लेखक- विजय माथुर/कैलाश चंदेल
अगले ही पल सीमा की कार श्रीराम गुप्ता अस्पताल की तरफ दौड़ रही थी. डा. सीमा सास को कार में बैठी छोड़ कर हौस्पिटल के अंदर चली गई. जब वह बाहर निकली तो उस के हाथ में एक बोतल थी. इस के बाद कार अब सूर्या सिटी की तरफ दौड़ने लगी.
आगे जो हुआ, वह कहानी में बता चुके हैं.
थाना चिकसाना में डा. सीमा और डा. सुदीप की मां सुरेखा के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद आईजी लक्ष्मण गौड़ के निर्देश पर एसपी हैदर अली ने जांच की जिम्मेदारी एएसपी मूल सिंह राणा को सौंप दी. 9 नवंबर को डा. सीमा और सुरेखा गुप्ता एएसपी मूल सिंह राणा के सामने बैठी थीं. सीमा की आंखें रोतेरोते सूज गई थीं. सिसकियां अभी भी जारी थीं.
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आंसुओं से भीगा रूमाल लिए बैठी सीमा के चेहरे पर ऐसे भाव थे, मानो अंदर से फूट पड़ने को व्याकुल रुलाई को पूरी ताकत से दबाने की कोशिश में हो. सुरेखा गुप्ता को देख लग रहा था जैसे 2 दिनों में और बूढ़ी हो गई. उस की आंखें बुझीबुझी सी थीं. एएसपी राणा ने सीमा के चेहरे पर नजर गड़ाते हुए कहा, ‘‘छिपाने से कुछ हासिल नहीं होगा. बेहतर है सब कुछ अपने आप ही बता दें. पहले 7 नवंबर का ब्यौरा बताइए.’’
अब तक अपने आप पर काबू पा चुकी सीमा ने बताना शुरू किया, ‘‘अपनी सास सुरेखा के साथ जिस समय मैं पहली बार सूर्या सिटी स्थित दीपा के मकान पर पहुंची, उस समय दोपहर का डेढ़ बजा था. लेकिन दीपा वहां नहीं मिली. उस समय मकान पर ताला लगा हुआ था.
मकान के आगे लगी प्लेट में एस-2 विला लिखा हुआ था. मकान के कोने पर आयशा सैलून एंड स्पा सेंटर का बोर्ड लगा हुआ था. मैं इस कदर आवेश में थी कि लौटने के बजाए मुझे आसपास कहीं रुक कर दीपा का इंतजार करना बेहतर लगा.
‘‘प्रतीक्षा के लिए हम ने पेड़ों से घिरे पार्क को चुना. वहां से हम दीपा की आवाजाही पर नजर रख सकते थे. इस बीच करीब 2 बजे हम ने डा. सुदीप को दीपा के घर में जाते और फौरन वापस लौटते देखा.
सुदीप की वहां आवाजाही ने मेरे शक को पुख्ता कर दिया. लेकिन वहां पहुंचने के अपने मकसद को ध्यान में रखते हुए तात्कालिक तौर पर गुस्से पर काबू रखना जरूरी था.
‘‘करीब ढाई बजे के लगभग हम ने शौर्य को स्कूल बस से उतरते देखा. बच्चे ने भी घर पर ताला लगा देखा होगा, वह घर से निकल कर पड़ोस के मकान में चला गया.
‘‘हमारी आंखें दीपा के मकान पर गड़ी हुई थीं. लगभग 5 बजे हम ने दीपा को एक टैक्सी से उतरते और घर के भीतर दाखिल होते हुए देखा. हम ने करीब 10 मिनट इंतजार किया. इस के बाद हम ने अपनी गाड़ी दीपा के मकान के पास खड़ी कर दी.’’
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सीमा पुलिस स्टेशन के चार्ज रूम में गुरुवार, 7 नवंबर, 2019 का अपना हालहवाल दोहरा रही थी. पुलिस सीसीटीवी कैमरे खंगालने तथा चौकीदार से पूछताछ कर तथ्यों की पुष्टि कर चुकी थी.
राणा ने कहा, ‘‘अच्छा, मुझे उस दिन डा. सुदीप गुप्ता से हुई बातचीत के बारे में बताओ. और हां, यह सोच कर बताना कि बातचीत की मोबाइल रिकौर्डिंग हमारे पास मौजूद है.’’
सीमा क्षणभर चुप रही. फिर उस ने बताना शुरू किया. ‘‘घटना से पहले मैं ने सुदीप को बता दिया था कि तुम लाख समझाने के बावजूद दीपा से किनारा नहीं कर रहे हो. इसलिए अब मैं मम्मी को साथ ले कर उस के घर जा रही हूं. एक औरत ही औरत को समझा सकती है. किसी का सिंदूर पोंछ कर अपनी मांग सजाने का क्या नतीजा हो सकता है, उसे पता चलेगा.
‘‘सुदीप मेरे मिजाज से वाकिफ था. इसलिए बारबार कहता रहा, ‘देखो जल्दबाजी से काम मत लेना. मुझे उसे समझाने का एक और मौका दो.’ लेकिन मैं ने यह कहते हुए उस की बात अनसुनी कर दी कि मैं ने तुम्हें एक नहीं दस मौके दिए.
‘‘सुदीप की कोई बात सुनने के बजाए मैं ने फोन काट दिया. सुदीप शायद मेरा इरादा भांप गया था. इसलिए वह अनहोनी की आशंका से बुरी तरह घबरा गया. मैं ने दीपा के मकान की निगरानी करते वक्त करीब 3 बार सुदीप को उस के घर पहुंचते और लौटते देखा.
‘‘सुदीप को आखिरी फोन मैं ने मकान को आग लगाने के बाद किया कि आजा और बचा सके तो बचा ले अपने दिल की रानी को. मैं ने उसे आग के हवाले कर दिया है. मैं केवल सुदीप की चीख सुन पाई और फोन बंद कर दिया.’’
सीमा ने कहना जारी रखा, ‘‘सुदीप दीपा पर जान निछावर करता था. उस की आशनाई इस कदर बढ़ गई थी कि सुबह मेरे सामने रिश्ते तोड़ने की कसम खाता था और शाम को फिर उस की गोद में चला जाता था. कई बार शहर से बाहर जाने के बहाने वह दीपा के साथ होटलों में रात गुजारने लगा था. दीपा गुर्जर के पीछे वह इतना पागल हो गया था कि आयशा स्पा सेंटर की साजसज्जा पर लाखों रुपए फूंक दिए थे.
‘‘स्पा सेंटर में थाइलैंड की झालर, करीब 5 लाख के फरनीचर के अलावा उस ने करीब 20 लाख खर्च कर दिए थे. मैं ने अपने सूत्रों से पता लगाया तो जान कर हैरान रह गई कि दीपा सुदीप को अपना पति बताते हुए कहती थी कि स्पा सेंटर उस के पति सुदीप ने ही खुलवाया है.’’
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अपनी फूटती रुलाई रोकने की कोशिश करते हुए सीमा ने कहा, ‘‘उस ने दीपा के बेटे को अडौप्ट कर लिया था. नया घर, नई बीवी और बेटा…और मैं? मेरा क्या?’’
मैं ने सुदीप को बहुत समझाया कि ऐसी औरतें किसी की सगी नहीं होतीं. दीपा उसे बहका रही है. उसे तुम्हारे पैसों और शरीर सुख की चाहत है. जब पैसा मिलना बंद हो जाएगा, तुम्हारे लिए दरवाजे भी बंद हो जाएंगे. लेकिन मेरी कोई समझाइश काम नहीं आई.
सीमा ने कहना जारी रखा, ‘‘हमें स्पा सेंटर की बाबत सब कुछ मालूम हो चुका था. पहली नवंबर को जब सुदीप देर रात तक नहीं लौटा तो हमें मालूम नहीं था कि वो दीपा की पार्टी में था. लेकिन जब मैं ने अपनी सास से फोन करवाया तो वह साफ झूठ बोल गया कि वह किसी परिचित की पार्टी में है. मुझे उसी दिन शक हो गया था लेकिन कलह की वजह से चुप्पी साध गई.
‘‘पार्टी में शहर के कई लोग आए होंगे, लोगों ने सुदीप और दीपा की जुगलबंदी को किस नजर से देखा होगा, कितनी बदनामी की बात थी. बस उसी दिन मैं ने तय कर लिया था कि उस पेड़ को ही काट दूंगी, जिस पर सुदीप झूल रहा है.
‘‘फिर पैसा तो मेरे घर का ही फूंका जा रहा था. बैंक एकाउंट से लाखों निकाले जा रहे थे और मैं उसे रोक तक नहीं पा रही थी. सूर्या सिटी का लाखों का मकान भी तो सुदीप ने ही उसे खरीद कर दिया था.’’
डा. सुदीप के सच पर संदेह
डा. सुदीप से पूछताछ में पुलिस को बेशक बहुत कुछ मिला, लेकिन वह सच बोल रहा था, इस की कोई गारंटी नहीं थी. पुलिस जांच में आए कुछ तथ्य महत्त्वपूर्ण थे. मसलन, रोजरोज के दबाव के चलते डा. सुदीप ने कुछ समय पहले दोसा शहर के महवा कस्बे के एक होटल में दीपा से शादी कर ली थी. इस शादी में दीपा की बहन राधा भी मौजूद थी. कुछ दिनों से सुदीप और दीपा के रिश्तों में भी खटास आने लगी थी.
दरअसल, दीपा अपने बेटे शौर्य को पिता के तौर पर डा. सुदीप का नाम दिलवाने की जिद कर रही थी. जबकि डा. सुदीप इस के लिए तैयार नहीं थे. चिकसाना थानाप्रभारी श्रवण पाठक का कहना था कि इस मामले में डा. सुदीप के शामिल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. इस की वजह दीपा की जिद को ले कर दोनों के बीच बढ़ती तकरार हो सकती है.
सुदीप उसे टालने के लिए बारबार कहता था कि अभी जल्दबाजी मत करो. थोड़ा इंतजार करो. डा. सुदीप का कहना था कि पता नहीं भावुकता के कौन से पल थे, जब मैं उस से प्यार कर बैठा. लेकिन उस का प्यार मेरे गले की फांस बन गया था. दीपा मुझ से शादी कर चुकी थी, अब बेटे को मेरा नाम देने पर अड़ी हुई थी.
मैं जितना दलदल से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था, उतना ही फंसता जा रहा था. मेरी पत्नी और मां, दोनों को कैंसर था. मैं ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की कि सीमा को कुछ भी हो सकता है. अगर ऐसा हुआ तो हमारे लिए रास्ता खुल जाएगा. उस के बाद हम दोनों को साथ रहने में कोई दिक्कत नहीं होगी. लेकिन दीपा थी कि मेरी कोई बात मानने को तैयार नहीं थी.
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बहरहाल, पुलिस की जांच अभी इसी दिशा में चल रही है. चिकसाना थाने में इस मामले की रिपोर्ट सीमा की बहन राधा ने दर्ज कराई थी. सुदीप, सीमा और सुरेखा तीनों न्यायिक हिरासत में हैं.
पुलिस सूत्रों तथा जानकार सूत्रों पर आधारित