खुदकुशी- भाग 1: सोनी का आखिर क्या दोष था

आज के समाज में लड़की समय के बीतने से जवान नहीं होती बल्कि उसे घूरघूर कर जवान कर दिया जाता है. सोनी, पूजा, सीमा इन्हीं लड़कियों में से हैं जिन्हें लोगों ने समय से पहले जवान कर दिया था. अभी ये तीनों टीनएजर्स हैं और छोटे शहर के तथाकथित आधुनिक समाज की आधुनिक लड़कियां हैं जो बौयफ्रैंड बनाना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझती हैं. सोनी नहीं समझ सकी थी कि उस के जानेपहचाने लड़के जिन्हें वह अपना बौयफ्रैंड समझती थी, उसे इतना तंग और अपमानित कर देंगे कि एक दिन उसे दुनिया छोड़नी पड़ेगी. वह जिन्हें अपने आसपास हर वक्त देखती थी, जिन के साथ प्राय: घूमने, ट्यूशन पढ़ने व कालेज जाती थी वही उसे अपनी जान देने को मजबूर कर देंगे. वह सोच रही थी कि आखिर ये सभी लड़के पूजा के साथ भी तो इधरउधर घूमते नजर आते थे. पूजा ही तो उसे भेजा करती थी उन लड़कों में से कभी एक के पास और कभी दूसरे के पास. उस वक्त तो वे लड़के उस के साथ बड़े रहमदिल की तरह पेश आते थे, उस की किताबें ले लेते थे, उसे बाइक पर कहीं दूर लंबे सफर पर भी ले जाते थे. ये लोग उस का कुछ नहीं बिगाड़ सकते, मजाक कर रहे हैं, फिर छोड़ देंगे, वह समझती थी. लेकिन उन लड़कों के उस के साथ शारीरिक रोमांस को वह समझ नहीं पाई थी. वह खुश होती थी. जब दोएक सहेलियों के साथ वह होटल या रेस्तरां में जाती थी तो कभी बिलविल के चक्कर में वह नहीं पड़ी. बस चाट खाई, आइसक्रीम खाई, चाइनीज फूड लिया, इतने से ही उसे मतलब रहता था. यह तो वह जानती थी कि उस की सहेली पूजा होटल के अंदर किसी कमरे में अपने किसी बौयफ्रैंड से मिलने गई है, बातें करती होगी ऐसा सोचती थी वह. वह यह नहीं सोचती थी कि बातों के अलावा भी कोई और संबंध एक जवान होती लड़की एक लड़के से बना सकती है.

दीनदुनिया से बेखबर सोनी ऐसे परिवार में पलीबढ़ी थी जहां सिर्फ प्यार ही था. मातापिता का प्यार, भाई का प्यार, चाचाचाची का प्यार, दादादादी का प्यार. कला की छात्रा रही सोनी सैक्स के बारे में सिर्फ इतना ही जानती थी जितना एक सभ्य युवती जानती है. शादी के पहले सैक्स की कोई जरूरत ही नहीं होती ऐसी युवतियों को. सोनी वैसी लड़कियों में से थी जो शादी के बाद अपनी सुहागरात में सैक्स के टिप्स अपनी भाभियों, बड़ी बहनों या फिर कामसूत्र की पुस्तकों से लिया करती हैं. गहराई तक जाने वाला सैक्स जो हमारे समाज में शादी के बाद ही जाना जाता है या यों कहिए जानना चाहिए, सोनी नहीं जानती थी. अगर सोनी गलत संगत में नहीं पड़ी होती तो शायद जिंदगी का भरपूर आनंद उठा रही होती. सोनी को यह नहीं मालूम था कि लड़के तो लड़के, मर्द किसी भी उम्र की लड़कियों के वक्ष और नितंबों को किस कारण से घूरते हैं. सोनी को यह भी नहीं मालूम था कि उस के साथ रहने वाले लड़के उसे अपनी तीसरी आंख से पूर्ण नंगा कर कई बार देख चुके हैं. सोनी कभीकभी अपनी सहेलियों से पूछती थी कि वे क्यों उसे मना करती हैं होटल और रेस्तरां में घटने वाली तमाम बातों को मम्मीपापा को न बताने को, जिस पर उस की सहेलियां उत्तर देने के बजाय उसे धमकी देती थीं कि वे कभी उसे कहीं भी नहीं ले जाएंगी. बाइक पर घूमने का मौका फिर कभी नहीं मिलेगा. सोनी चुप हो जाया करती थी और घर पर भी कुछ नहीं कहती या पूछती थी. फिर भी सयानी होती लड़की थी, कालेज में, महल्ले में अपनी सहेलियों और उन के बौयफ्रैंड्स के बारे में कई उलटीसीधी बातें सुनती थी तो उस का जिक्र वह अपनी सहेली पूजा से अवश्य करती, लेकिन वह उसे टाल जाती.

पूजा और सीमा होस्टल में अपने घर से दूर रह कर पढ़ाई कर रही थीं. खुले व विद्रोही विचारों वाली पूजा और सीमा में खूब पटती थी, वे लड़कों से मजा लेने की हिमायती थीं और लड़कों से खूब खर्च भी करवाती थीं और उन के साथ हमबिस्तर भी होती थीं. पूजा और सीमा का मानना था कि जब उन के बौयफ्रैंड्स वीरेंद्र, गोपी और राजू को उन के साथ शारीरिक संबंध बनाने में कोई रोकटोक नहीं है तो उन लोगों को भी समाज या आसपास के लोग कैसे रोक सकते हैं. पूजा को फुरसत ही नहीं थी कि वह अपने बौयफ्रैंड के साथ हुए शारीरिक संबंधों के बारे में सोचे कि उस की इन हरकतों से उस के सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ रहा है या उस के परिवार को इस का क्या खमियाजा भुगतना पड़ सकता है. समाज उस के प्रति क्या धारणा बना रहा है, उस के अनैतिक संबंध के प्रति, तो फिर वह सोनी के दिलोदिमाग में क्या चल रहा है, इस की चिंता क्यों करती. देह सुख की लत लग गई थी पूजा और सीमा को. यही देह सुख सोनी को भी प्रदान करना चाहती थीं पूजा और सीमा इसलिए धीरेधीरे सोनी को भी देह सुख हासिल करने की प्रक्रिया में डाल रही थीं. पूजा और सीमा के लिए देह सुख दुनिया का सब से बड़ा सुख था उसे वे किसी भी कीमत पर हासिल करने की चाहत रखती थीं. पूजा और सीमा कहा करती थीं कि देह सुख दुनिया का सब से बड़ा सुख है. तख्त ओ ताज पलट गए इसी देह सुख प्राप्ति में.

देशविदेश के कई नामीगिरामी साहित्यकार, कवि, वैज्ञानिक जिन के लिए हमारे मन में बड़ी इज्जत हो सकती है जैसे फ्रांस के चर्चित लेखक वाल्जाक ने अपनी उम्र से बड़ी महिला डी बर्नी के साथ वर्षों यौनाचार किया, टैलीफोन के आविष्कारक अलैक्जेंडर ग्राहम बेल अपनी छात्रा मैविल हार्वर्ड के साथसाथ उस की मदद से कई अन्य छात्राओं के साथ भी लगातार यौनाचार करते रहे. अंगरेज कवि लौर्ड वायरन जिन की कविताएं हम अंगरेजी साहित्य में पढ़ते हैं अपने मित्र कैरो की सास के साथ यौनाचार करते रहे, प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने अपनी पत्नी को धोखा दे कर नर्स एल्सा लोवेंथल से जीवनभर यौनाचार किया, साम्यवाद के जनक कार्ल मार्क्स ने अपनी नौकरानी के साथ न सिर्फ यौनाचार किया बल्कि उसे गर्भवती भी बना दिया था. यौनाचार से पूरा इतिहास भरा पड़ा है अगर लिखने बैठ जाऊं तो इन साहित्यकारों, कवियों, वैज्ञानिकों के यौनाचार पर पुस्तक लिख सकती हूं, पूजा ने अपनी जानकारी पर गर्व करते हुए कहा था, सीमा ने भी हामी भर दी थी.

मनोहर कहानियां: सूटकेस में बंद हुई प्यार की दास्तान

बात 24 मार्च, 2022 की है. रात के 8 बज गए थे. हरिद्वार के पीरान कलियर में स्थित दून साबरी गेस्टहाउस का मैनेजर कमरेज उस रोज दोपहर बाद ठहरे लोगों की डिटेल रजिस्टर में एंट्री कर रहा था. तभी अचानक उस की नजर एक नीले रंग के बड़े सूटकेस पर पड़ी, जिसे एक युवक लगभग घसीटते हुए ला रहा था. युवक की बौडी लैंग्वेज से सूटकेस के भारीपन का अंदाजा लगाया जा सकता था. वह युवक बड़ी मुश्किल से उसे ला रहा था.

सूटकेस को देख कर कमरेज को याद आया कि करीब 4-5 घंटे पहले ही यह युवक इस सूटकेस और एक युवती के साथ गेस्टहाउस में आया था. दोनों स्कूटी से आए थे. युवती एक हाथ से सूटकेस को सहारा देते हुए पकड़े थी, जबकि दूसरे हाथ में केक का एक छोटा डिब्बा था. दोनों को मुश्किल से संभाले थी.

संयोग से रजिस्टर में 6 एंट्री के पहले ही कमरेज ने दोनों के नाम लिखे थे. युवक ने अपना नाम गुलबेज और युवती का नाम काजल लिखवाया था. उन्होंने पता हरिद्वार के ज्वालापुर का दिया था.

इस पर मैनेजर कमरेज को आश्चर्य हुआ था कि कोई व्यक्ति उसी शहर का हो और गेस्टहाउस में ठहरे. किंतु उस के स्कूटी से आने के कारण समझा कोई लोकल होगा. कई बार घरेलू आयोजनों की वजह से कुछ लोग कुछ घंटे के लिए होटल या गेस्टहाउस का कमरा बुक करवा लेते हैं.

खैर, उस वक्त कमरेज को युवक पर संदेह हुआ, क्योंकि उस ने तब तक गेस्टहाउस नहीं छोड़ा था और अपना सामान ले कर जा रहा था. उस के दिमाग में सवाल कौंध गया, ‘आखिर वह सूटकेस ले कर कहां जा रहा है? वह भी अकेले और उस की स्कूटी कहां गई, जिस पर वह आया था?’

संदेह का एक कारण और भी था कि पहले गुलबेज गेस्टहाउस में युवती के साथ आया था. वह सूटकेस लिए थे, जिस के उठाने या ले जाने से हलका प्रतीत हो रहा था. युवती उसे बड़ी आसानी से एक सहारे से स्कूटी पर पकड़ कर लाई थी.

कमरे तक सूटकेस को युवक बड़ी आसानी से खुद ले गया था. किंतु जब वह वापस जा रहा था, तब सूटकेस काफी भारी भी लग रहा था और साथ में युवती भी नहीं थी.

कमरेज ने तुरंत पास बैठे लड़के से कहा, ‘‘सोनू जा, भाग कर देख तो थर्ड फ्लोर के कोने वाला कस्टमर कमरा खाली कर गया क्या?’’

सोनू कस्टमर के कमरे की तरफ भागा. कमरा खुला मिला. कमरेज ने इधरउधर नजर दौड़ाई, लेकिन युवती कमरे में कहीं नजर नहीं आई.

मैनेजर भी काउंटर छोड़ कर मेन गेट तक आ गया. सोनू भी जल्द भागता आ कर बताया, ‘‘कमरे में तो कोई नहीं है. कमरे का दरवाजा भी पूरा खुला है.’’

यह सुन कर कमरेज को दाल में कुछ काला नजर आया. लपक कर युवक के पास जा पहुंचा. मैनेजर ने युवक से कड़कती आवाज में पूछा, ‘‘अरे भाई, बगैर बताए सूटकेस ले कर कहां जा रहे हो?’’

‘‘जी…जी…’’ युवक सकपका गया. कुछ ज्यादा नहीं बोल पाया.

‘‘जी, जी क्या करते हो? तुम्हारे साथ जो लड़की आई थी वह कहां है? तुम ने गेस्टहाउस चैक आउट किया? सूटकेस में क्या रखा है, जो इतना भारी हो गया?’’ कमरेज ने लगातार कई सवाल दाग दिए.

युवक कोई जवाब दिए बिना कमरेज को देखने लगा.

‘‘मुझे क्या देखते हो? मैं जो पूछ रहा हूं उस का जवाब दो और इस सूटकेस में क्या है? इतना भारी क्यों है?’’

‘‘जी..जी कुछ नहीं, मेरा कुछ सामान है?’’ युवक घबराहट के साथ बोला.

‘‘सामान! कैसा सामान? चलो खोल कर दिखाओ,’’ कमरेज बोला.

‘‘कुछ नहीं, मेरा ही सामान है.’’ बोलते हुए युवक ने हाथ से सूटकेस छोड़ दिया. सीधा खड़ा सूटकेस वहीं जमीन पर घप्प की आवाज के साथ गिर पड़ा. युवक भागने के लिए ज्यों ही मुड़ा, कमरेज ने लपक कर उस की पीठ पर टंगा बैग पकड़ लिया.

अपनी ओर खींचते हुए बोला, ‘‘अरे बदमाश कहीं का, भागता कहां है? चल पहले तू सूटकेस खोल कर दिखा वरना… अभी पुलिस को फोन करता हूं.’’

युवक की गरदन पर कमरेज ने पकड़ मजबूत बना ली. वहीं से सोनू को आवाज लगाई, ‘‘अरे सोनू, पुलिस को जल्दी फोन मिला, बोलना अर्जेंट है.’’

गुलबेज से युवती के बारे में पूछा तो वह सकपका गया और उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. कमरेज का शक गुलबेज पर और गहरा हो गया. उस ने गुलबेज को डांटते हुए सूटकेस खोलने को कहा.

सूटकेस में निकली लाश

डरतेडरते गुलबेज ने कांपते हाथों से सूटकेस के लौक में चाबी लगाई. जब सूटकेस खुला, तब उस के अंदर का हाल देख कर कमरेज की आंखें फैल गईं. सूटकेस में उस के साथ आई युवती काजल की ठूंसी हुई लाश थी.

कमरेज ने गुलबेज का कालर पकड़ कर कड़कती आवाज में पूछा, ‘‘यह तूने क्या कर दिया? यह लड़की तेरी क्या लगती थी?’’

‘‘जीजी पुलिस को मत बुलाना, मैं बताता हूं. सब कुछ बताता हूं. हमारे आप के बीच बात रहे तो अच्छा है.’’ गुलबेज दोनों हाथ जोड़ कर कमरेज से मिन्नतें करने लगा.

‘‘बता यह लड़की कौन है?’’

‘‘यह मेरी प्रेमिका थी. घर वाले इस की मेरे साथ शादी करने के खिलाफ थे, हम लोग यहां जन्मदिन मनाने आए थे, लेकिन दुखी प्रेमिका ने जहर खा कर आत्महत्या कर ली. मैं भी इसे गंगनहर में फेंक कर आत्महत्या कर लूंगा…’’ युवक बोला.

गुलबेज की बातें सुन कर कमरेज को और भी आश्चर्य हुआ. वह सोच में पड़ गया एक की जान जा चुकी है और दूसरा अपनी जान लेने को तुला है. गंगनहर में कूद कर आत्महत्या की योजना बनाए हुए है.

तब तक सूटकेस में युवती की लाश मिलने की सूचना आसपास फैल गई थी. कुछ लोगों की भीड़ लग गयी थी.

यह घटना उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के थाना पीरान कलियर क्षेत्र की थी. मशहूर दरगाह पीरान कलियर में देशविदेश से हजारों जायरीन प्रतिदिन जियारत करने पहुंचते हैं. कलियर दरगाह का क्षेत्र मुसलिम बाहुल्य है. कलियर पुलिस को सूटकेस में युवती का शव मिलने की सूचना मिल चुकी थी.

थानाप्रभारी धर्मेंद्र राठी उस वक्त थाने में मौजूद थे. वह सूचना पाते ही सक्रिय हो गए. वह एसआई गिरीश चंद्र, शिवानी नेगी, देवेंद्र चौहान, कांस्टेबल सोनू कुमार और इलियास के साथ 10 मिनट में ही गेस्टहाउस पहुंच गए. साथ ही राठी ने इस की सूचना सीओ (रुड़की) विवेक कुमार और एसपी (देहात) प्रमेंद्र डोवाल को भी दे दी.

राठी ने सब से पहले गेस्टहाउस के मैनेजर कमरेज से जानकारी ली. सूटकेस में पड़ी लाश पर एक नजर डाली और अपने सहयोगियों से इस की बारीकी से तहकीकात करने को कहा. कमरेज ने राठी को बताया कि उसी रोज दोपहर 3 बजे गुलबेज एक युवती काजल के साथ स्कूटी से गेस्टहाउस आया था.

पुलिस ने की छानबीन

तब गुलबेज के पास एक बड़ा सूटकेस और एक केक का डिब्बा भी था. गुलबेज ने कमरा लेते समय बताया था कि वह अपनी प्रेमिका काजल के साथ जन्मदिन मनाने आया है. काजल को ज्वालापुर (हरिद्वार) की निवासी बताया था. उन्हें थर्ड फ्लोर के किनारे का कमरा अलौट कर दिया गया था. उस ने बताया था कि जन्मदिन मनाने के लिए उस के कुछ गेस्ट भी आएंगे.

इसी के साथ कमरेज ने राठी को गुलबेज द्वारा सूटकेस ले कर जाने, संदेह होने पर उसे जबरन खुलवाने और उस में रखी काजल की लाश होने के बारे में बताया.

अब बारी थी गुलबेज से पूछताछ करने की. राठी ने उस से लाश के बारे में पूछताछ शुरू की. गुलबेज ने पुलिस को बताया कि पिछले 8 सालों से काजल के साथ उस के प्रेम संबंध थे. वे काफी अरसे से शादी करना चाहते थे, मगर काजल के घर वाले विरोध कर रहे थे. काजल इस कारण दुखी थी. दोनों यहां जहर खा कर आत्महत्या करने के लिए गेस्टहाउस में आए थे.

काजल ने जहर खाने में जल्दबाजी कर दी थी, जबकि हम दोनों को एक साथ ही जहर खाना था. उस के जहर खाने से पहले ही काजल ने जहर खा लिया और वह मर गई.

गुलबेज ने बताया कि उस के बाद ही उस ने पहले लाश को सूटकेस में भर कर गंगनहर में फेंकने की योजना बनाई. लाश सहित सूटकेस को गंगनहर में फेंकने के बाद वह खुद गंगनहर में छलांग लगा कर आत्महत्या करने वाला था.

थानाप्रभारी धर्मेंद्र राठी द्वारा गुलबेज से पूछताछ के दरम्यान ही सीओ विवेक कुमार और एसपी प्रमेंद्र डोवाल भी आ गए. दोनों अधिकारियों ने भी मौके का निरीक्षण किया. कमरेज, सोनू और गुलबेज से मामले की जानकारी ली.

मौके की काररवाई करने के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए राजकीय अस्पताल रुड़की भेज दी. उस के बाद डोबाल ने गुलबेज को थाना कलियर ले जा कर उस से गहन पूछताछ की जिम्मेदारी थानेदार गिरीश चंद को दे दी.

रमसा गुलबेज से नहीं करना चाहती थी शादी

रात के 12 बजे गुलबेज से काजल की मौत के बारे में नए सिरे से पूछताछ की जाने लगी. वहां भी उस ने वही पहले वाली साथसाथ जहर खा कर आत्महत्या करने की कहानी दोहराई.

काफी देर तक गुलबेज ने पुलिस को झांसा देने की कोशिश की. तभी थानाप्रभारी ने सख्ती दिखाते हुए उस से पूछा, ‘‘जब तुम दोनों को जहर खा कर ही मरना था, तब बड़ा सूटकेस क्यों ले कर आया था?’’

इस सवाल का जवाब वह नहीं दे पाया.

इसी के साथ उन्होंने उस से कहा कि लड़की की मौत का कारण तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट से जल्द ही पता चल जाएगा. इस से पहले उस के खिलाफ आत्महत्या करने, लाश को ठिकाने लगाने, सबूत मिटाने आदि की कानूनी धाराओं से वह नहीं बच पाएगा. तब भी उसे जेल तो जाना ही पड़ेगा.

यह सुन कर वह थानाप्रभारी राठी के आगे गिड़गिड़ाने लगा. फिर अपना जुर्म कुबूलते हुए गुलबेज ने जो कुछ बताया, वह पहले वाली कहानी से बिलकुल अलग था. इस पूछताछ में पता चला कि मृतका काजल नहीं, बल्कि रमसा थी. वह थाना मंगलौर के मोहल्ला लालबाड़ा की रहने वाली थी. उस ने दून साबरी गेस्टहाउस में कमरा नं 301 लेते समय मैनेजर को काजल नाम की फरजी आईडी दी थी.

यह सच था कि गत 8 सालों से रमसा से उस के प्रेम संबंध चल रहे थे. रमसा के घर वाले उस के साथ शादी नहीं करना चाहते थे. रमसा स्थानीय कालेज की बीकौम की छात्रा थी.  घटना के दिन दोपहर 3 बजे वह रमसा को स्कूटी पर बैठा कर कलियर के गेस्टहाउस में मंगलौर से लाया था. रमसा गुलबेज की दूर की रिश्तेदार भी थी.

आरोपी गुलबेज की ज्वालापुर में मोबाइल रिचार्ज की दुकान है. उस के पिता सनव्वर ज्वालापुर में ही कौस्मेटिक सामान की दुकान चलाते हैं. परिवार में अपने 3 भाइयों व एक बहन में गुलबेज सब से बड़ा है. दूसरी ओर रमसा भी अपने घर में 2 बहनों व 2 भाइयों में सब से बड़ी थी.

गेस्टहाउस के कमरे में गुलबेज ने केक काट कर रमसा का जन्मदिन मनाया था. उस के बाद रमसा के सामने शादी करने का प्रस्ताव रखा था. शादी करने से रमसा ने साफ इनकार कर दिया था.

काफी मनाने पर भी जब रमसा नहीं मानी थी, तब गुलबेज को गुस्सा आ गया था. उस के बाद ही उस ने गुस्से में वहां रखे तकिए से उस का मुंह दबा कर मार डाला था.

रमसा की कुछ मिनटों में ही दम घुटने से मौत हो गई थी. गुलबेज ने यह भी स्वीकार कर लिया कि उस ने जहर खा कर आत्महत्या करने की झूठी कहानी बताई थी. रमसा मातापिता के शादी में बाधा बनने की कहानी भी मनगढ़ंत थी. दरअसल रमसा का ही उस से शादी करने का मन नहीं था.

हत्या करने की पहले से बना ली थी योजना

गुलबेज ने बताया कि उसे रमसा द्वारा शादी से इनकार किए जाने की आशंका पहले से थी. इस कारण ही वह पूरी योजना बना कर गेस्टहाउस में ठहरा था.

उस की हत्या गेस्टहाउस में करने के बाद उस का शव ले जाने के लिए नीले रंग का सूटकेस पहले से ही ले कर आया था. काजल के नाम से रमसा की फरजी आईडी भी तैयार की थी.

इस के बाद थानाप्रभारी राठी ने गुलबेज के बयान दर्ज कर लिए. मृतका रमसा की हत्या की सूचना पुलिस ने तत्काल उस के पिता राशिद निवासी लालबाड़ा, मंगलौर को दे दी.

बेटी की नृशंस हत्या की सूचना पा कर राशिद परिजनों सहित रोतेबिलखते थाना कलियर पहुंचे. राशिद ने थानाप्रभारी को बताया कि रमसा अपने पड़ोस में हो रही एक शादी में शामिल होने के लिए घर से निकली थी.

देर रात तक जब वह घर वापस नहीं लौटी थी, तब उन्होंने रमसा के लापता होने की सूचना मंगलौर कोतवाली में लिखवाई थी.

इस के बाद कलियर पुलिस ने राशिद की ओर से रमसा की हत्या का मुकदमा गुलबेज ज्वालापुर हरिद्वार के खिलाफ दर्ज कर लिया था. अगले दिन एसपी (देहात) प्रमेंद्र डोवाल ने मीडिया को रमसा की हत्या का खुलासा किया.

25 मार्च, 2022 को कलियर पुलिस ने आरोपी गुलबेज पुत्र सनव्वर को अदालत में पेश कर दिया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. रमसा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, उस की मौत का कारण दम घुटना बताया गया. कथा लिखे जाने तक आरोपी गुलबेज जेल में बंद था. रमसा की हत्या के मामले की विवेचना थानाप्रभारी धर्मेंद्र राठी कर रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

जगदीश प्रसाद शर्मा ‘देशप्रेमी’

सत्यकथा: ममता पर भारी पड़ा अंधविश्वास

दक्षिणी दिल्ली के मालवीय नगर इलाके में गश्त लगा रही पुलिस कंट्रोल रूम की टीम को 21 मार्च की शाम साढ़े 4 बजे सूचना मिली कि कोई 2 महीने की बच्ची लापता है. यह सूचना बच्ची के पिता गुलशन कौशिक ने दी थी.

पीसीआर वैन पर तैनात पुलिसकर्मी ने सूचना पाते ही इस की जानकारी स्थानीय थाना समेत डीसीपी (दक्षिण) बेनिता मैरी जैकर तक को दे दी. एक बच्ची के लापता होने की खबर मिलते ही मालवीय नगर थाना पुलिस कुछ ही देर में मौके पर पहुंच गई.

पुलिस के पहुंचने से पहले ही परिवार के सभी सदस्य बच्ची की तलाश में जुट गए. वे समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर 4 माह की बच्ची कहां हो सकती है? जरूर कोई ले गया होगा?

लेकिन कौन? ये सवाल गंभीर और चिंताजनक था. कारण, उस वक्त बच्ची के पिता और दूसरे सदस्य मकान के पास में ही स्थित डिपार्टमेंटल स्टोर में थे. यह उन की अपनी दुकान है, जहां परिवार के सभी सदस्य बारीबारी से बैठते हैं.

परिवार के बुजुर्ग सदस्य घर में नीचे सो रहे थे. घर में बच्ची के गुम होने का शोरशराबा सुन कर उन की नींद खुल गई थी.

बच्ची की तलाश में कुछ पड़ोसी भी शामिल हो गए थे. उन्हीं में से एक ने बताया कि उस ने दोपहर करीब 3 बजे डिंपल द्वारा अपने 4 साल के बेटे की पिटाई की आवाज सुनी थी. इस पर सभी का ध्यान डिंपल और उस के बेटे की ओर गया, जो उस वक्त नजर नहीं आ रहे थे.

कुछ लोग उसे देखने के लिए छत पर गए. डिंपल ने खुद को बेटे के साथ एक कमरे में बंद कर रखा था. लोगों ने दरवाजा पीटा. भीतर से डिंपल ने जब दरवाजा नहीं खोला तब उसे तोड़ दिया गया.

कमरे में डिंपल चुपचाप सहमी बैठी थी. जबकि बच्चा बेहोश पास में ही लेटा था. उसे अस्पताल ले जाया गया. गुम बच्ची डिंपल के पास भी नहीं थी. डिंपल से बच्ची के बारे में पूछा गया, तब उस ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया. सभी लोग इधरउधर उसे तत्परता से ढूंढने लगे.

जिस की जिधर नजर गई, वे बच्ची को ढूंढने लगे. पलंग के ऊपर, पलंग के नीचे. तकिए के पीछे, तकिए के नीचे. अलमारियों में, उस के ऊपर, स्टूल के नीचे. कमरे का कोनोकोना छान मारा, मगर बच्ची कहीं नहीं नजर आई.

घर के किसी सामान की तरह से उस की तलाश हर जगह की जा रही थी. कुछ लोग बच्ची को मकान के बाहर गलियों में भी खोजने लगे थे, जबकि कुछ ने घर में पानी के टैंकों में झांक कर देखा.

कबाड़ के पड़े कुछ सामान में भी बच्ची की तलाश की जाने लगी. परिवार के एक सदस्य की नजर खराब माइक्रोवेव ओवन पर टिक गई. जो अपनी जगह से खिसका हुआ गिरने की स्थिति में था.

ओवन को ध्यान से देखा तो पाया कि उसे अपनी जगह से खिसकाया गया है. उस के ऊपर रखा गया एक छोटा तख्ता वहां से हटा हुआ था. वह स्टूल की मदद से ओवन की ऊंचाई तक पहुंचा. उस के खोलते ही वह सदस्य सन्न रह गया, बच्ची कपड़े में लिपटी ओवन में ही थी.

चिल्लाते हुए उस ने बच्ची को बाहर निकाला और नीचे आ गया. तब तक नीचे पुलिस टीम भी पहुंच चुकी थी. पुलिस बच्ची की मां डिंपल से पूछताछ कर रही थी. छोटे तौलिए में लिपटी बच्ची को देख कर मौजूद सभी लोग तरहतरह की बातें करने लगे.

वह एकदम से बेजान थी. उस में कोई हरकत नहीं हो रही थी. उस का शरीर और चेहरा देख कर ही लग रहा था कि वह मर चुकी थी.

यह देख कर डिंपल के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल रहा था. वह बुत बनी हुई थी. उस के चेहरे का रंग सफेद पड़ गया था. ऐसा लग रहा था जैसे उस के शरीर में खून ही न हो. कुछ बोल नहीं पा रही थी.

पुलिस ने बच्ची को तुरंत अस्पताल भिजवा दिया. उस मासूम का नाम अनन्या था. अस्पताल पहुंचते ही डाक्टरों ने बता दिया कि उस बच्ची की मौत हो चुकी है. मामला संदिग्ध था, इसलिए पुलिस को डिंपल और उस के पति से पूछताछ करनी थी, लिहाजा पुलिस दोनों को थाने ले आई.

थाने में दोनों से पूछताछ की. बड़ी मुश्किल से डिंपल ने जुबान खोली. उस ने स्वीकार कर लिया कि उसी ने अपनी बेटी की गला घोट कर हत्या की थी. वह भी 2 दिन पहले.

डिंपल ने अपनी मासूम बेटी की हत्या की जो वजह बताई, वह आज के आधुनिक समाज और दिल्ली के महानगरीय रहनसहन के लिए चौंकाने वाली थी.

दरअसल, डिंपल की गुलशन कौशिक नाम के युवक से 7 साल पहले शादी हुई थी. वह 3 साल बाद एक बेटे की मां बन गई थी. बेटा पा कर वह बेहद खुश थी. उस के 4 साल बाद उस ने एक बेटी को जन्म दिया था, जिस का नाम अनन्या रखा. उस के जन्म पर मिठाई भी बांटी गई थी.

परिवार में सभी सदस्य बेटी के पैदा होने पर खुश थे, लेकिन डिंपल का मन उदास था. वह बेटा चाहती थी. हालांकि उस ने अपने मन की बात किसी को नहीं बताई थी. फिर भी वह मन ही मन घुटती रहती थी.

चिराग दिल्ली स्थित भैरो चौक पर मकान नंबर 656 में डिंपल के अलावा गुलशन, उस के मातापिता और भाई भी रहते थे. पुलिस पूछताछ में आरोपी डिंपल ने बताया कि वह दुधमुंही अनन्या को डायन समझती थी. कारण, उस के पैदा होते ही उस का बेटा चिड़चिड़ा हो गया था. वह ठीक से खाना भी नहीं खाता था.

अनन्या को दूध पिलाने के चक्कर में बेटा उपेक्षित हो गया था. इस कारण वह कई बार मासूम बच्ची को अपना दूध तक नहीं पिलाती थी. भूखी अनन्या जब लगातार रोती रहती थी, तब उसे लगता था कि उस की बेटी राक्षसी प्रवृत्ति की है और वह आगे चल कर उस के बेटे को मार सकती है.

अंधविश्वास की इस भावना से ग्रसित डिंपल ने एक दिन बेटी का मुंह दबा कर मार डाला. उस की सांस रुकने से मौत हो गई. यह काम उस ने दूसरी मंजिल पर किया था.

जब वह वाशिंग मशीन में कपड़े धो रही थी, तभी उस ने भूख से रो रही बेटी का मुंह और नाक दबा दी थी. इतना ही नहीं कट्टर दिल मां ने दुधमुंही बच्ची के शव को चलती वाशिंग मशीन में डाल दिया था. उस के शव को कुछ देर मशीन में घुमाने के बाद बाहर निकाला था. तब तक बच्ची मर चुकी थी.

उस के बाद बच्ची का शव पहली मंजिल पर अपने बैडरूम में ले आई थी. उसे बैड पर इस तरह लिटा दिया था, मानो सो रही हो.

कुछ समय बाद जब परिवार के लोगों ने बच्ची के बारे में पूछा, तब उस ने कहा कि अभी दूध पी कर सो गई है. उस की तबीयत ठीक नहीं लग रही थी. नाक बह रही थी. उस ने गरम सरसों के तेल की मालिश कर उसे सुला दिया है.

बच्ची की तबीयत खराब होने की वजह से घर वालों ने भी उस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

पुलिस ने जब डिंपल से पूछा कि उस ने बेटी की हत्या करने के बाद वाशिंग मशीन में क्यों डाला था, तब उस ने तुरंत अपना बयान बदल दिया. बोली कि उस ने बेटी को मशीन में नहीं डाला, बल्कि बेटी उस के हाथों से छूट गई और गलती से मशीन में गिर गई थी.

हालांकि पुलिस को यह बात गले नहीं उतरी थी, क्योंकि बच्ची को वाशिंग मशीन में कुछ देर तक घुमाने के बाद निकाला गया था.

डिंपल मासूम बच्ची के शव को तो किसी तरह परिवार के लोगों से छिपाने में 2 दिनों तक कामयाब रही, लेकिन एक दिन उस के बेटे ने ही उस के बेसुध पड़े होने को ले कर शोर मचाना शुरू कर दिया. वह दादी…दादी चिल्लाने लगा कि उस की बहन नहीं रो रही है.

तब डिंपल डर गई. उस ने गुस्से में बेटे की ही पिटाई कर दी और उसे कमरे में बंद कर बच्ची को ले जा कर माइक्रोवेव ओवन में छिपा दिया. उसे ओवन में छिपाने के बाद कमरे में आई. तब तक बेटा रोरो कर बेहोश हो गया था.

मां द्वारा बेटे के पीटने की आवाज सुन कर ही एक पड़ोसी ने उस के रोने की शिकायत डिंपल की सास से कर दी थी. सास नहीं समझ पाई कि जो औरत अपने बेटे से बहुत प्यार करती है, वह भला उसे क्यों पीटेगी?

इसी बीच उसे ध्यान आया कि उस ने तो अनन्या को 2 दिन से गोद में लिया ही नहीं. प्यार दुलार नहीं किया. उस ने तो उस की कल से तेल मालिश नहीं की है. कहीं उस की तबीयत ज्यादा खराब तो नहीं हो गई, जिस से डिंपल परेशान हो गई हो.

सास ने डिंपल को आवाज दी और अनन्या के बारे में पूछा. उसे उस के पास लाने को भी कहा. इस पर डिंपल ने इतना कहा कि वह सो रही है. जबकि सास उसे डाक्टर को दिखाने की जिद करने लगी.

वह तुरंत दुकान पर बेटे गुलशन के पास चली गई. उसे अनन्या की तबीयत खराब होने की बात बताई.

गुलशन तुरंत घर के अंदर आ गया. उस ने डिंपल को डांटते हुए कहा कि अनन्या की तबीयत खराब थी, तब उस ने उसे बताया क्यों नहीं? कहां है उसे ले कर आओ, अभी डाक्टर के पास ले चलते हैं.

इस पर डिंपल वहीं ठिठकी रही. धीमे से बोली, ‘‘अनन्या नहीं मिल रही है?’’

यह सुन कर गुलशन और उस की मां का माथा ठनका, ‘‘नहीं मिल रही है, इस का क्या मतलब है? कौन ले गया उसे?’’

‘‘पता नहीं?’’ डिंपल सहमीसहमी बोली.

‘‘पता नहीं क्या? तुम कैसी मां हो? तुम से 2 महीने की बच्ची नहीं संभलती है. उस की तबीयत खराब है मुझे बताया तक नहीं. और अब कह रही हो नहीं मिल रही है,’’ गुलशन गुस्से में बोलने लगा, ‘‘घर पर आज कौन आया था? कहीं तुम ने उसे बाहर के दरवाजे के पास तो नहीं छोड़ दिया था. हो सकता है कोई बच्चा चोर उठा ले गया हो…’’

‘‘हो सकता है गुलशन बेटा. पुलिस में फोन कर अभी तुरंत,’’ डिंपल की सास बोली.

मां के कहने पर ही गुलशन कौशिक ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर बच्ची के गुम होने की शिकायत की. उस शिकायत के बाद घर में कोहराम मच गया.

परिवार के दूसरे सदस्य घर और बाहर बच्ची की तलाश में जुट गए. जबकि डिंपल चुपके से अपने बेहोश बेटे के पास चली गई और कमरे का दरवाजा भीतर से बंद कर लिया था.

कथा लिखे जाने तक पुलिस डिंपल से पूछताछ कर रही थी. जबकि उस के पति गुलशन कौशिक को बेकुसूर मान कर छोड़ दिया था.

इश्क का खेल- भाग 3: क्या हुआ था निहारिका के साथ

‘‘मिस्टर सुजल, आप के पापा ही आप की मां और बीवी के कातिल हैं. इतना ही नहीं, इन्होंने 2 दिन पहले दिल्ली में भी एक कत्ल किया है.’’ ‘‘यह आप कैसे कह सकती हैं. मेरे पापा ऐसा नहीं कर सकते.’’ इसी बीच रुस्तम सर ने पूछा, ‘‘निहारिका, जरा तफतीश से बताओ कि कौन है खूनी और क्यों?’’ निहारिका बोली, ‘‘मिस्टर बजाज, जो एक बहुत ही नेकदिल इनसान समझे जाते हैं, पर असल में बहुत ही रंगीनमिजाज  और वहशी किस्म के इनसान हैं. दिल्ली में इन की कोई मीटिंग कभी हुई ही नहीं. वहां इन्होंने एक औरत रखैल बना कर रखी हुई है और ये अपनी बहू पर भी बुरी नजर रखते थे.  ‘‘बहू पेट से हो गई, तो उसे रास्ते से हटा दिया. जब बीवी को इन पर शक हुआ और उन्होंने बेटे को सब सच बताने की धमकी दी, तो इन्होंने उन को भी मारने का प्लान बनाया.

‘‘सुबह दिल्ली में मीटिंग के नाम से गए, वहां होटल में कमरा लिया, रात को 10 बजे वहां से निकल कर घर आए, खिड़की के रास्ते से अपने कमरे गए, पहले तो बीवी को गला घोंट कर मार दिया और बाद में उन्हें पंखे से लटका कर उसी समय वापस दिल्ली होटल पहुंच गए.’’ सुजल रोते हुए बोला, ‘‘पापा, यह सब आप ने…’’ ‘‘अभी आगे और सुनिए. अब इन का दिल मुझ पर आ गया और दिल्ली वाली रखैल की भी उम्र हो चली थी, उस से मन भर चुका था इन का.

2 दिन पहले ये फिर से दिल्ली गए और इसी तरह से वहां उस का भी काम तमाम कर दिया… ‘‘क्यों बजाज साहब, ठीक कहा न मैं ने? अब बाकी की जिंदगी जेल में चक्की पीसते हुए बिताना,’’ निहारिका बोली. इस पर इंस्पैक्टर रुस्तम ने कहा, ‘‘निहारिका, कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है. आशीष बजाज मुझे कातिल नहीं लगते.’’ ‘‘सर, मैं ने पूरी तरह से केस को समझ कर, उसे सुलझा कर आप सब को बुलाया है. आप मेरा विश्वास कीजिए. आशीष बजाज को गिरफ्तार कीजिए…’’ सुजल कहता है, ‘‘पापा, आप चुप क्यों हैं? कुछ तो कहिए? आप ने क्यों किया ऐसा?’’ ‘‘सुजल, मेरे बच्चे… मैं ने कुछ नहीं किया है. मुझे नहीं पता कि यह सब क्या है. मैं दिल्ली में मीटिंग के लिए ही गया था और जाता भी रहता हूं… और निहारिका में मुझे श्रेया की छवि नजर आती है, बस इसलिए इस से प्यार से बात करता था.’’ आशीष बजाज को पुलिस ले कर चली गई.

2 दिन बाद आशीष बजाज के घर पर फिर से पुलिस की गाड़ी नजर आई. डोरबैल बजी. सुजल ने दरवाजा खोला. सामने पुलिस और पापा को देख कर वह हैरान रह गया और बोला, ‘‘आप इस कातिल को यहां क्यों लाए हो? इस घर में कातिल के लिए कोई जगह नहीं है.’’ इस पर निहारिका बोली, ‘‘सच कहा आप ने. इस घर में कातिल के लिए कोई जगह नहीं है. तो चलिए मिस्टर सुजल, हम आप को लेने आए हैं.’’ ‘‘यह आप क्या कह रही हैं… कातिल तो आप के साथ है,’’ सुजल ने कहा. ‘‘जी नहीं मिस्टर सुजल, कातिल आशीष बजाज नहीं, बल्कि आप हैं…’’ निहारिका बोली. इस पर सुजल हंसते हुए कहता है, ‘‘कभी कहते हैं कि कातिल आशीष बजाज हैं, कभी कहते हैं कि मैं हूं… कल किसी और का नाम ले लोगे… और  अगर मैं कातिल हूं भी तो आप के पास क्या सुबूत है?’’ ‘‘तो सुनिए… जब पहली बार मैं ने आप को फोन किया था, तो उस में प्राइवेट नंबर लिखा आया. मुझे शक हुआ और साइबर ब्रांच से आप की काल डिटेल निकलवाई तो पता चला कि आप तो इंडिया में हैं और यह नंबर यहीं पर इस्तेमाल किया जा रहा है. ‘‘सुबूत नंबर 2 यह है कि आप की शादी मांपापा की मरजी से हुई है, जबकि आप अपने प्यार के लिए तड़प रहे थे, इसलिए अपनी गर्लफ्रैंड जूली, जो एक नर्स है, से श्रेया की पेट से होने की झूठी रिपोर्ट बनवा कर उसे बदचलन साबित करने की कोशिश की.

जब उस ने आवाज उठानी चाही तो हमेशा के लिए उसे खामोश कर दिया. ‘‘उस के बाद जब आप की मां को शक हुआ और उन्होंने आवाज उठाई तो उन्हें भी खामोश कर दिया गया. ‘‘उस के बाद दिल्ली में मिस्टर आशीष बजाज की मुंहबोली बहन, जिन का इस दुनिया में कोई भी नहीं है, बजाज साहब उन की मदद करते थे… आप को पता चला कि वे कुछ प्रापर्टी उन के नाम करने वाले हैं, इसलिए तुम ने उन का भी तब खून कर दिया, जब आशीषजी दिल्ली गए थे, ताकि शक उन पर जाए.

‘‘अब तुम अपने पापा को भी खत्म करना चाहते थे, क्योंकि तुम्हें पता था कि अपने जीतेजी वे तुम्हारी शादी जूली से नहीं होने देंगे. ‘‘और सुबूत चाहिए…? तुम और तुम्हारी गर्लफ्रैंड दोनों मिल कर इस काम को अंजाम देने वाले थे, इसलिए हम ने यह प्लान बनाया और  मिस्टर बजाज को अपने साथ ले गए, ताकि इन की जान बच जाए. ‘‘और सुबूत चाहिए तो सुनो, तुम ने अपने पापा की शर्ट के बटन तोड़ कर हर लाश के पास सुबूत के तौर पर छोड़े, ताकि बड़ी आसानी से उन पर शक जाए, लेकिन यहां तुम मात खा गए. तुम ने उन की एक ही शर्ट के बटन लिए, जो वे पहनते ही नहीं, क्योंकि उन्हें वह शर्ट पसंद नहीं है.

‘‘तुम एक और जगह मात खा गए. खून करने के बाद तुम ने हर बार जूली को फोन किया और बताया कि तुम बहुत नर्वस हो. इसी चक्कर में तुम्हें पता नहीं चला और फोन की रिकौर्डिंग औन हो गई और सारी बातें रिकौर्ड हो गईं. चलो, अब तुम्हारे लिए इस घर में कोई जगह नहीं है.’’ सुजल को हवलदार हथकड़ी पहना रहा है और तभी सुजल की गर्लफ्रैंड का फोन आ गया.  सुजल बोला, ‘‘जल्दी आओ जूली. पुलिस आई है मेरे घर पर. हमारा राज खुल चुका है. मैं ने सरैंडर कर दिया है. बेहतर है कि तुम भी कर दो.’’ इस तरह उन दोनों पर केस चल  रहा है.

इश्क का खेल- भाग 2: क्या हुआ था निहारिका के साथ

ससुराल वालों ने घर से निकाल दिया है. एक रूम किराए पर ले कर अकेली रहती हूं. ज्यादा पढ़ीलिखी न होने के चलते कोई और नौकरी भी नहीं कर सकती.’’  काम करते हुए निहारिका के फोन की घंटी बारबार बजती है, पर वह फोन काट देती है. आशीष बजाज ने पूछा, ‘‘क्या हुआ? किस का फोन है? कोई जरूरी है, तो बात कर लो न.’’ ‘‘नहीं सर, कोई जरूरी फोन नहीं है. दोस्त लोग हैं, ऐसे ही टाइमपास करते हैं. पहले काम निबटा लूं, फिर बात कर लूंगी.’’ ‘‘ठीक है. जैसी तुम्हारी मरजी. वैसे, ये कौन दोस्त हैं? कोई खास है क्या?’’ ‘‘नहीं सर, ऐसा कुछ भी नहीं है. आप से ज्यादा खास कौन हो सकता है…’’ थोड़ा प्यार भरे अंदाज में बोली निहारिका. ‘‘वह तो है…’’ आशीष बजाज ने हंसते हुए कहा. निहारिका को आज आशीष बजाज के घर काम पर लगे 15 दिन हो गए थे और वह उन की चहेती बन गई थी.

उन के बहुत करीब भी आ गई थी. रात के 8 बजे डिनर के बाद निहारिका रोज अपने घर चली जाती थी, जबकि वह चाहती थी कि वहीं रुक जाए. लेकिन कैसे? आज आखिरकार निहारिका की मानो मुराद पूरी हो गई. आशीष बजाज ने कहा, ‘‘निक्की, कल मुझे मीटिंग के लिए दिल्ली जाना है. तो आते हुए मैं लेट हो जाऊंगा. कल रात को तुम यहीं रुक जाना और मेरी बहू के कमरे में सो जाना.’’ ‘‘ठीक है सर. अब मैं चलती हूं. सुबह समय से आ जाऊंगी.’’ निहारिका, जो अब आशीष बजाज के लिए ‘निक्की’ बन चुकी थी, घर से बाहर निकलते ही एक फोन मिलाती है. दूसरी ओर से इंस्पैक्टर रुस्तम पूछते हैं, ‘कुछ पता चला कि वे दोनों औरतें कैसे मरी थीं? हैड औफिस से बारबार फोन आ रहा है, मुझे जवाब देना है.’ ‘‘सर, केवल एक हफ्ता और. बस, इस के बाद केस आईने की तरह साफ होगा.

वैसे, कल रात आप फोन मत करना, बात नहीं हो पाएगी. कल रात को मुझे आशीष बजाज के घर पर ही रुकना होगा. जब समय मिलेगा तो मैं आप को फोन कर लूंगी.’’ ‘ठीक है, लेकिन तुम अपना खयाल रखना.’  ‘‘सर, आप मेरी चिंता न करें.’’ अगले दिन आशीष बजाज सुबह ही दिल्ली के लिए रवाना हो जाते हैं और देर रात गए घर वापस लौटते हैं. ‘‘कैसा रहा सफर? आप थक गए होंगे. आप फ्रैश हो जाइए, तब तक मैं खाना लगाती हूं,’’ निहारिका ने कहा. ‘‘थक तो मैं बहुत गया हूं आज, पर तुम्हें देख कर थकावट दूर हो गई. तुम ने खाना खाया?’’ आशीष बजाज ने पूछा.

‘‘अभी नहीं.’’ ‘‘तो आओ, तुम भी खा लो आज मेरे साथ,’’ आशीष बजाज के दबाव देने पर निहारिका भी डाइनिंग टेबल पर बैठ जाती है और वे दोनों खाना खाते हुए इधरउधर की बातें करते हैं. इतने में निहारिका का फोन बारबार बजता है, तो उसे हैरानी होती है कि रुस्तम सर को मना किया था कि  आज फोन न करें, फिर भी वे बारबार फोन कर रहे हैं. इस का मतलब  जरूर कोई खास बात होगी. निहारिका जल्दी से खाना खा कर  श्रेया के कमरे में जाती है और रुस्तम सर से बात करने लगती है. ‘‘सर, कोई खास बात… क्योंकि आप को तो पता है कि आज मैं यहीं बजाज हाउस में हूं?’’ ‘हां निहारिका, बहुत ही सनसनीखेज खबर है.’ ‘‘क्या सर?’’ ‘आज दिल्ली में भी एक मौत हुई है… वही गला घोंट कर मारना और उस के बाद खुदकुशी का रूप देना.’ ‘‘ओह नो…’’ यह कहते हुए तीनों खून की कड़ी मिलाते हुए निहारिका एक नतीजे तक पहुंच जाती है और आशीष बजाज के बेटे को सुजल और रुस्तम सर को 2 दिन में पहुंचने को कहती है.

इतने में आशीष बजाज निहारिका के कमरे में पहुंच जाते हैं और पूछते हैं, ‘‘किसी खास सहेली से बात कर रही थी क्या?’’ ‘‘जी हां, बहुत ही खास है. आज बहुत दिनों बाद बात हुई उस से.’’ आशीष बजाज उस से कहते हैं, ‘‘निक्की, मुझे तुम से कुछ कहना है…’’ ‘‘कहिए सर…’’ ‘‘निक्की, मैं चाहता हूं कि तुम हमेशा के लिए यहीं रह जाओ…’’ निहारिका अपना फैसला उन्हें बाद में बताने को कहती है. 2 दिन बाद रात को जब आशीष बजाज औफिस से आते हैं, तो घर में पुलिस को देख कर दंग रह जाते हैं. ‘‘निक्की, यह पुलिस यहां क्यों?’’ ‘‘आप के लिए.’’ ‘‘यह क्या बकवास है…’’ इतने में आशीष बजाज का बेटा  सुजल भी दूसरे कमरे से निकल कर बाहर आ जाता है.  ‘‘निहारिकाजी, यह सब क्या है? आप तो कह रही थीं कि जब पापा आएंगे, तो उन के साथ ही आप मुझे कातिल से मिलवाएंगी… आप पापा से ऐसे कैसे बात कर रही हैं…’’ सुजल ने पूछा.

मसला: फिल्में-टीवी नहीं, परिवार सिखाते हैं हिंसा

योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश से शुरू हुई इस महामारी ने धीरेधीरे दूसरे राज्यों को भी अपनी चपेट में ले लिया है. हालिया उदाहरण दिल्ली का है. अप्रैल महीने में ‘हनुमान जयंती’ पर एक शोभायात्रा निकल रही थी, जो कुछ असामाजिक तत्त्वों की कारिस्तानी से बवाल में बदल गई और जिसे बाद में सांप्रदायिक रूप देने की कोशिश की गई.

दंगे होना अपनेआप में गलत है और इसे फैलाने वाले पर कानूनी कार्यवाही जरूर करनी चाहिए, पर बुलडोजर से घरदुकान गिरा कर किसी को सजा देना कहां का कानून है? यह तो सरकार की तानाशाही है कि जिस बात की इजाजत देश की बड़ी अदालत भी नहीं देती है, उसे कैसे लागू किया जा सकता है.

पर ऐसा हुआ और ‘हनुमान जयंती’ के बाद केंद्र सरकार के आदेश पर जहांगीरपुरी में गरीबों के घरों, दुकानों पर बुलडोजर चला और कानून की धज्जियां उड़ा दी गईं.

लेकिन इस पूरे मामले में एक सवाल और उठता है कि जो लोग किसी धार्मिक या सामाजिक आयोजन की आड़ में दंगाफसाद करते हैं, वे फितरत से होते कैसे हैं? क्या वे सभ्य होते हैं और अपने वाजिब हक के लिए लड़ते हैं या फिर वे बेवजह के लड़ाईझगड़े से डरते नहीं हैं और समाज में हिंसा का माहौल बनाना ही उन का एकलौता मकसद होता है?

हिंसा की एक छोटी सी घटना से इस बात को समझते हैं. एक 7 सीटर बड़ी गाड़ी में 6 दोस्त कहीं घूमने जा रहे थे. चूंकि वे मस्ती के मूड में थे, तो उन्होंने गाड़ी में ही शराब भी पी ली थी.

चलती गाड़ी में शराब के सेवन से उन दोस्तों की मस्ती दोगुनी हो गई थी कि तभी एक दोस्त ने कहा, ‘‘भाई, अब तो भूख लग गई है. कहीं कुछ खा लेते हैं.’’

बाकी दोस्तों को उस का सुझाव पसंद आया और वे एक रोड साइड ढाबे पर रुक गए. उन्होंने वेटर को आवाज लगाई. चूंकि वह वेटर किसी दूसरे ग्राहक का और्डर ले रहा था, तो कुछ देर बाद उन की टेबल पर पहुंचा.

पर तब तक उन दोस्तों में से एक का पारा गरम हो गया था तो उस ने छूटते ही कहा, ‘‘क्यों बे मादरञ्चप्त*… कहां अपनी त्नप्तञ्च× मरवा रहा था…’’

उस की देखादेखी दूसरे दोस्त ने कहा, ‘‘अबे ञ्चप्त़त्नट्ट के, वहां क्या अपनी बहन का सौदा कर रहा था…’’

यह सुन कर वेटर ने उन ग्राहकों को गाली देने से मना किया, तो वे सारे शराब के नशे में उस पर पिल पड़े और उस गरीब को अच्छे से धुन दिया. बाद में दूसरे लोगों द्वारा बड़ी मिन्नत कर के उसे छुड़ाया गया.

हो सकता है कि यह घटना आप को काल्पनिक लगे, पर हकीकत में ऐसा ही होता है. ज्यादा दूर क्यों जाएं, हरियाणा के पलवल इलाके में किसी ढाबा मालिक को मारने आए कुछ बदमाशों ने वहां के नौकरों की ही धुनाई कर दी थी. यह वारदात इसी साल के फरवरी महीने की है. अब ऐसा तो हुआ नहीं होगा कि उन लोगों ने बिना गालीगलौज के इस करतूत को अंजाम दिया होगा.

ऐसा ही कुछ फिल्मों में भी दिखाया जाता है. पर वहां पर ऐसा दिखाने वाला कठघरे में जल्दी खड़ा कर दिया जाता  है. बात जुलाई, 2016 की है. चेन्नई, तमिलनाडु में साउथ इंडियन फिल्म चैंबर औफ कौमर्स द्वारा कराए गए ‘मंत्री से मिलिए’ नामक एक कार्यक्रम में तब के केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा था कि पुराने जमाने की फिल्मों में संगीत, गीत और साहित्य शानदार और खूबसूरत होता था, लेकिन धीरेधीरे लैवल गिरता जा रहा है…

कुछ मामलों में हिंसा, अश्लीलता, अभद्रता और अभद्र द्विअर्थी संवाद… वे अब सिनेमा के चुनिंदा वर्गों का हिस्सा बन रहे हैं, जो अच्छी बात नहीं है… आप ऐसे दृश्य दिखा कर समाज के साथ नाइंसाफी कर रहे हैं और बच्चों को बरबाद कर रहे हैं.

ऐसी ही बात अक्तूबर, 2021 को उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने 67वें राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में फिल्म निर्माताओं से हिंसा और अश्लीलता का चित्रण करने से बचने का आग्रह करते हुए कहा था कि सिनेमा उद्योग को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जो संस्कृति और परंपराओं को कमजोर करता हो.

इसी मसले पर फिल्म कलाकार यशपाल शर्मा कहते हैं, ‘‘मैं वैब सीरीज में दिखाई जा रही हिंसा, अपशब्द, गालियां और रिश्तों में आपत्तिजनक कहानियों के खिलाफ हूं, इसलिए मैं इस तरह की वैब सीरीज का हिस्सा नहीं बनना चाहता हूं…

‘‘‘ट्रिपल ऐक्स’ को ही देख लीजिए, जिस में एक आर्मी अफसर देश की रक्षा के लिए जाता है और पीछे से उस की पत्नी को चरित्रहीन दिखाया जा रहा है. कहीं ससुरबहू, तो कहीं भाईबहन का रिश्ता ही कलंकित किया जा रहा है. इस से बड़ी बेइज्जती और क्या होगी. यह क्या बताना चाह रहे हैं… यह कौन सी दुनिया दिखा रहे हो भाई…’’

जानेमाने कौमेडियन और उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद के अध्यक्ष राजू श्रीवास्तव ने भी वैब सीरीज ‘मिर्जापुर 2’ में अश्लीलता और हिंसा को ले कर सवाल खड़े किए थे और कहा था कि ‘मिर्जापुर 2’ वैब सीरीज अश्लीलता और हिंसा से भरी हुई है.

‘अपना दल’ की अनुप्रिया पटेल ने भी ‘मिर्जापुर 2’ पर एतराज जताते हुए कहा था कि इस से उन के निर्वाचन क्षेत्र मिर्जापुर का नाम धूमिल हो गया है… इस वैब सीरीज में जिले को गलत ढंग से पेश किया है और जातिगत हिंसा को बढ़ावा दिया है.

सवाल उठता है कि क्या फिल्मों, टैलीविजन सीरियलों, वैब सीरीज की कहानियों और उन में दिखाई गई बातों से वाकई समाज में अश्लीलता, हिंसा और जातिवाद को बढ़ावा दिया जाता है या फिर हमारा समाज ही ऐसी बकवास बातों से भरा पड़ा है, जिन को देखसमझ कर फिल्मों, टैलीविजन सीरियलों और वैब सीरीज में बहुत कम मात्रा में परोसा जाता है?

हकीकत तो यह है कि हमारे समाज में ऐसा घट रहा है, जिसे अगर हूबहू परदे पर पेश कर दिया जाए तो सब से पहले हम लोग ही शर्मसार होंगे.

निठारी कांड याद है न? साल 2006 में उत्तर प्रदेश के नोएडा के निठारी गांव की कोठी नंबर डी-5 में जब बच्चों के नरकंकाल मिले थे, तब पूरा देश सकते में आ गया था.

इस दिल दहला देने वाले मामले में उस कोठी के नौकर सुरेंद्र कोली ने जुर्म कबूल करते हुए बताया था कि उस ने बच्चों की हत्या कर के शव नाले में फेंक दिए थे. उस ने युवती के साथ बलात्कार कर के हत्या का जुर्म भी कबूल किया था. गवाहों के बयान के आधार पर सीबीआई कोर्ट ने कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर को भी आरोपी बनाया था.

दिल्ली के निर्भया रेप कांड ने तो पूरी दुनिया में हमारी किरकिरी करा दी थी.

16 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली के मुनीरका इलाके में 23 साल की युवती निर्भया (बदला हुआ नाम) एक बस में अपने दोस्त के साथ चढ़ी थी. उस बस में 6 दूसरे लोग भी बैठे थे. उन लोगों ने न केवल उस युवती के साथ सामूहिक बलात्कार किया था, बल्कि उसे बुरी तरह से मारा था, जिस के बाद निर्भया के नाजुक और भीतरी अंगों पर गहरी चोट पहुंची थी.

इस घटना के 11 दिन बाद निर्भया को इलाज के लिए सिंगापुर शिफ्ट किया गया था, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका था.

भाजपाई नेता अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को पिछले साल 3 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 4 किसानों और एक पत्रकार की हत्या का मुख्य आरोपी बनाया गया था. इस हत्याकांड में कुल 8 लोगों की मौत हुई थी. आशीष मिश्रा ने कथिततौर पर अपनी एसयूवी गाड़ी से 4 किसानों और एक पत्रकार को रौंद दिया था.

हरियाणा के गांव डोबी के धर्मबीर ने गांव मंगाली की सुनीता, जो अपने मामा के घर हिसार के गांव शीशवाल में रहती थी, से मार्च, 2018 में सिरसा के छत्रपति मंदिर में लव मैरिज की थी और उन्होंने अपनी जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा की भी मांग की थी. शादी के बाद धर्मबीर सुनीता के साथ गांव ढिंगसरा में अपने मामा राय सिंह के घर आ गया था.

1 जून, 2018 को सुंदरलाल, शेर सिंह, बलवान, विक्रम, भंवर सिंह उर्फ भंवरा, बलराज सिंह, नेकीराम, रवि, धर्मपाल उर्फ जागर, दलबीर, सुरजीत, श्रीराम (जो अब जिंदा नहीं है), साहबराम, वेदप्रकाश, वीरूराम, विनोद कुमार, बलबीर सिंह जय सिंह के घर पहुंचे थे और हथियार के बल पर सुनीता व धर्मबीर का अपहरण कर के अपने साथ ले गए थे.

इस के बाद उन्होंने शीशवाल गांव में रबड़ के पट्टों व डंडों से पीटपीट कर धर्मबीर की हत्या कर दी थी और उस की लाश को नहर में फेंक दिया था. एक दिन बाद धर्मबीर की लाश हनुमानगढ़ में नहर से बरामद हुई थी.

इस मामले में एडिशनल जिला और सैशन जज डाक्टर पंकज की अदालत ने आरोपियों को आजीवन कारावास की कैद व जुर्माने की सजा सुनाई है.

ये तो चंद वारदातें हैं, जिन का यहां जिक्र किया गया है, बल्कि ऐसी वारदातें तो रोजाना कहीं न कहीं होती रहती हैं. पर जहां तक सिनेमा की बात है, फिर चाहे उस का प्लेटफार्म कोई भी हो, वहां क्राइम जौनर की फिल्में और वैब सीरीज भी उसी तरह लोगों द्वारा पसंद की जाती हैं, जैसे रोमांस, कौमेडी, ट्रैजिडी, फैमिली जौनर की फिल्में पसंद की जाती हैं. हमारे यहां साइंस फिक्शन उतना नहीं चलता है, पर विदेशों में तो इस जौनर का भी पूरी तरह से बोलबाला है.

अब जब जिस जौनर की फिल्म बनेगी तो कहानी भी उसी के हिसाब से लिखी जाएगी. आज से 47 साल पहले आई रमेश सिप्पी की फिल्म ‘शोले’ को आप किस श्रेणी में रखेंगे? वह एक ऐक्शन पैक्ड थ्रिलर थी, चाहे बेस उस का फैमिली वैल्यूज का कह लो. वहां भले ही खूनखराबे के नाम पर डरावने सीन नहीं थे, पर पूरी फिल्म में अजीब तरह का खौफ छाया रहता है, फिर खौफ रामगढ़ के लोगों में हो या फिर दर्शकों में.

इस फिल्म के विलेन गब्बर सिंह का ठाकुर के परिवार को खत्म कर देना या बाद में ठाकुर के दोनों हाथ काट देना उस समय के हिसाब से हिंसा की हद कहा जा सकता है. तब सैंसर बोर्ड के दखल के बाद इस फिल्म का क्लाइमैक्स बदल दिया गया था. इस की वजह ज्यादा हिंसा बताई गई थी.

रमेश सिप्पी ने इस सिलसिले में बताया था, ‘‘मुझे बोर्ड के मुताबिक फिल्म के क्लाइमैक्स को दोबारा से शूट करना पड़ा, लेकिन बतौर फिल्म प्रोड्यूसर मैं फिल्म के ऐंड से सहमत नहीं था…

‘‘फिल्म के आखिर में गब्बर सिंह को ठाकुर द्वारा पिटाई के बाद पुलिस को सौंपते हुए दिखाया गया है, जबकि मैं ऐसा नहीं चाहता था.’’

हिंसा से भरपूर होने के बावजूद फिल्म ‘शोले’ ने हिंदी सिनेमा को नई बुलंदी पर पहुंचा दिया था. वह इस सदी की सब से ज्यादा मशहूर हिंदी फिल्म बताई गई और लोगों ने इसे एक बार नहीं, बल्कि कईकई बार देखा.

तब से ले कर अब तक सिनेमा पूरी तरह बदल गया है. ओटीटी प्लेटफार्म ने तो एक नई क्रांति सी ला दी है और साथ ही साथ यह बहस भी छेड़ दी है कि उस में दिखाई जाने वाली हिंसा और अश्लीलता से क्या लोगों खासकर बच्चों पर नैगेटिव असर पड़ रहा है, क्योंकि वैब सीरीज की पहुंच घरघर, यहां तक कि आप के मोबाइल फोन और लैपटौप तक पहुंच गई है.

ऐसा हो सकता है कि आज सिनेमा में दिखाए जाने वाले बहुत से सीन गैरजरूरी हों, पर इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि जब से ओटीटी प्लेटफार्म ने जनता के बीच अपनी जगह बनाई है, तब से लोगों को अपनी कहानियों को नए अंदाज में पेश करने का मौका भी ज्यादा मिला है.

ओरिजिनल लोकेशनों और वैब सीरीज की कैमरा क्वालिटी ने सिनेमा को नई दिशा दी है और इसी वजह से जब भी किसी भी जौनर पर कुछ बनता है, तो उसे रिएलिटी के नजदीक रखे जाने की कोशिश की जाती है, फिर वह चाहे कोई वाइल्ड सैक्स सीन हो या फिर दिल दहला देने वाला मर्डर.

फिर हम यह क्यों भूल जाते हैं कि बहुत सी कहानियां तो असली घटनाओं से ही प्रेरित होती हैं. वैब सीरीज ‘रंगबाज’ में उत्तर प्रदेश के उस बदनाम माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला के जिंदगीनामे को दिखाया गया है, जिस का ऐनकाउंटर करने के लिए राज्य सरकार ने स्पैशल टास्क फोर्स को ही बना डाला था.

वैब सीरीज ‘दिल्ली क्राइम’ में निर्भया कांड को आधार बना कर कहानी लिखी गई थी और उस मामले की छानबीन को बड़े रोचक तरीके से दिखाया गया था.

कहने का मतलब यह है कि किसी मीडियम को सिरे से कठघरे में खड़ा कर देना एकतरफा सोच कही जाएगी, जबकि हमारे देश में हिंसा, अश्लीलता और दूसरी तमाम सामाजिक बुराइयां तब से हैं, जब सिनेमा का जन्म भी नहीं हुआ था.

हमारी पौराणिक कहानियों में छलकपट, राजपाट के लिए हिंसा, दूसरे की बहनबेटी के लिए राजाओं की लड़ाई होना आम बात थी. धरती के इनसान क्या आसमानी देवीदेवता भी ऐसी कहानियों से अछूते नहीं थे. ‘महाभारत’ में पांडव द्रौपदी को जुए में हार जाते हैं, तो ‘रामायण’ में रावण सीता का हरण कर लेता है.

ज्यादा पीछे क्यों जाएं, हमारे देश में निचली जातियों को सिर्फ इसलिए सताया गया कि उन के काम नीच माने गए, पर जब उन की बहूबेटियों से जिस्मानी रिश्ते बनाने की बात होती थी, तब ऊंची जाति वाले इसे शान और अपने हक की बात समझते थे. यही वजह है कि आज भी भारत में आजादी के तथाकथित ‘अमृत महोत्सव’ साल में एससीएसटी और पिछड़े तबके के लोग बराबरी के लिए जद्दोजेहद कर रहे हैं.

सब से ज्यादा शर्म की बात तो यह है कि पढ़ेलिखे घरों में मर्द गाली देने को बहुत छोटी बात समझते हैं. गाली मतलब ऐसे घिनौने शब्द, जो औरत जात के नाजुक अंगों की बखिया उधेड़ देते हैं. आज भी औरतों और लड़कियों को पैर की जूती समझा जाता है.

समाज में चूंकि मर्दों का दबदबा ज्यादा है. लिहाजा, औरतें उन का सौफ्ट टारगेट होती हैं. उन पर हिंसा करना वे मर्दानगी की निशानी मानते हैं. कुछ औरतें तो अपने पति से इसलिए मार खा लेती हैं कि उन के पति सोचते हैं कि इस से वे कायदे में रहेंगी.

ऐसे लोग घर से बाहर भी हिंसक ही होते हैं और मजलूम पर जुल्म करने से परहेज नहीं करते हैं. इस का नुकसान क्या होता है? घरमहल्ला तो छोडि़ए, लड़ाकू इनसान अपने काम की जगह पर भी दूसरों से उलझता है. अगर उस का बस अपने मालिक पर नहीं चलता है, तो वह सुपरवाइजर का गरीबान जरूर पकड़ लेता है. यह ऐसी छूत की बीमारी है, जो दुकानदार को पड़ोसी दुकानदार से लड़वाती है.

ऐसे में कैसे कहा जा सकता है कि फिल्में समाज को बिगाड़ रही हैं, जबकि समाज में फिल्मों से ज्यादा गरीबी, जातिवाद, धर्मांधता, गालीगलौज, मारपिटाई, सैक्स से जुड़ी शोषण की घटनाएं होती हैं.

सच तो यह है कि सिनेमा के अलगअलग मीडियम बुराइयों के पैरोकार नहीं हैं, बल्कि वे तो हमारे समाज में जो हो रहा है, उस का अंशमात्र जनता के सामने लाते हैं. यह मीडियम आईना गंदा नहीं है, बल्कि हमारे चेहरे पर ही गंदगी लगी है, पर सारा ठीकरा इस के सिर पर फोड़ कर पल्ला झाड़ लिया जाता है.

मनोहर कहानियां: सर्किट हाउस में महंत की रासलीला

मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र के रीवा शहर में चैत्र नवरात्र के अवसर पर संकटमोचन हनुमान कथा के आयोजन की तैयारियां जोरशोर से चल रही थीं. पहली अप्रैल से 10 अप्रैल तक चलने वाले इस कार्यक्रम के आयोजक करोड़पति बिल्डर अजीत समदडि़या थे.

समदडि़या ग्रुप मध्य प्रदेश का बड़ा व्यापारिक घराना है, जिस के जबलपुर और रीवा में आलीशान होटल, मौल और आधुनिक ज्वैलरी शोरूम हैं. रीवा में भी समदडि़या ग्रुप के मौल ‘समदडि़या गोल्ड’ का शुभारंभ होना था.

इसी मकसद से उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के भाजपा के पूर्व सांसद और अयोध्या के राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट से जुड़े रामविलास वेदांती के द्वारा हनुमान कथा का वाचन किया जाना था.

इस आयोजन की जिम्मेदारी समदडि़या ग्रुप द्वारा महंत सीताराम दास को सौंपी गई थी. पूरा शहर इस आयोजन के बैनर और होर्डिंग से पटा हुआ था.

महंत सीताराम दास उत्तर प्रदेश के बहराइच में श्रीराम जानकी मंदिर में महंत की गद्दी संभाले हुए हैं. पिछले 2 महीने से रीवा में कई बार आ कर वह स्थानीय नेताओं, अफसरों और कारोबारियों से मिल कर इस आयोजन की तैयारियों में लगे हुए थे.

पहली अप्रैल, 2022 से शुरू होने वाले इस धार्मिक आयोजन के सिलसिले में महंत सीताराम दास 28 मार्च, 2022 को ही रीवा पहुंच गए थे. वह अपने शिष्यों को साथ ले कर हनुमान कथा और यज्ञ की व्यवस्थाओं को देख रहे थे.

रीवा में महंत के खास शिष्य विनोद पांडे ने उन के ठहरने के लिए सर्किट हाउस राजनिवास बुक करवाया था. सर्किट हाउस के एनेक्सी नंबर 4 में महंत ठहरे हुए थे. शाम होते ही महंत शिष्य विनोद से बोला, ‘‘आज कुछ खास इंतजाम नहीं है क्या?’’

विनोद महंत सीताराम दास की रंगीनमिजाजी से वाकिफ था, लिहाजा उस ने जबाब देते हुए कहा, ‘‘ महाराज, आप निश्चिंत रहें, सब इंतजाम हो जाएगा.’’

विनोद पांडे रीवा जिले के हिस्ट्रीशीटर बदमाशों में शुमार था, जिस पर जिले के कई थानों में 40 से अधिक केस दर्ज हैं. कुछ ही समय पहले विनोद पांडे महंत के रसूख का फायदा उठा कर जमानत पर जेल से बाहर आया था, इस वजह से वह महंत की सेवा में कोई कमी नहीं रखना चाहता था.

विनोद पांडे का जिले में दबदबा था, जिस के चलते लोग मदद के लिए उस के पास पहुंचते थे. कुछ दिनों पहले सतना की रहने वाली 17 साल की किशोरी मालती ने विनोद पांडेय को फोन कर के कालेज में दाखिला दिलाने में मदद मांगी थी. वह विनोद को दादा कहती थी.

उसे रीवा के कालेज में एडमिशन लेना था, लेकिन हो नहीं पा रहा था. इस संबंध में विनोद से बात की तो उस ने भरोसा दिलाया और रीवा आ कर मिलने को कहा था.

महंत के रीवा आने से पहले ही विनोद ने उस दिन सुबह उसी लड़की को फोन मिलाते हुए कहा, ‘‘मालती, तुम्हें कालेज में एडमिशन लेना है तो आज ही रीवा आ कर मिल लो.’’

मालती को कालेज में एडमिशन दिलाने का आश्वासन मिलते ही वह खुशी से उछल पड़ी और विनोद पांडे से बोली, ‘‘दादा, मैं आज ही रीवा आ रही हूं.’’

दोपहर 3 बजे बस से जब वह रीवा पहुंची तो विनोद को फोन कर के कहा, ‘‘दादा, मैं रीवा आ गई हूं, कहां पर मिलना है?’’

‘‘मैं राजनिवास में हूं, यहां महंत सीताराम दासजी ठहरे हुए हैं. तुम भी आटो पकड़ कर यहीं आ जाओ.’’ विनोद ने जाल फेंकते हुए कहा.

इस पर मालती बोली, ‘‘दादा, बसस्टैंड से राजनिवास बहुत दूर है, आटो वाले बहुत पैसे मांग रहे हैं. मेरे पास इतने पैसे भी नहीं हैं.’’

इस पर विनोद बोला, ‘‘अच्छा मालती, तुम सैनिक स्कूल के पास मिलो, मैं लड़के को कार से भेज रहा हूं.’’

विनोद पांडे ने अपने साथ रहने वाले लड़के को पैसे और कार ले कर भेज दिया. इस के बाद मालती कार से राजनिवास तक पहुंच गई. विनोद ने सर्किट हाउस में उसे बाबा सीताराम दास और उस के चेले धीरेंद्र मिश्रा से मिलवाया.

विनोद ने मालती से कहा, ‘‘आज यहीं रुक जाओ, सुबह तुम्हारा काम करा दिया जाएगा.’’

जबरदस्ती पिलाई शराब फिर किया दुष्कर्म

राजनिवास के एनेक्सी नंबर 4 में महंत सीताराम दास ने मालती से कालेज में दाखिला दिलाने का भरोसा दिलाया. बातचीत का दौर चल ही रहा था कि बाबा के कुछ चेले कमरे में आ गए.

चेलों ने एक थैली में से शराब की बोतलें निकालीं तो मालती हैरत में पड़ गई. देखते ही देखते सभी शराब पीने लगे. इसी बीच उस की बड़ी बहन का फोन आ गया तो विनोद ने बहन को कहलवा दिया कि आज काम नहीं हो पाया, इसलिए वह गर्ल्स हौस्टल में सहेली के पास रुकी है.

महंत की नजरें मालती के जिस्म पर ही गड़ी हुई थीं और मालती यहां आ कर अपने को असहज महसूस कर रही थी. तभी शराब का पैग मुंह से लगाते हुए महंत मालती से बोला, ‘‘ये भैरवनाथ का प्रसाद है, इसे पी लो तुम्हारे सब बिगड़े काम चुटकियों में बन जाएंगे.’’

जब मालती ने इनकार किया तो उसे भगवान का प्रसाद कह कर जबरदस्ती शराब पिला दी गई. कुछ देर बाद विनोद और दूसरे साथी मालती से यह कह कर चले गए कि ‘‘बाबाजी की सेवा करो, तुम्हारे सारे काम हो जाएंगे.’’

मालती कुछ समझ पाती, इस के पहले ही विनोद पांडे और महंत के चेलों ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया और एनेक्सी से बाहर निकल गए.

शराब का नशा चढ़ते ही मालती मदहोश हो गई, तभी मौके का फायदा उठा कर राजनिवास के एनेक्सी नंबर 4 में सीताराम दास ने मालती के साथ जबरदस्ती छेड़छाड़ करनी शुरू कर दी.

मालती ने मदहोशी की हालत में भी इस का विरोध करना शुरू किया तो महंत ने पूरी ताकत के साथ उसे पलंग पर गिरा दिया और उस के साथ अपना मुंह काला कर लिया.

दुष्कर्म करने के बाद महंत ने दरवाजा खोलना चाहा तो दरवाजा लौक था. तभी महंत ने मालती के फोन से विनोद को काल कर दरवाजा खुलवाया.

दुष्कर्म करने के बाद आरोपी और उस के साथी उसे नीचे ले आए थे, जहां खाना लगा हुआ था. सभी ने बैठ कर खाना खाया, मालती गुमसुम सी बैठी हुई थी. तभी विनोद पांडे मालती से बोला, ‘‘जो कुछ हुआ, उसे भूल कर एंजौय करो. बाबाजी के रहते तुम्हारा भला ही होगा.’’

मालती का चेहरा फीका पड़ चुका था. उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह क्या करे. महंत ने मालती को भी जबरदस्ती सलाद खिलाया और अपने चेलों से कहा, ‘‘इसे किसी होटल में छोड़ आओ.’’

महंत का आदेश मिलते ही कुछ चेले उसे छोड़ने कार से निकल पड़े. रास्ते में कार रुकवा कर मालती उतर कर भागने लगी. महाराजा होटल के पास उसे उस के 2 परिचित मिल गए. परिचित लोगों ने जैसे ही मालती से पूछा कि कार मे आए लोग कौन थे, महंत के चेले वहां से भाग निकले.

मालती ने परिचितों को अपनी आपबीती सुनाई तो वे ही उसे रीवा के सिविल लाइन थाने ले गए. इस के बाद मालती ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया.

पुलिस ने महंत सहित अन्य आरोपियों पर भादंवि की धारा 342, 504, 323, 328, 376बी, 506 एवं 5/6 पोक्सो एक्ट का मामला दर्ज कर लिया. इस बार तो यह बात मीडिया वालों को भी पता चल गई.

टीवी चैनलों पर महंत की दरिंदगी के समाचार ने पूरे विंध्याचल को हिला कर रख दिया. समदडि़या ग्रुप ने पहली अप्रैल से होने वाले आयोजन को तुरंत रद्द कर दिया.

रीवा पुलिस ने महंत के खास चेले विनोद पांडे को गिरफ्तार कर लिया, जबकि महंत अपने साथियों के साथ फरार हो गया था.

कौन है महंत सीताराम दास

नाबालिग लड़की से रेप की घटना के मुख्य आरोपी महंत सीताराम दास के बचपन का नाम समर्थ त्रिपाठी है, जो रीवा जिले की गुढ़ तहसील के गुढ़वा गांव का रहने वाला है. इस ने संत का चोला ओढ़ने के बाद अपने कई नाम रख लिए थे, जिन में विद्यारण्य त्रिपाठी, अंकित त्रिपाठी, के नाम से भी जाना जाता है.

10वीं कक्षा तक गुढ़ तहसील के गणेश उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पढ़ाई करने वाले महंत का स्कूली नाम विद्यारण्य त्रिपाठी है.

बचपन से ही उपद्रव करने की प्रवृत्ति के कारण वह स्कूल में पढ़ाई के दौरान लड़ाईझगड़ा करता था. 12वीं में फेल होने के बाद सन 2016 में विद्यारण्य का दाखिला मिलेनियम कालेज भोपाल में पौलिटेक्निक की पढ़ाई के लिए उस के पिता सच्चिदानंद त्रिपाठी ने करा दिया.

सच्चिदानंद त्रिपाठी की माली हालत ठीक नहीं थी. वह भोपाल में प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड है. जबकि महंत की मां भोपाल में टिफिन सेंटर चलाती है. मांबाप एकएक पैसे जोड़ कर अपने एकलौते बेटे के लिए इंजीनियरिंग कराने की कोशिश में लगे थे, परंतु उस की रुचि पढाई में नहीं थी.

वह आए दिन हमउम्र लड़कों के साथ गुंडागर्दी करने लगा और पौलिटेक्निक की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. भोपाल में गलत संगत में पड़ कर पढ़ाई के बजाय शराब और सिगरेट के नशे का आदी हो गया. इस की आपराधिक गतिविधियो से मांबाप भी परेशान रहने लगे थे.

आपराधिक मामलों से जुड़े होने के कारण इसे परिवार में भी ज्यादा नहीं पसंद किया जाता था. जब इस की असामाजिक गतिविधियां बढ़ गईं तो पिता ने अपने चाचा संत रामविलास वेदांती से बेटे को अपने साथ रखने का आग्रह किया.

श्रीराम जन्मभूमि न्यास के पूर्व सदस्य राम विलास वेदांती की पैदाइश रीवा की है. वह अविवाहित हैं. भाजपा के पूर्व सांसद रामविलास वेदांती सच्चिदानंद के सब से छोटे चाचा हैं.

पारिवारिक होने के चलते उन्होंने इसे अपना लिया. सच्चिदानंद त्रिपाठी के कहने पर संत रामविलास वेदांती द्वारा वर्ष 2018 में गोंडा के किसी मंदिर में विद्यारण्य त्रिपाठी को पुजारी का काम दे दिया, लेकिन अपनी आदत के मुताबिक यह अपनी कारगुजारियों से बाज नहीं आया.

तथाकथित महंत ने उस समय उत्तर प्रदेश के गोंडा में पंचायत चुनाव के दौरान अपने ही एक साथी महंत सम्राट दास पर कातिलाना हमला करवाया था, जिस में वह 6 महीने तक जेल में भी रहा है.

इस के बाद इसे वहां से हटा दिया गया, बाद में बहराइच के वशिष्ठ भवन ट्रस्ट के राम जानकी मंदिर में सेवादार बन कर रहने लगा और अपने आप को वहां का महंत बताने लगा. वह महंत सीताराम के नाम से जाना जाने लगा.

महंत अपने आप को रामविलास वेदांती का नाती बता कर उन के प्रभाव का इस्तेमाल कर बड़ेबड़े अफसरों, राजनेताओं के संपर्क में आ कर लोगों के बीच अपनी धाक जमाने लगा.

हाईप्रोफाइल संतों की मंडली में हो गया शामिल

हाईप्रोफाइल संतों की मंडली में शामिल महंत सीताराम के जिले के प्रभावशाली नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों से घनिष्ठ संबंध हो गए थे.

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तसवीरों से साफ जाहिर होता है कि रीवा के कमिश्नर और पुलिस कप्तान के साथ विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम बाबा के खास चेलों में गिने जाते हैं. यही वजह है कि सारे नियमकायदों को दरकिनार कर इस ढोंगी को रीवा का सर्किट हाउस अलाट हुआ था.

सर्किट हाउस में आमतौर पर राजकीय मेहमानों और अधिकारियों को रुकने की अनुमति होती है, लेकिन महंत के रसूख और अफसरों से संपर्क के कारण एसडीएम ने उसे सर्किट हाउस अलाट कर दिया.

विंध्य क्षेत्र के प्रतिष्ठित नेता और मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम भी महंत सीताराम दास के भक्तों में शामिल थे.

सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दोनों की एक तसवीर सामने आई, जिस में गिरीश गौतम बाबा से आशीर्वाद लेते हुए नजर आ रहे हैं. फोटो में पीछे भारत का झंडा भी दिख रहा है. इस से अनुमान लगाया जा सकता है कि तसवीर किसी सरकारी कार्यक्रम या दफ्तर की हो सकती है.

रीवा के एसपी नवनीत भसीन के साथ भी इस तथाकथित बाबा की कई तसवीरें हैं. एक तसवीर में सीताराम दास एसपी को शाल और श्रीफल दे कर तिलक लगा कर सम्मान करता हुआ दिख रहा है.

दबंग पुलिस अधिकारियों में गिने जाने वाले भसीन पाखंडी बाबा के हाथों सम्मानित हो कर बेहद प्रसन्न हुए थे रीवा संभाग के कमिश्नर अनिल सुचारी भी इस बाबा के मुरीद बताए जाते हैं. कमिश्नर की सीताराम दास के साथ कई तसवीरें हैं. एक तसवीर में कमिश्नर भी उसे श्रीफल दे कर सम्मानित करते नजर आ रहे हैं. तसवीर में सुचारी ने मास्क लगा रखा है, जिस से पता चलता है कि यह फोटो कोरोना काल की है और ज्यादा पुरानी नहीं है.

जिले के उद्योगपति और बिल्डर्स भी बाबा के करीबियों में शुमार हैं. जानकारी के मुताबिक सीताराम दास जब भी रीवा आता था, उस से मिलने के लिए इन लोगों की लाइन लगी रहती थी.

इस बार भी वह एक बिल्डर अजीत समदडि़या के बुलावे पर ही रीवा आया था. समदडि़या बिल्डर्स के बनाए एक आलीशान मौल के उद्घाटन के जिस कार्यक्रम के लिए बाबा आया था, उस के लिए बाकायदा निमंत्रण पत्र छपवाए गए थे.

महंत की एक फोटो मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के साथ भी वायरल हुई, जिस में महंत नरोत्तम मिश्रा को भगवत गीता भेंट करता दिख रहा है.

प्रभावशाली लोगों के साथ तसवीर खिंचवाने में माहिर इस ढोंगी महंत के साथ सुरक्षा व्यवस्था भी रहती थी. बाबा जहां कहीं भी जाता था, उस की सुरक्षा में पुलिस के जवान लगे होते थे. ऐसी कई तसवीरें भी मौजूद हैं, जिन में पुलिसकर्मी आरोपी बाबा के आगेपीछे चलते हुए दिख रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने सभा में लगाई एसपी और कलेक्टर को फटकार

राज निवास में हुई रेप की घटना के तीसरे दिन रीवा के पीटीएस मैदान में राज्य स्तरीय रोजगार दिवस समारोह के आयोजन में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभा मंच से ही रीवा के कलेक्टर और एसपी को जम कर फटकार लगाई.

उन्होंने कहा, ‘‘बेटी के साथ अगर किसी ने दुराचार किया तो उसे कुचल दिया जाएगा. कहां हैं कलेक्टर और एसपी. ये बुलडोजर कब काम आएंगे. करो इन को जमींदोज. तोड़ दो ऐसे गुंडों को और बदमाशों को, जो बहन और बेटी पर गलत नजर उठा कर देखते हैं.’’

मुख्यमंत्री के कठोर रवैए को देख कर जिले का पुलिस प्रशासन हरकत में आया.

अश्लील तसवीरें हुईं वायरल

सोशल मीडिया पर वायरल तसवीरें बता रही हैं कि किस तरह भगवा चोला ओढ़ने वाला पाखंडी महंत सीताराम दास बिगड़े काम बनाने के नाम पर लड़कियों की अस्मत से खेल कर रासलीला रचा रहा था. घटना के बाद महंत सीताराम की लड़कियों के साथ कमरे में रंगरलियां मनाने वाली तसवीरें भी वायरल हो गईं.

इन तसवीरों में खुले तौर पर देखा जा सकता है कि महंत अय्याशी का शौकीन है. जिस प्रकार से इन वायरल हो रही तसवीरों में महंत को लड़की के साथ देखा जा रहा है, उस से यह कहना गलत नहीं होगा कि साधु का चोला ओढ़े महंत किसी हैवान से कम नहीं है.

महंत की लड़की के साथ वायरल हो रही यह तसवीर रीवा के किसी होटल की ही है, इस में जो शौपिंग बैग रखा हुआ है वह रीवा के ही एक मौल का है.

इन तसवीरों के वायरल होने के बाद यही कहा जा रहा है कि महंत ने रीवा में अपने स्थानीय चेलों की मदद से अय्याशी का अड्डा बना रखा था और महंत के आपराधिक प्रवृत्ति के स्थानीय चेले ही इस तरह के इंतजाम महंत के लिए बदलबदल कर करते थे. शायद यही वजह है कि महंत का टूर रीवा के लिए जल्दीजल्दी बनता रहता था.

सिंगरौली में नाई की दुकान पर मिला महंत

आसाराम बापू, नारायण साईं, राम रहीम जैसे कई संत धर्म के नाम पर महिलाओं की इज्जत से खिलवाड़ कर चुके हैं, मगर इन घटनाओं से लोग सबक लेने के बजाय पाखंडी धर्मगुरुओं के चंगुल में फंस जाते हैं.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की फटकार के बाद हरकत में आई रीवा पुलिस ने महंत की गिरफ्तारी के लिए एड़ीचोटी का जोर लगा दिया.

पुलिस को जांच में पता चला कि घटना के बाद महंत को रीवा से भगाने में ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय त्रिपाठी और उस के भांजे अंशुल मिश्रा की भूमिका रही थी.

महंत से जुड़े लोगों से पूछताछ में पुलिस को अहम सुराग मिले कि संजय मिश्रा ने अपने फार्महाउस पर महंत को छिपाया था और अपनी फौर्च्युनर कार से उसे रीवा से सीधी तक छोड़ा गया था.

पुलिस ने संजय त्रिपाठी और उस के भांजे अंशुल को भोपाल से धर दबोचा और रीवा रेंज के आईजी ने सीधी और सिंगरौली जिले की पुलिस को महंत की घेराबंदी करने के निर्देश दिए.

30 मार्च, 2022 की शाम को सिंगरौली के एसडीपीओ राजीव पाठक को मुखबिर के माध्यम से खबर मिली कि महंत सीताराम दास बैढ़न बस स्टैंड के पास घूम रहा है. राजीव पाठक और टीआई यू.पी. सिंह ने पुलिस टीम के साथ महंत को घेर लिया.

दुष्कर्मी महंत बैढ़न बस स्टैंड पर एक नाई के सैलून पर बैठ कर दाड़ीमूंछ और बाल कटवा कर भेष बदल कर भागने की फिराक में था. सिंगरौली पुलिस ने महंत को गिरफ्तार कर लिया और बाद में उसे रीवा पुलिस के हवाले कर दिया.

महंत और सहयोगियों के ठिकानों पर चले बुलडोजर

31 मार्च की शाम कलेक्टर मनोज पुष्प और एसपी नवनीत भसीन बुलडोजर ले कर नगर परिषद गुढ़ के गांव गुड़वा पहुंचे. प्रशासन ने अपनी काररवाई के दौरान 500 मीटर के दायरे में जैमर लगाया था, जिस से किसी को काररवाई की खबर नहीं लग सके.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कहने पर 24 घंटे के भीतर बाबा की अय्याशी का अड्डा बना मकान जमींदोज कर दिया. महंत सीताराम के जिस निर्माणाधीन मकान को जिला प्रशासन ने ध्वस्त किया, वह 50×30 फीट का था. हालांकि इस मकान में महंत सीताराम दास की फूटी कौड़ी तक नहीं लगी है.

दुष्कर्मी महंत अपने बाप की इकलौती संतान था, जिस के मातापिता भोपाल में रह कर गुजरबसर करते हैं.

इसी तरह दुराचार के आरोपी महंत सीताराम दास महाराज को अपने फार्महाउस में छिपाने वाले संजय त्रिपाठी के भी रेलवे ब्रिज के पास बन रहे शौपिंग मौल को पुलिस ने जमींदोज कर दिया है. संजय त्रिपाठी अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज का राष्ट्रीय अध्यक्ष बताया जा रहा है.

संजय त्रिपाठी को रेपकांड मामले में सहआरोपी बनाया गया है. पुलिस पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ है कि रीवा के राजनिवास सर्किट हाउस में किशोरी के साथ बलात्कार की घटना को अंजाम देने के बाद महंत सीताराम दास महाराज उर्फ समर्थ त्रिपाठी को फरारी के दौरान संजय त्रिपाठी ने अपने फार्महाउस में शरण दी थी और इस के बाद सीधी तक पहुंचाने में भी मदद की थी.

पूरी काररवाई के दौरान रीवा कलेक्टर मनोज पुष्प और एसएसपी नवनीत भसीन के निर्देश पर गठित टीम में एडीएम शैलेंद्र सिंह, एसडीएम अनुराग तिवारी, तहसीलदार सौरभ द्विवेदी, गुढ़ थानाप्रभारी आराधना सिंह, गोविंदगढ़ थानाप्रभारी मृगेंद्र सिंह,

सगरा थानाप्रभारी ऋषभ सिंह बघेल, रायपुर कचुर्लियान थानाप्रभारी पुष्पेंद्र सिंह यादव सहित नगर पंचायत गुढ़ का अमला मौजूद रहा.

पुलिस ने महंत को न्यायालय में पेश कर रिमांड पर ले कर पूछताछ की तो महंत के साधु से शैतान बनने की पूरी कहानी सामने आ गई.

ब्राह्मण समाज के प्रदेश संयोजक अंशुल मिश्रा के कहने पर ही विनोद पांडेय के नाम से सर्किट हाउस में एनेक्सी नंबर 4 को बुक किया गया था. अंशुल मिश्रा संजय त्रिपाठी का भांजा है.

विनोद ने ही महंत सीताराम महाराज के लिए शराब पार्टी का इंतजाम किया था. महंत के साथ रहने वाला मोनू मिश्रा चखना आदि ले कर आया था. वारदात के बाद महंत के चेले मोनू मिश्रा ने रीवा के दुबारी से भितरी तक महंत को कार से छोड़ा था.

इस के बाद तौफीक अंसारी नाम का शख्स अपनी बाइक से महंत को भितरी से सीधी के रामपुर नैकिन तक ले कर गया. तौफीक ने महंत से 10 हजार रुपए ले कर कपड़े दिए, फिर सिंगरौली की बस में बिठा दिया.

महंत सीताराम महाराज का चेला धीरेंद्र मिश्रा महंत के हर गलत काम से शुरू से अंत तक साथ रहा. पुलिस ने रेप कांड के मुख्य आरोपी महंत सीताराम दास महाराज के अलावा विनोद पांडेय, संजय त्रिपाठी, अंशुल मिश्रा, तौफीक अंसारी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है.

कथा लिखे जाने तक मोनू मिश्रा व धीरेंद्र मिश्रा फरार थे, जिन्हें पकड़ने के लिए पुलिस संभावित ठिकानों पर दबिश डाल रही थी.

पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया.

रीवा की इस घटना ने तथाकथित धर्मगुरु और संत का चोला ओढ़े पाखंडियों की काली करतूत को उजागर कर दिया है और लोगों को सचेत भी किया है कि वे चमत्कारों के चक्कर में अपनी बहनबेटियों की इज्जत को दांव पर न लगाएं.

—कथा मीडिया रिपोर्ट पर आधारित. कथा में मालती परिवर्तित नाम है…

इश्क का खेल- भाग 1: क्या हुआ था निहारिका के साथ

निहारिका दिल्ली में सीबीआई ब्रांच में है. इंस्पैक्टर रुस्तम की असिस्टैंट, बहुत ही तेज दिमाग… इंस्पैक्टर रुस्तम के पास एक ही घर के 2 केस आते हैं. केस करनाल का है, जो काफी समय से उलझा हुआ है. एक 26-27 साल की शादीशुदा श्रेया ने खुदकुशी कर ली है. श्रेया का पति सुजल आस्ट्रेलिया में रहता है, लेकिन श्रेया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि वह 2 महीने के पेट से थी. श्रेया की खुदकुशी के 5 महीने बाद उस की सास यानी सुजल की मां भी खुदकुशी कर लेती हैं, लेकिन दोनों का खुदकुशी का तरीका एक ही है यानी पंखे से लटक कर मरना. दोनों की खुदकुशी करने का वही तकरीबन आधी रात का समय. यह जान कर निहारिका सोचती है कि कहीं तो कुछ गड़बड़ है.

दोनों खुदकुशी एक सी और सुजल एक साल से घर नहीं आया, फिर श्रेया पेट से कैसे हो सकती है? निहारिका बोली, ‘‘सर, सुजल एक साल से घर नहीं आया, फिर श्रेया…’’ इंस्पैक्टर रुस्तम ने कहा, ‘‘मैं भी वही सोच रहा हूं. मुझे लगता है कि इस केस को जानने के लिए करनाल जाना पड़ेगा. लेकिन मेरी टांग में फै्रक्चर भी अभी होना था. मैं वहां जा कर भी कुछ नहीं कर पाऊंगा.’’ निहारिका ने कहा, ‘‘सर, आप परमिशन दें, तो मैं जाना चाहूंगी.’’ ‘‘तुम अकेली? कोई दिक्कत तो नहीं होगी? सोच लो…’’ ‘‘नहीं सर, मुझे कोई परेशानी नहीं होगी.’’ ‘‘ठीक है, तुम जाने की तैयारी करो. और हां, मुझे हर पल की खबर देते रहना. यह मेरी पिस्टल अपने पास रख लो, मुसीबत में इस से मदद मिलेगी. मैं अभी ट्रेन की टिकट बुक कराता हूं, तुम निकलने की तैयारी कर लो.’’ ‘‘ठीक है सर.’’ इंस्पैक्टर रुस्तम ने सुबह की ट्रेन की टिकट बुक करवा दी. निहारिका करनाल जाने की तैयारी करती है.

अब उसे अकेले ही वहां काम करना है. इंस्पैक्टर रुस्तम कहते हैं कि वे रोज उस से फोन पर बात कर के सारी डिटेल्स जानते रहेंगे और सलाहमशवरा भी देते रहेंगे. केस फाइल जब निहारिका को दी जाती है, तो वह उस में दिए गए एक नंबर पर फोन करती है. उधर से आवाज आती है, ‘हैलो, कौन?’ ‘‘क्या मैं सुजल से बात कर सकती हूं?’’ ‘जी, बोल रहा हूं, आप कौन?’ ‘‘मैं सीबीआई से सबइंस्पैक्टर निहारिका बोल रही हूं. आप ने जो केस फाइल किया था, उस के बारे में कुछ डिस्कस करनी थी.’’ ‘जी जरूर… मैडम, जल्दी से जल्दी  मेरी मां और बीवी के कातिल को पकडि़ए. उस में अगर मैं कोई हैल्प कर सकता हूं तो बताएं… अभी तो मैं इंडिया आ नहीं सकता. कोरोना की वजह से सब फ्लाइट कैंसिल कर दी गई हैं.’

‘‘आप इंडिया कब आए थे और आप को किसी पर कोई खास शक…? आप की पत्नी की रिपोर्ट बताती है कि जिस समय उन का कत्ल हुआ, वे पेट से थीं. और दोनों कत्ल भी शायद एक ही शख्स ने किए हैं, क्योंकि दोनों औरतों को पहले गला घोंट कर मारा गया और उस के बाद उन्हें पंखे से लटका कर खुदकुशी का नाम दिया गया.’’ ‘यही बात तो मुझे भी कचोट रही है. मैं अपनी वाइफ के चालचलन पर शक करने का तो सोच भी नहीं सकता… या तो किसी ने उस के साथ कुछ गलत किया है, जो वह बरदाश्त नहीं कर सकी और न ही किसी से अपना दुख कह सकी, शायद इसलिए उस ने खुदकुशी कर ली. मैं एक साल पहले तब इंडिया आया था, जब मेरी मां को हार्ट अटैक आया था.

‘सोचिए, जिस इनसान के 2 सहारे चले गए हों और वह उन के आखिरी समय पर पहुंच भी न पाए, क्या बीत रही होगी उस पर. पापा वहां अकेले कैसे पहाड़ जैसा दुख झेल रहे होंगे, बिलकुल टूट गए होंगे.’ ‘‘आप चिंता मत कीजिए, हम जल्दी ही कातिल का पता लगाएंगे.’’ जब निहारिका को पक्का हो गया कि  सुजल एक साल से घर नहीं आया है और श्रेया की रिपोर्ट प्रैगनैंसी की है, तो उस की छठी इंद्री जाग जाती है. वह करनाल के लिए निकल पड़ती है. करनाल जा कर सब से पहले निहारिका सुजल के पापा आशीष बजाज के घर में नौकरी हासिल करती है, ताकि वह घर के अंदर से कुछ सुबूत ढूंढ़ सके. ‘‘निहारिका, तुम इस छोटी उम्र में इस तरह होम केयर की नौकरी क्यों करती हो? तुम्हारे घर में और कोई नहीं है क्या काम करने वाला?’’ आशीष बजाज  ने पूछा. ‘‘नहीं सर, मेरा कोई नहीं है. मेरे पति की एक हादसे में मौत हो चुकी है.

मनोहर कहानियां: अय्याशी में गई जान

27 फरवरी, 2022 को सुबह ही भाई सोनू कुमार का नंबर देखते ही सोनिया चहक उठी. उस ने फोन उठाया तो सोनू ने कहा, ‘‘आज रात मैं ने नीशू और उस की मां जयंती की हत्या कर दी. उन दोनों की लाशें घर में पड़ी हुई हैं. मैं बच्चों को साथ ले कर तेरे पास आ रहा हूं.’’

भाई का फोन रिसीव करते ही उस की खुशियां काफूर हो गईं. इस से पहले कि सोनिया उस से कुछ बात कर पाती, सोनू ने फोन काट दिया.

भाई की बात सुनते ही उस का माथा घूम गया. उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उस का भाई जो कह रहा था, वह सच था या वह मजाक कर रहा था.

भाई की बात सुनते ही सोनिया सदमे में पहुंच गई. उस ने उस के बाद कई बार भाई के मोबाइल पर काल लगाने की कोशिश की, लेकिन उस ने रिसीव नहीं की. उस के बाद सच्चाई जानने के लिए उस ने अपने ममेरे भाई रामपाल को फोन कर भाई सोनू के घर की स्थिति जानने के लिए भेजा.

ममेरा भाई रामपाल उस के घर पहुंचा तो घर पर बाहर से ताला लगा हुआ था. उस ने उस के पड़ोसियों से सोनू के बारे में जानकारी लेनी चाही तो किसी से भी कुछ जानकारी नहीं मिल पाई. उस के बाद रामपाल सिंह सीधे जसपुर कोतवाली पहुंचा.

कोतवाली पहुंचते ही उस ने कोतवाल जे.एस. देऊपा के सामने सारी हकीकत रख दी.

एक घर में दोहरे हत्याकांड की बात सुनते ही कोतवाल देऊपा पुलिस टीम के साथ जसपुर कस्बे में मोहल्ला नत्था सिंह पंडों वाले कुएं के पास स्थित सोनू के घर पहुंचे और उन्होंने उस के बंद घर का ताला तुड़वाया.

पुलिस जैसे ही घर के अंदर घुसी, वहां का दृश्य दिल को दहलाने वाला था. एक कमरे में सोनू की 35 वर्षीय पत्नी नीशू की खून से लथपथ लाश पड़ी हुई थी. लाश के पास ही रक्तरंजित पाटल (गंडासा) पड़ा हुआ था.

दूसरे कमरे में उस की 55 वर्षीय सास जयंती की चारपाई पर लाश पड़ी हुई थी. जयंती का शव रजाई से ढंका हुआ था. दोनों की एक ही तरह पाटल से काट कर हत्या की गई थी. दोनों के गरदन और शरीर पर पाटल के कई निशान मौजूद थे.

दोनों को मौत की नींद सुलाने के बाद सोनू घर से फरार हो गया था. इस दोहरे हत्याकांड की जानकारी लगते ही पूरे शहर में सनसनी फैल गई. जिस ने भी सुना, वह घटना की जानकारी लेने के लिए सोनू के घर पहुंचने लगा.

देखते ही देखते वहां पर लोगों का हूजूम उमड़ पड़ा. इस घटना की सूचना पर एसपी चंद्रमोहन सिंह, सीओ वीर सिंह भी जानकारी लेने के लिए घटनास्थल पर पहुंचे.

पुलिस ने ही इस घटना की जानकारी सोनू की ससुराल जिला मुरादाबाद, गांव टांडा अफजल ठाकुरद्वारा निवासी वीरसिंह की दी. अपनी पत्नी और बेटी की हत्या की सूचना पाते ही वीर सिंह ऊधमसिंह नगर के कस्बा जसपुर पहुंच गए.

पुलिस ने घटनास्थल की बारीकी से जांचपड़ताल करने के बाद सोनू के बारे में जानकारी ली. इस से पहले कि पुलिस सोनू के पास पहुंच पाती, वह अपने तीनों बच्चों को अपनी बहन सोनिया के पास छोड़ कर फरार हो गया था.

पुलिस पूछताछ के दौरान पता चला कि सोनू की नीशू के साथ दूसरी शादी हुई थी. उस की पहली पत्नी उसे छोड़ कर चली गई थी. सोनू नेटवर्किंग करता था. जिस में वह युवकयुवतियों को भी अपने साथ जोड़ता था. उसी काम के चलते उस ने कई युवतियों से अवैध संबंध बना रखे थे.

सोनू की बीवी नीशू उस की इन हरकतों से परेशान थी. जिस के कारण वह अपनी पत्नी से नफरत करने लगा था. उसी नफरत के चलते उस ने अपनी पत्नी नीशू और सास की हत्या कर दी होगी.

सोनू कुमार के बारे में विस्तृत जानकारी जुटा कर पुलिस ने सासबहू दोनों की लाशों का पंचनामा भर कर उन्हें पोस्टमार्टम हेतु भिजवा दिया था. इस डबल मर्डर मामले के जल्दी खुलासे के लिए काशीपुर एसपी चंद्रमोहन सिंह ने एसओजी टीम को भी लगा दिया.

आरोपी सोनू की गिरफ्तारी के लिए एसओजी की कई टीमें गठित की गईं. एसओजी प्रभारी कमलेश भट्ट ने सोनू के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगाया तो उस का मोबाइल स्विच्ड औफ मिला.

उसी दौरान पता चला कि सोनू बिजनौर के धामपुर कस्बे में देखा गया था. लेकिन मोबाइल बंद होने के कारण पुलिस उस की लोकेशन का पता नहीं कर पा रही थी.

पुलिस जांचपड़ताल के दौरान सोनू की बहन सोनिया ने पुलिस को बताया कि सोनू ने उस से बात करते वक्त कहा था कि उस ने अपनी पत्नी और सास को खत्म कर दिया है, अब वह स्वयं भी आत्महत्या करने जा रहा है. उस के बाद से ही उस का मोबाइल बंद आ रहा है.

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने सोचा कि कहीं सोनू ने कुछ जहरीला पदार्थ खा कर आत्महत्या तो नहीं कर ली. उस के बाद पुलिस ने उसे हरसंभव स्थान पर खोजा, लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं लग सका.

पुलिस को जानकारी मिली थी कि सोनू अपनी बीवी और सास की हत्या कर अपने बच्चों को एक कार में बैठा कर अमरोहा पहुंचा था. लेकिन वह कार किस की थी, इस बात की जानकारी किसी को नहीं थी. पुलिस ने हरसंभव स्थान पर उस की तलाश की, लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं चल सका.

रेलवे ट्रैक पर मिली लाश

उसी दौरान 28 फरवरी, 2022 को मृतका नीशू के भाई सौरभ कुमार ने सोनू कुमार के खिलाफ जसपुर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करा दी.

सोनू के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होते ही एसओजी टीम एक्शन में आ गई. पुलिस की कई टीमें जिला बिजनौर, मुरादाबाद, अमरोहा आदि क्षेत्रों में रवाना हुईं, लेकिन कहीं से भी उस की लोकेशन ट्रेस नहीं हो पाई.

पुलिस सोनू की तलाश में इधरउधर भटक रही थी, उसी दौरान पहली मार्च को गाजियाबाद रेलवे स्टेशन के नजदीक रेलवे ट्रैक पर रेलवे पुलिस फोर्स (आरपीएफ) के जवानों को एक व्यक्ति की लाश पड़ी मिली. आरपीएफ के जवानों ने उस की सूचना कविनगर थानाप्रभारी आनंद प्रकाश मिश्र को दी.

लाश की सूचना पर कवि नगर थाना पुलिस घटनास्थल पर पहुंची. पुलिस ने पहुंचते ही मृतक की जेब की तलाशी ली तो उस में एक पौकेट डायरी और आधार कार्ड मिला. उस की जेब से एक सुसाइड नोट भी मिला, जिस में लिखा था, ‘मैं सोनू कुमार नीशू की मौत का जिम्मेदार हूं.’

आधार कार्ड के माध्यम से मृतक की पहचान जसपुर, उत्तराखंड निवासी सोनू के रूप में हुई.

कविनगर थानाप्रभारी आनंद प्रकाश मिश्र ने उत्तराखंड एसओजी प्रभारी कमलेश भट्ट को फोन पर मामले की जानकारी दी.

इस जानकारी के मिलते ही जसपुर कोतवाल जे.एस. देऊपा ने मृतक सोनू के घर वालों को इस की सूचना दी. सोनू के आत्महत्या करने की जानकारी मिलते ही उस के घर वाले और जसपुर पुलिस तुरंत ही गाजियाबाद पहुंची, जहां पर पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए उस की लाश उस की बहनों को सौंप दी.

सोनू के खत्म होते ही एक परिवार पूरी तरह से खत्म हो गया. मृतक सोनू के तीनों बच्चे उस की बहन के पास अमरोहा में थे. सोनू ने अपने सुसाइड नोट में लिखा, ‘नीशू, मैं तुझे बहुत ही प्यार करता था.’

फिर ऐसा क्या हुआ कि अचानक दोनों के बीच की डोर इतनी कमजोर पड़ गई कि सोनू को इतना बड़ा कदम उठाने को मजबूर होना पड़ा.

इस की जो हकीकत सामने आई, वह इस प्रकार थी.

उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर का एक कस्बा है जसपुर. इसी कस्बे में ठाकुर मंदिर के ठीक पीछे स्थित मोहल्ले में रहता था कैलाशनाथ का परिवार.

कैलाशनाथ के 5 बच्चे थे. 4 बेटियां और इकलौता बेटा निखिल उर्फ सोनू कुमार. कैलाशनाथ ने समय से ही सभी बच्चों की शादी कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली थी.

बच्चों की शादी होने के बाद ही कैलाशनाथ और उन की पत्नी की मौत हो गई थी. मांबाप की मौत के बाद सोनू अपनी बीवी राजवती के साथ रह रहा था.

सोनू की शादी अब से लगभग 10 साल पहले जिला बिजनौर के गांव झालू निवासी राजवती से हुई थी. सोनू शुरू से ही तेजतर्रार था. राजवती के साथ शादी करने के कुछ समय तक तो उन दोनों के बीच सब कुछ सही रहा था. लेकिन फिर सोनू उसे परेशान करने लगा था.

सोनू शुरू से ही आवारा किस्म का युवक था. वह कामधंधा कुछ नहीं करता था. शादी के बाद उस के खर्चे बढ़े तो वह परेशान रहने लगा. घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए राजवती ने कई बार उस से कुछ काम तलाशने को कहा. लेकिन उसे कहीं भी कोई काम नहीं मिला. उस के बाद वह राजवती के पास रखे पैसे भी अपने खर्च के लिए ले लेता था.

उसी बीच राजवती एक बच्ची स्पर्श की मां भी बन गई थी. बच्ची के घर में आने के बाद आए दिन दोनों के बीच में खटपट रहने लगी थी. मियांबीवी में मनमुटाव के चलते ही कई बार राजवती अपने मायके भी चली गई थी.

घर में विवाद ज्यादा बढ़ा तो जल्दी ही दोनों के बीच तलाक की नौबत आ गई थी. उसी सब के चलते राजवती एक दिन अपने मायके चली गई, फिर वापस नहीं आई.

सोनू की हरकतों से आजिज आ कर राजवती के मायके वालों ने सोनू पर मुकदमा डाल दिया था, जिस के कारण उसे जेल की हवा भी खानी पड़ी थी.

जेल से आने के बाद वह कुछ ज्यादा ही परेशान रहने लगा था. उस का सब से बड़ा कारण था उस की बेटी स्पर्श, जो राजवती के मायके जाने के बाद उसी के पास रह रही थी. राजवती के मायके वालों ने काफी कोशिश की कि किसी भी तरह से दोनों के संबंध बने रहें. लेकिन सोनू अपनी हरकतों से बाज नहीं आया.

उस की हरकतों से परेशान हो कर राजवती ने कोर्ट के माध्यम से उस से तलाक ले लिया. बीवी से तलाक लेने के बाद वह अकेला पड़ गया था. उस की सभी बहनों की शादी हो चुकी थी. उस की बेटी स्पर्श उसी के साथ थी, जिस की परवरिश करना उस के लिए टेढ़ी खीर हो रही थी.

उसी मुसीबत के दौर में सोनू की मुलाकात बिजनौर निवासी पंकज राजपूत से हुई. पंकज राजपूत एक मार्केटिंग कंपनी में एरिया मैनेजर था. पंकज के संपर्क में आते ही उसे उसी कंपनी में सेल्स एग्जीक्यूटिव की नौकरी मिल गई. लेकिन उस की नौकरी ऐसी नहीं थी, जिस से उसे हर माह बंधाबंधाया वेतन मिल सके. वह एक मार्केटिंग कंपनी थी, जिस में कंपनी में टिके रहने के लिए एक टारगेट पूरा करना होता था.

उस मार्केटिंग कंपनी का औनलाइन काम था, जिस में कंपनी का काम करते हुए खुद अपना भविष्य बनाना होता था. अपना कैरियर बनाने के लिए सोनू को युवकयुवतियों से संपर्क करने के लिए दिनरात एक करना पड़ा.

सोनू हर रोज घर से निकलता और नएनए ग्राहकों की तलाश करता. कुछ ही दिनों में उस की मेहनत रंग लाई. जल्दी ही उस के कई युवकयुवतियों से संपर्क बन गए थे.

सोनू शुरू से ही ऐशोआराम की जिंदगी जीने वाला शख्स था. वह इस से पहले कई जगह काम कर चुका था. लेकिन वह कहीं पर भी ज्यादा दिन नहीं टिक पाता था.

मार्केटिंग का काम चालू होते ही उस के घर पर युवकयुवतियों का आनाजाना शुरू हो गया था. उसी नेटवर्किंग के काम के चलते वह महिलाओं के करीब हो जाता. उसी काम के चलते उस की मुलाकात नीशू से हुई.

सोनू की प्रेम दीवानी हो गई नीशू

नीशू देखनेभालने में सुंदर थी. नीशू ने इंटरमीडिएट पास कर लिया था. उस के बाद वह भी किसी जौब की तलाश में थी.

कुछ अनौपचारिक मुलाकातों के बाद ही सोनू ने नीशू को नौकरी दिलाने का झांसा दे कर अपने जाल में फंसा लिया था. फिर धीरेधीरे अपने दिल की पीड़ा उस के सामने रखते हुए उस के दिल में भी अपने प्रति प्यार जगा दिया था.

सोनू के संपर्क में आने के बाद नीशू उस की प्रेम दीवानी हो गई. सोनू ने नीशू के सामने अपनी पिछली जिंदगी पर परदा डालते हुए बताया कि वह अभी कुंवारा ही है. जिस के बाद नीशू पूरी तरह से अपनी जिंदगी की बागडोर उस के हाथ में थमाने पर मजबूर हो गई थी.

नीशू के संपर्क में आने के बाद सोनू भी उस के साथ अपनी जिंदगी गुजारने के सपने संजोने लगा. दोनों के बीच प्रेम प्रसंग चालू होते ही सोनू कई बार नीशू को अपने साथ अपने घर पर भी ले जाता था.

उस दौरान कई बार नीशू ने सोनू से उस की नौकरी लगाने की बात कही तो उस ने साफ शब्दों में कहा कि अब उसे नौकरी की चिंता करने की जरूरत नहीं. वह जल्दी ही उस के साथ शादी कर के अपना घर बसाते ही उसे नौकरी भी दिला देगा.

इस के बाद नीशू पूरी तरह से निश्चिंत हो गई थी. सोनू ने नीशू से प्रेम जताते हुए उस के साथ अवैध संबंध भी स्थापित कर लिए थे.

कुछ समय तक तो दोनों के बीच प्रेम प्रसंग चोरीछिपे चलता रहा. लेकिन समय के गुजरते उन दोनों की हकीकत नीशू के घर वालों के सामने आ गई.

नीशू की हकीकत सामने आते ही उस के घर वालों को बहुत ही बुरा लगा. लेकिन नीशू ने अपने घर वालों को समझा दिया कि वह अब बालिग हो चुकी है, अपनी जिंदगी का फैसला स्वयं ले सकती है. उस ने घर वालों से साफ कह दिया कि सोनू उस से शादी करने को तैयार है.

नीशू की यह बात उस के पिता वीर सिंह को बहुत बुरी लगी. लेकिन वह भी अपनी बेटी को बहुत प्यार करते थे. उन्हें पता था कि अगर उन्होंने अपनी बेटी के अरमानों का गला घोटने की कोशिश की तो वह कुछ भी कर सकती है. यही सोच कर उन्होंने सोनू के साथ शादी करने की हामी भर ली.

सोनू लंगोट का था कच्चा

उस के बाद वीर सिंह ने 10 अप्रैल, 2014 को आर्यसमाज रीतिरिवाज के अनुसार सोनू कुमार के साथ अपनी बेटी नीशू की शादी कर दी. नीशू और सोनू शादी कर के खुश थे. कुछ समय तक दोनों के बीच सब कुछ ठीकठाक चला. समय के साथ नीशू 2 बच्चों की मां भी बन गई.

उस की नौकरी तो नहीं लग पाई. लेकिन वह अपने 2 बच्चों स्तुति और ओम सिंह के साथसाथ सोनू की पहली बीवी की बेटी स्पर्श का भी ठीक प्रकार से लालनपालन कर रही थी.

सोनू का नेटवर्किंग का काम था. उस की कमाई अपने ग्रुप में सदस्य जोड़ने के बाद ही हो पाती थी. इसी कारण वह हर वक्त नए सदस्यों की तलाश में जुटा रहता था.

वह अपने संपर्क में आने वाले युवकयुवतियों को कंपनी में काम दिलाने का झांसा दे कर फंसा लेता, फिर उन पर काफी खर्च भी करता था. जिस से युवकयुवतियां उस के रहनसहन और ठाटबाट को देख कर जल्दी ही उस से प्रभावित हो जाते थे.

सोनू लंगोट का बहुत ही कच्चा था. कोई भी सुंदर युवती उस के संपर्क में आती तो उसे देख कर उसे पाने की लालसा जाग जाती थी. नौकरी का लालच दिखा कर वह हर युवती के साथ यौन संबंध बनाने की लालसा करने लगता था. जिस के कारण कमाई से ज्यादा वह खर्च करने लगा था.

यही कारण रहा कि जल्दी ही उसे आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ा. वह पैसों के लिए तरसने लगा. उस के बाद वह नीशू से पैसों की मांग करने लगा था. यह बात नीशू के पिता वीर सिंह के सामने पहुंची तो उन्होंने भी उसे समझाने की कोशिश की.

उस की आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद वीर सिंह ने गांव से ही अपने मिलने वाले से ब्याज पर एक लाख रुपए उसे दिला दिए, जो कुछ ही दिनों में उस ने खर्च कर दिए. उस के बाद वह फिर से नीशू पर और रुपयों की मांग करने लगा था.

वीर सिंह आर्थिक रूप से इतना मजबूत नहीं था कि वह बारबार उस की सहायता करता. वीर सिंह ने सोनू को रुपए देने से इनकार किया तो उस ने नीशू के साथ मारपीट करनी शुरू कर दी.

सोनू की हरकतें देख वीर सिंह का परिवार परेशान हो उठा. उस के बाद वीर सिंह ने अपनी बेटी का भविष्य देखते हुए अपनी जुतासे की जमीन बेच कर सोनू को 5 लाख रुपए दिए. लेकिन सोनू फिर भी सीधे रास्ते पर नहीं आया था.

उस ने वह रुपए भी शीघ्र ही अय्याशी में उड़ा दिए. उस पैसे के बल पर उस ने कई युवतियों के साथ अवैध संबंध बना लिए थे. दूसरी युवतियों पर रुपए खर्च करने को ले कर उस के ससुराल वाले खफा हो गए. उस के बाद वह अपनी बीवी को एक नजर तक नहीं देखना चाहता था. उस के बावजूद वह हर रोज नईनई युवतियों को घर लाने लगा था. एक दिन नीशू किसी काम से बाजार गई हुई थी. घर आई तो सोनू के साथ एक युवती भी थी, जिसे देखते ही नीशू के तनबदन में आग लग गई.

उस युवती को ले कर दोनों में काफी विवाद भी हुआ. उस की हरकतों से आजिज आ कर नीशू ने अपनी मां जयंती से शिकायत की तो उस की मां जयंती उसे बच्चों सहित अपने साथ ले गई.

कुछ दिन गुजरने के बाद सोनू फिर से अपनी ससुराल गया और भविष्य में नीशू को तंग न करने की बात कहते हुए फिर से बुला लाया. इस बार नीशू की मां जयंती भी उस के साथ आ गई थी. घर आते ही सोनू के तेवर फिर से बदल गए.

पत्नी और सास की कर दी हत्या

वह जल्दी ही अपनी हरकतों पर आ गया. अय्याशी में आड़े आने पर सोनू ने अपनी पत्नी को रास्ते से हटाने के लिए पहले ही योजना बना ली थी. जिस की नीशू को भनक तक नहीं लगी.

26 फरवरी, 2022 की रात को खाना खाने के बाद सोते वक्त मांबेटी का सोनू से किसी बात पर झगड़ा हो गया. सोनू ने उसी समय मांबेटी को मौत की नींद सुलाने का मन बना लिया था.

27 फरवरी, 2022 की सुबह 5 बजे उस ने अपने बच्चों को एक कमरे में सुला दिया. उस के बाद गहरी नींद में सो रही सास जयंती और पत्नी नीशू की पाटल से काट कर हत्या कर दी.

हत्या करने के बाद उस ने बच्चों को साथ लिया और कार में बिठा कर सीधा अमरोहा निवासी अपनी बहन सोनिया के पास चल दिया. उस ने रास्ते में ही फोन कर के जानकारी दी कि उस ने अपनी पत्नी नीशू और उस की मां जयंती की हत्या कर दी है.

अमरोहा पहुंचते ही अपने तीनों बच्चों को बहन के पास छोड़ कर कार से फरार हो गया. उसी दौरान उसे पता चला कि पुलिस उस की तलाश में आई थी. यह सुनते ही उस ने अपना मोबाइल स्विच्ड औफ कर लिया.

अमरोहा से सोनू कार ले कर सीधा अपने दोस्त पंकज के पास पहुंचा. पंकज को गंगा जल लाने हरिद्वार जाना था. वह उस के साथ ही हरिद्वार भी गया.

हरिद्वार से वापसी में उस ने अपने दोस्त को सास और पत्नी की हत्या वाली बात बता दी. जिस से पंकज नाराज हो गया और उस ने सोनू को भलाबुरा कहते हुए रास्ते में ही उतार दिया. जिस के बाद सोनू सीधा गाजियाबाद पहुंच गया.

गाजियाबाद पहुंचने के बाद ही उसे अपने किए पर पश्ताचाप होने लगा था. उसे यह भी पता था कि वह चाहे कितनी भी भागदौड़ कर ले, पुलिस एक दिन उसे गिरफ्तार कर ही लेगी. उस के बाद उसे उम्र भर के लिए जेल में ही रहना पड़ेगा.

यही सोच कर उस ने अपनी जिंदगी का आखिरी रास्ता देखते हुए खुद भी सुसाइड करने का फैसला लिया. उसी फैसले के तहत उस ने चलती ट्रेन के आगे कूद कर अपनी जान दे दी.

सोनू के आत्महत्या करने के साथ ही एक हंसताखेलता परिवार पूरी तरह से बिखर गया. उसी के साथ एक गृहस्थी पूरी तरह से खत्म हो गई थी. फिलहाल मृतक के तीनों बच्चे उस की बहन के पास रह रहे थे.

वैसे तो सोनू ने जो जघन्य अपराध किया था, उस की कड़ी सजा थी. लेकिन उस ने मरने से पहले पौकेट डायरी के 7 पन्नों में अपने दिल की जो व्यथा लिखी थी, क्या वह उसे माफ करने लायक थी.

उस ने लिखा कि उस की मृत्यु के बाद यह डायरी जिस किसी भी भाई को मिले, कृपया इस में लिखे नंबरों पर फोन मिला कर मेरे रिश्तेदारों को सूचित कर देना.

‘नीशू, तू मेरी पत्नी थी, मैं तुझे बहुत ही प्यार करता था. लेकिन तूने अपनी बहन पिंकी के कहने में आ कर मुझे यह सब कुछ करने पर मजबूर कर दिया. मुझे पता था कि तुझे और तेरी मां को पिंकी ही चढ़ाती थी, जिस के कारण बारबार समझाने के बाद भी तेरी मां मेरी एक भी बात मानने को तैयार न थी.

‘अगर पिंकी तुम लोगों को बारबार न उकसाती तो हमारे बीच बारबार लड़ाई नहीं होती. मैं सोनू तेरी मौत का जिम्मेदार हूं. मैं मजबूर हो गया था. नीशू तू मेरी पत्नी थी. मैं तुझे बहुत ही प्यार करता था, फिर भी मैं ने तुझे मार दिया. मैं माफी के काबिल नहीं. मैं तेरे पास ही आ रहा हूं. हो सके तो मुझे माफ कर देना.’

सुसाइड नोट में सोनू ने जो लिखा था, उस में कितनी सच्चाई थी, यह तो पता नहीं लेकिन परिवार के खत्म होते ही सब खत्म हो गया.

CRPF जवान की पत्नी निकली बिस्तर का साथी बदलने की खिलाड़ी

उस दिन फरवरी 2022 की 21 तारीख थी. सुबह के 10 बज रहे थे. पनकी थानाप्रभारी अंजन कुमार सिंह थाने पर मौजूद थे. चुनाव ड्यूटी में व्यस्त रहने के कारण वह थकान महसूस कर रहे थे. तभी एक युवक ने उन के कक्ष में प्रवेश किया. वह दिखने में फोर्स का लग रहा था, लेकिन घबराया हुआ था. उसे उस हालत में देख कर उन्होंने पूछा, ‘‘कहो जवान, क्या बात है. तुम इतने घबराए हुए क्यों हो?’’

‘‘सर, मेरा नाम इंद्रपाल है. मैं सीआरपीएफ में हैडकांस्टेबल हूं. मेरी पत्नी रीता 2 बच्चों के साथ रतनपुर की एमआईजी कालोनी में रहती है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दरम्यान मेरी ड्यूटी मैनपुरी जिले के जमालपुर पोलिंग बूथ पर थी. तभी बीती रात बड़े बेटे ने मुझे फोन पर बताया कि उस की मम्मी घर से गायब है. यह सुनते ही मैं घबरा गया.

‘‘रात भर मैं सगेसंबंधियों को फोन करता रहा. लेकिन रीता के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिली. उस का मोबाइल फोन भी बंद था. सुबह होते ही मैं कानपुर आ गया और सीधे आप के पास चला आया. आप रीता की गुमशुदगी दर्ज कर उसे ढूंढने में मेरी मदद करें.’’

चूकि मामला अर्द्धसैनिक बल का था, इसलिए थानाप्रभारी अंजन कुमार सिंह ने रीता की गुमशुदगी दर्ज कर ली और इंद्रपाल से कुछ आवश्यक पूछताछ की. उस के बाद वह पुलिसकर्मियों के साथ इंद्रपाल के रतनपुर कालोनी स्थित घर पर पहुंचे.

उन्होंने घर का निरीक्षण किया तो सोच में डूब गए. घर के अंदर कमरे में मेज पर बियर की 2 खाली बोतलें तथा 2 खाली गिलास रखे थे. कमरे से कुछ अश्लील सामान तथा शक्तिवर्द्धक दवाएं भी बरामद हुईं.

पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि घर के अंदर अय्याशी का खेल चलता था. पुलिस ने बरामद सामान को सुरक्षित कर लिया.

घर पर इंद्रपाल का बड़ा बेटा मौजूद था. थानाप्रभारी अंजन कुमार सिंह ने उस से पूछताछ की तो उस ने बताया कि पुष्पेंद्र अंकल घर आए थे. रात 8 बजे तक वह घर पर ही थे. उस के बाद वह कमरे में जा कर सो गया. रात 12 बजे वह उठा तो मम्मी घर पर नहीं थीं. वह घबरा गया और रोने लगा. उस के बाद उस ने पापा को मम्मी के गायब होने की खबर मोबाइल फोन से दी.

‘‘यह पुष्पेंद्र कौन है?’’ अंजन कुमार सिंह ने इंद्रपाल से पूछा.

‘‘सर, पुष्पेंद्र कठेरिया, गंगागंज (पनकी) में रहता है. वह प्रौपर्टी डीलिंग का काम करता है. रतनपुर कालोनी में उस का औफिस है. फ्लैट खरीदने के दौरान उस से परिचय हुआ था. उस के बाद वह घर आनेजाने लगा था.’’

‘‘तुम ने रीता के संबंध में पुष्पेंद्र से बात नहीं की?’’ थानाप्रभारी ने इंद्रपाल से पूछा.

‘‘सर, हम ने रात में ही उस से पूछा था, तब उस ने बताया था कि वह तो इस समय कानपुर देहात में है.’’

थानाप्रभारी अंजन कुमार सिंह ने इंद्रपाल के पड़ोसियों से पूछताछ की तो पता चला कि इंद्रपाल की गैरमौजूदगी में फ्लैट पर कई लोगों का आनाजाना लगा रहता था. उस की पत्नी रीता चरित्रहीन है. पति की पीठ पीछे वह यारों के साथ गुलछर्रे उड़ाती है.

अंजन कुमार सिंह ने अनुमान लगाया कि रीता जरूर अपने किसी यार के साथ मौजमस्ती के लिए चली गई होगी. वह 1-2 दिन बाद खुद ही लौट आएगी. अत: वह इंद्रपाल को ढांढस बंधा कर वापस थाने आ गए. इस के बाद वह निश्चिंत हो गए और हाथ पर हाथ रख कर बैठ गए. उन्होंने रीता को खोजने का कोई प्रयास नहीं किया.

इधर ज्योंज्यों दिन बीतते जा रहे थे, त्योंत्यों इंद्रपाल की चिंता बढ़ती जा रही थी. वह अपने स्तर से पत्नी की खोज में जुटा था, लेकिन रीता का कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था.

आखिर जब इंद्रपाल हताश हो गया तो वह परिजनों के साथ एडिशनल डीसीपी (पश्चिम) बृजेश कुमार श्रीवास्तव व एसीपी (कल्याणपुर) दिनेश कुमार शुक्ला से मिला और पत्नी को खोजने की गुहार लगाई.

इतना ही नहीं, इंद्रपाल ने थाना पनकी में भी हंगामा किया. हंगामा और अधिकारियों की फटकार से पनकी पुलिस की नींद टूटी और वह रीता की खोज में जुट गई.

थानाप्रभारी अंजन कुमार सिंह ने सब से पहले रीता के मोबाइल फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो जानकारी मिली कि रीता 3 नंबरों पर ज्यादा बातें करती थी.

संदेह के घेरे में आए प्रौपर्टी डीलर और कार मैकेनिक

इन नंबरों की जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि एक नंबर उस के पति इंद्रपाल का है जबकि दूसरा नंबर प्रौपर्टी डीलर गंगागंज (पनकी) निवासी पुष्पेंद्र कठेरिया का है. आखिरी बार रीता ने जिस नंबर से बात की थी, वह नंबर कार मैकेनिक मुख्तार का था.

जांच से यह भी पता चला कि घटना वाली शाम पुष्पेंद्र व मुख्तार के मोबाइल फोन की लोकेशन रीता के घर की थी. रात 10 बजे के बाद लोकेशन कानपुर (देहात) की थी.

पुष्पेंद्र व मुख्तार संदेह के दायरे में आए तो अंजन कुमार सिंह की टीम ने दोनों को 25 फरवरी की रात 10 बजे हिरासत में ले लिया और थाने ले आए.

डीसीपी रवीना त्यागी, बृजेश श्रीवास्तव व एसीपी दिनेश शुक्ला की मौजूदगी में पुष्पेंद्र व मुख्तार से रीता के संबंध में पूछताछ शुरू हुई.

साधारण पूछताछ में दोनों पुलिस को गुमराह करते रहे, लेकिन जब पुलिस ने सख्ती की तो मुख्तार टूट गया. मुख्तार ने जो बताया, उसे सुन कर पुलिस की सांसें अटक गईं.

मुख्तार ने बताया कि रीता अब इस दुनिया में नहीं है. उस की हत्या कर शव को दफना दिया है. हत्या से पहले उस के साथ चलती कार में सामूहिक दुष्कर्म किया गया था.

उस के द्वारा धमकी देने पर गला दबा कर उसे मार डाला तथा शव से कीमती जेवर भी उतार लिए थे. हत्या में उस का साथी राशिद व शमशाद भी शामिल थे. मुख्तार के टूटते ही पुष्पेंद्र भी टूट गया और उस ने रीता की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया.

‘‘रीता का शव तुम लोगों ने कहां दफनाया?’’ एसीपी दिनेश शुक्ला ने मुख्तार से पूछा.

‘‘साहब, कानपुर (देहात) जिले के भाऊपुर रेलवे स्टेशन के पास एक पुलिया है. उसी के नीचे रीता का शव दफन है,’’ मुख्तार ने बताया.

26 फरवरी की सुबह मुख्तार व पुष्पेंद्र को साथ ले कर पुलिस टीम भाऊपुर स्थित पुलिया के समीप पहुंची. फिर मुख्तार की निशानदेही पर दफन शव को बाहर निकलवाया.

शव बुरी तरह सड़गल चुका था और दुर्गंध आ रही थी. इस शव को इंद्रपाल ने देखा तो वह फफक पड़ा. क्योंकि शव उस की पत्नी रीता का ही था.

शव बरामद होने की खबर पा कर डीसीपी (साउथ) रवीना त्यागी, एडिशनल डीसीपी (पश्चिम) बृजेश श्रीवास्तव व एसीपी दिनेश शुक्ला भी मौके पर आ गए थे.

पुलिस अधिकारियों ने रीता के शव का बारीकी से निरीक्षण किया. फिर काररवाई निपटा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए माती भिजवा दिया.

सामूहिक दुष्कर्म की हुई पुष्टि

अब तक पुलिस टीम रीता की हत्या के आरोपी पुष्पेंद्र व मुख्तार को तो गिरफ्तार कर चुकी थी, लेकिन मुख्तार के साथी राशिद व शमशाद को गिरफ्तार नहीं कर पाई थी.

अत: उन दोनों को पकड़ने के लिए पुलिस टीम ने कानपुर (देहात) जनपद के रनिया, रूरा अकबरपुर कस्बे में ताबड़तोड़ दबिशें डालीं और रूरा कस्बा से शमशाद को गिरफ्तार कर लिया. उसे थाना पनकी लाया गया.

पूछताछ में उस ने भी हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. लेकिन राशिद पुलिस के हत्थे नहीं आया. मुख्तार की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त कार भी बरामद कर ली, जिसे उस ने अपने गैराज में छिपा दी थी.

इधर रीता के शव का परीक्षण डा. शिवम तिवारी, डा. स्वाति तथा डा. अमित के पैनल ने किया. परीक्षण के बाद शव को उस के पति तथा रिपोर्ट पुलिस को सौंप दी गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि रीता की हत्या गला दबा कर की गई थी तथा उस के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था. शरीर पर चोट के निशान भी पाए गए.

थानाप्रभारी अंजन कुमार सिंह ने मृतका के भाई विनय कुमार की तहरीर पर भादंवि की धारा 302/201/376/392 तथा एससी/एसटी एक्ट के तहत पुष्पेंद्र कठेरिया, मुख्तार, राशिद तथा शमशाद के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा पुष्पेंद्र, मुख्तार व शमशाद को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस पूछताछ में रंगीनमिजाज रीता की हत्या की एक सनसनीखेज कहानी सामने आई.

उत्तर प्रदेश के कानपुर (देहात) जिले का एक बड़ा कस्बा रूरा है. इस कस्बे से 3 किलोमीटर दूर हसनापुर गांव है. दलित बाहुल्य इस गांव में रामदीन अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी उमा देवी के अलावा बेटा विनय तथा बेटी रीता थी.

रामदीन के पास 5 बीघा उपजाऊ भूमि थी, जिस में अच्छी पैदावार होती थी. खेतीबाड़ी से ही वह अपने परिवार का भरणपोषण करता था. रामदीन सरल स्वभाव का था.

रीता रामदीन की रूपवती बेटी थी. वह सुंदर तो बचपन से ही थी, लेकिन जब वह जवानी के बोझ से लदी, तो उस की सुंदरता में और भी निखार आ गया था. उस ने गांव के माध्यमिक विद्यालय से हाईस्कूल की परीक्षा पास कर ली थी और रूरा कस्बा के आरपीएस इंटर कालेज में दाखिला ले लिया था.

मुख्तार से हो गया रीता को प्यार

रीता बनसंवर कर कालेज जाती थी. उस के चाहने वाले वैसे तो कई युवक थे, लेकिन मुख्तार उसे कुछ ज्यादा ही चाहता था.

दरअसल मुख्तार भी हसनापुर गांव का ही रहने वाला था. वह आकर्षक चेहरे और कसी हुई कदकाठी का युवक था. एक रोज कालेज से लौट रही रीता पर उस की नजर पड़ी तो रीता उस की आंखों से उतर कर उस के मन में समा गई.

मन में गुदगुदी मची, तो वह अकसर ही उस की राहों में खड़ा रहने व उस से किसी न किसी बहाने बातचीत करने का प्रयास करने लगा.

रीता उम्र के उस मोड़ पर थी, जहां लड़कियां अकसर बहकावे में आ जाती हैं. मुख्तार की रसीली बातों में रीता भी बहक गई. आखिरकार रीता का दिल जीतने में मुख्तार कामयाब हो गया. दोनों घर और समाज के लोगों से छिपछिप कर मिलने लगे.

इसी छिपाछिपाई के खेल में एक रोज दोनों बहक गए और उन का शारीरिक मिलन हो गया. शारीरिक मिलन का सुख ही निराला होता है. एक बार सुख भोगा तो वह इस सुख को प्राप्त करने के लिए अवसर तलाशने लगे.

धीरेधीरे रीता और मुख्तार के प्यार के चर्चे पूरे गांव में होने लगे. इन चर्चों की भनक रामदीन के कानों में पड़ी तो वह परेशान रहने लगा.

इसी परेशानी में वह एक रोज माथा पकड़े बैठा था, तभी उमा की नजर पति पर पड़ी. वह बोली, ‘‘रीतू के बापू, का भवा, जो खपडि़या पकड़े हौ? तनिक हमहूं तौ जानी तोहका काहे की चिंता है?’’

रामदीन ने अपनी पत्नी पर नजर डाली, फिर उस का दर्द छलक पड़ा, ‘‘भाग्यवान, तोहरी लाडली ने बिरादरी मां हमरा सिर झुकाय दवो. हम मुंह दिखाय काबिल नाहीं रहे. मुंह पर कालिख पोत दी वाने.’’

‘‘ऐसो का गजब ढा दओ हमरी रीतू ने, जौने मां तोहार सिर झुक गवा,’’ उमा ने पूछा.

‘‘जनिहौ, तौ सुनौ. बड़े मियां का लौंडा है न मुख्तार. वाहके साथ तोहरी लाडली नैनमटक्का करत है. सैरसपाटा करत है और हमरी इज्जत नीलाम करत है.’’

‘‘का कहत हौ रीतू के बापू. हम का तौ विश्वास नाही होत हवै. कौनो ने तोहरे कान फूंके हवै.’’

‘‘नाही भाग्यवान, धुआं होत है, तवैं आग लागत है. बात फैली है, तौ सच्चाई जरूर हवै.’’

‘‘ठीक है, रीतू के बापू. सच्चाई है तौ हम खबर जरूर लीहैं. उस लौंडियां ने अम्मा का दुलार देखा हवै. अब नफरत भी दिखिहैं.’’ उमा का चेहरा तमतमा गया.

फूट गया प्यार का भांडा

उस रोज शाम 5 बजे रीता कालेज से लौटी तो उमा फट पड़ी और रीता को खूब खरीखोटी सुनाई. रीता चुप रही. क्योंकि उसे पता था कि उस के और मुख्तार के प्यार का भांडा फूट गया है.

उमा और रामदीन ने आपस में सलाहमशविरा किया फिर रीता की पढ़ाई बंद करने का हुक्म सुना दिया. इसके बाद रामदीन रीता के ब्याह के लिए वर की तलाश में जुट गया.

रीता की शादी की जानकारी मुख्तार को हुई तो एक दिन वह लोगों की नजर बचा कर रीता से मिला, ‘‘सुना है, तुम्हारे पापा तुम्हारी शादी की बात चला रहे हैं.’’

‘‘हां, यह बात बिलकुल ठीक है,’’ रीता बोली, ‘‘पर मैं भला क्या कर सकती हूं. पापा बड़े जिद्दी हैं और अपनी जिद के आगे वह किसी की भी नहीं सुनते.’’

‘‘तो चलो, हमतुम हसनापुर गांव छोड़ कर कहीं दूर निकल चलें और वहीं रह कर अपना घर बसा लें.’’

रीता सोच में पड़ गई. मुख्तार भावुक हो उठा, ‘‘अगर तुम ने मेरा साथ नहीं दिया तो मैं कल ही हसनापुर छोड़ कर कहीं चला जाऊंगा और किसी तालपोखरे में डूब कर अपनी जान दे दूंगा.’’

‘‘ऐसा मत कहो मुख्तार,’’ रीता ने उस के होंठों पर हथेली रख दी, ‘‘मेरी मजबूरी समझो मुख्तार. हम हिंदू, तुम मुसलमान. घर वाले तुम से ब्याह रचाने को कभी राजी नहीं होंगे. मैं तुम से वादा करती हूं कि जितना प्यार मैं अभी तुम से करती हूं, उतना ही शादी के बाद भी करती रहूंगी. मिलन भी होता रहेगा.’’

‘‘तब ठीक है,’’ मुख्तार ने रीता की बात मान ली. फिर दोनों अपनेअपने घर चले गए.

शहर में फ्लैट ले कर रहने लगा इंद्रपाल

मुख्तार कार मोटर मैकेनिक था. रूरा के एक गैराज में वह काम करता था. रीता से उस का मिलन बंद हुआ तो वह मन लगा कर काम करने लगा. घर वालों के हाथ पर भी वह चार पैसे रखने लगा. रीता के घर वालों ने भी चैन की सांस ली. हालांकि फोन पर उन की बातें जबतब होती रहती थीं.

इधर रामदीन ने रीता के योग्य वर की तलाश शुरू की तो उसे एक लड़का इंद्रपाल पसंद आ गया. इंद्रपाल कानपुर (देहात) जिले के थाना अकबरपुर के गांव विसानपुर का रहने वाला था.

मातापिता के अलावा एक भाई रामपाल था, जो फौज में था. इंद्रपाल स्वयं भी सीआरपीएफ में था. दोनों भाई कुंवारे थे. उस के पिता लाखन इंद्रपाल की शादी के लिए लालायित थे.

रामदीन ने जब हट्टेकट्टे जवान इंद्रपाल को देखा तो उस ने उसे अपनी बेटी रीता के लिए पसंद कर लिया. रीता और इंद्रपाल ने भी एकदूसरे को देख कर पसंद कर लिया. दोनों की रजामंदी होने के बाद रामदीन ने 24 फरवरी, 2006 को रीता का विवाह इंद्रपाल के साथ कर दिया.

रीता इंद्रपाल की दुलहन बन कर अपनी ससुराल विसानपुर आ गई. ससुराल में रीता को जिस ने भी देखा, उसी ने उस के रूप की सराहना की. विसानपुर गांव में बरसों बाद रीता जैसी रूपसी बहू आई थी. इंद्रपाल भी खूबसूरत पत्नी पा कर खुश था और रीता भी सुंदर स्वस्थ पति पा कर खुश थी.

शादी के 2 साल बाद रीता ने एक सुंदर बेटे को जन्म दिया. बेटे के जन्म के 4 साल बाद रीता ने दूसरे बेटे को जन्म दिया.

2 बेटों के जन्म से इंद्रपाल और रीता के जीवन में बहार आ गई. इंद्रपाल की भी किस्मत पलटी और वह सिपाही से हैडकांस्टेबल बन गया. रीता जहां खुश थी, वहीं उस के सासससुर भी 2 बेटों के जन्म से फूले नहीं समा रहे थे.

समय बीतते जब दोनों बेटे कुछ बड़े हुए तो रीता को उन की चिंता सताने लगी. दरअसल रीता दोनों बेटों को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहती थी, जो गांव में रह कर संभव नहीं थी. अत: जब इंद्रपाल गांव आया तो उस ने अपनी बात रखी और शहर में रहने की इच्छा जताई.

इंद्रपाल ने पहले तो मना कर दिया, लेकिन बाद में उसे पत्नी की जिद के आगे झुकना पड़ा. वह रीता व बच्चों को शहर में रखने को राजी हो गया.

इस के बाद इंद्रपाल ने कानपुर शहर के पनकी थाना अंतर्गत रतनपुर में एक एमआईजी फ्लैट खरीद लिया. इस का सौदा उस ने प्रौपर्टी डीलर पुष्पेंद्र कठेरिया के मार्फत किया था.

फ्लैट खरीदने के बाद इंद्रपाल अपनी पत्नी रीता व बच्चों के साथ कालोनी में रहने लगा. कुछ दिनों बाद उस ने इंग्लिश मीडियम स्कूल में दोनों बेटों का एडमिशन करा दिया.

इधर मुख्तार को जब पता चला कि रीता अपने बच्चों के साथ रतनपुर कालोनी में रहने लगी है तो वह रीता से मिलने उस के घर आने लगा. चूंकि मुख्तार रीता का पुराना प्रेमी था, सो जल्द ही दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ गईं और नाजायज रिश्ता फिर से कायम हो गया.

शादी के बाद भी प्रेमी मुख्तार की बांहों में खेलती रही रीता

मुख्तार भी अब तक गांव छोड़ कर कानपुर शहर आ गया था और पनकी क्षेत्र में गैराज चलाने लगा था. चूंकि मुख्तार कुशल कार मैकेनिक था सो उस का काम वहां भी चल पड़ा था और कमाई भी होने लगी थी.

रीता का पति इंद्रपाल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में था. उस की तैनाती विभिन्न प्रांतों में होती रहती थी. उसे जब छुट्टी मिलती थी, तभी घर आ पाता था.

रीता 2 बच्चों की मां जरूर थी. लेकिन तन्हाई उसे सताती थी. ऐसे में पुराने आशिक मुख्तार ने आना शुरू किया तो वह उसे रोक न पाई और तन्हाई दूर करने लगी.

मुख्तार का आना और देर रात तक रुकना, अड़ोसपड़ोस के लोगों को खलने लगा. वह रीता को संदेह की नजर से देखने लगे. कुछ महीने बाद इंद्रपाल घर आया तो उन्होंने उस से चुगली कर दी.

इंद्रपाल ने रीता से सवालजवाब किया तो रीता तुनक कर बोली, ‘‘जिन के पति बाहर रह कर कमाते हैं, उन की औरतों को ऐसे ताने सुनने ही पड़ते हैं. मुख्तार उस के गांव का है. उस के भाई जैसा है. घर आ कर हमारी मदद करता है. लेकिन पड़ोसियों को जलन होती है. तुम्हारे भी कान उन्होंने भरे होंगे.’’

इंद्रपाल को भी लगा कि रीता शायद सही कह रही है. उस ने यह बात वहीं खत्म कर दी. रीता ने भी मुख्तार को फोन पर जानकारी दे दी कि इंद्रपाल घर आया है, इसलिए वह घर न आए. इंद्रपाल की मौजूदगी में वह उसे फोन भी न करे.

फ्लैट खरीदने के दौरान इंद्रपाल की दोस्ती प्रौपर्टी डीलर पुष्पेंद्र कठेरिया से हो गई थी. जब वह घर आता था, तो पुष्पेंद्र से जरूर मिलता था. दोनों में खूब बातचीत होती थी और खानेपीने का दौर चलता था.

दोनों का मिलन पुष्पेंद्र के रतनपुर वाले औफिस में होता था. इंद्रपाल उस की शानोशौकत से भी प्रभावित था.

इस बार इंद्रपाल आया तो उस ने पुष्पेंद्र को अपने घर दावत पर बुलाया. पुष्पेंद्र सजसंवर कर इंद्रपाल के घर आया, तो वहां उस की मुलाकात इंद्रपाल की पत्नी रीता से हुई.

पहली ही नजर में दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हुए. खानेपीने के दौरान भी पुष्पेंद्र की नजरें रीता पर ही टिकी रहीं. वह उस की खूबसूरती का बखान भी करता रहा. रीता मन ही मन खुश होती रही और मंदमंद मुसकराती रही. इंद्रपाल कुछ दिनों बाद ड्यूटी पर चला गया, लेकिन पुष्पेंद्र का रीता के घर आना जारी रहा. वह हृष्टपुष्ट बांका जवान था और स्वभाव से मृदु व शालीन भी. उधर 2 बच्चों की मां हो कर भी रीता के रूपलावण्य में कमी नहीं आई थी.

प्रौपर्टी डीलर पुष्पेंद्र भी बन गया बिस्तर का साथी

पुष्पेंद्र उसे उठतेबैठते देखता, तो उस के मन में खोट आ जाती. वह उस से हंसीठिठोली करने लगता. धीरेधीरे रीता को भी उस की बातें अच्छी लगने लगीं.

कहते हैं, औरत एक बार पतन की राह पकड़ ले तो वह उसी राह पर बढ़ती जाती है. रीता भी ऐसी ही औरत थी. वह एक बार फिसली तो फिर फिसलती ही चली गई. उस ने न मानमर्यादा की परवाह की और न ही घर की इज्जत की. उस ने पति के साथ भी विश्वासघात किया.

पुष्पेंद्र जानता था कि पति सुख से वंचित रीता एक प्यासी औरत है. ओस की एक बूंद भी उसे तृप्त कर सकती है. वह रीता से नजदीकियां बढ़ाने लगा. वह रीता को भाभी कहता था. इस नाते खूब हंसीमजाक करता था. रीता उस के मजाक का बुरा नहीं मानती थी, बल्कि जवाब दे कर ठहाके लगाती थी.

रीता को अब उस की बातों में रस आने लगा था. आखिर एक रात भाभीदेवर के रिश्ते की दीवार ढह ही गई. दोनों को इस खेल का पछतावा भी नहीं हुआ.

रीता ने पुष्पेंद्र से जिस्म का रिश्ता बनाया तो वह मुख्तार से दूरियां बनाने की कोशिश करने लगी. मुख्तार को शक हुआ तो उस ने रीता पर निगरानी शुरू कर दी. तब उसे पता चला कि रीता ने प्रौपर्टी डीलर पुष्पेंद्र को अपने बिस्तर का साथी बना लिया है. इसी कारण वह उस से दूरियां बना रही है.

उसे रीता पर गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन वह गुस्से को पी गया. रीता के साथ पुष्पेंद्र की निकटता मुख्तार की आंखों में चुभने लगी. एक शाम मुख्तार रीता के घर आया तो घर के बाहर पुष्पेंद्र भी खड़ा था. उसे देख कर मुख्तार बोला, ‘‘आइंदा तूने इस देहरी पर कदम रखा तो मैं तेरे पैर ही काट डालूंगा, ध्यान रखना.’’

पुष्पेंद्र ने आंखें तरेर कर मुख्तार को घूरा, ‘‘तू रीता का खसम तो है नहीं. फिर तू मुझे रोकने वाला होता कौन है?’’

‘‘कौन होता हूं, यह तो मैं तुझे अभी बता सकता हूं. इस समय चुपचाप यहां से भाग जा, नहीं तो बहुत बड़ा अनर्थ हो जाएगा मेरे हाथों से.’’ मुख्तार ने आस्तीनें चढ़ा लीं.

दोनों के बीच झगड़े की आवाजें सुन कर रीता भी घर से बाहर निकल आई. वह पुष्पेंद्र से बोली, ‘‘तुम यहां से चले जाओ. इस समय मेरी बात मानो.’’

पुष्पेंद्र बड़बड़ाता हुआ चला गया. तब मुख्तार रीता का हाथ पकड़ कर उसे खींचते हुए मकान के अंदर ले गया. फिर बोला, ‘‘अब कभी वह तुम से मिलने आया तो उसे ठिकाने लगा दूंगा, तुझे भी जिंदा नहीं छोड़ूंगा.’’

‘‘देखो मुख्तार, गुस्सा थूक दो और मेरी बात सुनो, तुम दोनों मेरे बिस्तर के साथी हो. न मैं तुम्हें छोड़ सकती हूं और न पुष्पेंद्र को. आपस में लड़ाई करने से कोई फायदा नहीं. आज के बाद तुम दोनों कभी भी आ सकते हो. साथ बैठ कर ड्रिंक कर सकते हो और बिस्तर के साथी भी बन सकते हो.’’

ग्रुप सैक्स का मजा लेती थी रीता

मुख्तार ने रीता की बात मान तो ली, लेकिन वह नफरत से सुलग उठा. उस ने निश्चय कर लिया कि वह इस विश्वासघाती औरत को सबक जरूर सिखाएगा.

इस के बाद मुख्तार ने पुष्पेंद्र से हाथ मिला लिया. फिर वे दोनों साथसाथ खानेपीने लगे. रीता के घर पर भी उन की महफिल सजने लगी. अय्याशी के लिए शक्तिवर्द्धक दवाओं, स्प्रे आदि का भी प्रयोग होने लगा. रीता भी ग्रुप सैक्स का भरपूर मजा लेती थी.

20 फरवरी, 2022 को पुष्पेंद्र ने कई बार रीता को फोन किया, लेकिन उस ने काल रिसीव नहीं की. शाम 5 बजे उस ने पुष्पेंद्र की काल रिसीव की और उस से बात की.

बात करने के बाद पुष्पेंद्र बियर की 2 बोतलें ले कर रीता के घर पहुंच गया. वहां उस ने रीता के साथ बैठ कर बियर पी. रीता का बड़ा बेटा घर पर ही था. उस ने पुष्पेंद्र को मां के साथ हंसतेबतियाते भी देखा था. रात 8 बजे बेटे को नींद सताने लगी तो वह कमरे में जा कर सो गया.

कुछ देर बाद मुख्तार भी कार ले कर रीता के घर आ गया. कार किसी ग्राहक की थी, जो उस के गैराज में मरम्मत के लिए आई थी. कार में उस के 2 साथी राशिद व शमशाद भी थे. वह कार में ही बैठे रहे.

मुख्तार का रीता ने जोरदार स्वागत किया. पुष्पेंद्र भी गले मिला. उस के बाद मुख्तार और पुष्पेंद्र ने बैठ कर बियर पी. रीता ने भी उन का साथ दिया. बियर पीने के बाद मुख्तार ने बाहर घूमने और खाना खाने की बात कही. इस पर थोड़ी नानुकुर के बाद रीता घूमने जाने को राजी हो गई.

रीता के साथ कार में किया सामूहिक बलात्कार

कुछ देर बाद रीता सजधज कर कमरे से बाहर आई तो पुष्पेंद्र और मुख्तार की आंखें चौंधिया गईं. वह जेवर पहने थी और दुलहन की तरह सजी थी. जेवर देख कर मुख्तार के मन में लालच आ गया. फिर नफरत और लालच ने उसे जुर्म करने को मजबूर कर दिया.

रात 9 बजे मुख्तार उस के साथी राशिद, शमशाद व पुष्पेंद्र रीता को कार में बिठा कर घूमने निकले. वह भौंती होते हुए रूरा की तरफ बढ़े. इसी बीच मुख्तार और पुष्पेंद्र रीता से शारीरिक छेड़छाड़ करने लगे. रीता ने विरोध किया तो मुख्तार उसे नोचनेकाटने लगा.

रीता चीखी तो पुष्पेंद्र ने उस का मुंह दबोच लिया. इस के बाद चलती कार में बारीबारी से मुख्तार, पुष्पेंद्र, राशिद व शमशाद ने रीता के साथ गैंगरेप किया.

रेप के बाद मुख्तार, रीता के जेवर उतारने लगा तो रीता ने सब को जेल भिजवाने की धमकी दी.

इस धमकी से चारों डर गए. उस के बाद सब ने मिल कर रीता की गला दबा कर हत्या कर दी. फिर शव से आभूषण उतार कर रख लिए. उस का मोबाइल फोन तोड़ कर बंबी में फेंक दिया.

रीता की हत्या के बाद वे भाऊपुर पहुंचे. स्टेशन के पास पुलिया पर उन्होंने कार रोकी. फिर सब ने मिल कर शव को कार से उतारा और पुलिया के नीचे दफन कर दिया. ऊपर से ईंटें रख दीं.

शव को ठिकाने लगाने के बाद मुख्तार ने कार गैराज में खड़ी कर दी. इस के बाद सब अपनेअपने घर चले गए. दूसरे रोज मुख्तार ने लूटे गए आभूषण अपने परिचित सर्राफ को बेच दिए.

इधर रात 12 बजे बड़े बेटे की आंखें खुलीं तो वह कमरे से बाहर आया. उस ने मम्मी को आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. वह जोर से रोने लगा.

उस के रोने की आवाज सुन कर पड़ोसी आ गए. उस ने उन्हें सारी बात बताई, फिर पड़ोसी के फोन से अपने पापा इंद्रपाल को मम्मी के अचानक गायब होने की जानकारी दी.

जानकारी पा कर इंद्रपाल घर आया और रीता की गुमशुदगी थाना पनकी में दर्ज कराई. गुमशुदगी के 4 दिन बाद पुलिस ने रीता के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई, जिस के बाद यह केस खुल सका.

27 फरवरी, 2022 को पुलिस ने आरोपी मुख्तार, पुष्पेंद्र कठेरिया तथा शमशाद को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. चौथा आरोपी राशिद फरार था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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