सुरक्षित चलें और सुरक्षित रहें

हमारे देश में यातायात के साधनों में नित्य प्रगति आ रही है, जीवन में  शहरों से गाँव की दूरियां निरंतर घाट रही है ,लेकिन इसके साथ यातायात में होने वाले दुर्घटनाओं की संख्या में भी निरंतर वृद्धि हो रहा है.  हमें समाज में जागरूपता लेकर तय समय के अंदर इस दुर्घटनाओं को रोकना होगा.  ताकि हम सुरक्षित चले और  सुरक्षित रहे. सड़क सुरक्षा के लिए यातायात पुलिस तो अपना काम कर रही रही है , हमें भी जगरूप रहना होगा. यातायात नियमों और कानूनों का पालन करें और सड़क दुर्घटनाओं से खुद को और अपने परिवारों को बचाएं. अन्य लोगों को भी सड़क सुरक्षा नियमों से अवगत कराना हमारी सड़कों को सुरक्षित बना सकता है.

ये भी पढ़ें- T-20 फौर्मेट में गेंदबाजों के आगे फीके पड़े बल्लेबाजों के तेवर, देखें दिलचस्प रिकॉर्ड

यातायात नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि हर मनुष्य की जान अपने परिवार के लिए बहुत जरूरी है देश के लिए जरूरी है कई सारी सड़क दुर्घटनाओं में हमारे देश के ऐसे महान व्यक्तित्व भगवान को प्यारे हो गए हैं. जिनकी क्षतिपूर्ति आज तक कोई नहीं कर पाया है . इसलिए सड़क दुर्घटनाओं में प्रत्येक महा कई हजार की संख्या में इंसानों की जान जा रही है .

तेज गति से वाहन चलाना शराब पीकर वाहन चलाना सीट बेल्ट ना लगाना दो पहिया वाहन पर हेलमेट ना लगाना यातायात नियमों का पालन करना इन सब कारणों से कई घरों के दिए बुझ गए हैं . जो मनुष्य के लिए पश्चाताप के अलावा कुछ नहीं छोड़ जाते इसलिए मेरा अपना मानना है. यातायात नियमों का पालन कानून से डर के नहीं बल्कि स्वयं की जिम्मेदारी समझकर अपना फर्ज समझते हुए ,ठीक उसी प्रकार करना चाहिए जैसे मनुष्य भगवान की भक्ति अपना फर्ज समझकर करता है.

ये भी पढ़ें- हर मोर्चे पर विफल हो रही टीम इंडिया, क्या पूरा हो पाएंगा टी-20 विश्व कप जीतने का सपना

ड्रिंक और  ड्राइव

हमारे देश में शराब पी कर गाड़ी चलना आम बात लगता है. लेकिन इससे होने वाले दुर्घटनाओं का आकंड़ा चौकाने वाला  हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि‍ एक्‍सि‍डेंट का सबसे प्रमुख कारण शराब पीकर ड्राइविंग करना है. भारत में इसका आंकड़ा दुनि‍या में सबसे ज्‍यादा है, जहां हर साल करीबन डेढ़ लाख लोग रोड एक्‍सि‍डेंट में मारे जाते हैं. इसमें से 70 फीसदी  मामलों में इसकी वजह शराब पीकर गाड़ी चलाना रहता है.

ड्रिंक करने के उपरांत मनुष्य का मस्तिष्क एवं उसका शरीर ड्राइव करने के लायक नहीं रहता हैं , डिसबैलेंस रहता है ,इसलिए दुर्घटना के प्रबल चांस रहते हैं.  मुख्य कारण यही है, कि  इंसान को जब अपनी जान प्यारी है ,तो उसे सामने वाले की जान की भी उतनी ही वैल्यू समझनी चाहिए. इसलिए कभी भी ड्रिंक करने के उपरांत ड्राइवर नहीं करनी चाहिए.  मनुष्य की जान अनमोल हैं.

ये भी पढ़ें- DCP किरण बेदी! के समय भी यही हाल था जो आज दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच है

सीट बेल्ट और सुरक्षित ड्राइव

सीट बेल्ट लगाना वाहन चलाते समय नितांत आवश्यक है, जिससे वाहन में बैठे चालक एवं सवारियों की जान सुरक्षित है यदि सड़क दुर्घटना होती है तो मनुष्य अर्थात उसमे बैठा व्यक्ति सीट बेल्ट के कारण सीट से ही चिपका रहता है अचानक से झटका लगने के कारण वह व्यक्ति आगे डेस्क बोर्ड अथवा सीसे में नहीं लगता उसके सीने एवं सिर में चोट आने से बस जाती है जिससे मनुष्य की जान सड़क दुर्घटना में बचने के प्रबल चांस रहते हैं

ओवर स्पीड से बचे

ओवर स्पीड से बचना कोई लापरवाही नहीं बल्कि समझदारी का परिचायक हैं.  समझदार इंसानों ने कहा है ,दुर्घटना से देर भली अर्थात हम अपने मंजिल पर कुछ समय विलंब से पहुंच जाएं,  परंतु सुरक्षित पहुंच जाएं.  यह जरूरी है ,सुरक्षित पहुंचना बहुत आवश्यक हैं.  दुर्घटना ओवर स्पीड के कारण अक्सर होती हैं.  जिनसे वाहन में बैठे व्यक्तियों की जान तक चली जाती है.

अपना वाहन क्षतिग्रस्त हो जाता है , सामने वाले व्यक्ति की जान को भी खतरा रहता है. उनकी भी जान चली जाती है,  हर  इंसान के जान की वैल्यू है.   इसलिए ओवर स्पीड चलना, स्वयं की जान को खतरे में डालना एवं दूसरों की जान से खेलना बिल्कुल अनुचित है.

ये भी पढ़ें- क्या करें जब लग जाए आग

वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग न करे

वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग करना अपनी और  सामने वाले की जान से खेलना है. किसी भी सूरत में वाहन चलाते समय मोबाइल फोन पर बातें न करे और नहीं  ईयर फोन लगाकर सॉन्ग सुनने.  इससे मनुष्य अथवा वाहन चालक अपनी सामने वाले की जान से खेलता है, क्योंकि ईयर फोन लगाने से मनुष्य का ध्यान उस सॉन्ग के वर्णन एवं ख्यालों में रहता है, पीछे वह सामने से आने वाले वाहन के होरन पर ध्यान नहीं रहता है . जिससे सड़क दुर्घटनाएं बढ़ती है.  जान तक चली जाती हैं.

वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करने से भी मनुष्य का ध्यान वाहन चलाने से हट जाता है एवं मोबाइल पर चल रही बातों एवं सामने से जो दूसरा व्यक्ति दूसरी तरफ से मोबाइल पर बात कर रहा होता है. उस पर चला जाता है,उसकी बातों पर ध्यान चला जाता है चालक वाहन तो चला रहा होता है, परंतु हमारा मस्तिष्क पूर्णरूपेण हमारे शरीर के साथ नहीं रहता है, इसलिए सड़क दुर्घटना होने के प्रबल चांस रहते हैं और ऐसी घटनाएं बहुत सारी हुई है. जिनका उदाहरण भारतीय इतिहास में लिखा जा चुका है.

अभी हाल में ही  उत्तरप्रदेश के सहारनपुर में बस ड्राइवर द्वारा मोबाइल पर बात करते समय, बस को खाई में गिरा देना.  जिससे कई व्यक्तियों की मृत्यु हुई.  ऐसी कई सारी उत्तर प्रदेश में अन्य राज्यों में दुर्घटनाएं हुई है मात्र एक व्यक्ति चालक की लापरवाही से कई सारे जाने चली गई है प्रत्येक जान अनमोल है इसलिए कभी भी स्वयं की व अन्य व्यक्ति की जान से ना खेले. वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग बिलकुल न करें.

ये भी पढ़ें- दहेज में जाने वाले दैय्यत बाबा

(हर एक जीवन का महत्व हैं. सड़क सुरक्षा उपायों का अभ्यास करना पूरे जीवन में सभी लोगों के लिए बहुत अच्छा और सुरक्षित है. सड़क पर चलते या चलते समय सभी को दूसरों का सम्मान करना चाहिए और उनकी सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए. -उत्तर प्रदेश पुलिस  के सब इंस्पेक्टर वरुण पँवार )

चालान का डर

छोटेछोटे गुनाहों पर भारी रकम वसूल करना आज किसी भी कोने में खड़े वरदीधारी के लिए वैसा ही आसान हो गया है जैसा पहले सूनी राहों में ठगों और डकैतों के लिए हुआ करता था.

ट्रैफिक को सुधारने की जरूरत है, इस में शक नहीं है पर ट्रैफिक सुधारने के नाम पर कागजों की भरमार करना और किसी को भी जब चाहे पकड़ लेना एक आपातकाल का खौफ पैदा करना है. नियमकानून बनने चाहिए क्योंकि देश की सड़कों पर बेतहाशा अंधाधुंध टेढ़ीमेढ़ी गाडि़यां चलाने वालों ने अपना पैदायशी हक मान रखा था पर जिस तरह का जुर्माना लगाया गया है वह असल में उसी सोच का नतीजा है जिस में बिल्ली को मारने पर सोने की बिल्ली ब्राह्मण को दान में देने तक का विधान है.

ट्रैफिक कानून को सख्ती से लागू करना जरूरी था पर इस में फाइन बढ़ाना जरूरी नहीं. पहले भी जो जुर्माने थे वे कम नहीं थे और यदि उन्हें लागू किया जाता तो उन से ट्रैफिक संभाला जा सकता था, पर लगता है नीयत कुछ और है. नीयत यह है कि हर पुलिस कौंस्टेबल एक डर पैदा कर दे ताकि उस के मारफत घरघर में सरकार के बारे में खौफ का माहौल पैदा किया जा सके. यह साजिश का हिस्सा है.

इस की एक दूरगामी साजिश यह भी है कि ट्रक, टैंपो, आटो, टैक्सी, ट्रैक्टर, बस ड्राइवरों को इस तरह गरीब रखा जाए कि वे कभी न तो चार पैसे जमा कर सकें और न ही अपनी खुद की गाडि़यों के मालिक बन सकें. उन्हें आधा भूखा रखना ऐसे ही जरूरी है जैसे सदियों तक देश के कारीगरों को साल में 2 बार अनाज और कपड़े ही वेतन के बदले दिए जाते थे.

ये भी पढ़ें- गहरी पैठ

पहले भी गाड़ीवानों, ठेला चलाने वालों, तांगा चलाने वालों, घोड़े वालों को बस इतना मिलता था कि वे घोड़े पाल सकें. मालिक तो कोई और ही होते थे. ये जुर्माने इतने ज्यादा हैं कि अगर सख्ती से लागू किए गए तो देश फिर पौराणिक युग में पहुंच जाएगा. यह गाज आम शहरी पर कम, उन पर ज्यादा पड़ेगी जो दिन में 10-12 घंटे गाडि़यां चलाते हैं.

आजकल इन कमर्शियल ड्राइवरों के लिए गाड़ी चलाते हुए मोबाइल पर बात करना जरूरी हो गया है ताकि ग्राहक मिलते रहें. ट्रैफिक फाइन ज्यादातर उन्हीं से वसूले जाएंगे या फिर हफ्ता चालू कर दिया जाएगा जैसा शराब के ठेकों, वेश्याओं के कोठों, जुआघरों में होता है. एक इज्जत का काम सरकार ने बड़ी चालाकी से अपराध बना दिया है ताकि एक पूरी सेवादायी कौम को गुलाम बना कर रखा जा सके. यही तो हमारे पुराणों में कहा गया है.

दलितों की अनसुनी

देश का दलित समुदाय आजकल होहल्ला तो मचा रहा है कि उस के हकों पर डाके डालने की तैयारी हो रही है पर यह हल्ला सामने नहीं आ रहा क्योंकि न अखबार, न टीवी और न सोशल मीडिया उन की बातों को कोई भाव दे रहे हैं. दलितों में जो थोड़े पढ़ेलिखे हैं वे देख रहे हैं कि देश किस तरफ जा रहा है पर अपनी कमजोरी की वजह से वे वैसे ही कुछ ज्यादा नहीं कर पा रहे जैसे अमेरिका के काले नहीं कर पा रहे जिन्हें ज्यादातर गोरे आज भी गुलामों की गुलाम सरीखी संतानें मानते हैं. दलितों का हल्ला अनसुना करा जा रहा है.

1947 के बाद कम्यूनिस्ट या समाजवादी सोच के दलितों को थोड़ी जगह देनी शुरू की थी क्योंकि तब गिनती में ज्यादा होने के बावजूद उन का कोई वजूद नहीं था. धीरेधीरे आरक्षण के कारण उन्हें कुछ जगह मिलने लगी तो ऊंची जातियों को एहसास हुआ कि सदियों से जो सामाजिक तौरतरीका बनाया गया है वह हाथ से निकल रहा है.

ये भी पढ़ें- आज भी इतनी सस्ती है दलितों और पिछड़ों की

उन्होंने मंडल कमीशन लागू करवा कर पिछड़ों को उन गरीब दलितों से अलग किया जो पहले जातिभेद के बावजूद साथ गरीबी में रहते थे और फिर इन पिछड़ों को भगवाई रस पिला कर अपनी ओर मिला लिया. यह काम बड़ी चतुराई और चुपचाप किया गया. लाखों ऊंची जातियों के कर्मठ और अपना पैसा लगाने वाले अलग काम करते हुए, अलग पार्टियों में रहते हुए धीरेधीरे उस समाज की सोच फिर से थोपने लगे जिस में खाइयां सिर्फ गरीबअमीर की नहीं हैं, जाति और वह भी जो जन्म से मिली है और पिछले जन्मों के कर्म का फल है, चौड़ी होने लगीं.

मजे की बात है कि दलितों और पिछड़ों ने इन खाइयों को बचाव का रास्ता मान लिया और खुद गहरी करनी शुरू कर दीं. आज इस का नतीजा देखा जा सकता है कि मायावती को भारतीय जनता पार्टी के पाले में बैठने को मजबूर होना पड़ रहा है और सभी पार्टियों के ऊंची जातियों के लोग बराबरी, आजादी, मेहनत वगैरह के हकों की जगह धर्म का नाम ले कर बहुतों की आवाज दबाने में अभी तो सफल हो रहे हैं.

जातिगत भेदभाव का सब से बड़ा नुकसान यह है कि उस से वे ताकतवर हो जाते हैं जो करतेधरते कम हैं और वे अधपढ़े आलसी हो जाते हैं जिन पर देश बनाने का जिम्मा है. हमारे समाज में खेती, मजदूरी, सेना, कारीगरी हमेशा उन हाथों में रही है जिन के पास न पढ़ाई है, न हक है. आज की तकनीक का युग हर हाथ को पढ़ालिखा मांगता है और जो पढ़ालिखा होगा वह हक भी मांगेगा. दलितों की आवाज दबा कर ऊंची जातियां खुश हो लें पर इस खमियाजा देश को भुगतना होगा. देश के किसान, मजदूर, कारीगर, सैनिक, छोटे काम करने वाले बहुत दिन चुप नहीं रहेंगे. वे या तो देश की जड़ें खोखली कर देंगे या कुछ करने के लिए खुल्लमखुल्ला बाहर आ जाएंगे.

ये भी पढ़ें- कश्मीर में धारा 370 समाप्त

वैध पार्किंग में ही रखें अपना वाहन, नहीं तो होगा भारी नुकसान

देश में हाल ही में नए ट्रैफिक नियमों को इतना सख्त किया गया कि आम आदमी का चालान के नाम पर पसीना ही छूटने लगा. किसी शख्स का 35,000 रुपए का चालान कटा तो किसी का 52,000 रुपए का. एक शख्स ने तो चालान से बचने के लिए अपनी मोटरसाइकिल में ही आग लगा ली, भले ही बाद में इस करतूत का अंजाम भुगतना पड़ा हो.  वहीं दिल्ली में एक लड़की स्कूटी के पुख्ता कागजात न होने पर पुलिस वालों को आत्महत्या करने तक की धमकी देने लगी. अभी इस ट्रैफिक नियमों की समस्या से जूझ ही रहे थे कि राजधानी वालों को एक और नई परेशानी ने घेर लिया है.

जी हां, राजधानी नई दिल्ली में सड़कों पर अवैध रूप से वाहन खड़े करने पर अब भारी जुर्माना देना पड़ सकता है. इसके अलावा वाहन मालिक को चालान के अलावा अधिक टोइंग यानी वाहन को उठा कर ले जाने वाला शुल्क व उसे रखे जाने का शुल्क अलग से देना होगा.

नई पार्किंग नीति के तहत यह शुल्क वाहनों की अलगअलग कैटेगरी  के हिसाब से 200 रुपए से ले कर 2,000 रुपए तक होगा.

यदि मालिक अपने वाहन को छुड़ाने के लिए आगे नहीं आता है तो 90 दिन के बाद वाहन को नीलाम कर दिया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक, नई पार्किंग नीति 30 सितंबर से पहले  लागू की जाएगी.

मतलब, दिल्ली सरकार दिल्ली मेंटेनेंस एंड मैनेजमेंट औफ पार्किंग रूल्स 2017 के नाम से तैयार की गई पार्किंग नीति को 30 सितंबर से पहले हर हाल में अधिसूचित कर देगी.

ये भी पढ़ें- जब पार्टनर टालने लगे शादी की बात

यह नीति जहां लोगों को जाम से छुटकारा दिलाएगी, वहीं सड़कों पर गलत तरीके से खड़े वाहनों से होने वाली समस्या को भी दूर करेगी.

इस नीति के अनुसार 60 फुट से अधिक चौड़ी सड़कों पर अवैध पार्किंग के मामले में यातायात पुलिस को वाहनों को उठाने का अधिकार होगा. वहीं इस से कम चौड़ी सड़कों पर वाहनों को उठाने और जुर्माना लगाने की जिम्मेदारी संबंधित सिविक एजेंसी की होगी.

कोई भी खटारा वाहन जो 60 फुट से कम चौड़ी सड़क पर खड़ा मिलेगा,  उसे सिविक एजेंसी जब्त करेगी.

ऐसे वाहन 60 फुट या इस से अधिक चौड़ी सड़कों पर खड़े मिलेंगे तो उसे यातायात पुलिस और सिविक एजेंसी की टीम जब्त करेगी. वाहन को उठा कर ले जाने का शुल्क भी पहले से अधिक वसूला जाएगा.

कार का पहले टोइंग शुल्क 200 रुपए था, जोकि नई नीति के तहत 400 रुपए होगा. वाहन को रखे जाने का शुल्क उसे उठाए जाने के 48 घंटे बाद शुरू होगा और इस के बाद प्रतिदिन के हिसाब से शुल्क वसूला जाएगा.

ये भी पढ़ें- लिव इन रिलेशनशिप: कितना सही कितना गलत

यदि वाहन नो पार्किंग में खड़ा किया गया है तो संबंधित एजेंसी उसे उठा कर ले जाएगी. इस पर चालान के अलावा टोइंग शुल्क और वाहन को रखे जाने का शुल्क प्रतिदिन के हिसाब से देना होगा.

वहीं, एक सप्ताह से ज्यादा समय तक वाहन रखे जाने पर जुर्माना राशि दोगुनी हो जाएगी. यदि जब्त किया गया वाहन 90 दिन के अंदर नहीं छुड़ाया जाता है तो वाहन मालिक को नोटिस दिया जाएगा कि 15 दिन के अंदर वाहन छुड़ा लें.  यदि मालिक नियत समय पर वाहन को छुड़ाने में असफल रहता है तो वाहन की नीलामी कर दी जाएगी.

सचेत हो जाइए, नया नियम कमरतोड़ महंगाई में और ज्यादा कमर तोड़ देगा.

आप की जेब पर अब डाका डालने का दूसरा प्लान है. कितना बचोगे सरकार की पैनी नजरों से.

ये भी पढ़ें- भारतीय सेना में शामिल हुआ अपाचे हेलिकौप्टर और AK-

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें