आदमी भले ही कितना भी हृदयहीन हो, कभी न कभी उस का अंत:करण गलत कामों के लिए उसे जरूर धिक्कारता है. मंसूर ने शाहीना के साथ जो कुछ किया था, उस की गंभीरता का अहसास उसे बाद में हुआ. लेकिन...