वाराणसी में कपसेठी थाना क्षेत्र के ग्रामीण इलाके मटुका (तक्खू की बावली) में तन्हा जिंदगी गुजार रही
डा. राखी वर्मा की वह रात भी करवटें बदलती गुजरी. दिमाग में तरहतरह के विचार आ रहे थे. वह अपने करिअर को ले कर चिंतित थी. उस ने होम्योपैथी में डाक्टरी की पढ़ाई पूर कर ली थी, लेकिन डाक्टरी में मन नहीं लग रहा था. वह कोई ऐसा सामाजिक काम करना चाहती थी, जिस से उस का समाज में रुतबा बने और मन को संतुष्टि भी मिले.
लेकिन उस रात बेचैनी किसी और बात को ले कर थी. मन में बारबार खास सहेली कंचन का खयाल आ रहा था. वह समझ नहीं पा रही थी कि जिसे वह दिलोजान से चाहती है, आखिर वह उस की शादी में रोड़ा क्यों अटका रही है?
कंचन पटेल पास में रहने वाली ब्यूटीशियन थी. अपना ब्यूटीपार्लर चलाती थी. उस की अपनी छोटी सी दुनिया थी, जिस में पति के अलावा 2 छोटेछोटे बच्चे थे. उन के अलावा कोई और था तो वह थी सहेली राखी वर्मा.
दरअसल, 30 के करीब हो चुकी डा. राखी वर्मा को अपने मन के लायक एक जीवनसाथी का इंतजार था. ऐसा हमसफर, जो उस के मन को समझे, उसे तहेदिल से प्यार करे. उस की भावनाओं और विचारों का सम्मान करे. उस के हर इशारे को समझते हुए उस की सभी बातों को मानने के लिए तत्पर रहे. इन सब से बड़ी महत्त्वाकांक्षा थी कि उसे ऐसा पति चाहिए था, जो उस की सैक्स की जरूरतों को भी पूरा कर सके.
यही सब सोचसोच कर उस की रातें अकसर करवटें लेते बीतती थीं. देह की आग में वह सुलगती रहती थी. उसे वह अपनी सहेली कंचन से मिल कर शांत करने की कोशिश तो करती थी, लेकिन उस से पुरुष के देह सुख जैसा आनंद नहीं मिल पाता था, बल्कि उस की आग और भड़क जाती थी.
20 अप्रैल, 2022 की रात राखी कुछ ज्यादा ही बेचैन थी. उस के दिमाग में एक साथ कई बातें चल रही थीं. अपनी सहेली कंचन की कुछ बातों को ले कर वह गुस्से में भी थी.

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