Crime Story: जेठ के चक्कर में पति की हत्या- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

राजस्थान के उदयपुर शहर को झीलों की नगरी के नाम से जाना जाता है. इसी शहर के प्रतापनगर थाने के अंतर्गत उदयसागर झील स्थित है. 17 नवंबर, 2020 को लोगों ने उदयसागर झील में एक बोरा पानी के ऊपर तैरता देखा. लग रहा था जैसे कि उस में कोई चीज बंधी हो. किसी ने इस की सूचना प्रतापनगर थाने में फोन द्वारा दे दी.

सूचना पा कर थानाप्रभारी विवेक सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर जा पहुंचे. उन्होंने झील से बोरा निकलवाया. जब बोरा खोला गया तो उस में किसी अधेड़ उम्र के व्यक्ति का शव निकला. मृतक की उम्र 45 वर्ष के आसपास लग रही थी.

मृतक ने पैंटशर्ट पहनी हुई थी. चेहरे से लग रहा था कि वह असम, मणिपुर इलाके का है. मृतक की जामातलाशी में कुछ नहीं मिला था, जिस से कि मृतक की शिनाख्त हो पाती. शव की शिनाख्त नहीं होने पर कागजी काररवाई कर शव को राजकीय अस्पताल की मोर्चरी में सुरक्षित रखवा दिया.

पुलिस ने अज्ञात शव की शिनाख्त कराने की पूरी कोशिश की. मगर किसी ने उस व्यक्ति की शिनाख्त नहीं की. एक सप्ताह तक मृतक की पहचान नहीं हुई तो पुलिस ने शव को लावारिस मान कर मैडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करा कर उस की अंत्येष्टि करा दी.

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प्रतापनगर थाने में अज्ञात व्यक्ति का शव मिलने का मामला दर्ज कर लिया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मृतक को गला दबा कर मारा गया था. यह हत्या का मामला था. मगर जब तक मृतक की शिनाख्त नहीं हो जाती, तब तक पुलिस काररवाई करती भी तो कैसे.

पुलिस ने खूब हाथपैर मारे कि शव की कोई तो पहचान करे. मगर किसी ने इस व्यक्ति को देखा नहीं था. पुलिस ने अपने मुखबिरों को भी अज्ञात शव की सुरागसी के लिए लगा रखा था. मगर साढ़े 4 महीने तक कुछ पता नहीं चला.

मगर अचानक उदयपुर पुलिस की जिला स्पैशल टीम के कांस्टेबल प्रह्लाद पाटीदार को मुखबिर से सूचना मिली कि कुछ लोग एक मृत व्यक्ति का मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने की बात कहते हुए कई पंचायतों के चक्कर लगा रहे हैं.

तब प्रह्लाद पाटीदार एवं स्पैशल टीम के इंचार्ज हनुमंत सिह भाटी की टीम ने जब 2 लोगों पर निगरानी

रखी तो किसी व्यक्ति की मौत के बाद फरजी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने की बात सामने आई.

टीम ने जब दोनों व्यक्तियों को हिरासत में ले कर सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने अपने 3 अन्य साथियों के साथ मिल कर असम के उत्तम दास की हत्या करने की बात स्वीकार की. उन्होंने बताया कि उत्तम दास की हत्या उस के बड़े भाई तपन दास ने कराई थी. आरोपियों ने पुलिस को यह भी बताया कि तपन दास ने उन्हें इस काम के लिए साढ़े 12 लाख रुपए की सुपारी दी थी.

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स्पैशल टीम और प्रतापनगर थाना पुलिस ने कड़ी से कड़ी जोड़ी तो फरजी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने के मामूली से प्रयास के पीछे अपराध की बड़ी कहानी निकल आई. किसी ने ऐसा सोचा भी नहीं था.

इस खुलासे के बाद न सिर्फ घिनौना अपराध सामने आया बल्कि उदयसागर में 17 नवंबर, 2020 को मिली अज्ञात व्यक्ति की लाश की वह गुत्थी भी सुलझ गई, जो करीब पौने 5 माह से प्रतापनगर थाना पुलिस के लिए सिरदर्द बनी हुई थी.

मामला असम के रहने वाले एक परिवार में अवैध संबंधों का निकला, जिस में तपन दास को छोटे भाई उत्तम दास की पत्नी रूपा से प्यार हो गया तो आगे चल कर प्यार के इस खेल में उत्तम दास बलि का बकरा बन गया और उस की लाश हजारों किलोमीटर दूर उदयपुर की उदयसागर झील में फिंकवा दी. सुपारी किलर 5 युवकों से पूरी जानकारी एवं मृतक के भाई तपन दास का मोबाइल नंबर पुलिस ने हासिल कर लिया. इस के बाद एक विशेष पुलिस टीम गठित की गई.

इस टीम में जिला स्पैशल टीम के कांस्टेबल प्रह्लाद पाटीदार की विशेष भूमिका रही. इस के अलावा जिला स्पैशल टीम में प्रतापनगर थाने के एसआई मांगीलाल, एएसआई गोविंद सिंह, सुखदेव सिंह, विक्रम सिंह, अनिल पूनिया, मोड़ सिंह, कांस्टेबल अचलाराम, विश्वेंद्र सिंह, नंदकिशोर, उमेश, हरिकिशन, नवलराम, फिरोज, साइबर सेल से गजराज सिंह को शामिल किया गया.

फिर एसआई मांगीलाल, कांस्टेबल नंदकिशोर को फ्लाइट से गुवाहाटी भेजा गया. इन्होंने स्थानीय पुलिस की मदद से मुख्य आरोपी तपन दास की तलाश की.

तपन दास से पूछताछ के बाद मृतक की पत्नी रूपा दास को भी हिरासत में ले लिया. मृतक के परिजनों से भी पूछताछ की गई. उन लोगों ने बताया कि रूपा ने दिसंबर 2020 के दूसरे हफ्ते बताया कि उदयपुर में उत्तम दास की कोरोना से मृत्यु हो गई है.

कोरोना होने के कारण शव का वहीं अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस के बाद मृतक के पैतृक निवास पर विधिविधान से अंतिम क्रियाएं की गई थीं. मृतक के परिजन तो उत्तम दास की मौत कोरोना से होने की मान रहे थे, मगर उदयपुर पुलिस ने घर वालों को बता दिया कि उत्तम की मृत्यु कोरोना से नहीं हुई थी, बल्कि बड़े भाई तपन दास ने साढ़े 12 लाख रुपए की सुपारी दे कर उस की हत्या कराई थी.

पुलिस से सच जान कर मृतक के परिजन बहू और हत्यारे बेटे तपन दास को कोसने लगे और विलाप करने लगे. पुलिस टीम दोनों आरोपियों रूपा दास और उस के जेठ तपन दास को गिरफ्तार कर उदयपुर ले आई.

उदयपुर में थाना प्रतापनगर में सातों आरोपियों से मृतक उत्तम दास की हत्या के संबंध में एसपी डा. राजीव पचार, एएसपी (सिटी) गोपालस्वरूप मेवाड़ा, डीएसपी राजीव जोशी, थानाप्रभारी (प्रतापनगर) विवेक सिंह ने कड़ी पूछताछ की.

पूछताछ में सभी आरोपियों ने उत्तम की हत्या करने का जुर्म कबूल कर के सारी कहानी बयां कर दी. इस के बाद एसपी डा. राजीव पचार ने 9 अप्रैल, 2021 को प्रैसवार्ता कर पत्रकारों को इस मामले की जानकारी दी.

पुलिस पूछताछ में अवैध संबंध में हत्या की जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार है.

अगले भाग में पढ़ें- उत्तम को अपने बड़े भाई की बात क्यों जंच गई 

Crime Story: नौकर के प्यार में

Crime Story: नौकर के प्यार में- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

बात 26 मार्च, 2021 की सुबह 7 बजे की है. राजस्थान के बारां जिले के गांव आखाखेड़ी के रहने वाले मास्टर प्रेमनारायण मीणा के यहां उन का भतीजा राजू दूध लेने पहुंचा तो उन के घर का मुख्य गेट भिड़ा हुआ था. दरवाजा धक्का देने पर खुला तो भतीजा घर में चला गया. उस की नजर जैसे ही आंगन में चारपाई पर पड़ी तो वहां का मंजर देख कर वह कांप गया. बिस्तर पर चाचा प्रेमनारायण की खून सनी लाश पड़ी थी.

यह देख कर भतीजा चीखनेचिल्लाने लगा. आवाज सुन कर प्रेमनारायण की पत्नी रुक्मिणी (40 वर्ष) अपने कमरे से बाहर आई. बाहर आते समय वह बोली, ‘‘क्यों रो रहे हो राजू, क्या हुआ?’’

मगर जैसे ही रुक्मिणी की नजर चारपाई पर खून से लथपथ पड़े पति पर पड़ी तो वह जोरजोर से रोनेचिल्लाने लगी. रोने की आवाज मृतक के बच्चों वैभव मीणा और ऋचा मीणा ने भी कमरे में सुनी. वह दरवाजा पीटने लगे कि क्या हुआ. क्यों रो रही हो. दरवाजा खोलो. उन भाईबहनों के दरवाजे के बाहर कुंडी लगी थी. कुंडी खोली तो भाईबहन बाहर आ कर पिता की लाश देख कर रोने लगे.

मास्टर प्रेमनारायण के घर से सुबहसवेरे रोने की आवाज सुन कर आसपास के लोग भी वहां आ गए. थोड़ी देर में पूरे आखाखेड़ी गांव में मास्टर की हत्या की खबर फैल गई. थाना छीपा बड़ौद में किसी ने हत्या के इस मामले की खबर दे दी.

थानाप्रभारी रामस्वरूप मीणा खबर मिलते ही पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे. थानाप्रभारी मीणा ने घटनास्थल का मुआयना किया. रात में अज्ञात लोगों ने घर में सो रहे सरकारी टीचर प्रेमनारायण की धारदार हथियार से गला, मुंह और सिर पर वार कर के हत्या कर दी थी, जिस से काफी मात्रा में खून निकल चुका था.

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पूछताछ में मृतक की पत्नी रुक्मिणी ने बताया कि वह कमरे में सो रही थी. उस के दोनों बच्चे वैभव और ऋचा अलग कमरे में सो रहे थे. बड़ी बेटी ससुराल में थी. वह (प्रेमनारायण) आंगन में अकेले सो रहे थे, तभी नामालूम किस ने उन्हें मार डाला.

थानाप्रभारी रामस्वरूप मीणा ने घटना की खबर उच्चाधिकारियों को दे दी. एसपी (बारां) विनीत कुमार बंसल ने सीओ (छबड़ा) ओमेंद्र सिंह शेखावत व जयप्रकाश अटल आरपीएस (प्रोबेशनरी) को निर्देश दिए कि वे घटनास्थल पर जा कर मौकामुआयना कर जल्द से हत्याकांड का खुलासा करें.

एसपी के निर्देश पर दोनों सीओ ओमेंद्र सिंह और जयप्रकाश अटल घटनास्थल पर पहुंचे और घटना से संबंधित जानकारी ली. पुलिस अधिकारियों ने एफएसएल एवं डौग स्क्वायड टीम को भी बुला कर साक्ष्य जुटाने के निर्देश दिए.

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पुलिस अधिकारियों को पता चला कि मृतक प्रेमनारायण मीणा सरकारी स्कूल में टीचर थे. उन की पोस्टिंग इस समय मध्य प्रदेश के गुना जिले के फतेहगढ़ के सरकारी स्कूल में थी. वह छुट्टी पर घर आए हुए थे. वह 15-20 दिन बाद छुट्टी पर गांव आते थे.

पुलिस को पता चला कि मृतक प्रेमनारायण घर के आंगन में सोए थे. उन की बीवी कमरे में अलग सोई थी. उन के 3 बच्चे हैं, जिन में से बड़ी बेटी की शादी हो चुकी थी. वह अपनी ससुराल में थी. जबकि छोटे दोनों बच्चे वैभव व ऋचा अलग कमरे में सो रहे थे.

घर के आंगन में हत्यारों ने आ कर हत्या की थी, मगर बीवी व बच्चों ने कुछ नहीं सुना था. बीवी सुबह 7 बजे तब जागी, जब भतीजा राजू दूध लेने आया. यह बात पुलिस को पच नहीं रही थी. मृतक के मुंह, सिर और गरदन पर लगे गहरे घावों से रिसा खून सूख चुका था. इस का मतलब था कि मृतक की हत्या हुए 6-7 घंटे का समय हो चुका था.

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एफएसएल टीम ने साक्ष्य एकत्रित किए. तब पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया. पुलिस अधिकारियों ने अपने मुखबिरों को सुरागसी के लिए लगा दिया. वहीं मृतक के बच्चों वैभव व ऋचा से एकांत में पूछताछ की.

बच्चों ने बताया कि कल रात मम्मी ने हमें धमका कर अलग कमरे में सुला दिया था. मम्मी ने हमें कमरे में बंद कर के बाहर से कुंडी लगा दी थी. मम्मी अलग कमरे में सोई थी. बच्चों ने यह भी बताया कि वह हमेशा मम्मी के कमरे में सोते थे, लेकिन उन्होंने कल हमें दूसरे कमरे में सुला दिया था.

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इंसपेक्टर दुर्गेश तिवारी के घटनास्थल पर पहुंचने से पहले मृतका के घर वाले वहां पहुंच चुके थे. उसी दौरान प्रैस फोटोग्राफर, फिंगरप्रिंट ब्यूरो की टीम भी वहां पहुंच गई. इंसपेक्टर दुर्गेश तिवारी ने प्रतीक्षा के घर वालों को सांत्वना दी कि हो सकता है प्रतीक्षा की सांसें चल रही हों. फिर वह प्रतीक्षा को अपनी कार में डाल कर नजदीक के डा. वोडे अस्पताल ले गए, पर डाक्टरों की टीम ने जांच के बाद प्रतीक्षा को मृत घोषित कर दिया.

दिनदहाड़े घटी इस घटना की खबर थोड़ी ही देर में सारे शहर में फैल गई. पूरे शहर में सनसनी सी फैल गई. घटना की जानकारी पा कर अमरावती शहर के पुलिस कमिश्नर दत्तात्रय मांडलिक, डीसीपी शशिकांत सातव घटनास्थल पर पहुंच गए. सभी अधिकारियों ने बारीकी से घटनास्थल का निरीक्षण कर थानाप्रभारी किशोर सूर्यवंशी को आवश्यक दिशानिर्देश दिए.

मृतका के घर वालों से बातचीत करने के बाद थानाप्रभारी ने इस हत्याकांड की जांच इंसपेक्टर दुर्गेश तिवारी को सौंप दी. उन्होंने सब से पहले प्रतीक्षा की सहेली का बयान दर्ज किया. क्योंकि वह उस समय प्रतीक्षा के साथ ही थी. सहेली श्रेया ने अपनी आंखों देखा हाल पुलिस को लिखवा दिया. उधर प्रतीक्षा के घर वालों ने पुलिस को बताया कि उन की बेटी की हत्या राहुल भड़ ने की है.

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मां ने बताया हमलावर का नाम

प्रतीक्षा की मां मंगला ने पुलिस को बताया कि राहुल से प्रतीक्षा एकतरफा प्यार करता था. वह कई सालों से प्रतीक्षा के पीछे पड़ा था. वह उस से प्यार करने का दम भरता था और उसे अपनी पत्नी बताता था. अकसर वह उसे छेड़ता, परेशान करता और तरहतरह की धमकियां दिया करता था, जिस से प्रतीक्षा का कहीं अकेले आनाजाना मुश्किल हो गया था.

इस बात की शिकायत उन्होंने फ्रेजरपुरा गाडगेनगर और राजापेठ पुलिस थानों में भी की थी. लेकिन पुलिस ने उस के खिलाफ कोई कठोर काररवाई नहीं की, जिस से उस की हिम्मत बढ़ गई. यह उसी का नतीजा है.

लोगों को जब यह जानकारी मिली तो वे आक्रोशित हो कर सैकड़ों की संख्या में इकट्ठा हो कर थाना राजापेठ के सामने पहुंच गए और प्रतीक्षा के हत्यारे को अतिशीघ्र गिरफ्तार करने की मांग करने लगे.

मामले को तूल पकड़ते देख डीसीपी ने तफ्तीश का दायित्व खुद संभाला. उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया कि हत्यारे राहुल को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा. इस के बाद डीसीपी ने कई टीमें गठित कीं. पुलिस टीमें राहुल भड़ के सभी ठिकानों पर दबिश के लिए निकल गईं. पुलिस ने उस के दोस्तों, नातेरिश्तेदारों से पूछताछ की.

राहुल का जब पता नहीं चला तो उस के फोन की लोकेशन को ट्रेस किया जाने लगा. मोबाइल की लोकेशन के आधार पर पुलिस टीम ने उसे यवतमाल के मूर्तिजापुर रेलवे स्टेशन के पास से रात करीब 2 बजे गिरफ्तार कर लिया. जिस समय पुलिस टीम ने राहुल भड़ को गिरफ्तार किया था, उस समय उस की स्थिति काफी खराब थी. पुलिस उपचार के लिए उसे डाक्टर के पास ले गई.

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जांच के बाद डाक्टर ने बताया कि राहुल ने कोई विषैली चीज खा ली है. यदि समय रहते उसे इलाज न मिला होता तो उस की जान जा सकती थी. बहरहाल राहुल भड़ की हालत सामान्य होने के बाद पुलिस उसे थाने ले आई.

पुलिस ने उस से प्रतीक्षा की हत्या के बारे में पूछताछ की तो उस ने बड़ी आसानी से स्वीकार कर लिया कि प्रतीक्षा की हत्या उस ने मजबूरी में की थी. यदि वह उस की बात मान लेती तो यह करने की नौबत नहीं आती. पूछताछ के बाद उस की हत्या के पीछे की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

कम उम्र में ही हो गया था दोनों को प्यार

26 वर्षीय राहुल भड़ अमरावती के गांव हंतोड़ा का रहने वाला था. उस के पिता बबनराव भड़ का गांव में ही एक छोटा सा कारोबार था. उन के परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटी और 2 बेटे थे. बड़ा बेटा अकोला की एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करता था. राहुल परिवार में सब से छोटा था. घर वालों के लाड़प्यार में वह जिद्दी हो गया था.

लेकिन वह तेजतर्रार और महत्त्वाकांक्षी युवक था. वह पढ़ाई में होशियार था. सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री ले कर वह नौकरी करने के बजाय किसी ऐसे काम की तलाश में था, जिस में मोटी कमाई हो. वह नागपुर जा कर ठेकेदारी करने लगा था. परिवार में सब कुछ ठीकठाक चल रहा था, लेकिन प्रतीक्षा को देखने के बाद वह उस का दीवाना हो गया था.

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छावड़ा प्लांट अमरावती शहर की रहने वाली प्रतीक्षा के पिता मुरलीधर मेहत्रे धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे. परिवार में उन की पत्नी मंगला मेहत्रे के अलावा 2 बेटियां थीं. पिता की तरह दोनों बेटियां भी धार्मिक प्रवृत्ति की थीं. सभी साईंबाबा के भक्त थे. गुरुवार को सभी साईंबाबा के मंदिर जरूर जाते थे. प्रतीक्षा पढ़ाई में भी होशियार थी. पहली कक्षा से ले कर एमएससी तक उस ने अच्छे अंकों से पास की थी. वह टीचर बनना चाहती थी. लेकिन उस का यह सपना अधूरा ही रह गया. उस का सपना पूरा होने से पहले ही उस पर राहुल भड़ की काली नजर पड़ गई.

सन 2010 में राहुल ने प्रतीक्षा को उस समय देखा था, जब वह अपने मामा राऊत के घर एक दावत में आया था. उस समय प्रतीक्षा सिर्फ 14 साल की थी. उस समय वह हाईस्कूल की परीक्षा पास कर चुकी थी. राहुल भड़ के मामा राऊत और प्रतीक्षा का परिवार एक ही सोसायटी में आमनेसामने रहता था.

हालांकि उस समय दोनों ही नादान और कमउम्र थे. लेकिन प्रतीक्षा का खूबसूरत चेहरा राहुल की निगाहों में समा गया था और प्रतीक्षा के करीब आने के लिए वह अकसर अपने मामा के यहां आनेजाने लगा था. जिस का उसे पूरापूरा फायदा भी मिला. धीरेधीरे वह प्रतीक्षा के करीब आ गया.

दोनों में जब अच्छी जानपहचान हो गई तो वे मिलनेजुलने लगे. दोनों के बीच जब घनिष्ठता बढ़ी तो समय निकाल कर इधरउधर घूमने भी लगे. राहुल प्रतीक्षा पर दिल खोल कर खर्च भी करने लगा था, जिस का नतीजा यह रहा कि प्रतीक्षा की राहुल के प्रति सहानुभूति बढ़ गई.

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Crime Story: नफरत की इंतहा- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

तकरीबन 26-27 साल की उस युवती ने अपना नाम प्रियंका बताया था. हलका सा घूंघट होने के बावजूद उस का आंसुओं से भीगा चेहरा साफ नजर आ रहा था. उस का रंग गेहुंआ था. बड़ीबड़ी आंखें और सुतवां नाक घूंघट की ओट से साफ नजर आ रही थी. थानाप्रभारी बदन सिंह के सामने आते ही वह फफक पड़ी, ‘‘साब मेरा तो सुहाग ही उजड़ गया. बच्चों को भी अनाथ कर गया.’’

फिर चेहरा हाथों में छिपा कर रोने लगी, ‘‘साहब, एक तो मेरा मरद खुदकुशी कर मुझे बेसहारा छोड़ गया. अब घरपरिवार वाले कह रहे हैं कि उस की हत्या हो गई. कोई क्यों करेगा उस की हत्या? हमारा तो किसी से बैर भी नहीं था.’’

इतना कहतेकहते उस ने हिचकियां लेनी शुरू कर दीं. थानाप्रभारी बदन सिंह  ने उसे शांत रहने का संकेत करते हुए कहा, ‘‘आप रोएं नहीं. हम हकीकत का खुलासा कर के रहेंगे. आप पूरी बात को सिलसिलेवार बताइए ताकि हमें अपराधी को गिरफ्तार करने में मदद मिल सके.’’

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कुछ पलों के लिए गला भर आने के कारण प्रियंका चुप हो गई. फिर उस ने कहना शुरू किया, ‘‘सच्ची बात तो यह है साब कि हमारा मर्द कुछ दिनों से पैसों की देनदारी और तगादों से परेशान था. उधारी चुकाने की कोई सूरत कहीं से नजर नहीं आ रही थी. दिनरात शराब में डूबा रहता था. कल तो सुबह से ही शराब पी रहा था. शायद दारू के नशे की झोंक में ही जान दे बैठा…’’ प्रियंका की रुलाई फिर फूट पड़ी, ‘‘तगादों से परेशान हो कर जान देने की क्या जरूरत थी?’’

थानाप्रभारी बदन सिंह ने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा, ‘‘आप को किसी पर शक है? मेरा मतलब है, जिस के तगादे से परेशान हो कर आप के पति ने आत्महत्या की या उस की हत्या हो गई?’’

‘‘हत्या की बात कौन कह रहा है साब!’’ प्रियंका ने प्रतिवाद करते हुए कहा.

तभी वहां खड़े कुछ लोगों में से एक युवक बोल पड़ा, ‘‘हम कहते हैं साब.’’

इस के साथ ही वह शख्स बुरी तरह उबल पड़ा, ‘‘हमें तो इस कुलच्छिनी पर ही शक है. साहब, इस ने ही मरवाया है अपने पति को… यह आत्महत्या का नहीं बल्कि हत्या का मामला है.’’

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इस से पहले कि थानाप्रभारी बदन सिंह उस युवक को तवज्जो देते, प्रियंका चिल्ला पड़ी, ‘‘नहीं… यह झूठ है, हम से दुश्मनी निकालने के लिए यह झूठे इलजाम लगा रहा है.’’

थानाप्रभारी बदन सिंह ने युवक की तरफ देखा, ‘‘कौन हो तुम? तुम कैसे कह सकते हो कि इस की हत्या हुई है और इस के पीछे प्रियंका का हाथ है?’’

‘‘मेरा नाम रामदीन है साहब, रिश्ते में मृतक बुद्धि प्रकाश मेरा चचेरा भाई था.’’ उस के चेहरे की तमतमाहट कम नहीं हुई थी. वह बुरी तरह फट पड़ा, ‘‘साहब बुद्धि प्रकाश का किसी से कोई लेनदेन था ही नहीं. फिर तगादे की बात कहां से आ गई? मेरा भाई मजबूत दिल गुर्दे वाला आदमी था, कायर नहीं था कि आत्महत्या कर लेता. जरूर उस की हत्या हुई है.’’

‘‘तो इस में प्रियंका कहां से आ गई?’’ थानाप्रभारी बदन सिंह ने सवाल दागा.

‘‘आप पूरी जांच कर लो साहब. दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.’’ वहीं मौजूद परिजनों और बस्ती के लोगों ने एक स्वर में कहा, ‘‘साहब, घर में प्रियंका के अलावा और कौन रहता है? बुद्धि प्रकाश ने जिंदगी में कभी शराब नहीं पी, लेकिन पिछले 2 सालों से तो जैसे दारू में डुबकी मार रहा था. अगर उस ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया है तो हमारी समझ से बाहर है.’’

इस बीच पड़ोस के कुछ लोग भी बोल पड़े, ‘‘पतिपत्नी के संबंध भी अच्छे नहीं थे. दिनरात झगड़े की आवाज सुनाई देती थी. पड़ोस के नाते हम ने प्रियंका से पूछा भी, लेकिन इस ने मुंह बिचका दिया. कहती थी, नशेड़ी को न घर की चिंता होती है और न ही घरवाली की. दारू पी कर खेतखलिहान में पड़ा रहेगा तो घर में झगड़े ही होंगे.’’

थानाप्रभारी बदन सिंह ने गहरी नजरों से मृतक के परिजनों और पड़ोसियों की तरफ देखा फिर कहा, ‘‘दिनरात दारू में डुबकी मारने की नौबत तो तब आती है जब कोई गहरे तनाव में हो? पतिपत्नी के बीच रोज की खटपट भी इस की वजह हो सकती है? लेकिन आत्महत्या तो बहुत बड़ा कदम होता है.’’

लेकिन इस सवाल पर परिजनों की खामोशी ने रहस्य का कुहासा और गहरा कर दिया. थानाप्रभारी बदन सिंह के दिमाग में एक सवाल हथौड़े की तरह टकरा रहा था, आखिर मृतक की पत्नी प्रियंका क्यों इस बात पर अड़ी हुई है कि यह आत्महत्या का मामला है.

उन्होंने थोड़े सख्त स्वर मे प्रियंका से पूछा, ‘‘तुम्हें कब और कैसे पता चला कि तुम्हारे पति ने आत्महत्या कर ली है?’’

प्रियंका की रुलाई फिर फूट पड़ी, ‘‘साहब हम तो रोज की तरह तड़के दिशामैदान के लिए चले गए थे. तब भी हमारा मरद ऐसे ही सो रहा था. लौट कर आए तब भी ऐसे ही सोता मिला. हमें बड़ा अटपटा लगा. ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ. हम ने हिलायाडुलाया, कोई हरकत नहीं हुई. दिल की धड़कनें भी गायब थीं. हमारा दिल धक से रह गया. लगा जरूर कुछ गड़बड़ है… हम ने फौरन पड़ोसियों को पुकार लगाई.’’

अगले भाग में पढ़ें- प्रियंका  का राज खुल गया 

Crime Story: नफरत की इंतहा- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

बुद्धि प्रकाश घर के बाहर बरामदे में तख्त पर मृत पड़ा था. थानाप्रभारी बदन सिंह शव का निरीक्षण करने लगे. वह कुछ अनुमान लगा पाते तब तक सीओ विजय शंकर शर्मा वहां पहुंच गए. उन्होंने शव का निरीक्षण किया तो उन के चेहरे पर हैरानी के भाव आए बिना नहीं रहे.

गले पर पड़े निशानों ने कौतूहल जगा दिया था. सीओ शर्मा ने झुक कर गौर किया तो वह चौंक पड़े. चेहरे पर ऐंठन और गले के निशान बहुत कुछ कह रहे थे. चेहरे पर ऐसी ऐंठन तो बेरहमी से गला दबाए जाने पर ही होती है.  स्वाभाविक प्रश्न था कि क्या किसी ने बुद्धि प्रकाश का गला दबाने की कोशिश की थी?

मामला पूरी तरह संदिग्ध लग रहा था. काले निशान भी रस्सी से गला दबाए जाने पर होते हैं. उन्होंने आसपास नजर दौड़ाई. ऐसी कोई रस्सी नजर नहीं आई. फोरैंसिक टीम को बुलाना अब जरूरी हो गया था.

छानबीन और मौके से सबूत जुटाने के लिए क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम के साथ फोरैंसिक टीम भी पहुंच गई थी. फोरैंसिक टीम की जांच में चौंकाने वाले रहस्य उजागर हुए. बुद्धि प्रकाश के गले के दोनों ओर तथा पीछे की तरफ काले निशान बने हुए थे. लगता था कि रस्सी से गले को पूरी ताकत से कसा गया था. इस के अलावा चोट का कोई और निशान शरीर पर कहीं नहीं पाया गया.

लेकिन स्थितियां पूरी तरह संदेहास्पद थीं. घटनास्थल पर सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे होने के कारण किसी के वहां आनेजाने का साक्ष्य मिलना भी संभव नहीं था. सीओ विजय शंकर शर्मा ने घटनास्थल का बड़ी बारीकी से निरीक्षण किया. उन्होंने प्रियंका से दरजनों सवाल किए. लेकिन अपने मतलब की कोई बात नहीं उगलवा सके.

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बिना किसी सबूत के प्रियंका पर हाथ डालने का कोई मतलब भी नहीं था. हालांकि पूछताछ के दौरान प्रियंका पूरी तरह सामान्य लग रही थी. उस के चेहरे पर भय या घबराहट की कोई रेखा तक नहीं थी. लेकिन उस के जवाब अटपटे थे.

मृतक करवट की स्थिति में था, जबकि प्रियंका का कहना था कि उस ने दिशामैदान से लौट कर उसे हिलाया- डुलाया था. दिल की धड़कन टटोलने के लिए शरीर को पीठ के बल कर दिया था. लेकिन प्रियंका और पड़ोसियों के बयानों में कोई तालमेल नहीं था. उन का कहना था हम ने बुद्धि प्रकाश को करवट की ही स्थिति में देखा था.

पुलिस के सामने अच्छेअच्छे के हौंसले पस्त पड़ जाते हैं. लेकिन प्रियंका चाहे अटकअटक कर ही सही, पूरे हौसले से हर सवाल का जवाब दे रही थी. बेशक बुद्धि प्रकाश शराब में धुत रहा होगा. लेकिन आखिर था तो हट्टाकट्टा मर्द. उसे अकेली प्रियंका के द्वारा काबू करना आसान नहीं था.

सीओ हत्या के हर संभावित कोण को समझ रहे थे. इसलिए एक बात पर तो उन्हें यकीन हो चला था कि अगर हत्या में प्रियंका शामिल थी तो उस का कोई मजबूत साथी जरूर रहा होगा. हत्या सुनियोजित ढंग से की गई थी. लेकिन सवाल यह था कि योजना किस ने बनाई और उसे कैसे अंजाम दिया?

पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शव परिजनों को सौंप दिया. पोस्टमार्टम में प्रथमदृष्टया मौत का कारण दम घुटना माना गया. थाने लौट कर थानाप्रभारी बदन सिंह ने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया.

एसपी शरद चौधरी ने इस मामले का खुलासा करने के लिए एडिशनल एसपी पारस जैन की निगरानी में सीओ विजय शंकर शर्मा, थानाप्रभारी बदन सिंह, हैडकांस्टेबल भरत, कांस्टेबल सतपाल, रामराज और महिला कांस्टेबल भारती बाना को शामिल किया.

प्रियंका के थाने आने से पहले की गई पूछताछ में पुलिस को कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई थी. लेकिन थाने लाए जाने के बाद हुई पूछताछ में महावीर मीणा का जिक्र आने के साथ ही घटना की गिरह खुलने लगी.

पुलिस का हवा में पूछा गया सवाल ही घटना का तानाबाना खोलता चला गया कि बुद्धि प्रकाश की शराबनोशी में उस का साथी कौन था? प्रियंका जिस भेद को छिपाए थी, वह खुल गया. प्रियंका को बताना पड़ा कि बुद्धि प्रकाश शनिवार 13 मार्च को दिन भर पड़ोसी महावीर मीणा के साथ शराब पी रहा था.

लेकिन पुलिस के इस सवाल पर प्रियंका बिफर पड़ी कि महावीर मीणा के साथ उस के अवैध रिश्ते हैं. उस का कहना था, ‘‘आप सुनीसुनाई बातों को ले कर मेरे चरित्र पर लांछन क्यों लगा रहे हैं.’’

लेकिन प्रियंका की काल डिटेल्स खंगाल चुके पुलिस अधिकारी पूरी तरह आश्वस्त थे. उन का एक ही सवाल प्रियंका के होश फाख्ता कर गया, ‘‘क्या तुम्हारे और महावीर के बीच देर रात को 2-2 घंटे तक बातें नहीं होती थीं?’’

प्रियंका के पास अब कोई जवाब नहीं बचा था. उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस का कहना था कि बुद्धि प्रकाश उस के चालचलन पर शक करता था और रोज उस के साथ मारपीट करता था. इसलिए उस ने पति की हत्या कर दी.

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यह आधा सच था. प्रियंका अपने आप को एक बेबस औरत के रूप में पेश कर रही थी. लेकिन पुलिस को उस की पूरी दास्तान सुनने का इंतजार था कि कैसे उस ने प्रेमी के साथ मिल कर पति को मौत के घाट उतारा?

राजस्थान के कोटा जिले में इटावा कस्बे के बूढादीत गांव में रहने वाले बुद्धि प्रकाश मीणा का कोई 12 साल पहले वहीं के निवासी सीताराम की बेटी प्रियंका से विवाह हुआ था. बुद्धि प्रकाश खेतिहर किसान था. प्रियंका का दांपत्य जीवन 10 साल ही ठीकठाक रह पाया. इस के बाद दोनों में खटपट रहने लगी.

इस बीच प्रियंका ने एकएक कर के एक बेटा और 2 बेटियों समेत 3 बच्चों को जन्म दिया.

दांपत्य जीवन के 12 साल गुजर जाने और 3 बच्चों की पैदाइश के बाद बुद्धि प्रकाश और प्रियंका के बीच खटास कैसे पैदा हुई? उस की वजह था पड़ोस में आ कर बसने वाला युवक महावीर मीणा.

दरअसल कदकाठी की दृष्टि से आकर्षक लगने वाला महावीर मीणा प्रियंका की नजरों में चढ़ गया था. प्रियंका की हर बात महावीर पर जा कर खत्म होती थी कि क्यों तुम अपने आप को महावीर की तरह नहीं ढाल लेते? जबकि बुद्धि प्रकाश का जवाब मुसकराहट में डूबा होता था कि महावीर की अभी शादी नहीं हुई है. इसलिए उसे अभी किसी की फिक्र नहीं है.

प्रियंका जवान थी, खूबसूरत भी. बेशक वह 3 बच्चों की मां बन गई थी, लेकिन उस की देह के कसाव में कोई कमी नहीं आई थी. उस की अपनी भावनाएं थीं. इसलिए मन करता था कि बुद्धि प्रकाश भी सजीले नौजवान की तरह बनठन कर रहे. फिल्मी हीरो की तरह उस से प्यार करे.

लेकिन बुद्धि प्रकाश 35 की उम्र पार कर चुका था. मेहनतकश खेतीकिसानी में खटने के कारण उस पर उम्र हावी हो चली थी. इसलिए पत्नी की इच्छाओं की गहराई भांपने का उसे कभी खयाल तक नहीं आया. प्रियंका को अपने मेहनतकश पति के पसीने की गंध सड़ांध मारती लगती थी.

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चढ़ती उम्र और बढ़ती आकांक्षाओं के साथ प्रियंका में पति के प्रति नफरत में इजाफा होता चला गया. संयोग ही रहा कि उस के बाजू वाले मकान में रहने के लिए महावीर मीणा आ गया. महावीर छैलछबीला था और प्रियंका के सपनों के मर्द की तासीर पर खरा उतरता था. प्रियंका अकसर अपने पति बुद्धि प्रकाश को उस का उदाहरण देते हुए कहती थी, तुम भी ऐसे सजधज कर क्यों नहीं रहते. बुद्धि प्रकाश सीधासादा गृहस्थ इंसान था, इसलिए पत्नी की उड़ान को पहचानने की बजाय बात को टालते हुए कह देता, ‘‘अभी महावीर पर गृहस्थी की जिम्मेदारी नहीं पड़ी. जब पड़ेगी तो वह भी सजनासंवरना भूल जाएगा.’’

पड़ोसी के नाते महावीर की बुद्धि प्रकाश से मेलमुलाकात बढ़ी तो गाहेबगाहे महावीर के यहां उस का आनाजाना भी बढ़ गया. अकसर प्रियंका के आग्रह पर वह वहीं खाना भी खा लेता था.

असल में महावीर की नजरें प्रियंका पर थीं. उस की पारखी नजरों से यह बात छिपी नहीं रही कि असल में प्रियंका को क्या चाहिए? लेकिन सवाल यह था कि पहल कौन करे.

महावीर दोपहर में अकसर वक्त गुजारने के लिए अपने दोस्त की फलसब्जी की दुकान पर बैठ जाता था. दोस्त को सहूलियत थी कि अपने जरूरी काम निपटाने के लिए महावीर के भरोसे दुकान छोड़ जाता था.

अगले भाग में पढ़ें- महावीर ने बुद्धि प्रकाश के साथ क्या किया

Crime Story: नफरत की इंतहा- भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

एक दिन दुकान पर अकेला बैठा था तो प्रियंका सब्जी खरीदने पहुंची. लेकिन महावीर ने फलसब्जी के पैसे नहीं लिए. प्रियंका ने पैसे देने चाहे तो महावीर मुसकरा कर बोला, ‘‘तुम्हारी मुसकराहट में दाम वसूल हो गए. सारी दुकान ही अपनी समझो…’’

प्रियंका को शायद ऐसे ही मौके की तलाश थी. मुसकरा कर कहा, ‘‘ऐसी दोपहरी में दुकान पर बैठने की बजाय घर आओ.’’ प्रियंका ने मुसकरा कर निमंत्रण दिया तो महावीर बोला, ‘‘खातिरदारी का वादा करो तो आऊं.’’

‘‘मेरी तरफ से मेहमाननवाजी में कोई कमी नहीं रहेगी, तुम अकेले में आ कर देखो तो…’’ प्रियंका ने हंस कर कहा.

इस के बाद एक दिन महावीर प्रियंका के घर दोपहर के समय चला गया. प्रियंका तो जैसे उस का इंतजार कर रही थी. मौके का फायदा उठाते हुए उस दिन दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं.

इस के बाद तो प्रियंका महावीर की मुरीद हो गई. मौका मिलने पर दोपहर के समय वह प्रियंका के घर चला जाता. इस तरह कुछ दिनों तक उन का यह खेल बिना किसी रुकावट के चलता रहा.

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कहते हैं कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते.  एक दिन बुद्धि प्रकाश खेत से जल्दी ही लौट आया और उस ने प्रियंका को महावीर के साथ रंगरलियां मनाते देख लिया. फिर तो बुद्धि प्रकाश का खून खौल उठा.

महावीर तो भाग गया, लेकिन उस ने प्रियंका की जम कर धुनाई शुरू कर दी. प्रियंका ने गलती मानी तो बुद्धि प्रकाश ने यह चेतावनी देते हुए उसे छोड़ दिया कि अगली बार ऐसा हुआ तो तुम दोनों जिंदगी से हाथ धो बैठोगे.

जिसे पराया घी चाटने की आदत पड़ जाए वह कहां बाज आता है. एक बार की बात है. पति के सो जाने के बाद प्रियंका अपने प्रेमी से फोन पर बातें कर रही थी. उसी दौरान बुद्धि प्रकाश की नींद खुल गई. उस ने पत्नी की बातें सुन लीं. फिर क्या था, उसी समय बुद्धि प्रकाश ने प्रियंका पर जम कर लातघूंसों की बरसात कर दी.

प्रियंका किसी भी हालत में महावीर का साथ नहीं छोड़ना चाहती थी. इस की वजह से अकसर ही उसे पति से पिटाई खानी पड़ती थी. रोजरोज की कलह और पिटाई से अधमरी होती जा रही प्रियंका का पोरपोर दुखने लगा था.

प्रियंका का सब से ज्यादा आक्रोश तो इस बात को ले कर था कि बुद्धि प्रकाश जम कर शराब पीने लगा था और नशे में धुत हो कर उसे गंदीगंदी गालियों से जलील करता था.

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प्रियंका ने महावीर पर औरत का आखिरी अस्त्र चला दिया कि तुम्हारे कारण मैं हर रोज रूई की तरह धुनी जाती हूं और तुम कुछ भी नहीं करते. प्रियंका ने महावीर के सामने शर्त रख दी, ‘‘तुम्हें फूल चाहिए तो कांटे को जड़ से खत्म करना पड़ेगा.’’

प्रियंका की खातिर महावीर बुद्धि प्रकाश का कत्ल करने को तैयार हो गया. फिर योजना के तहत अगले दिन महावीर यह कहते हुए बुद्धि प्रकाश के पावोंं में गिर पड़ा, ‘‘दादा, मैं कल गांव छोड़ कर जा रहा हूं ताकि तुम्हारी कलह खत्म हो सके.’’

बुद्धि प्रकाश ने भी महावीर पर यह सोच कर भरोसा जताया कि संकट अपने आप ही जा रहा है.

महावीर ने बुद्धि प्रकाश को यह कहते हुए शराब की दावत दे डाली कि भैया आखिरी मुलाकात का जश्न हो जाए. बुद्धि प्रकाश के मन में तो कोई खोट नहीं थी. उस ने सहज भाव से कह दिया, ‘‘ठीक है भैया, अंत भला सो सब भला.’’

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महावीर ने तो थोड़ी ही शराब पी, लेकिन बुद्धि प्रकाश को जम कर पिलाई. नशे में बेहोश हो चुके बुद्धि प्रकाश को महावीर ने घर के बरामदे में रखे तख्त पर ला कर पटक दिया. फिर प्रियंका की मदद से रस्सी से उस का गला घोंट दिया.

पुलिस द्वारा निकाली गई काल डिटेल्स के मुताबिक महावीर ने रात करीब 12 बजे बुद्धि प्रकाश की हत्या करने के बाद प्रियंका से 20 से 25 मिनट बात की. इस के बाद प्रियंका सो गई थी. प्रियंका से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस के प्रेमी महावीर मीणा को भी गिरफ्तार कर लिया. फिर दोनों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चा पर आधारित

Manohar Kahaniya: बबिता का खूनी रोहन- भाग 3

इंसपेक्टर मलिक की सख्ती पर सहमे हुए लखन ने बताया तो मलिक ने उसे पूरी बात साफसाफ बताने के लिए कहा.

तब लखन ने बताया कि उस ने करीब एक साल पहले यह बाइक प्रवीण से खरीदी थी. उस समय वह एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था, लेकिन बाइक खरीदने के कुछ दिन बाद ही कोरोना महामारी के कारण हुए लौकडाउन में उस की नौकरी चली गई और वह बेरोजगार हो गया.

बाइक अकसर घर पर ही खड़ी रहती थी. इसी दौरान कुछ महीने पहले उस के बड़े भाई के बेटे रोहन उर्फ मनीष की एयरटेल कंपनी में नौकरी लग गई, लेकिन उस के पास भागदौड़ करने के लिए कोई साधन नहीं था.

लिहाजा उस ने अपनी बाइक रोहन को दे दी और कहा जब वह अपने लिए दूसरी बाइक खरीद ले तब उस की बाइक वापस कर देना. इस के बाद से रोहन ही उस की बाइक का इस्तेमाल करता है. उसे नहीं पता कि भीमराज पर गोली किस ने चलाई. रोहन ने खुद इस का इस्तेमाल किया था या किसी अन्य व्यक्ति को उस ने बाइक इस्तेमाल के लिए दी थी.

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जांच ले गई आरोपी रोहन तक

यह बात तो साफ हो गई कि लखन की बाइक का इस्तेमाल भीमराज पर हुए हमले में किया गया था. लेकिन वारदात वाले दिन बाइक कौन ले कर गया था, इस का खुलासा होना मुश्किल काम नहीं था. इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक ने तत्काल सीसीटीवी की फुटेज लखन को दिखाई तो उस ने साफ कर दिया कि बाइक पर सवार युवक उस का भतीजा रोहन ही है. बस इस के बाद पुलिस के लिए रोहन को पकड़ना कोई मुश्किल काम नहीं था. पुलिस टीम ने अगली सुबह ही रोहन को उस के घर से सोते हुए दबोच लिया.

थाने ला कर जब रोहन से पूछताछ शुरू हुई तो पहले वह इधरउधर की बातें करता रहा. लेकिन जब पुलिस ने उसे सीसीटीवी में कैद हुई उस की तसवीरें दिखाईं तो उस ने कबूल कर लिया कि उसी ने भीमराज को गोली मारी थी.

आखिर ऐसी क्या बात थी कि रोहन ने भीमराज को गोली मार दी. इस सवाल के जवाब में रोहन ने कहा कि भीमराज ने उस दिन गाड़ी चलाते समय उस की बाइक को टक्कर मार दी थी और जब उस ने विरोध जताया तो वह भद्दी गालियां देने लगा. इसी बात से गुस्से में आ कर उस ने पीछा करते हुए एंड्रयूजगंज में जा कर उसे गोली मार दी.

हालांकि रोडरेज के दौरान गुस्से में गोली मार देना, दिल्ली शहर में कोई नई बात नहीं है. क्योंकि इस तरह की घटनाएं यहां अकसर होती रहती हैं. लेकिन थानाप्रभारी मलिक को रोहन की बात पर इसलिए भरोसा नहीं हुआ क्योंकि वे रोहन द्वारा भीमराज को गोली मारने की साजिश तक पहुंच चुके थे.

दरअसल, थानाप्रभारी जितेंद्र मलिक ने भीमराज और बबीता के मोबाइल फोन की जो काल डिटेल्स निकलवाई थी, उस ने रोहन के झूठ की कलई खुल गई.

दरअसल, काल डिटेल्स की जांच के बाद पुलिस ने सब से पहले भीमराज के फोन पर आने वाले नंबरों में इस बात की पड़ताल की थी कि घटना वाले दिन या उस से पहले या कुछ महीनों के दौरान उस ने सब से ज्यादा किन लोगों से बात की थी.

बबीता के मोबाइल की काल डिटेल्स की जांच की गई तो पता चला कि पिछले 3 महीनों से बबीता एक नंबर पर सब से ज्यादा और लंबीलंबी बातें किया करती थी. उस नंबर पर देर रात में भी बात करने की डिटेल थी. इसी नंबर पर वाट्सऐप मैसेजों का भी आदानप्रदान था. जिस दिन भीमराज को गोली मारी गई थी, उस दिन सुबह 7 बजे से ही इस नंबर पर बातें हुईं.

इतना ही नहीं, जिस वक्त एंड्रयूजगंज में भीमराज को गोली लगी, उस के 10 मिनट बाद भी इसी नंबर से बबीता के फोन पर काल की गई. बाद में भी कुछ काल्स के रिकौर्ड मिले. हालांकि जब बबीता से इस बात की जानकारी ली गई तो उस ने बताया कि उस ने अपने पार्लर पर जो पेमेंट स्वाइप मशीन लगवाई हुई है, उस में नेटवर्किंग की दिक्कत रहती है, इसी संबध में वह एयरटेल कंपनी के नेटवर्किंग एग्जीक्यूटिव से बात करती है. पूछने पर उस ने एग्जीक्यूटिव का नाम रोहन बताया.

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इधर जब पुलिस ने उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि रोहन गोविंदपुरी की गली नंबर 13 में रहता है.

रोहन जब कभी रोडरेज, तो कभी लेनदेन के विवाद की कहानी बता कर पुलिस को काफी देर तक उलझाता रहा तो इंसपेक्टर मलिक ने उस के सामने वो काल डिटेल्स रख दी, जिस में उस के फोन व बबीता के नंबर पर दिन व रात में अनगिनत बार लंबीलंबी बातें करने का रिकौर्ड था.

आखिर रोहन ने बता दी सच्चाई

रोहन पुलिस को पूछताछ में बबीता से बात करने और रातों में बातचीत का कोई स्पष्ट कारण नहीं बता सका. इसीलिए पुलिस ने जब उस के साथ सख्ती की तो वह टूट गया और उस ने सच उगल दिया.

रोहन से पूछताछ के बाद इस वारदात के पीछे नाजायज रिश्ते की एक ऐसी कहानी सामने आई, जिस में एक अधेड़ उम्र की महिला ने कमउम्र के नौजवान को अपने प्यार के जाल में फांस कर उस की ऐसी मतिभ्रष्ट कर दी कि महिला के कहने पर उस ने अधेड़ प्रेमिका के पति को गोली मार दी.

दरअसल, बबीता की उम्र भले ही 42 की हो गई थी, लेकिन ब्यूटीपार्लर चलाने के कारण आज भी वह अपने 45 साल के पति से ज्यादा आकर्षक व सुंदर थी. भीमराज के तीनों बच्चे किशोरावस्था की दहलीज से निकल कर जवानी की तरफ कदम बढ़ा रहे थे. इस कारण उस में अब पत्नी के प्रति आकर्षण कम हो गया था और बच्चों  व घरगृहस्थी चलाने की जद्दोजहद उस पर ज्यादा सवार रहती थी.

ढलती जवानी में जब पति अपनी पत्नी की देह से ऐसा उदासीन व्यवहार करे तो कुछ महिलाएं रास्ता भटक ही जाती हैं. हां, भीमराज जब कभी शराब के नशे में होता तो वह जरूर बबीता की देह को जम कर रौंदता था. लेकिन बबीता चाहती थी कि उस का पति उसे न सिर्फ प्यार करे बल्कि उसे अपने व्यवहार से भी इस बात का अहसास कराए.

बस अपने प्रति इसी उदासीन व्यवहार के कारण बबीता पति से इतर किसी दूसरे शख्स  में इस अहसास को तलाशने लगी. यह सितंबर 2020 महीने की बात है. बबीता ने अपने पार्लर पर डिजिटल पेमेंट के लिए एयरटेल का ब्राडबैंड कनेक्शन तथा एक स्वाइप मशीन लगवाई थी. इसी संबध में एयरटेल की तरफ से रोहन उस के यहां एग्जीक्यूटिव बन कर आया था. 23 साल का गबरू जवान और गठीला शरीर. न जाने क्या था, रोहन के व्यक्तित्व में कि बबीता पहली ही नजर में उस पर फिदा हो गई.

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रोहन ने भी पहली मुलाकात में ही बबीता की आखों में भरी मस्ती और देह में बसी तड़प को पढ़ लिया था. पहली ही मुलाकात के बाद दोनों के बीच नंबरों का आदानप्रदान हो गया. बबीता छोटीछोटी बात पर किसी बहाने से रोहन को अपने पार्लर पर बुलाने लगी.

2-4 मुलाकातों के बाद शिष्टाचार की भेंट अपनत्व में बदल गई और निजी व परिवार की बातें भी होने लगीं.

ब्यूटीपार्लर में रखी प्यार की नींव

बबीता जहां अपने अतृप्त प्यार को पाने के लिए रोहन की तरफ झुकी जा रही थी तो जवान जिस्म की देह सुगंध से महरूम रोहन भी जल्द से जल्द बबीता के मादक जिस्म  की देह को पाने के लिए मचल रहा था.

जल्द ही दोनों के बीच ऐसे रिश्ते बन गए, जिन्हें समाज नाजायज रिश्तों का नाम देता है. रोहन के जवान जिस्म  के स्पर्श ने बबीता में एक अजीब सा रोमांच भर दिया था. वे दोनों अकसर मिलने लगे.

बबीता कभी रोहन को अपने पार्लर पर बुला कर अपनी अतृप्त देह को तृप्त कर लेती तो कभी उसे पति व बच्चों की अनुपस्थिति में अपने घर बुला लेती. कभीकभी वे किसी होटल का कमरा बुक कर के अपने अरमानों को पूरा करने लगे.

अपनी उम्र से 20 साल छोटे रोहन के प्यार में बबीता इस कदर पागल हो चुकी थी कि इस बात को भी भूल गई थी कि वह एक शादीशुदा औरत है और रोहन की उम्र से कुछ ही छोटे 3 बच्चों की मां भी है.

अगले भाग में पढ़ें-  रोहन को घर बुलवा कर हुई पिटाई

Crime Story: माता बनी कुमाता- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

पुलिस ने महेंद्र ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया. उस से पूछताछ के आधार पर मृतक के बहनोई विपिन को भी गिरफ्तार कर लिया. विपिन मथुरा जिले के फरह थाना इलाके के गांव सनोरा का रहने वाला है. विपिन से पूछताछ के बाद पुलिस ने पहली अप्रैल को जितेंद्र की मां गीता देवी को भी गिरफ्तार कर लिया.

इन से पूछताछ में जो कहानी उभर कर सामने आई, वह एक मां की अपनी कोख से पैदा किए एकलौते बेटे के प्रति नफरत की इंतहा की कहानी है.

मथुरा जिले के ओल गांव के रहने वाले नत्थी सिंह के परिवार में उस की पत्नी गीता देवी के अलावा 2 बेटियां और एक बेटा था. नत्थी के पास खेतीबाड़ी थी. इस से अच्छी गुजरबसर हो जाती थी. घरपरिवार में मौज थी. किसी तरह की कोई कमी नहीं थी.

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नत्थी सिंह की कुछ साल पहले मृत्यु हो गई. गीता देवी पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई. दोनों बेटियां जवान हो रही थीं. इसलिए उसे उन के हाथ पीले करने की ज्यादा फिक्र थी. रिश्तेदारों से पूछ परखने के बाद उस ने अपनी दोनों बेटियों की शादी पास के ही गांव सनोरा में एक ही परिवार में तय कर दी.

सनोरा गांव भी मथुरा जिले के फरह थाना इलाके में आता है. गीता ने सनोरा गांव के रहने वाले विपिन से बड़ी बेटी की शादी कर दी और विपिन के छोटे भाई सुनील से छोटी बेटी की शादी कर दी. बेटियों की शादी के बाद गीता देवी के सिर से एक बोझ सा उतर गया. उस की आधी चिंता खत्म हो गई. दोनों बेटियां पास के ही गांव में ब्याही थीं, इसलिए उन का जब मन होता, मां गीता के पास आ जाती थीं. गीता का दोनों बेटियों से ज्यादा मोह था. इसलिए बेटी या जमाई आते तो वह खुले हाथ से उन पर पैसे खर्च करती थी. उन्हें दान या शगुन देने में कोई कंजूसी नहीं करती थी.

कभी कोई दुखतकलीफ होती तो गीता फोन कर दोनों में से किसी भी बेटी को अपने पास बुला लेती. 2-4 दिन रुक कर वे चली जातीं. गीता का मन अपनी बेटियों में ज्यादा लगता था. होने को तो वे जितेंद्र की ही बहनें थी, लेकिन मां का बेटियों के प्रति लाडप्यार देख कर जितेंद्र को कोफ्त होती थी.

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जितेंद्र शराब पीता था. उस की इस बुरी लत पर मां टोकती थी. बहनें जब घर पर होतीं, तो वे भी जितेंद्र को लताड़ लगाती थीं. मां और बहनों के टोकने पर उसे बुरा लगता था. ऐसा 1-2 बार नहीं, बीसियों बार हुआ. धीरेधीरे जितेंद्र के मन में मां और बहनों के प्रति गुस्सा बढ़ने लगा.

शराब पीने के बाद जितेंद्र कई बार अपनी मां से मारपीट करने लगा. पहले तो मां और बहनबहनोइयों ने उसे समझाया, लेकिन उस के दिमाग में यह बात बैठ गई कि मां उस से ज्यादा प्यार दोनों बहनों को करती है. इस से जितेंद्र के मन में हीनभावना बढ़ती गई.

वह मां की बातों पर ऐतराज जताने लगा. मां जब अपनी बेटियों और जमाई को पैसे या कोई सामान देती तो जितेंद्र को बुरा लगता था. वह घर में मां से झगड़ा करता और उसे पीटता था.

बुढ़ापे की ओर बढ़ रही गीता बेटे की रोजरोज की पिटाई को आखिर कब तक बरदाश्त करती. घर में हालत यह हो गए कि मां और बेटा दोनों एकदूसरे से नफरत करने लगे. दोनों नफरत की आग में जलते थे. जितेंद्र तो अपनी नफरत की आग को मां की पिटाई कर शांत कर लेता था, लेकिन गीता क्या करती? वह जवान बेटे का मुकाबला भी नहीं कर सकती थी.

एक दिन गीता ने अपने बड़े जमाई विपिन को घर बुला कर सारी बातें बताईं. विपिन को पहले से ही अपने साले जितेंद्र की सारी हरकतों के बारे में पता था. विपिन को यह भी पता था कि जितेंद्र को समझानेबुझाने का कोई फायदा नहीं है. उस ने अपनी सास को कोई न कोई रास्ता निकालने का भरोसा दिया और यह सुझाव दिया कि जितेंद्र की शादी कर दी जाए. हो सकता है शादी के बाद वह सुधर जाए.

गीता को भी यह बात ठीक लगी. उस ने रिश्ता ढूंढ कर पिछले साल जितेंद्र की शादी कर दी. ज्योति से उस की शादी धूमधाम से हो गई. गीता ने सोचा था कि शादी के बाद बेटा सुधर जाएगा. शादी का लड्डू खा कर जितेंद्र ज्योति के साथ खुश था. इसी हंसीखुशी के बीच, शादी के कुछ समय बाद ही ज्योति गर्भवती हो गई.

अगले भाग में पढ़ें- गीता ने की अपने ही बेटे की हत्या

Crime Story: माता बनी कुमाता- भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

ज्योति के गर्भवती होने से जितेंद्र खुश था, लेकिन गीता के मन में इस की जरा भी खुशी नहीं थी. बेटे के अत्याचारों से नफरत की आग में सुलगती गीता नहीं चाहती थी कि घर में कोई नया वारिस आए. इसलिए उस ने बहू ज्योति को भरोसे में ले कर उस का ढाई महीने का गर्भपात करा दिया.

दरअसल, गीता के पास करीब 50 लाख रुपए की संपत्ति थी. यह संपत्ति वह अपनी दोनों बेटियों को देना चाहती थी. बेटे जितेंद्र को संपत्ति में से फूटी कौड़ी भी नहीं देना चाहती थी. जितेंद्र जब गीता को पीटता था, तो वह कई बार यह बात कह चुकी थी. जितेंद्र को भी इस का अंदेशा था कि पैतृक संपत्ति में से मां उसे कुछ नहीं देगी. इसीलिए वह मां पर अत्याचार और अपनी बहनों का विरोध करता था.

शादी के बाद भी बेटा जितेंद्र नहीं सुधरा. वह अपनी मां पर अत्याचार करता रहा, तो गीता उस से तंग आ गई. उस ने अपने बड़े जमाई विपिन के साथ मिल कर जितेंद्र की रोजरोज की पिटाई से छुटकारा पाने के लिए उस का काम तमाम करने की योजना बनाई.

विपिन को इस में अपना फायदा नजर आया. एक तो जितेंद्र मां के लाडप्यार के कारण अपनी बहनों से भी नफरत करता था. इसलिए विपिन ने सोचा कि यदि जितेंद्र नाम का कांटा निकल जाएगा तो नफरत की झाड़ी हमेशा के लिए कट जाएगी.

फिर सास गीता भी बेटे की रोज की पिटाई से बच जाएगी. इस के अलावा गीता की संपत्ति भी उस के हाथ में आ जाएगी.

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विपिन ने अपनी सास के भरोसे का फायदा उठाया. योजना के तहत, उस ने सास का खाता अपने नजदीकी बैंक में ट्रांसफर करवा लिया और खुद नौमिनी बन गया. गीता के बैंक खाते में करीब 7 लाख रुपए थे.

गीता ने विपिन की मदद से इसी साल जनवरी महीने में मथुरा जिले के कुख्यात सुपारी किलर छविराम ठाकुर के गैंग को अपने बेटे जितेंद्र की हत्या की 3 लाख रुपए की सुपारी दे दी. उसी दिन एडवांस के रूप में उसे 50 हजार रुपए भी दे दिए. छविराम ठाकुर ने अपनी गैंग के शार्पशूटर महेंद्र ठाकुर को जितेंद्र की हत्या का जिम्मा सौंप दिया.

योजनाबद्ध तरीके से महेंद्र ठाकुर ने शराब पिलाने के बहाने जितेंद्र से दोस्ती की. इस के बाद 20 मार्च की शाम महेंद्र ने जितेंद्र को बुलाया. महेंद्र के साथ एकदो लोग और भी थे. उन्होंने कोलीपुरा गांव के पास ठेके से शराब खरीदी. इन सभी ने पास ही एक खाली खेत में बैठ कर शराब पी.

रात करीब 8-साढ़े 8 बजे शराब का दौर खत्म हुआ तो जितेंद्र ने अपने घर जाने की बात कही. महेंद्र ने उसे पकड़ कर वापस बैठा लिया और तमंचा निकाल कर उस की कनपटी पर गोली मार दी. जितेंद्र कुछ बोलता, उस से पहले ही उस के प्राण निकल गए.

सीसीटीवी फुटेज के आधार पर महेंद्र ठाकुर की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने जितेंद्र की हत्या के मामले में उस के बहनोई विपिन और मां गीता को भी गिरफ्तार कर लिया.

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गीता को अपने ही बेटे की हत्या कराने का कतई मलाल नहीं था. उस ने कहा, ‘‘मैं ने उसे जनम दिया और मैं ने ही उसे मरवा दिया, इस का कोई अफसोस नहीं है. पति की मौत के बाद दोनों बेटियां ही मेरा खयाल रखती थीं. बेटा तो रोज पैसे मांगता और मारपीट करता था. कभी बेटियां मेरे पास आ जातीं, तो वह उन का विरोध करता था.

‘‘वह मेरे बैंक खाते और सारी संपत्ति का अकेला ही मालिक बनना चाहता था. मैं ने उसे कई बार समझाया, लेकिन वह किसी भी कीमत पर दोनों बहनों को स्वीकार नहीं करता था. मैं उस की रोजरोज की कलह से तंग आ गई थी. इसलिए उसे रास्ते से हटाना ही उचित समझा. कोई नया वारिस न आए, इसलिए बहू ज्योति का भी गर्भपात करा दिया.’’ सभी आरोपियों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

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