उत्तर प्रदेश पुलिस में दरोगा बच्चू सिंह के बेटे तरुण की दोस्ती प्रियंका से हो गई थी. दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन जब पिता के कहने पर तरुण ने शादी से इनकार कर दिया तो प्रियंका ने अपने हक की लड़ाई लड़ने की सोची. उसे क्या पता था कि इस लड़ाई में...   

प्रियंका को जल्दीजल्दी तैयार होता देख उस की मां चित्रा ने पूछा, ‘‘क्या बात है, आज कहीं जल्दी जाना है क्या, जो इतनी जल्दी उठ कर तैयार हो गई?’’

‘‘हां मम्मी, परसों जो मैडम आई थीं, जिन्हें मैं ने अपने फोटो, आई कार्ड और सीवी दिया था, उन्होंने बुलाया है. कह रही थीं कि उन्होंने अपने अखबार में मेरी नौकरी की बात कर रखी है. इसलिए मुझे टाइम से पहुंचना है.’’ प्रियंका ने कहा तो चित्रा ने टिफिन में खाना पैक कर के उसे दे दिया. प्रियंका ने टिफिन अपने बैग में रखा और शाम को जल्दी लौट आने की बात कह कर बाहर निकल गई. कुछ देर बाद प्रियंका के पापा जगवीर भी अपने क्लीनिक पर चले गए तो चित्रा घर के कामों में व्यस्त हो गई. उस दिन शाम को करीब साढ़े 5 बजे जगवीर सिंह के मोबाइल पर उन के साले ओमदत्त का फोन आया

ओमदत्त ने उन्हें बताया, ‘‘जीजाजी, मेरे फोन पर कुछ देर पहले प्रियंका का फोन आया था. वह कह रही थी कि बच्चू सिंह ने अपने बेटे राहुल और कुछ बदमाशों की मदद से उस का अपहरण करवा लिया है और वह अलीगढ़ के पास खैर इलाके के वरौला गांव में है.’’ ओमदत्त की बात सुन कर जगवीर सिंह की आंखों के आगे अंधेरा छा गया. उन्होंने जैसेतैसे अपने आप को संभाला और क्लीनिक बंद कर के घर गए. तब तक उन का साला ओमदत्त भी उन के घर पहुंच गया था. मामला गंभीर था. विचारविमर्श के बाद दोनों गाजियाबाद के थाना कविनगर पहुंचे और लिखित तहरीर दे कर 25 वर्षीया प्रियंका के अपहरण की नामजद रिपोर्ट दर्ज करा दी.

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