झारखंड के जमशेदपुर जिले की पुलिस लाइन के सरकारी क्वार्टर नंबर- जे/5 में सिपाही सविता हेम्ब्रम अपनी बेटी गीता हेम्ब्रम (14 साल) और मां लखिमा मुर्मू के साथ रहती थी. उस का अब यही घरसंसार था. सविता बेटी और मां को देख कर जी रही थी. कई साल पहले सविता के पति कैलाश हेम्ब्रम की नक्सलियों ने गोलियों से भून कर हत्या कर दी थी. वह एक जांबाज और निडर सिपाही था.
पति की हत्या के बाद अनुकंपा के आधार पर सविता को पुलिस की नौकरी मिली थी. तभी से वह अपनी बूढ़ी मां और बेटी के साथ सरकारी क्वार्टर में रहती थी.
बात 19 जुलाई, 2022 की शाम की है. ड्यूटी कर के सविता जब थकीमांदी कमरे में लौटी तो बेटी ने उस के लिए एक प्याली चाय बनाई और उसे दे दी.
चाय खत्म हुई तो दुलारती हुई गीता मां की गोद में जा बैठी, ‘‘मां…मां… सुनो न.’’ छोटे बच्चों की तरह व्यवहार करती हुई गीता मां के गाल दोनों हाथों से सहलाती हुई बोली, ‘‘आज खाने में क्या बना रहो हो?’’
‘‘क्या खाओगी बेटा?’’ सविता जवाब देते हुए आगे बोलीं, ‘‘जो कहो, वहीं बना देती हूं.’’
‘‘खीर और पूरी… बहुत दिनों से खाने का मन हो रहा था, पका दो मां मेरे और नानी के लिए.’’
‘‘तुम ने तो मेरे मुंह की बात छीन ली बेटा,’’ चहकती हुई सविता आगे बोली, ‘‘मैं भी कई दिनों से सोच रही थी, लेकिन आलस्य के चलते बना नहीं रही थी. पर जब तुम ने फरमाइश कर ही दी है बेटा तो मैं तुम्हारे लिए तुम्हारी मनपसंद खीरपूरी जरूर बनाऊंगी.’’
बेटी को गोद से अलग करती हुई सविता सोफे से उठ खड़ी हुई, ‘‘मैं फ्रैश हो कर अभी आती हूं बेटा, तब तुम दोनों किचन में चल कर…’’
सविता फ्रैश होने के लिए वाशरूम की ओर लपकी. गीता वहां से उठी तो नानी के पास बगल में सोफे पर जा बैठी. थोड़ी देर बाद सविता वाशरूम से बाहर निकली और सीधे किचन में जा घुसी. फिर बेटी की पसंद का खाना बनाया और तीनों स्वाद ले कर मजे से खा कर सो गए.
अगली सुबह यानी 20 जुलाई को करीब साढ़े 10 बजे सविता जब ड्यूटी एसएसपी औफिस नहीं पहुंची तो ड्यूटी अफसर ने उस के मोबाइल पर कई बार काल किया. पूरी घंटी बजने के बावजूद सविता काल नहीं उठा रही थी. गुस्से में अफसर ने काल डिसकनेक्ट कर बुदबुदाते हुए उस की अनुपस्थिति लगा दी. वह एसएसपी औफिस में बतौर रीडर तैनात थी.
पूरा दिन बीत गया. सविता ने न तो किसी की काल रिसीव की और न ही किसी को काल की. उस के परिचित भी फोन करकर के थक चुके थे. उन की काल भी वह रिसीव नहीं कर रही थी.
दरवाजे पर लटका मिला ताला
सविता का एक दोस्त उस का पता लगाने के लिए उस के सरकारी क्वार्टर पहुंचा तो उस के कमरे के बाहर मुख्य दरवाजे पर ताला लटका मिला. यह देख कर उस ने पड़ोसियों से पूछा तो वे कुछ भी बताने में असमर्थ थे. अलबत्ता इतना जरूर कहा कि उन्होंने सुबह से ही उस के कमरे पर ताला लटका देखा.
सविता कब मां और बेटी को साथ ले कर निकली थी, किसी को कुछ पता नहीं चला तो फिर वह दोस्त अपने घर वापस लौट गया. लेकिन अचानक से उन के कहीं चले जाने से पता नहीं क्यों वह दोस्त परेशान हो गया था और उसे बड़ा अजीब भी लग रहा था क्योंकि कभी वह कहीं जाती थी तो उसे बता कर जाती थी.
क्वार्टर से आने लगी बदबू
खैर, 20 जुलाई, 2022 का पूरा दिन बीत गया. अचानक से सविता, मांबेटी के साथ कमरे पर ताला बंद कर कहां चली गई थी, किसी को पता ही नहीं था. ताज्जुब की बात यह थी कि उसे किसी ने जाते हुए देखा ही नहीं था.
अगले दिन यानी 21 जुलाई को फिर वही प्रक्रिया दोहराई गई, जो बीते दिन की जा चुकी थी. रहस्यमय तरीके से सविता के परिवार के साथ कहीं चले जाने से उस के परिचित कालोनीवासी और औफिस वाले सभी चिंतित और परेशान थे.
उन का उसे ले कर परेशान होना लाजिमी भी था क्योंकि वह थी ही इतनी मृदुभाषी कि पल भर में ही किसी को भी अपना बना लेती थी. जब भी किसी से बात करती थी तो मुसकरा कर ही बात करती थी इसीलिए वे सब उस के बारे में फिक्रमंद थे.
सविता, उस की मां और बेटी को रहस्यमय ढंग से गायब हुए 48 घंटे होने जा रहे थे. उस के कमरे से किसी चीज के सड़ने की बदबू भी उठने लगी थी. बदबू से पड़ोसियों का सांस लेना दूभर हो रहा था.
जैसेतैसे यह बात एसएसपी प्रभात कुमार तक पहुंची तो उन के कान खड़े हो गए. फौरन उन्होंने गोलमुरी थानाप्रभारी अरविंद कुमार को फोन कर पुलिस लाइन के ब्लौक नंबर 2 स्थित आवास संख्या जे-5 पहुंच कर मामले की स्थिति से अवगत कराने का आदेश दिया.
कप्तान साहब का आदेश पा कर थानाप्रभारी अरविंद कुमार दलबल के साथ मौके पर जा पहुंचे. वहां भारी मजमा लगा था और लोग आपस में कानाफूसी कर रहे थे. यह दोपहर 2 बजे के करीब की बात थी.
सचमुच उस कमरे से किसी चीज के सड़ने की बदबू आ रही भी. थानाप्रभारी अरविंद कुमार ने सारी स्थिति से कप्तान प्रभात कुमार को अवगत करा दिया.
चूंकि मामला पुलिस विभाग की एक महिला कर्मचारी के अचानक गायब होने और उसी के कमरे से आ रही सड़ांध से जुड़ा हुआ था, इसलिए एसएसपी प्रभात कुमार भी बगैर समय गंवाए मौके पर जा पहुंचे.
मौके पर एसएसपी प्रभात कुमार के पहुंचते ही एसपी (सिटी) विजय शंकर, एएसपी (सिटी) सुधांशु जैन, डीएसपी कमल किशोर और और डीएसपी (सीसीआर) अनिमेष गुप्ता भी मौके पर पहुंच गए थे.
पुलिस लाइन कालोनी में भारी पुलिस बल देख कर वहां और भी भीड़ जमा हो गई थी. एसएसपी प्रभात कुमार का आदेश मिलते ही पुलिसकर्मियों ने कमरे पर लगा ताला तोड़ दिया. कमरे का जैसे ही दरवाजा खुला, भीतर से बदबू का तेज भभका आया. ऐसा लगा जैसे अभी बेहोश हो कर गिर जाएंगे.
अपनीअपनी नाक पर रुमाल रख कर पुलिस अधिकारी एकएक कर कमरे के भीतर घुसे. जैसे ही उन की नजर कमरे के भीतर पड़ी, सब के सब ठिठक गए. कमरे के भीतर बैड पर सविता की लाश पड़ी थी तो फर्श पर उस की मां लखिमा मुर्मू और बेटी की लाशें पड़ी थीं. तीनों लाशें सड़ रही थीं.
महिला सिपाही सविता, उस की मां और बेटी की लाश मिलते ही कालोनी में दहशत फैल गई. पलभर में जंगल की आग की तरह यह खबर मीडिया तक पहुंच गई थी.
पुलिस क्वार्टर में मिलीं 3 लाशें
पुलिस जांचपड़ताल में जुटी हुई थी और फूंकफूंक कर कदम रख रही थी. सब से पहले पुलिस ने कमरे की पड़ताल शुरू की. जिस कमरे में तीनों लाशें पाई गई थीं. जांच के दौरान दौरान कमरे में संघर्ष के कोई निशान नहीं मिले. मृतकों के शरीर के अन्य हिस्सों पर चोट के कई निशान मिले.
घटनास्थल चीखचीख कर कह रहा था कि हत्या में कम से कम 3 से 4 लोग शामिल रहे होंगे. तभी मृतकों और हत्यारों के बीच संघर्ष के कोई निशान नहीं मिले थे.
फिर पुलिस ने किचन की जांचपड़ताल की तो किचन के बेसिन में उन्हें 3 के बजाय 4 थालियां जूठी मिलीं. यह देख कर पुलिस का चौंकना लाजिमी था.
चौथी थाली देख कर पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि वारदात किसी परिचित ने ही अंजाम दी थी, जिस की इस परिवार से अच्छीखासी पटती होगी.
दिल दहला देने वाली घटना की सूचना पा कर सविता की बड़ी बहन रेनू मार्डी अपने पति के साथ मौके पर पहुंच चुकी थी. रेनू मार्डी ने एसएसपी प्रभात कुमार को बताया कि हत्या सविता के देवर दाखीन और जेठ सुराई ने मिल कर की है क्योंकि सविता और उस के ससुराल वालों के बीच सालों से नौकरी को ले कर विवाद चल रहा था.
सविता के सासससुर उस के पति की मौत के बाद नौकरी अपने छोटे बेटे को दिलवाना चाहते थे, जबकि अनुकंपा के आधार पर वह नौकरी सविता को मिल गई थी. इसी बात को ले कर सविता और उस के ससुराल वालों के बीच में विवाद चल रहा था.
सविता डुमरिया स्थित ससुराल छोड़ कर पुलिस लाइन के सरकारी क्वार्टर में मां और बेटी के साथ रहती थी. आखिर उस के ससुराल वालों ने उस की जान ले कर ही छोड़ा.
रेनू मार्डी की बातों से एसएसपी प्रभात कुमार इत्तफाक रखते थे. उसी दिन रात करीब 8 बजे डुमरिया थाना पुलिस ने सविता के ससुराल वालों को फोन कर थाने बुलवाया. जिस में उस के जेठ सुराई, देवर दाखीन और इन की पत्नियां शामिल थीं.
पुलिस ने दाखीन और सुराई से हत्या के बारे में कड़ाई से पूछताछ की. यही नहीं, पूछताछ के दौरान जब पुलिस को पता चला कि दोनों नेत्रहीन हैं. कहीं जानेआने के लिए दूसरों का सहारा लेना पड़ता है तो शीशे की तरह मामला साफ गया था कि इस लोमहर्षक घटना में इन का कोई हाथ नहीं है. लिहाजा पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया था.
इसी बीच पुलिस को एक चौंकाने वाली सूचना मिली, जिस से घटना की जांच सही दिशा की ओर बढ़ चली. पुलिस को पता चला कि घटना वाली रात एसएसपी प्रभात कुमार का ड्राइवर रामचंद्र सिंह जामुदा उर्फ सुंदर सविता के घर में जाते हुए देखा गया था.
सुंदर का उस के घर में सालों से आनाजाना था और दोनों के बीच में मधुर संबंध थे. यह बात सविता की मां लखिमा मुर्मू और उस की बेटी गीता भी जानती थी लेकिन कभी किसी ने इस का विरोध नहीं किया.
जिस दिन ये घटना घटी, उस के अगले दिन से सुंदर छुट्टी ले कर अचानक कहीं गायब हो गया था. यह बात एसएसपी के मस्तिष्क में घर कर गई और सुंदर शक के घेरे में आ गया.
एसएसपी के ड्राइवर पर हुआ शक
अचानक सुंदर कहां लापता हो गया था, किसी को पता नहीं था. तब पुलिस का शक और भी पुख्ता हो गया जब सविता, उस की मां और बेटी की हत्या होने के बावजूद सुंदर उस की खबर तक लेने नहीं आया था वरना 24 घंटों में 12 घंटे वह सविता के घर पर ही बिता देता था.
पुलिस सुंदर की खोज में जुट गई थी. उस का जहांजहां ठिकाने थे, वहांवहां दबिश देनी शुरू कर दी.
यह सच है कि पुलिस अगर अपनी पर आ जाए तो मुलजिम पाताल की गहराइयों में भी छिप जाए तो उसे ढूंढ लेती है. यहां भी कुछ ऐसा ही हुआ. सुंदर जमशेदपुर के ही सोनारी नामक एक स्थान पर छिप कर रह रहा था. उसे पता चल चुका था कि सविता और उस के परिवार की हत्या में पुलिस उसे ढूंढ रही है.
इसलिए वह सोनारी में छिप कर रह रहा था ताकि पुलिस की पकड़ ढीली पड़ते ही वह शहर से कहीं दूर भाग सके और खुली हवा में सांस लेता रहे. लेकिन सुंदर का यह सपना उस समय धरा का धरा रह गया, जब गोलमुरी पुलिस उसे हिरासत में ले कर थाने ले आई. पुलिस ने उस के फिंगरप्रिंट क्राइम स्पौट से हासिल फिंगरप्रिंट से मिलान किए तो दोनों आपस में मैच कर गए.
इस के बाद सुंदर के पास अपना जुर्म कुबूलने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था. उस ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया. फिर वह हैरान कर देने वाली जुर्म की चादर में लिपटी रंगीन कहानी को परतदरपरत खोलता चला गया. इस कहानी का अंत इतना भयानक होगा, उस ने सोचा भी न था. यह 22 जुलाई, 2022 की बात है. पुलिस पूछताछ के बाद इस तिहरे हत्याकांड की कहानी कुछ ऐसे सामने आई.
35 वर्षीय रामचंद्र सिंह जामुदा मूलरूप से जमशेदपुर के डुमरिया का रहने वाला था. उसे लोग सुंदर के नाम से भी पुकारते थे. सामान्य कदकाठी, साधारण शक्लसूरत और इकहरे बदन वाला सुंदर शादीशुदा और 2 बच्चों का बाप था. वह पुलिस विभाग में ड्राइवर था और सालों से जमशेदपुर के एसएसपी का सरकारी वाहन चला रहा था.
सुंदर एसएसपी प्रभात कुमार को औफिस छोड़ने के बाद खाली समय में एसएसपी रीडर औफिस में तफरी मारने चला जाता था. रीडर औफिस के सभी कर्मचारी उसे जानते थे.
औफिस में घूमता हुआ वह सविता हेम्ब्रम के सामने वाली कुरसी पर बैठ जाता था. सुंदर और सविता हेम्ब्रम एकदूसरे से बरसों से परिचित थे और वे उन्हें अच्छी तरह से जानते थे.
पति कैलाश की नक्सलियों ने की थी हत्या
दरअसल, सुंदर डुमरिया थानाक्षेत्र के जिस गांव में रहता था, उसी गांव में सविता की ससुराल थी. वह उस के पति कैलाश हेम्ब्रम को अच्छी तरह जानता था. गांव के रिश्ते से ही सुंदर सविता को भाभी कहता था. वह यह भी जानता था कि कैलाश हेम्ब्रम नक्सलियों की गोलियों की भेंट कैसे चढ़ा था और उसे जांबाज का खिताब कैसे मिला था.
बात साल 2007 के आसपास की है. कैलाश हेम्ब्रम ने नक्सलियों के खिलाफ लोहा लिया था और नागरिक सुरक्षा समिति से जुड़ा था. क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ पुलिस की ओर से चलाए जाने वाले अभियान में कैलाश की बढ़चढ़ कर हिस्सेदारी रहती थी. इस दौरान 2007 में भीतराम्दा गांव में ग्रामीणों द्वारा 7 नक्सलियों को मौत के घाट उतार दिया गया था.
इस सिलसिले में पीयूसीएल, मानवाधिकार से जुड़े तमाम लोग जांच के लिए गांव आए थे. पीयूसीएल के अधिकारियों को गांव में विरोध का सामना करना पड़ा था ताकि वे लोग भीतराम्दा गांव तक नहीं पहुंच सकें. यहां तक कि उन के वाहन की हवा तक निकाल दी गई थी.