करंट से मौत, बनाम 24 हत्यारे!

छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य अंचल है जहां जंगल है, वन्य प्राणी है . और जंगल के दंतैल प्राणियों से बचने के लिए गांव में अक्सर ग्रामीण कुछ ऐसे गैरकानूनी और खतरनाक हथकंडे अपनाते हैं कि वन्य प्राणी के साथ-साथ इंसान भी अपनी जान खो बैठते हैं.

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ऐसे में यह कल्पना बेहद मुश्किल  है कि कोई इंसान इन के फंदे में फंस जाता है और बेवजह बेमौत मारा जाता है. आइए! आपको बताते हैं एक सच्चा घटनाक्रम जिसमें जंगली सूअर को मारने के लिए ग्रामीणों ने बिजली के नंगे तार गांव में बिछा दिया और गांव के 24 लोग अपराधी बन गए. इसमें  मारा गया एक  युवक आनंद अपनी प्रेमिका से मिलने जा रहा था…..! आगे क्या हुआ, शायद इसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते! हम आपको आगे वह सारा घटनाक्रम बता रहे हैं.

पहली घटना-

जिला कोरबा के बालको नगर के निकट दोंदरो में एक ग्रामीण ने अपने फसल को बचाने के लिए चारों तरफ विद्युत करंट बिछा दिया. एक हाथी आया और करंट के चपेट में आकर मारा गया.

दूसरी घटना-

जिला रायगढ़ के धर्मजयगढ़ वन मंडल में ग्राम हाटी में एक ग्रामीण ने हाथी से बचने के लिए घर के आस-पास करंट के तार बिछा दिए. जिसमें एक व्यक्ति चपेट में आकर हलाक हो गया.

तीसरी घटना-

अंबिकापुर के एक ग्राम में ग्रामीणों ने हाथियों से बचने के लिए आसपास करंट बिछा दिया जिसमें दो व्यक्ति आकर मृत्यु का ग्रास बन गए. अनेक ग्रामीणों को इस कारण पुलिस ने जेल भेजा है.

आनंद राठिया की मौत का रहस्य

आनंद राठिया नामक एक युवक की मौत के रहस्य से पर्दा उठाते हुए  हुए एडिशनल एसपी कीर्तन राठौर ने बताया कि प्रार्थी मनबहाल राठिया निवासी ग्राम बेहरचुवा द्वारा थाना करतला में रिपोर्ट दर्ज कराई  कि प्रार्थी का  सुपुत्र आनंद राठिया  8 सितंबर 2020 के रात्रि करीब 8 बजे घर से बिना बताये कहीं चला गया है. काफी खोजबीन करने पर भी पता नहीं चल रहा है. मामले में थाना करतला में गुम इंसान कायम कर आनंद राठिया का पतासाजी की जा रही थी. प्रथम दृष्टया मामला प्रेम संबंध का प्रतीत हुआ एवं आनंद राठिया के संदिग्ध परिस्थितियों में गायब होने के कारण पुलिस अधीक्षक कोरबा अभिषेक मीणा द्वारा इस प्रकरण को गभीर मामला मानकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक  कीर्तन राठौर के नेतृत्व में विशेष टीम का गठन कर आनंद राठिया के  तलाश करने हेतु निर्देशित किया गया था . पुलिस अधीक्षक कोरबा अभिषेक मीणा को मुखबीर के माध्यम से सूचना प्राप्त हुई कि दिनांक 8 सितंबर 2020 को ग्राम सुमरलोट के जंगल में ग्रामीणों द्वारा जंगली सुअर मारने हेतु विद्युत करंट प्रवाहित तार बिछाया गया था जिसकी चपेट में आने से आनंद राठिया की मृत्यु हो गई थी. ग्रामीणों द्वारा मृतक आनंद राठिया के मौत को छिपाने के उद्देश्य से आनंद राठिया के शव को ग्राम सुअरलोट दमक पहाडी धोरा डोगरी में मोहलाईन पेड़ के नीचे जंगल में ही गाड़ दिया गया है . पुलिस अधीक्षक  अभिषेक मीणा द्वारा उपरोक्त सूचना के तस्दीक हेतु अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक  कीर्तन राठौर को तत्काल मौके पर भेजा गया.

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करंट से मौत का खुलासा

मुखबीर से प्राप्त सूचना के आधार पर कार्यपालिक दण्डाधिकारी करतला के उपस्थिति में मृतक आनंद राठिया के शव को उखड़वाकर मर्ग पंचनामा कार्यवाही किया गया . संपूर्ण जांच पर पाया गया कि आरोपीगण मयाराम राठिया एवं उसके अन्य 23 साथियों द्वारा जंगली सुअर का शिकार करने के उद्देश्य से दिनांक 8 सितंबर 2020 को रात्रि में ग्राम खुंटाकुड़ा से ग्राम सुअरलोट के बीच पहाड़ी में लगभग 1.5 किलोमीटर दूरी तक नंगा जीआई तार में बिजली करंट जोड़ा गया था. रात मे  आनंद राठिया जंगल में आरोपीगण द्वारा जोड़े गये बिजली करंट प्रवाहित तार के चपेट में आ गया जिससे मौके पर उसकी मौत हो गई आरोपीगण द्वारा मृतक आनंद राठिया के मौत को छिपाने के उद्देश्य से रात्रि में ही मृतक के शव को एक प्लास्टिक के चटाई में लपेटकर नईखार पहाड़ी के पास झाड़ी में छिपाकर रख दिये एवं दूसरे रात्रि में सभी लोग मृतक के शव को ग्राम सुअरलोट दमक पहाड़ी मे एक पेड़ के नीचे जंगल में गड्ढा खोदकर दफन कर दिया  .मामले में आरोपी मयाराम राठिया सहित कुल 24 आरोपीगण के  खिलाफ मामला पंजीबद्ध हुआ है. प्रकरण में अब तक 14 आरोपी गिरफ्तार कर लिये गये है शेष 10 आरोपी फरार है, जिन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जायेगा.

हत्या का सच छुपाने गांव वालों ने ली शपथ

पुलिस जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि सुअरलोट के कुछ ग्रामीणों द्वारा  जंगली सुअर फंसाने के लिए खूंटकुडा से सुअरलोट के मध्य डेढ़ किलोमीटर लंबा जीआई तार खींच करंट प्रवाहित किया गया. घटना की रात प्रेमिका से मिलने आया आनन्द टॉर्च की रोशनी को समझा कि प्रेमिका के परिजन जान गए हैं और उसे मारने आ रहे हैं.इसी भय में भागते वक्त करेंट के तार की चपेट में आ गया जबकि उसका दोस्त  दूसरी दिशा में भाग निकला .इधर तार के सम्पर्क में आते ही स्पार्क हुआ और सुअरमारने वालों को लगा कि सुअर फंस गया, तब मौके पर पहुंचे तो युवक का शव देखकर सभी भयभीत हो गए.

लाश देख कर सुअर मारने वाले शव को चटाई में लपेटकर नरईखार पहाड़ी के पास झाड़ी में छिपा दिया दूसरी रात 5 -7 लोग करीब साढ़े 5 किलोमीटर दूर पहाड़ के ऊपर ले जाकर लकड़ी के सहारे गड्ढा खोदकर शव को लकड़ी सहित दफना दिया. आनन्द का मोबाइल, मेमोरी चिप, सिम कार्ड को बंद बोर के गड्ढे में डाल दिया व फेंक दिया. मृतक के कपड़े भी जला दिए. तत्पश्चात गांव में बैठक कर  राज छिपाए रखने की शपथ ली गई.पुलिस ने मुख्य आरोपी सहित शव को ठिकाने लगाने और जान कर भी नहीं बताने वाले कुल 24 लोगों पर जुर्म दर्ज हुआ है पुलिस के  अनुसार सुअरलोट करीब 100 परिवारों का  छोटा सा गांव है जिनमें आधे परिवार से कोई न कोई सदस्य आरोपी है.

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यह घटना एक सबक है!

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला के करतला थाना अंतर्गत यह घटना  बताती है कि किस तरह ग्रामीण अंचल में आज भी समझदारी के अभाव में “विद्युत करंट” जैसे माध्यमों का उपयोग जंगली जानवरों के आखेट करने के लिए  नासमझी का खेल जारी   है. पुलिस अधिकारी विवेक शर्मा बताते हैं कि ग्रामीण अंचल में पहले ग्रामीण गड्ढे खोदकर के वन्य प्राणियों को अपना शिकार बनाया करते थे अथवा खाने में जहर देकर के भी वन्य प्राणियों को मारा जाता रहा है मगर अब जिस तरीके से “करंट” का उपयोग किया जा रहा है’, वह अपने आप में बहुत ख़तरनाक और चिंता का सबब है.

सामाजिक कार्यकर्ता इंजीनियर रमाकांत श्रीवास के अनुसार ग्रामीणों को यह समझ दे जा रही है की किसी भी हालत में  “करंट फैलाना” एक गंभीर अपराध है. वहीं इसका शिकार उनके अपने परिजन, बच्चे अभी भी हो सकते हैं. अतः ऐसे कृत्य से ग्रामीणों को बचना चाहिए.

डॉक्टर जी आर पंजवानी कहते हैं सुअरलोट गांव की यह घटना यह संदेश देती है कि सरकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं को ग्रामीण अंचल में विद्युत के खतरनाक खेल से बचने के लिए  जागरूकता प्रसारित करना अपरिहार्य  है. एक व्यक्ति की हत्या में 24 लोगों का अपराधी बनना समाज के लिए चिंता का विषय है.

अंधविश्वास : काले बाबा की काली करतूत

21 अक्तूबर, 2020 की रात के तकरीबन 9 बजे जब लोगों की भीड़ कम हो गई तो कुछ लोगों ने एक मजार से सट कर बनाए कोठरीनुमा कमरे के नीले रंग के दरवाजे पर दस्तक देनी शुरू की. कमरे के बाहर दरवाजे के पास एक जोड़ी आदमी के जूते और एक जोड़ी औरत की चप्पल रखी थी. इस से यह बात साफ समझ आ रही थी कि कमरे के अंदर एक आदमी और एक औरत मौजूद हैं.

दरवाजे पर दस्तक देने वाले 3 से 4 लोग थे. उन के हाथों में मोबाइल कैमरे थे. वे लोग वीडियो बना रहे थे. कमरे के अदंर से कोई आवाज नहीं हुई.

इस बीच मजार पर रहने वाला निसार हुसैन उर्फ काले बाबा बगल के दरवाजे से निकल कर आया और पूछने लगा, ‘यह सब क्या कर रहे हो?’

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काले बाबा को लगा कि उस की धौंस से वहां आए लोग भाग जाएंगे. पर वहां माहौल दूसरा था. लोगों ने काले बाबा को पीटना शुरू कर दिया और उस पर दबाव डाला कि वह कमरा खुलवाए.

दूसरों के दर्द का इलाज करने का दावा करने वाले काले बाबा के चेहरे की हवाइयां उड़ चुकी थीं. उसे साफ पता चल चुका था कि अब उस का परदाफाश हो चुका है. उस की कोई जुगत काम नहीं आई. कमरा खुलवाना पड़ा.

एक आदमी अंदर से निकला और उस ने भागने की कोशिश की. कमरे के अंदर पीली रोशनी देता एक बल्ब जल रहा था. परदा डाल कर कमरे को 2 हिस्सों में बांट दिया गया था, जिस से किसी के कमरे में आने पर परदे के हिस्से को छिपाया जा सके.

परदे वाले हिस्से पर नीचे जमीन पर बिस्तर लगा था. बिस्तर पर एक औरत बैडशीट ओढ़ कर लेटी थी. आवाजें सुन कर वह उठी और अपना सलवारकुरता पहनने लगी. औरत के जिस्म पर केवल ब्रा और पेंटी ही थी.

वीडियो बनाने वाले उस की इसी दशा को कैमरे में कैद कर रहे थे. इस के बाद लोगों ने पुलिस को सूचना दी. पुलिस वहां आई तो तमाम लोग काले बाबा से मारपीट करे थे. उन का वह सहयोगी भाग चुका था.

ठाकुरगंज थाने की पुलिस वहां आई और काले बाबा को पकड़ कर ले गई. बाबा के खिलाफ मुकदमा कायम हो गया. उस को जेल भेज दिया गया.

बाबा का सहयोगी फरार हो गया है. पुलिस उस को तलाश रही है. महिला को पुलिस ने निजी मुचलके पर पूछताछ के बाद छोड़ दिया.

काले बाबा की काली करतूतों की जानकारी लखनऊ पुलिस को पहले से थी, पर वह अभी तक चुप थी, क्योकि उस के पास काले बाबा के खिलाफ कोई सुबूत नहीं थे.

बात सुबूत की नहीं है, बल्कि धार्मिक और संवेदनशील मामलों में पुलिस सीधे ऐक्शन लेने से बचती है. इस वजह से काले बाबा का यह गोरखधंधा चल रहा था.

राख से इलाज की शुरुआत

यह हाल है उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ठाकुरगंज में बने जामा मजार का. यह मजार ठाकुरगंज के रईस मंजिल इलाके के पास है. इस मजार का नाम दरगाह सैयद अहमद शाह शहीद (ईरानी) उर्फ पिन्नी वाले बाबा है. मजार पर सालाना उर्स होता है.

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मजार के पास लगे बैनर में इस के बारे में सब लिखा है. इस में काले बाबा का फोटो और उस का मोबाइल नंबर भी लिखा है. वहां हर वीरवार और रविवार को सफेद दाग, बच्चे न होने की बीमारी, मानसिक परेशानी, भूतप्रेत उतारने समेत कई दूसरी किस्म की तमाम बीमारियों का भी इलाज होता था.

ऐसे में कई बार मरीज बुधवार से ही यहां आना शुरू हो जाते थे. बीमारों में ज्यादा तादाद औरतों की होती थी. इन में 25 साल से 40 साल उम्र की औरतों की तादाद ज्यादा होती थी. सब से ज्यादा मानसिक परेशानी, सफेद दाग और बच्चे न होने की दिक्कत वाले लोग वहां जमा होते थे. कई औरतें ऐसी होती थीं, जिन के बच्चे न होने के चलते उन के पति तलाक देने की धमकी देते थे.

मजार के पास मन्नत के लिए जो भी औरतें जाती थीं वे धूप, अगरबत्ती और मजार पर चादर चढ़ाती थीं. इस के बाद काले बाबा औरतों के सिर पर मोरपंख की झाड़ू मार कर उन के दुख दूर करने का काम करता था. जो औरत देखने में खूबसूरत और कम उम्र की होती थी, उस से वह किसी न किसी बहाने बात करने की कोशिश करता था.

ऐसी औरतों को देख कर उन के सिर पर झाड़ू मारते समय बाबा कहता था, ‘आप बहुत परेशान हैं. बीमारी आप का पीछा नहीं छोड़ रही है. बीमारी को दूर भगाने के लिए खास झाड़फूंक करनी होगी.’

आमतौर पर औरतें इस खास झाड़फूंक के बारे में पूछने लगती थीं. ऐसे में बाबा उन्हें अपने सहयोगी के पास भेज देता था. बाबा का सहयोगी खास झाड़फूंक के बारे में बताने लगता था, जिस की शुरुआत राख लगाने से होती थी. राख लगाने के लिए औरतों को बाद में बुलाया जाता था.

जब मजार पर भीड़ कम होती थी, तब राख लगाने के लिए औरत को मजार के बगल वाले कमरे में ले जाया जाता था. इस के बाद बाबा का सहयोगी औरतों कोे अपने कपड़े उतार कर लेट जाने को कहता था. जब कोई औरत इस के लिए तैयार हो जाती थी तो मजार की गरमगरम राख ले कर औरत के शरीर पर राख से मसाज की जाती थी.

मसाज करते समय का वीडियो भी धोखे से बना लिया जाता था. इसी वीडियो को दिखा कर औरतों को बाद में ब्लैकमेल कर के उन से कई तरह के नाजायज काम कराए जाते थे और इसी के डर से उन को मुंह बंद रखने के लिए मजबूर किया जाता था.

आपसी झगड़े में खुला राज

काले बाबा का मजार पर कब्जा था. लंबे समय से वह यहां रहता था. बाबा अपने सहयोगी बदलता रहता था. तकरीबन 6 महीने पहले इदरीश नामक एक सहयोगी को बाबा ने मजार के काम से बेदखल कर दिया था. इदरीश मजार पर सफेद दाग का इलाज कराने आने वाली एक औरत से मुहब्बत कर बैठा था. काले बाबा को यह बात पंसद नहीं थी. काले बाबा ने जब इदरीश को मजार के काम से बाहर किया तो वह बाबा और उंस की काली करतूतों की जानकारी लोगों को देने लगा. बात पुलिस तक भी पहुंची थी.

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चौक एरिया के असिस्टैंट पुलिस कमिश्नर एसीपी आईपी सिंह कहते हैं, ‘बाबा लंबे समय से औरत की झाड़फूंक और इलाज का काम कर रहा था. कई बार लोगों ने शिकायत की, पुलिस ने भी छानबीन की, पर कोई सुबूत सामने नहीं आया था.’

इदरीश को यह पता था कि जब तक काले बाबा के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं होगा, तब तक कोई बाबा की हरकतों पर यकीन नहीं करेगा. पर इदरीश बाबा से डरता भी था, क्योकि बाबा के पास उस के भी कुछ राज थे. ऐसे में उस ने 4-5 लोगों को बताया कि बाबा राख लगाने के नाम पर औरतों के साथ गलत हरकत  करता है. लोगों को यकीन नहीं हो रहा था. ऐसे में बुधवार को उस ने कहा कि कमरा खुलवा कर देख लो.

इदरीश लोगों को भड़का कर खुद पूरे मामले से बाहर हो गया. लोगों को जब यह लगा कि कमरे में औरत के साथ गलत हरकत हो रही है तो वहां मजमा लग गया और काले बाबा रंगे हाथ पकड़ा गया.

ठाकुरगंज थाने के प्रभारी निरीक्षक राजकुमार कहते हैं, ‘बाबा और उस के साथियों के चंगुल में जो भी औरतें फंस जाती थीं, ये लोग उन को ब्लैकमेल भी करते थे. पुलिस पूरे मामले की जांच कर के दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करेगी.’

जानकारी के मुताबिक बाबा के जाल में 100 से भी ज्यादा औरतें फंसी हैं. उन की जानकारी भी जमा की जा रही है.

हैवान बना पति

हैवान बना पति : भाग 2

पति की बात सुन कर सविता सन्न रह गई, फिर बोली, ‘‘पिताजी ने हमारी शादी में अपनी हैसियत से कहीं ज्यादा खर्च किया था. मेरी शादी के लिए उन्होंने अपनी जमीन तक बेच दी थी. अब मैं उन से रुपयों की डिमांड नहीं कर सकती. आप को भी ऐसी डिमांड नहीं करनी चाहिए.’’

सविता की ‘ना’ सुनते ही पवन को गुस्सा आ गया. वह सविता से गालीगलौज करने लगा. इसी बीच पवन की मां दयावती आ गई. उस ने आग में घी का काम किया. उस रोज बात इतनी ज्यादा बढ़ गई कि पवन ने सविता की पिटाई कर दी.

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कुछ दिनों बाद दीपावली पर भाईदूज के दिन बड़ा भाई गोविंद सविता से टीका करवाने उस की ससुराल आया. उस ने सविता को दुखी देखा तो उसे अपने साथ ही लिवा ले गया. मायके में सविता ने मातापिता को अपनी व्यथा सुनाई. उस ने बताया कि पवन को नई कार बुक कराने के लिए 2 लाख रुपए चाहिए.

सविता की मां कलावती को यह सुन कर गुस्सा आ गया. उस ने सविता को ससुराल जाने से मना कर दिया. एक सप्ताह बाद पवन सविता को विदा कराने पहुंचा तो कलावती ने उसे भेजने से इनकार कर दिया. साथ ही असमर्थता भी प्रकट कर दी थी, ‘‘दामादजी, हम रुपयों का बंदोबस्त नहीं कर पाएंगे.’’

बाद में पवन के वादा करने पर कि वह आगे कोई मांग नहीं करेगा और सविता को भी ससुराल में कोई परेशानी नहीं होगी, कलावती ने सविता को विदा कर दिया.

दरअसल यह समझौता रिश्तेदार मनोज कुमार ने बीच में पड़ कर कराया था. मनोज की मध्यस्थता से ही पवन और सविता की शादी हुई थी.

कहने को तो पवन इस बात का आश्वासन दे कर सविता को विदा करा कर ले आया कि सविता को आइंदा कोई परेशानी नहीं होने देगा. लेकिन हुआ इस के विपरीत. पवन को सविता द्वारा मायके में शिकायत करना नागवार लगा. वह उसे किसी न किसी बहाने प्रताडि़त करने लगा. बात उस दिन और अधिक बिगड़ जाती, जिस दिन मां दयावती पवन के कान भर देती.

ऐसे ही एक रोज जब पवन हैवान बना तो सविता ने इस की जानकारी फोन से अपनी मां को दे दी. इस पर कलावती ने बेटी की ससुराल कन्नौज आ कर पवन और उस की मां को खूब खरीखोटी सुनाई. यह बात पवन को बहुत बुरी लगी.

वह मां के अपमान से तिलमिला उठा. उस का कलावती से झगड़ा हुआ. कलावती ने धमकी दी कि यदि तुम लोगों ने बेटी को प्रताडि़त करना बंद नहीं किया तो वह पूरे परिवार को फंसा देगी. सब जेल जाओगे.

कलावती की इस धमकी से पूरा परिवार सहम गया. एक ओर जहां सविता की जेठानियों ने उस से किनारा कर लिया, वहीं दयावती भी अपने बड़े बेटे राजीव के साथ रहने लगी. राजीव की पत्नी रोमी से उस की पटरी खाती थी. सविता को उम्मीद थी कि सास जेठानी के साथ रहेगी तो झगड़ा नहीं होगा. पर ऐसा नहीं हुआ. पवन पहले की अपेक्षा उसे और अधिक प्रताडि़त करने लगा.

एक सुबह सविता बाथरूम में नहा रही थी और पवन कमरे में लेटा था तभी सविता के मोबाइल की घंटी बजी. पवन ने स्क्रीन पर नजर डाली तो वीरेंद्र का नाम आ रहा था. पवन ने फोन रिसीव करते हुए हैलो कहा तो काल करने वाले ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.

कुछ देर बाद सविता बाथरूम से नहा कर निकली तो पवन ने पूछा, ‘‘यह वीरेंद्र कौन है? वह तुम्हें फोन कर रहा था.’’

‘‘मुझे पता नहीं कौन है?’’ सविता ने सफाई दी.

‘‘पता नहीं या झूठ बोल रही हो. कहीं तुम्हारे मायके का यार तो नहीं है?’’ पवन ने शक जाहिर किया.

‘‘किसी का गलती से फोन लग गया होगा और तुम मुझ पर बदचलनी का आरोप लगाने लगे. शरम आनी चाहिए तुम्हें.’’ सविता पति पर बिफर पड़ी.

पवन को भी गुस्सा आ गया. वह उसे गरियाते हुए बोला, ‘‘हरामजादी, एक तो बदचलन, दूसरे सिर उठा कर मुझे बेशरम कह रही है.’’ पवन ने उसे लातघूंसों से पीटना शुरू कर दिया. वह चीखतीचिल्लाती रही पर सासजेठानी में से कोई भी उसे बचाने नहीं आया.

दूसरे रोज सविता रूठ कर मायके चली गई. इस बार वह अपनी मासूम बेटी रानू को भी साथ ले गई थी.

घर कलह का असर बेटी पर न पड़े, इसलिए सविता ने उसे मायके में रखने का निर्णय कर लिया था. मायके में वह एक सप्ताह तक रही, फिर जब गुस्सा ठंडा पड़ा तो बेटी को मायके में छोड़ कर ससुराल आ गई.

पवन गुस्से से भरा बैठा था. सविता लौट कर आई तो बोला, ‘‘इतनी जल्दी क्यों लौट आई, मायके के यारों के साथ कुछ दिन और मन बहला लेती. ऐसी मौज हमारे घर कहां मिल पाएगी. यहां तो मर्यादा में ही रहना होगा.’’

पति की बात सुन कर सविता को गुस्सा तो बहुत आया, पर झगड़ा टालने के लिए वह गुस्सा पी गई और पवन को जवाब नहीं दिया.

सविता की चुप्पी का पवन ने गलत अर्थ लगाया. उसे पक्का यकीन हो गया कि सविता बदचलन है. यारों से मिलने के लिए ही वह बारबार मायके जाती है.

पवन के मन में अब पत्नी की बदचलनी का भी भूत सवार हो गया था. वह सविता पर बदचलनी का लांछन लगा कर उसे पीटने लगा. शराब के नशे में कभीकभी वह हैवान भी बन जाता था. पर अब उन दोनों के झगड़े के बीच परिवार का कोई अन्य सदस्य नहीं आता था.

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मार्च, 2020 में देश में कोरोना महामारी के चलते लौकडाउन हो गया, जिस से सारी व्यावसायिक गतिविधियां ठप हो गईं. पवन का धंधा भी बंद हो गया. बुकिंग बंद होने से उसे अपनी कार घर में खड़ी करनी पड़ी.

आमदनी घटी तो घर में झगड़ा और बढ़ गया. सविता खर्च के लिए पैसा मांगती तो पवन मना कर देता. इस बात पर दोनों में झगड़ा होता. ऐसे में सविता दखलअंदाजी करने के लिए अपनी मां कलावती को घर बुला लेती. पवन को अपनी सास कलावती की दखलअंदाजी पसंद नहीं थी.

जब कलावती अपनी बेटी का पक्ष ले कर पवन पर तीखे शब्दों का प्रयोग करती, तो पवन बौखला उठता. उस का सास से भी झगड़ा हो जाता. ऐसे में वह आपा खो बैठता और सविता को सास के सामने ही पीटता.

20 अगस्त, 2020 की सुबह सविता ने घर खर्च की मांग की तो पवन ने मना कर दिया. इस बात को ले कर दोनों में फिर झगड़ा हुआ. सविता ने फोन कर मां कलावती को बुला लिया.

रोजरोज की किचकिच से कलावती भी परेशान हो गई थी. लिहाजा वह बेटी को ले कर सरायमीरा पुलिस चौकी पहुंच गई. वहां पुलिस ने पवन को बुला कर पत्नी और सास के सामने जलील किया. साथ ही हिदायत दे कर समझौता भी करा दिया. इस के बाद सब वापस घर आ गए.

पत्नी व सास का पुलिस चौकी जाना फिर पुलिस द्वारा जलील करना पवन को नागवार लगा. वह अपमान से भर उठा. इसी बात को ले कर 20 अगस्त की रात 12 बजे पवन और सविता में फिर झगड़ा होने लगा. कलावती बेटी का पक्ष ले कर पवन पर हमलावर होने लगी.

पवन पहले ही गुस्से से भरा बैठा था. वह सविता को पीटने लगा. कलावती बेटी को बचाने आई तो पवन कमरे में रखा हंसिया उठा लिया और मांबेटी पर प्रहार करने लगा.

पवन का रौद्र रूप देख कर सविता और कलावती जान बचाकर छत पर भागीं. पवन पीछा करता हुआ छत पर ही आ गया.

वह हैवान बन चुका था. हंसिया से वार पर वार कर उस ने सविता व उस की मां कलावती को मौत की नींद सुला दिया. इस पर भी जब उस का गुस्सा शांत नहीं हुआ तो उस ने मांबेटी को दूसरी मंजिल की छत से नीचे फेंक दिया.

डबल मर्डर करने के बाद पवन छत से उतर कर नीचे आया. उस ने पत्नी व सास के शवों पर नफरत भरी निगाह डाली फिर आलाकत्ल हंसिया सहित कन्नौज कोतवाली की राह पकड़ ली.

कोतवाली पहुंच कर उस ने पुलिस के सामने डबल मर्डर का जुर्म कबूल कर आत्मसमर्पण कर दिया.

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इधर चीखपुकार सुन कर पवन के घर वाले जाग गए थे. पवन के जाते ही वे घर से बाहर निकले तो सामने मांबेटी की लाशें देख कर सन्न रह गए. इस के बाद घर में कोहराम मच गया. 21 अगस्त, 2020 को थाना कोतवाली पुलिस ने अभियुक्त पवन उर्फ मुरारी को कन्नौज कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

हैवान बना पति : भाग 1

पवन उर्फ मुरारी जिस वक्त कन्नौज कोतवाली पहुंचा, तब रात के 3 बज रहे थे. एसएसआई आर.पी. सिंह रात की ड्यूटी पर थे. पवन उन के सामने जा पहुंचा और बोला, ‘‘साहब, मैं डबल मर्डर कर के आया हूं. मुझे गिरफ्तार कर लो.’’

‘‘डबल मर्डर?’’ सिंह चौंके, ‘‘कौन हो तुम? किस का खून किया है?’’

‘‘साहब, मेरा नाम पवन है. मैं कलेक्ट्रेट के पीछे हौदापुरवा मोहल्ले में रहता हूं. मैं ने अपनी पत्नी सविता और सास कलावती का खून किया है. दोनों की लाशें घर के बाहर पड़ी हैं.’’

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‘‘तुम यह सब नशे में तो नहीं बक रहे हो?’’ आर.पी. सिंह ने उस से पूछा. ‘‘साहब, हंसिया साथ लाया हूं. मैं ने उन्हें इसी से मारा डाला. देखो, मेरा हाथ और चेहरा भी खून से रंगा है.’’ पवन ने खून सना हंसिया फर्श पर रखते हुए कहा.

अब शक की कोई गुंजाइश नहीं थी. उन्होंने 2 सिपाहियों को बुला कर पवन को हिरासत में ले लिया और आलाकत्ल हंसिया सुरक्षित कर लिया.

इस के बाद एसएसआई ने यह सूचना कोतवाल विकास राय को दी. राय नाइट गश्त से आधा घंटा पहले ही लौटे थे.

थानाप्रभारी विकास राय ने डबल मर्डर का जुर्म कबूल करने वाले पवन उर्फ मुरारी से पूछताछ की फिर वरिष्ठ अधिकारियों को घटना से अवगत कराया और पुलिस टीम ले कर घटनास्थल हौदापुरवा मोहल्ले पहुंच गए.

उस समय वहां भीड़ जुटी थी और कोहराम मचा था. राय ने रोपीट रही महिलाओं को वहां से हटाया, फिर निरीक्षण में जुट गए. घटनास्थल का दृश्य बड़ा ही भयावह था. सविता और कलावती की खून से लथपथ लाशें घर के बाहर पड़ी थीं.

उन की गरदन, पीठ और पेट पर गहरे घाव थे. दोनों की हत्या छत पर की गई थी और लाशों को दूसरी मंजिल से नीचे फेंका गया था. सविता की उम्र 24 साल के आसपास थी, जबकि उस की मां कलावती 50 वर्ष उम्र पार कर चुकी थी.

यह बात 21 अगस्त, 2020 की है. भोर का उजाला फैल चुका था और पवन द्वारा अपनी पत्नी और सास की हत्या की खबर पूरे मोहल्ले में फैल गई थी.

सूचना पा कर मृतका सविता के भाई गोविंद, सोहनलाल तथा पिता जगत राम भी आ गए थे. थानाप्रभारी विकास राय अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह तथा सीओ (सिटी) शेषमणि उपाध्याय भी आ गए. पुलिस अधिकारियों ने फोरैंसिक टीम को भी घटनास्थल पर बुलवा लिया.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. वे उस छत पर भी गए, जहां मांबेटी की हत्या कर उन्हें नीचे फेंका गया था. फोरैंसिक टीम ने जांच कर हत्या से जुड़े साक्ष्य जुटाए.

घटनास्थल पर हत्यारोपी पवन उर्फ मुरारी की मां दयावती तथा भाभी रोमी मौजूद थीं. पुलिस अधिकारियों ने उन से पूछताछ की तो रोमी ने बताया कि सविता और उस के पति पवन के बीच किसी बात को ले कर पिछले 2 दिनों से झगड़ा हो रहा था.

कल दोपहर सविता की मां कलावती आ गई थी. उस के बाद झगड़ा और बढ़ गया था. पवन को सास का आना और उन दोनों के झगड़े में हस्तक्षेप करना नागवार लगा. झगड़े के बाद मांबेटी पवन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने थाने भी गई थीं, पर उन की रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई थी.

थाने से लौटने के बाद सविता का पवन से फिर झगड़ा हुआ. झगड़े में कलावती फिर से कूद पड़ी और बेटी का पक्ष ले कर पवन को भलाबुरा कहने लगी. चूंकि पतिपत्नी का झगड़ा आम बात थी, इसलिए हम लोग हस्तक्षेप नहीं करते थे.

रात 2 बजे चीखपुकार मची तो हम लोगों की नींद खुल गई. उसी दौरान छत से कोई चीज गिरने की आवाज आई. देखा तो सविता और कलावती की लाशें घर के बाहर पड़ी थीं. वे दोनों डर की वजह से छत से कूदीं या फिर पवन ने ढकेला, इस बारे में कुछ नहीं पता. मौकाएवारदात पर मृतका सविता का भाई गोविंद तथा पिता जगतराम भी मौजूद थे.

सीओ शेषनारायण उपाध्याय ने उन से घटना के संबंध में पूछताछ की तो गोविंद ने बताया कि उस का बहनोई पवन बहन को प्रताडि़त करता था. उसे सविता के चरित्र पर शक था. उस के पिता ने 10 लाख रुपए में 10 बीघा जमीन बेची थी. उन पैसों से खूब धूमधाम से सविता की शादी की थी.

इस के बाद भी उस का पेट नहीं भरा. वह सविता पर मायके से रुपए लाने का दबाव डालता था. बात न मानने पर उसे मारतापीटता और झगड़ा करता था. झगड़ा निपटाने में मां को हस्तक्षेप करना पड़ता था, जिस से वह मां से भी खुन्नस खाता था. इसी खुन्नस में पवन ने मां और बहन की हत्या कर दी.

पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतका सविता तथा कलावती के शव पोस्टमार्टम के लिए कन्नौज के जिला अस्पताल भिजवा दिए. साथ ही सुरक्षा के तौर पर आरोपी के घर पुलिस का पहरा बिठा दिया.

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शवों को पोस्टमार्टम हाउस भिजवाने के बाद पुलिस अधिकारी थाना कोतवाली पहुंचे कातिल पवन पहले ही आत्मसमर्पण कर चुका था. पुलिस अधिकारियों ने उस से पूछा, ‘‘तुम ने अपनी पत्नी व सास की हत्या क्यों की?’’

‘‘साहब, उन दोनों ने मेरी जिंदगी में जहर घोल रखा था. जिस से मेरा जीना तक मुहाल हो गया था. रोजरोज की टेंशन से परेशान हो कर मुझे यह करने के लिए मजबूर होना पड़ा.’’

चूंकि पवन अपना जुर्म कबूल चुका था, अत: थानाप्रभारी विकास राय ने मृतका सविता के भाई गोविंद को वादी बना कर भादंवि की धारा 302 के तहत पवन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. पवन को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया गया.

पवन से की गई पूछताछ और पुलिस जांच में डबल मर्डर की जो कहानी प्रकाश में आई, वह घर की कलह व अवैध संबंधों पर आधारित निकली.

कन्नौज, उत्तर प्रदेश का औद्योगिक नगर है. यहां का इत्र व्यवसाय पूरी दुनिया में मशहूर है. इसलिए कन्नौज को सुगंध की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. इसी कन्नौज का एक मोहल्ला हौदापुरवा है, जो कन्नौज कोतवाली के क्षेत्र में आता है. हौदापुरवा पहले कन्नौज से सटा एक गांव था, लेकिन जब कन्नौज को जिले का दरजा मिला और विकास हुआ तो हौदापुरवा शहर का मोहल्ला बन गया.

इसी हौदापुरवा मोहल्ले में विकास कुमार सिंह का अपना दोमंजिला मकान था. उस के परिवार में पत्नी दयावती के अलावा 3 बेटे राजीव, वीर सिंह व पवन उर्फ मुरारी थे. तीनों की शादी हो चुकी थी. राजीव पशुपालन विभाग में काम करता था और अपने परिवार के साथ मकान की पहली मंजिल पर रहता था. वीर सिंह परिवार के साथ भूतल पर रहता था. वह जनरल स्टोर चलाता था.

सब से छोटा पवन उर्फ मुरारी अपने भाइयों से ज्यादा स्मार्ट तथा पढ़ालिखा था. वह अपने मातापिता के साथ मकान की दूसरी मंजिल पर रहता था और अपनी कार बुकिंग पर चलाता था. पवन व सविता की शादी 6 जून, 2014 को हुई थी.

ससुराल में शुरूशुरू में सविता के दिन ठीकठाक गुजरे. फिर धीरेधीरे उस पर गृहस्थी का पूरा बोझ लाद दिया गया. घर के सारे काम करने के अलावा पति व सास की सेवा भी उसे ही करनी पड़ती थी. धीरेधीरे सास के ताने व जेठानियों के व्यंग्य शुरू हो गए थे. सविता सब कुछ सहती रही. जबतब वह अकेले में आंसू बहा कर मन हलका कर लेती थी. पति पवन अपनी मां का ही पक्ष लेता था.

विवाह के 2 साल बाद सविता ने एक बेटी को जन्म दिया, जिस का नाम रानू रखा गया. रानू के जन्म से सविता के जीवन में नई ज्योति तो जली, साथ ही जिम्मेदारियां भी बढ़ गईं. घर के कामों के अलावा उसे अपनी नवजात के लिए भी समय निकालना पड़ता था. नतीजा यह हुआ कि सास की खींचातानी बढ़ गई.

दरअसल सास दयावती को इस बात का मलाल था कि उस के बेटे को शादी में उस की हैसियत के मुताबिक दहेज नहीं मिला. दहेज कम मिलने को ले कर वह सविता को ताने दे कर प्रताडि़त करती रहती थी.

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एक रोज पवन ने सविता से कहा, ‘‘हमारी कार अब खटारा हो गई है, जिस से बुकिंग कम मिलने लगी है. अगर तुम मायके से 2 लाख रुपया ले आओ, तो हम नई कार फाइनैंस करा लें. इस से हमारी बुकिंग बढ़ जाएगी और अच्छी कमाई भी होने लगेगी.’’

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

अंधविश्वास का अंधेरा : एक “बैगा” की हत्या

छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास का अंधेरा फैलता चला जा रहा है. इसके लिए शासन-प्रशासन सबसे अधिक दोषी है. क्योंकि आजादी के इतने साल बाद भी यहां शिक्षा की, जागरूकता की इतनी ज्यादा कमी है कि अभी भी गांव-गांव में “बैगा गुनिया” लोगों का इलाज करते हैं. लोगों की इन पर आस्था और विश्वास है. ऐसे में जब कभी विश्वास की नाव डगमगाती है तो बैगा गुनिया ही मारे जाते हैं. मजे की बात यह है कि वह बैगा गुनिया जो गांव का सबसे गुनी व्यक्ति माना जाता है जिसके हाथों में गांव की डोर होती है जब किसी  बात को लेकर अंधविश्वास के घेरे में आकर लोगों के हाथों मारा जाता है, तब भी गांव वाले यह नहीं सोचते कि जो व्यक्ति अपनी जान नहीं बचा सका, वह गांव के लोगों को भला कैसे भूत प्रेत आदि से बचा सकता है. दरअसल, पूरा मामला अंधविश्वास के मायाजाल का है. जिसका लाभ बैगा गुनिया उठाते हैं. कुल मिलाकर एक धंधा बन चुका है जिसे गांव गांव में मान्यता है . बहरहाल यह नाकामी नि: संदेह छत्तीसगढ़ सरकार की है.

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आइए! आज आपको हम ले चलते हैं छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल जहां नारायणपुर जिले के बेनूर थाना क्षेत्र में एक बैगा को घर से ले जाकर अंधविश्वास के फेर में हत्या कर दी गई. लंबे समय तक पुलिस आरोपियों को ढूंढती रही नगर मामला सुलझ नहीं पा रहा था, अंततः पुलिस को अंधे कत्ल की गुत्थी सुलझाने में बड़ी सफलता मिली तो कई राज खुलकर सामने आ गए.

बैगा के हत्या की अंधी गुत्थी

11 जून 2020 को सोमनाथ मंडावी उम्र 25 वर्ष निवासी स्कूलपारा चियानार द्वारा थाना बेनूर में रिपोर्ट दर्ज कराई गई  कि 10 जून 2020 की रात्रि करीबन 2 बजे अज्ञात व्यक्ति घर आकर उसके पिता रामजी मंडावी को उठाए वे एक बैगा थे लोगों का इलाज करते थे इस बिनाह पर उन्हें ले जाया गया और रामजी मंडावी (उम्र 50)  घर नहीं लौटे तब अगली सुबह जब पतासाजी की गई तो उनका शव भाटपाल जाने वाले मार्ग पर पुलिया के नीचे पड़ा मिला.

अपराध की सूचना पर मामले में लगातार पतासाजी कर अंधे कल्ल के मामले को सुलझाने का अथक प्रयास करने के बावजूद भी पुलिस को कोई सुराग हाथ नहीं लग पा रहा था.प्रकरण में कुछ संदिग्ध मोबाईल नम्बरों का टावर इंप ऐनालिशिस के आधार पर संदेह होने पर मानु करंगा एवं कानसाय नेताम से कड़ाई से पूछताछ की गई. उन्होंने अपराध घटित करना स्वीकार किया और इस तरह घटना का खुलासा चार माह पश्चात अक्टूबर 2020  हुआ.

हत्या की वजह अंधविश्वास

गिरफ्तारी के पश्चात मानूराम करंगा ने बताया कि वर्ष 2019 में मेरा  छोटा सा बच्चा जो एक सप्ताह का था एवं मेरे सबसे छोटे भाई मानसिंग की पत्नी जो पेट से थी दोनों के “बच्चों की मौत” एक ही दिन हो गई. एवं वर्ष  बाद 2020 में होली त्यौहार के कुछ दिन बाद अचानक मेरे भाई मानसिंग की भी मौत हो गयी थी.

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जिस कारण अपने पड़ोस में रहने वाले सिरहा ( बैगा) रामजी मंडावी के पर “जादू-टोना” करने (पांगने) का शक हुआ था. मानू करंगा और उसका छोटा भाई मानसाय करंगा दोनों ने मिलकर सिरहा रामजी मंडावी को मारने की योजना बनाई और मानसाय ने अपने रिश्तेदार कानसाय नेताम को भी साथ मिलाकर 10 जून 2020 को कानसाय अपने साथी मनीराम गावड़े, रजमेन राम मरकाम, जसलाल कुलदीप के साथ रात में सिरहा रामजी मंडावी के घर पहुंचकर रामजी मण्डावी को घर से  ले गये और अपने पास रखे  बदूंक से मारने का प्रयास किया, अचानक बदूंक नहीं चलने पर आरोपियों द्वारा बदूंक के कुंदा से मारकर हत्या कर दी गई और शव को भाट्याल पुलिया के नीचे फेक दिया.बेनूर पुलिस द्वारा आरोपियों के कब्जे से घटना में प्रयुक्त मोबाईल, सिम,  बदूंक व मृतक से छीना हुआ टार्च एवं स्कूटी नीले रंग की जप्त की है.

घटना के सभी छः आरोपियों को न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दिया गया है.

अंतरराष्ट्रीय ठग: कानून के हाथों से दूर भी पास भी !

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन ठग गिरोह का भंडाफोड़ कर उन्हें जेल की सीखचों में डाल दिया है. न्याय धानी बिलासपुर जिले के पुलिस  अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल बताते हैं कि एक अभियान चलाकर अंतरराष्ट्रीय ठग गिरोह का पर्दाफाश करने में सफलता हासिल की है.

दरअसल,पाकिस्तानी सरगना बड़े मामू (असगर) छोटे मामू (असरफ) और सलीम मिलकर डिजिटल करेंसी की हेराफेरी कर ठगी के कारोबार को छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में और अन्य दूसरे देशों में भी अंजाम देते  थे. ठगी के इस मामले के तार पाकिस्तान के अलावा सऊदी अरब और मलेशिया से भी जुड़े  हैं. सनसनीखेज तथ्य है कि इस नेटवर्क के अनेक गुर्गे देश के अनेक राज्यों में मौजूद हैं और “ऑनलाइन ठगी” से जुटाए रूपए उन्हें भेजा करते थे.

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जैसा कि आज डिजिटल ठगी का दौर चल रहा है लोगों के फोन पर लगातार कॉल आ रहे हैं और उन्हें ठगा जा रहा है ऐसे में छत्तीसगढ़ की बिलासपुर पुलिस का यह प्रयास अपने आप में महत्वपूर्ण है.इसका सीधा संदेश यह है कि पुलिस और सरकार अगर चाहे तो ठगों को दूसरे देशों के होने के बाद भी उन पर अंकुश लगा सकती है.

ठगी नाक का सवाल बनी!

बिलासपुर पुलिस के लिए यह अंतरराष्ट्रीय ठग नाक के बाल की तरह एक चैलेंज बन गए थे. दरअसल, हुआ यह कि बिलासपुर जिले में पदस्थ जनक राम पटेल नामक एक नगर सैनिक को 65 लाखों रुपए, इस गिरोह ने लालच देकर ठग लिए. जब नगर सैनिक ने मामले की रिपोर्ट बिलासपुर सिविल थाने में दर्ज कराई तो पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल के लिए यह एक चैलेंज थी. उन्होंने एक टीम बनाई और धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय गिरोह तक पुलिस पहुंच गई और अंततः पांच लोगों को गिरफ्तार करके बिलासपुर लाया गया.

उल्लेखनीय है कि बिलासपुर पुलिस ने मुंबई, उड़ीसा और मध्यप्रदेश में अभियान चलाकर  ठगों को गिरफ्तार किया है. ठगों के पास से लैपटॉप, मोबाइल और 15 लाख रूपए नगद, अनेक एटीएम कार्ड तथा बैंक की पास बुक बरामद किए गए हैं. इसके अतिरिक्त विभिन्न बैंको में ठगों के खाते में 27 लाख रूपए जमा होने की जानकारी पुलिस के पास है.

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पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने  संवाददाता को बताया कि बिलासपुर जिले के सीपत थाना क्षेत्र के अंतर्गत हरदाडीह निवासी जनक राम पटेल 35  साल को इस वर्ष जनवरी माह के अंतिम सप्ताह और फरवरी माह के प्रथम सप्ताह के मध्य पाकिस्तानी मोबाइल नंबर, व्हाट्सएप कॉल और चैटिंग के माध्यम से ठगों से बातचीत हुई थी. पटेल को झांसा दिया गया कि वह जियो से मालिक मुकेश अम्बानी बोल रहे हैं और जियो के लकी ड्रा के नाम पर उनकी 25 लाख रूपये की लाटरी निकल आई है. अगर वह सोनी टीवी पर चलने वाले आगामी सितंबर 2020 में अमिताभ बच्चन के कौन बनेगा करोड़पति कार्यक्रम में भाग्यशाली विजेता बनकर दो करोड़ रूपए की अतिरिक्त राशि जीतना चाहता है तो कुछ रकम उसे विभिन्न खातों में जमा करनी होगी. नगर सैनिक उनके झांसे में आ गया और उसने इस वर्ष एक फरवरी से आठ सितम्बर तक कुल 65 लाख रूपए ठगों के अलग-अलग खातों में जमा कर दिए. कुछ समय बाद उसे एहसास हुआ कि उसे ठग लिया गया है तो नगर सैनिक ने अपने उच्च अधिकारियों से गुहार लगाई.

पुलिस वाले भी हो रहे ठगी के शिकार

नगर सैनिक की शिकायत पर पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू की तब जानकारी मिली कि जनक राम पटेल से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों के लगभग 12 विभिन्न खातों में पैसे जमा कराए गए हैं. यह तथ्य भी सामने आया कि इस दौरान सबसे बड़ी रकम करीब 50 लाख रूपए मध्यप्रदेश के रीवा जिले के विराट सिंह के विभिन्न बैंकों के खातों में जमा की गई थी. विराट सिंह यह रकम फोन पे और पेटीएम के माध्यम से वर्ली मुंबई निवासी राजेश जायसवाल के खातों और डिजिटल पेमेंट सोल्यूशन उड़ीसा आदि में ऑनलाइन स्थानांतरित करता था.

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आखिरकार  पुलिस दल ने रीवा से विराट सिंह को पकड़ लिया. विराट सिंह ने बताया कि वह पाकिस्तान के छोटे मामू उर्फ़ असरफ और बड़े मामू उर्फ़ असगर तथा सलीम के सरपरस्ती में  काम करता है. विराट सिंह ने  बताया कि वह अपना कमीशन लेकर कर बाकी  रकम बताए गए खातों में भेज देता है. विराट इस रकम को देश भर के अलग-अलग प्रान्तों, हैदराबाद, कर्नाटक, बेंगलोर, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, असम और दिल्ली के खातों में ट्रांसफर करता था.

आरोपी विराट सिंह की निशानदेही पर खाता धारक शिवम् ठाकुर और संजू चौहान को मध्यप्रदेश के देवास से गिरफ्तार किया गया. वहीं पुलिस ने मुंबई जाकर राजेश जायसवाल को भी गिरफ्तार कर लिया जो रकम को डिजिटल करेंसी बिट क्वाइन में तब्दील कर भेजता था.

पुलिस  ने उड़ीसा में डिजिटल पेमेंट सोल्यूशन के संचालक सीता राम गौड़ा को भी हिरासत में लिया है जिसने अपने खाते में लगभग 15 लाख रूपये की रकम को जमा किया था. पुलिस ने इस रकम को सीज किया है.

यही नहीं 24 परगना पश्चिम बंगाल, गोपालगंज, बिहार, पश्चिम बंगाल के बाखर हाट और कृष नगर, पश्चिम गाजियाबाद, हुगली, सूरत, उत्तराखंड आदि स्थानों के कई आरोपियों की पहचान की जा चुकी है. अब इस ठगी के कुछ आरोपियों  के हाथ आने के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस के समक्ष एक बहुत बड़ी चुनौती है  की किस तरह इस अंतरराष्ट्रीय ठगों के मुख्य सरगनाओं व गिरोह के सदस्यों को पकड़ती है. मामला संवेदनशील है क्योंकि मामला पाकिस्तान आदि देशों से जुड़ा हुआ है.

प्यार की सजा

प्यार की सजा : भाग 3

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

समय बीतता रहा. धीरेधीरे दोनों के प्यार की खुशबू स्कूलकालेज के साथसाथ गांव की गलियों में फैलने लगी. एक कान से दूसरे कान होती हुई यह बात रामप्रसाद के कानों तक पहुंची तो वह सन्न रह गया.

उस ने बेटी को डांटने के बजाए प्यार से समझाया, ‘‘सुलेखा, जब तक तेरा बचपन रहा, मैं ने तुझ पर कोई पाबंदी नहीं लगाई. लेकिन अब तू सयानी हो गई है, इसलिए अंकित के साथ चोरीछिपे बतियाना छोड़ दे. तुझे और अंकित को ले कर लोग तरहतरह की बातें करने लगे हैं. इसलिए मेरी इज्जत की खातिर तू उस का साथ छोड़ दे. इसी में हम सब की भलाई है.’’

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‘‘पापा, लोग यूं ही बातें बनाते हैं. हमारे बीच कोई गलत संबंध नहीं हैं. मैं अंकित से पढ़ाई के बारे में बातचीत कर लेती हूं.’’ सुलेखा ने झूठ बोला.

रामप्रसाद ने सुलेखा की बातों पर विश्वास कर लिया. इस के बाद कुछ रोज सुलेखा अंकित से कटी रही. हालांकि चोरीछिपे दोनों मोबाइल पर बतिया लेते थे. उस के बाद वह पुराने ढर्रे पर आ गई.

एक दिन सुलेखा घर में अकेली थी, तभी अंकित आ गया. उसे देखते ही सुलेखा चहक उठी. सूना घर देख कर अंकित ने उसे अपने आगोश में भर लिया, ‘‘लगता है, तुझे मेरा ही इंतजार था.’’

‘‘क्यों, तुम्हें मेरा इंतजार नहीं रहता क्या?’’ सुलेखा ने आंखें नचाते हुए कहा, ‘‘छोड़ो मुझे, दरवाजा खुला है.’’

अंकित को लगा मौका अच्छा है. सुलेखा भी मूड में थी. उस ने फौरन दरवाजा बंद किया और लौट कर जैसे ही सुलेखा का हाथ पकड़ा, वह अमरबेल की तरह उस से लिपट गई. फिर दोनों सुधबुध खो बैठे.

अवैध संबंधों का सिलसिला इसी तरह चलता रहा. लेकिन यह रिश्ता कब तक छिपा रहता. एक दिन सुलेखा की मां सीता अपनी बड़ी बेटी बरखा के साथ पड़ोसी के घर गई थी. कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम था. एकांत मिलते ही दोनों एकदूसरे की बांहों में समा गए. उसी समय अचानक सीता आ गई.

सुलेखा और अंकित को आलिंगनबद्ध देख कर सीता का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. अंकित को खरीखोटी सुनाते हुए वह उसे थप्पड़ जड़ कर बोली, ‘‘आस्तीन के सांप, मैं ने तुझे बेटा समझा था. तुझ पर भरोसा किया था, लेकिन तूने मेरी ही इज्जत पर डाका डाल दिया.’’

अंकित सिर झुकाए वहां से चला गया तो सीता सुलेखा पर टूट पड़ी. उसे लातघूंसों से मारते हुए बोली, ‘‘आज के बाद अगर तू कभी अंकित से मिली तो मुझ से बुरा कोई न होगा.’’

सीता देवी ने सुलेखा के गलत राह पर जाने की जानकारी पति रामप्रसाद व बेटे सनी कुमार को दी तो उन दोनों ने सुलेखा को मारापीटा तथा घर से बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी.

जब पाबंदियां सुलेखा को बेचैन करने लगीं तब उस ने अंकित की चचेरी बहन आरती का सहारा लिया. चूंकि आरती सुलेखा की सहेली थी, सो वह उस की मदद को राजी हो गई. आरती अपने फोन पर अंकित और सुलेखा की बात कराने लगी. मां या बहन बरखा जब कभी सुलेखा का फोन चैक करतीं तो पता चलता कि फोन पर आरती से बात हुई थी.

सुलेखा का चाचा राजीव उर्फ राजी गांव का दबंग आदमी था. जब उसे पता चला कि उस की भतीजी सुलेखा गैरजाति के लड़के अंकित के प्यार में दीवानी है तो उसे बहुत बुरा लगा. उस ने अंकित और उस के घर वालों से मारपीट की. साथ ही हिदायत दी कि वह सुलेखा से दूर रहे वरना अंजाम ठीक नहीं होगा. राजीव ने सुलेखा को भी प्रताडि़त किया तथा उस पर पाबंदी बढ़ा दी.

अंकित और सुलेखा प्यार के उस मुकाम पर पहुंच चुके थे, जहां से वापस लौटना नामुमकिन था. पाबंदी के बावजूद वे एकदूसरे से मिल लेते थे. ऐसे ही एक रोज जब अंकित की मुलाकात सुलेखा से हुई तो वह बोला, ‘‘सुलेखा, तुम्हारी जुदाई मुझ से बरदाश्त नहीं होती और घर वाले मिलने में बाधक बने हुए हैं. इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम मेरे साथ भाग चलो. हम दोनों कहीं दूर जा कर अपना आशियाना बना लेंगे.’’

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अंकित की बात सुन कर सुलेखा गंभीर हो गई, ‘‘तुम्हारे साथ भागने से मेरे परिवार की बदनामी होगी. मेरी एक गलती चाचा, पापा और परिवार पर भारी पड़ेगी. मेरी सगी बहन बरखा व चचेरी बहनें भी कुंवारी रह जाएंगी. इस के लिए मजबूर मत करो.’’

‘‘सोच लो सुलेखा, यह हमारी जिंदगी का सवाल है. मैं तुम्हें कुछ वक्त देता हूं. इतना जान लो कि तुम मुझे नहीं मिली तो मैं कुछ भी कर गुजरूंगा.’’ अंकित ने कहा और चला गया.

पर इस के पहले कि सुलेखा कुछ निर्णय कर पाती, मार्च के अंतिम सप्ताह में देश में लौकडाउन की घोषणा हो गई. ऐसी स्थिति में घर से भागना खतरे से खाली न था, अत: अंकित ने इंतजार करना ही उचित समझा.

इधर न जाने कैसे सुलेखा के चाचा राजीव उर्फ राजी को यह पता चल गया कि अंकित और सुलेखा घर से भागने की फिराक में हैं.

इस के पहले कि सुलेखा घर से भागे और उस के परिवार पर दाग लगे, राजीव ने दोनों को ही मिटाने की ठान ली. इस के बाद उस ने अपने भाई रामप्रसाद, बेटे सौरभ कुमार और भतीजे सनी के साथ एक योजना बनाई.

योजना के तहत सौरभ ने 30 मार्च, 2020 की शाम 7 बजे सुलेखा के प्रेमी अंकित को फोन कर के अपनी दुकान पर बुलाया. जब अंकित दुकान पर पहुंचा तो वह दुकान बंद कर रहा था.

सौरभ अंकित को सुलेखा के संबंध में कुछ जरूरी बात करने के बहाने गांव के बाहर अपने गेहूं के खेत पर ले गया. वहां राजीव, रामप्रसाद और सनी पहले से घात लगाए बैठे थे. अंकित के पहुंचते ही उन सब ने मिल कर उसे दबोच लिया और मुंह दबा कर मार डाला.

अंकित को मौत की नींद सुलाने के बाद राजीव अपने भतीजे सनी के साथ घर पहुंचा. सुलेखा उस समय अपनी बहन बरखा के साथ बतिया रही थी. उन दोनों ने सुलेखा से बात की और फिर अंकित और सुलेखा को आमनेसामने बैठा कर बात करने और कोई ठोस निर्णय लेने की बात कही.

सुलेखा इस के लिए राजी हो गई. इस के बाद वे उसे बहला कर गेहूं के खेत पर ले आए. सुलेखा ने पूछा, ‘‘अंकित कहां है?’’

‘‘वह वहां पड़ा सो रहा है. उसे जगा कर बात करो.’’ राजीव के होठों पर कुटिल मुसकान तैर रही थी.

चंद कदम चल कर सुलेखा अंकित के पास पहुंची और उसे हिलायाडुलाया, पर वह तो मर चुका था. सुलेखा को समझते देर नहीं लगी कि घर वालों ने उस के प्रेमी अंकित को मार डाला है. अब वे उसे भी नहीं छोडेंगे.

वह बदहवास हालत में घर की ओर भागी. लेकिन अभी वह खेत की मेड़ भी पार नहीं कर पाई थी कि रामप्रसाद और सौरभ ने उसे सामने से घेर लिया, ‘‘भागती कहां है कुलच्छिनी. अब तुझे भी नहीं छोडेंगे.’’

इसी के साथ रामप्रसाद, राजीव, सनी और सौरभ ने मिल कर सुलेखा को जमीन पर पटक दिया. फिर रामप्रसाद ने मुंह दबा कर बेटी की सांसें बंद कर दीं. हत्या करने के बाद उन लोगों ने बारीबारी से दोनों के शव अंकित के ही कुएं में डाल दिए. ऐसा उन्होंने इसलिए किया ताकि लोगों को लगे कि दोनों ने आत्महत्या की है.

इधर जब अंकित देर रात तक घर नहीं लौटा तो उस के घर वालों ने उस की खोज शुरू की. अंकित को खोजते हुए उस की मां दिलीप कुमारी रामप्रसाद के घर गई तो उस ने इलजाम लगाया कि अंकित उस की बेटी को भगा ले गया है.

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दिलीप कुमारी ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने की बात कही तो रामप्रसाद अपने बेटे सनी कुमार, भाई राजीव व भतीजे सौरभ के साथ घर से गायब हो गया.

दिलीप कुमारी रिपोर्ट लिखाने गई थी, पर पुलिस ने उस की रिपोर्ट दर्ज नहीं की. 2 अप्रैल, 2020 को घटना का खुलासा तब हुआ जब सुदामा नाम का मजदूर पानी लेने कुएं पर गया. पुलिस ने 8 अप्रैल, 2020 को अभियुक्त राजीव उर्फ राजी, सौरभ कुमार, रामप्रसाद तथा सनी से पूछताछ के बाद इटावा कोर्ट में पेश किया, जहां से चारों को जिला जेल भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्यार की सजा : भाग 2

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

थाने में पुलिस ने आरती को प्रताडि़त कर पूछताछ शुरू की. दरअसल पुलिस चाहती थी कि आरती यह स्वीकार कर ले कि प्रेमी युगल की हत्या अंकित के घर वालों ने की है. इस बीच आरती के पिता और भाई थाने पहुंच गए तो उन दोनों को भी जम कर पीटा गया. जब आरती नहीं टूटी तो पुलिस उसे उस के घर छोड़ गई.

आरती एवं उस के घर वालों ने एसएसपी आकाश तोमर से प्रताड़ना की शिकायत की. इस पर एसएसपी ने थानाप्रभारी बलिराज शाही को फटकार लगाई, साथ ही सीओ से भी बात की. उन्होंने कहा कि वह केस को वर्कआउट करें, लेकिन किसी को अनावश्यक प्रताडि़त न करें.

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एसएसपी की हिदायत के बाद पुलिस टीम ने जांच आगे बढ़ाते हुए मृतका सुलेखा के पिता, भाई, चाचा और चचेरे भाई पर शिकंजा कस दिया. पुलिस टीम ने उन के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगा दिए. साथ ही उन की टोह के लिए मुखबिरों को भी लगा दिया. यही नहीं, पुलिस ने घर जा कर मृतका सुलेखा की बहन बरखा से भी मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की.

बरखा ने बताया कि पिता, चाचा व भाई सुलेखा को बहलाफुसला कर गेहूं के खेत पर ले गए थे. उस के बाद वह घर वापस नहीं आई.

बरखा के बयान से स्पष्ट हो गया कि सुलेखा व उस के प्रेमी अंकित की हत्या उस के घर वालों ने ही की थी, अत: पुलिस ने सुलेखा के पिता रामप्रसाद, भाई सनी कुमार, चाचा राजीव उर्फ राजी तथा चचेरे भाई सौरभ को गिरफ्तार करने के लिए कई जगह ताबड़तोड़ दबिश डालीं, लेकिन वे लोग पुलिस के हत्थे नहीं चढ़े. हालांकि उन की लोकेशन भरथना के आसपास के गांवों की मिल रही थी.

7 अप्रैल की सुबह करीब 6 बजे पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि इटावा कन्नौज हाइवे पर स्थित झिझुआ मोड़ गेट के पास रामप्रसाद अपने भाई राजीव, बेटे सनी और भतीजे सौरभ के साथ मौजूद है.

यह सूचना मिलते ही पुलिस टीम झिझुआ मोड़ गेट के पास पहुंच गई और घेराबंदी कर चारों को गिरफ्तार कर लिया. उन सभी को थाना भरथना लाया गया.

थाने में उन से सुलेखा और अंकित की हत्या के बारे में सख्ती से पूछताछ की गई तो वे टूट गए. उन चारों से गहन पूछताछ के बाद पता चला कि प्रेमी युगल की हत्या का मास्टरमाइंड सुलेखा का चाचा राजीव उर्फ राजी था. उस ने ही पूरा षडयंत्र रचा था और घर के अन्य लोगों को उकसाया था.

चूंकि हत्यारोपियों ने जुर्म कबूल कर लिया था, अत: थानाप्रभारी बलिराज शाही ने मृतका के पिता प्रदीप शाक्य की ओर से भादंवि की धारा 302, 120बी के तहत रामप्रसाद, राजीव उर्फ राजी, सनी कुमार तथा सौरभ कुमार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. पुलिस जांच में नादान प्रेमियों की हत्या की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई.

उत्तर प्रदेश के जिला इटावा के थाना भरथना क्षेत्र में एक गांव है दिवरासई. इसी गांव में रामप्रसाद अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी सीता के अलावा 2 बेटे सनी और मनी तथा 4 बेटियां थीं. जिन में सुलेखा तीसरे नंबर की थी. रामप्रसाद के पास 10 बीघा जमीन थी.

रामप्रसाद का एक अन्य भाई राजीव प्रसाद था, जिसे गांव के लोग राजी कहते थे. दोनों भाइयों के बीच जमीन व मकान का बंटवारा हो चुका था. राजीव दबंग था, पढ़ालिखा भी. किसानी के साथ वह किराने की दुकान भी चलाता था. दुकान पर उस का बेटा सौरभ बैठता था. उस की आर्थिक स्थिति मजबूत थी.

सुलेखा और बरखा के अलावा सभी बहनों की शादी हो चुकी थी. बरखा 11वीं कक्षा में पढ़ती थी. घर के कामों के साथसाथ वह पढ़ती भी थी.

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रामप्रसाद के पड़ोस में प्रदीप कुमार शाक्य का मकान था. उस के परिवार में पत्नी दिलीप कुमारी के अलावा 2 बेटे अमन और अंकित थे. प्रदीप कुमार शाक्य खेतीकिसानी के अलावा गल्ले का व्यवसाय भी करता था. इस से उसे अच्छी कमाई हो जाती थी. उन का 17 वर्षीय बेटा अंकित 11वीं में पढ़ रहा था. पढ़ाई के साथसाथ वह पिता के गल्ले के काम में हाथ बंटाता था.

रामप्रसाद व प्रदीप कुमार हालांकि अलगअलग जातिबिरादरी के थे, लेकिन पड़ोसी होने के नाते दोनों परिवारों में मधुर संबंध थे. एकदूसरे के सुखदुख में बराबर शरीक होते थे. सुलेखा और अंकित हमउम्र थे. बचपन से ही दोनों साथ खेलेबढ़े थे. उन में खूब पटती थी.

दोनों अब जवानी की दहलीज पर कदम रख चुके थे. इसलिए वे साथसाथ खेल तो नहीं पाते थे पर आंखों से एकदूसरे को मूक संदेश देने लगे थे. अंकित की शरारत पर सुलेखा शरमा जाती तो अंकित उसे छूते ही मदहोशी के आलम में पहुंच जाता था. हकीकत यह थी कि सुलेखा उस के दिल की गहराइयों तक समा चुकी थी. वह रातदिन उसी के ख्वाब देखता था.

सुलेखा और अंकित एक ही कालेज में पढ़ते थे. सुलेखा अंकित की चचेरी बहन आरती के साथ कालेज जाती थी. वह उस की प्रिय सहेली थी और उसी की कक्षा में पढ़ती थी. एक दिन सुलेखा कालेज जा रही थी तभी अंकित उसे रास्ते में मिल गया.

अंकित ने इशारे से उसे पेड़ की ओट में बुलाया. दोनों की आंखें चार हुईं और दिल धड़कने लगे. अंकित ने अनायास ही सुलेखा का हाथ थामते हुए कहा, ‘‘सुलेखा, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. तुम्हारा खूबसूरत चेहरा हर समय मेरी आंखों के सामने घूमता रहता है.’’

सुलेखा नजरें नीची कर के मंदमंद मुसकराती हुई पैर के अंगूठे से मिट्टी खुरचती रही. उस की खामोशी से अंकित को उस के दिल की बात पता चल गई. वह समझ गया कि जो हाल उस का है, वही सुलेखा का भी है.

अंकित ने उसे छेड़ते हुए कहा, ‘‘कुछ तो बोलो, मैं तुम्हारा जवाब सुनने को बेचैन हूं. अगर तुम्हें मेरी बात अच्छी नहीं लगी तो मुझे डांट दो. लेकिन एक बात जान लो सुलेखा कि अगर तुम ने इनकार किया तो तुम्हारी कसम मैं जान दे दूंगा. तुम्हारे बिना अब मैं जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता.’’

सुलेखा ने आंखें फाड़ कर अंकित को देखा और मुसकराते हुए बोली, ‘‘अंकित, मैं भी तुम्हें उतना ही प्यार करती हूं जितना तुम मुझे करते हो. मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी कि तुम मुझ से यह बात कहो, लेकिन तुम तो निरे बुद्धू हो.’’ अपनी बात कह कर वह घर की तरफ चल दी.

जवाब में अंकित ने कहा, ‘‘सुलेखा, सचमुच मैं बुद्धू हूं, डरपोक हूं. तभी तो सब कुछ जानते हुए भी तुम्हारे सामने नहीं आ पाता था.’’

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इस के बाद अंकित और सुलेखा का प्यार परवान चढ़ने लगा. सुलेखा और अंकित घर से कालेज जाने को निकलते लेकिन वे कालेज न जा कर बागबगीचे में बैठ कर प्यारभरी बातें करते. एकदूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ा तो दोनों शारीरिक मिलन के लिए लालायित रहने लगे. और एक दिन उन की यह हसरत भी पूरी हो गई.

जानें आगे की कहानी अगले भाग में…

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