21 अक्तूबर, 2020 की रात के तकरीबन 9 बजे जब लोगों की भीड़ कम हो गई तो कुछ लोगों ने एक मजार से सट कर बनाए कोठरीनुमा कमरे के नीले रंग के दरवाजे पर दस्तक देनी शुरू की. कमरे के बाहर दरवाजे के पास एक जोड़ी आदमी के जूते और एक जोड़ी औरत की चप्पल रखी थी. इस से यह बात साफ समझ आ रही थी कि कमरे के अंदर एक आदमी और एक औरत मौजूद हैं.

दरवाजे पर दस्तक देने वाले 3 से 4 लोग थे. उन के हाथों में मोबाइल कैमरे थे. वे लोग वीडियो बना रहे थे. कमरे के अदंर से कोई आवाज नहीं हुई.

इस बीच मजार पर रहने वाला निसार हुसैन उर्फ काले बाबा बगल के दरवाजे से निकल कर आया और पूछने लगा, ‘यह सब क्या कर रहे हो?’

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काले बाबा को लगा कि उस की धौंस से वहां आए लोग भाग जाएंगे. पर वहां माहौल दूसरा था. लोगों ने काले बाबा को पीटना शुरू कर दिया और उस पर दबाव डाला कि वह कमरा खुलवाए.

दूसरों के दर्द का इलाज करने का दावा करने वाले काले बाबा के चेहरे की हवाइयां उड़ चुकी थीं. उसे साफ पता चल चुका था कि अब उस का परदाफाश हो चुका है. उस की कोई जुगत काम नहीं आई. कमरा खुलवाना पड़ा.

एक आदमी अंदर से निकला और उस ने भागने की कोशिश की. कमरे के अंदर पीली रोशनी देता एक बल्ब जल रहा था. परदा डाल कर कमरे को 2 हिस्सों में बांट दिया गया था, जिस से किसी के कमरे में आने पर परदे के हिस्से को छिपाया जा सके.

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