छत्तीसगढ़ में कांग्रेस भाजपा के मध्य “राम दंगल”!

सप्ताह भर से अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन की हवा बह रही है. कांग्रेस भय भीत है, मान रही है यहां प्रोपेगेंडा बन कर यह छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल कांग्रेस की सरकार को उखाड़ डालेगी. शायद इसी वजह से कांग्रेस यहां भाजपा के चरणों में नतमस्तक हो गई है. यहां कांग्रेस की सरकार है जिस की रीति नीति गांधी और नेहरू ने बनाई थी और धर्मनिरपेक्षता को सर्वोपरि बताया था. मगर भाजपा ने जिस तरीके से राम को अपने एजेंडे में लाकर राजनीति के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई है कांग्रेस पार्टी दिल्ली से लेकर छत्तीसगढ़ तक मानो कांप गई है. शायद यही कारण है कि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार ने भाजपा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. और सत्ता और संगठन राम राम जप रहे हैं. आज 5 अगस्त को छत्तीसगढ़ के कोने कोने में मानो भाजपा और कांग्रेस में एक द्वंद्व, कुश्ती चल रहा है एक तरफ भाजपा ताल ठोक रही है कह रही है राम हमारे हैं! देखो कैसे अयोध्या में हम राम मंदिर शिलान्यास का विराट स्वप्न साकार करने का काम कर रहे हैं… मोदी जी चल पड़े हैं भूमि पूजन करने. तो दूसरी तरफ कांग्रेस बौखलाई हुई घूम घूम कर यह कह रही है की छत्तीसगढ़ तो राम का ननिहाल है आओ! राम की पूजा करें. दीप दान करें आरती उतारें, घर-घर में दिए जलाएं. कुल मिलाकर वही सब जो भाजपा कह रही है.

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कुल मिलाकर के वोटों की जो गंदी राजनीति है उसे काग्रेस ने हवा दे दी है. कांग्रेस यह समझ कर चल रही है कि अयोध्या में राम मंदिर बनने के साथ कांग्रेस का अस्तित्व खत्म हो जाएगा. उसके सारे वोट भाजपा में चले जाएंगे वह तो खत्म हो जाएगी. इस भयभीत मनोविज्ञान के कारण कांग्रेस थर थर कांप रही है. इसलिए शुतुरमुर्ग बन कर अपना अस्तित्व बचाने के लिए राम नाम जप रही है. शायद कांग्रेस यह महसूस नहीं कर रही है कि वह वही कर रही है जो भाजपा की राजनीति है. जो भाजपा कर रही है भाजपा ने जो गंदी राजनीति का रायता बिखेरा है उसमें कांग्रेस खुद नृत्य कर रही है. अगर कांग्रेस में थोड़ी भी दिवालियेपन की कमी होती समझदारी होती तो वह ऐसी हरकत कभी नहीं करती. क्योंकि देश का आम आदमी हो या प्रबुद्ध वर्ग यह जानता है कि भाजपा का राम मंदिर निर्माण का ढकोसला किस तरह अपनी कमियों को छुपाने के लिए हथियार बन चुका है.

भूपेश बघेल का आत्मसमर्पण

यह सर्वविदित है कि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार अच्छे खासे बहुमत में है.विगत चुनाव में भाजपा की जो बुरी गत बनी थी उसे भाजपा कभी भूल नहीं सकती. और कांग्रेस को जो विशाल बहुमत मिला था वैसा जिसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता. इस सब के बावजूद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस भाजपा से इस तरह भयभीत है मानो भाजपा बिल्ली है, तो कांग्रेस चूहा बन गई है. इसका कारण हो सकता है केंद्रीय नेतृत्व का आदेश हो कि भाजपा को रोकना है तो राम राम जपो. इसलिए छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी संगठन और सत्ता दोनों मिलकर अयोध्या में चली राम की आंधी तूफान से त्रस्त होकर राम राम जप रहे हैं. मगर इसका संदेश तो यही जाता है कि कांग्रेस पार्टी के पास न तो कुछ सोच विचार है, न ही समझदारी का पैमाना. कांग्रेस को इतनी भी समझ नहीं है कि भाजपा एक हिंदुत्ववादी पार्टी रही है जिसका शुरू से ऐजेंडा राम रहा है. ऐसे में उसका तो काम ही राम राम जपना है. मगर इस राम नाम के पीछे उसकी राजनीति को जनता जानती है एक राजनीतिक पार्टी होने के कारण कांग्रेस का कर्तव्य है कि उस सच को लोगों तक बताएं और पहुंचाएं. इस विचारधारा को आगे बढ़ाए. मगर यह क्या बात हुई कि आप खुद ही राम-राम जपने लगे. कांग्रेस   का अपनी पूरी ताकत के साथ देश की जनता को यह बताना परम कर्तव्य था कि भाजपा का राम किस तरह उग्र हिंदुत्ववाद का प्रतीक है. जबकि कांग्रेस गांधी के राम की अनुयाई है.

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ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा ने जो जाल फेंका था उसमें कांग्रेसी अपने आप फंसती चली गई है. एक तरह से भाजपा को संपूर्ण देश का कर्ता-धर्ता मान लिया है नेतृत्व सौंप दिया है. कांग्रेस को यह मानना और समझना होगा कि बिना रीढ़ के आप खड़े नहीं हो सकते. आपको अपनी विचारधारा और सोच के साथ जनता के बीच वोट मांगने जाना है कांग्रेस पार्टी की रीति नीति इस घटना से जगजाहिर हो जाती है कि उसका एक विधायक संसदीय सचिव राजधानी रायपुर में अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के पुर्व 4 अगस्त को  एक लाख दीये निशुल्क बांटता है और भाजपा को लक्ष्य करके भगवान राम  के गुण गाता  है.

रामवन मार्ग का सौंदर्य!

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार को डेढ़ वर्ष हो गए सत्ता में आए. भाजपा को बुरी तरह धूल चटाने के बाद कांग्रेस सत्ता में आई है 15 वर्ष पश्चात. मगर कांग्रेस की समझ और सोच देखिए!  करोड़ो रुपए का एक प्लान  राम वन गमन के सौंदर्यीकरण व विकास को समर्पित कर दिया गया है. सरकार ने 75 जगह ऐसी चिन्हित की हैं जहां राम आए थे. इन जगहों को कांग्रेस सरकार विकसित करके यह बताना चाहती है कि भैया! हम ही राम के असल भक्त हैं.

सबसे विचित्र बात यह है कि जब अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी राम के भव्य मंदिर का भूमि पूजन कर रहे हैं तो छत्तीसगढ़ में भी भूपेश बघेल सरकार राम राम जप रही है. और गली-गली में उसके नेता कार्यकर्ता पदाधिकारी घूम घूम कर या प्रचारित कर रहे हैं जय श्रीराम जय श्रीराम! कोई दिया बांट रहा है कोई राम जी की फोटो के आगे आरती उतार रहा है और विज्ञप्ति वितरण कर के सारे मीडिया के माध्यम से यह प्रचारित किया जा रहा है कि देखो! हम भी कम नहीं हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यह कहते नहीं अघा रहे हैं कि छत्तीसगढ़ तो भगवान राम का ननिहाल है हम यहां कौशल्या माता के मंदिर का विकास करने जा रहे हैं हम यह करने जा रहे हैं वह करने जा रहे हैं! अब यह भाजपा और कांग्रेस का “राम दंगल” कहां किस मोड़ तक पहुंचेगा इससे लोगों को क्या लाभ होगा यह तो आने वाला समय  बताएगा.

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मगर विकास की जो गति एक नई सरकार के आने के बाद दिखाई देनी चाहिए वह छत्तीसगढ़ में नदारद है. और ऐसा प्रतीत होता है कोरोना वायरस महामारी अपने चरम की ओर बढ़ रही है. जनता आने वाले समय में त्राहि-त्राहि करने वाली है.

कोरोना: उलझती भूपेश बघेल सरकार!

छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस धीरे धीरे बढ़ता चला जा रहा है. और जब स्थिति काबू में थी उसे छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने किस तरह अपनी अविवेक पूर्ण सोच के कारण बद से बदतर बना दिया है उसका देश भर में शायद इससे हटकर दूसरा कोई उदाहरण आपको नहीं मिलेगा. कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार कोरोना संक्रमण के मामले में फिसड्डी और बेहद गैर जिम्मेदार सरकार सिद्ध हुई है. जिसने अपने ही हाथों अपना ही मानो सब कुछ लुटाने, बर्बाद करने का निश्चय कर लिया हो.

प्रारंभ में 2 माह जब सारा देश कोरोना संक्रमण से त्राहि-त्राहि कर रहा था. छत्तीसगढ़ इससे आश्चर्यजनक ढंग से अछूता था. कोरबा और राजनांदगांव जिला को छोड़कर संपूर्ण छत्तीसगढ़ इससे पूरी तरह बचा हुआ था. मगर भूपेश बघेल की अकर्मण्यता और अविवेकपूर्ण फैसलों के कारण छत्तीसगढ़ धीरे-धीरे अगस्त महीना आते आते बेहद खतरनाक स्थिति की मोड़ पर पहुंच चुका है.

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अब इस स्थिति में बघेल सरकार के हाथ पांव फूले हुए दिखाई देते हैं. उसे कुछ समझ नहीं आता कि वह क्या करें, अब बस एक ही काम बचा है, वह है लॉकडाउन.

छत्तीसगढ़ की स्थिति धीरे-धीरे हाथ से निकलती चली जा रही है. आज राजधानी रायपुर में सबसे बुरा हाल है. यहां के लोगों का जीना मुहाल हो चुका है. लोग घरों में कैद हैं. लोगों को न तो चिकित्सा की सुविधा मिल रही है ना दैनिक जीवन में काम आने वाले सामानों की आपूर्ति हो पा रही है.हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि सरकारी दफ्तर में ताले लगे हुए हैं और शासन-प्रशासन घर से चल रहा है. सरकार सिर्फ डंडा चला रही है मानो लॉकडाउन से सब कुछ ठीक हो जाएगा.

कोरोना विस्फोटक हालात

छत्तीसगढ़ प्रदेश में कोरोना का कहर लगातार जारी है. सोमवार को 178 नए मरीजों की पहचान की गई  वहीं इलाज के दरम्यान 3 लोगों ने दम तोड़ दिया. और हां सरकार यह भी बता रही है कि 265 मरीजों के स्वस्थ होने के बाद उन्हें डिस्चार्ज किया गया है.

साथ ही प्रदेश में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा बढ़कर 9800 हो गया है.जिनमें अब तक कुल 7256 मरीज स्वस्थ्य होने के उपरांत डिस्चार्ज किए गए तथा 2483 मरीज सक्रिय हैं.  प्रदेश में मौत का आंकड़ा बढ़कर अब 61 हो चुका है.

यह रपट लिखे जाने के दिन नए 178 कोरोना पॉजीटिव मरीजों की पहचान की गई . उनमें जिला रायपुर से 66, दुर्ग से 32, जांजगीर-चांपा से 27, जशपुर से 25, रायगढ़ से 15, कोरबा से 04, महासमुंद से 03, सूरजपुर व धमतरी से 02-02, राजनांदगांव व कांकेर से 01-01 शामिल हैं. यानी कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ के लगभग आधे जिलों की स्थिति दयनीय हो चुकी है जहां लॉकडाउन का डंडा चल रहा है वही संपूर्ण छत्तीसगढ़ में कोरोना का भूत लोगों को भयभीत कर रहा है. क्योंकि साफ दिखाई देता है भूपेश बघेल सरकार इस भयावह संक्रमणकारी आपदा से बचाओ करने में नाकाम है वहीं अपनी प्रशासनिक दक्षता के मामले में भी शुन्य सिद्ध हो रही है.

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राजभवन तक पहुंचा कोरोना

छत्तीसगढ़ में राज्यपाल हैं सुश्री अनुसुइया उईके. कोरोना वायरस का संक्रमण छत्तीसगढ़ के राजधानी स्थित राजभवन तक पहुंच चुका है. हालात यह है कि राजभवन को कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया है .अगर बात नेताओं की करें तो कांग्रेस के सदर मोहन मरकाम के परिजन इसके शिकार हो चुके हैं. डोंगरगढ़ के विधायक कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए. छत्तीसगढ़ के कई थाने कोरोना वायरस के कारण बंद हो गए. यहां तक की न्यायधानी कहे जाने वाले बिलासपुर के सेंट्रल जेल में कोरोनावायरस पहुंच गया और त्राहि-त्राहि मच गई. धीरे-धीरे हालात सरकार के हाथ से निकलते चले जा रहे हैं. बाबा साहब अंबेडकर हॉस्पिटल के वीडियो वायरल हो रहे हैं जहां के हालात पूरी जनता देख रही है. जिसमें कोरोना मरीज आरोप लगा रहे हैं कि ना कोई डॉक्टर आ रहा है और ना ही सफाई कर्मचारी. इन हालातों को देखकर कि कहा जा सकता है कि सचमुच भूपेश बघेल सरकार कोरोना संक्रमणकालीन बीमारी के सामने लाचार सिद्ध हो रही है. फिसड्डी सिद्ध हो चुकी है.

छत्तीसगढ़ में “भूपेश प्रशासन” ने हाथी को मारा!

छत्तीसगढ़ में वन्य प्राणी संकट में दिख रहे हैं. यह संयोग है या फिर कोई षड्यंत्र की एक सप्ताह में छह: हाथी मृत पाए गए हैं. जिनमें एक हाथी “गणेश” नाम का है जो देशभर में बहुचर्चित है. गणेश पर देश की प्रतिष्ठित पत्रिका मनोहर कहानियां ने  सितंबर 2019 में एक लंबी रिपोर्ट प्रकाशित की थी और बताया था कि किस तरह रायगढ़ के धर्मजयगढ़ में एक ही परिवार के 4 लोगों को गणेश हाथी ने मार डाला था.  छत्तीसगढ़ के कोरबा, रायगढ़ जिला में लगभग 18 लोगों को गणेश हाथी ने हलाक कर डाला.

युवा गणेश के बारे में कहा जा सकता है कि वह सही मायने में एक स्वतंत्र वन्य प्राणी था, जिसने जो  भी गलती से भी उसके  सामने आ गया उसे अपने रास्ते से हटा दिया. और तो और वन विभाग के लाख प्रयासों के बावजूद वह वन विभाग के काबू में कभी नहीं आया. गणेश हाथी ने वन विभाग के द्वारा पैरों में डाली गई मोटी मोटी जंजीर तोड़ डाली. ऐसा शक्तिशाली युवा गणेश विगत दिनों रहस्यमय ढंग से मर जाता है तो प्रश्न उठना लाजमी है कि आखिर गणेश की मृत्यु क्यों और कैसे हो गई? यह मामला दबा ही रह जाता अगर कुछ वन्य प्राणी अधिकारों के लिए लड़ने वाले संवेदनशील लोग हल्ला बोल नहीं करते. अब स्थिति यह है कि छत्तीसगढ़ की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा ने गणेश हाथी को लेकर सवाल उठाया है, जिससे भूपेश सरकार हाशिए में आ गई है .

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नेता प्रतिपक्ष कौशिक आए सामने

‘गणेश’ हाथी की संदेहास्पद मौत पर छत्तीसगढ़ की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा के, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा है, ‘यह मरा नहीं, मारा गया है, वन अमले ने लिया है बदला’

भाजपा के बड़े नेता और कभी विधानसभा अध्यक्ष रहे वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने जांच करके दोषी अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने  की मांग उठाई है. परिणाम स्वरूप कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने जैसा कि होता है सरकार का बचाव किया है.

घटना छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिला के धरमजयगढ़ वन मंडल के अंतर्गत घटित हुई है. भाजपा नेता के आरोप के बाद गणेश हाथी की मौत  ने तूल पकड़ लिया है. बीजेपी नेता ने अपने आरोप में कहा है कि यह हाथी मरा नहीं है, बल्कि उसे मारा गया है. वन विभाग को पहले से ही पता था कि यह हाथी गणेश ही है.

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा है कि वन विभाग ने हाथी से बदला लिया है! उन्होंने कठोर शब्दों का उपयोग करते हुए कहा है-” हाथी की हत्या पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. केवल अधिकारियों का ट्रांसफर कर खानापूर्ति नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसके जिम्मेदार लोगों पर एफआईआर दर्ज कर उच्च स्तरीय जांच किए जाने की जरूरत है.”

हाथियों की मौत क्या संयोग है??

वनांचल से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ मे विगत विगत दस दिनों में छह हाथियों की रहस्यमयी मौत हो गई है. रायगढ़ जिला की धरमजयगढ़ में  18जून को देश के सबसे खतरनाक माने जाने वाले युवा गणेश हाथी की मौत हो गई. वन विभाग के अधिकारियों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर बताया कि मौत की वजह करंट लगना है.

जब घटना के साक्ष्य  धरमलाल कौशिक तक पहुंचे तो उन्होंने 22 जून को हाथियों की मौत पर बयान देते हुए कहा -” हाथियों की लगातार हो रही मौत सरकार पर प्रश्नचिन्ह लगा रही है. राज्य में जानबूझकर हाथियों को मारा जा रहा है. किसके इशारे पर यह किया जा रहा है? हाथियों को क्यों मारा जा रहा है? इसका जवाब सरकार ही दे पाएगी. सरकार ने अधिकारियों का ट्रांसफर कर खानापूर्ति कर दिया, जबकि कार्ऱवाई उसे कहते हैं, जहां ऐसे गंभीर कृत्यों पर नीचे से ऊपर तक जिम्मेदारों पर एफआईआर दर्ज किया जाए.”

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इस सख्त बयान के बाद कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख शैलेष नितिन त्रिवेदी ने नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के बयान पर  कहा है कि सनसनीखेज बयान देना ठीक नहीं है, उनका बयान गरिमा के अनुरूप नहीं है. धरमलाल कौशिक बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं, नेता प्रतिपक्ष हैं, लेकिन उन्होंने अपने बयानों में कोई तथ्य पेश नहीं किया है. गणेश हाथी 18 आदिवासियों ग्रामीणों की मौत का जिम्मेदार था उसकी मौत के बाद सरकार ने जिम्मेदार लोगों को हटा दिया है. उन्होंने कहा है हाथियों की मौत की जांच सरकार करा रही है. त्रिवेदी ने भूपेश सरकार का बचाव करते हुए कहा बीजेपी शासन काल में जब से झारखंड और ओडिशा में माइनिंग खुली है, तब से वहां के हाथी छत्तीसगढ़ की ओर विचरण करने लगे हैं. यह हाथी अब आरंग, बारनावापारा के जंगलों तक पहुंच गए हैं. इससे मैन- एलीफेंट कानफ्लिक्ट की स्थिति बन गई है. सरकार ने हाथियों की बसाहट के लिए लेमरू अभ्यारण्य का प्रस्ताव बना लिया है.

हे राम! देखिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की दो नावों की सवारी

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस, भाजपा के पद चिन्हों पर चलने को आतुर दिखाई दे रही है. शायद यही कारण है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कैबिनेट ने भाजपा के राम राम जाप को बड़ी शिद्दत के साथ अंगीकार करने में कोताही नहीं की है. और यह जाहिर करना चाहती है, कि राम तो हमारे हैं और हम राम के हैं. कांग्रेस सरकार को, राम मय दिखाने की सोच के तहत, छत्तीसगढ़  सरकार ने  “राम के वनगमन पथ” को सहेजते हुए इन स्थलों का पर्यटन की दृष्टि से विकसित किए जाने का ऐलान किया है, जो इसी सोच का सबब है.

21 नवंबर 2019  को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई मंत्रीपरिषद की बैठक में जो  निर्णय लिया गया, वह एक तरह से भाजपा के बताए  पद चिन्हों  पर चलना है.संपूर्ण कवायद पर निगाह डालें तो पहली ही दृष्टि में यह स्पष्ट हो जाता है कि भूपेश बघेल सरकार की सोच कैसी पंगु है. सबसे बड़ी बात यह है कि भगवान राम करोड़ों वर्ष पूर्व हुए थे. यह मान्यताएं हैं की छत्तीसगढ़ जो कभी  “दंडकारण्य” था, यहां से राम ने गमन किया था. दरअसल, यह सिर्फ और सिर्फ किवंदती एवं मान्यताएं हैं. इसका कोई वैज्ञानिक आधार अभी तक जाहिर नहीं हुआ है. ऐसे में क्या यह  सारी कवायद लकीर का फकीर बनना नहीं होगा. इसके अलावा भी अन्य कई पेंच है जिसका सटीक जवाब कांगेस के पास नहीं होगा, देखिए यह खास  रिपोर्ट-

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 राम के संदर्भ में मान्यताएं बनी आधार

आइए, अब जानते हैं, क्या है  मान्यताएं और “श्रीराम का वनगमन पथ” ….कहा जाता है छत्तीसगढ़ का इतिहास प्राचीन है. त्रेतायुगीन छत्तीसगढ़ का प्राचीन नाम दक्षिण कौसल एवं दण्डकारण्य के रूप में विख्यात था. दण्डकारण्य में भगवान श्रीराम के वनगमन यात्रा की पुष्टि वाल्मीकि रामायण से होती है. शोधकर्ताओं की शोध किताबों से प्राप्त जानकारी अनुसार प्रभु श्रीराम द्वारा अपने वनवास काल के 14 वर्षों में से लगभग 10 वर्ष का समय छत्तीसगढ़ में व्यतीत किया गया था.

छत्तीसगढ़ के लोकगीत में माता सीता जी की पहचान कराने की मौलिकता एवं वनस्पतियों के वर्णन मिलते हैं.  श्रीराम द्वारा उत्तर भारत से दक्षिण में प्रवेश करने के बाद छत्तीसगढ़ में विभिन्न स्थानों पर चैमासा व्यतीत करने के बाद दक्षिण भारत में प्रवेश किया गया था. अतः छत्तीसगढ़ को दक्षिणापथ भी कहा जाता है. मान्यता है छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले के भरतपुर तहसील में नदी से होकर जनकपुर नामक स्थान से लगभग 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सीतामढ़ी पर चैका नामक स्थल से  श्रीराम ने छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया.

इस राम वनगमन पथ के विषय पर शोध का कार्य राज्य में स्थित संस्थान छत्तीसगढ़ स्मिता प्रतिष्ठान रायपुर द्वारा किया गया है। स्थानीय साहित्यकार मनु लाल यादव द्वारा रामायण किताब का प्रकाशन किया गया तथा इसी विषय पर छत्तीसगढ़ पर्यटन में राम वनगमन पथ के नाम से पुस्तक का प्रकाशन किया गया है. श्रीराम ने छत्तीसगढ़ में 10 वर्षों के वनगमन के दौरान लगभग 75 स्थलों का भ्रमण किया था तथा इनमें 51 स्थान ऐसे हैं जहां  श्रीराम ने भ्रमण के दौरान कुछ समय व्यतीत किया था.

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अब इस सब को लेकर के सरकार द्वारा योजना बनाई जा रही है कि लोग आ कर प्रभु राम का वन गमन क्षेत्र का भ्रमण करेंगे जो सीधे-सीधे उन क्षेत्रों के प्राकृतिक और नैसर्गिक भाव को सरकार द्वारा  विकृत  करना  ही होगा. अच्छा हो, प्राचीन मान्यता के अनुरूप जैसी स्थिति है, वही बनी रहे, वहां किसी भी तरह की छेड़-छाड़, नव निर्माण भारतीय पुरातत्व अधिनियम के तहत भी अवैध माना जाएगा.

 भूपेश बघेल भी जपने लगे राम राम!

शायद कांग्रेस पार्टी ने यह मान लिया है कि जिस तरह भाजपा ने राम राम जप कर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी नैया पार लगाई, अब कांग्रेस को भी ऐसा ही करना होगा. अब विकास  का मुद्दा महत्वहीन हो चुका है,अब तो कुर्सी पाना है, तो बस राम राम जप लो. आगामी समय में छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव एवं पंचायत चुनाव हैं. ऐसे में राम गमन के मसले को बेतरह से उठाना यह इंगित करता है कि भूपेश सरकार भी छत्तीसगढ़ की आवाम को भगवान राम के नाम पर आकर्षित करना चाहती है. और अपना वोट बैंक और भी ज्यादा मजबूत बनाने के लिए प्रयत्नशील है.

यह होगी विकास की योजना 

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा  राम वनगमन पथ को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किए जाने की कार्य योजना का आगाज कर दिया गया है.इसका उद्देश्य राज्य में आने वाले पर्यटकों के साथ-साथ प्रदेश के लोगों को भी इन राम वनगमन मार्ग स्थलों से परिचित कराना है. इन स्थलों का भ्रमण करने के दौरान पर्यटकों को सुविधा हो सके, इस लिहाज से योजना तैयारी की जा रही है.

राज्य सरकार द्वारा बजट उपलब्ध कराया जाएगा. साथ ही भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय की योजनाओं से भी राशि प्राप्त करने का प्रयास किया जाएगा.इन स्थलों का राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार प्रसार भी किया जाएगा. पहुंच मार्ग के साथ पर्यटक सुविधा केंद्र, इंटरप्रिटेशन सेंटर, वैदिक विलेज, पगोड़ा, वेटिंग शेड, पेयजल व शौचालय आदि मूलभूत सुविधाएं विकसित की जाएंगी. बताया गया है विकास कार्य शुभारंभ चंद्रपुरी में स्थित माता कौशल्या के मंदिर से किया जाएगा.

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विकास योजना तैयार करने के पूर्व विशेषज्ञों का एक दल सर्वे करेगा. इस तरह भूपेश बघेल ने एक तरह से इस संपूर्ण परियोजना को हरी झंडी दे दी है मगर यह धरातल पर कब कैसे उतरेगा इस पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है क्योंकि सरकारी योजनाएं कागजों पर और अखबारों की सुर्खियों में तो आकर्षित करती हैं मगर हकीकत में उनकी दशा बहुत दयनीय होती है इसका सच जानना हो तो डॉक्टर रमन के कार्यकाल के पर्यटन विकास के ढोल को देखना समझना काफी होगा करोड़ों, अरबों रुपए कि कैसे बंदरबांट बात हो गई और फाइलें बंद पड़ी हैं .

हास्यास्पद पहल- 11 लाख का पुरस्कार!

राम गमन और भगवान राम के नाम पर आप कुछ भी कर ले, सब माफ है. शायद यही सोच भाजपा के बाद अब कांग्रेस भी अपनाती चली जा रही है.

अब वह प्रगतिशील महात्मा  गांधी और जवाहरलाल  नेहरू की कांग्रेस नहीं है. आज की कांग्रेस शायद संघ की हिंदुत्ववादी सोच के पीछे चलने वाली दकियानूसी कांग्रेस बन चुकी है. यही कारण है कि कांग्रेस के पूर्व विधायक और दूधाधारी मठ के प्रमुख महंत राम सुंदर दास ने इसी तारतम्य में यह घोषणा कर दी है कि माता कौशल्या का जन्मदिन की गणना करके जो बताएगा, उसे वह स्वयं अपनी ओर से 11 लाख रुपए का पुरस्कार,सम्मान राशि देंगे.

यही नहीं, भूपेश बघेल के नेतृत्व में कौशल्या माता के मंदिर का जीर्णोद्धार का काम भी शुरू हो गया है. क्योंकि उसके लिए पैसा सरकार नहीं दे सकती, सुप्रीम कोर्ट की बंदिशें है, इसलिए विधायकों ने दो लाख  बीस हजार रुपए मुख्यमंत्री को अपनी ओर से दिया है की मंदिर बनवाया जाए! अर्थात सीधी सी बात है जो काम भाजपा नहीं कर सकी जो काम हिंदुत्ववादी संगठन नहीं कर सके, अब वह अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता करेंगे और यह संदेश देंगे की, हे जनता!आओ हम भी राम भक्त हैं, हमने भी माता कौशल्या का मंदिर बनाया है, हमें भी वोट दो.

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चाहे कुपोषण में बच्चे मरते रहे, आंगनबाड़ियों में स्कूलों में पहुंचने वाला भोजन, खाद्यान्न की लूट चलती रहे, सफाई ना हो, सड़कें न बने, बिजली पैदा ना हो, मगर वोट हमें  ही देना. अगर भूपेश बघेल सरकार और कांग्रेस पार्टी को यह लगता है कि राम नाम जपने से कांग्रेस पार्टी का और प्रदेश का कल्याण हो जाएगा तो राम वन गमन के प्रपंच से अच्छा होगा क्यों न छत्तीसगढ़ का नाम ही बदल दिया जाए और प्राचीन “दंडकारण्य”  रख दिया जाए. इससे कांग्रेस पार्टी की साख और बढ़ जाएगी कि देखो इनमे  भगवान राम के प्रति कितनी श्रद्धा आ गई है!

मोदी को आंख दिखाते, चक्रव्यूह में फंसे भूपेश बघेल!

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सत्तासीन होने के बाद परिस्थितियां बदल गई हैं. विधानसभा चुनाव के परिणाम स्वरुप मुख्यमंत्री के रूप में भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की कमान संभाल ली और इसके साथ ही शुरू हो गया छत्तीसगढ़ सरकार का केंद्र सरकार के साथ आंख मिचौली का खेल. भूपेश बघेल बारंबार एहसास कराते हैं कि वे प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की परवाह नहीं करते.

मौके मिलते ही  उनके सामने  सीना तान कर खड़े हो जाते हैं. और फिर जब हकीकत का एहसास होता है तो हाथ जोड़ मुस्कुराते हुए गुलाब पेश करते हैं . यही सब कुछ इन दिनों धान खरीदी की महत्वाकांक्षी योजना के संदर्भ में भी दिखाई दे रहा है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार यह वादा करके सत्तासीन हुई थी किसानों से 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदी जाएगी.

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इस बिना पर सत्ता पर कांग्रेस भाग्यवश काबिज भी हो गई. मगर इसके चलते छत्तीसगढ़ सरकार की आर्थिक हालत खस्ता हो चुकी है, अब नवंबर में धान खरीदी का आगाज होना था प्रत्येक वर्ष 1 नवंबर अथवा 15 नवंबर से धान खरीदी प्रारंभ हो जाया करती थी. मगर सरकार के संशय के कारण विपरीत स्थितियों के कारण, भूपेश सरकार ने पहली बार धान खरीदी को एक माह आगे बढ़ाते हुए 1 दिसंबर से खरीदी करने का ऐलान किया है. जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि सरकार की हालत कितनी पतली हो चली है.

भूपेश सरकार अब केंद्र सरकार के समक्ष अनुनय विनय  कर रही है कि प्रभु हमारी रक्षा करो…!

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मंत्री आए सामने! दिखे चिंतातुर…

धान खरीदी के मसले पर आयोजित मंत्रिमंडल की उपसमिति की बैठक में 15 नवंबर से प्रस्तावित धान खरीदी के तय समय को बदल दिया गया. अब धान खरीदी का आगाज़  1 दिसंबर से होगी. इस बार 85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है.

बैठक के बाद खाद्य  मंत्री अमरजीत भगत और वन मंत्री मो. अकबर ने ने कहा कि, कांग्रेस पार्टी ने चुनाव से पहले  वादा किया था, सरकार उस वादे को पूरा करेगी. हम 2500 रुपये कीमत के साथ ही किसानों से धान खरीदेंगे. पीडीएस के लिए 25 लाख मीट्रिक टन चावल लगता है और इसके लिए 38 लाख मीट्रिक टन धान की जरूरत होती है. बाकी शेष जो धान खरीदी का लक्ष्य है उसकी खरीदी को लेकर चर्चा हुई है. केंद्र सरकार से हमने आग्रह किया है.

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हमनें केंद्र सरकार से कहा है कि हम पूरा धान खरीदना चाहते हैं, जिस तरह से पूर्व में 24 लाख मीट्रिक टन उसना चावल जमा करने की अनुमति (पूर्ववर्ती  डाक्टर रमन सिंह सरकार को)  मिली थी, उसी तरह से इस बार भी केंद्र हमें अनुमति प्रदान करे. हमें उम्मीद केंद्र सरकार अनुमति मिल जाएगी. हम अपना वादा पूरा करेंगे. खरीदी को लेकर किसी तरह से दिक्कत नहीं आएगी. छत्तीसगढ़ सरकार  के मंत्रियों ने बड़ी चतुराई से धान खरीदी कि लेट  लतीफी को, मौसम पर डाल दिया और कहा

इस बार बेमौसम बारिश से धान के पैदावारी में देरी हुई है. लिहाजा खरीदी की शुरुआती समय-सीमा को आगे बढ़ा दिया गया है. इस बार 1 दिसंबर से धान खरीदी होगी. ताकि खरीदी केंद्रों तक किसान धान लेकर व्यवस्थित रूप से पहुँच सके. खरीदी की तैयारी करने के निर्देश विभाग को दे दिए गए हैं. खरीदी और संग्रहण केंद्रों में व्यापक तैयारी रखी जाएगी. किसानों को परेशानी न हो इस बात का विशेष ध्यान रखने को कहा गया है.

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मुश्किल मे है भूपेश सरकार!

छत्तीसगढ़  सरकार ने धान खरीदी को लेकर मुश्किलों में घिरने के बाद भी किसानों को बड़ा आश्वासन  दिया है. राज्य सरकार ने कहा है कि किसी भी सूरत में राज्य सरकार किसानों के धान खऱीदने से पीछे नहीं हटेगी. खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि हर परिस्थिति में किसानों के धान खरीदी जाएगी.

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने केंद्र से अनुनय विनय करते हुए जो कहा है वह गौरतलब है -” छत्तीसगढ़ के किसान भी भारत के ही किसान हैं. लिहाज़ा केंद्र सरकार को छत्तीसगढ़ के चावल खरीदने चाहिए.” उन्होंने कहा कि “उम्मीद है कि प्रधानमंत्री छत्तीसगढ़ के किसानों को अपना किसान मानेंगे.” चौबे ने कहा कि -“जब राज्य में भाजपाई सरकार थी तब उन्होंने भी 300 रुपये बोनस दिया था.

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तब केंद्र ने चावल भी खरीदे थे.” उन्होंने कहा-”  बोनस छत्तीसगढ़ की सरकार दे रही है. लिहाज़ा उसे( केंद्र को) चावल खरीदना चाहिए.” सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नवीन परिस्थितियों में नरेंद्र दामोदरदास मोदी की सरकार ने

बोनस देने की सूरत में छत्तीसगढ़ से चावल खरीदने से मना कर दिया है. पिछले साल सरकार ने करीब 81 लाख मीट्रिक टन चावल किसानों से खऱीदा था. जिसमें से मिलिंग के बाद 24 लाख मीट्रिक टन चावल केंद्र ने अपने पूल में जमा किया था. इस बार केंद्र सरकार ने किसानों को बोनस देने की सूरत में चावल लेने से मना कर दिया है. जिसे लेकर राज्य सरकार लगातार कोशिश कर रही है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तीन बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख चुके हैं. राज्यपाल अनुसुइया उईके छत्तीसगढ़ के राजभवन में केंद्र सरकार की प्रतिनिधि है,भूपेश  सरकार ने अनुरोध कर के राज्यपाल से भी केंद्र को,भूपेश सरकार के पक्ष में धान खरीदी का पत्र लिखवा कर अपनी पीठ ठोंक ली है.

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ना खाते बन रहा ना उगलते!

हालात छत्तीसगढ़ में निरंतर विषम बनते जा रहे हैं, एक तरफ भूपेश सरकार केंद्र सरकार को आंख दिखाने से नहीं चूकती,  दूसरी तरफ भरपूर मदद भी चाहती है. परिणाम स्वरूप केंद्र की मोदी सरकार ने छत्तीसगढ़ को तवज्जो देना बंद कर दिया है. इन्हीं परिस्थितियों के कारण छत्तीसगढ़ के विकास को मानो  ब्रेक लग गया है. हालात निरंतर शोचनीय होते चले जा रहे हैं. एक डौक्टर रमन का छत्तीसगढ़ था, जहां हर विभाग में विकास तीव्र  गति से दौड़ रहा था.

रुपए पैसों की कभी कमी नहीं हुआ करती थी मगर भूपेश सरकार में जहां सड़कें गड्ढों में बदल गई हैं वही गोठान शुभारंभ और छुट्टी वाला बाबा बनकर भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ की गली कूचे में भटक कर रह गए हैं.अब धान खरीदी का ही मसला लें, भूपेश सरकार मानो एक चक्रव्यू में फंस चुकी है. धान खरीदी के मसले पर सत्ता में वापसी के बाद केंद्र सरकार की मदद नहीं मिलने से भूपेश सरकार पसीना पसीना है. केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान और प्रधानमंत्री मोदी तक धान खरीदी के लिए सहयोग की कामना के साथ भूपेश बघेल सरकार सरेंडर है. मगर जिस मिट्टी के बने हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,उससे यह प्रतीत होता है कि वह छत्तीसगढ़ सरकार की कोई मदद करने के मूड में नहीं है.

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