Manohar Kahaniya: चाची का आशिक- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

शव की शिनाख्त होने के बाद कमल सिंह के शव का मैडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराया गया. मृतक के भाई भीम सिंह की तरफ से जमना देवी उर्फ लक्ष्मी जादौन और मदनमोहन जादौन के खिलाफ भादंसं की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

आरोपियों जमना देवी उर्फ लक्ष्मी और उस के प्रेमी भतीजे मदनमोहन से की गई पूछताछ में जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार निकली—

कमल सिंह और भीम सिंह जादौन सगे भाई थे. कई साल पहले वह अपने गांव उमराया, थाना छाता, जिला मथुरा, उत्तरप्रदेश से राजस्थान के अलवर के भिवाड़ी शहर में आ बसे थे. दोनों भाई भिवाड़ी में किराए के मकान में रहते थे. दोनों भाई माश मेटल कंपनी चौक भिवाड़ी में नौकरी करते थे.

शादी के बाद दोनों भाई अलग हो गए थे. कमल सिंह अपनी पत्नी जमना देवी उर्फ लक्ष्मी के साथ प्रधान कालोनी, सेक्टर-2 में किराए के मकान में रहता था. वहीं भीम सिंह अपने बीवीबच्चों के साथ रामनिवास कालोनी, भिवाड़ी में रहता था. दोनों एक ही कंपनी में काम करते थे. दोनों की तनख्वाह भी अच्छीखासी थी. जिस से घरपरिवार का खर्च आराम से चल रहा था.

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शादी में दे बैठे दिल

जमना करीब एक साल पहले कमल की बुआ के पोते की शादी में गांव सांखी, मथुरा गई थी. शादी में वैसे भी सब लोग अच्छे कपड़े और शृंगार कर के शामिल होते हैं. महिलाएं और युवतियां तो ऐसे मौके पर सजनेसंवरने में कोई कसर नहीं छोड़तीं.

जमना ने भी मेकअप करा कर अच्छे कपड़े पहने. वह बहुत खूबसूरत लग रही थी. शादी श्रीचंद जादौन के बड़े बेटे की थी. दूल्हे का छोटा भाई मदनमोहन भी उस समय खूब सजाधजा हुआ था. वह शक्लसूरत से भी ठीक ही था. दूल्हे के आसपास घूमते मदनमोहन और जमना की नजरें एकदूसरे से मिलीं तो दोनों एकदूसरे से नजरें नहीं हटा सके.

मदन को जहां जमना प्यारी लगी थी, वहीं जमना को भी मदन भा गया था. मदन उस समय 18 साल का गबरू जवान था. दोनों का रिश्ता वैसे तो चाचीभतीजे का था मगर उन की आंखों में एकदूजे के लिए अलग ही चाहत थी.

दोनों एकदूसरे को ऐसे देख रहे थे, मानो उन के अलावा उन के लिए वहां कोई और था ही नहीं. मदन ने जब भी इधरउधर देख कर जमना की तरफ देखा, वह उसे ही देखती मिली. मदनमोहन ने तब मौका पा कर जमना चाची से कहा, ‘‘चाची, क्या खूबसूरत लग रही हो. नयनों के तीर चुभो कर मेरा दिन घायल कर दिया.’’

सुन कर जमना हंस कर बोली, ‘‘तुम्हारे नयनों ने मेरा भी दिल घायल कर दिया. अब इस की मरहमपट्टी तुम्हें ही करनी पड़ेगी.’’

‘‘बंदा अभी हाजिर है. आप हुक्म करें. मैं दिल का नया डाक्टर हूं.’’ वह बोला.

‘‘अच्छा, तो डाक्टर साहब से दिल घायल हुआ उस का इलाज आज जरूर कराएंगे.’’ जमना ने हंस कर कहा.

ये बातें हो तो मजाक में रही थीं मगर दोनों के मन में एकदूजे के लिए चाहत जाग उठी थी. दोनों शादी के दौरान एकदूसरे से मिलते रहे. एकदूसरे की खूबसूरती की तारीफों के पुल बांधते रहे.

मौका रात में मिला तो दोनों एकदूसरे की बांहों में समा गए. उन का चाचीभतीजे का रिश्ता वासना की आग में जल कर खाक हो गया. दोनों में एक नया रिश्ता कायम हो गया, जिस का अंत बहुत बुरा होने वाला था.

अगले दिन जमना जब गांव सांखी बुआ सास के घर से भिवानी आने की तैयारी कर रही थी तो मदनमोहन ने कहा, ‘‘चाची, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. तुम्हारे जाने के बाद मुझे तुम्हारी बहुत याद आएगी.’’

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‘‘आज के बाद चाची नहीं जमना कहोगे.’’ जमना बोली.

तब मदनमोहन बोला, ‘‘जैसा आप का हुकम मेरी प्यारी डार्लिंग जमना. मुझे हर रोज फोन करना. मिलने भी बुलाना. क्योंकि मैं तुम्हारी जुदाई बरदाश्त नहीं कर पाऊंगा.’’

‘‘जरूर मेरे राजा, मुझे भी तुम्हारी बहुत याद सताएगी. याद करूं तब दौड़े आना.’’ वह बोली.

‘‘जरूर आऊंगा.’’ मदन ने जमना की ओर देखते हुए रुआंसे स्वर में कहा.

इस के बाद दोनों ने एकदूसरे का मोबाइल नंबर लिया. जमना भिवाड़ी आ गई. वह भिवाड़ी आ जरूर गई थी, लेकिन अपना दिल तो भतीजे मदनमोहन के पास छोड़ आई थी. यही हाल मदनमोहन का भी था. उसे जमना के बगैर कुछ भी अच्छा नहीं लगता था. मगर करते भी तो क्या. दोनों फोन पर बातें कर के दिल को तसल्ली देते रहते.

एकदो बार मदनमोहन भिवाड़ी भी आया और हसरतें पूरी कर वापस गांव मथुरा लौट आया. उन के बीच अवैध संबंध बने तो दोनों को दुनिया फीकी लगने लगी. मौका मिलने पर मदन भिवाड़ी आ कर जमना देवी से मिल जाता. दोनों कमल सिंह की गैरमौजूदगी में रास रचाते थे.

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दोनों एकदूसरे से कोसों दूर रहते थे. एक भिवाड़ी में तो दूसरा मथुरा में. ऐसे में हर रोज मिलना संभव नहीं था. ऐसे में वे दोनों फोन पर बातें कर जी हलका करते थे.

घटना से 6 महीने पहले एक दिन कमल ने अपनी पत्नी जमना को किसी से हंसहंस कर अश्लील बातें करते पकड़ लिया. तब कमल ने उस से पूछा कि किस से बातें कर रही थी. जमना ने बताया कि वह मदनमोहन से ही बात कर रही थी. तब उस ने कहा, ‘‘अरे शर्म नहीं आई तुझे उस से ऐसी बातें करते. अगर आज के बाद किसी से भी इस तरह की बात की तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा.’’

अगले भाग में पढ़ें- जमना का पोल खुल गया

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सौजन्य-मनोहर कहानियां

रविवार 14 जुलाई, 2019 का दिन था. दोपहर का समय था. जालौर के एसपी हिम्मत अभिलाष टाक को फोन पर सूचना मिली कि बोरटा-लेदरमेर ग्रेवल सड़क के पास वन विभाग की जमीन पर एक व्यक्ति का नग्न अवस्था में शव पड़ा है.

एसपी टाक ने तत्काल भीनमाल के डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई को घटना से अवगत कराया और घटनास्थल पर जा कर काररवाई करने के निर्देश दिए. एसपी के निर्देश पर डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई तत्काल घटनास्थल की ओर रवाना हो गए, साथ ही उन्होंने थाना रामसीन में भी सूचना दे दी. उस दिन थाना रामसीन के थानाप्रभारी छतरसिंह देवड़ा अवकाश पर थे. इसलिए सूचना मिलते ही मौजूदा थाना इंचार्ज साबिर मोहम्मद पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

घटनास्थल पर आसपास के गांव वालों की भीड़ जमा थी. वहां वन विभाग की खाई में एक आदमी का नग्न शव पड़ा था. आधा शव रेत में दफन था. उस का चेहरा कुचला हुआ था. शव से बदबू आ रही थी, जिस से लग रहा था कि उस की हत्या शायद कई दिन पहले की गई है.

वहां पड़ा शव सब से पहले एक चरवाहे ने देखा था. वह वहां सड़क किनारे बकरियां चरा रहा था. उसी चरवाहे ने यह खबर आसपास के लोगों को दी थी. कुछ लोग घटनास्थल पर पहुंचे और पुलिस को खबर कर दी.

मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को खाई से बाहर निकाल कर शिनाख्त कराने की कोशिश की, मगर जमा भीड़ में से कोई भी मृतक की शिनाख्त नहीं कर सका. शव से करीब 20 मीटर की दूरी पर किसी चारपहिया वाहन के टायरों के निशान मिले. इस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि हत्यारे शव को किसी गाड़ी में ले कर आए और यहां डाल कर चले गए.

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पुलिस ने घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र किए. शव के पास ही खून से सनी सीमेंट की टूटी हुई ईंट भी मिली. लग रहा था कि उसी ईंट से उस के चेहरे को कुचला गया था. कुचलते समय वह ईंट भी टूट गई थी.

मौके की सारी काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए राजकीय चिकित्सालय की मोर्चरी भिजवा दिया. डाक्टरों की टीम ने उस का पोस्टमार्टम किया.

जब तक शव की शिनाख्त नहीं हो जाती, तब तक जांच आगे नहीं बढ़ सकती थी. शव की शिनाख्त के लिए पुलिस ने मृतक के फोटो वाट्सऐप पर शेयर कर दिए. साथ ही लाश के फोटो भीनमाल, जालौर और बोरटा में तमाम लोगों को दिखाए. लेकिन कोई भी उसे नहीं पहचान सका.

सोशल मीडिया पर मृतक का फोटो वायरल हो चुका था. जालौर के थाना सिटी कोतवाली में 2 दिन पहले कालेटी गांव के शैतानदान चारण नाम के एक शख्स ने अपने रिश्तेदार डूंगरदान चारण की गुमशुदगी दर्ज कराई थी.

कोतवाली प्रभारी को जब थाना रामसीन क्षेत्र में एक अज्ञात लाश मिलने की जानकारी मिली तो उन्होंने लाश से संबंधित बातों पर गौर किया. उस लाश का हुलिया लापता डूंगरदान चारण के हुलिए से मिलताजुलता था. कोतवाली प्रभारी बाघ सिंह ने डीएसपी भीनमाल हुकमाराम को सारी बातें बताईं.

मारा गया व्यक्ति डूंगरदान चारण था

इस के बाद एसपी जालौर ने 2 पुलिस टीमों का गठन किया, इन में एक टीम भीनमाल थाना इंचार्ज साबिर मोहम्मद के नेतृत्व में गठित की गई, जिस में एएसआई रघुनाथ राम, हैडकांस्टेबल शहजाद खान, तेजाराम, संग्राम सिंह, कांस्टेबल विक्रम नैण, मदनलाल, ओमप्रकाश, रामलाल, भागीरथ राम, महिला कांस्टेबल ब्रह्मा शामिल थी.

दूसरी पुलिस टीम में रामसीन थाने के एएसआई विरधाराम, हैडकांस्टेबल प्रेम सिंह, नरेंद्र, कांस्टेबल पारसाराम, राकेश कुमार, गिरधारी लाल, कुंपाराम, मायंगाराम, गोविंद राम और महिला कांस्टेबल धोली, ममता आदि को शामिल किया गया.

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डीएसपी हुकमाराम बिश्नोई दोनों पुलिस टीमों का निर्देशन कर रहे थे. जालौर के कोतवाली निरीक्षक बाघ सिंह ने उच्चाधिकारियों के आदेश पर डूंगरदान चारण की गुमशुदगी दर्ज कराने वाले उस के रिश्तेदार शैतानदान को राजदीप चिकित्सालय की मोर्चरी में रखी लाश दिखाई तो उस ने उस की शिनाख्त अपने रिश्तेदार डूंगरदान चारण के रूप में कर दी.

मृतक की शिनाख्त होने के बाद पुलिस ने उस के परिजनों से संपर्क किया तो इस मामले में अहम जानकारी मिली. मृतक की पत्नी रसाल कंवर ने पुलिस को बताया कि उस के पति डूंगरदान 12 जुलाई, 2019 को जालौर के सरकारी अस्पताल में दवा लेने गए थे.

वहां से घर लौटने के बाद पता नहीं वे कहां लापता हो गए, जिस की थाने में सूचना भी दर्ज करा दी थी. रसाल कंवर ने पुलिस को अस्पताल की परची भी दिखाई. पुलिस टीम ने अस्पताल की परची के आधार पर जांच की.

पुलिस ने राजकीय चिकित्सालय जालौर के 12 जुलाई, 2019 के सीसीटीवी फुटेज की जांच की तो पता चला कि डूंगरदान को काले रंग की बोलेरो आरजे14यू बी7612 में अस्पताल तक लाया गया था.

उस समय डूंगरदान के साथ उस की पत्नी रसाल कंवर के अलावा 2 व्यक्ति भी फुटेज में दिखे. उन दोनों की पहचान मोहन सिंह और मांगीलाल निवासी भीनमाल के रूप में हुई. पुलिस जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही थी.

पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज जांच के बाद गांव के विभिन्न लोगों से पूछताछ की तो सामने आया कि मृतक डूंगरदान चारण की पत्नी रसाल कंवर से मोहन सिंह राव के अवैध संबंध थे. इस जानकारी के बाद पुलिस ने रसाल कंवर और मोहन सिंह को थाने बुला कर सख्ती से पूछताछ की.

मांगीलाल फरार हो गया था. रसाल कंवर और मोहन सिंह राव ने आसानी से डूंगरदान की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया.

केस का खुलासा होने की जानकारी मिलने पर पुलिस के उच्चाधिकारी भी थाने पहुंच गए. उच्चाधिकारियों के सामने आरोपियों से पूछताछ कर डूंगरदान हत्याकांड से परदा उठ गया.

पुलिस ने 16 जुलाई, 2019 को दोनों आरोपियों मृतक की पत्नी रसाल कंवर एवं उस के प्रेमी मोहन सिंह राव को कोर्ट में पेश कर 2 दिन के रिमांड पर ले लिया. रिमांड के दौरान उन से विस्तार से पूछताछ की गई तो डूंगरदान चारण की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस तरह थी—

मृतक डूंगरदान चारण मूलरूप से राजस्थान के जालौर जिले के बागौड़ा थानान्तर्गत गांव कालेटी का निवासी था. उस के पास खेती की थोड़ी सी जमीन थी. वह उस जमीन पर खेती के अलावा दूसरी जगह मेहनतमजदूरी करता था. उस की शादी करीब एक दशक पहले जालौर की ही रसाल कंवर से हुई थी.

करीब एक साल बाद रसाल कंवर एक बेटे की मां बनी तो परिवार में खुशियां बढ़ गईं. बाद में वह एक और बेटी की मां बन गई. जब डूंगरदान के बच्चे बड़े होने लगे तो वह उन के भविष्य को ले कर चिंतित रहने लगा.

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गांव में अच्छी पढ़ाई की व्यवस्था नहीं थी, लिहाजा डूंगरदान अपने बीवीबच्चों के साथ गांव कालेटी छोड़ कर भीनमाल चला गया और वहां लक्ष्मीमाता मंदिर के पास किराए का कमरा ले कर रहने लगा. भीनमाल कस्बा है. वहां डूंगरदान को मजदूरी भी मिल जाती थी. जबकि गांव में हफ्तेहफ्ते तक उसे मजदूरी नहीं मिलती थी.

आशिकी के लिए दोस्ती

डूंगरदान के पड़ोस में ही मोहन सिंह राव का आनाजाना था. मोहन सिंह राव पुराना भीनमाल के नरता रोड पर रहता था. वह अपराधी प्रवृत्ति का रसिकमिजाज व्यक्ति था. उस की नजर रसाल कंवर पर पड़ी तो वह उस का दीवाना हो गया. मोहन सिंह ने इस के लिए ही डूंगरदान से दोस्ती की थी. इस के बाद वह उस के घर आनेजाने लगा.

अगले भाग में पढ़ें- रसाल कंवर पति के खून से अपने हाथ रंगने को  हुई तैयार 

Manohar Kahaniya: बुआ के चक्कर में भतीजे ने गंवाई जान

सौजन्य: मनोहर कहानियां

वेदराम बेहद सीधासादा और मेहनती युवक था. वह उत्तर प्रदेश के जिला फिरोजाबाद के एक चूड़ी कारखाने में काम करता था, जबकि उस के बीवीबच्चे कासगंज जिले के नगला लालजीतगंज में रहते थे. यह वेदराम का पैतृक गांव था. वहीं पर उस का भाई मिट्ठूलाल भी परिवार के साथ रहता था.

जिला कासगंज के ही थाना सहावर का एक गांव है बीनपुर कलां. यहीं के रहने वाले आलम सिंह का बेटा नेकसे अकसर नगला लालजीतगंज में अपनी बुआ के घर आताजाता रहता था. उस की बुआ की शादी वेदराम के भाई मिट्ठूलाल के साथ हुई थी.

वेदराम की पत्नी सुनीता पति की गैरमौजूदगी में भी घर की जिम्मेदारी  ठीकठाक निभा रही थी. वह अपनी बड़ी बेटी की शादी कर चुकी थी. जिंदगी ने कब करवट ले ली, वेदराम को पता ही नहीं चला. पिछले कुछ समय से वेदराम जब भी छुट्टी पर घर जाता था, उसे पत्नी सुनीता के मिजाज में बदलाव देखने को मिलता था. उसे अकसर अपने घर में नेकसे भी बैठा मिलता था.

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नेकसे हालांकि उस के भाई मिट्ठूलाल की पत्नी का भतीजा था, फिर भी वह यही सोचता था कि आखिर यह उस के घर में क्यों डेरा डाले रहता है. उस ने एकदो बार नेकसे को टोका भी कि बुआ के घर पड़े रहने से अच्छा है वह कोई कामकाज देखे. सुनीता ने भी नेकसे पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया था, लेकिन वह जब भी आता था, वह उस की खूब मेहमाननवाजी करती थी. नेकसे के मन में क्या था, यह सुनीता को पता नहीं था. एक दिन नेकसे दोपहर में उस के घर आया और चारपाई पर बैठ कर इधरउधर की बातें करने लगा. अचानक वह उस के पास आ कर बोला, ‘‘बुआ, तुम जानती हो कि तुम कितनी सुंदर हो?’’

नेकसे की इस बात पर पहले तो सुनीता चौंकी, उस के बाद हंसती हुई बोली, ‘‘मजाक अच्छा कर लेते हो.’’

‘‘नहीं बुआ, ये मजाक नहीं है. तुम मुझे सचमुच बहुत अच्छी लगती हो. तुम्हें देखने को दिल चाहता है, तभी तो मैं तुम्हारे यहां आता हूं.’’ नेकसे ने हंसते हुए कहा.

नेकसे की बातें सुन कर सुनीता के माथे पर बल पड़ गए. उस ने कहा, ‘‘तुम यह क्या कह रहे हो, क्या मतलब है तुम्हारा?’’

‘‘कुछ नहीं बुआ, तुम बैठो और यह बताओ कि फूफाजी कब आएंगे?’’ उस ने पूछा.

‘‘उन्हें छुट्टी कहां मिलती है. तुम सब कुछ जानते तो हो, फिर भी पूछ रहे हो?’’ सुनीता ने थोड़ा रोष में कहा.

‘‘तुम्हारे ऊपर दया आती है बुआ, फूफाजी को तो तुम्हारी फिक्र ही नहीं है. अगर उन्हें फिक्र होती तो इतने दिनों बाद घर न आते. वह चाहते तो गांव में ही कोई काम कर सकते थे.’’ यह कह कर नेकसे ने जैसे सुनीता की दुखती रग पर हाथ रख दिया था.

इस के बाद सुनीता के करीब आ कर वह उस का हाथ पकड़ते हुए बोला, ‘‘बुआ, अब तुम चिंता मत करो, सब कुछ ठीक हो जाएगा.’’

इतना कह कर नेकसे तो चला गया, लेकिन सुनीता के मन में कई सवाल छोड़ गया. वह सोचने लगी कि आखिर नेकसे का उस के यहां आनेजाने का मकसद क्या है? 28 साल का नेकसे देखने में ठीकठाक था. वह अविवाहित था. और अपने गांव के एक ईंट भट्ठे पर काम करता था. तनख्वाह तो ज्यादा नहीं थी, पर वहां उसे अच्छी कमाई हो जाती थी. बुआ के यहां आतेआते उस का दिल बुआ की देवरानी सुनीता पर आ गया था.

सुनीता पति की दूरी से बहुत परेशान थी. इसी का बहाना बना कर उस ने उस के दिल में जगह बनानी शुरू कर दी थी. रिश्ते की नजदीकियां रास्ते में बाधक थीं. नेकसे को इस बात का भी डर लग रहा था कि अगर सुनीता को बुरा लग गया तो परिवार में तूफान आ जाएगा. उस दिन नेकसे के जाने के बाद सुनीता देर तक उसी के बारे में सोचती रही कि आखिर नेकसे चाहता क्या है. उस रात सुनीता को देर तक नींद नहीं आई. नेकसे की बातचीत का अंदाज मन मोहने वाला था, लेकिन सुनीता उम्र और रिश्ते में नेकसे से बड़ी थी. मन में पति के प्रति गुस्सा भी आया, क्योंकि पति से दूरी के कारण ही उस का मन डगमगा रहा था.

उस ने तय कर लिया कि इस बार जब पति घर आएगा तो वह उस से कहेगी कि या तो वह गांव में रह कर कोई काम करे या फिर उसे भी अपने साथ ले चले.

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कुछ दिनों बाद वेदराम छुट्टी पर आया तो सुनीता ने कहा, ‘‘देखो, तुम्हारे बिना मेरा यहां बिलकुल भी मन नहीं लगता. या तो तुम यहीं कोई काम कर लो या फिर मैं भी बच्चों को ले कर फिरोजाबाद चल कर तुम्हारे साथ रहूंगी.’’

पत्नी की बात सुन कर वेदराम बोला, ‘‘लगता है, तुम पगला गई हो. तुम अपनी उम्र तो देखो. बच्चे बड़े हो रहे हैं और तुम्हें रोमांस सूझ रहा है.’’

‘‘तो क्या अब मैं बूढ़ी हो गई हूं?’’ सुनीता ने कहा.

‘‘नहीं…नहीं, ऐसा नहीं है. पर सुनीता यह मेरी मजबूरी है. मेरी तनख्वाह इतनी नहीं कि वहां किराए पर कमरा ले कर तुम्हें साथ रख सकूं. और तुम क्या सोच रही हो कि वहां मैं खुश हूं. नहीं, तुम्हारे बिना मैं भी कम परेशान नहीं हूं.’’

पति के जवाब पर सुनीता कुछ नहीं बोली. वेदराम 3 दिनों तक घर पर रहा, तब तक सुनीता काफी खुश रही. पर पति के जाने के बाद उस के जिस्म की भूख फिर सिर उठाने लगी. वह उदास हो गई. तब उस के दिलोदिमाग में नेकसे घूमने लगा. वह उस से मिलने को उतावली हो उठी. इतना ही नहीं, वह अपनी जेठानी के घर जा कर बोली, ‘‘दीदी, नेकसे आया नहीं क्या?’’

जेठानी ने कहा, ‘‘आया तो था, पर जल्दी में था. क्यों, कोई काम है क्या?’’

‘‘नहीं, मैं ने तो यूं ही पूछ लिया.’’ उदास मन से सुनीता वापस आने को हुई, तभी जेठानी ने कहा, ‘‘शायद वह कल आएगा.’’

जेठानी की बात सुन कर सुनीता का दिल बल्लियों उछलने लगा. उसे लग रहा था कि नेकसे उस से नाराज है, तभी तो वह उस के घर नहीं आया. अगले दिन अचानक उस के दरवाजे पर दस्तक हुई. उस ने दरवाजा खोला, सामने नेकसे खड़ा था.

‘‘तुम?’’ उसे देख कर सुनीता हैरानी से बोली.

‘‘हां, मैं ही हूं बुआ, लेकिन तुम मुझे देख कर इतना हैरान क्यों हो? बड़ी बुआ ने बताया कि तुम मुझे याद कर रही थीं, सो मैं आ गया. अब बताओ, क्या कहना है?’’ नेकसे ने घर में दाखिल होते हुए कहा.

सुनीता ने मुख्यद्वार बंद किया और अंदर आ कर नेकसे से बातें करने लगी. कुछ देर में सुनीता 2 गिलासों में चाय ले कर आई तो नेकसे ने पूछा, ‘‘फूफा आए थे क्या?’’

‘‘हां, आए तो थे, लेकिन 3 दिन रह कर चले गए.’’ सुनीता बेमन से बोली.

नेकसे को लगा कि वह फूफा से खुश नहीं है. उस ने मौके का फायदा उठाते हुए कहा, ‘‘बुआ, मैं कुछ कहना चाहता हूं, पर डर लगता है कि कहीं तुम बुरा न मान जाओ.’’

‘‘नहीं, तुम बताओ क्या बात है?’’

‘‘बुआ, सच तो यह है कि तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो और मैं तुम से प्यार करने लगा हूं.’’ नेकसे ने एक ही झटके में मन की बात कह दी.

नेकसे की बात पर सुनीता भड़क उठी, ‘‘क्या मतलब है तुम्हारा? और हां, प्यार का मतलब जानते हो? अपनी और मेरी उम्र में फर्क देखा है. मैं रिश्ते में तुम्हारी बुआ लगती हूं.’’

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‘‘हां, लेकिन इस दिल का क्या करूं, जो तुम पर आ गया है. अब तो दिलोदिमाग पर हमेशा तुम ही छाई रहती हो.’’ नेकसे ने कहा.

‘‘लगता है, तुम पागल हो गए हो. जरा सोचो, अगर घर वालों को यह सब पता चल गया तो मेरा क्या हाल होगा?’’ सुनीता ने कहा.

नेकसे चारपाई से उठा और सुनीता के पास जा कर उस के गले में बांहें डाल दीं. सुनीता ने इस का कोई विरोध नहीं किया. इस से नेकसे की हिम्मत बढ़ गई. इस के बाद सुनीता भी खुद को नहीं रोक सकी तो मर्यादा भंग हो गई. जोश उतरने पर जब होश आया तो दोनों में से किसी के भी मन में पछतावा नहीं था.

सुनीता को अपना मोबाइल नंबर दे कर और फिर आने का वादा कर के नेकसे चला गया. उस दिन के बाद सुनीता की तो जैसे दुनिया ही बदल गई. पर कभीकभी उसे डर भी लगता था कि अगर भेद खुल गया तो क्या होगा. अब नेकसे का आनाजाना लगा रहने लगा. इसी बीच एक दिन वेदराम अचानक घर आ गया. उस की तबीयत खराब थी. पर उस समय घर पर नेकसे नहीं था. सुनीता डर गई कि कहीं पति की मौजूदगी में नेकसे न आ जाए, इसलिए उस ने नेकसे को फोन कर के सतर्क कर दिया. हफ्ते भर बाद वेदराम चला तो गया, पर सुनीता के मन में डर सा समा गया.

पड़ोसियों को सुनीता के घर नेकसे का आनाजाना अखरने लगा था. आखिर एक दिन पड़ोसन ने सुनीता को टोक ही दिया, ‘‘जवान लड़के का इस तरह घर आनाजाना ठीक नहीं है. अपनी जवान बेटी का कुछ तो खयाल करो.’’

सुनीता तमक कर बोली, ‘‘अपने घर का खयाल मैं खुद रख लूंगी. तुम हमारी फिक्र मत करो.’’

नेकसे उस के यहां बेखौफ और बिना रोकटोक आताजाता था. पड़ोसियों के मन में भी शक के बीज पड़ चुके थे. एक दिन जब वेदराम घर आया तो एक पड़ोसी ने कहा, ‘‘नेकसे तुम्हारी गैरमौजूदगी में तुम्हारे घर अकसर आता है. तुम्हें इस बात पर ध्यान देना चाहिए.’’

इस बात से वेदराम को लगा कि जरूर कुछ गड़बड़ है. उस ने सुनीता से पूछा, ‘‘यह नेकसे का क्या चक्कर है?’’

पति की बात सुन कर सुनीता की धड़कनें बढ़ गईं, ‘‘यह क्या कह रहे हो तुम, तुम्हारा रिश्तेदार है. कभीकभी यहां आ जाता है. इस में गलत क्या है?’’

‘‘घर में जवान बच्ची है. तुम उसे यहां आने के लिए मना कर दो.’’ वेदराम ने कहा.

‘‘अपनी बेटी की देखरेख मैं खुद कर सकती हूं, पर कभी सोचा है कि तुम्हारे बिना मैं कैसे रहती हूं.’’

‘‘तुम लोगों के लिए ही तो मैं बाहर रहता हूं. जरा सोचो क्या तुम्हारे बिना मुझे वहां अच्छा लगता है क्या?’’

वेदराम को सुनीता की इस बात से विश्वास होने लगा कि पड़ोसियों ने उसे उस की पत्नी और नेकसे के बारे में जो खबर दी है, वह सही है. वेदराम 2-4 दिन रुक कर अपने काम पर फिरोजाबाद चला गया. पर इस बार उस का काम में मन नहीं लगा. उसे लगता था, जैसे उस की गृहस्थी की नींव हिल रही है.

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एक दिन अचानक वह छुट्टी ले कर बिना बताए घर से आ गया. उस ने घर में कदम रखा तो घर में कोई बच्चा दिखाई नहीं दिया. उस ने कमरे का दरवाजा खोला तो सन्न रह गया. उस की पत्नी नेकसे की बांहों में थी. गुस्से में वेदराम ने डंडा उठाया और सुनीता की खूब पिटाई की. जबकि नेकसे भाग गया.

पिटने के बाद भी सुनीता के चेहरे पर डर नहीं था. वह गुर्रा कर बोली, ‘‘इस सब में मेरी नहीं, बल्कि तुम्हारी गलती है. मैं ने कहा था न कि मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती, पर तुम ने मेरी भावनाओं का खयाल कहां रखा.’’

वेदराम का गुस्सा बढ़ गया. वह हैरान था कि सुनीता ने रिश्तों का भी खयाल नहीं रखा. नेकसे तो उस के बेटे की तरह है. उस ने कहा, ‘‘ठीक है, अब मैं आ गया हूं, सब संभाल लूंगा.’’

‘‘मैं आ गया हूं, से क्या मतलब है तुम्हारा?’’ सुनीता ने पूछा.

‘‘अब मैं नौकरी छोड़ कर हमेशा के लिए आ गया हूं. यहीं खेतीबाड़ी करूंगा. फिर देखूंगा तुझे.’’ वेदराम ने कहा.

पति के नौकरी छोड़ने की बात सुन कर सुनीता परेशान हो उठी. क्योंकि अब उसे नेकसे से मिलने का मौका नहीं मिल सकता था. उस ने नेकसे को सारी बात बता कर सतर्क रहने को कहा. अब वह किसी भी कीमत पर नेकसे को छोड़ने को तैयार नहीं थी. उस के मन में पति के प्रति नफरत पैदा हो गई.

वेदराम को अब इस बात का डर लगा रहता था कि सुनीता नेकसे के साथ भाग न जाए. अगर ऐसा हो गया तो समाज में उस की नाक ही कट जाएगी. लिहाजा उसे अपनी दुराचारी पत्नी से नफरत हो गई. बेटी भी जवान थी पर वह मां की ही तरफ से बोलती थी. उसे इस बात का भी डर था कि कहीं बेटी भी गुमराह न हो जाए.

वेदराम की चौकसी के बावजूद सुनीता और नेकसे मौका पा कर घर से बाहर मिलने लगे. यह बात भी वेदराम से ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रह सकी. उस ने सुनीता को एक बार फिर समझाने की कोशिश की, पर वह कुछ भी मानने को तैयार नहीं थी. वेदराम समझ गया कि अब कोई बड़ा कदम उठाना ही पड़ेगा, वरना उस की गृहस्थी डूब जाएगी. घर का वातावरण काफी तनावपूर्ण रहने लगा था. नेकसे वेदराम की खुशियों के रास्ते में बाधा बन गया था. काफी सोचनेविचारने के बाद वेदराम को लगा कि इस समस्या का अब एक ही हल है कि रास्ते के कांटे को जड़ से निकाल दिया जाए.

दूसरी ओर रोजरोज पिटने से सुनीता को लगने लगा था कि अब वह पति के साथ ज्यादा दिनों तक नहीं रह सकती. वह खुल कर नेकसे के साथ अपनी दुनिया बसाना चाहती थी.

वेदराम धीरेधीरे अपने इरादे को मजबूत कर रहा था. बेशक यह काम उस के लिए कठिन था. पर एक ओर चरित्रहीन पत्नी थी तो दूसरी ओर बेलगाम भतीजा. दोनों उस केगुस्से को हवा दे रहे थे.

योजना के अनुसार, वेदराम उसी ईंट भट्ठे पर काम करने लगा, जहां नेकसे करता था. वेदराम जानता था कि नेकसे रात में भट्ठे पर ही सोता है. उसे लगा कि वह वहीं पर अपना काम आसानी से कर सकता है. वह भी भट्ठे पर ही सोने लगा और मौके की तलाश में लग गया.

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नेकसे अपने फूफा वेदराम के इरादे से बेखबर था. जबकि वेदराम ने तय कर लिया था कि अपनी इज्जत पर हाथ डालने वाले को वह जिंदा नहीं छोड़ेगा. अपनी नौकरी के तीसरे दिन 5 दिसंबर, 2016 को वेदराम को मौका मिल गया. उस ने देखा, नेकसे अकेला सो रहा था. वह अपनी जगह से उठा और फावड़े से नेकसे पर प्रहार कर दिया. चोट नेकसे के कंधे पर लगी तो वह चीख कर उठा और भागने की कोशिश की. लेकिन वेदराम ने उस पर ताबड़तोड़ प्रहार कर दिए, जिस से वह वहीं पर मर गया.

नेकसे की हत्या करने के बाद वेदराम ने राहत की सांस ली, पर उस की दिमागी हालत ठीक नहीं थी. वह फावड़ा ले कर सीधे थाना सहावर पहुंचा और पुलिस को सारी बात बता दी. थानाप्रभारी रफत मजीद वेदराम से पूछताछ कर के उसे उस जगह ले गए, जहां उस ने नेकसे की हत्या की थी. पुलिस ने जरूरी काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

पुलिस ने वेदराम के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. थानाप्रभारी रफत मजीद केस की तफ्तीश कर रहे थे.

– कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चा पर आधारित

Manohar Kahaniya: बबिता का खूनी रोहन- भाग 2

इस दौरान इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक की टीम ने भीमराज की पत्नी बबीता से जब पूछताछ शुरू की तो पता चला की भीमराज ने चिराग दिल्ली गांव में अपना मकान बना रखा था, जहां वह अपनी पत्नी बबीता व 3 बच्चों के साथ रहता था.

भीमराज और बबीता के 3 बच्चों में 2 बेटी और एक बेटा था. बड़ी बेटी की उम्र करीब 19 साल थी, जबकि छोटी बेटी 15 साल की थी. उन के बीच 17 साल का एक बेटा था.

बबीता आई शक के दायरे में

42 साल की बबीता आकर्षक व तीखे नाकनक्श वाली महिला थी. इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक को पूछताछ की शुरुआत में ही लगा कि बबीता को अपने पति के साथ हुई इस गंभीर वारदात का मानो कोई रंज नहीं है.

इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक के हर सवाल का बबीता इतने सहज भाव से जवाब दे रही थी, मानो कुछ हुआ ही नहीं था.

पुलिस की नौकरी करते करते हुए अनुभव में जितेंद्र मलिक ने इस तरह के कई हादसे देखे थे, जिस में मृत्यु की शैय्या पर पड़े पति के गम और आशंका में पत्नी का रोरो कर बुरा हाल हो जाता है और उसे कोई सुधबुध नहीं रहती. लेकिन बबीता न सिर्फ इंसपेक्टर मलिक के हर सवाल का सहजता से जवाब दे रही थी अपितु जब उन्होंने उस के लिए चाय मंगाई तो वह पूरी सहजता के साथ चाय भी पी गई.

किसी पीडि़त की पत्नी का ऐसा व्यवहार इंसपेक्टर मलिक को थोड़ा अटपटा लगा. हालांकि बबीता ने पूछताछ में यह बात साफ कर दी थी कि उस के पति की किसी से उस की दुश्मनी या रंजिश के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है.

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बबीता ने यह भी बताया कि उस के पति भीमराज की संगत ठीक नहीं थी. वह खानेपीने का शौकीन था और अकसर शराब पी कर घर आता था. उस ने बताया कि पति की कमाई से घर ठीक से नहीं चल पाता था, इसलिए वह खुद भी घरगृहस्थी चलाने में पति का हाथ बंटाती थी. बबीता ने साउथ एक्सटेंशन में किराए की दुकान ले कर उस में अपना ब्यूटीपार्लर खोल रखा था, जो ठीकठाक चलता था और उस से अच्छीखासी कमाई भी हो जाती थी.

एक तो बबीता का अटपटा व्यवहार और दूसरा उस का ब्यूटीपार्लर के पेशे से जुड़ा होना दोनों ऐसी बातें थीं, जिस के कारण इंसपेक्टर मलिक के लिए बबीता जिज्ञासा और जांचपड़ताल का केंद्रबिंदु बन गई. उन्होंने बातों ही बातों में भीमराज के अलावा बबीता और उस के तीनों बच्चों के मोबाइल नंबर नोट कर लिए.

सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग

बबीता से पूछताछ के बाद इंसपेक्टर मलिक ने तत्काल एसआई प्रमोद को  भीमराज और बबीता के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाने के लिए भेज दिया. इधर कई घंटे की मशक्कत और जांचपड़ताल के बाद पुलिस की अलगअलग टीमों ने 5 किलोमीटर के दायरे में जो सीसीटीवी फुटेज खंगाले थे, उन में से एक फुटेज में हुडको कालोनी के पास वही बाइक सवार पुलिस को एक बार उसी बाइक पर सवार नजर आया.

लेकिन यह फुटेज वारदात से करीब एक घंटा पहले की थी. उस वक्त बाइक सवार ने हेलमेट को हाथ में पकड़ा हुआ था और वह बाइक पर बैठा हुआ शायद किसी का इंतजार कर रहा था. इतना ही नहीं इस फुटेज में बाइक की नंबर प्लेट भी मुड़ी हुई नहीं थी, जिस से बाइक के नंबर भी स्पष्ट नजर आ रहे थे.

भीमराज के हमलावर तक पहुंचने के लिए पुलिस के हाथ यह बड़ी सफलता लगी थी. बाइक के उस नंबर को उसी शाम पुलिस ने ट्रेस कर के यह पता लगा लिया कि यह बाइक किस की है. भीमराज का हमलावर जिस बाइक पर सवार था वह महिंद्रा सेंटुरो बाइक थी. घटनास्थल से ले कर हुडको प्लेस में कालोनी के बाहर सीसीटीवी में दिख रही दोनों बाइक व उन पर वही लिबास पहने व्यक्ति एक ही था.

पुलिस ने परिवहन विभाग के पोर्टल से जब उस बाइक का इतिहास खंगाला तो पता चला कि कबीरनगर में रहने वाले प्रवीण के नाम पर यह बाइक पंजीकृत थी. पुलिस की एक टीम उसी रात प्रवीण के घर पहुंच गई और उसे हिरासत में ले लिया. फिर उस से पूछताछ शुरू हो गई.

प्रवीण को जब पता चला कि उस पर एक व्यक्ति पर गोली चलाने का आरोप है और जिस के गोली लगी है, वह जिंदगी और मौत से जूझ रहा है तो उस के होश उड़ गए.

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जांच में आए नए तथ्य

उस ने बताया कि यह बाइक उस के नाम पंजीकृत जरूर है, लेकिन एक साल पहले उस ने यह बाइक लखन नाम के व्यक्ति को बेच दी थी, जिस ने शायद लौकडाउन के कारण इसे अपने नाम पर अभी ट्रांसफर नहीं कराया है.

पुलिस ने उस की बात पर विश्वास करने से पहले प्रवीण की वारदात वाले दिन की गतिविधियों का पता लगाया और उस के मोबाइल की लोकेशन चैक की तो पता कि वारदात के वक्त वह अपने घर में मौजूद था. लिहाजा पुलिस ने उस से लखन नाम के उस व्यक्ति का फोन नंबर व पता हासिल किया, जिसे उस ने अपनी बाइक बेची थी.

लखन गोविंदपुरी, दिल्ली का रहने वाला था. पुलिस ने उसे भी रात में ही दबोच लिया और थाने ले आई. जब लखन को पता चला कि जो बाइक उस ने प्रवीण से खरीदी थी, उस का इस्तेमाल किसी पर जानलेवा हमला करने में हुआ है तो लखन ने भी माथा पीट लिया.

जितेंद्र मलिक समझ गए कि कोई खास बात है, जो लखन ने ऐसी प्रतिक्रिया दी है. लिहाजा उन्होंने थोड़ा सख्ती के साथ लखन से पूछा, ‘‘लगता है तुम्हें पता है कि भीमराज को गोली किस ने मारी है.’’

‘‘नहीं सर, मुझे कुछ नहीं पता. मैं तो यह भी नहीं जानता कि आप किस भीमराज की बात कर रहे हो… सर मैं तो अपने भतीजे की बात कर रहा हूं, जिस को मैं ने पिछले कुछ महीनों से ये गाड़ी चलाने के लिए दी हुई थी. अब पता नहीं उस ने किस को ये गाड़ी दी थी कि जिस ने यह कांड किया है.’’

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Manohar Kahaniya: चाची का आशिक- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

तब जमना ने कसम खा कर पति से कहा कि वह भविष्य में कभी भी मदनमोहन से बात नहीं करेगी. जमना ने पति से यह वादा कर तो लिया लेकिन मदन से बात किए बिना उस का मन नहीं लग रहा था. तब उस ने एक नई सिम ले ली. फिर वह उस नए नंबर से चोरीछिपे मदन से बतिया लेती. कमल ने सोचा कि बीवी ने मदनमोहन से बात करनी छोड़ दी है.

2 महीने बाद जमना को पुन: मदनमोहन से फोन पर बातें करते समय कमल ने पकड़ लिया. तब कमल ने जमना को जम कर पीटा और मदनमोहन को भी फोन कर के धमकाया, ‘‘हरामजादे, तेरे खिलाफ अपनी बीवी से बलात्कार करने का मुकदमा दर्ज कराऊंगा. तब तू सुधरेगा.’’

इतनी पिटाई के बाद भी जमना नहीं सुधरी. उसे अपने प्रेमी से बात करनी नहीं छोड़ी.

इस के बाद कमल सिंह ने एक बार फिर बीवी को मदनमोहन से बात करते पकड़ा. तब बीवी को पीटा और मदनमोहन को धमकी दी कि उस ने अगर 2 लाख रुपए नहीं दिए तो वह बलात्कार का मामला दर्ज करा कर सारे परिवार व रिश्तेदारों से तुम दोनों के अवैध संबंधों की पोल खोल देगा.

मदनमोहन डर गया. उस ने कहा कि उस के पास इतने रुपए नहीं हैं. वह रुपए किस्तों में दे देगा. वह बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज न कराएं. इस के बाद कमल ने 14 फरवरी, 2021 को फोन कर मदनमोहन को भिवाड़ी बुलाया. शाम 5 बजे मदनमोहन भिवाड़ी स्थित कमल के घर आया. इस के बाद कमल और मदनमोहन ने साथ बैठ कर शराब पी.

जब शराब का नशा चढ़ा तो कमल ने मदनमोहन से पूछा कि 2 लाख रुपए देगा तो बलात्कार का मामला दर्ज नहीं कराऊंगा. तब मदनमोहन ने कहा कि वह किस्तों में रुपए जरूर दे देगा.

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इस के बाद कमल, जमना व मदनमोहन कमरे में एक ही बैड पर सो गए. कमल के दिमाग में तो उस समय कुछ और ही चल रहा था. वह चुपके से उठा और पास में सो रही अपनी बीवी और मदनमोहन के इस तरह फोटो खींचने लगा जैसे वे दोनों एक साथ सो रहे हैं.

फोटो खींच कर कमल ने मदनमोहन और जमना को जगा कर कहा, ‘‘अब मैं रिश्तेदारों को फोन कर के बुलाता हूं और पूरी कालोनी के लोगों को बुला कर बताता हूं कि मैं ने तुम दोनों को शारीरिक संबंध बनाते रंगेहाथों पकड़ा है.’’

तब कमल की पत्नी जमना बोली कि ऐसा मत करो. लेकिन कमल नहीं माना और जिद करने लगा कि वह लोगों को तुम्हारे अवैध संबंधों के बारे में बता कर ही रहेगा.

अपनी पोल खुलने के डर से मदनमोहन ने कमल सिंह को पकड़ लिया और जमना ने अपनी चुन्नी पति के गले में डाल कर जोर से कस दी, जिस से कमल की मृत्यु हो गई. तब मदन और जमना के हाथपांव फूल गए. मगर कमल तो मर चुका था.

तब दोनों ने कमल की लाश ठिकाने लगाने की योजना बनाई, जिस के तहत जमना उसी समय अपने जेठ भीम सिंह के घर गई और उन की बाइक की चाबी यह कह कर ले आई कि कमल को अभी एटीएम से पैसे निकालने बल्लभगढ़ जाना है.

जमना और मदन ने कमल की बाइक पर रात करीब एक बजे कमल के शव को इस तरह दोनों के बीच बिठा कर रखा जैसे किसी बीमार को अस्पताल ले जा रहे हैं. दोनों बाइक पर शव को बाबा मोहनराम के जंगलों में डालने के लिए रवाना हुए लेकिन सड़क पर आने पर बाइक के पीछे पुलिस गश्त की मोटरसाइकिल देख कर मदनमोहन ने बाइक हेतराम चौक से सेक्टर-5 की तरफ मोड़ दी.

सेक्टर-5 व 6 वाली रोड पर बस की लाइट दिखाई देने पर दोनों ने शव को सेक्टर-5 में खाली प्लौट के सामने सड़क किनारे पटक दिया और वापस घर आ गए. मोटरसाइकिल पर मृतक कमल के पैर जमीन पर लटक रहे थे, जिस के कारण दोनों पैरों के अंगूठे आगे से रगड़ कर छिल गए थे. लाश ठिकाने लगाने के बाद आरोपी मदनमोहन फरीदाबाद चला गया.

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अगली सुबह यानी 15 फरवरी, 2021 सड़क पर शव देख कर साढ़े 7 बजे थाना यूआईटी भिवाड़ी फेज-3 के थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार को किसी राहगीर ने शव पड़े होने की सूचना दी. इस के बाद थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे.

पुलिस ने मृतक की बाइक और जमना देवी व मदनमोहन के मोबाइल जब्त कर के पूछताछ के बाद दोनों को भिवाड़ी कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

Best of Crime Stories: शादी जो बनी बर्बादी

Best of Crime Stories: शादी जो बनी बर्बादी- भाग 1

23 नवंबर, 2017 गुरुवार का दिन था. सुबह के यही कोई 10 बजे थे. महाराष्ट्र के अमरावती शहर के ओंकार मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी थी. मंदिर आनेजाने वाले लोगों की वजह से सड़कों पर भी काफी चहलपहल थी. 24 वर्षीया प्रतीक्षा भी अपनी सहेली श्रेया वायस्कर के साथ साईंबाबा के दर्शन कर के स्कूटी से खुशीखुशी अपने घर लौट रही थी.

दोनों सहेलियां आपस में बातें करते हुए अभी साईंनगर के वृंदावन कालोनी परिसर स्थित ठाकुलदार मालानी घर के सामने क्रौसिंग पर पहुंची थीं कि अचानक उन की स्कूटी के सामने एक दूसरी स्कूटी आ कर रुकी. जिस की वजह से दोनों सड़क पर गिरतेगिरते बचीं.

उस स्कूटी पर एक युवक सवार था. उसे इस तरह सामने आया देख कर प्रतीक्षा के दिल की धड़कनें बढ़ गईं. डरीसहमी प्रतीक्षा ने एक बार श्रेया को देखा. वह उस लड़के को जानती थी. वह हिम्मत जुटा कर उस लड़के से बोली, ‘‘हटो मेरे सामने से, मेरा रास्ता छोड़ो. मुझे घर जाने के लिए देर हो रही है.’’

वह युवक उसे घूरने लगा. तभी प्रतीक्षा ने श्रेया से कहा, ‘‘श्रेया, यह सामने से नहीं हट रहा तो तुम अपनी स्कूटी साइड से निकाल कर चलो.’’

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श्रेया वहां से निकल पाती, उस के पहले उस युवक ने श्रेया के नजदीक आ कर स्कूटी की चाबी निकालते हुए कहा, ‘‘प्रतीक्षा, आज मैं तुम्हें यह जान कर ही जाने दूंगा कि तुम मेरे साथ चलोगी या नहीं?’’

‘‘मैं तुम्हारे साथ क्यों चलूं?’’ प्रतीक्षा ने कहा.

‘‘क्योंकि तुम मेरी पत्नी हो. तुम ने मुझ से शादी की है.’’ युवक ने आवेश में आ कर कहा.

‘‘मैं कितनी बार कह चुकी हूं कि अब मैं तुम्हारे साथ नहीं जा सकती. तुम यह बात भूल जाओ कि मैं तुम्हारी पत्नी हूं. न मैं अब तुम से प्यार करती हूं और न पहले तुम से प्यार करती थी.’’ प्रतीक्षा ने सीधे जवाब दिया.

‘‘लेकिन मैं तुम्हें अभी भी पत्नी मानता हूं और प्यार भी करता हूं, इसलिए मैं कतई नहीं चाहूंगा कि तुम मुझ से दूर रहो. तुम्हें मेरे साथ चलना ही होगा. अगर आज तुम मेरे साथ नहीं चलोगी तो अच्छा नहीं होगा.’’ युवक ने धमकी दी.

प्रतीक्षा उस की इन बातों से परेशान हो गई. उस ने उसे समझाने का प्रयास करते हुए कहा, ‘‘तुम मेरी बात समझते क्यों नहीं. मैं तुम्हारे साथ नहीं जा सकती. फिर भी तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे, जो मेरे लिए अच्छा न हो.’’

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‘‘प्रतीक्षा, मैं कुछ भी कर सकता हूं. तुम्हारे साथ न आने से अब मेरी जिंदगी में बचा ही क्या है. तुम्हारी वजह से मुझे थाने और कोर्टकचहरी के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. तुम ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा. मेरी जिंदगी तबाह कर के रख दी. भला मैं तुम्हें कैसे छोड़ सकता हूं.’’ इतना कह कर उस युवक ने जेब से एक चाकू निकाला. चाकू देख कर प्रतीक्षा और उस की सहेली श्रेया घबरा गईं. दोनों कुछ कर पातीं, उस के पहले ही उस ने प्रतीक्षा पर हमला कर दिया.

हमला होते वक्त मूकदर्शक बने लोग

प्रतीक्षा की मार्मिक चीखें वातावरण में गूंजने लगीं. वह जमीन पर गिर कर तड़पने लगी. इस पर भी उस युवक का गुस्सा शांत नहीं हुआ. वह उस पर तब तक वार करता रहा, जब तक कि वह शांत नहीं हो गई. सहेली पर हमला होने से श्रेया घबरा गई थी. वह प्रतीक्षा की मदद के लिए चीखतीचिल्लाती रही, पर मदद के लिए कोई नहीं आया. कुछ लोग वहां खड़े बस तमाशा देखते रहे. हमलावर को जब विश्वास हो गया कि प्रतीक्षा मर चुकी है तो वह बड़े आराम से अपनी स्कूटी ले कर फरार हो गया.

फिल्मी अंदाज में घटी इस घटना से डरीसहमी श्रेया ने घटना की खबर पुलिस कंट्रोल रूम के साथसाथ प्रतीक्षा के घर वालों को भी दे दी. चूंकि वह इलाका थाना राजापेठ के अंतर्गत आता था, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम से यह सूचना राजापेठ थाने को प्रसारित कर दी. थानाप्रभारी किशोर सूर्यवंशी ने इंसपेक्टर दुर्गेश तिवारी को आवश्यक पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर भेज दिया और अपने आला अधिकारियों को सूचना देने के बाद खुद भी घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए.

अगले भाग में पढ़ें- मां ने बताया हमलावर का नाम

Crime: मुझे बचा लो, पिताजी मुझे मार डालेंगे!

छत्तीसगढ़ के जिला कोरबा  के कटघोरा थाना अंतर्गत  छत्तीसगढ़ प्रदेश की प्राचीन राजधानी कहे जाने वाले  “तुमान” नामक ग्राम में हुए एक युवती की हत्या की गुत्थी को सुलझाने में पुलिस को बड़ी मशक्कत के बाद सफलता मिली .

कटघोरा थाना प्रभारी अविनाश सिंह  व पुलिस की टीम ने हत्या की तह तक जांच कर संदिग्ध आरोपी से कड़ी पूछताछ की और अंततः हत्यारे ने अपना गुनाह कबूल कर लिया.

हत्या की वजह प्रेम प्रसंग है- प्रेमी ने युवती कृष्णा कुमारी गोस्वामी( 21 वर्ष )की बेवफाई के शक में उसे मौत की नींद सुला दिया. कृष्णा हत्या कांड में पुलिस की गहन जांच में यह तथ्य सामने आया की एक टीवी सीरियल के अपराधिक कार्यक्रम को देखकर प्रेमी ने संगीन तरीके से हत्या की घटना को अंजाम  दिया . पुलिस अधिकारी ने हमारे संवाददाता को बताया कि  दिगपाल दास गोस्वामी की  बेटी कृष्णा  गोस्वामी का  एक युवक संजय चौहान के साथ पिछले कुछ वर्षों से प्रेम संबंध था. संजय कृष्णा कुमारी के घर भी आया जाया करता था.

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कृष्णा गोस्वामी के ब्वाय फ्रेंड संजय के अलावा अन्य लड़कों  से भी ,  हो गई थी और मोबाइल में बात चीत व चैटिंग किया करती थी. इस दरमियान  कृष्णा की  कटघोरा के एक युवक नेमेंद्र देवांगन से ऑनलाइन मोबाइल गेम के जरिये मित्रता हुई और दोनों के बीच मोबाइल से बातचीत भी होने लगी, जिसकी भनक  प्रेमी संजय को हो गई जिसके कारण संजय  कृष्णा से इस बात को लेकर सख्त नाराज़ रहने लगा था.

और उतारा मौत के घाट

प्रेमी संजय चौहान ने एक टेलीविजन सीरियल  को देखकर उसी अंदाज़ में प्रेमिका कृष्णा की हत्या को अंजाम दिया. घटना के दिन  संजय युवती कृष्णा के घर पहुँचा और कहने लगा – “तू मझे धोखा दे रही है देखना कहा मैं तुझे मार डालूंगा. तू किसी और लड़के से सम्बंध बना रही है.”

इस पर कृष्णा ने उसकी बातों को हंस कर ध्यान नहीं दिया. उसे घर में बिठाया  चाय पीने के बाद  वह वापस चला गया.

रात तकरीबन डेढ़ बजे संजय बिना चप्पल व मोबाइल के युवती के घर पहुँचा और कृष्णा को बहलाकर उसके मोबाइल से अपने मोबाइल व कटघोरा के युवक नेमेन्द्र के मोबाइल पर कृष्णा से मैसेज पोस्ट करवाया – “मुझे बचा लो, मेरे पिताजी मुझे मार डालेंगे” उसके बाद कृष्णा के घर पर रखी साड़ी से कृष्णा का गला दबाकर घर के पीछे की बाड़ी में ले जा कर  मार दिया. सुबह जब कृष्णा के पिता दिगपाल घर के पीछे बाडी में गया तो कृष्णा मृत अवस्था में पड़ी हुई मिली गले में साड़ी लिपटी हुई थी  उन्होंने कृष्णा के गले से साड़ी के फंदे को हटाया और देखा तो कृष्णा मर चुकी थी. घटना की सूचना  थाना में दी गई.

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 विवाद का फायदा उठाया प्रेमी ने

कटघोरा पुलिस  थाना प्रभारी  द्वारा की गई कड़ी पूछताछ में पुलिस को जानकारी मिली दिगपाल  अपनी  बेटी कृष्णा कुमारी गोस्वामी का विवाह जिला सूरजपुर में करना चाहता  था लेकिन बेटी कृष्णा इस शादी को लेकर इंकार कर रही थी. जिसे लेकर बाप बेटी में  विवाद होता था इस बात की जानकारी कृष्णा के प्रेमी संजय को थी और इस बात का फायदा उठाकर सबसे पहले घटना के दिन उसने कृष्णा को धमकाकर अपने व कटघोरा के युवक नेमेन्द्र देवांगन के मोबाइल में पिता के खिलाफ मैसेज करवाया जिससे पुलिस का शक कृष्णा के पिता पर चला जाए.

और पहले हुआ भी यही हत्या की जांच में पहुचे सायबर सेल व खोजी बाघा ने भी मृतका कृष्णा कुमारी गोस्वामी के पिता को ही संदेही हत्यारा बताया. सायबर सेल ने जांच में पाया की कृष्णा के मोबाइल से मैसेज किया गया है जिसमें कृष्णा के द्वारा लिखा गया था कि उसे पिता से उसको जान का खतरा है. और दिगपाल द्वारा सुबह मृतका के गले से साड़ी के फंदे को हटाना भी खोजी बाघा द्वारा दिगपाल को निधानदेही होना बताया गया था. लेकिन  पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह मीणा इस जांच से संतुष्ट नही थे.

तुमान हत्याकांड में युवती कृष्णा की हत्या में कृष्णा के पिता और भाई तथा प्रेमी संजय चौहान व कटघोरा के युवक नेमेन्द्र देवांगन को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू हुई लेकिन पिता ने बार बार  फरियाद की कि उसने बेटी की हत्या हत्या नहीं कि है. अंततः कटघोरा निरीक्षक ने कड़ी पूछताछ में आरोपी संजय चौहान ने हत्या का गुनाह कबूल‌ कर  लिया.

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पुलिस को सायबर से जानकारी मिली कि संजय अपना मोबाइल कभी बंद नहीं करता था और जब भी वो कृष्णा के घर जाता था तो भी मोबाइल लेकर जाता था लेकिन घटना के दिन उसका मोबाइल बंद था और वह मोबाइल लेकर नहीं गया  था कृष्णा के मोबाइल से मैसेज खुद न लिख कर उसने कृष्णा से मैसेज लिखवाया और पोस्ट करवाया ताकि हत्या के आरोप में  पिता जेल चला जाए और वह  पुलिस  पकड़ से दूर रहे. मगर उसकी चालाकी किसी काम नहीं आई.

Best of Manohar Kahaniya- पति की गरदन पर प्रेमी का वार: भाग 2

सौजन्य-मनोहर कहानियां

मोहन सिंह रसाल कंवर से भी बड़ी चिकनीचुपड़ी बातें करता था. जब डूंगरदान मजदूरी करने चला जाता और उस के बच्चे स्कूल तो घर में रसाल कंवर अकेली रह जाती. ऐसे मौके पर मोहन सिंह उस के यहां आने लगा. मीठीमीठी बातों में रसाल को भी रस आने लगा. मोहन सिंह अच्छीखासी कदकाठी का युवक था.रसाल और मोहन के बीच धीरेधीरे नजदीकियां बढ़ने लगीं.

थोड़े दिनों के बाद दोनों के बीच अवैध संबंध कायम हो गए. इस के बाद रसाल कंवर उस की दीवानी हो गई. डूंगरदान हर रोज सुबह मजदूरी पर निकल जाता तो फिर शाम होने पर ही घर लौटता था.

रसाल और मोहन पूरे दिन रासलीला में लगे रहते. डूंगरदान की पीठ पीछे उस की ब्याहता कुलटा बन गई थी. दिन भर का साथ उन्हें कम लगने लगा था. मोहन चाहता था कि रसाल कंवर रात में भी उसी के साथ रहे, मगर यह संभव नहीं था. क्योंकि रात में पति घर पर होता था.

ऐसे में एक दिन मोहन सिंह ने रसाल कंवर से कहा, ‘‘रसाल, जीवन भर तुम्हारा साथ तो निभाऊंगा ही, साथ ही एक प्लौट भी तुम्हें ले कर दूंगा. लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम्हारे बदन को अब मेरे सिवा और कोई न छुए. तुम्हारे तनमन पर अब सिर्फ मेरा अधिकार है.’’

‘‘मैं हर पल तुम्हारा साथ निभाऊंगी.’’ रसाल कंवर ने प्रेमी की हां में हां मिलाते हुए कहा.

रसाल के दिलोदिमाग में यह बात गहराई तक उतर गई थी कि मोहन उसे बहुत चाहता है. वह उस पर जान छिड़कता है. रसाल भी पति को दरकिनार कर पूरी तरह से मोहन के रंग में रंग गई. इसलिए दोनों ने डूंगरदान को रास्ते से हटाने का मन बना लिया. लेकिन इस से पहले ही डूंगरदान को पता चल गया कि उस की गैरमौजूदगी में मोहन सिंह दिन भर उस के घर में पत्नी के पास बैठा रहता है.

यह सुनते ही उस का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. गुस्से से भरा डूंगरदान घर आ कर चिल्ला कर पत्नी से बोला, ‘‘मेरी गैरमौजूदगी में मोहन यहां क्यों आता है, घंटों तक यहां क्या करता है? बताओ, तुम से उस का क्या संबंध है?’’ कहते हुए उस ने पत्नी का गला पकड़ लिया.

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रसाल मिमियाते हुए बोली, ‘‘वह तुम्हारा दोस्त है और तुम्हें ही पूछने आता है. मेरा उस से कोई रिश्ता नहीं है. जरूर किसी ने तुम्हारे कान भरे हैं. हमारी गृहस्थी में कोई आग लगाना चाहता है. तुम्हारी कसम खा कर कहती हूं कि मोहन सिंह से मैं कह दूंगी कि वह अब घर कभी न आए.’’

पत्नी की यह बात सुन कर डूंगरदान को लगा कि शायद रसाल सच कह रही है. कोई जानबूझ कर उन की गृहस्थी तोड़ना चाहता है. डूंगरदान शरीफ व्यक्ति था. वह बीवी पर विश्वास कर बैठा. रसाल कंवर ने अपने प्रेमी मोहन को भी सचेत कर दिया कि किसी ने उस के पति को उस के बारे में बता दिया है. इसलिए अब सावधान रहना जरूरी है.

उधर डूंगरदान के मन में पत्नी को ले कर शक उत्पन्न तो हो ही गया था. इसलिए वह वक्तबेवक्त घर आने लगा. एक रोज डूंगरदान मजदूरी पर गया और 2 घंटे बाद घर लौट आया. घर का दरवाजा बंद था. खटखटाने पर थोड़ी देर बाद उस की पत्नी रसाल कंवर ने दरवाजा खोला. पति को अचानक सामने देख कर उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं.

डूंगरदान की नजर कमरे में अंदर बैठे मोहन सिंह पर पड़ी तो वह आगबबूला हो गया. उस ने मोहन सिंह पर गालियों की बौछार कर दी. मोहन सिंह गालियां सुन कर वहां से चला गया. इस के बाद डूंगरदान ने पत्नी की लातघूंसों से खूब पिटाई की. रसाल लाख कहती रही कि मोहन सिंह 5 मिनट पहले ही आया था. मगर पति ने उस की एक न सुनी.

पत्नी के पैर बहक चुके थे. डूंगरदान सोचता था कि गलत रास्ते से पत्नी को वापस कैसे लौटाया जाए. वह इसी चिंता में रहने लगा. उस का किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था. वह चिड़चिड़ा भी हो गया था. बातबात पर उस का पत्नी से झगड़ा हो जाता था.

आखिर, रसाल कंवर पति से तंग आ गई. यह दुख उस ने अपने प्रेमी के सामने जाहिर कर दिया. तब दोनों ने तय कर लिया कि डूंगरदान को जितनी जल्दी हो सके, निपटा दिया जाए.

रसाल कंवर पति के खून से अपने हाथ रंगने को तैयार हो गई. मोहन सिंह ने योजना में अपने दोस्त मांगीलाल को भी शामिल कर लिया. मांगीलाल भीनमाल में ही रहता था.

साजिश के तहत रसाल और मोहन सिंह 12 जुलाई, 2019 को डूंगरदान को उपचार के बहाने बोलेरो गाड़ी में जालौर के राजकीय चिकित्सालय ले गए. मांगीलाल भी साथ था. वहां उस के नाम की परची कटाई. डाक्टर से चैकअप करवाया और वापस भीनमाल रवाना हो गए. रास्ते में मौका देख कर रसाल कंवर और मोहन सिंह ने डूंगरदान को मारपीट कर अधमरा कर दिया. फिर उस का गला दबा कर उसे मार डाला.

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इस के बाद डूंगरदान की लाश को ठिकाने लगाने के लिए बोलेरो में डाल कर बोरटा से लेदरमेर जाने वाले सुनसान कच्चे रास्ते पर ले गए, जिस के बाद डूंगरदान के शरीर पर पहने हुए कपड़े पैंटशर्ट उतार कर नग्न लाश वन विभाग की खाली पड़ी जमीन पर डाल कर रेत से दबा दी. उस के बाद वे भीनमाल लौट गए.

भीनमाल में रसाल कंवर ने आसपास के लोगों से कह दिया कि उस का पति जालौर अस्पताल चैकअप कराने गया था. मगर अब उस का कोई पता नहीं चल रहा. तब डूंगरदान की गुमशुदगी उस के रिश्तेदार शैतानदान चारण ने जालौर सिटी कोतवाली में दर्ज करा दी.

पुलिस पूछताछ में पता चला कि आरोपी मोहन सिंह आपराधिक प्रवृत्ति का है. उस ने अपने साले की बीवी की हत्या की थी. इन दिनों वह जमानत पर था. मोहन सिंह शादीशुदा था, मगर बीवी मायके में ही रहती थी. भीनमाल निवासी मांगीलाल उस का मित्र था. वारदात के बाद मांगीलाल फरार हो गया था.

थाना रामसीन के इंचार्ज छतरसिंह देवड़ा अवकाश से ड्यूटी लौट आए थे. उन्होंने भी रिमांड पर चल रहे रसाल कंवर और मोहन सिंह राव से पूछताछ की.

रिमांड अवधि समाप्त होने पर पुलिस ने 19 जुलाई, 2019 को दोनों आरोपियों रसाल कंवर और मोहन सिंह को फिर से कोर्ट में पेश कर दोबारा 2 दिन के रिमांड पर लिया और उन से पूछताछ कर कई सबूत जुटाए. उन की निशानदेही पर मृतक के कपड़े, वारदात में प्रयुक्त बोलेरो गाड़ी नंबर आरजे14यू बी7612 बरामद की गई. मृतक डूंगरदान के कपडे़ व चप्पलें रामसीन रोड बीएड कालेज के पास रेल पटरी के पास से बरामद कर ली गईं.

पूछताछ पूरी होने पर दोनों आरोपियों को 21 जुलाई, 2019 को कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. पुलिस तीसरे आरोपी मांगीलाल माली को तलाश कर रही है.

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