#coronavirus : ‘जान भी जहां भी’ की तर्ज पर काम तो कीजिए, कैसे पर…?

सरकार अपनी तरफ से कुछ भी करने का वायदा नहीं कर रही. न सरकारी मशीनरी का वेतन रोका है, न फंसे मजदूरों को कोई राहत दे रहा है, न व्यापारियों को कर माफी की बात हो रही है, न किसानों को कुछ दिया जा रहा है. आखिर सरकार की नीति क्या  है, इस का जवाब है क्या?

ऐसे सवालों को दरकिनार करते हुए सरकार अपना ही राग अलाप रही है. वह कह रही है कि लोग काम करें, पर कैसे, बता नहीं रही. क्योंकि बसें, मैट्रो, रेलें सभी तो बन्द है. मजदूर, गरीब जिन के पास अपना साधन नहीं है, वे कैसे काम पर जा पाएंगे.

ये भी पढ़ें- Lockdown में देश बनता चाइल्ड पोर्नोग्राफी का होटस्पोट

सरकार ने काम को ले कर कुछ छूट तो दी है, पर अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए.

एक तरफ तो कह रही है कि काम करो, वहीं दूसरी तरफ आने-जाने की कोई सुविधा नहीं दे रही. फैक्ट्री में ही काम करो, वहीं रहो और सो जाओ. क्या महिलाएं इन शर्तों पर काम कर पाएंगी? वही कंपनी के मालिक भी ऐसी सोशल डिस्टेन्स की व्यवस्था कैसे कर पाएंगे?

भले ही कुछ सेक्टर में यह छूट 20 अप्रैल से दी जा रही हो, पर सरकार ने अपनी शर्तें भी जोड़ दी हैं. यानी मध्यम वर्ग और गरीब तबके की कमर को और तोड़ने का ही प्रयास किया गया है.

नई गाइडलाइन के तहत ट्रेनों में सुरक्षा से जुड़े लोग ही आजा सकेंगे. इस के अलावा घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उड़ान सेवाओं पर रोक रहेगी. बस, रेल, मेट्रो, ऑटो, तिपहिया टैक्सी बंद रहेंगे. स्कूल, शिक्षण संस्थाएं, कोचिंग संस्थान बंद रहेंगे. औद्योगिक गतिविधियों पर रोक जारी रहेगी. सिनेमा, जिम, माल बंद रहेंगे.

हालांकि, 20 अप्रैल से चुनिंदा जगहों पर कुछ गतिविधियों को मंजूरी मिलेगी, पर सोशल डिस्टेनसिंग बनाए रखना होगा और दफ्तर, सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढकना अनिवार्य किया गया है. सार्वजनिक जगहों पर थूकने पर जुर्माना लगेगा. जिले में आनेजाने व एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर भी रोक रहेगी.

सरकार सुविधाओं के नाम पर लोगों को टॉफ़ी पकड़ा रही है. लोगों को भी सरकारी बोली बोलने को कहा गया है इसलिए किसी राजनीतिक नेताओं के बोल नहीं फूट रहे.

ये भी पढ़ें- #Coronavirus: हमारा कसूर क्या है साहब

वाहवाही सुनने की आदी सरकार ने कोरोना का ऐसा माहौल पैदा कर दिया है कि हर कोई डरा सहमा घर में बंद रहने को मजबूर है.

भले ही 3 मई तक लौक डाउन है, पर इस तरह की छूट मिलने से लौक डाउन 2 कितना कामयाब हो सकेगा, यह तो 20 अप्रैल के बाद ही पता चल सकेगा.

Corona जागरूकता में भोजपुरी के दिग्गज कलाकार आये आगे

देश में कोरोना (COVID-19) एक बड़ा संकट बनता जा रहा है कोरोना संक्रमितों की संख्या में हर रोज भारी इजाफा देखा जा रहा है. इसको देखते हुए प्रधानमन्त्रीं नरेन्द्र मोदी (Naredra Modi) नें लौक डाउन को 3 मई तक के लिए आगे बढ़ा दिया है. लौक डाउन आगे बढ़ाने के पीछे का बस एक ही मकसद है की लोग अपने घरों से बाहर न निकलें. जिससे सोशल डिस्टेंस को बनाये रखनें में मदद मिल सके और कोरोना सक्रमण के फैलाव को रोका जा सके.

ये भी पढ़ें- इस Lockdown देखिए भोजपुरी की ये सबसे बड़ी कौमेडी फिल्म

उत्तर प्रदेश और बिहार में मजदूरों के पलायन के चलते यहाँ कोरोना संकट और भी गहरा गया है. इसका सबसे ज्यादा असर उत्तर प्रदेश पर पड़ा है. यहां हर रोज मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही हैं. चूँकि यूपी और बिहार में भोजपुरी सिनेमा को खूब पसंद किया जाता है और यहाँ भोजपुरी अभिनेताओं के फैन्स की संख्या भी करोड़ों में हैं. इस दशा में भोजपुरी अभिनेताओं और अभिनेत्रियों ने आगे बढ़ कर अपने फैन्स के लिए एक मोटिवेशनल वीडियों बनाया है. जिससे भोजपुरी बेल्ट के लोगों को घर में रहनें और सोशल डिस्टेंस के लिए मोटीवेट किया जा सके.

 

View this post on Instagram

 

Ek chhota sa prayaas tha poori bhojpuri industry ko ek saath laakar desh ki janta ko corona ke khilaaf jaagruk karne ka.Hum sabhi kalakaar ekta ke saath khade hain is mushqil daur mein.Main dhanyawaad dungi sabhi kalakaaron ka jinhone apne video bytes bheje aur unka bhi jo kisi kaaran se nahi bhej paaye.Hamara prayaas hai ki sabhi log lockdown ka paalan karein aur ghar se baahar bilkul na niklein.Corona ko haraana hai,desh ko jeetana hai.Jai hind,Jai bharat. #Manoj tiwari #Dinesh Lal yadav #Ravi kishan #Pawan singh #Khesari lal yadav#Pakhi hegde #Anjana singh #Yash Mishra #Smrity sinha #Vinay Anand #Kk Goswami#Seema singh #Sadhika randhawa #Poonam Dubey #Ritu Singh #Aditya ojha #Anara gupta#Shubham Tiwari #Prem singh #bhavna barthwal #payas pandit #Nehashree #Rohit Singh Matru#CP bhatt #Deepak sinha #Glory mohanta#Sanjay bhushan #Amrish singh #gunjanpant

A post shared by Gunjan pant 💃 (@gunjanpant_official) on

इस मोटिवेशनल वीडियों को बनाने का विचार भोजपुरी अभिनेत्री गुंजन पन्त (Gunjan Pant) और अमरीश सिंह (Amrish Singh) का है. इस वीडियो को सभी भोजपुरी कलाकारों नें अपने घरों में रहते हुए अपने मोबाईल से ही शूट किया है. जिसका एडिटिंग गोविन्द दूबे ( Govind Dubey) नें किया है.
इस वीडियो में भोजपुरी के सभी दिग्गज अभिनेता और अभिनेत्री लोगों से घर में रहनें और सोशल डिस्टेंस बनाये रखने की अपील करते नजर आ रहें हैं. वीडियो की शुरुआत गुंजन पन्त ने कोरोना से जुड़े पंक्तियों से करते हुए किया है. इसके बाद प्रधानमंत्री का सन्देश शामिल किया गया है.

ये भी पढ़ें- Bhojpuri फिल्म ‘जय शंभू’ रिलीज होने से पहले ही क्यों मचा रही है धमाल

इसके बाद सांसद मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) और सांसद रवि किशन (Ravi Kishan) लोगों से अपील करते नजर आ रहें हैं. इस वीडियों में दिनेश लाल यादव (Dinesh Lal Yadav) ‘निरहुआ’ (Nirhua) , पवन सिंह( Pawan Singh), खेसारीलाल (Khesari Lal) ,पाखी हेगड़े (Pakhi Hedge), अंजना सिंह (Anjana Singh) ,गुंजन पन्त (Gunjan Pant), अमरीश सिंह(Amrish Singh), स्मृति सिन्हा (Smriti Singha), विनय आनंद (Vinay Anand), यश कुमार (Yash Kumar), केके गोस्वामी( K.K. Goswami), सीमा सिंह( Seema Singh), सौरव कुमार( Saurav Kumar), साधिका रंधवा(sadhika Randha), रितु सिंह(Ritu Singh), पूनम दूबे(Punam Dubey), अनारा गुप्ता( Anara Gupta) , शुभम तिवारी( Shubham Tiwari), आदित्य ओझा (Aditya Ojha), प्रेम सिंह (Prem Singh), भावना बरथवाल (Bhawna Barthwal), मटरू (Mataru), सीपी भट्ट(C.P. Bhtta), दीपक सिन्हा (Deepak Singha), पायस पंडित (Payas Pandit) , नेहा श्री ( Neha Shree), ग्लोरी मोहंता Glory Mohanta), नें अपने अपने तरीके से लोगों को मोटिवेट करने का प्रयास किया है.

इस वीडियो को बनाने वाले एक्टर्स का कहना को उम्हें विश्वास की भोजपुरी बेल्ट के लोग उनकी अपील जरुर सुनेगें और बेवजह न ही अपने घरों से बाहर निकलेंगे न ही सोशल डिस्टेंस के नियमों को तोड़ेंगे.
इस वीडियो को बनाने में अपनी अहम् भूमिका निभाने वाली गुंजन पन्त नें अपने इन्स्टाग्राम एकाउंट पर वीडियो शेयर करते हुए उसके कैप्शन में लिखा है “एक छोटा सा प्रयास था पूरी भोजपुरी इंडस्ट्री को एक साथ लेकर देश की जनता को कोरोना के खिलाफ जागरूक करने का. हम सभी कलाकार एकता के साथ खड़े हैं इस मुश्किल दौर में. मैं धन्यवाद दूंगी सभी कलाकारों का जिन्होंने अपने वीडियो भेजें और उनका भी जो किसी कारण से नहीं भेज पाए. हमारा प्रयास है कि सभी लोग लॉक डाउन का पालन करें और घर से बाहर बिल्कुल ना निकले. कोरोना को हराना है देश को जिताना है जय हिंद जय भारत.”

ये भी पढ़ें- Lockdown में भोजपुरी क्वीन रानी चटर्जी ने शेयर की सालों पुरानी फोटोज, पहचानना हुआ मुश्किल

Lockdown में देश बनता चाइल्ड पोर्नोग्राफी का होटस्पोट

देश में कोरोना लाकडाउन के बीच इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड (आईसीपीएफ) की तरफ से देश के लिए शर्मनाक रिपोर्ट सामने आई है. इस रिपोर्ट में लाकडाउन के दौरान देश में चाइल्ड पोर्नोग्राफी में अप्रत्याशित और खतरनाक वृद्धि बताई गई है. आईसीपीएफ ने कहा कि ऑनलाइन मोनिटरिंग डेटा वेबसाइट दिखा रही है कि लाकडाउन के बाद लोगों में ‘चाइल्ड पोर्न’, ‘सैक्सी चाइल्ड’ और ‘टीन सैक्सी वीडियो’ की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. इस के साथ ही दुनिया की सब से बड़ी पोर्न वेबसाइट पोर्नहब से यह भी पता चलता है कि लाकडाउन के बाद 24 से 26 मार्च तक देश में चाइल्ड पोर्न की मांग में 95 प्रतिशत वृद्धि हुई है.

इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फण्ड ने इसे ले कर एक रिपोर्ट जारी की, जो भारत के 100 मुख्य शहरों के हालिया शोध पर है. जिस में दिल्ली, चेन्नई, मुंबई, कोलकता इत्यादि शहर शामिल हैं. इस रिपोर्ट का नाम ‘चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मटेरियल इन इंडिया’ है. इस के अनुसार दिसंबर 2019 के दौरान पब्लिक वेब पर 100 शहरों में चाइल्ड पोर्नोग्राफी सामग्री की कुल मांग 50 लाख प्रति माह थी जिस में अब अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. इस रिपोर्ट में हिंसक सामग्री की मांग में 200 प्रतिशत तक की वृद्धि का खुलासा किया गया है. यानी इन हिंसक सामग्री में जबरन सैक्स जैसे बच्चे का गला दबाना (चोपिंग), दर्दनाक सेक्स (ब्लीडिंग) और टॉर्चर इत्यादि आते हैं. इस रिपोर्ट में हिंसक सामग्री के बारे में बताने का मतलब भारतीय पुरुष की बच्चों के प्रति बढ़ती मानसिक दुराचार को दिखाती है साथ ही यह भी दिखाती है कि भारतीय पुरुष सामान्य पोर्नोग्राफी से संतुष्ट नहीं बल्कि हिंसक और बर्बर सामग्री की मांग करते है. यह कुरूप होती मानसिक सोच को दिखाती है.

ये भी पढ़ें- #Coronavirus: हमारा कसूर क्या है साहब

आईसीपीएफ ने अपनी इस रिपोर्ट में चाइल्डलाइन इंडिया हेल्पलाइन की हालिया रिपोर्ट का भी जिक्र किया जिस में पता चला कि लाकडाउन के 11 दिनों के भीतर देश भर से 92000 से अधिक इमरजेंसी कॉल आई. यह कॉल्स यौन दुर्व्यवहार और हिंसा से सुरक्षा को ले कर की गई थी. ‘इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फण्ड’ की रिपोर्ट लाकडाउन अवधी के दौरान सामना किये जाने वाले अत्यधिक यौन खतरे की ओर इशारा करती है. साथ ही ‘चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मटेरियल इन इंडिया’ की रिपोर्ट में बाल यौन शोषण सामग्री की बढती मांग दर्शाती है कि बच्चे लाकडाउन में यौन उत्पीड़क के निशाने पर सब से ज्यादा है. जाहिर है संभावना यह है कि उत्पीड़क और पीड़ित दोनों ही घरों में बंद है.

इस रिपोर्ट में ‘ईसीपीएटी’, ‘यूनाइटेड नेशन’ और ‘यूरोपोल’ की हालिया रिपोर्ट का भी जिक्र किया गया. जिस में चाइल्ड ऑनलाइन ग्रूमिंग का जिक्र किया गया. ऑनलाइन ग्रूमिंग का मतलब इन्टरनेट में बच्चों को सोशल मीडिया में अजनबियों या जानपहचान वालों द्वारा भावनात्मक रिश्ता बना विश्वास में ले कर निजी फोटो या वीडियो की मांग करना. सोशल मीडिया में टीनेजर और बच्चों के साथ इस तरह के अपराध में भारी वृद्धि हुई है. खासकर व्हाट्सएप, फेसबुक में इस का अत्यधिक उपयोग हो रहा है. रिपोर्ट के अनुसार चाइल्ड पोर्न में विशेष उम्र ढूंढी जाती है. ख़ासकर ‘स्कूल गर्ल’ के कंटेंट को खोजा जाता है. इस में उम्र, क्रियाएँ तथा लोकेशन की खोज विशेष तौर पर की जाती है. इस के इतर खासतौर पर हिंसक विडियो की खोज की जाती है.

ये भी पढ़ें- ई-नाम पोर्टल पर तीन नई सुविधाएं, किसान भाई निभाएंगे सोशल डिस्टेंसिंग के नियम

भारत इस समय पूरी दुनिया में सब से ज्यादा पोर्न उपभोगी देश है. भारत में सामान्य 70 प्रतिशत ब्राउज़िंग पोर्न कंटेंट के लिए होती है. देश की स्थिति यह है कि अगर देश में कोई सनसनीखेज बलात्कार हो जाए तो पीड़ित महिला के नाम से वीडियो पोर्नसाईट पर ट्रेंड करने लगती है. प्रियंका रेड्डी के मामला इस का ताजा उदाहरण है. साथ ही एक हालिया रिपोर्ट में इस का एक सब से बड़ा कारण स्मार्टफोन का बढ़ता चलन है. स्मार्टफोन के कारण भारत में लाकडाउन के 3 हफ़्तों के दोरान पोर्नोग्राफी देखने में 20 परसेंट की उछाल आई है. किन्तु यह सारी रिपोर्टस भारत के लिए चिंता का विषय हैं. जाहिर है पोर्नोग्राफी एक समय के लिए किसी के लिए यौनकुंठा को निकालने का जरिया हो लेकिन इस से तरह तरह की मानसिक समस्याएं पैदा होती हैं. अपने पार्टनर के साथ अधिक अपेक्षाएं जुड़ जाती हैं. अलगाव और अवसाद जन्म लेते हैं. यौन अपराधों में बढ़ोतरी होती है. खासकर चाइल्ड पोर्नोग्राफी का बनना और देखना मानसिक संकीर्णता को दर्शाता है.

चाइल्ड पोर्न से जुड़ी यह रिपोर्ट खतरनाक होती स्थिति को दर्शाती है. भारत में फरवरी 2009 चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ संसद में विधेयक सफलतापूर्वक पास हुआ था. यानी चाइल्ड पोर्न को पूरी तरह से गैरकानूनी घोषित किया गया. इस में बच्चों से जुड़े पोर्न वीडियो को प्रसारित और प्रचारित करने वाले को दंड का भी प्रावधान है. जिस में चाइल्ड पोर्न ब्राउज़िंग करने पर 10 लाख तक जुर्माना और 5 साल की सजा मिल सकती है. किंतु ‘इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फण्ड’ की रिपोर्ट भारत के कमजोर आईटी एक्ट की कलह भी खोल रही है कि सब कुछ पता होते हुए भी इस में सरकार मजबूत कदम नहीं उठा पा रही.

ये भी पढ़ें- #Coronavirus: दैनिक मजदूरों की स्थिति चिंताजनक

Corona का चक्रव्यूह, नरेन्द्र मोदी की अग्नि परीक्षा

प्रधानमंत्री दामोदरदास मोदी ने 14 अप्रैल के ऐतिहासिक दिवस पर सुबह 10 बजे कोरोना विषाणु महामारी के बरक्स देश को संबोधित किया. जैसा कि हम जानते हैं यह खबर कल से ही वायरल थी कि मंगलवार को प्रधानमंत्री देश को संबोधित करने जा रहे हैं.और इसके साथ ही बड़ी बेताबी के साथ देश की भयाकांत जनता प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन को सुनने के लिए बेताबी से इंतजार कर रही थी. कुछ लोगों को यह उम्मीद थी कि देश के सर्वे सर्वा होने की फल स्वरुप नरेंद्र मोदी लोक लुभावनी घोषणाएं करेंगे , तो बहुत लोग यह अपेक्षा कर रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती पर प्रतीकात्मक रूप से संबोधन में उन्हें नमन करते हुए राजनीतिक “खिलंदड़ी” दिखा जाएंगे.  और अगर कहेंगे कि देश की जनता तुम डांस करो तो देश की जनता उनके कहने पर सड़कों पर नृत्य भी करने लगेगी.

ये भी पढ़ें- बौलीवुड एक्टर्स को आया गुस्सा किसी नें मोदी तो किसी नें ट्रंप पर उतारा

दरअसल  प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी को देश की जनता को संबोधित करने में आनंद की अनुभूति होती है. क्योंकि आपके आह्वान पर देश की जनता वह सब करने लगती है जो अपने नेता या प्रधान मंत्री  के कहे पर किया जाता है. और विरोधी यह सब देख कर कहते हैं- देखो! किस तरह देश रसातल को जा रहा है. सवाल है, देश को संबोधित कर दिशा देने का और आम गरीब जनता को मजबूत संबल देने का, आज 14 अप्रैल हमारे देश के संविधान निर्माता डॉ बाबासाहेब अंबेडकर के जन्म दिवस पर क्या नरेंद्र मोदी का संबोधन  इन चुनौतियों पर खरा उतर  है. इन प्रश्नों का  प्रति उत्तर देना अभी जल्दबाजी होगी. क्योंकि इनका सही जवाब भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है.

नरेन्द्र मोदी का हाव भाव!

आज जब जैसे ही सुबह  के 10 बजे, देश के सभी टीवी चैनलों पर जैसे समय थम गया. थोड़ी देर में नरेंद्र दामोदरदास मोदी प्रकट हुए उनके हाव भाव बदले हुए नजर आए कोरोना विषाणु के खिलाफ संदेश देते हुए उन्होंने चेहरा ढक रखा था जिसे सबसे पहले उन्होंने हटाया और देश की जनता को संबोधित करते हुए लगभग 20 मिनट तक अपनी बात विस्तार से रखी .आज मोदी के चेहरे पर बेहद गंभीरता दिखाई दे रही थी उनके एक एक शब्द में देश की जनता के लिए दिशा देते हुए संदेश था. उन्होंने अपने इस एक तरह से ऐतिहासिक भाषण में बाबा साहब को याद करने और नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ कोरोना विषाणु पर  कई अहम बातें रखी इसमें सबसे महत्वपूर्ण था देश को आगामी 3 मई तक लाख डाउन पार्ट 2 से गुजारना होगा. जैसा कि उम्मीद थी वही हुआ 30 अप्रैल तक के लाक डाउन की अपेक्षा तो देश कर ही रहा था. जो 3 दिन और बढ़ गई. उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग की बात की. यह कहना भी नहीं भूले की उनकी सरकार ने कोरोना विषाणु के प्रसारण के  पहले ही, देश को संभालने में कोई कोताही नहीं की है .और हां अगर नरेंद्र मोदी एक्शन प्लान नहीं बनाते तो देश में कोरोना के कारण भयावह तस्वीर आज देखने को मिलती. दरअसल, देश को संबोधित करने का कोई भी मौका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं छोड़ रहे हैं और ना ही यह बताने से गुरेज कर रहे हैं कि उनकी सरकार बेहतर से बेहतर कर रही है. मगर जमीनी हकीकत तो देश की आवाम जान ही रहीं है की किस तरह लोग सड़कों पर भूखे, नंगे, बदहवास  घूम रहे हैं.

ये भी पढ़ें- डोनाल्ड ट्रंप की नरेन्द्र मोदी को धमक! : पंचतंत्र की कथा

लोगों के आंसू कौन पोछेगा?

निसंदेह देश की सरकार, चुनी हुई सरकार ऐसे विकट समय में एक गार्जियन  की भूमिका निभाती है. आज का दौर महामारी के कारण आपात काल का समय है.   भले ही  घोषित रूप से देश में इमरजेंसी लागू नहीं हुई है. मगर यह समय इमरजेंसी से आगे का  है क्योंकि आपातकाल तो अल्प  समय के लिए ही होता है. मगर यह महामारी का समय, भीषण त्रासदी का दौर है. जो कब खत्म होगा, यह देश की सरकार भी नहीं जानती. ऐसे में चुनी हुई सरकार से देश की आवाम यही अपेक्षा कर सकती है देश की जनता को किस तरह इस महा संकट से निकाल कर के आप ले जायेंगे! यह समय सरकार के लिए भी एक बहुत बड़ी चुनौती का है, ऐसा समय शताब्दी में कभी कभी आता है. इन दिनों नरेंद्र मोदी के समय काल में यह जारी है. यही कारण है कि यह मोदी के परीक्षा का भी समय है. देश की गरीब गुरबा जनता पानी और खाने के लिए अगर घंटों इंतजार करती है, लाइन लगाती है चूल्हा नहीं जलता पीने का  पानी नहीं है  तो इसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ देश की चुनी हुई सरकार ही हो सकती है. ऐसे में इस चुनौती और परीक्षा की घड़ी को कैसे नरेंद्र मोदी की सरकार पार करेगी, यह  तो समय रेखांकित करेगा.

#coronavirus: हमारा कसूर क्या है साहब

एमपी में स्वास्थ महकमे के चार IAS अफसर कोरोना पौजिटिव है. भोपाल में 142 कोरोना पौजिटिव में स्वास्थ्य विभाग के ही 75 अधिकारी और कर्मचारी है.

इन बड़े IAS अफ़सरों की लापरवाही की सजा उनके नीचे के कर्मचारी और उनके परिवार वाले भुगत रहे हैं. इनमें क्लर्क, चपरासी और ड्राइवर भी हैं. यदि स्वास्थ्य विभाग के लोग इस क़दर संक्रमित नहीं होते तो भोपाल के रहवासी भी इतने सख्त लौकडाउन को  झेलने मजबूर न होते.

ये भी पढ़ें- ई-नाम पोर्टल पर तीन नई सुविधाएं, किसान भाई निभाएंगे सोशल डिस्टेंसिंग के नियम

कोरोना के लिए अब किसी गरीब और किसी क़ौम को दोष नहीं दिया जा सकता साहब .जब ये पढ़े लिखे अफ़सर ही कोरोना की भयावहता नहीं समझ पाए . अपने साहबजादों के‌ विदेश से लौटने की बात छिपाने वाले ये अफसर अपने मातहत अधिकारियों और घरेलू काम करने वाले नौकर चाकरों को  वायरस बाँटते रहे . अपने परिवार का पेट भरने के लिए लौकडाउन को तोड़ने वालेआम आदमी, मजदूर ,किसान और किसी कौम को जिम्मेदार ठहराने के पहले साहब यह भी सोच लो कि कसूर किसका है..

इन दिनों पुलिस छोटी छोटी जगहों पर कोरोना पीड़ितों के खिलाफ मामले दर्ज कर रही है. नरसिंहपुर जिले की चैक पोस्ट पर  एक तेरह साल के किशोर के शव वाहन को केवल इसलिए भोपाल वापस भेज दिया गया कि उस पर कोरोनावायरस के संक्रमित होने का संदेह था. एक छोटे से गांव के दलित युवक पर फेसबुक के माध्यम से कोरोना से संबंधित फर्जी पोस्ट करने पर एफ आई आर दर्ज कर ली गई .भोपाल और आगर के एक एक पत्रकार पर बीमारी फैलाने का आरोप लगाते हुए FIR हुयी है ,मगर इन अफसरों की लापरवाही पर सरकार की चुप्पी समझ से परे है.

ये भी पढ़ें- #Coronavirus: दैनिक मजदूरों की स्थिति चिंताजनक

ई-नाम पोर्टल पर तीन नई सुविधाएं, किसान भाई निभाएंगे सोशल डिस्टेंसिंग के नियम

कोरोना (कोविड-19) वायरस से किसानों को कोई नुकसान नहीं हो, इसके लिए सरकार नई-नई योजनाओं और राहतों की घोषणाएं कर ही है. अब केंद्र सरकार ने देश के करोड़ों लघु और सीमांत किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) पोर्टल पर तीन सुविधाएं लांच की है. तो आइये जानते है इसके बारे में….

केंद्रीय कृषि मंत्री ने बीते सप्ताह कोरोना वायरस के संक्रमण काल में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का ख्याल रखते  हुए , किसान भाईयों के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार के ई- प्लेटफ़ॉर्म की प्रभावशीलता बनाने के लिए तीन उपयोगकर्ता के अनुकूल सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को लॉन्च किया. इससे किसानों को अपनी उपज को बेचने के लिए खुद थोक मंडियों में आने की जरूरत कम हो जाएगी. वे उपज  वेयरहाउस  में रखकर वहीं से बेच सकेंगे.

ये भी पढ़ें- #Coronavirus: मानवता हुवी शर्मसार, एम्बुलेंस के अभाव में बच्चे ने तोड़ा दम

कोरोना वाय़रस के संक्रमण के इस दौर में इसकी आवश्यकता है. साथ ही एफपीओ अपने संग्रह से उत्पाद को लाए बिना व्यापार कर सकते हैं व लॉजिस्टिक मॉड्यूल के नए संस्करण को भी जारी किया गया है, जिससे देशभर के पौने चार लाख ट्रक जुड़ सकेंगे. परिवहन के इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से उपयोगकर्ताओं तक कृषि उपज सुविधापूर्वक शीघ्रता से पहुंचाई जा सकेगी.

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि अनाज, फल और सब्जियों की आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने में मंडियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. नई सुविधाओं से छोटे और सीमांत किसानों को काफी सहूलियत होगी. वे अपनी उपज मान्यता प्राप्त गोदामों में रख पाएंगे, लॉजिस्टिक्स खर्चों को बचा सकेंगे और बेहतर आय अर्जित करते हुए देशभर में उपज को अच्छे तरीके से बेचकर खुद को परेशानी से बचा सकते हैं. मूल्य स्थिरीकरण समय और स्थान उपयोगिता के आधार पर किसान आपूर्ति और मांग की तुलना करते हुए फायदे में रहेंगे.

ये भी पढ़ें- Lockdown में सहारा बने ग्रामीण चिकित्सक

एफपीओ को बोली के लिए अपने आधार/संग्रह केंद्रों से अपनी उपज अपलोड करने में सक्षम बनाया जा सकेगा. वे बोली लगाने से पहले उपज की कल्पना करने में मदद के लिए आधार केंद्रों से उपज और गुणवत्ता मापदंडों की तस्वीर अपलोड कर सकते हैं. एफपीओ के पास सफल बोली लगाने के बाद मंडी के आधार पर या अपने स्तर से उपज वितरण का विकल्प रहेगा. इन सबसे मंडियों में आवागमन कम होने से सभी को सुविधा होगी, परिवहन की लागत कम होगी. साथ ही ऑनलाइन भुगतान की सुविधा मिलेगी.

आपको बता दे कि ‘ ई-नाम’ पोर्टल 14 अप्रैल 2016 को शुरू किया गया था, जिसे अपडेट कर काफी सुविधाजनक बनाया गया है. इसमें पहले से ही 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 585 मंडियों को ई-नाम पोर्टल पर एकीकृत किया गया है इसके अतिरिक्त 415 मंडियों को भी ई-नाम से जल्द ही जोड़ा जाएगा, जिससे इस पोर्टल पर मंडियों की कुल संख्या एक हजार हो जाएगी. ई-नाम पर इन सुविधाओं के कारण किसानों, व्यापारियों व अन्य को मंडियों का चक्कर काटने की जरूरत नहीं होगी.

ये भी पढ़ें- #Coronavirus: यमराज की अपील

#coronavirus: दैनिक मजदूरों की स्थिति चिंताजनक

ग्रामीण क्षेत्रों में लौक डाउन की वजह से दैनिक मजदूरों की हालत अत्यंत चिंताजनक हो गयी है. ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले दिहाड़ी मजदूर कृषि कार्य, भवन निर्माण, सरकारी योजना या बड़े बड़े ठीकेदारों द्वारा बनाये जा रहे सड़क, पुल पुलिया निर्माण में कार्य करने वाले लोगों का  काम पूर्णतः ठप्प है. इनके घरों में चूल्हा तभी जलता है जब दिन भर काम करते हैं. शाम को मजदूरी मिलती है. इनके घरों में महीने भर का राशन पानी नहीं रहता.

सुरेश राम भवन निर्माण के कार्यों में दैनिक मजदूरी का काम करते हैं. मजदूरी के रूप में 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मिलता है. पत्नी बच्चों के साथ साथ बृद्ध माता पिता हैं. कुल सात परिवार हैं. लॉक डाउन की वजह से काम धंधा बन्द है.

ये भी पढ़ें- #Coronavirus: मानवता हुवी शर्मसार, एम्बुलेंस के अभाव में बच्चे ने तोड़ा दम

मुन्नी एक आदमी के घर में खाना बनाने,बर्तन धोने और झाड़ू पोछा का काम करती है. लॉक डाउन की वजह से उसके मालिक ने काम छोडवा दिया है. इनके घरों में चूल्हा जुटना मुश्किल हो गया है.मुन्नी ने दिल्ली प्रेस को बतायी की भारतीय युवा मंच के कुछ युवा लोग मेरे घर पर आकर राशन और जरूरी सामान पन्द्रह दिन के लिए देकर गए हैं जिससे तत्काल में काम चल रहा है. अधिकांशतः घरों में काम करने वाली कामकाजी महिलाओं को उसके मालिक ने काम से हटा दिया है. इन महिलाओं के साथ भुखमरी की समस्या पैदा हो गयी है

.राजू पासवान राजमिस्त्री का काम करता है. काम धंधा बन्द होने की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.घर में जमा किये हुवे पैसा पत्नी की बीमारी में समाप्त हो गए .

लोगों के द्वारा मालूम हुआ कि सरकार के तरफ से प्रति परिवार पाँच किलो अनाज फ्री में दिया जाएगा.लेकिन अभी तक नहीं मिला है.जनवितरण प्रणाली विक्रेता से पूछने पर बताता है कि आएगा तब न देंगे.अपना जमीन बेचकर थोड़े देंगे.इसी तरह महानगरों से किसी तरह पैदल मालगाड़ी या कोई माध्यम से अपने घरों तक पहुँचे कुछ मजदूरों को स्कूल या सामुदायिक भवन में रखा गया है. जो मजदूर अपने घरों में भी हैं. उन्हें कृषि कार्यों में भी किसान नहीं लगा रहे हैं. यहाँ तक कि उनसे लोग इतना घृणा कर रहे हैं कि वह एक ब्यक्ति नहीं बल्कि कोरोना वायरस है.

अगर यही हालात रह गए और लॉक डाउन अधिक दिनों तक खींच गया तो कोरोना वायरस से क्या भूख और कुपोषण से इन मजदूरों के परिवार वाले दम तोड़ने लगेंगे.

ये भी पढ़ें- Lockdown में सहारा बने ग्रामीण चिकित्सक

गाँव में बहुत सारे सुखी सम्पन्न लोग हैं जिनके पास गरीबी रेखा वाला राशन कार्ड है. बहुत सारे ऐसे गरीब और मजबूर लोग हैं जिनके पास राशन कार्ड नहीं है. टेलीविजन अखबार और रेडियो पर सरकार द्वारा घोषणाओं का अंबार है. देख सुनकर येसा लगता है कि लोगों तक पैसों और हर तरह की सामग्री भरपूर मात्रा में पहुँच रही है. कहीं किसी चीज की कोई कमी नहीं है. लेकिन वास्तविक स्थिति कुछ अलग ही है. घोषणाओं का सिर्फ ढोल पीटा जा रहा है. लोगों तक वे चीजें पहुँच नहीं पा रही है. मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री राहत कोष में दिए गए अरबों रुपये इन बेसहारा भूखों नंगों तक नहीं पहुँच पा रहा है. दुष्यंत कुमार की गजल की पंक्ति है – सारी नदियां सुख जाती है, मेरे गांव के आते आते.

Lockdown में गुटखा नहीं दिया तो दुकानदार को मार दी गोली

कोरोना के कहर से जहां पूरे देश में लौकडाऊन है, वहीं कुछ असामाजिक तत्व भी हैं जो न सिर्फ नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, संगीन अपराध करने से भी बाज नहीं आ रहे.

घटना उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के विंध्याचल की है. लौकडाउन के कारण वहां जरूरी दुकानें ही खुली थीं. इसी दौरान कुछ असामाजिक लोग एक दुकान में गुटखा लेने पहुंचे. दुकानदार ने कहा कि हमारे दुकान पर नहीं बिकता. इस बात को ले कर बदमाशों का दुकानदार से झगङा हो गया. दुकानदार ने इस बीच बदमाशों से कहा भी कि अभी लौकडाऊन में सब बंद है और दुकान में जरूरी सामनों की ही किल्लत है तो फिर गुटखा तो दूर. इस पर बदमाश कहने लगे कि दुकान के अंदर जा कर देखेंगे. दुकानदार ने इस का विरोध किया. बात काफी बढ गई. बदमाशों ने पहले तो दुकानदार को गंदीगंदी गालियां दीं और फिर उन में से एक ने उस की गोली मार कर हत्या कर दी. हत्या करने के बाद सभी बदमाश फरार हो गए.

ये भी पढ़ें- दूसरी शादी जुर्म है!

घटना ने खोली सतर्कता की पोल

यह सनसनी घटना अमरावती चौराहा पैट्रोल टंकी के पास रात 9:00 बजे की है. घटना की जानकारी मिलने पर अपर पुलिस अधीक्षक नगर मौके पर पहुंचे और घटना की जानकारी ली, मगर इस वारदात ने पुलिस की सतर्कता की भी पोल खोल कर रख दी है कि अपराधी कैसे लौकडाउन की चौकसी के बीच ही असलहा ले कर घूम रहे थे और पुलिस को इस की भनक तक नहीं लगी थी?

वारदात के बाद अब पुलिस अधिकारी आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से सुराग की कोशिश में जुटी है.

पिस्तौल लहराते भागे बदमाश

जानकारी के मुताबिक, अमरावती चौराहा पैट्रोल टंकी के पास राधेश्याम मौर्य की दुकान है और यह इलाका काफी चहलपहल वाला है. गोली की आवाज लोगों ने सुनी तो आसपास के लोग जुटने लगे. मगर इस से पहले कि लोग जुटते बदमाश पिस्तौल लहराते भाग गए.

ये भी पढ़ें- बेगम बनने की चाह में

आननफानन में घटना की सूचना पुलिस को दी गई और 108 नंबर पर काल कर ऐंबुलेंस बुलाया गया.तत्काल दुकानदार को अस्पताल के लिए भेजा गया लेकिन रास्ते में ही उस की मौत हो गई.

वारदात के वक्त पहुंचे एसपी सिटी प्रकाश स्वरूप पांडेय और थानाध्यक्ष वेद प्रकश राय ने परिजनों और अन्य लोगों से घटना के बारे में पूछताछ की. वायरलेस से सूचना प्रसारित कर बाइक सवारों को देखते ही पकड़ने के लिए बोला गया, लेकिन काफी देर बाद भी सफलता नहीं मिली.

खुद भी रहें सावधान

इस घटना से आसपास के लोग सकते में हैं और पुलिस पर सवाल भी खङे कर रहे हैं कि लौकडाऊन में इतनी सतर्कता के बावजूद भी अगर बदमाश पिस्तौल ले कर चल रहे हैं तो जाहिर है वे बङीबङी वारदातों को भी अंजाम दे सकते हैं. जगहजगह पुलिस बेरिकेड के बावजूद कोई असलहा ले कर घूमे तो जाहिर है लोगों का पुलिसप्रशासन से विश्वास भी डगमगाएगा ही.

ऐसे में पहली बात तो यह कि लोगों को चाहिए कि वे घरों में रहें और किसी अनजान व्यक्ति को घर में कतई न आने दें. लौकडाऊन में अपराधी किस्म के लोग इस का फायदा उठा कर गंभीर वारदात को अंजाम दे सकते हैं.

ये भी पढ़ें- पहले की छेड़छाड़, फिर जिंदा जलाया

लत है गलत

दूसरा, नशा चाहे शराब की हो या गुटखा अथवा सिगरेट की, लत लग गई तो छोङे नहीं छूटती. परिवार के लोगों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चों पर नजर रखें खासकर लड़कों पर कि उन की किनकिन से दोस्ती है और वे कहांकहां आतेजाते हैं. पुलिसप्रशासन से जरूरी यह भी है कि अभिभावक अपने बच्चे पर भी कङी नजर रखें ताकि बेहतर परवरिश से उन को शिक्षित बना सकें, उन्हें अपने पैरों पर खङे कर सकें. लत अगर बुरी लग गई तो इस की जद में आरोपी के साथ परिवार वाले भी आ जाते हैं.

पुलिस आज न कल बदमाशों को गिरफ्तार जरूर कर लेगी. वे सालों जेलों में सङेंगे पर सवाल अब भी और तब भी वही होगा कि बुरी लत को मन पर हावी करने का हस्र हमेशा गलत और खतरनाक ही होता है.

#coronavirus: मानवता हुवी शर्मसार, एम्बुलेंस के अभाव में बच्चे ने तोड़ा दम

बिहार राज्य अंतर्गत जहानाबाद जिला से एक दिल दहलाने वाली घटना प्रकाश में आयी है.जहानाबाद सदर अस्पताल ने एम्बुलेंस मुहैया नहीं कराया इसकी वजह से एक तीन वर्षीय बच्चे की मौत हो गयी. बताया जाता है कि उक्त बच्चे का ईलाज पहले कुर्था स्वास्थ्य केंद्र पर किया गया.लेकिन स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो सका.सदर अस्पताल जहानाबाद के लिए यहाँ से रेफर किया गया .जब एम्बुलेंस की मांग की गयी तो नहीं मिल सका. बच्चे के माता पिता किसी तरह औटो रिक्शा से सदर अस्पताल जहानाबाद ले गए.वहाँ से इस बच्चे को पटना पी एम सी एच के लिए रेफर कर दिया गया.

बच्चे के माता पिता ने एम्बुलेंस के लिए बहुत आग्रह किया लेकिन पदाधिकारियों द्वारा मुहैया नहीं कराया गया.थक हारकर माता पिता बच्चे को गोद में लेकर पैदल चल दिये.उम्मीद थी कि शायद कहीं प्राइवेट गाड़ी मिल जाय लेकिन गाड़ी नहीं मिल सकी. सड़क पर चलते चलते माँ के गोद में ही बच्चा ने दम तोड़ दिया.माँ बाप चीख चीख कर सड़क पर ही बैठकर रोने लगे. बच्चे के मृत्यु के बाद सदर अस्पताल पुनः आकर एम्बुलेंस की माँग की लेकिन नहीं मिल सका. मजबूर होकर बच्चे के शव को गोद में उठाये पैदल ही रोते बिलखते चल दिये.एक आदमी को दया आयी उसने अपने निजी गाड़ी से इनलोगों को घर तक पहुँचाया .

ये भी पढ़ें- Lockdown में सहारा बने ग्रामीण चिकित्सक

बच्चे के पिता गिरजेश कुमार ने बताया कि अगर मुझे एम्बुलेंस उपलब्ध कराया जाता तो मेरे बच्चे की जान नहीं जाती.जब यह मामला तूल पकड़ा तो डी एम नवीन कुमार ने हॉस्पिटल मैनेजर को सस्पेंड कर दिया और सिविल सर्जन से जवाब तलब किया है.दो डाक्टर और चार नर्स पर कार्यवाई हेतु स्वास्थ्य विभाग को डी एम ने पत्र लिखा है.

कोरोना वायरस के बीच बढ़ते संक्रमण के बीच यह मामला बिहार सरकार की तैयारी का पोल खोलकर रख दिया है.

बिहार के सभी प्रखण्ड स्तरीय अस्पतालों में ओ पी डी सेवा बन्द कर दी गयी है.सर्दी खाँसी और बुखार अगर किसी को है तो उसे बड़े अस्पतालों में रेफर कर दिया जा रहा है.लेकिन उसे एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है.लॉक डाउन की वजह से प्राइवेट गाड़ी नहीं मिल पा रहा है.लोग मजबूर हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत सारे ऐसे मरीज हैं जिनका ईलाज राजधानी के अस्पतालों से चलता है.उनलोगों के पास दवा समाप्त हो गयी है.लोकल बाजारों में वे दवाएँ उपलब्ध नहीं है.नवल सिंह ने बताया कि मेरा हर्ट की दवा पटना के डॉक्टर के देख रेख में चलता है.दवा समाप्त हो गयी है.गाड़ी पटना नहीं आ जा रही है.उन्होंने बताया कि सिर्फ मेरे बस्ती के आठ लोगों का ईलाज पटना से चलता है.लगभग सभी लोगों के पास दवा समाप्ति के कगार पर है.

ये भी पढ़ें- #Coronavirus: यमराज की अपील

लोगों के बचाव और सुरक्षा के लिए लौक डाउन रखा जाय लेकिन इस तरह के मरीजों का ख्याल भी रखा जाय कि जिनका जीवन दवा पर ही आधारित है.उनका जीवन कैसे चलेगा.

लौक डाउन की वजह से वे कोरोना से नहीं पहले से चल रहे दूसरे बीमारी के ईलाज और दवा के अभाव में लोग दम तोडने लगेंगे.

Lockdown में सहारा बने ग्रामीण चिकित्सक

लेखक- शम्भू शरण सत्यार्थी

कोरोना कोविड 19 बीमारी को लेकर सरकारी  जिला अस्पताल से लेकर प्रखण्ड स्तर पर स्थापित अस्पतालों में आउट डोर बन्द हैं. यहाँ अन्य किसी प्रकार की बीमारी का ईलाज नहीं किया जा रहा है. सिर्फ कोरोना से संदिग्ध मरीजों के ईलाज के लिए तामझाम के साथ ब्यवस्था की गयी है. ब्लॉक स्तर पर स्थापित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और कहीं कहीं रेफरल अस्पताल में स्टाफ चौबीस घण्टे तैनात हैं.ग्रामीण

क्षेत्रों में सरकार द्वारा संचालित अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र बन्द कर दिए गए हैं.उन स्टाफों को ब्लॉक स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या रेफरल अस्पताल और सदर अस्पताल में ड्यूटी लगा दी गयी है. लेकिन ब्लॉक स्तरीय सरकारी अस्पतालों में विशेष काम नहीं है. इसलिए कि जब आउट डोर बन्द कर दिया गया है तो मरीजों की संख्या नहीं के बराबर है.महानगरों से आये जिन मजदूरों को अगर सर्दी खाँसी है तो उन्हें तत्काल रेफर कर दिया जा रहा है. रेफर करना लोग इसलिए चाह रहे हैं कि हमलोग जहमत मोल क्यों लें ?

मौसम में बदलाव की वजह से सर्दी खाँसी और वायरल बुखार से बहुत लोग परेशान हैं.सरकारी अस्पतालों में आउट डोर की ब्यवस्था बन्द कर दी गयी है.

ये भी पढ़ें- #Coronavirus: यमराज की अपील

अब लोग जायें तो जाएँ कहाँ कोई उपाय नहीं ? जिसे सरकार और बड़े लोग हेय दृष्टि से देखते हैं. लोग जिन्हें झोला छाप डॉक्टर बोलते हैं.

ये झोला छाप और क्वैक के नाम से जाने जाने वाले डॉक्टर लोगों की सेवा में चौबीस घण्टा हाजिर हैं.अपना निजी क्लिनिक चलाने वाले डॉ अरविंद कुमार ने बताया कि मेरा अस्पताल रेफरल अस्पताल के ठीक बगल में है.वहाँ ओ पी डी बन्द रहने की वजह से लोग ईलाज कराने के लिए मेरे पास आ रहे हैं.मैं गरीब मरीजों का निःशुल्क ईलाज करा रहा हूँ. हमें जितनी जानकारी है उस हिसाब से मैं लोगों का ईलाज कर रहा हूँ. इन्हीं के पास ईलाज करा रही प्रमिला देवी ने बतायी की मुझे कई दिनों से बुखार लग रहा था.ठीक नहीं हो रहा था.यहाँ जब डॉक्टर साहब के पास आये तो इन्होंने जाँच कराया तो टायफायड बुखार निकला अब तीन चार दिन से बिल्कुल ठीक हैं.

घर के लोग चिंतित थे और दूरी भी बनाने लगे थे.किसी को सर्दी बुखार या खाँसी हो रहा है तो लोग उसे सन्देह की निगाह से देख रहे हैं. हमारे लिए तो डॉ अरविंद बाबू भगवान के समान हैं.निजी क्लिनिक और साथ में लैब टेक्नीशियन संजय कुमार लोगों का तो इलाज अपने क्लिनिक में कर ही रहे हैं. अपने तरफ से  मास्क गरीब मुहल्ले में जाकर बाँट रहे हैं और लोगों को कोरोना जैसी बीमारी से बचने के लिए उपाय भी बता रहे हैं. सुदूर देहात में रहने वाले अरुण कुमार रंजन ने बताया कि मैं अपने गाँव में लोगों का निःशुल्क ईलाज करता हूँ.सुई देता हूँ.मैं कोई डॉक्टर तो नहीं हूँ लेकिन मुझे जो जानकारी है. एक डॉक्टर के साथ में रहकर मैंने जो सीखा है. उस आधार पर मैं लोगों का ईलाज करता हूँ.इस समय सरकारी अस्पतालों में आम बीमारियों का ईलाज नहीं हो रहा है. लोग मेरे पास आ रहे हैं.

ग्रामीण मोहन सिंह ने बताया कि अगर हमारे गाँव मे अरुण जैसा आदमी नहीं होता तो हमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता.इसी तरह राजेश विचारक ने बताया कि मैं हड्डी से सम्बंधित ईलाज करता हूँ लेकिन इस समय लोग अन्य बीमारियों से सम्बंधित मरीज मेरे पास आ रहे हैं. मुझे जितनी जानकारी है. उस हिसाब से मैं लोगों का ईलाज कर रहा हूँ.मरीजों का ईलाज करने वाले शिक्षक सन्तोष कुमार ने बताया कि मैं पहले ईलाज करता था उसके बाद सरकारी शिक्षक बन गया लेकिन ईलाज करने का सिलसिला सुबह शाम और रात्रि में जारी रहा.आज लॉक डाउन के दौरान मेरे पास लोग ईलाज कराने के लिए आ रहे हैं और उनका मैं अपने जानकारी के हिसाब से ईलाज कर रहा हूँ.

ये भी पढ़ें- पकी फसल पर भारी पड़ रहा है Corona का कहर

वास्तव में अगर ये ग्रामीण क्षेत्रों में ये इलाज करने वाले ग्रामीण चिकित्सक नहीं होते तो इस लॉक डाउन की वजह से लोगों को और परेशानियों का सामना करना पड़ता.महानगर के बड़े अस्पतालों में ईलाज कराने वाले लोगों की दवा ग्रामीण क्षेत्र के बहुत लोगों के पास समाप्त हो गयी है.आवागमन बन्द है.लाचार होकर वैसे लोग भी इन ग्रामीण चिकित्सकों से राय सलाह कर तत्कालिक दवाB लेकर सेवन कर रहे हैं.कोरोना जैसी बीमारी के बढ़ते प्रभाव को देखकर बिहार में इन प्राइवेट डॉक्टरों को भी तत्कालिक प्रशिक्षण देकर सेवा लेने की कवायद चल रही है.लेकिन अभी तक यह कागजों तक ही सीमित है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें