Manohar Kahaniya: जब थाना प्रभारी को मिला प्यार में धोखा- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

पुलिस अफसरों ने मौकामुआयना किया. रूपा ने फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली थी. अफसरों ने कमरे की तलाशी ली. चीजों को उलटपुलट कर देखा, ताकि कुछ पता चल सके कि रूपा ने यह कदम क्यों उठाया, लेकिन न तो कोई सुसाइड नोट मिला और न ही ऐसी कोई बात पता चली, जिस से रूपा के आत्महत्या करने के कारणों पर कोई रोशनी पड़ती. पुलिस अफसर समझ नहीं पाए कि ऐसा क्या कारण रहा कि रूपा ने खुदकुशी कर ली? अविवाहित रूपा 2018 बैच की तेजतर्रार महिला सबइंसपेक्टर थी.

अफसरों ने रूपा के परिवार वालों को फोन कर के इस घटना की सूचना दी. रूपा के परिजन झारखंड की राजधानी रांची के पास रातू गांव के कांटीटांड में रहते थे. रूपा के फांसी लगाने की बात सुन कर उस के मातापिता अवाक रह गए.

रात ज्यादा हो गई थी. पुलिस ने रूपा का शव फांसी के फंदे से उतरवा कर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भिजवा दिया.

दूसरे दिन 4 मई को रूपा के परिवार वाले साहिबगंज पहुंच गए. रूपा की मां पद्मावती उराइन ने पुलिस को बताया कि 3 मई को दोपहर करीब 3 बजे रूपा से उन की बात हुई थी. तब रूपा ने कहा था कि वह जो पानी पी रही है, वह दवा जैसा कड़वा लग रहा है. बेटी की इस बात पर मां ने उस से तबीयत के बारे में पूछा. रूपा ने मां को बताया कि उस की तबीयत ठीक है. इस पर मां ने उसे आराम करने की सलाह दी थी.

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महिला थानाप्रभारी बनने पर रूपा को जब पुलिस की सरकारी गाड़ी मिली तो दोनों उसे ज्यादा टार्चर करने लगी थीं. दोनों ने कुछ दिन पहले रूपा को किसी हाईप्रोफाइल केस को मैनेज करने के लिए एक नेता पंकज मिश्रा के पास भी भेजा था. पंकज मिश्रा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का नजदीकी रहा है.

परिवार वालों ने कहा कि रूपा ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि उस की हत्या की गई है. मां ने बेटी की हत्या का आरोप लगाते हुए साहिबगंज एसपी को तहरीर दी. उन्होंने इस मामले में कमेटी गठित कर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि उस की बेटी के क्वार्टर के सामने रहने वाली एसआई मनीषा कुमारी और ज्योत्सना महतो हमेशा रूपा को टार्चर करती थीं. वे उस से जलती थीं और हमेशा उसे नीचा दिखाने की कोशिश करती थीं.

एक तेजतर्रार पुलिस अफसर के तथाकथित रूप से आत्महत्या करने की बात रूपा के गांव में किसी के गले नहीं उतर रही थी. उस के पिता सीआईएसएफ जवान देवानंद उरांव और मां पद्मावती सहित सभी घर वालों का आरोप था कि रूपा की हत्या किसी साजिश के तहत की गई है और इसे आत्महत्या का नाम दिया जा रहा है.

रूपा 2018 में पुलिस एसआई बनने से पहले बैंक औफ इंडिया में काम करती थी. उस ने रांची के सेंट जेवियर कालेज से पढ़ाई पूरी की थी. उसे नवंबर 2020 में ही साहिबगंज में महिला थानाप्रभारी बनाया गया था. उस ने यह जिम्मेदारी संभालने के बाद महिला उत्पीड़न रोकने के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए थे.

मामला गंभीर था. रूपा की 2 बैचमेट महिला सबइंसपेक्टरों और मुख्यमंत्री के करीबी नेता पंकज मिश्रा पर आरोप लग रहे थे. रूपा की मौत को हत्या मानते हुए लोगों ने सोशल मीडिया पर ‘जस्टिस फौर रूपा’ शुरू कर दिया.

रूपा के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए झारखंड के कई प्रमुख नेता भी आगे आ गए. भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने रूपा की मौत को मर्डर मिस्ट्री बताते हुए इस की सीबीआई से जांच कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि रूपा के परिवार वालों के आरोप से यह मामला संदेहास्पद है. मरांडी ने कहा कि ऐसे राजनीतिक प्रभावशाली व्यक्ति पर आरोप लगे हैं, जो मौजूदा सरकार में कुख्यात रहा है.

प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा ने भी सीबीआई जांच की मांग करते हुए राज्यपाल को औनलाइन ज्ञापन भेजा. मांडर के विधायक बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर कहा कि रूपा किसी बड़ी साजिश की शिकार हुई है. इसलिए इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए.

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बोरियो से सत्तारूढ़ गठबंधन के झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक लोबिन हेंब्रम ने भी इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग उठाई. राज्यसभा सांसद समीर उरांव ने कहा कि मामले में आरोपी पंकज मिश्रा पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का हाथ है. मिश्रा साहिबगंज में सब तरह के वैधअवैध काम करता है.

एसआईटी को सौंपी जांच

मामला तूल पकड़ता जा रहा था. जिस पंकज मिश्रा पर आरोप लगाए गए, वह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का साहिबगंज में प्रतिनिधि है. आरोपों से घिरने पर सफाई देते हुए मिश्रा ने कहा कि वह पिछले महीने मधुपुर चुनाव में व्यस्त था. इस के बाद कोरोना पौजिटिव होने पर रांची के मेदांता अस्पताल में भरती थे.

अगले भाग में पढ़ेंमां ने लगाया हत्या का आरोप

Satyakatha- डॉक्टर दंपति केस: भरतपुर बना बदलापुर- भाग 4

सौजन्य- सत्यकथा

डा. सीमा को जब यह बात पता चली तो उसे अपना वैवाहिक जीवन हिचकोले खाता नजर आया. उसे यह भी पता चला कि दीपा डा. सुदीप पर सूर्या विला वाला बंगला अपने नाम कराने और सुदीप से औपचारिक रूप से शादी करने का दबाव डाल रही है. कहीं डा. सुदीप दीपा की यह बात भी न मान जाए, इसलिए डा. सीमा ने अपनी सास सुरेखा को यह बात बताई. सुरेखा ने बेटे डा. सुदीप से बात की. सुदीप ने अपनी चिकनीचुपड़ी बातों से मां को यह कह कर संतुष्ट कर दिया कि मां ऐसी कोई बात नहीं है.

सुरेखा ने बेटे से हुई बातें बहू डा. सीमा को बताईं तो उस ने दीपा के स्पा सेंटर का निमंत्रण पत्र उन के सामने रख दिया. सुरेखा क्या कर सकती थी, उसे अपने 44-45 साल के बेटे की करतूतों पर गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन बुढ़ापे और असाध्य बीमारी के कारण वह मजबूर थी. वह अपने बेटेबहू का गृहस्थ जीवन बचाए रखना चाहती थी.

डा. सीमा ने अपने तरीके से पता कराया, तो मालूम हुआ कि दीपा ने स्पा सेंटर की साजसज्जा और उपकरणों पर लाखों रुपए खर्च किए थे. यह तय था कि यह सारा पैसा डा. सुदीप की जेब से ही निकला था.

अपनी अय्याशी पर एक पराई औरत पर लाखों रुपए इस तरह उड़ाने पर सीमा को बहुत गुस्सा आया. उसे यह उम्मीद नहीं थी कि उस के पति डा. सुदीप आसानी से मान जाएंगे और दीपा का पीछा छोड़ देंगे. इसलिए उस ने दीपा को ही सबक सिखाने का फैसला किया.

इसी योजना के तहत 7 नवंबर, 2019 को डा. सीमा अपनी सास सुरेखा के साथ दोपहर में दीपा के मकान पर पहुंची. उस समय दीपा का मकान बंद था. वे दोनों आसपास छिप कर इंतजार करती रहीं.

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इस बीच डा. सुदीप भी दीपा के मकान पर आया, लेकिन ताला बंद देख कर वापस चला गया. इस दौरान डा. सुदीप ने अपनी पत्नी और मां को नहीं देखा. इस से डा. सीमा को अपने पति की करतूतों पर पूरा यकीन हो गया.

बाद में दीपा का बेटा शौर्य भी स्कूल से आया. घर बंद मिलने पर वह पड़ोस में खेलने चला गया. शाम करीब 4 बजे दीपा मकान पर पहुंची. कुछ देर बाद शौर्य भी आ गया. इस के बाद डा. सीमा और सुरेखा उस मकान में गईं. वहां उन की दीपा से काफी गरमागरमी हुई.

इसी गरमागरमी के बीच डा. सीमा ने गुस्से में अपने पर्स में से स्प्रिट की बोतल निकाली और फरनीचर पर छिड़क कर आग लगा दी. इस के बाद यह कहते हुए बाहर निकल कर कुंडी लगा दी कि अब देखती हूं कि तुझे कौन बचाता है.

स्प्रिट के कारण तुरंत आग फैल गई. चारों तरफ आग की लपटों से घिरी दीपा ने डा. सुदीप और अपने भाई अनुज को बारीबारी से फोन कर बचाने की गुहार की. अनुज पहले पहुंच कर जलती लपटों के बीच मकान में घुस गया. बाद में डा. सुदीप भी पहुंच गया था, लेकिन वह अंदर नहीं घुसा. बदले की इस आग में दीपा और उस का 6 साल का बेटा शौर्य जिंदा जल गए थे.

दीपा की बहन राधा उर्फ राधिका ने इस मामले में पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. बाद में पुलिस ने डा. सीमा, डा. सुदीप और उस की मां सुरेखा को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने जांच पूरी कर अदालत में तीनों के खिलाफ आरोपपत्र पेश कर दिया. अभी यह मामला अदालत में विचाराधीन है.

इसी मामले में राजीनामे की बात चल रही थी. बात सिरे नहीं चढ़ी तो बदले की आग में जल रहे अनुज ने इंसाफ मिलने से पहले ही इस मामले का फैसला करने का निश्चय किया. उस ने खुद ही डा. सुदीप और डा. सीमा की खौफनाक मौत की साजिश रच डाली.

अनुज ने इस काम में अपने दोस्त धौलपुर के महेश को साथ लिया. दौलत के मकान पर साजिश रची. इस के बाद दौलत की बाइक ले कर महेश और अनुज भरतपुर आ गए. अनुज तो भरतपुर में ही रहता था. उसे डाक्टर दंपति की हर गतिविधि की एकएक बात पता थी. फिर भी उस ने अपनी साजिश को अंजाम देने के लिए 2-4 दिन रैकी की.

जब उसे यकीन हो गया कि डाक्टर दंपति रोजाना शाम साढ़े 4-पौने 5 बजे के आसपास मंदिर के लिए जाते हैं तो उस ने 28 मई को अपने दोस्त महेश के साथ बाइक पर जा कर उन की कार रोक ली और पिस्तौल से दोनों को गोलियों से ठंडा कर अपनी बहन व भांजे की हत्या का बदला ले लिया. उस ने खून का बदला खून कर ले लिया.

पुलिस ने पहली जून को एक अभियुक्त महेश को करौली से गिरफ्तार कर लिया. महेश ही वह शख्स है जो घटना के समय मोटरसाइकिल चला रहा था. लेकिन गोली चलाने वाला अनुज कथा लिखे जाने तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया.

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बहरहाल, भरतपुर उस दिन गोलियों की आवाज से बदलापुर बन गया. बदले की आग ने 2 परिवारों को खत्म कर दिया. दीपा के हंसतेखेलते जीवन को डा. सीमा ने खत्म कर दिया. डेढ़ साल बाद अनुज ने डाक्टर दंपति का परिवार उजाड़ दिया.

अब डाक्टर दंपति के 18 साल के बेटे और 15 साल की बेटी के सिर से मांबाप का साया उठ गया. डा. सुदीप की मां सुरेखा की बुढ़ापे की दोनों लाठियां टूट गईं. डाक्टर दंपति का अस्पताल चलाने वाला भी अभी फिलहाल कोई नहीं है. उन के बेटे और बेटी पर भी खतरा मंडरा रहा है.

दीपा और उस के बेटे की मौत का जिम्मेदार कौन था, यह फैसला अदालत को करना था. इस से पहले ही अनुज ने खुद फैसला कर दिया. कानूनविदों का कहना है कि डा. सुदीप और डा. सीमा की मौत होने के कारण उन के खिलाफ अदालत में केस बंद हो जाएगा. सुरेखा के खिलाफ मुकदमा चलता रहेगा.

दूसरी ओर, डाक्टर दंपति की हत्या करने और सहयोग करने वालों पर पुलिस की जांच पूरी होने और अदालत में चालान पेश किए जाने के बाद नया मुकदमा चलेगा.

Manohar Kahaniya: बबिता का खूनी रोहन- भाग 1

10 मार्च, 2021 की सुबह करीब 9 बजे का वक्त था. दक्षिणी दिल्ली के एंड्रयूजगंज इलाके में हर रोज की तरह उस वक्त भी चहलपहल काफी बढ़ गई थी.

उस दिन बुधवार होने के कारण वर्किंग डे था, इसलिए सरकारी और निजी औफिसों में काम करने वाले लोगों का आवागमन शुरू हो चुका था. धंधा करने वाले लोग भी अपने कारोबारी ठिकानों की तरफ निकल रहे थे.

सिलवर टेन कलर की एक वैगनआर कार सड़क पर भीड़ के कारण रेंगते हुए चल रही थी, जिस की ड्राइविंग सीट पर बैठा चालक गाड़ी में इकलौता सवार था. अचानक वैगनआर गाड़ी की ड्राइविंग सीट के बगल की तरफ एक बाइक पीछे से तेजी के साथ आ कर धीमी हो गई, उस पर भी हेलमेट लगाए इकलौता सवार था. वैगनआर के चालक ने अचानक बगल में आ कर धीमी हुई बाइक के सवार की तरफ देखा तो उस के मुंह से निकला, ‘अबे साले तू यहां?’

वैगनआर चालक के आगे के शब्द हलक में ही फंसे रह गए, क्योंकि तब तक बाइक सवार ने हाथ में लिए हुए पिस्तौल से उस के ऊपर बेहद नजदीक से फायर कर दिया था. गोली वैगनआर चालक की गरदन में लगी और अचानक उस के पैर खुदबखुद गाड़ी के ब्रेक पर जाम हो गए. गोली चलने की आवाज और अचानक वैगनआर का तेजी से ब्रेक लगना दोनों ऐसी घटनाएं थीं, जिन्होंने सड़क पर चल रहे हर राहगीर का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर लिया.

एक पल के लिए लोग हतप्रभ रह गए, लेकिन अगले ही पल लोग वैगनआर की तरफ दौड़ पड़े. लेकिन तब तक वैगनआर चालक पर फायर झोंकने वाला बाइक सवार हवा से बात करते हुए भीड़ के बावजूद बाइक लहराते हुए नौ दो ग्यारह हो चुका था.

वारदात दिल्ली के बेहद पौश इलाके में हुई थी. वक्त भी ऐसा था कि उस वक्त सड़कों पर भीड़भाड़ भी काफी रहती है. बाइक सवार ने वैगनआर चालक से किसी तरह की लूटपाट का प्रयास भी नहीं किया था, साफ था कि बाइक सवार हमलावर का मकसद केवल कार चालक की जान लेना था.

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राहगीरों में से किसी ने उसी समय पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर दिया. अगले 10 मिनट में पुलिस कंट्रोल की जिप्सी मौके पर पहुंच गई. पीसीआर के जवानों ने देखा कि वैगनआर में ड्राइविंग सीट पर गोली लगने के बाद खून से लथपथ अचेत पड़े चालक की सांसें अभी चल रही थीं.

लिहाजा उन जवानों ने चालक को वैगनआर से निकाल कर अपनी गाड़ी में डाला . पीसीआर के 2 जवान कागजी खानापूर्ति करने के लिए मौके पर ही रुक गए और बाकी स्टाफ वैगनआर के घायल चालक को ले कर एम्स अस्पताल की तरफ रवाना हो गया.

पीसीआर ने तत्काल इस घटना की सूचना डिफेंस कालोनी थाने को दी. क्योंकि गोली चलने की वारदात जिस जगह हुई थी, वह इलाका दक्षिणी दिल्ली के डिफेंस कालोनी थाना क्षेत्र में पड़ता है.

सुबह के 9 बजे का समय दिल्ली में पुलिस थानों में सब से अधिक व्यस्तता का समय होता है. क्योंकि उस समय नाइट ड्यूटी पर तैनात स्टाफ के रिलीव होने और डे ड्यूटी करने वालों के थाने में आगमन का समय होता है. थानों में तैनात वरिष्ठ अधिकारी भी उसी समय पहुंच कर स्टाफ की ब्रीफिंग लेने की तैयारी में जुटे होते हैं.

डिफेंस कालोनी थाने के ड्यूटी औफिसर को जैसे ही एंड्रयूजगंज में वैगनआर चालक को गोली मारे जाने की सूचना पीसीआर से मिली. ड्यूटी औफिसर ने तत्काल डिफेंस कालोनी थाने के थानाप्रभारी जितेंद्र मलिक को उन के आरामकक्ष में जा कर सूचना से अवगत कराया.

मलिक वरदी पहन कर कुछ देर पहले ही तैयार हुए थे और अपनी डेली डायरी में पूरे दिन के शेड्यूल पर सरसरी नजर डाल रहे थे.

इलाके में सरेराह किसी को गोली मार देने की घटना किसी थानाप्रभारी के लिए गंभीर वारदात होती है. लिहाजा थानाप्रभारी जितेंद्र मलिक अपने सहयोगी इंसपेक्टर पंकज पांडेय, एसआई वेद कौशिक, प्रमोद कुमार तथा दूसरे स्टाफ को ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए. घटनास्थल पर पीसीआर की दूसरी गाडि़यां भी पहुंच गई थीं. वैगनआर गाड़ी के इर्दगिर्द राहगीरों का जमघट लग चुका था. पुलिस ने घटनास्थल पर मौजूद चश्मदीद राहगीरों से पूछताछ और जानकारी एकत्र करने का काम शुरू कर दिया.

दूसरी तरफ इंसपेक्टर पंकज पांडेय पुलिस की एक टीम को ले कर तत्काल एम्स  अस्पताल की तरफ रवाना हो गए. वहां जाने के बाद पता चला कि घायल वैगनआर चालक की गरदन में गोली लगी है और उस की हालत चिंताजनक है. डाक्टर इमरजेंसी आईसीयू में उस का औपरेशन कर गोली निकालने की कोशिश में जुटे थे. डाक्टरों ने वैगनआर चालक की जेब से जो पर्स तथा दूसरे दस्तावेज बरामद किए थे, वे सभी पुलिस को सौंप दिए.

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घायल व्यक्ति की हुई शिनाख्त

दस्तावेजों को देखने के बाद पता चला कि जिस शख्स को गोली लगी है, उस का नाम भीमराज (45) है और वह चिराग दिल्ली गांव का रहने वाला है. बीएसईएस में संविदा पर ड्राइवर की नौकरी करने वाला भीमराज कहां जा रहा था, उसे गोली किस ने और क्यों  मारी? इस का तो तत्काल पता नहीं चल सका, लेकिन पुलिस को यह पता चल चुका था कि वह कहां का रहने वाला है.

लिहाजा उस के परिवार वालों से संपर्क कर उन्हें सूचना देने का काम आसान हो गया था. दूसरी तरफ भीमराज का मोबाइल फोन पुलिस ने उस की गाड़ी से ही बरामद कर लिया था, जिस में उस की पत्नी का नंबर था. पुलिस ने उस नंबर पर काल कर के भीमराज की पत्नी  को सूचना दे दी.

थोड़ी ही देर में भीमराज की पत्नी बबीता अस्पताल पहुंच गई. सूचना पा कर उस के अन्य रिश्तेदारों व जानपहचान वालों का भी अस्पताल में हुजूम जमा हो गया.

इधर, थानाप्रभारी मलिक ने इस घटना के बारे में डीसीपी अतुल ठाकुर व डिफेंस कालोनी के एसीपी कुलबीर सिंह को सूचना दे दी थी. सूचना मिलने के बाद दोनों सीनियर अफसर भी मौके पर पहुंच गए. उन्होंने फोरैंसिक टीम को भी मौके पर बुलवा लिया. आसपास के थानों की पुलिस भी मौके पर पहुंच गई.

भीमराज का इलाज करने वाले डाक्टरों ने यह बात साफ कर दी थी कि उस के बचने की उम्मीद बेहद कम है क्योंकि गरदन में जो गोली लगी थी, उस से सांस की नली पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है, जिस कारण उसे सांस लेने में बेहद तकलीफ हो रही है, जिस से उसे वैंटीलेटर पर रखा गया है.

बहरहाल, पुलिस को तत्काल भीमराज से बयान ले कर उस के हमलावर तक पहुंचने की कोई उम्मीद नहीं दिखी तो इंसपेक्टर पंकज पांडेय टीम के साथ वापस घटनास्थल पर पहुंच गए, जहां डीसीपी अतुल ठाकुर ने आसपास के थानों की पुलिस के अलावा जिले के तेजतर्रार पुलिस अफसरों को भी बुलवा लिया था.

आसपास मौजूद चश्मदीद लोगों से पूछताछ के बाद यह बात साफ हो गई कि भीमराज पर गोली चलाने वाला शख्स एक बाइक पर सवार था और उस ने हेलमेट लगा रखा था.

चश्मदीदों से पूछताछ और घटनास्थल के निरीक्षण से पुलिस को तत्काल ऐसा कोई सुराग नहीं मिल रहा था, जिस से पुलिस हमलावर तक पहुंच सके. लिहाजा डीसीपी अतुल ठाकुर ने डिफेंस कालोनी थाने पहुंच कर तेजतर्रार पुलिसकर्मियों की 6 टीमों का गठन कर दिया. पहली टीम में डिफेंस कालोनी थाने के थानाप्रभारी जितेंद्र मलिक तथा एसआई प्रमोद को रखा गया. जबकि दूसरी टीम में इंसपेक्टर पंकज पांडेय और एसआई वेद कौशिक को शामिल किया गया.

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6 टीमों ने शुरू की जांच

मैदान गढ़ी थाने के थानाप्रभारी जतन सिंह के नेतृत्व में तीसरी टीम बनाई गई. दक्षिणी जिले के स्पैशल स्टाफ इंसपेक्टर गिरीश भाटी को चौथी टीम का नेतृत्व सौंपा गया. एंटी नारकोटिक्स सेल के इंसपेक्टर प्रफुल्ल झा पांचवी टीम का नेतृत्व कर रहे थे और कोटला मुबारकपुर थाने के थानाप्रभारी विनय त्यागी के नेतृत्व में छठी टीम गठित कर के सभी टीमों को अलगअलग बिंदुओं पर जांच करते हुए काम बांट दिए गए.

भीमराज को गोली मारने वाला हमलावर बाइक पर सवार हो कर आया था. पुलिस को चश्मदीदों से इस बात की जानकारी तो मिल गई थी, लेकिन कोई भी बाइक का नंबर नहीं बता सका था. इसलिए पुलिस टीमों ने सब से पहले हमलावर की बाइक को ट्रेस करने का काम शुरू किया.

पुलिस की टीमों ने घटनास्थल के आसपास की सीसीटीवी फुटेज खंगालनी शुरू की तो अगले कुछ ही घंटों में पुलिस को सफलता मिलती दिखने लगी. जिस स्थान पर घटना हुई थी, वहां एक सीसीटीवी फुटेज में हमलावर बाइक सवार कैमरे में कैद हो गया था. लेकिन इस फुटेज में बाइक का नंबर स्पष्ट नहीं हो सका.

क्योंकि हमलावर ने बड़ी चालाकी से आगे और पीछे की दोनों नंबर प्लेटों को मोड़ रखा था. जिस कारण बाइक का नंबर स्पष्ट दिखाई नहीं पड़ रहा था. पुलिस को जो नंबर दिखाई पड़ रहे थे, उसी के आधार पर अलगअलग सीरीज बना कर नंबरों को जोड़ कर यह पता लगाने का काम शुरू कर दिया कि उन बाइक नंबर के मालिक कौन लोग हैं.

पुलिस की एक दूसरी टीम ने सीसीटीवी खंगालने का काम जारी रखा. भीमराज का हमलावर जिस दिशा में बाइक ले कर भागा था, उसी दिशा में बढ़ते हुए पुलिस ने जितने भी रास्ते गए, वहां से करीब 5 किलोमीटर तक एकएक कर 200 सीसीटीवी फुटेज की जांचपड़ताल कर डाली.

अगले भाग में पढ़ें- जांच में आए नए तथ्य

Crime- टोनही प्रथा: आत्महत्या के बाद!

जाने कब से चली आ रही  प्रथा छत्तीसगढ़ स्थापना के 20 वर्ष पूर्ण होने के बाद भी आज  नासूर बनी हुई है. परिणाम स्वरूप जाने कितनी महिलाएं गांव में आत्महत्या कर लेती हैं, अथवा बीच चौराहे पर मार दी जाती हैं.कभी यह घटनाक्रम प्रकाश में आता है और कभी छुपा दिया जाता है.

ऐसे ही एक अत्यंत संवेदनशील मामले में न्यायधानी कहे जाने वाले बिलासपुर की कोनी थाना पुलिस ने महिला को टोनही कहकर प्रताड़ित कर आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने की आरोपी महिला सहित 5 लोगों को गिरफ्तार कर यह संदेश प्रसारित कर दिया है कि ऐसे अनर्गल और महिलाओं को परेशान करने वाले मसले पर छत्तीसगढ़ पुलिस कठोर मुड़ में है.

कोनी थाना क्षेत्र के ग्राम पौंसरा में बजरंग चौक निवासी राशि सिंह ने 9 जून 2021 को अपने ऊपर मिट्टी तेल डालकर आग लगा ली थी. गंभीर रूप से झुलसी अवस्था मे उसे सिम्स में भर्ती किया गया. पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि  पड़ोसी उसे टोनही कहकर प्रताड़ित करते  रहे है. और उसने, उनकी प्रताड़ना से परेशान होकर आग लगाकर खुदकुशी का प्रयास करने की बात अपने इकबालिया बयान में कही.

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पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने महिला संबंधी इस गंभीर अपराध को संज्ञान में लेते हुए त्वरित करवाई का निर्देश दिया. परिणाम स्वरूप यह मामला कहीं फाइलों में छुप जाता, बाहर आ गया. और कोनी पुलिस ने  करवाई कर  10 जून को आरोपी राजू सिंह पिता सुखनंदन , सती बाई पति बलराम ठाकुर , भरत सिंह पिता विजय सिंह , जागेश्वर सिंह पिता सुखनंदन सिंह , करतार सिंह पिता सुखनंदन सिंह  को गिरफ्तार कर टोनही प्रताड़ना एक्ट के तहत न्यायालय में पेश कर दिया.

आवश्यकता है जागरूकता की

छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य प्रदेश है जहां बस्तर जैसा बीहड़ अंचल है तो सरगुजा और रायगढ़ जैसा अत्यधिक वनों से परिपूर्ण और आदिवासी बाहुल्य जिले. शिक्षा और जन जागरूकता के अभाव में यहां कई दशकों से सामाजिक कुरीतियां लोगों के जीवन को दुभर  बनाती रही हैं. महिलाओं को लेकर  सबसे बड़ी अंधविश्वास और उत्पीड़न की हथियार है टोनही कह कर के महिलाओं को बात बात परेशान करना और यहां तक कि सामूहिक रूप से हमला करके घायल कर देना, अथवा मार देना.

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जाने कितनी महिलाएं इस क्रूर व्यवस्था के कारण मार दी जाती हैं और अपमान झेलती रहती है. यह भी सच है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने टोनही निवारण अधिनियम लागू किया हुआ है मगर इसके बावजूद जन जागरूकता के अभाव में आज भी ग्रामीण अंचल में टोनही कह कर  लोगों को प्रताड़ित किया  जाता है और आगे चलकर ऐसे घटनाक्रमों में कई दर्दनाक हादसे घटित होते रहते हैं. सरकार को इसे हेतु सतत प्रयास करना होगा. शिक्षाविद एल एन दिवेदी के मुताबिक  ग्रामीण अंचल में मैंने यह अनुभव किया है कि यह प्रथा बहुत भीतर तक है, इसके लिए ग्राम पंचायत स्तर पर सरकार को मुहिम चलानी चाहिए कि किसी को भी टोनही कहना संज्ञेय अपराध है और यह एक ऐसा उत्पीड़न है जिसमें कभी भी किसी भी परिवार की महिला को उत्पीड़ित किया जा सकता है.

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 अतः हमें इससे बचना चाहिए गांव-गांव में यह संदेश पहुंचाना चाहिए.

सामाजिक कार्यकर्ता कमल सरविदया टोनही उत्पीड़न पर अनुभव साझा करते हुए बताते हैं कि छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि बिहार, झारखंड, उड़ीसा जैसे प्रांतों में भी यह प्रथा कुछ अलग नाम स्वरूप में विद्यमान है, इसके लिए जहां सरकार को पहल करनी चाहिए वही समाजिक संस्थाओं को भी निरंतर प्रयास करना होगा. शिक्षा के आज के 21 वी शताब्दी के समय में ऐसी घटनाएं यह बताती है कि आज भी हमारा देश किस तरह पिछड़ा हुआ है और कानून कैसे बेबस होकर देखता रह जाता है.

MK- पूर्व सांसद पप्पू यादव: मददगार को गुनहगार बनाने पर तुली सरकार- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

इस बार सुप्रीम कोर्ट ने उन की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इस तरह वह जेल चले गए. जेल में रहते हुए भी वह जो चाहते वही करते थे. इस दौरान वह जेल में बीमारी का बहाना बना कर सरकारी अस्पताल के कैदी वार्ड में डेरा जमाए रहते और अपने समर्थकों को वहां बुला कर पार्टी करते रहते थे. वहां उन का दरबार भी लगता था.

पप्पू यादव भले ही सलाखों के पीछे थे, लेकिन जेल में भी उन का रुतबा कायम था. 26 सितंबर को उन्होंने जेल में ही अपने 50 साथियों के साथ पार्टी मनाई. पप्पू यादव द्वारा जेल में पार्टी करने की बात जब बाहर के लोगों को मालूम हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्ती करते हुए जेल वार्डन और 2 संतरियों को सस्पेंड कर दिया.

इस के करीब 3 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाइकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिस में पप्पू यादव को जमानत हो गई थी. सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि पप्पू यादव जेल से बाहर रह कर अजीत सरकार हत्याकांड के गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, जिस से न्याय प्रक्रिया में बाधा आ सकती है.

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बेउर जेल से भेजा तिहाड़

पटना के बेउर जेल में रहने के दौरान उन के पास मोबाइल बरामद हुआ था. साथ ही यह भी पता चला था पप्पू यादव ने कई महत्त्वपूर्ण लोगों से बातें की थीं. सीबीआई को शक था कि पप्पू यादव यहां रहते हुए केस को प्रभावित कर सकते हैं अत: सीबीआई ने अदालत से अपील की कि पप्पू यादव की असंवैधानिक गतिविधियों को देखते हुए उन्हें बेउर जेल से हटा कर किसी अन्य जेल में भेजा जाए.

तब कोर्ट के आदेश पर पप्पू यादव को बेउर जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल भेज दिया गया. 14 फरवरी, 2008 को पटना की स्पैशल सीबीआई कोर्ट ने अजीत सरकार हत्याकांड मामले में पप्पू यादव और राजन तिवारी को उम्रकैद की सजा सुनाई.

5 साल तक तिहाड़ जेल में सजा काटने के बाद 17 मई, 2013 को अजीत सरकार मामले में पर्याप्त सबूतों के अभाव के कारण पप्पू यादव और राजन तिवारी को बरी कर दिया. जेल से बरी होने के बाद पप्पू यादव को चुनाव लड़ने की इजाजत भी मिल गई.

सन 2014 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव और उन की पत्नी रंजीत रंजन दोनों ने बिहार के अलगअलग क्षेत्रों से चुनाव लड़ा और दोनों जीत कर लोकसभा पहुंच गए.

इसी साल नरेंद्र मोदी की सरकार अस्तित्व में आई थी और देश का चुनावी समीकरण बदल गया. बिहार में लालू यादव को कमजोर पड़ते देख पप्पू यादव उन का साथ देने के लिए आगे बढ़े, लेकिन लालू यादव इसलिए तैयार नहीं थे कि वह अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटों को सौंपना चाहते थे.

लालू यादव और पप्पू यादव के बीच फिर विवाद पैदा हो गया. इस पर पप्पू यादव ने लालू पर आरोप भी लगाया कि वह उन की हत्या करवाना चाहते हैं. इस के बाद राजद ने पप्पू यादव पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने का आरोप लगा कर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.

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अपनी पार्टी का किया गठन

राजद से निकाले जाने के बाद पप्पू यादव ने बिहार में होने पाले विधानसभा चुनाव से पहले जन अधिकार पार्टी का गठन किया और विधानसभा चुनाव में 243 में से 109 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, मगर उन के 108 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई. 2019 में पप्पू यादव अपनी पार्टी के टिकट पर मधेपुरा की सीट से और उन की पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस पार्टी के तौर पर सुपौल लोकसभा का चुनाव लड़ीं, लेकिन दोनों ही चुनाव हार गए.

इस के बाद सन 2019 में पप्पू यादव तब चर्चा में आए, जब पटना की सड़कों पर बाढ़ का सैलाब उमड़ा था. इस दौरान बिहार में सत्ता पर काबिज जेडीयू और बीजेपी के सुशील मोदी पटना के लोगों की सहायता करने में असमर्थ दिखाई पड़ रहे थे तो दूसरी तरफ पप्पू यादव ने बाढ़ पीडि़तों की काफी सहायता की तब लोगों ने उन्हें अपना मसीहा समझा.

इस बार जब पूरे देश में कोरोना मौत का कहर बरपा रहा था तो पप्पू यादव पटना के अस्पतालों के बाहर लोगों की जान बचाने के लिए कीमती रेमेडेसिविर और औक्सीजन सिलेंडर बांटते नजर आए. उन की मदद से अनेक लोग बेवक्त काल के गाल में समाने से बच गए.

इसी बीच पप्पू यादव को अपने लोगों से सारण में दरजनों एंबुलेंस के खड़ी रहने की बात पता चली तो वह बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूड़ी के रसूख की परवाह किए बिना वहां पहुंचे और इस का भंडाफोड़ कर दिया.

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कहानी लिखते समय पता चला है कि पप्पू यादव को वीरपुर जेल से उन के खराब स्वास्थ्य के आधार पर दरभंगा मैडिकल कालेज अस्पताल शिफ्ट कर दिया गया है.

पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन और बेटे सार्थक रंजन ने पटना में नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है. रंजीत रंजन ने नीतीश कुमार को चुनौती दी है कि अगर उन के पति पप्पू यादव का बाल भी बांका हुआ तो वह नीतीश कुमार को खींच कर पटना के चौराहे पर खड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी. बिहार में पप्पू यादव के मामले को ले कर तरहतरह की अफवाहों का बाजार गर्म है.

Crime- लव में धोखा: कौन है दोषी?

चढ़ती उम्र के साथ लव यानी प्यार की डेहरी पर चढ़ना आम बात है. मगर प्यार की इस पगडंडी पर कितने कांटे और शूल मिलेंगे इसकी परवाह किए बगैर जब कोई आगे बढ़ता चला जाता है, तो उसका जीवन बर्बाद होना स्वाभाविक है. छत्तीसगढ़ के जशपुर जिला एक आदिवासी नाबालिग किशोरी इसका ज्वलंत उदाहरण बन कर इन दिनों न्याय मांग रही है. बिल्कुल एक फिल्मी कहानी की तरह हुए इस घटनाक्रम को पढ़कर आप भी महसूस करेंगे कि किसी ने सच कहा है कि प्रेम गली अति सांकरी!

प्यार में अक्सर लड़कियां ही धोखा खाती है. क्योंकि खोने के लिए सिर्फ उन्हीं के पास अपनी इज्जत होती है. वह यह समझ नहीं पाती कि जिस युवा जीवन साथी परवाह पर भरोसा कर रही है कहीं वह उसे बीच रास्ते पर न छोड़ दें. ऐसी परिस्थितियों में लड़कियों के सामने कानून का दरवाजा खटखटाना अथवा जीवन से निराश होकर देह त्याग करना ही बच जाता है.

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पहली घटना –
जिला बिलासपुर के थाना सीपत की एक लड़की ने एक युवक की मोहब्बत के फेर में पड़कर धोखा खाया और आत्महत्या कर ली. युवक ने विवाह करने से कर दिया था इन्कार.

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दूसरी घटना-

जिला रायगढ़ के थाना सारंगढ़ में एक नाबालिग युवती एक युवक से धोखा खाने के बाद गर्भवती हो गई तो विवाह नहीं करने के आरोप के साथ थाना पहुंची. युवक ने पहचानने से किया था इंकार.

तीसरी घटना-

छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में एक युवती प्रेम के भंवर में पढ़कर महानगर चली गई जहां उसे छोड़कर युवक गायब हो गया.

दैहिक शोषण और दोस्त

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिला के थाना नारायणपुर में आर्मी के एक जवान ने एक नाबालिग किशोरी को अपने प्रेम जाल में फंसाया और शादी का झांसा देकर उसका दैहिक शोषण करता रहा. किशोरी को होश आया तो विवाह करने का दबाव बनाया तब आराेपी जवान ने किशोरी को अपने दो दोस्तों के पास भेज दिया. आरोपी जवान के दाेनाें मित्रों ने भी पीड़िता के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया. जब युति दोनों तरफ से लूट और बर्बाद हो गई तब उसे होश आया और वह पुलिस के पास पहुंची.

पुलिस ने पीड़िता के रिपोर्ट पर आरोपी के दोनों साथियों को गिरफ्तार कर लिया. वही जम्मू कश्मीर में ड्युटी में तैनात आर्मी के जवान को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस की टीम रवाना हो गई है. थाना प्रभारी ललित सिंह ने हमारे संवाददाता को बताया साहीडांड़ निवासी अंशुमन टोप्पो सेना में कश्मीर में पदस्थ है. उसका प्रेम प्रसंग एक नाबालिग किशोरी के साथ था और उसे शादी का झांसा देकर दैहिक शोषण किया . जब वह गर्भवती हुई ताे आरोपी फौजी की मां ने पीड़िता का गर्भपात करा दिया.

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सितंबर 2020 में जब पीड़िता ने आरोपी को शादी करने की बात कही तो उसने पीड़िता को दो साथी अमित राम एवं अनीमानंद टोप्पो के पास भेज दिया. पीड़िता ने आरोपी की बात मानते हुए जब उसके दोनों दोस्तों के साथ पहुंची तो आरोपी के दाेनाें दोस्तों ने मिलकर पीड़िता के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया. आरोपी के दोनों दोस्तों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम देने के बाद पीड़िता ने आरोपी सहित उसके दाेनाें दोस्तों के खिलाफ नारायणपुर थाने में मामला दर्ज कराया.

प्यार की डगर पर कांटे ही कांटे

दरअसल प्यार का रास्ता हमेशा से काटो भरा रहा है इसीलिए जहां सामाजिक नियम कायदे बनाए गए हैं वही कानून भी सख्ती के साथ युवक और युवती दोनों के लिए कवच बन कर खड़ा रहता है. मगर जब कभी इन दोनों रास्तों को छोड़ कर कोई आगे बढ़ता है तो उसे धोखा, दुष्कर्म मिलने की संभावना होती है. किसी ने सच कहा है प्रेम गली अति सांकरी है और इसमें समा पाना, पार पाना बेहद मुश्किल होता है.

सामाजिक कार्यकर्ता इंजीनियर रमाकांत श्रीवास के मुताबिक कानून के मुताबिक युवती के विवाह की उम्र 18 वर्ष और युवकों के लिए 21 वर्ष तय है. और इस उम्र तक आते-आते दोनों का ही बहक जाना सामान्य बात है. ऐसे में सिर्फ एजुकेशन और जागरूकता ही रक्षा कवच हो सकती है.

हाईकोर्ट के अधिवक्ता डा उत्पल अग्रवाल के मुताबिक प्यार के खेल में युवतियों को धोखा खाने की संभावना ज्यादा होती है और हमारे न्यायालय में भी ऐसे ही प्रकरण ज्यादा आते हैं. दरअसल इसके पीछे नारी मन का कोमल भाव होता है जिसका लाभ धुर्त दोस्त फरेबी युवा उठाते हैं.

Crime: ठगी के रंग हजार!

जैसे-जैसे समाज, देश विकसित होता जा रहा है, वैसे वैसे लोगों में पैसों को लेकर लालच बढ़ती चली जा रही है. ऐसे में रुपए कमाने के लिए मेहनत से दूर रहने वाले, आलसी किस्म के लोग सबसे आसान रास्ता लोगों को ठगने, मुर्ख बनाने का समझते हैं. आज इस रिपोर्ट में हम आपको ठगी के कुछ ऐसे अनोखे प्रकरण बताने जा रहे हैं जो छत्तीसगढ़ में घटित हुए हैं और यह सब बताते हैं कि हमें सतर्क किस तरह रहना होगा.

छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में अगरबत्ती में इस्तेमाल की जाने वाले कपूर के नाम पर लाखों रुपए की ठगी की घटना सामने आई है.यही नहीं किसानों को उन्नत बीज उपकरण देने के नाम पर ठग लिया गया. अंततः ठग किस तरह पकड़े गए पढ़िए आगे-

कपूर सप्लाई करने का झांसा देकर 1 लाख 86 हजार रु की धोखाधड़ी करने वाले तीन आरोपियों को बिलासपुर के कोतवाली पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार कल की लाया . इन आरोपियों ने खुद को डिवाइन टेम्पर प्राइवेट लिमिटेड इंदौर का प्रतिनिधि बताया और घटना को अंजाम दिया था.

पीड़ित परेश सचदेव दयालबंद में रमेश केमिकल इंडस्ट्री के नाम से दुकान संचालन कर अगरबत्ती बनाने का काम करता है. जिसमें कच्चे माल के रूप में कपूर का इस्तेमाल होता है. उसके पास जुलाई महीने में एक नंबर से फोन आया और खुद को डिवाइन टेम्पर प्राइवेट लिमिटेड, इंदौर मध्य प्रदेश का प्रतिनिधि होना बताया . बातचीत के बाद दोनों के बीच कपूर लेन देन का रेट तय हुआ.

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जिसके बाद पीड़ित ने उसके खाते में 1 लाख 86 हजार रुए नेफ्ट के माध्यम से ट्रांसफर कर दिया, लेकिन पैसे ट्रांसफर करने के बाद भी उसने कपूर सप्लाई नहीं किया. जब 4 माह बीत गया और कपूर नहीं मिला तब प्रार्थी ने पुलिस थाने में दस्तक दी.

शिकायत के बाद पुलिस ने टीम गठित कर मामले की जांच की और साइबर सेल की मदद से टीम को दिल्ली रवाना किया . पुलिस ने दबिश देकर गुलशन सिंह ( 24 वर्ष ), मो जस्सीम ( 19 वर्ष ) और समीर प्रताप ठाकुर ( 36 वर्ष ) को गिरफ्तार किया. सभी आरोपी दिल्ली के रहने वाले है . इनके पास से नगद 1 लाख 50 हजार , 4 मोबाइल फोन , चेक बुक और एटीएम कार्ड बरामद किया गया है.

सीधे सरल किसानों को बनाते हैं ऐसे उल्लू!

छत्तीसगढ़ के न्यायधानी बिलासपुर में किसान इंडिया बायोटेक कंपनी के नाम से किसानों से करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है. पुलिस ने गिरोह के तीन लोगों को गिरफ्तार कर बैंक पासबुक, एटीएम कार्ड, मोबाइल, रसायनिक खाद, 2.5 लाख रुपए सहित कागजात बरामद किया है. पुलिस बताती है कि इस ठग गिरोह ने छत्तीसगढ़ सहित मध्य प्रदेश, पंजाब, ओडिशा और बिहार में सैकड़ों लोगों को अपना शिकार बनाया है.

पुलिस अधिकारी के मुताबिक- कुछ लोगों ने गांधी नगर निवासी प्रतिमा मिश्रा को ऑर्गेनिक खाद की डीलरशिप देने का झांसा देकर किश्तों में 2 और 3 लाख रुपए वसूल लिया. बहुत दिनों तक खाद की सप्लाई नहीं होने पर प्रतिमा ने संपर्क साधा तो मोबाइल बंद थे. वह तोरवा स्थित ऑफिस भी पहुची तो वहां ताला लगा था. ऐसी परिस्थितियों में उसे ठगी का अहसास हुआ और सिविल लाइन थाने में फरियाद की. जिसके बाद पुलिस ने ‘ऑपरेशन किसान’ का शुभारंभ किया. जांच पड़ताल में जानकारी मिली . किसान इंडिया बायोटेक के नाम पर बंधन बैंक बिलासपुर में खोले गए खाते से जानकारी एकत्र की गई.

इससे पता चला कि दिसंबर 2019 से जनवरी 2020 तक खाते से करीब 1,76,41,744 रुपए का अदान-प्रदान किया गया. एक खाता सागर में भी कोटक महिंद्रा बैंक की शाखा में खोल 40 लाख रुपए से ज्यादा की रकम निकाली गई. यह खाते एक आधार नंबर पर अलग-अलग नाम से खोले गए थे. यह जानकारी भी पुलिस को मिली की आरोपी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, बलरामपुर, लखनऊ आदि शहरों के रहवासी हैं. इस बीच‌ जिला राजनांदगांव में ग्लोबल एग्री बायोटेक के नाम से कुछ लोगों के प्रचार-प्रसार करने की सूचना मिली.इस पर पुलिस ने दबिश देकर देवरिया, उत्तर प्रदेश निवासी शक्ति सिंह उर्फ सतीश सिंह, बलरामपुर, उत्तर प्रदेश निवासी प्रदीप शर्मा उर्फ सौरभ सिंह और गोरखपुर निवासी कृष्ण मोहन पांडेय को धर दबोचा.

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महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि किसानों को “उन्नत फलदार वृक्ष के बीज” के नाम पर बनाते ठगा करते थे. आरोपियों ने पुलिस हिरासत में आने के बाद अपने इकबालिया बयान में बताया कि राजनांदगांव में ग्लोबल एग्री टेक्नोलॉजी के नाम से कार्यालय खोला था. राजनांदगांव, डोंगरगढ़, दुर्ग और कांकेर के लोगों को टार्गेट कर ठगी के फिराक में थे. हर बार अपना नाम बदल कर विभिन्न राज्यों के किसानों को उन्नत फलदार वृक्ष के बीज की डीलरशिप के लिए किसान इंडिया बायोटेक से जुड़ने का झांसा देते ठगते और गायब हो जाते .

Satyakatha: अधेड़ औरत के रंगीन सपने- भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

तीनों भाई संतराम के मकान के पास ही किराए का कमरा ले कर एक साथ रहते थे. मनोज जहां राजमिस्त्री का काम करता था तो उस के दोनों भाई दिहाड़ी मजदूरी का काम करते थे.

पड़ोस में रहने वाला संतराम चूंकि ठेकेदारी का काम करता था, इसलिए वह अकसर दिहाड़ी मजदूर या दूसरे राजमिस्त्री  की जरूरत पड़ने पर तीनों भाइयों को बुला लेता था. संतराम को पीनेखाने का शौक था.

तीनों भाई भी शराब पीने के आदी थे. इसलिए कुछ समय बाद संतराम के साथ उन की खानेपीने की बैठकें भी होने लगीं. कई बार मनोज संतराम के घर पर ही बैठा था. इसलिए जल्द ही संतराम की पत्नी सुशीला से भी उस की बोलचाल हो गई.

सुशीला की 20 साल पहले जो चंचल स्वभाव की आदत थी, आज भी वह बरकरार थी. सुशीला की नजर मनोज पर पड़ी तो उसे संतराम भी उस के सामने फीका लगने लगा.

मनोज ने पहली ही नजर में सुशीला की आखों से उस के मन की बात भांप ली. एक कुंआरे नौजवान को अगर कोई स्त्री आमंत्रण दे तो भला वह कैसे ठुकरा सकता है. सुशीला के जीवन में एक बार फिर वही कहानी दोहराई जाने लगी, जो उस ने 18 साल पहले दोहराई थी.

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जल्द ही मनोज से सुशीला के जिस्मानी संबंध बन गए. सुशीला की उम्र भले ही 55 साल हो चुकी थी, लेकिन उस के हसरतें आज भी उतनी ही जवान थीं जितनी जवानी की दहलीज पर कदम रखने वाली एक लड़की के होती हैं.

इधर, पिछले कुछ सालों में संतराम के अंदर एक बुरी प्रवृत्ति ने जन्म ले लिया था. वह शराब पीने के बाद अकसर सुशीला के साथ किसी न किसी बात पर मारपीट कर देता था. इस कारण सुशीला और संतराम के संबंधों में एक दरार भी पैदा हो गई थी.

जब 6 महीने पहले मनोज सुशीला की जिदंगी में आया तो उसे जिंदगी में रोशनी की एक नई किरण दिखाई देने लगी. लेकिन इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते.

कुछ दिन पहले संतराम को इस बात का शक हो गया कि सुशीला फिर से अपने पुराने ढर्रे पर चलने लगी है. उसे मनोज के साथ उस के संबध होने का शक हो गया था. वैसे भी सुशीला को संतराम से कोई बच्चा तो था नहीं, इसलिए उसे वैसे भी उस से बहुत लगाव नहीं था.

जब संतराम ने उस के साथ कई बार मारपीट की तो सुशीला ने एक दिन मनोज से कहा कि अगर वह उसे संतराम से छुटकारा दिला दे तो वह पूरी तरह उस की हो कर रहेगी. इतना ही नहीं, उस के घर में जो कुछ भी है और बैंक में जो पैसा या जेवर है, सब उस के हो जाएंगे.

मनोज भी उस के चक्कर में अविवेकी बन गया था. लिहाजा उस ने सुशीला से वादा कर लिया कि वह उसे संतराम से मुक्ति दिलाएगा.

मनोज ने अपनी माशूका से वादा तो कर लिया लेकिन इस काम को अकेले अंजाम देना उस के बस की बात नहीं थी. इसीलिए उस ने सगे भाई आकाश व मौसेरे भाई राजेश को संतराम की हत्या करने में मदद करने के लिए तैयार कर लिया.

आकाश व राजेश कम उम्र के जवान लड़के थे, वे बस इसी से खुश हो गए कि चलो मनोज घर बसा लेगा तो उन्हें पकापकाया खाना मिलना शुरू हो जाएगा. लिहाजा उन्होंने मनोज का साथ देने की हामी भर दी. जब तीनों ने इरादा बना लिया तो सुशीला के साथ मिल कर उन्होंने संतराम की हत्या को अंजाम देने के लिए योजना बनाई.

6 और 7 मई की रात को उन्होंने संतराम की हत्या के लिए चुना. योजना के मुताबिक रात करीब साढ़े 12 बजे मनोज ने जब दरवाजा खटखटाया तो पहले से उन के इंतजार में जाग रही सुशीला ने दरवाजा खोल दिया और वे कमरे के भीतर घुस आए.

संतराम शराब के नशे में बिस्तर पर पड़ा खर्राटे ले रहा था. इस के बाद उन्होंने कमरे में रखी एक ईंट से संतराम के चेहरे व सिर पर इतने वार किए कि बिस्तर पर ही उस की छटपटाते हुए मौत हो गई. घर में लूटपाट की वारदात को दर्शाया जा सके, इसलिए सब ने मिल कर घर का सामान भी इधरउधर बिखेर दिया.

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हालांकि मनोज वारदात के बाद संतराम की मोटरसाइकिल ले जाना चाहता था, लेकिन उस की चाबी उसे नहीं मिली. बाद में जब मनोज अपने भाइयों के साथ वहां से चला गया तो सुशीला ने अपने कपड़े अस्तव्यस्त कर थोड़े फाड़ लिए और घर से बाहर निकल कर शोर मचा दिया कि बदमाशों ने उस के पति की हत्या कर दी है.

मनोज से जब हत्याकांड की सारी जानकारी मिल गई तो पुलिस ने उसी दिन सुशीला को भी गिरफ्तार कर लिया. थोड़ी नानुकुर के बाद उस ने भी अपना अपराध कबूल कर लिया. जांच अधिकारी सुजीत उपाध्याय ने हत्या के मामले में आईपीसी की धारा 120बी व 34 जोड़ कर उन चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. सभी को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.

—कहानी पुलिस की जांच व आरोपियों से पूछताछ पर आधारित है

Manohar Kahaniya: पूर्व उपमुख्यमंत्री के घर हुआ खूनी तांडव, रास न आई दौलत- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

परमेश्वर ने धीरे से कहा, ‘‘क्यों न हम हरीश को ही रास्ते से हटा दें.’’

‘‘क्या मतलब… क्या कहना चाहते हो?’’ वह बोली.

‘‘सीधी सी बात है, मैं कहना चाहता हूं हरीश का खात्मा.’’ उस ने बात स्पष्ट की.

सोच कर के धनकंवर ने कहा, ‘‘वाह, यह तो बहुत अच्छा होगा, मगर यह कैसे संभव होगा?’’

‘‘उस की फिक्र मत करो. हां, कुछ पैसा लगेगा, मैं अपने एक दोस्त को तैयार करता हूं, उसे मैं जैसे कहूंगा वह करेगा. तुम बस जीजाजी को संभाल लेना.’’

बहन ने कहा, ‘‘भाई, तुम उन की चिंता मत करो, मैं उन्हें समझाने की कोशिश करती हूं. मैं तो बारबार उन्हें कहती रहती हूं. मगर वह मेरी सुनते ही नहीं, अब मैं कोशिश करूंगी कि ठीक से उन्हें मना ही लूं.’’

इस चर्चा और घटनाक्रम के बाद परमेश्वर और बहन धनकंवर दोनों ने मिल कर हरीश कंवर की कहानी का पटाक्षेप करने की योजना बनानी शुरू कर दी.

हरीश कुंवर के परिवार को खत्म करने की जो योजना बनी, उसे 21 अप्रैल 2021  दिन बुधवार सुबहसवेरे 4 बजे अमलीजामा पहनाया गया.

हरीश (36 वर्ष), पत्नी सुमित्रा ( 32 ) अपनी 4 वर्षीय बेटी आशी के साथ अभी नींद में ही थे कि भाई हरभजन परिवार सहित सुबह हमेशा की तरह अपने कमरे से सुबह की सैर के लिए निकल गया.

पिता हरभजन के निकलते ही उस की 16 वर्षीय बेटी रंजना (काल्पनिक नाम) ने अपने मामा परमेश्वर कंवर को मोबाइल पर मैसेज किया कि पापा सैर पर निकल गए हैं. यह मैसेज मिलते ही परमेश्वर ने अपने दोस्त रामप्रसाद मन्नेवार को फोन किया और दोनों थोड़ी ही देर में भैंसमा स्थित हरीश कंवर के पैतृक आवास के पास आ गए.

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बेरहमी से किए 3 कत्ल

यहां उन्हें खबर नहीं थी कि चौराहे पर एक दुकान पर सीसीटीवी कैमरा लगा है, जिस में दोनों के आने का वीडियो फुटेज रिकौर्ड हो गया है. दोनों हरीश कंवर के कमरे में चले गए और बकरी को रेतने का हथियार (कत्ता) निकाल कर हरीश पर हमला कर दिया.

दोनों के एक साथ धारदार हथियार से हमला करने से हरीश कंवर हड़बड़ा कर खून से लथपथ उठ खड़े हुए. उन्होंने अपना बचाव करने की कोशिश की, मगर दोनों ने उन पर लगातार हमले किए.

हरीश ने साहस के साथ अपने आप को बचाने का खूब प्रयास किया और हमलावरों से हथियार छीनने की कोशिश की, मगर सफल नहीं हो पाए. अंतत: दोनों ने मिल कर हरीश को वहीं मौत की नींद सुला दिया.

होहल्ला सुन कर हरीश कंवर की पत्नी सुमित्रा उठ खड़ी हुई और पति का बचाव करने आगे बढ़ी कि उन्हें भी दोनों ने मिल कर धारदार हथियार से हमला कर मार डाला. 4 साल की आशी चिल्लाहट सुन कर के उठ कर रो रही थी. दोनों हत्यारों ने बच्ची आशी की भी वहीं नृशंस हत्या कर दी.

इस के बाद वे कमरे से बाहर निकले तो शोरगुल सुन कर हरीश की 82 वर्षीय मां जीवनबाई वहां पहुंचीं.

उन्हें बहुत कम दिखाई देता था. वह चिल्लाहट सुन कर ‘क्या है…क्या हो गया’ पूछने लगीं तो उन्हें कोई जवाब न दिया. दोनों ने उन्हें धक्का देते हुए नीचे गिरा दिया और वहां से भाग खड़े हुए.

हत्याकांड को अंजाम दे कर दोनों बाहर आए तो सुबह के लगभग साढ़े 4 बज रहे थे. अभी चारों ओर अंधेरा ही था.

परमेश्वर और रामप्रसाद घर के बाहर आए और दोनों ने यह योजना बनाई कि जब तक मामला शांत नहीं हो जाता, दोनों अलगअलग हो जाएं और जब स्थितियां ठीक होंगी तो मुलाकात की जाएगी.

परमेश्वर आगे बढ़ा तो उसे यह खयाल आया कि उस के कपड़े खून से सन गए हैं और उस के चेहरे पर चोट आई है, जहां से खून बह रहा है. मगर वह आगे गांव सलिहाभाठा की ओर बढ़ गया.

आगे सिंचाई विभाग के डैम के पास  उस ने अपने रक्तरंजित कपड़ों को जला दिया और डैम में नहाधो कर उस ने डायल 112 नंबर पर फोन कर के खुद का एक्सीडेंट होने की सूचना दे दी. फिर वह करतला अस्पताल में भरती हो गया.

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दूसरी तरफ रामप्रसाद कोरबा जिला के समीप जिला चांपा जांजगीर के एक गांव में अपने रिश्तेदार के यहां चला गया. जहां से नगरदा थाना पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर उरगा पुलिस के हवाले कर दिया.

देर शाम को एसपी अभिषेक सिंह मीणा ने एसपी औफिस में एक पत्रकार वार्ता आयोजित कर सभी आरोपियों को प्रैस के समक्ष उपस्थित कर सारे घटनाक्रम से परदा उठा दिया.

पुलिस ने हरीश कंवर, उन की सुमित्रा और बेटी आशी की हत्या के आरोप में आरोपियों हरभजन कंवर, पत्नी धनकंवर, बेटी रंजना, साले परमेश्वर कंवर और उस के दोस्त रामप्रसाद मन्नेवार और सुरेंद्र कंवर के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201, 120बी के तहत गिरफ्तार कर कोरबा के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया, जहां से रंजना के अलावा सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया. रंजना को बाल सुधार गृह भेजा गया. द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime: पति की हत्यारी मौडल पत्नी

लगभग 10 वर्ष बाद सुखमय वैवाहिक जीवन, एक मौडल ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या करवा खत्म कर लिया. और प्रेमी एवं 7 लोगों के साथ जेल की हवा खा रही है.

यह कहानी है मॉडल आरोपी पत्नी की जिसने प्रेमी के साथ मिलकर पति के हत्या की सुपारी रायपुर के युवकों को दे दी थी. मामले में पुलिस ने पत्नी, आरोपी प्रेमी सहित 7 लोगों को गिरफ्तार किया है.घटना छत्तीसगढ़ के बलोद थाना क्षेत्र के तांदुला डेम की है. और अपने आप में कई पेंच लिए हुए वैवाहिक जीवन में एक समझदारी की शिक्षा दी जाती है.

दरअसल, हुआ यह कि पुलिस को सूचना मिली कि, तांदुला डेम किनारे एक अज्ञात व्यक्ति की खून से सनी लाश पड़ी हुई है. पुलिस, फाॅरेंसिक, सायबर और डाॅग रक्वाड की टीम मौके पर पहुंची. मृतक के गले, पसली और सिर पर गंभीर चोट के निशान थे, जिसके बाद मामले को हत्या से जोड़कर एसएसपी जितेंद्र मीणा ने जांच के आदेश दिए. इस दौरान पुलिस को खून से सनी एक स्कूटी बालोद बस स्टैण्ड के पास मिली. स्कूटी किसी माधुरी मांडले के नाम पर थी. पुलिस ने जब महिला से उस स्कूटी के संबंध में पूछताछ की तो पता चला की उसका पति हिमांशु मांडले 20 दिसंबर को घर से निकला था और वापस नहीं आया है.परिजनों की शिनाख्त के बाद शव की पहचान शासकीय स्कूल में खेल शिक्षक हिमांशु मांडले 35 वर्ष के रूप में की. हिमांशु अटल विहार काॅलोनी सिवनी बालोद में पदस्थ था.

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डांस एकेडमी का वह डांसर?

पुलिस को जाँच के दौरान पता चला कि मृतक हिमांशु मांडले के घर लोकेन्द्र पटेल नामक युवक का आना-जाना लगा रहता था. पुलिस ने संदेह के आधार पर युवक से पूछताछ शुुुरू की पूछताछ पर लोकेन्द्र पटेल ने हत्या करने की बात कबूल कर ली और पुलिस को बताया कि उसकी बालोद स्थित ” वेस्टर्न डांस एकेडमी” है, यहां पर वो डांस सिखाने का काम करता था.

सिर्फ 9 माह पूर्व उसकी और माधुरी मांडले की जान पहचान हुई . वो महिला की 7 वर्षीय पुत्री को डांस सिखाया करता . शिक्षक की पत्नी माधुरी मांडले भी डांस की शौकीन थी और वो भी आरोपी युवक के पास डांस सीखने आया करती . इस दौरान लोकेन्द्र पटेल और माधुरी मांडले के बीच दोस्ती हो गई व फोन से बातचीत भी शुरू हुई. दोस्ती गहरी होने से दोनों एक दूसरे से प्रेम करने लगे. इस दौरान शिक्षक की पत्नी ने प्रेमी लोकेन्द्र को बताया कि उसके पति के साथ बहुत ज्यादा लड़ाई झगड़ा होते रहते है, जिससे वो काफी परेशान है और अब वो उससे अलग रहना चाहती है.

और ऐसी रची गई हत्या की साजिश

कुछ दिनों के विचार विमर्श के बाद दोनों ने मिलकर शिक्षक हिमांशु मांडले की हत्या की साजिश रची. आरोपी प्रेमी ने हिमांशु की हत्या के लिए अपने पूर्व परिचित रायपुर निवासी दोस्त निखिल सोनवानी को इसकी सुपारी दी . 20 दिसंबर को निखिल अपने दोस्त कृष्णकांत शर्मा उर्फ गोलू, गोविंद सोनी व 2 अन्य नाबालिग के साथ इनोवा कार किराये पर लेकर बालोद पहुंचा.
बालोद पहुंचने से पहले सभी ने अपना मोबाईल फोन बंद कर दिया. शाम लगभग 6 बजे के बीच बालोद बस स्टैण्ड पहुंचे जहां पहले से लोकेन्द्र पटेल मौजूद था.निखिल सोनवानी ने रायपुर से साथ आये सभी आरोपियों को लोकेन्द्र पटेल से मिलाया. इसके बाद सभी लोगों ने बस स्टैण्ड में चाय-नाश्ता किये और इनोवा कार से काॅलेज रोड़ तिराहा तक गये. इसके बाद इनोवा कार चालक को कुछ रूपये देकर नाश्ता करने तथा बस स्टैण्ड में ही रहने को कहा गया. आरोपी लोकेन्द्र पहले से ही मृतक हिमांशु को बता दिया था कि उसके कुछ दोस्त आ रहे हैं जिनके साथ वो पार्टी करेंगे.  बाद  में लोकेन्द्र पटेल ने हिमांशु मांडले को फोन करके बस स्टैण्ड बुलाया, जिसके बाद सभी शराब लेकर तांदुला डेम आये.यहां पर सभी ने छककर शराब पी और उसी दौरान लोकेन्द्र पटेल ने कृष्णकांत को इशारे से हिमांशु मांडले को मारने कहा, तब उसके नाबालिग दोस्तों ने जेब से चाकू निकालकर पीछे से हिमांशु मांडले के गर्दन में ताबड़तोड़ वार कर दिया. आरोपियों ने पत्थर,चाकू और हथौड़ी से हमला कर उसकी हत्या कर दी और मृतक की स्कूटी को बस स्टैंड में छुपाकर इनोवा कार से फरार हो गए. पुलिस ने मुख्य आरोपी लोकेन्द्र पटेल के निशानदेही पर रायपुर से सभी चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर मामले का खुलासा एसएसपी जीतेन्द्र मीना ने किया.

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गिरफ्तार आरोपियों में मृतक की पत्नी माधुरी मांडले, लोकेन्द्र पटेल, निखिल सोनवानी ,कृष्णकांत शर्मा, गोविंद सोनी सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

जिसने हमारे संवाददाता को बताया कि आरोपी लोकेन्द्र पटेल पहले भी जेल जा चुका था. साथ ही आरोपी कृष्णकांत शर्मा उर्फ गोलू के विरूद्ध थाना कोतवाली रायपुर में चाकूबाजी के मामलों में गिरफ्तार हो चुका है. आरोपियों के पास से 1 नग बटन चाकू, हथौड़ी, पत्थर, 4 नग मोबाईल, इनोवा कार और मृतक की स्कूटी जब्त कर ली है.

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