प्रेमी ने लगाया शक का चश्मा: भाग 1

झारखंड के जमशेदपुर जिले की पुलिस लाइन के सरकारी क्वार्टर नंबर- जे/5 में सिपाही सविता हेम्ब्रम अपनी बेटी गीता हेम्ब्रम (14 साल) और मां लखिमा मुर्मू के साथ रहती थी. उस का अब यही घरसंसार था. सविता बेटी और मां को देख कर जी रही थी. कई साल पहले सविता के पति कैलाश हेम्ब्रम की नक्सलियों ने गोलियों से भून कर हत्या कर दी थी. वह एक जांबाज और निडर सिपाही था.

पति की हत्या के बाद अनुकंपा के आधार पर सविता को पुलिस की नौकरी मिली थी. तभी से वह अपनी बूढ़ी मां और बेटी के साथ सरकारी क्वार्टर में रहती थी.

बात 19 जुलाई, 2022 की शाम की है. ड्यूटी कर के सविता जब थकीमांदी कमरे में लौटी तो बेटी ने उस के लिए एक प्याली चाय बनाई और उसे दे दी.

चाय खत्म हुई तो दुलारती हुई गीता मां की गोद में जा बैठी, ‘‘मां…मां… सुनो न.’’ छोटे बच्चों की तरह व्यवहार करती हुई गीता मां के गाल दोनों हाथों से सहलाती हुई बोली, ‘‘आज खाने में क्या बना रहो हो?’’

‘‘क्या खाओगी बेटा?’’ सविता जवाब देते हुए आगे बोलीं, ‘‘जो कहो, वहीं बना देती हूं.’’

‘‘खीर और पूरी… बहुत दिनों से खाने का मन हो रहा था, पका दो मां मेरे और नानी के लिए.’’

‘‘तुम ने तो मेरे मुंह की बात छीन ली बेटा,’’ चहकती हुई सविता आगे बोली, ‘‘मैं भी कई दिनों से सोच रही थी, लेकिन आलस्य के चलते बना नहीं रही थी. पर जब तुम ने फरमाइश कर ही दी है बेटा तो मैं तुम्हारे लिए तुम्हारी मनपसंद खीरपूरी जरूर बनाऊंगी.’’

बेटी को गोद से अलग करती हुई सविता सोफे से उठ खड़ी हुई, ‘‘मैं फ्रैश हो कर अभी आती हूं बेटा, तब तुम दोनों किचन में चल कर…’’

सविता फ्रैश होने के लिए वाशरूम की ओर लपकी. गीता वहां से उठी तो नानी के पास बगल में सोफे पर जा बैठी. थोड़ी देर बाद सविता वाशरूम से बाहर निकली और सीधे किचन में जा घुसी. फिर बेटी की पसंद का खाना बनाया और तीनों स्वाद ले कर मजे से खा कर सो गए.

अगली सुबह यानी 20 जुलाई को करीब साढ़े 10 बजे सविता जब ड्यूटी एसएसपी औफिस नहीं पहुंची तो ड्यूटी अफसर ने उस के मोबाइल पर कई बार काल किया. पूरी घंटी बजने के बावजूद सविता काल नहीं उठा रही थी. गुस्से में अफसर ने काल डिसकनेक्ट कर बुदबुदाते हुए उस की अनुपस्थिति लगा दी. वह एसएसपी औफिस में बतौर रीडर तैनात थी.

पूरा दिन बीत गया. सविता ने न तो किसी की काल रिसीव की और न ही किसी को काल की. उस के परिचित भी फोन करकर के थक चुके थे. उन की काल भी वह रिसीव नहीं कर रही थी.

दरवाजे पर लटका मिला ताला

सविता का एक दोस्त उस का पता लगाने के लिए उस के सरकारी क्वार्टर पहुंचा तो उस के कमरे के बाहर मुख्य दरवाजे पर ताला लटका मिला. यह देख कर उस ने पड़ोसियों से पूछा तो वे कुछ भी बताने में असमर्थ थे. अलबत्ता इतना जरूर कहा कि उन्होंने सुबह से ही उस के कमरे पर ताला लटका देखा.

सविता कब मां और बेटी को साथ ले कर निकली थी, किसी को कुछ पता नहीं चला तो फिर वह दोस्त अपने घर वापस लौट गया. लेकिन अचानक से उन के कहीं चले जाने से पता नहीं क्यों वह दोस्त परेशान हो गया था और उसे बड़ा अजीब भी लग रहा था क्योंकि कभी वह कहीं जाती थी तो उसे बता कर जाती थी.

क्वार्टर से आने लगी बदबू

खैर, 20 जुलाई, 2022 का पूरा दिन बीत गया. अचानक से सविता, मांबेटी के साथ कमरे पर ताला बंद कर कहां चली गई थी, किसी को पता ही नहीं था. ताज्जुब की बात यह थी कि उसे किसी ने जाते हुए देखा ही नहीं था.

अगले दिन यानी 21 जुलाई को फिर वही प्रक्रिया दोहराई गई, जो बीते दिन की जा चुकी थी. रहस्यमय तरीके से सविता के परिवार के साथ कहीं चले जाने से उस के परिचित कालोनीवासी और औफिस वाले सभी चिंतित और परेशान थे.

उन का उसे ले कर परेशान होना लाजिमी भी था क्योंकि वह थी ही इतनी मृदुभाषी कि पल भर में ही किसी को भी अपना बना लेती थी. जब भी किसी से बात करती थी तो मुसकरा कर ही बात करती थी इसीलिए वे सब उस के बारे में फिक्रमंद थे.

सविता, उस की मां और बेटी को रहस्यमय ढंग से गायब हुए 48 घंटे होने जा रहे थे. उस के कमरे से किसी चीज के सड़ने की बदबू भी उठने लगी थी. बदबू से पड़ोसियों का सांस लेना दूभर हो रहा था.

जैसेतैसे यह बात एसएसपी प्रभात कुमार तक पहुंची तो उन के कान खड़े हो गए. फौरन उन्होंने गोलमुरी थानाप्रभारी अरविंद कुमार को फोन कर पुलिस लाइन के ब्लौक नंबर 2 स्थित आवास संख्या जे-5 पहुंच कर मामले की स्थिति से अवगत कराने का आदेश दिया.

कप्तान साहब का आदेश पा कर थानाप्रभारी अरविंद कुमार दलबल के साथ मौके पर जा पहुंचे. वहां भारी मजमा लगा था और लोग आपस में कानाफूसी कर रहे थे. यह दोपहर 2 बजे के करीब की बात थी.

सचमुच उस कमरे से किसी चीज के सड़ने की बदबू आ रही भी. थानाप्रभारी अरविंद कुमार ने सारी स्थिति से कप्तान प्रभात कुमार को अवगत करा दिया.

चूंकि मामला पुलिस विभाग की एक महिला कर्मचारी के अचानक गायब होने और उसी के कमरे से आ रही सड़ांध से जुड़ा हुआ था, इसलिए एसएसपी प्रभात कुमार भी बगैर समय गंवाए मौके पर जा पहुंचे.

मौके पर एसएसपी प्रभात कुमार के पहुंचते ही एसपी (सिटी) विजय शंकर, एएसपी (सिटी) सुधांशु जैन, डीएसपी कमल किशोर और और डीएसपी (सीसीआर) अनिमेष गुप्ता भी मौके पर पहुंच गए थे.

पुलिस लाइन कालोनी में भारी पुलिस बल देख कर वहां और भी भीड़ जमा हो गई थी. एसएसपी प्रभात कुमार का आदेश मिलते ही पुलिसकर्मियों ने कमरे पर लगा ताला तोड़ दिया. कमरे का जैसे ही दरवाजा खुला, भीतर से बदबू का तेज भभका आया. ऐसा लगा जैसे अभी बेहोश हो कर गिर जाएंगे.

अपनीअपनी नाक पर रुमाल रख कर पुलिस अधिकारी एकएक कर कमरे के भीतर घुसे. जैसे ही उन की नजर कमरे के भीतर पड़ी, सब के सब ठिठक गए. कमरे के भीतर बैड पर सविता की लाश पड़ी थी तो फर्श पर उस की मां लखिमा मुर्मू और बेटी की लाशें पड़ी थीं. तीनों लाशें सड़ रही थीं.

महिला सिपाही सविता, उस की मां और बेटी की लाश मिलते ही कालोनी में दहशत फैल गई. पलभर में जंगल की आग की तरह यह खबर मीडिया तक पहुंच गई थी.

पुलिस क्वार्टर में मिलीं 3 लाशें

पुलिस जांचपड़ताल में जुटी हुई थी और फूंकफूंक कर कदम रख रही थी. सब से पहले पुलिस ने कमरे की पड़ताल शुरू की. जिस कमरे में तीनों लाशें पाई गई थीं. जांच के दौरान दौरान कमरे में संघर्ष के कोई निशान नहीं मिले. मृतकों के शरीर के अन्य हिस्सों पर चोट के कई निशान मिले.

घटनास्थल चीखचीख कर कह रहा था कि हत्या में कम से कम 3 से 4 लोग शामिल रहे होंगे. तभी मृतकों और हत्यारों के बीच संघर्ष के कोई निशान नहीं मिले थे.

फिर पुलिस ने किचन की जांचपड़ताल की तो किचन के बेसिन में उन्हें 3 के बजाय 4 थालियां जूठी मिलीं. यह देख कर पुलिस का चौंकना लाजिमी था.

चौथी थाली देख कर पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि वारदात किसी परिचित ने ही अंजाम दी थी, जिस की इस परिवार से अच्छीखासी पटती होगी.

दिल दहला देने वाली घटना की सूचना पा कर सविता की बड़ी बहन रेनू मार्डी अपने पति के साथ मौके पर पहुंच चुकी थी. रेनू मार्डी ने एसएसपी प्रभात कुमार को बताया कि हत्या सविता के देवर दाखीन और जेठ सुराई ने मिल कर की है क्योंकि सविता और उस के ससुराल वालों के बीच सालों से नौकरी को ले कर विवाद चल रहा था.

सविता के सासससुर उस के पति की मौत के बाद नौकरी अपने छोटे बेटे को दिलवाना चाहते थे, जबकि अनुकंपा के आधार पर वह नौकरी सविता को मिल गई थी. इसी बात को ले कर सविता और उस के ससुराल वालों के बीच में विवाद चल रहा था.

सविता डुमरिया स्थित ससुराल छोड़ कर पुलिस लाइन के सरकारी क्वार्टर में मां और बेटी के साथ रहती थी. आखिर उस के ससुराल वालों ने उस की जान ले कर ही छोड़ा.

रेनू मार्डी की बातों से एसएसपी प्रभात कुमार इत्तफाक रखते थे. उसी दिन रात करीब 8 बजे डुमरिया थाना पुलिस ने सविता के ससुराल वालों को फोन कर थाने बुलवाया. जिस में उस के जेठ सुराई, देवर दाखीन और इन की पत्नियां शामिल थीं.

पुलिस ने दाखीन और सुराई से हत्या के बारे में कड़ाई से पूछताछ की. यही नहीं, पूछताछ के दौरान जब पुलिस को पता चला कि दोनों नेत्रहीन हैं. कहीं जानेआने के लिए दूसरों का सहारा लेना पड़ता है तो शीशे की तरह मामला साफ गया था कि इस लोमहर्षक घटना में इन का कोई हाथ नहीं है. लिहाजा पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया था.

इसी बीच पुलिस को एक चौंकाने वाली सूचना मिली, जिस से घटना की जांच सही दिशा की ओर बढ़ चली. पुलिस को पता चला कि घटना वाली रात एसएसपी प्रभात कुमार का ड्राइवर रामचंद्र सिंह जामुदा उर्फ सुंदर सविता के घर में जाते हुए देखा गया था.

सुंदर का उस के घर में सालों से आनाजाना था और दोनों के बीच में मधुर संबंध थे. यह बात सविता की मां लखिमा मुर्मू और उस की बेटी गीता भी जानती थी लेकिन कभी किसी ने इस का विरोध नहीं किया.

जिस दिन ये घटना घटी, उस के अगले दिन से सुंदर छुट्टी ले कर अचानक कहीं गायब हो गया था. यह बात एसएसपी के मस्तिष्क में घर कर गई और सुंदर शक के घेरे में आ गया.

एसएसपी के ड्राइवर पर हुआ शक

अचानक सुंदर कहां लापता हो गया था, किसी को पता नहीं था. तब पुलिस का शक और भी पुख्ता हो गया जब सविता, उस की मां और बेटी की हत्या होने के बावजूद सुंदर उस की खबर तक लेने नहीं आया था वरना 24 घंटों में 12 घंटे वह सविता के घर पर ही बिता देता था.

पुलिस सुंदर की खोज में जुट गई थी. उस का जहांजहां ठिकाने थे, वहांवहां दबिश देनी शुरू कर दी.

यह सच है कि पुलिस अगर अपनी पर आ जाए तो मुलजिम पाताल की गहराइयों में भी छिप जाए तो उसे ढूंढ लेती है. यहां भी कुछ ऐसा ही हुआ. सुंदर जमशेदपुर के ही सोनारी नामक एक स्थान पर छिप कर रह रहा था. उसे पता चल चुका था कि सविता और उस के परिवार की हत्या में पुलिस उसे ढूंढ रही है.

इसलिए वह सोनारी में छिप कर रह रहा था ताकि पुलिस की पकड़ ढीली पड़ते ही वह शहर से कहीं दूर भाग सके और खुली हवा में सांस लेता रहे. लेकिन सुंदर का यह सपना उस समय धरा का धरा रह गया, जब गोलमुरी पुलिस उसे हिरासत में ले कर थाने ले आई. पुलिस ने उस के फिंगरप्रिंट क्राइम स्पौट से हासिल फिंगरप्रिंट से मिलान किए तो दोनों आपस में मैच कर गए.

इस के बाद सुंदर के पास अपना जुर्म कुबूलने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था. उस ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया. फिर वह हैरान कर देने वाली जुर्म की चादर में लिपटी रंगीन कहानी को परतदरपरत खोलता चला गया. इस कहानी का अंत इतना भयानक होगा, उस ने सोचा भी न था. यह 22 जुलाई, 2022 की बात है. पुलिस पूछताछ के बाद इस तिहरे हत्याकांड की कहानी कुछ ऐसे सामने आई.

35 वर्षीय रामचंद्र सिंह जामुदा मूलरूप से जमशेदपुर के डुमरिया का रहने वाला था. उसे लोग सुंदर के नाम से भी पुकारते थे. सामान्य कदकाठी, साधारण शक्लसूरत और इकहरे बदन वाला सुंदर शादीशुदा और 2 बच्चों का बाप था. वह पुलिस विभाग में ड्राइवर था और सालों से जमशेदपुर के एसएसपी का सरकारी वाहन चला रहा था.

सुंदर एसएसपी प्रभात कुमार को औफिस छोड़ने के बाद खाली समय में एसएसपी रीडर औफिस में तफरी मारने चला जाता था. रीडर औफिस के सभी कर्मचारी उसे जानते थे.

औफिस में घूमता हुआ वह सविता हेम्ब्रम के सामने वाली कुरसी पर बैठ जाता था. सुंदर और सविता हेम्ब्रम एकदूसरे से बरसों से परिचित थे और वे उन्हें अच्छी तरह से जानते थे.

पति कैलाश की नक्सलियों ने की थी हत्या

दरअसल, सुंदर डुमरिया थानाक्षेत्र के जिस गांव में रहता था, उसी गांव में सविता की ससुराल थी. वह उस के पति कैलाश हेम्ब्रम को अच्छी तरह जानता था. गांव के रिश्ते से ही सुंदर सविता को भाभी कहता था. वह यह भी जानता था कि कैलाश हेम्ब्रम नक्सलियों की गोलियों की भेंट कैसे चढ़ा था और उसे जांबाज का खिताब कैसे मिला था.

बात साल 2007 के आसपास की है. कैलाश हेम्ब्रम ने नक्सलियों के खिलाफ लोहा लिया था और नागरिक सुरक्षा समिति से जुड़ा था. क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ पुलिस की ओर से चलाए जाने वाले अभियान में कैलाश की बढ़चढ़ कर हिस्सेदारी रहती थी. इस दौरान 2007 में भीतराम्दा गांव में ग्रामीणों द्वारा 7 नक्सलियों को मौत के घाट उतार दिया गया था.

इस सिलसिले में पीयूसीएल, मानवाधिकार से जुड़े तमाम लोग जांच के लिए गांव आए थे. पीयूसीएल के अधिकारियों को गांव में विरोध का सामना करना पड़ा था ताकि वे लोग भीतराम्दा गांव तक नहीं पहुंच सकें. यहां तक कि उन के वाहन की हवा तक निकाल दी गई थी.

मनोहर कहानियां : ट्यूशन के बहाने प्यार की पाठशाला

अलवर जिले में निमराणा की एक खास पहचान है. उस के अंतरगत कस्बाई इलाका ततारपुर में 16
मार्च, 2022 को थानाप्रभारी विजय चंदेल बोरी में लाश की सूचना पा कर चौंक गए थे. वह सोचने लगे आखिर कौन है, जिस ने इलाके की शांति भंग करने की कोशिश की. सूचना देने वाला कोई अज्ञात राहगीर था, जिस ने फोन पर शास्त्री कालोनी में पुलिया के नीचे एक प्लास्टिक की बोरी में लाश होने की जानकारी दी थी. उस से बदबू आने की भी बात कही थी.

सूचना पाते ही थानाप्रभारी चंदेल तुरंत अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए थे. तब तक वहां लोगों की भीड़ जुट गई थी. सभी नाकमुंह बंद किए हुए सड़क पर से ही पुलिया के नीचे प्लास्टिक की बोरी को देख रहे थे. उन की नजरें बोरी पर टिकी थीं. 2 पुलिसकर्मी बोरे के पास गए. उस में से आ रही बदबू से लाश के 2-3 दिन पुरानी होने का अंदाजा लगाया. सावधानी से बोरी के बंधे मुंह को खोला.
बोरी में लाश ठूंस कर कसी गई थी. ऊपर मुड़े हुए पैर थे, जिसे देख कर किसी महिला की लाश होने की पहचान हुई. लाश को बोरी से बाहर निकाला गया, जो एक सुंदर युवती की थी. चंदेल ने लाश का मुआयना किया.

अंदाज से उस की उम्र 30 के करीब आंकी गई. पहनावे, बालों व चेहरे के बनाव शृंगार से वह शहरी और किसी साधनसंपन्न घराने की लग रही थी. उसे बोरी में भर कर फेंकने का मतलब साफ था कि उस की किसी ने हत्या कर ठिकाने लगाने की कोशिश की थी. पुलिस ने लाश की पहचान आसपास खड़े लोगों के जरिए कराने की कोशिश की, किंतु अधिकतर ने बताया कि वह ततारपुर इलाके की नहीं है.

उस की शिनाख्त नहीं होने पर थानाप्रभारी ने अधिकारियों के निर्देश पर लाश का पंचनामा बनाया और लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. चंदेल ने थाने लौट कर एक अज्ञात युवती की लाश बरामदगी की प्राथमिकी दर्ज कर ली. जल्द ही लाश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई. रिपोर्ट में युवती की गला घोट कर मौत होने की बात कही गई थी. उस के बाद पुलिस के सामने 2 उलझनें थीं. पहली, लाश की जल्द से जल्द सही पहचान हो जाए. दूसरी, उस के हत्यारे को दबोच लिया जाए. इस के लिए ततारपुर थानाप्रभारी ने कुछ तरीके अपनाए. मुखबिरों को अलर्ट करने के साथसाथ शास्त्री कालोनी और घटनास्थल पर लगे सीसीटीवी कैमरे के बीते हफ्ते भर की फुटेज निकलवाई.

मुखबिरों से मालूम हुआ कि ततारपुर के कुछ लोगों ने घटनास्थल पर 14 मार्च की शाम करीब 7 बजे एक सफेद कार देखी थी. इस का सुराग लगते ही भिवाड़ी एसपी शांतनु कुमार सिंह के निर्देश पर थानाप्रभारी विजय चंदेल की अगुवाई में एक पुलिस टीम बनाई गई. टीम में एएसआई सुरेंद्र कुमार, कांस्टेबल अमर सिंह, महिला कांस्टेबल बलकेश, कांस्टेबल अनिल कुमार आदि शामिल किए गए.
पुलिस टीम ने सीसीटीवी कैमरे से निकाले गए फुटेज की जांच की. उन्हें सफेद कार दिखी, जिस का नंबर डीएल10 सीएन 9908 था. यह संदिग्ध कार 14 मार्च, 2022 को बहरोड़ से ततारपुर के घटनास्थल पर आ कर रुकी थी और कुछ देर बाद उसी रास्ते से वापस लौटती दिखाई दी थी.

दिल्ली के रजिस्ट्रैशन वाली यह कार पुलिस की निगाह में चढ़ गई. उस की डिटेल से कार मालिक का नाम और पता मालूम हो गया. कार का मालिक कपिल गुप्ता (39 वर्ष) आनंद विहार में कड़कड़डूमा में दयानंद विहार का रहने वाला था. पुलिस को उस तक पहुंचने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी. दिल्ली पहुंच कर राजस्थान पुलिस ने कपिल को दबोच लिया. हालांकि पकड़े जाने पर कपिल अड़ गया. नाराजगी दिखाते हुए बोल पड़ा, ‘‘ऐसे क्यों पकड़ा है मुझे? मैं एक इज्जतदार बिजनैसमैन हूं, कोई ऐरागैरा नहीं जो…’’

‘‘तुम्हें अभी बताता हूं कि तू कौन है. और सुन, ज्यादा तावतेवर दिखाने की जरूरत नहीं है. यह फोटो देख और बता इस बोरी को पहचानता है? अच्छा छोड़, इसे देख कर बता, इस कार को तो पहचानता ही होगा?’’ जांच करने वाले पुलिस अधिकारी ने एक झापड़ मारते हुए कहा. ‘‘कार तो मेरी है, लेकिन बोरी को नहीं पहचानता हूं.’’ कपिल हकलाता हुआ बोला.

‘‘तू अभी सब कुछ पहचान लेगा. पहले ये बता तुम्हारी कार 14 मार्च को दिल्ली से निमराणा में ततारपुर क्यों गई थी?’’ पुलिस ने कड़कती आवाज में पूछा.‘‘मैं तो एक महीने से दिल्ली के दूसरे इलाके में भी नहीं गया और आप राजस्थान की बात कर रहे हैं.’’ कपिल ने सफाई दी. लेकिन तुरंत उस के गाल पर एक और झन्नाटेदार झापड़ लगा.

‘‘इस वीडियो में देखो, गाड़ी कौन चला रहा है? और तुम्हारी बगल में बैठी औरत कौन है?’’
‘‘जी…जी…यह तो मैं ही हूं, बगल में मेरी पत्नी है. लेकिन यह वीडियो दिल्ली की है,’’ कपिल बोला.
‘‘दिल्ली की है? लगता है तुम पुलिस का डंडा खाए बगैर सच नहीं बताओगे… वीडियो में समय और तारीख क्या दिख रहा है 14 मार्च 2022. समय है 18:52 यानी शाम के 6 बज कर 52 मिनट. अब यहीं पूरी बात बताएगा या दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच में ले चलूं. मैं ने वहां की परमिशन ले रखी है.’’
‘‘बताता हूं, यहीं बताता हूं. सब सच बताऊंगा. मैं ने वह सब तंग आ कर किया. बहुत परेशान हो गया था साहब. मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था. मैं अपनी ही गलतियों के कारण ब्लैकमेल हो रहा था.’’ बोलतेबोलते कपिल भावुक हो गया.

उस की आवाज भर्रा गई. आंखों से आंसू निकल आए. यह देख कर पुलिस ने उसे अपना रूमाल निकाल कर दे दिया. एक गिलास पानी मंगवाया.कपिल गटागट आधा गिलास पानी एक सांस में ही पी गया. नम आंखें साफ कीं. फिर उस ने जो कुछ बताया, वह काफी चौंकाने वाली जानकारी थी.सब से पहले तो उस ने स्वीकार कर लिया कि वह 14 मार्च को अपनी गाड़ी से ततारपुर के इलाके में गया था. उस के साथ पत्नी सुनैना के अलावा 2 नौकर भी थे. वहां जाने का कारण थी प्रियंका बंसल खत्री.

वह उस के बच्चों को पिछले 9 सालों से ट्यूशन पढ़ा रही थी, लेकिन बीते 2 सालों से उसे ब्लैकमेल भी कर रही थी. पैसे ऐंठ रही थी. 6-7 महीने से तो 50 लाख रुपए मांग रही थी. नहीं देने पर मुझे बलात्कार के जुर्म में जेल भेजने की धमकी दे रही थी. पुलिस बड़े ध्यान से कपिल की बातें सुन रही थी. उस के बयान की रिकौर्डिंग भी की जा रही थी. पुलिस ने बीच में ही कपिल को टोका, ‘‘तुम ने प्रियंका के खिलाफ पुलिस में शिकायत क्यों नहीं की?’’

‘‘उस की क्या शिकायत करता साहब, किस मुंह से करता. मैं ही उस के रूपजाल और जवानी में फंसा हुआ था. उस के साथ मेरा सालों से अवैध रिश्ता बना था.‘‘वह चाहती थी कि मैं अपनी पत्नी को छोड़ कर उस से शादी कर लूं. जब मैं ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता है, तब उस ने पत्नी की हत्या करवाने की भी बात की. वह मुझे बारबार जेल भेजने की धमकी देती थी. सो एक दिन मैं ने ही उसे खत्म करवा दिया.’’
‘‘खत्म करवा दिया मतलब?’’
‘‘मैं ने अपनी पत्नी से कह कर नौकरों के द्वारा उस की हत्या करवा दी. उस के बाद लाश को ठिकाने लगाने के लिए ततारपुर गया था. वहीं हम ने बोरी में रखी प्रियंका की लाश को सुनसान इलाके में फेंक दिया. उसी रात 11 बजे वापस दिल्ली भी आ गए.’’ कपिल ने बात पूरी की.
‘‘प्रियंका की हत्या किस ने की? उसे कैसे मारा?’’ पुलिस ने पूछा.

‘‘वह भी बताऊंगा साहब, सब कुछ बताऊंगा. मैं ने उसे नहीं मारा और न ही उस की लाश तक को हाथ लगाया. पहले थोड़ा पानी पी लेता हूं.’’ कपिल शांति से बोला. ‘ठीक है, ठीक है. …और पानी मंगवाऊं क्या? कहो तो चाय या कौफी मंगवाता हूं.’’‘‘नहीं, नहीं. करीब 29 साल की छरहरी देह वाली प्रियंका को हमारे 2 नौकरों, राजकिशोर यादव और सचिन देवल ने झांसे में लेने के बाद गला दबा कर मार दिया था.’’

‘‘प्रियंका के बारे में भी बताओ. वह कौन थी? कैसे तुम्हारी जिंदगी में आई, उस के परिवार वाले मातापिता, भाईबहन पति या कोई और प्रेमी आदि…’’ पुलिस ने कहा.‘प्रियंका पास के ही चांद मोहल्ला गांधी नगर में अपने परिवार के साथ रहती थी. मेरी जानपहचान तब से है, जब वह मात्र 20 साल की थी. उन दिनों मेरी उम्र भी 30 साल थी. मेरी शादी हो चुकी थी और 2 बच्चे स्कूल जाने लगे थे. उन की घर पर ट्यूशन के लिए मैं ने प्रियंका को लगा दिया था…’’

इस पूछताछ के बाद उसी वक्त पुलिस की एक टीम प्रियंका के घर पर भी गई. घर पर प्रियंका की मां मिलीं. उन से प्रियंका के बारे में पूछा. इस पर उस की मां ने बताया कि वह 14 मार्च को बैंक से पैसे लाने को कह कर निकली थी, उस के बाद से वापस नहीं लौटी है.पुलिस ने प्रियंका के मांबाप से 3 दिनों तक जवान बेटी के घर नहीं लौटने पर भी उस की किसी तरह की खोजखबर नहीं लेने का कारण पूछा. इस पर उन्होंने बेरुखी से जवाब दिया, ‘‘साहब, वह अपने मनमरजी की मालिक थी. बेफिक्र रहती थी. पहले भी 3-4 दिनों तक बगैर बताए चली जाती थी. लौटने पर बताती थी कि जिस बिजनैसमैन के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती है, उस के काम के सिलसिले में टूर पर अचानक जाना पड़ता है. अपने जरूरी सामान का एक बैग वहीं पैक रखती थी.’’

‘‘अभी तुम्हारी बेटी किस हाल में है नहीं देखना चाहोगी?’’ पुलिस ने कहा.‘‘किस हाल में है का क्या मतलब साहब! क्या हुआ उसे?’’ प्रियंका की मां बोली.‘‘यह जानने के लिए तुम्हें मेरे साथ निमराणा चलना होगा. वहीं सब कुछ मालूम पड़ जाएगा.’’इस तरह राजस्थान पुलिस को लावारिस लाश के बारे में करीबकरीब तमाम आवश्यक जानकारियां मिल चुकी थीं. हत्यारे के बारे में भी मालूम हो गया था. वे हिरासत में भी ले लिए गए थे.

लाश की पहचान होते ही मामले की सिलसिलेवार रिपोर्ट तैयार करनी रह गई थी. अगले रोज सभी के साथ जांच टीम ततारपुर थाने में थी.सब से पहले लाश की पहचान करवाई गई, जिस की शिनाख्त उस के मांबाप ने प्रियंका के रूप कर ली. अपनी बेटी को अचानक मृत पा कर वे वहीं रोनेपीटने लगे. खुद को कोसने लगे और अपने भविष्य को ले कर मातम मनाने लगे. कारण वही घर का खर्च उठाए हुए थी.
अलवर के ततारपुर थाने में कपिल गुप्ता, सुनैना गुप्ता, राजकिशोर यादव और सचिन देवल को प्रियंका की हत्या का आरोपी बना कर मुकदमा दर्ज कर लिया गया. प्रियंका की लाश उस के मातापिता को सौंप दी गई, जिस का ततारपुर में ही अंतिम संस्कार करवा दिया गया.

प्रियंका हत्याकांड का विस्तार से खुलासा करने के लिए सभी आरोपियों से बारीबारी पूछताछ की गई. मुख्य आरोपी के रूप में कपिल गुप्ता के दोनों नौकरों का नाम सामने आया, जबकि कपिल और सुनैना का नाम हत्या की योजना बनाने और लाश को ठिकाने लगाने में आया.हालांकि इस पूरे हत्याकांड का इकलौता जिम्मेदार कपिल गुप्ता ही था, जिस की प्रेम कहानी और अवैध संबंध का अंजाम था. उस के बाद हत्याकांड की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—

पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार स्थित दयानंद विहार, कड़कड़डूमा में रेडीमेड गारमेंट्स के व्यापारी कपिल गुप्ता परिवार समेत रहते थे. परिवार में पत्नी सुनैना और 2 बच्चों का खुशहाल परिवार था. उन का अच्छाखासा करोड़ों के टर्नओवर का बिजनैस था.बात साल 2014 की है. कपिल ने अपने बच्चों का अच्छे पब्लिक स्कूल में नाम लिखवा दिया था. उन के होमवर्क आदि के लिए प्रियंका को ट्यूशन पर रख लिया था. वह कुछ समय के लिए घर आ कर हर रोज बच्चों को पढ़ा दिया करती थी.
दरअसल, मध्यमवर्गीय परिवार की प्रियंका बंसल भी उन दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन कर टीचर की नौकरी की तलाश में थी. टीचर ट्रेनिंग का कोर्स भी करना चाहती थी.

वैसे प्रियंका बहुत ही सुंदर थी. मौडल की तरह फिगर था. सिनेमा और सीरियल जैसी हीरोइन जैसा चेहरा मासूमियत से दमकता रहता था. बगैर मेकअप के भी वह गजब की खूबसूरत दिखती थी. फिर भी बनठन कर रहती थी. उस की सुंदरता ऐसी थी कि जो कोई उसे एक नजर में देख लेता, बारबार निहारे बगैर नहीं रहता था.महत्त्वाकांक्षी भी कम नहीं थी प्रियंका. अपनी हर इच्छा पूरी करने की कोशिश करती थी. स्वभाव से जिद्दी. वह चाहती थी कि हमेशा सुंदर दिखती रहे. इस के लिए अपने खानपान से ले कर सेहतमंद बने रहने के लिए दूसरे तरीके भी अपनाती थी.

यहां तक कि हर्बल टैबलेट्स और स्किन ग्लो करने के लिए दवाइयां तक खाती थी. अपनी आमदनी की अच्छी रकम अपने शरीर की देखभाल और नए ड्रैस पर किया करती थी. मौजमस्ती की जिंदगी की लालसा थी.कपिल के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने के दरम्यान उस की मुलाकात कपिल और सुनैना से होती रहती थी. अपने मिलनसार स्वभाव के कारण जल्द ही वह सभी की प्रिय बन गई. उस की पढ़ाई से बच्चे भी संतुष्ट रहते थे. उन का रिजल्ट अच्छा आने लगा था. इसे देखते हुए कपिल उस की तारीफ करने लगा था.

2 सालों में प्रियंका एक घर की सदस्य की तरह बन गई थी. बेरोकटोक घर में आनेजाने लगी थी. इसी बीच प्रियंका ने महसूस किया कि कपिल उस से अकेले में मिलने और बातें करने के बहाने ढूंढने लगा है. कई बार उस के ड्रैस की तारीफ भी कर चुका था. बाल बनाने के स्टाइल के बारे में पूछते हुए कहा था कि सुनैना को भी वह स्टाइल सिखा दे.संयोग से एक बार कपिल को उसे गाड़ी में ले जाने का मौका मिल गया था. दरअसल, मौका मिला नहीं था, बल्कि उस ने जनबूझ कर ऐसा किया था, ताकि उस से अकेले में बातें कर सके.

उस दिन कपिल ने अपने प्रेम का इजहार प्रियंका को एक गिफ्ट दे कर किया. गुदगुदी तो प्रियंका के दिल में भी काफी समय से हो रही थी. उस ने भी थैंक्स कहने के बजाय सीधे गले गई थी. कपिल के लिए यह अनोखा अनुभव था. वह हतप्रभ हो गया था. खुश था, बोल पड़ा, ‘‘बड़ी अच्छी परफ्यूम लगाई है, कौन सी है?’’‘‘आप भी तो हमेशा अच्छी परफ्यूम लगाते हो. भीनीभीनी हो कर भी प्यारी लगती है.’’ प्रियंका हंसती हुई बोली.

इस के जवाब में कपिल सिर्फ मुसकरा कर रह गए. प्रियंका भी ‘बाय’ बोलती हुई जाने लगी.
कपिल उसे जाते हुए तब तक देखता रहा, जब तक वह सड़क पार नहीं कर गई. कपिल को उस का लचकती कमर मटकाते हुए चलने का अंदाज अच्छा लग रहा था. उस ने प्रियंका को जींस में पीछे से सैक्स अपील का अनुभव किया था.अगले ही रोज कपिल ने प्रियंका को एक जींस गिफ्ट करते हुए कहा, ‘‘यह मेरी फैक्ट्री का नया आइटम है.’’

प्रियंका अचकचाती हुई बोली, ‘‘कल ही तो आप ने महंगा सलवारसूट का गिफ्ट दिया था. तो आज फिर क्यों?’’‘‘यूं ही रख लो, मुझे तुम कल जींसटौप में बहुत ही हौट लगी थी, इसीलिए मैं ने सोचा…’’ कपिल की बात पूरी होने से पहले ही प्रियंका चहकती हुई बोल पड़ी, ‘‘हांहां, मेरी फ्रैंड्स भी कहती हैं कि मैं जींस में हौट और सैक्सी दिखती हूं.’’‘दिखती क्या हो, तुम तो हो ही ऐसी. किसी हीरोइन से कम दिखती हो क्या. तुम्हारा फिगर अच्छेअच्छों को भी नसीब नहीं होता है. तुम खुशनसीब हो.’’
प्रियंका अपनी तारीफ सुन कर शरमाने लगी, लेकिन कपिल के इस बदले रूप को उस ने पहली बार देखा था. थैंक्स बोली. कपिल ने भी जवाब में कहा कि उसे जब भी कुछ जरूरी हो बेझिझक उस से कह सकती है.

इस तरह दोनों के बीच दिलों की दूरियां कम होती चली गईं. दोनों कभी एकदूसरे की तारीफ करते तो कभी साथ समय गुजारने का मौका निकाल लेते.कुछ समय में ही प्रियंका ने महसूस किया कि कपिल की नजर उस पर अपनी पत्नी सुनैना से अधिक रहती है. इस का फायदा उठाते हुए वह जबतब पैसे की मदद भी लेने लगी थी. प्रियंका के लिए कपिल एक मालदार व्यक्ति था, जिस के दिल में उस ने जगह बना ली थी.दूसरी तरफ कपिल के लिए प्रियंका पैसे खर्च कर दिल बहलाने वाली खूबसूरत लड़की थी. वह उस की देह पर भी नजर गड़ाए हुए था.

एक दिन उसे मौका मिल गया. प्रियंका कपिल की आंखों में इस चाहत को अच्छी तरह से भांप चुकी थी. मन ही मन में उस की पत्नी बनने का सपना देखने लगी थी. आग दोनों तरफ से लग चुकी थी और फिर उन्होंने शारीरिक संबंध भी कायम कर लिए.यहीं से दोनों की जिंदगी में बदलाव आने की शुरुआत हो गई. प्रियंका कपिल से और अधिक खुल गई. कपिल उसे घुमाने के लिए दिल्ली से बाहर हिल स्टेशनों पर ले जाने लगा. दोनों खुल कर मौजमस्ती करने लगे. उन के अवैध संबंध की भनक कई सालों तक किसी को नहीं लगी.

इस बीच प्रियंका के मातापिता ने उस की शादी के कई रिश्ते देखे, लेकिन प्रियंका कोई न कोई बहाना बना कर टाल देती थी. उस की उम्र बढ़ती जा रही थी, लेकिन उस ने तो कपिल की बीवी बनने की ठान ली थी.2 साल पहले कोरोना काल का दौर आ गया. उन दिनों कपिल का बिजनैस बंद हो गया. कपिल और प्रियंका के प्रेम संबंध पर भी इस का असर हुआ. हिल स्टेशनों पर घूमने जाना तो दूर, राजधानी में ही उन के मिलनजुलने की समस्या आ गई.

बीते साल महामारी के बाद स्थिति सामान्य होने पर प्रियंका ने एक बार फिर कपिल के करीब आने की कोशिश की. प्रियंका ने कपिल से सीधे लहजे में बात की और शादी करने के लिए दबाव बनाया.
कपिल बोला कि पहली पत्नी के रहते हुए वह ऐसा कैसे कर सकता है. ऊपर से वह उस के बच्चों को राखी बांधती है, लोगबाग क्या कहेंगे? इसे ले कर एक बार घर में ही तीखी बहस हो गई. संयोग से बच्चे घर पर नहीं थे, लेकिन सुनैना दूसरे कमरे में थी.

हाल में उन के बीच बहस हो रही थी.भागीभागी हाल में आ कर सुनैना ने उन से पूछा कि क्या बात है प्रियंका इतनी नाराज क्यों है? सुनैना के आते ही प्रियंका आंखें दिखाती हुई बोली, ‘‘देख लेना, मैं ने जो कहा है उसे हलके में मत लेना. मैं कमजोर नहीं पड़ने वाली हूं.’’ उस के बाद प्रियंका तेजी से मेन गेट से बाहर चली गई.कपिल समझ गया था कि उस के छिपे अनैतिक कर्मों की पोल खुलने वाली है. प्रियंका के साथ उस के संबंध लोगों को मालूम होने वाला है. वह और शोर मचाए और घरपरिवार में लोगों को इस की जानकारी हो जाए, इस से पहले कुछ करना होगा. लेकिन क्या करे, समझ नहीं पा रहा था. अपना सिर पकड़ कर वहीं सोफे पर बैठ गया.

वहीं खड़ी सुनैना ने अपने पति को इस तरह से असहाय पहले कभी नहीं देखा था. उसे परेशान देख कर चिंता जताते हुए पूछा, ‘‘क्या बात हो गई? प्रियंका इतने गुस्से में क्यों थी?’’‘‘बात तो बड़ी है, मुझे ही उस का समाधान निकालना पड़ेगा,’’ कपिल बोला.‘‘सामाधान निकालना पड़ेगा? क्या समस्या है? मुझे बताओ, शायद मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकूं,’’ सुनैना बोली.

‘‘तुम उस में कुछ नहीं कर पाओगी, वह मुझे ब्लैकमेल कर रही है.’’ कपिल निराशा से बोला.
‘‘ब्लैकमेल! किस बात के लिए?’’ सुनैना चौंक गई.
‘‘अरे हां भई, हां. पिछले कई महीने से 50 लाख रुपए की डिमांड कर रही है. अगर नहीं दिया तो मुझे तिहाड़ जेल भिजवा देगी.’’ कपिल के मुंह से अचानक यह बात निकल गई.
‘‘तिहाड़ जेल क्यों? तुम ने क्या किया है?’’ सुनैना बोली.

यह सुनते ही कपिल फफक पड़ा, उस की आंखों से आंसू निकल आए. सुनैना ने उसे पकड़ कर उठाया. दुपट्टे से आंसू पोछे. बोली, ‘‘पूरी बात साफसाफ बताओ, मैं देखती हूं कि उस पिद्दी सी प्रियंका की इतनी औकात जो तुम्हें कुछ कहे. आने दो उसे, मैं सबक सिखाती हूं.’’
सुनैना की बातों से कपिल को बल मिला. सामान्य हो कर उस ने पूरी बात विस्तार से बता दी. अपने संबंधों को ले कर उस से माफी मांगी. सुनैना बोली, ‘‘तुम सुबह के भूले की तरह लौट आए, यही मेरे लिए बहुत है. अब तुम देखते जाओ मैं तुम्हारे लिए क्या करती हूं.’’

पत्नी की बदौलत कपिल में भी हिम्मत आ गई. उस के मन पर से एक बड़ा बोझ उतर चुका था. सुनैना की बातों से महसूस हुआ कि आगे भी सब कुछ सामान्य होने वाला है. उस रोज वह अपने काम में लग गए. उस के ठीक एक सप्ताह बाद सुनैना ने 14 मार्च को सुबहसुबह प्रियंका को फोन कर बुलाया. उसे बताया कि उस के लिए कपिल ने कुछ पैसे रखे हैं, आ कर ले जाए.

प्रियंका यह सुन कर भागीभागी आई. आ कर सुनैना के गले लग गई. बीते दिनों कपिल से गुस्से में बात करने के लिए माफी मांगी. सुनैना ने कहा, ‘‘कोई बात नहीं है. कपिल बोल रहे थे कि तुम्हें मकान खरीदने के लिए कुछ पैसों की जरूरत है. उस का उन्होंने इंतजाम कर दिया है. कुछ कैश इस पैकेट में है और कुछ बैंक से निकालने होंगे. तुम हमारे दोनों स्टाफ राजकिशोर और सचिन के साथ चली जाओ. वहीं कपिल मिल जाएंगे.’’
इस की जानकारी प्रियंका ने फोन से अपनी मां को दे दी और कपिल के दोनों स्टाफ के साथ गाड़ी में बैठ कर चली गई. जैसा कि सुनैना ने बताया था कपिल बैंक में ही मिल गया. प्रियंका पैसा निकाल कर कपिल के साथ गाड़ी में आगे बैठ गई.

कपिल उस के साथ इधरउधर की बातें करने लगा. उस की शादी तय होने की बातें करते हुए गाड़ी सुनसान लंबे हाईवे पर ले आया.
‘‘अरे यह क्या मुझे तो पहले ही मुड़ना था, अब कट यहां से ढाई किलोमीटर दूर आएगा.’’ प्रियंका हंसती हुई बोली, ‘‘कोई बात नहीं, कभीकभी ऐसी मिस्टेक हो जाती है. वैसे भी तुम बातें करने में लगे हुए थे. तुम्हारा ध्यान मुझ पर अधिक था.’’

तभी पीछे बैठे राजकिशोर और सचिन ने प्रियंका के गले में रस्सी डाल कर खींच ली. प्रियंका इस अचानक हुए हमले के लिए तैयार नहीं थी. कुछ समय में ही उस की गला घुटने से मौत हो गई.
कपिल ने गाड़ी किनारे रोक दी. राजकिशोर और सचिन तुरंत आगे आए और प्रियंका को बोरी में बंद कर दिया. बोरी को पीछे डिक्की में डाल कर वीडियो काल कर दिया, ‘‘मैडम, आप प्लाईओवर खत्म होने के बाद मौल के सामने मिल जाइए, काम हो गया है. यह देखिए हम लोग अभी इस जगह से चलने वाले हैं.’’

कपिल फिर अपनी ड्राइविंग सीट पर आ गया. थोड़ी देर में ही सुनैना मौल के सामने खड़ी मिल गई. वह कपिल के साथ वाली सीट पर बैठ गई. पीछे मुड़ कर दोनों स्टाफ को थैंक्स बोला और अपने पर्स से एकएक पैकेट निकाल कर दोनों को दे दिया. उस में पैसे थे. बाकी का काम पूरा होने पर और पैसे देने का आश्वासन दिया.

अब कपिल की गाड़ी राजस्थान के अलवर जाने वाले रास्ते पर थी. वे शाम के 7 बजे के करबी ततारपुर इलाके में पहुंच गए थे. वहीं मौका पा कर उन के स्टाफ ने बोरी में रखी प्रियंका की लाश को एक पुलिया के नीचे गिरा दी और रात के 11 बजे तक सभी वापस दिल्ली आ गए.

पूरी कहानी सुनने के बाद ततारपुर थानाप्रभारी ने चारों अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर अगले रोज मजिस्ट्रैट के सामने पेश कर दिया. वहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

मनोहर कहानियां – औनर किलिंग: धर्म की भेंट चढ़ा प्यार

ईद के अगले दिन 4 मई, 2022 की रात को करीब 9 बजे का वक्त था. तेलंगाना में हैदराबाद के सरूरनगर इलाके की मेन सड़क पर गाडि़यों का आवागमन लगातार बना हुआ था. पैदल यात्रियों की भी भीड़भाड़ थी. तहसीलदार औफिस से ठीक पहले चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल के ग्रीन होने के इंतजार में हर तरह की छोटीबड़ी गाडि़यां खड़ी थीं. कुछ पैदल लोग सड़क पार कर रहे थे, जबकि कुछ सड़क के किनारे खड़े थे.
ग्रीन सिग्नल होने का इंतजार स्कूटी पर बैठे एक नवविवाहिता जोड़े को भी था. वह युवक कोई और नहीं बिलियमपुरम नागराजू था, जिस ने आशरीन सुलताना के साथ हाल ही में प्रेम विवाह किया था. शादी के बाद आशरीन ने अपना नाम पल्लवी रख लिया था.

गहरे सांवले रंग के नागराजू के साथ पीछे चिपक कर बैठी गोरीचिट्टी पल्लवी साइड मिरर में अपनी सूरत निहार रही थी. तभी युवक पत्नी से मुसकराते हुए बोला, ‘‘अपनी खूबसूरती आईने को दिखा रही हो या मुझे?’‘‘अरे नहीं जी, मुहांसे देख रही हूं. कुछ ज्यादा ही निकल आए हैं,’’ पल्लवी बोली.
‘‘देसी उपाय करो, ठीक हो जाएंगे. वैसे तुम इस में भी गजब की सुंदर दिखती हो,’’ नागराजू ने मजाक किया.‘‘अच्छाजी! तुम तो दादी अम्मा की तरह बोलते हो,’’ पल्लवी भी मजाकिया लहजे में बोली. तभी सिग्नल की लाइट ग्रीन हो गई.

पल्लवी ने नागराजू की कमर कस कर पकड़ ली और उस ने स्कूटी तेजी से आगे बढ़ा दी. स्कूटी के अचानक तेज होने से पल्लवी थोड़ा पीछे की ओर झुक गई और संभलती हुई बोली, ‘‘गिराने का इरादा है क्या?’’‘‘तुम्हें कैसे गिरा सकता हूं, तुम तो मेरी जान हो.’’ नागराजू प्यार जताते हुए बोला.
‘‘अच्छा ऐसा है क्या?’’पल्लवी का बोलना था कि उस के पति नागराजू ने स्कूटी को अचानक ब्रेक लगा दिया.‘‘अरे..अरे…अब क्या हुआ?’’ पल्लवी ने तेज आवाज में पूछा, लेकिन तब तक वह स्कूटी से नीचे धड़ाम से गिर चुकी थी. नागराजू भी उस से अलग जा गिरा था.

पल्लवी को मामूली चोट आई थी. तुरंत खुद को संभालती हुई उठ खड़ी हुई. जबकि नागराजू उस से थोड़ा दूर गिरा हुआ ही था. वह उठने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उठ नहीं पा रहा था. 2 युवक उसे घेरे खड़े थे.
एक बोला, ‘‘उठ हरामजादे… कुत्ते की औलाद. चला है इश्क लड़ाने. आज देखता हूं तुझे कौन बचाता है.’’
आशरीन उर्फ पल्लवी को आवाज जानीपहचानी लगी. उसे समझने में देर नहीं लगी. यह उस के बड़े भाई मोबिन की आवाज थी. वह हाथ में रौड लिए था.पल्लवी ने तुरंत उस के पैर पकड़ लिए, ‘‘भाई छोड़ दे. अब ये मेरे शौहर हैं. तुम्हारे दूल्हाभाई. मत मार इन्हें. तुझे जो कुछ कहना है मुझ से कह…’’

आशरीन उर्फ पल्लवी की बात अनसुनी कर गुस्से में चाकू पकड़े दूसरे युवक ने उसे खींच कर अलग कर दिया. चीखता हुआ गुस्से में बोला, ‘‘चल हट यहां से, आज इस का काम तमाम कर के ही दम लूंगा. बड़ी मुश्किल से महीने भर बाद हाथ लगा है.’’‘‘छोड़ दे भाई, इन्हें छोड़ दे. हमारी शादी हो चुकी है,’’ पल्लवी गिड़गिड़ाई.‘‘चल भाग यहां से हरामजादी, कुतिया कहीं की. भाग जा, वरना तुझे भी नहीं छोड़ूंगा. मुसलमानों में लड़कों की कमी हो गई है, जो तूने इस हिंदू से शादी की है. और वह भी नीची जाति के लड़के से. आज पकड़ में आया है, अब इस की खैर नहीं.’’ गुस्से में आगबबूला युवक ने अपने पति की जान की भीख मांगती बहन आशरीन को जोर का धक्का दिया.

खुद को संभालती पल्लवी कभी अपने पति को रौड से पीट रहे भाई की तरफ भागती तो कभी चाकू लिए दूसरे हमलावर को पकड़ने की कोशिश करती. लेकिन वह कोशिश के बाद भी सड़क पर जख्मी छटपटाते पति को नहीं बचा पा रही थी.तब तक वहां चारों ओर काफी भीड़ इकट्ठी हो गई थी. उन में अधिकतर मारपीट, हंगामे और खूनखराबे का तमाशा देख रहे थे तो कुछ लोगों ने अपनेअपने मोबाइल से वीडियो बनानी शुरू कर दी थी.जबकि हताश और विचलित पल्लवी जमा भीड़ में सभी से हाथ जोड़ कर पति को बचाने की गुहार लगा रही थी. गिड़गिड़ा रही थी कि कोई तो उस के पति को खून के प्यासे दरिंदों से बचा ले.

हमलावरों की आंखों में उतर आया था खून पल्लवी ने रौड से पिटाई कर रहे भाई के हाथ पकड़ लिए. रौड छीनने की कोशिश करती हुई बोली, ‘‘छोड़ दो, इन्हें छोड़ दो. जैसा तुम कहोगे मैं वैसा ही करूंगी. तुम चाहते हो कि मैं घर लौट जाऊं तो चलती हूं. मैं तुम्हारी हर बात मानने को तैयार हूं, लेकिन इन्हें छोड़ दो.’’
निर्दयी बने दोनों हमलावरों की आंखों में तो खून उतर आया था. एक ने युवती को भी रौड से पीट डाला, जबकि दूसरे ने नागराजू को चाकुओं से ताबड़तोड़ वार करते हुए गोद डाला.नागराजू की घटनास्थल पर ही मौत हो गई. बर्बरता का यह मंजर करीब 20 मिनट तक चलता रहा, लेकिन तमाशबीन लाश बने रहे और दोनों हत्यारे चाकू और रौड लहराते हुए वहां से फरार हो गए.

थोड़ी देर में ही घटनास्थल पंजाल अनिल कुमार कालोनी की मेनरोड पर सरूरनगर थाने की पुलिस आ गई. थानाप्रभारी के. सीथाराम को 23 वर्षीय आशरीन सुलताना उर्फ पल्लवी ने सब कुछ बता दिया.
आशरीन ने थानाप्रभारी को यह भी बताया उन्होंने इसी साल 31 जनवरी को हैदराबाद के एक आर्यसमाज मंदिर में हिंदू रीतिरिवाज से 25 वर्षीय बिलियमपुरम नागराजू के साथ शादी कर ली थी. इस के एक दिन पहले ही उस ने अपना हिंदू नाम पल्लवी रख लिया था.आशरीन के अलावा घटनास्थल पर मौजूद स्थानीय लोगों से भी पूछताछ की गई. इसी के साथ घटना की सूचना तत्काल पुलिस के उच्च अधिकारियों को दे दी गई. साथ ही लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. पुलिस के सामने सब से पहली चुनौती वारदात के बाद फरार हमलावरों की गिरफ्तारी की थी.

मामला तुरंत राज्य के गृह मंत्रालय तक जा पहुंचा और इस घटना की राजनीतिक गलियारे में चर्चा होने लगी. तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन ने इस मामले में राज्य सरकार से डिटेल्ड रिपोर्ट मांगी. इसे हिंदूमुसलिम और दलित की हत्या के नजरिए से देखा जाने लगा.इस बीच तेलंगाना में भाजपा नेताओं ने हमलावरों के खिलाफ सख्त काररवाई की मांग की. तेलंगाना के भाजपा विधायक राजा सिंह ने हत्या की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में शामिल सभी लोगों की गिरफ्तारी की मांग की.

डीसीपी सुनप्रीत सिंह और एलबी नगर के एसीपी पी. श्रीधर रेड्डी के आदेश पर पुलिस टीम बनाई गई और सीसीटीवी के फुटेज निकलवाए गए. सीसीटीवी की फुटेज के अनुसार, घटना की रात नागराजू आशरीन के साथ अपनी बहन के घर से अपने घर लौट रहा था. उसे सरूरनगर में हमलावरों ने रास्ते में रोक लिया था.
सीसीटीवी कैमरों और मोबाइल वीडियो में कैद हमले के कथित दृश्यों में 2 लोग नागराजू की बेरहमी से पिटाई करते हुए दिख रहे थे, जिस से वह खून से लथपथ हो गया.

अगले रोज 5 मई, 2022 को सरूरनगर पुलिस ने नागराजू की बेरहमी से हत्या करने वाले दोनों हमलावर गिरफ्तार कर लिए. इस संबंध में सरूरनगर पुलिस थाने में आईपीसी की धारा 302 और एससी/एसटी (पीओए) संशोधन अधिनियम 2015 की धारा 3 (2) (वी) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया.

आरोपी हुए गिरफ्तार

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान हैदराबाद के बालानगर इलाके के गुरुमूर्ति नगर में रहने वाले सैय्यद मोबिन अहमद (30 साल) और रंगारेड्डी जिले के शेरिलिंगमपल्ली के तारानगर इलाके के रहने वाले मोहम्मद मसूद अहमद (29 साल) के रूप में हुई.सैय्यद मोबिन अहमद आशरीन का भाई था. वह एक फल विक्रेता है, जबकि अन्य गिरफ्तार आरोपी मोहम्मद मसूद पेशे से मोटर मैकेनिक है. मृतक नागराजू मलकपेट के एक मारुति शोरूम में मार्केटिंग का काम करता था. वह अनुसूचित जति माला समुदाय से आता था.

आशरीन ने घटना के पीछे के कारण के बारे में बताया. बड़ा भाई सैयद मोबिन अहमद को उस के नागराजू से प्रेमसंबंध पसंद नहीं थे. वह उस का घोर विरोधी बना हुआ था. वह बारबार कहता था कि नागराजू पढ़ालिखा है तो क्या हुआ, है तो नीची जाति का. हमें अपनी कौम में रहना है, यहीं जीना है, यहीं मरना है तब दूसरी कौम से रिश्ता क्यों बनाएं?

मोबिन ने उसे शादी से पहले इस के खिलाफ चेतावनी दी थी. फिर 30 जनवरी, 2022 को उस ने घर छोड़ दिया. तब वह अपना मोबाइल फोन साथ नहीं ले जा पाई थी.वारदात के दिन वह पति नागराजू के साथ स्कूटर से अपने किराए के कमरे पर जा रही थी. सरूरनगर के अनिल कुमार कालोनी के पास उसे हमलावारों ने रोक लिया था. अचानक उन पर हमले होने लगे थे. 2 हमलावर थे, जिन में वह सिर्फ भाई को ही पहचान पाई. दूसरे को वह नहीं जानती है.साथ ही आशरीन ने यह भी कहा कि उस ने मदद के लिए वहां खड़े तमाशबीनों से भी भीख मांगी थी, लेकिन कोई भी आगे नहीं आया, जबकि उस के पति नागराजू को सब के सामने सिग्नल पर पीटा जा रहा था.

आशरीन ने नागराजू की हत्या का आरोप सीधेसीधे अपने भाई मोबिन अहमद और उस के साथी मोहम्मद मसूद पर लगाया. वह रोरो कर कहने लगी, ‘‘मैं हत्यारों से अपने पति के जान की भीख मांगती रही. लेकिन दोनों कसाई बने रहे. मेरे पति को उन्होंने चाकुओं से गोद दिया. मेरी आंखों के सामने मेरे पति की हत्या कर दी.’’

वीडियो हुआ वायरल

इस हत्याकांड के वीडियो में नागराजू की हत्या करता आशरीन का भाई साफ दिख रहा था. आशरीन अपने भाई से पति को बचाने की कोशिश करती दिख रही थी, लेकिन हत्यारोपी उसे धक्का मार कर दूर झटक देता है और जमीन पर पड़े नागराजू के सिर पर वार करता रहता है. यह वीडियो किसी छत से शूट किया गया था.वारदात में आशरीन ने नागराजू द्वारा सुने गए अंतिम शब्द के बारे में भी बताया कि उस का पति भी जान बचाने की भीख मांग रहा था, ‘‘मुझे क्यों मार रहे हो, मुझे छोड़ दो, जाने दो. मैं तुम्हारा जीजा हूं.’’
इस के बावजूद नागराजू के साले मोबिन का दिल नहीं पसीजा था. वह गैरधर्म में हुई शादी से बहुत गुस्से में था. गुस्सा इतना था कि साथी के साथ मिल कर अपनी ही बहन का सुहाग उजाड़ दिया.

आशरीन बताती है कि नागराजू अपने प्यार की खातिर अपना धर्म बदलने को भी राजी था. वह इसलाम धर्म कुबूलने को तैयार थे. फिर भी उस का भाई नहीं माना. आशरीन ने बताया कि शादी से पहले ही उस ने नागराजू को कहा था कि उस के घर वाले इस शादी से खुश नहीं हैं और वे उस की जान भी ले सकते हैं. इस पर नागराजू ने कहा था कि उसे किसी बात की परवाह नहीं है. वह जिए या मरे, हर हाल में आशरीन के साथ ही रहना चाहता है.नागराजू सिकंदराबाद के मरेडपल्ली का रहने वाला था और पुराने शहर मलकपेट में एक कार शोरूम में सेल्समैन का काम करता था. इस मामले को ले कर एसीपी पी. श्रीधर रेड्डी ने जांच की.

जांच में पाया कि हत्या से एक महीने पहले से मोबिन ने आशरीन और नागराजू का पता लगाने के लिए पहली फरवरी, 2022 को बालानगर पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी. साथ ही अपने स्तर से उन्हें तलाश रहा था, लेकिन इस में उसे सफलता नहीं मिल पा रही थी.

यूं शुरू हुई मोहब्बत की दास्तान

आशरीन ने नागराजू से प्यार किया था. इस प्यार के लिए उन्होंने धर्म और जाति की सभी बंदिशों से टकराने की हिम्मत जुटाई थी. शादी के बाद दोनों ने जिंदगी भर साथ रहने के वादे किए थे, कसमें खाई थीं.
वे अपने वादे निभाते भी जा रहे थे, लेकिन उन के सपने हमेशा टूटते भी रहे. …और वह काला दिन भी आ गया, जब उन के सारे सपने सब के सामने मिट्टी में मिल गए. सारे सपने अपने प्रियतम के खून में तब मिल गए, जब उस की आंखों के सामने नागराजू की हत्या हो गई.

नागराजू की हत्या की एकमात्र वजह उस का एक मुसलिम लड़की से प्रेम करना, उस से शादी करना ही था. दोनों के परिवार उन की शादी से खुश नहीं थे. आशरीन के भाई की नाराजगी तो कुछ अधिक ही थी, जबकि आशरीन अपनी जिंदगी नागराजू के साथ ही गुजारना चाहती थी.

हैदराबाद से करीब 80 किलोमीटर दूर है तालुका विकाराबाद. इसी तालुका में एक गांव मारपल्ली है. यही नागराजू का गांव है. आशरीन का गांव गानपुर यहां से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर है. नागराजू हत्याकांड के बाद दोनों के परिवार अपनेअपने गांवसे दूर जा कर कहीं छिप गए. दोनों गांवों में हिंदू और मुसलमानों की आबादी लगभग बराबर है.आशरीन और नागराजू एकदूसरे को तब से जानते हैं, जब वे किशोर उम्र के थे. दोनों ने एक साथ स्कूल और कालेज में पढ़ाई की. वहीं से उन के बीच दोस्ती हुई और फिर वे प्रेमीयुगल बन गए.

नागराजू ने की थी घर वालों को मनाने की कोशिश

नागराजू को आशरीन इसलिए पसंद थी, क्योंकि सारे दोस्तों में एक वही थी, जो उसे इंसान की तरह समझती थी, उस ने कभी भी उसे नीची जाति के नजरिए से नहीं देखा. बल्कि उसे हमेशा अधिकार के लिए लड़ने की हिम्मत बढ़ाती रहती थी.2 साल पहले नागराजू ने आशरीन से कहा कि वह बड़े शहर में जा कर नौकरी करना चाहता है. वहीं रह कर पहले कोई प्राइवेट जौब कर लेगा और अच्छी सरकारी नौकरी के लिए तैयारी करेगा. इसी बीच कोरोना का दौर आ गया और उस की योजना धरी की धरी रह गई. पढ़ाई भी पिछड़ गई.

एक रोज आशरीन ने नागराजू को फोन पर बताया कि उस के घर वाले शादी करने के लिए लड़का देख रहे हैं. इसलिए वह अपने घर वालों से बात करे.नागराजू ने अपने मातापिता से आशरीन से शादी के बारे में जिक्र किया. दूसरी तरफ आशरीन ने अपनी मां से नागराजू की तारीफ करते हुए उस से निकाह करवाने की मिन्नत की. दोनों के घर वालों ने उन की शादी से इनकार कर दिया. दोनों ने एक ही वजह बताई, ‘‘हमारी कौम अलगअलग है. यह नहीं हो सकता.’’

इस पर नागराजू ने आशरीन की मां से कहा कि वह आशरीन के लिए इसलाम धर्म अपनाने को राजी है.
कुछ इसी तरह की बात आशरीन ने नागराजू की मां से कही थी. उन्होंने साफ लहजे में कहा था कि वह नागराजू से शादी करने और उन के परिवार में घुलमिल कर रहने के लिए हिंदू धर्म अपनाने को राजी है. संयोग से धर्म परिवर्तन करने के मामले में आशरीन ने ही पहल की और और हिंदू नाम पल्लवी रख लिया.
आशरीन ने अपने प्यार के लिए धर्म के बंधनों को तोड़ दिया था. कहने को तो नागराजू और आशरीन के बीच धर्म कभी भी कोई परेशानी नहीं था क्योंकि दोनों एकदूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते थे, किंतु सामाजिक और पारिवारिक संतुष्टि के लिए आशरीन ने अपने प्यार के लिए धर्म के बंधनों को तोड़ दिया था.

आर्यसमाज मंदिर में की थी शादी

आशरीन हमेशा ही विरोध करने वालों को कहती थी, ‘मुझे राजू के हिंदू होने से कोई समस्या नहीं थी. मैं हमेशा सिर्फ यह सोचती थी कि वो मेरे लिए हैं. हिंदूमुसलिम जैसा कुछ भी हमारे बीच नहीं था. हम दोनों एकदूसरे को समझते थे और हंसीखुशी अपनी जिंदगी बिता रहे थे.’कहने को तो प्यार के सहारे उन्होंने आगे बढ़ने का फैसला किया, लेकिन हर कोई आशरीन और नागराजू की तरह नहीं सोचता है, कुछ लोग जो धर्म और जाति को इज्जत से जोड़ कर देखते हैं, उन्हें नागराजू और आशरीन जैसों के सपनों को मौत के घाट उतारने में पलभर भी नहीं लगता.

हैदराबाद के लक्ष्मीनगर इलाके में एक आर्यसमाज मंदिर से उन्हें बाकायदा शादी का सर्टिफिकेट दिया गया और वहां के पंडित एम. रविंद्र ने दोनों की वैदिक रीति और गायत्री मंत्रोच्चारण के साथ शादी करवाई. इस मंदिर में शादी के लिए बहुत से लोग आते हैं, जिन में अंतरधार्मिक विवाह वाले भी होते हैं.
वहां शादी के रीतिरिवाज शुरू करने से पहले लड़कालड़की को समझाया भी जाता है. बाकायदा उन की काउंसलिंग की जाती है.उन के परिवार और परिवार के विचारों के बारे में पूछा जाता है. आर्यसमाज मंदिर में शादी करने से पहले शख्स को हिंदू धर्म अपनाना होता है. आशरीन ने ऐसा करने का फैसला किया था. जब कोई ईसाई और मुसलिम शादी करते हैं तो उन्हें हिंदू धर्म में परिवर्तन करना होता है. हिंदू धर्म अपनाने के लिए उन्हें कुछ चीजें करनी होती हैं. जो हिंदू धर्म स्वीकार करते हैं, सिर्फ वही यहां शादी कर सकते हैं.

आशरीन और नागराजू की शादी के समय भी ऐसा ही हुआ. उन्होंने भी गायत्री मंत्र का जाप किया. ये बातें पुजारी एम. रविंद्र ने बताईं. उन्होंने बताया कि हर जोड़े की तरह नागराजू और आशरीन को भी इस बारे में सब कुछ बताया और समझाया गया था.आशरीन मोबिन की तीसरी और छोटी बहन है. परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी मोबिन पर है. उस का फल का कारोबार है और परिवार का खर्च वही उठाता है. एक तरह से घर पर उस के फैसले को ही महत्त्व दिया जाता है. वह आशरीन से 2 बड़ी बहनों की शादियां कर चुका था.

मोबिन ने आशरीन की शादी के बाद अपनी शादी की योजना बनाई थी. इसी बीच उसे पता चला कि उस की बहन आशरीन पास के गांव के ही नागराजू से प्यार करती है.दूसरी कौम का होने के चलते मोबिन ने उसे समझाया था. जब वह भाई की बात मानने को राजी नहीं हुई, तब उस ने उस की पिटाई भी कर दी थी.
उस के बाद ही आशरीन ने घर छोड़ने का निर्णय ले लिया था और 30 जनवरी, 2022 की रात करीब 8 बजे किसी को बिना बताए घर से निकल गई थी. साथ में नागराजू भी था. अगले दिन उस ने हिंदू परंपरा के अनुसार पुराने हैदराबाद स्थित आर्यसमाज मंदिर में नागराजू से शादी कर ली थी. आशरीन के घर वालों को जब उस शादी की जानकारी हुई, तब उन्होंने नागराजू से अपनी बहन को छोड़ने के लिए दबाव बनाया. लेकिन नागराजू और उस के परिवार ने इनकार कर दिया. इस के बाद ही मोबिन ने नागराजू को मारने की योजना बनाई.

ऐप से तलाशा नागराजू को

आशरीन उर्फ पल्लवी और नागराजू की तलाश करने के लिए आरोपियों ने ‘फाइंड माई डिवाइस’ नाम के ऐप का इस्तेमाल किया. इस का खुलासा मोबिन ने रिमांड के दौरान पुलिस से पूछताछ में किया.
उस ने बताया कि वह अपने साथी के साथ मिल कर करीब एक महीने से नागराजू की तलाश में जुटा हुआ था. वारदात से पहले उन्होंने नागराजू की हत्या के लिए उसे ट्रैक करने की कोशिश की. उस का पता लगाने के लिए मोबाइल स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया.हालांकि हत्या के दिन आरोपी ने पहले कार शोरूम के बाहर की हत्या करने की कोशिश की थी, जहां नागराजू काम करता था. वहां ट्रैफिक अधिक होने के चलते वह वारदात को अंजाम नहीं दे पाया.

जब आशरीन और नागराजू को मोबिन के योजना की भनक लगी, तब वे सरूरनगर आ गए. वहीं नागराजू ने एक कार के शोरूम में नौकरी कर ली. उधर मोबिन नागराजू की तलाश में लगा रहा.रिपोर्ट के अनुसार, मोबिन ने अपनी बहन के मोबाइल से नागराजू का नंबर निकाल लिया था. आशरीन के फोन में तलाशी के दौरान नागराजू की मेल आईडी भी मिल गई थी. इस के बाद उस ने फाइंड माई डिवाइस ऐप डाउनलोड किया और नागराजू को ट्रैक करने के लिए उस के मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी का यूज किया.
उस के बाद वह करीब एक हफ्ते तक नागराजू की तलाश में जुटा रहा. इस के लिए ऐप पर नजर बनाए रखी. वहीं से मोबिन को नागराजू की लोकेशन सरूरनगर की मिली. उस के बाद मोबिन ने 4 मई, 2022 को अपने साथी को फोन कर सरूरनगर बुलाया.

आंखों के सामने घूमता है वह खौफनाक मंजर

मोबिन के कहने पर उस का साथी मसूद अहमद आने को राजी हो गया. दोनों एक साथ बस से लोहे की रौड और चाकू ले कर मियापुर पहुंच गए. मियांपुर से मोबिन अपने एक अन्य साथी के साथ सरूरनगर के लिए रवाना हुआ. वहां उन्होंने फाइंड माई डिवाइस ऐप के जरिए नागराजू की सटीक लोकेशन का पता कर लिया.ऐप में नागराजू की लोकेशन कालोनी के मेनरोड पर मूसाराम बाग में दिखी. मोबिन जब वहां पहुंचा, तब नागराजू दिख गया. उस के साथ आशरीन भी थी.

इस के बाद बाइक पर सवार मोबिन और मसूद ने मिल कर स्कूटी चला रहे नागराजू और आशरीन को रोका. स्कूटी के एक झटके में रुकते ही मोबिन ने नागराजू के सिर पर लोहे की रौड से वार कर दिया. एक ही वार में नागराजू सड़क पर गिर गया. इस के बाद मोबिन और मसूद रौड और चाकू से नागराजू पर ताबड़तोड़ हमला करने लगे.अपनी आंखों के सामने अपने पति की न सिर्फ मौत, बल्कि बर्बर हत्या देखने वाली आशरीन का अब कोई ठौरठिकाना तक नहीं बचा है.

वह कहती है, ‘‘मैं अपने भाई से मिलना चाहती हूं. मैं राजू के बिना जिंदा नहीं रहना चाहती. लेकिन मैं अपने भाई से बहुत नाराज हूं और सिर्फ यही एक कारण है कि मैं जिंदा हूं. जिस तरह से उस ने राजू को… मेरे पति को मारा, मैं भी उस को उसी तरह मारना चाहती हूं. उसे भी मेरा दर्द महसूस होना चाहिए.’’
पूरी तरह टूट चुकी आशरीन जब भी अपनी बातें बताने लगती है, उस समय भी उस के चेहरे पर दर्द साफ नजर आ जाता है. उसे देख कर ऐसा लगता है मानो कोई तूफान उस की सारी खुशियां उड़ा ले गया हो. उस की बेजार हो चुकी जिंदगी का कोई भी अंदाजा लगा सकता है. वह जिस से भी मिलती है, अपना वही दर्द दोहराती है.

तमाशबीन भीड़ से भी है पल्लवी को शिकायत

आशरीन का दर्द कुछ इस तरह रहरह कर सामने आ जाता है, ‘‘उस सड़क पर पैदल और बाइक पर बहुत सारे लोग थे, लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया. मैं ने उन से विनती की, उन के पैर छुए, लेकिन किसी ने हमले को रोकने की कोशिश नहीं की. मेरे पति को लोहे की रौड से इतना पीटा जा
रहा था कि उस का मांस बाहर आ गया था.‘‘जब तक लोग मदद के लिए आते, तब तक मेरे पति की मौत हो चुकी थी. अगर सभी ने शुरू में आरोपियों पर पथराव किया होता तो हमले को रोका जा सकता था. कुछ हमलावरों को रोकने के लिए कितने लोगों की जरूरत है?’’ पल्लवी पूछती है, ‘‘क्या यह समाज में किसी के जीवन का मूल्य है? हम जिस जगह पर हैं, वह कोई समाज नहीं है?’’
इस के साथ ही नाराजगी भरा सवाल भी पूछती है, ‘‘मेरे पति की मृत्यु के बाद उस के शरीर के चारों ओर लगभग 100 लोग जमा हो गए. जब हमला चल रहा था, तब ये लोग क्यों नहीं रुके और मदद करने की कोशिश क्यों नहीं की?’’

पुलिस से की थी सुरक्षा की मांग

आशरीन ने बताया कि वह और नागराजू जानते थे कि जनवरी में शादी के बाद से वे खतरे में हैं और इस के लिए उन्होंने पुलिस सुरक्षा भी मांगी थी.नागराजू के घर वाले भी युवा सदस्य की इस तरह हत्या किए जाने से काफी खफा हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि अनुरोध करने पर हत्यारे को जरा भी दया नहीं आई. लड़की का भाई तो पूरा कसाई ही बन गया था.नागराजू की बहन रमा देवी काफी गुस्से में कहती हैं, ‘‘पुलिस सुरक्षा मांगने के बावजूद, मेरे भाई को मार दिया गया. पुलिस ने अपनी ड्यूटी क्यों नहीं की, सुरक्षा की उन की दलील को क्यों नजरअंदाज किया?’’

इस सवाल पर सुरक्षा की गुहार करने वाले मोमिनपेट पुलिस स्टेशन ने चुप्पी साध ली है. हालांकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने इसे गंभीरता से लिया है. इसे ‘संदिग्ध औनर किलिंग’ बताते हुए तेलंगाना के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.आयोग ने मुख्य सचिव से यह बताने का अनुरोध किया है कि क्या राज्य सरकार की अंतरजातीय/अंतरधार्मिक विवाह के मामलों में औनर किलिंग की ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कोई नीति है? साथ ही डीजीपी से जांच, पीडि़त की पत्नी और परिवार की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगी गई है. कहा गया है. यही नहीं तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने
भी घटना पर राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

नागराजू के पुश्तैनी गांव में उस की कब्र बनाई गई है. उल्लेखनीय है कि भारत में कुछ अनुसूचित जाति के लोगों को भी दफनाए जाने की परंपरा है. नागराजू की कब्र पर उस के पूरे परिवार सहित आशरीन ने भी कई दिनों तक श्रद्धांजलि के फूल चढ़ाए.गांव वाले और नागराजू के रिश्तेदार बताते हैं कि वह 2 साल पहले गांव छोड़ कर पढ़ाई के सिलसिले में हैदराबाद चला गया था. आशरीन के साथ अच्छी जिंदगी शुरू करने के लिए दोनों ने वहां से निकल कर शादी कर ली थी.

परेशानियों से दूर रहने के लिए दोनों कुछ दिनों तक विशाखापट्टनम में भी रहे. इस के बाद वे यह सोच कर हैदराबाद लौट आए कि यह जगह भी सुरक्षित होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.नागराजू के दादा नागरपल्ली जगन की आंखें नम हो जाती हैं. वे नागराजू की कब्र से हटने का नाम ही नहीं लेते हैं. उन्होंने बताया कि नागराजू ने परिवार को अपनी शादी के बारे में नहीं बताया था. हालांकि उन्हें आशरीन के परिवार के विरोध के बारे में पता था.इस बारे में जगन कहते हैं कि मसला ये नहीं है कि हम पसंद करते हैं या नहीं करते हैं. हमें इस बारे में तब पता चला, जब उन की शादी हो गई. उन्होंने घर पर कुछ भी नहीं बताया था. लड़की मुसलमान थी और वो हिंदू. लड़की का परिवार एक हिंदू लड़के से उन की शादी के लिए तैयार नहीं था और शायद यही वजह रही होगी कि नागराजू ने इस बारे में अपने घर में नहीं बताया था. वह डर गया था.
उन के रिश्ते और शादी के बारे में गांव के पूर्व सरपंच मोहम्मद कलीमुद्दीन की भी अपनी राय है. वे कहते हैं, ‘‘आशरीन के घर वाले जब पुलिस स्टेशन पहुंचे, तब उन्हें बताया गया कि लड़कालड़की बालिग हैं. इस पर आशरीन के भाई का गुस्सा बना रहा. आशरीन के घर वालों ने दोनों का रिश्ता तोड़ने की बहुत कोशिशें कीं.’’

आशरीन के घर वाले इस शादी से अपने समाज में काफी आलोचना झेलने लगे थे.
वे आशरीन को वापस अपने घर ले जाना चाहते थे.कलीमुद्दीन ने भी परिवार को राजी करने की बहुत कोशिश की, लेकिन शर्त रखी कि वे अगर शांति से आएं तभी इस मसले का कोई समाधान निकाला जा सकता है.लेकिन जिस समय कलीमुद्दीन ये सब बातें उन्हें समझा रहे थे, उन्हें खुद भी अंदाजा नहीं था कि 3 महीने बाद ऐसा कुछ हो जाएगा.अंतरधार्मिक विवाह करने पर औनर किलिंग का यह कोई पहला मामला नहीं है. हैदराबाद ही नहीं, देश के हर राज्य में इस तरह के मामले आए दिन होते रहते हैं.
आधुनिक भारत का गौरव समझने वाले इस दकियानूसी समाज को अपराध का रास्ता अपनाने के बजाय अपनी सोच में बदलाव करना होगा. इस के अलावा पुलिस को भी ऐसे जोड़ों की सुरक्षा की मांग पर गंभीरता से विचार करना चाहिए वरना ऐसी घटनाएं होती रहेंगी और नेता राजनीतिक रोटियां सेंकते रहेंगे.
बहरहाल, पुलिस ने हत्यारोपियों से विस्तार से पूछताछ के बाद उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया

सिद्धू मूसेवाला मर्डर: शांत पंजाब में गोलियों की गूंज

पिछले कुछ समय से पंजाब सुर्खियों में रहा है. 3 कृषि कानूनों का विरोध सब से पहले इसी राज्य में हुआ था, जो एक किसान से दूसरे किसान तक होते हुए देशभर में फैल गया था. बाद में किसानों की जिद और जुनून के आगे नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार का अडि़यल रवैया घुटने टेक गया था और उस ने वे तीनों कृषि कानून वापस ले लिए थे.

पंजाब में तो कांग्रेस सरकार की चूलें तक हिल गई थीं. नतीजतन, हालिया विधानसभा चुनाव में प्रदेश से तो कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ हो गया. अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने वहां ऐतिहासिक जीत हासिल की और फिर भगवंत मान की नई सरकार ने कई वीआईपी लोगों की सिक्योरिटी में कटौती करनी शुरू कर दी.

पंजाबी गायक और कांग्रेस से जुड़े सिद्धू मूसेवाला को भी सरकार के इस फैसले का शिकार होना पड़ा था, पर उन्हें इस बात की इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, यह तो किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था.

शनिवार, 28 मई, 2022 को सिद्धू मूसेवाला की सरकारी सिक्योरिटी हटाई गई थी या कम कर दी गई थी और अगले ही दिन रविवार, 29 मई, 2022 को सरेआम की गई फायरिंग में सिद्धू मूसेवाला को मौत के घाट उतार दिया गया. यह वारदात मानसा जिले के गांव जवाहरके में हुई थी.

खबरों के मुताबिक, सिद्धू मूसेवाला अपने 2 साथियों के साथ गाड़ी से कहीं जा रहे थे. इसी बीच काले रंग की गाड़ी में आए 2 हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं. 30 राउंड फायरिंग में से 20 से ज्यादा गोलियां उन्हें लगी थीं.

अगर सिद्धू मूसेवाला के रुतबे की बात करें, तो साल 2020 में उन्हें ‘द गार्जियन’ द्वारा 50 नए कलाकारों में नौमिनेशन मिला था. पर उन का यह सफर इतना आसान भी नहीं रहा. उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत मशहूर गाने ‘लाइसैंस’ में बतौर लिरिक्स राइटर से की थी. इस गाने को निंजा ने गाया था.

सिद्धू मूसेवाला ने बतौर गायक अपने कैरियर की शुरुआत ‘जी वेगन’ से की थी. इस के बाद उन्होंने ब्राउन बौयज संग कई गानों पर काम किया था.

विवादित रहे मूसेवाला

सिद्धू मूसेवाला का असली नाम शुभदीप सिंह सिद्धू है. उन का जन्म 11 जून, 1993 को हुआ था. चूंकि वे मानसा जिले के मूसा गांव के रहने वाले थे, इसलिए उन का नाम सिद्धू मूसेवाला पड़ गया.

नौजवान तबके में मशहूर सिद्धू मूसेवाला अपने गानों में गन कल्चर को बढ़ावा देने के चलते विवादों में रहे थे. मई, 2020 में उन के 2 वीडियो वायरल हुए थे, जिन में वे बंदूक के साथ नजर आए थे. इन में से एक वीडियो में वे एके-47 राइफल के साथ ट्रेनिंग लेते नजर आए थे.

सिद्धू मूसेवाला का एक गाना ‘पंज गोलियां’ आया था. विवाद के बाद पंजाब पुलिस ने उन के खिलाफ आर्म्स ऐक्ट में हिंसा व बंदूक संस्कृति को बढ़ावा देने के मामले में केस दर्ज किया था.

खालिस्तान का समर्थन करने के मामले में भी सिद्धू मूसेवाला विवादों में रहे. दिसंबर, 2020 में उन का गाना ‘पंजाब : माय मदरलैंड’ आया था, जिस में वे खालिस्तानी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले का समर्थन करते दिखे थे.

हत्या की वजह

पंजाब सरकार इस हत्याकांड को गैंगवार का नतीजा बता रही है. साथ ही, यह भी कह रही है कि उस ने उन की सिक्योरिटी हटाई नहीं, बल्कि कम की थी. सवाल उठता है कि कोई गायक किसी गैंगवार से कैसे जुड़ा हो सकता है?

पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ की छात्र राजनीति में उभरे गैंगस्टर लौरैंस बिश्नोई की पंजाब में दविंदर बंबीहा ग्रुप से गैंगवार चल रही है. लौरैंस बिश्नोई ग्रुप ने ही इस हत्याकांड की जिम्मेदारी ली है.

बता दें कि लौरैंस बिश्नोई फिलहाल जेल में बंद है और जेल से ही अपने गैंग को चला कर रहा है.

अफवाहों की सुनें, तो सिद्धू मूसेवाला बिश्नोई गैंग के विरोधी कैंप को सपोर्ट कर रहा था. याद रहे कि 8 अगस्त, 2021 को मोहाली में दिनदहाड़े उस विक्की मिद्दुखेड़ा की हत्या की गई थी, जो लौरैंस बिश्नोई का बेहद करीबी था. इस हत्याकांड में सिद्धू मूसेवाला के मैनेजर शगनप्रीत सिंह का नाम सामने आया था.

पुलिस मैनेजर शगनप्रीत सिंह तक पहुंच पाती, उस के पहले ही वह भारत से फरार हो कर आस्ट्रेलिया पहुंच गया था. पंजाब पुलिस ने उस के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर भी जारी किया हुआ है.

कनाडा में बैठे लौरैंस बिश्नोई के करीबी गोल्डी बराड़ ने दावा किया है कि विक्की मिद्दुखेड़ा के अलावा उस के खुद के भाई गुरुलाल बराड़ की हत्या के पीछे भी सिद्धू मूसेवाला था, लेकिन अपने रसूख के दम पर वह बच गया था.

इन पर भी हुआ हमला

साल 2018 में पंजाब के मशहूर गायक परमीश वर्मा पर हमला हुआ था. उन पर मोहाली में गोली चली थी, जो उन के घुटने में लगी थी. यह जानलेवा हमला फिरौती के लिए किया गया था और इस का आरोप गैंगस्टर दिलप्रीत बावा पर लगा था, जिस पर केस भी चल रहा है.

साल 1996 में उस दौर के मशहूर गायक दिलशाद अख्तर को भी पंजाब में अपराधियों ने अपना निशाना बनाया था. ऐसा माना जाता है कि एक कार्यक्रम के दौरान एक शख्स ने उन से पंजाबी गायक हंसराज ‘हंस’ का गाना ‘नची जो साड्डे नाल’ गाने को कह दिया, पर दिलशाद ने इसे गाने से मना कर दिया, क्योंकि यह गीत उन का गाया हुआ नहीं था.

दिलशाद अख्तर के मना करने पर वह शख्स नाराज हो गया और उस ने एक बौडीगार्ड से बंदूक छीन कर दिलशाद को गोली मार दी, जिस से दिलशाद की मौके पर ही मौत हो गई थी.

90 के दशक में पंजाब में बेहद चर्चित गायक, गीतकार, संगीतकार अमर सिंह ‘चमकीला’ और उन की पत्नी अमरजोत 8 मार्च, 1988 को अपनी गाड़ी से कहीं जा रहे थे कि उस वक्त उन पर हमला हो गया था और अपराधियों ने उन्हें गोली मार दी थी.

पैसा और पावर

सिद्धू मूसेवाला की बात करें, तो फिलहाल वे कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे और पैसे से भी ताकतवर थे. उन का लाइफ स्टाइल चकाचौंध कर देने वाला था. हाल ही में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में सिद्धू मूसेवाला ने जो हलफनामा दायर किया था, उस में उन्होंने बताया था कि उन के पास जीप, एसयूवी और टोयोटा फौर्च्यूनर जैसी गाडि़यां हैं. इस के अलावा उन के पास काले और सफेद रंग की रेंज रोवर गाड़ी भी थी.

रिपोर्ट के मुताबिक, सिद्धू मूसेवाला नाइट क्लब में एक शो के लिए बतौर फीस 6-8 लाख रुपए लेते थे, वहीं लाइव शो के लिए उन की फीस 15 से 20 लाख रुपए थी.

इतनी दौलत पाने के लिए सिद्धू मूसेवाला ने यकीनन काफी मेहनत की होगी, पर अगर वे सच में किसी गैंगवार का हिस्सा थे तो यह चिंता की बात है.

इस तरह की वारदातें उस पंजाब के लिए भी खतरे की घंटी हैं, जो पिछले कई सालों से शांत बना हुआ था. ड्रग्स और खालिस्तान की जड़ें अभी वहां से उखड़ी नहीं हैं, उस पर किसी नामी कलाकार की हत्या होना देश और समाज के लिए कोई अच्छा संदेश नहीं है.

यह चिंता तब और बढ़ जाती है, जब सिद्धू मूसेवाला की हत्या के कुछ घंटे बाद ही खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख्स फार जस्टिस के प्रमुख गुरुपतवंत सिंह पन्नू द्वारा पंजाबी गायकों को धमकी दी जाती है और उन से ‘खालिस्तानी मूवमैंट’ का समर्थन करने को कहा जाता है.

सत्यकथा : सपनों के घर के नाम पर 1000 करोड़ की ठगी

नोएडा के रहने वाले पीयूष तिवारी के खिलाफ न केवल दिल्ली के मंदिर मार्ग स्थित आर्थिक अपराध शाखा, तिलक मार्ग, मयूर विहार, फर्श बाजार, पांडव नगर, आनंद विहार और कृष्णा नगर के थानों में, बल्कि उत्तर प्रदेश, पंजाब आदि जगहों पर भी जालसाजी के 39 मामले दर्ज हैं.

उस पर आरोप है कि उस ने हजारों लोगों के घर पाने के सपने को चकनाचूर कर दिया था. उन्हें फ्लैट बेचने का झांसा दिया और उन की जमापूंजी हड़प ली. और तो और उस ने एक ही फ्लैट को कई लोगों को बेच डाला.ऐसा कर उस ने 1000 करोड़ की अकूत संपत्ति बनाई और साल 2016 में ही फरार हो गया था. उस पर 50 हजार का ईनाम भी रखा हुआ था.

उसे पकड़ने के लिए बाकायदा दिल्ली में आर्थिक अपराध शाखा ने एंटी आटो थेफ्ट स्क्वायड (एएटीएस) गठित की गई थी. दरअसल, लाजपत नगर, दिल्ली के रहने वाले 60 वर्षीय शरद सूरी ने 3 अप्रैल, 2020 को आर्थिक अपराध शाखा में पीयूष तिवारी समेत कुल 9 लोगों के खिलाफ जालसाजी की रिपोर्ट लिखवाई थी.
उन लोगों के खिलाफ वैसी ही एक अन्य रिपोर्ट गुरुग्राम के लवली जैन ने भी 20 अप्रैल, 2017 को लिखवाई थी. उन की शिकायत के आधार पर पुलिस ने भादंवि की धारा 420, 409 और 120बी के तहत रिपोर्ट लिखी थी.

सूरी ने नई दिल्ली में मयूर विहार स्थित शुभकामना बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड और दिल्ली के ही जसोला में किंडले डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ जालसाजी की रिपोर्ट में कुल 9 लोगों पर आरोप लगाया था. उन में मुख्य पीयूष तिवारी और उस की पत्नी शिखा तिवारी थे. शरद सूरी की रिपोर्ट के अनुसार उन का लाजपत नगर में चुनमुन स्टोर प्रा.लि. नाम की एक कंपनी है, जिस में उन के अलावा पत्नी मेकनु सूरी भी डायरेक्टर हैं. बात साल 2011-2012 की है. सूरी दंपति ने प्रौपर्टी में इनवैस्टमेंट की योजना बनाई थी. उन दिनों दिल्ली एनसीआर में कई नए प्रोजेक्ट पर काम चल रहा था, जहां इनवैस्ट कर कुछ सालों में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता था.

इसी खयाल से सूरी अपने एक जानपहचान के व्यक्ति दीपक भंडारी के माध्यम से नोएडा में सक्रिय कुछ बिल्डरों के संपर्क में आए थे. जनवरी, 2012 में उन की मुलाकात पीयूष तिवारी से हुई. उस ने खुद को शुभकामना बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड का डायरेक्टर बताया. साथ ही दावा किया कि उस के साथ कई कंपनियां जुड़ी हुई हैं, जो सिस्टर कंसर्न के तौर पर हाउसिंग डेवलपिंग के दूसरे प्रोजेक्ट का कामकाज संभालती हैं.

पीयूष ने दावे के साथ यह भी कहा कि रियल एस्टेट में काफी तेजी आने वाली है. इस तरह उस की कंपनी हाउसिंग के बड़े प्रोजेक्ट लाने वाली है, जहां इनवैस्ट करने से कुछ सालों में ही अच्छा रिटर्न मिल जाएगा.
उस ने अपनी बातों से खुद को रियल एस्टेट का न केवल अच्छा जानकार बताया, बल्कि यह भी साबित करने की कोशिश की कि उस की पहुंच भारत सरकार में सीधे वित्त मंत्रालय तक है और वह वहां का एक सलाहकार है.

उसी की सलाह पर होम लोन और टैक्स आदि जैसी सुविधाओं में कई तरह की छूट दी गई है. उस की इसी पहुंच की बदौलत हाउसिंग के प्रोजेक्ट में कोई बाधा नहीं आती है. इस तरह से उस ने 2-3 मीटिंग में ही सूरी को अपनी बातों से प्रभावित कर अच्छा मुनाफा कमाने का लालच भी दे दिया था. और फिर सूरी ने उस के प्रोजेक्ट में इनवैस्ट की डील फाइनल करने के लिए अगली मीटिंग फरवरी 2012 में ही तय कर ली थी.
इस बार की मीटिंग में सूरी की मुलाकात पीयूष तिवारी और उस की पत्नी शिखा तिवारी से हुई. पीयूष ने शिखा को अपनी कंपनी के एक खास डायरेक्टर के रूप परिचय दे कर कहा कि कंपनी का वह औफिशियल कामकाज संभालती है, जबकि वह खुद बाहरी कामकाज देखता है.

शिखा आधुनिक वेशभूषा में एक मौडल की तरह दिखती थी. सुंदर थी. आवाज में मधुरता और मिठास थी. हिंदी अंगरेजी मिला कर धराप्रवाह बोलती थी. सौरी और थैंक्स तो जुबान पर चढ़ा रहता था. जरा सी छींक आने या कुछ गलती हो जाने पर तुरंत सौरी बोल देती थी.किसी भी बात को विस्तार से समझाने लगती थी. बातें मीठीमीठी करती थी. अदाएं काफी लुभावनी थीं. बातोंबातों में अपने रूपरंग का ग्लैमर और सैक्स अपील दर्शा देती थी. कई बार चेयरपरसन की कुरसी पर बैठते हुए या फिर टेबल पर झुक कर कुछ उठाते हुए अपने अंग का प्रदर्शन कर देती थी.

इसी सिलसिले में वह बड़े टेबल पर शीशे के नीचे लगे नक्शे को समझाने के लिए झुक जाती, ताकि उस के स्तन का उभार सामने वाले को दिख जाए. साथ ही कुरसी पर बैठते हुए ऐसे अंगड़ाई लेने लगती थी, मानो काम के बोझ से बेहद थक गई हो.उस रोज सूरी और तिवारी दंपति की मीटिंग कई घंटे चली. लंच भी उन्होंने साथसाथ किया. इस दौरान पीयूष और शिखा ने मिल कर सूरी के मन को अपने अनुसार मोड़ लिया. उन के दिमाग में मोटे मुनाफे का कीड़ा डाल दिया.

कुछ घंटे में ही शिखा ने सूरी को भावनात्मक रूप से अपने कब्जे में ले लिया, जबकि पीयूष ने लंबे समय तक साथ बिजनैस का लालच दिया. तिवारी दंपति ने यहां तक कहा कि उन का संबंध प्रोफेशनल या फाइनैंशियल संबंध से कहीं ऊपर उठ कर ईमादारी की बुनियाद पर टिका रहेगा. उन के साथ जो संबंध
बना है वे उस में कभी भी दरार तक नहीं आने देंगे. कुल मिला कर उस रोज सूरी जहां पीयूष के वादे और लुभावने औफर के साथ मासिक मिलने वाली रकम और मकान मिलने तक पैसे के सुरक्षा की गारंटी के कायल हो गए, वहीं उन्होंने शिखा की सैक्सी अदाओं से अलग तरह के आनंद का अनुभव किया.

उन्होंने कंपनी के साथ कुछ फ्लैट और कामर्शियल प्रोजेक्ट के खरीदने की डील पक्की कर ली.
कुछ दिनों में ही सूरी ने पीयूष की कंपनी और उस से जुड़ी दूसरी कंपनी के जरिए कुल 54 फ्लैट और शुभकामना एडवर्ट टेकहोम्स के नाम से 2 कामर्शियल एरिया के लिए 11 करोड़ 24 लाख 75 हजार 49 रुपए का भुगतान कर दिया.

पूरा पेमेंट उन्होंने बैंक ट्रांसफर और चैक के जरिए किया. सारे प्रोजेक्ट 3 सालों में यानी 2015 तक पूरे हो जाने थे. उन से होने वाले मोटे मुनाफे का सपना देख रहे सूरी को कुछ दिनों बाद ही पीयूष तिवारी ने दोबारा संपर्क किया. उन्हें मीटिंग के लिए बुलाया. इस बार पीयूष और शिखा के अलावा कंपनी के 2 अन्य डायरेक्टर सतीश कुमार सेठ और विपिन जैन से भी मुलाकात हुई.

इस मीटिंग में पीयूष ने पहले प्रोजेक्ट की कोई चर्चा नहीं की, बल्कि एक नए प्रोजेक्ट की जानकारी दी. एक बार फिर सूरी को मोटे मुनाफे का सपना दिखाया गया. किंडले लौर्ड नाम का वह प्रोजेक्ट किंडले डेवलपर्स प्रा. लि. द्वारा लाया जाने वाला था.इस प्रोजेक्ट में इनवैस्ट करने के लिए पीयूष ने पूरी तरह से ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ मिलने वाले मासिक मुनाफे का वादा किया. साथ ही यह दावा भी किया कि यह प्रोजेक्ट पहले वाले से बड़ा बन जाएगा.

सूरी ने भरोसा कर इस प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले 29 फ्लैट के लिए कुल 8 करोड़ 83 लाख, 75 हजार 50 रुपए का भुगतान कर दिया. इस तरह से कुछ महीने के भीतर ही सूरी ने पीयूष की कंपनी को 20 करोड़ 8 लाख 50 हजार 100 रुपए दे दिए.सूरी की इस पूरे प्रोजेक्ट के संबंध में हमेशा पीयूष तिवारी और शिखा तिवारी से मुलाकातें होती रहीं, लेकिन वह राजीव रंजन से कभी नहीं मिले थे. जबकि राजीव उन की कंपनी का स्टाफ था, जो पेमेंट के बारे में सारा हिसाब रखता था और फोन पर सूरी के स्टाफ से संपर्क में रहता था.
2 सालों तक तो सब कुछ प्रोजेक्ट के प्रोग्राम के अनुरूप चलता रहा, लेकिन 2015 में जब फ्लैट तैयार कर देने का समय आया तब सूरी परेशान हो गए. क्योंकि आने वाले 2-3 सालों में भी फ्लैट मिलने की संभावना नहीं थी.

परेशानी का एक कारण और भी था कि तिवारी दंपति सूरी से कन्नी काटने लगे. यहां तक कि उन का फोन रिसीव करना बंद कर दिया. उन का स्टाफ राजीव रंजन भी लापता हो गया. और तो और, उन्हें मंथली पैसा देने का जो वादा किया गया था, वह भी पूरा नहीं हुआ. क्योंकि 3 सालों में सूरी को एक पैसा नहीं मिला था.
सूरी ने जब पीयूष के नोएडा स्थित औफिस में जा कर पता किया तो वहां उन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई. कार्यालय में चपरासी के अलावा कोई और नहीं मिला. कुछ दूसरे बायर्स जरूर उन्हें तलाशते हुए मिले.

सूरी का माथा ठनका. उन्हें लगा कहीं वह ठगे तो नहीं गए. इस चिंता में सूरी ने अपने स्तर से कंपनी के दूसरे लोगों के बारे में पता लगाया. कुछ खरीदारों से मिले. उस के बाद तो उन्हें और भी चौंकाने वाली जानकारी मिली.सूरी को आश्चर्य तब हुआ, जब मालूम हुआ कि जिस फ्लैट के लिए एग्रीमेंट उन के नाम था, उसी के लिए दूसरे लोगों के नाम भी एग्रीमेंट बना हुआ था. यहां तक कि एक मकान 3-4 लोगों को बेचा गया था. वे सारे एग्रीमेंट अलगअलग कंपनियों के जरिए तैयार करवाए गए थे.

इस तरह झांसा देने वालों में पीयूष, शिखा के अलावा राजीव रंजन, विपुल जैन, संजय निझावन, सतीश कुमार सेठ और दिवाकर शर्मा के नाम भी सामने आए. सभी को पीयूष तिवारी ने कंपनी में अलग अलग काम की जिम्मेदारियां दे रखी थीं.पीयूष के औफिस में कई बार चक्कर लगाने के बाद सूरी को एक बार उस के वहां होने की जानकारी मिली. वह वहां गए, लेकिन तब उन्हें सुरक्षा गार्डों ने अंदर जाने ही नहीं दिया. वह वापस लौट आए.

अगले रोज से सूरी के पास अलगअलग नंबरों से धमकी भरे फोन आने लगे. उन्हें धमकी दी गई कि वह औफिस आने और फ्लैट की खोजखबर न करें, वरना उन का पूरा पैसा डूब जाएगा.हद तो तब हो गई, जब पीयूष ने सूरी को एक बार फिर अपने झांसे में ले लिया और फ्लैट मिलने के एवज में 50 लाख रुपए की फिर से मांग कर दी. सूरी को आश्वासन दिया कि इस रकम को चुकाने के बाद उन्हें फ्लैट मिल जाएगा.
मरता क्या न करता, सूरी ने फ्लैट मिलने की उम्मीद में वह रकम भी दे दी. किंतु फ्लैट नहीं मिला और पीयूष ने फोन उठाना बंद कर दिया. यह सब करते हुए 2 साल और निकल गए.

इतना झटका लगने के बाद सूरी पूरी तरह समझ गए थे कि वह ठगे जा चुके हैं. सूरी ने आखिर पुलिस में जाने का निर्णय लिया. इस के लिए पीयूष, शिखा और उस के साथियों से संबंधित कागजात जुटाए. यह सब करते हुए काफी समय लग गया.किंतु जब उन्होंने कंपनी के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाई, तब ईओडब्ल्यू थाने में सभी आरोपियों पर भादंवि की धाराएं 420, 405, 406, 503, 506, 120बी लगा कर उन की खोजबीन शुरू कर दी.

पीयूष पर एफआईआर करने वाले अकेले शरद सूरी नहीं थे, बल्कि उस पर दिल्ली, यूपी और पंजाब में मिला कर कुल 39 मुकदमे दर्ज किए जा चुके थे. सभी मुकदमे धोखाधड़ी के थे, जो 2016 से ले कर 2018 के बीच दर्ज हुए थे.वह 2016 से ही फरार चल रहा था. लेकिन उस की पत्नी शिखा तिवारी जालसाजी के मामले में पुलिस हिरासत में ले ली गई थी. साल 2017 में दर्ज मुकदमे में एक शिकायतकर्ता ने अपने सारे फ्लैट का पूरा विवरण दिया था. उस के बाद ही पीयूष की पत्नी हिरासत में ले ली गई थी.

शरद सूरी द्वारा दर्ज कराए मुकदमे के बाद पीयूष की कंपनी के खिलाफ साल 2020 में जांच में तेजी लाई गई, लेकिन उस में कोई खास सफलता नहीं मिल पाई. पीयूष भी फरार हो गया. संयोग से उसी साल लौकडाउन लगने से उस की खोजबीन नहीं हो पाई. अगले साल अप्रैल, 2021 में दिल्ली पुलिस ने उस पर 50 हजार रुपए के ईनाम की घोषणा कर दी.

उसे धर दबोचने के लिए दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा गठित एएटीएस के एसीपी जयपाल सिंह के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई, जिस में एसआई नरेश कुमार और संदीप शामिल थे. उन्हें मार्च 2021 में ही पीयूष तिवारी के मुंबई में होने की सूचना मिली. पता चला कि वह अपने बहनोई के यहां रह रहा था. इस बाबत दिल्ली पुलिस ने पहले मुंबई पुलिस को सूचित करते हुए उन से मदद मांगी.
पुलिस को मालूम हुआ कि पीयूष का बहनोई किसी लिमिटेड कंपनी में सलाहकार वकील था.

टीम ने पीयूष के बहनोई के मकान के आसपास मुखबिर लगा दिए. वहां के लोगों को पीयूष की तसवीरें दिखा कर पूछताछ करने लगी. 2 दिनों तक उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई. कुछ दिनों बाद फिर से लौकडाउन लग गया और दिल्ली पुलिस टीम वापस लौट आई.टीम दोबारा जुलाई में मुंबई गई. वहां पीयूष के एक इलाके में देखे जाने की सूचना मिली. यह जानकारी वहां के एक सिक्योरिटी गार्ड ने दी.
उस ने बताया कि वह कुछ दिनों पहले सिगरेट पीने के लिए उस के पास आ कर बैठ जाता था. बातोंबातों में बताया था कि उस का रेस्टोरेंट का बिजनैस है, लेकिन अब नासिक में प्याज का बिजनैस करने की भी सोच रहा है.

इस जानकारी के बाद दिल्ली पुलिस तुरंत नासिक गई. नासिक में प्याज की बहुत बड़ी मंडी है. वहां जा कर सादे कपड़ों में पुलिस ने प्याज के छोटेबड़े व्यापारियों को पीयूष की फोटो दिखाई. उन से दिल्ली से आया हुआ उस का दोस्त बताया. साथ ही कहा कि दिल्ली की मंडियों में प्याज सप्लाई के लिए उस से बात करनी है. काफी दिनों से मुलाकात नहीं हुई, इसलिए मिलने के लिए नासिक आ गए.पुलिस टीम को वहां भी निराशा मिली और वह दिल्ली वापस लौट आई. कुछ दिनों के बाद प्याज के एक कारोबारी का दिल्ली पुलिस को फोन आया. उस की सूचना पर दिल्ली पुलिस फिर मुंबई गई. वहां पुलिस को मालूम हुआ कि पीयूष एक रेस्टोरेंट में शाम के समय आता है.

पुलिस टीम उस व्यक्ति द्वारा बताए गए रेस्टोरेंट गई. वहां उस ने 2 दिनों तक सुबह के नाश्ते से ले कर दोपहर के खाना और रात का डिनर तक लिया. इस दौरान रेस्टोरेंट के कर्मचारियों से बात की और उस की तसवीर दिखा कर उस के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की. एक कर्मचारी ने बताया वह वहां शाम के वक्त ही आता है. उस के बाद पुलिस टीम ने अपना जाल बिछा कर मुंबई पुलिस को भी अलर्ट रहने की सूचना दे दी.देर शाम को पीयूष वहां आया और सीधा रेस्टोरेंट के एक चैंबर में चला गया. एक कर्मचारी ने बताया कि वही उस रेस्टोरेंट का मालिक है. वह रेस्टोरेंट मुंबई के इंदिरानगर थाने में आता है. उस थाने की पुलिस भी रेस्टोरेंट के बाहर पहुंच गई.

दिल्ली पुलिस ने बिना देर किए रेस्टोरेंट के चैंबर में जा कर उसे धर दबोचा. अचानक रेस्टोरेंट में पुलिस को देख कर वह चौंक गया और खुद को उस ने पुनीत बताया. दिल्ली पुलिस ने उस की एक नहीं सुनी और हिरासत में लिया.इस तरह से दिल्ली पुलिस को 11 हजार किलोमीटर के लंबे सफर और भागदौड़ के बाद पीयूष की गिरफ्तारी में सफलता मिल गई. ट्रांजिट रिमांड पर उसे 25 मार्च, 2022 को दिल्ली लाया गया. उस पर लगे आरोपों के बारे में पूछताछ की गई.

पूछताछ के दौरान 42 वर्षीय तिवारी ने खुलासा किया कि वह कामर्स ग्रैजुएट है और करिअर की शुरुआत विज्ञापन क्षेत्र में काम कर की थी. उस में सफलता नहीं मिलने पर उस ने 2011 में एक बिल्डर के रूप में अपना व्यवसाय शुरू किया था. इस के लिए 2018 तक 15-20 शेल कंपनियों के साथ 8 कंपनियां बना ली थीं. इसी के साथ उस ने स्वीकार कर लिया उस ने एक ही फ्लैट कई लोगों को बेच दिया.फ्लैट दिखाने के बाद वह खरीदार से पैसा ले कर फरार हो जाता था. उस का मूल निवास नोएडा के सेक्टर 93बी में ओमेक्स फारेस्ट स्पा, टावर ए में है.

उस ने बताया कि 2016 में उस के घर पर आयकर विभाग की छापेमारी की गई और लगभग 120 करोड़ रुपए जब्त किए गए. तब वह दक्षिण भारत के शहर में जा कर छिप गया था. पुलिस ने पीयूष तिवारी से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. द्य
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

मनोहर कहानियां: प्यार के साथ जोर जबरदस्ती कभी नहीं

राजस्थान की राजधानी जयपुर के थाना करधनी के बैनाड़ रोड स्थित फकीरा नगर में नरेंद्र सिंह राठौर अपनी पत्नी विनोद कंवर व 3 बच्चों के साथ रहता था. इसी परिसर में उस के पड़ोस में सुभाष कुमावत भी किराए पर कमरा ले कर रहता था.

सुभाष टैक्सी चालक था. जयपुर में भाड़े पर गाड़ी चलाता था. जबकि नरेंद्र सिंह बस ड्राइवर था. दोनों के कमरे पासपास होने और हमपेशा होने के कारण एकदूसरे से अच्छी पटती थी. दोनों का एकदूसरे के यहां आनाजाना भी था.

सुभाष ड्राइवरी पार्टटाइम करता था. वह गांव में रहता था. जब कोई उसे बुलाता तब गाड़ी चलाने के लिए जयपुर आ जाता था. इस बीच वह फकीरा नगर में अपने कमरे पर हफ्ते में 2-3 दिन के लिए रुक जाता था और काम खत्म हो जाने के बाद वापस अपने गांव चला जाता था.

नरेंद्र की पत्नी विनोद कंवर एक फैक्ट्री में काम करती थी. 6 मार्च, 2022 की शाम दोनों पतिपत्नी अपनेअपने काम से वापस घर आए थे. विनोद कंवर ने चाय बनाई. उस ने पति नरेंद्र से कहा, ‘‘सुभाष के लिए भी चाय बना ली है. आप उसे बुला लाओ.’’

इस पर उस का पति सुभाष को बुलाने उस के कमरे पर गया तो वहां सुभाष की लाश को देखते ही वह चीखते हुए अपने घर की ओर दौड़ा. उस ने पत्नी को बताया कि कमरे में सुभाष मरा पड़ा है.

यह सुन कर विनोद कंवर भी पति के साथ दौड़ीदौड़ी उस के कमरे पर पहुंची. देखा कमरे की खिड़की के पास सुभाष मरा हुआ पड़ा था. इस पर नरेंद्र ने मकान मालिक को खबर दी. मकान मालिक ने इस की जानकारी करधनी थाना पुलिस को दी.

शाम का समय था. थाने पर थानाप्रभारी बनवारीलाल मीणा बैठे थे. लाश मिलने की सूचना पर वह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने लाश का निरीक्षण किया. थानाप्रभारी को मृतक के हाथ और गरदन पर चोट के निशान जरूर दिखाई दे रहे थे.

ऐसी आशंका व्यक्त की गई कि कहीं सुभाष को हार्ट अटैक आया हो और गिरने से उसे चोट लगी हो. वहां एकत्र भीड़ व मकान मालिक ने बताया कि सुभाष मिलनसार युवक था. वह टैक्सी ड्राइवर था. अपने काम से काम रखता था. कमरे पर कुछ दिन ही रुकता था.

पूछताछ में विनोद कंवर ने पुलिस को बताया कि सुभाष से उस के परिवार के अच्छे संबंध थे. सुभाष को चाय पीने के लिए उस का पति बुलाने गया था, लेकिन वहां सुभाष मृत अवस्था में मिला.

पुलिस को पता चला कि सुभाष मूलत: जयपुर के गोविंदगढ़ थाना इलाके के ढोडसर गांव का रहने वाला था. मृतक के घर वालों को सूचना देने के साथ ही पुलिस ने मामला संदिग्ध लगने पर एफएसएल टीम को बुला लिया. मौके की काररवाई निपटाने के बाद लाश मोर्चरी भिजवा दी.

मामला संदिग्ध होने के कारण लाश का मैडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में युवक की मौत का कारण गला घोटना बताया गया. मृतक के चेहरे व हाथ पर नाखूनों के निशान मिले थे. इस पर मृतक के भाई सुनील ने थाने में

हत्या की रिपोर्ट अज्ञात के खिलाफ दर्ज कराई.

हत्या की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस हत्यारे की तलाश में जुट गई. पुलिस ने वहां लगे सीसीटीवी कैमरे चैक किए. इस के

साथ ही आसपास रहने वाले लोगों से पूछताछ की गई.

सुभाष की मौत को 4 दिन बीत गए थे. लेकिन पुलिस हत्यारे का सुराग नहीं लगा सकी थी. इस से मृतक के घर वालों में रोष बढ़ता जा रहा था. पुलिस का अनुमान था कि हत्या के दौरान सुभाष का हत्यारे से संघर्ष हुआ होगा, इसी से शरीर पर नाखूनों के निशान आए थे. लेकिन सवाल यह था कि सुभाष की हत्या किस ने और क्यों की?

अश्लील वीडियो ने खोला हत्या का राज

पुलिस को मृतक सुभाष का मोबाइल हाथ लगा. उस में अश्लील वीडियो क्लिपिंग ने सुभाष की हत्या का राज खोल दिया. पता चला कि सुभाष क ी हत्या उस की प्रेमिका ने ही गला घोट कर की थी. प्रेमिका भी कोई और नहीं बल्कि पड़ोस में रहने वाले नरेंद्र की पत्नी विनोद कंवर थी.

पुलिस ने बिना देर किए उस की प्रेमिका विनोद कंवर को हिरासत में ले लिया. विनोद ने पुलिस को इस संबंध में खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि सुभाष ने गले में दुपट्टे से फंदा लगा कर खिड़की से लटक कर आत्महत्या कर ली.

सुबह जब वह वहां गई तो वह फंदा लगा रहा था. उसे रोकने का प्रयास किया, लेकिन वह असफल रही. फिर वह फैक्ट्री काम पर चली गई. डर के चलते यह बात उस ने अपने पति को भी नहीं बताई थी.

पुलिस ने प्रेमिका के बयानों की सच्चाई जानने के लिए उस के मोबाइल को भी खंगाला. मोबाइल को चैक करने पर उस में भी वाट्सऐप पर वीडियो काल करने की जानकारी मिली. उस के मोबाइल में भी दोनों की अश्लील क्लिप मिली थीं. विनोद कंवर को संदेह के दायरे में लाने के लिए इतना ही काफी था.

पुलिस ने 10 मार्च, 2022 को उसे हिरासत में ले कर पूछताछ की. विनोद ने पुलिस को गुमराह करने की काफी कोशिश की, लेकिन एफएसएल और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में युवक की गला घोट कर हत्या करने व नाखूनों के निशान की बात सामने आने तथा फांसी दुपट्टे से लगाने की बात बताई थी. लेकिन मौके पर दुपट्टा न मिलने से उस की चालाकी धरी की धरी रह गई.

इस के बाद पुलिस के कड़ाई से पूछताछ करने पर विनोद कंवर टूट गई और सुभाष की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया.

डीसीपी जयपुर (पश्चिम) रिचा तोमर ने प्रैस कौन्फ्रैंस में इस ब्लाइंड मर्डर का परदाफाश करते हुए बताया कि इस हत्या की वजह प्रेमिका से जबरन अवैध संबंध बनाना था. सुभाष की हत्या उस की प्रेमिका विनोद कंवर ने अकेले ही उस का गला घोट कर की थी. उसे गिरफ्तार कर लिया गया है. इस हत्याकांड में कामुकता की कहानी सामने आई.

26 वर्षीय मृतक सुभाष कुमावत राजस्थान के गोविंदगढ़ का रहने वाला था और करधनी थाना क्षेत्र के बैनाड रोड पर फकीरा नगर में किराए का कमरा ले कर रहता था. वह अविवाहित था.

इसी परिसर में नरेंद्र भी रहता था, दोनों में दोस्ती थी. जब भी सुभाष कमरे पर आता, नरेंद्र उसे अपने यहां खाने पर बुला लेता था. साथसाथ शराब पीने से दोनों एकदूसरे के गहरे दोस्त बन गए थे.

भरेपूरे बदन की विनोद कंवर को देख कर सुभाष का मन डोल गया था. वह विनोद को भाभी कहता था. सुभाष अपने दोस्त नरेंद्र से हंसीमजाक में कह देता था, ‘तुम तो कम अक्ल हो, ताज्जुब है तुम्हें इतनी सुंदर बीवी कैसे मिल गई?’

सीधासादा नरेंद्र उस की बात को हंसी में टाल देता था. लेकिन पति के दोस्त के मुंह से अपनी सुंदरता की बात सुन कर विनोद कंवर शरमा जाती.

छिप न सके अवैध संबंध

33 वर्षीय विनोद कंवर अपने पति व बच्चों के साथ रहती थी. आकर्षक मीठी बोली, तीखे नैननक्श, लंबा कद, आकर्षक देहयष्टि होने के कारण वह अपनी उम्र से कम की दिखाई देती थी.

दोनों के बीच हंसीठिठोली भी होती रहती थी. धीरेधीरे दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हो गए. अपने प्यार का इजहार करने के लिए उन के पास पर्याप्त अवसर थे. इसलिए उन्हें न मोहब्बत के इजहार में वक्त लगा, न इश्क के इकरार में. जल्दी ही दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए.

गांव चले जाने पर सुभाष फोन पर विनोद कंवर से लंबीलंबी बातें करने लगा. विनोद कंवर भी उस के खयालों में खोईखोई सी रहती थी. दोनों के बीच पिछले 2 सालों से अवैध संबंध थे. इस बीच प्रेम के हिंडोले में झूलती विनोद कंवर से एक दिन सुभाष ने कहा, ‘‘तुम अपने पति को तलाक दे दो. मैं तुम से शादी कर लूंगा.’’

‘‘सुभाष, मैं दिल देने के साथ अपना सब कुछ सौंप कर अब पूरी तरह तुम्हारी हो चुकी हूं, तुम भी मेरा साथ निभाना. कभी भूल से भी मेरा दिल मत तोड़ना.’’ विनोद कंवर बोली.

‘‘कैसी बात कर रही हो, तुम्हारा दिल अब मेरी जान है और कोई भी अपनी जान को यूं ही नहीं छोड़ता.’’ सुभाष ने भी अपने सच्चे प्यार का उसे पूरा भरोसा दिलाया.

जब भी सुभाष का मन प्रेमिका से मिलने का होता, वह कमरे पर आता और उस के पति नरेंद्र की गैरमौजूदगी में प्रेमिका से संबंध बनाता और 2-3 दिन रहने के बाद गांव वापस चला जाता था. वह प्रेमिका को महंगेमहंगे गिफ्ट देने के साथ ही उस की हर जरूरत पूरी करता था.

लेकिन इस बीच पति नरेंद्र को उन के बीच प्रेम संबंधों की भनक लग गई थी. उस ने पत्नी विनोद को कई बार समझाया कि सुभाष जब घर आए तो वह उस से बात न किया करे, लेकिन पति की बातों का पत्नी पर कोई असर नहीं होता था.

सुभाष प्रेमिका से उसे अपने साथ रखने की बात भी कह रहा था. इस का पता नरेंद्र को चल गया था. इसी बात को ले कर पतिपत्नी के बीच कहासुनी भी हुई थी. लेकिन विनोद दबंग थी, इसलिए पति नरेंद्र उस का विरोध नहीं कर पाता था.

सुभाष पर शक होने पर नरेंद्र अपनी पत्नी को गांव भी ले गया था, लेकिन विनोद जिद कर के वापस आ गई थी. इस अनबन के चलते उस ने अपने पति के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मुकदमा भी दर्ज कराया था.

शारीरिक संबंध बनाने की जिद ने ली जान

इस के बाद अब विनोद कंवर सुभाष से मिलने में काफी सावधानी बरतती थी. जब भी विनोद कंवर का पति घर पर नहीं होता था, तब सुभाष उस के घर आता और दोनों शारीरिक संबंध बनाते थे. कभीकभी वह प्रेमिका को अपने कमरे पर बुला लेता.

6 मार्च, 2022 की सुबह 7 बजे विनोद का पति नरेंद्र काम पर निकल गया था. विनोद घर पर अकेली थी. उस के बाद सुभाष आया. उस ने जबरन शरीरिक संबंध बनाने की कोशिश की. मना करने पर दोनों के बीच झगड़ा हो गया.

दरअसल, उस दिन विनोद कंवर की तबियत ठीक नहीं थी, लेकिन सुभाष पर सैक्स का भूत सवार था, वह हर हाल में अपनी प्यास बुझाना चाहता था.

इसी के चलते विनोद कंवर के इंकार करने पर सुभाष ने उस के अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी दी. इस पर विनोद भड़क गई. उस ने कहा, ‘‘मैं ने तुम्हें दिल से प्यार किया, लेकिन तुम केवल मेरे शरीर के भूखे हो.’’

सुभाष की धमकी के बाद विनोद कंवर ने मन ही मन विचार करने के बाद एक भयानक निर्णय लिया. उस ने सुभाष से कहा, ‘‘तुम तो नाराज हो गए. मैं ने तुम्हें किसी बात के लिए कभी मना किया है? यदि तुम ज्यादा ही बेचैन हो रहे हो तो कमरे पर चलते हैं.’’

उस ने सुभाष से कहा कि वह अपने कमरे पर पहुंचे, पीछे से वह आती है. सुभाष को तो बस इसी पल का इंतजार था. अब तक वह काफी उत्तेजित हो चुका था. अपने कमरे पर जैसी ही वह पहुंचा, पीछेपीछे प्रेमिका विनोद कंवर भी आ गई. बैड पर पहुंचते ही उस ने विनोद कंवर को आगोश में ले लिया और बेतहाशा चूमने लगा.

विनोद कंवर भी दिखावे के लिए उसे सैक्स के लिए उकसाती रही. इसी बीच वह कामुक सुभाष के ऊपर बैठ गई और दोनों हाथों से उस का मुंह और गला दबा कर हत्या कर दी.

हत्या के बाद शव को खींच कर कमरे की खिड़की के पास लिटा दिया. करीब साढ़े 8 बजे प्रेमी सुभाष की हत्या करने के बाद वह फैक्ट्री चली गई.

धोखेबाज प्रेमी को दी सजा

विनोद कंवर ने बताया कि सुभाष पिछले एक महीने से उसे काफी परेशान कर रहा था. उस ने उस के अश्लील वीडियो बना रखे थे.

जिस प्रेमी पर उस ने अपना सब कुछ लुटा दिया, वही जबरन संबंध बनाने का विरोध करने पर अंतरंग क्षणों का वीडियो वायरल कर उसे बदनामी के गर्त में धकेलने की धमकी दे रहा था. ऐसे धोखेबाज प्रेमी से छुटकारा पाने के लिए उस ने हत्या की वारदात को अंजाम दिया.

चौंकाने वाली बात यह रही कि प्रेमी की हत्या के बाद दोपहर को प्रेमिका वापस घर आई और लंच करने के बाद फिर से काम पर चली गई. ऐसा उस ने इसलिए किया कि आसपड़ोस के लोग उस पर शक न कर सकें.

सूचना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची तो विनोद कंवर अनजान बनते हुए संदिग्ध मौत होने की बात कहने लगी. आरोपी प्रेमिका विनोद ने पुलिस को गुमराह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

उस ने हत्या की बात शाम तक किसी को नहीं बताई. बल्कि अपने को निर्दोष दिखाने के लिए शाम को पति को सुभाष के पास चाय के बहाने बुलाने भेज दिया.

सुभाष की हत्या के 4 दिन बाद पुलिस ने इस सनसनीखेज मामले की कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए हत्या की आरोपी प्रेमिका विनोद कंवर को गिरफ्तार कर इस हत्याकांड का परदाफाश कर दिया.

पुलिस ने 10 मार्च, 2022 को आरोपी विनोद कंवर को गिरफ्तार कर लिया. दूसरे दिन न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

प्रेमी के प्यार में पड़ कर विनोद कंवर ने अपने बसेबसाए परिवार को उजाड़ लिया और हंसतीखेलती दुनिया बरबाद कर ली. अब वह अपने पति और बच्चों से भी दूर हो गई. द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारि

 

अपराध: हाईवे पर फैला लूट व ठगी का जाल

लोगों के घरों व दुकानों में जा कर और रास्ता चलते राहगीरों को बहलाफुसला कर या फिर उन्हें झांसा या लालच दे कर ठगने और लूटने की दास्तानें हम अकसर सुनते ही रहते हैं.

कभी कोई शातिर ठग या लुटेरा किसी के गहनों को साफ करने के बहाने सोने व चांदी के जेवरात उड़ा ले जाता है, तो कभी कोई ठग किसी के कपड़ों पर गंदगी लगी होने की बात कह कर उस का बैग ले कर चंपत हो जाता है.

कोई किसी को नोट दोगुना किए जाने का लालच दे कर ठग लेता है, तो कोई किसी को सस्ते दामों पर सोना, लोहा, सीमेंट जैसी चीजें देने के बहाने ठग कर ले जाता है.

देश में शातिर चोरों का एक ऐसा गिरोह हरकत में है, जो एक बड़े सूटकेस में 10-12 साल के बच्चे को बंद कर देता है. उस बच्चे के हाथ में एक मोबाइल फोन व एक टौर्च को थमा दिया जाता है. उस के बाद वह सूटकेस वोल्वो या दूसरी ऐसी बसों में, जिन में पिछले हिस्से में सामान रखने की जगह होती है, रख दिया जाता है.

इस तरह बच्चा सूटकेस में बैठ कर सामान रखने वाली जगह पर पहुंच जाता है. उधर उस सूटकेस को रखने वाला आदमी सवारी के तौर पर बस में बैठ कर अपना सफर शुरू कर देता है.

बस के चलते ही वह लड़का भीतर से सूटकेस की चेन खोल कर बाहर निकल आता है और टौर्च के द्वारा पीछे रखे सारे सूटकेस देख कर उन में अपने पास रखी चाबियां लगा कर उन्हें बारीबारी से खोलता है और उन में रखे सभी कीमती सामान अपने सूटकेस में डाल कर खुद अपने सूटकेस में वापस बैठ जाता है और भीतर से चेन बंद कर अपने आका को फोन पर मिशन पूरा होने की सूचना दे देता है.

लड़के द्वारा सूचना पाते ही अगले ही स्टौप पर वह आदमी बस से उतर जाता है और कंडक्टर से कह कर अपना सूटकेस ले जाता है.

इसी तरह पुणेमुंबई हाईवे पर शातिर अपराधियों, लुटेरों व ठगों का एक बड़ा गिरोह हरकत में है, जो कार सवारों को अपना शिकार बनाता है.

एक खबर के मुताबिक, एक लड़की ने मुंबई से पुणे जाते समय एक पैट्रोल पंप पर पैट्रोल डलवा कर जैसे ही अपनी कार आगे बढ़ानी चाही, एक अनजान आदमी उस के मुंह के करीब विजिटिंग कार्ड दिखा कर उस में लिखा पता पूछने लगा.

लड़की ने उस कार्ड को देख कर अपनी जानकारी के मुताबिक उसे पता समझाया. उस के बाद वह लड़की कार चलाते हुए पैट्रोल पंप से आगे बढ़ गई. कुछ ही दूर पहुंचने पर उस लड़की को चक्कर आने लगा और उस ने अपनी कार हाईवे के किनारे सुनसान जगह पर खड़ी कर दी.

चंद सैकंड में वह लड़की बेहोश हो गई. इतने में पीछे से वही अपराधी, जिन्होंने पैट्रोल पंप पर विजिटिंग कार्ड दिखा कर उस से पता पूछा था, जा पहुंचे और लड़की के पास मौजूद नकदी, गहने व कीमती सामान लूट कर ले गए.

होश में आने पर लड़की ने अपनी आपबीती पुलिस को बताई. फिर पता चला कि अपराधियों ने उस विजिटिंग कार्ड में कोई ऐसा नशीला कैमिकल लगा रखा था, जो उस लड़की के नाक के करीब आते ही उस की सांस की नली में चढ़ गया और उसे बेहोश कर दिया.

एक आदमी अपने परिवार के साथ पुणे हाईवे पर सफर कर रहा था. पीछे से आ रहे 2 मोटरसाइकिल सवारों ने उस की कार को ओवरटेक किया और यह इशारा किया कि उस की कार का पिछला पहिया पंक्चर हो गया है.

पहले तो उस कार चालक ने ध्यान नहीं दिया और अपनी कार चलाता रहा. इतने में उन मोटरसाइकिल सवारों ने इशारा किया.

मोटरसाइकिल सवारों के बारबार इशारा करने पर उस कार चालक ने चलती कार में पीछे झांक कर देखने की कोशिश की, पर वह पक्का नहीं कर सका कि उस की कार का पिछला पहिया पंक्चर है भी या नहीं.

जैसे ही पंक्चर लगाने की दुकान दिखाई दी, उस ने कार उस दुकान पर रोक दी. उस ने पंक्चर लगाने वाले दुकानदार से अपनी कार के चारों पहिए चैक करने को कहा. 3 पहिए तो उस दुकानदार ने कार चालक की नजरों के सामने चैक किए, जिन में हवा का दबाव बिलकुल ठीक था.

जैसे ही वह पीछे का आखिरी पहिया चैक करने लगा, उतने में उसी दुकान पर मौजूद एक आदमी ने फुजूल की बातों में उस कार चालक का ध्यान खींच लिया.

बस, इतने में ही उस पंक्चर लगाने वाला दुकानदार पहिए में पंक्चर होने की बात बोल बैठा. उस ने दुकानदार से कार का पहिया खोल कर पंक्चर लगाने को कह दिया.

इधर वह पंक्चर लगाने की तैयारी कर रहा था, तो उधर उस दुकान पर खड़े दो आदमी कार चालक को फुजूल की बातों में उलझाए हुए थे. नतीजतन, दुकानदार ने उस ट्यूबलैस टायर में 7-8 पंक्चर दिखा दिए. कार चालक के पास टायर में पंक्चर लगवाने के सिवा और कोई चारा नहीं था.

दुकानदार ने सभी पंक्चर लगाने की कीमत 2,750 रुपए बताई. कार चालक के बहुत कहने पर उस ने 1,500 रुपए ले कर सारे पंक्चर लगा दिए. बाद में कार चालक को पता चला कि हाईवे पर इस तरह की ठगी के नैटवर्क का वह शिकार हो चुका है.

हाईवे पर अपराध की घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों द्वारा लड़कियों का भी इस्तेमाल किया जाता है. ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं, जिन से यह पता चलता है कि हाईवे पर आकर्षक लिबास पहने कोई औरत या लड़की किसी सुनसान इलाके में खड़ी हो कर कार या ट्रक चालकों को हाथ से इशारा कर के रोक रही है. अगर कोई उस के आकर्षण का शिकार हो कर रुक गया, तो बस आप उसे तो लुटा हुआ ही समझिए.

उस लड़की या औरत की आड़ में पेड़ों के पीछे कुछ अपराधी छिपे होते हैं. जैसे ही कोई गाड़ी सवार गाड़ी से उतर कर पास रुकता है और उस से बातें करने पहुंचता है, उसी समय उस लुटेरे गिरोह के सदस्य वहां आ धमकते हैं और लूटपाट की घटनाको अंजाम देते हैं.

इस के अलावा हाईवे पर टैक्सी के रूप में देर रात चलने वाले गिरोह द्वारा कई वारदातें अंजाम दी जा चुकी हैं. इन में खुद को टैक्सी चालक बताने वाला कार में बैठे लोगों को सवारी बताता है और रास्ते में मिलने वाली किसी एक सवारी को उसी कार में बैठा लेता है.  फिर वे सब उस आदमी को लूट लेते हैं.

हाईवे पर चलने वाले लोगों को इस तरह की लूट व ठगी की घटनाओं से खुद को महफूज रखने के लिए पूरी तरह चौकस रहने की जरूरत है, क्योंकि ठगों व लुटेरों द्वारा इस तरह के जाल कहीं भी बिछे मिल सकते हैं.

निर्मल रानी

सत्यकथा: कातिल ही बन गया हत्या का चश्मदीद गवाह

20 जनवरी, 2022 की सुबह के करीब 7 बज रहे थे. कभी न सोने वाले शहर मुंबई के भिवंडी इलाके में सुबहसुबह लोग अपने घरों से काम के लिए निकले थे. कुछ पैदल तो कुछ आटोरिक्शा में, कुछ अपनी गाडि़यों में, हर कोई अपने काम पर पहुंचने के लिए भाग रहा था.

ऐसे ही पैदल काम पर जा रहा एक शख्स जोकि भिवंडी के रुपाला ब्रिज के नीचे से होते हुए सड़क के दूसरी ओर जा रहा था, उसे ब्रिज के नीचे झाडि़यों के पास एक बड़ी सी सफेद रंग की बोरी दिखाई दी. उस बोरी का मुंह ऊपर से बंधा हुआ था.

यह देख उस शख्स के कदम धीमे हो गए और वह रुक गया. उस ने बोरे पर नजर डाली तो देखा उस बोरी के अंदर से खून निकला था, जिस से वहां आसपास की जमीन भी लाल हो गई थी. यह देख उस शख्स के माथे पर पसीना आ गया. उसे यही लग रहा था कि जरूर इस बोरी में किसी की लाश है.

यह देख उस ने आसपास चलते हुए लोगों को बुला कर ब्रिज के नीचे बोरे में लाश पड़ी होने के बारे में बताया. इस के बाद उस युवक ने पुलिस कंट्रोल रूम में फोन कर के इस बारे में सूचना दी.

सूचना मिलते ही भिवंडी के निजामपुरा थानाप्रभारी नरेश पवार के नेतृत्व में पुलिस की टीम घटनास्थल पर पहुंच गई. जिस शख्स ने फोन कर पुलिस को इस बारे में सूचना दी थी, पुलिस ने उस से पूछताछ की.

उस शख्स ने थानाप्रभारी नरेश पवार को जो कुछ उस ने देखा था, वह सब बयान कर दिया.

पुलिस ने जब वह बोरी खोली तो अंदर खून से लथपथ एक व्यक्ति की लाश निकली. उस के सिर, गरदन, सीने, चेहरे लगभग हर जगह पर जख्म के काफी गहरे निशान थे.

लाश की पहचान वहां जमा भीड़ नहीं कर पाई. लाश के कपड़ों में से सिर्फ डाक्टर की एक परची और एक हैडफोन मिला, जिसे पुलिस ने सबूत के तौर पर अपने पास रख लिया. लेकिन उस की जेब में कहीं कोई पहचानपत्र, पैसे या और कोई चीज नहीं बरामद हुई.

थानाप्रभारी नरेश पवार की मुश्किलें और भी बढ़ गईं. थानाप्रभारी बारबार डैडबौडी को देख रहे थे कि किसी तरह से लाश की पहचान हो जाए तो मामला सुलझाने में मदद मिले. व्यक्ति के कपड़ों से डाक्टर की जो परची मिली थी, वह पुलिस के लिए एक बड़ी लीड थी.

पुलिस टीम ने सबूत जुटाने के लिए आसपास के इलाकों की अच्छी तरह से छानबीन की, लेकिन उन्हें किसी तरह के कोई और ठोस सबूत नहीं मिले. लेकिन जब थानाप्रभारी नरेश पवार ने व्यक्ति की कमीज को बहुत ध्यान से देखा तो उन का दिमाग अचानक से घूम गया.

दरअसल, व्यक्ति ने लाल रंग की शर्ट पहनी हुई थी, जिस में सुनहरे रंग के छोटेछोटे धब्बे पूरी शर्ट पर मौजूद थे. यह देख उन्हें अचानक से याद आया कि ऐसे सुनहरे रंग के छोटे धब्बे अकसर मोतियों की फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों के कपड़ों पर दिखाई पड़ते हैं.

थानाप्रभारी ने इस मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस की 3 टीमों का गठन कर दिया.

भिवंडी के एसपी प्रशांत धोले ने एक टीम को डाक्टर के पास पूछताछ करने के लिए भेजा, दूसरी टीम को उन्होंने आसपास के सभी मोतियों की फैक्ट्री में पूछताछ के लिए भेजा और तीसरी टीम को आसपास के सभी पुलिस थानों में किसी के गुमशुदा होने का पता लगाने के लिए भेजा.

हत्या के इस मामले की छानबीन करने के लिए पहली टीम शव की कमीज की जेब से बरामद हुई डाक्टर की मुड़ीतुड़ी, खून से भीगी हुई परची की मदद से एक डाक्टर के पते पर पहुंची.

इस डाक्टर की दुकान भिवंडी के खोनी गांव में अब्दुल्लाह मसजिद के पास थी. यह कोई बहुत बड़ा डाक्टर नहीं था, बल्कि वह बीएससी पास डाक्टर था, जोकि मरीजों को छोटेमोटे मर्ज की दवा दे दिया करता था.

पुलिस ने जब डाक्टर को परची दिखाते हुए यह पूछा कि क्या वह इस मरीज को जानता है जोकि 2 दिन पहले ही उस के पास से दवा ले कर गया था तो जवाब में डाक्टर ने कहा कि वह दिन भर करीब 100 मरीजों को देखता है. कौन, कब, किस चीज के लिए आया, वह इस की पहचान नहीं कर सकता.

टीम को डाक्टर से कुछ ठोस काम का सुराग नहीं मिला. लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने एक और तरीका आजमाया. उन्होंने उस डाक्टर की दुकान के पास जितने भी फार्मेसी (दवाई) की दुकानें थीं, उन सभी से पूछताछ की. लेकिन अफसोस कहीं से भी कुछ भी काम नहीं आया.

एक तरफ जहां पहली टीम डाक्टर के पते पर मृत व्यक्ति की पहचान के लिए पहुंची थी तो वहीं दूसरी टीम निजामपुरा इलाके में जितने भी पर्ल वर्कशौप (मोतियों की फैक्ट्री) थीं, उन सभी में पूछताछ के लिए पहुंची.

दूसरी टीम ने एकएक कर सभी फैक्ट्री मालिकों से उन के मजदूरों के बारे में पूछा कि क्या उन की फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों में से कोई था, जो 2 दिन से बिना बताए छुट्टी पर रहा हो.

निजामपुरा इलाके में काफी बड़ी संख्या में पर्ल वर्कशौप (फैक्ट्री) थीं, जिन्हें एक दिन में कवर कर पाना संभव नहीं था. ऐसी स्थिति में दूसरी टीम को भी कुछ खास लीड नहीं मिली.

पुलिस की पहली और दूसरी टीम को अपनेअपने टास्क दिए हुए थे तो तीसरी टीम भी अपना टास्क पूरा करने के लिए मैदान में उतरी हुई थी. तीसरी टीम का काम आसपास के सभी इलाकों के पुलिस थानों में लापता लोगों की सूची तैयार करना और उन के बारे में पता लगाना था.

इस काम को करने के लिए सब से पहले आसपास के इलाकों के थानों में पहले ही फोन कर जरूरी सूचना दे दी गई.

कुछ देर बाद आसपास के पुलिस थानों से तीसरी टीम को जो कुछ जानकारियां हासिल हुईं, वह उन की मांगी हुई जानकारियों से मेल नहीं खा रही थीं.

इस में जरूरी यह भी था कि हो सकता है कि हत्या को अंजाम एक दिन में ही दिया गया हो तो यह संभव है कि व्यक्ति के शव का पता लगाने के लिए अभी तक उस के घरपरिवार वाले पुलिस थाने में उस की गुमशुदगी के लिए न पहुंचे हों.

ऐसे में पुलिस के पास इंतजार करने के अलावा और कोई दूसरा रास्ता बचा नहीं था.

पुलिस द्वारा बनाई गई तीनों टीमों के हाथ कोई ठोस सबूत या सुराग नहीं मिल पाया, जिस के दम पर आगे की छानबीन की जा सके.

20 जनवरी, 2022 की शाम तक मकतूल (कत्ल किए गए व्यक्ति) की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ चुकी थी, लेकिन उस की पहचान अभी तक पुलिस की टीम नहीं कर पाई थी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार व्यक्ति के सिर पर गहरी चोट और ज्यादा खून बह जाने की वजह से उस की मौत हुई थी. लेकिन सिर्फ पोस्टमार्टम रिपोर्ट को ले कर केस सुलझाना आसान नहीं था.

इस केस का अगला चैप्टर अगले दिन 21 जनवरी, 2022 को उस समय खुला, जब एक व्यक्ति, जिस का नाम मोहम्मद सलमान था, वह शाम को निजामपुरा थाने में पहुंचा. थानाप्रभारी को उस ने खुद को उस व्यक्ति की हत्या का चश्मदीद गवाह बताया. यह सुन कर थानाप्रभारी और केस में जुड़े अन्य पुलिसकर्मी दंग रह गए.

इतनी मशक्कत करने के बाद आखिरकार पुलिस के हाथों ऐसा बिंदु मिल गया था, जिसे आधार बना कर वे हत्यारों को पकड़ सकते थे. और यह अहम गवाह खुद चल कर पुलिस थाने में आया था.

एक पल के लिए पुलिस को सलमान पर शक तो हो रहा था, लेकिन इस मामले में सिवाए उस के और कोई भी जरूरी तथ्य मौजूद नहीं था.

उस ने पुलिस को बताया कि हत्या के समय वह मौकाएवारदात से मात्र 50 मीटर की दूरी पर था और उस व्यक्ति की हत्या होते हुए अपनी आंखों से देखी थी.

उस ने बताया कि जिस की हत्या हुई थी, उस की शक्ल वह नहीं देख पाया था. लेकिन उस ने हत्यारों को देखा था. उस ने पुलिस को इस मामले के बारे में सब कुछ बताने की बात कही.

लिहाजा निजामपुरा पुलिस की टीम सलमान को अपने साथ मौकाएवारदात पर ले गई और सलमान ने बारीबारी से जो कुछ अपनी आंखों से देखा था, वह सब बताया. उस ने हत्या की उस घटना को बारीकी से बयान किया.

पुलिस ने जब उस से पूछा कि क्या वह हत्यारों की पहचान कर सकता है तो उस ने कहा कि अगर कोई उन्हें उस के सामने ले कर आए तो वह उन की पहचान कर सकता है.

ऐसे में पुलिस ने भिवंडी के आर्ट कालेज से एक छात्र को हत्यारे का स्केच बनाने के लिए बुलाया. अगले दिन 22 जनवरी की सुबह 10 बजे तक सलमान के कहे अनुसार स्केच आर्टिस्ट ने हत्यारे का स्केच बना कर तैयार कर दिया.

उस स्केच की कौपी निजामपुरा पुलिस थाने के जरिए आसपास के सभी थानों में भेजी गई ताकि उस शक्ल का कोई व्यक्ति यदि पुलिस के रेकौर्ड में पहले से मौजूद हो तो उसे जल्द ही पकड़ लिया जाए.

लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हुआ. सलमान ने जिस व्यक्ति का स्केच बनवाया था, वह पुलिस रेकौर्ड में कहीं पर भी पाया नहीं गया.

अभी पुलिस इस मामले की तह तक पहुंचने से काफी दूर थी कि निजामपुरा पुलिस थाने के पास शांतिनगर पुलिस थाने से एक खबर आई.

खबर यह थी कि एक महिला, जिस का नाम नजमा बानो (बदला हुआ नाम) था, वह थाने में अपने 45 वर्षीय पति की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराने पहुंची थी.

थानाप्रभारी ने बिना समय गंवाए तुरंत 2 पुलिसकर्मियों की एक टीम को उस महिला को निजामपुरा थाने ले कर आने को कहा. नजमा बानो से पूछताछ में पता चला कि उस का पति अरमान शेर अली 2 दिन से घर पर नहीं आया है. उस ने बताया कि इस से पहले उस ने कभी भी ऐसा नहीं किया.

उस ने बताया कि वह काम के अलावा जहां कहीं भी जाते थे, तो उसे अपने साथ ले कर जाते थे या फिर बता कर जाते थे. वह कभी भी घर से कहीं रात गुजारने के लिए नहीं गए.

अभी थाने में नजमा बानो से पूछताछ चल ही रही थी कि मामले की तह तक जाने के लिए जिन 3 टीमों का गठन किया गया था, उस में से दूसरी टीम को भी अहम लीड हाथ लगी.

दूसरी टीम इलाके में पर्ल वर्कशौप पर छानबीन कर रही थी तो पता चला कि एक फैक्ट्री में 45 वर्षीय एक मजदूर, जोकि पिछले 7-8 सालों से काम कर रहा था, वह पिछले 3 दिनों से काम पर नहीं आया था.

टीम ने थानाप्रभारी को सूचना दी कि उस मजदूर का नाम अरमान शेर अली शाह था और वह 3 दिनों से छुट्टी पर था, वह भी बिना बताए.

इस मामले की कडि़यां एकएक कर के जुड़ती जा रही थीं. ऐसे में नजमा को अरमान शेर अली शाह की पहचान के लिए उस मृत व्यक्ति के फोटो दिखाए.

नजमा ने तो उसे पहचानने से इनकार कर दिया. लेकिन नजमा के बेटे शारिक शाह ने शव की पहचान अपने पिता शेर अली शाह के रूप में कर ली.

शव का चेहरा देख उस की पहचान कर पाना मुमकिन नहीं था, लेकिन शारिक ने पुलिस को बताया कि उस के पिता की गरदन के पास एक बर्थ मार्क था, जोकि शव की गरदन पर भी था. ऐसे में दोनों मांबेटे को पतिपिता के खोने के दुख में बहुत गहरा सदमा लगा.

22 जनवरी, 2022 की शाम तक पुलिस की टीम को कुछ ऐसा हाथ लगा, जिस से मामला साफ हो गया.

मोहम्मद सलमान, जिस ने खुद को इस मामले का एकमात्र चश्मदीद गवाह करार दिया था, असलियत में सारे मामले की जड़ वही था.

दरअसल, सलमान पर पुलिस को पहले दिन से ही शक था, जिसे दूर करने के लिए थानाप्रभारी नरेश पवार ने अंदर ही अंदर एक और टीम को तैनात किया था जिस का काम सलमान के दावों की सच्चाई जानना था.

सलमान की गुप्त छानबीन में उस की काल डिटेल्स खंगाली गई तो पता चला कि जिस रात उस ने हत्या होते हुए देखने का दावा किया, उस रात को उस ने शेर अली शाह को कई फोन किए थे.

सिर्फ यही नहीं, पुलिस ने जब सलमान के पिछले ट्रैक रेकौर्ड को देखा तो पता चला कि जिस परोल रोड पर रुपाला ब्रिज के नीचे हत्या होने की बात कही, दरअसल उस रोड पर वह इस से पहले कभी गया ही नहीं था.

सलमान के रेकौर्ड पुलिस के सामने कई सवाल उठा रहे थे. ऐसे में पुलिस ने सलमान को हिरासत में लिया और उस से सख्ती से पूछताछ की.

वह पुलिस के सवालों के आगे ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया. उस ने पुलिस के सामने जब सच्चाई बयान की तो सभी सुनने वालों के होश उड़ गए.

सलमान ने बताया कि जिस पर्ल वर्कशौप में शेर अली शाह काम करता था, वहीं पर करीब 2 साल पहले 30 वर्षीय तसलीम अली अंसारी काम करने के लिए आया था. जहां पर उन दोनों की दोस्ती हुई. समय बीता तो दोनों की दोस्ती गहरी होती गई.

दोनों ने एकदूसरे के घर पर आनाजाना शुरू कर दिया. लेकिन इसी दौरान तसलीम और शेर अली शाह की पत्नी नजमा बानो के बीच जानपहचान बढ़ती गई.

शेर अली जब घर पर नहीं होता था, उस समय तसलीम उस के घर पर आताजाता था. लेकिन दोनों के बीच बन रहे इस नए रिश्ते की डोर ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रही. शेर अली को जल्द ही उस की पत्नी और तसलीम के बीच पनप रहे रिश्ते की खबर लग गई.

तभी से उन की दोस्ती में दरार पैदा हो गई और शेर अली ने तसलीम को धमकी देते हुए अपने घर न आने की हिदायत दी. लेकिन शेर अली के रोकने से उन दोनों के बीच रिश्ते खत्म नहीं हुए.

नजमा के लिए तसलीम का प्यार परवान चढ़ता जा रहा था. वह नजमा के लिए कुछ भी करने को तैयार था. लेकिन वहीं दूसरी ओर शेर अली ने नजमा पर पाबंदियां बढ़ा दीं. वह जहां कहीं भी जाता, नजमा को अपने साथ ले कर जाने लगा. यहां तक कि शेर अली काम पर भी नजमा को साथ ले कर जाने लगा.

यह बात तसलीम को बहुत खलने लगी. वह नजमा के साथ अपनी पूरी जिंदगी गुजारना चाहता था, लेकिन शेर अली द्वारा नजमा पर पाबंदियों से वह बेहद परेशान रहने लगा.

इसी से छुटकारा पाने के लिए और नजमा को अपने साथ उत्तर प्रदेश अपने गांव भगा ले जाने के लिए उस ने शेर अली को रास्ते से हटाने की योजना बनाई. उस ने सलमान जोकि शेर अली को जानता था, उस के जरिए 19 जनवरी, 2022 की रात को शेर अली को फोन करवाया.

सलमान ने शेर अली से बात कर कहा कि तसलीम उस के जीवन से हमेशा के लिए निकल जाएगा, बस एक बार वो उस से मिलना चाहता है. आखिरी बार मिलने के लिए शेर अली सलमान की बात मान गया और उस रात साढ़े 10 बजे रुपाला ब्रिज के नीचे पहुंच गया.

शेर अली के रुपाला ब्रिज के पास पहुंचते ही तसलीम, सलमान और उन के साथ एक और युवक चंदबाबू अंसारी तीनों ने मिल कर शेर अली पर हमला कर दिया.

वे अपने साथ लोहे की रौड ले कर आए थे, जिस से उन्होंने शेर अली के सिर, गरदन और चेहरे पर जोरदार वार किए.

सिर पर चोट और ज्यादा खून बह जाने की वजह से शेर अली की मौत हो गई. जिस के बाद वह शेर अली की लाश को प्लास्टिक की सफेद रंग की बोरी में डाल कर वहां से भाग निकले.

सलमान को पुलिस के पास जा कर हत्या का चश्मदीद बनने का प्लान भी तसलीम ने ही दिया था. वह पुलिस की तफ्तीश को भटकाना चाहता था.

उसे यकीन था कि कुछ ही दिनों में यह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा, जिस के बाद कोई उन के पीछे नहीं पड़ेगा. लेकिन अफसोस उन का यह प्लान असफल रहा.

सलमान के सच उगलने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. साथ ही 48 घंटों के भीतर ही सलमान की निशानदेही पर बाकी दोनों आरोपियों को भिवंडी में एक कालोनी से गिरफ्तार कर लिया.

सभी आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

पैसा बना देता है अपनों का दुश्मन: जब खूनी बनी शादीशुदा प्रेमिका

उस रात वह मेरा इंतजार करती रही. मन में चल रही उल  झन व सवालों ने बेचैनी को और भी बढ़ा दिया था. मन में एक ही सवाल था कि क्या हुआ होगा. आखिरकार चैन आ गया, जब प्रेमी का फोन ही आ गया. उस की बातों को सुन कर यही लगा कि अपने पति की यादों से बाहर निकल जाएगी और वह  अपने प्रेमी के साथ एक प्यार भरी जिंदगी बिताने का सपना देख कर सो गई. लेकिन यह सपना एक चुटकी में ही ढेर हो जाएगा, इस बात का अंदाजा नहीं था. एक ऐसा प्यार, जिस ने सिर्फ इनसानियत का खून नहीं किया, बल्कि एक परिवार को भी तबाह कर दिया.

पहली मुलाकात

बात साल 2013 की है. मोहनदास की 34 वर्षीय पत्नी सीमा केरल के मुख्य शहर कोच्चि में एक कंपनी में काम करती थी. वहीं उसी औफिस टौवर में गिरीश एक गारमेंट शौप में अकाउंटैंट की जौब करता था.

एक ही बिल्डिंग में काम करने की वजह से सीमा और गिरीश की मुलाकात हो गई और यह सिलसिला चलता रहा. उन की दोस्ती प्यार का रूप ले चुकी थी. वे दोनों आपस में एकदूसरे से अपने सुखदुख बांटने लगे.

सीमा ने गिरीश को अपने कर्ज के बारे में बताया. सीमा ने पैसे की मदद करने के लिए ही गिरीश से दोस्ती की थी. गिरीश ने कई बार सीमा की मांग के मुताबिक उस की मद्द करने के लिए पैसा भी दिया और कभी भी यह दी गई रकम वापस नहीं मांगी.

इस तरह सीमा की कई जरूरतें पूरी होने लगीं. गिरीश के बारे में सीमा ने मोहनदास को बताया तो था, लेकिन वह असलियत से फिर भी अनजान ही था. मोहनदास को इन रिश्ते में कोई छिपी बात महसूस नहीं हुई.

दोस्त बन कर गिरीश वैकेम से एर्नाकुलम तक  हर दिन बाइक से आताजाता था. सीमा से रिश्ता बनाए रखने के लिए गिरीश और पैसा कमाने में लगा रहता और इस के लिए उस ने अपने दफ्तर में हेराफेरी भी शुरू कर दी.

अकाउंटैंट होने की वजह से गिरीश बहुत जल्दी लाखों रुपए की हेरफेर करने में सफल भी हुआ और उस ने वह सारे पैसे सीमा के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए.

शुरुआत में सीमा इस बात से अनजान थी कि गिरीश के पास यह पैसे कहां से आ रहे हैं. मोहनदास ने भी कभी नहीं पूछा. इन लोगों ने 17 लाख रुपए की गाड़ी भी खरीद ली थी.

अचानक से जिंदगी में आया इतना बदलाव देख कर जब रिश्तेदारों को भी शक हुआ, तब सीमा और मोहनदास ने अपने रिएल ऐस्टेट के धंधे में मुनाफा बताया.

कभी न बिछुड़ने वाले प्रेमी

गिरीश का सीमा को पैसे देने का सिलसिला जारी रहा. एक बार मोहदनदास अपने दोस्तों व परिवार के सदस्यों के साथ घूमने चले गए. इसी बीच सीमा और गिरीश के बीच निकटता ज्यादा बढ़ गई. एकसाथ बाहर जाना, खाना खाना और वह सीमा के घर भी जाने लगा.

गिरीश का सीमा के प्रति पागलपन का सा प्यार था. 6 साल तक का लंबा परिचय कभी न टूटने वाले रिश्ते में बदल गया था. इतने सालों तक गिरीश सीमा को तकरीबन 1 करोड़ रुपए तक दे चुका था, जो उस ने कंपनी के अकाउंट से चुराए थे.

गिरीश के औफिस वालों को भी उस की बेईमानी का पता चलने लगा. कंपनी उस से अपने सारे पैसे वापस मांगने लगी.

हत्या की योजना

सीमा गिरीश की असलियत से वाकिफ हो गई थी, लेकिन वह गिरीश को सारे पैसे वापस न करने की हालत में थी. पति के सामने कोई भी माली हेराफेरी मुमकिन नहीं थी. वे दोनों गुरुवायूर में कमरा ले कर समस्याओं के समाधान सोचते रहे.

इसी बीच सीमा ने बताया कि मोहनदास के तमिलनाडु में ट्रांसफर होने की योजना बन रही है. अब हम सब वहीं चले जाएंगे.

सीमा की यह बात सुन कर गिरीश को लगा कि भविष्य में वह फिर सीमा से कभी भी नहीं मिल पाएगा. सीमा को दिया हुआ सारा पैसा व रिश्ता खत्म होते सोच गिरीश डर गया. फिर इन दोनों ने मिल कर मोहनदास की हत्या की योजना बनाई.

रची साजिश

सीमा और गिरीश दोनों ने मिल कर मोहनदास की हत्या का दिन 2 दिसंबर तय किया. जिस दिन सीमा के भाई के बच्चों का जन्मदिन होता है. मोहनदास भी वहीं पार्टी में गया हुआ था और दोपहर तक वापस लौट आया. शाम को साढ़े 7 बजे वह कहीं जाने की तैयारी में था. इस मौके का उन दोनों ने भरपूर फायदा उठाया.

7 बज कर 40 मिनट पर सीमा ने मोहनदास से यह कहा कि गिरीश अमृत अस्पताल में एक दोस्त से मिलने गया है. वापस लौटते समय पालम जंक्शन पर वह आप का इंतजार करेगा. उसे बाइक में लिफ्ट दे कर किसी सुविधाजनक जगह पर उतार देना.

मोहनदास के घर से निकलते ही सीमा ने गिरीश को फोन कर दिया. मोहनदास पालम जंक्शन पर पहुंच गया, तो उस ने वहां गिरीश को खड़े देखा. वह बाइक पर सवार हो गया और उस ने मोहनदास को फाक्ट आनवातिल जंक्शन जैसी वीरान जगह पर गाड़ी रोकने को कहा.

फिर गिरीश ने एक तौलए पर क्लोरोफोम डाल कर उस की नाक पर लगाने की कोशिश की. मोहनदास ने भागने की कोशिश की, तो गिरीश ने उसे पीछे से पकड़ कर चाकू मार दिया. गहरे घाव और लगातार खून बहने की वजह से मोहनदास की मौके पर ही मौत हो गई. चाकू मारने के बाद गिरीश कमलेश्वरी की ओर चला गया, जहां उस की बाइक थी.

पुलिस की जांचपड़ताल

8 बजे के करीब मौका ए वारदात पर लोगों की भीड़ जमा हो गई थी. मोहनदास की हत्या जहां उस की बाइक खड़ी थी वहां से कुछ ही दूरी पर की गई थी. मौका ए वारदात पर एक चश्मा पाया गया. उस के गले की चेन के 2 टुकड़े हो चुके थे. 40,000 रुपए का कीमती मोबाइल फोन व पर्स से 30,000 रुपए गायब थे, जिसे गिरीश ने निकाल लिया था, क्योंकि वह यह साबित करना चाहता था कि हत्या सामान की लूट व मार से हुई है. लेकिन पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि मोहनदास की हत्या की गई है.

हत्या के बाद गिरीश ने सीमा को बताने के लिए फोन किया था. मोहनदास के सभी परिचितों के नंबर पर जांच विभाग द्वारा जांच की गई. जब पुलिस द्वारा सीमा जहां नौकरी करती थी, वहां से जांचपड़ताल की गई तो पता चला कि वह काम पर 17 नवंबर से ही नहीं गई थी. सीमा ने वहां तबीयत खराब होने व अस्पताल जाने का कारण बताया था.

सीमा के मोबाइल पर ज्यादातर गिरीश के ही फोन देख पुलिस ने उस के औफिस में जा कर पूछताछ की, तो वहां पता चला कि पैसे की हेराफेरी करने की वजह से वह यहां पर नहीं आ रहा है, तभी दोनों के संबंध सामने आए.

कोच्चि टाउन नौर्थ पुलिस सबइंस्पैक्टर एस. जयशंकर का कहना है, ‘‘ये दोनों जहां काम कर रहे थे, वहां के लोग इन के रिश्ते से अनजान थे. पुलिस ने गिरीश के घर के आसपास जांच की. पुलिस ने जब सीमा से पूछताछ की, तो उस के जवाब व बरताव में घबराहट महसूस हुई. इतना ही नहीं, मोहनदास के रिश्तेदारों को भी सीमा पर शक होने लगा था. सख्ती से पूछताछ करने पर गिरीश का हत्या में हाथ सामने आया. घटना के 10 दिनों के अंदर ही मुजरिम सामने आ गए.’’

पछतावा नहीं

पकड़े जाने के बाद भी बिना किसी शर्म व डर के दोनों सामने खड़े थे. दोनों को घटनास्थल पर ले जाया गया, तो गिरीश ने फेंके हुए विदेशी चाकू, जिस से मोहनदास की हत्या की थी, को   झुरमुट से ढूंढ़ निकाला. फोरैंसिक विभाग द्वारा की गई जांच में बाइक पर खून के धब्बे भी पाए गए.

सीमा और गिरीश ने सोचा था कि इस हत्या के बारे में कभी भी किसी को पता नहीं चलेगा, पर दोनों के फोन की काल हिस्ट्री ने इन का जुर्म उजागर कर दिया. मोहनदास व सीमा के बच्चे अब रिश्तेदारों के सहारे ही पलने लगे.

प्यार और पैसे का चोलीदामन का साथ है. हर प्रेमिका चाहती है कि उस का प्रेमी उस पर खर्च करे, चाहे कहीं से भी पैसा आए. अगर प्रेमिका शादीशुदा है तो वह बहुत लालची भी हो जाती है और अपनी कामुक अदाओं का भी इस्तेमाल करती है. आमतौर पर पति चुप ही रहते हैं, क्योंकि पत्नी के साथ पैसे का फायदा उसे भी मिलता है. सोने के अंडे देने वाली पत्नी किसे नहीं भाती?

जयादेवन आर.      

सत्यकथा: सविता के जिस्म की आग ने ही ले ली जान

27 फरवरी, 2022 की सुबह करीब 9 बजे ग्वालियर के थाना जनकगंज के थानाप्रभारी संतोष यादव अपने कक्ष में बैठे थे. तभी एक युवक उन के पास आया. उस के चेहरे पर परेशानी के भाव और आंखों में चिंता झलक रही थी. वह बेहद घबराया हुआ लग रहा था. उस युवक की शक्ल देख कर ही लगा कि वह किसी भारी मुसीबत में है.

उन्होंने उसे बैठा कर उस की परेशानी पूछी तो उस ने रोते हुए बताया, ‘‘साहब, बीती रात किसी ने मेरी बहन सविता की गुप्तेश्वर पहाड़ी के जंगल में गला रेत कर हत्या कर दी.’’

‘‘क्या नाम है तुम्हारा? तुम कहां रहते हो और क्या काम करते हो?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

युवक ने रोते हुए बताया, ‘‘साहब, मेरा नाम परमाल बंजारा है और मैं काली माता मंदिर के सामने गोल पहाडि़या इलाके में बंजारों की बस्ती में रहता हूं. मैं लक्ष्मीगंज सब्जीमंडी में पल्लेदारी का काम करता हूं.’’

‘‘अपनी बहन के बारे में पूरी बात विस्तार से बताओ, वह घर से बाहर गुप्तेश्वर पहाड़ी के जंगल में कब गई थी और वह करती क्या थी?’’

‘‘साहब, उस का नाम सविता बंजारा था. उस के पति प्रकाश बंजारा की 10 साल पहले बिलौआ में स्थित महाकालेश्वर स्टोन क्रैशर वालों की खदान में काम करते समय हुए ब्लास्ट में मौत हो गई थी. पति की अचानक हुई मौत का सविता को काफी सदमा लगा था. पति की मौत के बाद उस के देवर ने उसे रख लिया था.

‘‘लेकिन वह आपराधिक प्रवृत्ति का है. एक केस में उसे जेल जाना पड़ा. उस के जेल जाते ही ससुराल वाले उसे ताने देने लगे थे कि वह डायन है, उस ने पति को डंस लिया. ससुराल में दिए जाने वाले तानों से जब वह बहुत ज्यादा दुखी रहने लगी तो फिर एक दिन अपनी ससुराल को हमेशा के लिए छोड़ बेटे रवि और बेटी खुशी को साथ ले कर मायके में ग्वालियर आ गई और अपना मकान बनवा कर रहने लगी थी.

‘‘साहब, धीरेधीरे उस का जीवन सामान्य होता जा रहा था. हालांकि उस की माली हालत कोई खास नहीं थी, किसी तरह मेहनतमजदूरी कर के अपने बच्चों को पाल रही थी. वह मेरे साथ लक्ष्मीगंज सब्जी मंडी में भी काम पर जाने लगी थी.

‘‘हम लोगों को इस बात की चिंता सताने लगी कि विधवा होने के कारण बहन का पहाड़ सा जीवन कैसे कटेगा. हम उस के लिए बिरादरी में ही लड़का तलाशने में लगे हुए थे. इसी बीच यह घटना घट गई.’’

थानाप्रभारी ने परमाल से पूछा, ‘‘तुम्हें सविता की हत्या की जानकारी कैसे मिली?’’

‘‘साहब, मैं वहां पर नहीं गया था. सुबह होते ही मेरी भतीजी सपना नित्यक्रिया के लिए जंगल में गई थी. उस ने ही सुबहसुबह यह खबर दी. हत्या की खबर सुन कर घर में रोनाधोना शुरू हो गया तो पड़ोसी भी हमारे घर पर जमा हो गए. इस के बाद जब पहाड़ी पर पहुंचे तो वहां सविता की खून में सनी लाश झाडि़यों में पड़ी मिली.’’

कत्ल की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी संतोष यादव तुरंत सविता के भाई परमाल बंजारा को साथ ले कर घटनास्थल की तरफ निकल गए.

पुलिस के पहुंचने तक घटनास्थल पर काफी भीड़ जमा हो चुकी थी. पुलिस ने लाश का निरीक्षण किया. मृतका की उम्र 35 साल के आसपास थी और वह सलवारसूट पहने हुए थी.

उस का गला किसी धारदार हथियार से रेता हुआ था. थानाप्रभारी की सूचना पर फोरैंसिक और डौग स्क्वायड  की टीमें भी घटनास्थल पर पहुंच गईं.

फोरैंसिक टीम का काम खत्म हो गया तो खबर पा कर एसपी अमित सांघी, एएसपी (सिटी पश्चिम) सत्येंद्र सिंह तोमर, एसपी (सिटी लश्कर) आत्माराम शर्मा भी मौकाएवारदात पर पहुंच गए थे.

इन पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल एवं लाश का निरीक्षण किया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल और मृतका की लाश का अवलोकन करने के बाद अनुमान लगाया कि हत्यारा मृतका का कोई करीबी हो सकता है. इस की कुछ खास वजह भी थी जैसे कि सुनसान जगह पर रात के वक्त कोई क्यों जाएगा.

आसपड़ोस के किसी भी व्यक्ति को इस हत्या के बारे में सुबह होने तक भी बिलकुल पता नहीं चल सका था. घटनास्थल पर किसी को आतेजाते भी नहीं देखा गया था.

पुलिस अधिकारियों ने परमाल बंजारा से पूछा, ‘‘तुम्हें किसी पर संदेह है?’’

कुछ पल के लिए खामोश रहने के बाद उस ने शून्य में ताकते हुए कहा, ‘‘नहीं साहब.’’

‘‘तुम आखिरी बार सविता से उस के घर पर कब मिले थे?’’

‘‘साहब, 26 फरवरी की  रात 10 बजे,’’ परमाल ने बिलखते हुए कहा.

घटनास्थल की जरूरी काररवाई निपटा कर थानाप्रभारी ने सविता की लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

प्राथमिक काररवाई के बाद थानाप्रभारी ने मोहल्ले के कुछ लोगों से बात की तो पता चला कि शफीकुल से सविता के गहरे ताल्लुकात थे. दोनों के बीच प्रेम प्रसंग था, वह सविता के परिवार का खर्च भी उठाता था.

इस महत्त्वपूर्ण जानकारी से थानाप्रभारी को पक्का यकीन हो गया कि सविता की हत्या अवैध संबंधों के कारण ही हुई होगी. हकीकत जानने के लिए थानाप्रभारी ने उसी दिन सविता और शफीकुल  के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई.

काल डिटेल्स देख कर पुलिस हैरान रह गई. उस से पता चला कि उन दोनों की एकदूसरे से अकसर बातें होती रहती थीं. इस घटना से पहले भी दोनों की बातें हुई थीं. पुलिस उस वक्त और ज्यादा चौंकी, जब शफीकुल के मोबाइल की लोकेशन रात के 11 बजे गुप्तेश्वर पहाड़ी के जंगल की मिली.

इस का मतलब हत्या वाली रात वह गुप्तेश्वर पहाड़ी के जंगल में ही था. पुलिस के शक की सुई उसी पर जा कर ठहर गई. पुलिस टीम ने आरोपी के बिलौआ, ग्वालियर में स्थित घर पर दबिश डाली तो वह अपने  घर से नदारद मिला, जिस से पुलिस का शक और बढ़ गया. उस की तलाश के लिए पुलिस ने अपने मुखबिरों को अलर्ट कर दिया. तब एक मुखबिर ने आरोपी शफीकुल के बारे में एक महत्त्वपूर्ण जानकारी थानाप्रभारी को दी.

इस के बाद थानाप्रभारी अपनी टीम के साथ मुखबिर द्वारा बताए स्थान बिजली घर रोड गोल पहाडि़या पर पहुंच गए. वहां से उन्होंने शफीकुल को हिरासत में ले लिया.

पुलिस को देखते ही शफीकुल की सिट्टीपिट्टी गुम हो गई थी. उस ने बिना किसी हीलहुज्जत के अपना अपराध स्वीकार करते हुए सविता की हत्या के पीछे की सारी सच्चाई बयां कर दी.

पुलिस ने शफीकुल की निशानदेही पर खून से सने कपड़े और हत्या में प्रयुक्त उस्तरा भी बरामद कर लिया.

शफीकुल पश्चिम बंगाल का रहने वाला था और 14 साल पहले वहां से भाग कर ग्वालियर के कस्बा बिलौआ आया था. वह सविता के पति प्रकाश के साथ महाकालेश्वर स्टोन क्रेशर की खदान में काम करता था, इसलिए प्रकाश का अच्छा दोस्त बन गया था.

प्रकाश की मौत के बाद शफीकुल ने प्रकाश के बच्चों और पत्नी सविता की खैरखबर लेने के बहाने नजदीकी बढ़ा ली और काफी देर तक सविता के बच्चों से बतियाता रहता था. उस की बातचीत का यह सिलसिला तभी टूटता, जब सविता उस के लिए चाय बना कर ले आती.

एक दिन सविता ने चाय की प्याली उस के हाथ में थमाते हुए मुसकरा कर कहा, ‘‘शफीकुल भाई, क्या आप सिर्फ बच्चों से ही बतियाते रहोगे? हम से बात नहीं करोगे?’’

‘‘क्यों मजाक कर रही हो भाभी, अगर आप को सच में मुझ से बात करनी होती तो इतनी दूरदूर न रहती,’’ शफीकुल ने सविता को ऊपर से नीचे तक गहरी नजरों से देखते हुए जवाब दिया.

शफीकुल का जवाब सुन सविता के चेहरे पर दिलकश मुसकान दौड़ गई. उस की निगाहें शफीकुल की चौड़ी छाती और बलिष्ठ भुजाओं का मुआयना करने लगीं, क्योंकि पति की मौत के बाद तन्हा जिंदगी उसे उबाऊ लगने लगी थी. दिन तो मंडी में काम में कट जाता था पर रातें कटनी मुश्किल थीं.

महीनों से अतृप्त सविता की देह समुद्री ज्वार की तरह ठाठे मारमार कर शफीकुल से संसर्ग करने को उकसाने लगी. सविता सोचने लगी कि शफीकुल सचमुच कुंवारा और एकदम जिंदादिल मर्द है. उस की बाहों में अलग ही आनंद आएगा.

अभी सविता यह सब सोच ही रही थी कि शफीकुल ने चारपाई से उठते हुए कहा, ‘‘अच्छा भाभी, अब मैं चलता हूं.’’

सविता तुरंत बोल पड़ी, ‘‘शफीकुल, कल कुछ जल्दी आना, तुम्हारे देर से आने की वजह से बच्चों के सामने मुझे तुम से बात करने का मौका ही नहीं मिलता.’’

सविता ने जिस अदा और अंदाज से यह बात कही, उस से शफीकुल के दिल में कुछकुछ होने लगा. वह मुसकराते हुए अपनी मोटरसाइकिल पर सवार हो कर अपने घर चला गया.

उस दिन के बाद शफीकुल नियमित रूप से बच्चों से मिलने के बहाने सविता के घर आने लगा. शफीकुल की जाति ही नहीं धर्म भी अलग था, इस के बावजूद सविता ने उस में ऐसा न जाने क्या देखा कि उस का मन उस पर रीझ गया.

नियमित रूप से सविता के घर इस आवाजाही से जहां सविता के दोनों बच्चे उस से काफी घुलमिल गए थे, वहीं उसे सविता पर डोरे डालने का भरपूर मौका मिल गया.

2 बच्चों की मां होने के बाद भी सविता के शरीर में कसाव था, ऊपर से वह बनसंवर कर रहती  थी.

शफीकुल ने पहले सविता से हंसीमजाक शुरू की, फिर थोड़ीबहुत शारीरिक छेड़खानी भी करने लगा. लेकिन सविता को इतने से संतोष नहीं हुआ. वह चाहती थी कि शफीकुल और आगे बढ़े.

संकोच और डर की वजह से शफीकुल ज्यादा आगे नहीं बढ़ पा रहा था तो सविता ने खुद ही पहल करने का फैसला ले लिया. एक दिन ऐसा भी आया, जब दोपहर को शफीकुल सविता के  घर जा पहुंचा. दरवाजे पर पहुंच कर हलकी सी दस्तक दी और हौले से दरवाजा धकेला. दरवाजा खुद ही अंदर की तरफ खुल गया.

उस वक्त दोनों बच्चे स्कूल गए हुए थे. दरवाजे से ही उस ने आवाज दी, ‘‘भाभी, कहां हो?’’

सविता भीतर चारपाई पर लेटी हुई थी. शफीकुल की आवाज सुन कर वह बोली, ‘‘मैं भीतर वाले कमरे में हूं. दरवाजे की कुंडी बंद कर के यहीं चले आओ. दरवाजा ठीक से बंद कर देना, वरना बिल्ली चौके में घुस जाएगी और सारा दूध पी जाएगी. आज मेरी तबीयत कुछ खराब है.’’

शफीकुल ने दरवाजा बंद कर के कुंडी लगा दी और सीधे भीतर वाले कमरे में जा पहुंचा. उस ने देखा सविता अस्तव्यस्त लेटी हुई थी. उस की साड़ी, पेटीकोट जांघ तक सरका हुआ था. ब्लाउज के ऊपरी हुक भी खुले हुए थे. बेताब हुस्न अपने जलवे दिखा रहा था.

सविता का उघड़ा बदन देख कर उत्तेजना से शफीकुल का हलक सूखने लगा. बड़ी मुश्किल से थूक निगल कर वह बोला, ‘‘भाभी, कल तो तुम बिलकुल ठीक थी, फिर अचानक तुम्हारी तबीयत कैसे खराब हो गई?’’

कह कर शफीकुल चारपाई के सिरहाने बैठ कर सविता के माथे पर हाथ रख बोला, ‘‘भाभी तुम्हें बुखार तो नहीं है, फिर क्या तकलीफ है?’’

‘‘बुखार तो बदन में चढ़ा हुआ है, पर तुम्हें एहसास नहीं हो रहा,’’ कहते हुए सविता ने शफीकुल का हाथ थाम लिया. फिर उसे हौलेहौले सहलाने लगी.

अब उस का इरादा शफीकुल की समझ में आने लगा. सविता उस का हाथ अपने वक्ष के ऊपर रखते हुए बोली, ‘‘अंदर हाथ डाल कर तो देखो, तब तुम्हें पता चलेगा कितना बुखार चढ़ा हुआ है.’’

‘‘भाभी, अभी सारा बुखार उतार देता हूं, क्यों परेशान हो रही हो.’’ कहते हुए उस ने सविता के ब्लाउज के बाकी हुक भी खोल दिए.

सविता के सुडौल वक्ष अब पूरी तरह आजाद हो चुके थे. शफीकुल ने उन्हें हाथों में भर कर आहिस्ताआहिस्ता दबाना शुरू किया तो सविता को भी मजा आने लगा.

जिस्म की आग ने सविता को इतना झुलसा रखा था कि वह सारी लोकलाज, मानमर्यादा भूल गई थी.

सविता से चारपाई पर लिपटा शफीकुल धीरेधीरे मदहोश हो रहा था, उत्तेजना से उस का भी जिस्म आग सा तप रहा था. सविता के वक्ष का मर्दन करतेकरते उस ने फुसफुसा कर पूछा, ‘‘भाभी, बुखार कुछ कम हुआ?’’

‘‘हां,’’ सविता ने स्वीकारते हुए कहा, ‘‘मुआ छाती से नीचे उतर गया है.’’

‘‘चिंता मत करो भाभी,’’ शफीकुल उस की साड़ी पलटते हुए बोला, ‘‘मुझे मालूम है कि छाती का ताप जब नीचे उतर जाए तो उसे कैसे कम किया जाता है.’’

कुंवारेपन से उस ने ऐसे ही ठोस जवाब की तमन्ना की थी. शफीकुल उस की कसौटी पर एकदम खरा उतरा.

शफीकुल सविता से 10 साल छोटा था, लेकिन उस का गठीला बदन सविता को भा गया, उस ने अपनी मर्दानगी के ऐसेऐसे जौहर दिखाए कि सविता की कलीकली खिल गई.

अवैध संबंधों की राह एक मर्तबा खुली तो शफीकुल और सविता अकसर वासना के कुंड में गोते लगाने लगे. सविता अब हरदम खिलीखिली रहने लगी थी.

इसी तरह महीनों बीत गए, उन दोनों के अवैध संबंधों की किसी को भनक तक नहीं लगी. शफीकुल सविता के सान्निध्य में मस्त था. उधर शफीकुल ने सविता के दिल में अपने लिए जगह बना ली, सविता शफीकुल की ऐसी दीवानी हुई कि सुबह से शाम तक उसी के खयालों में खोई रहने लगी.

सविता अपने घर में एक बेटी और एक बेटे के साथ रहती थी. उसे रोकनेटोकने वाला कोई न होने की वजह से वह पूरी तरह से स्वच्छंद हो गई थी.

उसे अपने प्रेमी को घर में बुलाने के लिए किसी मौके की जरूरत नहीं रहती थी. जब भी दोनों का जिस्म वासना की आग मे दहकने लगता तो दोनों अपनी हसरतें पूरी कर लेते थे.

वक्त गुजरता रहा, प्रेमी के साथ मौजमस्ती करते 9 साल बीत गए. इन 9 सालों में सविता और शफीकुल खूब खुल कर खेले. अवैध संबंध छिपते कहां हैं सविता और शफीकुल के साथ भी ऐसा ही हुआ.

बंजारा बस्ती वालों को ही नहीं, रिश्तेदारों को भी सविता और शफीकुल के नाजायज रिश्तों की जानकारी हो गई, इस के बावजूद भी दोनों ने किसी की परवाह नहीं की और पापलीला करते रहे.

सविता के बेटे के जन्मदिन के मौके पर शफीकुल ने सविता को बाजार ले जा कर जम कर खरीदारी भी कराई थी.

बाजार से सामान खरीद कर दोनों जैसे ही घर वापस आए, सविता का कोई जानपहचान वाला उस से मिलने आ गया. उसे देख कर शफीकुल का माथा ठनका.

उसे सविता के साथ बातचीत में मशगूल होते देख शफीकुल उस के घर से अपने घर बिलौआ वापस लौट गया था. उसे शक हो गया कि यह जरूर सविता का कोई यार ही होगा. अपने घर पहुंच कर उस ने धोखेबाज सविता को ठिकाने लगाने की योजना बना ली थी.

दरअसल, शफीकुल के दिमाग में शक का कीड़ा घर कर गया था. वह अपनी प्रेमिका सविता के चरित्र पर शक करने लगा था. उसे शक हो गया कि सविता के किसी और युवक के साथ भी संबंध हैं. शफीकुल के शक्की स्वभाव ने उसे शैतान बना दिया था.

26 फरवरी, 2022 को जब उसे लगा कि सविता के दोनों बच्चे सोने चले गए होंगे तो उस ने अपनी योजनानुसार रात 11 बजे सविता को फोन कर उसे बात करने के बहाने गुप्तेश्वर पहाड़ी के जंगल में बुलाया.

जैसे ही सविता अपने घर से शौच के बहाने शफीकुल की बताई जगह पर पहुंची, हैवान बने शफीकुल ने अपनी प्रेमिका पर जरा भी दया न दिखाते हुए उस का उस्तरे से गला रेत कर उसे मौत के घाट उतार दिया.

इस के बाद जब शफीकुल को पूरी तरह इत्मीनान हो गया कि सविता मर चुकी है तो उस ने खून से सने हाथ और मुंह पर लगे खून के दागों को रास्ते में एक नल पर साफ किया और अपने घर जा कर बिस्तर पर लेट गया.

सवा 4 बजे उस ने उस्तरा और खून लगे अपने कपड़ों को साथ लिया और घर से ग्वालियर के लिए निकल पड़ा. यह संयोग ही था कि उसे आते हुए किसी ने नहीं देखा था. फिर ग्वालियर आ कर उस ने उस्तरा और कपड़े छिपा दिए. इस के बाद दिन निकलने का इंतजार करने लगा.

सुबह का उजाला होने पर वह सविता के घर से अपनी प्रेमिका की हत्या होने की सूचना मिलने का इंतजार करने लगा था. सूचना मिलते ही वह सविता के घर पहुंच कर दुखी होने का नाटक करने लगा.

वहां मौजूद शोकग्रस्त लोगों में से किसी को अंदाजा नहीं था कि शफीकुल इतना जघन्य अपराध भी कर सकता है. उस ने नाटक तो बहुत बढि़या किया था, लेकिन पुलिस के शिकंजे से बच नहीं सका.

जनकगंज थाने के प्रभारी संतोष यादव ने इस अंधे कत्ल को पहली तफ्तीश में ही 6 घंटे के भीतर कातिल के गिरेबान पर हाथ डाल कर सुलझा दिया.

सविता की हत्या का जुर्म शफीकुल कुबूल कर चुका था और पुलिस ने उस की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त उस्तरा और खून से सने कपड़े भी बरामद कर लिए थे.

थानाप्रभारी ने सविता के भाई परमाल बंजारा की तरफ से शफीकुल के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर अभियुक्त शफीकुल को न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

सविता के 10 और 14 वर्षीय दोनों बच्चों को उन के मामा परमाल बंजारा अपने घर ले गए थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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