छत्तीसगढ़ में कांग्रेस, भाजपा के पद चिन्हों पर चलने को आतुर दिखाई दे रही है. शायद यही कारण है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कैबिनेट ने भाजपा के राम राम जाप को बड़ी शिद्दत के साथ अंगीकार करने में कोताही नहीं की है. और यह जाहिर करना चाहती है, कि राम तो हमारे हैं और हम राम के हैं. कांग्रेस सरकार को, राम मय दिखाने की सोच के तहत, छत्तीसगढ़  सरकार ने  "राम के वनगमन पथ" को सहेजते हुए इन स्थलों का पर्यटन की दृष्टि से विकसित किए जाने का ऐलान किया है, जो इसी सोच का सबब है.

21 नवंबर 2019  को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई मंत्रीपरिषद की बैठक में जो  निर्णय लिया गया, वह एक तरह से भाजपा के बताए  पद चिन्हों  पर चलना है.संपूर्ण कवायद पर निगाह डालें तो पहली ही दृष्टि में यह स्पष्ट हो जाता है कि भूपेश बघेल सरकार की सोच कैसी पंगु है. सबसे बड़ी बात यह है कि भगवान राम करोड़ों वर्ष पूर्व हुए थे. यह मान्यताएं हैं की छत्तीसगढ़ जो कभी  "दंडकारण्य" था, यहां से राम ने गमन किया था. दरअसल, यह सिर्फ और सिर्फ किवंदती एवं मान्यताएं हैं. इसका कोई वैज्ञानिक आधार अभी तक जाहिर नहीं हुआ है. ऐसे में क्या यह  सारी कवायद लकीर का फकीर बनना नहीं होगा. इसके अलावा भी अन्य कई पेंच है जिसका सटीक जवाब कांगेस के पास नहीं होगा, देखिए यह खास  रिपोर्ट-

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 राम के संदर्भ में मान्यताएं बनी आधार

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