रोजरोज की कलह से आजिज आ कर रामसागर ने रामभरोसे को घर से अलग कर दिया और पड़ोस में ही एक कमरा बरामदे वाला मकान रहने को दे दिया. रामभरोसे इसी एक कमरे वाले घर में अपनी पत्नी श्यामा व 4 बेटियों के साथ रहने लगा. लड़ाई झगडे़ से नजात मिली तो श्यामा ने राहत की सांस ली. उस ने अपने विनम्र स्वभाव से पति को भी सम झाया कि वह शराब पीना छोड़ दे और अपनी बेटियों की पढ़ाईलिखाई तथा पालनपोषण पर ध्यान दे. उस ने यह भी कहा कि वह कमाई का कोई ठोस रास्ता निकाले, जिस से घरगृहस्थी सुचारु रूप से चल सके.
रामभरोसे शराबी जरूर था किंतु पत्नीबच्चों से उसे प्यार था. उस ने पत्नी की बात मान कर शराब पीनी छोड़ी तो नहीं लेकिन कम जरूर कर दी. रामभरोसे अब तक कमानी मरम्मत का हुनर सीख चुका था. उस ने पिता के साथ काम करना छोड़ दिया और शांतिनगर स्थित एक गैराज में ट्रक व ट्रैक्टर की कमानी मरम्मत का काम करने लगा. गैराज से उसे अच्छी कमाई होने लगी.
पति कमाने लगा तो श्यामा की घरगृहस्थी सुचारु रूप से चलने लगी. वह पति की कमाई से पूर्णरूप से संतुष्ट तो नहीं थी पर असंतुष्ट भी न थी. उस की बड़ी बेटी पिंकी शांतिनगर स्थित निरंकारी बालिका इंटर कालेज में पहले से पढ़ रही थी. अब उस ने प्रियंका, वर्षा तथा रूबी का भी दाखिला इसी बालिका कालेज में करा दिया था. श्यामा अपनी बेटियों का जीवन संवारना चाहती थी. इसलिए वह उन के पालनपोषण तथा पढ़ाइलिखाई पर विशेष ध्यान देने लगी. बेटियों की पढ़ाई का खर्च पूरा करने के लिए पड़ोस के एक धनाढ्य परिवार में वह खाना बनाने (रसोइया) का काम करने लगी.
समय बीतता रहा. समय के साथ श्यामा की बेटियां भी सालदरसाल बड़ी होती गईं और वे एक क्लास पास कर दूसरे में पहुंचती रहीं. वर्ष 2015 में एक बार फिर श्यामा के जीवन में भी ग्रहण लगना शुरू हो गया. इस ग्रहण ने उस के जीवन में ही नहीं बल्कि बेटियों के जीवन में भी अंधेरा कर दिया.
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हुआ यह कि जिस गैराज में रामभरोसे कमानी मरम्मत का काम करता था, उसी में एक युवक विपिन काम करता था. एकसाथ काम करते विपिन और रामभरोसे में दोस्ती हो गई थी. दोस्ती गहरी हुई तो दोनों साथ खानेपीने लगे. दोस्ती के नाते एक रोज रामभरोसे विपिन को अपने घर ले आया. यहीं घर पर पीनेखाने के दैरान विपिन की नजर रामभरोसे की खूबसूरत बीवी श्यामा पर पड़ी. श्यामा 4 बेटियों की मां जरूर थी लेकिन यौनाकर्षण बरकरार था. पहली ही नजर में श्यामा विपिन के दिलदिमाग पर छा गई. वह श्यामा को अपनी अंक शायिनी बनाने का सपना संजोने लगा. वह सोचने लगा,’ यह हूर की परी, इस कालेकलूटे के भाग्य में. इसे तो मेरी होना चाहिए था.
विपिन जानता था कि श्यामा के बिस्तर तक पहुंचने का रास्ता रामभरोसे से हो कर जाता है. अत: उस ने रामभरोसे से दोस्ती और गाढ़ी कर ली. साथ ही, वह उसे मुफ्त में शराब और गोश्त परोसने लगा. यही नहीं, वह गाहेबगाहे उस की आर्थिक मदद भी करने लगा. विपिन ने जब देखा कि राम भरोसे पूर्णरूप से उस के एहसान तले दब चुका है तब उस ने कहा, ‘रामभरोसे ठेके पर पीने से मजा किरकिरा हो जाता है. घर में बैठ कर पीने का मजा ही कुछ और है. भाभी के हाथ का पका गोश्त मजा और भी दूना कर देगा.’
मुफ्त की शराब और गोश्त के लालच में रामभरोसे ने विपिन की बात मान ली. इस के बाद वह एक हाथ में मीट की थैली तथा दूसरे हाथ में शराब की बोतल ले कर रामभरोसे के घर पहुंचने लगा. श्यामा मीट पकाती और वे दोनों बैठ कर शराब पीते. फिर वे दोनों साथ बैठ कर रोटीमीट खाते. विपिन इस बीच श्यामा को ललचाई नजरों से देखता और उस की खूब तारीफ करता. बच्चों को ललचाने के लिए वह उन के लिए टौफीबिस्कुट लाता. कभीकभी उन को नकद रुपए भी थमा देता. यही नहीं, वह श्यामा को आकर्षित करने के लिए उस को भी 5 सौ रुपए का नोट थमा देता.
कहते हैं औरत को मर्द की निगाह की अच्छी परख होती है. श्यामा ने भी विपिन की नजर परख ली थी. वह जान गई थी कि विपिन की नजर उस के जिस्म पर है. वह उसे ललचाई नजरों से देखता है. अपने गंदे इरादों को पूरा करने के लिए उस ने उस के पति का सहारा लिया है. उस के मन में खोट है. उस के गंदे इरादों की यदि वह भागीदार बन गई तो कल वह बेटियों को भी नहीं छोडे़गा. लेकिन वह ऐसा नहीं होने देगी. उस के कदमों को रोकना होगा.
शाम को जब विपिन और रामभरोसे आए तो श्यामा दीवार बन कर दोनों के सामने खड़ी हो गई, ‘विपिन, रोजरोज घर पर खानेपीने का तमाशा नहीं चलेगा. पीना है तो ठेके पर जाओ. घर में हमारी बेटियां हैं. उन के सामने मैं तुम्हें शराब नहीं पीने दूंगी. इसी वक्त मेरे घर से चले जाओ.
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’‘भाभीजी, आज आप को क्या हो गया जो खानेपीने को मना कर रही हो.’ विपिन असहज सा हो गया.
‘विपिन मैं कोई बच्चा नहीं हूं. सब जानती हूं कि तुम मेरे घर में पैर क्यों पसार रहे हो. क्यों मेरे पति को गुमराह कर रहे हो. क्यों मेरी आर्थिक मदद कर रहे हो. इन सब का जवाब चाहते हो तो सुनो, क्योंकि तुम्हारी निगाह मेरे जिस्म पर है.’
कड़वी सचाई सुन कर विपिन की बोलती बंद हो गई. वह वापस लौट गया. ठेके पर पीने के दौरान विपिन ने श्यामा के खिलाफ रामभरोसे के खूब कान भरे. बेइज्जत करने का इलजाम लगाया. देररात नशे में धुत हो कर राम भरोसे घर आया तो विपिन को घर से बेइज्जत कर भगाने को ले कर श्यामा से भिड़ गया. श्यामा ने पति को सम झाने का प्रयास किया, लेकिन उस की सम झ में कुछ नहीं आया. उस ने श्यामा को जम कर पीटा. बड़ी बेटी पिंकी मां को बचाने आई तो उस ने उस की भी पिटाई कर दी.