है? जल्दी से बाहर निकालो. कोई भी सामान छिपाने की तुम्हारी कोशिश नाकाम होगी, क्योंकि इस वक्त हमारे बीच कंपनी का मालिक भी मौजूद है.”

शंकर ने प्रमिला को अंदर से बैग लाने को कहा. प्रमिला चुपचाप एक बड़ा सूटकेस ले कर आई.

भारीभरकम सूटकेस देख कर आलोक प्रसाद ने एक इंस्पैक्टर से कहा,”सूटकेस अपने कब्जे में ले लो और इन दोनों को पुलिस स्टैशन ले कर चलो. अब आगे की काररवाई वहीं होगी.“

सिर झुकाए हुए शंकर और प्रमिला एक कौंस्टेबल के साथ कमरे से बाहर निकल गए हैं.

एसपी आलोक प्रसाद शंकर और प्रमिला को रोक कर बोले,”आप दोनों एक बात याद रखना, जो आदमी अपने परिवार को धोखे में रख कर उस के साथ अन्याय करता है, अनैतिक संबंधों में लिप्त हो कर अपने परिवार की सुखशांति भंग करता है और जो अपनी नौकरी के साथ बेईमानी करता है, उसे एक न एक दिन बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है.”

वे दोनों सिर झुकाए चुपचाप खङे थे. उन्हें पता था कि अब आगे न सिर्फ उन की नौकरी छिन जाएगी, बल्कि जेल भी जाना होगा.

लालच और वासना ने दोनों को मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा था.

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