जाने कब से चली आ रही  प्रथा छत्तीसगढ़ स्थापना के 20 वर्ष पूर्ण होने के बाद भी आज  नासूर बनी हुई है. परिणाम स्वरूप जाने कितनी महिलाएं गांव में आत्महत्या कर लेती हैं, अथवा बीच चौराहे पर मार दी जाती हैं.कभी यह घटनाक्रम प्रकाश में आता है और कभी छुपा दिया जाता है.

ऐसे ही एक अत्यंत संवेदनशील मामले में न्यायधानी कहे जाने वाले बिलासपुर की कोनी थाना पुलिस ने महिला को टोनही कहकर प्रताड़ित कर आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने की आरोपी महिला सहित 5 लोगों को गिरफ्तार कर यह संदेश प्रसारित कर दिया है कि ऐसे अनर्गल और महिलाओं को परेशान करने वाले मसले पर छत्तीसगढ़ पुलिस कठोर मुड़ में है.

कोनी थाना क्षेत्र के ग्राम पौंसरा में बजरंग चौक निवासी राशि सिंह ने 9 जून 2021 को अपने ऊपर मिट्टी तेल डालकर आग लगा ली थी. गंभीर रूप से झुलसी अवस्था मे उसे सिम्स में भर्ती किया गया. पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि  पड़ोसी उसे टोनही कहकर प्रताड़ित करते  रहे है. और उसने, उनकी प्रताड़ना से परेशान होकर आग लगाकर खुदकुशी का प्रयास करने की बात अपने इकबालिया बयान में कही.

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पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने महिला संबंधी इस गंभीर अपराध को संज्ञान में लेते हुए त्वरित करवाई का निर्देश दिया. परिणाम स्वरूप यह मामला कहीं फाइलों में छुप जाता, बाहर आ गया. और कोनी पुलिस ने  करवाई कर  10 जून को आरोपी राजू सिंह पिता सुखनंदन , सती बाई पति बलराम ठाकुर , भरत सिंह पिता विजय सिंह , जागेश्वर सिंह पिता सुखनंदन सिंह , करतार सिंह पिता सुखनंदन सिंह  को गिरफ्तार कर टोनही प्रताड़ना एक्ट के तहत न्यायालय में पेश कर दिया.

आवश्यकता है जागरूकता की

छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य प्रदेश है जहां बस्तर जैसा बीहड़ अंचल है तो सरगुजा और रायगढ़ जैसा अत्यधिक वनों से परिपूर्ण और आदिवासी बाहुल्य जिले. शिक्षा और जन जागरूकता के अभाव में यहां कई दशकों से सामाजिक कुरीतियां लोगों के जीवन को दुभर  बनाती रही हैं. महिलाओं को लेकर  सबसे बड़ी अंधविश्वास और उत्पीड़न की हथियार है टोनही कह कर के महिलाओं को बात बात परेशान करना और यहां तक कि सामूहिक रूप से हमला करके घायल कर देना, अथवा मार देना.

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जाने कितनी महिलाएं इस क्रूर व्यवस्था के कारण मार दी जाती हैं और अपमान झेलती रहती है. यह भी सच है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने टोनही निवारण अधिनियम लागू किया हुआ है मगर इसके बावजूद जन जागरूकता के अभाव में आज भी ग्रामीण अंचल में टोनही कह कर  लोगों को प्रताड़ित किया  जाता है और आगे चलकर ऐसे घटनाक्रमों में कई दर्दनाक हादसे घटित होते रहते हैं. सरकार को इसे हेतु सतत प्रयास करना होगा. शिक्षाविद एल एन दिवेदी के मुताबिक  ग्रामीण अंचल में मैंने यह अनुभव किया है कि यह प्रथा बहुत भीतर तक है, इसके लिए ग्राम पंचायत स्तर पर सरकार को मुहिम चलानी चाहिए कि किसी को भी टोनही कहना संज्ञेय अपराध है और यह एक ऐसा उत्पीड़न है जिसमें कभी भी किसी भी परिवार की महिला को उत्पीड़ित किया जा सकता है.

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 अतः हमें इससे बचना चाहिए गांव-गांव में यह संदेश पहुंचाना चाहिए.

सामाजिक कार्यकर्ता कमल सरविदया टोनही उत्पीड़न पर अनुभव साझा करते हुए बताते हैं कि छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि बिहार, झारखंड, उड़ीसा जैसे प्रांतों में भी यह प्रथा कुछ अलग नाम स्वरूप में विद्यमान है, इसके लिए जहां सरकार को पहल करनी चाहिए वही समाजिक संस्थाओं को भी निरंतर प्रयास करना होगा. शिक्षा के आज के 21 वी शताब्दी के समय में ऐसी घटनाएं यह बताती है कि आज भी हमारा देश किस तरह पिछड़ा हुआ है और कानून कैसे बेबस होकर देखता रह जाता है.

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