जयपुर रेलवे स्टेशन पर ‘अजमेरदिल्ली शताब्दी’ ट्रेन खड़ी थी. आकाश तेजी से कदम बढ़ाता हुआ कंपार्टमैंट में चढ़ा. अपनी सीट पर बैठने लगा तो उस की नजर बराबर की सीट पर बैठी एक प्यारी सी 3 साल की बच्ची पर पड़ी, जो एक औरत के साथ बैठी थी.
औरत को गौर से देखते ही आकाश चौंक उठा. उस के मुंह से निकला, ‘‘माधवी...’’
माधवी ने जैसे ही आकाश की ओर देखा तो वह भी चौंक उठी और बोली, ‘‘अरे, आप?’’
एकदूसरे को देख कर उन दोनों के चेहरे पर खुशी बढ़ गई.
‘‘बड़ी प्यारी बच्ची है. क्या नाम है इस का?’’ आकाश ने बच्ची की ओर देख कर पूछा.
‘‘सोनम.’’
‘‘बहुत प्यारा नाम है,’’ आकाश ने कहा और बच्ची के सिर पर हाथ फेरा.
‘‘कहां से आ रहे हैं आप?’’ माधवी ने पूछा.
‘‘कंपनी के काम से मैं जयपुर आया था. और तुम?’’
‘‘मैं भी मौसेरी बहन की शादी में जयपुर आई थी.’’
रात के 8 बजने को थे. ट्रेन चल दी.
आज आकाश और माधवी अचानक ही 7-8 साल बाद मिले थे. दोनों के
मन में बहुत से सवाल उठ रहे थे. तभी सोनम ने माधवी के कान में कुछ कहा और माधवी उसे वाशरूम की तरफ ले कर चल दी.
आकाश सीट पर सिर लगा कर आराम से बैठ गया और आंखें बंद कर लीं. भूलीबिसरी यादें फिर से ताजा होने लगीं.
आकाश जब कंप्यूटर इंजीनियरिंग कर चुका था, उस ने अपने एक दोस्त की शादी में माधवी को पहली बार देखा था. माधवी की खूबसूरती पर वह मरमिटा था.
आकाश ने अपने उस दोस्त से ही माधवी के बारे में पता कर लिया था. वह अभी एमए में पढ़ रही थी. परिवार में मातापिता व एक छोटा भाई था. पिता का अपना कारोबार था.