सत्यकथा: प्यार में हुए फना

   —शाहनवाज 

3सितंबर, 2021 का दिन उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में नौगवां नरोत्तम गांव के रहने वाले 25 वर्षीय आशीष सिंह के लिए बेहद खुशी का दिन था. इस की वजह यह थी कि आशीष अपने दूसरे बच्चे का पिता जो बना था. उस की पत्नी दीपा ने बेटी को जन्म दिया था, इस खुशी में वह फूला नहीं समा रहा था.

आशीष और दीपा का एक साल का बेटा रौनक भी था. लेकिन वह इस खुशी के पलों में अपने परिवार के साथ नहीं, बल्कि घर से दूर नोएडा में था. वह नोएडा में एक एलईडी बल्ब की फैक्ट्री में काम करता था.

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उस ने जब अपने मालिक से इस मौके पर घर जाने के लिए कुछ दिनों की छुट्टी मांगी तो फैक्ट्री मालिक ने साफ मना कर दिया. फैक्ट्री नियमों के अनुसार किसी को भी छुट्टी लेने के लिए कम से कम 10 दिन पहले बताना पड़ता है. तो ऐसे में आशीष के पास 10 दिनों के इंतजार करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था.

10 दिनों के बाद 14 सितंबर को आशीष नोएडा से अपने परिवार और बच्चों के लिए ढेर सारे खिलौने ले कर अपने गांव लौटा. अपनी बेटी को देख कर आशीष की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था. गांव लौटने के बाद आशीष ने अपने पिता बनने की खुशी में पूरे गांव में मिठाई बांटी और अपने करीबियों को दावत दी.

मिठाई बांटते हुए वह अपने घर के पास उस घर में गया, जहां उस की जवानी की यादें जुड़ी हुई थीं. यह घर किशनपाल का था.

दरअसल, किशनपाल की 22 वर्षीय बेटी बंटी से आशीष का प्रेम संबंध करीब 7 साल पुराना था. आशीष और बंटी के बीच संबंध को गांव में रहने वाला हर कोई जानता था.

किशनपाल और बंटी की मां को मिठाई दे कर वहां से निकल आया और सोचते हुए अपने घर की ओर चला गया. दरअसल, आशीष पिछले साल उत्तर प्रदेश में हुए प्रधानी के चुनावों में प्रत्याशी के तौर पर खड़ा हुआ था. लेकिन उसे बेहद बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा. जिस के बाद उसे गांव में अन्य प्रधान प्रत्याशियों से जान से मारने की धमकी मिली थी.

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मामला शांत और ठंडा करने के लिए आशीष के घर वालों ने उसे कुछ दिनों के लिए गांव से बाहर चले जाने की नसीहत दी. उसी दौरान वह नोएडा में एलईडी बल्ब की फैक्ट्री में काम करने लगा था.

कुछ दिन ऐसे ही बीत गए, लेकिन आशीष के दिलोदिमाग से बंटी हर समय छाई रही. अपनी शादी के 2 साल और 2 बच्चे हो जाने के बाद भी वह 7 साल के अपने प्यार को भुला नहीं पा रहा था. हालांकि आशीष और बंटी दोनों साथ में अपनी जिंदगी गुजारना चाहते थे. लेकिन उन के मांबाप और घर के बाकी सदस्यों को उन का ये संबंध मंजूर नहीं था.

मामला धर्म का नहीं था और न ही जाति का था. बल्कि दोनों एक ही गौत्र से थे, जिस की वजह से दोनों के घर वालों को उन का रिश्ता मंजूर नहीं था.

बंटी से मिल कर बात करने की ख्वाहिश आशीष के दिमाग में इतनी सवार हुई कि उस ने ऐसा करने के लिए सारी हदें पार करने का फैसला कर लिया.

16 सितंबर, 2021 की रात को बिस्तर पर लेटे हुए आशीष ने अपने दिमाग में बंटी से मिलने का प्लान बनाया. उस ने यह तय कर लिया कि वह अपनी बीवी दीपा और अपने बच्चों के साथ नहीं, बल्कि अपनी प्रेमिका बंटी के साथ बाकी की जिंदगी गुजारेगा.

रात के करीब एक बजे आशीष अपने बिस्तर से उठा और दबेपांव अपने घर से बिना किसी को बताए निकल गया. उस के घर से बंटी का घर मात्र 200 मीटर यानी सिर्फ 4-5 मिनट की दूरी पर था. आशीष गली से होते हुए बंटी के घर के नजदीक पहुंचा तो देखा कि उन के घर पर रोशनी फैली हुई थी.

उस ने रास्ता बदला और बंटी के घर के पीछे वाले रास्ते पर जा कर छलांग लगा कर घर के आंगन में जा घुसा. किसी को कानोंकान खबर तक नहीं हुई कि घर में कोई घुस आया है.

छिपतेछिपाते सीढि़यों के सहारे दूसरी मंजिल में बंटी के कमरे में जा पहुंचा और दरवाजे के पीछे छिप कर बंटी का इंतजार करने लगा.

इधर बंटी नीचे अपनी मां के साथ रोटियां सेंक रही थी. उस के पिता किशनपाल जल्दी ही खाना खा कर सो गए थे. रात के करीब सवा बज रहे थे. बंटी खाने की प्लेट ले कर अपने कमरे की ओर चल पड़ी.

सीढि़यों से चढ़ते हुए बंटी दूसरी मंजिल पर अपने कमरे का दरवाजा खोल अंदर घुसी और लाइट जलाई तो अपनी आंखों पर उसे भरोसा नहीं हुआ. उस ने देखा कि बिस्तर पर आशीष बैठा हुआ था. लेकिन बंटी ने आशीष को देख कर शोर नहीं मचाया. वह चुप रही और अंदर से कमरे का दरवाजा बंद कर लिया.

आशीष को अपने कमरे में देख आश्चर्यचकित हो कर बंटी धीमी आवाज में फुसफुसाई, ‘‘यहां क्या कर रहे हो तुम? जल्दी यहां से भागो. मेरी मां किसी भी समय यहां आती ही होगी. जल्दी निकलो.’’

बंटी की बात सुन आशीष अपने पंजों के सहारे उस की ओर बढ़ा और उस का हाथ पकड़ते हुए बोला, ‘‘नहीं, मैं यहां से नहीं जाऊंगा. मैं तुम्हें लेने आया हूं. मैं ने फैसला कर लिया है, मुझे तुम्हारे ही साथ अपनी आगे की पूरी जिंदगी काटनी है.’’

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कहते हुए आशीष ने बंटी के हाथों को कस कर पकड़ लिया. बंटी आशीष के हाथों से अपने हाथों को झटके से छुड़ाते हुए बोली, ‘‘यह क्या मजाक है. तुम्हारी बीवी है. 2 बच्चे हैं. तुम इस बारे में अब सोच भी कैसे सकते हो.’’

बंटी की बात सुन कर आशीष कुछ पलों के लिए मौन हो गया. लेकिन अपनी चुप्पी तोड़ते हुए और अपने दोनों हाथों को बंटी के गाल पर लगाते हुए बोला, ‘‘तुम्हें उन के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है. तुम खुद सोचो, हम एकदूसरे से प्यार करते हैं. यह बात पूरे गांव वालों को मालूम है. लेकिन हम घर वालों की वजह से कभी एक नहीं हो पाए. सिर्फ  कमबख्त एक गौत्र की वजह से हम दोनों का कभी मिलन नहीं हो पाया. इस बार मैं ने तय कर लिया है कि मैं तुम्हें यहां से अपने साथ ले कर ही जाऊंगा.’’

सुन कर बंटी ने खुद को आशीष से दूर किया और बोली, ‘‘बहुत देर हो चुकी है अब. यह खयाल अपने मन से निकाल दो. और तुम ने यह सोच भी कैसे लिया कि मैं तुम्हारे साथ चलने के लिए राजी हो जाऊंगी. वो भी तब जब तुम्हारी शादी हो गई, 2 बच्चे भी हो गए. अगर मुझ से प्यार था और ये हिम्मत पहले दिखाई होती तो मैं मान भी जाती.

‘‘हम साथ मिल कर दुनिया से लड़ लेते. अब मैं तुम्हारे साथ रहने के लिए दीपा और तुम्हारे बच्चों की जिंदगी खराब नहीं कर सकती. मुझे माफ कर देना. वैसे भी तुम्हारी शादी के बाद मैं ने खुद को संभाल लिया है. अब मैं भी खुद की एक नई जिंदगी शुरू करना चाहती हूं. बेहतर होगा तुम मुझे भुला दो.’’

लेकिन बंटी के साफ इनकार करने के बाद वह अपने होशोहवास खो बैठा. किसी तरह खुद को संभालते हुए आशीष ने बंटी को समझाने की एक और कोशिश की. लेकिन वह नाकामयाब रहा.

सुबह के करीब 6 बजे नौगवां नरोत्तम गांव के लोग अपने बिस्तर से उठे ही थे और अपनी दिनचर्या में व्यस्त हो ही रहे थे कि अचानक गांव वालों ने गांव के सब से बड़े पीपल के पेड़ के नीचे कुछ ऐसा देखा, जिस की उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी.

लोग उस पेड़ के नीचे सुबहसुबह पूजा करने के लिए जब पहुंचे तो उन्होंने वहां आशीष के शव को पड़ा देखा. आशीष के करीबी लोगों में से सुरेश ने भी आशीष के शव को जब देखा तो वह भाग कर उस के पिता सुखपाल सिंह को बुलाने पहुंचा.

सुबह के सवा 6 बजे सुखपाल सिंह खेतों की तरफ से घर की ओर आ ही रहे थे तो सुरेश हांफते हुए उन से बोला, ‘‘काका, पीपल के पेड़ पर. जल्दी चलो.’’

सुखपाल भीड़ को हुए आशीष के शव के सामने जा कर खड़े हो गए. आशीष की लाश जमीन पर चित्त पड़ी थी. उस के सीने में दिल की ओर गोली लगी थी. अपने जवान बेटे का शव जमीन पर पड़ा देख सुखपाल के पैरों तले से जमीन ही खिसक गई थी. वह चीखचीख कर आशीष का नाम ले कर रोनेपीटने लगे. इतने में पेड़ के पास किशनपाल के घर से भी रोने और चीखनेचिल्लाने की आवाजें आने लगीं. गांव वालों को समझ नहीं आया कि आखिर हुआ तो हुआ क्या.

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जब गांव के लोग किशनपाल के घर पता करने पहुंचे तो पता चला कि दूसरी मंजिल पर उस की बेटी बंटी की लाश उस के कमरे में पड़ी थी. बंटी के शरीर पर भी ठीक उसी जगह पर गोली लगी थी, जहां आशीष को लगी थी. सीने पर, दिल के पास.

दोनों मौतों की यह खबर पूरे गांव में तो क्या आसपास लगभग सभी गांवों में आग की तरह फैल गई कि फलां गांव में एक ही दिन में 2 लोगों को गोली लगी, वह भी एक ही जगह पर.

सुबह के साढ़े 7 बजे गडि़यारंगीन पुलिस मौकाएवारदात पर पहुंच गई. क्योंकि मामला बेहद संगीन था और इलाके में तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी, गडि़यारंगीन थानाप्रभारी सुंदरलाल ने आसपास के इलाकों की पुलिस टीम को सूचित कर जल्द से जल्द घटनास्थल पर बुला लिया.

सूचना मिलते ही जैतीपुर, कटरा और तिलहर पुलिस थाने से फोर्स जल्द से जल्द घटनास्थल पर पहुंच गई. देखते ही देखते घटनास्थल छावनी में बदल गया.

थानाप्रभारी सुंदरलाल, सीओ परमानंद पांडेय और एएसपी (ग्रामीण) संजीव कुमार वाजपेयी ने दोनों परिवारों से अलगअलग पूछताछ की.

एक तरफ आशीष के पिता सुखपाल ने अपने बेटे की मौत का जिम्मेदार किशनपाल और उस के घर वालों को बताया तो दूसरी तरफ किशनपाल ने अपनी बेटी की मौत का जिम्मेदार सुखपाल और उस के घर वालों को बताया.

एक तरफ आशीष और बंटी दोनों के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया तो वहीं फोरैंसिक टीम बारीकी से साक्ष्य जुटाने में व्यस्त हो गई.आशीष के शव के पास से टीम ने गोली का एक खोखा और एक जीवित गोली भी बरामद की. लेकिन उन्हें कहीं भी पिस्तौल नहीं मिली.

टैक्निकल टीम ने आशीष के फोन की अंतिम लोकेशन का पता लगाया तो पुलिस को यह जान कर हैरानी हुई कि आशीष की अंतिम लोकेशन बंटी के घर की ही मिली थी. ऐसे में पुलिस के शक की सुई किशनपाल और उस के परिवार की ओर घूम गई.

जब दोनों के बारे में आसपड़ोस के लोगों से पूछताछ हुई तो पता चला दोनों आशीष और बंटी एकदूसरे से प्यार करते थे और एक गौत्र से होने की वजह से उन की शादी नहीं हो पाई थी.

ऐसे में पुलिस को यह मामला औनर किलिंग का लगा. लेकिन पुलिस सभी साक्ष्य जुटाने के बाद और सभी एंगल से मामले की छानबीन कर किसी नतीजे पर पहुंचना चाहती थी. ऐसी स्थिति में पुलिस ने किशनपाल और सुखपाल दोनों ही परिवारों से सख्ती से पूछताछ की.

करीब एक हफ्ते की कमरतोड़ मेहनत के बाद पुलिस ने किशनपाल को हिरासत में लेते हुए सख्ती से पूछताछ की. उस ने पुलिस के सामने सारा सच उगल दिया.

उस ने बताया कि जिस रात आशीष उस की बेटी बंटी से मिलने के लिए उस के घर आया था, उस रात को बंटी की मां नीचे खाना खा रही थी. तभी करीब रात के 2 बजे बंटी की मां को ऊपर जोर से कुछ गिरने की आवाज आई. उसे ऐसा लगा जैसे बंटी ने ऊपर अपने कमरे में कुछ गिरा दिया हो.

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अपना खाना खत्म कर के बंटी की मां दूसरी मंजिल पर बंटी के कमरे में पहुंची और दरवाजा खोला तो कमरे का नजारा देख उस के होश उड़ गए थे. कमरे में बंटी और आशीष की लाशें पड़ी थीं.

यह देख कर बंटी की मां दौड़ कर नीचे किशनपाल के पास भाग कर आई और रोतेकुलबुलाते हुए उस ने दूसरी मंजिल पर जाने के लिए कहा. किशनपाल बिस्तर से उठ कर दूसरी मंजिल पर बंटी के कमरे में घुसा तो उस का भी वही हाल हुआ जो उस की पत्नी का हुआ था. किशनपाल अपनी बेटी का शव देख कर बुरी तरह से घबरा गया.

काफी देर तक अपने बेटी के शव के पास बैठे रह कर रोनेबिलखने के बाद उस ने अपना होश संभाला और इस मामले में वह और उस का परिवार न फंस जाए, इस डर से उस ने आशीष के शव को अपने कंधों पर उठा कर अपने घर से बाहर पीपल के पेड़ के नीचे डाल आया. और उसी दौरान किशनपाल ने आशीष के शव के पास पड़ी पिस्तौल भी उठा ली.

उस ने आशीष के शव को पेड़ के नीचे रखने के बाद अपना खून से पूरी तरह सना अपना कुरता और पिस्तौल अपने ही घर में दबा दिया ताकि कोई उसे ढूंढ न सके. वह गोली का एक खोखा और एक जीवित गोली लाश के पास ही डाल आया.

दरअसल, आशीष पूरी प्लानिंग के तहत उस रात बंटी को भगाने के उद्देश्य से उस के घर चुपके से पहुंचा था. अपने घर से निकलते समय वह अपने दोस्त से मिला और उस ने अपनी सुरक्षा के नाम पर उस की लोडेड पिस्तौल ले ली.

वह किसी और को इस काम में शामिल नहीं करना चाहता था, इसलिए वह अकेले ही बंटी के घर पर पहुंचा था. प्यार से समझानेबुझाने के बाद जब आशीष को यह यकीन हो गया कि उस की प्रेमिका उस के साथ नहीं रहना चाहती तो उस ने उसे एक और आखिरी मौका दिया.

वह बंटी से बोला, ‘‘बंटी, तुम्हें हमारे प्यार की कसम. तुम एक बार हां तो करो, फिर देखना हम पूरी दुनिया से लड़ जाएंगे. आखिरी बार सोच लो एक और बार.’’

इस पर बंटी ने उसे तुरंत जवाब दिया, ‘‘मैं ने सोच लिया है. मैं तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाने वाली. तुम ने तो अपनी जिंदगी जी ली है. अपने बीवीबच्चों के साथ हंसीखुशी जी रहे हो. तुम्हारे साथ भाग कर मुझे किसी की बददुआ नहीं चाहिए. घर वालों से जब लड़ने का मौका था, तब तुम से कुछ हुआ नहीं. लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है. यही मेरा आखिरी फैसला है.’’

बंटी के ये सब कहने के बाद आशीष के मन को गहरा सदमा लगा. उस ने आव देखा न ताव, अपनी जेब में रखी पिस्तौल निकाली और बंटी के सीने पर गोली चला दी. इस से पहले कि बंटी को कुछ एहसास होता, गोली उस की छाती चीरते हुए उस के दिल को भेदते हुए अंदर दाखिल हो चुकी थी.

बंटी को गोली मारने के बाद आशीष को अचानक होश आया. उसे खुद पर बिलकुल यकीन ही नहीं हुआ, आखिर उस ने ये क्या कर दिया. उस के बाद उस ने बिना कुछ सोचेसमझे ठीक जिस तरह से उस ने बंटी को मारी थी, खुद की छाती पर भी गोली चला दी.

ये हत्या तो थी ही साथ ही आत्महत्या भी थी. यदि दोनों के घर वाले उन के रिश्ते को मंजूरी दे देते तो शायद दोनों आज भी जिंदा होते और एक अच्छी जिंदगी गुजारते.

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बंटी के पिता किशनपाल ने बेशक दोनों में से किसी की भी जान न ली हो लेकिन पुलिस ने किशनपाल को वास्तविकता छिपाने, मनगढ़ंत साक्ष्य पैदा करने, साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने इत्यादि का आरोप लगाते हुए हिरासत में ले लिया.

किशनपाल को हिरासत में ले कर उस की निशानदेही पर पुलिस ने उसी के घर से रक्तरंजित कुरता और पिस्तौल भी बरामद कर ली. पुलिस ने किशनपाल को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

सत्यकथा: छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी साइबर ठगी

Writer  —सुरेशचंद्र रोहरा 

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर का एक छोटा सा नगर है अभनपुर. यहां अशोक कुमार साहू वार्ड

नंबर 15, बड़े उरला में अपने छोटे से परिवार के साथ  रहते थे. वह 31 जुलाई, 2021 सुबह घर के निकट स्थित एटीएम में जा कर कुछ पैसे निकालने लगे. और जब उन के हाथ में परची आई तो वह दंग रह गए. उन्होंने देखा कि उन के अकाउंट में लगभग 65 लाख रुपए की रकम की जगह सिर्फ एक लाख रुपए ही शेष बचे हुए हैं.

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उन्होंने परची को फिर गौर से देखा और घबरा कर इधरउधर देखने लगे. उन के हिसाब से उन के भारतीय स्टेट बैंक अभनपुर के अकाउंट में लगभग 65 लाख रुपए की रकम होनी चाहिए थी मगर परची में तो एक लाख बैलेंस दिखा रहा था. वह पसीनापसीना हो गए. जल्दीजल्दी घर पहुंचे और छोटे बेटे राजेश को आवाज दी, ‘‘बेटा आओ, देखो तो यह क्या है?’’

उन का बड़ा बेटा किशोर साहू का हाल ही में कोरोना से संक्रमित हो कर निधन हो गया था. अब पतिपत्नी और बेटे राजेश व उस की पत्नी और एक बच्चा ही उन का परिवार था. राजेश ने पिता की आवाज सुनी तो पास आ गया और पूछा, ‘‘क्या हो गया है पापा?’’

घबराए पसीने से लथपथ अशोक कुमार साहू ने परची बेटे राजेश को देते हुए कहा, ‘‘बेटा, देखो. बैंक में कुछ गड़बड़ हो गई है, देखो, इस में तो एक लाख रुपए के आसपास ही बैलेंस बता रहा है, लगता है हम बरबाद हो गए.’’

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राजेश ने परची को गौर से देखा तो वह भी आश्चर्यचकित रह गया. मगर उस ने पिता को धैर्य बंधाते हुए कहा, ‘‘कभीकभी बैंक में कोई गलती हो जाती है, मैं बैंक जा कर के पता कर आता हूं कि मामला क्या है.’’

‘‘हांहां बेटा, तुम चले जाओ. बल्कि रुको, मैं भी साथ चलता हूं. मुझे जब तक इस का सच पता नहीं चलेगा, मुझे चैन ही नहीं आएगा, चलो मैं चलता हूं.’’

राजेश साहू अपने पिता अशोक कुमार साहू जोकि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल में पर्यवेक्षक औडिटर के रूप में लगभग 40 साल की नौकरी के बाद हाल ही में रिटायर हुए थे को ले कर के स्टेट बैंक औफ इंडिया की शाखा मेन रोड अभनपुर की ओर बढ़ चला. राजेश ने देखा पिता अभी भी बहुत घबराए हुए हैं. उस ने पिता को आश्वस्त किया, मगर अशोक कुमार साहू का पूरा ध्यान अपने बैंक अकाउंट को ले कर के चिंता में था.

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वह यह नहीं समझ पा रहे थे कि इतने सारे रुपए होने के बाद जोकि सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने अपने इसी अकाउंट में जमा करवा रखे थे, कहां गायब हो गए.

राजेश पिता के साथ जब बैंक पहुंचा और वहां बैंक मैनेजर से मिल कर एटीएम से निकली परची दिखा कर के बैंक बैलेंस की जानकारी ली, जवाब सुन कर तो मानो अशोक कुमार साहू और राजेश साहू को काठ मार गया.

मैनेजर एस.के. शर्मा ने उन्हें बताया कि आप के अकाउंट में अब लगभग एक लाख रुपए की राशि शेष है और लगभग 2 माह पहले 64 लाख रुपए से अधिक की राशि आप के एकाउंट में थी. इस बीच लगातार 2 लाख रुपए से ले कर के 50 हजार रुपए की राशि तक 25 दफा अलगअलग तारीखों को औनलाइन निकाली गई है.

उन्होंने राजेश साहू को स्टेटमेंट निकाल कर के हाथ में थमा दिया, जिस के अनुसार 63,33,439 रुपए उन के एकाउंट से छूमंतर हो चुके थे.

यह सब देखसमझ कर राजेश साहू हतप्रभ रह गया, वहीं अशोक कुमार साहू सिर पकड़ कर बैठ गए और रोआंसा हो कर के बैंक मैनेजर से बोले, ‘‘सर, हम ने कोई भी रुपया का लेनदेन नहीं किया है, मेरे अकाउंट से लाखों रुपए पता नहीं किस ने निकाल लिया है, मैं तो बरबाद हो गया. आप इस पर कुछ काररवाई करिए.’’

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इस पर स्टेट बैंक मैनेजर ने विनम्रतापूर्वक कहा, ‘‘अगर आप को लगता है कि आप के साथ किसी ने गलत तरीके से बैंक से पैसे निकलवा लिए हैं तो अब आप के सामने एक ही विकल्प बचता है, आप हमें एक पत्र लिख कर दे दीजिए. और आज ही पुलिस में जा कर के अपनी कंप्लेंट करिए.’’

इस पर अशोक कुमार साहू भड़क गए और चिल्ला कर के कहने लगे, ‘‘यह कैसा बैंक है और कैसी व्यवस्था है. हम ने भी 40 साल विद्युत मंडल में नौकरी की है, मैं औडिटर था, मगर एक रुपए भी इधरउधर कभी नहीं होता था. और आज बैंक में मेरे लाखों रुपए किसी ने निकाल लिए और मुझे खबर भी नहीं हुई.’’

भारतीय स्टेट बैंक मैनेजर  शर्मा ने उन्हें शांत करते हुए बैठाया पानी पिलाया और विनम्रतापूर्वक कहा, ‘‘साहूजी, अब जो हो गया, उस का रोना छोड़ कर आगे की सुध लीजिए.

आप चिंता बिल्कुल मत करिए अगर आप ने पैसे नहीं निकाले हैं तो आप के सारे पैसे यह समझिए कि सुरक्षित बैंक में रखे हुए हैं और जो भी कहीं चूक या गलती हुई है अथवा फ्रौड हुआ है तो पुलिस उन को पकड़ कर जेल में डाल देगी. आप बिल्कुल निश्चिंत रहिए.’’

सुन कर के अशोक कुमार साहू को ढांढस बंधाया और वे बेटे राजेश के साथ थाना अभनपुर पहुंचे, जहां अपने कक्ष में इंसपेक्टर बोधन साहू प्रतिदिन का कार्य संपादित कर रहे थे.

अशोक कुमार साहू और राजेश ने उन के कक्ष में अनुमति ले कर प्रवेश किया और सामने की कुरसियों पर बैठ गए. बोधन साहू ने बुजुर्गवार अशोक कुमार साहू की ओर देखा और कहा, ‘‘बताइए, आप लोगों का कैसे आना हुआ है?’’

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इस पर राजेश साहू ने कहा, ‘‘सर, मेरा नाम राजेश कुमार साहू है और यह मेरे पिता अशोक कुमार साहू हैं जोकि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल में औडिटर के पद पर कार्यरत थे. मार्च 2021 में आप रिटायर हुए हैं. सेवानिवृत्ति के बाद लगभग 65 लाख रुपए स्टेट बैंक की स्थानीय शाखा में इन्होंने जमा किए थे, जो अचानक गायब हो गए हैं. हम लोग अभी बैंक मैनेजर से भी मिले हैं और वहां अपनी कंप्लेंट लिखवाई है, हम आप के पास भी कंप्लेंट के लिए आए हुए हैं.’’

63 लाख रुपए के बड़ी रकम की ठगी की बात सुन कर के बोधन साहू के कान खड़े हो गए. उन्होंने मामले की गंभीरता को समझते हुए अशोक कुमार साहू से कहा, ‘‘आप लोग सारी घटना एक कागज पर लिख कर के दीजिए. मैं एफआईआर दर्ज करवाता हूं. आप लोग निश्चिंत रहें. जल्द से जल्द आप अपराधियों को जेल की हवा खाते देखेंगे.’’

राजेश ने नगर निरीक्षक बोधन साहू के कक्ष में बैठेबैठे ही एक तहरीर लिखी और अपनी सारी स्थिति को अवगत कराते हुए पुलिस अधिकारियों से यह आग्रह किया कि इस मामले पर संज्ञान लिया जाए और अपराधियों को पकड़ लिया जाए.

अभनपुर थाने में  एफआईआर दर्ज होने के बाद बोधन साहू ने अपने उच्च अधिकारी एडिशनल एसपी लखन पटले से बातचीत कर के उन्हें साइबर क्राइम की इस संपूर्ण घटना से अवगत कराया.

63 लाख रुपए गायब होने की खबर सुन कर लखन पटले ने उन्हें निर्देश दिया कि मामला अभनपुर पुलिस और साइबर क्राइम शाखा के साथ मिल कर के डिटेक्ट करें और बीचबीच में मेरे समक्ष प्रोग्रेस रिपोर्ट प्रस्तुत करें.

रायपुर पुलिस के एसएसपी अजय यादव ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अभनपुर थाने के जांच अधिकारी बोधन साहू और साइबर क्राइम शाखा के वीरेंद्र चंद्रा को इस मामले की जांच का प्रभार देते हुए 12 सदस्यीय टीम बनाई, जिसे इस मामले को जल्द से जल्द हल करने का आदेश दिया गया.

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अशोक कुमार साहू ने पुलिस को बताया कि 31 मार्च, 2021 को छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल के परीक्षण पर्यवेक्षक पद से रिटायर हुआ हूं. इसी दरमियान अप्रैल में बड़े बेटे किशोर कुमार साहू की अचानक मृत्यु हो गई. इसी अवसाद के समय में उन के पास एक काल आई थी, जिस के बाद से उन के साथ यह ठगी का कारनामा अंजाम दिया गया है.

अशोक कुमार साहू ने बताया कि 17 जून को एक अज्ञात व्यक्ति का काल आया. उस ने कहा, ‘‘हैलो, क्या आप अशोक साहू बोल रहे हैं?’’

अशोक कुमार साहू ने कहा, ‘‘जी हां, मैं अशोक कुमार ही बोल रहा हूं.’’

दूसरी तरफ से कहा गया, ‘‘मैं भारतीय स्टेट बैंक अभनपुर से फूल दास बोल रहा हूं. सर, आप के बेटे किशोर साहू की मृत्यु हो गई है. आप के बेटे की कोरोना से हुई मृत्यु के कारण भारत सरकार की योजना अंतर्गत 5 लाख रुपए मिलेंगे.’’

यह सुन कर अशोक कुमार साहू खुश हो गए. बोले, ‘‘ऐसा है तो बताइए, मैं यह रकम कैसे पा सकता हूं? बैंक आ जाऊं?’’

‘‘नहींनहीं, आप को बैंक आने की अभी जरूरत नहीं है, यहां तो बहुत भीड़ रहती है जब समय आएगा हम आप को स्वयं बुला लेंगे. अब तो मोबाइल में बड़ी सुविधा है, बात भी हो सकती है. और ओटीपी भी हम पूछ सकते हैं. इसलिए आप घर में आराम से रहें, वैसे भी कोरोना वायरस चल रहा है.’’

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यह सुनकर के अशोक कुमार साहू को महसूस हुआ कि फूल दास सही कह रहा है अभी करोना काल में कहीं भी बाहर जाना उचित नहीं है. और जब घर बैठे काम हो रहा है तो भला घर से क्यों निकलूं.

फूल दास ने बड़े ही मधुर आवाज में कहा, ‘‘साहूजी आप बहुत सज्जन आदमी लगते  हैं क्या करते हैं आप?’’

‘‘मैं अब तो रिटायर हो गया हूं. वैसे विद्युत मंडल में मैं औडिटर हुआ करता था.’’ उन्होंने बड़े गर्व के साथ बताया.

‘‘अरे वाह! आप तो बहुत ही पढ़ेलिखे सम्मानित व्यक्ति नजर आते हैं, औडिटर का पद तो बहुत ही सम्मान का है. यह सुन कर के हमारी निगाह में आप का सम्मान और भी बढ़ गया है हमारे लिए आप रेस्पेक्टेड परसन हैं.’’

इस तरह की मीठी बातें कर के फूल दास ने अशोक कुमार साहू को अपने शीशे में उतार लिया. और बातोंबातों में ओटीपी नंबर भी ले लिया.

फूल दास ने अशोक कुमार साहू से कहा कि बहुत जल्द आप को अपने अकाउंट में 5 लाख रुपए घर बैठे ही अकाउंट में मिल जाएंगे, यह मेरी जिम्मेदारी है. बस आप, मैं जैसे ही काल करूं, आप फोन रिसीव कर लिया करें.’’

अशोक कुमार साहू ने उस की बात से सहमति व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘हां, आप हमें सहयोग करते रहें.’’

अशोक कुमार साहू के बेटे किशोर साहू की कोरोना वायरस के कारण मौत हो गई थी, स्वयं भी बुजुर्ग हो गए थे और कुछ दिनों बाद कोरोना पौजिटिव हो गए थे. इस बीच लगातार काल आता, वह बात करते और ओटीपी बता दिया करते. फूल दास आश्वस्त करता, शीघ्र ही आप के खाते में 5 लाख रुपए आ जाएंगे.

इस बीच अशोक कुमार साहू कोरोना कोविड-19 से लंबे समय तक परेशान रहे और उन का सब कुछ अस्तव्यस्त हो गया. इधर देखते ही देखते उन के खाते से छोटीछोटी रकम कर के लाखों रुपए ट्रांसफर कर दिए गए. जिस की उन को भनक तक नहीं लगी.

साइबर ठगी के इस मामले में बी.एम. साहू और वीरेंद्र चंद्रा की टीम ने जब जांच को आगे बढ़ाई तो उन्हें यह जान कर बहुत आश्चर्य हुआ कि जो पैसे अशोक कुमार साहू के अकाउंट से निकाले गए थे, वे दूसरे अकाउंट से तीसरे फिर चौथे फिर पांचवें से छठवें अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए गए थे.

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उन्हें यह समझते देर नहीं लगी थी कि उन का ट्रांजैक्शन साइबर क्राइम के शातिर ठगों ने किया है. जांच में यह तथ्य भी सामने आता चला गया कि सारी ठगी का खेल जामताड़ा, झारखंड से चलता रहा है.

पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर 12 साइबर क्राइम एक्सपर्ट और पुलिस अधिकारियों की एक टीम आरोपियों को पकड़ने के लिए जामताड़ा के लिए 8 अगस्त, 2021 को रायपुर से रवाना हुई.

जामताड़ा के एसपी कार्यालय में आमद देने के बाद बी.एम. साहू ने जिले के उच्च अधिकारियों को लाखों रुपए के साइबर क्राइम की जानकारी दी और आरोपियों तक पहुंचने के लिए सहयोग की गुजारिश की तो पुलिस अधिकारियों ने अपनी एक टीम बना कर के उन के साथ लगा दी.

पुलिस टीम ने जब जांच आगे बढ़ाई तो यह तथ्य सामने आया कि जामताड़ा के नारायणपुर मौलीडीह गांव के फूल दास, अशोक दास, दुलाल दास इन 3 लोगों का हाथ है.

पुलिस ने इन्हें पकड़ने के लिए जाल बिछाया, मगर वे लोग गायब हो जाते थे. उन के रहनसहन को देख कर के जांच अधिकारी बी.एम. साहू, वीरेंद्र चंद्रा और टीम के सदस्य आश्चर्यचकित थे.

इन में फूल दास और दुलाल दास दोनों सगे भाई हैं जिन्हें उन के भव्य आवास से  आखिरकार 10 अगस्त की रात हिरासत में ले लिया गया. उसी रात अशोक दास को भी झारखंड पुलिस की मदद से हिरासत में ले लिया गया.

इस तरह अंतत: बड़ी मशक्कत के बाद तीनों कथित आरोपियों को ले कर के छत्तीसगढ़ पुलिस जिला जामताड़ा से रायपुर, छत्तीसगढ़ के लिए रवाना हुई.

छत्तीसगढ़ प्रदेश की सब से बड़ी साइबर ठगी के इस मामले में सब से महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि इस ठगी में 221 सिम कार्ड आरोपियों ने इस्तेमाल किए, जोकि पश्चिम बंगाल से लाए गए थे.

वहीं एक सब से बड़ी कमी भारतीय स्टेट बैंक की भी उजागर हो गई. जबजब पैसे अशोक कुमार साहू के अकाउंट से ट्रांसफर हुए तो उन के अकाउंट में आखिरकार पैसे ट्रांसफर की सूचना का मैसेज क्यों नहीं आया.

कहां गड़बड़ हुई. पुलिस के लिए यह भी जांच का विषय हो गया कि क्या बैंक का कोई कर्मचारी इस मामले में संलिप्त तो नहीं है.

अभनपुर जिला रायपुर की पुलिस ने 11 अगस्त को रायपुर में एक प्रैस कौन्फ्रैंस करते हुए मीडिया के समक्ष केस का खुलासा किया. एडिशनल एसपी लखन पटले ने मीडिया से रूबरू हो कर बताया कि 63,33,439 रुपए के बड़े ठगी के चैलेंजिंग मामले में पुलिस को किस तरह सफलता हासिल की है और आरोपियों को शीघ्र ही न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा.

पुलिस ने आरोपियों का इकबालिया बयान दर्ज किया है, जिस में उन्होंने बताया है कि किस तरह वे लोगों को भरमा कर के मीठी बातें करते थे. अपना संबंध बनाने के बाद उन्हें लालच देते हुए लाखों रुपए अकाउंट में  भिजवाने की बात कहते थे और ओटीपी ले लिया करते थे. और दूसरी तरफ अपने  अकाउंट से पैसे ट्रांसफर कर लिया करते थे.

पुलिस ने धारा 420,120बी भादंवि के तहत 11 अगस्त 2021 को तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर के रिमांड पर लिया.

महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि ठगी के शिकार अशोक कुमार साहू को इस कथा के लिखे जाने तक एक रुपए भी वापस नहीं मिला था, क्योंकि यह एक लंबी प्रक्रिया है. आरोपियों के पास से सिर्फ लगभग 30 हजार रुपए ही बरामद हुए हैं.

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अब सवाल यह है कि 63 लाख रुपए की बड़ी रकम आखिर अशोक कुमार साहू को किस तरह मिल पाएगी और मिल भी पाएगी या फिर कानून की लंबी लड़ाई और इंतजार में वे परेशान हलकान रहेंगे.

मगर, अशोक कुमार साहू और उन के बेटे राजेश साहू को यह संतोष है कि उन के साथ ठगी करने वाले आरोपी पुलिस की गिरफ्त में आ गए और एक न एक दिन, उन्हें उन का पैसा मिलेगा.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में बैंक मैनेजर का नाम काल्पनिक है.

सत्यकथा: प्रेमी का जोश, उड़ गया होश

—दिनेश बैजल ‘राज’  

सुबह करीब साढ़े 5 बजे मोबाइल की घंटी बजने पर सोनू की नींद खुल गई. उस ने फोन उठाया. दूसरी ओर से आगरा के नगला कली में रहने वाले बड़े भाई नरेश की पत्नी प्रमिता की आवाज सुनाई दी. उन की आवाज भर्राई हुई थी. रात को तुम्हारे घर भैया आए थे?

इस पर सोनू ने कहा, ‘‘भाभी मेरे यहां तो नहीं आए, पापा के पास आए हों तो पूछ कर बताता हूं.’’

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तभी सोनू ने अपने पिता सुरेशचंद्र को फोन कर भाई नरेश के रात को आने के बारे में पूछा. सुरेशचंद्र ने मना करते हुए कहा, ‘‘नरेश रात में यहां क्यों आएगा? वह यहां नहीं आया.’’

यह बात सोनू ने भाभी प्रमिता को बता दी कि भैया रात को पापा के यहां नहीं गए. इस पर प्रमिता ने सोनू को बताया, ‘‘तुम्हारे भैया ने रात को 2 रोटी खाईं, उन्होंने कहा कि सब्जी अच्छी बनाई है 2 रोटी और सेंक लो, तब तक मैं टहल कर आता हूं. यह कह कर वह रात साढ़े 10 बजे चले गए. सारी रात उन का इंतजार करती रही, लौट कर नहीं आए हैं. रात से उन का मोबाइल भी नहीं मिल रहा है. मुझे बहुत डर लग रहा है.’’

संजय ने भाभी को तसल्ली देते हुए कहा, ‘‘भाभी परेशान मत हो हम लोग आ रहे हैं.’’

सोनू ने यह बात पिता सुरेशचंद्र को बताई. इस के साथ ही भाई नरेश का मोबाइल नंबर मिलाया, लेकिन वह स्विच्ड औफ मिला. यह बात 8 जून, 2021 की है.

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रात से नरेश के घर नहीं लौटने की जानकारी होने पर घर के सभी लोग चिंतित हो गए. गोबर चौक निवासी सुरेशचंद्र अपनी पत्नी, बेटे सोनू व 2 पड़ोसियों को साथ ले कर वहां से 7 किलोमीटर दूर आगरा के नगला कली स्थित पुष्पांजलि होम्स, नरेश के घर जहां वह किराए पर रहता है, पहुंच गए.

सभी ने मिल कर आसपास नरेश की तलाश शुरू कर दी. वे उसे काफी देर तक इधरउधर खोजते रहे. लेकिन उस का कोई पता नहीं चला.

 

8 जून की सुबह साढ़े 7 बजे एनआरआई सिटी के खाली प्लौट से हो कर निकल रहे लोगों ने वहां एक बोरी पड़ी देखी. बोरी पर खून लगा था और उस के ऊपर मक्खियां भिनभिना रही थीं.  बोरी में लाश की आशंका होने पर किसी ने थाना ताजगंज पुलिस को सूचना दी.

कुछ ही देर में थानाप्रभारी उमेशचंद्र त्रिपाठी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.  उन्होंने बोरी को खुलवाया. बोरी खुलते ही उस में से एक युवक की लहूलुहान लाश निकली. लाश देखते ही सभी के होश उड़ गए.

युवक की उम्र लगभग 30-35 साल के बीच थी. लाश से लगभग 200 मीटर की दूरी पर दूसरी बोरी पड़ी थी, उस में खून से सनी चादर, तकिया व अन्य कपड़े मिले. लाश मिलने की खबर फैलते ही वहां भीड़ जुट गई.

पुलिस ने लाश का निरीक्षण किया तो पता चला कि सिर पर किसी भारी चीज से वार किया गया था. इस के अलावा शरीर पर भी कई जख्म थे. वहां मौजूद कई लोगों ने मृतक की पहचान जूता कारखाना मालिक नरेश कुमार, निवासी नगला कली स्थित पुष्पांजलि होम्स के रूप में की.

पुलिस ने सूचना नरेश के घर भिजवाई तो रोतेबिलखते उस के घर वाले प्लौट पर पहुंच गए. मृतक के पिता सुरेशचंद्र ने उस की शिनाख्त अपने 35 वर्षीय बेटे नरेश कुमार के रूप में की. मृतक के बच्चों को बुला कर पुलिस ने कपड़े दिखाए तो उन्होंने बताया कि चादर और तकिए उन्हीं के घर के हैं.

थानाप्रभारी ने घटना की गंभीरता को देखते हुए अपने अधिकारियों को सूचना दी. सूचना मिलने पर एसएसपी मुनिराज, एसपी (सिटी) रोहन प्रमोद बोत्रे और सीओ (सदर) राजीव कुमार भी वहां आ गए. उन्होंने गहनता से घटनास्थल का निरीक्षण किया. इस बीच फोरैंसिक टीम को बुला लिया गया.

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टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र किए. पुलिस ने घटनास्थल से चादर व अन्य कपड़े बरामद किए. जांचपड़ताल के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया.

पुलिस अधिकारियों ने मृतक के पिता व भाइयों से इस संबंध में पूछताछ की. नरेश की हत्या किन कारणों से की गई? पिता ने बताया कि नरेश की किसी से कोई रंजिश नहीं थी, नरेश का गोबर चौक में पार्टनरशिप में जूता कारखाना है. उस का काम भी अच्छा चल रहा था.

उस के परिवार में पत्नी प्रमिता, 12 वर्षीय बेटा सौम्या, 8 वर्षीय बेटी लाडो और 6 वर्षीय बेटा नन्हे है. नरेश परिवार के साथ किराए पर रहता है. पिता सुरेशचंद्र नरेश गोबर चौक में पुराने घर में रहते हैं. इस संबंध में पिता सुरेशचंद्र ने अज्ञात के खिलाफ बेटे की हत्या की रिपोर्ट थाना ताजगंज में भादंवि की धारा 302, 201 के अंतर्गत दर्ज कराई.

एसएसपी मुनिराज जी. ने घटना के खुलासे के लिए एसपी (सिटी) रोहन प्रमोद बोत्रे के नेतृत्व में गठित पुलिस टीम को लगाया. पुलिस टीम में थानाप्रभारी उमेशचंद्र त्रिपाठी, इंसपेक्टर नरेंद्र सिंह (प्रभारी सर्विलांस), एसआई मोहित सिंह, शैलेंद्र सिंह, महिला एसआई पूजा शर्मा, हैडकांस्टेबल विनीत व आदेश त्रिपाठी शामिल थे.

एनआरआई सिटी के खाली प्लौट जहां बोरी में नरेश का शव मिला था, वह स्थान मृतक के मकान के ठीक पीछे ही है. इस पर पुलिस व फोरैंसिक टीम जांच में जुट गई. मृतक के पुष्पांजलि होम्स स्थित घर जा कर जांच की. जांच के दौरान घर की छत पर खून मिला, वहां से भी साक्ष्य जुटाए गए.

पति की हत्या पर पत्नी प्रमिता का रोरो कर बुरा हाल था. पुलिस ने किसी तरह समझाबुझा कर उसे शांत कराया. पुलिस नरेश की हत्या में किसी करीबी व्यक्ति का हाथ होने की आशंका जता रही थी. पुलिस ने प्रमिता से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली.

प्रमिता ने पुलिस को बताया, 7 जून की रात लगभग 10 बजे उस ने पति नरेश को फोन कर घर आने को कहा था, उस ने बताया कि वह रोज ही उन्हें फोन करती थी. क्योंकि वह देर से घर आते थे. वह कारखाने से रात साढ़े 10 बजे घर आए थे. वह हमेशा की तरह खाना खा कर घर के बाहर टहलने चले गए थे.

वह शराब पीते थे. देर लगने पर सोचा सड़क तक टहलने निकल गए होंगे. घर में तीनों बच्चे व स्वयं थी. हम लोग कमरे में एसी चला कर टीवी देखते रहे. जब वह देर रात तक नहीं लौटे तो वाचमैन व बड़े बेटे सौम्या को साथ ले कर उन्हें इधरउधर तलाश किया. उन के न मिलने पर बाद में गोबर चौक स्थित ससुराल व सदर भट्टी स्थित मायके वालों को फोन कर बुलाया.

जांच के दौरान प्रमिता ने थानाप्रभारी उमेश चंद्र त्रिपाठी को बताया, ‘‘सर उन पर बहुत केस चल रहे हैं और उन के बहुत दुश्मन हैं.’’

खून घर की छत पर मिलने की बात पर उस ने कहा, ‘‘सर, इस बारे में मुझे कुछ नहीं पता, क्योंकि कमरे में एसी चल रहा था और दरवाजा बंद था.’’

पुलिस को प्रमिता की बातें गले नहीं उतर रही थीं. शव भी घर के पीछे दीवार के सहारे पड़ा मिला था. ऐसे में मृतक के घर वालों से पुलिस ने पूछताछ की. घटना के जल्द खुलासे के लिए नरेश की काल डिटेल्स भी निकालने की बात पुलिस ने कही. घर में सोमवार को कौनकौन आया, इस बारे में पत्नी और बच्चों से भी जानकारी ली गई.

घर की छत पर खून मिलने व लाश वाली बोरी घर के ठीक पीछे मिलने से साफ हो गया था कि नरेश की हत्या करने के बाद उस के शव को बोरी में भर कर छत से ही पीछे प्लौट में फेंका गया था. पुलिस को घटना के बाद से प्रमिता पर ही शक था.

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पोस्टमार्टम के बाद शव मृतक के पिता को सौंप दिया गया. शाम को ही नरेश की अंत्येष्टि कर दी गई.  इस सब से बेफिक्र पत्नी प्रमिता को अंत्येष्टि के बाद पुलिस ने आखिर मंगलवार की शाम को ही हिरासत में ले लिया. थाने ला कर उस से पूछताछ शुरू की गई. वह रटीरटाई कहानी दोहराने लगी.

पुलिस ने जब प्रमिता को बताया, ‘‘हमें एक सीसीटीवी फुटेज मिली है, जिस में एक व्यक्ति दिखाई दे रहा है, जो रात में तुम्हारे घर पर आया था. वह कौन था? फिर छत पर खून कैसे आया और किस का है? चादर, तकिया तो तुम्हारे घर के ही हैं. जिन्हें तुम्हारे बच्चे ने पहचान लिया है.’’

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यह सुनते ही प्रमिता के होश उड़ गए. आवाज कंपकपाने लगी. पुलिस के आगे हथियार डालते हुए उस ने पति की हत्या का जुर्म कुबूल करते हुए पुलिस को बताया कि उसी ने अपने पति की हत्या की थी.

इस सनसनीखेज हत्याकांड के पीछे जो कहानी बताई, वह चौंकाने वाली थी—

सुरेशचंद्र के 6 बेटेबेटियों में नरेश दूसरे नंबर का था. नरेश से छोटे संजय व सोनू हैं. उत्तर प्रदेश की प्रेमनगरी के नाम से मशहूर शहर आगरा के गोबर चौक में नरेश के पिता व 2 भाई व एक अविवाहित बहन रहते हैं. 2008 में नरेश की शादी आगरा के मंटोला थाना के सदर भट्टी की रहने वाली प्रमिता के साथ हुई थी.

शादी से पहले नरेश भी गोबर चौक में रहता था. शादी के 6 माह बाद ही प्रमिता अपने पति के साथ अलग रहने लगी. घटना के समय नरेश का परिवार पुष्पांजलि होम्स में किराए पर रह रहा था.

2 साल पहले नरेश कुमार का विवाद मोहल्ले के ही एक व्यक्ति से हो गया था. उस दौरान थाना शिकोहाबाद के नगला केवल निवासी रविकांत राजपूत, जो आरएसएस का महानगर प्रचारक था, के एक परिचित ने इस मामले में नरेश की मदद कराई थी. रविकांत ने नरेश कुमार की मदद की. इसी के चलते रविकांत की नरेश से जानपहचान हो गई.

घर आनेजाने के दौरान नरेश की पत्नी प्रमिता और रविकांत का मिलनाजुलना शुरू हो गया, दोनों के बीच बातचीत भी होने लगी. हमउम्र होने से दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हो गए.

30 वर्षीय रविकांत अविवाहित था. घनिष्ठता बढ़ने पर दोनों के बीच दोस्ती हो गई और प्रेम संबंध हो गए. धीरेधीरे प्रमिता भी रविकांत के घर नगला केवल जाने लगी.

रविकांत ने अपने घर पर प्रमिता को मुंहबोली बहन बताया था. इस के चलते घर वाले भी प्रमिता के आनेजाने पर गौर नहीं करते थे. दोनों के बीच क्या खिचड़ी पक रही है, इस का पता रविकांत के घर वालों को नहीं चला. इस बीच दोनों एकदूसरे के काफी करीब आ गए.

नरेश को घटना से कुछ दिन पहले जब दोनों के प्रेम संबंधों की जानकारी हुई तो वह विरोध करने लगा. इसी बात को ले कर नरेश और प्रमिता के बीच झगड़ा होने लगा. वह बच्चों के सामने प्रमिता की बेइज्जती करने लगा.

इस पर प्रमिता ने ठान लिया कि वह प्रेमी रविकांत के साथ ही रहेगी. दोनों के प्यार के बीच पति रोड़ा बन रहा था. इसलिए उसे रास्ते से हटाने का तानाबाना प्रमिता ने बुना. उस ने प्रेमी रविकांत के साथ पति के कत्ल की खूनी साजिश रची.

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7 जून को रविकांत अपने गांव में था. योजना के अनुसार वह बाइक से आगरा के लिए शाम को अपने छोटे भाई शशिकांत के साथ निकला. अपने घर वालों को बताया कि दोस्त की बर्थडे पार्टी में जा रहे हैं, रात में वापस आ जाएंगे.

दोनों भाई योजना के अनुसार आगरा पहुंचे. नरेश के मकान के पास ही एक मकान अधबना खाली पड़ा था. दोनों भाइयों ने अपनी बाइक उस में खड़ी कर दी. इस के बाद दोनों भाई उस मकान से नरेश के मकान की छत पर आ गए. रविकांत ने अपना मोबाइल स्विच्ड औफ कर लिया. उस समय रात के साढ़े 10 बजे का समय था. नरेश खाना खा कर दूसरे कमरे में सोने चला गया था.

इस बीच प्रमिता ने तीनों बच्चों को कोल्ड डिं्रक दी और मोबाइल दिया. कमरे का टीवी चला दिया, बच्चे खुश हो गए. कमरे की बाहर से कुंडी लगा दी. पति ने शराब पी रखी थी, वह गहरी नींद में सो चुका था.

 

जब प्रमिता ने अच्छी तरह परख लिया कि पति गहरी नींद में हैं, तब उस ने शशिकांत के मोबाइल पर ओके का मैसेज भेजा. दोनों भाई मकान में नीचे आ गए. सो रहे नरेश के सिर पर ईंटों से तीनों ने ताबड़तोड़ प्रहार किए.

बिस्तर पर खून बिखर गया. सिर से बह रहे खून को देख कर प्रमिता ने सिर पर पौलीथिन की थैली लगा दी, जिस से खून न गिरे.

सिर पर किए गए प्रहार से नरेश ने पल भर में दम तोड़ दिया. इस के बाद तीनों ने मिल कर शव को बोरे में बंद किया. कमरे के फर्श पर बिखरे खून को चादर से प्रमिता ने पोंछने के बाद धो दिया.

शशिकांत की पैंट पर हत्या के दौरान मृतक का खून लग गया था. उस ने अपनी पैंट उतारने के बाद कमरे में टंगी नरेश की पैंट पहन ली. इस के बाद बोरे को उठा कर छत पर ले गए और पीछे प्लौट में फेंक दिया. खून से सने सभी कपड़े दूसरी बोरी में भर कर लाश से लगभग 200 मीटर दूर उसी प्लौट में फेंक दिए.

हत्या करने के बाद रविकांत और शशिकांत रात साढ़े 12 बजे ही चले गए. अंधेरा होने की वजह से छत पर पड़ा खून दिखाई नहीं दिया.

 

पति की हत्या से प्रमिता घबरा गई थी, जिस के कारण वह छत पर पड़े खून को साफ नहीं कर सकी थी. प्रमिता के मोबाइल में चैटिंग थी, हत्या के बाद उस ने सारी चैट डिलीट कर दी, जिस से पुलिस मोबाइल देखे तो पता नहीं चल सके.

रविकांत ने भी ऐसा ही किया. पुलिस ने हत्या में पुख्ता सबूत के लिए चैट को फोरैंसिक एक्सपर्ट की मदद से रिकवर कराने के लिए भेज दिया है.

प्रमिता से पूछताछ के बाद पुलिस टीम ने शेष हत्यारोपियों की गिरफ्तारी के लिए कई स्थानों पर दबिश डाली. मुखबिर की सूचना पर थानाप्रभारी उमेशचंद्र त्रिपाठी ने आरोपी प्रेमी रविकांत को आगरा में टीडीआई माल के पास से घटना में प्रयुक्त मोटरसाइकिल के साथ उसी दिन गिरफ्तार कर लिया. आरोपी की निशानदेही पर पुलिस ने आला कत्ल खून से सनी ईंटें भी बरामद कर लीं.

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9 जून को एसएसपी मुनिराज ने प्रैस कौन्फ्रैंस में घटना में शामिल 2 अभियुक्तों की गिरफ्तारी की जानकारी देते हुए सनसनीखेज घटना का खुलासा कर दिया.

पुलिस ने 9 जून, 2021 को दोनों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. इस के बाद पुलिस ने हत्याकांड में शामिल तीसरे हत्यारोपी शशिकांत को भी 10 जून की रात को गिरफ्तार कर दूसरे दिन जेल भेज दिया.

प्रमिता ने 12 साल पहले जिस नरेश कुमार के साथ सात फेरे लिए, उसे ही अपने प्रेमी व उस के भाई के साथ मिल कर खूनी साजिश के तहत मौत की नींद सुला दिया. एक सीधासादा पति अपनी बेवफा पत्नी के अवैध संबंधों की भेंट चढ़ गया.

प्रमिता ने अपना बसाबसाया घर भी उजाड़ लिया. अब बच्चों को मांबाप का प्यार नहीं मिल सकेगा. फिलहाल तीनों बच्चों को दादादादी अपने साथ ले गए.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

शक की सुई और हत्या

जिस तरह अपराध की जड़ -“जर जोरू और जमीन” को माना गया है उसी तरह पति पत्नी के बीच हत्या का एक महत्वपूर्ण कारक शक भी है जिसके कारण जाने कितने लोगों की जान चली जाती है.

आमतौर पर महिलाएं ही पति के शक्की स्वभाव के कारण मार डाली जाती है, और शायद इसीलिए कहा भी गया है कि शक का इलाज हकीम लुकमान के पास भी नहीं है. मगर यह भी सच है कि सत्य कारण अपने खून रंगे हाथों के साथ पति जेल की चक्की पिसता है और जिंदगी भर पछताना पड़ता  है.

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ऐसा ही एक घटनाक्रम छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में घटित हुआ जहां एक पति ने पत्नी को से इसलिए मौत के घाट उतरवा दिया क्योंकि उसे शक था कि पत्नी के किसी से अवैध संबंध है.  बलौदा थाना क्षेत्र के छाता जंगल में विगत 15 जून की रात नाटकीय घटनाक्रम घटित हुआ था, कथित रूप से लुटेरों ने कार में सवार एक जोड़े को लूट कर महिला की हत्या कर दी. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी तो सच्चाई सामने आती चली गई अब‌ पुलिस का खुलासा है कि इस मामले में मृतका का पति मुख्य आरोपी है. मृतक दीप्ति सोनी के पति देवेंद्र सोनी ने दो अन्य साथियों के साथ मिलकर  अपनी पत्नी को लूटकर मारने की घटना को अंजाम दिया था.

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चरित्र संशय से जिंदगी तबाह

पति देवेंद्र को जब पत्नी  दीप्ति यह  शक हुआ कि उसके किसी गैर मर्द से संबंध है तो नित्य प्रतिदिन घर में वाद विवाद होने लगा परिस्थिति इस मोड़ पर आ पहुंची की एक दिन दीप्ति की हत्या अपने घरेलू नौकर के साथ मिलकर करवा दी.

घटना कारित करने के पश्चात पति ने थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी थी कि उसकी पत्नी को लुटेरों ने लूट कर मार डाला है.

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दरअसल, बिलासपुर की रहने वाली दीप्ति सोनी का विवाह  बिलासपुर के देवेंद्र सोनी से हुआ था. जिले  की महिला पुलिस अधीक्षक पारुल माथुर ने हमारे संवाददाता को बताया कि विवाह के कुछ साल बाद चरित्र संशय को लेकर दोनों के बीच पारिवारिक झगड़ा शुरू हो गया था. इसके बाद दीप्ति सोनी के पति देवेंद्र सोनी ने  दीप्ति की मां को आने-जाने से रोक दिया था और पत्नी पर शक के चलते देवेंद्र सोनी ने उनकी पत्नी की हत्या की साजिश रचकर उनकी हत्या करा दी. उसने दो लोगों को पैसा का लालच देकर  सहयोगी  बनाया.

कुल जमा आरोपी पति ने अपनी पत्नी के चरित्र पर शक की आग में जलकर अपनी पत्नी की हत्या कर खुद को और अपने दो साथियों को हत्यारा बना लिया . बलौदा पुलिस टीम ने इस पूर्व नियोजित लूट व हत्या के मास्टरमाइंड आरोपी पति देवेंद्र सोनी, उसके साथी प्रदीप सोनी व उसकी पत्नी शालू सोनी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.

सत्यकथा: पैसे वालों का खेल, पत्नियों की अदला बदली

कोट्टायम (केरल)

नए साल में दूसरे रविवार का दिन था. तारीख थी 9 जनवरी. कोट्टायम जिले के करुक्चल थाने में करीब 30 वर्षीया रमन्ना (बदला हुआ नाम) सुबहसुबह अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने आई थी.

उस ने थानाप्रभारी से कहा, ‘‘साहब, मुझे पति के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करानी है.’’ यह सुनते ही चाय पीते हुए थानाप्रभारी झल्ला गए.

उन्होंने समझा कि कोई घरेलू हिंसा या दहेज आदि का मसला होगा. महिला की आगे की बातें सुनने के बजाय उन्होंने उसे डपट दिया, ‘‘जाओ, घर जाओ और पति या घर के किसी सदस्य को साथ ले कर आना. सुबहसुबह पति से झगड़ कर आ गई हो. समझा दूंगा उसे…’’

रमन्ना वहीं खड़ीखड़ी थानाप्रभारी को चाय पीते देखती रही. थानाप्रभारी फिर बोले, ‘‘समझदार दिखती हो. पढ़ीलिखी भी लगती हो. घरेलू झगड़े को क्यों बाजार में लाना चाहती हो?’’

‘‘साहबजी, आप जो समझ रहे हैं, बात वह नहीं है. किसी लेडी पुलिस से मेरी शिकायत लिखवा दीजिए. ‘भार्या माट्टल’ की शिकायत है.’’

रमन्ना की गंभीरता भरी बातों के साथ मलयाली शब्द भार्या माट्टल सुन कर थानाप्रभारी चौंक गए. इन शब्दों का अर्थ था बीवियों की अदलाबदली. दरअसल, ये 2 शब्द पुलिस के लिए अपराध की गतिविधियों में शामिल थे. भार्या माट्टल यानी वाइफ स्वैपिंग या बीवियों की अदलाबदली.

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उन्होंने महिला को सामने की कुरसी पर बैठने को कहा. उस के बैठने पर पूछा, ‘‘चाय पियोगी, मंगवाऊं?’’

‘‘हां,’’ कहते हुए सिर हिला दिया.

थानाप्रभारी ने कांस्टेबल को आवाज लगाई, ‘‘अरे, सुनो जरा एक कप चाय और लाना. और हां, एसआई मैडम को भी डायरी ले कर बुला लाना.’’

थोड़ी देर में एक लेडी पुलिस सबइंसपेक्टर थानाप्रभारी के पास आ चुकी थीं. चाय की एक प्याली भी महिला के सामने रखी थी. थानाप्रभारी ने उसे पीने के लिए इशारा किया और लेडी एसआई को उस की शिकायत लिखने को कहा. फिर वह कुरसी से उठ खड़े हुए. जातेजाते पूछा, ‘‘तुम्हारा नाम क्या है?’’

‘‘रमन्ना.’’

‘‘टाइटल क्या है?’’

‘‘नायर…रमन्ना नायर.’’

‘‘ठीक है, तुम आराम से चाय पियो और मैडम को पूरी बात बताओ,’’ यह कह कर थानाप्रभारी वहां से चले गए.

थोड़ी देर बाद थानाप्रभारी, लेडी एसआई और दूसरे पुलिसकर्मियों की मीटिंग हुई. तब तक रमन्ना थाने में ही ठहरी रही.

रमन्ना ने जो बात महिला एसआई को बताई थी, वह बड़ी गंभीर थी. सुन कर थानाप्रभारी भी आश्चर्यचकित हो गए थे कि क्या एक पति ऐसा भी कर सकता है.

उन्होंने यह जानकारी डीएसपी (कांगनचेरी) आर. श्रीकुमार को दी तो डीएसपी ने इस मामले में उचित काररवाई करने के निर्देश दिए. थानाप्रभारी ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए एक पुलिस टीम बनाई. आरोपियों की गिरफ्तारियां भी जरूरी थी, ताकि मामले की तह तक पहुंचा जा सके.

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मामला बेहद संवेदनशील था. संभ्रांत व्यक्तियों के चरित्र हनन, निजी संबंधों के साथसाथ पार्टनर एक्सचेंज रैकेट के अलावा अननेचुरल सैक्स से भी जुड़ा हुआ था. इसी शिकायत में मैरिटल रेप भी शामिल था.

उल्लेखनीय है कि इस से पहले केरल के कायमकुलम में भी साल 2019 में ऐसा ही मामला सामने आ चुका था. उन दिनों कायमकुलम से 4 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी. उस वक्त भी गिरफ्तार लोगों में से एक की पत्नी ने ही शिकायत दर्ज करवाई थी कि उसे पति ने ही 2 लोगों के साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया था. पति ने उसे दूसरे अजनबियों के साथ सोने के लिए दबाव बनाया था.

रमन्ना द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत भी काफी चौंकाने वाली थी. उस ने पति के खिलाफ शिकायत लिखवाई थी कि वह पति के दबाव में आ कर दूसरे मर्दों के साथ सोने को विवश हो गई थी, जबकि पति के साथ प्रेम विवाह हुआ था.

शिकायत में यह भी कहा कि उस के साथ अप्राकृतिक सैक्स भी किया गया. एक समय में 3 मर्दों के साथ हमबिस्तर होना पड़ा. इसे अनैतिक यौनाचार की भाषा में गु्रप सैक्स कहना ज्यादा सही होगा.

इस तरह से वह पति के अतिरिक्त कुल 9 अलगअलग मर्दों के सैक्स की सामग्री बन चुकी थी. वे सारे मर्द उस के पति के दोस्त थे. रमन्ना ने साफ लहजे में कहा कि पति को इस के बदले में पैसे मिले थे.

कोट्टायम जिले की पुलिस ने मामले को काफी गंभीरता से लेते हुए तुरंत छापेमारी की योजना बनाई और देखते ही देखते 7 लोगों को धर दबोचा. उस के बाद जो बड़े पैमाने पर सैक्स रैकेट का भंडाफोड़ हुआ, वह काफी सनसनीखेज और चौंकाने वाला था. उस की पूरे देश में चर्चा होने लगी.

एक के बाद एक हुई गिरफ्तारियों के बाद एक बड़े सैक्स रैकेट का परदाफाश हुआ, जो सोशल साइट के विभिन्न प्लेटफार्मों के जरिए पतियों के ग्रुप द्वारा चलाए जा रहे थे.

रिपोर्ट के मुताबिक करुक्चल में 7 लोगों को बीवियों की अदलाबदली के आरोप में 9 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया गया था. उन में रमन्ना का पति भी था. गिरफ्तार किए गए लोग केरल के अलाप्पुझा, कोट्टायम और एर्नाकुलम के रहने वाले हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक इस रैकेट में बाकायदा वाट्सऐप पर ग्रुप बनाए गए थे, जिस से सैकड़ों लोग जुड़े हुए थे. इसी ग्रुप में आगे की योजना बनाई जाती थी. हैरानी की बात यह भी थी कि इस ग्रुप में केरल के एलीट क्लास के कई लोग भी शामिल थे.

इस पूरे मामले की तहकीकात के बाद चांगनचेरी के डिप्टी एसपी आर. श्रीकुमार ने बताया कि पहले तो वे इन ग्रुप्स में शामिल हो कर एकदूसरे से मिलते थे. बाद में निर्धारित ठिकाने पर सैक्स के लिए जुटते थे. इस के पीछे एक बड़ा रैकेट है. इस में कई और दूसरे लोगों की तलाश भी की जा रही है.

पुलिस के अनुसार महिलाओं सहित भले ही कुछ समान विचारधारा वाले हों, लेकिन कुछ महिलाओं को उन के पतियों ने इस में जबरदस्ती शामिल कर रखा था. गिरफ्तार लोगों ने पूछताछ में बताया कि वे पहले टेलीग्राम और दूसरे मैसेंजर ग्रुप्स में शामिल होते हैं, और फिर 2 या 3 कपल आपस में मुलाकात करते हैं. इस के बाद महिलाओं की अदलाबदली होती है.

इन गिरफ्तारियों के बाद पुलिस ने ‘पार्टनर एक्सचेंज रैकट’ की तह में जा कर पता लगाया. पुलिस ने तहकीकात की तो पता चला कि ‘पार्टनर एक्सचेंज रैकेट’ के नेटवर्क का मुख्य आधार टेलीग्राम और मैसेंजर ऐप था, जिस में एक गिरोह के 1000 से अधिक कपल बताए जा रहे हैं. उन के द्वारा सैक्स के लिए बड़े स्तर पर महिलाओं की अदलाबदली की जा रही थी.

इस रैकेट में पैसों का भी औनलाइन लेनदेन होता है. कई लोग पैसों के लिए अपनी पत्नियों को सिंगल पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करते हैं, जबकि इस सैक्स में 2-3 पुरुष ही होते हैं.

पुलिस को जांच में पता चला कि इस रैकेट में राज्य के हर हिस्से के लोग शामिल थे, जिन में अधिकतर सदस्य धनवान और सुखीसंपन्न थे.

सवाल सामान्य लोगों के जेहन में उठता रहता है कि पत्नियों की अदलाबदली क्यों और कैसे? वाइफ स्वैपिंग का एक पुराना इतिहास बहुपत्नी प्रथा के जमाने से रहा है. किंतु इस ने नए रूपरंग में 80-90 के दशक में एक यौन आनंद के तौर पर पैर पसारना शुरू कर दिया था.

हालांकि इस में संभ्रांत किस्म के कपल ही शामिल हुए. इस के लिए उन्होंने बाकायदा पार्टियों का सहारा लिया. केरल का मामला भी बीवियों की अदलाबदली का ही है, लेकिन इसे पतियों ने कमाई का धंधा बना दिया, जिस में बीवी के नाम पर दूसरी सैक्स वर्कर को भी शामिल कर लिया गया था.

केरल की शिकायतकर्ता महिला रमन्ना की लव मैरिज हुई थी. खुशहाल जिंदगी गुजर रही थी. 2 बच्चे भी हुए. सब कुछ अच्छा चल रहा था. इस बीच पति की गल्फ में नौकरी लगी और वह विदेश चला गया. वहां पति को वाइफ स्वैपिंग के बारे में पता लगा.

जब वापस केरल लौटा तब उस ने इस बारे में अपनी पत्नी को बताया. पत्नी ने इनकार कर दिया, लेकिन पति नहीं माना. उस ने काफी मना किया कि वह किसी और के साथ सैक्स नहीं करेगी, लेकिन पति के दबाव में आ कर ऐसा करने को राजी हो गई. पति द्वारा खुद को मारने की धमकी के इमोशनल ब्लैकमेलिंग के चलते न चाहते हुए भी मान गई.

उस के बाद से पति के दोस्तों के साथ सैक्स करने का सिलसिला शुरू हो गया. इस खेल के शुरू होते ही पति ने उसे डराधमका कर इसे कारोबार बना लिया. विरोध करने पर पति दूसरों के साथ किए गए उस के सैक्स वीडियो परिवार को दिखाने की धमकी दे दी.

एक रोज पानी सिर से ऊपर तब चला गया, जब पति ने एक साथ 3 पुरुषों के साथ सैक्स करने के लिए भेज दिया. अप्राकृतिक सैक्स की पीड़ा से उस का शरीर जितना जख्मी हुआ, उस से कहीं अधिक उस का अंतरमन पीडि़त हो गया. और उस ने पति के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी.

रमन्ना ने यह भी बताया कि उस जैसी कई पत्नियों को उन की इच्छा के विरुद्ध ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया, जो आत्महत्या कर सकती हैं. यहां तक कि उन पर ऐसा करने के लिए जबरन दबाव बनाया जाता है.

इस स्तर पर जांच में पुलिस ने भी पाया कि डाक्टरों और वकीलों के अलावा कई पेशेवर इन सोशल मीडिया ग्रुप में शामिल थे और उन्होंने अपनी फरजी पहचान बना रखी थी.

इन में से कई ग्रुप में 5,000 से अधिक सदस्य शामिल थे, जहां से ग्राहक मिलते थे. सभी फेक अकाउंट के साथ जुड़े हुए थे. इन में सिंगल लोगों को दूसरे सदस्यों की पत्नियों को शेयर करने के लिए मोटी रकम देनी पड़ती थी.

केरल के लिए वाइफ स्वैपिंग का मामला कोई नया नहीं है. इस के पहले भी साल 2013 में नेवी अफसरों की पत्नियों की अदलाबदली के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे.

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यह घटना साल 2012 की है, जब एक लेफ्टिनेंट की पत्नी ने पति और सीनियर अफसर पर सैक्सुअल-मेंटल हैरेसमेंट और वाइफ स्वैपिंग के गंभीर आरोप लगाए थे. हालांकि बाद में कोई पुख्ता सबूत नहीं मिलने की वजह से मामला शांत पड़ गया था.

दरअसल अपने पति को बचाने के लिए कोई भी महिला किसी और के खिलाफ मुंह नहीं खोल पाती है. लेकिन इस बार के नए मामले में पूरी तरह से एक बड़ा गिरोह सक्रिय हो चुका था. केरल में यह सब पिछले 3 सालों से चल रहा था.

  एक नजर वाइफ स्वैपिंग पर

वाइफ स्वैपिंग ही बीवियों की अदलाबदली है, जो पतिपत्नी की रजामंदी से होता है. सैक्स के दौरान बीवियां बदलने का चलन गैरकानूनी और गैर सामाजिक हो कर भी छिपे रूप में बना हुआ है.

अब लोगों ने इसे पैसा कमाने का एक जरिया भी बना लिया है. इस में सैक्शुअल रिलेशनशिप बनाने के लिए बीवियों को एक रात या फिर कुछ रातों के लिए अदलाबदली कर लिए जाते हैं.

इसे अपनाने के कई तरीके अपनाए जाते हैं, जिस में लकी ड्रा महत्त्वपूर्ण होता है. इस के लिए कपल एक ही जगह पर जुटते हैं और अपनीअपनी गाडि़यों की चाबी एक जगह डाल देते हैं. फिर अंधेरे में सब एकएक कर चाबी उठाते हैं. ऐसे में हर किसी के हाथ में किसी और की चाबी आ जाती है.

जिसे जो चाबी हाथ लगती है वह उस की बीवी के साथ सैक्स करने के लिए आजाद होता है. इसी तरह से हर व्यक्ति दूसरे की बीवी को ले कर अलगअलग कमरों में चले जाते हैं. कुछ मामले में यह खेल एक ही हाल में एक साथ ग्रुप सैक्स के रूप में भी होता है. मजे की बात यह है इस के लिए बीवियां भी पहले से मन बनाए होती हैं.

इस से जुड़े लोगों का तर्क होता है कि ऐसा कर वे एकदूसरे की सैक्शुअल डिजायर को पूरी करते हैं. कुछ कपल्स का मानना है कि इस से उन के वैवाहिक जीवन की नीरसता में ताजगी वापस आ जाता है. दोनों में इस बात का कोई मलाल नहीं होता है कि दूसरे की पार्टनर के साथ सैक्स कर चुके हैं. इसे वे प्यार के नजरिए से नहीं, बल्कि सैक्स की अनुभूति के रूप में लेते हैं. इसे वैसे लोगों के लिए वरदान कहा जाता है, जो कभी एक वक्त में एक रिलेशन में नहीं रह पाते हैं.

बताया जाता है कि वाइफ स्वैपिंग की शुरुआत 16वीं सदी से बताई जाती है. सब से पहले जौन डी और एडवर्ज केल ने वाइफ स्वैपिंग की थी. ये दोनों ही ब्लैक मैजिक करते थे या कहें खुद को सेल्फ डिक्लेयर्ड स्पिरिट मीडियम बताते थे.

इस स्वैपिंग में जौन की पत्नी जेन प्रेगनेंट भी हो गई थी. अधिकतर पश्चिमी देशों में यह आम बात हो चुकी है. भारत में इसे यौन अपराध की श्रेणी में रखा गया है. खासकर  भारतीय समाज में तो यह किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है. चाहे आपसी रजामंदी हो या नहीं.

वाइफ स्वैपिंग को यदि एक शादीशुदा महिला की इच्छा के बगैर कराया जाए और एक से अधिक लोगों के साथ संबंध बनाने पर मजबूर किया जाए तो मजबूर कराने वाले लोगों पर आईपीसी की धारा 323, 328, 376, 506 के तहत केस दर्ज किया जाता है.

यदि उत्पीडि़त महिला की आपबीती पुलिस नहीं सुने, तो 156 (3) सीआरपीसी में जुडीशियल मजिस्ट्रैट के सामने एप्लिकेशन दे कर ऊपर दी गई धाराओं में एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए जा सकते हैं.

इस मामले में पति पर रेप की धारा (376 आईपीसी) छोड़ कर बाकी सभी धाराओं में काररवाई की जा सकती है. सारे अपराध गैरजमानती होते हैं और इन अपराधों में महिला के सिर्फ यह कहने पर कि उस के साथ बिना सहमति के जोरजबरदस्ती से संबंध बनाए गए हैं, उस की गिरफ्तारी की जा सकती है.

ऐसे अधिकतर मामलों में यह एक ट्रायल का विषय होता है, जिस में गवाही और क्रौस एग्जामिनेशन के बाद अदालत आरोपियों को सजा दे सकती है, या फिर सजा दे कर बरी भी कर सकती है.

उदाहरण के लिए यदि स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए दंड के संबंध में 328 आईपीसी का इस्तेमाल होता है, जिस में नशीले पेय की मदद से महिला से शारीरिक संबंध स्थापित किया गया हो तो अधिकतम 10 साल तक की सजा और जुरमाना किया जा सकता है.

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इसी तरह से 376डी आईपीसी में गैंगरेप के मामलों में सजा मिलती है. इस कृत्य में शामिल हर व्यक्ति को न्यूनतम 20 साल तक की सजा मिल सकती है.

मर्यादाओं का खून : भाग 1

सुबह के करीब 10 बज रहे थे. फतेहपुर जिले के बिंदकी थानाप्रभारी नंदलाल सिंह थाने में मौजूद थे. वह एक शातिर बदमाश को गिरफ्तार कर के लाए थे और उस से उस के अन्य साथियों के बारे में जानकारी हासिल कर रहे थे. तभी एक युवक ने उन के कक्ष में प्रवेश किया. वह बेहद घबराया हुआ था. थानाप्रभारी ने उस पर एक नजर डाली फिर पूछा, ‘‘क्या बात है तुम कुछ परेशान लग रहे हो?’’

‘‘सर, मेरा नाम अनिल कुमार है. मैं कमरापुर गांव में रहता हूं और आप के थाने में तैनात होमगार्ड वंशलाल का बेटा हूं. बीती रात किसी ने मेरे पिता की हत्या कर दी. उन की लाश घर में ही पड़ी है.’’

अनिल की बात सुन कर थानाप्रभारी चौंकते हुए बोले, ‘‘क्या कहा, वंशलाल की हत्या हो गई. कल शाम को ड्यूटी पूरी कर घर गया था. फिर किस ने उस की हत्या कर दी. खैर, मैं देखता हूं.’’

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चूंकि थाने में तैनात होमगार्ड की हत्या का मामला था, अत: थानाप्रभारी ने होमगार्ड इस की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी. फिर एसआई शहंशाह हुसैन, कांस्टेबल शैलेंद्र कुमार, अखिलेश मौर्या तथा महिला सिपाही अंजना वर्मा को साथ लिया और जीप से घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. यह 17 मार्च, 2020 की बात है.

कमरापुर गांव थाने से 8 किलोमीटर दूर बिंदकी अमौली रोड पर था. पुलिस को वहां पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगा. घटनास्थल पर पहुंच कर थानाप्रभारी निरीक्षण में जुट गए. वंशलाल की लाश घर के बाहर बरामदे में तख्त पर पड़ी थी. वह कच्छा बनियान पहने था. उस की होमगार्ड की वर्दी खूंटी पर टंगी थी. उस की हत्या शायद गला दबा कर की गई थी. उस की उम्र 55 साल के आसपास थी.

निरीक्षण के दौरान थानाप्रभारी नंदलाल सिंह की नजर मृतक के कच्छे पर पड़ी जो खून से तरबतर था. लग रहा था जैसे गुप्तांग से खून निकला था. शरीर पर अन्य किसी चोट का निशान नहीं था. पुलिस ने जांच की तो उस का गुप्तांग कुचला हुआ मिला.

थानाप्रभारी को शक हुआ कि कही वंशलाल की हत्या नाजायज संबंधों के चलते तो नहीं हुई, किंतु उन्होंने अपना शक जाहिर नहीं किया.

थानाप्रभारी नंदलाल सिंह अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि एसपी प्रशांत कुमार वर्मा, एएसपी चक्रेश मिश्रा तथा सीओ अभिषेक तिवारी भी वहां आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड टीम को भी बुलवा लिया. फोरैंसिक टीम ने जांच कर सबूत जुटाए.

डौग स्क्वायड टीम ने मौके पर डौग को छोड़ा. उस ने शव को सूंघ तख्त के 2 चक्कर लगाए, फिर भौंकते हुए गली की ओर बढ़ गया. 2 मकान छोड़ कर वह तीसरे मकान पर जा कर रुक गया और जोरजोर से भौंकने लगा. पर उस मकान में ताला लटक रहा था. पुलिस अधिकारियों ने उस मकान के बारे में पूछा तो मृतक के बड़े बेटे अनिल कुमार ने बताया कि इस मकान में उस का छोटा भाई मनीष कुमार अपनी पत्नी विनीता के साथ रहता है. बीती शाम मनीष घर पर ही था, पर रात में कहां चला गया, उसे पता नहीं है.

अनिल की बात सुन कर पुलिस अधिकारियों को शक हुआ कि कहीं मनीष और विनीता ने मिल कर तो वंशलाल की हत्या नहीं कर दी. उन का फरार होना भी इसी ओर इशारा कर रहा था. पुलिस ने मनीष व विनीता की तलाश शुरू कर दी.

निरीक्षण के बाद घटनास्थल की काररवाई के बाद वंशलाल का शव पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया गया. इस के बाद पुलिस ने बरामदे में खूंटी पर टंगी मृतक की वर्दी की जामातलाशी कराई तो पैंट की जेब से एक छोटी डायरी तथा पर्स बरामद मिला. कमीज की जेब से एक मोबाइल फोन भी मिला.

मोबाइल फोन खंगाला गया तो पता चला कि रात 9:24 बजे वंशलाल की एक नंबर पर आखिरी बार बात हुई थी. जांच में वह नंबर मनीष की पत्नी विनीता का निकला.

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जांच के हर बिंदु पर जब मनीष और विनीता शक के दायरे में आए तो एसपी प्रशांत कुमार वर्मा ने उन्हें पकड़ने के लिए सीओ अभिषेक तिवारी के निर्देशन में एक पुलिस टीम का गठन किया. इस टीम में थानाप्रभारी नंदलाल सिंह, एसआई शहंशाह हुसैन, कांस्टेबल अखिलेश मौर्या, शैलेंद्र कुमार तथा महिला सिपाही अंजना वर्मा को शामिल किया गया.

तलाश बहू और बेटे की

टीम ने सब से पहले मृतक वंशलाल के बड़े बेटे अनिल कुमार, तथा उस की पत्नी रमा देवी के बयान दर्ज किए. अनिल कुमार ने अपने बयान में बताया कि पिताजी रंगीनमिजाज और शराब के आदी थे. मनीष की पत्नी विनीता ने अम्मा से उन की रंगीनमिजाजी की शिकायत भी की थी.

इसी आदत की वजह से मनीष और विनीता अलग रहने लगे थे. संभव है कि उन की हत्या में उन दोनों का हाथ हो. पुलिस टीम ने मृतक वंशलाल के पड़ोस में रहने वाले कुछ खास लोगों से बात की तो पता चला कि वंशलाल दबंग किस्म का व्यक्ति था.

वह होमगार्ड जरूर था, पर गांव के लोग उसे छोटा दरोगा कहते थे. गांव का कोई भी मामला थाने पहुंचता तो उस का निपटारा वंशलाल द्वारा ही होता था. मनीष जब घर से अलग हुआ था, तब ऐसी चर्चा फैली थी कि वंशलाल अपनी बहू पर गलत नजर रखता था, जिस से वह अलग रहने लगी थी.

पुलिस टीम ने मनीष और विनीता की तलाश तेज कर दी और विनीता के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर भी लगा दिया गया. इस के अलावा पुलिस ने अपने खास मुखबिरों को भी उन की टोह में लगा दिया. विनीता का मायका नगरा गांव में था. उस की लोकेशन भी वहीं की मिल रही थी. अत: पुलिस टीम ने आधी रात को विनीता के पिता विजय पाल के घर छापा मारा, लेकिन मनीष और विनीता पुलिस के हाथ नहीं लगे.

20 मार्च, 2020 को पुलिस टीम ने मुखबिर की सूचना पर फरीदपुर मोड़ से मनीष और उस की पत्नी विनीता को हिरासत में ले लिया. थाने ला कर जब उन दोनों से वंशलाल पाल की हत्या के संबंध में सख्ती से पूछताछ की गई तो वे दोनों टूट गए और वंशलाल की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

पुलिस टीम ने वंशलाल पाल उर्फ बैजनाथ पाल की हत्या का परदाफाश करने तथा कातिलों को पकड़ने की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी तो सीओ अभिषेक तिवारी कोतवाली बिंदकी आ गए.

उन्होंने कातिल मनीष कुमार तथा उस की पत्नी विनीता से विस्तृत पूछताछ की. अभियुक्तों के गिरफ्तार होने की जानकारी मिली तो सीओ अभिषेक तिवारी भी कोतवाली बिंदकी पहुंच गए और अभियुक्तों से विस्तृत पूछताछ की. फिर आननफानन प्रैसवार्ता की. उन्होंने आरोपियों को मीडिया के सामने पेश कर घटना का खुलासा किया.

चूंकि हत्यारोपी मनीष कुमार तथा विनीता ने हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया था, इसलिए थानाप्रभारी नंदलाल सिंह ने मृतक के बड़े बेटे को वादी बना कर धारा 302 आईपीसी के तहत मनीष और विनीता के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली और उन्हेें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में एक ऐसी बहू की कहानी सामने आई, जिस ने पति के साथ मिल कर कामी ससुर को ठिकाने लगाने की गहरी साजिश रची.

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के बिंदकी थाना क्षेत्र में एक गांव है नगरा. इसी गांव में विजय पाल अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी पूनम के अलावा 2 बेटे राजन, अजय तथा 2 बेटियां अनीता व विनीता थीं. विजय पाल के पास मात्र 2 बीघा उपजाऊ भूमि थी.

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इस की उपज से उस के परिवार का भरणपोषण मुश्किल था. अत: वह दूध का व्यवसाय भी करने लगा. इस काम में उस के दोनों बेटे भी सहयोग करते थे.

छोटी बेटी विनीता 4 भाईबहनों में तीसरे नंबर की थी. हाईस्कूल पास करने के बाद वह अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती थी, लेकिन मातापिता दूरदराज कस्बे में पढ़ाने को राजी न थे, इसलिए उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ी.

जब विनीता सयानी हो गई तो उस की शादी कमरापुर गांव के मनीष से कर दी गई. मनीष का पिता वंशलाल उर्फ बैजनाथ पाल बिंदकी थाने में होमगार्ड था. उस के परिवार में पत्नी माया देवी के अलावा 2 बेटे अनिल कुमार, मनीष कुमार तथा एक बेटी रूपाली थी. वंशलाल पाल की आर्थिक स्थिति अच्छी थी. गांव में उस के 2 मकान तथा 2 एकड़ खेती की जमीन थी. 2015 में वंशलाल ने छोटे बेटे मनीष की शादी नगरा गांव की विनीता से कर दी.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

सत्यकथा: पति बदलने की फितरत

राइटर- मुकेश तिवारी/रणजीत सुर्वे

सुबह का आगाज होते ही शिवनगर में  लोगों की दिनचर्या शुरू हो गई थी. सड़क पर लोगों की आवाजाही बढ़ने लगी थी. इसी के साथ हत्या की एक सनसनीखेज घटना ने माहौल में गरमाहट पैदा कर दी. इस की सूचना पुलिस को दी गई तो थानाप्रभारी से ले कर एसपी तक हत्या की सूचना पा कर मौके पर पहुंच गए थे.

दरअसल, 17 नवंबर, 2021 की सुबह जनकगंज थाने के अतंर्गत आने वाले शिवनगर में खबर फैली कि दुष्कर्म के बाद किसी ने बबली कुशवाहा की गला घोंट कर हत्या कर दी है. इस मामले में अफवाह जंगल की आग की तरह इतनी तेजी से फैली कि थोड़ी ही देर में घटनास्थल पर लोगों की भीड़ लग गई.

इस भीड़ में क्षेत्रीय पार्षद से ले कर राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता तक शामिल थे, जो इस हत्या को ले कर आपस में कानाफूसी करने में मशगूल थे. लेकिन उन में से किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं थी जो मकान मालिक से पूछता कि अचानक किस ने बबली की हत्या कर दी?

इन सभी में इस घटना को ले कर काफी नाराजगी थी. वे सभी बबली के हत्यारे को तत्काल पकड़ने की मांग कर रहे थे. सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे थानाप्रभारी ने महिला की हत्या के मामले से पुलिस के आला अधिकारियों को अवगत करा दिया.

इसी सूचना पर थोड़ी देर में एसपी अमित सांघी, एएसपी सतेंद्र सिंह तोमर, सीएसपी आत्माराम शर्मा भी घटनास्थल पर पहुंच गए. मामला दुष्कर्म की आशंका और हत्या का था, पुलिस अफसरों ने सब से पहले बबली के कमरे के बाहर खड़ी भीड़ को हटाया और उस के बाद घटनास्थल का गहनता से निरीक्षण किया.

एएसपी सतेंद्र सिंह तोमर और सीएसपी आत्माराम शर्मा ने जनकगंज थानाप्रभारी संतोष यादव के साथ कमरे के भीतर जा कर सब से पहले चारपाई पर अस्तव्यस्त हालत में पड़े बबली के शव को गौर से देखा तो पता चला कि मृतका की हत्या दुपट्टे से गला घोट कर की गई थी.

मृतका के गले में दुपट्टा कसा हुआ था. कमरे की तलाशी ली तो घटनास्थल पर नमकीन, चिप्स, कंडोम, बीयर की बोतल आदि के खुले पैकेट मिले.

संदिग्ध वस्तुओं को देख कर पुलिस को कुछ संदेह हुआ. इसी के मद्देनजर एक महिला कांस्टेबल को बुला कर बबली के सारे शरीर का निरीक्षण कराया गया. पता चला कि मृतका के शरीर से कीमती जेवर गायब थे.

घटनास्थल के निरीक्षण में सदिग्ध वस्तुएं मिलने से पुलिस टीम के लिए यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं था कि बबली और हत्यारे के मध्य यौन संबंध रहे होंगे और किसी बात पर विवाद होने पर हत्यारे ने उस के दुपट्टे से उस का गला घोट दिया होगा.

बबली की हत्या का दुखद समाचार सुन कर उस की मां और भाई भी वहां पहुंच गए थे, उन्होंने बबली के शव को देखा तो पता चला कि उस के कान के बाले, मंगलसूत्र, मोबाइल और 5 हजार रुपए गायब हैं.

चूंकि यह सब कीमती सामान था, इसलिए इस मामले में लूटपाट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता था. कुल मिला कर यह मामला काफी उलझा हुआ लग रहा था.

आगे बढ़ने के लिए थानाप्रभारी संतोष यादव ने बारीकी से घटनास्थल पर पड़ी एकएक चीज का जायजा लेना शुरू किया. बबली का अस्तव्यस्त हालत में शव चारपाई पर पड़ा था. शव के निकट ही संदिग्ध वस्तुएं पड़ी हुई थीं.

मृतका के गले में दुपट्टा लिपटा हुआ था, जिसे देख कर उन्होंने अनुमान लगाया कि हत्यारे ने दुपट्टे से बबली की हत्या की होगी.

थानाप्रभारी ने क्राइम टीम को फोन कर के घटनास्थल पर बुला लिया था. इस के बाद बबली के शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल की मोर्चरी भेज दिया गया.

साथ ही घटनास्थल पर मौजूद संदिग्ध वस्तुओं को अपने कब्जे में ले कर संतोष यादव थाने लौट आए और हत्या के इस मामले के खुलासे के लिए एसपी अमित साहनी ने एसपी (सिटी) लश्कर आत्माराम शर्मा के निर्देशन में एक टीम बनाई. टीम में थानाप्रभारी संतोष यादव, एसआई पप्पू यादव आदि को शामिल किया गया.

थानाप्रभारी संतोष यादव ने हत्या की तह में जाने के लिए बबली की मकान मालकिन गीता से भी गहन पूछताछ की. उस ने बताया कि 13 नवंबर को ही बबली ने कमरा किराए पर लिया था.

यहां वह अकेली रहती थी. उस का पति गांव में रहता था. उस से उस की अनबन चल रही थी. बबली की पहली शादी 2003 में लक्ष्मण कुशवाहा से हुई थी. शादी के 8 साल बाद ही उस का पति से तलाक हो गया था. पहले पति से उस के एक बेटी रितिका है. बेटी पहले पति के साथ ही रहती है.

इस के बाद बबली ने 2015 में चीनौर के घरसौंदी में रहने वाले धर्मवीर कुशवाहा से दूसरी शादी कर ली थी, लेकिन आजादखयालों की बबली की अपने दूसरे पति से भी नहीं बनी और झगड़े होने लगे. जिस वजह से उस ने दूसरे पति को भी छोड़ दिया था. उस का दूसरा पति बेटे कार्तिक के साथ घरसौदी में रहता है.

गीता ने आगे बताया कि सुबह उठने पर जब उन्हें बबली दिखाई नहीं दी तो उन्हें हैरानी हुई. क्योंकि रोजाना वह उन से पहले उठ कर नल पर पानी भरने आ जाती थी. उन की समझ में नहीं आया कि बबली को क्या हो गया, जो आज वह इतनी देर तक सो रही है?

बबली को जगाने के लिए उन्होंने आंगन में खडे़ हो कर कई बार आवाज लगाई. बबली ने जब कोई जवाब नहीं दिया तो वह उसे जगाने के लिए उस के कमरे के दरवाजे को धकेलते हुए जैसे ही कमरे के भीतर दाखिल हुई, वहां का नजारा देख कर उस के होश उड़ गए.

मकान मालकिन ने बताया कि बबली बिस्तर पर मृत पड़ी थी. उस के गले में दुपट्टा कसा हुआ था और मुंह व नाक से खून बह रहा था. यह देख कर वह चीखती हुई बाहर की तरफ दौड़ी.

उस की चीख सुन कर आसपड़ोस के लोग आ गए. सभी ने कमरे के भीतर जा कर चारपाई पर बबली का शव पड़ा हुआ देखा. मगर किसी की समझ में नहीं आया कि आखिर हत्या किस ने कर दी.

मकान मालकिन के बयान से पुलिस अधिकारियों ने अंदाजा लगाया कि बबली की हत्या करने वाला उस का कोई पूर्व परिचित था. इस की वजह यह थी कि बबली किसी अंजान के लिए दरवाजा नहीं खोलती थी. अत: थानाप्रभारी द्वारा अज्ञात आरोपी के खिलाफ धारा 302 भादंवि के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

तहकीकात को गति देने  के लिए संतोष यादव ने सब से पहले साइबर सेल के तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से बबली के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर जांच की तो पता चला कि एक ही नंबर से बबली के मोबाइल पर बारबार फोन किए गए थे.

शक होने पर उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई गई तो पता चला वह मोबाइल नंबर डबरा के रहने वाले प्रेम कुशवाहा का था.

उस का नाम और पता मिल गया तो संतोष यादव की टीम ने पे्रम के घर पर दबिश दी. लेकिन वह घर से गायब मिला. फिर उस के मोबाइल को सर्विलांस पर लगाया तो उस की लोकेशन मिल गई. पुलिस ने उसे लक्ष्मीगंज सब्जीमंडी के पीछे स्थित संजय नगर से हिरासत में ले लिया.

प्रेम कुशवाहा को जनकगंज थाने ला कर  थानाप्रभारी ने उस से कहा, ‘‘तुम ने सोचा कि तुम से चालाक इस शहर में कोई दूसरा नहीं है. बबली को मार कर इत्मीनान से उस के गहने आदि समेट कर वहां से निकल लिए.’’

सख्ती से पूछताछ की गई तो थोड़ी आनाकानी के बाद उस ने स्वीकार कर लिया कि बबली की गला घोट कर हत्या उसी ने की थी. पे्रम ने हत्या की जो कहानी बताई, वह कुछ इस प्रकार थी—

प्रेम कुशवाहा ने पुलिस को यह भी बताया कि उस की बबली से दोस्ती 5 महीने पहले एक मिस्ड काल के जरिए हुई थी. बबली का मिस्ड काल उस के पास आई तो उस ने पलट कर काल की. इस के बाद हम दोनों में बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया.

इस तरह उन दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ती गईं. फिर जल्दी ही इश्क के मुकाम तक पहुंच कर अवैध संबंधों में बदल गई. उन्हें जब भी मौका मिलता, जिस्म की प्यास बुझा लेते थे.

अपने प्रेमी प्रेम कुशवाहा से सहजता से मिलने के मकसद से बबली ने हाल ही में शिवनगर में गीता शर्मा के मकान में एक कमरा किराए पर लिया था.

16 नवंबर की रात को प्रेम बबली से मुलाकात करने उस के कमरे पर गया था. बातों ही बातों में बबली ने उस से कहा, ‘‘अगर तुम मेरे जिस्म का आनंद लेना चाहते हो तो तुम्हें आज ही 10 हजार रुपया देने होंगे.’’

बबली के मुंह से पैसों की बात सुन कर प्रेम चौंक गया. उस ने उस से कहा कि अभी तो उस के पास पैसे नहीं हैं तो वह कहने लगी कि यदि अभी रुपया नहीं दोगे तो वह रेप के आरोप में उसे आज ही जेल भिजवा देगी.

उन दोनों में इसी बात को ले कर कुछ ज्यादा ही कहासुनी हो गई. बात इतनी बढ़ गई कि प्रेम को गुस्सा आ गया और उसी के दुपट्टे से उस का गला घोंट कर उसे मौत के घाट उतार दिया.

जाते वक्तपुलिस को गुमराह करने के लिए बबली के कान के बाले, मंगलसूत्र, मोबाइल फोन और उस के पर्स से रुपए निकाल कर वहां से फरार हो गया था, जिस से पुलिस लूट के लिए हत्या मान कर पड़ताल करती रहे.

प्रेम कुशवाहा को क्या पता था कि वह  बबली के जेवर बेच कर मौज करने के बजाए जेल चला जाएगा.

पुलिस ने बबली के प्रेमी की निशानदेही पर बबली के गहने, मोबाइल फोन बरामद कर उसे अदालत में पेश किया तो जज के सामने भी उसने अपना अपराध बिना किसी पछतावे के स्वीकार कर लिया.

प्रेम कुशवाहा को अदालत में पेश करने के बाद उसे जेल भेज दिया गया. भोलाभाला दिखने वाला शातिर हत्यारा प्रेम कुशवाहा अब सलाखों के पीछे है.

मर्यादाओं का खून

मनोहर कहानियां: सुहागरात की तल्खियां

  शंभु सुमन

25नवंबर, 2021 की दोपहर का समय था. करनाल जिले में तरवाड़ी की पुलिस को नैशनल हाईवे पर गुरुद्वारे के पास खेतों में खून से लथपथ शव पड़े होने की सूचना मिली. खबर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई तो वास्तव में वहां औंधे मुंह एक व्यक्ति की लाश पड़ी मिली.

शव की हालत और आसपास के माहौल को देख कर हत्या का सहज अंदाजा लगाया जा सकता था. शव के पास आटो स्टार्ट करने वाली रस्सी पड़ी थी. वहीं पर एक मोटरसाइकिल स्टैंड पर खड़ी हुई थी. मोटरसाइकिल की चाबी नीचे जमीन पर मिट्टी में धंसी थी.

खेत में औंधे मुंह पड़े शव से करीब 15 फीट की दूरी पर अंगरेजी शराब की खाली बोतल थी. खाली बोतल के ठीक सामने करीब 10 फीट की दूरी पर बोतल के रैपर भी थे. रैपर और खाली बोतल के ठीक बीच में 2 प्लास्टिक के खाली गिलास और संतरे के ताजे छिलके बिखरे थे.

शराब की बोतल के रैपर से करीब 15 फीट की दूरी पर एक थर्मोकोल की प्लेट और 2 सिलवर के लिफाफे थे. प्लेट पर सब्जी लगी हुई थी. सिलवर के एक लिफाफे में तंदूरी रोटी के जले टुकड़े और दूसरे लिफाफे में सब्जी के दागधब्बे लगे थे.

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एक पुलिसकर्मी ने जब शव को पलट कर सीधा किया, तब उस के सिर और गरदन पर चोट के निशान पाए गए थे. वहां मौजूद लोगों में से जब कोई भी शव की शिनाख्त नहीं कर पाया तो पुलिस ने जरूरी काररवाई कर शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

शव की शिनाख्त के बाद उस की पहचान करनाल जिले में नीलोखेड़ा में नील नगर निवासी अमनदीप के रूप में हुई. दरअसल, अमनदीप का शव बरामद होने के एक दिन पहले ही उस के पिता गुरदीप सिंह ने उस के लापता होने की सूचना थाने में दर्ज करवाई थी. जैसे ही गुरदीप सिंह को हाईवे पर गुरुद्वारे के पास युवक की लाश पुलिस द्वारा बरामद करने की सूचना मिली तो वह तरवाड़ी थाने पहुंचे. तब पुलिस उन्हें लाश की शिनाख्त के लिए अस्पताल ले गई. गुरदीप ने उस लाश की शिनाख्त अपने बेटे अमनदीप के रूप में की.

28 वर्षीय अमनदीप ग्राफिक डिजाइनर था. वह रोजाना अपने घर से उचाना गांव में स्थित जी लैब में काम करने के लिए जाता था. रोज की तरह 24 नवंबर को वह अपनी ड्यूटी खत्म कर शाम के साढ़े 4 बजे के करीब अपनी बाइक द्वारा लैब से घर के लिए निकला था, लेकिन वह समय पर घर नहीं पहुंच पाया. काफी समय बीत जाने पर भी जब वह घर नहीं आया, तब उस के पिता गुरदीप सिंह ने उस की तलाश शुरू की.

पिता का चिंतित होना स्वाभाविक था, क्योंकि अमनदीप ने लैब से निकलते ही अपने पिता को फोन कर बाजार से कुछ लाने के लिए पूछा था. इस पर उन्होंने कुछ भी लाने से मना करते हुए जल्द संभल कर घर आने को कहा था. उन्होंने हिदायत दी थी कि अंधेरा होने से पहले वह घर आ जाए, क्योंकि सुनसान इलाके में जगहजगह नशेडि़यों का जमघट लगा रहता है और वे लूटपाट करने के लिए घात लगाए बैठे रहते हैं. संयोग से जब वह रात के साढ़े 9 बजे तक घर नहीं लौटा और उस का मोबाइल फोन नाट रीचेबल बताने पर उस की तलाश की गई. गुरदीप सिंह ने इस की जानकारी पुलिस को दी थी.

अगले दिन पोस्टमार्टम हो जाने के बाद पुलिस ने अमनदीप का शव उस के पिता को सौंप दिया. उसी वक्त एक युवक भागता हुआ आया. वह कुछ बोलनेबताने से पहले ही ठिठक गया. तभी सीआईए-2 के इंचार्ज मोहन लाल ने उस से सवाल किया, ‘‘तुम कौन?’’

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‘‘जी, मैं अमनदीप का दोस्त.’’

‘‘अमनदीप का दोस्त. अरे रविंदर का बोल..’’ अमनदीप के पिता भुनभुनाए.

धीमी आवाज को सुन कर मोहन लाल ने पूछा, ‘‘आप ने अभी कोई नाम लिया, कौन है वह… और यह किस का दोस्त है?’’

‘‘नहीं, कुछ नहीं!’’ यह कहते हुए गुरदीप सिंह अपने बेटे के शव के साथ एंबुलेंस में बैठ गए.

रविंदर कौर आई शक के दायरे में

उधर पुलिस आगे की काररवाई में जुट गई. हत्याकांड के खुलासे के लिए एसपी गंगाराम पूनिया ने एक जांच टीम बनाई. जांच टीम घटनास्थल के दृश्य के आधार पर यह भी मान चुकी थी कि अमनदीप की हत्या पूरी तरह से एक साजिश के तहत की गई होगी, जिस में कम से कम 2-3 लोग शामिल हो सकते हैं.

जांच टीम को आश्चर्य अमनदीप की पत्नी रविंदर कौर को ले कर हुआ. इस की वजह यह थी कि वह एक बार भी थाने नहीं आई थी. जिस समय गुरदीप सिंह बेटे की गुमशुदगी दर्ज कराने आए थे, उस समय भी वह उन के साथ थाने नहीं आई थी और न ही मोर्चरी से लाश सौंपते वक्त.

इस वजह से पुलिस के संदेह की पहली सुई अमनदीप की पत्नी रविंदर कौर की ओर घूम गई थी. उसी रात जांच टीम ने रविंदर को अपनी हिरासत में ले लिया.

गुरदीप सिंह ने पुलिस को बेटे की खोजबीन के लिए कुछ तसवीरें भी दी थीं. उन्हीं में एक तसवीर ऐसी भी थी, जिस में रविंदर कौर एक अन्य युवक के साथ थी, जबकि उस का पति अमनदीप पीछे बच्ची को गोद में लिए खड़़ा था. कई तसवीरों में रविंदर उस युवक के साथ थी, जो विभिन्न आयोजनों, टूरिस्ट जगहों, पार्कों और धार्मिक स्थलों की थीं.

पुलिस ने उस युवक के बारे में गुरदीप सिंह से जानकारी लेनी चाही, लेकिन उन्होंने चिढ़ते हुए कहा कि उस के बारे में रविंदर कौर से ही पूछताछ कर लें तो ज्यादा अच्छा रहेगा.

जांच टीम को उसी वक्त यह बात भी ध्यान में आई कि वही युवक उस समय भी आया था, जब अमनदीप की लाश गुरदीप सिंह को सौंपी जा रही थी. उस समय वह भागता हुआ आया था, लेकिन कब नजर बचा कर वहां निकल गया, पता ही नहीं चला था.

सीआईए इंचार्ज मोहनलाल ने रविंदर को एक फोटो दिखाई. उस में एक फोटो पर अंगुली रखते हुए उन्होंने पूछा, ‘‘तुम्हारी बगल में खड़ा यह लड़का कौन है? कोई रिश्तेदार है?’’

रविदंर कुछ नहीं बोली. चुपचाप बैठी रही. कुछ समय बाद उन्होंने अपना मोबाइल फोन उस के सामने रख कर स्पीकर औन कर दिया. उस पर एक काल की वायस रिकौर्डिंग थी, जो कुछ समय पहले ही आए काल की थी.

फोन से आवाज आने लगी, ‘‘सर, मैं हैडकांस्टेबल बोल रहा हूं. मैं ने उसे पकड़ लिया है, जिस की तसवीर आप ने हमें भेजी थी. उस के साथ एक युवक और पकड़ा गया है. दोनों दिल्ली जाने वाली बस में बैठे थे. आधे घंटे के भीतर उन्हें ले कर मैं थाने आ जाऊंगा.’’

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‘‘तुम ने जिसे पकड़ा है उस का नाम क्या है?’’ मोहनलाल ने पूछा.

‘‘सर, फोटो वाले का नाम सन्नी और दूसरे का नाम कुणाल है.’’ हैडकांस्टेबल बोला.

‘‘ठीक है, दोनों को जितना जल्द हो सके ले कर आओ.’’

उस के बाद फोन से आवाज आनी बंद हो गई. जांच अधिकारी मोबाइल को अपने हाथ में ले ले कर रविंदर को डपटते हुए बोले, ‘‘अब बताओ, सन्नी से तुम्हारा क्या रिश्ता है?’’

सन्नी का नाम आते ही रविंदर के माथे पर पसीने की बूंदें छलक आईं, जबकि सर्दी का मौसम आ चुका था.

जांच अधिकारी ने साथ में खड़ी लेडी कांस्टेबल को एक गिलास पानी लाने को कहा और खुद कमरे का पंखा औन कर दिया, जहां रविंदर से पूछताछ हो रही थी. वह एक केबिननुमा कमरा था. उस में 4-5 लोगों के बैठने की कुरसियों के साथसाथ एक बेंच भी लगा था.

जांच अधिकारी रविंदर के सामने फैली तसवीरों को समेटने लगे. उसी वक्त 2 कांस्टेबल 2 युवकों को पकड़े अंदर घुसे. उन की कमर में रस्सी बंधी थी, जिस का दूसरा सिरा एक कांस्टेबल ने पकड़ रखा था. उन्होंने एक साथ कहा, ‘‘यही दोनों पकड़े गए हैं.’’

‘‘इन में सन्नी कौन है? और दूसरे का नाम तुम ने क्या बताया था?’’ मोहनलाल ने कांस्टेबल से सवाल किया.

‘‘सर, ये सन्नी है. दूसरा वाले का नाम कुणाल है.’’ एक कांस्टेबल ने बताया.

‘‘ठीक है, इन्हें बेंच पर बैठा दो. एक राइटिंग पैड उठाओ और इन के बारे में पूरी जानकारी लिखो. मैं अभी 2 मिनट में आता हूं.’’ यह कहते हुए जांच अधिकारी केबिन से बाहर चले गए.

केबिन में बैठी रविंदर की नजर जब सामने बेंच पर कमर में रस्सी बंधे सन्नी पर पड़ी, तब उस ने सिर झुका लिया. जबकि कुणाल उस की ओर ऐसे देखता रहा, मानो उस से वह कुछ पूछना चाहता हो.

महिला कांस्टेबल पानी का गिलास उस के सामने रखती हुई बोली, ‘‘ये लो पानी पियो, तुम कुछ बोलती क्यों नहीं हो. साहब जो भी सवाल करें, उन का सचसच जवाब दे दो. इसी में तुम्हारी भलाई है.’’

‘‘मैं अब क्या बोलूं? किस के लिए बोलूं? जब पति ही इस दुनिया में नहीं है तो कुछ भी नहीं. कौन होगा मेरा सहारा? बताओ, तुम्हीं बताओ मुझे?’’ इतना कहते हुए रविंदर सुबकने लगी.

उस की आंखों से आंसू बह निकले. उस से अधिक उम्र की लेडी कांस्टेबल रविंदर के सिर पर हाथ रख कर सहलाती हुई बोली, ‘‘देखो, मैं भी औरत हूं, तुम्हारा दर्द समझ सकती हूं. जो हुआ, उसे भूल कर आगे की जिंदगी के बारे में सोचो.’’

‘‘मैं क्या सोचूं, क्या बोलूं… मेरी जिंदगी पहले भी जैसेतैसे चल रही थी और आगे भी वैसी ही रहने वाली है. जिस के साथ जीवन जीने के सपने देखे थे उसे भी तो पकड़ लाए.’’ यह बोलती हुई रविंदर ने सिर झुका कर बैठे सन्नी की ओर इशारा कर दिया.

‘‘अच्छा यही है,’’ लेडी कांस्टेबल के अपनी बात पूरी करने से पहले ही जांच अधिकारी केबिन में एक महिला एसआई के साथ दाखिल हुए.

एक नजर बेंच पर बैठे दोनों युवकों पर डाली, फिर रविंदर की ओर मुड़े, ‘‘हां मैडम, आप को मुझ से कुछ भी बताने से ऐतराज है तब इन के सवालों के जवाब दे दीजिए. पर हां, ध्यान रहे ये थोड़ी कड़क पुलिस वाली हैं.’’ जांच अधिकारी ने साथ आई लेडी एसआई की ओर इशारा किया.

रविंदर ने खोले राज

‘‘सर, इस ने बैठे एक युवक की पहचान कर ली है,’’ लेडी कांस्टेबल बोली.

‘‘शाबाश! यह हुई न बात. ऐसा करो तुम एक डायरी में इस के बारे में सब कुछ नोट करो और मैडम जो उन से सवालजवाब करेंगी, उस की रिकौर्डिंग भी करो. मुझे किसी जरूरी तहकीकात के लिए निकलना है. कल तक अमनदीप की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ जाएगी. उस केस के 2 और लोग पकड़ में आ गए हैं. सोमवार को इन्हें बयानों के साथ कोर्ट में हाजिर कर देंगे.’’

यह कह कर जांच अधिकारी मोहनलाल ने रविंदर और पकड़े गए दोनों युवकों से पूछताछ का काम लेडी एसआई और कांस्टेबल के जिम्मे सौंप दिया.

रविंदर थोड़ी सहज हो चुकी थी. उस ने धीरेधीरे अपने राज खोलने शुरू कर दिए थे. सब कुछ लेडी कांस्टेबल ने लिखना शुरू कर दिया था. उस ने जो बताया, उसी में अमनदीप से ले कर सन्नी और हत्याकांड की सारी बातें थीं. इस तरह से अमनदीप और रविंदर के अलावा सन्नी के साथ संबधों की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

हरियाणा के अंबाला शहर की रहने वाली रविंदर कौर की शादी सन 2016 में करनाल में सानीलोखेड़ी के अमनदीप के साथ हुई थी. इन की शादी के बाद 2 परिवारों की खुशियां एक जरूर हो गई थीं, किंतु रविंदर और अमनदीप की खुशियों का मिलन नहीं हो पाया था.

उन्होंने अरेंज मैरेज को परिवार और समाज के लोगों के बीच सहर्ष स्वीकार कर तो लिया था, लेकिन सुहागरात की सेज पर उन के मन में कई सवाल बने हुए थे. उस दौरान अचानक नवविवाहिता रविंदर ही बोल पड़ी, ‘‘लगता है, आप मुझ से कुछ पूछना चाहते हो?’’

‘‘नहीं तो…’’ शेरवानी के बटन खोलते हुए अमनदीप बोला.

‘‘तो फिर मैं ही पूछ लेती हूं.’’ सिर पर जेवर में उलझी चुन्नी निकालती हुई रविंदर ने कहा.

‘‘आप की पगड़ी खूबसूरत लग रही है. यलो कलर है, अगर पिंक होती तो और भी जंचती.’’ रविंदर ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘तुम्हें पिंक बहुत पसंद है?’’

‘‘मुझे ही क्यों सारी लड़कियों को पसंद होता है पिंक कलर. क्या तुम्हें नहीं पता इस के बारे में?’’ रविंदर बोली.

‘‘मुझे यह सब सोचने का वक्त ही कहां मिलता है. घर से औफिस और औफिस से घर आने में ही काफी समय निकल जाता है. औफिस में भी काम का दबाव बना रहता है.’’ अमनदीप गहरी सांस लेते हुए बोला.

‘‘औफिस में लड़कियां काम नहीं करती हैं क्या? वहां तो लड़कियां एक से एक सजधज कर आती होंगी. उन से भी फैशन, ट्रेंड की बातें होती होंगी, तो फिर…’’

‘‘तो फिर क्या?’’ अमनदीप ने पूछा.

‘‘मेरा मतलब है तुम्हारी कोई लड़की भी दोस्त होगी, कोई गर्लफ्रैंड होगी, जिस से तुम अपने दिल की बात कहते होगे. गिफ्टशिफ्ट देते होगे…’’

‘‘मुझे इन सब चीजों में कभी रुचि नहीं रही है.’’

‘‘इस का मतलब हुआ, आप तो एकदम नीरस किस्म के आदमी हो. मैं तो आप से बिलकुल अलग हूं.’’

‘‘कैसे?’’ अमनदीप ने चौंकते हुए पूछा.

‘‘कैसे क्या, जैसी सभी सुंदर लड़कियों के साथ होता है, मेरे साथ भी हुआ. यही कि मेरे चाहने वाले भी कई थे…’’ रविंदर हंसती हुई बोली.

‘‘कई थे का मतलब?’’ अमनदीप चौंका.

‘‘मतलब यह कि लड़के मुझ से बात करने के लिए आगेपीछे घूमते थे. कइयों ने गिफ्ट दे कर मुझे लुभाने की कोशिश की, लेकिन उन में पसंद आया एक ही. और जब तक मैं उस के दिल की बात समझ पाती, तब तक देर हो चुकी थी,’’ रविंदर बोलती चली गई.

‘‘देर हो चुकी थी क्यों?’’ अमनदीप आगे की बात सुनना चाहता था.

‘‘यही कि मैं यहां आ गई. तुम्हारे सामने हूं. शादी का जोड़ा संभाल रही हूं. कलाइयों की सुहाग चूडि़यां भारी लग रही हैं…’’ रविंदर बोलतेबोलते मायूस हो गई.

‘‘तुम्हारे दिल में जो कुछ बात है बोल दो. मन में कोई बात जमने मत दो.’’

‘‘मैं एक राज की बात बताना चाहती हूं, लेकिन पहले मुझे कसम दो कि उस बारे में किसी से कुछ नहीं कहोगे.’’

‘‘चलो वादा रहा.’’ अमनदीप रविंदर की ओर हाथ बढ़ाते हुए बोला, ‘‘…लेकिन तुम्हें प्यार से घरेलू नाम रिंपी बुलाऊंगा, बुरा तो नहीं लगेगा?’’

‘‘अरे, इस में बुरा लगने वाली बात क्या है. मुझे और अच्छा लगेगा,’’ रविंदर मुसकराती हुई बोली.

इस तरह नवविवाहिताओं की पहली रात कुछ वादेइरादे और गिलेशिकवे को दूर रखने के संकल्प सौगंध के साथ शुरू हुई. नए जीवन की गाड़ी चल पड़ी, लेकिन अमनदीप और रविंदर के दिमाग में एकदूसरे को दूर करने वाला कीड़ा भी कुलबुलता रहा.

उन में पतिपत्नी की तरह प्रेम पनपने के बजाय दिनप्रतिदिन असहजता की भावना भी सिर उठाने लगी थी.जल्द ही रविंदर ने वह बात भी बता दी, जिस बारे में शादी की पहली रात पहेलियां बुझाती हुई अमनदीप से कसम ले ली थी.

दरअसल, रविंदर स्कूल के जमाने के प्रेमी हर्षपाल उर्फ सन्नी को शादी के बाद भी नहीं भूल पाई थी. उस से वह बेइंतहा मोहब्बत करती थी. यह बात उस ने अमनदीप को बता दी थी. इस के बावजूद अमनदीप ने रविंदर को अपना  लिया था. देखते ही देखते दोनों की शादी के 5 साल बीत गए. दोनों एक बेटी के मातापिता भी बन गए.

फिर भी रविंदर के दिल में प्रेमी सन्नी को ले कर दबी हुई आग सुलगती रही. वह प्रेम अगन में सुलगती रही. सन्नी की यादों में खोईखोई सी रहने लगी. जलतीबुझती रही. दिल में सन्नी का प्रेम और उमड़ता रहा.

प्रेमी को हमेशा याद रखने का तरीका ऐसा कि उस ने अपने मोबाइल और सोशल साइट के पासवर्ड में सन्नी की गाड़ी और उस के घर के नंबरों का इस्तेमाल किया था. फोन में अपनी बनाई कोडिंग के जरिए उस का नंवर सेव कर रखा था. जब इच्छा होती, बातें कर या मैसेज भेज कर अपने दिल को सहलासमझा लेती थी.

उस की सन्नी के प्रति समर्पित ये सारी आदतें परिवार में किसी को मालूम नहीं थीं. अमनदीप भी इस से वाकिफ नहीं था. वह सिर्फ इतना जानता था कि सन्नी उस के स्कूल का दोस्त और पुराना प्रेमी है. यहां तक कि रविंदर ने पति को अपने पक्ष में ले कर प्रेमी से मिलवा कर दोस्ती भी करवा दी थी. इस के बाद दोनों पक्के दोस्त बन गए थे.

सन्नी अमनदीप के घर नहीं आता था, लेकिन रविंदर ही उस के साथ समय बिताने का कोई न कोई तरीका निकाल लिया करती थी. छुट्टियों में जब अमनदीप के साथ कहीं घूमने का कार्यक्रम बनाती थी, तब इस की जानकारी सन्नी को भी दे देती थी.

कई बार तो वह अमनदीप की इच्छा के खिलाफ सन्नी को घूमने वाली जगहों पर साथ ले गई. इस तरह से सन्नी मौके पर अमनदीप के निजी पलों की खुशियों में खलल डालने के लिए हमेशा ही प्रकट हो जाता था.

सन्नी की वजह से गृहस्थी में आ गई कड़वाहट

अमनदीप के प्रति पत्नी प्रेम दर्शाने के लिए रविंदर कौर परिजनों की आंखों में आसानी से धूल झोंक देती थी. इस बारे में परिजनों को रविंदर से कोई शिकायत नहीं थी. वह कोई भी काम अकेले नहीं करती थी.

हर छोटेबड़े काम में अमनदीप को साथ कर लेती थी. अमनदीप के अलावा घर के किसी भी सदस्य को रविंदर कौर पर शक नहीं हुआ. दूसरी तरफ अमनदीप अंदर ही अंदर सन्नी और रविंदर के प्रेम को ले कर चिढ़ता रहता था. वह चाह कर भी उसे नाराज नहीं कर पा रहा था. कई बार ऐसे मौके भी आए, जब अमनदीप ने सन्नी को ले कर नाराजगी भी दिखाई. पत्नी से यहां तक कहा कि उसे भूल जाए अब उन का बच्चा भी है, उस के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए.

इस नसीहत का रविंदर पर उल्टा असर होता था. वह उस से झगड़ पड़ती थी. सन्नी की नशे की आदत को ले कर भी अमनदीप चिढ़ता था. जब भी मौका मिलता, रविंदर को ताने मारता था कि उस के दिल में एक नशेड़ी की जगह है, लेकिन उस की नहीं.

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यह बात उस ने सन्नी को भी बताई. उस से सलाह भी मांगी कि ऐसे में उसे क्या करना चाहिए. सन्नी ने उसे सलाह तो नहीं दी, लेकिन अपने मन में एक योजना अवश्य बना ली. रविंदर और सन्नी के प्रेम में अमनदीप बुरी तरह से पिसने लगा था. तनाव में तीनों आ गए थे. उन के मन में एकदूसरे के प्रति अलगअलग किस्म की शिकायतें जबतब फन उठा लेती थीं.

24 नवंबर, 2021 को रविंदर कौर अपनी बहन की शादी में अंबाला में थी. अमनदीप अपने काम की वजह से शादी से जल्दी लौट आया था. सन्नी ने अमनदीप को किसी खास बात के लिए 24 नंवबर की रात को बुलाया था. अमनदीप जब उस के कहने पर सन्नी के पास गया, तब उस ने नशे की हालत में उस से सौरी बोला. सन्नी के साथ उस के 2 दोस्त कुणाल और मनी पेंटर भी थे.

सन्नी अमनदीप से बात करने के लिए हाईवे के बगल के खेत में ले गया. वहां उस ने अमनदीप के दोनों हाथ पकड़ लिए. वह बोला, ‘‘भाई, मैं ने आज तुम से सौरी बोलने को बुलाया है. मैं ने अपनी दूसरी गर्लफ्रैंड से शादी कर ली है. आखिर कब तक रविंदर की यादों में अपनी जिंदगी बरबाद करता. यह बात उसे भी नहीं पता है. मेरे 2 बच्चे भी हैं…’’

यह सब सुन कर अमनदीप अवाक रह गया. कुछ बोलने को ही था कि सन्नी बोला, ‘‘हमारीतुम्हारी यह आखिरी मुलाकात है. चलो थोड़ा साथ पीनेपिलाने का जश्न मनाते हैं.’’ और फिर वे खेत में अंदर चले गए. वहां सन्नी, कुणाल और मनी पेंटर के साथ अमनदीप ने शराब का जश्न मनाया. नशे की हालत में अमनदीप जाने को उठा. चार कदम चला. जेब से मोटरसाइकिल की चाबी निकाली, लेकिन वह वहीं गिर गई.

तभी पीछे से सन्नी के दोस्तों ने अमनदीप के सिर पर हथौड़े से वार कर दिया. अचानक हुए हमले से अमनदीप जमीन पर गिर पड़ा. उस के बाद सन्नी ने आटो स्टार्ट करने वाली रस्सी से अमनदीप का गला घोंट डाला.

पुलिस हिरासत में रविंदर कौर के अलावा सन्नी और कुणाल से हुई पूछताछ में कई बातें सन्नी के बारे में भी मालूम हुईं. और यह भी सबित हो गया कि अमनदीप की हत्या में उस की पत्नी रविंदर कौर भी शामिल थी. रविंदर कौर ने पुलिस को बताया कि उसे अपने पति की मौत का कोई अफसोस नहीं है.

उन से पूछताछ के दरम्यान ही तीसरा फरार आरोपी मनी पेंटर भी गिरफ्तार हो गया. उसे पुलिस छत्तीसगढ़ से पकड़ लाई. पुलिस तीनों आरोपियों को ले कर लुधियाना में अमनदीप की हत्या वाली जगह पर ले गई. वहां हत्या में इस्तेमाल हथौड़ा और चाकू मिल गया.

कानून से बचने के लिए सन्नी ने कई प्रयास किए. यहां तक कि घटनास्थल पर वह 10 नंबर के जूते पहन कर आया, जबकि वह 7 नंबर के जूते पहनता था. वह थाने भी गया. उस ने प्लान बनाया था कि अपने दोस्त के गुम होने की शिकायत दर्ज करवाएगा, लेकिन तब तक अमनदीप का शव बरामद हो चुका था.

सभी आरोपियों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

मनोहर कहानियां: मैनेजर निकली किडनैपिंग की मास्टरमाइंड

नसीम अंसारी कोचर

उत्तरपश्चिमी दिल्ली के शालीमार बाग के रहने वाले विकास अग्रवाल के बैंक्वेट हाल के बिजनैस में रंगत आ गई थी. बीते साल अच्छी तरह से बीते दशहरादीपावली के बाद शादियों का मौसम आ चुका था. वह खुश थे कि 2021 के लौकडाउन की कई बंदिशें हटाई जा चुकी थीं. जिस से शादियों के लिए बैंक्वेट हाल की बुकिंग तेजी से होने लगी थी.

दिसंबर 2021 की बात है. विकास अग्रवाल 17-18 दिसंबर की शादी की बुकिंग के लिए तैयारियों में लगे थे. काम बहुत था. सब कुछ शादी करवाने वाली पार्टियों के और्डर और फरमाइशों के मुताबिक करना था. बैंड वाले, कैटरिंग वाले, डीजे वाले, फोेटोवीडियो शूट वाले, घोड़ी वाले से ले कर सजावट तक में किसी भी तरह की चूक नहीं रहने देना चाहते थे.

सजावट पर तो उन का विशेष ध्यान था. वे चाहते थे कि लाइटों के अलावा सजावट में ताजे फूलों को ज्यादा से ज्यादा लगाएं. इन सब के लिए अग्रवाल ने अलगअलग डिपार्टमेंट बना रखे थे. मैनेजर ऋचा सब्बरवाल को सभी डिपार्टमेंट को संभालने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. साथ ही वह डेकोरेशन का काम भी देखती थी. डेकोरेशन में कोई कमी होने पर एक पार्टी ने पैसा काट लेने की बात कही थी. इसलिए अग्रवाल अपने साथ 18 साल के बेटे किंशुक का भी सहयोग लेने लगे थे. मार्केटिंग के लिए उसे भी अपने स्टाफ के साथ भेजते थे.

विकास अग्रवाल चाहते थे कि 12वीं में पढ़ने वाला उन का बेटा धीरेधीरे उन के बिजनैस के बारे में सीखसमझ ले. यही कारण था कि मार्केटिंग वगैरह के लिए उसे भी अपने स्टाफ के साथ भेजते थे.

विकास ने 17 दिसंबर 2021 की सुबहसुबह फूल खरीद लाने के लिए मैनेजर ऋचा और ड्राइवर जितेंद्र के साथ किंशुक को भी दिल्ली-यूपी बोर्डर से सटे गाजीपुर फूलमंडी भेज दिया था.

वे सुबह 6 बजे के करीब फूलमंडी पहुंच गए थे. गाजीपुर फूलमंडी पटपड़गंज इंडस्ट्रियल एरिया पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आती है. उन्होंने मंडी जा कर अच्छेखासे फूल खरीद लिए थे. जितेंद्र, ऋचा और किंशुक अपनेअपने हाथों में फूलों का एकएक गट्ठर ले कर सड़क के किनारे पार्क गाड़ी के पास आ गए. ड्राइवर ने गाड़ी की डिक्की खोली और सभी ने उन में फूलों के गट्ठर रख दिए.

तब तक किंशुक गाड़ी की अगली सीट पर जा कर बैठने लगा. ऋचा मना करती हुई उस से बोली, ‘‘अरे वहां नहीं, पीछे की सीट पर बैठो न सेठ की तरह. तुम हमारे मालिक के बेटे हो, तो तुम भी तो सेठ हुए न.’’

और फिर ऋचा मुसकराने लगी. किंशुक भी आज्ञाकारी की तरह पीछे की सीट जा बैठा और ऋचा ड्राइवर सीट के बगल में बैठ गई. कुछ समय में जितेंद्र भी रजनीगंधा के फूलों का बंडल ले आया. उसे डिक्की में संभाल कर रख दिया और ड्राइवर की सीट पर बैठ गया.

तभी काले रंग की जैकेट, कैप और मास्क पहने हुए एक व्यक्ति किंशुक का गेट खोलते हुए घुस आया और उसे दूसरी तरफ धकेल दिया. उस ने फुरती से सामने बैठे ड्राइवर पर पिस्तौल तान दी. बोला, ‘‘चुपचाप मैं जैसे कहता हूं करो. जहां कहता हूं चलो.’’

तब तक जितेंद्र गाड़ी स्टार्ट कर चुका था. ऋचा अचानक हुई इस हलचल से पीछे देखने के लिए मुड़़ी. गाड़ी में जबरन आ घुसा व्यक्ति पिस्तौल की नोंक उस की तरफ घुमाते हुए बोला, ‘‘कोई आवाज नहीं. कोई फोन नहीं. तू चुपचाप बैठी रह और आगे देख, पीछे नहीं मुड़ना, वरना…’’

ऋचा डर कर आगे देखने लगी और जितेंद्र ने गाड़ी आगे बढ़ा दी.

‘‘अरे उधर नहीं, अशोक विहार चलो.’’ कहते हुए अज्ञात व्यक्ति ने पिस्तौल जितेंद्र की कनपटी पर तान दी. दूसरे हाथ से उस ने किंशुक के सिर को साथ लाए गमछे से लपेट लिया और अपनी गोद में नीचे झुका दिया. उसे भी डांटते हुए बोला, ‘‘चुपचाप से बैठा रह नहीं तो तुम्हें भी नहीं छोडूंगा.’’

‘‘मुंह खोल दो सांस नहीं ले पा रहा हूं. मैं चुपचाप बैठूंगा. शोर नहीं मचाऊंगा.’’ किंशुक मिमियाता हुआ बोला.

‘‘चलो ठीक है गमछा हटा लेता हूं.’’ किंशुक के चेहरे से भले ही गमछा हटा दिया गया हो, लेकिन उस की गरदन में लिपटा रहा और उसे वह अज्ञात व्यक्ति मजबूती से पकड़े रहा.

यह सब जितेंद्र अपने सामने लगे शीशे में देख कर समझ गया कि किंशुक का किडनैप हो चुका है और वे सभी किडनैपर की गिरफ्त में हैं. पिस्तौल देख कर तीनों घबरा गए. फिर जितेंद्र ने वैसा ही किया, जैसा वह किडनैपर कहता गया. उस के इशारे पर दाएंबाएं गाड़ी को मोड़ता रहा. अशोक विहार के रास्ते पर किडनैपर ने किंशुक के मोबाइल फोन से उस के पिता विकास अग्रवाल को वाट्सऐप काल किया. उन से कहा कि उस ने उन के बेटे का किडनैप कर लिया है. एक करोड़ रुपए की फिरौती मिलने के बाद ही उसे छोड़ेगा.

सुबहसुबह एक करोड़ फिरौती की बात सुन कर विकास अग्रवाल के होश उड़ गए. वह फोन पर किडनैपर से मिन्नतें करने लगे, ‘‘मेरे पास उतने पैसे नहीं हैं. मैं कहां से दूं पैसे… प्लीज मेरे बेटे को कुछ मत करना…’’

किडनैपर ने बात पूरी होने से पहले ही फोन कट कर दिया और भुनभुनाने लगा, ‘‘हरामजादा, कहता है पैसे नहीं हैं. शादियों के 20-20 लाख की बुकिंग करता है, कहां गए पैसे? …चल रे, गाड़ी घुमा इसे गाजियाबाद ले चलते हैं. वहीं ठिकाने लगा देंगे.’’

‘‘ऐसा मत करना, मेरे मालिक बहुत अच्छे हैं. मुझे पता है उन्होंने बड़ी मुश्किल से काम शुरू किया है.’’ जितेंद्र बोला.

उस की बात खत्म होते ही किंशुक के मोबाइल पर विकास अग्रवाल की काल आ गई. किडनैपर काल में पापा लिखा देख कर समझ गया विकास का ही फोन है. उस ने तुरंत फोन काट दिया और किंशुक से बोला, ‘‘पापा को बोल वाट्सऐप से काल करें.’’

किंशुक ने वैसा ही किया, जैसा किडनैपर ने कहा.  कुछ सेकेंड में ही वाट्सऐप पर काल आ गई. किडनैपर ने झट अपने हाथ में फोन ले लिया. उधर से विकास के गिड़गिड़ाने की आवाज आने लगी, ‘‘देखो, मेरे पास उतने पैसे नहीं हैं. मेरे बेटे को कुछ मत करना. 50 लाख तक का इंतजाम कर सकता हूं मैं.’’

‘‘ज्यादा चालाकी मत दिखाओ. जल्दी करो, वरना मैं इसे ले कर गाजियाबाद जा रहा हूं. फिर इस का जो होगा समझ लेना.’’

‘‘नहींनहीं, मैं आधे घंटे में 50 लाख का इंतजाम कर लूंगा,’’ विकास ने कहा.

‘‘चलो तुम्हारी बात मान लेता हूं, लेकिन आधा घंटा नहीं. केवल 20 मिनट. पैसे 2 अलगअलग थैलियों में आधाआधा रख कर अशोक विहार में पार्क के गेट से पहले कूड़ेदान के पास मिलना.’’ यह कहते हुए किडनैपर ने फोन कट कर दिया. जितेंद्र ने पीछे मुड़ना चाहा, तो किडनैपर फिर पिस्तौल उस की कनपटी पर सटाते हुए बोला, ‘‘तू अशोक विहार ही चल. तिकोना पार्क की बाउंड्री के पास.’’

फिरौती में दे दिए 50 लाख रुपए

उधर विकास अग्रवाल जल्दी ही रुपए ले कर बताई गई जगह पर पहुंच गए. कुछ मिनट में ही जितेंद्र की गाड़ी वहां पहुंच गई. किडनैपर ने विकास से पैसे की थैलियां ले लीं और किंशुक, जितेंद्र और ऋचा को गाड़ी से उतरने को कहा.

विकास को जितेंद्र की जगह ड्राइविंग सीट पर बैठने को कह कर खुद उस की बगल वाली सीट पर बैठ गया. पिस्तौल अब भी उस के हाथ में थी, जो विकास की ओर तनी थी. उस ने विकास को गाड़ी चलाने को कहा.

विकास उस के इशारे पर अपनी कार को आधे घंटे तक सड़कों पर दौड़ाते रहे. अंत में किडनैपर ने पश्चिम विहार की मुख्य सड़क पर रेडिसन होटल के पास गाड़ी रोकने को कहा. गाड़ी रुकते ही किडनैपर उतर गया. विकास को गाड़ी ले जाने के लिए कहा.

किडनैपर के उतरते ही विकास की जान में जान आई. किंशुक के मुक्त होने पर वह पहले ही निश्चिंत हो चुके थे. उन्होंने तुरंत शालीमार बाग की ओर गाड़ी घुमा ली और तेजी से अपने घर की ओर निकल गए.

विकास दिन में करीब 11 बजे घर आ गए. घर पर किंशुक को खाने की टेबल पर देख कर खुश हो गए. गले लगे और सिर्फ इतना पूछा, ‘‘तू ठीक है न? उस ने तुम्हारे साथ मारपीट तो नहीं की न?’’

किंशुक बोला, ‘‘नहीं पापा.’’

विकास अग्रवाल के दिमाग में खलबली मची हुई थी. वह पूरा वाकया जानना चाहते थे. बेटे के मुंह से सुनना चाहते थे.

किंशुक ने फूल खरीदने से ले कर किडनैपिंग और घर तक पहुंचने की सिलसिलेवार ढंग से कहानी सुना दी. उसी क्रम में उस ने बताया कि ऋचा रास्ते से ही औफिस चली गई और वह ड्राइवर के साथ घर आया.

विकास को यह बात बड़ी अजीब लगी कि इतनी बड़ी घटना हो जाने के बावजूद वह उन का घर लौटने तक इंतजार करना तो दूर घर तक आई भी नहीं. हालांकि इस पर ज्यादा सोचने के बजाय इस उधेड़बुन में लग गए कि इस घटना की सूचना पुलिस को दी जानी चाहिए या नहीं?

थोड़ी देर में वह तैयार हो कर वैंक्वेट हाल का काम देखने के लिए अपने औफिस आ गए. वहां ऋचा उस रोज की बुकिंग के लिए सजावट के काम में लगी हुई थी.

उन्होंने उसे और जितेंद्र को औफिस में बुलवाया. उन से भी किडनैपिंग की घटना के बारे में पूरा किस्सा सुना. साथ ही पूछा कि क्या वे लोग किडनैपर को पहचान लेंगे?

इस पर उन्होंने कहा कि वह अपना चेहरा पूरी तरह से ढंके हुए था और गाड़ी में आगे बैठे होने के कारण उस की कदकाठी या चालढाल पर ध्यान ही नहीं दिया.

औफिस के केबिन से ऋचा के जाने के बाद जितेंद्र से विकास ने पूछा, ‘‘जितेंद्र, ऋचा इतनी निराश और उखड़ी हुई क्यों लग रही है?’’

‘‘सर जी, वह इस घटना के बाद निराश इसलिए हो गई, क्योंकि उसे लगता है कि अब तो उस की सैलरी किसी भी कीमत पर नहीं बढ़ सकती. यह बात आप के आने से पहले बोल रही थी.’’ जितेंद्र बोला.

‘‘अब तू ही बता न मैं क्या करूं? अभी काम थोड़ा चलना शुरू हुआ ही था कि एक और आफत आ गई. मैं ने कैसेकैसे कर उतने रुपए जुटाए, मैं ही जानता हूं. सोचता हूं पुलिस में इस की शिकायत करवा दूं. शायद किडनैपर पकड़ा जाए और पैसे मिल जाएं. क्यों तुम क्या कहते हो?’’ विकास ने सलाह ली.

‘‘अपने लोगों से भी इस पर सलाह ले लीजिए. मैं क्या बोलूं? मैं ठहरा छोटा आदमी.’’ ऐसा बोल कर ड्राइवर चला गया.

उस के जाने के बाद विकास अग्रवाल ने एक कप कौफी मंगवाई. कौफी की घूंट लेते हुए इसी सोच में डूबे रहे पुलिस को शिकायत करें या नहीं. मन में 2 बातें आजा रही थीं. अगर करते हैं, तो थाने कोर्ट का चक्कर लग जाएगा. काफी काम पसरा हुआ है. अगर नहीं करते हैं, तो किडनैपर उसे डरा हुआ समझेगा और हो सकता है वह दोबारा ऐसा कर दे.

इसी उहापोह में उन्होंने अपने कुछ खास कारोबारी मित्रों और पत्नी तक से सलाह ली. अधिकतर का कहना था कि पुलिस में शिकायत की जानी चाहिए. कइयों ने दावे के साथ कहा कि ऐसा करने पर पुलिस अगर चाहे तो फिरौती का पैसा वापस भी मिल सकता है.

अंतत: विकास अग्रवाल ने अगले रोज 18 दिसंबर, 2021 को पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज इंडस्ट्रियल एरिया थाने में अपहरण की शिकायत दर्ज करवाने पहुंचे. उन्होंने थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार को पूरी घटना का जिक्र करते हुए गुजारिश की कि अपहर्त्ता के खिलाफ काररवाई कर उन से वसूला गया पैसा वापस दिलाया जाए.

थानाप्रभारी ने जितेंद्र और किंशुक के अलावा ऋचा को भी गवाही के लिए बुलाया. लेकिन ऋचा नहीं आ पाई. उस ने जितेंद्र को सुबह के समय ही फोन पर कह दिया था कि उस की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए वह औफिस नहीं आ पाएगी.

थानाप्रभारी ने इस की सूचना डीसीपी प्रियंका कश्यप को दे दी. अपहरण और फिरौती दे कर छूटे किशोर की घटना पुलिस को काफी अलग तरह की लगी. इसलिए डीसीपी प्रियंका कश्यप ने किडनैपर की तलाश के लिए एसीपी (मधु विहार) नीरव पटेल के नेतृत्व में एक पुलिस टीम का गठन किया. टीम में थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार, एसआई नरेंद्र, एएसआई खलील, हैडकांस्टेबल भूपेंद्र, संदीप, कांस्टेबल नितिन राठी, आदि शामिल किए गए.

पुलिस टीम ने खंगाली 200 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज

विकास अग्रवाल ने जांच टीम को घटनाक्रम की पूरी कहानी बताई. उन्होंने बताया कि वह दिल्ली के शालीमार बाग में परिवार के साथ रहते हैं. उन के 2 बच्चे हैं. 18 वर्षीय बेटा किंशुक और उस से छोटी एक बेटी है.

घटना के दिन किंशुक बैंक्वेट हाल की सजावट के लिए गाजीपुर फूलमंडी से अपने ड्राइवर और बैंक्वेट हाल की मैनेजर कम डेकोरेटर के साथ फूल खरीदने गया था. वहीं उस का किडनैप हो गया था.

मधु विहार क्षेत्र के एसीपी नीरव पटेल ने जांच टीम को 2 मुख्य काम सौंपें. पहला, उन सड़कों और दुकानों आदि पर लगे सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जाए, जिन पर एक दिन पहले विकास अग्रवाल की कार करीब 4 घंटे घूमती रही और दूसरा सभी के फोन काल रिकौर्ड्स की जांच की जाए.

इस सिलसिले में पुलिस ने जांच शुरू की, लेकिन 70 किलोमीटर की सड़कों पर जगहजगह लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच का काम आसान नहीं था, मगर उन की टीम इस काम को अंजाम देने में जुट गई थी. 4 दिनों तक रातदिन एक कर करीब 200 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली गई.

उन में विकास की कार कई सड़कों पर दौड़ती दिखाई दी. फिर वह जगह सामने आई, जहां किडनैपर कार से नीचे उतरा था. कुछ मिनट बाद वह एक आटो में बैठ गया था.

पुलिस टीम उन सभी रास्तों के सीसीटीवी फुटेज खंगालती है जिन रास्तों पर किडनैपर को ले कर जाता वह आटो दिखाई दिया. बीच में एक किलोमीटर के रास्ते में आटो कहीं नजर नहीं आया.

ऐसा होने पर पुलिस को लगा कि उन की सारी मेहनत बेकार हो गई. फिर भी टीम ने हिम्मत नहीं हारी. एक बार फिर से सीसीटीवी देखे गए. कड़ी मेहनत के बाद अचानक एक रास्ते पर फिर वह आटो दिखाई दे गया. किडनैपर उसी आटो से एक पैट्रोल पंप के पास उतर गया था. टीम ने लगातार उस के मूवमेंट पर नजर बना रखी थी.

स्कूटी सवार से मिली सफलता

अगली फुटेज में एक स्कूटी सवार उस के पास आता दिखा. किडनैपर जल्दी से उस स्कूटी पर बैठ कर चल दिया. स्कूटी त्रिनगर के ओंकार नगर की ओर जाती नजर आई. सीसीटीवी फुटेज के जरिए पुलिस ने स्कूटी और लड़के की पहचान कर ली गई.

इस तरह मिले महत्त्वपूर्ण सुरागों के सहारे पुलिस पहले उस स्कूटी वाले लड़के तक पहुंची. उस के बाद पुलिस के हाथ वह किडनैपर भी लग गया, जिस ने किंशुक का अपहरण कर 50 लाख रुपए की फिरौती वसूली थी.

पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की. किडनैपर ने अपना नाम  गुरमीत सिंह बताया. उस की गिरफ्तारी के बाद किडनैपिंग की चौंका देने वाली कहानी सामने आई, जिस के बारे में विकास अग्रवाल कभी सोच भी नहीं सकते थे.

उन्हें आश्चर्य हुआ कि पूरी तरह से उन के खिलाफ रची गई साजिश के तहत अपहरण  किया गया था. उस का मास्टरमाइंड और कोई नहीं, बल्कि उन की मैनेजर 33 वर्षीया ऋचा सब्बरवाल थी.

घटना के अगले दिन से ही ऋचा तबीयत खराब होने का बहाना बना कर काम पर भी नहीं आ रही थी. पुलिस ने उस के मानसरोवर गार्डन निवास से उसे गिरफ्तार कर लिया. उस से गुरमीत का सामना करवाया गया. फिर पूछताछ की गई.

वह अपने पति निकुल सब्बरवाल और 2 बच्चों के साथ दिल्ली के मानसरोवर गार्डन क्षेत्र में रह रही है. उस ने बताया कि किडनैपिंग का काम उस ने मजबूरी में किया. लौकडाउन में उस के पति को कारोबार में भारी घाटा हुआ था. कारोबार ठप हो गया था. उस के लिए अपनी थोड़ी सी तनख्वाह से घर चलाना मुश्किल हो गया था.

2 बच्चों की पढ़ाई का बोझ भी उस पर था. उस के पति ने कई जगह से पैसा उधार ले रखा था. परिवार पर मोटा कर्ज भी चढ़ गया था. बैंक्वेट हाल में उसे 25 हजार रुपए महीने मिलते थे. इस से घर का खर्च ही पूरा नहीं हो पा रहा था. कर्ज की भरपाई करना तो बहुत दूर की बात थी.

मैनेजर ऋचा ने रची पूरी साजिश

उस ने अपने मालिक विकास अग्रवाल से सैलरी बढ़ाने और प्रमोशन करने को कहा था. उन्होंने सैलरी बढ़ाने से साफ इनकार कर दिया था. इस कारण ही ऋचा ने अपने एक 36 वर्षीय दोस्त गुरमीत सिंह और उस के दोस्त 35 वर्षीय कमल बंसल के साथ मिल कर विकास अग्रवाल के बेटे किंशुक के अपहरण की साजिश रच डाली.

बैंक्वेट हाल की सजावट के लिए फूलमंडी गाजीपुर से फूल लेने किंशुक को भी जाना था. ऋचा को यह मौका सब से अच्छा लगा. उस ने गुरमीत और कमल से बात की.

दोनों ऋचा की साजिश में शामिल हो गए. ऋचा ने इस साजिश में अपनी 56 वर्षीय मां अनीता सब्बरवाल को भी शामिल कर लिया, लेकिन पति निकुल सब्बरवाल को इस साजिश की भनक तक नहीं लगने दी.

17 दिसंबर की सुबह किंशुक ऋचा और जितेंद्र के साथ गाजीपुर मंडी पहुंचे थे. फूल आदि खरीदने के बाद जब तीनों बाहर निकले और अपनी कार में बैठे. तभी कार के पिछले दरवाजे को खोल कर गुरमीत सिंह अंदर घुस आया था.

इस तरह अपहरण की घटना को अंजाम देने के बाद पैसे ले कर आराम से चला गया. पहले आटो, फिर स्कूटी से फरार होने में सफल हो गया. पुलिस ने उस से फिरौती की 50 लाख की रकम में से 40 लाख रुपए बरामद भी कर लिए. बाकी के 10 लाख रुपए ऋचा ने अपन कर्ज आदि चुकाने में लगा दिए थे.

नीरव पटेल ने बताया कि पूरी साजिश ऋचा व गुरमीत सिंह की रची हुई थी. इस में ऋचा के पति की कोई भूमिका नहीं थी. बाद में ऋचा की मां अनीता को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

स्कूटी चालक कमल बंसल को भी पुलिस ने ओंकार नगर से ही गिरफ्तार किया. इन लोगों के पास से कुल 40 लाख रुपए की बरामदगी हुई. इस में सब से मजे की बात यह  रही कि किडनैपर ने जिस पिस्तौल की नोक पर पूरे कांड को अंजाम दिया था वह एक टौय गन यानी नकली थी.

दिल्ली पुलिस ने सभी अपराधियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 364ए (अपहरण व फिरौती के लिए अपहरण) और 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) और आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.

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