सौजन्य- मनोहर कहानियां

28 अक्तूबर, 2018 की बात है. सुबह के 11 बज चुके थे. देवास शहर के थाना सिविल लाइंस के टीआई  विवेक कनोडिया अपने औफिस में बैठे थे, तभी एक महिला उन के पास आई. उस ने टीआई को अपने  पति के गुम होने की बात बताई. उस युवती ने अपना नाम पिंकी बता कर कहा कि वह विशाल सोसायटी में अपने पति सुनील कुमार के साथ रहती है. कल करवाचौथ का त्यौहार था. त्यौहार के बाद पति और मैं एक ही कमरे में सोए हुए थे. सुबह जब मेरी आंख खुली तो पति बिस्तर पर नहीं थे. हमारे मेनगेट की कुंडी भी बाहर से बंद थी, जो पड़ोसी से खुलवाई. पति को कई जगह ढूंढा, जब कहीं पता नहीं चला तो थाने चली आई.

मामला गंभीर था. टीआई को लगा कि या तो पति-पत्नी के बीच कोई झगड़ा हो गया होगा या फिर सुनील का किसी दूसरी औरत से चक्कर चल रहा होगा. लेकिन पिंकी ने लड़ाई झगड़े या पति का किसी दूसरी औरत से चक्कर की जानकारी होने से न केवल इनकार किया, बल्कि बताया कि कल करवाचौथ की रात हम दोनों काफी खुश थे.

पिंकी ने यह भी बताया कि सुनील अपना मोबाइल तो छोड़ गए लेकिन घर में रखे 20 हजार रुपए और कुछ चैक अपने साथ ले गए. मामला समझ से परे था. टीआई विवेक कनोडिया ने सुनील कुमार की गुमशुदगी दर्ज करने के बाद पास के गांव बामनखेड़ा में रहने वाले सुनील के मातापिता को बुलवा कर उन से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि बहू-बेटे हंसी-खुशी साथ रह रहे थे.

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