Manohar Kahaniya: डिंपल का मायावी प्रेमजाल- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

डिंपल उन्हें छोड़ने को तैयार नहीं थी. उस का कहना था कि अब वह कहां जाएगी. मेहताजी के चक्कर में उस की जिंदगी बरबाद हो रही है. जबकि मेहताजी से उस ने खुद को कुंवारी बता कर मौजमजे के लिए संबंध बनाने की बात कही थी. लेकिन अब पता चला कि वह शादीशुदा है.

मेहताजी, डिंपल और उस के पति के झगड़े का तमाशा देखने के लिए वहां तमाम लोग इकट्ठा हो गए थे. सभी की सहानुभूति डिंपल के कथित पति और डिंपल के प्रति थी. सभी सारा दोष मेहताजी पर मढ़ रहे थे. वहां इकट्ठा लोग भी यही कर रहे थे कि जब डिंपल का पति उसे रखने को तैयार नहीं है तो मेहताजी को उसे अपने साथ ले जाना होगा.

शोरशराबा सुन कर वहीं पास ही रहने वाले एनसीपी के नेता नटवरभाई उर्फ नटुभाई ठाकोर भी अपने शागिर्दों के साथ वहां आ गए थे. पूरी बात सुनने के बाद पहले तो उन्होंने डिंपल के कथित पति से बात की, उस के बाद डिंपल से बात की.

मेहताजी को धमकाया जाने लगा

फिर उन्होंने मेहताजी को एक किनारे बुला कर कहा, ‘‘मेहताजी, अब आप को डिंपल से शादी करनी होगी. अगर शादी नहीं करोगे तो वह तुम्हारे ऊपर रेप का मुकदमा दर्ज करा देगी. उस के बाद तुम्हारा क्या हाल होगा, शायद यह बताने की जरूरत नहीं है. और

अगर उस से छुटकारा पाना चाहते हो तो एक काम करो. उसे इतना पैसा दे दो कि वह अकेली रह कर भी अपनी गुजरबसर कर ले.’’

यह सुन कर मेहताजी के तो होश ही उड़ गए. अगर डिंपल उन पर रेप का मुकदमा कर देगी तो उन की बदनामी तो होगी, जिंदगी भी बरबाद हो जाएगी. डिंपल के पास उस के साथ शारीरिक संबंध बनाने के सबूत भी थे.

उस ने दोनों के शारीरिक संबंध बनाने के कई वीडियो बना रखे थे. वे वीडियो उस ने मेहताजी को भी भेजे थे. जो वीडियो वह अभी तक मौजमजे के लिए देखते थे, अब वही उन के गले की फांस बन गए थे.

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डिंपल से वह शादी कर नहीं सकते थे. अगर वह उस से शादी करते तो घर वाले उन्हें घर से निकाल तो देते ही, समाज में भी उन की काफी बदनामी होती. इसलिए उन्होंने पैसे दे कर डिंपल से छुटकारा पाने के बारे में विचार किया.

मेहताजी का सोचना था कि लाख, 2 लाख दे कर वह डिंपल से छुटकारा पा जाएंगे इसलिए उन्होंने कहा, ‘‘इस से शादी तो मैं नहीं कर सकता. क्योंकि इस ने झूठ बोल कर मुझ से संबंध बनाया है. ऐसी औरत पर कैसे भरोसा किया जा सकता है. यह जो पैसा लेगी, मैं देने को तैयार हूं.’’

पैसे के लिए ही यह सारी साजिश रची गई थी. इसलिए जैसे ही मेहता ने पैसे की बात की तो एनसीपी नेता नटुभाई ठाकोर ने कहा, ‘‘ठीक है, 50 लाख रुपए दे दो. तुम भी आजाद और डिंपल भी आजाद.’’

‘‘क्या, 50 लाख?’’ 50 लाख सुन कर मेहताजी का मुंह खुला का खुला रह गया.

35 लाख में हुआ समझौता

मेहता को हैरानपरेशान देख कर नटुभाई ने कहा, ‘‘50 लाख तुम्हें ज्यादा लग रहे हैं क्या? किसी की जिंदगी का सवाल है. डिंपल को अब इसी रकम से पूरी जिंदगी बितानी है. पति छोड़ ही चुका है. तुम से जो रकम मिलेगी, उसी से उस का खर्च चलेगा.’’

‘‘फिर भी 50 लाख बहुत होते हैं. बताओ, इतनी बड़ी रकम मैं कहां से लाऊंगा.’’ मेहताजी ने इतना पैसा देने में असमर्थता व्यक्त की.

‘‘तब फिर तुम डिंपल के साथ शादी कर लो या फिर जेल जाने की तैयारी कर लो.’’ नटुभाई ने धमकी दी.

‘‘आप बीच में इतना क्यों उछल रहे

हैं? बात हम तीनों की है. आप बीच में

कहां से आ गए?’’ मेहता ने खीझ कर कहा.

‘‘मैं बीच में अपने आप नहीं आया. मुझे इन दोनों ने यह समझौता कराने के लिए बुलाया है.’’ नटुभाई ने डिंपल और उस के तथाकथित पति की ओर इशारा कर के कहा, ‘‘अगर तुम्हें विश्वास न हो तो तुम खुद ही इन से पूछ लो.’’

मेहता ने दोनों की ओर देखा तो दोनों ने एक साथ कहा, ‘‘यह ठीक कह रहे हैं. हमारी ओर से यही बात करेंगे.’’

मेहताजी समझ गए कि वह बुरी तरह फंस चुके हैं. अब तक उन की समझ में यह भी आ चुका था कि उन्हें एक साजिश के तहत फंसाया गया है. ये लोग बिना पैसा लिए उसे छोड़ेंगे नहीं और रकम भी मोटी ही लेंगे. उस ने नटुभाई से कहा, ‘‘आप बहुत ज्यादा पैसा मांग रहे हैं. इतना पैसा मेरे पास नहीं है.’’

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‘‘यह सब तो तुम्हें किसी की इज्जत के साथ खिलवाड़ करने के पहले सोचना चाहिए था. मजे लिए हैं तो उस की कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी.’’ नटुभाई ने कहा.

मेहताजी गिड़गिड़ाते रहे, पर वे पैसे कम करने को तैयार नहीं थे. मेहता के बहुत रोनेगिड़गिड़ाने पर उस ने 15 लाख रुपए कम किए. इस तरह 35 लाख रुपए में समझौता हुआ. मेहता ने डिंपल से छुटकारा पाने के लिए 35 लाख रुपए ला कर दिए.

पैसा दे कर मेहता को लगा कि अब वह डिंपल नाम के झंझट से मुक्ति पा गए हैं. पर 10 दिन बाद ही डिंपल का फिर फोन आ गया, ‘‘यार बहुत गड़बड़ हो गई है. मुझे गर्भ ठहर गया है. यह तुम्हारा ही बच्चा है.’’

‘‘तुम यह कैसे कह सकती हो कि यह मेरा ही बच्चा है. तुम्हारा पति भी तो है. उस का भी तो हो सकता है,‘‘ मेहता ने कहा.

‘‘मेरा पति भले है, पर कई महीने से उस से मेरा कोई संबंध नहीं है.’’ डिंपल बोली.

‘‘अगर ऐसी बात है तो बच्चा गिरवा दो.’’

‘‘उस में भी तो खर्च लगेगा. खर्च कौन देगा?’’ डिंपल तुनक कर बोली, ‘‘फिर आजकल गर्भपात भी कराना इतना आसान नहीं है.’’

‘‘खर्च तो मैं दे चुका हूं. उसी में से खर्च करो,’’ मेहता ने कहा.

‘‘वह मेरी जिंदगी बिताने का खर्च है. बच्चा गिरवाने या पालने के लिए नहीं है. बच्चा गिरवाने का खर्च तुम्हें ही देना होगा. और हां, सीधेसीधे दे दो तो ज्यादा अच्छा रहेगा. अगर अंगुली टेढ़ी करनी पड़ी तो बुरे फंस जाओगे.’’ डिंपल ने धमकी दी.

‘‘क्या कर लोगी तुम?’’ मेहता ने भी सख्ती दिखाई. इतना कह कर उस ने फोन काट दिया.

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उस दिन वह शाम को औफिस से निकले तो गेट के बाहर डिंपल खड़ी मिल गई. उस के साथ 4 आदमी भी थे. उन सब को देख कर मेहताजी के हाथपैर फूल गए. सभी ने मेहता को घेर लिया.

डिंपल बोली, ‘‘मेहताजी, पैसा दोगे या यहीं पर अभी शोर मचाऊं?’’

मेहताजी बुरी तरह फंस गए थे. अगर शोरशराबा या किसी तरह का लड़ाईझगड़ा होता तो उन के औफिस के सामने उन की पोल खुल जाती. मजबूरन पैसे देने के लिए उन्हें हामी भरनी पड़ी. इस बार भी मेहताजी को 11 लाख रुपए देने पड़े.

अगले भाग में पढ़ें- ठग मंडली चढ़ गई पुलिस के हत्थे

Crime- हत्या: जर जोरू और जमीन का त्रिकोण

कहते हैं किसी अपराध के पीछे जर, जोरू और जमीन निश्चित रूप से होते हैं. इस प्राचीन सच के एक बार पुनः सत्य होने के प्रमाण मिल गए. जब एक पत्नी ने अपने अधेड़ पति की हत्या कुछ ऐसे ही कारणों से करवाई और अंततः पुलिस के हाथों पकड़े जाने पर आज जेल में हवा खा रही है.

छत्तीसगढ़ के औद्योगिक नगर कोरबा के थाना कटघोरा अंतर्गत वन विभाग में कार्यरत एक डिप्टी रेंजर की हत्या के मामले को आखिरकार सुलझा लिया गया. अवैध संबंधों को लेकर की गयी ये हत्या सुपारी देकर कराइ गई थी. मामले के खुलासे के बाद पुलिस ने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है. सनसनीखेज तथ्य यह की हत्या की ये सुपारी किसी और को नहीं बल्कि देह व्यापार करने वाली एक महिला को दी गई .

इस मामले का खुलासा करते हुए हमारे संवाददाता को एसडीओ पुलिस रामगोपाल करियारे ने बताया – डिप्टी रेंजर कंचराम पाटले कटघोरा वन मंडल में पदस्थ था और ड्यूटी के लिए तो घर से निकला, मगर वापस नहीं लौटा.

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दूसरे दिन उसकी लाश पुराने बैरियर के पास सड़क के किनारे मिली. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डॉक्टर ने मौत की वजह पॉइजनिंग और रक्तश्राव और बताया. पुलिस जांच में धीरे-धीरे जो तथ्य सामने आए वह चौक आने वाले थे.

‘चुड़िहायी” पत्नी की भूमिका

पुलिस जांच में अंततः छत्तीसगढ़ की चूड़ी प्रथा के अंतर्गत पत्नी बनाकर लाई एक महिला को संदिग्ध पाया गया.

आगे देखिए! किस तरह पत्नी की भूमिका निभा रही महिला ने डिप्टी रेंजर की संपत्ति, उसकी नौकरी यानी कुल मिलाकर पति को रास्ते से हटाने क्या क्या धत्त कर्म किया.

पुलिस को पता चला कि कंचराम पाटले को किसी का फोन आया और वह ड्यूटी पर जाने की बात कहकर निकल पड़ा. पुलिस की साइबर टीम ने पाटले को आये मोबाइल कॉल के आधार पर मृतक कंचराम पाटले की चुड़ियाही पत्नी संतोषी पाटले और उसके जीजा नरेंद्र टंडन को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की. खुलासा हुआ कि कंचराम पाटले ने अपनी पहली पत्नी की मौत के बाद संतोषी पाटले से चूडियाही विवाह कर लिया था. मगर संतोषी का अपने जीजा नरेंद्र टंडन से पूर्व में ही अवैध संबंध था जिसकी जानकारी कंचराम पाटले को हो गयी थी जिसके पश्चात घर में विवाद की स्थिति रहने लगी थी. प्रदीप जी स्वभाव और हाथ से निकलने से चिंतित संतोषी ने अपने जीजा से मिलकर एक षड्यंत्र बुना.

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कंचराम पाटले और संतोषी के दो बच्चे हुए, वहीँ उसकी पहली पत्नी से एक पुत्री हुई थी जिसकी उम्र 24 वर्ष है, उसकी मिर्गी की बीमारी को लेकर कंचराम पाटले परेशान रहा करता था. वन विभाग में नौकरी करने वाले कंचराम पाटले के पास काफी संपत्ति थी, जिस पर उसके साढ़ू नरेंद्र टंडन की नजर गड़ गई. उसने संतोषी को लालच दिलाया की अगर कंचराम पाटले को रस्ते से हटा दिया जाये तो संतोषी को पेंसन के साथ नौकरी भी मिल जाएगी.

यह बात संतोषी को जच गई और वह अपने ही पति को रास्ते से हटाने के लिए षड्यंत्र बुनती चली गई.
पुलिस ने इस वारदात में लिप्त देह व्यापर से जुडी एक महिला पूर्णिमा साहू को सुपारी किलर का नाम दिया है, जिससे नरेंद्र टंडन के मित्र राजेश जांगड़े उर्फ़ राजू ने संपर्क किया. इसके बाद हत्या का षड्यंत्र रचा गया.महीने भर बाद पूरी कहानी तैयार करके कंचराम पाटले को संतोषी ने कटघोरा आकर फोन किया और कहा कि वह उसकी बेटी के मिर्गी के इलाज के लिए एक वैद्य लेकर आयी है. कंचराम पाटले उसके झांसे में आ गया , और उसके बताये गए जगह पर पहुँच गया. यहाँ योजना के मुताबिक कंचराम पाटले को एक कार में बिठाया गया और उसे पानी में सुहागा घोल कर पिला दिया गयाऔर उसके नाक मुंह को दबा दिया गया. बेहोश होते ही उसे सड़क के किनारे फेंक दिया गया. यहाँ उसके ऊपर टंगिये से हमला किया गया. परिणाम स्वरूप कंचराम की मौत हो गयी.

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झाड़-फूंक कर खात्मे का भरोसा!

हत्या की इस वारदात के मास्टर माइंड नरेंद्र टंडन द्वारा दो लाख पच्चास हजार रूपये में सुपारी किलर पूर्णिमा साहू से सौदा कर हत्या की योजना बनाई गई.

इसके लिए उन्होंने कोरबी बलौदा निवासी राजेश जांगड़े उर्फ राजू 42 वर्ष के जरिए सरकंडा निवासी देहव्यापार में लिप्त पूर्णिमा से संपर्क किया उसने कंचराम के संबंध में पूरी जानकारी लेकर उसे झाड़फूक के जरिए मरवाने का विश्वास दिलाया. अपने प्रेमी कमल कुमार धुरी सरकंडा, ऋषि कुमार उर्फ गुड्‌डू सरकंडा और देह व्यापार में सहयोगी रामकुमार श्रीवास कोनी को योजना में शामिल कर लिया. घटना दिवस की शाम महिला अपने तीनों साथी के साथ कार में बिलासपुर से कटघोरा पहुंची. बाइक में नरेंद्र टंडन और राजेश जांगड़े भी वहां पहुंचे थे. और वारदात को अंजाम दिया.

इस मामले में पुलिस ने मृतक की पत्नी संतोषी पाटले, राजेश कुमार उर्फ़ राजू,कमल कुमार धुरी, ऋषि कुमार उर्फ गुड्डू और रामकुमार श्रीवास को गिरफ्तार करके हत्या के आरोप में जेल भेज दिया है.

Crime Story: आवारा प्रेमी ने तेजाब से खेला खूनी खेल

शिल्पी के आते ही राबिया अम्मी को सलाम कर उस की साइकिल पर पीछे बैठ कर स्कूल के लिए चल पड़ी थी. यह 5 सितंबर, 2016 की बात है. राबिया और शिल्पी उत्तर प्रदेश के जिला देवरिया की खामपार के बहरोवां गांव की रहने वाली थीं. दोनों खामपार के बखरी चौराहा स्थित सर्वोदय इंटर कालेज में 11वीं में पढ़ती थीं. दोनों घर से कुछ दूर गई थीं कि एक मोटरसाइकिल उन का पीछा करने लगी. मोटरसाइकिल पर 3 लोग सवार थे. मोटरसाइकिल चलाने वाला हेलमेट लगाए था तो उस के पीछे बैठे लोग मुंह पर गमछा बांधे थे. जैसे ही दोनों लड़कियां सुनसान जगह पर पहुंचीं, पीछे चल रही मोटरसाइकिल उन की बराबर में आई. राबिया तथा शिल्पी कुछ समझ पातीं, मोटरसाइकिल पर सवार लोगों में पीछे बैठे आदमी ने राबिया को निशाना बना कर तेजाब फेंक दिया और तेज गति से मोटरसाइकिल चला कर वहां से फरार हो गए.

तेजाब पड़ते ही राबिया जलन से बुरी तरह बिलबिला उठी. उस का चेहरा, गरदन और पीठ बुरी तरह झुलस गई थी. तेजाब के कुछ छींटे शिल्पी के बाएं हाथ और जांघ पर पड़े थे. तेजाब की जलन से साइकिल का बैलेंस बिगड़ गया था, इसलिए दोनों साइकिल सहित गिर गईं. दोनों तेजाब की जलन से चीखनेचिल्लाने लगीं तो उधर से गुजर रहे लोग उन के पास जमा हो गए.

राबिया तो बेहोश हो गई थी. शिल्पी ने जब बताया कि मोटरसाइकिल पर सवार लोग उन पर तेजाब फेंक कर भाग गए हैं तो लोग राबिया को बांहों में उठा कर चौराहे पर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए. राबिया बुरी तरह झुलसी हुई थी, इसलिए वहां के डाक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे जिला अस्पताल भिजवाने के साथ घटना की सूचना थाना खामपार पुलिस को दे दी.

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सूचना मिलते ही थानाप्रभारी इंसपेक्टर राजेंद्र प्रताप सिंह पुलिस बल के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंच गए. मामला गंभीर था, इसलिए उन्होंने इस घटना की सूचना एसपी मोहम्मद इमरान को भी दे दी थी. इस के बाद एसपी इमरान भी एसडीएम भाट पाररानी भी पहुंच गए थे. राबिया बयान देने लायक नहीं थी, इसलिए शिल्पी से पूछताछ कर पुलिस ने राबिया और शिल्पी के घर वालों को सूचना भी दे दी थी. सूचना मिलते ही दोनों के घर वाले रोतेबिलखते प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंच गए थे.

कुछ देर बाद जब राबिया थोड़ा सामान्य हुई तो उस ने पुलिस अधिकारियों और एसडीएम भाट पाररानी को जो बताया, वह चौंकाने वाला था. राबिया के बताए अनुसार, पिछले एक महीने से उस के मोबाइल पर किसी अंजान आदमी का लगातार फोन आ रहा था, जो उसे जान से मारने की धमकी दे रहा था. परेशान हो कर घर वालों ने नंबर बदल दिए, फिर भी न जाने कहां से उसे उस का नया नंबर मिल गया और वह उसे पहले से ज्यादा धमकाने और परेशान करने लगे.

राबिया के अब्बा मोहम्मद आलम अंसारी और भाई विदेश में थे. यहां घर में राबिया और उस की अम्मी ही थीं, इसलिए मिलने वाली धमकियों से दोनों बुरी तरह डर गई थीं. राबिया ने फोन कर के यह बात अब्बा को बताई तो उन्होंने पुलिस से शिकायत करने की सलाह दी. लेकिन उस की अम्मी पुलिस के पास जाने से डर रही थीं.

राबिया के बयान से पुलिस को लगा कि इस घटना में कोई अपना शामिल है, जिस की उस के घर में अंदर तक पैठ थी. पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर के मामले की जांच एसडीएम भाट पाररानी को सौंप दी, क्योंकि इस तरह के मामलों की जांच एसडीएम स्तर के अधिकारी करते हैं. घटना की मौनिटरिंग आईजी (जोन) मोहित अग्रवाल कर रहे थे.

पुलिस ने राबिया के दोनों मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवा कर जांच की तो उस में एक नंबर ऐसा मिला, जो दोनों नंबरों की काल डिटेल्स में था. पुलिस को उसी नंबर पर शक हुआ. पुलिस ने उस नंबर के बारे में पता किया तो वह नंबर देवरिया के पूरब लार के रहने वाले इदरीस के बेटे आजाद उर्फ डब्लू का निकला.

पुलिस ने जब राबिया की मां से आजाद के बारे में पूछा तो उस का नाम सुन कर वह हैरानी से पुलिस का मुंह ताकती रह गईं. क्योंकि वह उस का दूर का रिश्तेदार था, जिस की वजह से वह उस के घर भी आताजाता था.

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पुलिस के लिए इतनी जानकारी काफी थी. पूछताछ के लिए उसे थाने लाया गया. थाने आते ही वह इतना घबरा गया कि खुद ही अपना अपराध स्वीकार कर के शुरू से ले कर अंत तक पूरी कहानी सुना दी. उसी ने अपने साथियों के साथ राबिया पर तेजाब फेंका था. इस की वजह यह थी कि वही नहीं, उस के दोनों साथी भी राबिया से प्रेम करते थे. लेकिन राबिया ने उन्हें भाव नहीं दिया तो उन्होंने बदला लेने के लिए उस की दुर्गति कर दी थी.

आजाद की निशानदेही पर पुलिस ने उस के दोनों साथियों रति तिवारी और आनंद कुशवाहा को भी उन के घरों से गिरफ्तार कर लिया. आजाद को पुलिस हिरासत में देख कर रति तिवारी और आनंद कुशवाहा ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

इस के बाद एसपी मोहम्मद इमरान की उपस्थिति में पुलिस लाइन के सभागार में पत्रकारवार्ता के दौरान तीनों गिरफ्तार आरोपियों आजाद उर्फ डब्लू, रति तिवारी और अरविंद कुशवाहा ने राबिया के ऊपर तेजाब फेंकने की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी—

22 साल का आजाद उर्फ डब्लू देवरिया जिले की लार के पूरब लार मोहल्ले का रहने वाला था. उस के पिता इदरीस सरकारी नौकरी में थे. नौकरी की वजह से वह परिवार को ज्यादा समय नहीं दे पाए, जिस की वजह से आजाद इंटरमीडिएट से आगे नहीं पढ़ सका. पढ़ाई छोड़ कर वह आवारागर्दी करने लगा था.

रति तिवारी और अरविंद कुशवाहा उस के पक्के दोस्त थे. ये दोनों भी उसी की तरह आवारागर्दी करते थे. रति तिवारी के परिवार की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी थी. उस के पास मोटरसाइकिल थी. उसी से तीनों दिन भर बरखी चौराहे पर घूमते रहते थे और आतीजाती लड़कियों पर फब्तियां कसते रहते थे.

रिश्तेदार होने की वजह से आजाद राबिया के घर आताजाता रहता था. राबिया काफी खूबसूरत थी. घर आनेजाने में आजाद राबिया की सुंदरता पर मर मिटा. उस ने अपने दिल की बात दोनों दोस्तों को बताई तो उन का दिल भी राबिया को देखने के लिए मचल उठा. उन्होंने आजाद से राबिया से मिलवाने को कहा तो एक दिन वह दोनों को ले कर राबिया के घर पहुंच गया. घर पर राबिया और उस की अम्मी ही थीं. उस के अब्बा और भाई विदेश में रहते थे.

जब रति और अरविंद ने भी राबिया को देखा तो उन का भी दिल उस पर आ गया. वे आजाद के साथ लौट तो आए लेकिन दिल का चैन वहीं छोड़ आए. इस तरह राबिया के दीवानों की लिस्ट में 2 नाम और शामिल हो गए थे. आजाद दिल की बात राबिया से कहना चाहता, लेकिन उसे मौका नहीं मिल रहा था. संयोग से एक दिन दोपहर को राबिया के घर पहुंचा तो वह घर में अकेली थी. उस की अम्मी पड़ोस में गई थीं.

राबिया ने आजाद के लिए चाय बनाई और नमकीन के साथ सैंट्रल टेबल पर रख कर उस से बातें करने के लिए बगल वाले सोफे पर बैठ गई. इस मौके का फायदा उठाते हुए आजाद ने उस का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘राबिया, मैं तुम से प्यार करता हूं.’’

‘‘अरे, यह क्या, यह गलतफहमी तुम ने कब से पाल ली  छोड़ो मेरा हाथ, आज के बाद इस तरह की हरकत फिर कभी की तो ठीक नहीं होगा.’’

‘‘प्लीज राबिया, ऐसा मत कहो. मैं तुम्हारे बिना जी नहीं पाऊंगा. कसम से मैं तुम से बेपनाह मोहब्बत करता हूं.’’ आजाद ने गिड़गिड़ाते हुए कहा.

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‘‘बस आजाद, अब कुछ मत कहना. अगर इस तरह की बातें किसी ने सुन लीं तो मैं बदनाम हो जाऊंगी. मैं नहीं चाहती कि मेरे घर वालों की बदनामी हो. मैं प्यारव्यार में जरा भी यकीन नहीं करती. इसलिए इस तरह की बात तुम दिमाग से निकाल दो. और तुरंत यहां से चले जाओ वरना मैं तुम्हें धक्के दे कर निकाल दूंगी.’’ राबिया ने तैश में आ कर कहा.

राबिया की खरीखोटी सुन कर आजाद हारे हुए जुआरी की तरह उस के घर से निकला. उसे राबिया के जवाब से गहरा आघात लगा था. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि राबिया उसे इस तरह का जवाब देगी. इसलिए उसे उस पर काफी गुस्सा आ रहा था. उस ने यह बात अपने दोस्तों रति और अरविंद को बताई तो ऊपर से तो दोनों ने दुख व्यक्त किया लेकिन मन ही मन दोनों बहुत खुश हुए.

इस की वजह यह थी कि राबिया आजाद से प्यार नहीं करती थी तो उन का दांव लग सकता था. लेकिन राबिया ने उन दोनों को भी उन की औकात बता दी थी. राबिया की बातों से उन के भी सिर से इश्क का भूत उतर गया था.

राबिया द्वारा किए अपमान से तिलमिलाए तीनों जख्मी शेर बन गए. अपमान की आग में जल रहे तीनों ने बातचीत कर के राबिया से बदला लेने का निर्णय लिया. उन्होंने उसे फोन पर धमकाने की योजना बनाई, ताकि डर कर वह हथियार डाल दे. आजाद राबिया के घर के कोनेकोने से वाकिफ था. घर में सिर्फ मांबेटी ही रहती थीं. इसी का फायदा उठा कर उसे लगा कि वह धमकी भरे फोन करेगा तो मांबेटी डर कर मदद के लिए उसी को बुलाएंगी. उस के बाद धीरेधीरे वह उस के करीब आ जाएगी.

योजना के अनुसार, आजाद ने राबिया के घर वाले मोबाइल पर फोन कर के उसे जान से मारने की धमकी दी. इस धमकी से मांबेटी डर तो गईं लेकिन उन्हें लगा कि कोई सिरफिरा सिर्फ फोन कर के डरा रहा है. इसलिए उन्होंने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. लेकिन जब उस ने दोबारा फोन कर के धमकी दी तो मांबेटी परेशान हो गईं.

आजाद बारबार फोन कर के धमकाने लगा तो राबिया की मां ने यह बात अपने पति मोहम्मद आलम अंसारी को फोन कर के बताई. उन्होंने पुलिस के पास जा कर शिकायत करने की सलाह दी, लेकिन राबिया की मां पुलिस के पास यह सोच कर नहीं गई कि इस से उन्हीं की बदनामी होगी. इस के अलावा राबिया पढ़ने जाती थी, कहीं उन बदमाशों ने कोई ऊंचनीच कर दी तो वे कहीं की नहीं रहेंगी. इसलिए पुलिस से शिकायत करने के बजाए उन्होंने फोन नंबर ही बदल दिए.

आजाद और उस के दोस्तों ने जो सोच कर यह खेल खेला था, वह पूरा नहीं हुआ. आजाद को राबिया का नया नंबर भी मिल गया, उस नंबर पर भी वह धमकियां देने लगा था. राबिया और उस की मां ने यह बात अपने तक ही सीमित रखी. मदद के लिए उन्होंने किसी को नहीं बुलाया.

बात बनती न देख आजाद और उस के दोस्तों ने दूसरे तरीके से राबिया से बदला लेने की योजना बनाई. इस बार की योजना पहले से काफी खतरनाक थी. तीनों ने राबिया पर तेजाब डाल कर उस की जिंदगी बरबाद करने की योजना बनाई. योजना बनाने के बाद आजाद ने बखरी चौक कस्बे से एक परिचित की दुकान से तेजाब की 1 लीटर की बोतल यह कह कर खरीदी कि उसे घर का शौचालय साफ करना है. दुकानदार परिचित था, इसलिए विश्वास कर के उस ने तेजाब दे दिया. तेजाब की व्यवस्था हो गई तो तीनों राबिया की दैनिक गतिविधियों पर नजर रखने लगे.

सारी जानकारी जुटा कर 5 दिसंबर, 2016 की सुबह जब राबिया शिल्पी के साथ उस की साइकिल से स्कूल जा रही थी तो तीनों ने मोटरसाइकिल से पीछा कर राबिया पर तेजाब फेंक दिया.

पूछताछ के बाद पुलिस ने आजाद, रति तिवारी और अरविंद को अदालत में पेश किया, जहां से सबूत जुटाने के लिए तीनों को पुलिस रिमांड पर लिया गया. रिमांड के दौरान पुलिस ने रति के घर से उस की मोटरसाइकिल तथा तेजाब की बोतल बरामद कर ली थी. रिमांड खत्म होने पर तीनों को दोबारा अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.

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बेहतर इलाज से राबिया अब स्वस्थ हो चुकी है, लेकिन राबिया और शिल्पी काफी डरी हुई हैं. दोनों चाहती हैं कि इन आशिकों को ऐसी सजा मिले कि दोबारा कोई आशिक किसी लड़की के साथ ऐसी घिनौनी हरकत करने की हिम्मत न कर सके.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime: प्राइवेट पार्ट, एक गंभीर सवाल

एक गंभीर सवाल कि क्या ऐसे आदमी, आदमी क्या बल्कि हैवान कहना ही ज्यादा सटीक होगा, की कोई इज्जत हो सकती है और वह माफी का हकदार होना चाहिए, जिस ने शक की आग में जलते हुए बेरहमी से अपनी बीवी के प्राइवेट पार्ट को सूईधागे से सिल कर दिल दहला देने वाला काम कर दिया हो?

तय है कि हर किसी का जवाब यही होगा कि नहीं. न तो ऐसे आदमी की कोई इज्जत हो सकती है और न ही उसे किसी भी कीमत पर बख्शा जाना चाहिए. उसे तो कड़ी से कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए, जिस से दूसरे शक्की शौहर सबक लें और बीवियों व उन के प्राइवेट पार्ट पर कहर ढाने से पहले कानून का खौफ खाते हुए हजार बार सोचें.

इस वारदात में वारदात से ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि खुद बीवी पुलिस से गुहार लगाती नजर आई कि साहब, मेरे शौहर को कड़ी सजा मत देना, मामूली डांट लगा कर छोड़ देना. और तो और उस का नाम भी उजागर मत करना, नहीं तो हमारी बदनामी होगी.

बेवकूफी की बात यह कि पुलिस वालों ने उस की बात मान भी ली और अभी तक मुजरिम का नाम उजागर नहीं किया. इस से पुलिस वाले तो कठघरे में हैं ही, लेकिन पीडि़ता भी कम जिम्मेदार नहीं है. वह उन औरतों में से है, जो लातघूंसे खा कर और पति की हैवानियत ?ोल ली है.

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सितम सिंगरौली का

मध्य प्रदेश के सिंगरौली की निशा बाई (बदला नाम) ने 28 अगस्त, 2021 को ससुराल में रह रही अपनी बेटी को आपबीती बताई, तो वह भागीभागी मायके आई और मां को सीधे पुलिस स्टेशन ले गई, जहां निशा बाई की बात सुन और हालत देख कर पुलिस वाले भी सकते में आ गए.

निशा बाई के मुताबिक, उस के शौहर को शक था कि उस के गांव के ही एक आदमी से नाजायज ताल्लुक हैं. इस बात पर आएदिन दोनों में ?ागड़ा हुआ करता था और शौहर उस की जम कर कुटाई करता था.

तकरीबन एक हफ्ता पहले भी ऐसा ही हुआ और पति ने गुस्से में आ कर उस का प्राइवेट पार्ट सूईधागे से सिल दिया था.

निशा बाई दर्द से कराहती और चिल्लाती रही, लेकिन उस राक्षस को रहम नहीं आया. पुख्ता सिलाई के लिए उस ने तांबे के तार का इस्तेमाल किया. चूंकि पति नीमहकीमी भी करता था, इसलिए उस ने दर्द की दवा भी उसे खिला दी.

इस के बाद भी निशा बाई 7 दिनों तक दर्द से छटपटाती रही, लेकिन शौहर के गुस्से का खौफ ऐसा था कि वह घर में पड़ीपड़ी अपनी किस्मत को कोसती रही, पर 8वें दिन जब दर्द बरदाश्त से बाहर हो गया तब कहीं जा कर उस ने बेटी को खबर दी.

पुलिसिया पूछताछ में हैरानी वाली बात यह भी उजागर हुई कि 52 साल की निशा बाई की शादी को तकरीबन  35 साल हो चुके हैं. उस के शौहर की उम्र 57 साल है.

यह जान कर तो लोगों के दिमाग का फ्यूज ही उड़ गया कि पति ने 3 साल में चौथी बार उस का प्राइवेट पार्ट सिला था. लोकलाज के डर से वह खामोशी से जुल्मोसितम सहती जा रही थी और इस बार भी पति के लिए माफी चाहती है, तो उस से हमदर्दी के साथसाथ उस की अक्ल पर तरस भी आता है कि अपने ऊपर हुए अत्याचारों के लिए वह भी कम जिम्मेदार नहीं है.

निशा बाई के बेटेबहुएं और बेटियां भी चाहते हैं कि पिता को कम से कम सजा हो यानी औरत पर अत्याचार के मामले में पूरे परिवार की राय एकसमान है, जो शह देने वाली ही मानी जाएगी.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद निशा को अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उस के प्राइवेट पार्ट के टांके काटते हुए उस का इलाज किया.

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रामपुर की रमा

इस तरह की दरिंदगी का एक और मामला 21 मार्च, 2021 को उत्तर प्रदेश के रामपुर से सामने आया था. जवान रमा (बदला नाम) की शादी 2 साल पहले ही हुई थी.

शादी के बाद से पति रमा पर वही शक करता रहा था, जो निशा पर उस के शौहर ने किया था कि उस के किसी गैरमर्द से नाजायज संबंध हैं. दोनों में रोज कलह इस बात को ले कर होती थी और रोज ही रमा की पिटाई उस का शौहर करता था.

वारदात के दिन तो हद हो गई, जब पति ने रमा की पिटाई के बाद उस का प्राइवेट पार्ट तांबे के तार से सिल दिया और उस में एक कील भी फंसा दी.

मिलक थाना इलाके के ठिरिया विष्णु गांव की रमा थाने पहुंची और पति के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई.

जब रमा को इलाज के लिए अस्पताल मे भरती किया गया, तो पता चला कि वह पेट से है. इस पर लोगों का गुस्सा और बढ़ गया. जिस ने भी सुना, उस ने वहशी पति के लिए कड़ी से कड़ी सजा की मांग की. खुद रमा भी बिफरी हुई थी और पति के लिए सख्त सजा की मांग करती नजर आई.

निशा बाई की तरह उस ने हैवान पति के लिए कोई रहम दिखाने की बात नहीं कही, बल्कि उस का हुक्कापानी भी बंद करने की ख्वाहिश जताई जिस से पति को सम?ा आए कि ऐसे दरिंदों को तो समाज में रहने का हक ही नहीं है.

इस ने तो ताला जड़ा

इन दोनों मामलों ने बरबस ही  10 साल पहले के एक और नृशंस मामले की याद दिला दी, जिस में एक और शौहर ने बीवी रोमा के प्राइवेट पार्ट पर ताला लगा कर रखा था. इंदौर के मुसाखेड़ी में जो हुआ था, उसे सुन कर रोंगटे आज भी खड़े हो जाते हैं.

एक आटो गैराज में काम करने वाला पति सोहनलाल सुबह जब गैराज जाता था, तो पत्नी के प्राइवेट पार्ट पर ताला लगा कर जाता था. ताकि उस की गैरमौजूदगी में बीवी किसी से सैक्स न कर ले. यह सिलसिला 2 साल चला. सिंगरौली और रामपुर के शौहरों ने तार कसा था, लेकिन सोहनलाल ने तो तार डाल कर ताला लगाया था, जिस की चाबी वह अपने साथ ले जाता था.

परेशान हो कर मरती क्या न करती की तर्ज पर रोमा ने एक दिन जहर खा लिया. थोड़ी देर में उसे बेहोश होते देख उस के पांचों बच्चों ने शोर मचा दिया तो पड़ोसी आए.

रोमा की हालत देख कर पड़ोसियों की रूह कांप उठी और तुरंत ही उसे अस्पताल ले जाया गया. पुलिस को भी खबर दी गई. होश में आने के बाद रोमा ने अपनी कहानी सुनाई तो सोहनलाल को गिरफ्तार कर लिया गया.

बीवियां भी ढा रही कहर

8 अगस्त, 2021 को बिहार के पटना के फुलवारीशरीफ में पत्नी वैशाली (बदला नाम) का विवाद आएदिन शौहर से होता रहता था. ये दोनों अलाव कालोनी में रहते हैं.

घटना की रात दोनों साथ सोए थे, लेकिन पति जल्द ही गहरी नींद में चला गया था, क्योंकि वैशाली ने उस के खाने में कुछ मिला दिया था. उस की असल मंशा शौहर का प्राइवेट पार्ट काट कर उसे सबक सिखाने की थी, जो उस ने सिखाया भी और सो रहे पति का अंग चाकू से काट डाला.

दर्द से छटपटाते शौहर की नींद खुली, तो माजरा सम?ा कर उस के होश उड़ गए, क्योंकि हाथ में चाकू लिए वैशाली नागिन सी फुफकार रही थी और इधर उस की लुंगी खून से सनी जा रही थी.

घबराया शौहर दौड़ता हुआ फुलवारीशरीफ थाने पहुंचा और सारा किस्सा बताया. तब तक उस के अंग से काफी खून बह चुका था. पुलिस ने तुरंत ही उसे नजदीकी अस्पताल में इलाज के लिए भेजा और वैशाली को गिरफ्तार कर लिया.

पहले अंग काटा, फिर मार डाला

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के शिकारपुर में 25 जून, 2021 को हाजरा नाम की बीवी ने तो क्रूरता के मामले में मर्दों को भी पछाड़ दिया. उस ने पेशे से वकील अपने शौहर रफीक अहमद का अंग बेरहमी दिखाते हुए चाकू से काट डाला और इस पर भी जी नहीं भरा  तो घायल शौहर को पीटपीट कर मार  ही डाला.

गिरफ्तार होने के बाद हाजरा ने बताया कि रफीक रंगीनमिजाज आदमी था, जिस से वह परेशान रहती थी. बकौल हाजरा, रफीक 2 शादियां कर चुका था और अब तीसरी शादी करने जा रहा था. इस बात से वह दुखी थी. सम?ाने पर रफीक उसे मारतापीटता था, इसलिए गुस्से में उस ने फसाद की जड़ ही खत्म कर दी.

निशाने पर प्राइवेट पार्ट ही क्यों

इन पांचों मामलों में निशाने पर प्राइवेट पार्ट रहा. चूंकि औरत का अंग शरीर के अंदर होता है, इसलिए उसे काटा नहीं जा सकता, तो शौहरों ने उसे सिल दिया या फिर ताला लगा दिया. इस के उलट बीवियों ने आसानी से शौहरों को प्राइवेट पार्ट गाजरमूली की तरह काट डाला, क्योंकि वह बाहर होता है. रोज सब्जीभाजी काटने वाली बीवियों को काटने की खासी प्रैक्टिस थी, इसलिए उन्हें यह रास्ता आसान लगा.

शक हो या गुस्सा ये दोनों ही शादीशुदा जिंदगी को नरक बना देते हैं. शौहर बीवी को अपनी जायदाद सम?ाता है, इसलिए वह शक ज्यादा करता है और बीवी उस की गैरमौजूदगी में किसी और से सैक्स न कर ले, इसलिए उस के प्राइवेट पार्ट को सिलता है और उस पर ताला भी लगाता है, लेकिन यह न केवल जुर्म है, बल्कि वहशीपन और दरिंदगी की हद है.

यही बात बीवियों पर लागू होती है, जो शौहर को सबक सिखाने के लिए उसे नामर्द बनाने की हद तक बेरहम  हो जाती हैं. मकसद उन का भी यही रहता है कि शौहर किसी दूसरी औरत से हमबिस्तरी करने लायक ही न रहे यानी शक्की शौहर और गुस्सैल बीवी प्यार करते हैं, तो केवल प्राइवेट पार्ट से और बदला लेने या सबक सिखाने के लिए उसी को निशाना बनाने लगे हैं, जबकि थोड़ी अक्ल और सब्र से काम लिया जाए तो वे जुर्म से खुद को बचा सकते हैं.

आमतौर पर शक तो फुजूल ही निकलता है, जो बीवी के चालचलन में नहीं, बल्कि शौहर के दिमाग में होता है. कई बार तो यह बचपन से ही दिमाग में पल रहा होता है कि औरत होती ही  चालू है.

कहते हैं कि शक का इलाज तो लुकमान हकीम के पास भी नहीं था, फिर आजकल के शौहरों की औकात क्या, जो शक के चलते बीवी का कत्ल तक आसानी से कर देते हैं.

लेकिन इलाज है. शौहर को शक हो, तो उसे बीवी को छोड़ देना चाहिए. उसे मारनेपीटने से समस्या हल नहीं होती.  उस के किसी से संबंध हैं, यह बात साबित होने पर ही सजा देनी चाहिए, लेकिन खुद हिंसक और हैवान जज बन कर नहीं, बल्कि अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए. वहां थोड़ी देर जरूर लगती है, लेकिन शौहर एक गुनाह करने से बच जाता है.

वैसे भी औरत के प्राइवेट पार्ट को सिलना तालिबानियों जैसी क्रूरता है, फिर उन में और इन में में फर्क क्या. यही बात बीवियों की क्रूरता पर भी लागू होती है.

Manohar Kahaniya: सेक्स चेंज की जिद में परिवार हुआ स्वाहा- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

लेखक- शाहनवाज

अलग तरह की होती थी फीलिंग

कार्तिक उस के सब से अच्छे दोस्तों में से एक बन गया था. उसे उस के साथ वक्त गुजारना अच्छा लगने लगा. दोनों मिल कर क्लास के बाद दिल्ली के अलगअलग जगहों पर घूमने निकल जाते, अच्छे होटल में खाना खाते. कभी स्टारबक्स, कभी मैकडोनल्डस, कभी केएफसी, कभी बर्गर किंग तरह तरह की जगहों पर अकसर वक्त गुजारते.

वह जब कभी भी कार्तिक के साथ मिलता तो उस के शरीर में एक अलग तरह की सिहरन दौड़ जाती थी. उस का चेहरा और उस की बातें, उस की आंखों और दिल को सुकून देती थीं. कार्तिक के लिए उस के मन में एक अजीब तरह की फीलिंग महसूस होने लगी थी.

अभिषेक मन में कार्तिक को छूने की, उस के करीब रहने की बातें घूमती रहती थीं. वह भी उसे एक अच्छा दोस्त समझता था. लेकिन उसे यह नहीं पता था कि जो फीलिंग्स वह कार्तिक के लिए अपने मन में रखता है, क्या वह भी उसे उसी तरह से देखता है या नहीं.

2 सालों तक वह दिल्ली में कार्तिक के साथ इसी तरह से मिला करता था. लेकिन एक दिन अभिषेक ने कार्तिक को अपने घर पर आने का न्यौता दिया. वह उस के घर पर आया. उस के पूरे परिवार से मिला. उस के घर पर सभी को पता था कि वे दोनों बेहद अच्छे दोस्त हैं.

ऐसे ही एक दिन जब कार्तिक उस के घर पर आया तो वह दोनों लैपटोप पर फिल्म देख रहे थे. वह अभिषेक से चिपक कर बैठा था. उस का ध्यान फिल्म पर बिलकुल भी नहीं था. न जाने उसी वक्त उसे क्या हुआ कि उस ने कार्तिक को उस की गरदन पर चूम लिया.

खुद को लड़की मानता था अभिषेक

अभिषेक की इस हरकत का कार्तिक ने बुरा नहीं माना बल्कि उस ने उस का हाथ पकड़ लिया और उस ने भी अभिषेक की गरदन पर चूम लिया.

इस अहसास को अभिषेक ने इस से पहले कभी महसूस नहीं किया था. कुछ इस तरह से उस के और कार्तिक के बीच संबंध बनने शुरू हुए. जिस के बाद वे दोनों अकसर होटल में मिलते और अपनी जरूरतों को पूरा करते.

3 साल का उन का कैबिन क्रू का कोर्स खत्म हुआ तो अभिषेक अपने घर आ गया. तब उस का दिल्ली जा पाना और कार्तिक से मिलना मुश्किल हो गया. तब वह कार्तिक को मिलने के लिए अकसर रोहतक में बुला लिया करता था.

पहले के मुकाबले उन की मुलाकात अब ज्यादा दिनों में होती. बढ़ते गैप के साथसाथ उन दोनों के मन में एकदूसरे के लिए फीलिंग्स और भी ज्यादा बढ़ने लगीं. कार्तिक के बिना उस के लिए एक पल भी गुजारना मुश्किल होने लगा था. अगर वह नहीं मिल पाते तो घंटों फोन पर एकदूसरे से बातें करते.

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कार्तिक से मिलने के बाद अभिषेक ने खुद को अन्य लोगों से अलग महसूस किया. अकसर उस के मन में आता कि बेशक वह लड़का है, लेकिन अंदर से वह खुद को लड़की मानने लगा था.

घर में अकेले होता था तो वह अपनी बहन नेहा के कपड़े पहन कर और मेकअप कर के देखता कि कैसा दिखाई देता है. वह पूरी तरह से खूद को बदलाबदला सा महसूस करता. अभिषेक की अब हलके और चटक रंग के कपड़ों में दिलचस्पी बढ़ने लगी थी. उस की पसंद में पूरी तरह से बदलाव आ गया था.

ऐसे ही साल 2020 के अगस्त के महीने में अभिषेक ने यह तय कर लिया था कि वह खुद को अंदर से जैसा महसूस करता है, वैसा ही वह हकीकत में बनेगा. यानी वह लड़की बनना चाहता था. इस संबंध में उस ने इंटरनेट पर सर्च करना शुरू कर दिया. उसे पता चला कि औपरेशन के जरिए एक इंसान अपना लिंग बदल सकता है.

अभिषेक इस बारे में पूरी जानकारी हासिल करना चाहता था, इसीलिए वह घंटों इंटरनेट पर इसी के संबंध में सर्च करता रहता, पढ़ता रहता और वीडियोज देखता.

वह भारत में सैक्स चेंज का औपरेशन करने वाले क्लिनिक या हौस्पिटल के बारे में पता करने लगा. धीरेधीरे उस ने इस औपरेशन में आने वाला खर्चा, सारी सावधानियां, सभी ऐहतियात सब के बारे में पता कर लिया.

अब वह अपने जीवन में एक अहम पड़ाव पर आ कर फंस गया था, उसे एक ऐसा फैसला करना था जिस के बाद उस की पूरी जिंदगी बदल जाती. उस ने दिनरात इस के बारे में सोचा. उस ने इस की भनक कार्तिक को बिलकुल भी नहीं होने दी, क्योंकि वह उस के साथ रिश्ते में बंधने के लिए उसे सरप्राइज देना चाहता था.

अंत में उस ने फैसला कर ही लिया कि उसे क्या चाहिए. उस ने अपने लिए खुद को चुना, कार्तिक को चुना क्योंकि वही उस की खुशियां बनने वाला था. उस ने औपरेशन के लिए खुद को तैयार कर लिया, लेकिन उस के लिए उसे पैसों की जरुरत थी.

नए साल 2021 की शुरुआत में ही अभिषेक ने अपने पापा से 5 लाख रुपए मांगे. उसे लगा कि हर बार की तरह वह इस बार भी नहीं पूछेंगे कि उसे इतने पैसे किसलिए चाहिए. लेकिन इस बार इतनी बड़ी रकम मांगने पर उन्होंने उस से पूछ ही लिया कि उसे ये पैसे किसलिए चाहिए.

तब अभिषेक ने उन से झूठ बोला कि उसे किसी काम के लिए चाहिए तो उन्होंने साफ मना कर दिया. फिर अभिषेक ने पैसों के लिए अपनी मम्मी के पास जा कर एप्रोच किया. मम्मी उसे पैसों के लिए कभी भी मना नहीं करती थीं, लेकिन इतनी बड़ी रकम सुन कर उन्होंने भी मना कर दिया था.

बहन को बता दी मन की बात

वह पैसों का जुगाड़ नहीं कर पा रहा था. उसे इस औपरेशन के लिए जल्द से जल्द पैसे चाहिए थे. कार्तिक से दूरी वह अब बरदाश्त नहीं कर पा रहा था. हार मान कर उस ने यह बात अपनी बहन नेहा को बता दी कि उसे किसलिए पैसों की जरूरत है.

अभिषेक को लगा कि एक लड़की और मेरी बहन होने के नाते वह उस की फीलिंग्स की कदर करेगी और उस की बातों को समझेगी. लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हुआ.

जिस रात उस ने नेहा को पैसे मांगने का कारण बताया उस के अगले दिन नेहा ने उस की गैरमौजूदगी में पापा और मम्मी को ये बात बता दी कि अभिषेक पैसे किसलिए मांग रहा है.

उस दिन अभिषेक बाहर किसी काम से निकला था, लेकिन जब वह घर लौटा तो पापा और मम्मी का चेहरा देख कर उसे अंदाजा हो गया था कि नेहा ने इन्हें सब कुछ बता दिया है. पापा और मम्मी ने उसे अपने कमरे में बुलाया और उन्होंने उसे यह खयाल अपने दिमाग से निकाल देने की नसीहत दी.

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लेकिन अभिषेक नहीं माना. उस ने उन के सामने ही उन की बातों को मानने से इंकार कर दिया. गुस्से में मम्मी तो कमरे से निकल गईं, लेकिन पापा ने उस दिन उसे बहुत मारा. इस के साथ ही उन्होंने अपनी सारी प्रौपर्टी नेहा के नाम कर देने की धमकी भी दे डाली.

पापा ने कभी भी अभिषेक पर हाथ नहीं उठाया था लेकिन जब उन्होंने उस दिन उसे पीटा तो उस ने उसी दिन यह तय कर लिया था कि उसे अब किसी भी हालत में अपना सैक्स बदलना है.

उस दिन के बाद अभिषेक पर घर में हर काम के लिए बंदिशें लगने लगीं. उसे अपने कमरे के दरवाजे को अंदर से बंद करने के लिए मना कर दिया गया. कुछ दिनों के लिए उस का फोन छीन लिया गया. घर में इंटरनेट कनेक्शन भी कटवा दिया गया. इतना ही नहीं, उस ने सारे दोस्तों को घर पर आनेजाने के लिए मना कर दिया गया. उसे घर पर हर कोई अजीब नजरों से देखने लगा. यहां तक कि नानी को भी इसलिए बुलाया गया था ताकि वह उसे इस के लिए समझाए कि सैक्स चेंज कराना अच्छी बात नहीं है.

अभिषेक को उस के ही घर में ऐसी पैनी और शक भरे अंदाज में देखा जाता था जैसे उस ने यह सोच कर ही कोई बहुत बड़ा गुनाह कर लिया हो. उसे अपने ही घर में घुटन होने लगी थी.

अगले भाग में पढ़ें- पिता की पिस्तौल ही बनी कालदूत

Crime Story: पत्नी ने घूंघट नहीं निकाला तो बेटी को मार डाला

बात साल 2019 की है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर में हुए एक कार्यक्रम में लोगों से सवाल पूछा था कि समाज को किसी महिला को घूंघट में कैद करने का क्या अधिकार है? जब तक घूंघट नहीं हटेगा, महिलाएं कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगी.

नारी अधिकारों के लिए काम कर रहे एक संगठन के उस कार्यक्रम में अशोक गहलोत ने आगे कहा था कि कुछ ग्रामीण इलाकों में महिलाएं अब भी घूंघट करती हैं. महिलाओं को हिम्मत और हौसले के साथ आगे बढ़ना पड़ेगा. सरकार आप के साथ खड़ी मिलेगी.

पर राजस्थान के अलवर जिले के गादोज गांव में दकियानूसी सोच वाले एक आदमी को शायद मुख्यमंत्री की ऐसी बातें पसंद नहीं थीं, तभी तो उस ने पत्नी के घूंघट नहीं निकालने की बात पर ?ागड़ा किया और अपनी 3 साल की मासूम बेटी को पीटने लगा.

मां उसे बचाने लगी तो उस दरिंदे ने मासूम बेटी को जमीन पर पटक कर उस की हत्या कर डाली.

इतना ही नहीं, आरोपी और उस के परिवार वालों ने तड़के सुबह बिना किसी को खबर हुए बच्ची का अंतिम संस्कार भी कर डाला.

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यह घटना मंगलवार, 17 अगस्त, 2021 की रात की थी. अगले दिन मायके वालों के आने पर बच्ची की मां मोनिका यादव बहरोड़ थाने पहुंची और अपने पति प्रदीप यादव के खिलाफ मामला दर्ज कराया.

मोनिका ने रिपोर्ट में बताया कि उस का पति प्रदीप यादव घर के भीतर हमेशा घूंघट निकालने की कहता है और वह घूंघट भी करती है. मगर कभी जरा घूंघट कम हो तो ?ागड़ा और मारपीट करने लगता है.

मंगलवार की रात को भी घूंघट निकालने को ले कर प्रदीप ने मोनिका से ?ागड़ा शुरू कर दिया और बाद में अपनी 3 साल की बेटी प्रियांशी को थप्पड़

मार दिया.

मोनिका ने विरोध किया, तो उस की गोद से बच्ची को खींच कर कमरे में ले गया. वहां पीटने के बाद उसे उछाल कर कमरे के आंगन में फेंक दिया.

बच्ची ने फर्श पर गिरते ही दम तोड़ दिया. इस के बाद पति और ससुराल वालों ने बुधवार तड़के सुबह उस का अंतिम संस्कार कर दिया. आरोपी वारदात के बाद फरार हो गया.

पीडि़ता मोनिका ने पुलिस को आगे बताया कि साल 2013 में उस की शादी प्रदीप यादव के साथ हुई थी. वह एक फैक्टरी में काम करता है और 12वीं जमात तक पढ़ा है. शादी में मोनिका के परिवार ने जरूरी सामान के साथ ही एक मोटरसाइकिल भी दी थी, लेकिन प्रदीप दहेज की मांग को ले कर अकसर ही उस से ?ागड़ा करता था.

मोनिका और प्रदीप यादव की  2 बेटियां थीं. जब साल 2018 में छोटी बेटी प्रियांशी का जन्म हुआ था, तब मोनिका के मायके वालों ने घर में कलह खत्म करने के लिए प्रदीप को कार दी थी. इस के बावजूद वह नहीं सुधरा, तो रेवाड़ी में 2 बार मामले दर्ज कराए गए. हालांकि बाद में इन में सम?ाता हो गया था.

राजस्थान में यह कोई एकलौता मामला नहीं है, जब किसी महिला, चाहे वह छोटी बच्ची हो या बड़ी औरत, के साथ किसी तरह का जुल्म न हुआ हो.

साल 2020 के पहले 8 महीनों में प्रदेश में महिलाओं से मारपीट, शोषण, बलात्कार और महिला संबंधी दूसरे अपराधों के 22,000 से भी ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए थे. 339 दहेज हत्याएं भी हुई थीं, जो पिछले सालों की तुलना में कहीं ज्यादा थीं.

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दहेज के लिए परेशान करने पर खुदकुशी करने या खुदकुशी की कोशिश करने के 125 मुकदमे दर्ज हो चुके थे.

महिलाओं पर अत्याचार करने और उत्पीड़न के 8,500 मुकदमे दर्ज हुए थे. साल 2019 की तुलना में ये कम थे, लेकिन साल 2018 की तुलना में कहीं ज्यादा थे. बलात्कार के 3,500 और छेड़छाड़ और जबरदस्ती करने के 5,800 मुकदमे दर्ज हुए थे. अपहरण और दूसरी तरह के अपराधों की संख्या 3,800 से भी ज्यादा थी.

नैशनल क्राइम ब्यूरो रिपोर्ट के आंकड़ों का हवाला देते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेता राज्यवर्धन सिंह राठौर ने राज्य सरकार पर हमला करते हुए कहा कि आज महिलाओं के ऊपर अत्याचार के मामलों में राजस्थान देश में पहले नंबर पर पहुंच गया है.

अब दोबारा घूंघट पर बात करें, तो राजस्थान सरकार ने इस सामाजिक बुराई को रोकने के लिए ‘अबै घूंघट नी’ नाम की एक मुहिम चलाई थी, पर करणी सेना ने इस का विरोध कर दिया.

करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामड़ी ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए कहा, ‘घूंघट एक प्रथा है. हम महिलाओं से जबरदस्ती नहीं करवाते हैं. वे सिर्फ आंखों की शर्म के लिए घूंघट लगाती हैं. जेठ, ससुर जहां होते हैं, वहां पर महिलाएं घूंघट करती हैं. इस घूंघट और हमारी संस्कृति को देखने के लिए विदेशी पर्यटक दूरदूर से आते हैं.’

इतना ही नहीं, सुखदेव सिंह गोगामड़ी ने आगे कहा, ‘अशोक गहलोत को परदा हटाना है, तो पहले मुसलिम महिलाओं का बुरका हटाओ. घूंघट लगा कर आज तक एक भी वारदात नहीं  हुई है, जबकि बुरका पहन कर तो आतंकवादी गतिविधियां हुई हैं.’

घूंघट मामले पर राजपूत सभा के अध्यक्ष गिर्राज सिंह लोटवाडा का कहना है कि यह निजी सोच का मसला है. घूंघट को ले कर समाज में किसी तरह की अनिवार्यता नहीं है. सरकार अगर इसे ले कर अभियान चलाती है तो चलाए, लेकिन अभी ऐसे अभियानों से ज्यादा जरूरत दूसरे कई विषयों की है, जिन पर सरकार को ध्यान देना चाहिए, जिन में से बड़ी बात शिक्षा और रोजगार की है.

जब प्रदेश के रसूखदार लोगों की घूंघट पर ऐसी राय है, तो गांवदेहात के उन लोगों का क्या कहा जाए, जो औरत को पैर की जूती सम?ाते हैं.

प्रदीप यादव ऐसे ही लोगों की भीड़ का हिस्सा हैं, जो पत्नी को अपने इशारों पर चलाने को ही मर्दानगी सम?ाते हैं. उस की पत्नी ने गलती से परदा नहीं किया तो उस ने घर में बवाल मचा दिया. यहां तक कि अपनी बेटी को ही मार डाला.

उस की कहीं यह सोच तो नहीं थी कि बेटी ही तो है, मामला गरम है तो इसे ही बलि का बकरा बना दो. पहले पढ़ाईलिखाई और बाद में शादी का खर्च कम हो जाएगा. 2 में से एक बेटी कम हो जाएगी. राजस्थान में बेटी पैदा होना भी मर्दानगी पर धब्बा माना जाता है. क्यों?

Manohar Kahaniya: खोखले निकले मोहब्बत के वादे- भाग 4

सौजन्य- मनोहर कहानियां

गीता के परिजनों ने पुलिस को बताया था कि उस का पति मनोरंजन तिवारी उस के साथ लड़ाईझगड़ा करता था, इसलिए उन की बेटी डेढ़ साल से उस से अलग रह रही थी और खुद कमा कर अपना पेट पालती थी.

परिवार वालों ने यह भी बताया था कि मनोरंजन ने गीता को कई बार धमकी दी थी. गीता की हत्या के बाद जिस तरह मनोरंजन अपना घर व दुकान छोड़ कर भाग गया था, उस से साफ था कि गीता की हत्या में उसी का हाथ है.

लिहाजा पुलिस ने उस के फोन को सर्विलांस पर लगा दिया. लेकिन उस का फोन स्विच्ड औफ हो चुका था.

काफी मशक्कत के बाद पुलिस को मनोरंजन तिवारी के ओडिशा स्थित घर का पता मिल गया. पुलिस की एक टीम वहां पहुंची तो पता चला कि वह अपने घर भी नहीं पहुंचा था. तब निराश हो कर पुलिस टीम ओडिशा से वापस लौट आई.

इस के बाद पुलिस ने काफी दिनों तक तिवारी को इधरउधर तलाश किया, लेकिन वह कहीं नहीं मिला. आखिर पुलिस ने उस के खिलाफ अदालत से कुर्की वारंट हासिल कर उस के ओडिशा स्थित घर की कुर्की कर ली.

बाद में पुलिस ने अदालत में प्रार्थना पत्र दे कर उसे भगौड़ा घोषित कर दिया. पुलिस ने पहले उस की गिरफ्तारी पर 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया. बाद में 2 साल बाद ईनाम की धनराशि 50 हजार रुपए कर दी.

पुलिस दल ने 2-3 बार मनोरंजन की तलाश में ओडिशा में छापे मारे, लेकिन वह कभी भी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा. वक्त तेजी से गुजरता रहा.

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इंदिरापुरम थाने में एक के बाद एक कई थानाप्रभारी बदल गए. हर अधिकारी आने के बाद गीता हत्याकांड के फरार आरोपी

मनोरंजन की फाइल देखता, एक नई पुलिस टीम का गठन होता और फिर उस की फाइल धूल फांकने लगती. इसी तरह 9 साल बीत गए.

जुलाई 2021 में इंदिरापुरम सर्किल में सीओ अभय कुमार मिश्रा और इंदिरापुरम थानाप्रभारी के रूप में इंसपेक्टर संजय पांडे की नियुक्ति हुई. दोनों ही अधिकारियों को पुराने मामलों को सुलझाने में महारथ हासिल थी.

उन्होंने जब गीता हत्याकांड की फाइल देखी तो उन्होंने इस बार फाइल को अलमारी में रखने की जगह इस मामले को चुनौती के रूप में ले कर फरार मनोरंजन तिवारी को गिरफ्तार करने की रणनीति बनाई.

दरअसल, सीओ अभय कुमार मिश्रा के एक परिचित अधिकारी जगतसिंहपुर जिले में तैनात हैं, जहां का मनोरंजन तिवारी मूल निवासी है.

अभय मिश्रा को अपराधियों के मनोविज्ञान से इतना तो समझ में आ रहा था कि इतना लंबा वक्त बीत जाने के बाद हो न हो, मनोरंजन तिवारी को अपने परिवार के साथ जरूर कुछ संपर्क होगा.

भले ही वह उन के साथ नहीं रहता हो, मगर उन से संपर्क जरूर करता होगा. अगर थोड़ा सा प्रयास किया जाए तो वह पकड़ में जरूर आ सकता है. लिहाजा अभय कुमार मिश्रा ने ओडिशा के जगतसिंहपुर में तैनात अपने परिचित अधिकारी को गीता हत्याकांड की सारी जानकारी दे कर मनोरंजन को गिरफ्तार कराने में मदद मांगी.

संबधित अधिकारी ने स्थानीय स्तर पर अपनी पुलिस को मनोरंजन तिवारी के गांव अछिंदा में घर के आसपास सादे लिबास में तैनात कर दिया.

वहां तैनात पुलिस टीम को पता चला कि पास के गांव में एक मंदिर का पुरोहित, जिस का नाम मनोज है, वह अकसर मनोरंजन तिवारी के घर आताजाता रहता है. लेकिन चेहरे मोहरे व हुलिए से वह एकदम मनोरंजन तिवारी जैसा है. जगतसिंहपुर पुलिस ने जब यह बात इंदिरापुरम सीओ अभय कुमार मिश्रा को बताई तो वे समझ गए कि हो न हो मनोरंजन तिवारी अपने गांव के आसापास ही कहीं वेशभूषा बदलकर रह रहा है.

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पुलिस ने 9 साल बाद ढूंढ निकाला मनोरंजन को अभय मिश्रा ने इंदिरापुरम थानाप्रभारी संजय पांडे को तत्काल एक टीम गठित कर ओडिशा रवाना करने का आदेश दिया. आदेश मिलते ही इंसपेक्टर संजय पांडे ने अभयखंड चौकीप्रभारी एसआई भुवनचंद शर्मा, नरेश सिंह और कांस्टेबल अमित कुमार की टीम गठित की.

टीम को आवश्यक दिशानिर्देश दे कर ओडिशा रवाना कर दिया गया, जहां पुलिस टीम ने जगतसिंहपुर में स्थानीय बालिंदा थाने की पुलिस से संपर्क साधा. सीओ अभय मिश्रा के परिचित अधिकारी के निर्देश पर स्थानीय पुलिस पहले ही मनोज पुरोहित के बारे में तमाम जानकारी जुटा चुकी थी.

25 जुलाई, 2021 को इंदिरापुरम थाने से गई पुलिस टीम ने बालिंदा थाने की पुलिस टीम की मदद से मनोरंजन तिवारी को दबोच लिया. वह मनोज तिवारी के नाम से मंदिर का पुरोहित बन कर रह रहा था और वेषभूषा बदलने के लिए उस ने दाढ़ी तक बढ़ा ली थी.

लेकिन जब उस ने अपने मातापिता के घर आनाजाना शुरू कर दिया तो लोगों को उस पर शक हो गया. हालांकि जब पुलिस टीम ने उसे पकड़ा तो उस ने पुलिस को बरगलाने का प्रयास किया. लेकिन थोड़ी सी सख्ती के बाद ही उस ने कबूल कर लिया कि वही मनोरंजन तिवारी उर्फ मनोज तिवारी है. आवश्यक लिखापढ़ी व कानूनी काररवाई के बाद पुलिस टीम अगले दिन गीता हत्याकांड के 9 साल से फरार चल रहे आरोपी मनोरंजन को गिरफ्तार कर गाजियाबाद ले आई.

इंसपेक्टर संजय पांडे और सीओ अभय कुमार मिश्रा के अलावा एसपी (सिटी हिंडन पार) के सामने मनोरंजन तिवारी ने कबूल किया कि उसी ने सोचसमझ कर गीता की हत्या की थी.

तिवारी ने बताया कि 2011 में उस के साथ विवाद के बाद जब गीता अलग हो कर किराए का कमरा ले कर रहने लगी और कहीं नौकरी करने लगी तो उस के संबंध सचिन यादव नाम के एक ठेकेदार से हो गए थे. जब उसे इस बात की खबर लगी तो वह मन मसोस कर रह गया.

भले ही गीता से उस का झगड़ा हो गया था और वह अलग रहता था लेकिन इस के बावजूद भी वह उस से मोहब्बत करता था. यह बात उसे मंजूर नहीं थी कि बिना तलाक लिए गीता किसी गैरमर्द के बिस्तर की शोभा बने.

मनोरंजन अकसर गीता पर नजर रखने लगा. उस ने गीता को एकदो बार समझाया भी कि अगर वह किसी गैर के साथ संबध रखेगी तो वह उस की जान ले लेगा. लेकिन गीता ने उस की बात को हंसी में उड़ा दिया. उस ने उलटा मनोरंजन को धमकी दी कि अगर वह उस के रास्ते में आएगा तो सचिन उसी का काम तमाम कर देगा.

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मनोरंजन समझ गया कि गीता पर गैरमर्द से आशिकी का भूत सवार हो चुका है. वह जानता था कि यादव बिरादरी के जिस शख्स से इन दिनों गीता की आशिकी चल रही है, वह न सिर्फ स्थानीय है बल्कि ऐसे लोगों के लिए खून कराना कोई बड़ी बात नहीं.

मनोरंजन की सचिन यादव से तो कोई दुश्मनी नहीं थी. इसलिए मनोरंजन ने तय कर लिया कि इस से पहले कि गीता अपने आशिक से कह कर उस पर वार कराए, वह उसी का काम तमाम कर देगा. मनोरंजन ने साजिश रची. गीता की हत्या के बाद गाजियाबाद से फौरन भागने की उस ने पूरी प्लानिंग बना ली.

29 सितंबर, 2012 की शाम को गीता जब अपने काम से घर लौट रही थी. मनोरंजन ने उसे रोक लिया और गोली मार दी. गोली गीता को ऐसी जगह लगी थी कि उस की मौके पर ही मौत हो गई. इत्मीनान होने के बाद मनोरंजन मौके से फरार हो गया.

गीता की हत्या करने के फौरन बाद उस ने अपने परिवार वालों को इस बात की सूचना दे दी थी और उन्हें सतर्क कर दिया था कि पुलिस अगर उन तक पहुंचे तो वे उसके बारे में अंजान बने रहें.

कई महीनों तक इधरउधर रहने के बाद पुलिस की गतिविधियां जब शांत हो गईं तो वह एक रात अपने परिवार वालों से जा कर मिला. उस ने उन्हें बता दिया कि अब वह पड़ोस के ही गांव के मंदिर में नाम व वेशभूषा बदल कर पुरोहित के रूप में रहेगा और उन से अकसर मिलता रहेगा.

कहते हैं कि अपराधी कितना भी चालाक क्यों न हो, कानून व पुलिस के हाथ एक दिन उस की गरदन तक पहुंच ही जाते हैं चाहे वह सात समंदर पार जा कर छिप जाए.

मनोरंजन तिवारी को इस बात का भ्रम था कि ओडिशा गाजियाबाद से इतनी दूर है कि 9 साल बीत जाने पर पुलिस बारबार उस की तलाश में न तो उस के गांव आएगी और न ही इतनी बारीकी से तहकीकात करेगी.

लेकिन यह उस की भूल साबित हुई. क्योंकि पुलिस चाहे किसी भी प्रदेश की हो, लेकिन कानून के गुनहगार को पकड़ने के लिए प्रदेश की दूरियां मिनटों में खत्म हो जाती हैं.

—कथा पुलिस की जांच, अभियुक्त से पूछताछ व परिजनों से मिली जानकारी पर आधारित

Manohar Kahaniya: बच्चा चोर गैंग- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

रेखा ने घटना के बारे में आगे बताया,  ‘‘उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी. तीनों मेरे पति को पकड़ कर ले जाने लगे. मैं रोती रही, विनती करती रही. नहीं माने, तब चीखपुकार करने लगी. राह चलते लोगों ने रुक कर मेरे पति को उन के चंगुल से छुड़ाया. फिर वे धमकी देते हुए अपनी कार से चले गए.’’

रेखा की बातों पर हुआ शक

इस के साथ ही रेखा ने थानाप्रभारी को बच्चे के गायब होने की भी कहानी सुनाई, ‘‘बाबूजी, इलाके में बच्चा चोरी की घटना पहले भी हुई है. इसलिए मैं वैसी ही अनहोनी की आशंका से डरी हुई थी. नींद आंखों से कोसों दूर थी. परिवार के सभी लोग सो गए थे. मुझे याद है कि अजान की आवाज आई. उस समय तक मैं जाग रही थी.

‘‘सुबह के 4 बजे होंगे. उस के कुछ देर बाद ही मेरी आंख लग गई. सुबह करीब 6 बजे आंख खुली तब मेरी बगल में सो रही 2 साल शिवानी गायब थी. यह देख कर मेरे होश उड़ गए.’’

‘‘फिर क्या हुआ?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘फिर क्या साहब, मैं ने झटपट पति को जगाया. वहीं जेठ लीलाधर और परिवार के दूसरे लोगों को आवाज दी. सभी बच्चे की खोज में जुट गए. घंटों तलाश करने के बाद भी बच्ची का कोई सुराग नहीं लगा. उसी दिन मैं अपने मरद के साथ आप के पास शिकायत लिखवाने आई थी. आप ने बच्चा खोजने का भरोसा दिया था और मैं अपने काम पर लग गई.’’ रेखा ने बताया.

साथ ही उस ने सवाल किया कि यदि मेरे लापता बच्चे के बारे में कोई जानकारी मिली हो तो बताइए साहब.

‘‘तुम्हारा चोरी बच्चा लड़का था या लड़की?’’ विनोद कुमार ने अचानक बात बदलते हुए पूछ दिया.

‘‘लड़का था साहब.’’ रेखा तपाक से बोल पड़ी.

यह सुन कर विनोद कुमार मुसकराते हुए बोले, ‘‘…लेकिन अभी थोड़ी देर पहले तुम ने बताया कि गायब बच्चा शिवानी है. वह लड़का है या लड़की?’’

यह सुनते ही रेखा सकपका गई. एकदम चुप हो गई. मुंह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी.

‘‘अच्छा छोड़ो इस बात को, ये बताओ कि जिन से तुम्हारे पति का झगड़ा हुआ, उन्हें पहले से तुम जानती थी या राजा उसे जानता था?’’ थानाप्रभारी ने फिर बात बदल दी.

‘‘रेखा इस सवाल का भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाई. कभी उस ने कहा कि उन्हें उस ने पहली बार देखा था. कभी उस ने कहा कि वे राजा के पास पहले भी कई बार आ चुके थे.’’

थानाप्रभारी के सवालों और बातों में उलझी रेखा ने जो भी बताया अकबकाहट में कहा. उस की बातों से साफ पता नहीं चल पाया कि उस रोज आखिर तीनों युवकों का राजा के साथ झगड़ा किस बात को ले कर हुआ था. वे सभी राजा पर इतने आक्रामक क्यों बन गए थे. थानाप्रभारी विनोद कुमार को इतना जरूर अंदाजा लग गया कि रेखा बहुत कुछ छिपा रही है या फिर उस की जानकारी आधीअधूरी है. उन्होंने सहज भाव से कहा, ‘‘रेखा, देखो, घबराने की कोई बात नहीं है. तुम्हारा बच्चा जल्द मिल जाएगा. उसे चुराने वाले का पता चल चुका है.  कल अपने पति राजा के साथ दिन में ठीक 11 बजे आ जाना.’’

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इसी के साथ थानाप्रभारी ने चेतावनी भी दी कि वह अपने घर से कहीं न जाए. अगर उस ने ऐसा किया तो उस की खैर नहीं है, क्योंकि उस पर पुलिस के आदमी सादे कपड़ों में नजर रखे हुए हैं.

अगले दिन 26 जुलाई, 2021 को पुलिस द्वारा तय समय पर रेखा और राजा थाने में आ गए. संयोग से तब तक थानाप्रभारी विनोद नहीं आए थे. दोनों को एक सिपाही ने वहीं इंतजार करने को कहा.

थानाप्रभारी विनोद कुमार के आने में डेढ़ घंटे की देरी हो गई थी. पुलिस पेट्रोलिंग गाड़ी से थानाप्रभारी विनोद उतरे. उन के साथ 2 कांस्टेबल 3 युवकों को पकड़े हुए थे. उन की कमर में रस्सियां एक साथ बंधी हुई थी.

दोनों कांस्टेबल रस्सी के दोनों छोर को मजबूती से हाथ में लपेटे हुए थे. युवकों के चेहरे गमछे से बंधे हुए थे. उन्हें खींच कर थाने के भीतर लाया गया. यह सब रेखा और राजा गौर से देख रहे थे.रेखा पर जैसे ही थानाप्रभारी की नजर पड़ी उस ने हाथ जोड़ कर नमस्ते किया. साथसाथ राजा ने भी वैसा ही किया. थानाप्रभारी कोई जवाब दिए बगैर अपने केबिन में चले गए. उन के पीछेपीछे कांस्टेबल रस्सी में बंधे तीनों युवकों को भी खींचते हुए ले गया.

एक थप्पड़ ने खोला राज थोड़ी देर में विनोद कुमार ने रेखा को बुलाया. राजा को बाहर ही रुकने को कहा. थानाप्रभारी ने रेखा की ओर गुस्से से देखते हुए कहा, ‘‘राजा तुम्हारा कौन है?’’

‘‘क्या पूछ रहे हैं साब, राजा मेरा मरद है.’’ रेखा का यह बोलना था कि वहीं पास खड़ी एक लेडी कांस्टेबल ने रेखा के गाल पर जोरदार थप्पड़ मारा. थप्पड़ खाते ही वह गिर पड़ी, उठते ही उस महिला सिपाही को गुर्रा कर देखा. तभी विनोद कुमार बोल पड़े, ‘‘उसे मत देखो, वह हमारी पुलिस है और मेडल जीतने वाली महिला पहलवान भी है. तुम सचसच बताती हो या और थप्पड़ खाने हैं.’’

‘‘क्या सच बताऊं साहब, राजा ही तो मेरा मरद है. मैं ने अपने बच्चा चोरी की शिकायत लिखाई है.’’ रेखा बिफरती हुई बोली.

इतना कहना था कि विनोद ने पास खड़े एक युवक के चेहरे पर लिपटा गमछा एक झटके में हटा दिया. चीखते हुए बोले, ‘‘तो फिर ये कौन है?’’

युवक का चेहरा देखते ही रेखा के चेहरे का रंग फीका पड़ गया. विनोद बोले, ‘‘बच्चा चोरी की घटना के दिन राजा के साथ झगड़ा इसी के साथ हुआ था न.’’

रेखा को काटो तो खून नहीं. वह हां…ना कुछ बोल नहीं पा रही थी. विनोद ने बाहर बैठे राजा को बुलवाया. उस से पूछा, ‘‘तुम्हारा चोरी हुआ बच्चा लड़का था या लड़की?’’

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‘‘लड़का, उस दिन शिकायत में लिखवाया तो था.’’ राजा बोला.

‘‘लेकिन, रेखा तो कहती है तुम्हारे घर से शिवानी गायब हुई थी,’’ विनोद बोले.

‘‘उसे क्या पता साहब,’’ राजा का यह कहना था कि थानाप्रभारी ने उसे भी एक थप्पड़ मारते हुए कहा, ‘‘उसे कैसे मालूम होगा, वह तुम्हारी बीवी जो नहीं है.’’

थानाप्रभारी विनोद कुमार राजा और रेखा से मुखातिब हुए. उन्होंने कहा, ‘‘तुम लोग अब आंखों में धूल झोंकना बंद करो. न तो तुम्हारा कोई बच्चा गायब हुआ है और न ही तुम दोनों पतिपत्नी हो. उलटे तुम लोगों ने बच्चा चुरा कर कहीं और बेचने की कोशिश की है.’’

अगले भाग में पढ़ें-  सभी आरोपी धर दबोचे

Crime: माशुका के खातिर!

अपराध का एक कारण प्रेम और प्रेमिका भी होता है. आमतौर पर देखा जाता है कि समाज में घटित होने वाले अनेक छोटे या फिर गंभीर अपराध तक आलम सिर्फ और सिर्फ माशुका ही होती है. इसके खातिर जाने कितने तरह के छोटे बड़े अपराध समाज में घटित होते रहते हैं, आज हम इस आलेख में आपको कुछ ऐसे अपराधों के संबंध में बताएंगे जो समाज को सचेत करते हैं ताकि ऐसे अपराधिक धुरी से बच सकें.
पहला मामला- माशुका ने बातों बातों में ज्वेलरी की भूमिका बांधी तो श्याम ने दूसरी रात को एक ज्वेलरी दुकान में घुसकर चोरी की और सोने के के बाद माशूका को ला कर दिए मगर दूसरे ही दिन पुलिस ने उसे धर दबोचा.
दूसरा मामला-प्रेमिका ने प्रेमी से रुपयों की मांग की तू प्रेमी अपने एक दोस्त के साथ एटीएम मशीन को तोड़ने पहुंच गया और रंगे हाथ पुलिस के द्वारा पकड़ लिया गया.
तीसरा मामला-फिल्मी गाने जब तेरी से दवाई स्कीम की क्या तुम्हारे पास कभी कोई चार पहिया वाहन होगा जिसमें हम घूमेंगे तो फिर मिलने चार पहिया वाहन पार कर दिया और पकड़ा गया.
ऐसे जाने कितने मामले हमारे आसपास घटित हो रहे हैं जो यह बताते हैं कि प्रेमी प्रेमिका के लिए या फिर प्रेमिका प्रेमी के लिए क्या कुछ कर  जाते हैं मगर अपराध तो अपराध होता है जिसका परिणाम होता है सजा ही होती है.
भूमिका के लिए कार पार कर दी!

इसे आप कोई फिल्मी कहानी समझें मगर यह सच है कि माशूका को लुभाने के लिए आशिक ने दुस्साहसिक कदम उठा लिया और यही कदम उसके जीवन की सबसे बड़ी भूल बन गया. दरअसल, माशुका‌ ने बातों बातों  में  प्रेमी से लांग ड्राइव पर चलने के लिए कहा तो फटे हाल प्रेमी ने एक अदद कार ही चुरा ली. और जब वह प्रेमिका को लेकर लांग ड्राइव पर निकला तो प्रेमी-प्रेमिका पुलिस द्वारा धर दबोचे गए . पुलिस ने प्रेमी के साथ उसके एक मददगार दोस्त को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है.
एक सच्ची कहानी है इसका नायक है राहुल नामक युवक जिसने अपनी माशूका को घुमाने के लिए फतेहपुर से कार चुराई थी. लेकिन उसने एक बेवकूफी कर दी की कार का नंबर नहीं बदला. उधर, फतेहपुर में कार मालिक ने पुलिस में शिकायत कर दी. इधर पुलिस सक्रिय हो गई. जब कार चुराने का आरोपी राहुल अपनी प्रेमिका और एक दोस्त के साथ चकेरी की तरफ घुमने जा रहा था‌ उन्हें हाईवे पर पुलिस ने कार का नंबर देखकर  रोका. चेकिंग के दौरान युवक पकड़ लिया गया. गिरफ्तारी के वक्त कार में प्रेमिका और उसका एक दोस्त भी मौजूद था.

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समझदारी के साथ सावधानी भी जरूरी

यह कहा जा सकता है कि आज पुलिस और न्यायालय में इस तरह के अनेक मुआमलें आ रहे हैं जो समाचार पत्रों में सुर्खियां भी बटोरते हैं  मगर इसका हल क्या हो इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया जाता.
इस रिपोर्ट के माध्यम से हम युवा पीढ़ी को यह संदेश दे रहे हैं की प्रेम में आप इतना मत डूब जाइए कि कानून को अपने हाथ में ले लें और अपने भविष्य को बर्बाद कर लें. क्योंकि यह उम्र कुछ ऐसी होती है जब आदमी को जीवन की सच्चाई का आभास नहीं होता कानून का ज्ञान नहीं होता और वह अपराध कर बैठता है.

मगर जब पुलिस द्वारा धर दबोचा जाता है तो आरोपी युवक की आंखें खुलती है और प्रेमिका भी पछताती है कि मैंने क्यों ऐसी चीज मांग ली जो उसके प्रिय के बस में नहीं थी. कुल मिलाकर  समझदारी दोनों पक्षों के लिए आवश्यक है.

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विधि विद्वान अधिवक्ता डॉ उत्पल अग्रवाल के मुताबिक हाल ही में एक प्रकरण मेरे पास भी ऐसा ही आया था जिसमें प्रेमी के लिए प्रेमिका ने अपने घर के जेवरात और रुपए चुरा लिए थे और मामला पुलिस से होते हुए न्यायालय पहुंचा था. दरअसल, ऐसे मामले युवावस्था में प्रेम की झोंके में घटित हो जाते हैं जो स्वयं को सिर्फ अपमानित कराते हैं. समझदारी का तकाजा यही है कि युवा प्रेम के भंवर में फंस करके कभी भी कानून को अपने हाथों में ना लें.

Crime Story: धोखाधड़ी- फ्रैंडशिप क्लब सैक्स और ठगी का धंधा

लेखक- बृहस्पति कुमार पांडेय

इन इश्तिहारों में बिना पता लिखे कुछ मोबाइल नंबर भी दिए होते हैं जिन में कुछ घंटों में ही हजारों रुपए कमाने के दावे भी किए जाते हैं.

मैं ने भी इस तरह के तमाम इश्तिहार कई बार अखबारों में देखे हैं, लेकिन एक दिन मेरी नजर उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के रेलवे स्टेशन रोड के कुछ मकानों पर चिपके पोस्टरों पर पड़ी. उन पोस्टरों पर मेरा ध्यान इसलिए चला गया क्योंकि उन में भी अखबारों में छपने वाले फ्रैंडशिप क्लब जैसा ही कुछ लिखा था.

मैं ने जब नजदीक जा कर उन पोस्टरों को देखा तो उन में ‘सौम्या फ्रैंडशिप क्लब’ के बारे में लिखा था और उन में उन बेरोजगार नौजवानों को रिझाने वाली कुछ लाइनें भी लिखी थीं जो बिना कुछ किएधरे अमीर बनने के सपने देखते हैं.

पोस्टरों में कुछ इस तरह से लिखा था कि हाई प्रोफाइल लड़कियों के साथ दोस्ती और मीटिंग कर के कुछ ही घंटों में कमाएं 1,500 से ले कर 3,500 रुपए रोजाना.

मैं ने इस क्लब की असलियत जानने के लिए अपने मोबाइल फोन का काल रिकौर्डर औन कर उन में से एक नंबर पर फोन मिला दिया. कुछ देर घंटी बजने के बाद जब उधर से फोन उठा तो एक मर्दाना आवाज आई और बोला गया कि ‘सौम्या फ्रैंडशिप क्लब’ में आप का स्वागत है. बताइए, मैं आप की क्या सेवा कर सकता हूं?

मैं ने उस शख्स से कहा कि मैं ने उस के पोस्टर में से यह नंबर देख कर उसे फोन किया है और मैं भी हाई प्रोफाइल लड़कियों से दोस्ती गांठ कर ढेर सारे पैसे कमाना चाहता हूं तो उधर से उस शख्स ने बड़े ही खुले शब्दों में कहा कि मुझे इस के लिए 800 रुपए जमा करा कर इस क्लब की मैंबरशिप लेनी होगी. इस के बाद मुझे एक कोड दिया जाएगा और फिर मेरे पास बड़े घरों की लड़कियों और औरतों के फोन आने शुरू हो जाएंगे.

ये वे लड़कियां और औरतें होंगी जो अकेली रहती हैं या जिन के पति बिजनैस के सिलसिले में अकसर घर से बाहर टूर पर रहते हैं या फिर वे औरतें होंगी जो विधवा हैं.

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उस आदमी ने आगे कहा कि मुझे ऐसी औरतों के फोन भी आएंगे जो एक से ज्यादा मर्दों के साथ संबंध रखती हैं. उस के बाद उधर से सैक्स से जुड़ी ऐसी बातें बताई जाने लगीं कि मेरे अंगअंग में जोश आने लगा.

मैं उस शख्स की सारी बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था और जब वह अपने क्लब के बारे में बहुतकुछ बता चुका था तो मैं ने उस से कहा कि क्या उसे फोन पर ऐसी बातें बताते हुए पुलिस में पकड़े जाने का डर नहीं है?

यह सुन कर उस शख्स ने बिना वजह पूछे कहा कि इस में जो भी नौजवान औरतें, लड़कियां या लड़के शामिल होते हैं, वे सब अपनी मरजी से आते हैं. ऐसे में पुलिस का डर किस बात का?

मैं ने उस से कहा कि उस ने इतनी सैक्सी बातें फोन पर की हैं, क्या उसे काल रिकौर्ड होने का डर नहीं है? तो उस आदमी ने जो बताया उस से मेरा चौंकना लाजिमी था, क्योंकि उस ने कहा कि उस ने ऐसा सौफ्टवेयर लगा रखा

है कि उस के मोबाइल पर होने वाली कोई भी बातचीत रिकौर्ड नहीं की जा सकती है.

इस के बाद उस आदमी ने मुझ से कहा कि वह मैंबरशिप के लिए कुछ देर में एक बैंक अकाउंट नंबर सैंड करेगा, फिर उधर से फोन कट गया.

फोन कटने के बाद मैं ने जब अपनी रिकौर्डिंग लिस्ट देखी तो सचमुच उस नंबर से हुई बातचीत का कोई भी अंश रिकौर्ड नहीं हुआ था.

मैं ने दोबारा जांचने के लिए अपने परिचित के मोबाइल पर हालचाल लेने के बहाने फोन किया और बाद में उस काल की रिकौर्डिंग चैक की, तो उस बातचीत की रिकौर्डिंग मौजूद थी.

फैल रहा कारोबार

फ्रैंडशिप के नाम पर नौजवानों को फांसने का धंधा पूरे देश में फैला हुआ है. आप किसी भी शहर में चले जाएं वहां के लोकल अखबारों से ले कर दीवारों तक पर इन के इश्तिहार मिल जाएंगे. फ्रैंडशिप क्लब का धंधा करने वालों में औरतें और मर्द दोनों शामिल हैं.

फ्रैंडशिप के नाम पर सैक्स और ठगी का धंधा करने वाले अकसर पुलिस से बचने के लिए एक शहर से दूसरे शहर में ठिकाने बदलते रहते हैं, जिस से अगर कोई शिकायत भी करे तो फंसने के चांस कम हो जाएं.

इसी तरह के एक गिरोह का परदाफाश नागपुर पुलिस ने एक आदमी की शिकायत पर तब किया था, जब उसे इस गिरोह के लोगों ने सवा लाख रुपए का चूना लगा दिया था. इस के बाद पुलिस ने इस गिरोह के लोगों को दबिश डाल कर गिरफ्तार किया था.

इन गिरफ्तार लोगों में ‘निशा फ्रैंडशिप क्लब’ चलाने वाले गिरोह में मुखिया रितेश उर्फ भैरूलाल भगवानलाल, सुवर्णा मिनेश निकम, पल्लवी, विनायक पाटिल, शिल्पा समीर साखरे और निशा सचिन साठे शामिल थे. ये लोग महाराष्ट्र के ठाणे से राजस्थान तक अपना जाल फैलाए हुए थे. ये लोग सैकड़ों सिम रखते थे और जिस सिम से ये लोग ग्राहक को फांसते थे उसे ठगी के बाद बंद कर देते थे.

पुलिस गिरफ्त में आने के बाद इन के अलगअलग बैंकों में 20 खातों की जांच की गई तो उन में हर रोज बड़ेबड़े ट्रांजैक्शन सामने आने के बाद बीसियों खातों को सीज कर दिया गया.

दोस्ती के नाम पर ठगी

जो लोग इस तरह के गिरोह के चक्कर में पड़ते हैं उन से पहले क्लब की मैंबरशिप फीस के नाम पर अमूमन 1000 रुपए से ले कर 10,000 रुपए तक ऐंठ लिए जाते हैं. फिर इन से मैडिकल जांच और एचआईवी जांच के नाम पर 10,000 रुपए तक अलग से जमा कराए जाते हैं.

इन के चक्कर में फंसे नौजवान इस भरम में पैसे जमा करा देते हैं कि उन्हें तो हाई प्रोफाइल लोगों से दोस्ती के साथ ही कुछ घंटों के मजे के एवज में मोटी रकम हर रोज मिलनी ही है, पर जैसे

ही इन अकाउंट पैसे जमा करने की जानकारी दी जाती है उस के बाद क्लब के जिस मोबाइल नंबर से बात होती है, वह स्विच औफ हो जाता है.

इन क्लबों के शिकार नौजवान शर्मिंदगी के चलते अपने ठगे जाने की बात न तो परिवार वालों को बताते हैं और न ही पुलिस के पास जाते हैं, इसलिए इन क्लबों का यह धंधा फलताफूलता रहता है.

सैक्स और ब्लैकमेलिंग

फ्रैंडशिप क्लब में मैंबरशिप लेने के बाद क्लब की तरफ से एक कोड दिया जाता है. उस के बाद कुछ मोबाइल नंबर दिए जाते हैं.

मैंबरशिप लेने वाले को यह बताया जाता है कि ये नंबर उन के हैं जो नएनए लोगों के साथ बिस्तर गरम करने की चाहत रखते हैं. कुछ मामलों में तो फ्रैंडशिप क्लब की मैंबरशिप लेने वाले लोगों को आपस में ही फ्रैंड बना कर उन्हें सैक्स करने के लिए उकसाया जाता है और फिर जब बात संबंध बनने तक पहुंचती है तो ये लोग सैक्स के लिए महफूज जगह के नाम पर कमरे भी मुहैया कराते हैं, जहां इन के जाल में फंसे लोगों के सैक्स के दौरान के वीडियो बना कर उन्हें ब्लैकमेल किया जाता है.

कई बार इस गिरोह की औरतें सैक्स के शौकीन लोगों से किसी अमीर घर की औरत बन कर बातें करती हैं. जब मैंबर को पूरी तरह से यकीन हो जाता है तो वह उन के साथ बिस्तर गरम करने की इच्छा रख देता है.

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गिरोह की लड़कियां इन लोगों को ऐसी जगह पर बुलाती हैं जहां इन के साथ आसानी से वीडियो बनाया जा सके. इस के बाद ऐसे वीडियो के जरीए इस गिरोह के लोग मैंबर को लूटने लगते हैं. जब तक लुटने वाले लोगों को बात समझ में आती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.

कोड के जरीए धंधा

ये लोग अपने इश्तिहार के जरीए बड़े घरों की औरतों को फांसते हैं और फिर मैंबर बने नौजवानों को दिए गए कोड से उन औरतों से बात कराते हैं. फिर तय रकम में से 70 से 80 फीसदी कमीशन इस गिरोह वाले खुद ले लेते हैं, बाकी पैसा उस नौजवान को मिल जाता है.

लेकिन इस तरह के क्लबों के चक्कर में पड़ कर अकसर बड़े घरों की औरतें अपने पतियों की गाढ़ी कमाई तो लुटाती ही हैं साथ ही अपनी इज्जत भी गंवाती हैं. जो नौजवान

इन क्लबों के चक्कर में पड़ते हैं वे अपना कैरियर और अपने मांबाप के सपनों को दांव पर लगा देते हैं.

इन क्लबों की शिकार बड़े घरों की औरतें ज्यादा होती है, क्योंकि खुला जीवन जीने की चाहत इन्हें इस तरह से अपनी गिरफ्त में लेती है कि जल्दी ये उस से उबर नहीं पाती हैं. जो औरतें हिम्मत दिखाती हैं उन के चलते कई बार ऐसे गिरोह के लोग जेल भी गए हैं.

इस के साथसाथ आम लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा खासकर नौजवान तबके को, क्योंकि ऐसे क्लब उन की दुखती रग पर हाथ रखते हैं. वे जानते हैं कि नौजवान पीढ़ी को सैक्स के नाम पर भरमाया जा सकता है. मीठीमीठी बातों से उस से पैसे ऐंठे जा सकते हैं.

क्या कहते हैं जानकार

फ्रैंडशिप क्लबों द्वारा की जाने वाली ठगी से बचने के मामले को ले कर सामाजिक कार्यकर्ता विशाल पांडेय का कहना है कि आज के नौजवान शौर्टकट से अमीर बनने के सपने देखते हैं. साथ ही नईनई औरतों के साथ हमबिस्तरी की चाहत रखने वाले भी इस तरह के गिरोहों के जाल में आसानी से फंस जाते हैं, जिस के चलते ये नौजवान लंबे समय तक ब्लैकमेलिंग और ठगी के शिकार होते हैं.

शौर्टकट से पैसे कमाने के ऐसे सपने देखना सलाखों के पीछे पहुंचने की वजह बन जाता है, इसलिए अपनी काबिलीयत से पैसे कमाएं और अपने जीवनसाथी के प्रति ईमानदार रहें, नहीं तो इज्जत तो जाएगी ही, यह लत आप को कंगाल भी कर देगी.

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सामाजिक कार्यकर्ता और लेखिका उर्मिला वर्मा का कहना है कि अगर आप फ्रैंडशिप क्लबों के जाल में गलती से भी फंस जाएं तो हिम्मत दिखाएं और अपने परिवार वालों के साथ ही पुलिस में रिपोर्ट जरूर दर्ज कराएं. इस से दूसरे लोग ऐसे गिरोहों के चक्कर में पड़ने से बचेंगे, साथ ही इन का परदाफाश होने से लोगों में जागरूकता भी बढ़ेगी.

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