Manohar Kahaniya- दुलारी की साजिश: भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

‘‘तुम बहुत समझदार हो. बहुत जल्द मेरी बात समझ गई. रुपए का इंतजाम कर के रखना, जल्द ही फोन कर के बताऊंगा कि पैसे कब और कहां पहुंचाने हैं.’’ इस के बाद दूसरी ओर से फोन कट गया.

स्क्रीन पर जिस नंबर को देख कर पिंकी की आंखों में चमक जागी थी, वह नंबर उस के पति का था. बदमाशों ने अनिल के फोन से काल कर के फिरौती की रकम मांगी थी. ताकि पुलिस उन तक पहुंच न सके.

खैर, पति के अपहरण की जानकारी पिंकी ने जैसे ही घर वालों को दी, उस की बातें सुन कर सभी स्तब्ध रह गए. किंतु उन्हें इस बात से थोड़ी तसल्ली हुई थी कि अनिल जिंदा हैं और बदमाशों के कब्जे में हैं. अगर उन्हें फिरौती की रकम दे दी जाए तो उन की सहीसलामत वापसी हो सकती है.

अनिल उरांव की मिली लाश

बदमाशों की धमकी सुन कर पिंकी और उस की ससुराल वालों ने पुलिस को बिना कुछ बताए 10 लाख रुपए का इंतजाम कर लिया और शाम होतेहोते बदमाशों के बताए अड्डे पर फिरौती के 10 लाख रुपए पहुंचा दिए गए.

बदमाशों ने रुपए लेने के बाद देर रात तक अनिल को छोड़ देने का भरोसा दिया था. पूरी रात बीत गई, लेकिन अनिल उरांव लौट कर घर नहीं पहुंचे तो घर वाले परेशान हो गए.

अनिल उरांव के फोन पर घर वालों ने काल की तो वह बंद आ रहा था. जिन दूसरे नंबरों से बदमाशों ने 3 बार काल की थी, वे नंबर भी बंद आ रहे थे. इस का मतलब साफ था कि फिरौती की रकम वसूलने के बाद भी बदमाशों ने अनिल उरांव को छोड़ा नहीं था. बदमाशों ने उन के साथ गद्दारी की थी. यह सोच कर घर वाले परेशान थे.

बात 2 मई, 2021 की सुबह की है. के. नगर थाने के झुन्नी इस्तबरार के डंगराहा गांव की महिलाएं सुबहसुबह गांव के बाहर खेतों में आई थीं. तभी उन्होंने खेत में जो दृश्य देखा, वह दंग रह गईं. किसी आदमी का एक हाथ जमीन के बाहर झांक रहा था. जमीन के बाहर हाथ देख कर महिलाएं उलटे पांव गांव की ओर भागीं और गांव पहुंच कर पूरी बात गांव के लोगों को बताई.

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खेत में लाश गड़ी होने की सूचना मिलते ही गांव वाले मौके पर पहुंच गए और इस की सूचना के. नगर थाने को दे दी.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी डंगराहा पहुंच गए और गड्ढे से लाश बाहर निकलवाई. शव का निरीक्षण करने पर पता चला कि हत्यारों ने मृतक के साथ मानवता की सारी हदें पार कर दी थीं. उन्होंने किसी नुकीली चीज से मृतक की दोनों आंखें फोड़ दी थीं और शरीर पर चोट के कई जगह निशान थे.

डंगराहा में एक अज्ञात शव मिलने की सूचना जैसे ही अनिल के घर वालों को मिली, वे भी मौके पर जा पहुंचे थे. उन्होंने लाश देखते ही पहचान ली. घर वाले चीखचीख कर प्रियंका उर्फ दुलारी के ऊपर हत्या का आरोप लगा रहे थे.

लोजपा नेता की लाश मिलते ही क्षेत्र में सनसनी फैल गई थी. घर वालों का रोरो कर बुरा हाल था. अपहर्त्ताओं ने धोखा किया था. रुपए लेने के बाद भी उन्होंने हत्या कर दी थी.

जैसे ही नेताजी की हत्या की सूचना लोजपा कार्यकर्ताओं को मिली, वे उग्र हो गए और शहर के हर खास चौराहों को जाम कर आग के हवाले झोंक दिया तथा पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. इधर पुलिस ने लाश अपने कब्जे में ले कर वह पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दी और आगे की काररवाई में जुट गए.

पुलिस ने मृतक के घर वालों के बयान के आधार पर उसी दिन दोपहर के समय मृतक की प्रेमिका प्रियंका उर्फ दुलारी को उस के घर से हिरासत में ले लिया और पूछताछ के लिए के. हाट थाने ले आई. प्रियंका ने पहले तो पुलिस को खूब इधरउधर घुमाया, किंतु जब उस की दाल नहीं गली तो उस ने पुलिस के सामने अपने घुटने टेक दिए.

प्रेमिका प्रियंका ने उगला हत्या का राज

अपना जुर्म कबूल करते हुए प्रियंका ने कहा, ‘‘इस कांड को अंजाम देने में मैं अकेली नहीं थी. 4 और लोग शामिल थे. घटना का मास्टरमांइड अंकित यादव है और उसी ने योजना के तहत इस घटना को अंजाम दिया था.’’

प्रियंका के बयान के बाद उस की निशानदेही पर पुलिस ने 2 बदमाशों मोहम्मद सादिक उर्फ राहुल और चुनमुन झा उर्फ बटेसर को धर दबोचा और थाने ले आई. घटना का मास्टरमाइंड अंकित यादव और उस का भांजा मिट्ठू कुमार यादव उर्फ मिट्ठू फरार थे.

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आरोपी मोहम्मद सादिक और चुनमुन झा ने भी अपने जुर्म कबूल कर लिए थे. पुलिस ने अज्ञात हत्यारों के स्थान पर उपर्युक्त सभी को नामजद करते हुए भादंवि की धारा 302, 120बी, 364ए और एससी/एसटी ऐक्ट भी लगाया.

पुलिस ने गिरफ्तार तीनों आरोपियों प्रियंका उर्फ दुलारी, मोहम्मद सादिक उर्फ राहुल और चुनमुन झा उर्फ बटेसर को अदालत में पेश कर उन्हें जेल भेज दिया और फरार आरोपियों अंकित यादव और मिट्ठू कुमार यादव की तलाश में सरगर्मी से जुट गई थी. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में आरोपितों के बयान के आधार पर कहानी कुछ ऐसे सामने आई—

35 वर्षीय अनिल उरांव मूलरूप से बिहार के पूर्णिया जिले के के. हाट थाना क्षेत्र स्थित जेपी नगर के रहने वाले थे. पिता जयप्रकाश उरांव के 2 बच्चे थे. बड़ी बेटी सीमा और छोटा बेटा अनिल. जयप्रकाश एक रिहायशी एस्टेट के मालिक थे.

विरासत में मिली अरबों की संपत्ति

पुरखों की जमींदारी थी. उन्हें अरबों रुपए की यह चलअचल संपत्ति विरासत में मिली थी. आगे चल कर यही संपत्ति उन के बेटे अनिल उरांव के नाम हो गई थी. क्योंकि

पिता के बाद वही इस संपत्ति का इकलौता वारिस था.

जयप्रकाश एक बड़ी प्रौपर्टी के मालिक थे. उन का समाज में बड़ा नाम था. उन के घर से कोई गरीब दुखिया कभी खाली हाथ नहीं जाता था. गरीब तबके की बेटियों की शादियों में वह दिल खोल कर दान करते थे.

गरीबों की दुआओं का असर था कि कभी घर में धन की कमी नहीं हुई. अगर यह कहें कि लक्ष्मी घर के कोनेकोने में वास करती थी तो गलत नहीं होगा.

यही नहीं, उन्होंने अपनी बिरादरी के लिए बहुत कुछ किया था, इसलिए लोग उन का सम्मान करते थे. बाद के दिनों में जब जयप्रकाश का स्वर्गवास हुआ तो उन्हीं के नाम पर उस कालोनी का नाम जेपी नगर रख दिया गया था.

बहरहाल, अनिल को यह संपत्ति विरासत में मिली थी, इसलिए उस की कीमत वह नहीं समझ रहे थे. पुरखों की यह दौलत अपने दोनों हाथों से यारदोस्तों पर पानी की तरह बहाने में जरा भी नहीं हिचकिचाते थे.

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समय के साथ अनिल की पिंकी के साथ शादी हो गई. गृहस्थी बसते ही वह 2 बच्चों प्रांजल और मोनू के पिता बने. अनिल की जिंदगी मजे से कट रही थी. खाने को अच्छा भोजन था, पहनने के लिए महंगे कपड़े थे और सिर ढकने के लिए शानदार और आलीशान मकान था.

कहते हैं, जब इंसान के पास बिना मेहनत किए दौलत आ जाए तो उस के पांव दलदल की ओर बढ़ने में देरी नहीं लगती है. अनिल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था.

जमींदार घर का वारिस तो थे ही वह. अरबों की अचल संपत्ति तो थी ही उन के पास. धीरेधीरे उन्होंने उन जमीनों को बेचना शुरू किया. बेशकीमती जमीनों के सौदों से उन के पास रुपए आते रहे. जब उन के पास रुपए आए तो राजनीति की चकाचौंध से आंखें चौधियां गई थीं.

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Crime Story in Hindi: वह नीला परदा- भाग 9: आखिर ऐसा क्या देख लिया था जौन ने?

Writer- Kadambari Mehra

अगले स्टेशन पर उतर कर वह झट से कार से पिछले स्टेशन पर लौट गया. पुलिस ने नासेर को एक टैक्सी में बैठते देखा था. पुलिस चुपचाप एक अन्य कार से उस का पीछा कर रही थी. क्रिस्टी भी कार से उस के पीछे लग गया.

नासेर ने सोचा, कहीं भागने से बेहतर वह वापस दुकान पर ही पहुंच जाए. आखिर उस के खिलाफ पुलिस के पास कोई सुबूत भी नहीं है. अत: वह वापस अपने ठिकाने लौट आया.

करीब आधे घंटे बाद क्रिस्टी सीधा उस की दुकान में दाखिल हो गया और अपना पुलिस बैज दिखा कर बोला, ‘‘अली नासेर, मुझे तुम से एक गुमशुदा लड़की फैमी के बारे में पूछताछ करनी है.’’

‘‘मैं इस नाम की किसी लड़की को नहीं जानता, तुम मेरा पीछा छोड़ दो.’’

‘‘तुम जानते नहीं हो तो लारेन को देख कर घबराए क्यों? तुम्हें उस ने पहचान लिया है, तुम्हारा एक नाम मुहम्मद है.’’

‘‘सब गलत, मुझे तंग मत करो.’’

‘‘ठीक है, तुम यहां नहीं तो पुलिस स्टेशन में अपनी सफाई दे देना, हमें अच्छी तरह पता है कि तुम और भी कई लड़कियों से संबंध रखते हो, इसलिए तुम ने 2-3 रोज पहले एक अंगरेज लड़की को भी फंसाने की कोशिश की थी. हम सब तुम्हारी बीवी साफिया को बताने वाले हैं, क्योंकि हम ने तुम्हारी बातचीत रिकौर्ड कर ली है.’’

अब अली नासेर कुछ ढीला पड़ा, उस ने क्रिस्टी से कहा, ‘‘चलो, ऊपर चल कर इतमीनान से बातें करते हैं.’’

क्रिस्टी उस के साथ ऊपर फ्लैट में अकेला चला गया, मगर अपनी जेब में रखे अलार्म बटन को दबा कर उस ने एंडी और मौयरा को इत्तला दे दी.

‘‘इतनी अच्छी साजसज्जा कितने पैसों में कराई?’’

‘‘नहीं, यह सब तो मैं ने खुद किया है.’’

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फ्लैट बहुत शानदार ढंग से सजा था. हलके पीले रंग की दीवारें, सफेद रंग की खिड़कियां, दरवाजे, शानदार सफेद लैदर का सोफा उस पर हरेफीरोजी रंग के खूबसूरत कुशन. वैसे ही हरेफीरोजी परदे, बड़ीबड़ी पेंटिंग, हलके क्रीम रंग का गलीचा. सब बेहद साफसुथरा मगर क्रिस्टी की नजर सिटिंग रूम की बड़ी सी खिड़की पर अटक गई, जिस पर जाली का मेहराबदार परदा पड़ा हुआ था. उस के हरेफीरोजी परदे खुदबखुद मानो रंग बदलने लगे और नीले हो गए. सामने का सफेद सोफा काले रंग में बदल गया, जिस पर बैठी फैमी अपने बच्चे को गालों से सटाए मुसकराने लगी. क्रिस्टी मन ही मन उस तसवीर की असलियत को पहचान गया.

अली नासेर ने पूछताछ में इतना कबूल किया कि एक पेशा करने वाली मोरक्कन लड़की से उस के शारीरिक संबंध थे, क्योंकि उस की पत्नी उस से काफी बड़ी थी और दूसरा पति होने के नाते उस से उस की तृप्ति नहीं होती थी. उस औरत का नाम उसे नहीं मालूम, क्योंकि मोरक्कन होने के कारण वह अपना असली नाम नहीं बताती थी और न ही वह उस की असल जिंदगी के बारे में कुछ जानता था.

‘‘तो फिर तुम उसे कैसे बुलाते थे? अब वह कहां मिलेगी?’’

‘‘फोन नंबर था उस का. मगर वह कुछ महीनों पहले मोरक्को गई थी और अभी तक वापस नहीं आई.’’

‘‘तुम्हें कैसे पता कि वह अभी तक नहीं आई? तुम ने उसे उस के नंबर पर फोन किया? मुझे वह नंबर दो.’’

‘‘मेरे पास नहीं है. बेकार परेशान मत करो,’’ नासेर उठ कर जाने लगा तो क्रिस्टी ने कड़क कर उसे बैठ जाने को कहा. तभी एंडी भी ऊपर आ गया. नासेर के पास कोई चारा नहीं बचा था.

उस ने नासेर को पुलिस की हिरासत में लेने के लिए एक और सुबूत सामने रखा.

मौयरा स्कूल के हैडमास्टर की इजाजत और असिस्टैंट टीचर की मदद से अब्दुल को ले आई और उस से सब के सामने उस तसवीर के बारे में पूछा, बच्चा फिर रोने लगा और उस ने बताया कि वह आंटी थी. यह सब अली नासेर के सामने किया. बच्चे से पूछा कि क्या तुम्हारे डैड इसे जानते थे? उस ने कहा कि हां वह यहां आती थी और डैड के साथ घूमने जाती थी.

अब अली नासेर के पास कोई जवाब नहीं था. वह मान गया कि अब्दुल फैमी को जानता था. क्रिस्टी ने बच्चे को सुरक्षित घर भिजवा दिया और कड़क कर कहा कि मिस्टर अली नासेर फैमी गायब है. तुम उसे जानते थे और उस के साथ तुम्हारे शारीरिक संबंध थे. उस के गुम हो जाने में तुम्हारा हाथ है. तुम्हें हम गिरफ्तार करते हैं. तुम्हें जो कुछ कहना है अदालत में कहना.

नासेर गिरफ्तार हो गया और थोड़ी सख्ती के बाद उसे सब बताना पड़ा. उस ने फैमी को अपना असली नाम नहीं बताया था और मुहम्मद नाम से उसे फंसा रखा था.

इस देश में वह स्टूडैंट वीजा ले कर मोरक्को से आया था. यहां वह अपने दूर के भाई मुहम्मद जब्बार नासेर का पता ले कर आया था, मगर जब वह उस से मिलने गया तो पता चला कि वह 2-3 साल पहले मर चुका था और उस की विधवा पत्नी साफिया अपनी 3 बेटियों के साथ अकेली गृहस्थी और बिजनैस दोनों चला रही थी.

अली नासेर ने उस से हमदर्दी दिखाई और उस के बिजनैस में हाथ बंटाने का बहाना कर के उस का विश्वास जीत लिया. जल्द ही साफिया ने उसे अपना पेइंग गैस्ट बना लिया. अली हंसमुख जवान लड़का था. साफिया की बेटियां उसे अंकल कहने लगीं और एक दिन साफिया के बूढ़े मांबाप ने उस से पूछा कि वह क्या यहां बस जाना पसंद करेगा?

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अंधे को क्या चाहिए 2 आंखें. अली ने बताया कि वह एक अच्छे खातेपीते परिवार का लड़का है. बाप कपड़े का व्यापारी है. घर में सिलाई की दुकान है. मोरक्को से उस ने स्नातक क्रिमिनल ला में किया है और इधर आगे की पढ़ाई करना चाहता है.

साफिया के बाप ने उसे साफिया से शादी करने के लिए कहा और बताया कि मुहम्मद जब्बार अच्छाखासा पैसा छोड़ कर मरा है, इसलिए उस की बेटियां बेसहारा नहीं रहेंगी और वह शादी कर के यहां की नागरिकता पा जाएगा और घर व बिजनैस भी. अगर वह चारों तरफ से माली सुरक्षा पा जाएगा तो उसे पढ़ाई का खूब वक्त मिलेगा.

हालांकि साफिया उस से उम्र में 5-7 साल बड़ी थी, लेकिन उस ने उस से शादी कर ली. इस शादी से 2 बेटियां और पैदा हो गईं.

इधर अली को कालेज में फहमीदा मिल गई. एक ही देश के होने के कारण दोस्ती और फिर प्रेम होते देर न लगी. साफिया का पैसा तो उसे चाहिए था और उसी शादी की बिना पर उसे यू.के. में रहने का वीजा मिला था. भाई की बीवी से शादी करने पर उसे अपने और जब्बार नासेर दोनों के परिवारों से बहुत मानसम्मान मिला था. सब उसे ऊंचे खयालात का इज्जतदार शरीफ समझते थे. पारिवारिक रूप से जुड़े होने के कारण नासेर अपने भाई के बच्चों की जिम्मेदारी से मुंह नहीं चुरा सकता था.

इसलिए उस ने फैमी को अपना असली नाम व पता नहीं बताया. अपना नाम मुहम्मद अली बताया और अपनी शादी की बात छिपाए रखी. फहमीदा से वह मोरक्को जा कर शादी करने के वादे करता रहा. फिर उसे पता चला कि फैमी गर्भवती है. बस यहीं से उस की सचाई पकड़ी गई. पहले तो बहाने बना कर उस ने गर्भ गिरा देने की मांग की मगर फैमी अड़ी रही. उस की दलील थी कि बच्चे के रहते वह शादी क्यों नहीं कर सकता जबकि वह उन की पाक मुहब्बत का नतीजा था.

तब नासेर झुंझला गया और उस ने साफिया से अपनी शादी की बात बताई.

फैमी का दिल टूट गया. वह चुपचाप नौकरी छोड़ कर कहीं अज्ञात रूप से रहने लगी.  नासेर को इस बात का खौफ था कि कहीं वह उस का राज का परदाफाश न कर दे और पुलिस को न बता दे. वह उसे ढूंढ़ता रहा,

उस की सहेलियों से पूछता रहा फिर जब वह नहीं मिली तो उस के जानने वालों को उस के बारे में अनर्गल बातें बता कर उस का चरित्र हनन किया.

फैमी ने एक बेटे को जन्म दिया और अपनी प्रिय सहेली लारेन को बताया. मगर लारेन ने यह खबर मुहम्मद तक पहुंचा दी और उसे कानून से भी डराया.

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इधर नासेर की अपनी बीवी साफिया से अनबन हो गई. साफिया 5 बेटियों की मां बन चुकी थी मगर अब उसे गर्भधारण करने में कठिनाइयां आने लगी थीं. हालांकि वह भी हर औरत की तरह एक पुत्र चाहती थी. पुत्र होने पर ही उसे अली नासेर का उत्तराधिकार मिल सकता था. नासेर उसे कई बार यह कह चुका था.

जब मुहम्मद को पता चला कि फैमी ने पुत्र को जन्म दिया है तो उस की नीयत डोल गई. यह उस का बच्चा था, कदाचित एकमात्र पुत्र, अत: उस ने फहमीदा को फिर से अपने प्रेमजाल में लपेट लिया. हजारों माफियां मांगी, कसमें खाईं और बच्चे के लिए उपहारों के ढेर लगा दिए. उस ने कसम खाई कि कभी वह अपने बेटे से अलग नहीं रहेगा और साफिया को कुछ भी पता नहीं होने देगा. वह फहमीदा को हर तरह से मदद करने लगा. ताकि वह बेटे की देखभाल ठीक से कर सके और उसे मदद के लिए कहीं भटकना न पड़े.

वह रोज बेटे से मिलने जाने लगा. फहमीदा उस के लाड़प्यार को देख कर आश्वस्त हो गई. कुछ दिन बाद नासेर ने पासा फेंका.

‘‘मुझ जैसा अभागा कौन है दुनिया में जो अपने बेटे को बेटा न कह सके.’’

इधर फहमीदा बदनामी के डर से घुली जा रही थी. वह न तो खुल्लमखुल्ला किसी से मिल सकती थी, न ही नौकरी कर सकती थी. न ही वह अपने देश वापस मां से मिलने जा सकती थी.

एक दिन नासेर ने साफिया को केवल बेटियां पैदा करने के लिए बहुत शर्मिंदा किया. कहा कि उस का पुश्तैनी हक का पैसा तो बिना वारिस के डूब ही जाएगा. साफिया बहुत रोईधोई. साफिया के बूढ़े मांबाप भी बहुत

दुखी हुए.

नासेर ने पासा फेंका, ‘‘मुझे लगता है कि अब बस यही सूरत है कि हम एक मोरक्कन बच्चा गोद ले लें.’’

साफिया डर गई कि कहीं नासेर उसेछोड़ कर दूसरी शादी न कर बैठे. हालांकि उसे पता था कि नासेर जैसा खुदगर्ज कभी भी उसे नहीं छोड़ेगा. वही तो उस की सोने का अंडा देने वाली मुरगी थी. एक तो मांबाप का पैसा, दूसरी अपने पहले पति की कमाई और तीसरी उस की खुद की कमाई. नासेर के पौबारह थे.

साफिया के मांबाप ने भी उसे समझाया कि अगर वह नासेर को रखना चाहती है तो उसे बात माननी पड़ेगी. पहले तो वह घबराई फिर रजामंदी दे दी. उस ने सोचा कौन सा कोई बच्चा हथेली पर उग रहा है. देखी जाएगी जब मिलेगा.

साफिया के हां कहते ही मुहम्मद ने फहमीदा को समझाना शुरू किया. उस ने कहा कि वह ऐसा इंतजाम करेगा कि फहमीदा बच्चे से मिल भी सकेगी और वह बाप के पास भी रह सकेगा.

जानबूझ कर नासेर ने फहमीदा को साफिया से नहीं मिलवाया. फहमीदा ने दूर से साफिया को देखा जरूर था मगर साफिया के तो सपने में भी कोई नासेर की चहेती नहीं थी. अकसर बीवियों से धोखा करने वाले ऊंचेऊंचे वादे करते हैं और अपने झूठे प्यार का इजहार करते हैं.

नासेर ने फहमीदा से भी झूठा नाटक खेला. उसे लालच दिया कि वह उसे

मोरक्को मां से मिलने जाने देगा. बस, वह बच्चा उस के पास छोड़ दे. फहमीदा राजी हो गई. उस का बच्चा अपने बाप के पास पलेगा. वह उस से मिलती रहेगी. उसे कोई कमी नहीं होगी कभी, न ही वह अवैध संतान कहलाएगा. वरना भविष्य में वह अपने ही बेटे को क्या जवाब देगी, अपनी मां को क्या जवाब देगी वगैरहवगैरह…

बच्चा 5-6 महीने का हो चला था. फहमीदा उसे बोतल से दूध पिलाने लगी थी. एक दिन मुहम्मद उसे साफिया को दिखाने ले गया. आंखों से आंसू भर कर फैमी ने उसे ले जाने दिया.

साफिया और उस की बेटियों ने जब गोलमटोल प्यारा सा बच्चा देखा तो वे उस की दीवानी हो गईं. नासेर ने बताया कि उस बच्चे की मां मोरोक्को की है. उस की उम्र अभी 20 वर्ष भी नहीं है, लेकिन उस का आदमी एक मोटरसाइकिल ऐक्सीडैंट में मर गया.

अगर साफिया बच्चा गोद ले लेती है, तो वह बेचारी दूसरी शादी कर लेगी या आगे पढ़ाई कर लेगी.

धोखाधड़ी: न्यूड वीडियो कालिंग से लुटते लोग

मध्य प्रदेश में ग्वालियर की शिंदे की छावनी में रहने वाले 32 साला जयराज सिंह तोमर (बदला हुआ नाम) अपने ह्वाट्सएप पर मैसेज देख रहे थे कि तभी उन के पास एक अनजान फोन नंबर से वीडियो काल आया.

क्या पता किस का होगा, यह सोचते हुए उन्होंने काल रिसीव किया, तो स्क्रीन का नजारा देखते ही उन के एकदम से पसीने छूट गए.

मोबाइल फोन की स्क्रीन पर तकरीबन 20-22 साल की एक खूबसूरत लड़की मदमस्त अंदाज में अपनी दोनों छातियों को मसलते हुए जीभ लपलपा रही थी और उन की तरफ फ्लाइंग किस भी दे रही थी.

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थोड़ी देर के लिए उस लड़की ने उभारों से अपने हाथ हटाए, तो जयराज सिंह तोमर पगला उठे. एक बार तो मन में आया कि हाथ बढ़ा कर स्क्रीन में ही उस सुंदरी को दबोच लें, लेकिन वह जिस अंदाज में आंधी की तरह आई थी, उस से भी बड़ा तूफान उन के दिलोदिमाग में मचा कर छू हो गई यानी उस ने फोन काट दिया.

यह सब कुल 20 सैकंड में हुआ. जयराज सिंह तोमर की कनपटियां तो इतने में ही गरम हो गई थीं और सांस धौंकनी की तरह चलने लगी थी.

लौकडाउन यानी फुरसत के दिन थे. उन की हार्डवेयर की दुकान बंद थी, लिहाजा दिन बड़ी मुश्किल से कट रहे थे. खाली समय में वे या तो यूट्यूब पर पोर्न साइटें खोज कर ब्लू फिल्में देख रहे थे या फिर नजदीकी दोस्तों की भेजी गई पोर्न फिल्मों के टुकड़े देख कर समय गुजार रहे थे.

कभीकभार तो अपने जोश में जयराज सिंह तोमर पत्नी के साथ हमबिस्तरी कर शांत हो लेते थे, लेकिन जाने क्यों ये फिल्में देख कर उन्हें सैक्स के नएनए तरीके आजमाने का मन करने लगा था, जिन में पत्नी को दिलचस्पी नहीं थी.

आज इस जवान और हसीन लड़की की मस्त अदाओं ने तो जयराज सिंह तोमर के दिल की धड़कनें बढ़ा दी थीं. बारबार वे अपने मोबाइल फोन की स्क्रीन और वह नंबर देख रहे थे मानो उस लड़की का वीडियो काल दोबारा आएगा और वह फिर से उन्हें जन्नत की मुफ्त सैर करवाएगी.

कौन हो सकती है वह लड़की और क्यों उस ने उन्हें काल किया? इन सवालों के जवाब खोजतेखोजते कुछ देर बाद उन्होंने कांपते हाथों से वह नंबर डायल किया और एक घंटी दे कर काट दिया.

कुछ सैकंड बाद ही उसी नंबर से मैसेज आया, जिस में लिखा था, ‘और देखोगे बाबू?’

‘हां…’ जयराज सिंह तोमर ने बिना देरी किए जवाब भेज दिया.

‘तो बाथरूम में जाओ और अपना अंग दिखाओ,’ वहां से दोबारा मैसेज आया.

जयराज सिंह तोमर चाबी भरे खिलौने की तरह बाथरूम में तो चले गए, लेकिन अपने कपड़े उन्होंने नहीं उतारे. बाथरूम जाने की एक वजह यह भी थी कि वहां किसी के आ जाने का डर नहीं था.

फिर वीडियो काल आया और वही लड़की अपने उभारों को पहले की तरह ही मसलते, उछालते और दबाते दिखी, तो वे तो पगला उठे. लड़की कुछ बोल नहीं रही थी. एक बार वह अपना हाथ इस अंदाज में अंडरवियर तक ले गई मानो उसे भी उतार फेंकेगी.

दुनियाजहान भूलभाल कर जयराज सिंह तोमर नजरें गड़ाए उस के संगमरमरी बदन और अदाओं में खोए हुए थे कि फिर मैसेज आया, ‘अपना दिखाओ…’

अब तक जयराज सिंह तोमर इतने जोश में आ चुके थे कि मैसेज न भी आता तो खुद कपड़े उतारने वाले थे, पर अब तो उन्हें यह ज्ञान भी हासिल हो

गया था कि अगर लड़की से उस का अंडरवियर उतरवाना  है, तो पहले खुद का उतारना पड़ेगा.

एक हाथ में मोबाइल फोन पकड़े जयराज सिंह तोमर ने गजब की फुरती  से दूसरे हाथ से लुंगी की गांठ खोली और फिर अंडरवियर भी निकाल दिया. उधर लड़की ने भी मानो उन की नकल की, फिर तो जयराज सिंह तोमर बेकाबू  हो गए.

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उस लड़की के बदन पर एक भी बाल नहीं था और वह तरहतरह से ऐसी अदाएं दिखा रही थी कि जयराज सिंह तोमर को होश नहीं रहा और वे हस्तमैथुन करने लगे.

जब होश आया तो…

कोई 4 मिनट बाद काल बंद हो गया, तो जयराज सिंह तोमर भी कपड़े पहन कर बाहर आ गए. बिस्तर पर आ कर ऐसे गिरे जैसे मीलों दौड़ कर आए हों. कितना अच्छा हो अगर वह लड़की रोजरोज ऐसा ही करे, यह सोच ही रहे थे कि उसी नंबर से एक वीडियो आया.

उन्हें लगा कि उस लड़की ने एक और खास वीडियो उन के लिए भेजा है. लेकिन जैसे ही वीडियो चलाया तो उन के हाथों के तोते उड़ गए, क्योंकि वीडियो लड़की का नहीं, बल्कि उन्हीं का था जिस में वे बेकाबू होते अपने बाथरूम में हस्तमैथुन करते नजर आ रहे थे.

चंद सैकंड में ही दिमाग की बत्तियां जलीं, तो जयराज सिंह तोमर के हाथपैर कांपने लगे. लड़की की मंशा उन्हें सम झ आ गई थी. आगे कुछ और सोचसम झ पाते, इस के पहले ही मैसेज आया, ‘2 घंटे के अंदर 5,000 रुपए हमारे खाते में डाल दो, नहीं तो यह वीडियो तुम्हारी पत्नी और तमाम रिश्तेदारों को भेज दिया जाएगा.’

मैसेज में ही बैंक एकाउंट के डिटेल्स दिए हुए थे. जयराज सिंह तोमर ने खूब सोचा और फिर भलाई इसी में सम झी कि बदनामी और जगहंसाई से बचना है, तो बिना किसी चूंचपड़ के पैसे दे दिए जाएं यानी ब्लैकमेल हो जाया जाए.

पैसे ट्रांसफर करने से पहले हिम्मत जुटाते हुए उन्होंने लड़की के नंबर पर काल किया तो घंटी जाती रही. मैसेज किया तो वह डिलीवर ही नहीं हुआ. थकहार कर उन्होंने वौइस काल किया तो नंबर नौट रीचेबल आने लगा. ट्रूकौलर पर चैक किया, तो किसी पूनम रानी का नाम आया.

सोचनेसम झने के लिए अब कुछ खास नहीं बचा था सिवा इस के कि 5,000 रुपए खाते में डाल दिए जाएं, नहीं तो इज्जत का पंचनामा बन जाएगा.

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हालांकि मन में खटका यह भी आया कि अब तो वह लड़की कभी भी ब्लैकमेल करेगी, लेकिन हालफिलहाल 2 घंटे की मीआद से बचना जरूरी था, सो उन्होंने पैसे ट्रांसफर कर दिए और लुटेपिटे से बैठे अपनी बाथरूम वाली बेवकूफी को कोसते रहे, जो बहुत ज्यादा महंगी पड़ी थी.

एक ढूंढ़ो मिलते हैं हजार

अच्छा तो यह रहा कि दोबारा उस कमबख्त पूनम रानी का मैसेज नहीं आया, जिस के बाबत जयराज सिंह तोमर सरीखे लोग हलकान हैं, क्योंकि उन से भी  झांसे या सैक्सी नजारे देखने के लालच में वही गलती की थी, जो जयराज सिंह तोमर से हुई थी.

ऐसे लोगों की ठीकठाक तादाद तो शायद ही कोई बता पाए, लेकिन एक अंदाजे के मुताबिक यह हजारों में नहीं, बल्कि लाखों में हो सकती है. इस का अंदाजा अभी तक पकड़े गए ब्लैकमेलर्स के बयानों से भी लगता है, जो बाकायदा गिरोह बना कर काम करते हैं.

ऐसा ही एक गिरोह बीते दिनों भोपाल में पकड़ा गया था, जिस के सरगना थे पेशे से ठेकेदार यादराम और एमए में पढ़ रहा पुरुषोत्तम मीणा, जिन्हें यह काम वसीम नाम के एक दोस्त ने सिखाया था. इन दोनों ने सैकड़ों लोगों से लाखों रुपए की रकम उन के न्यूड वीडियो बना कर ऐंठी थी.

इन लोगों ने बताया था कि वे हर महीने साढ़े 5 लाख रुपए तक इस अनूठे धंधे से कमा रहे थे. ये लोग एक शिकार से 20,000 रुपए से ले कर 60,000 रुपए तक वसूलते थे. दिलचस्प बात यह कि एक बार जिस से पैसे ले लेते थे, उसे दोबारा तंग नहीं करते थे, जिस से कि  वह शिकायत ले कर पुलिस में रिपोर्ट  न लिखवाए.

वसीम को फिरोजपुर के  िझरका से और पुरुषोत्तम और यादराम को राजस्थान के अलवर से गिरफ्तार किया था.

मई और जून के महीने में अकेले मुरैना में 72 लोगों को एक और गिरोह ने चूना लगाया था. आम तो आम खास लोग भी इन से या सैक्सी लड़कियों के नंगे बदन और अदाएं देखने की हसरत  से खुद को बचा नहीं सके थे. इन के शिकारों में मुरैना का एक नामी नेता और कई बड़े बिजनैस में भी शामिल हैं.

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के कांग्रेसी विधायक नीरज दीक्षित को भी एक गिरोह ने ब्लैकमेल किया था.

ऐसे कितने गिरोह देशभर में ब्लैकमेलिंग की वारदात को अंजाम दे रहे हैं, इस की गिनती भी कोई नहीं कर सकता, क्योंकि बैठेबिठाए मुफ्त के इस धंधे से इन दिनों हर कोई चांदी काट रहा है.

ग्वालियर में ही एक कृषि अधिकारी और एक बड़े व्यापारी से ऐसे गिरोह ने लाखों रुपए  झटके थे. पिछले साल सितंबर महीने में रायपुर में भी एक ऐसे गिरोह की शिकायत भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन यानी एनएसयूआई के छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष आकाश शर्मा ने की थी.

आकाश शर्मा ने इन के  झांसे में न आ कर पुलिस में शिकायत कर दी थी. यह गिरोह उत्तर प्रदेश के नोएडा का था, जिस में किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी. हां, ठगने की कोशिश जयराज सिंह तोमर की तर्ज पर की गई थी.

पुलिस की जांच में यह खुलासा हुआ था कि यह गिरोह सैकड़ों लोगों से लाखों रुपए वसूल चुका है, क्योंकि ज्यादातर लोग डर और बदनामी के चलते रिपोर्ट दर्ज नहीं कराते. पुलिस को शक है कि कुछ लोगों ने घबरा कर खुदकुशी भी कर ली.

उत्तर प्रदेश के ही  झांसी से साइबर क्राइम पुलिस ने 14 जून को इंजीनियरिंग के 3 छात्रों अशफाक खान, जावेद खान और मोहम्मद शोएब को गिरफ्तार किया था.

इन की शिकायत अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी के एक सीनियर और इज्जतदार प्रोफैसर ने की थी, जिन से ये तीनों 3 लाख रुपए  झटक चुके थे और फिर पैसों की मांग कर रहे थे. तंग आ कर प्रोफैसर साहब ने इन की शिकायत अलीगढ़ पुलिस को की थी.

पूछताछ में इन तीनों ने माना था कि वे उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश में कई लोगों को ब्लैकमेल कर चुके हैं.

ऐसे फंसते हैं लोग

जैसे ग्वालियर के जयराज सिंह तोमर और अलीगढ़ के प्रोफैसर साहब फंसे, वैसे ही लड़कियों की न्यूड वीडियो देखने के तमाम शौकीन फंसते हैं. जान कर हैरानी होती है कि इन गिरोहों  में लड़कियां न के बराबर होती हैं.

दरअसल, गिरोह वाले मोबाइल फोन चालू होते ही पहले से रिकौर्ड वीडियो की क्लिप चला देते हैं. देखने वाले को लगता है कि वे लड़की को लाइव देख रहे हैं, इस से उन का जोश और बढ़ जाता है.

शिकार फांसने के लिए ये गिरोह सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं, खासतौर से फेसबुक का जिस पर किसी खूबसूरत लड़की की फर्जी प्रोफाइल बना कर ये शिकार को फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजते हैं और धीरेधीरे सैक्सी बातें करना शुरू कर देते हैं.

सामने लड़का है या लड़की, यह शिकार को तब पता चलता है, जब वह पूरी तरह इन के जाल में फंस जाता है. फेसबुक पर ही ये शिकार का ह्वाट्सएप नंबर लेते हैं और फिर न्यूड वीडियो दिखा कर बाथरूम या अकेले में जाने के लिए उकसाते हैं. इस के बाद ये मैसेज के जरीए जैसा करने के लिए कहते हैं, शिकार वैसा ही करने लगता है, जिस की ये लोग रिकौर्डिंग कर लेते हैं.

नया हथकंडा है सैक्स्टौर्शन

जब लोग फंसने लगे, तो इन ब्लैकमेलर्स ने सैक्स्टौर्शन का हथकंडा भी अपनाना शुरू कर दिया. जैसा कि रायपुर के आकाश शर्मा के साथ करने की कोशिश की थी.

सैक्स्टौर्शन को आसान जबान में सम झें, तो इस में वीडियो कालिंग के दौरान काल करने वाला काल उठाने वाले की रिकौर्डिंग कर लेता है. इस के बाद उस का चेहरा किसी मिलतीजुलती कदकाठी वाले शख्स के नंगे वीडियो में जोड़ दिया जाता है.

यह काम इतनी सफाई से किया जाता है कि शिकार खुद चकरा उठता है कि वीडियो में दिख रहा शख्स वही है. फिर यह वीडियो वायरल करने की धमकी दे कर उसे निचोड़ा जाता है. बदनामी के डर से शिकार इन्हें पैसे दे देता है.

सैक्स्टौर्शन का मकसद नंगे वीडियो दिखाना कम शिकार की रिकौर्डिंग करना ज्यादा होता है, जिस से बाद में इतमीनान से उस में हेरफेर और ऐडिटिंग कर पोर्न वीडियो की शक्ल में उसे तबदील कर लिया जाए.

इस टैक्निक को अमल में लाने वाले ज्यादातर गांवदेहात के तेज दिमाग वाले नौजवान होते हैं. इन्हीं लोगों ने हकीकत में कोरोना के लौकडाउन की आपदा को अवसर में बदलते खूब मौज की और धड़ल्ले से अभी भी कर रहे हैं.

ऐसे बचें इन चालबाजों से

यह तो बिना सम झाए सम झने वाली बात है कि न्यूड वीडियो कालिंग और सैक्स्टौर्शन से बचने का बड़ा कारगर तरीका अनजान नंबर से आए वीडियो काल को रिसीव नहीं करना चाहिए, जिस से न रहेगा बांस और न बजेगा आप का बैंड, लेकिन इस के अलावा  भी ये एहतियात हमेशा बरतनी चाहिए, जिस से आप इन ब्लैकमेलर्स का शिकार न बनें :

* अपने फेसबुक एकाउंट पर किसी भी अनजान को न जोड़ें. उस की फ्रैंड रिक्वैस्ट रिजैक्ट कर दें.

* अपनी फेसबुक प्रोफाइल लौक कर के रखें. यह सहूलियत सैटिंग्स में जा कर आसानी से मिल जाती है.

* मोबाइल फोन पर कोई भी अनजान वीडियो काल अटैंड करते समय फ्रंट कैमरा बंद कर दें या अंधेरे में जा कर उठाएं.

* अपने जज्बातों और मुफ्त की नग्न होती लड़की को देखने की ख्वाहिश को काबू में रखते हुए बाद के नतीजों पर गौर कर लें.

* अपने घरपरिवार की जानकारी सोशल मीडिया पर सा झा न करें.

* इस के बाद भी फंस ही जाएं, तो ब्लैकमेल होने के बजाय पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराएं. इस से ब्लैकमेलर्स के हौसले पस्त पड़ते हैं.

एक अंदाजे के मुताबिक, लौकडाउन के दौरान यह धंधा 500 फीसदी तक बढ़ा है और अभी भी लगातार बढ़ ही रहा है. इस की एक बड़ी वजह वे लोग भी हैं, जिन्होंने बजाय पुलिस में जाने के ब्लैकमेल होने का रास्ता चुना.

Crime: करीबी रिश्तो में बढ़ते अपराध

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज इलाके में कुछ ही समय में आधा दर्जन ऐसी घटनाएं घटीं, जिन से करीबी रिश्तों में बढ़ रहे अपराध का पता चलता है.

वैसे, यह बात केवल एक जगह की नहीं है. समाज में हर जगह एक सा हाल है. अपराध की घटनाओं की पड़ताल करने पर यह सच उजागर हो जाता है.

प्रेमी संग मंगेतर की हत्या

शहाबुद्दीन की शादी हसमतुल निशा के साथ तय हुई थी. निशा लखनऊ पीजीआई अस्पताल के पास ही एकता नगर में रहती थी. वह अपने 2 भाइयों में सब से छोटी और लाड़ली भी थी.

शहाबुद्दीन भी अपने घर में सब से छोटा था. वह बंथरा में रहता था. दोनों के घर के बीच 35 किलोमीटर की दूरी थी. शहाबुद्दीन ट्रासपोर्ट नगर में दुकान पर नौकरी करता था, जो दोनों के घरों के बीच थी.

हसमतुल निशा ने अपने घर वालों के कहने पर शहाबुद्दीन के साथ शादी के लिए हामी तो भर दी थी, पर वह अपने प्रेमी शाने अली को भूलने के लिए भी तैयार नहीं थी. ऐसे में जैसेजैसे शहाबुद्दीन के साथ शादी का दिन करीब आ रहा था, दोनों के बीच तनाव बढ़ रहा था.

हसमतुल निशा को लगता था कि वह शादी का दिखावा ही करेगी. बाकी वह मन से अपने प्रेमी शाने अली के साथ रहना चाहती थी.

शहाबुद्दीन के साथ हसमतुल निशा की सगाई होने के बाद उन दोनों के बीच बातचीत होने लगी. शहाबुद्दीन अकसर उसे फोन करने लगा और मिलने के लिए भी दबाव बनाने लगा.

यह बात हसमतुल निशा को अच्छी नहीं लग रही थी. शाने अली भी चाहता था कि हसमतुल निशा अपने होने वाले पति शहाबुद्दीन से मिलने न जाए. जब भी उसे यह पता चलता था कि दोनों की फोन पर बातचीत होती है और वह आपस में मिलते भी हैं, इस बात को ले कर हसमतुल निशा और शाने अली के बीच  झगड़ा होता था.

उन दोनों के बीच लड़ाई झगड़े के बाद यह तय हुआ कि अब शहाबुद्दीन को रास्ते से हटाना ही होगा.

शहाबुद्दीन को अपनी होने वाली पत्नी और उस के प्रेमी के बारे में कुछ भी पता नहीं था. वह उन दोनों को आपस में रिश्तेदार सम झता था और उन पर भरोसा भी करता था.

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अपनी होने वाली पत्नी हसमतुल निशा को शादी के पहले वह अच्छी तरह से जाननेसम झने के लिए करीब आने की कोशिश कर रहा था. उसे यह नहीं पता था कि उस की यह कोशिश उसे मौत की तरफ ले जा सकती थी.

शहाबुद्दीन अपनी होने वाली पत्नी के साथ संबंधों को मधुर बनाने का काम कर रहा था, पर प्रेमी के मायाजाल में फंसी हसमतुल निशा खुद को उस से दूर करना चाहती थी. परिवार के दबाव में वह खुल कर बोल नहीं पा रही थी.

हसमतुल निशा ने अपने प्रेमी शाने अली के साथ मिल कर योजना बनाई. हसमतुल निशा चाहती थी कि शाने अली उस के मंगेतर शहाबुद्दीन को रास्ते से हटा दे. योजना को सही आकार देने के लिए शाने अली ने अपने जन्मदिन पर  11 मार्च, 2021 को शहाबुद्दीन को मिलने के लिए बुलाया.

गुरुवार की रात तकरीबन साढ़े 8 बजे शाने अली और उस के दोस्त बाराबंकी निवासी अरकान, मोहनलालगंज निवासी संजू गौतम, अमन कश्यप और पीजीआई निवासी समीर मोहम्मद बाबूखेड़ा में जमा हुए. जैसे ही शहाबुद्दीन वहां पहुंचा, शाने अली और उन के दोस्तों ने उस पर चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर दिया.

कई वार होने के बाद भी शहाबुद्दीन ने हार नहीं मानी और अपनी जान बचाने के लिए वह हमलावरों से भिड़ गया.

शाने अली और उस के हमलावर दोस्तों को जब लगा कि शहाबुद्दीन बच निकलेगा तो उन लोगों ने कुत्ते को बांधी जाने वाली जंजीर से शहाबुद्दीन का गला घोंट दिया, जिस से वह अपना बचाव नहीं कर पाया और मर गया.

बाद में हसमतुल निशा ने पुलिस को बताया कि उस ने अपने प्रेमी शाने अली के साथ मिल कर मंगेतर शहाबुद्दीन की हत्या कर दी.

चौथे पति का बेरहमी से कत्ल

लखनऊ के नगराम थाने के महगुआ गांव की रहने वाली ज्ञानवती ने अवधेश के साथ चौथी शादी की थी.

ज्ञानवती की पहली शादी 20 साल की उम्र में नगराम के रहने वाले दिलीप से हुई थी. शादी के कुछ दिन बाद ही उन दोनों के बीच अनबन शुरू हो गई.

दिलीप को केवल ज्ञानवती की याद तब ही आती थी, जब उसे उस का जिस्म चाहिए होता था. पतिपत्नी के रिश्ते में जिस्मानी संबंधों के साथ जिम्मेदारी भरा अहसास भी होता है. ज्ञानवती को कभी यह नहीं लगा कि दिलीप उस के साथ ऐसे संबंधों को निभा पाएगा.

अच्छी बात यह थी कि ज्ञानवती के समाज में तलाक लेने में कोई दिक्कत नहीं आती थी. पंचायत के फैसलों पर ही तलाक हो जाता था. शादी के कुछ साल बाद ज्ञानवती और दिलीप अलग हो गए.

ज्ञानवती की दूसरी शादी चौराहपुर के श्यामलाल के साथ हुई. श्यामलाल से उस के एक बच्चा भी हो गया, जिस का नाम सूरज रखा गया था.

सूरज के आने के बाद भी ज्ञानवती की जिंदगी में बहुत दिनों तक उजाला नहीं रह सका. जिस तरह से दिलीप के साथ ज्ञानवती का मनमुटाव शुरू हुआ था, उसी तरह से श्यामलाल के साथ भी होने लगा.

मनमुटाव  झगड़े में बदला और ज्ञानवती ने अलग रहने का फैसला कर लिया. श्यामलाल ने भी कह दिया कि बेटा सूरज उस के साथ ही रहेगा.

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इस के बाद भी ज्ञानवती ने अपना फैसला नहीं बदला. अब वह फिर से अपनी शादीशुदा जिंदगी बसाने के लिए कोशिश करने लगी.

इस बार ज्ञानवती ने सुखलाल खेड़ा नवी नगर निवासी सुनील रावत के साथ तीसरी शादी कर ली.

ज्ञानवती ने अब सोच लिया था कि सुनील ही उस की जिंदगी को सुखमय बनाएगा. पहले की दोनों शादियों के मुकाबले ज्ञानवती की तीसरी शादी उसे अच्छी लग रही थी.

सुनील का स्वभाव भी बहुत अच्छा था. ज्ञानवती के साथ उस का समय अच्छा गुजर रहा था. दोनों के 2 बच्चे राम और नरेश पैदा हुए. बच्चों के होने के बाद सुनील और ज्ञानवती के बीच संबंध पहले जैसे मधुर नहीं रहे थे. अब दोनों के बीच टकराव होने लगा था.

ज्ञानवती ने  झुकना नहीं सीखा था और सुनील से अलग रास्ता उस ने बना लिया. अब उस ने मंहगुआ गांव के रहने वाले अवधेश से अपनी चौथी शादी कर ली. 14 साल में चौथी शादी करने के बाद भी ज्ञानवती को संतोष नहीं हो रहा था.

ज्ञानवती का स्वभाव विद्रोही होने लगता था. अवधेश जब भी नशा कर के आता था. इस वजह से ज्ञानवती की उस से लड़ाई होने लगती थी. ज्ञानवती और अवधेश के बीच संबंध एक साल के अंदर फिर से हाशिए पर पहुंच गए थे.

पहले 3 पतियों को छोड़ कर शादी करने वाली ज्ञानवती ने चौथे पति को रास्ते से हटाने के लिए उस की हत्या ही कर दी.

ज्ञानवती ने पुलिस को बताया, ‘‘अवधेश मेरे चौथे पति थे. मैं ने सोचा था कि चौथी शादी के बाद मैं सुकून और शांति के साथ रह सकूंगी. अवधेश ने भी मु झ से यही वादा किया था.

‘‘पर शादी के कुछ ही दिनों के बाद हमारे बीच लड़ाई झगड़ा शुरू हो गया. तब मैं इस रिश्ते से भी छुटकारा पाने की सोचने लगी. 24 मई को इच्छाखेड़ा में मेरे रिश्तेदार के यहां शादी थी. वहीं मेरे दोनों लड़के गए थे. घर में मैं और अवधेश ही थे.

‘‘अवधेश कहीं गए थे. वहां से नशा कर के जब वे वापस घर आए तो पीने के लिए पानी मांगा. मु झे लगा कि यही सही मौका है. मैं ने सिंघाड़ा बोने में काम आने वाली कीटनाशक दवा पानी में मिला दी. इस के बाद मु झे डर लगने लगा कि वे यहीं मर जाएंगे तो मैं फंस जाऊंगी.

‘‘इस के बाद डंडे से सिर पर वार  कर दिया और लकड़ी की 2 फट्टी गले के दोनों तरफ रख कर दबा दिया.  जब वे बेहोश हो गए, तो खींच कर चारपाई से नीचे गिरा दिया.

‘‘ब्लेड से शरीर के कई हिस्सों हाथ और सीने पर पचासों निशान बना दिए. आंख की पलक भी काट दी और पूरे शरीर पर मिट्टी लगा दी, जिस से यह लगे कि कहीं और से मारपीट कर के यहां डाल दिया गया है.’’

प्रेमी से कराई अपने घर चोरी

रसूलपुर आशिक अली थाना गोसाईंगंज जिला लखनऊ के रहने वाले मनोज कुमार की 19 साल की बेटी खुशबू कुमारी का पुरवा मलौली थाना गोसाईंगंज के रहने वाले विनय यादव के साथ प्रेम हो गया. विनय खुशबू को बेहद प्यार करता था. दोनों के बीच जातपांत की गहरी खाई थी.

दोनों ही परिवारों को इन की दोस्ती पसंद नहीं थी. इस के बाद भी विनय और खुशबू अपनी दोस्ती को छोड़ना नहीं चाहते थे. लेकिन परेशानी यह थी कि उन को साथ रहने का रास्ता नहीं दिख रहा था.

अच्छी बात यह थी कि विनय और खुशबू के बीच एक तालमेल बना हुआ था. दोनों ही अपने विचारों का आदानप्रदान कर लेते थे. दोनों ने सोचा था कि विनय नौकरी करेगा, तो फिर वे दोनों शहर में अपना अलग घर ले कर रहेंगे.

कोरोना काल में लौकडाउन के चलते जिस तरह से कामधंधों पर रोक लगी, उस से विनय और खुशबू जैसे नौजवानों के सामने भी अपने भविष्य को ले कर सवालिया निशान लगा दिया. बेरोजगारी ने आगे के सभी रास्ते बंद कर दिए. यह उम्मीद थी कि 3 महीने के बाद जब लौकडाउन खुलेगा, तो सबकुछ वापस पटरी पर आ जाएगा. इस के बाद भी कोई कामधंधा नहीं बढ़ा.

मार्च, 2021 में जब कोरोना का संकट फिर से बढ़ा, तो विनय को जो कामधंधा मिल जाता था, वह भी बंद हो गया. ऐसे में खुशबू ने योजना बनाई कि विनय उस के घर में रखे रुपए चोरी कर ले.

खुशबू को उस के घर वाले भी मानसिक रूप से इतना परेशान करते थे कि वह किसी भी तरह से अपने घर में रहने को तैयार नहीं थी. अपने घर में चोरी की योजना बनाते समय उसे किसी भी तरह का डर नहीं हुआ.

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इधर विनय ने अपने साथी अपने ही गांव के रहने वाले शुभम यादव को भी इस योजना में जोड़ लिया. खुशबू के साथ योजना बनाते समय विनय ने उसे नींद की 8 गोली दी और कहा कि  4-4 गोली काढ़े में डाल कर रात में अपने मम्मी और पापा को पिला देना, जिस से वे रातभर आराम से सोते रहेंगे.

खुशबू ने 28 मई की रात ऐसा ही किया. जब मांबाप दोनों गहरी नींद में सो गए, तो विनय और शुभम ने खुशबू के साथ मिल कर उस के घर से 13 लाख रुपए नकद और 3 लाख रुपए के जेवर चोरी कर लिए.

खुशबू के पिता मनोज कुमार ने थाना गोसाईंगंज में चोरी का मुकदमा लिखाया. पुलिस ने खुशबू, विनय और उस के दोस्तों को जेल भेज दिया.

अशिक्षा और गरीबी

निगोहां गांव के रहने वाले राधेश्याम  के बेटे संदीप की दिमागी हालत खराब हो गई थी. तंग आ कर राधेश्याम ने उसे घर के पास के बिजली के खंभे से जंजीर से जकड़ कर बांध दिया.

जब यह बात समाजसेवियों को पता चली, तो उन्होंने विरोध किया और तब निगोहां इंस्पैक्टर नंदकिशोर ने जंजीर में जकड़े संदीप को खुलवा कर चचेरे भाई संजय को देखभाल के लिए सौंप दिया.

मोहनलालगंज थाना क्षेत्र में ही एक बेटे ने 3 बिस्वा जमीन के लिए अपनी मां की हत्या कर दी और लाश को मोहनलालगंज तहसील के पीछे फेंक दिया. ऐसी घटनाओं के पीछे मूल वजह अशिक्षा, गरीबी और बेरोजगारी है.

पुलिस अफसर पूर्णेंदु सिंह कहते हैं, ‘‘गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी के साथसाथ लोगों में सहनशीलता और संस्कार खत्म हो गए हैं. इस की वजह से बेटा अपनी बूढ़ी मां की हत्या कर दे रहा है.

‘‘हत्याओं के पीछे निजी संबंधों का हाथ सब से ज्यादा पाया जा रहा है. चाहे वह करीबी संबंधी हो या करीबी दोस्त हो. पैसों का लालच इस कदर है कि लोग अपराध में हिस्सा ले लेते हैं. उस समय वे उस के अंजाम की बात भी नहीं सोचते हैं.’’

नशे और संगत का असर

लंबे समय से पत्रकारिता और समाजसेवा में लगे अखिलेश द्विवेदी कहते हैं, ‘‘बड़ी घटनाएं तो प्रकाश में आ जाती हैं, पर छोटीछोटी घटनाओं पर चर्चा कम होती है. अगर सभी आपराधिक घटनाओं को मिला कर देखें, तो पता चलता है कि अपराध करने वाले नशे का शिकार होते हैं, जिस की वजह से वे सहीगलत का फैसला नहीं कर पाते हैं और आपराधिक घटनाओं में शामिल हो जाते हैं.

‘‘वे एक बार छोटे अपराध करते हैं, फिर बड़ेबड़े अपराध करने से भी पीछे नहीं हटते. नौजवान तबका ऐसे लोगों के निशाने पर होता है, जो अपने गलत कामों के लिए उस का इस्तेमाल करने की कोशिश में रहते हैं.’’

इस सिलसिले में पत्रकार अनुपम मिश्र कहते हैं, ‘‘नौजवान तबके में संबंधों के प्रति सहनशीलता खत्म हो रही है. इस वजह से वे अपराध करने के पहले किसी भी तरह से सोचविचार नहीं कर रहे. सब से खतरनाक बात यह है कि महिलाएं भी अपराध करने से पीछे नहीं रह रही हैं. ये घटनाएं समाज के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही हैं.

‘‘अब समाज को इस से बचने का उपाय देखना होगा. कानून की भूमिका भी अहम है. अपराधों में जल्दी सुनवाई और सजा का मिलना शुरू हो जाए, तो अपराध करने से लोग डरेंगे. साथ ही साथ समाज में इस के प्रति जागरूकता भी बढ़ानी होगी.’’

Manohar Kahaniya: शैली का बिगड़ैल राजकुमार- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

राज स्मार्ट था और बातों का धनी था. शैली भी उस से प्रभावित हो कर उस से खुलने लगी. शैली ने राज को अपने बारे में सब बता दिया था. उस के बावजूद राज उसे पटाने में लगा था.

राज युवा था और अविवाहित था. उसे कोई भी खूबसूरत युवती मिल जाती और शादी करने को तैयार हो जाती. लेकिन राज को शैली में न जाने क्या दिखा, जो वह अपने से 14 साल बड़ी विधवा औरत, जिस के एक जवान बेटी भी थी, उस के प्यार में पड़ने को आतुर था.

यह प्यार था या एक जाल, जिस में वह शैली को फांसने की तैयारी कर रहा था. यह तो वक्त के गर्त में छिपा था. लेकिन इतना सब शैली ने नहीं सोचा. वह तो राज जैसे युवा को अपनी तरफ आकर्षित देख कर फूली नहीं समा रही थी.

शादी तक पहुंचा प्यार

दोस्ती की अगली सीढ़ी प्यार होता है. दोनों प्यार की सीढ़ी पर चढ़ने को आतुर थे. उन के बीच वीडियो काल पर बातें होने लगीं. ऐसी ही एक वीडियो काल के दौरान राज ने शैली से कहा, ‘‘हम दोनों को फेसबुक पर जुड़े काफी समय हो गया. लेकिन मैं इधर काफी दिनों से महसूस करने लगा हूं कि हमारा रिश्ता दोस्ती के रिश्ते से भी आगे बढ़ गया है.

‘‘जिस रिश्ते की दहलीज पर हम ने कदम रखा है वह रिश्ता है प्यार का रिश्ता. मुझे तुम से प्यार हो गया है शैली. यह कब हुआ कैसे हुआ, इस बात का मुझे भी पता न चला. जब इस को मैं ने महसूस किया तो दिल की खुशी का ठिकाना न रहा. मुझे लगता है कि तुम भी मुझ से प्यार करती हो. एम आई राइट शैली?’’

शैली यह सुन कर मन ही मन खुश हो रही थी, उस ने अपनी यह खुशी राज पर जाहिर नहीं होने दी और बोली, ‘‘राज, हम दोस्त ही रहें तो अच्छा है, प्यार के चक्कर से दूर रहें, वही ठीक है.’’

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शैली के गोलमोल जवाब से राज जान गया कि शैली के दिल में भी वही है, जो वह चाहता है. वह भी उसे प्यार करती है लेकिन कहने से कतरा रही है. हो सकता है इस के पीछे बड़ा कारण हो. लेकिन उस ने भी ठान लिया कि वह शैली को मना कर ही रहेगा.

‘‘शैली, ऐसा क्यों कह रही हो. जब प्यार करती हो तो उसे स्वीकार भी करो. दिल में छिपा कर मत रखो.’’ राज ने बेचैन हो कर शैली से कहा.

‘‘राज हम दोनों में उम्र का बहुत बड़ा फासला है. तुम से कुछ साल छोटी मेरी एक बेटी है. ऐसे में हम प्यार के रिश्ते में नहीं पड़ सकते, दोस्ती का रिश्ता ही ठीक है. वैसे भी हमारे समाज में यह स्वीकार्य नहीं है.’’

‘‘तुम मुझ से बड़ी हो फिर भी नासमझी वाली बातें कर रही हो. प्यार कभी उम्र नहीं देखता, कभी जातपात, ऊंचनीच नहीं देखता और न किसी की परवाह करता है. जिस से होता है तो बस हो जाता है. हमारी जिंदगी है तो जिंदगी के फैसले हम ही लेंगे, खासतौर पर उन फैसलों को जिन पर हमारी जिंदगी की खुशियां टिकी हैं.

‘‘वैसे भी समाज में कई उदाहरण हैं जिस में महिला पुरुष से बड़ी थी, लेकिन उन्होंने किसी की परवाह नहीं की और एक बंधन में बंध कर खुशहाल जिंदगी गुजार रहे हैं. जब वे एक साथ अच्छी जिंदगी गुजार सकते हैं तो हम क्यों नहीं.’’ राज ने समझाया.

कुछ सोच कर शैली बोली, ‘‘बात तो तुम्हारी सही है, हमें अपनी जिंदगी के फैसले लेने का खुद हक है. किसी को परेशानी हो तो उस से हमें क्या करना. मैं भी तुम्हें बहुत दिनों से चाह रही थी. लेकिन दुविधा में पड़ी थी. तुम ने आज मुझे निश्चिंत कर दिया कि तुम मेरे जीवनसाथी बनने के लिए ही बने हो. लव यू राज.’’

‘‘लव यू टू शैली.’’ राज ने भी शैली के प्यार का जवाब प्यार से दिया. इस के बाद उन के बीच काफी देर तक बातें होती रहीं. राज शैली को मनाने में सफल हो गया.

उन में प्यार हो गया वह भी बिना एकदूसरे से मिले. अब दोनों ने एकदूसरे से मिलने का फैसला किया.

निश्चित तिथि पर पार्क में दोनों मिले. एकदूसरे को सामने देख कर दोनों खुश हुए. पार्क में बात करने में दिक्कत हुई तो वे सुरक्षित और शांत ठिकाने पर बातें करने चले गए. इस के बाद उन के बीच मुलाकातों का सिलसिला बढ़ता ही गया. बाद में दोनों ने शादी करने का फैसला लिया तो अपने घर वालों को बताया.

शैली ने अपनी छोटी बहन मोनिका को इस बारे में बताया तो मोनिका ने अपनी बड़ी बहन से कहा कि उन्होंने राज के बारे में सब पता कर लिया है कि नहीं. इस पर शैली ने उसे आश्वस्त किया कि उस ने राज के बारे में सब पता कर लिया है. जबकि शैली को उतना ही पता था, जितना राज ने उसे बताया था.

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ससुराल में होने लगी अनबन

वर्ष 2017 में शैली ने राज से विवाह कर लिया. विवाह के बाद बेटी तान्या के साथ ससुराल गांव निगदू आ गई. कुछ समय तक सब ठीकठाक चलता रहा. उस के बाद शैली की राज के घर वालों से तकरार होने लगी. उस की वजह यह थी कि वे सब शैली और उस की बेटी तान्या को परेशान करते थे. राज या तो चुप रहता या अपने घर वालों का ही पक्ष लेता. जब पानी सिर के ऊपर से गुजरने लगा तो शैली ने अलग रहने का इरादा कर लिया.

शैली ने करनाल शहर के न्यू प्रेमनगर मोहल्ले में मकान किराए पर ले लिया. शैली ने जहां मकान किराए पर लिया था, वहीं 2 गली छोड़ कर उस की छोटी बहन मोनिका किराए पर रहती थी.

अगले भाग में पढ़ें- भारती के प्यार ने बदल दी सोच

Satyakatha: प्यार की ये कैसी डोर

सौजन्य- सत्यकथा

छत्तीसगढ़ का रायगढ़ जिला आदिवासी बाहुल्य है. यहां का लैलूंगा शहर जिला मुख्यालय से लगभग 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. लैलूंगा घोर जनजातीय आदिवासी बाहुल्य विकास खंड है. धीरेधीरे यहां का मिश्रित माहौल अपने आप में एक आकर्षण का माहौल पैदा करने लगा है, क्योंकि यहां पर अब भले ही बहुतेरे मारवाड़ी, ब्राह्मण, कायस्थ समाज के लोग आ कर रचबस रहे हैं, लेकिन आदिवासी सभ्यता और संस्कृति की महक यहां आज भी स्वाभाविक रूप से महसूस की जा सकती है.

लैलूंगा थाना अंतर्गत एक छोटे से गांव कमरगा में शदाराम सिदार एक सामान्य काश्तकार हैं. वह 2 बेटे और एक बेटी वाले छोटे से परिवार का बमुश्किल पालनपोषण कर रहे  थे. शदाराम का बड़ा बेटा जय कुमार सिदार प्राइमरी तक पढ़ने के बाद पिता के साथ खेतीबाड़ी में हाथ बंटा रहा था.

गरीबी और परिवार की दयनीय हालत देख कर के एक दिन 21 वर्ष की उम्र में वह अपने एक दोस्त रमेश के साथ छत्तीसगढ़ से सटे झारखंड राज्य के बोकारो शहर में रोजगार  के लिए चला गया.

जल्द ही जय कुमार को स्थानीय राजू टिंबर ट्यूनिंग प्लांट में क्लीनर मशीन चलाने का काम मिल गया और जय का मित्र रमेश भी वहीं काम करने लगा. फिर उन्होंने बोकारो के एक मोहल्ले में कमरा किराए पर ले लिया.

समय अपनी गति से बीत रहा था कि एक दिन जय और रमेश सुबह घर से अपनी ड्यूटी पर जा रहे थे कि जय को साइकिल के साथ खड़ी एक परेशान सी लड़की दिख गई. जय कुमार और रमेश थोड़ा आगे बढ़े तो जय ने रुक कर कहा, ‘‘यार, लगता है इस लड़की को कुछ मदद की जरूरत है.’’

दोनों  मुड़ कर वापस आए. तब युवती की ओर मुखातिब हो कर जय  ने कहा, ‘‘क्या बात है, आप क्यों परेशान खड़ी हो?’’

युवती थोड़ा सकुचाई  फिर बोली, ‘‘देखो न, साइकिल में पता नहीं क्या हो गया है, आगे ही नहीं बढ़ रही.’’

जय ने कहा, ‘‘लगता है साइकिल की चैन फंस गई है, किसी मिस्त्री को दिखानी होगी.’’

और नीचे बैठ कर वह साइकिल को ठीक करने की असफल कोशिश करने लगा. मगर चैन बुरी तरह फंस गई थी. थोड़ी देर तक प्रयास करने के बाद जय ने रमेश की ओर देखते हुए कहा, ‘‘चलो, इस की थोड़ी मदद कर देते हैं.’’

इस पर रमेश ने कहा, ‘‘यार, देर हो जाएगी, काम पर न पहुंचे तो प्रसादजी नाराज हो जाते हैं, तुम को तो पता ही है कि काम पर समय पर पहुंचना बहुत जरूरी है.’’

इस पर सहज रूप से जय सिदार ने कहा, ‘‘बात तो सही है, ऐसा करते हैं, तुम काम पर चले जाओ और उन से बता देना कि आज मैं छुट्टी पर रहूंगा… मैं इन की साइकिल ठीक करा देता हूं.’’

जय को रमेश आश्चर्य से देखता हुआ ड्यूटी पर चला गया. इधर जय ने युवती की मदद के लिए साइकिल अपने कंधे पर उठा ली और धीरेधीरे साइकिल मिस्त्री के पास पहुंचा. थोड़ी ही देर में मिस्त्री ने साइकिल ठीक कर दी.

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युवती जय के व्यवहार और हमदर्दी को देख कर बहुत प्रभावित हुई. फिर दोनों ने बातचीत में एकदूसरे का नाम और परिचय पूछा. युवती ने अपना नाम सरस्वती मरांडी बताया. जब जय वहां से जाने लगा तो सरस्वती ने उसे अचानक रोक कर कहा, ‘‘आप ने मेरे कारण आज अपना बहुत नुकसान कर लिया है बुरा न मानें तो क्या आप मेरे साथ एक कप चाय पी सकते हैं?’’

जय सिदार 19 वर्षीय सरस्वती की बातें सुन कर हंसता हुआ राजी हो गया. अब वह उसे अच्छी लगने लगी थी. मंत्रमुग्ध सा जय उस के साथ एक रेस्टोरेंट में चला गया.

बातोंबातों में सरस्वती ने उसे बताया कि वह अपने गांव ढांगी करतस, जिला धनबाद की रहने वाली है और यहां स्थानीय प्रौढ़ शिक्षा केंद्र में शिक्षिका है. इस बीच जय ने सरस्वती का मोबाइल नंबर ले लिया और अपने बारे में सब कुछ बताता चला गया.

अब अकसर जय सिदार सरस्वती से बातें करता. सरस्वती भी उसे पसंद करती और दोनों के बीच प्रेम की बेलें फूट पड़ीं. जल्द ही एक दिन जय कुमार ने सरस्वती से झिझकते हुए कहा, ‘‘सरस्वती, मैं तुम्हें चाहने लगा हूं. तुम प्लीज मना मत करना, नहीं तो मैं मर ही जाऊंगा.’’

इस पर सरस्वती मुसकराते हुए बोली, ‘‘अच्छा, बताओ तो इस का तुम्हारे पास क्या सबूत है.’’

‘‘सरस्वती, तुम्हारे लिए मैं सब कुछ करने को तैयार हूं. बताओ, मुझे क्या करना है.’’ जय सिदार ने हिचकते हुए कहा.

‘‘मैं तो मजाक कर रही थी, मैं जानती हूं कि तुम मुझे बहुत पसंद करते हो.’’ सरस्वती बोली.

यह सुन कर जय की हिम्मत बढ़ गई. वह बोला, ‘‘…और मैं.’’

सरस्वती ने धीरे से  कहा, ‘‘लगता है तुम तो प्यार के खेल में अनाड़ी हो. अरे बुद्धू, अगर कोई लड़की मुसकराए, बात करे, इस का मतलब तुम नहीं समझते…’’

यह सुन कर जय खुशी से उछल पड़ा. इस के बाद उन का प्यार परवान चढ़ता गया. फिर एक दिन सरस्वती और जय ने एक मंदिर में विवाह कर लिया.

सन 2017 से ले कर मार्च, 2020 अर्थात कोरोना काल से पहले तक दोनों ही प्रेमपूर्वक झारखंड में एक छत के नीचे रह रहे थे. इस बीच दोनों ने मंदिर में विवाह कर लिया और पतिपत्नी के रूप में आनंदपूर्वक रहने लगे.

मार्च 2020 में जब कोविड 19 का संक्रमण फैलने लगा तो जय का काम छूट गया. घर में खाली बैठेबैठे जय को अपने गांव और मातापिता की याद आने लगी. एक दिन जय ने सरस्वती से कहा, ‘‘चलो, हम गांव चलते हैं, वहां इस समय रहना ठीक रहेगा, पता नहीं ये हालात कब तक सुधरेंगे. और जहां तक रोजीरोटी का सवाल है तो हम गांव में ही कमा लेंगे. फिर आज सवाल तो जान बचाने का है.’’

सरस्वती को बात पसंद आ गई. उस समय गांव जाने के लिए कोई साधन नहीं था. तब जय कुमार पत्नी सरस्वती को अपनी साइकिल पर बैठा कर जिला रायगढ़ के गांव कामरगा में स्थित अपने घर की ओर चल दिया. लगभग 300 किलोमीटर की दूरी तय कर के जय कुमार अपने घर पहुंच गया.

घर में पिता शदाराम और परिजनों ने जब जय को देखा, सभी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. साथ में सरस्वती को देखा तो पिता शदाराम ने पूछा, ‘‘यह कौन है?’’

जय ने सकुचाते हुए सरस्वती का परिचय पत्नी के रूप में परिजनों को करा दिया. उस समय किसी ने भी कुछ नहीं कहा.

लौकडाउन का यह समय सभी को चिंतित किए हुए था. मगर स्थितियां सुधरने लगीं तो जय कुमार से सवालजवाब होने लगा. एक दिन पिता शदाराम ने कहा, ‘‘बेटा जय, गांव के लोग पूछ रहे हैं कि तुम्हारी बहू कहां की है किस जाति की है? जब मैं ने बताया तो समाज के लोगों ने नाराजगी प्रकट की है. इस से शादी कर के तुम ने बहुत बड़ी भूल की है बेटा.’’

‘‘पिताजी, अब मैं क्या करूं, जो होना था, वह तो हो चुका है.’’ यह सुन कर जय बोला.

‘‘बेटा, हम को भी समाज में रहना है, यहीं जीना है. यह हाल रहेगा तो हम, हमारा परिवार भारी मुसीबत में पड़ जाएगा. कोई हम से रोटीबेटी का रिश्ता तक नहीं रखेगा. ऐसे में हो सके तो तुम लोग कहीं और जा कर के जीवन बसर करो, ताकि समाज के लोग अंगुली न उठा सकें.’’

जय ने कहा, ‘‘पिताजी, अब क्या हो सकता है, मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा.’’

एक दिन एक निकट के परिजन ने जय से कहा, ‘‘अब देख लो, सोचसमझ के कुछ निर्णय लो. वैसे, पास के गांव के हमारे परिचित रामसाय ने अपनी बेटी के साथ तुम्हारे विवाह का प्रस्ताव भेजा था. वह पैसे वाले लोग भी हैं और हमारे समाज के भी हैं. ऐसा करो, सरस्वती को तुम छोड़ दो. फिर हम बात आगे बढ़ाते हैं.’’

यह सुन कर जय का मन भी बदल गया. क्योंकि सुमन को वह बचपन में पसंद करता था.

वह सोचने लगा कि काश! वह सरस्वती के चक्कर में नहीं पड़ता तो आज सुमन उस की होती.

इसी दरमियान जय गांव में ही तेजराम के यहां ट्रैक्टर चलाने लगा था. नौसिखिए जय सिदार से एक दिन अचानक दुर्घटना हो गई तो तेजराम ने उस की पिटाई कर दी और उस से नुकसान की भरपाई मांगने लगा.

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परिस्थितियों को देख कर जय पत्नी सरस्वती को ले कर पास के दूसरे गांव सरकेदा में अपने जीजा रवि के यहां गुजरबसर करने आ गया. जय का रवि के साथ अच्छा याराना था. बातोंबातों में एक दिन रवि ने कहा, ‘‘भैया, यह तुम्हारे गले कैसे पड़ गई, इस से कितनी सुंदर लड़कियां हमारे समाज में हैं.’’

यह सुन कर के जय मानो फट पड़ा. बोला, ‘‘भाटो (जीजा), बस यह भूल मुझ से हो गई है, अब मैं क्या करूं, मुझे तो लगता है कि सरस्वती से शादी कर के मैं फंस गया हूं.’’

रवि ने जय कुमार को बताया कि परिवार में चर्चा हुई थी कि सुमन के पिता तुम्हारे लिए 2-3 बार आ चुके हैं. अब क्या हो.’’

‘‘क्या करूं, क्या इसे बोकारो छोड़ आऊं?’’ विवशता जताता जय कुमार बोला.

‘‘…और अगर कहीं फिर वापस आ गई तो..?’’  रवि कुमार ने चिंता जताई.

जय कुमार असहाय भाव से जीजा रवि की ओर देखने लगा.

रवि मुसकराते हुए बोला, ‘‘एक रास्ता है…’’

और दोनों ने बातचीत कर के एक ऐसी योजना बनाई, जिस ने आगे चल कर दोनों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.

वह 7 जनवरी, 2021 का दिन था. एक दिन पहले ही जय और रवि ने सरस्वती से बात कर के पिकनिक के लिए झरन डैम चलने की योजना बना ली थी. एक बाइक पर तीनों सुबहसुबह पिकनिक के लिए निकल गए. लैलूंगा शहर घूमने, खरीदारी के बाद 7 किलोमीटर आगे खम्हार जंगल के पास झरन डैम में पहुंच कर तीनों ने खूब मस्ती की. मोबाइल से फोटो खींचे और खायापीया.

इस बीच सरस्वती ने एक दफा सहजता से कहा, ‘‘कितना अच्छा होता, आज सारे परिवार वाले भी हमारे साथ होते तो पिकनिक यादगार हो जाती.’’

इस पर रवि ने बात बनाते हुए कहा, ‘‘भाभी, आएंगे आगे सब को ले कर के आएंगे. आज तो हम लोगों ने सोचा कि चलो देखें, यहां का कैसा माहौल है अगली बार  सब को ले कर के पिकनिक मनाएंगे.’’

आज जय सिदार कुछ उखड़ाउखड़ा भी दिखाई दे रहा था. इस पर सरस्वती ने कहा था, ‘‘पिकनिक मनाने आए हो या फिर किसी और काम से…’’

यह सुन कर अचकचाए जय कुमार ने मुसकरा कर कहा, ‘‘ऐसीवैसी कोई बात होती तो मैं भला क्यों आता. तुम गलत समझ रही हो. क्या है सारे कामधंधे रुके पड़े हैं. पैसा कहीं से तो आ नहीं पा रहा है, बस इसी बात की टेंशन है सरस्वती.’’

सरस्वती को लगा कि जय जायज बात कर रहा है. थोड़ी देर बाद जब वापस चलने का समय हुआ तो एक जगह रवि कुमार रुक गया और छोटी अंगुली दिखा कर बोला, ‘‘मैं अभी फारिग हो कर आता हूं.’’

रवि झाडि़यों के अंदर चला गया. सही मौका देख कर के जय ने अचानक सरस्वती पर हमला कर दिया और उस के बाल पकड़ कर उसे मारने लगा और एक रस्सी निकाल कर के गला घोंटने लगा. वह वहीं गिर पड़ी और फटी आंखों से उसे देखती रह गई.

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जय आखिरी तक सरस्वती पर प्राणघातक हमला भी करता रहा. इतनी देर में रवि भी दौड़ कर आ गया और जय का साथ देने लगा.  देखते ही देखते सरस्वती के प्राणपखेरू उड़ गए. सरस्वती की मौत के बाद रवि ने उस के गले में एक नीली रस्सी बांधी और झाडि़यों में घसीट कर सरस्वती की लाश छिपा दी.

12 जनवरी, मंगलवार को शाम लगभग 5 बजे थाना लैलूंगा मैं अपने कक्ष में थानाप्रभारी एल.पी. पटेल रोजमर्रा के कामों को निपटा रहे थे कि दरवाजे पर आहट सुनाई दी. उन्होंने देखा 3-4 ग्रामीणों के साथ खम्हार गांव के सरपंच शिवप्रसाद खड़े हैं. थानाप्रभारी ने उन सभी को अंदर बुला लिया. तभी सरपंच ने उन से कहा, ‘‘सर, जंगल में एक महिला की लाश मिली है. कुछ लोगों ने देखा तो मैं सूचना देने के लिए आया हूं.

मामले की गंभीरता को देखते हुए एसआई व 2 कांस्टेबलों को थानाप्रभारी पटेल ने घटनास्थल की ओर रवाना किया और अपने काम में लग गए. लगभग एक घंटे बाद उन्हें सूचना मिली कि लाश किसी महिला की है. उन्होंने एसआई को स्थिति को देखते हुए सारे सबूतों को इकट्ठा करने और फोटोग्राफ लेने के निर्देश दिए और कहा कि वह स्वयं घटनास्थल पर आ रहे हैं.

थाने से निकलने से पहले एल.पी. पटेल ने एसपी (रायगढ़) संतोष सिंह और एएसपी अभिषेक वर्मा को महिला की लाश मिलने की जानकारी दी और घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

जब वह वहां पहुंचे तो थोड़ी देर में ही जिला मुख्यालय से डौग स्क्वायड टीम भी आ गई  और महिला की लाश को देख कर के उन्हें समझने में देर नहीं लगी कि यह सीधेसीधे एक ब्लाइंड मर्डर का मामला है.

पुलिस विवेचना में जांच अधिकारी एल. पी. पटेल के सामने शुरुआती परेशानी मृतका की पहचान की थी, जिस के लिए मशक्कत शुरू कर दी गई. इस कड़ी में रायगढ़ जिले के सभी थानों के गुम इंसानों के हुलिया से मृतका का मिलान किया गया. जब सफलता नहीं मिली तो छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस पोर्टल पर राज्य के लगभग सभी जिलों के गुम इंसानों से हुलिया का मिलान कराया गया. सभी सोशल मीडिया ग्रुप में मृतका के फोटो वायरल किया जाने लगा. मगर सुराग नहीं मिल रहा था.

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आखिरकार एक दिन पुलिस को अच्छे नतीजे मिले. सोशल मीडिया में वायरल की गई तसवीर के जरिए मृतका की शिनाख्त सरस्वती मरांडी, पुत्री सुजीत मरांडी, उम्र 23 वर्ष निवासी ढांगी करतस, जिला धनबाद (झारखंड) के रूप में हुई.

मृतका की शिनाख्त के बाद मामले में नया पहलू सामने आया, जिस से अनसुलझे हत्याकांड की गुत्थी सुलझती चली गई. लैलूंगा पुलिस को हत्याकांड में कमरगा गांव, थाना लैलूंगा के जयकुमार सिदार के मृतका का कथित पति होने की जानकारी भी मिली.

लैलूंगा पुलिस द्वारा गोपनीय तरीके से जयकुमार सिदार का उस के गांव में पता लगाया गया तो जानकारी मिली कि वह तथा उस का जीजा रवि कुमार सिदार दोनों ही अपनेअपने गांव से गायब हैं.

हत्या के इस गंभीर मामले में एसपी संतोष सिंह द्वारा अज्ञात महिला के वारिसों और संदिग्धों की तलाश के लिए थाना लैलूंगा, धरमजयगढ़, चौकी बकारूमा की 3 अलगअलग टीमें बनाई गईं. एक टीम में एसडीपीओ सुशील नायक, एसआई प्रवीण मिंज, हैडकांस्टेबल सोमेश गोस्वामी, कांस्टेबल प्रदीप जौन, राजेंद्र राठिया, दूसरी टीम में थानाप्रभारी लैलूंगा इंसपेक्टर लक्ष्मण प्रसाद पटेल, कांस्टेबल मायाराम राठिया, धनुर्जय बेहरा, जुगित राठिया, अमरदीप एक्का और तीसरी टीम में एसआई बी.एस. पैकरा, एएसआई माधवराम साहू, हैडकांस्टेबल संजय यादव, कांस्टेबल इलियास केरकेट्टा को शामिल किया गया.

पहली टीम को किलकिला, फरसाबहार, बागबाहर और तपकरा तथा दूसरी टीम को पत्थलगांव, घरघोड़ा, लारीपानी, चिमटीपानी एवं टीम नंबर 3 को बागबाहर, कांसाबेल, कापू, दरिमा, अंबिकापुर की ओर जांच के लिए लगाया गया था.

तीनों टीमों के अथक प्रयास पर आरोपियों को जिला जशपुर के गांव रजौरी से 20 जनवरी को हिरासत में ले कर थाने लाया गया. दोनों आरोपी पुलिस से लुकछिप कर रजौरी के जंगल में लकड़ी काटने का काम कर रहे थे.

दोनों ने कड़ी पूछताछ में अंतत: सरस्वती मरांडी की हत्या करने का अपना अपराध स्वीकार लिया.

रोजगार के सिलसिले में वह बोकारो, झारखंड गया था. वहां राजू टिंबर ट्यूनिंग प्लांट में क्लीनर मशीन चलाता था और किराए के मकान में रहा करता था. वहीं सरस्वती मरांडी से उस की जानपहचान हुई.

जय कुमार परेशान था और उस ने अपने जीजा रवि के साथ सरस्वती की हत्या का प्लान बनाया और उसी प्लान के तहत 7 जनवरी, 2021 को पिकनिक का बहाना कर सरस्वती को मोटरसाइकिल पर बिठा कर लैलूंगा ले कर आए.

लैलूंगा बसस्टैंड पर खानेपीने के सामान व सरस्वती ने कपड़े खरीदे. तीनों फिर खम्हार के झरन डैम गए, जहां सरस्वती ने वही पीले रंग की सलवारकुरती पहनी, जो उस ने गांव कमरगा की सुनीता सिदार (टेलर) से बनवाई थी. वहां उन्होंने मोबाइल पर खूब सेल्फी ली.

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शाम करीब 5 बजे भेलवाटोली एवं खम्हार के बीच पगडंडी के रास्ते में रवि सिदार पेशाब करने का बहाना कर रुका. उसी समय जयकुमार सिदार ने सरस्वती के बाल पकड़ कर उसे जमीन पर पटक दिया और गला दबा कर उस की हत्या कर दी.

इस के बाद रवि और जयकुमार सिदार ने सरस्वती के गले में चुनरी से गांठ बांध कर खींचा और लाश सरई झाडि़यों के बीच छिपा दी. दोनों आरोपी भागने की हड़बड़ी में अपनी चप्पलें, गमछा भी घटनास्थल के पास छोड़ आए.

लैलूंगा पुलिस ने आरोपी जय कुमार सिदार (25 साल) और रवि सिदार (30 वर्ष) को गिरफ्तार कर घरघोड़ा की कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया.

Satyakatha- कहानी खूनी प्यार की: भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

अविनाश सिंह ने कहा, ‘‘हम ने तुम्हारे मोबाइल फोन की जांच करवाई है और यह जानकारी सामने आई है कि तुम कभी भी अपना मोबाइल रात को बंद नहीं करते थे. फिर उस रात आखिर मोबाइल क्यों बंद किया.

‘‘अगर मोबाइल बंद भी कर दिया तो फिर सुबह उस में सारे मैसेज को तुम ने डिलीट क्यों किया था? हमें अब विश्वास है कि हत्या तुम ने ही की है. सबूत हमें मिल चुका है, तुम सचसच बताओ. इसी में तुम्हारी भलाई है.’’

इस पर संजय चौहान गिड़गिड़ाते हुए बोला, ‘‘साहब, कृष्णा की हत्या की बात सुन कर मैं घबरा गया था, इसलिए अपने मोबाइल का सारा मैसेज डिलीट कर दिया था.’’

संजय चौहान को घूरते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जब तुम घर में थे तो तुम्हें कैसे पता चल गया कि कृष्णा की हत्या हुई है, बिना देखे जाने?’’

संजय चौहान ने घबरा कर आंखें चुराते हुए कहा, ‘‘मैं ने सुना तो मुझे लगा कि जरूर परिवार वालों ने उसे मार कर फेंक दिया है.’’

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‘‘देखो, तुम पुलिस को धोखा नहीं दे सकते, तुम ने बारबार अपना बयान बदला है और तीनों बातें सही नहीं हो सकतीं. अब साफसाफ बता दो, हम ने तुम्हारे मोबाइल की काल डिटेल्स भी चैक करवाई है.’’ थानाप्रभारी ने कहा.

अब संजय चौहान टूट गया और बोला, ‘‘सर…गलती मुझ से हुई है. मैं बताता हूं उस रात क्या हुआ था.’’

और उस ने जो कहानी बताई, उस के अनुसार कृष्णा कुमारी और वह दोनों आर्यसमाज मंदिर, बिलासपुर में जल्द ही शादी करने वाले थे कि नेवेंद्र की उन के बीच एंट्री हुई. अकसर कृष्णा नेवेंद्र से मोबाइल पर बात करती थी, एक दिन जब वह रात को कृष्णा से मिलने गया तो मोबाइल मैं उस ने नेवेंद्र का चैट पढ़ लिया.

चैट पढ़ कर उस का दिमाग घूमने लगा. उस ने उसी समय स्वयं कृष्णा के रूम में रात को जब वाट्सऐप पर नेवेंद्र से बातें की तो उस के सामने खुलासा हो गया कि कृष्णा का उस से कुछ ज्यादा ही गहरा संबंध हो चुका है. दोनों आपस में अश्लील बातें भी किया करते थे.

इस पर एक दिन कृष्णा से झगड़ा कर के संजय चौहान ने कहा, ‘‘सारी सच्चाई मैं जान गया हूं. तुम अगर अब आगे उस के साथ बात करोगी तो ठीक नहीं होगा.’’

इस पर कृष्णा कुमारी ने तुनक कर कहा, ‘‘मैं किसी की जायजाद नहीं हूं. ऐसा है तो अभी से संबंध खत्म समझो.’’

संजय को भी गुस्सा आ गया. उस ने गुस्से में कहा, ‘‘कृष्णा, अगर तुम मेरी नहीं होगी तो मैं किसी की तुम्हें नहीं होने दूंगा, मैं तुम्हें मार दूंगा.’’

संजय ने बताया कि एक टीवी सीरियल में उस ने ऐसी ही कहानी देखी थी, वही सीरियल देख कर उस ने प्रेमिका कृष्णा की हत्या कर उस के पिता को फंसाने की योजना बनाई.

योजनानुसार, 29 मई 2021 की रात को जब संजय चौहान कृष्णा से  मिलने गया तो अपनी बाइक को दूर झाडि़यों के पास खड़ी कर गया था और पैदल बिना चप्पल के धीरेधीरे उस के घर की ओर गया. रात को लगभग 12 बजे उस ने एक पत्थर इशारे के रूप में कृष्णा की छत पर फेंका. बाद में थोड़ी देर में कृष्णा आई और दोनों एक कमरे में बैठ कर के आपस में बातचीत कर रहे थे. इसी तरह से वह पहले भी कृष्णा से मिलता था.

संजय ने उसे फुसला कर कहा, ‘‘कृष्णा, तुम एक मैसेज लिखो कि मुझे मेरे पिता मार डालेंगे, मुझे बचा लो. और यह मैसेज मुझे और नेवेंद्र को भेज दो.’’

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कृष्णा ने विश्वास में आ कर ऐसा ही किया. बाद में कृष्णा ने वह मैसेज अपने फोन से डिलीट कर दिया.

आगे बातों ही बातों में जब उसे यह समझ में आया कि कृष्णा अब उस के हाथ से पूरी तरह निकल चुकी है तो उस ने वहीं पास में रखी हुई एक साड़ी उस के गले में डाल कर उस का गला घोंट दिया फिर लाश उठा कर के बाड़ी में फेंक कर अपने घर चला गया.

पुलिस ने संजय चौहान के इकबालिया बयान के बाद उसे कृष्णा कुमारी वैष्णव की हत्या के आरोप में 31 मई, 2021 को भादंवि की धारा 302, 120बी के तहत गिरफ्तार कर लिया. फिर उसे प्रथम न्यायिक दंडाधिकारी, कटघोरा की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

Satyakatha: सपना का ‘अधूरा सपना’

 सौजन्य- सत्यकथा

कानपुर जिले के घाटमपुर थाना अंतर्गत एक गांव है बिहारिनपुर. इसी गांव में शिवआसरे परिवार सहित रहता था. उस के परिवार में पत्नी मीना के अलावा 2 बेटियां सपना, रत्ना तथा 2 बेटे कमल व विमल थे. शिवआसरे ट्रक ड्राइवर था. उस के 2 अन्य भाई रामआसरे व दीपक थे, जो अलग रहते थे और खेतीबाड़ी से घर खर्च चलाते थे.

शिवआसरे की बेटी सपना भाईबहनों में सब से बड़ी थी. वह जैसेजैसे सयानी होने लगी, उस के रूपलावण्य में निखार आता गया. 16 साल की होतेहोते सपना की सुंदरता में चारचांद लग गए. मतवाली चाल से जब वह चलती, तो लोगों की आंखें बरबस उस की ओर निहारने को मजबूर हो जाती थीं.

सपना जितनी सुंदर थी, उतनी ही पढ़नेलिखने में भी तेज थी. उस ने पतारा स्थित सुखदेव इंटर कालेज में 9वीं कक्षा में एडमिशन ले लिया था. जबकि उस की मां मीना उसे मिडिल कक्षा से आगे नहीं पढ़ाना चाहती थी, लेकिन सपना की जिद के आगे उसे झुकना पड़ा.

सपना के घर से कुछ दूरी पर शालू रहता था. शालू के पिता बैजनाथ किसान थे. उन के 3 बच्चों में शालू सब से बड़ा था. 17 वर्षीय शालू हाईस्कूल की परीक्षा पास कर चुका था और इंटरमीडिएट की पढ़ाई घाटमपुर के राजकीय इंटर कालेज से कर रहा था.

शालू के पिता बैजनाथ और सपना के पिता शिवआसरे एक ही बिरादरी के थे, सो उन में गहरी दोस्ती थी. दोनों एकदूसरे का दुखदर्द समझते थे. किसी एक को तकलीफ हो तो दूसरे को दर्द खुद होने लगता.

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बैजनाथ और शिवआसरे बीते एक दशक से गांव में बटाई पर खेत ले कर खेती करते थे. हालांकि शिवआसरे ट्रक चालक था और खेतीबाड़ी में कम समय देता था. इस के बावजूद दोनों की पार्टनरशिप चलती रही. दोनों परिवारों में घरेलू संबंध भी थे. लिहाजा उन के बच्चों का भी एकदूसरे के घर आनाजाना लगा रहता था.

शालू सपना को चाहता था. सपना भी उस की आंखों की भाषा समझती थी. सपना के लिए शालू की आंखों में प्यार का सागर हिलोरें मारता था. सपना भी उस की दीवानी होने लगी. धीरेधीरे उस के मन में भी शालू के प्रति आकर्षण पैदा हो गया.सपना पड़ोस में रहने वाले शालू को न सिर्फ प्यार करती थी, बल्कि वह शादी भी करना चाहती थी.

सपना शालू के मन को भाई तो वह उस का दीवाना बन गया. सपना के स्कूल जाने के समय वह बाहर खड़ा उस का इंतजार करता रहता. सपना उसे दिखाई पड़ती तो वह उसे चाहत भरी नजरों से तब तक देखता रहता, जब तक वह उस की आंखों से ओझल नहीं हो जाती. अब वह सपना के लिए तड़पने लगा था. हर पल उस के मन में सपना ही समाई रहती थी. न उस का मन काम में लगता था, न ही पढ़ाई में.

शालू का शिवआसरे के घर जबतब आनाजाना लगा ही रहता था. घर आनाजाना काम से ही होता था. लेकिन जब से सपना शालू के मन में बसी, शालू अकसर उस के घर ज्यादा जाने लगा. इस के लिए उस के पास बहाने भी अनेक थे.

शिवआसरे के घर पहुंच कर वह बातें भले ही दूसरे से करता, लेकिन उस क ी नजरें सपना पर ही जमी रहती थीं. शालू की अपने प्रति चाहत देख कर उस का मन भी विचलित हो उठा. अब वह भी शालू के आने का इंतजार करने लगी.

दोनों ही अब एकदूसरे का सामीप्य पाने को बेचैन रहने लगे थे. लेकिन यह सब अभी नजरों ही नजरों में था.

शालू की चाहत भरी नजरें सपना के सुंदर मुखड़े पर पड़तीं तो सपना मुसकराए बिना न रह पाती. वह भी उसे तिरछी निगाहों से घूरते हुए उस के आगेपीछे चक्कर लगाती रहती. अब शालू अपने दिल की बात सपना से कहने के लिए बेचैन रहने लगा.

शालू अब ऐसे अवसर की तलाश में रहने लगा, जब वह अपने दिल की बात सपना से कह सके. कोशिश करने पर चाह को राह मिल ही जाती है. एक दिन शालू को मौका मिल ही गया. उस दिन सपना के भाईबहन मां मीणा के साथ ननिहाल चले गए थे और शिवआसरे ट्रक ले कर बाहर गया था. सपना को घर में अकेला पा कर शालू बोला, ‘‘सपना, यदि तुम बुरा न मानो तो मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं.’’

सपना जानती थी कि शालू उस से क्या कहेगा. इसलिए उस का दिल जोरजोर धड़कने लगा. घबराई सी वह शालू की ओर प्रश्नवाचक निगाहों से देखने लगी. शालू ने हकलाते हुए कहा, ‘‘सपना वो क्या है कि मैं तुम्हारे बारे में कुछ…’’

‘‘मेरे बारे में…’’ चौंकने का नाटक करते हुए सपना बोली, ‘‘जो भी कहना है, जल्दी कहिए.’’ शायद वह भी शालू से प्यार के शब्द सुनने के लिए बेकरार थी.

‘‘कहीं तुम मेरी बात सुन कर नाराज न हो जाओ…’’ शालू ने थोड़ा झेंपते हुए कहा.

‘‘अरे नहीं…’’ मुसकराते हुए सपना बोली, ‘‘नाराज क्यों हो जाऊंगी. तुम मुझे गालियां तो दोगे नहीं. जो भी कहना है, तुम दिल खोल कर कहो, मैं तुम्हारी बातों का बुरा नहीं मानूंगी.’’

सपना जानबूझ कर अंजान बनी थी. जब शालू को सपना की ओर से कुछ भी कहने की छूट मिल गई तो उस ने कहा, ‘‘सपना, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. मुझे तुम्हारे अलावा कुछ अच्छा नहीं लगता. हर पल तुम्हारी ही सूरत मेरी नजरों के सामने घूमती रहती है.’’

शालू की बातें सुन कर सपना मन ही मन खुश हुई, फिर बोली, ‘‘शालू, प्यार तो मैं भी तुम से करती हूं, लेकिन मुझे डर लग रहा है.’’

‘‘कैसा डर सपना?’’ शालू ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘यही कि हमारेतुम्हारे प्यार को घर वाले स्वीकार करेगें क्या?’’

‘‘हम एक ही जाति के हैं. दोनों परिवारों के बीच संबंध भी अच्छे हैं. हम दोनों अपनेअपने घर वालों को मनाएंगे तो वे जरूर मान जाएंगे.’’

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उस दिन दोनों के बीच प्यार का इजहार हुआ, तो मानो उन की दुनिया ही बदल गई. फिर वे अकसर ही मिलने लगे. सपना और शालू के दिलोदिमाग पर प्यार का ऐसा जादू चढ़ा कि उन्हें एकदूजे के बिना सब कुछ सूना लगने लगा.

जब भी मौका मिलता, दोनों एकांत में एक साथ बैठते और अपने ख्वाबों की दुनिया में खो जाते. प्यार में वे इस कदर खो गए कि उन्होंने जीवन भर एकदूसरे का साथ निभाने की कसमें भी खा लीं. एक बार मन से मन मिला तो फिर दोनों के तन मिलने में भी देर नहीं लगी.

सपना और शालू ने लाख कोशिश की कि उन के संबंधों की जानकारी किसी को न हो. लेकिन प्यार की महक को भला कोई रोक सका है. एक दिन पतारा बाजार से लौटते समय गांव में ही रहने वाले उन्हीं की जाति के युवक मोहन ने उन दोनों को रास्ते में हंसीठिठोली करते देख लिया. घर आते ही उस ने सारी बात शिवआसरे को बता दी. कुछ देर बाद जब सपना घर लौटी तो शिवआसरे ने सपना को डांटाफटकारा और पिटाई करते हुए हिदायत दी कि भविष्य में वह शालू से न मिले.

सपना की मां मीना ने भी इज्जत का हवाला दे कर बेटी को खूब समझाया. सपना पर लगाम कसने के लिए मां ने उस का घर से बाहर निकलना बंद कर दिया. साथ ही उस पर कड़ी निगरानी रखने लगी. मीना ने शालू के घर जा कर उस के मांबाप से शिकायत की कि वह अपने बेटे को समझाएं कि वह उस की इज्जत से खिलवाड़ न करे.

लेकिन कहावत है कि लाख पहरे बिठाने के बाद भी प्यार कभी कैद नहीं होता. सपना के साथ भी ऐसा ही हुआ. मां की निगरानी के बावजूद सपना और शालू का मिलन बंद नहीं हुआ. किसी न किसी बहाने वह शालू से मिलने का मौका ढूंढ ही लेती थी.

कभी दोनों नहीं मिल पाते तो वे मोबाइल फोन पर बतिया लेते और दिल की लगी बुझा लेते. सपना को मोबाइल फोन शालू ने ही खरीद कर दिया था. इस तरह बंदिशों के बावजूद उन का प्यार बढ़ता ही जा रहा था. दबी जुबान से पूरे गांव में उन के प्यार के चर्चे होने लगे थे.

एक शाम सहेली के घर जाने का बहाना बना कर सपना घर से निकली और शालू से मिलने गांव के बाहर बगीचे में पहुंच गई. इस की जानकारी मीना को हुई तो सपना के घर लौटने पर मां का गुस्सा फट पड़ा, ‘‘बदजात, कुलच्छिनी, मेरे मना करने के बावजूद तू शालू से मिलने क्यों गई थी. क्या मेरी इज्जत का कतई खयाल नहीं?’’

‘‘मां, मैं शालू से प्यार करती हूं. वह भी मुझे चाहता है.’’

‘‘आने दे तेरे बाप को. प्यार का भूत न उतरवाया तो मेरा नाम मीना नहीं.’’ मीना गुस्से से बोली.

‘‘आखिर शालू में बुराई क्या है मां? अपनी बिरादरी का है. पढ़ालिखा स्मार्ट भी है.’’ सपना ने मां को समझाया.

‘‘बुराई यह है कि शालू तुम्हारे चाचा का लड़का है. जातिबिरादरी के नाते तुम दोनों का रिश्ता चचेरे भाईबहन का है. अत: उस से नाता जोड़ना संभव नहीं है.’’ मां ने समझाया.

मांबेटी में नोकझोंक हो ही रही थी कि शिवआसरे घर आ गया. उस ने पत्नी का तमतमाया चेहरा देखा तो पूछा, ‘‘मीना, क्या बात है, तुम गुस्से से लाल क्यों हो?’’

‘‘तुम्हारी लाडली बेटी सपना के कारण. लगता है कि यह बिरादरी में हमारी नाक कटवा कर ही रहेगी. मना करने के बावजूद भी यह कुछ देर पहले शालू से मिल कर आई है और उस की तरफदारी कर जुबान लड़ा रही है.’’ मीना ने कहा.

पत्नी की बात सुन कर शिवआसरे का गुस्सा बेकाबू हो गया. उस ने सपना की जम कर पिटाई की और कमरा बंद कर दिया. गुस्से में उस ने खाना भी नहीं खाया और चारपाई पर जा कर लेट गया. रात भर वह यही सोचता रहा कि इज्जत को कैसे बचाया जाए.

सुबह होते ही शिवआसरे शालू के पिता बैजनाथ के घर जा पहुंचा, ‘‘तुम शालू को समझाओ कि वह सपना से दूर रहे. अन्यथा अंजाम अच्छा नहीं होगा. अपनी इज्जत के लिए वह किसी हद तक जा सकता है.’’

इस घटना के बाद दोनों परिवारों के बीच दरार पड़ गई. शिवआसरे और बैजनाथ के बीच साझेदारी भी टूट गई. इधर चौकसी बढ़ने पर शालू और सपना का मिलनाजुलना लगभग बंद हो गया था. जिस से दोनों परेशान रहने लगे थे. अब दोनों की बात चोरीछिपे मोबाइल फोन पर ही हो पाती थी.

14 मई, 2021 को शिवआसरे के साले मनोज की शादी थी. शिवआसरे ने घर की देखभाल की जिम्मेदारी भाई दीपक को सौंपी और सुबह ही पत्नी मीना व 2 बच्चों के साथ बांदा के बरुआ गांव चला गया. घर में रह गई सपना और सब से छोटा बेटा विमल.

दिन भर सपना घर के काम में व्यस्त रही फिर शाम होते ही उसे प्रेमी शालू की याद सताने लगी. लेकिन चाचा दीपक की निगरानी से वह सहमी हुई थी.

रात 12 बजे जब पूरा गांव सो गया, तो सपना ने सोचा कि उस का चाचा भी सो गया होगा. अत: उस ने शालू से मोबाइल फोन पर बात की और मिलने के लिए उसे घर बुलाया.

शालू चोरीछिपे सपना के घर आ गया. लेकिन उसे घर में घुसते हुए दीपक ने देख लिया. वह समझ गया कि वह सपना से मिलने आया है. उस ने तब दरवाजा बाहर से बंद कर ताला लगा दिया और बड़े भाई शिवआसरे को फोन कर के सूचना दे दी.

शिवआसरे को जब यह सूचना मिली तो वह साले की शादी बीच में ही छोड़ कर अकेले ही बरुआ गांव से चल दिया. 15 मई की सुबह 7 बजे वह अपने घर पहुंच गया. तब तक शालू के मातापिता सीमा और बैजनाथ को भी पता चल चुका था कि उन के बेटे शालू को बंधक बना लिया गया है. वे लोग शिवआसरे के घर पहले से मौजूद थे. शिवआसरे घर के अंदर जाने लगा तो बैजनाथ ने पीछे से आवाज लगाई.

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इस पर शिवआसरे ने कहा कि वह बस बात कर मामला हल कर देगा और घर के अंदर चला गया. पीछे से बैजनाथ और सीमा भी घर के अंदर दाखिल हुए. लेकिन वे अपने बेटे शालू तक पहुंच पाते, उस के पहले ही शिवआसरे शालू और सपना को ले कर एक कमरे में चला गया और उस में लगा लोहे का गेट बंद कर लिया.

शालू के पिता बैजनाथ व मां सीमा खिड़की पर खड़े हो गए, जहां से वे अंदर देख सकते थे. बैजनाथ ने एक बार फिर शिवआसरे से मामला सुलझाने की बात कही. इस पर उस का जवाब यही था कि बस 10 मिनट बात कर के मामला सुलझा देगा.

इधर पिता का रौद्र रूप देख कर सपना कांप उठी. शिवआसरे ने दोनों से सवालजवाब किए तो सपना पिता से उलझ गई. इस पर उसे गुस्सा आ गया. शिवआसरे ने डंडे से सपना को पीटा. उस ने शालू की भी डंडे से पिटाई की.

लेकिन पिटने के बाद भी सपना का प्यार कम नहीं हुआ. वह बोली, ‘‘पिताजी, मारपीट कर मेरी जान भले ही ले लो, पर मेरा प्यार कम न होगा. आखिरी सांस तक मेरी जुबान पर शालू का नाम ही होगा.’’

बेटी की ढिठाई पर शिवआसरे आपा खो बैठा. उस ने कमरे में रखी कुल्हाड़ी उठाई और सपना के सिर व गरदन पर कई वार किए. जिस से उस की गरदन कट गई और मौत हो गई. इस के बाद उस ने कुल्हाड़ी से वार कर शालू को भी वहीं मौत के घाट उतार दिया.

यह खौफनाक मंजर देख कर शालू की मां सीमा की चीख निकल गई. सीमा और बैजनाथ जोरजोर से चिल्लाने लगे. सीमा ने मदद के लिए कई घरों के दरवाजे खटखटाए लेकिन कोई मदद को नहीं आया.

प्रधान पति राजेश कुमार को गांव में डबल मर्डर की जानकारी हुई तो उन्होंने थाना घाटमपुर पुलिस तथा बड़े पुलिस अधिकारियों को फोन द्वारा सूचना दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी धनेश प्रसाद, एसपी (आउटर) अष्टभुजा प्रताप सिंह, एएसपी आदित्य कुमार शुक्ला तथा डीएसपी पवन गौतम पहुंच गए.

शिवआसरे 2 लाशों के बीच कमरे में बैठा था. थानाप्रभारी धनेश प्रसाद ने उसे हिरासत में ले लिया. आलाकत्ल कुल्हाड़ी भी कमरे में पड़ी थी. पुलिस ने उसे भी सुरक्षित कर लिया. जबकि शिवआसरे के अन्य भाई दीपक व रामआसरे पुलिस के आने से पहले ही फरार हो गए थे.

पुलिस अधिकारियों ने शिवआसरे से पूछताछ की तो उस ने सहज ही जुर्म कबूल कर लिया और कहा कि उसे दोनों को मारने का कोई गम नहीं है.

पुलिस अधिकारियों ने गांव वालों तथा मृतक शालू के पिता बैजनाथ से पूछताछ की. बैजनाथ ने बताया कि वह और उस की पत्नी सीमा बराबर शिवआसरे से हाथ जोड़ कर कह रहे थे कि बेटे को बख्श दे. लेकिन वह नहीं माना और आंखों के सामने बेटे पर कुल्हाड़ी से वार कर उस की जान ले ली.

पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतक शालू व सपना के शवों को पोस्टमार्टम हेतु हैलट अस्पताल, कानपुर भिजवा दिया.

चूंकि शिवआसरे ने डबल मर्डर का जुर्म कबूल कर लिया था और आलाकत्ल कुल्हाड़ी भी बरामद हो गई थी, अत: थानाप्रभारी धनेश प्रसाद ने बैजनाथ की तरफ से भादंवि की धारा 302 के तहत शिवआसरे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उसे गिरफ्तार कर लिया.

16 मई, 2021 को पुलिस ने अभियुक्त शिवआसरे को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime- लव वर्सेज क्राइम: प्रेमिका के लिए

प्यार… लव… यह शब्द,भावना जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है. यह किसी को “ऊंचाइयों” पर पहुंचा देता है और किसी को इतना नीचे की उसका जीवन जेल के सीखचों में बितता है.
छत्तीसगढ़ के जिला कोरबा में एक प्रेमी ने प्रेमिका की खातिर अपराध की दुनिया में प्रवेश करने के लिए सब कुछ किया परिणाम यह हुआ कि ना तो उसे प्रेमिका मिल पाई और न ही जीवन का सुख. हां वह आज अपने अपराध में शामिल साथी के साथ जेल की हवा खा रहा है.
छत्तीसगढ़ के जिला कोरबा की पुलिस ने दो युवकों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने हमारे संवाददाता को बताया कि दोनों युवकों ने “यूट्यूब” से एटीएम काटने का तरीका सीखकर प्रेमिका को खुश करने एटीएम काटकर चोरी करने की योजना बनाई थी. आरोपियों ने कोरबा के बलगी बांकीमोंगरा में लगे एटीएम को काटने की योजना बनाई .
दरअसल,  पम्पहाउस के दिलीप राणा ने  रिपोर्ट दर्ज कराई थी की प्रार्थी का बॉडी गैरेज है, जहां पर डेंटिंग-पेंटिंग व वाहन मरम्मत का कार्य किया जाता है. अज्ञात चोर ने  दुकान का ताला तोड़कर एक ऑक्सीजन सिलेण्डर, दो गैस पाईप, एक कटिंग टॉर्च, एक रेग्युलेटर, मीटर घड़ी तथा सिलेण्डर चाबी को चोरी कर ली है.
Crime: छत्तीसगढ़ में उड़ते नकली नोट!

और पुलिस हो गई सतर्क

किसी बड़ी वारदात होने के हालात को भांपते हुए पुलिस ने सतर्कता बरतते हुए  जांच शुरू कर दी,  सीसीटीवी कैमरों का अवलोकन करने पर दो संदिग्ध व्यक्ति स्कूटी में प्रार्थी के गैरेज से सामान चोरी करते व ले जाते दिखे.
पड़ताल के दौरान पता चला कि इण्डस्ट्रियल एरिया के सर्वमंगला गैस एजेंसी में 2 लड़के और 1 लड़की लाल रंग की  कार कमांक CG 13 Y 3292 से गैस सिलेण्डर को रिफिल कराने लेकर आये थे किन्तु उनके पास पर्ची नही होने से रिफिल नहीं किया गया है.
सर्वमंगला गैस एजेंसी जाकर सीसीटीव्ही फुटेज प्राप्त किया गया और वाहन की जानकारी आरटीओ से प्राप्त करके वाहन स्वामी के बुधवारी स्थित मकान में जाकर दबिश देने पर जानकारी मिली कि संजय पटेल पिता भगतराम पटेल निवासी ढोढ़ीपारा  शादी में जाने के लिये कार को मांगकर ले गया था.जो अब तक वापस नहीं आया है.

पुलिस द्वारा वाहन स्वामी के माध्यम से कार को बुधवारी, गांधी चौक के पास घेराबंदी कर पकड़ा गया. वाहन में आरोपी संजय पटेल पिता भगतराम पटेल उम्र 24 साल निवासी ढोढ़ीपारा चौकी सीएसईबी जिला कोरबा एवं अजय पटेल पिता रामचन्द पटेल उम्र 22 साल निवासी ग्राम जुराली थाना कटघोरा जिला कोरबा मिले. वाहन की तलाशी लेने पर प्रार्थी दिलीप राणा के गैरेज से चोरी किया हुआ दो गैस पाईप, एक कटिंग टॉर्च, एक रेग्युलेटर, मीटर घड़ी तथा सिलेण्डर चाबी, एक घरेलु गैस सिलेण्डर, दस्ताना, पेचकस, सलाईरिंज पाना, टी पाना, लोहे का रॉड एवं एक छोटा ऑक्सीजन सिलेण्डर बरामद हुआ, जिसे जब्त कर लिया गया.

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यूट्यूब से सीखा एटीएम को काटना

लोग अपराध कैसे सीखते हैं यह भी इस सनसनीखेज वारदात के परिदृश्य में समझा जा सकता है. युवा वर्ग पैसों के लिए अब यूट्यूब को नकारात्मक भाव से लेते हुए उसकी वीडियो को देख अपराध करना भी सीख समझ रहा है. हमारी इस कथा में भी यह सत्य सामने आ गया कि यूट्यूब की वीडियो देखकर एटीएम को काटने की प्लानिंग दिमाग में कथित आरोपी को सुझी थी.

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पुलिस ने जब आरोपी संजय पटेल से कड़ाई से पूछताछ की तो  उसने बताया कि लगभग पंद्रह दिन पहले वह  मोबाईल पर यूट्यूब ने एटीएम मशीन को गैस कटर से काटकर रुपये चोरी करने का वीडियो देखता रहता था. यही नहीं आरोपी ने अपनी प्रेमिका और दोस्त के साथ मिलकर एटीएम लूटने की योजना बनाई थी. अपराध की दुनिया में संजय पटेल सफल हो पाता उसके पहले पुलिस की सतर्कता के कारण पकड़ा गया और दोस्त के साथ जेल की हवा खा रहा है इधर उसकी प्रेमिका फरार हो चुकी है जिसे पुलिस ढूंढ रही है.

Satyakatha- चाची के प्यार में बना कातिल: भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

एक दिन मंजीत जुलाई महीने में अपनी सविता चाची के घर पहुंचा. उस के परिवार वाले खेतों पर काम करने गए हुए थे. सविता के बच्चे सोए पड़े थे. सविता बच्चों के पास ही सोई हुई थी. उस समय नींद की आगोश में उस के अंगवस्त्र अस्तव्यस्त हो चुके थे.

मंजीत ने अपनी चाची को इस हाल में सोते देखा तो उस के तनमन के तार झनझनाने लगे. उसी समय सविता की आंखें खुलीं तो उस ने सामने मंजीत को बैठे देखा. वह पहल करते हुए बोली, ‘‘मंजीत तू कब आया? तेरे आने का तो मुझे पता ही नही चला.’’

‘‘बस चाची, यूं समझो कि अभीअभी आया था. घर पर नींद नहीं आ रही थी तो सोचा चाची के पास थोड़ा वक्त काट आऊं. लेकिन यहां आ कर देखा तो आप गहरी नींद में सोई पड़ी थीं.’’

‘‘अरे नहीं, आजकल मुझे गहरी नींद कहां आ रही है. मेरी कमर में दर्द है. उसी से परेशान रहती हूं. कई बार तेरे चाचा से तेल की मालिश करने को कहती हूं, लेकिन उन के पास टाइम ही नहीं है.’’

‘‘कोई बात नहीं, चाचा के पास टाइम नहीं है तो मैं तो हर वक्त खाली ही रहता हूं. अगर आप कहें तो मैं ही आप की मालिश कर देता हूं.’’

सविता का निशाना बिलकुल सही लक्ष्य भेदने को तैयार था. मंजीत की बात सुनते ही सविता उठ खड़ी हुई. उस ने घर का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया. फिर उस ने तेल की शीशी उस के हाथ में थमा दी और कंधे पर मालिश करने को कहा.

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मंजीत ने हाथ में तेल ले कर सविता के कंधों से मालिश शुरू की तो उस के हाथ धीरेधीरे कंधे से नीचे फिसलने लगे. सविता को भी उन्हीं पलों का इंतजार था. सविता की बीमारी का इलाज होना शुरू हुआ तो वह इतनी मदहोश हो गई कि उस ने अपनी ब्रा के हुक खोल दिए और सीने के बल चारपाई पर लेट गई.

धीरेधीरे मंजीत का धैर्य जबाव दे चुका था

धीरेधीरे मंजीत का धैर्य जबाव दे चुका था. दोनों की रगों में खून गर्म हो कर दौड़ने लगा था. अंत में वह पल भी आ गया कि दोनों ही कामवासना की आग से गुजर गए.

मंजीत ने उस दिन जिंदगी में पहली बार किसी औरत के शरीर का सुख पाया था. वहीं सविता भी बहुत खुश थी. उस दिन दोनों के बीच चाचीभतीजे के रिश्ते तारतार हुए तो यह सिलसिला अनवरत चलता गया.

दोनों के बीच लगभग 3 साल से अनैतिक रिश्ते चले आ रहे थे. लेकिन जब दोनों के बीच नजदीकियां ज्यादा ही बढ़ गईं तो उन की प्रेम कहानी की चर्चा पूरे गांव में फैल गई.

इस बात की जानकारी परिवार तक पहुंची तो चंद्रपाल ने करन से वह मकान खाली करा लिया. करन ने गांव के पास ही थोड़ी सी जमीन खरीद रखी थी, वह उसी में बच्चों को ले कर झोपड़ी डाल कर रहने लगा.

इस बात को ले कर पंचायत हुई. पंचायत में सविता को भी बुलाया गया था. भरी पंचायत में सविता ने अपने ही जेठ पर उसे बदनाम करने का आरोप लगाया था.

बातों ही बातों में चंद्रपाल सविता पर गर्म पड़ा तो

बातों ही बातों में चंद्रपाल सविता पर गर्म पड़ा तो करन ने उसे मारने के लिए घर से कुल्हाड़ी तक निकाल ली थी. जिस के बाद से चंद्रपाल उस से डर कर रहता था. उस के बाद उस ने न तो कभी मंजीत को ही टोका और न ही सविता को.

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उस के कुछ समय बाद ही दोनों के बीच फिर से खिचड़ी पकने लगी थी. चंद्रपाल ने कई बार रामपाल को टोका कि तेरी बीवी जो कर रही है वह ठीक नहीं है. उसे थोड़ा समझा कर रख. इन दोनों के कारण पूरे गांव में उन के परिवार की बदनामी होती है. लेकिन रामपाल तो अपनी बीवी से इतना दब कर रहता था कि उसे कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं कर पाता था.

मंजीत और सविता के बीच जो कुछ चल रहा था, रामपाल भी जानता था. लेकिन वह मजबूर था. उस के बाद तो सविता रामपाल पर इस कदर हावी हो चुकी थी कि उस के सामने ही मंजीत को अपने घर पर बुला लेती थी.

इस बार देश में फिर से लौकडाउन लगा तो दोनों ही एकदूसरे से मिलने के लिए परेशान रहने लगे थे. उस दौरान दोनों के बीच जो भी बात होती थी, वह मोबाइल पर ही होती थी. लेकिन दोनों ही एकदूसरे की चाहत में बुरी तरह से परेशान थे.

जब मंजीत की जुदाई सविता से सहन नहीं हो पाई तो उस ने उस के सामने एक प्रश्न रखा. अगर तुम मुझे दिल से प्यार करते हो तो दुनिया की चिंता क्यों करते हो. मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं. लेकिन यह जुदाई अब मुझ से सहन नहीं

होती. मैं तुम्हारे लिए यह घर छोड़ने को तैयार हूं.

लेकिन मंजीत हमेशा उस की हिम्मत तोड़ देता था. अगर हम दोनों घर से भाग कर शादी कर भी लें तो तुम्हारे बच्चों का क्या होगा? फिर उस के बाद तो हम समाज में मुंह दिखाने लायक भी नही रहेंगे. मंजीत इस वक्त काशीपुर की एक पेपर मिल में काम करता था.

काम करते हुए उस ने कुछ पैसे भी इकट्ठा कर लिए थे. उस ने सोचा उन पैसों के सहारे वह सविता के साथ बाहर कुछ दिन ठीक से काट लेगा. सविता ने भी काफी समय से रामपाल की चोरी से कुछ पैसे इकट्ठा किए थे.

अगले भाग में पढ़ें- थोड़ी देर तड़पने के बाद उस की सांसें गईं थम

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