शाहनवाज के बयान के आधार पर अन्य आरोपियों को पकड़ने के लिए थानाप्रभारी दिलीप कुमार बिंद ने पुलिस टीम के साथ शाहनवाज के बहनोई आमिर खान के घर में छापा मारा. पुलिस के साथ शाहनवाज को देख कर आमिर खान ने भागने का प्रयास किया लेकिन पुलिस ने उसे दबोच लिया.
इस के बाद पुलिस ने शरीफ सोनू तथा हसीब के घर छापा मारा किंतु वे दोनों फरार हो चुके थे. आमिर खान को पुलिस थाना नवाबगंज ले आई. थाने पर जब उस से सीता की हत्या के संबंध में पूछताछ की गई तो उस ने सहज ही हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.
थाना नवाबगंज पुलिस ने अब तक सीता उर्फ नेहा के मुख्य हत्यारोपियों को तो गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन अभी तक सीता का मोबाइल फोन तथा उस के आभूषण पुलिस बरामद नहीं कर पाई थी. बिंद ने मोबाइल फोन और जेवरात के बाबत पूछताछ की तो शाहनवाज और आमिर खान ने बताया कि मोबाइल फोन तथा जेवरात उन दोनों ने घटनास्थल के पास झाडि़यों में छिपा दिए थे.
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3 जनवरी, 2020 की सुबह थानाप्रभारी दोनों आरोपियों को साथ ले कर मोबाइल फोन व जेवरात बरामद करने के लिए घटनास्थल पहुंचे. आमिर खान और शाहनवाज ने सड़क किनारे की झाडि़यों में मोबाइल फोन व जेवरात खोजने लगे. जेवरात खोजते अभी 10 मिनट ही बीते थे कि शाहनवाज ने झाड़ी में पहले से छिपा कर रखा गया तमंचा निकाला और पुलिस पर फायर झोंक दिया. साथ ही भागने का प्रयास किया.
तभी थानाप्रभारी ने शाहनवाज पर गोली चला दी, जो उस के दाएं पैर में लगी वह लड़खड़ा कर गिर गया. पुलिस ने उसे दबोच लिया. इस के बाद पुलिस ने कड़ा रुख अपनाते हुए आमिर और शाहनवाज की निशानदेही पर झाड़ी में छिपा कर रखा गया सीता का मोबाइल फोन, अंगूठी, मंगलसूत्र, नोज पिन, कानों के बाले व पायल बरामद कर लीं.
पुलिस ने वह तमंचा भी बरामद कर लिया जिस से शाहनवाज ने पुलिस पर फायर किया था. बरामद सामान के साथ पुलिस दोनों को थाने ले आई.
कुछ ही देर में एसएसपी अनंतदेव तिवारी, एसपी (पश्चिम) डा. अनिल कुमार तथा सीओ अजीत सिंह चौहान थाना नवाबगंज आ गए. पुलिस अधिकारियों ने हत्यारोपी शाहनवाज और आमिर खान से एक घंटे तक पूछताछ की, उस के बाद एसएसपी अनंतदेव तिवारी ने प्रैसवार्ता की और ब्लाइंड मर्डर का खुलासा किया.
जीजा-साले की जुगलबंदी का नतीजा
शाहनवाज और आमिर ने सीता उर्फ नेहा की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, साथ ही हत्या में प्रयुक्त कार तथा मृतका का मोबाइल फोन और जेवरात भी बरामद करा दिए थे. अत: थानाप्रभारी ने शाहनवाज, आमिर खान, शरीफ उर्फ सोनू तथा हसीब के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201, 120बी और आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. पुलिस जांच में फरेबी पति की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई—
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ शहर के कोतवाली थानांतर्गत एक मोहल्ला है गडया. इसी मोहल्ले के पुराना मध्य पुल के पास जवाहर अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी सरोज के अलावा 2 बेटियां सुशीला तथा सीता उर्फ नेहा थीं. जवाहर बुनाई कारखाने में काम करता था. कारखाने से उसे जो वेतन मिलता था, उसी से परिवार का भरणपोषण होता था. जवाहर बड़ी बेटी सुशीला का विवाह हो चुका था. सुशीला ससुराल में सुखमय जीवन व्यतीत कर रही थी.
सुशीला से छोटी सीता उर्फ नेहा थी. वह पढ़लिख कर अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती थी. वह इंटरमीडिएट के बाद आगे भी पढ़ना चाहती थी, लेकिन उस के मातापिता की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, जिस से वह उस के आगे की पढ़ाई को मना कर रहे थे.
इस समस्या के निदान के लिए सीता ने प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका की नौकरी कर ली. स्कूल के माध्यम से उसे कुछ बच्चों के ट्यूशन भी मिल गए. इस तरह वह अपना तथा अपनी पढ़ाई का खर्चा स्वयं निकालने लगी.
एक दिन सीता उर्फ नेहा स्कूल से पढ़ा कर घर लौट रही थी, तभी एकाएक पीछे से किसी ने उस के कंधे पर हाथ रख दिया. सीता चौंक कर पलटी तो उस के मुंह से हर्षमिश्रित चीख निकल गई, ‘अरे मनीषा, तू…’
मनीषा शर्मा सीता की बचपन की सहेली थी. पहली से ले कर 8वीं कक्षा तक दोनों साथ पढ़ी थीं. उस के बाद मनीषा दूसरे मोहल्ले में जा कर रहने लगी थी. 5 साल बाद दोनों की अब मुलाकात हुई थी. बरसों बाद बिछुड़ी हुई सहेलियां मिलीं तो दोनों बातचीत के साथ पुरानी यादें ताजा करने नजदीक के रेस्तरां जा पहुंचीं.
रेस्तरां में चाय की चुस्कियों के बीच दोनों सहेलियां बचपन से ले कर स्कूल तक की अपनी पुरानी यादें ताजा करने लगीं. बातोंबातों में मनीषा ने पूछा, ‘‘अच्छा ये बता जिंदगी कैसे कट रही है. कोई दोस्त है या नहीं? शादी का इरादा है या कोई हमसफर मिल गया है?’’
सीता के चेहरे पर दर्द की परछाइयां तैरने लगीं. वह ठंडी सांस ले कर बोली, ‘‘मनीषा, तू मेरी सब से प्यारी और भरोसेमंद सहेली है, इसलिए तुझ से क्या छिपाऊं. घर की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं है. दहेज के डर से मातापिता परेशान हैं, इसलिए अभी तक मेरे लिए लड़का भी देखना शुरू नहीं किया है. रही बात दोस्त बनाने की, वह मैं ने किसी को बनाया नहीं है.’’
फेसबुक ने बनाई जोड़ी
मनीषा खिलखिला कर हंसी और फिर उस के गाल पर चुटकी काटते हुए बोली, ‘‘मातापिता के सहारे रहेगी तो तेरी शादी कभी नहीं होगी. तुझे खुद ही पहल कर दोस्त बनाना होगा और शादी की पहल करनी होगी.’’
‘‘वह कैसे?’’ सीता ने पूछा.
‘‘इंटरनेट की एक साइट है फेसबुक. उस के बारे में तू जानती है?’’
‘‘हां, जानती हूं. मैं जब 10वीं में पढ़ रही थी तब कंप्यूटर क्लास भी जौइन कर रखी थी. उसी दौरान फेसबुक, गूगल, याहू वगैरह के बारे में जाना था.’’
‘‘अच्छी बात है कि तुम फेसबुक के बारे में जानती हो वरना मुझे समझाने में दिक्कत हो जाती.’’ फिर मनीषा ने अपने पत्ते खोले, ‘‘फेसबुक पर मैं नएनए दोस्त बनाती हूं. इन से रसीली और चटपटी बातें करती हूं, जिस से मुझे पूरी संतुष्टि मिलती है. तुम्हें यह जान कर ताज्जुब होगा कि मैं उन अनजान दोस्तों से ऐसीऐसी बातें भी खुल कर कर लेती हूं, जो किसी से रूबरू करते भी शरम आए. मेरी तरह तू भी फेसबुक की मुरीद हो जा, फिर देखना तेरी हर मुराद पूरी होगी.’’
सीता मुसकराने लगी, ‘‘आइडिया तो बेहतरीन है, मैं तेरे सुझाव पर गौर करूंगी.’’
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फिर दोनों रेस्तरां से बाहर निकलीं और अपनेअपने घर चली गईं. उस रात सीता को नींद नहीं आई. वह रात भर सहेली के सुझाव पर मंथन करती रही. आखिर उसे यह सुझाव सही लगा. उस ने भी फेसबुक पर नए दोस्त बनाने का निश्चय कर लिया.
सीता को मोबाइल पर इंटरनेट चलाने का शौक था. अब वह सोशल साइट फेसबुक पर नएनए दोस्त बनाने लगी और उन से चैटिंग करने लगी. जो युवक मन को पसंद आ जाता था, उस का मोबाइल नंबर ले कर वह उसे अपना नंबर दे देती. वह मनपसंद युवक से ही बात करती थी, अन्य के फोन रिसीव नहीं करती थी.
फेसबुक पर ही सीता का परिचय शाहनवाज से हुआ. सीता ने उस की प्रोफाइल देखी तो पता चला उस की उम्र 30 वर्ष है और वह कानपुर शहर के बजरिया का रहने वाला है. शाहनवाज पढ़ालिखा था और व्यवसाय करता था. शाहनवाज हालांकि दूसरे धर्म का था, फिर भी सीता का झुकाव उस की ओर हो गया. दोनों ने अपने मोबाइल नंबर एकदूसरे को दे दिए, जिस से दोनों की अकसर देर रात तक बातें होने लगीं.
हालांकि सीता का दिल शाहनवाज को स्वीकार कर चुका था. लेकिन उसे इस बात की चिंता थी कि कहीं शाहनवाज शादीशुदा तो नहीं. इस चिंता से मुक्ति पाने के लिए एक दिन सीता ने बातोंबातों में पूछ लिया, ‘‘शाहनवाज, तुम शादीशुदा हो या कुंवारे? सचसच बताना, झूठ का सहारा मत लेना. क्योंकि झूठ से मुझे सख्त नफरत है.’’
‘‘झूठ बोलना मेरे स्वभाव में नहीं है, इसलिए सच यह है कि मैं कुंवारा भी हूं और शादीशुदा भी.’’ उस ने बताया.
‘‘क्या मतलब?’’ सीता चौंकी.
‘‘मतलब यह कि मेरी शादी हुई थी, लेकिन चंद दिनों बाद ही बीवी से मेरा तलाक हो गया था. अब उस से मेरा कोई संबंध नहीं है. इस तरह मैं अब कुंवारा ही हूं.’’
सीता मन ही मन खुश हुई और बोली, ‘‘शाहनवाज, मुझे जान कर खुशी हुई कि तुम ने सब सच बताया. अब मेरी चिंता दूर हो गई.’’
धीरेधीरे दोनों की दोस्ती गहरा गई. शाहनवाज को लगने लगा कि सीता उस की जिंदगी में बहार बन कर आएगी. वहीं सीता को भी आभास होने लगा था कि शाहनवाज ही उस के सपनों का राजकुमार है, इसलिए उस का मन उस से रूबरू होने को मचलने लगा.
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एक दिन सीता ने बातोंबातों में शाहनवाज को अपने शहर आजमगढ़ आने को कह दिया. दिन, तारीख, समय और होटल का नाम भी उसी दिन निश्चित हो गया. शाहनवाज तो यह चाहता ही था, सो उस ने सीता के आमंत्रण को सहर्ष स्वीकार कर लिया. इस के बाद वह आजमगढ़ जाने तथा महबूबा से रूबरू होने की तैयारी में जुट गया.
जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…