बलात्कारी की हार: भाग 1

लेखक- नीरज कुमार मिश्रा

‘‘बधाई हो आप को, बेटी का जन्म हुआ है,’’ नर्स ने बिस्तर पर लेटी हुई प्रीति से कहा.

प्रीति ने उनींदी आंखों से अपनी बेटी की तरफ देखा, उस के होंठों पर मुसकराहट तैर आई और आंखों से चांदी के दो छोटे गोले कपोलों पर ढुलक गए.

प्रीति ने एक लंबी सांस छोड़ी और आंखों को कमरे के एक कोने में टिका दिया. ‘‘नहीं सिस्टर नहीं, यह मेरी बेटी नहीं है. यह तो मेरी जीत है, मेरी जित्ती.’’ अचानक से कह उठी थी प्रीति. कमरे के एक कोने में टिकी आंखों ने यादों की परतों की पड़ताल करनी शुरू कर दी थी.

प्रीति का तबादला आगरा की ब्रांच में हुआ था. बैंक में उस का पहला दिन था और इसी उत्साह में उस ने एक घंटे पहले ही कैब मंगवा ली थी और नियत समय से 15 मिनट पहले ही अपने बैंक जा पहुंची.

10 बजतेबजते ही लगभग सारा स्टाफ आ गया था. आज इस बैंक में प्रीति एक नया चेहरा थी, इसलिए सब ने उस का स्वागत किया.

प्रीति की उम्र 25 वर्ष थी और इस ब्रांच का स्टाफ भी युवा ही था, इसलिए वह बहुत ही जल्दी सब में घुलमिल गई थी.

लंचब्रेक होने पर वह कैंटीन जाने के लिए उठने ही जा रही थी कि तभी एक आवाज ने उस का ध्यान भंग किया.

‘‘प्रीतिजी, मेरा नाम अमित है. अगर आप बुरा न मानें तो मेरे साथ लंच शेयर कर सकती हैं. मां के बनाए हुए ढोकले लाया हूं. साथ देंगी तो अच्छा लगेगा,’’ अमित ने कहा.

प्रीति ने चौंक कर देखा तो वह उस का सहकर्मी था जो कैश मैनेजर की पोस्ट पर था. एक अच्छा शरीर, चेहरे पर घनी मूंछ और आंखों पर हलके लैंस वाला चश्मा और उस की आयु 30 वर्ष के आसपास. कुल मिला कर प्रीति भी अपनेआप को अमित के प्रति आकर्षित होने से न रोक पाई थी.

अमित ने अपना टिफिन आगे बढ़ाया तो सकुचाते हुए प्रीति ने एक ढोकला ले लिया और अमित को थैंक्स कहा.

‘‘जी मैं पिछले एक साल से इसी ब्रांच में काम कर रहा हूं. मैं ने देखा है इस ब्रांच में जो भी लोग आते हैं वे बहुत ही खूबसूरत होते हैं,’’ अमित ने प्रीति की आंखों में ?ांकते हुए कहा.

ये भी पढ़ें- Romantic Story in Hindi: दिव्या आर्यन- जब दो अनजानी राहों में मिले धोखा खा चुके हमराही

अपने आखिरी के शब्द अमित ने कुछ इस तरह कहे थे कि प्रीति कुछ शरमा सी गई थी. अमित का बात करने का अंदाज कुछ ऐसा था कि उस ने पहली ही मुलाकात में प्रीति के बारे में काफीकुछ जान लिया और लोकल घर का पता भी पूछ लिया था.

‘‘अमितजी, मैं यहां पर सिविल लाइंस में एक घर में पेइंगगैस्ट के तौर पर रहती हूं,’’ प्रीति ने बताया.

‘‘ओह, सिविल लाइंस वह तो मेरे घर जाने के रास्ते में ही पड़ता है. अगर आप बुरा न मानें तो मैं कल आते समय आप को पिक कर लूं?’’

अमित ने कुछ ऐसे कहा कि प्रीति को इस में कोई बुराई नहीं नजर आई और उस ने हामी भर दी.

अब तो अमित रोज सुबह प्रीति को पिक करता और शाम को घर जाते समय उसे उस के कमरे पर छोड़ देता.

अमित अपनी बातों में बड़ा बेतकल्लुफ और बेपरवाह सा था. उस की यही बात प्रीति को सब से ज्यादा पसंद भी थी क्योंकि उसे गंभीरता ओढ़े, जिंदगी को गणित के ढंग से जीने वाले लोग पसंद नहीं थे.

ये भी पढ़ें- Family Story in Hindi: मेरी खातिर- भाग 2: माता-पिता के झगड़े से अनिका की जिंदगी पर असर

यही वजह थी कि कहीं न कहीं वह अमित में एक आदर्श जीवनसाथी देख चुकी थी.

अमित एक दिन प्रीति को उस के घर छोड़ने जा रहा था कि रास्ते में तेज आंधी और बारिश शुरू हो गई. बहुत मुश्किल से प्रीति का घर आया. बारिश और उग्र हो रही थी, इसलिए प्रीति ने अमित को थोड़ा ठहर कर जाने को कहा जिसे अमित ने सहर्ष मान लिया.

दोनों भीगे हुए थे.  प्रीति चाय बना लाई और दोनों चाय की चुस्कियां लेने लगे. अचानक से बिजली चली गई. प्रीति ने मोबाइल की लाइट जलाई तो महसूस किया कि अमित तो उस के पीछे खड़ा है.

‘‘प्रीति, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं और तुम से शादी करना चाहता हूं,’’ उस के हाथ प्रीति के जिस्म पर फिसल रहे थे.

पता नहीं क्यों अमित की इस हरकत का जवाब कुछ भी नहीं दे पाई प्रीति. उस के मौन को अमित ने उस की स्वीकृति सम?ा और अपने हाथों की गति को तेज कर दिया.

इंद्रधनुष के दो रंग आपस में घुल गए. प्रीति की आंखों में चांदनी उतर आई थी. दो दिलों के मिलने की खुशबू पूरे कमरे में फैल गई. अंदर का तूफान जब शांत हुआ तो दोनों ने देखा कि बाहर का तूफान भी शांत हो चुका था.

प्रीति जो अमित को अपने जीवनसाथी के रूप में मान चुकी थी, इसलिए वह अपने इस नए अनुभव पर शर्मिंदा न हो कर रोमांचित थी और यह रोमांच उस ने अपने तक नहीं रखा बल्कि अपने घर के लोगों के साथ भी बांटा. घर के लोग भी खुश हुए कि चलो अच्छा हुआ जो प्रीति को मनचाहा वर मिल गया.

जब इस रिश्ते को घर वालों से हरी ?ांडी मिल गई तो प्रीति और अमित ने कई बार अपने अंदर के तूफान को अनुभव किया जिस का परिणाम यह हुआ कि प्रीति को गर्भ ठहर गया.

‘‘अमित, सुनो, अब हमें जल्दी शादी कर लेनी चाहिए,’’ कौफीहाउस में अमित के हाथों को अपने हाथों में लेते हुए प्रीति ने कहा.

‘‘क्या… पागल तो नहीं हो गई हो तुम. अरे हम दोनों साथ में काम करते हैं, अगर तुम्हारे साथ थोड़ा एंजौय कर लिया तो तुम तो गले ही पड़ने लगीं,’’ अमित बौखला सा गया था.

ये भी पढ़ें- Family Drama in Hindi: दत्तक बेटी ने झुका दिया

‘‘पर तुम ने तो कहा था कि प्यार करते हो मु?ा से, शादी करना चाहते हो,’’ प्रीति हकला सी गई.

‘‘अरे यार, ऐसे वादे तो खूबसूरत लड़कियों से करने के लिए ही तो होते हैं वरना वे हाथ ही कहां रखने देंगी,’’ अमित ने बेशर्मी दिखाई.

‘‘पर तुम ने तो गलत किया मेरे साथ. यह तो सरासर धोखा है,’’ प्रीति की आवाज डूब रही थी.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें