प्यार में खुद को न मिटाएं

असम के होम ऐंड पौलिटिकल सैक्रेटरी शिलादित्य चेतिया ने 18 जून, 2024 को गुवाहाटी के एक प्राइवेट हौस्पिटल के आईसीयू में पत्नी की लाश के सामने ही अपनी सर्विस रिवौल्वर से खुद को गोली मार ली. पत्नी की मौत के कुछ मिनटों बाद ही उन्होंने अपनी जान दे दी.

उसी अस्पताल में कुछ देर पहले उन की पत्नी की मौत कैंसर से हो गई थी. 44 साल के शिलादित्य चेतिया राष्ट्रपति के वीरता पदक से सम्मानित आईपीएस अधिकारी थे.

दरअसल, शिलादित्य चेतिया की पत्नी ब्रेन ट्यूमर से पीडि़त थीं और पिछले कुछ महीनों से अस्पताल में भरती थीं. शिलादित्य चेतिया पिछले 4 महीनों से छुट्टी ले कर अपनी पत्नी का इलाज करा रहे थे.

शिलादित्य की पत्नी अगमोनी बोरबरुआ की उम्र 40 साल थी. नेमकेयर अस्पताल में शाम के 4 बज कर 25 मिनट पर उन की मौत हो गई.

10 मिनट बाद ही आईपीएस अधिकारी शिलादित्य चेतिया ने भी दुनिया छोड़ दी.

पत्नी की मौत के बाद पहले वे आईसीयू केबिन में गए और मैडिकल स्टाफ से कहा कि वे अपनी पत्नी की लाश के पास प्रार्थना करना चाहते हैं, इसलिए उन्हें कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दिया जाए. इस के बाद उन्होंने अपनी सर्विस रिवौल्वर से अपनी ही जान दे दी.

इसी तरह 18 जून, 2024 को ही उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में एक शादीशुदा जोड़े ने भी साथ जीनेमरने का वादा निभाया. पत्नी की मौत के कुछ घंटे बाद ही बुजुर्ग पति ने भी दम तोड़ दिया.

दरअसल, 70 साल की पार्वती प्रजापति और 75 साल के मगन प्रजापति की शादी 50 साल पहले हुई थी. पिछले कुछ समय से पार्वती काफी बीमार चल रही थीं.

17 जून, 2024 की रात को उन की मौत हो गई.

18 जून की सुबह जब पति मगन प्रजापति चाय ले कर उन के पास पहुंचे, तो देखा कि वे बिस्तर पर मरी हुई पड़ी थीं. उन की मौत से पति मगन सदमे में आ गए.

रिवाज के मुताबिक, जब पति मगन आखिरी बार उन की मांग में सिंदूर भरने लगे तो अचानक से उन की भी हालत खराब हो गई और कुछ ही देर में उन्होंने भी दम तोड़ दिया. इस के बाद पतिपत्नी का एकसाथ अंतिम संस्कार किया गया.

इसी तरह 9 अप्रैल, 2024 को उत्तर प्रदेश के एटा से एक सच्चे प्यार का मामला सामने आया था. बीमार पति की इलाज के दौरान मौत हो गई.

यह सूचना जैसे ही पत्नी को मिली कि उस का पति इस दुनिया में नहीं रहा, तो वह रोने लगी. फिर अचानक ही उस की भी मौत हो गई. पत्नी की मौत के साथ ही 2 बच्चे अनाथ हो गए.

यह मामला कोतवाली अलीगंज का है. 50 साल के ओम नारायण उर्फ राजू की कुछ दिन पहले तबीयत खराब हो गई थी, जिन का इलाज चल रहा था. वे सही हो गए थे. पर फिर ओम नारायण की अचानक फिर से तबीयत बिगड़ गई थी. वे फर्रुखाबाद के एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए ले जाए गए, जहां उन की मौत हो गई.

जब इस बात की सूचना उन की पत्नी मोहिनी को हुई, तो वह रोने लगीं. जैसे ही पति की लाश घर पर आई, तो वे और तेज रोने लगीं.

तभी अचानक मोहिनी की भी तबीयत खराब हो गई. जब तक परिवार वाले उन्हें संभाल पाते, तब तक उन की भी मौत हो गई. दोनों का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर हुआ.

इन घटनाओं के बारे में जान कर दिल को यह अहसास जरूर होता है कि आज भी प्यार जिंदा है. किसी को इस हद तक चाहना कि उस के बगैर जीने की चाह ही खत्म हो जाए और इनसान खुद ही अपना वजूद खत्म कर दे, बहुत मुश्किल है. पर ऐसी कहानियां हम अकसर फिल्मों में जरूर देखते हैं.

प्यार क्या है

प्यार क्या है? किसी को पाना या खुद को खो देना? यह एक बंधन या फिर आजादी? यह जिंदगी है या फिर जहर?

दरअसल, प्यार का मतलब है कि कोई और आप से कहीं ज्यादा खास हो चुका है. जैसे ही आप किसी से कहते हैं कि मैं तुम से प्यार करता हूं, आप अपनी आजादी खो देते हैं. आप की मरजी में अब उस की मरजी भी शामिल हो जाती है. आप के पास जो भी है, वह उस का भी हो जाता है. आप की खुशी उस की खुशी में शामिल हो जाती है. उस के गम आप अपने दिल में महसूस करने लगते हैं. जिंदगी में आप जो भी करना चाहते हैं, वह उस के साथ मिल कर करने की ख्वाहिश रखने लगते हैं. उस के बिना आप को अपना वजूद ही अधूरा लगने लगता है यानी प्यार बड़ी खूबसूरती से खुद को मिटा देने वाली हालत है.

अगर आप खुद को नहीं मिटाते, तो आप कभी प्यार को जान ही नहीं पाएंगे. आप के अंदर का कोई न कोई हिस्सा मरना ही चाहिए. आप के अंदर का वह हिस्सा जो अभी तक आप का था, वह मिट कर उस का हो जाता है. कोई और इनसान उस हिस्से की जगह ले लेता है.

दरअसल, जब हमें किसी से प्यार होता है, तो हमारे दिमाग में एक रासायनिक मिश्रण निकलता है, जो हमारी हरकतों और भावनाओं को प्रभावित करता है. डोपामाइन जैसे हार्मोन की वजह से उत्तेजना और खुशी महसूस होती है, जबकि औक्सीटोसिन जैसे हार्मोन से हमें अपने प्यार में विश्वास और भावनाएं आती हैं.

ये हार्मोन हमें अंदर से खुश रखते हैं, जिस वजह से हम अपने पार्टनर के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहते हैं. हमारे दिमाग को सम?ा आ जाता है कि इस रिश्ते में हमें खुशी मिलती है और उस वजह से हम एक तरह से इस फीलिंग के आदी यानी एडिक्ट से हो जाते हैं. प्यार एक तरह का नशा ही है, जिस के बिना हमें अपना वजूद अधूरा लगने लगता है.

इस तरह का सच्चा प्यार आजकल ज्यादातर रिश्तों में नजर नहीं आता है. जराजरा सी बात पर पार्टनर पर हाथ उठा देना, ?ागड़े करना, दूर हो जाना, बात नहीं करना और यहां तक की तलाक ले लेना बहुत आम हो गया है.

वैसे भी आज के समय में नाजायज रिश्ते बनाने मुश्किल नहीं. मोबाइल और इंटरनैट के जरीए दूसरों के संपर्क में आने के बहुत से रास्ते खुले हुए हैं, तभी तो लोग शादी में रहते हुए भी किसी और के साथ रिश्ते बना लेते हैं, पार्टनर से ?ाठ बोलते हैं, उसे बेवकूफ बनाते हैं और कई दफा तो बात इतनी बढ़ जाती है कि वे एकदूसरे के ही खून के प्यासे बन जाते हैं. बहुत आसानी से पार्टनर को मौत की नींद सुला देते हैं, ताकि आजाद हो जाएं. पर यह आजादी प्यार नहीं है. प्यार तो वह बंधन है, जो किसी भी हालत में आप को पार्टनर से जोड़े रखता है.

मेरी शादी करने की उम्र हो गई है पर मेरे घरवाले ध्यान नहीं देते, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 28 साल की एक कुंआरी लड़की हूं. इतनी उम्र हो जाने के बाद भी मेरे घर वाले मेरी शादी नहीं कराना चाहते हैं, क्योंकि मैं घर में एकलौती कमाने वाली हूं. वे मेरी कमाई खाने के इतने ज्यादा आदी हो गए हैं कि अगर कोई मेरे लिए रिश्ता बताता भी है, तो वे उस पर ध्यान नहीं देते हैं. इस बात से मैं बहुत ज्यादा तनाव में रहती हूं. मेरा खुदकुशी करने का मन करता है. मैं क्या करूं?

जवाब

आप जैसी लाखों लड़कियां अपने घर वालों की खुदगर्जी की सजा भुगत रही हैं. घर वाले निकम्मेपन, आलसीपन और मुफ्तखोरी की आदत के चलते लड़की की शादी नहीं होने देते. खुदकुशी का खयाल मन में न आने दें. जिंदगी अपनी मरजी से जिएं और मनपसंद जगह शादी भी करें.

उन घर वालों की फिक्र न करें, जिन्हें आप की जिंदगी और भविष्य से कोई वास्ता नहीं. खाने को नहीं मिलेगा तो भूख लगने पर उन के हाथपैर खुद ब खुद चलने लगेंगे. हां, जब कभी आप को लगे कि उन्हें वाकई जरूरत है, तो छोटीमोटी मदद कर देना. इस से आप को भी सुकून मिलेगा.

ये भी पढ़ें- मैं पैसा कमाता हूं पर मेरी पत्नी मुझे कामचोर समझती है, मैं क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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6 टिप्स: जानें सेक्स के दौरान महिलाओं को कौन सी चीज बना देती है दीवाना

महिलाओं का सेक्स आनंद एक ऐसा विषय है जिस पर अक्सर काफी अध्ययन और सर्वे किया जाता रहा है. लेकिन अब तक की गई रिसर्च सामान्य ही रही है. जैसे कि यह एक जाना माना तथ्य है कि फोरप्ले और विविधता लड़कियों के चरम के लिए अच्छे हैं.

  1. रसभरी जानकारियां

किन्तु विशिष्ट जानकारी का क्या? जब बात महिलाओं को एक विशेष तरीके से स्पर्श करने की आती है, तो शायद अब तक की गई शोध कोई खास मददगार साबित नही हो पाती. उंगली को असल में कहां घुमाना है, किस तरह से घुमाना है और कितना स्पर्श जरूरी है.

महिलाओं के ओर्गास्म और सेक्स आनंद की रसभरी और विशिष्ट जानकारी पाने के लिए प्रतिबद्ध शोधकर्ता समूह ने अलग अलग उम्र की 1000 महिलाओं पर एक सर्वे किया. यह सर्वे ओ एम जी व्हाई रिसर्च कंपनी की प्लेजर रिपोर्ट सर्वे का हिस्सा था. यह संस्थान महिला सेक्स आनंद से जुड़े तथ्यों पर वेबसाइट चलाता है.

गोपनीय रखे गए सर्वे में महिलाओं से शोधकर्ताओं ने इस तरह के प्रश्न पूछे, जैसे कि: कितना दबाव पर्याप्त लगता है? आपके साथी के कौनसे स्पर्श ने आपको सबसे ज़्यादा आनंद दिया? कुछ ओर्गास्म दूसरे ओर्गास्म से बेहतर क्यों लगते हैं? आपको एक से अधिक ओर्गास्म एक साथ होते हैं?

2. एहसास को लाजवाब क्या बनाता है?

रिसर्चकर्ताओं ने जाना कि सहवास के दौरान होने वाले ओर्गास्म में भगशिश्न (क्लाइटोरिस) की अहम भूमिका है. करीब 36 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि इसके बिना उन्हें ओर्गास्म नही होता और 36 प्रतिशत ने कहा कि क्लाइटोरिस उत्तेजन उनके ओर्गास्म को बेहतर बना देता है.

बेहतर ओर्गास्म की बात की जाए तो महिलाओं ने माना कि ओर्गास्म के आनंद का स्तर अलग अलग होता है. तो एक ओर्गास्म को दूसरे से बेहतर कैसे किया जा सकता है? 75 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उत्तेजना यदि धीरे धीरे बने, तो उसका अंत फल ज्यादा मीठा महसूस होता है. करीब आधी महिलाओं का ये भी कहना था कि अगर उनके साथी के प्रति उनका भावनात्मक जुड़ाव हो तो भी ओर्गास्म बेहतर महसूस होता है. एक दिलचस्प तथ्य ये था कि अधिकतर महिलाओं ने कहा कि सेक्स के देर तक चलने का ओर्गास्म के बेहतर होने से कोई संबंध नहीं है.

3. सही स्पर्श

जननांग के स्पर्श  के मामले में सही जगह और तरीका काफी हद तक महिला विशेष की पसंद पर ही निर्भर था. जैसे कि करीब हर 3 में से 2 महिलाओं ने कहा कि क्लाइटोरिस पर सीधा स्पर्श उन्हें पसंद था जबकि 45 प्रतिशत को सीधा स्पर्श नापसन्द था.

अधिकतर महिलाओं को हल्का, कम दबाव का स्पर्श पसंद था. रिसर्चकर्ताओं ने यह भी पाया कि केवल 10 प्रतिशत महिलाओं को अधिक दबाव से अच्छा महसूस होता है.

4. गति की महत्ता

गति का महत्व भी इस रिसर्च में समझाया गया. 60 प्रतिशत महिलाओं को ऊपर नीचे की लय पसंद थी, जबकि आधी से ज़्यादा को गोल गति. 20-30 प्रतिशत महिलाओं को एक तरफ़ से दूसरी तरफ़ की गति और दबाव अधिक सुहाता था.

कुछ तकनीक महिलाओं को बेसुध कर देने में सक्षम है, शोधकर्ताओं ने जाना. एक विशेष लय में स्पर्श, गोलाई में छुअन और फिर गतियों और लय का मिश्रण- ये सभी अच्छे तरीके हैं. तीव्रता में भी विविधता लाना आवश्यक है.

5. आनंद वृद्धि

ओर्गास्म को विलम्बित करना सेक्स के आनंद को दोगुना करने में सक्षम हो सकता है. आखिर ये कैसे किया जाता है? अध्ययन में भाग लेने वाली महिलाओं ने बताया कि उत्तेजक अंगों पर स्पर्श रोक कर कुछ पल बाद फिर से कम तीव्र लय से शुरुआत करने से ऐसा किया जा सकता है.

करीब आधी महिलाओं को बहु ओर्गास्म हो चुके थे. 53 प्रतिशत के अनुसार ओर्गास्म के बाद फिर से शुरुआत से शुरू करना बेहतर है, 33 प्रतिशत ने माना कि ओर्गास्म के बाद उत्तेजन वहीं से जारी बेहतर है और इसी संख्या में महिलाओं ने कहा कि ओर्गास्म के बाद कुछ अलग तरह के उत्तेजन की आवश्यकता होती है.

6. संवाद कुंजी है

ये तो स्पष्ट है कि महिलाओं के सेक्स आनंद में काफी विभिन्नताएं हैं. शोधकर्ता मानते हैं कि धीरे, तेज, ऊपर नीचे, हल्का दबाव, ज़्यादा दबाव, हर महिला की व्यक्तिगत पसंद नापसंद हो सकती है.

इसलिए समझने वाली बात ये है कि अंदाजा लगाने की बजाय महिला की पसंद जानने के लिए दोनों साथियों के बीच बेहतर संवाद हो. बेहतर आनंद के लिए चार बातें पता लगाना जरूरी है – स्थान, दबाव, लय और गति.

लाल गुलाब : विजय की मौत कैसे हुई

जयपुर रेलवे स्टेशन पर ‘अजमेरदिल्ली शताब्दी’ ट्रेन खड़ी थी. आकाश तेजी से कदम बढ़ाता हुआ कंपार्टमैंट में चढ़ा. अपनी सीट पर बैठने लगा तो उस की नजर बराबर की सीट पर बैठी एक प्यारी सी 3 साल की बच्ची पर पड़ी, जो एक औरत के साथ बैठी थी.

औरत को गौर से देखते ही आकाश चौंक उठा. उस के मुंह से निकला, ‘‘माधवी…’’

माधवी ने जैसे ही आकाश की ओर देखा तो वह भी चौंक उठी और बोली, ‘‘अरे, आप?’’

एकदूसरे को देख कर उन दोनों के चेहरे पर खुशी बढ़ गई.

‘‘बड़ी प्यारी बच्ची है. क्या नाम है इस का?’’ आकाश ने बच्ची की ओर देख कर पूछा.

‘‘सोनम.’’

‘‘बहुत प्यारा नाम है,’’ आकाश ने कहा और बच्ची के सिर पर हाथ फेरा.

‘‘कहां से आ रहे हैं आप?’’ माधवी ने पूछा.

‘‘कंपनी के काम से मैं जयपुर आया था. और तुम?’’

‘‘मैं भी मौसेरी बहन की शादी में जयपुर आई थी.’’

रात के 8 बजने को थे. ट्रेन चल दी.

आज आकाश और माधवी अचानक ही 7-8 साल बाद मिले थे. दोनों के

मन में बहुत से सवाल उठ रहे थे. तभी सोनम ने माधवी के कान में कुछ कहा और माधवी उसे वाशरूम की तरफ ले कर चल दी.

आकाश सीट पर सिर लगा कर आराम से बैठ गया और आंखें बंद कर लीं. भूलीबिसरी यादें फिर से ताजा होने लगीं.

आकाश जब कंप्यूटर इंजीनियरिंग कर चुका था, उस ने अपने एक दोस्त की शादी में माधवी को पहली बार देखा था. माधवी की खूबसूरती पर वह मरमिटा था.

आकाश ने अपने उस दोस्त से ही माधवी के बारे में पता कर लिया था. वह अभी एमए में पढ़ रही थी. परिवार में मातापिता व एक छोटा भाई था. पिता का अपना कारोबार था.

आकाश माधवी से मिलना और उस से बात करना चाहता था, पर समझ नहीं पा रहा था कि कैसे मिले?

एक दिन आकाश स्कूटर पर किसी काम से जा रहा था, तभी उस ने देखा कि सड़क के एक किनारे खड़ी स्कूटी पर माधवी किक मार रही थी, पर वह स्टार्ट नहीं हो रही थी.

आकाश ने माधवी के निकट अपना?स्कूटर रोक कर पूछा था, ‘क्या हुआ माधवीजी?’

अपना नाम सुनते ही माधवी चौंक उठी थी. वह उस की ओर गौर से देख रही थी, पहचानने की कोशिश कर रही थी. वह बोली थी, ‘मैं ने आप को पहचाना नहीं मिस्टर…?’

‘आकाश नाम है मेरा. आप मेरी भाभी की सहेली हैं. मेरे दोस्त का नाम राजन है. मैं ने आप को राजन की शादी में देखा था. मैं इस समय आप की मदद करना चाहता हूं. आगे चौक पर स्कूटर मिस्त्री की दुकान है. आप मेरा स्कूटर ले जाइए. मैं आप की स्कूटी पैदल ले कर पहुंच रहा हूं. यह हम से स्टार्ट नहीं होगी. इसे मिस्त्री ही ठीक करेगा,’ आकाश ने कहा था.

माधवी मना नहीं कर सकी थी और उस का स्कूटर ले कर मिस्त्री की दुकान पर पहुंच गई थी.

कुछ देर बाद आकाश भी स्कूटी धकेलता हुआ मिस्त्री की दुकान पर जा पहुंचा था.

स्कूटर ठीक करा कर चलते हुए माधवी ने खुश होते हुए कहा था, ‘थैंक्स मिस्टर आकाश.’

इस के बाद दोनों की मुलाकातें बढ़ने लगी थीं. वे दोनों शादी कर के घर बसाने के सपने देखने लगे थे.

एक दिन माधवी की उदासी में डूबी आवाज मोबाइल पर सुनाई दी थी, ‘आकाश, शाम को पटेल पार्क में मिलना.’

‘क्या बात है माधवी? तुम बहुत उदास लग रही हो,’ आकाश ने पूछा था.

‘हां आकाश, पापा ने हमारी शादी को मना कर दिया है.’

‘क्यों?’

‘वे कहते हैं कि हम अपनी बिरादरी में ही शादी करेंगे. मम्मी को तो मैं ने किसी तरह मना लिया था, पर पापा नहीं माने. उन का कहना है कि हमारी जाति ऊंची है. मेरे पापा जातबिरादरी और छुआछूत को बहुत मानते हैं.’

‘अब क्या होगा माधवी?’

‘सारी बातें फोन पर नहीं होंगी. मैं शाम को पार्क में मिलती हूं.’

शाम को आकाश पार्क में पहुंच कर बेसब्री से माधवी का इंतजार करने लगा.

कुछ देर बाद माधवी पार्क में आई और उदास लहजे में बोली, ‘अब क्या होगा आकाश?’

‘मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए.’

‘अब तो एक ही उपाय है कि हम दोनों घर से भाग कर कोर्ट मैरिज कर लें.’

‘वह सब तो ठीक है, लेकिन माधवी मैं अभी बेरोजगार हूं. जल्दी से नौकरी मिलती कहां है? बहुत कंपीटिशन है. हमें घर से नहीं भागना है. औलाद के घर से भागने पर मांबाप को बहुत बेइज्जती सहनी पड़ती है.

‘जिन मातापिता ने हमें पालपोस कर बड़ा किया, हमें पढ़ायालिखाया, हमारी हर जरूरत पूरी की, हम उन को  बेइज्जत क्यों महसूस होने दें,’ आकाश ने माधवी को समझाते हुए कहा था.

‘मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती.’

‘माधवी, एक बात जान लो कि हर प्रेमी को उस की मंजिल नहीं मिलती. हम ने हमेशा साथ रहने का वादा किया था, पर मजबूरी है कि मैं इस वादे को पूरा नहीं करा पा रहा हूं.’

कुछ देर बाद दोनों भारी मन से पार्क से बाहर निकले थे.

आकाश नौकरी की खोज में लग गया था. एक साल बाद उसे आगरा में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिल गई थी.

‘‘क्या सोच रहे हैं आप?’’ माधवी ने वाशरूम से सोनम के साथ आते ही पूछा.

‘‘पुरानी यादों में खो गया था.’’

‘‘अब तो बस यादें ही रह गई हैं.’’

‘‘सोनम के पापा का क्या नाम है?’’

‘‘विजय.’’

‘‘तुम यहां अकेली आई हो? उन को शादी में साथ नहीं लाई?’’

‘‘वे नहीं रहे. एक साल पहले उन का एक्सिडैंट हो गया था.’’

‘‘ओह…’’ आकाश के मुंह से निकला. उस ने माधवी की तरफ देखा. उस का चेहरा भी कुछ कमजोर सा हो गया था. चेहरे का रंगरूप और आकर्षण भी काफी ढल चुका था.

कुछ पल के लिए वे दोनों चुप हो गए, फिर आकाश ने पूछा, ‘‘माधवी, मुझे आगरा में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिल गई थी. एक दिन राजन ने बता दिया कि तुम्हारी शादी हो चुकी है और शादी के बाद तुम दिल्ली पहुंची गई हो.

‘‘मैं फोन कर के तुम्हारी शादीशुदा जिंदगी में आग नहीं लगाना चाहता था, इसलिए मैं ने मोबाइल से तुम्हारा नंबर ही हटा दिया था, पर मैं तुम्हें दिल से नहीं भुला पाया.’’

माधवी बोल उठी, ‘‘जब तुम नौकरी करने आगरा चले गए तो पापा ने हमारी बिरादरी के ही एक लड़के विजय से मेरी शादी कर दी. मैं ने कोई खिलाफत नहीं की.

‘‘विजय दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे. परिवार में केवल उन की मां थीं. वे सिगरेट, शराब और गुटके के बहुत शौकीन थे. देखने में खूबसूरत थे, पर दिल काला था. रोजाना शराब पीना, गाली देना और कठोर शब्द बोलना उन की आदत में शामिल था. कभीकभार वे मारपीट भी कर देते थे.

‘‘न जाने किस ने हमारे बारे में विजय को बता दिया था. बस, फिर क्या था. बातबात में मुझे ताने दिए जाने लगे.

‘‘एक रात तकरीबन 10 बजे थे. उस समय सोनम केवल एक साल की थी. पता नहीं, क्या हो गया था उसे, वह रो रही थी. वह चुप ही नहीं हो रही थी. मैं उसे सुलाने की कोशिश कर रही थी कि तभी विजय ने मुझे घूरते हुए कहा था, ‘अबे, इसे अपने यार के पास छोड़ आ, जिस की निशानी है यह.’

‘‘मैं ने भी तुरंत कह दिया था, ‘नहीं, यह तो आप की बेटी है.’

‘‘पर, वे नहीं माने और बोले, ‘रहने दे झूठी कहीं की. मैं तेरा विश्वास तब करूंगा, जब तू यह जलती सिगरेट अपने सीने से लगा लेगी.’

‘‘मैं ने भी आव देखा न ताव और कह दिया, ‘मैं यह भी कर सकती हूं.’

‘‘यह कहते हुए मैं ने जलती सिगरेट अपने सीने से लगा ली. जलन और दर्द के चलते मुंह से चीख निकल रही थी, पर मैं सब दुखदर्द चुपचाप पी गई थी.

‘‘उस रात मैं सो नहीं पाई थी. सारी रात रोती रही कि प्रेम करने की ऐसी सजा उन को ही मिलती है, जिन की प्रेमी से शादी नहीं हो पाती.

‘‘इस का भी विजय पर कोई असर नहीं पड़ा था. ताने और गाली उसी तरह चलती रही.

‘‘एक दिन मैं मायके आई, तो मैं ने पापा से कहा था, ‘पापाजी, अब तो आप बहुत खुश होंगे कि आप ने अपनी बेटी की शादी अपनी बिरादरी में ही की है. अब तो आप की खूब इज्जत हो रही होगी. भले ही बेटी तड़पतड़प कर मर जाए.’

‘‘यह कहते हुए मैं ने पापा को छाती पर सिगरेट के जलने के निशान दिखाए. देखते ही मम्मीपापा की आंखों में आंसू आ गए.

‘‘पापा ने भर्राई आवाज में कहा था, ‘बेटी, मैं तेरा गुनाहगार हूं. मेरी बहुत बड़ी भूल रही कि मैं ने विजय के बारे में पता नहीं कराया. बस मेरी आंखों पर तो बिरादरी में शादी करने की पट्टी बंधी थी. वह इतना बेरहम होगा, कभी सपने में भी नहीं सोचा था.’

‘‘तभी मम्मी रोते हुए बोली थीं, ‘बेटी, तुम वहां दुखी रहती हो और हम यहां तेरे बारे में सोच कर दुखी हैं. कभीकभी तो रात को सो भी नहीं पाते. भला जिस मातापिता की बेटी ससुराल में दुखी हो, वे रात को आराम से कैसे सो सकते हैं.’

‘‘तभी पापा ने कहा था, ‘बस बेटी, अब और सहन नहीं करेगी तू. अब तुझे वहां जाने की भी जरूरत नहीं है. मैं उस जालिम से तेरा पीछे छुड़ा दूंगा. 1-2 दिन में वकील से तलाक लेने की बात करता हूं.’

‘‘मैं चुप रही. मुझे लगा कि अब पापा का फैसला ठीक है.

‘‘2 दिन बाद ही मुझे मोबाइल पर सूचना मिली कि हरिद्वार जाते समय विजय की कार का एक्सिडैंट हो गया और वे चल बसे.

‘‘विजय के मरने का मुझे जरा भी दुख नहीं हुआ. विजय की मां भी 3 महीने बाद चल बसीं.

‘‘मुझे उसी कंपनी में नौकरी मिल गई. अब तो मैं अपनी बेटी के साथ चैन से रह रही हूं,’’ माधवी ने अपने बारे में बताया.

यह सुन कर आकाश कुछ सोचने लगा.

‘‘तुम अपने बारे में कुछ नहीं बताओगे क्या? पत्नी का क्या नाम है? बच्चों के क्या नाम हैं?’’ माधवी ने पूछा.

आकाश ने लंबी सांस छोड़ कर कहना शुरू किया, ‘‘माधवी, तुम्हारी शादी हो जाने के बाद मैं ने भी शादी कर ली. पत्नी के रूप में आई माधुरी उस की एक बड़ी बहन थी मीनाक्षी. वह माधुरी से 5 साल बड़ी थी. उस का पति काफी अमीर था. अच्छाखासा कारोबार था.

‘‘मैं ने सोचा भी नहीं था कि माधुरी की इच्छाएं इतनी ऊंची हैं. वह हमेशा कह देती कि इतनी छोटी सी नौकरी में जिंदगी कैसे चलेगी? जीजाजी की तरह कोई कारोबार कर लो.

‘‘माधुरी के जीजा प्रदीप ने माधुरी पर अपनी धनदौलत का ऐसा सुनहरा जाल फेंका कि वह उस में उलझती चली गई. वह जब देखो, अपने जीजा की ही तारीफ करती रहती.

‘‘एक दिन मैं ने गुस्से में कह दिया, ‘जब जीजा ही इतना प्यारा लगता है तो उस से ही शादी कर लेनी चाहिए थी.’

‘‘इस पर वह बोली, ‘शादी कैसे कर लेती? वहां तो पहले ही मेरी बहन है.’

‘‘मैं ने झल्ला कर कहा, ‘रखैल बन जाओ उस की और मेरा पीछा छोड़ो.’

इस पर माधुरी ने बुरा सा मुंह बना कर कहा था, ‘मैं भी तुम जैसे इनसान के साथ नहीं रहना चाहती, जो कभी अपनी तरक्की के बारे में न सोचे.’

‘‘उस दिन के बाद मुझे माधुरी से नफरत हो गई थी. धीरेधीरे माधुरी और प्रदीप के बीच की दूरी घटती चली गई. वह कभी भी प्रदीप के पास पहुंच जाती.

‘‘एक दिन माधुरी एक चिट्ठी लिख कर घर से चली गई. चिट्ठी में लिखा था, ‘मैं अब यहां नहीं रहना चाहती. यहां रहते हुए मैं अधूरी जिंदगी जी रही हूं. मुझे यहां अजीब सी घुटन हो रही है. तुम मेरी इच्छाएं कभी पूरी नहीं कर सकते हो. मैं अपने जीजा के पास जा रही हूं. मुझे वापस बुलाने की कोशिश भी मत करना.’

‘‘मैं जानता था कि यह तो एक दिन होना ही था. मैं ने अदालत में तलाक का केस कर दिया. एकडेढ़ साल के बाद मुझे तलाक मिल गया. बस, तब से मैं अकेला ही रह रहा हूं माधवी.’’

तकरीबन 11 बजे ट्रेन नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर रुकी.

स्टेशन से बाहर निकल कर आकाश ने एक आटोरिकशा किया और माधवी से कहा, ‘‘बैठो माधवी, रात का समय है. मैं तुम दोनों को अकेले नहीं जाने दूंगा.’’

माधवी भी मना नहीं कर सकी. करोलबाग में एक मकान के बाहर आटोरिकशा रुका. माधवी उतर कर बोली, ‘‘आइए…’’

‘‘नहीं माधवी, फिर कभी. मैं ने तुम्हारा मोबाइल नंबर ले लिया है. फोन पर बात हो जाएगी,’’ आकाश ने कहा और आटोरिकशा वाले को चलने का संकेत किया.

2 दिन बाद रविवार था. सुबह के 7 बज रहे थे. माधवी अलसाई सी लेटी हुई थी. बगल में सोनम सो रही थी.

मोबाइल की घंटी बजने लगी. माधवी ने फोन उठा कर देखा कि आकाश का फोन था. वह बोली, ‘‘हैलो…’’

‘माधवी, जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं,’ उधर से आवाज आई.

यह सुनते ही माधवी चौंक उठी. वह तो अपना जन्मदिन भी भूल गई थी. यहां आ कर तो बहुतकुछ भूल गई. लेकिन आकाश को याद रहा. उस के चेहरे पर खुशी फैल गई. वह बोली, ‘‘आप को याद रहा मेरा जन्मदिन…’’

‘बहुत सी बातें भूली नहीं जातीं. उन को भुलाने की नाकाम कोशिश की जाती है. मैं 10 बजे के बाद आऊंगा.’

‘‘ठीक है. मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी.’’ माधवी ने कहा.

तकरीबन साढ़े 10 बजे आकाश माधवी के मकान पर पहुंचा. उस के हाथों में गहरे लाल रंग के गुलाब के फूल थे.

गुलाब देखते ही माधवी की आंखों की चमक बढ़ गई.

चाय पीते हुए आकाश ने माधवी की ओर देखते हुए कहा, ‘‘देखो माधवी, मैं ने सपने में भी नहीं न सोचा था कि तुम से कभी इस तरह मुलाकात हो पाएगी. इस बीच इतने साल हम दोनों को ही पता नहीं क्याक्या सहन करना पड़ा. मैं तुम्हें अपनाना चाहता हूं.’’

माधवी चुप रही. वह आकाश की ओर गौर से देखने लगी.

‘‘माधवी, तब हमारे सामने मजबूरी थी, पर अब ऐसा नहीं है और फिर बेटी सोनम को भी तो पापा का लाड़प्यार चाहिए. अब हम दोनों को जिंदगी के रास्ते पर अकेले नहीं साथसाथ चलना है,’’ आकाश ने कहा.

माधवी ने मुसकरा कर हामी भर दी. उसे लग रहा था, मानो आज वह किसी पंछी की तरह आसमान में उड़ान भर रही है.

लाश की सवारी : टैक्सी ड्राइवर की कहानी

टैक्सी ड्राइवर को उस सवारी पर शक हुआ था. उस की हरकतें ही कुछ वैसी थीं. उस सवारी ने एयरपोर्ट जाने के लिए टैक्सी बुक कराई थी.

मुमताज हुसैन नाम से उस के ऐप पर बुकिंग हुई थी. इस से पहले कि ड्राइवर जीपीएस की मदद से वहां पहुंचता, तभी मुमताज हुसैन का फोन आ गया था, ‘‘हैलो, आप कहां हो?’’

‘‘बस 2 मिनट में लोकेशन पर पहुंच जाऊंगा,’’ टैक्सी ड्राइवर ने जवाब दिया था और 2 मिनट बाद ही वह उस के लोकेशन पर पहुंच भी गया था.

टैक्सी किनारे कर टैक्सी ड्राइवर उस के टैक्सी में आने का इंतजार करने लगा. उस ने किनारे खड़े लड़के को गौर से देखा.

मुमताज हुसैन तकरीबन 20-22 साल का लड़का था. बड़ी बेचैनी से वह उस का इंतजार कर रहा था. हर आनेजाने वाली टैक्सी को बड़े ही गौर से देख रहा था. खासकर टैक्सी की नंबरप्लेट को वह ध्यान से देखता था.

जैसे ही उस की टैक्सी का नंबर मुमताज हुसैन ने देखा, उस के चेहरे पर संतोष के भाव आ गए. वह सूटकेस उठाने में दिक्कत महसूस कर रहा था. टैक्सी ड्राइवर ने टैक्सी से उतर कर सूटकेस उठाने में उस की मदद की.

ड्राइवर ने सूटकेस रखने के लिए कार की डिक्की खोली थी, पर मुमताज हुसैन उसे अपने साथ पिछली सीट पर ले कर बैठना चाहता था.

ड्राइवर को सूटकेस काफी वजनी लगा था. शायद कोई कीमती चीज थी उस में, जिस के चलते वह उसे अपने साथ ही रखना चाहता था. ठीक भी है. कोई अपने कीमती सामान को अपनी नजर के सामने रखना चाहेगा ही.

दोनों ने साथ उठा कर सूटकेस को टैक्सी की पिछली सीट पर रखा था. टैक्सी की पिछली सीट पर मुमताज हुसैन उस सूटकेस पर ऐसे हाथ रख कर बैठा था मानो हाथ हटाते ही कोई उस सूटकेस को ले भागेगा.

जीपीएस औन कर ड्राइवर ने एयरपोर्ट की ओर गाड़ी मोड़ दी. बैक व्यू मिरर में वह मुमताज हुसैन को बीचबीच में देख लेता था. उस के चेहरे पर बेचैनी थी. वह किसी गहरी सोच में डूबा हुआ था.

वह थोड़ा घबराया हुआ भी लग रहा था. रास्ते में उस ने पहले बेलापुर चलने को कहा. इस से पहले कि अगले मोड़ पर वह टैक्सी को मोड़ पाता, उस ने उसे कुर्ला की ओर चलने का आदेश दिया.

टैक्सी ड्राइवर को उस के बरताव पर शक हुआ. कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है, तभी तो यह कभी यहां तो कभी वहां जाने के लिए कह रहा है.

मलाड से गुजरते हुए मुमताज हुसैन ने टैक्सी रुकवाई. उसे भुगतान कर वह सूटकेस किसी तरह उठा कर एक झड़ी की ओर गया.

टैक्सी ड्राइवर का मुमताज हुसैन पर शक गहरा हो गया. बुकिंग एयरपोर्ट के लिए करवा कर पहले उस ने उसे बेलापुर जाने को कहा, फिर कुर्ला और अब मलाड में उतर गया. कुछ तो गड़बड़ है इस लड़के के साथ.

ड्राइवर नई बुकिंग के इंतजार में वहीं रुक गया और एक ओर गाड़ी खड़ी कर के मुमताज हुसैन की हरकतों पर ध्यान रखने लगा. थोड़ी ही देर में वह चौंक गया.

मुमताज हुसैन ने सूटकेस वहीं झड़ी की ओट में छोड़ एक आटोरिकशा पकड़ लिया और वहां से चल दिया.

कोई भी आदमी अपना सूटकेस छोड़ कर क्यों भागेगा भला? वह भी उस सूटकेस को, जिसे वह डिक्की में न रख कर अपने पास रख कर लाया था. कहीं वह भी किसी झमेले में न पड़ जाए क्योंकि उस लड़के ने उस की टैक्सी को मोबाइल फोन से बुक कराया था. वैसे भी किसी लावारिस सामान की जानकारी पुलिस को देनी ही चाहिए. हो सकता है, सूटकेस में बम हो या बम बनाने का सामान हो या फिर किसी और चीज की स्मगलिंग की जा रही हो.

ड्राइवर ने तुरंत पुलिस को फोन किया और पूरी जानकारी दी. कुछ ही देर में पुलिस वहां पहुंच गई.

पुलिस ने सूटकेस खोला तो उस में एक लड़की की जैसेतैसे मोड़ कर रखी गई लाश मिली. उस के सिर पर जख्मों के निशान थे, जो ज्यादा पुराने नहीं लग रहे थे.

पुलिस ने टैक्सी कंपनी से उस के संबंध में जानकारी ली. वह उस टैक्सी सर्विस का काफी पुराना ग्राहक था. टैक्सी सर्विस से उस के बारे में काफी जानकारी मिली. पुलिस ने जल्दी ही उस की खोज की और 4 घंटे के अंदर वह पकड़ा गया. उस की मोबाइल लोकेशन से यह काम और आसान हो गया था.

पुलिस की सख्त पूछताछ में जो बातें सामने आईं, वे काफी चौंकाने वाली थीं. सूटकेस में जिस लड़की की लाश

थी, वह एक मौडल थी, मानसी. वह पिछले 3 सालों से मुंबई में रह रही थी और मौडलिंग के साथसाथ फिल्म और टैलीविजन की दुनिया में जद्दोजेहद कर रही थी. वह राजस्थान के कोटा शहर की रहने वाली थी. उस का ज्यादातर समय मुंबई में ही बीतता था.

मुमताज हुसैन हैदराबाद का रहने वाला था और एक हफ्ते से मुंबई में था. यहां एक अपार्टमैंट में एक कमरे का फ्लैट उस ने किराए पर ले रखा था, क्योंकि उस का काम के सिलसिले में मुंबई आनाजाना लगा रहता था.

वह एक फ्रीलांस फोटोग्राफर था और हैदराबाद की कई कंपनियों के लिए मौडलों की तसवीरें खींचा करता था. मानसी से भी किसी इश्तिहार के सिलसिले में उस की जानपहचान हुई थी.

मानसी का दोस्त सचिन भी उस इश्तिहार के फोटो शूट के लिए मानसी के साथ था. सचिन मानसी का पुराना दोस्त था और दोनों साथसाथ फिल्म, टीवी और विज्ञापन की दुनिया में पैर जमाने के लिए मेहनत कर रहे थे.

मानसी और सचिन में काफी नजदीकियां थीं. मुमताज हुसैन ने जब मानसी और सचिन की दोस्ती का मतलब यही निकाला कि मानसी सभी के लिए मुहैया है. उस ने इशारेइशारे में सचिन से इस बारे में बात भी की, पर सचिन ने मजाक में बात को उड़ा दिया.

सचिन के साथ मुमताज हुसैन का पहले से ही फोटो शूट के लिए परिचय था और उस के परिचय का फायदा उठा कर उस ने मानसी से भी नजदीकियां बढ़ाई थीं.

धीरेधीरे दोनों की दोस्ती बढ़ती चली गई थी. दोनों हमउम्र थे इसलिए फेसबुक, ह्वाट्सएप वगैरह पर लगातार दोनों में बातें होती रहती थीं.

मानसी शायद मुमताज हुसैन को सिर्फ एक परिचित के रूप में देखती थी, पर उस के मन में मानसी के बदन को भोगने की हवस थी. इसी के चलते उस ने उस से मेलजोल बनाए रखा था खासकर उस के मन में यह बात थी कि जब मानसी सचिन के लिए मुहैया है तो उस के लिए क्यों नहीं?

पर वह जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहता था. धीरेधीरे उस ने मानसी से इतना परिचय बढ़ा लिया कि मानसी उस पर यकीन करने लगी.

उस दिन मुमताज हुसैन ने किसी बहाने मानसी को मुंबई में अपने फ्लैट पर बुलाया था. मानसी के पास कुछ खास काम नहीं था, इसलिए वह भी समय बिताने के लिए अपने इस फोटोग्राफर दोस्त के पास चली गई थी.

कुछ देर खानेपीने, इधरउधर की बातें करने के बाद मुमताज हुसैन बोला था, ‘‘मानसी, मैं जब से तुम से मिला हूं, तुम्हारा दीवाना हो गया हूं. मैं कई लड़कियों से मिला, पर कोई भी तुम्हारे टक्कर की नहीं.’’

‘‘इस तरह की बातें तो हर लड़का हर लड़की से करता है. इस में कुछ नया नहीं है,’’ मानसी ने हंस कर कहा था.

‘‘मैं सच बोल रहा हूं मानसी. तुम इसे मजाक समझ रही हो.’’

‘‘देखो मुमताज, हमारी दोस्ती एक फोटो शूट के जरीए हुई है. न मैं अपने कैरियर को संवार पाई हूं और न तुम. अच्छा होगा कि हम अपनाअपना कैरियर संभालें और दोस्त बन कर एकदूसरे की मदद करें.’’

‘‘वह सब तो ठीक है, पर आज तो सैक्स कौमन बात है. मैं तो तुम्हारे साथ सिर्फ सैक्स का मजा लेना चाहता हूं. वह भी सुरक्षित सैक्स. कहीं कोई खतरा नहीं. किसी को कोई भनक तक नहीं.

‘‘मुमताज, मैं वैसी लड़की नहीं हूं. मैं एक छोटे से शहर की रहने वाली हूं. कपड़े भले ही मौडर्न पहनती हूं और सोच से नई हूं, पर सैक्स मेरे लिए सिर्फ पतिपत्नी के बीच होने वाला काम है. मैं इस तरह का संबंध नहीं बना सकती. चाहे तुम मेरे दोस्त रहो या न रहो.’’

पहले तो मुमताज हुसैन ने बारबार उसे मनानेसम?ाने की कोशिश की थी, पर जब वह नहीं मानी तो उस के सब्र का बांध टूट गया और वह गुस्से से आगबबूला हो गया.

मुमताज हुसैन ने मानसी को धमकाया, ‘‘आज तुम्हें मेरी बात माननी पड़ेगी. राजीखुशी से मानो या फिर मेरी जबरदस्ती को मानो.’’

‘‘ऐसी गलतफहमी में मत रहना. यह देखो, मिर्च स्प्रे…’’ मानसी ने अपने पर्स से मिर्च स्प्रे निकाल कर उसे दिखाया, ‘‘कुछ देर के लिए तो तुम अंधे हो जाओगे और अपने गंदे इरादे को पूरा नहीं कर पाओगे. अगर अपना भला चाहते हो तो मेरे रास्ते से हट जाओ…’’

मुमताज हुसैन ने आव देखा न ताव नजदीक रखे लकड़ी के स्टूल को उस के सिर पर दे मारा. चोट सिर के ऐसे हिस्से में लगी कि कुछ ही देर में मानसी की मौत हो गई.

मुमताज हुसैन यह देख कर हक्काबक्का रह गया. उस का हत्या करने का हरगिज इरादा नहीं था. वह तो बस अपनी हवस को शांत करना चाहता था. घबराहट में वह कुछ सम?ा नहीं पा रहा था कि क्या करे.

मुमताज हुसैन कुछ सोच पाता, इस से पहले ही किसी ने डोरबैल की घंटी बजा दी. मैजिक आई से ?ांक कर उस ने देखा तो सचिन को वहां खड़ा पाया. गनीमत थी कि मानसी की लाश अंदर कमरे में पड़ी थी.

‘‘मानसी आई है क्या यहां?’’ सचिन ने पूछा.

‘‘नहीं तो,’’ मुमताज हुसैन घबरा कर बोला.

‘‘उस ने मुझे ह्वाट्सएप पर संदेश दिया था कि वह तुम्हारे घर आ रही है. मुझे इस ओर ही आना था इसलिए सोचा कि उसे भी साथ ले चलूं.’’

‘‘हां… हां… उस ने यहां आने को कहा था, पर किसी काम से नहीं आ पाई,’’ मुमताज हुसैन ने कहा.

‘‘पर, तुम तो घर में हो. तुम्हें इतना पसीना क्यों आ रहा है?’’ सचिन ने पूछा.

‘‘क… क… कुछ नहीं. थोड़ा वर्कआउट कर रहा था. आओ बैठो…’’ डरतेडरते मुमताज हुसैन ने कहा. वह सोच रहा था कि कहीं सचमुच ही सचिन अंदर न आ जाए.

‘‘अभी नहीं, समय पर स्टूडियो पहुंचना है, फिर कभी आऊंगा तो बैठूंगा. मानसी से मैं मोबाइल पर बात कर लूंगा. उसे भी स्टूडियो में किसी से मिलवाना था,’’ सचिन ने कहा और चलता बना.

मुमताज हुसैन ने जल्दी से दरवाजा बंद किया और अंदर रूम में जा कर सब से पहले मानसी का फोन स्वीच औफ किया. वह समझ सकता था कि लाश वहीं पड़ी रहेगी तो उस से बदबू आएगी और राज खुल जाएगा. आखिरकार लाश को ठिकाने लगाना जरूरी था. लेकिन, कैसे? यह उस की समझ में नहीं आ रहा था.

अपार्टमैंट के बाहर सिक्योरिटी गार्ड की चौकस ड्यूटी रहती थी. मुमताज हुसैन ने काफी सोचविचार के बाद फैसला किया कि एक बड़े से सूटकेस में लाश को ले कर कहीं छोड़ दिया जाए. कहीं और लाश मिलेगी तो पुलिस को उस पर शक नहीं होगा.

इसी योजना के तहत मुमताज हुसैन ने कार बुक की और मलाड में झड़ी के पास सूटकेस को छोड़ आया था, पर उस की चाल कामयाब नहीं हो पाई और घटना के 5-6 घंटे के अंदर ही वह पुलिस की गिरफ्त में था. थाने में बैठा मुमताज हुसैन सोच रहा था अपनी बदहाली की वजह. उस ने पाया कि उस की अनुचित मांग ही उस की इस हालत की वजह बनी.

जन्म समय: एक डौक्टर ने कैसे दूर की शंका

रिसैप्शन रूम से बड़ी तेज आवाजें आ रही थीं. लगा कि कोई झगड़ा कर रहा है. यह जिला सरकारी जच्चाबच्चा अस्पताल का रिसैप्शन रूम था. यहां आमतौर पर तेज आवाजें आती रहती थीं. अस्पताल में भरती होने वाली औरतों के हिसाब से स्टाफ कम होने से कई बार जच्चा व उस के संबंधियों को संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाता था.

अस्पताल बड़ा होने के चलते जच्चा के रिश्तेदारों को ज्यादा भागादौड़ी करनी पड़ती थी. इसी झल्लाहट को वे गुस्से के रूप में स्टाफ व डाक्टर पर निकालते थे.

मुझे एक तरह से इस सब की आदत सी हो गई थी, पर आज गुस्सा कुछ ज्यादा ही था. मैं एक औरत की जचगी कराते हुए काफी समय से सुन रहा था और समय के साथसाथ आवाजें भी बढ़ती ही जा रही थीं. मेरा काम पूरा हो गया था. थोड़ा मुश्किल केस था. केस पेपर पर लिखने के लिए मैं अपने डाक्टर रूम में गया.

मैं ने वार्ड बौय से पूछा, ‘‘क्या बात है, इतनी तेज आवाजें क्यों आ रही हैं?’’

‘‘साहब, एक शख्स 24-25 साल पुरानी जानकारी हासिल करना चाहते हैं. बस, उसी बात पर कहासुनी हो रही है.’’ वार्ड बौय ने ऐसे बताया, जैसे कोई बड़ी बात नहीं हो.

‘‘अच्छा, उन्हें मेरे पास भेजो,’’ मैं ने कुछ सोचते हुए कहा.

‘‘जी साहब,’’ कहता हुआ वह रिसैप्शन रूम की ओर बढ़ गया.

कुछ देर बाद वह वार्ड बौय मेरे चैंबर में आया. उस के साथ तकरीबन 25 साल की उम्र का नौजवान था. वह शख्स थोड़ा पढ़ालिखा लग रहा था. शक्ल भी ठीकठाक थी. पैंटशर्ट में था. वह काफी परेशान व उलझन में दिख रहा था. शायद इसी बात का गुस्सा उस के चेहरे पर था.

‘‘बैठो, क्या बात है?’’ मैं ने केस पेपर पर लिखते हुए उसे सामने की कुरसी पर बैठने का इशारा किया.

‘‘डाक्टर साहब, मैं कितने दिनों से अस्पताल के धक्के खा रहा हूं. जिस टेबल पर जाऊं, वह यही बोलता है कि यह मेरा काम नहीं है. उस जगह पर जाओ. एक जानकारी पाने के लिए मैं 5 दिन से धक्के खा रहा हूं,’’ उस शख्स ने अपनी परेशानी बताई.

‘‘कैसी जानकारी?’’ मैं ने पूछा.

‘‘जन्म के समय की जानकारी,’’ उस ने ऐसे बोला, जैसे कि कोई बड़ा राज खोला.

‘‘किस के जन्म की?’’ आमतौर पर लोग अपने छोटे बच्चे के जन्म की जानकारी लेने आते हैं, स्कूल में दाखिले के लिए.

‘‘मेरे खुद के जन्म की.’’

‘‘आप के जन्म की? यह जानकारी तो तकरीबन 24-25 साल पुरानी होगी. वह इस अस्पताल में कहां मिलेगी. यह नई बिल्डिंग तकरीबन 15 साल पुरानी है. तुम्हें हमारे पुराने अस्पताल के रिकौर्ड में जाना चाहिए.

‘‘इतना पुराना रिकौर्ड तो पुराने अस्पताल के ही रिकौर्ड रूम में होगा, सरकार के नियम के मुताबिक, जन्म समय का रिकौर्ड जिंदगीभर तक रखना पड़ता है.

‘‘डाक्टर साहब, आप भी एक और धक्का खिला रहे हो,’’ उस ने मुझ से शिकायती लहजे में कहा.

‘‘नहीं भाई, ऐसी बात नहीं है. यह अस्पताल यहां 15 साल से है. पुराना अस्पताल ज्यादा काम के चलते छोटा पड़ रहा था, इसलिए तकरीबन 15 साल पहले सरकार ने बड़ी बिल्डिंग बनाई.

‘‘भाई यह अस्पताल यहां शिफ्ट हुआ था, तब मेरी नौकरी का एक साल ही हुआ था. सरकार ने पुराना छोटा अस्पताल, जो सौ साल पहले अंगरेजों के समय बना था, पुराना रिकौर्ड वहीं रखने का फैसला किया था,’’ मैं ने उसे समझाया.

‘‘साहब, मैं वहां भी गया था, पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. बोले, ‘प्रमाणपत्र में सिर्फ तारीख ही दे सकते हैं, समय नहीं,’’’ उस शख्स ने कहा.

आमतौर पर जन्म प्रमाणपत्र में तारीख व जन्मस्थान का ही जिक्र होता है, समय नहीं बताते हैं. पर हां, जच्चा के इंडोर केस पेपर में तारीख भी लिखी होती है और जन्म समय भी, जो घंटे व मिनट तक होता है यानी किसी का समय कितने घंटे व मिनट तक होता है, यानी किसी का समय कितने घंटे व मिनट पर हुआ.

तभी मेरे दिमाग में एक सवाल कौंधा कि जन्म प्रमाणपत्र में तो सिर्फ तारीख व साल मांगते हैं, इस को समय की जरूरत क्यों पड़ी?

‘‘भाई, तुम्हें अपने जन्म के समय की जरूरत क्यों पड़ी?’’ मैं ने उस से हैरान हो कर पूछा.

‘‘डाक्टर साहब, मैं 26 साल का हो गया हूं. मैं दुकान में से अच्छाखासा कमा लेता हूं. मैं ने कालेज तक पढ़ाई भी पूरी की है. मुझ में कोई ऐब भी नहीं है. फिर भी मेरी शादी कहीं तय नहीं हो पा रही है. मेरे सारे दोस्तों व हमउम्र रिश्तेदारों की भी शादी हो गई है.

‘‘थकहार कर घर वालों ने ज्योतिषी से शादी न होने की वजह पूछी. तो उस ने कहा, ‘तुम्हारी जन्मकुंडली देखनी पड़ेगी, तभी वजह पता चल सकेगी और कुंडली बनाने के लिए साल, तारीख व जन्म के समय की जरूरत पड़ेगी.’

‘‘मेरी मां को जन्म की तारीख तो याद है, पर सही समय का पता नहीं. उन्हें सिर्फ इतना पता है कि मेरा जन्म आधी रात को इसी सरकारी अस्पताल में हुआ था.

‘‘बस साहब, उसी जन्म के समय के लिए धक्के खा रहा हूं, ताकि मेरा बाकी जन्म सुधर जाए. शायद जन्म का सही समय अस्पताल के रिकौर्ड से मिल जाए.’’

‘‘मेरे साथ आओ,’’ अचानक मैं ने उठते हुए कहा. वह उम्मीद के साथ उठ खड़ा हुआ.

‘‘यह कागज व पैन अपने साथ रखो,’’ मैं ने क्लिप बोर्ड से एक पन्ना निकाल कर कहा.

‘‘वह किसलिए?’’ अब उस के चौंकने की बारी थी.

‘‘समय लिखने के लिए,’’ मैं ने उसे छोटा सा जवाब दिया.

‘‘मेरी दीवार घड़ी में जितना समय हुआ है, वह लिखो,’’ मैं ने दीवार घड़ी की ओर इशारा करते हुए कहा.

उस ने हैरानी से लिखा. सामने ही डिलीवरी रूम था. उस समय डिलीवरी रूम खाली था. कोई जच्चा नहीं थी. डिलीवरी रूम में कभी भी मर्द को दाखिल होने की इजाजत नहीं होती है. मैं उसे वहां ले गया. वह भी हिचक के साथ अंदर घुसा.

मैं ने उस कमरे की घड़ी की ओर इशारा करते हुए उस का समय नोट करने को कहा, ‘‘अब तुम मेरी कलाई घड़ी और अपनी कलाई घड़ी का समय इस कागज में नोट करो.’’

उस ने मेरे कहे मुताबिक सारे समय नोट किए.

‘‘अच्छा, बताओ सारे समय?’’ मैं ने वापस चैंबर में आ कर कहा.

‘‘आप की घड़ी का समय दोपहर 2.05, मेरी घड़ी का समय दोपहर 2.09, डिलीवरी रूम का समय दोपहर 2.08 और आप के चैंबर का समय दोपहर 2.01 बजे,’’ जैसेजैसे वह बोलता गया, खुद उस के शब्दों में हैरानी बढ़ती जा रही थी.

‘‘सभी घडि़यों में अलगअलग समय है,’’ उस ने इस तरह से कहा कि जैसे दुनिया में उस ने नई खोज की हो.

‘‘देखा तुम ने अपनी आंखों से, सब का समय अलगअलग है. हो सकता है कि तुम्हारे ज्योतिषी की घड़ी का समय भी अलग हो. और जिस ने पंचांग बनाया हो, उस की घड़ी में उस समय क्या बजा होगा, किस को मालूम?

‘‘जब सभी घडि़यों में एक ही समय में इतना फर्क हो, तो जन्म का सही समय क्या होगा, किस को मालूम?

‘‘जिस केस पेपर को तुम ढूंढ़ रहे हो, जिस में डाक्टर या नर्स ने तुम्हारा जन्म समय लिखा होगा, वह समय सही होगा कि गलत, किस को पता?

‘‘मैं ने सुना है कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक पल का फर्क भी ग्रह व नक्षत्रों की जगह में हजारों किलोमीटर में हेरफेर कर देता है. तुम्हारे जन्म समय में तो मिनटों का फर्क हो सकता है.

‘‘सुनो भाई, तुम्हारी शादी न होने की वजह यह लाखों किलोमीटर दूर के बेचारे ग्रहनक्षत्र नहीं हैं. हो सकता है कि तुम्हारी शादी न होने की वजह कुछ और ही हो. शादियां सिर्फ कोशिशों से होती हैं, न कि ग्रहनक्षत्रों से,’’ मैं ने उसे समझाते हुए कहा.

‘‘डाक्टर साहब, आप ने घडि़यों के समय का फर्क बता कर मेरी आंखें खोल दीं. इतना पढ़नेलिखने के बावजूद भी मैं सिर्फ निराशा के चलते इन अंधविश्वासों के फेर में फंस गया. मैं फिर से कोशिश करूंगा कि मेरी शादी जल्दी से हो जाए.’’ अब उस शख्स के चेहरे पर निराशा की नहीं, बल्कि आत्मविश्वास की चमक थी.

फिल्मी हीरोज के ये हेयर कट बढ़ाएंगे आपकी स्मार्टनेस

मर्दों के फैशन में सब से अहम रोल निभाता है उन का हेयर स्टाइल और हेयर कट. जितना उन का हेयर स्टाइल अच्छा होगा, उतना ही उन की पर्सनैलिटी अच्छी दिखेगी. आज भारत में कई तरह के हेयर स्टाइल और हेयर कट मौजूद हैं. यहां हम यही जानेंगे कि मर्दों को कौन से हेयर कट अपनाने चाहिए, जो उन की खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ा देते हैं.

 

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क्लासिक टेपर कट classic Taper cut

क्लासिक टेपर कट एक एवरग्रीन हेयर स्टाइल है जो कभी भी फैशन से बाहर नहीं होता. इस हेयर स्टाइल की खासीयत है कि इसे किसी भी तरह के मौके पर आजमाया जा सकता है, चाहे वह फौर्मल हो या कैजुअल. इस हेयर स्टाइल की खास बात यह है कि बालों को ऊपर से थोड़ा लंबा और साइड्स से शौर्ट्स रखा जाता है. इस कट में सिर का आकार खूबसूरती से हाइलाइट करता है और एक साफ और शार्प लुक देता है. साथ ही, इसे मेंटेन करना बेहद ही आसान है. यह हेयर स्टाइल हर दिन अट्रैक्टिव लगता है. यह हेयर कट लगभग सभी तरह की फेस शेप्स पर अच्छा लगता है खासकर ओवल और राउंड फेस शेप पर.

फेड कट Fade cut

फेड कट एक मौडर्न और ट्रैंडी हेयर स्टाइल है, जो आजकल काफी पौपुलर हेयर कट में से एक है. इस में बालों को ग्रैजुएटिंग इफैक्ट दे कर धीरेधीरे छोटे होते हुए काटा जाता है. फेड कट कई तरह के होते हैं. इस में हाई फेड, मिड फेड और लो फेड कट शामिल हैं.

इस हेयर स्टाइल की खास बात यह भी है कि येह आप को फ्रैश और क्लीन लुक देता है. यह आसानी से किसी भी आउटफिट के साथ मैच कर जाता है. इस हेयर स्टाइल को डेली रूटीन में ट्रिम करना पड़ता है ताकि फेड का इफैक्ट बना रहे.

यह हेयर कट सभी तरह के फेस पर अच्छा लगता है. सब से ज्यादा सुटेबल स्क्वायर और डायमंड फेस शेप पर अच्छा लगता है.

क्विफ Quiff

क्विफ हेयर स्टाइल एक क्लासिक और एवरग्रीन औप्शन है, जो आज भी ट्रैंड में है. यह हेयर स्टाइल खासतौर से उन लोगों के लिए अच्छा है, जिन के बाल मोटे और घने होते हैं. इस में बालों को ऊपर की ओर उठा कर स्टाइल किया जाता है, जिस से एक वौल्यूमिनस और स्टाइलिश लुक मिलता है. यह क्विफ हेयर स्टाइल चेहरे को लंबा भी दिखाता है. इसे मेंटेन करने के लिए आप को हेयर प्रौडक्ट्स की जरूरत पड़ती है जैसे कि हेयर स्प्रे या जेल. यह स्टाइल ओवल और राउंड फेस शेप्स पर ही अच्छा लगता है.

पम्पाडोर Pompadour

पम्पाडोर हेयर स्टाइल एक ग्लैमरस और बोल्ड औप्शन है. यह हेयर कट पहले काफी चलन में था, लेकिन अब फिर से ट्रैंड में आ चुका है. इस में बालों को ऊपर की ओर उठा कर पीछे की ओर स्टाइल किया जाता है, जिस से एक वौल्यूमिनस और अट्रैक्टिव लुक मिलता है. इस की शेप बोल्ड और आत्मविश्वास से भरा हुआ लुक देता है. इसे सैट करने के लिए आप को हेयर प्रोड्क्ट्स और स्टाइलिंग स्किल्स की जरूरत होगी. यह हेयर स्टाइल स्क्वायर और हार्ट शेप फेस पर बहुत सूट करता है.

देसी नेताओं का सूटबूट में लुक्स है वायरल, टशन दिखाने में नहीं है किसी से कम

भारत में एक से बढ़ कर एक नेता हैं. कई तो यंग हैं, जो आज भी बिलकुल उसी तरह के कपड़े पहनना पसंद करते हैं, जो कभी आजादी के वक्त पहने जाते थे. ज्यादातर नेताओं की पोशाक अमूमन देसी ही देखी गई है, लेकिन अब ऐसा नहीं है, क्योंकि कई नेता काफी स्टाइलिश हैं और सूटबूट पहना करते हैं.

 

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रवि किशन

रवि किशन, जो गोरखपुर से भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं, का असल लुक काफी बदला है. पहले वे बिना दाढ़ीमूंछों के हंसमुख चेहरे के लिए जाने जाते थे, लेकिन अब वे घनी दाढ़ीमूंछों के साथ एक गंभीर लुक में नजर आते हैं. साथ ही, उन्हें हर तरह के स्टाइलिश लुक में भी देखा गया है. वे कभी देसी अवतार में नजर आते हैं, तो कभी सूटबूट के साथ, लेकिन ज्यादातर चुनावी दौर में उन्हें देसी लिबास में ही देखा गया है.

तेजस्वी सूर्या

तेजस्वी सूर्या, जो बैंगलुरु दक्षिण से भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं, का लुक काफी आकर्षक और युवा है. वे अकसर औफिशियल कपड़ों में नजर आते हैं, जैसे कि सूट और टाई, जो उन का पहनावा है. उन के बाल छोटे हैं  और वे अकसर बिना दाढ़ीमूंछों के साफसुथरे लुक में दिखते हैं. तेजस्वी सूर्या देसी लिबास में बेहद कम नजर आते हैं.

चंद्रशेखर आजाद

चंद्रशेखर आजाद का लिबास उन के क्रांतिकारी जीवन का प्रतीक है. वे अकसर धोतीकुरता पहनते हैं, जो उस समय के भारतीय ग्रामीण और साधारण लोगों की एक पहचान है. उन के पहनावे में सादगी और भारतीयता की झलक मिलती है. लेकिन ऐसा नहीं है कि उन्हें कभी सूटबूट में नहीं देखा गया है. वे सूटबूट के भी शौकीन रहे हैं.

चिराग पासवान

चिराग पासवान भी उन नेताओं की लिस्ट में आते हैं, जो देसी लिबास कैरी करने में बिलकुल नहीं शरमाते हैं. हालफिलहाल में चिराग पासवान ने एक इवैंट में अपने देसी लुक से सब का ध्यान खींचा था. उन्होंने ब्लैक शेरवानी पहनी थी, जिस में ग्रे धागों से कढ़ाई की गई थी. इस लुक में उन्होंने हील वाले ब्लैक लेदर के शूज और गोल्डन रिंग्स पहनी थीं. उन की यह ट्रैडिशनल आउटफिट और बियर्ड लुक उन्हें काफी हैंडसम और डैशिंग दिखा रहा था. इस के अलावा कई दफा चिराग पासवान सूटबूट में भी नजर आ चुके हैं.

अखिलेश यादव

अखिलेश यादव का लुक अकसर चर्चा में रहता है खासकर जब वे पब्लिक कार्यक्रमों में शामिल होते हैं. वे टोपी के साथ देसी लुक में दिखाई देते हैं. उन का पहनावा आमतौर पर सफेद कुरतापाजामा और लाल टोपी का होता है, जो समाजवादी पार्टी का प्रतीक है. यह लुक उन्हें एक पहचान देता है और उन के समर्थकों के बीच काफी लोकप्रिय बनाता है.

मेरे दांतों का पीलापन खूबसूरती को फीका कर देता है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 28 साल की युवती हूं. देखने में खूबसूरत हूं लेकिन मेरे दांतों का पीलापन मेरी खूबसूरती को फीका कर देता है, जबकि मैं रैग्युलर दोनों वक्त सुबह व रात को सोने से पहले ब्रश कर के सोती हूं. मैं दांतों के डाक्टर के पास नहीं जाना चाहती. कुछ आसान से घरेलू उपाय बताएं जिन्हें अपना सकूं.

जवाब

कुछ आहार ऐसे होते हैं जिन में टैनिक एसिड उच्च मात्रा में होता है जिस से दांतों में पीलापन आ जाता है. इस के अलावा कौफी और सोडा से भी दांत पीले हो सकते हैं. धूम्रपान, कुछ मैडिकल ट्रीटमैंट चल रहा हो या सही तरीके से ब्रश न करना या फिर अत्यधिक फ्लोराइड के कारण भी दांतों का पीलापन बढ़ने लगता है.

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खैर इन में कोई वजह आप को नहीं दिख रही है तो अपने खानपान पर ध्यान दें. शरीर में पोषण या कैल्शियम की कमी होगी तो कितने ही नुस्खे अपना लें, दांत सफेद नहीं होंगे. इसलिए आहार विटामिन डी और कैल्शियम से भरपूर लें. चिपचिप कैंडी, स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ, कार्बोनेटेड पेय पदार्थ का सेवन न करें.
रही बात घरेलू उपाय अपनाने की तो बेकिंग सोडा दांतों पर रगड़ें या टूथपेस्ट में मिला कर ब्रश कर सकती हैं. आप चाहें तो इस में नमक भी मिला सकती हैं. नारियल का तेल 15-20 मिनट दांतों पर लगा रहने दें फिर ब्रश कर लें. पीलापन कम होगा. हींग पाउडर को पानी में उबाल कर ठंडा कर लें. दिन में 2 बार इस से कुल्ला करें. ये कुछ घरेलू उपाय हैं जो आप अपना सकती हैं.

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5 टिप्स: सिंगल सेक्स को लेकर युवतियों के बदलते विचार

परिवर्तन के इस दौर में न सिर्फ युवतियों के विचार बदले हैं बल्कि उस से कई कदम आगे वे दैहिक स्वतंत्रता की बोल्ड परिभाषा को नए कलेवर में गढ़ती और बुनती नजर आ रही हैं.

1. सेक्सुअलल बोल्डनैस का बोलबाला

आज युवतियों ने सेक्स को अपने बोल्ड व बिंदास अंदाज से बदल दिया है. युवतियां न केवल सोशल फोरम में व सार्वजनिक जगहों पर सेक्स जैसे बोल्ड इश्यू को सरेआम उठा रही हैं बल्कि उस के पक्ष में अपना मजबूत तर्क भी पेश कर रही हैं. वे कैरियर ओरिऐंटिड होने के साथसाथ सेक्स ओरिऐंटिड भी हैं. सेक्स के टैबू होने के मिथक को वे काफी पीछे छोड़ चुकी हैं. वे सेक्स को बुराई नहीं समझतीं बल्कि उस का भरपूर लुत्फ उठाना चाहती हैं.

2. सिंगल सेक्स की पैरोकार आज की युवतियां

कुछ समय पहले तक युवतियों के अकेले रहने या सफर करने पर सवाल उठाए जाते थे, पर जवान होती युवापीढ़ी ने वर्षों से चली आ रही नैतिक व सेक्स से जुड़े सामाजिक मूल्यों की अपनी तरह से व्याख्या की है. सहशिक्षा व बौद्धिक विकास ने इसे बदलने में काफी सहायता की है. शिक्षित स्वतंत्र कम्युनिटी के इस बोल्ड अंदाज ने आम मध्यवर्गीय सोच में भी अपनी पैठ बना ली है. निम्न वर्गों में तो पहले से ही स्वतंत्रता थी. बगावती सुरों ने आजादी पाने की राह आसान कर दी है. युवतियों की आर्थिक स्वतंत्रता ने भी इस में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है.  सिंगल रहने वाली अधिकतर युवतियां इस सेक्सुअलल फ्रीडम का बेबाकी से फायदा उठाती नजर आती हैं. वे सेक्स को ऐंजौय करने में हिचकिचाती नहीं हैं. यह भी शरीर की एक आवश्यकता है.

3. सेफ सेक्स, सेफ लाइफ का फंडा

आधी आबादी का एक बड़ा वर्ग सेफ सेक्स को तरजीह देता है. सेक्स अब इंटरकोर्स का माध्यम मात्र नहीं बल्कि सुरक्षित व आनंददाई बन गया है. युवतियां अलर्ट हैं, जागरूक हैं और अपनी सेहत को ले कर सजग भी हैं. सेक्सुअलल इंटरकोर्स के दौरान वे दुनियाभर के उपाय जैसे पिल्स, कंडोम आदि का बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर रही हैं. सिंगल रहने वाली युवतियां अब सेक्स का भी मजा ले रही हैं और फिटनैस भी बरकरार रख रही हैं.

4. सिंगल सेक्स के फायदे

वर्जनाएं अब टूट रही हैं. पढ़ाई, नौकरी या कामकाज के सिलसिले में युवतियां अपनी जद की सीमाएं लांघ रही हैं. ऐसे में बेरोकटोक वाली एकाकी जिंदगी उन्हें ज्यादा रास आ रही है. माना कि आम भारतीय परिवारों में विवाहपूर्व सेक्स को अभी भी वर्जित समझा जाता है और इसे चोरीछिपे ही अंजाम दिया जाता है, लेकिन यही रोकटोक युवाओं को सेक्स के और अधिक करीब खींच कर ला रही है. वैसे तो सिंगल सेक्स अपनेआप में एक फ्रीडम का एहसास कराता है, पर इस के कुछ फायदे भी हैं जैसे :

  •    इस से बोल्डनैस का एहसास होता है.
  •    यह कथित वर्जनाओं को तोड़ने का चरम एहसास कराता है.

माना कि सिंगल सेक्स आप को रियल सेक्सुअलल फन दे सकता है, पर अपनी सेक्सुअलल प्राइवेसी को ले कर सतर्क भी रहें. सेक्सुअलल फ्रीडम की भी लिमिट तय करें तभी आप इस के आनंद के चरम पर पहुंच सकती हैं और इस के बिंदास अंदाज में रंग सकती हैं. सेक्सुअलल इंडिपैंडैंसी जहां आप को बेबाक व बोल्ड बनाती है वहीं मोरल पुलिसिंग का शिकार भी इसलिए फन के साथ केयर का भी खयाल रखें.

5. सिंगल सेक्स के नुकसान

भले ही सिंगल रहने वाली युवतियां सेक्स को ले कर मुखरित हों पर इस के अपने कुछ नुकसान भी हैं:

  •   मल्टी पार्टनर्स से संक्रमण के खतरे बढ़ जाते हैं.
  •  चीटिंग का खतरा हमेशा बना रहता है.
  •  लंबे समय तक ऐसी फ्रीडम आप को फिजिकल प्रौब्लम्स भी दे सकती है.
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