लेखक- विजय पांडेय/श्वेता पांडेय
सौजन्य- मनोहर कहानियां
तीनों को वह ड्राइंगरूम में ले गई. तीनों सोफे पर बैठ गए. कुछ देर वह उन से औपचारिक बातें करती रही. फिर उन लोगों ने बातचीत का रुख संपत्ति और रुपयों की ओर मोड़ दिया. नेहा ने उस वक्त संयम से काम लिया, लेकिन वे तीनों योजना के तहत उस से झगड़ा करने लगे.
नेहा गुस्से में ड्राइंगरूप से उठ कर अपने बैडरूम में चली गई. उस के पीछेपीछे अजय राय, आनंद राय और दीपक भी पहुंच गए. उन तीनों को अपने पीछे आया देख कर नेहा बोली, ‘‘मैं इस समय आप लोगों से कोई बात नहीं करना चाहती. इस बारे में जो कुछ कहना हो तरुण से कहना.’’
तभी अजय दांत पीसते हुए बोला, ‘‘वह हमारी सुनता कहां है.’’
‘‘तो मैं क्या करूं. मेहरबानी कर के आप लोग यहां से चले जाइए.’’
यह सुन कर उन तीनों ने आंखों ही आंखों में इशारा किया. तभी दीपक ने पास बैठी अनन्या को उठा लिया और जूते का फीता निकाल कर उस के गले में कसने लगा.
बेटी की जान बचाने के लिए नेहा उन से भिड़ गई. यह देख अजय और आनंद ने नेहा को काबू में करने का प्रयास किया. उन के बीच 15 मिनट तक हाथापाई होती रही.
मौका पा कर आनंद ने नेहा के पैर जकड़ लिए और अजय ने अपने दोनों हाथों से नेहा का गला घोंट दिया. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई.
उधर दीपक ने अनन्या के गले को जूतों के फीते से कस दिया. बच्ची की भी मौत हो गई. दीपक ने अपनी संतुष्टि के लिए उसी फीते से एक बार फिर नेहा के गले को जोर से कसा. वे लोग पूरी तसल्ली चाहते थे कि उन दोनों में से कोई जिंदा न रहे. इस की पुष्टि के लिए उन्होंने दोनों लाशों को उठा कर बाथरूम के टब में डाल कर यह देखा कि नाक या मुंह से पानी में बुलबुले तो नहीं निकल रहे.
5 मिनट तक पानी में कोई बुलबुला नहीं उठा तो उन्हें संतुष्टि हो गई कि दोनों की मौत हो चुकी है. इस के बाद तीनों ने चैन की सांस ली.
फिर वे लाशों को उठा कर नेहा के बैडरूम में ले गए और दोनों लाशें औंधे मुंह दीवान के बौक्स में डाल दीं. इस के बाद तीनों ने सलाह की कि इन्हें ठिकाने कैसे लगाया जाए. कुछ देर विचार करने के बाद उन्होंने तय किया कि दोनों लाशों को मंदिर हसौद नया रायपुर के सुनसान इलाके में ले जा कर ठिकाने लगा दिया जाए.
अजय राय यह कहता हुआ वहां से अपनी कार से चला गया कि वह उपयुक्त जगह ढूंढ कर आता है. तब तक रात भी गहरा जाएगी. वह नेहा के बैडरूम और बंगले का ताला बंद कर के चला गया. आनंद राय और दीपक दोनों ताले में बंद लाशों के पास ही बैठे रहे.
उधर नेहा के भाई आकाश ने नेहा को फोन किया तो नेहा के फोन की घंटी तो बजती रही, लेकिन वह फोन नहीं उठा रही थी. कई बार काल करने के बाद भी जब नेहा ने फोन नहीं उठाया तो वह अपनी छोटी बहन को साथ ले कर कार से रात करीब साढ़े 11 बजे नेहा के बंगले पर पहुंच गया.
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दोनों लाशों को ठिकाने लगाने के लिए अजय राय भी एक सुनसान जगह देख कर लौट आया था. जब वह बंगले के पास पहुंचा तो उसे वहां भीड़ दिखाई दी. उस का माथा ठनका. उसे समझते देर नहीं लगी कि बंगले के बाहर लोगों का हुजूम क्यों लगा है.
भाग गया अजय राय
उस समय उस की कार बंगले से करीब आधा फर्लांग दूर थी. माजरा समझते ही उस ने यू टर्न लिया और वहां से निकल गया. वह समझ गया कि हत्या का मामला खुल चुका है और पुलिस उस तक पहुंच जाएगी. ऐसे में उस ने शहर से बाहर भागने में ही अपनी भलाई समझी.
वह कार से भंडारपुरी, कसडोल, बिलाईगढ़ होता हुआ बिलासपुर बसस्टैंड पहुंचा. उस ने अपनी कार लौक कर के एक जगह छोड़ दी और फिर बस से प्रयागराज के लिए निकल गया. प्रयागराज में वह अपने एक परिचित के यहां रुका.
कुछ दिन प्रयागराज में रुकने के बाद वह अयोध्या चला गया. अयोध्या में उस का एक दोस्त शिवप्रकाश रहता था. वह आपराधिक प्रवृत्ति का था. अयोध्या जाने से पहले उस ने प्रयागराज हाइवे पर पहुंच कर शिवप्रकाश से फोन पर बात करनी चाही. इस के लिए उस ने अपना मोबाइल औन किया.
तभी उसे ध्यान आया कि अगर उस ने अपने मोबाइल से बात की तो वह पुलिस की पकड़ में आ जाएगा. इसलिए उस ने वहां मौजूद एक पंक्चर बनाने वाले से बात की. अजय ने उस से कहा कि उस का मोबाइल खराब हो गया है और उसे किसी से अर्जेंट बात करनी है. यदि वह अपने फोन से उस की बात करा दे तो मेहरबानी होगी. बदले में वह 100 रुपए दे देगा. पंक्चर वाला तैयार हो गया और उस ने अपना मोबाइल अजय को दे दिया. अजय ने उस के मोबाइल से अपने दोस्त शिवप्रकाश से बात की. वह शिवप्रकाश का नंबर डिलीट करना भूल गया था.
इस के बाद अजय अयोध्या में अपने दोस्त शिवप्रकाश के पास चला गया और वहीं पर रहने लगा. लेकिन वह वहां भी सुरक्षित नहीं रह सका और रायपुर पुलिस के चंगुल में फंस गया. पुलिस उसे अयोध्या से गिरफ्तार कर के ले आई. पुलिस ने बिलासपुर बसस्टैंड से उस की कार भी बरामद कर ली.
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तीनों अभियुक्त पुलिस की गिरफ्त में आ चुके थे. पुलिस ने तीनों को 5 फरवरी, 2021 को कोर्ट में पेश कर 10 दिन की पुलिस रिमांड मांगी. पुलिस के अनुरोध पर कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 15 फरवरी, 2021 तक के पुलिस रिमांड पर सौंप दिया.
रिमांड अवधि में विस्तृत पूछताछ के बाद पुलिस ने तीनों को अदालत पर पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित