लेखक- शम्भू शरण सत्यार्थी
कोरोना कोविड 19 बीमारी को लेकर सरकारी जिला अस्पताल से लेकर प्रखण्ड स्तर पर स्थापित अस्पतालों में आउट डोर बन्द हैं. यहाँ अन्य किसी प्रकार की बीमारी का ईलाज नहीं किया जा रहा है. सिर्फ कोरोना से संदिग्ध मरीजों के ईलाज के लिए तामझाम के साथ ब्यवस्था की गयी है. ब्लॉक स्तर पर स्थापित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और कहीं कहीं रेफरल अस्पताल में स्टाफ चौबीस घण्टे तैनात हैं.ग्रामीण
क्षेत्रों में सरकार द्वारा संचालित अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र बन्द कर दिए गए हैं.उन स्टाफों को ब्लॉक स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या रेफरल अस्पताल और सदर अस्पताल में ड्यूटी लगा दी गयी है. लेकिन ब्लॉक स्तरीय सरकारी अस्पतालों में विशेष काम नहीं है. इसलिए कि जब आउट डोर बन्द कर दिया गया है तो मरीजों की संख्या नहीं के बराबर है.महानगरों से आये जिन मजदूरों को अगर सर्दी खाँसी है तो उन्हें तत्काल रेफर कर दिया जा रहा है. रेफर करना लोग इसलिए चाह रहे हैं कि हमलोग जहमत मोल क्यों लें ?
मौसम में बदलाव की वजह से सर्दी खाँसी और वायरल बुखार से बहुत लोग परेशान हैं.सरकारी अस्पतालों में आउट डोर की ब्यवस्था बन्द कर दी गयी है.
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अब लोग जायें तो जाएँ कहाँ कोई उपाय नहीं ? जिसे सरकार और बड़े लोग हेय दृष्टि से देखते हैं. लोग जिन्हें झोला छाप डॉक्टर बोलते हैं.
ये झोला छाप और क्वैक के नाम से जाने जाने वाले डॉक्टर लोगों की सेवा में चौबीस घण्टा हाजिर हैं.अपना निजी क्लिनिक चलाने वाले डॉ अरविंद कुमार ने बताया कि मेरा अस्पताल रेफरल अस्पताल के ठीक बगल में है.वहाँ ओ पी डी बन्द रहने की वजह से लोग ईलाज कराने के लिए मेरे पास आ रहे हैं.मैं गरीब मरीजों का निःशुल्क ईलाज करा रहा हूँ. हमें जितनी जानकारी है उस हिसाब से मैं लोगों का ईलाज कर रहा हूँ. इन्हीं के पास ईलाज करा रही प्रमिला देवी ने बतायी की मुझे कई दिनों से बुखार लग रहा था.ठीक नहीं हो रहा था.यहाँ जब डॉक्टर साहब के पास आये तो इन्होंने जाँच कराया तो टायफायड बुखार निकला अब तीन चार दिन से बिल्कुल ठीक हैं.