लॉकडाउन की खूनी लव स्टोरी

कातिल बीवी : भाग 3

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

उमेश कुछ कह पाता, रिशु पलटी. दरवाजा बंद किया और अंदर से कुंडी भी चढ़ा दी. उमेश समझ गया कि रिशु क्या चाहती है. उस ने भी मन बना लिया. जो होगा, देखा जाएगा.

रिशु आ कर उस के बगल में बैठ गई. उस ने साफ शब्दों में दिल की बात कह दी, ‘‘जब से तुम्हें देखा, मन के साथ तन भी विचलित है. मुझे तुम से प्यार हो गया है.’’

‘‘भाभी, यह क्या कह रही हो. तुम किसी की पत्नी हो और मैं किसी का दोस्त.’’ उमेश ने तर्क दिया.

‘‘उस से पहले मैं एक औरत हूं, जो स्वयं अधूरी है और तुम एक मर्द, जो पराई औरत का आमंत्रण पा कर आए हो.’’

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अपनी बात कहने के साथ रिशु ने उस के सीने पर हाथ रख दिया, ‘‘जरा देखूं तो, तुम घबरा तो नहीं रहे हो.’’

रिशु का स्पर्श पा कर उमेश के बदन में करंट सा दौड़ने लगा. उस ने उसे बांहों में भर लिया. बाहर दोपहर का सन्नाटा था. ऐसे में वासना में डूबी 2 देह एकदूसरे में गुंथ गईं. कमरे में सांसों की सरगम गूंजने लगी. यह सब तभी थमा जब दोनों तृप्त हो गए.

अवैध संबंधों का खेल एक बार शुरू हुआ तो वक्त के साथ बढ़ता ही गया. रिशु थी ही इतनी मादक कि उमेश उसे पाने का लोभ छोड़ नहीं पाता था. जिस दिन अशोक की बोलेरो कार की बुकिंग होती, रिशु फोन कर उमेश को घर बुला लेती और रंगरेलियां मनाती.

अशोक कुमार इस सब से बेखबर था कि बीवी घर में क्या गुल खिला रही है. दरअसल, रिशु को पति से संतुष्टि नहीं मिल पाती थी. वह उन औरतों में से थी जिन्हें हर रात पति का साथ चाहिए होता है. वह पति से निराश हुई तो उस ने उमेश को कामनाओं का साथी बना लिया. उस का मानना था कि वह बदचलन हो कर कोई गुनाह नहीं कर रही है.

लेकिन अवैध रिश्ते को कब तक छिपाए रखा जा सकता है. उमेश का चोरीछिपे अशोक के घर आना, लोगों से छिपा न रह सका. इसे ले कर किसी ने अशोक के कान भर दिए. उस ने बीवी से जवाबतलब किया तो रिशु ने त्रियाचरित्र दिखाते हुए उलटे उस पर ही आक्षेप लगाना शुरू कर दिया कि वह उस पर लांछन लगा रहा है.

अशोक जानता था कि बिना आग धुंआ नहीं उठता है. अत: वह उमेश के घर पहुंच गया. उस ने गहरी नजर से उमेश को देखा, ‘‘आजकल बहुत पर निकल आए हैं तुम्हारे.’’

‘‘मैं ने क्या किया है भाई, जो आप की त्यौरी चढ़ी हुई है.’’ उमेश ने पूछा.

अशोक सख्त लहजे में बोला, ‘‘मेरी गैरहाजिरी में मेरे घर क्यों जाते हो?’’

‘‘नहीं तो, एकदो बार भाभी ने कुछ सामान मंगाया था, सामान देने जरूर गया था.’’

‘‘कान खोल कर सुन लो, आइंदा तुम्हें हमारे घर जाने की कोई जरूरत नहीं है.’’ कह कर अशोक तमतमाया हुआ बाहर निकल गया.

अशोक यही सोच रहा था कि उस ने उमेश को समझा दिया है और अब सब कुछ ठीक हो जाएगा, लेकिन यह सोचना उस की भूल थी.

उमेश ने रिशु को मोबाइल पर फोन कर के बता दिया कि अशोक ने उसे चेतावनी दी है. अब वह उस से मिलने नहीं आएगा.

कुछ दिन दोनों नहीं मिले. फिर दोनों ने नया रास्ता खोज लिया. दोनों घर के बाहर मिलने लगे. लेकिन एक शाम अशोक ने दोनों को गांव के बाहर प्रमोद की ट्यूबवैल वाली कोठरी में रंगेहाथ पकड़ लिया.

उमेश तो भाग निकला. लेकिन रिशु की उस ने जम कर पिटाई की. रिशु ने गलती के लिए माफी मांग ली.

रिशु ने रंगेहाथ पकड़े जाने के बाद माफी जरूर मांग ली थी, लेकिन उस ने पति को मिटाने का निश्चय भी कर लिया था. उस ने अपने इरादों से उमेश को भी अवगत करा दिया था.

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एक दिन मौका मिलने पर दोनों ने सिर से सिर जोड़ कर अशोक को ठिकाने लगाने की योजना बनाई और उचित समय का इंतजार करने लगे.

बन गई भूमिका हत्या की

24 जुलाई, 2020 की शाम अशोक कुमार ने पत्नी रिशु को बताया कि उसे जाफराबाद कस्बा में एक मुसलिम भाई की शादी में शामिल होेने जाना है. रात 11 बजे से पहले लौट आएगा.

रिशु ने इस की जानकारी उमेश को दे दी और कहा अच्छा मौका है, काम तमाम कर दो. इस पर उमेश ने अपनी योजना तैयार कर ली. रात 8 बजे अशोक अपनी बोलेरो कार से जफराबाद जाने के लिए निकला. तभी योजना के तहत उमेश ने तिधरा मोड़ पर हाथ दे कर उसे रोक लिया और बोला, ‘‘भाई जाफराबाद तक छोड़ दो, मुझे एक जरूरी काम है.’’

अशोक की इच्छा उसे गाड़ी पर बिठाने की नहीं थी, पर पुराना दोस्त था सो इनकार भी नहीं कर सका और बिठा लिया.

उमेश ने अपनी लच्छेदार बातों से अशोक को मूड बनाने के लिए राजी कर लिया. उमेश ने जफराबाद के ठेके पर कार रुकवा कर शराब, पानी, गिलास व नमकीन लिया. फिर दोनों ने गाड़ी में बैठ कर शराब पी.

चालाकी से उमेश ने अशोक के गिलास में नशीला पदार्थ मिला दिया, जिस से कुछ देर बाद वह बेहोश हो कर गाड़ी की पिछली सीट पर लुढ़क गया.

उमेश ड्राइवर था ही, सो वह बोलेरो को महमदपुर गांव के पास लाया और सड़क किनारे खेत में खड़ी कर दी. इस के बाद उस ने कार से लोहे की रौड निकाली और अशोक के सिर पर कई प्रहार किए. अशोक का सिर फट गया. अधिक खून बहने से उस की मौत हो गई.

अशोक की हत्या के बाद उस ने गमछे से हाथ व माथे का खून पोंछा. शराब की खाली बोतल, गिलास व नमकीन के खाली पैकेट कार के बाहर फेंके. फिर रौड व गमछे को गन्ने के खेत में छिपा कर फरार हो गया.

25 जुलाई की सुबह कुछ ग्रामीणों ने खेत में खड़ी बोलेरो में लाश देखी, तब पुलिस को सूचना दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी जगदीश कुशवाहा मौके पर पहुंचे और शव को कब्जे में ले कर जांच शुरू की. जांच में अवैध रिश्तों में हुई हत्या का परदाफाश हुआ.

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27 जुलाई, 2020 को थाना खुटहन पुलिस ने अभियुक्त उमेश तथा रिशु को जौनपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

कातिल बीवी : भाग 2

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

खुल गई कलई

थाने पर जब उमेश से अशोक उर्फ दीपक की हत्या के संबंध में पूछा गया तो वह साफ मुकर गया. उस ने कहा कि अशोक उस का दोस्त था, दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी. उस ने अशोक की हत्या नहीं की.

उमेश ने बरगलाने का प्रयास किया तो पुलिस ने उस के साथ सख्ती की. इस से वह टूट गया. उस ने हत्या का अपराध कबूल कर लिया. उमेश के टूटते ही रिशु भी लाइन पर आ गई. उस ने पति की हत्या की बात मान ली.

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उमेश ने बताया कि रिशु से उस के नाजायज संबंध थे. अशोक इन संबंधों का विरोध करता था और बाधक बनने लगा था. उस ने रिशु को भी प्रताडि़त करना शुरू कर दिया था. इस पर हम दोनों ने अशोक को ठिकाने लगाने की योजना बनाई और उसे मौत के घाट उतार दिया.

चूंकि उमेश व रिशु ने हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया था, अत: थानाप्रभारी जगदीश कुशवाहा ने अज्ञात में दर्ज हत्या के केस में उमेश व रिशु को नामजद कर के उन पर भादंवि की धारा 302/120बी लगा दीं. दोनों को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस जांच में अवैध रिश्तों की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई.

जौनपुर जिले के खुटहन थाना क्षेत्र में बड़ी जनसंख्या वाला गांव है- तिधरा. यहां सप्ताह में 2 दिन बाजार लगता है. अशोक कुमार उर्फ दीपक बरनवाल इसी तिधरा में रहता था. वैसे वह खेता सराय कस्बे का मूल निवासी था, लेकिन शादी के बाद ससुराल में रहने लगा था.

उस ने तिधरा बाजार में एक मकान खरीद लिया था और उसी में परिवार सहित रहता था. उस के परिवार में पत्नी रिशु के अलावा 2 बच्चे थे, बेटा राहुल तथा बेटी आरती.

अशोक कुमार किराना व्यवसाई था. मकान के भूतल पर उस की किराने की दुकान थी. अशोक के कुशल व्यवहार से दुकान पर ग्राहकों की भीड़ जुटी रहती थी. बाजार वाले दिन भीड़ कुछ ज्यादा होती थी, सो उस की पत्नी रिशु को भी दुकान पर बैठना पड़ता था. वह रुपयों का लेनदेन करती थी.

दुकान की कमाई से अशोक ने एक बोलेरो कार खरीद ली थी. इसे वह बुकिंग पर स्वयं चलाता था. इस से उसे अतिरिक्त आमदनी हो जाती थी. कुल मिला कर उस की आर्थिक स्थिति मजबूत थी.

अशोक की पत्नी रिशु पढ़ीलिखी, सुंदर और चंचल स्वभाव की महिला थी. उस ने ब्यूटीशियन का कोर्स कर घर में ही ब्यूटीपार्लर खोल लिया था.

शुरू में तो उस का यह काम फीका रहा, लेकिन बाद में ठीकठाक चलने लगा था, इस के मद्देनजर उस ने एक युवती को भी नौकरी पर रख लिया. वह बुकिंग पर भी जाने लगी थी.

पतिपत्नी की कमाई से घर की आर्थिक स्थिति तो मजबूत हुई थी, लेकिन दोनों के बीच दूरियां आ गई थीं. एक छत के नीचे रहते हुए भी दोनों पतिपत्नी का रिश्ता नहीं निभा पा रहे थे. अशोक दिन भर किराने की दुकान चलाता था. शाम तक वह इतना थक जाता था कि खाना खाते ही पलंग पर पसर जाता और खर्राटे भरने लगता. पति के खर्राटे रिशु को शूल की तरह चुभते थे.

रिशु 2 बच्चों की मां जरूर थी, पर उस की कामेच्छाएं प्रबल थीं. वह हर रात पति का साथ चाहती थी, जो उसे नहीं मिल पा रहा था. एक रोज अशोक की बोलेरो कार की बुकिंग किसी बारात में थी, पर उस की तबियत खराब थी. वह परेशान था कि बारात की बुकिंग कैसे निपटाए.

तभी उसे उमेश की याद आई. उमेश तिधरा में ही रहता था और कुशल ड्राइवर था. दोनों में दोस्ती थी. कभी किसी बारात या कहीं और मिलते तो शराब पार्टी कर लेते थे. उमेश भी शादी समारोहों वगैरह में गाड़ी ले कर जाता था.

खुद घर बुलाई मौत

अशोक ने मोबाइल पर उमेश से बात की तो वह खाली था. अशोक ने उमेश को बुला कर बात की और बोलेरो उसे सौंप कर बुकिंग पर भेज दिया. दूसरे रोज सुबह 10 बजे उमेश अशोक के घर पहुंचा और कार खड़ी कर चाबी तथा रुपयों का हिसाब अशोक को सौंप दिया. अशोक ने मेहनताने के रूप में 300 रुपए उमेश को दे दिए.

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हिसाब हो गया तो अशोक ने पत्नी को आवाज दी, ‘‘सुनती हो, तुम्हारा देवर आया है, पानी तो ले आओ.’’

रिशु पानी ले कर बैठक में पहुंची, तो उस के होठों पर मुसकान थी. उमेश ने एकदो बार दूर से रिशु को देखा था, आमनासामना पहली बार हो रहा था.

रिशु ने पानी उस की तरफ बढ़ाया, उमेश ने पानी पीने के लिए हाथ बढ़ाया, तो अनायास ही उस का हाथ रिशु के हाथ को छू गया.

वह सकपकाया, तभी दोनो की नजरें मिलीं. रिशु के होंठों पर मुसकराहट थी, जबकि आंखों में कामुक शरारत नाच रही थी. उमेश भी हड़बड़ाहट में मुसकरा दिया और उस के मुंह से निकला, ‘‘शुक्रिया भाभी.’’

पहली ही नजर में उमेश और रिशु एकदूसरे के आकर्षण में बंध गए. उमेश जहां गबरू जवान था, वहीं रिशु भी खूबसूरती में कम नहीं थी. दोनों ने एकदूसरे को दिल में बसा लिया. 3-4 दिन तक उमेश कशमकश में पड़ा रहा कि वह रिशु से मिलने जाए या न जाए. क्योंकि अशोक उस का दोस्त था और रिशु उस की पत्नी.

लेकिन रिशु का आमंत्रण उस के जेहन को मथ रहा था. आखिर एक दिन दोपहर में वह अशोक के घर पहुंच ही गया. संयोग से उस रोज अशोक किसी काम से जौनपुर गया हुआ था. चारों तरफ सन्नाटा पसरा था. ऐसे में उमेश को देखने वाला भी कोई नहीं था.

उस ने घर के दरवाजे पर दस्तक दी, तो दरवाजा रिशु ने ही खोला. फिर चहक कर बोली, ‘‘देवरजी आप! बड़ी देर कर दी मेहरबां आतेआते. जानते हो, मैं हर रोज तुम्हारी राह देखती थी.’’

‘‘ऐसी कौन सी बात थी, जो आप को मेरा इंतजार था?’’ उमेश ने उस के मन की थाह ली.

‘‘पहले अंदर तो आओ.’’ रिशु ने बेहिचक उस का हाथ थामा और अंदर खींच लिया. फिर उसे पलंग पर बिठा कर पूछा, ‘‘पानी लाऊं?’’

‘‘नहीं, प्यास नहीं है.’’ उमेश बोला.

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रिशु ने नैन मटकाए, ‘‘देवरजी, झूठ मत बोलो. प्यास नहीं होती, तो सुनसान दोपहर में भाभी के पास क्यों आते?’’ कहने के साथ उस ने नैनों की कटार चला दी.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

कातिल बीवी : भाग 1

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

महमदपुर गांव के कुछ लोग सुबहसुबह घूमने निकले तो उन्होंने इमामपुर मार्ग पर खेत में एक बोलेरो खड़ी देखी. उन्हें आश्चर्य हुआ कि बोलेरो सड़क किनारे खड़ी करने के बजाय खेत के बीच में क्यों खड़ी की गई. मन में शंका हुई तो वे उत्सुकतावश उस कार के पास गए.

वहां उन्होंने जो देखा, उस से उन की घिग्घी बंध गई. बोलेरो के अंदर एक युवक की लाश पड़ी थी. लाश देख कर वे गांव की ओर भागे. रास्ते में उन्हें जो भी मिला, उसे बताया फिर गांव पहुंच कर यह बात सब को बता दी.

गांव में कोहराम सा मच गया, जरा सी देर में खेत पर भीड़ उमड़ पड़ी. इसी बीच किसी ने मोबाइल से यह खबर थाना खुटहन पुलिस को दे दी. यह बात 25 जुलाई, 2020 की सुबह 8 बजे की है.

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सुबहसवेरे हत्या की सूचना पा कर खुटहन थानाप्रभारी जगदीश कुशवाहा का मन कसैला हो गया. उन्होंने मर्डर की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी और पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उस समय वहां गांव वालों की भीड़ जुटी थी.

भीड़ को हटा कर पुलिस वहां पहुंची, जहां बोलेरो खड़ी थी. कार का दरवाजा खुला था. पिछली सीट पर एक युवक की लाश पड़ी थी. लाश को उन्होंने कार से बाहर निकलवाया और शिनाख्त कराने की कोशिश की.

गनीमत यह रही कि लोगों ने लाश को देखते ही पहचान लिया. उन्होंने थानाप्रभारी जगदीश कुशवाहा को बताया कि लाश अशोक कुमार उर्फ दीपक बरनवाल की है, जो पड़ोस के गांव तिधरा में रहता है और किराना व्यवसाई है.

अशोक की हत्या किसी भारी चीज से सिर पर प्रहार कर के की गई थी, जिस से उस का सिर फट गया था. उस की उम्र 40 के आसपास थी. शरीर से वह हृष्टपुष्ट था. कार के पास ही शराब की खाली बोतल, प्लास्टिक के 2 गिलास और नमकीन के 2 खाली पैकेट पड़े थे. पुलिस ने इस सामान को जाब्ते की काररवाई में शामिल कर के सुरक्षित कर लिया. मृतक के घर उस की हत्या की सूचना भिजवा दी.

मृतक की पत्नी रिशु को पति की हत्या की सूचना मिली तो वह घटनास्थल पर आ गई और पति के शव से लिपट कर रोने लगी. थानाप्रभारी कुशवाहा ने उसे धैर्य बंधा कर शव से दूर किया. रिशु को साथ आई महिलाओं ने संभाला.

थानाप्रभारी जगदीश कुशवाहा अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी अशोक कुमार, एएसपी त्रिभुवन सिंह तथा सीओ जितेंद्र कुमार दुबे भी वहां आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड को भी बुलवा लिया.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. फोरैंसिक टीम ने कार और घटनास्थल की जांच कर साक्ष्य जुटाए. खोजी कुत्ता शव को सूंघ कर भौंकते हुए कुछ दूर गया और गन्ने के खेत के पास जा कर भौंकने लगा.

इस पर टीम ने गन्ने के खेत की सघन तलाशी ली. खेत के अंदर खून सनी लोहे की रौड व खून सना गमछा मिला. टीम ने अनुमान लगाया कि संभवत: उसी रौड से मृतक की हत्या की गई होगी और गमछे से चेहरे का खून पोंछा गया होगा. सबूत के तौर पर टीम ने रौड तथा गमछे को सुरक्षित कर लिया.

कुछ नहीं बताया रिशु ने

मौकाएवारदात पर पुलिस अधिकारियों ने मृतक के कपड़ों की जामातलाशी कराई तो उस की पैंट की जेब से एक पर्स बरामद हुआ, जिस में ड्राइविंग लाइसैंस और कुछ रुपए थे. दूसरी जेब से उस का मोबाइल फोन मिला. पुलिस ने पर्स व मोबाइल फोन सुरक्षित कर लिया. बोलेरो कार को थाने भिजवा दिया गया.

घटनास्थल पर मृतक अशोक की पत्नी रिशु मौजूद थी. पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ की तो उस ने बताया कि अशोक कल रात 8 बजे घर से बोलेरो कार ले कर निकले थे. पूछने पर उन्होंने बताया था कि वह कस्बा जाफराबाद में एक बारात में जा रहे हैं. रात 11 बजे के पहले लौट आएंगे. लेकिन वह वापस घर नहीं आए. किसी ने उन की हत्या कर दी. आज सुबह 10 बजे जब पुलिस से सूचना मिली तब वह यहां आई.

‘‘तुम्हारे पति की किसी से रंजिश या लेनदेन का कोई झगड़ा तो नहीं था?’’ पुलिस अधिकारियों ने पूछा.

‘‘सर, उन की न तो किसी से रंजिश थी और न ही किसी से लेनदेन था. वह अपनी किराने की दुकान चलाते थे. सरल स्वभाव की वजह से उन की पासपड़ोस के गांवों तक जानपहचान थी. पता नहीं किस ने उन की हत्या कर दी.’’

‘‘तुम्हें किसी पर शक है?’’ एएसपी त्रिभुवन सिंह ने रिशु से पूछा.

‘‘सर, हमें किसी पर शक नहीं है. हम नाम ले कर किसी को झूठमूठ नहीं फंसाना चाहते.’’

घटनास्थल का निरीक्षण व पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतक का शव पोस्टमार्टम के लिए जौनपुर के जिला अस्पताल भिजवा दिया. साथ ही अज्ञात हत्यारों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करा दिया गया.

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एसपी अशोक कुमार ने इस ब्लाइंड मर्डर का रहस्य खोलने के लिए एक पुलिस टीम का गठन किया. इस टीम में थानाप्रभारी जगदीश कुशवाहा, सीओ (शाहगंज) जितेंद्र कुमार दुबे, एसआई मनोज सिंह, भूपत राम, कांस्टेबल करतार सिंह, जयदेव मिश्रा, महिला सिपाही राखी यादव, पूनम तथा सर्विलांस टीम को सम्मिलित किया गया. टीम की कमान एएसपी त्रिभुवन सिंह को सौंपी गई.

गठित पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण कर के पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया. फिर मृतक की पत्नी रिशु तथा उस के पड़ोसियों से पूछताछ की. रिशु ने तो अपना रटारटाया बयान ही दिया. लेकिन पड़ोेसियोंं ने पुलिस को जानकारी दी कि रिशु मनचली औरत है.

उस के घर उमेश का आनाजाना था, जो अशोक को अच्छा नहीं लगता था. वह इस का विरोध करता था.

उमेश को ले कर अशोक व रिशु में झगड़ा भी होता था. अशोक की हत्या का रहस्य रिशु के पेट में ही छिपा हो सकता है.

रिशु रडार पर आई तो पुलिस टीम ने उस से दोबारा कड़ाई से पूछताछ की. साथ ही उस का मोबाइल भी ले लिया.

पुलिस टीम ने उस का फोन खंगाला तो पता चला कि घटना वाली रात वह 2 मोबाइल नंबरों पर सक्रिय थी. जिन में एक नंबर उस के पति अशोक का था, जबकि दूसरा नंबर ड्राइवर उमेश का था जो तिधरा का ही रहने वाला था.

पुलिस टीम ने उमेश के घर दबिश दी तो उस के घर पर ताला लटका मिला. इस से उस पर पुलिस का शक और भी बढ़ गया. पुलिस टीम ने उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया और 26 जुलाई की दोपहर उसे तिधरा मोड़ से गिरफ्तार कर लिया. उसे थाना खुटहन लाया गया. इसी बीच रिशु को भी हिरासत में ले लिया गया था.

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जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

कातिल बीवी

जिलाधीश – पुलिस अधीक्षक के नाम फर्जी “फेसबुक आइडी” सावधान!

छत्तीसगढ़ में आजकल आईएएस और आईपीएस अफसरों की फर्जी “फेसबुक” आईडी बनाकर ठगी की जा रही है और इस जाल में आसपास के परिचित फंसकर लूट जा रहे हैं. ठग कितने शातिर होते हैं और दूर की सोचते हैं यह आज आपको यह रिपोर्ट पढ़कर जानकारी मिलेगी की जिलाधीश और पुलिस अधीक्षक जैसे वरिष्ठ एवं प्रशासनिक पदों पर बैठे अधिकारियों के नाम पर किस तरह फर्जी फेसबुक आईडी बन जाती है और उनके चिर परिचित समर्थकों को ठग किस तरह ठग रहे हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस जाल में फंसने वाले लोगों को न्याय नहीं मिल पा रहा. वहीं प्रशासनिक अधिकारी भी ठगों को पकड़वा पाने में अभी तक असफल ही सिद्ध हुए हैं. छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर कोरबा, रायगढ़ व अन्य नगरों के शीर्ष अधिकारी यह बात जगजाहिर कर चुके हैं कि उनके फोटो व आईडी का फर्जी इस्तेमाल किया जा रहा है सावधान..!

रायगढ़ जिलाधीश भीम सिंह ने हाल ही में स्वयं फेसबुक में अपने चिर परिचित सभी को आगाह किया कि उनके नाम से एक फर्जी आईडी अस्तित्व में है! और लोगों को फोन करके 20 20 हजार रुपए मांगे गए हैं उन्होंने लिखा कि सभी सावधान रहें और ठगों के जाल में न फंसे.

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मामले में रायगढ़ के नायब तहसीलदार ने कोतवाली पुलिस से लिखित शिकायत की है. पुलिस ने “अज्ञात  ठग” के खिलाफ 419 व आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. कलेक्टर भीम सिंह ने भी फेसबुक में पोस्ट कर फर्जी आईडी से पैसे मांगने की जानकारी देते हुए सावधान रहने को कहा मगर जानकार बताते हैं कि कब ऊपर हाथ डालना अथवा उन्हें पकड़ पाना पुलिस के लिए बेहद टेढ़ी खीर है.

इस संदर्भ में पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह का कहना है कि इसमें यूपी, बिहार  गैंग के सक्रिय होने की आशंका है. सारा माजरा अंतर प्रांतीय ठगों का है.

पुलिस अधीक्षक बन गया शिकार!

कोरबा जिला में पदस्थ पुलिस अधीक्षक  आईपीएस अभिषेक मीणा की फेसबुक आईडी से हूबहू फर्जी आईडी बनाकर उनकी फ्रेंड लिस्ट में जुड़े लोगों से जरूरत बताकर रुपए की मांग की जाने लगी. ठगों की हिमाकत देखिए!इसके लिए 10-20 हजार रुपए एकाउंट में ट्रांजेक्शन करवाया जा रहा  था. फ्रेंड लिस्ट में शामिल लोगों को जब पुलिस अधीक्षक मीणा द्वारा इस तरह फेसबुक के जरिए पैसे मांगने का पोस्ट देखकर  कई लोगों ने इसकी सत्यता जानने के लिए संपर्क किया. तब  मीणा को इसकी जानकारी हुई और उन्होंने फेसबुक पर फर्जी आईडी की स्क्रीन शॉट के साथ इस संबंध में अपनी ओर से सार्वजनिक सूचना दी.उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा -” किसी ने प्रोफाइल पिक लगातार मेरे नाम पर फेक आईडी बनाई है धोखाधड़ी से सावधान रहना हम कार्रवाई करेंगे.”

दरअसल, छत्तीसगढ़ में ठगों की हिमाकत इस हद तक पहुंच गई है कि गणमान्य लोगों को छोड़कर सीधे आईएएस-आईपीएस की फर्जी आईडी से धोखाधड़ी की जा रही है. फेसबुक की प्रोफाइल से पिक्चर व नाम का इस्तेमाल करके फर्जी आईडी बनाने और ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले  सामने आ रहे हैं. शुरुआत में ठगों ने आमजन व व्यापारी वर्ग के फर्जी आईडी बनाकर धोखाधड़ी करते थे लेकिन अब आईएएस-आईपीएस की फर्जी आईडी बना रहे हैं.प्रदेश में इससे पहले कई आईएएस-आईपीएस के फेसबुक पर फर्जी आईडी बनने का मामला सामने आ चुका है.  कोरबा जिले में इससे पहले पाली जनपद सीईओ की फेसबुक पर फर्जी आईडी बनाने का मामला भी सामने आ चुका है.

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हमारे संवाददाता ने जब अभिषेक मीणा से बात की तो उन्होंने कहा जांच कर आरोपियों को पकड़ा जाएगा  पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा ने बताया उन्हें काफी लोगों ने मैसेज करके बताया कि आपके नाम से फेसबुक आईडी पर पैसा मांगा जा रहा है, सच है या फेक यह पूछा. तब मुझे इसका पता चला. उन्होंने कहा इसकी जांच की जाएगी. आरोपियों को पकड़ा जाएगा. इस तरह के ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए लोगों को सतर्क रहना होगा.

कमिश्नर भी बने, ठगों के शिकार!

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर संभाग के संभाग आयुक्त डॉ संजय अलंग विगत समय जब जिलाधीश बिलासपुर हुआ करते थे उनके नाम पर भी ठगों ने एक फर्जी आईडी बना ली थी. जानकार सूत्रों के अनुसार कलेक्टर रहे डॉ. संजय अलंग का फर्जी  फेसबुक अकाउंट फेसबुक अकाउंट बनाकर लोगों से हजारों रूपए उगाही करने का मामला सामने आया. जालसाज ने कलेक्टर के नाम का फर्जी फेसबुक अकाउंट  बना बिलासपुर के दो युवकों को पहले तो अपना दोस्त बना लिया.

फिर उनसे रकम वसूल करने का प्रयास करने लगे. अज्ञात आरोपी ने अपना बैंक अकाउंट नंबर भी लोगों को दिया .शिकायत पहुंचने पर संजय अलग  ने साइबर सेल के माध्यम से आईडी ब्लॉक करने व जांच प्रारंभ करवाई. मगर बताया जा रहा है कि अभी तक ठग पुलिस के कानून के जद से बाहर है.

इस संदर्भ में एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दरअसल ठगों का मनोविज्ञान यह है कि बड़े नेता और आईएएस आईपीएस अधिकारियों के नाम पर फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर इसलिए ठगी की जाती है की बहुत सारे लोग इन नामों और पदों को देखकर पैसे  दे देते हैं. जबकि होना यह चाहिए कि उन्हें यह समझ होनी चाहिए इतने बड़े अधिकारी भला दस बीस हजार, रूपए किसी से क्यों मांगेंगे? लोग बड़े अधिकारियों से संपर्क बनाने मित्रता साधने के नाम पर फेसबुक की मित्रता आसानी से स्वीकार कर लेते हैं फर्जी आईडी  बनाने वाले  लोगों से रकम की भी मांग कर ठगी का जाल फैलाया गया. है शहर के दो युवकों से आरोपी ठग ने यह कहते हुए 20-20 हजार रुपए की मांग की है कि उन्हें यह पैसा दूसरे दिन वापस कर दिया जाएगा. मगर उनकी सतर्कता काम आई और वे बच गए आपसे भी यही आग्रह है कि किसी भी तरह के पैसे की मांग पर आप 10 बार सोचे.

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लूट : अमानत में खयानत

रूपए पैसे ऐसी आकर्षक चीज है जिस के खातिर इंसान की नियत डोल जाती है. जाने कितने किस्से और हकीकत हमारी आंखों के आगे गुजरते जाते हैं. मगर हम उन्हें उन्हें भूल बिसार कर अपने दैनंदिन कार्यों में लग जाते हैं… अक्सर धोखा खा जाते हैं.क्योंकि  रूपए की सार संभाल के संदर्भ में यही कहा जा सकता है कि इस मामले में कभी भी किसी  दूसरे पर पूरी तरह विश्वास नहीं किया जा सकता. थोड़ी भी चूक हुई या फिर नियत बद हुई की रूपया गायब!

आइए.. आज आपको ऐसे ही कुछ घटनाओं से रूबरू कराएं. जिन्हें पढ़ समझ कर आप शायद जीवन में आगे कभी धोखा ना खाएं.

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पहली घटना-

राजधानी रायपुर में एक बड़े शोरूम के विश्वस्त कर्मचारी सदैव बैंक जाकर पैसे जमा करता था. एक दिन  मिलीभगत कर लूट की घटना अंजाम दी गई और पुलिस विवेचना में अंतत: शख्स को जेल जाना पड़ा.

दूसरी घटना-

न्यायधानी बिलासपुर में एक वकील का कंप्यूटर ऑपरेटर जो कि पैसों की भी देख रेख, लेनदेन किया करता था. एक दिन लूट की बात कह कर लाखों रुपए के  लूट  जाने की कहानी गढ़ी और अंततः जेल गया.

तीसरी घटना-

कोरबा जिला के कटघोरा में जनपद पंचायत के एक बाबू ने  अधिकारी का लाखों रुपया ठगने के बहाने लूट की घटना की रिपोर्ट लिखाई. विवेचना के पश्चात अंततः वही दोषी सिद्ध हुआ और जेल गया.

15 घंटे में हो गया खुलासा

छत्तीसगढ़ के कोरबा में प्राइवेट कोल कंपनी में हुई लूट को पुलिस ने 15 घंटे में खुलासा कर  पुलिस ने बताया यह एक मनगढ़ंत घटना थी. 4 अक्टूबर को देर रात पुलिस ने कंपनी के ही असिस्टेंट कैशियर को गिरफ्तार कर उसके घर से 10.5 लाख रुपए बरामद कर लिए. पुलिस इस मामले में अन्य दो आरोपियों की तलाश कर रही है. वस्तुत: असिस्टेंट कैशियर ने ही लूट की झूठी साजिश रची थी.

सैनिक कोल कंपनी द्वारा कर्मचारियों को वेतन बांटने के लिए सदेव के भांति रुपए रखे थे जिस पर नियत खराब हो गई थी.

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दरअसल,  कोरबा के दीपका के एसईसीएल गेवरा परियोजना क्षेत्र स्थित सैनिक माइनिंग कोल ट्रांसपोर्ट कंपनी के दफ्तर में कर्मचारियों को वेतन बांटने के लिए रुपए रखे थे. 3 अक्टूबर 2020 शनिवार रात नकाबपोश बदमाश ऑफिस में चोरी करने घुसे. गार्ड ने देख लिया तो उसे और ड्राइवर को मारपीट कर बंधक बनाया.इसके बाद कथित रूप से 31 लाख रुपए की लूटकर फरार हो गए.

पुलिस को पहले से ही कर्मचारियों पर संदेह हो गया था.

ऐसे में रुपयों की जानकारी रखने वाले कर्मचारियों से पूछताछ शुरू की गई. इसमें असिस्टेंट कैशियर जे एल प्रसाद भी शामिल था. संदेह होने पर पुलिस ने सख्ती से उससे पूछताछ की तो वैश्य समाज उसने मनगढ़ंत लूट की सच्चाई कबूल कर ली.आरोपी कैशियर ने बताया कि उसने पहले ही 10.5 लाख रुपए गायब कर लिए थे.

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परिचितों से लूट कराने  के लिए   उन्हें रकम 31 लाख बताई थी.

पूछताछ में आरोपी असिस्टेंट कैशियर ने बताया कि उसने अपने परिचितों को लूट की साजिश में शामिल किया. इसके लिए कंपनी में रखी रकम 31 लाख रुपए ही बताई. आरोपी जेएल प्रसाद कंपनी में बीस सालों से काम कर रहा था.

कुछ सच भी, कुछ मिथ्या भी!

लूट की ऐसी मनगढ़ंत घटनाओं में यह भी देखा गया है कि लोग बीस पच्चीस वर्षों से सेवा अनवरत रूप से देते आ रहे थे. मगर परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी कि उन्होंने अमानत में खयानत कर डाली और अपने वर्षों की साख की पूंजी को दांव पर लगा दिया. वहीं यह भी देखा गया है कि अक्सर कुछ परिस्थितियां ऐसी बन जाती है जिनमें कर्तव्यनिष्ठ ईमानदार कर्मचारियों को झूठे मामलों में फंसाया भी जाता है. मगर अंततः कोर्ट कचहरी और पुलिस विवेचना में सच्चाई सामने आ जाती है.

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उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता बी.के. शुक्ला बताते हैं कि ऐसे मामलों में अक्सर आरोपी पुलिस विवेचना के समय ही पकड़ लिया जाता है. क्योंकि वह कोई पेशेवर  अपराधी नहीं होता, पैसों की लालच में अथवा आवश्यकता के कारण वह यह भूल करता है.और अपनी साख तो गंवाता ही है जेल जाकर अपना जीवन भी बर्बाद कर लेता है.

पुलिस अधिकारी शशि भूषण सिंह ने बताया कि दरअसल, ऐसे मामलों में देखा गया है कि कर्मचारी के सामने जब रूपए पैसे की किल्लत आती है तो वह जहां काम करता है उस संस्थान के रूपयों पर उसकी नियत खराब हो जाती है.

लुटेरी दुल्हनों से सावधान

लुटेरी दुल्हनों से सावधान : भाग 2

सब से बड़ी चूक शिवनारायण शर्मा जैसे पकी उम्र के सयाने लोग यह करते हैं कि कौशल प्रसाद शर्मा जैसे बिचौलियों पर आंख बंद कर भरोसा कर लेते हैं, क्योंकि वह हर इलाके के 1-2 नामी लोगों को जानता-पहचानता है और ऐसे बात करता है मानो हजारों शादियां करा चुका हो.

दूसरी गलती लड़की वालों के बारे में पूरी और पुख्ता जानकारियां हासिल न करने की मानी जाएगी. चूंकि मकान है,

इसलिए वे लोग भी हमारे जैसे होंगे जैसी सोच की कीमत उस वक्त चुकानी पड़ती है, जब लड़की वाले अच्छाखासा मालमत्ता समेट कर रफूचक्कर हो चुके होते हैं.

यह बात सच है कि लड़की वालों से बतौर सुबूत उन के मकान की रजिस्ट्री तो नहीं मांगी जा सकती, लेकिन कभी चुपचाप आ कर पड़ोस में पूछताछ की होती तो यह तो पता चल ही जाता कि ये लोग नएनए आए हैं और जिस मकान को अपना बता रहे हैं, वह किराए का है तो शक बढ़ता है.

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एक और गलती लाखों रुपए के लेनदेन की ऐसे मामलों में अकसर होती है. लड़की वालों की लच्छेदार बातों में फंस कर लड़के वाले गहने और पैसे लड़की वालों को दे देते हैं, जो उन का असल मकसद भी होता है. इस के पूरे होने के बाद वे मिलेेंगे तो यह सोचना ही बेमानी है.

ये भी कम नहीं

हर समाज और जाति की एक बड़ी परेशानी इन दिनों मनपसंद लड़की का न मिल पाना है, क्योंकि रिश्तेदारियों में अब दूरियां बढ़ रही हैं और बिचौलियों ने शादीब्याह तय कराने को एक बड़ा धंधा बना लिया है, जो हर्ज की एकलौती बात इस लिहाज से है कि धंधे में कोई किसी की गारंटी नहीं लेता. हर किसी को अपने हिस्से की रकम और कमीशन से मतलब रहता है.

कौशल प्रसाद शर्मा जैसे लोग तो अकेले ही इस धंधे को करते हैं, इसलिए 2-4 को ठग पाते हैं, लेकिन इन दिनों शादी कराने वालों की बाढ़ सी आई हुई है. जब से मोबाइल फोन लोगों के हाथ में आया है, तब से ठगी का यह धंधा औनलाइन भी फलनेफूलने लगा है. शादी कराने वाली कई एजेंसियां, मैरिज ब्यूरो और मैट्रीमोनियल साइटें अरबों रुपए का कारोबार कर रही हैं, जबकि खुद इन के भरोसेमंद होने की कोई गारंटी नहीं होती.

13 नवंबर, 2019 को ही मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में साइबर पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का परदाफाश किया था, जो कई राज्यों में कुंआरे नौजवानों को मनपसंद शादी का लालच दे कर उन्हें चूना लगा रहा था.

जबलपुर के ही संजय सिंह नाम के नौजवान की रिपोर्ट पर जब पुलिस ने इस गिरोह के सरगना बिहार के मनोहरलाल यादव को गिरफ्तार किया तो कई चाैंका देने वाली बातें सामने आईं.

मनोहरलाल यादव ने अपनी एक चेली के साथ मिल कर कई मैट्रीमोनियल वैबसाइट बना रखी थीं, जिन के नाम बड़े ही लुभावने होते थे. मसलन, जीवन जोड़ी, मैट्रीमोनी आल, बैस्ट मैट्रीमोनियल वगैरह. ये दोनों पहले कुंआरे लड़कों से बातचीत करते थे, फिर अच्छी लड़की दिलाने के नाम पर 5,000 रुपए रजिस्ट्रेशन फीस जमा कराते थे.

असली खेल इस के बाद शुरू होता था, जब कुंआरों को कई खूबसूरत लड़कियों की तसवीरें और बायोडाटा दिखा कर उन्हें फांसा जाता था. इस गिरोह में कुछ लड़कियां भी शामिल थीं. फोटो पसंद आ जाने के बाद लड़कियों के फोन नंबर लड़कों को दे दिए जाते थे और वे इन लड़कियों से सीधे बात करने लगते थे.

बातचीत में ये लड़कियां अपने घरपरिवार की माली हालत और गरीबी का रोना रोती थीं. कई लड़के  झांसे में आ कर उन के बताए गए बैंक खाते में पैसा जमा करा देते थे, जिस से लड़की शादी करने के लिए तैयार हो जाए.

ऐसा ही संजय के साथ हुआ था. गिरोह की एक लड़की ने कोई 7 लाख रुपए उस से ऐंठ लिए और फिर जब उस का फोन बंद आने लगा तो संजय का माथा ठनका और उस ने पुलिस में रिपोर्ट लिखा दी.

चूंकि ऐसी कई शिकायतें लगातार मिल रही थीं, इसलिए पुलिस ने फुरती से कार्यवाही की और मनोहरलाल यादव को धर दबोचा, तो उस ने जुर्म कबूल कर लिया. कई नौजवान तो ऐसे भी थे, जिन्होंने ठगे जाने के बाद भी मारे शर्म और जगहंसाई के डर से रिपोर्ट ही दर्ज नहीं कराई थी.

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इन से ऐसे बचें

क्या लुटेरी दुलहनों से बचा जा सकता है? इस सवाल का जवाब ढूंढ़ना जरूरी है कि पहले ऐसी कुछ वारदात पर एक नजर डाली जाए, जिस से सम झ आए कि कैसेकैसे लोग इन के चंगुल में फंस कर पैसा और इज्जत गंवा बैठते हैं.

केस नंबर 1 : 18 दिसंबर, 2019 को हरिद्वार के रुड़की में हरियाणा के पानीपत के एक विधुर ने अपनी मौसी की बताई जरूरतमंद लड़की से शादी की थी. मंदिर में शादी के बाद पतिपत्नी हरिद्वार के एक होटल में ठहरे.

रात के तकरीबन 2 बजे पति के सो जाने के बाद दुलहन 5 लाख रुपए के गहने और 50 हजार रुपए नकद ले कर फरार हो गई.

सुबह उठने के बाद दूल्हे को इस बात का पता चला तो उस ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई.

केस नंबर 2 : एक लुटेरी दुलहन 23 दिसंबर, 2019 को उत्तर प्रदेश के बरेली से गिरफ्तार की गई. इस मामले में 30 साला दुलहन ममता उर्फ अंजलि उर्फ सीमा की शादी त्रिलोक सिंह यादव से हरियाणा के फरीदाबाद के गांव हथेली में 13 नवंबर, 2019 को हुई थी.

शादी के कुछ दिन बाद ही यह ठगिनी ससुराल वालों को नशीली चीज खिला कर लाखों के जेवरात और नकदी ले कर फरार हो गई थी.

पकड़े जाने के बाद सीमा ने बताया कि वह बिहार के खगडि़या की रहने वाली है और इसी तरह पहले भी शादियां कर लोगों को लूट चुकी है.

इस काम को एक पूरा गिरोह अंजाम देता था. सीमा के बयान की बिना पर उस औरत को भी गिरफ्तार कर लिया गया, जो हर शादी में उस की भाभी का रोल अदा करती थी.

केस नंबर 3 : एक और मामला उत्तर प्रदेश के बदायूं का है. प्रवीण नाम के नौजवान की शादी आजमगढ़ की रहने वाली एक लड़की से हुई थी. दुलहन ससुराल आई और पहली ही रात सब को खाना खिलाया.

इस खाने में उस ने नशीली चीज मिला दी थी, जिस से घर के सारे लोग बेहोश हो गए और रात को वह नकदी और जेवर ले कर चंपत हो गई.

केस नंबर 4 : 10 अक्तूबर, 2019 को इंदौर पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का परदाफाश किया था, जिस के निशाने पर जैन समाज के नौजवान रहते थे.

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इस गिरोह में 4 मर्द और 2 लड़कियां थीं. इन्होंने तकरीबन 2 दर्जन शादियां की थीं और हर बार ससुराल से नकदी व जेवरात ले कर फरार हो गए थे. बाद में यह पैसा गिरोह के सदस्य बांट लेते थे.

गिरोह का मुखिया अनिल वाटकीय नाम का शख्स था, जो जैन लड़कों को फंसाता था.

गौरतलब है कि जैन समाज में शादी लायक लड़कों को लड़कियां नहीं मिल रही हैं, इसलिए इस गिरोह ने 2 लड़कियों रितु राठौर और सपना को ट्रेनिंग दी थी. शादी के बाद तयशुदा प्लान के मुताबिक ये दोनों मौका मिलते ही ससुराल से माल ले कर फरार हो जाती थीं.

लुटेरी दुल्हनों से सावधान : भाग 1

5 दिसंबर, 2019 को मध्य प्रदेश के महाकौशल इलाके के गाडरवारा में गांव सिरसीरी से एक बरात गाजेबाजे के साथ भोपाल आई थी, जिस का दूल्हा रूपेश था और दुलहन का नाम था रागिनी.

रूपेश और रागिनी की शादी ब्राह्मण समाज के एक बिचौलिए कौशल प्रसाद शर्मा ने तय कराई थी, जो भोपाल के नजदीक रायसेन जिले के उदयपुरा के रहने वाले थे.

शादी की बातचीत तकरीबन 3 महीने पहले शुरू हुई थी और रूपेश रागिनी को भोपाल में उस के घर आ कर पसंद भी कर गया था. तब रागिनी के पिता नंदकिशोर शर्मा ने अपने होने वाले दामाद की खूब खातिरदारी की थी.

धीरेधीरे बात आगे बढ़ी तो शादी की तारीख भी 5 दिसंबर, 2019 तय हो गई.

नंदकिशोर शर्मा भोपाल के महामाई का बाग इलाके में रहते थे. रूपेश महामाई का बाग इलाके में 1-2 बार आया भी और जब शादी तय हो गई तो उस के पिता शिवनारायण शर्मा भी घर वालों समेत रीतिरिवाज पूरे करने आए.

इन मुलाकातों के दौरान बिचौलिया कौशल प्रसाद शर्मा मौजूद रहे और बातचीत आगे बढ़ाने में दोनों पक्षों की मदद करते रहे. नंदकिशोर शर्मा शादी पक्की करने सिरसीरी गए थे, तब उन्होंने रूपेश को सोने की एक अंगूठी और कपड़े दिए थे. बाकी रस्में भोपाल में पूरी होना तय हुआ था.

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सगाई की रस्म में शिवनारायण शर्मा ने अपनी होने वाली बहू को तोहफे की शक्ल में 5 तोले सोने की चूडि़यां, आधा तोले सोने की अंगूठी, साड़ी और चांदी की पायलें दी थीं.

शादी नंदकिशोर शर्मा के घर के पास अवधपुरी सी सैक्टर से होना तय हुई थी. दोनों पक्षों ने जब खानेपीने का हिसाब लगाया, तो वह तकरीबन 4 लाख रुपए निकल रहा था.

11 नवंबर, 2019 को जब नंदकिशोर शर्मा शादी का कार्ड देने सिरसीरी गांव पहुंचे, तब यह तय हुआ कि इस प्रीतिभोज का खर्च दोनों पक्ष मिल कर उठाएंगे, इसलिए शिवनारायण शर्मा ने अपने हिस्से के 2 लाख रुपए नकद नंदकिशोर शर्मा को दे दिए. फिर यह सोचते हुए वे बेफिक्र हो गए कि अब बरात के आनेजाने के सिवा कोई खास खर्च नहीं करना है. लिहाजा, वे बेटे की शादी की तैयारियों में जुट गए.

शादी के कार्ड सभी जानपहचान वालों और नातेरिश्तेदारों में बांट दिए गए थे और जिन लोगों को भोपाल बरात में ले जाना था, उन्हें फोन पर निजी तौर पर तैयार रहने को कह दिया गया था.

8 लाख रुपए का चूना

रूपेश की तो खुशी का ठिकाना नहीं था. उस के दिलोदिमाग में रागिनी रचबस गई थी. 5 दिसंबर, 2019 को वह तरहतरह के सपने देखता हुआ बरातियों समेत भोपाल आया था. रास्तेभर बराती खूब मौजमस्ती करते रहे थे.

भोपाल आ कर रूपेश के पिता ने रास्ता पूछने के लिए रागिनी के घर फोन किया तो नंदकिशोर शर्मा का फोन स्विच औफ आ रहा था. उन्होंने लड़की वालों के और भी कुछ नंबर लगाए, तो वे सभी बंद मिले. और तो और कौशल प्रसाद शर्मा का भी फोन नंबर बंद मिला तो वे किसी अनहोनी से घबरा उठे.

बरातियों से भरी बस जैसेतैसे पता पूछतेपूछते शादी वाले घर 284, सैक्टर सी, अवधपुरी पहुंची तो वहां कौए उड़ रहे थे यानी सन्नाटा पसरा था. मंडप, शहनाई, बैंडबाजे का कहीं दूरदूर तक नामोनिशान नहीं था. खैर, घर पर बस रुकी तो बराती एकएक कर उतरने लगे, लेकिन सभी चौंके हुए थे कि आखिर माजरा क्या है. कहां तो रास्तेभर यह सोचते हुए आए थे कि भोपाल में जनवासे में पहुंच कर पहले नहाएंगेधोएंगे और फिर गरमागरम नाश्ता करेंगे, पर यहां तो दरवाजे पर ताला  झूल रहा था.

बरातियों को बातों में मशगूल छोड़ कर शिवनारायण शर्मा मकान के पास पहुंचे. पूछने पर मकान मालिक तारांचद जैन ने जो जवाब दिया, उसे सुन कर उन के पैरों तले जमीन खिसक गई.

ताराचंद जैन ने उन्हें बताया कि नंदकिशोर शर्मा तो तकरीबन एक महीना पहले ही मकान खाली कर गए हैं. कहां गए हैं, यह पूछने पर उन्होंने कहा कि पता नहीं.

इतना सुनना था कि शिवनारायण शर्मा को गश सा आ गया. वे सम झ गए कि उन के साथ जिंदगी का सब से बड़ा धोखा हुआ है. जैसेतैसे उन्होंने खुद को संभाला और बरात वाली बस की तरफ नजर डाली तो उन्हें अपनी इज्जत के चिथड़े उड़ते नजर आए. उन्हें लगा कि सब जानपहचान वाले और नातेरिश्तेदार उन की हालत और बेवकूफी पर हंस रहे हैं और जो हमदर्दी दिखा रहे हैं, वह भी किसी मजाक से कम नहीं है.

बात को संभालने हुए उन्होंने बरातियों से यह बहाना बना दिया कि लड़की वालों के यहां गमी हो गई है, इसलिए शादी अभी नहीं, बल्कि बाद में कभी होगी. हालफिलहाल तो वे नईनई रिश्तेदारी निभाने गमी में शामिल होने जा रहे हैं, इसलिए बाकी लोग इसी बस से वापस चले जाएं.

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बात थी ही ऐसी, इसलिए रंग में भंग पड़ता देख थकेहारे और गमजदा बराती वापस लौट गए. रह गया था वह हिसाबकिताब, जो बापबेटे मिल कर लगा रहे थे कि 2 लाख नकद और 2 लाख रुपए के ही जेवर तो लड़की वाले ले उड़े और 4-5 लाख रुपए अलग से खर्च हो गए.

शिवनारायण शर्मा ने  झूठी उम्मीद के साथ नंदकिशोर शर्मा और कौशल प्रसाद शर्मा को कई बार मोबाइल फोन लगाया, लेकिन वह नहीं उठा तो नहीं उठा.

कुछ और संभलने के बाद उन्होंने तय किया कि इस धोखाधड़ी की रिपोर्ट लिखाना जरूरी है, सो वे सीधे अवधपुरी थाने जा पहुंचे और मौजूदा थाना इंचार्ज अजय नागर को अपने साथ हुए धोखे की रिपोर्ट लिखाई.

अब पछताए होत का

जो होना था वह हो चुका था, लेकिन ऐसे मामले धड़ल्ले से उजागर होने लगे हैं तो सोचा जाना लाजिम है कि गड़बड़ कहां होती है. लड़के और लड़की वालों ने एकदूसरे के घर देख लिए थे और बिचौलिए पर भरोसा करते हुए नेगदस्तूर वगैरह भी कर दिए थे. कहीं किसी शक की गुंजाइश थी ही नहीं, लेकिन लड़के वालों के नजरिए से देखें तो चूक तो उन से भी हुई थी.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

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