Manohar Kahaniya: सेक्स चेंज की जिद में परिवार हुआ स्वाहा- भाग 4

सौजन्य- मनोहर कहानियां

लेखक- शाहनवाज

उसे लगता था जैसे वह किसी जेल में फंसा है. वह जानता था कि लोग लड़के से लड़के का प्यार करना बरदाश्त नहीं करते, इसलिए उस ने यह सोच रखा था कि वह सैक्स चेंज करवाने के बाद कार्तिक के साथ भारत में नहीं तो किसी दूसरे देश में रह लेगा. क्योंकि भारतीय समाज में समलैंगिकों को अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता.

7 अगस्त के दिन अभिषेक ने यह तय कर लिया था कि अगर उस के घर वाले उसे पैसे नहीं देंगे तो वह उन्हें जान से मार देगा. उस ने इस के लिए प्लानिंग कर ली थी. जब उसे उस का फोन दोबारा से दिया गया तो वह अपने घर वालों को जान से मारने के लिए तरह तरह के तरीके इंटरनेट पर सर्च करने लगा.

उस ने देखा कि ऐसी चीजें इंटरनेट पर नहीं मिलतीं तो उस ने टीवी पर आने वाले क्राइम शो के एपिसोड गौर से देखने शुरू किए. उस ने कुछ दिनों तक उन शोज को देखा और अंत में उसे आइडिया मिल ही गया कि इस काम को कैसे अंजाम देना है.

पिता की पिस्तौल ही बनी कालदूत

चूंकि प्रदीप मलिक प्रौपर्टी डीलर थे तो इस धंधे में दुश्मनी होना आम बात थी. उन्होंने अपने पास बिना लाइसैंस वाली पिस्तौल रखी थी. 15-16 साल की उम्र में उन्होंने अपने दोनों बच्चों को पिस्तौल चलाने की ट्रेनिंग भी दे दी थी. अभिषेक किसी तरह उस पिस्तौल को ढूंढना चाहता था.

ऐसे ही एक दिन जब प्रदीप मलिक घर पर नहीं थे, मम्मी अपने काम में बिजी थीं और नेहा सो रही थी तब अभिषेक ने स्टोर रूम में उस पिस्तौल को ढूंढ निकाला. उसे उस की गोलियां भी उसी डब्बे में रखी मिल गई जिस में वह पिस्तौल छिपाई गई थी.

इस के बाद अभिषेक ने वह पिस्तौल अपने पास रख ली और सही मौके का इंतजार करने लगा. 25 अगस्त, 2021 को उस ने कार्तिक को मिलने के लिए रोहतक बुला लिया और अपने घर वालों से काम का बहाना कर उस से मिलने चला गया.

ये भी पढ़ें- Manohar Kahaniya: बच्चा चोर गैंग

उस दिन कार्तिक से मिल कर अभिषेक ने अपने दिल के सारे अरमान पूरे कर लिए. उस ने उसे बीते कुछ दिनों में उस के साथ क्याक्या हुआ, उस की भनक तक नहीं लगने दी. कार्तिक को तो अंदाजा भी नहीं था कि वह उस के साथ इस रिश्ते में बंधने के लिए कितना बड़ा कदम उठाने जा रहा है.

26 अगस्त, 2021 को जब वह उस से मिल कर अपने घर वापस आया तो रात को उस ने अंतिम फैसला ले लिया कि उसे क्या करना है. वह अगले दिन का इंतजार करने लगा. 27 अगस्त की सुबह करीब साढ़े 11 बजे उस ने सब से पहले अपने कमरे में म्यूजिक सिस्टम को फुल वौल्यूम में किया.

उस के बाद निर्दयी बन चुका अभिषेक सब से पहले नेहा के कमरे में गया. वह गहरी नींद सोई हुई थी. उस ने पिस्तौल अपनी कमर में खोंस रखी थी. उस ने अंदर से नेहा के कमरे का गेट बंद किया, मोटा तकिया लिया और पिस्तौल को पूरी तरह से ढंक लिया ताकि आवाज बाहर न निकल सके. उस के सर के सामने जा कर उस ने उस के भेजे में एक गोली दाग दी.

अभिषेक को लगा था कि शायद गोली चलने की आवाज घर में गूंज गई होगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उस के बाद वह नानी के पास गया और उन्हें बोला कि नेहा उन्हें बुला रही है. नानी थोड़ी देर रुकीं और उस के कमरे की ओर चल पड़ीं.

पीछेपीछे वह भी उन के साथ गया. पहली मंजिल पर कमरे में घुसते के साथ ही उस ने नानी को धक्का दे दिया और दोबारा से तकिया ले कर उन के सर पर उसी तरह से गोली चला दी जैसे नेहा पर चलाई थी.

गोली मारने के बाद उसे लगा कि मम्मी उस का नाम ले कर उसे आवाज लगा रही हैं. वह नीचे गया तो मम्मी ने उस से पूछा कि नानी कहां हैं तो अभिषेक ने ऊपर नेहा के कमरे का इशारा कर दिया.

उस की मम्मी भी बिना देरी के नेहा के कमरे की ओर चल पड़ीं. मम्मी को भी उस ने नानी की तरह पीछे से धक्का दिया और तकिए का इस्तेमाल कर उन के सर में एक गोली दाग दी.

उस के बाद सिर्फ पापा ही बचे थे. पापा ग्राउंड फ्लोर पर अपने कमरे में दरवाजा लगा कर अपने फोन में यूट्यूब देख रहे थे. वह उन के कमरे में दाखिल हुआ. उन्होंने उसे अंदर आते हुए देखा लेकिन कुछ नहीं कहा. वह चुपचाप उन के पीछे गया.

टीवी का रिमोट लेने के बहाने उन के पीछे से सर पर 2 गोलियां दाग दीं. उस ने देखा कि 2 गोलियां लगने के बाद भी पापा का शरीर हरकत कर रहा है तो उस ने एक और गोली उन के सर पर दाग दी.

अभिषेक ने क्राइम शो में देखा था कि हत्या करने वाला अकसर घटनास्थल को बिगाड़ देता है ताकि मामला लूट का लगे. उस ने भी वही किया. उस ने पापा के कमरे में सारे सामान को इधरउधर बिखेर दिया.

उस के बाद वह ऊपर गया और नेहा के कमरे में भी ऐसा ही किया. उसी बीच उस ने मां के कानों और गले में पहनी हुई सोने की ज्वैलरी निकाल ली.

फिर दरवाजा बंद किया. वह दरवाजा दोनों तरफ से बंद हो जाता था. इस के बाद जिस होटल में कार्तिक रुका हुआ था वहां चला गया. कमरे में कार्तिक के साथ वह हमबिस्तर हुआ और उस के बाद उस ने खाना मंगवाया. लेकिन अभिषेक को भूख नहीं थी, इसलिए उस ने कुछ भी नहीं खाया.

दोपहर को करीब दोढाई बजे के आसपास वह घर गया. और दरवाजा न खुलने का नाटक कर के उस ने सोनीपत में रहने वाले मामा प्रवीण को फोन मिलाया. उस ने उन्हें बताया कि घर पर कोई भी फोन नहीं उठा रहा और दरवाजा भी बंद है. बाद में दरवाजा तोड़ा गया तो घटना सामने आई.

ये भी पढ़ें- Crime Story: प्यार बना जहर

कुछ ही देर में पुलिस आई और जब पुलिस ने अभिषेक से पूछताछ की तो विरोधाभासी बयानों से उस की पोल खुल गई. तब अभिषेक ने अपना गुनाह पुलिस के सामने कुबूल कर लिया.

पुलिस की टीम ने आरोपी अभिषेक मलिक से विस्तार से पूछताछ कर अस्पताल में उस की जांच कराई तो मनोचिकित्सक ने अपनी प्राथमिक जांच में पाया कि अभिषेक उर्फ मोनू ने अपने पिता प्रदीप मलिक उर्फ बबलू पहलवान, मां बबली, बहन तमन्ना और नानी रोशनी देवी की हत्या पूरे होशोहवास में रहते हुए की थी.

इस के बाद पुलिस ने हत्यारोपी अभिषेक को कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Satyakatha: स्पा सेंटर की ‘एक्स्ट्रा सर्विस’- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

दिल्ली के उत्तम नगर का रहने वाला 25 वर्षीय राजेश गुड़गांव में एक मल्टीनैशनल कंपनी में जौब करता था. उस की अभी शादी नहीं हुई थी. गुड़गांव में जिस जगह वह काम करता था वहां उसे काम करते हुए करीब 3 साल हो गए थे.

मल्टीनैशनल कंपनी में इतने समय से काम करने के दौरान उस के कई दोस्त बने. कुछ खानेपीने वाले दोस्त बने तो कुछ बचाने वाले. कमाल की बात यह थी कि राजेश इन दोनों में किसी भी कैटेगरी में नहीं आता था.

उसे जितनी तनख्वाह मिलती, उस का कुछ हिस्सा वह बचा लिया करता था और बाकी अपने औफिस के दोस्तों और अपने बचपन के दोस्तों के साथ मौजमस्ती करने के लिए खर्च कर दिया करता. 25 साल की अपनी इस उम्र तक आतेआते उस ने अपने जीवन में कई चीजों का अनुभव हासिल कर लिया था. लेकिन अभी भी कई चीजें ऐसी थीं, जिन का अनुभव उसे नहीं था.

एक दिन ऐसे ही औफिस में कंप्यूटर स्क्रीन के आगे बैठ कर काम करतेकरते राजेश के टेबल पर पड़ा पेन लुढ़क कर नीचे फर्श पर गिर गया. वह अपने काम में इतना मशगूल था कि उसे अपना पेन उठाना याद ही नहीं रहा.

देखते ही देखते लंच टाइम हो गया और राजेश का अपने कंप्यूटर स्क्रीन से ध्यान टूटा. उस ने अपनी कुरसी पर बैठेबैठे ही अंगड़ाई ली और उस की नजर नीचे गिरे अपने पेन पर गई.

वह पहले तो अपनी कुरसी छोड़ सीधा खड़ा हो गया, उस के बाद एक झटके से अपने शरीर को आधा झुका कर वह नीचे गिरे पेन को उठाने लगा.

ये भी पढ़ें- पंजाबन: गोरी चमड़ी के धंधे की बड़ी खिलाड़ी

अचानक से झटके के साथ अपना पेन उठाने की वजह से राजेश ने अपनी कमर की मांसपेशियों में हल्का खिंचाव महसूस किया.

उसे एक पल के लिए भरोसा ही नहीं हुआ कि उस के जवान शरीर में खिंचाव कैसे आ सकता है भला. उस के बाद उस ने अपने बैग से लंच के लिए खाने का डब्बा निकाला और अपने दोस्तों के साथ औफिस की कैंटीन में खाना खाने के लिए निकल गया.

खाना खाते हुए उस ने अपने दोस्तों को दोपहर को हुई अपनी उस घटना के बारे में बताया तो हर कोई उसे अपने शरीर में खिंचाव ठीक करने के तरहतरह की तरकीबें बताने लगा.

कोई उसे डाक्टर के पास जाने के लिए कहता तो कोई उसे योगा करने की हिदायत देता. यह देख का औफिस के मैनेजर विनय, जोकि राजेश का ही दोस्त था, ने राजेश को अपने शरीर पर मसाज करवाने की सलाह दी.

विनय ने राजेश से कहा, ‘‘मेरी मान तो तुझे अपने शरीर पर मसाज करवा लेनी चाहिए. हमारा शरीर समय समय पर अपने पुर्जों के रखरखाव के लिए इन चीजों की मांग करता है.’’

राजेश ने विनय की बात को गौर से सुनते हुए सवाल किया, ‘‘यार मसाज से कहां कुछ ठीक होता है?’’

विनय ने राजेश के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘‘मसाज करवाने के कोई साइड इफेक्ट्स भी तो नहीं हैं. अगर तू इस के लिए डाक्टर के पास जाता है तो वो तुझे दवाइयां देंगे, दवाइयों से साइड इफेक्ट्स के खतरे भी तो होंगे. इस से बेहतर है कि तू प्राकृतिक तरीके से अपने शरीर की मालिश करवा ले. इस में कोई नुकसान भी नहीं है.’’

राजेश को विनय की बातों में कुछ तो दम दिखा और उस ने तय कर लिया कि वह जल्द से जल्द अपने शरीर की मालिश करवाएगा ताकि ये समस्या और न बढ़ सके.

उस ने विनय से अगले दिन की छुट्टी मांगी और उस से किसी मसाज सेंटर के बारे में पूछा. अगले दिन वह सुबह 10 बजे के आसपास अपने घर से मसाज करवाने के लिए निकला.

उसे अपने इलाके में तो कहीं भी कोई स्पा सेंटर नहीं दिखाई दिया तो उस ने अपने फोन में इंटरनेट की मदद से दिल्ली में स्पा सेंटर तलाशना शुरू किया. इंटरनेट पर उसे दिल्ली के अच्छे स्पा सेंटर की एक लंबीचौड़ी लिस्ट दिखाई दी.

उस ने उत्तम नगर से नजदीक द्वारका में एक स्पा सेंटर में जाने का तय कर लिया. रास्ते से उस ने आटो लिया और द्वारका की ओर निकल पड़ा.

करीब 20 मिनट बाद वह द्वारका में उस मसाज व स्पा सेंटर पर पहुंच गया, जो उस ने गूगल से खोजा था. स्पा सेंटर के बाहर एक बड़ा सा बोर्ड लगा था, जिस पर गुलाब के फूल, तेल, चंदन और कई तरह की चीजों के फोटो छपे थे.

काले रंग के शीशों के दरवाजे को राजेश ने खोल कर सेंटर में प्रवेश किया तो देखा कि अंदर रिसैप्शन में बेहद हल्की लाइट जल रही थी.

ये भी पढ़ें- Manohar Kahaniya: किसी को न मिले ऐसी मां

सेंटर के अंदर रौशनी इतनी कम थी कि सिर्फ रिसेप्शन काउंटर पर बैठी महिला का चेहरा और आसपास की एकाध चीज ही नजर आ रही थी. लेकिन सेंटर के अंदर चीजों की सजावट देख कर राजेश काफी प्रभावित हुआ. उसे ये सब देख कर काफी अच्छा सा महसूस हो रहा था.

रिसैप्शन पर बैठी सुंदर सी युवती ने इधरउधर देखते राजेश का ध्यान तोड़ते हुए पूछा, ‘‘जी सर, आप कैसी मसाज करवाना चाहते हैं?’’

राजेश का ध्यान एकाएक रिसैप्शन पर बैठी युवती पर गया और वह हकपकाते हुए बोला, ‘‘मुझे नहीं पता. मैं पहली बार मसाज करवाने आया हूं.’’

दरअसल, राजेश रिसैप्शन पर बैठी युवती की सुंदरता को देख कर और ज्यादा हकपका रहा था.

रिसैप्शन पर बैठी युवती ने राजेश के हकपकाने और घबराने का कारण जान लिया था. वह समझ गई थी कि यह पहली बार मसाज करवाने के लिए आया है और अपने सामने सुंदर सी महिला को देख कर घबरा रहा है.

महिला ने राजेश की घबराहट को कम करने के लिए उस से दोस्ताना व्यवहार करते हुए सब से पहले अपना नाम बताया. फिर बोली, ‘‘सर, घबराने की जरूरत नहीं है. मेरा नाम पूनम है और मैं ये स्पा सेंटर संभालती हूं. सर, आप यह बताइए कि कैसी मसाज करवाना पसंद करेंगे? क्योंकि हमारे पास कई वैरायटी के मसाज आप्शन हैं.’’

पूनम की बात सुन कर राजेश की घबराहट थोड़ी कम हुई और वह बोला, ‘‘पूनमजी, दरअसल मुझे पता ही नहीं है कि मुझे कौन सी मसाज करवानी है. कल औफिस में काम करते समय मेरा पेन नीचे गिर गया था. जब मैं उसे उठाने लगा तो मुझे कमर में खिंचाव महसूस हुआ. मेरे मैनेजर ने मुझे सलाह दी कि मुझे मसाज करवाना चाहिए, इसीलिए मैं यहां आप के पास आया हूं.’’

‘‘आप बिलकुल सही जगह पर आए हैं सर. आप को चिंता करने की जरूरत नहीं है. इस समस्या के लिए हम अपने ग्राहकों को स्पैशल मसाज की सलाह देते हैं सर. इस में हर तरह के मसाज का आनंद लिया जा सकता है.’’ पूनम ने राजेश को अपने स्पा सेंटर का मेनू कार्ड थमाते हुए कहा.

मेनू कार्ड अपने हाथ में लेते हुए राजेश ने स्पैशल मसाज पर नजर घुमाई और उस ने देखा कि उस की कीमत 2,500 रुपए थी. राजेश ने पूनम को उन के स्पैशल मसाज पर मंजूरी देते हुए कहा, ‘‘ठीक है मैडम. आप स्पैशल मसाज ही करा दीजिए.’’

राजेश के यह कहते ही दुकान की धीमी रौशनी को चीरते हुए हलके गुलाबी रंग की ड्रेस में कुछ युवतियां, जिन की उम्र करीब 24 से 30 साल की होगी, राजेश के सामने आ कर खड़ी हो गईं.

सब ने एकएक कर के राजेश से हाथ मिलाते हुए अपना नाम बताया. उस समय वहां एकलौता राजेश ही पुरुष था और बाकी सब युवतियां थीं.

इस से पहले कि राजेश उन सभी के उस से हाथ मिलाने की वजह जान पाता, इतनी देर में रिसैप्शन में बैठी पूनम बोल पड़ी, ‘‘सर, ये सभी हमारे स्पा सेंटर में मसाज करती हैं. आप इन में से किसी की भी सेवा ले सकते हैं.’’

अगले भाग में पढ़ें- रीटा ने राजेश के सवाल का क्या जवाब दिया

Satyakatha- सोनू पंजाबन: गोरी चमड़ी के धंधे की बड़ी खिलाड़ी- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

लेखक- सुनील वर्मा  सोनू

दिल्ली की तिहाड़ जेल के महिला वार्ड के विशेष सेल में बंद गीता अरोड़ा उर्फ सोनू पंजाबन (41) जमीन पर लगे बिस्तर पर लेटी छत की तरफ देखते हुए शून्य में निहार रही थी. रहरह कर अतीत का एकएक घटनाक्रम उस की आंखों के आगे चलचित्र की तरह तैर रहा था.

दिल्ली ही नहीं, देश भर के अय्याश लोगों के दिलों में सोनू पंजाबन रानी की तरह राज करती थी. चाहे किसी पांच सितारा होटल में रात की रंगीनियां बिखेरनी हों या किसी फार्महाउस में प्राइवेट पार्टी करनी हो. अमीरजादों को दिल बहलाने वाली खूबसूरत हसीनाओं की जरूरत होती तो उन्हें एक ही नाम याद आता था सोनू पंजाबन का.

यूं कहे तो गलत न होगा कि सोनू पंजाबन दिल्ली से ले कर मुंबई तक में एक ऐसा नाम रहा है, जिसे जिस्मफरोशी की दुनिया की क्वीन यानी रानी कहा जाता था.

लेकिन प्रीति के साथ उस ने जो भी किया था, उस ने एक झटके में उस की जिंदगी बदल दी. बड़ीबड़ी गाडि़यों में घूमने वाली और नोटों की गड्डियों का बिस्तर बिछा कर सोने वाली सोनू पंजाबन इन दिनों जेल की सलाखों के पीछे पथरीली जमीन पर कंबलों का बिस्तर बिछा कर सोने के लिए मजबूर थी.

22 जुलाई, 2020 को द्वारका कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रीतम सिंह ने सोनू पंजाबन को आईपीसी की धारा 328, 342, 366ए, 372, 373 और 120बी के तहत कुल 24 सालों के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी.

इसी मामले में सोनू के साथ संदीप बेदवाल को भी कोर्ट ने 20 सालों तक जेल में रहने की सजा सुनाई थी.

हालांकि गीता अरोड़ा उर्फ सोनू पंजाबन ने अपनी सजा को एक महीने बाद ही दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दे दी थी. जिस पर जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की एकल पीठ ने सोनू पंजाबन की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा.

सोनू पंजाबन के वकील आर.एम. तुफैल और आस्था की सोनू के खिलाफ दिए गए ट्रायल कोर्ट का फैसले को टालने व उसे जमानत दिए जाने की याचिका पर सुनवाई टलती रही.

सोनू पंजाबन कभी दिल्ली शहर की सब से नामचीन कालगर्ल हुआ करती थी, लेकिन जल्द ही उस ने गोरी चमड़ी बेच कर पैसा कमाने की कला के सारे गुर सीख लिए तो वह बाद में खुद धंधा छोड़ कर दूसरी लड़कियों से धंधा कराने लगी और खुद बन गई कालगर्ल सरगना.

लेकिन सोनू ने आखिर ऐसा कौन सा गुनाह किया था कि जिस्मफरोशी का धंधा करने के गुनाह में अदालत को उस के खिलाफ इतनी बड़ी सजा का ऐलान करना पड़ा, जितनी सजा आज तक इस धंधे के किसी गुनाहगार को नहीं दी थी. इस के लिए सोनू पंजाबन के काले अतीत में झांकना होगा.

हिंदुस्तान के बंटवारे के बाद लाखों रिफ्यूजियों की तरह ही गीता अरोड़ा उर्फ सोनू पंजाबन के दादा अपने परिवार को ले कर पाकिस्तान से भारत चले आए थे. दादा के साथ परिवार के दूसरे लोग तो रोहतक में ही बस गए.

ये भी पढ़ें- Manohar Kahaniya: नशा मुक्ति केंद्र में चढ़ा सेक्स का नशा

बाद में ओमप्रकाश अरोड़ा काम की तलाश में अपने परिवार को ले कर दिल्ली आए और यहां गीता कालोनी में किराए के मकान में रहने लगे.

वह आटोरिक्शा चलाने लगे. ओमप्रकाश के परिवार में पत्नी बीना अरोड़ा, 2 बेटे व 2 बेटियां थीं. बड़ी बेटी की शादी उन्होंने दिल्ली के ही रहने वाले सतीश से कर दी.

1981 में जन्म लेने वाली गीता से छोटे उस के 2 भाई थे. गीता परिवार की आर्थिक तंगी के कारण 10वीं कक्षा से ज्यादा नहीं पढ़ सकी.

गीता महत्त्वाकांक्षी और विद्रोही स्वभाव की थी. उस के नाकनक्श अपनी उम्र की दूसरी लड़कियों से ज्यादा आकर्षक और सुंदर थे.

गीता ब्यूटी पार्लर का कोर्स कर के गीता कालोनी के ही एक बड़े पार्लर में नौकरी करने लगी. उन दिनों दिल्ली में ब्यूटीपार्लर की आड़ में चोरीछिपे जिस्मफरोशी का धंधा जोर पकड़ रहा था. गीता जिस पार्लर मे काम करती थी, वहां भी ये काम होता था.

उन्हीं दिनों गीता की जिंदगी में विजय नाम का शख्स आया, जिस के बाद उस के जीवन ने एक नई करवट ली. विजय सिंह हरियाणा के रोहतक का रहने वाला था और पेशे से अपराधी था.

हरियाणा, दिल्ली और यूपी में लूटमार और हफ्तावसूली उस का पेशा था. विजय सिंह जरायम से जुड़े अपने दोस्तों के पास दिल्ली में पनाह ले कर रहता था. यहीं उस की मुलाकात गीता से हुई.

दोनों में पहले प्रेम हुआ फिर गीता अरोड़ा ने परिवार के विरोध के बावजूद विजय से प्रेम विवाह कर लिया. विजय सिंह की कमाई से गीता परिवार की भी मदद करने लगी. गीता की जिंदगी मजे से गुजर रही थी. गीता ने एक बेटे को जन्म दिया.

गीता की हसंतीखेलती जिंदगी अचानक एक दिन तबाह हो गई. दरअसल, यूपी पुलिस की एसटीएफ ने विजय को उस के एक साथी के साथ गढ़मुक्तेश्वर के पास पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया. ये 1998 की बात है. गीता पर विजय की मौत वज्रपात बन कर गिरी.

विजय की मौत के कुछ दिन बाद ही बीमारी और सदमे के कारण गीता के पिता ओमप्रकाश अरोड़ा की भी मौत हो गई. गीता के दुखों का पहाड़ और भारी हो गया. गीता ने परिवार की गुजरबसर व पेट पालने के लिए ब्यूटीपार्लर की नौकरी कर ली.

ये भी पढ़ें- Crime Story- गुड़िया रेप-मर्डर केस: भाग 1

कुछ समय बाद निक्कू उस की जिंदगी में सहारा बन कर सामने आया जो उस के पहले पति विजय का दोस्त था और वह उस से पहले से परिचित थी.

निक्कू त्यागी भी दबंग और दिलेर होने के साथ अपराध की दुनिया का जानामाना नाम था. गीता बेटे को अपनी मां और भाइयों के पास छोड़ कर गीता कालोनी में ही निक्कू के साथ कमरा ले कर रखैल के रूप में उस के साथ रहने लगी. निक्कू ज्यादातर दिल्ली से बाहर ही रहता था.

इसी दौरान गीता को दिल्ली के बड़े होटलों और डांस बार में जाने की लत लग गई. वह डिस्को और पब में जाने की आदी हो गई थी.

खूबसूरत वह थी ही अकसर वहां रंगीनमिजाज रईसजादों के साथ रातें गुजारने लगी. बाद में धीरेधीरे जिस्म बेच कर पैसे कमाने का उस का ये शौक पेशे में बदल गया.

अगले भाग में पढ़ें- प्रीति और संदीप की दोस्ती कैसे हुई

Manohar Kahaniya: नशा मुक्ति केंद्र में चढ़ा सेक्स का नशा- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

कमरे में बैठी प्रिया फोटो एलबम पलट कर उसे बड़े ध्यान से देख रही थीं. एलबम देखतेदेखते उन की नजर एक फोटो पर ठहर गई. वह फैमिली फोटो था, जिस में वह खुद, उन के पति नवीन और इकलौती बेटी निधि थी. निधि का एक हाथ मां के और दूसरा पिता के गले में था.

वह खुल कर मुसकरा रही थी. उसे देख कर प्रिया यादों में कहीं खो सी गईं. उन्हें एहसास ही नहीं हुआ कि उन के पति कब उन के पास आ कर बैठ गए. उन्होंने प्रिया के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘क्या सोच रही हो?’’

‘‘सोच रही हूं कि समय कितना बदल जाता है. कभी कितनी अच्छी थी हमारी बेटी, हमें कितना प्यार करती थी और अब लगता है, न जाने कितनी दूर हो गई.’’ प्रिया ने आंखों में उमड़ आए अपने आंसुओं को पल्लू से साफ करते हुए अफसोसजनक लहजे में कहा तो पति ने उन्हें समझाया, ‘‘यूं परेशान होने से भी बात नहीं बनेगी, समय के साथ सब ठीक हो जाएगा. मुझे पक्का भरोसा है कि वह ठीक हो कर ही जल्द घर आएगी.’’

‘‘आप नहीं जानते, मुझे बेटी की बहुत फिक्र रहती है. जवान लड़की को हम ने घर से बाहर छोड़ा हुआ है. मजबूरी न होती तो मैं ऐसा कभी नहीं करती. कहीं वहां उस के साथ कुछ गलत न हो. एक बार उस ने मुझ से कहा था…’’ प्रिया बोलते हुए रुक गईं तो नवीन ने पूछा, ‘‘क्या कहा था?’’

‘‘वह बता रही थी कि वहां सब कुछ ठीक नहीं है.’’

‘‘मुझे तो ऐसा नहीं लगता, क्योंकि वहां और भी लड़कियां रहती हैं और फिर वह लोग इतना बड़ा सेंटर बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए ही तो चला रहे हैं. निधि का विश्वास तो मैं कर नहीं सकता, क्योंकि वह नशे के लिए हम से कितना झूठ बोलती रही है, यह तो तुम भी जानती हो.’’ नवीन ने कहा.

‘‘आप की बात भी ठीक है, लेकिन…’’

‘‘लेकिनवेकिन कुछ नहीं, उस की फिक्र करनी बंद करो, क्या पता निधि वहां से छुटकारा पाने के लिए उल्टीसीधी बातें करती हो,’’ नवीन ने पत्नी को समझाया.

‘‘आप भी सही कहते हैं, हमारा विश्वास तो वह खो चुकी है. अगर वह गलत संगत में न पड़ती, तो ऐसी नौबत ही नहीं आती. हम ने कभी उस के लिए किसी चीज की कमी नहीं छोड़ी, फिर भी हमें बुरे दिन देखने पड़े.’’

‘‘एक बात बताऊं प्रिया,’’ नवीन ने कहा.

‘‘क्या?’’

‘‘हमारी दी गई आजादी का भी उस ने गलत फायदा उठाया, हमें भी उस पर शुरू से ही नजर रखनी चाहिए थी.’’

‘‘सही कहा आप ने.’’ प्रिया बोली.

ये भी पढ़ें- Manohar Kahaniya: 10 साल में सुलझी सुहागरात की गुत्थी

किस की हंसतीखेलती जिंदगी में कब क्या हो जाए, इस को कोई नहीं जानता. प्रिया और नवीन के साथ भी ऐसा हुआ था. निधि उन की इकलौती बेटी थी. वह प्राइवेट नौकरी करते थे और जिंदगी में खुशियां थीं.

यह दंपति उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रहता था. हर मातापिता अपने बच्चों के अच्छे भविष्य की कल्पना करते हैं. प्रिया और नवीन के साथ भी ऐसा ही था. निधि राजधानी के ही एक नामी इंस्टीट्यूट से ग्रैजुएशन कर रही थी.

हमारे सभ्य समाज का यह एक कड़वा सच है कि बड़े शहरों में नशे का कारोबार अपनी जड़ें जमा चुका है. युवा बुरी संगत के चलते इस का शिकार हो जाते हैं. शुरू में वे मजे के लिए नशा करते हैं और बाद में इस के आदी हो जाते हैं.

ये भी पढ़ें-  Crime Story: पुलिस वाले की खूनी मोहब्बत

निधि भी ऐसी संगत में पड़ कर नशे की लत का शिकार हो चुकी थी. घर से पौकेटमनी के नाम पर पैसे लेना और नशे में उड़ाना, सहेलियों के साथ घूमनाफिरना, बहाने से उन के घर जाना उस की आदत बन चुकी थी.

मातापिता को पता भी नहीं था कि उन की बेटी किस डगर पर चल रही है. संगत और बुरी आदतों का असर इंसान पर वक्त के साथ दिखने लगता है.

निधि की पैसे की डिमांड बढ़ती गई और वह बारबार तरहतरह के बहानों से घर से ज्यादा बाहर जाने लगी तो मातापिता को शक होने लगा. एक दिन प्रिया ने देर रात निधि को उस के कमरे में ड्रग्स लेते पकड़ा तो उन का शक विश्वास में बदल गया.

अगले भाग में पढ़ें- निधि को लग गई ड्रग की लत

छाया : विनोद पुंडीर

Manohar Kahaniya: 10 साल में सुलझी सुहागरात की गुत्थी- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

अपने बेटे की तसवीर के सामने खड़े जयभगवान की आखें बारबार डबडबा रही थीं. हाथ में पकड़े रूमाल से आंखों में छलक आए आंसुओं की बूंदों को साफ करते हुए वह बारबार एक ही बात बुदबुदा रहे थे, ‘‘बेटा, आज मेरी लड़ाई पूरी हो गई. तेरे एकएक कातिल को मैं ने सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है. तू जहां भी है देखना कि तेरा ये बूढ़ा बाप तेरे कातिलों को उन के किए की सजा दिला कर रहेगा.’’

कहतेकहते जयभगवान अचानक फफकफफक कर रोने लगे. रोतेरोते उन की आंखों के आगे अतीत के वह लम्हे उमड़घुमड़ रहे थे, जिन्होंने उन की हंसतीखेलती जिंदगी को अचानक आंसुओं में बदल दिया था.

बाहरी दिल्ली के समालखा में रहने वाले जयभगवान प्राइवेट नौकरी करते थे. उन के 2 ही बेटे थे. बड़ा बेटा रवि और छोटा डैनी. 10वीं कक्षा तक पढ़े रवि ने 18 साल की उम्र में पिता का सहारा बनने के लिए ग्रामीण सेवा वाले आटो को चलाना शुरू कर दिया था.

3 साल बाद मातापिता को रवि की शादी की चिंता सताने लगी. समालखा की इंद्रा कालोनी में रहने वाला शेर सिंह जयभगवान की ही बिरादरी का था.

शेर सिंह की पत्नी कमलेश राजस्थान के अलवर जिले में टपूकड़ा की रहने वाली थी. उस ने अपनी साली शकुंतला का रिश्ता रवि से करने की सलाह दी थी. जिस के बाद दोनों पक्षों में बातचीत शुरू हुई.

कई दौर की बातचीत के बाद रवि का शेर सिंह की साली  शकुंतला से रिश्ता पक्का हो गया. शकुंतला के पिता पतराम और मां भगवती के 6 बच्चे थे, 3 बेटे और 3 बेटियां. सब से बड़ी बेटी कमलेश की शादी शेरसिंह से हुई थी. शकुंतला 5वें नंबर की थी. उस से छोटा एक और लड़का था, जिस का नाम था राजू.

दोनों परिवारों की पसंद और रजामंदी से 8 फरवरी, 2011 को सामाजिक रीतिरिवाज के साथ रवि और शकुंतला की शादी हो गई. लेकिन शादी की पहली रात को रवि कुछ रस्मों के कारण अपनी दुलहन के साथ सुहागरात नहीं मना सका.

संयोग से अगले दिन कुछ नक्षत्र योग के कारण शकुंतला को पगफेरे की रस्म के लिए अपने मायके जाना पड़ा. नक्षत्रों के फेर के कारण शकुंतला को एक महीने तक मायके में ही रहना पड़ा.

ये भी पढ़ें- Manohar Kahaniya: किसी को न मिले ऐसी मां

किसी तरह एक माह गुजरा और 21 मार्च, 2011 को रवि अपनी पत्नी शकुंतला को अपनी ससुराल अलवर से अपने घर समालखा दिल्ली वापस ले आया.

शकुंतला थकी थी, लिहाजा उस रात भी रवि की पत्नी के साथ सुहागरात की मुराद पूरी नहीं हो सकी. अगली सुबह शकुंतला ने घर में पहली रसोई बना कर पूरे परिवार को खाना खिलाया, जिस के बाद जयभगवान अपनी नौकरी के लिए चले गए.

दोपहर को शकुंतला अपने पति रवि को साथ ले कर इंद्रानगर कालोनी में रहने वाली बड़ी बहन कमलेश से मिलने के लिए उस के घर चली गई. लेकिन शाम के 7 बजे तक जब बेटा और बहू घर नहीं लौटे तो जय भगवान ने बेटे रवि के मोबाइल पर फोन मिलाया. उस का फोन स्विच्ड औफ मिला.

जयभगवान छोटे बेटे को ले कर रवि के साढ़ू शेर सिंह के घर पहुंचे तो शकुंतला ने बताया कि रवि को रास्ते में ग्रामीण सेवा चलाने वाले कुछ दोस्त मिल गए थे. रवि उसे घर के पास छोड़ कर यह कह कर चला गया था कि कुछ ही देर में वापस लौट आएगा. लेकिन उस के बाद से ही वह वापस नहीं लौटा है.

जयभगवान बहू शकुंतला को उस की बहन के घर से अपने साथ घर ले आए. लेकिन पूरी रात बीत जाने पर भी रवि घर नहीं आया.

अगली सुबह 23 मार्च, 2011 को जयभगवान ने कापसहेड़ा थाने में अपने बेटे की गुमशुदगी की सूचना लिखा दी.

रवि के लापता होने की जानकारी मिलने के बाद अगले दिन शकुंतला के घर वाले भी अपने पड़ोसी कमल सिंगला को ले कर हमदर्दी जताने के लिए जयभगवान के घर पहुंचे.

उन सब ने भी जयभगवान के साथ मिल कर रवि की तलाश में इधरउधर भागदौड़ की. कई दिनों तक जब रवि का कोई सुराग नहीं मिला तो 10 दिन बाद मायके वाले शकुंतला को अपने साथ वापस अलवर ले गए.

इसी तरह वक्त तेजी से गुजरने लगा. कापसहेड़ा पुलिस ने लापता लोगों की तलाश के लिए की जाने वाली हर काररवाई की. घर वालों ने जिस पर भी रवि के लापता होने का शक जताया, उन सभी को बुला कर पूछताछ की गई. मगर कोई सुराग नहीं मिला.

ये भी पढ़ें- Crime Story: पुलिस वाले की खूनी मोहब्बत

बेटे का सुराग नहीं मिलता देख जयभगवान ने उच्चाधिकारियों से भी मुलाकात की फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ. लिहाजा उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की. जिस पर दिल्ली पुलिस को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया.

कोर्ट के आदेश पर हुई जांच शुरू

नोटिस जारी होते ही दिल्ली पुलिस के उच्चाधिकारियों के कान खड़े हुए और इसी के आधार पर पीडि़त जयभगवान की शिकायत पर 16 अप्रैल, 2011 को रवि की गुमशुदगी के मामले को कापसहेड़ा पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 365 (अपहरण) की रिपोर्ट दर्ज कर ली.

जयभगवान से पूछा गया तो उन्होंने पुलिस के सामने शंका जाहिर की कि उन्हें शकुंतला के भाई राजू और उन के पड़ोसी कमल सिंगला पर शक है.

वह कोई ठोस कारण तो नहीं बता सके, लेकिन उन्होंने बताया कि शादी होने से पहले कमल ही शंकुतला के घर वालों के साथ हर बार उन के घर आया, जबकि वह उन का रिश्तेदार भी नहीं है.

हालांकि पुलिस के पास कोई पुख्ता आधार नहीं था, लेकिन इस के बावजूद उन दोनों को बुला कर पूछताछ की गई. मगर ऐसी कोई संदिग्ध बात पता नहीं चल सकी, जिस के आधार पर उन से सख्ती की जाती.

पुलिस ने शकुंतला, उस की बहन कमलेश, जीजा शेर सिंह और भाई राजू के साथ कमल सिंगला के अलावा भी अलवर जा कर कुछ और लोगों से पूछताछ की, लेकिन कोई सुराग पुलिस के हाथ नहीं लगा.

पुलिस को आशंका थी कि कहीं रवि की शादी उस के घर वालों ने बिना उस की मरजी के तो नहीं की थी, जिस से वह पत्नी को छोड़ कर खुद कहीं चला गया हो. इस बिंदु पर भी जांचपड़ताल हुई, लेकिन पुलिस को कोई सिरा नहीं मिला.

रवि के पिता ने कमल सिंगला नाम के जिस युवक पर आरोप लगाया था, वह उस समय 19 साल का भी नहीं हुआ था. इसलिए पुलिस उस के साथ सख्ती से पूछताछ भी नहीं कर सकती थी. वैसे भी पुलिस को कमल के खिलाफ ऐसा कोई आधार नहीं मिल रहा था कि वह रवि के अपहरण का आरोपी ठहराया जा सके.

जांच में यह भी पता चला था कि वारदात वाले दिन कमल अलवर में ही था. रही बात राजू के इस वारदात में शामिल होने की तो वह भला अपनी ही बहन के पति का अपहरण क्यों करेगा, जिस की शादी एक महीना पहले ही हुई है.

दोनों के खिलाफ न तो कोई सबूत मिल रहा था और न ही रवि के अपहरण या हत्या के पीछे पुलिस को कोई आधार दिख रहा था.

पुलिस को साफ लग रहा था कि रवि की लाइफ में ऐसा कुछ जरूर है, जिसे परिवार वाले छिपा रहे हैं और उस के लापता होने का ठीकरा उस की पत्नी व दूसरे लोगों पर फोड़ रहे हैं.

पुलिस को लगा कि या तो शादी से पहले रवि का किसी दूसरी लड़की से संबध था या उस का अपने पेशे से जुड़े ग्रामीण सेवा के किसी ड्राइवर से पुराना विवाद था और शायद इसी वजह से उस की हत्या कर दी गई हो.

कापसहेड़ा पुलिस ने उस इलाके के ग्रामीण सेवा चलाने वाले कई ड्राइवरों और रवि के टैंपो के मालिक से भी कई बार पूछताछ की. उस के चरित्र और दुश्मनी के बारे में भी जानकारी हासिल की गई, लेकिन कहीं से भी ऐसा कोई सुराग हाथ नहीं लगा कि जांच को आगे बढ़ाने का रास्ता मिलता.

ये भी पढ़ें- Crime Story: मसाज पार्लर की आड़ में देह धंधा

इस दौरान हाईकोर्ट में सिंतबर, 2011 में पुलिस को जांच की स्टेटस रिपोर्ट देनी थी तो उस में कोई प्रगति न पा कर हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को इस मामले की जांच एक सक्षम एजेंसी को सौंपने के लिए कहा.

अदालत का आदेश आने के बाद पुलिस आयुक्त ने अक्तूबर 2011 में रवि के अपहरण की जांच का जिम्मा एंटी किडनैपिंग यूनिट के सुपुर्द कर दिया. उन दिनों एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को एंटी किडनैपिंग यूनिट के नाम से जाना जाता था.

बदलते रहे जांच अधिकारी

इस मामले की जांच का काम सब से पहले इस यूनिट के एसआई हरिवंश को सौंपा गया. फाइल हाथ में लेने के बाद उन्होंने इस का गहन अध्ययन किया और उस के बाद नए सिरे से सभी संदिग्धों को बुला कर उन से पूछताछ का काम शुरू किया.

इस काम में 2 महीने का वक्त गुजर गया. इस से पहले कि वह जांच को आगे बढ़ाते अपराध शाखा से उन का तबादला हो गया.

इस के बाद जांच का काम एसआई रजनीकांत को सौंपा गया. रजनीकांत को लगा कि कमल सिंगला जैसे एक अमीर इंसान की एक निम्नमध्यमवर्गीय परिवार से ऐसी घनिष्ठता के पीछे कोई वजह तो जरूर होगी. उन्हें रवि के पिता जयभगवान के आरोपों में कुछ सच्चाई दिखी.

अगले भाग में पढ़ें- टीम ने अलवर में डाला डेरा

Manohar Kahaniya: किसी को न मिले ऐसी मां- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

पंजाब के पटियाला जिले की घनौर तहसील के राजपुरा रोड पर बसे गांव खेड़ी गंडियां में रहने वाले दीदार सिंह के लिए शाम जीवन में अंधकार बन कर आई थी. उन के दोनों बेटे 10 साल का जश्नदीप सिंह और 6 साल का हरनदीप सिंह शाम करीब साढे़ 8 बजे घर के पास ही कोल्डड्रिंक लेने के लिए गए थे.

लेकिन जब वे आधे घंटे तक लौट कर घर नहीं आए तो उन की मां मंजीत कौर को चिंता होने लगी. थोड़ी देर बाद करीब 9 बजे मंजीत कौर के पति दीदार सिंह भी अपनी भांजी को गांव के बाहर बसअड्डे छोड़ कर घर लौटे तो उन्हें दोनों बच्चे घर में दिखाई नहीं दिए.

‘‘मंजीते… ओ मंजीते, जश्न… त हरन किधर हैं? भई दिखाई नहीं दे रहे.’’ दीदार सिंह ने बीवी मंजीत कौर से बच्चों के बारे में पूछा.

‘‘बच्चे तो एक घंटा पहले पास की दुकान से कोल्डड्रिंक खरीदने गए थे. बहुत देर से कोल्डड्रिंक पीने की जिद कर रहे थे, इसलिए मैं ने पैसे दे कर लाने के लिए भेज दिया था.’’ मंजीत कौर ने बताया.

मंजीत कौर को भी चिंता हुई. क्योंकि बच्चों को गए तो बहुत देर हो गई थी अब तक तो उन्हें आ जाना चाहिए था.

वह पति से बोली, ‘‘सुनो जी, मुझे भी अब चिंता हो रही है. पता नहीं बच्चे कहीं खेलने के लिए इधरउधर न निकल जाएं, इसलिए आप बाहर जा कर देख आओ. तब तक मैं किचन का काम निबटा लेती हूं. बच्चे आते ही खाना मांगेंगे.’’

दीदार सिंह को बच्चों के प्रति बीवी की लापरवाही पर गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन मन मसोस कर बड़बड़़ाता हुआ घर के बाहर निकल गया.

दीदार सिंह ने आसपास के सभी लोगों से पूछा, लेकिन कोई भी हरन व जश्न के बारे में ऐसी जानकारी नहीं दे सका, जिस से उन का कुछ पता चलता.

ये भी पढ़ें- Crime Story- गुड़िया रेप-मर्डर केस: आईजी और एसपी भी हुए गिरफ्तार

जब घर आ कर दीदार सिंह ने बताया कि हरन व जश्न गांव में कहीं नहीं मिले तो मंजीत कौर के पांव तले की जमीन खिसक गई. आखिर एक मां के एक नहीं 2-2 बेटे एक साथ रात के ऐसे वक्त लापता हो जाएं तो उस का कलेजा तो फटना ही था.

घर में रोनापीटना शुरू हो गया. रोनापीटना शुरू हुआ तो आसपड़ोस के लोग जमा हो गए. गांवदेहात में अगर किसी के घर परेशानी हो तो पूरा गांव उस परेशानी को दूर करने में जुट जाता है. लिहाजा आधी रात होतेहोते पूरे गांव में हरन व जश्न के लापता होने की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई. यह बात 22 जुलाई, 2019 की थी.

गांव के नौजवान और दीदार सिंह के परिवार के लोग टौर्च और मोबाइल की फ्लैश लाइट जला कर गांव के ऐसे हिस्सों में टोली बना कर ढूंढने के लिए निकल पडे़. कुछ लोग करीब 2 किलोमीटर दूर भाखड़ा नहर की तरफ भी बच्चों की तलाश करने चले गए, जहां  आमतौर पर गांव के बच्चे शाम को घूमने टहलने चले जाया करते थे.

ये भी पढ़ें- Crime Story: पुलिस वाले की खूनी मोहब्बत

सुबह होते ही परिवार के लोग और गांव वाले खेड़ी गंडियां थाने पहुंच गए. उन्होंने थाने में दोनों बच्चों के लापता होने की सूचना दे कर पुलिस से बच्चों की तलाश करने का अनुरोध किया. पुलिस ने उसी दिन गुमशुदगी दर्ज कर ली.

पुलिस ने बच्चों के फोटो ले कर आसपास के इलाकों में उन के पोस्टर चिपकवा दिए. गुमशुदगी के मामलों में पुलिस आमतौर पर इस से ज्यादा कोई काररवाई करती भी नहीं है. इसी तरह 3 दिन बीत गए, लेकिन बच्चों का कहीं पता नहीं चला. अब दीदार सिंह व गांव वालों का धीरज जवाब देने लगा था.

लिहाजा पहले तो पीडि़त परिवार और सभी गांव वालों ने मिल कर खेड़ी गंडियां के बाहर राजपुरा रोड पर प्रदर्शन कर जाम कर दिया. धरनाप्रदर्शन शुरू होते ही जिले के आला अधिकारियों के कान खड़े हो गए. इलाके की सांसद परनीत कौर व कांग्रेस के विधायकों ने एसएसपी के ऊपर इस मामले का जल्द  खुलासा करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया था.

अगले भाग में पढ़ें-  एक बच्चे की मिली लाश

Crime Story- गुड़िया रेप-मर्डर केस: भाग 1

हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के कोटखाई इलाके की बहुचर्चित गुडि़या रेप-हत्याकांड की जांच पूरी हो चुकी थी. 21 अप्रैल, 2021 को जिला सत्र न्यायालय राजीव भारद्वाज की अदालत में सुनवाई हुई.

अदालत में सीबीआई की ओर से सरकारी वकील अमित जिंदल दमदार तरीके से अपनी दलीलें पेश कर रहे थे तो वहीं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता महेंद्र एस. ठाकुर ताल ठोक कर मजबूती से अपने पांव जमाए हुए थे.

आरोपी था अनिल उर्फ नीलू उर्फ चरानी, जो दया का पात्र बना कठघरे में खड़ा था. इस दौरान उस के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था. उस पर नाबालिग गुडि़या के रेप और मर्डर का आरोप लगा था.

उसे घटना के करीब एक साल बाद सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. नीलू के खिलाफ 29 मई, 2018 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया था. उस के खिलाफ चल रहे ट्रायल में कुछ बिंदुओं पर कोर्ट में बहस हुई.

बचाव पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र एस. ठाकुर ने कहा, ‘‘माई लार्ड, मुकदमे की काररवाई शुरू करने की इजाजत चाहता हूं.

‘‘इजाजत है.’’ विद्वान न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने मुकदमा शुरू करने की इजाजत दी.

‘‘मी लार्ड, जैसा कि सभी जानते हैं कि नाबालिग गुडि़या रेप एंड मर्डर केस का अदालत में मुकदमा चल रहा है और यह मुकदमा अंतिम पड़ाव पर है.’’

‘‘हां, है.’’

‘‘तो मेरा मुवक्किल सीबीआई की जांच से संतुष्ट नहीं है. सीबीआई द्वारा नमूने सही नहीं लिए गए. डीएनए, सीमन (वीर्य) से ले कर अन्य जो नमूने लिए गए, वो सीबीआई ने खुद सील किए, इन सैंपल्स को डाक्टरों को सील करना चाहिए था.

ये भी पढ़ें- Crime Story: मसाज पार्लर की आड़ में देह धंधा

‘‘यही नहीं, सीबीआई ने जांच के दौरान 100 से ज्यादा लोगों के ब्लड सैंपल लिए लेकिन किसी को गिरफ्तार नहीं किया, जबकि मेरे मुवक्किल नीलू को गिरफ्तार करने के बाद ब्लड सैंपल लिए. दलील ये दी गई कि सीबीआई ने ठोस सबूत की बिना पर ही अनिल उर्फ नीलू को गिरफ्तार किया. उस के बाद पूरे साक्ष्य इकट्ठे किए गए.

‘‘मी लार्ड, मेरे मुवक्किल नीलू को फंसाने और अन्य किसी अपराधी को बचाने लिए सीबीआई ने सारे सबूतों का जखीरा खुद ही तैयार किया. दैट्स आल मी लार्ड.’’

‘‘अभीअभी मेरे काबिल दोस्त ने किसी फिल्म का मजेदार डायलौग बड़े ही मसालेदार ढंग से पेश किया, जो काबिलेतारीफ है.’’ सीबीआई की ओर से सरकारी अधिवक्ता अमित जिंदल ने खड़े होते हुए कहा, ‘‘मनगढ़ंत और मसालेदार कहानियां पेश करने में मेरे दोस्त का जवाब नहीं है. मी लार्ड, सच ये नहीं है बल्कि सच ये है कि सरकारी जांच एजेंसी सीबीआई की जांच पूरी तरह सही है और सीबीआई ने हर पहलू को ध्यान में रख कर सैंपल लिए गए हैं.’’

‘‘सच ये नहीं है.’’ बचाव पक्ष के वकील ने जोरदार तरीके से प्रतिरोध किया.

तभी सरकारी वकील ने जवाब दिया, ‘‘यही सच है. केस के मद्देनजर एकएक बिंदु पर पैनी नजर रखते हुए रिपोर्ट तैयारी की गई है तो लापरवाही का सवाल ही नहीं पैदा होता. मैं अदालत से दरख्वास्त करूंगा कि सबूतों और गवाहों के मद्देनजर आरोपी नीलू

उर्फ अनिल उर्फ चरानी को फांसी की सजा सुनाई जाए.’’

बचाव पक्ष के वकील ने अपने मुवक्किल का बचाव करते हुए कहा, ‘‘मेरे मुवक्किल का इस से पहले कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, माई लार्ड. यह उस का पहला अपराध है, इसलिए उस के पिछले जीवन को देखते हुए उसे कम से कम सजा देने की अदालत

से मेरी गुहार है श्रीमान. और मुझे कुछ नहीं कहना है.’’

ये भी पढ़ें- मैं हल्दीराम कंपनी से बोल रहा हूं…. ठगी के रंग हजार

इस के बाद सम्मान के साथ न्यायाधीश के सामने सिर झुकाते हुए एडवोकेट महेंद्र एस. ठाकुर अपनी सीट पर जा कर बैठ गए तो सरकारी अधिवक्ता अमित जिंदल भी अपनी कुरसी पर जा बैठे. कोर्ट की यह सुनवाई 21 अप्रैल को दोपहर पौने 3 बजे से शुरू हो कर 4 बजे तक चली थी.

कोर्टरूम में कुछ पल के लिए ऐसा गहरा सन्नाटा पसरा था कि एक सुई गिरने की आवाज साफ सुनी जा सकती थी. खैर, जज राजीव भारद्वाज ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनी. बहस सुनने के बाद अपने निर्णय को सुरक्षित रखते हुए 28 अप्रैल, 2021 को फैसला सुनाने का ऐलान करते हुए उस दिन की कोर्ट को मुल्तवी किया.

किसी कारणवश तय तिथि 28 अप्रैल को कोर्ट नहीं बैठ सकी, जिस से यह तिथि 11 मई तक बढ़ा दी गई कि मुलजिम की किस्मत का फैसला इस दिन सुनाया जाएगा. लेकिन लौकडाउन की वजह से वह तिथि भी टाल दी गई. फिर 18 जून को फैसला सुनाए जाने की तिथि तय हुई और ऐसा हुआ भी.

अगले भाग में पढ़ें- एसआईटी ने निर्दोषों को बनाया आरोपी

Crime Story: पुलिस वाले की खूनी मोहब्बत- भाग 1

इसी 5 जून की बात है. गुजरात के पुलिस इंसपेक्टर अजय देसाई ने अपने साले जयदीप भाई पटेल को मोबाइल पर फोन कर पूछा, ‘‘भैयाजी, स्वीटी आप के पास आई है क्या?’’

जयदीप ने चौंकते हुए कहा, ‘‘नहीं जीजाजी, स्वीटी तो यहां नहीं आई, लेकिन बात क्या है?’’

‘‘दरअसल, स्वीटी रात एक बजे से आज सुबह साढ़े 8 बजे के बीच घर से कहीं चली गई. वह अपना मोबाइल भी घर पर ही छोड़ गई है.’’ अजय ने जयदीप को बताया.

‘‘जीजाजी, आप ने स्वीटी से कुछ कहा तो नहीं या घर में कोई झगड़ा वगैरह तो नहीं हुआ था?’’ जयदीप ने चिंतित स्वर में अजय से पूछा.

‘‘अरे नहीं यार, न तो घर में कोई झगड़ा हुआ और न ही मैं ने उस से कुछ कहा.’’ अजय ने अपने साले के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘वह बिना किसी को बताए पता नहीं कहां चली गई?’’

‘‘जीजाजी, मेरा भांजा अंश कहां है?’’ जयदीप ने अजय से पूछा. अंश स्वीटी का 2 साल का बेटा था.

‘‘यार, वह उसे भी घर पर ही छोड़ गई है. मुझे चिंता हो रही है कि वह अकेली कहां चली गई.’’ अजय ने कहा, ‘‘अंश अपनी मां के बिना रह भी नहीं रहा. वह लगार रो रहा है.’’

जयदीप कुछ समझ नहीं पाया कि उस की बहन स्वीटी अचानक कैसे अपने घर से बिना किसी को बताए कहीं चली गई. उस ने अजय से कहा, ‘‘जीजाजी, आप तो पुलिस में इंसपेक्टर हैं. स्वीटी का पता लगाइए. मैं भी पता करता हूं.’’

ये भी पढ़ें- Crime Story: नैनीताल की घाटी में रोमांस के बहाने मिली मौत

‘‘ठीक है, कुछ पता चले, तो बताना.’’ अजय ने यह कह कर फोन काट दिया.

बहन स्वीटी के अचानक इस तरह गायब होने की बात सुन कर जयदीप परेशान हो गया. उस ने अपने कुछ रिश्तेदारों को फोन कर स्वीटी के बारे में पूछा, लेकिन उस का कहीं से कुछ पता नहीं चला.

अजय देसाई गुजरात के वडोदरा शहर में करजण इलाके की प्रयोशा सोसायटी में रहता था. वह गुजरात पुलिस में इंसपेक्टर था. अजय ने स्वीटी पटेल से 2016 में लव मैरिज की थी. उन की मुलाकात अहमदाबाद के एक स्कूल में 2015 में हुई थी.

उस स्कूल में तब माइंड पौवर नामक एक कार्यक्रम हुआ था. इसी कार्यक्रम में अजय और स्वीटी की मुलाकात हुई. दोनों एकदूसरे से प्रभावित हुए. स्वीटी अजय की प्रतिभा पर रीझ गई थी और अजय उस की खूबसूरती पर फिदा हो गया था.

दोनों की मुलाकातें बढ़ने लगीं. करीब एक साल तक प्रेम प्रसंग के बाद दोनों ने साथ रहने का फैसला किया और 2016 में एक मंदिर में शादी कर ली.

स्वीटी की इस से पहले एक शादी हो चुकी थी. उस का पहला पति हेतस पांड्या आस्ट्रेलिया में रहता है. बताया जाता है कि हेतस पांड्या भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी हार्दिक पांड्या का रिश्ते का भाई है. हेतस पांड्या से शादी के बाद स्वीटी के एक बेटा रिदम हुआ. अब 17 साल का हो चुका रिदम भी अपने पिता के साथ आस्ट्रेलिया में रहता है.

पुलिस इंसपेक्टर अजय देसाई से दूसरी शादी के बाद स्वीटी के एक बेटा हुआ. उस का नाम अंश रखा गया. जयदीप को यही पता था कि स्वीटी दूसरी शादी के बाद अपने पति अजय और 2 साल के बेटे अंश के साथ खुश है.

भाई पहुंच गया थाने

अब अचानक स्वीटी के गायब होने की सूचना से वह बेचैन हो गया. वह तुरंत तो वडोदरा नहीं पहुंच पा रहा था. इसलिए फोन पर ही अजय से संपर्क में रह कर अपनी बहन के बारे में पूछता रहा, लेकिन हर बार उसे निराशाजनक जवाब मिला.

जयदीप समझ नहीं पा रहा था कि आखिर ऐसी क्या बात हुई, जो उस की बहन अचानक किसी को बताए बिना घर से चली गई?

स्वीटी पढ़ीलिखी 37 साल की मौडर्न महिला थी. जयदीप की नजर में ऐसी कोई भी बात नहीं आई थी कि वह अपने पति पुलिस इंसपेक्टर पति से किसी तरह से परेशान या नाखुश है. वह अपने छोटे से परिवार में खूब मौज में थी.

फिर अचानक 2 साल के बेटे को घर पर अकेला छोड़ कर क्यों और कहां चली गई? अपना मोबाइल भी साथ नहीं ले जाने से उस से संपर्क भी नहीं हो रहा था.

ये भी पढ़ें- Crime Story: मसाज पार्लर की आड़ में देह धंधा

जयदीप स्वीटी के इस तरह गायब होने का रहस्य समझ नहीं पा रहा था. उस ने मोबाइल पर ही अपने रिश्तेदारों और जानकारों से अजय और स्वीटी के रिश्तों के बारे में पूछताछ की, लेकिन ऐसी कोई बात पता नहीं चली,

जिस से स्वीटी के गायब होने का कारण समझ आता.

अजय से जब भी जयदीप ने बात की, तो वह यही कहता रहा कि हम खोजबीन कर रहे हैं, लेकिन अभी स्वीटी का कुछ पता नहीं चला है. जयदीप ने अपने जीजा को पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने की बात कही तो अजय ने परिवार की बदनामी की बात कहते हुए कुछ दिन रुकने को कहा.

5-6 दिन तक स्वीटी का कुछ पता नहीं चलने पर आखिर जयदीप वडोदरा आ कर अपने जीजा अजय देसाई से मिला और स्वीटी के गायब होने के बारे में सारी बातें पूछीं. अजय ने उसे बताया कि 4 जून की रात एक बजे वह स्वीटी के साथ अपने घर में सोया था.

अगले दिन 5 जून को सुबह करीब साढ़े 8 बजे उठा तो स्वीटी नहीं मिली. उस का मोबाइल भी कमरे में ही था और अंश भी बैड पर सो रहा था. पूरे घर में तलाश करने पर भी स्वीटी नहीं मिली तो आसपास उस की तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला.

जयदीप ने अपने जीजा से बातोंबातों में कुरेदकुरेद कर यह पता लगाने की कोशिश की कि उन के बीच कोई झगड़ा तो नहीं हुआ था या कोई और बात नहीं थी, लेकिन ऐसी कोई बात पता नहीं चली. अंश के बारे में अजय ने बताया कि उसे रिश्तेदार के पास भेज दिया है.

आखिर थकहार कर जयदीप ने 11 जून को वडोदरा के करजण पुलिस थाने में स्वीटी के लापता होने की सूचना दर्ज करा दी. अजय पहले करजण पुलिस थाने में ही तैनात था. बाद में उस का ट्रांसफर वडोदरा जिले के स्पेशल औपरेशन ग्रुप (एसओजी) शाखा में हो गया था.

स्वीटी के लापता होने की सूचना दर्ज होने पर पुलिस उस की तलाश में जुट गई. एक पुलिस इंसपेक्टर की पत्नी के गायब होने का मामला होने के कारण पुलिस ने कई दिनों तक आसपास के जंगलों, नदीनालों और झीलों में स्वीटी की तलाश की, लेकिन उस का कोई सुराग नहीं मिला.

ड्रोन से जंगलों में की खोजबीन

पुलिस ने विभिन्न अस्पतालों में जा कर 17 लावारिस लाशों का मुआयना किया. आसपास के पुलिस थानों के अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से भी लावारिस शव मिलने की सूचनाएं जुटाईं, लेकिन कुछ पता नहीं चला.

एकएक दिन गुजरता जा रहा था. पुलिस अजय के बयानों पर भरोसा करते हुए हरसंभव स्थानों पर स्वीटी की तलाश करती रही. डौग स्क्वायड और ड्रोन के जरिए भी आसपास के जंगलों में तलाश की गई. रेलवे लाइनों के नजदीक भी काफी खोजबीन की गई.

कोई सुराग नहीं मिलने पर करीब एक महीने बाद पुलिस ने अखबारों में स्वीटी के लापता होने के इश्तिहार छपवाए, लेकिन इस का भी कोई फायदा नहीं हुआ. पुलिस को कहीं से कोई सूचना नहीं मिली.

स्वीटी को लापता हुए एक महीने से ज्यादा का समय बीत चुका था. एसओजी के पुलिस इंसपेक्टर की गायब पत्नी का पता नहीं लग पाने पर पूरे गुजरात में तरहतरह की चर्चाएं होने लगीं. लोग पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने लगे थे.

पुलिस अधिकारियों के लिए भी स्वीटी के गायब होने का रहस्य लगातार उलझता जा रहा था. अधिकारी रोजाना मीटिंग कर स्वीटी का पता लगाने के लिए अलगअलग एंगल से जांच शुरू करते, लेकिन उस का कोई नतीजा नहीं निकल रहा था.

इस बीच, पुलिस के अधिकारी बीसियों बार इंसपेक्टर अजय देसाई से भी पूछताछ कर चुके थे. उस के फ्लैट पर जा कर भी कई बार जांचपड़ताल की जा चुकी थी. सैकड़ों सीसीटीवी कैमरों की जांच और स्वीटी के मोबाइल से भी पुलिस को कोई सुराग हाथ नहीं लगा था.

आसपास के लोगों से भी कई बार पूछताछ हो चुकी थी. पुलिस के अधिकारी समझ नहीं पा रहे थे कि स्वीटी को आसमान खा गया या जमीन निगल गई, जो उस का कुछ पता नहीं चल पा रहा.

अगले भाग में पढ़ें- लव अफेयर्स एंगल पर भी की जांच

Satyakatha: मियां-बीवी और वो- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

विवाह के बाद मानो देवेंद्र सोनी का असली रूप धीरेधीरे सामने आता चला गया. देवेंद्र चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने की तैयारी कर रहा था, मगर परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पा रहा था. इधर उस की आकांक्षाएं बहुत ऊंची थीं. अपनी ऊंची उड़ान के कारण ऐसीऐसी बातें कहता और नित्य नईनई लड़कियों से दोस्ती की बातें दीप्ति को बताता.

शुरू में तो वह नजरअंदाज करती रही, परंतु पैसों की कमी होने के बावजूद वह हमेशा अच्छेअच्छे कपड़े पहनता और नईनई लड़कियों से संबंध बनाता रहता था.

यह बात जब दीप्ति को पता चलने लगी तो दोनों में अकसर विवाद गहराने लगा. इस बीच दोनों की एक बेटी सोनिया का जन्म हुआ, जो लगभग 7 साल की हो गई थी. और बिलासपुर के एक अच्छे कौन्वेंट स्कूल में पढ़ रही थी.

रात के लगभग साढ़े 11 बज रहे थे. जिला चांपा जांजगीर के पंतोरा थाने के अपने कक्ष में थानाप्रभारी अविनाश कुमार श्रीवास बैठे अपने स्टाफ से कुछ चर्चा कर रहे थे कि उसी समय घबराए हुए 2 लोग भीतर आए.

ये भी पढ़ें- Manohar Kahaniya: पत्नी की मौत की सुपारी

एक के चेहरे पर मानो हवाइयां उड़ रही थीं. उन्हें इस हालत में देख अविनाश कुमार को यह समझते देर नहीं लगी कि कोई बड़ी घटना घटित हो गई है. उन्होंने कहा, ‘‘हांहां बताओ, क्या बात है, क्यों इतना घबराए हुए हो?’’

दोनों व्यक्तियों, जिन की उम्र लगभग 30-35 वर्ष के लपेटे में थी, में से एक ने खड़ेखड़े ही लगभग कांपती हुई आवाज में बोला, ‘‘सर, मैं देवेंद्र सोनी 2-3 जिलों में कई प्रतिष्ठित लोगों के लिए अकाउंटेंट का काम करता हूं. मैं अपनी पत्नी दीप्ति के साथ कोरबा से बिलासपुर जा रहा था कि कुछ लोगों ने हम से लूटपाट की और मेरी पत्नी को…’’ ऐसा कह कर वह इधरउधर देखने लगा.

‘‘क्यों, क्या हो गया आप की पत्नी को… विस्तार से बताओ. आओ, पहले आराम से कुरसी पर बैठ जाओ.’’ अविनाश कुमार श्रीवास ने  उठ कर दोनों को अपने सामने कुरसी पर बैठाया और पानी मंगा कर के पिलाते हुए कहा.

देवेंद्र सोनी की आंखों में आंसू आ गए थे, वह बहुत घबरा रहा था. उस ने पानी पिया और धीरेधीरे बोला, ‘‘सर, मैं अपनी पत्नी दीप्ति सोनी के साथ कोरबा से बिलासपुर अपने घर जा रहा था कि खिसोरा के पास वन बैरियर के निकट जब वह लघुशंका के लिए गाड़ी से नीचे उतरा तो थोड़ी देर बाद 2 लोगों ने मेरी पत्नी और मुझे घेर लिया.

‘‘वे लोग पिस्टल लिए हुए थे. पत्नी दीप्ति के गले में रस्सी डाल कर के उसे मार कर  रुपए और लैपटौप, मोबाइल छीन कर भाग गए हैं. घटना के बाद मैं ने अपने दोस्त सौरभ गोयल, जोकि पास ही बलौदा नगर में रहता है, को फोन कर के बुला लिया. फिर दोस्त के साथ मैं थाने आया हूं.’’

अविनाश कुमार श्रीवास ने लूट और हत्या की इस घटना को सुन कर थानाप्रभारी ने तुरंत हैडकांस्टेबल नरेंद्र रात्रे व एक अन्य सिपाही को घटनास्थल पर रवाना किया और एसपी पारुल माथुर को सारी घटना की जानकारी देने के बाद वह खुद देवेंद्र सोनी और सौरभ को ले कर घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

थाना पंतोरा से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर वन विभाग का एक बैरियर है. यहां से एक रास्ता सीधा बलौदा होते हुए बिलासपुर की ओर जाता है. एक रास्ता एक दूसरे गांव की ओर. यहीं चौराहे पर देवेंद्र सोनी की काली  मारुति ब्रेजा कार पुलिस को खड़ी मिली, जिस की पिछली सीट पर दीप्ति का मृत शरीर पड़ा हुआ था.

इसी समय थानाप्रभारी अविनाश कुमार श्रीवास भी घटनास्थल पर

पहुंच गए थे. हैडकांस्टेबल नरेंद्र

रात्रे ने उन्हें बताया, ‘‘सर, जब हम यहां पहुंचे तो मृतक महिला का शरीर गर्म था, यहां पास में एक सिम मिला है.’’

अविनाश कुमार श्रीवास ने सिम अपने पास सुरक्षित रख लिया. पुलिस को एक अहम सुराग मिल चुका था.

पुलिस दल ने प्राथमिक जांच करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए बलोदा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भिजवा दिया. इस समय तक देवेंद्र की हालत बहुत खराब हो चली थी, वह मानो टूट सा गया था.

ये भी पढ़ें- Manohar Kahaniya: खोखले निकले मोहब्बत के वादे- भाग 1

दीप्ति सोनी हत्याकांड की खबर जब दूसरे दिन 15 जून, 2021 को क्षेत्र में फैली तो चांपा जांजगीर की एसपी पारुल माथुर ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इस केस की जांच के लिए एक पुलिस टीम का गठन कर दिया.

टीम में पंतोरा थाने के प्रभारी अविनाश कुमार श्रीवास, बलौदा थाने के नगर निरीक्षक व्यास नारायण भारद्वाज के अलावा आसपास के अन्य थानों के प्रभारी भी सहयोग के लिए जांच दल में शामिल कर लिए गए थे.

सभी पहलुओं पर जांच करने के बाद कई  पेचीदा तथ्य सामने आते चले गए. सब से महत्त्वपूर्ण था दीप्ति सोनी के पिता कृष्ण कुमार सोनी का बयान. उन्होंने पुलिस को बताया कि वह वर्तमान में बिलासपुर के निवासी हैं और कोरबा जिले के भारत अल्युमिनियम कंपनी में कार्यरत थे. दीप्ति उन की दूसरे नंबर की बेटी थी, जिस का प्रेम विवाह देवेंद्र सोनी से हुआ था.

उन्होंने कहा कि विवाह के बाद देवेंद्र दीप्ति को अकसर प्रताडि़त किया करता था और मायके के लोगों से भी मिलने नहीं देता था. उस ने साफसाफ यह लकीर खींच दी थी कि अपने मायके वालों से उसे कोई संबंध नहीं रखना है.

दीप्ति ने उस के इस अत्याचार को भी एक तरह से स्वीकार कर लिया था और लंबे समय से मायके वालों से कोई संबंध नहीं रख रही थी. यहां तक कि अपनी बड़ी बहन सीमा और जीजा राजेश से भी कभी भी बात नहीं करती थी. क्योंकि देवेंद्र इस से नाराज हो जाता और उस ने बंदिशें लगा रखी थीं.

उन्होंने अपने बयान में यह शक जाहिर किया कि हो सकता है देवेंद्र का दीप्ति की हत्या में हाथ हो. कृष्ण कुमार सोनी ने जांच अधिकारियों से आग्रह किया कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और आरोपियों को किसी भी हालत में न छोड़ा जाए.

इस महत्त्वपूर्ण बयान के बाद पुलिस की निगाह में देवेंद्र सोनी संदिग्ध के रूप में सामने आ गया. पुलिस ने इस दृष्टिकोण से जांचपड़ताल शुरू की. साथ ही देवेंद्र के दिए गए बयान की सूक्ष्म पड़ताल की गई.

अगले भाग में पढ़ें- देवेंद्र ने पूरी हत्याकांड की पटकथा बनाई

Crime Story: नैनीताल की घाटी में रोमांस के बहाने मिली मौत

लेखक- शाहनवाज

राजधानी दिल्ली के गोविंदपुरी में किराए पर रहने रहने वाले राजेश और बबीता के बीच लगभग हर दिन की तरह उस रोज भी झगड़ा शुरू हो गया था. उन की रोजरोज की तूतूमैंमैं के झगड़े से मकान में रहने वाले दूसरे किराएदार तंग आ चुके थे. समय सुबह के साढ़े 7 बजे का था. तारीख थी 7 जून. लौकडाउन का दौर चल रहा था, किंतु अनलौक की कुछ छूट भी मिली हुई थी.

लोगों का अपनेअपने कामधंधे पर आनेजाने का सिलसिला शुरू हो चुका था. जबकि कमरे में राजेश अपने बिस्तर पर औंधे मुंह लेट कर फोन पर फेसबुक चला रहा था. शायद वह कोई वीडियो देखने में मग्न था.

यह उस के रोज के रूटीन में शामिल हो चुका था. वह कभी वाट्सऐप मैसेज कर रहा होता या फिर यूट्यूब का वीडियो देख रहा होता था. इसी को ले कर उस की पत्नी बबीता चिढ़ती रहती थी.

उस रोज भी बबीता यह देख कर भड़क गई थी. तीखे शब्दों में गुस्से से चीखती हुई बोली, ‘‘कुछ कामधंधा भी करना है या सारा दिन बिस्तर पर पड़ेपड़े दांत निपोरते रहते हो? जब देखो तब फोन पर लगे रहते हो. कम से कम मेरे काम में तो हाथ बंटा दो.’’

बिस्तर पर पड़ेपड़े राजेश बोला, ‘‘कर लूंगा न काम, चिल्ला क्यों रही है. कौन सा भूखा रखा हुआ है मैं ने.’’

राजेश की इस बात से खीझते हुए बबीता ने कहा, ‘‘हांहां, क्यों नहीं. याद है कि नहीं? लौकडाउन में मेरी मां नहीं होती तो भूखे मर जाते. तुम से शादी कर मैं ने सच में अपनी जिंदगी बरबाद कर ली है.’’

‘‘तो नहीं करती शादी मुझ से. किसी ने जबरदस्ती थोड़े न की थी.’’ राजेश ने बबीता की बातों का जवाब देते हुए कहा.

यह सुन कर बबीता का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. उस ने गुस्से में कहा, ‘‘जबरदस्ती? याद दिलाऊं क्या? जबरदस्ती किस ने की थी? अगर तुम से शादी नहीं की होती तो जेल में सड़ रहे होते.’’

बबीता की इस बात से राजेश का दिमाग झनझना गया. वह तुरंत बिस्तर पर उठ बैठा. गुस्से में एक ओर मोबाइल पटकता हुआ खड़ा हो गया.

एक पल के लिए अतीत आंखों के आगे घूम गया. अचानक गुस्से में उस ने बबीता का मुंह दबा दिया. नाराजगी जताते हुए बोला, ‘‘तुझे कितनी बार मना किया है. आइंदा अपना मुंह खोलने से पहले सोच लिया करो. याद रखना पहले क्या किया था और मैं अब क्या कर सकता हूं.’’

ये भी पढ़ें- ओमा: 80 साल की ओमा और लीसा का क्या रिश्ता था

बबीता भी राजेश की इस धमकी से कहां चुप रह जाने वाली थी. राजेश के हाथ से मुंह छुड़ा कर कड़ाई के साथ जवाब देते हुए बोली, ‘‘तुम्हारी इस धमकी से डरने वाली नहीं हूं मैं, बड़े आए धमकी देने वाले. अगर आगे से ऐसी धमकियां दीं तो तुम याद रखना कि मैं क्या कर सकती हूं.’’

कहते हुए बबीता ने बाथरूम में जा कर फटाफट अपने कपड़े बदले. बैड के पास रखा अपना हैंडबैग उठाया. गुस्से में कपड़े के एक थैले में अपने 3-4 जोड़ी कपड़े भरे. पैरों में सैंडल डाली और बिना राजेश को बताए घर से निकल गई.

राजेश सामने खड़ाखड़ा देखता रह गया. उस ने बबीता से यह पूछने की हिम्मत भी नहीं की कि वह कहां जा रही है. राजेश को पता था कि बबीता अपने मायके जा रही है. वह अकसर ऐसा ही करती थी.

दोनों की शादी के बाद जब कभी उन के बीच झगड़ा होता और बबीता रूठ कर या झगड़ कर अपनी मां के पास चली जाती थी. 4-5 दिनों बाद खुद ही वापस आ भी जाती थी.

दरअसल, 25 वर्षीय राजेश रोय और 29 वर्षीय बबीता दोनों एकदूसरे को साल 2020 की शुरुआत से ही जानते थे. उस समय भारत में कोरोना की वजह से लौकडाउन नहीं लगा था. राजेश तब दिल्ली में जनकपुरी के नजदीक सिटी माल में सेल्समैन का काम करता था.

नए साल के मौके पर जब बबीता अपने दोस्तों के साथ शौपिंग करने के लिए सिटी माल गई थी तो उस की जानपहचान वहां काम कर रहे राजेश से हुई थी.

राजेश के हावभाव और बातचीत करने के अंदाज पर बबीता फिदा हो गई थी. जबकि वह उस से उम्र में बड़ी थी. न जाने उसे क्या सूझी कि वह बारबार माल जाने लगी. राजेश ने भी महसूस किया कि बबीता उस से ही मिलने आती है.

जल्द ही दोनों की जानपहचान दोस्ती में बदल गई. 2 महीने के दौरान उन के बीच नजदीकियां काफी बढ़ गईं. यौवनावस्था की उम्र में एक समय ऐसा भी आया, जब उन के प्रेम पर वासना हावी हो गई. दोनों खुद को रोक नहीं पाए और उन के बीच शारीरिक संबंध बन गए.

मांबाप की लाडली बेटी होने कारण बबीता कुछ अधिक ही आजाद खयाल की हो गई थी. मातापिता ने शादीब्याह के मामले में उस पर अपनी मरजी नहीं थोपी थी. वह केवल इतना चाहते थे कि बबीता की शादी जानपहचान में ही हो तो अच्छा है. बबीता भी यही चाहती थी.

मार्च, 2020 के अंतिम सप्ताह में कोरोना प्रकोप के चलते लौकडाउन लग गया था. 2 प्रेमी अपनेअपने घरों में कैद हो चुके थे. मिलने के लिए उन की बचैनी और बेकरारी बढ़ती जा रही थी. वे फोन पर बातें कर अपने दिल को तसल्ली दे दिया करते थे. इसी बीच बबीता ने पेट से होने की बात राजेश को बताई.

ये भी पढ़ें- असली प्यार: क्या ममता ने विनय से शादी की?

राजेश यह सुनते ही नाराज  हो गया. उस ने बच्चे को अपनाने से साफ इनकार कर दिया. इस से बबीता के मन को काफी ठेस पहुंची. राजेश ने लौकडाउन के दौरान बबीता से बच्चा गिराने की भी बात कही, लेकिन वह इस के लिए हिम्मत नहीं जुटा सकी.

जून 2020 में लौकडाउन में कुछ राहत  मिलने पर एक दिन राजेश बबीता को घुमाने के बहाने गुड़गांव के एक प्राइवेट अस्पताल में ले गया. वहां उस ने गर्भपात की दवा दिलवाई. बबीता इस के तैयार तो नहीं थी, लेकिन उस ने राजेश की जिद को मान लिया और दवा खा ली. कुछ ही दिनों में बबीता का गर्भपात हो गया.

उस के बाद राजेश ने बबीता से बातचीत करना कम कर दिया. वह बबीता से अपने रिश्ते खत्म करना चाहता था. राजेश बबीता के फोन काल इग्नोर करने लगा था. उस के मैसेज का भी कोई जवाब नहीं देता था.

बबीता भी समझने लगी थी कि राजेश उस से पीछा छुड़ाना चाहता है. बबीता को यह बात अच्छी नहीं लगी. वह खुद को धोखा खाया हुआ महसूस कर रही थी.

एक दिन जब बबीता की राजेश से बात हुई तो उस ने सीधे शब्दों में पूछ ही लिया, ‘‘राजेश, हमारे बीच में जो कुछ हुआ और मुझे जो सहना पड़ा है, उस की जिम्मेदारी तुम्हारी भी है. तुम आखिर चाहते क्या हो, सीधेसीधे जवाब दो.’’

बबीता का सवाल सुन कर राजेश ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया. घुमाफिरा कर  बोला, ‘‘देखो बबीता, हमारे बीच जो कुछ हुआ, उसे हमेशा के लिए भूल जाओ. नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरू करो. मुझ से भी कोई उम्मीद मत रखना.’’

यह कहते हुए राजेश ने फोन काट दिया. राजेश की बात सुन कर बबीता को धक्का लगा. उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि जिस इंसान के साथ उस ने गहरे संबंध बनाए, वही अब उसे भूल जाने की बात कह रहा है.

धोखा खाई बबीता ने गुस्से में 14 जुलाई, 2020 को दिल्ली के डाबड़ी मोड़ थाने में राजेश के खिलाफ बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करवा दी. जिसे संज्ञान में लेते हुए पुलिस ने भादंवि की धारा 376 के तहत राजेश को गिरफ्तार कर 8 अगस्त, 2021 को जेल भेज दिया.

राजेश के जेल जाने पर उस के घर वाले परेशान हो गए. उन्होंने बबीता के घर वालों से राजेश को छुड़ाने के लिए काफी मिन्नतें कीं. केस वापस लेने का आग्रह किया, लेकिन बबीता और उस के घर वालों ने इस मामले में किसी भी तरह की बात करने से इनकार कर दिया.

कुछ दिनों बाद राजेश के घर वालों ने बबीता के मांबाप से उस की शादी राजेश से करने की गुजारिश की. इस पर वे तैयार हो गए.

ये भी पढ़ें- उड़ान: क्यों श्रेया की शादी नहीं हुई?

कुछ शर्तों के आधार पर बबीता ने 19 अक्तूबर, 2020 को राजेश के खिलाफ अपनी शिकायत वापस ले ली. शादी का एक एफिडेविट भी जमा करवा दिया. इस तरह से कोर्टमैरिज की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दिसंबर, 2020 में राजेश और बबीता की शादी डाबड़ी मोड़ के नजदीक आर्यसमाज मंदिर में हो गई, उस के बाद  दोनों दिल्ली के गोविंदपुरी इलाके में रहने लगे.

कहते हैं न प्रेम की डोर अगर एक बार टूट जाए तो उसे जोड़ना मुश्किल होता है. यदि उसे जोड़ लिया जाए, तब भी उस में बनने वाली गांठ संबंध की मधुरता में हमेशा खलल डालती रहती है. यही कारण था कि राजेश और बबीता शादी के बाद भी मधुर संबंध नहीं बना पाए.

उन के बीच मोहब्बत की मिसाल जैसा प्रेम पनप ही नहीं पाया. छोटीछोटी खुशियां नोकझोंक में दफन होने लगीं. कारण दोनों के बीच अकसर झगड़े होते रहते थे.

बातबात पर झगड़े से नाराज हो कर बबीता अपने मायके चली जाया करती. राजेश का काम तो लौकडाउन में छूट ही चुका था, लेकिन अब उसे कहीं और काम मिल भी नहीं रहा था.

ऐसे में किराए पर रहना अब राजेश के लिए भारी पड़ने लगा था. ऊपर से घरेलू खर्चे अलग थे. राजेश की बचीखुची बचत भी अब खत्म होने वाली थी. इस बारे में जब बबीता ने अपनी मां लक्ष्मी देवी को राजेश की इस हालत के बारे में बताया तब उन्होंने राजेश को अपने इलाके में ही किराए पर एक कमरा दिलवा दिया. उस का किराया पहले से कम था. इस राहत के बावजूद राजेश तंगी से जूझ रहा था.

सास को समझता था झगड़े की जड़ लक्ष्मी देवी ने कुछ समय तक अपनी बेटी की आर्थिक मदद की. वह डाबरी मोड़ के पास महिंद्रा पार्क में रहती थी. बबीता वहीं अपनी मां के घर चली जाती थी. राजेश इस बात से और ज्यादा परेशान होने लगा था कि बबीता बातबात पर झगड़ा कर के अपनी मां के घर चली जाती है.

ये भी पढ़ें- भीगी-भीगी सड़कों पर

राजेश इस झगड़े की असली जड़ लक्ष्मी देवी को मानता था. झगड़ा होने पर उसे सबक सिखाने को ले कर धमकाता रहता था. कई बार कह भी चुका था कि वह जेल से बाहर अपने अपमान का बदला लेने के लिए आया है. इस बारे में बबीता अपनी मां को भी बताती थी.

बबीता के पिता डालीराम का निधन हो चुका था. बबीता ही लक्ष्मी देवी के जीने की सहारा थी और उस का पूरा ध्यान रखती थी.

राजेश कुछ समय तक महिंद्रा पार्क में रहा, लेकिन 3-4 महीने बाद दोनों फिर से गोविंदपूरी शिफ्ट हो गए. 7 जून, 2021 को भी झगड़े के बाद बबीता अपने मायके चली गई.

बारबार की इस समस्या से राजेश काफी परेशान हो गया था. 3-4 दिन तक बबीता की हरकतों से छुटकारा पाने के बारे में सोचता रहा. उस ने 11 जून की सुबह 10 बजे बबीता को फोन कर कहा, ‘‘बबीता, गांव में मेरी मां की तबीयत बहुत खराब है. गांव चलना है.’’

बबीता ने इस की जानकारी अपनी मां को दी. लक्ष्मी देवी भी उन के बीच झगड़ों से काफी परेशान हो गई थी. वह भी सोच में पड़ गई कि क्या करे, क्या नहीं? वह समझ नहीं पर रही थी कि आखिर उन के बीच झगड़ा कैसे खत्म हो पाएगा? सिर पर हाथ रख कर बैठ गई.

थोड़ी देर बाद लक्ष्मी देवी ने बबीता के हाथ से फोन ले कर राजेश को मिलाया. बोली, ‘‘सुनो राजेश, तुम्हारे कारण मेरी बेटी बारबार मायके आ जाती है. तुझे जरा भी शर्म है या नहीं. मेरी बेटी को ले जाना है तो थाने आ. यहां आ कर ले जा.’’

राजेश गुस्से का घूंट पी कर रह गया. चुपचाप गोविंदपुरी से डाबड़ी मोड़ थाने पहुंचा. थाने में उस ने बताया कि बबीता उस की पत्नी है. वह उस अपने साथ गांव ले जाना चाहता है, जहां उस की मां बीमार है.

बेटी से नहीं हुई बात

बबीता ने राजेश द्वारा धमकियां देने की शिकायत भी की, लेकिन पुलिस ने राजेश का पक्ष मजबूत पाया और उसे बबीता को साथ ले जाने को कह दिया.

वहीं से राजेश बबीता को ले कर आटो से दिल्ली के आनंद विहार बसअड्डा चला गया. राजेश का गांव उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर के छोटे से कस्बे तिलियापुर में था.

अगले दिन 12 जून को दोपहर करीब 2 बजे लक्ष्मी देवी ने बबीता को हालचाल जानने के लिए फोन किया. लेकिन बबीता का फोन बंद था. उन्होंने सोचा कि शायद रास्ते में होंगे और फोन की बैटरी खत्म हो गई होगी.

उस दिन तो जैसेतैसे लक्ष्मी देवी ने अपना मन मना लिया. उस के अगले दिन भी जब बबीता का फोन बंद पाया तब उसे अपनी बेटी को ले कर तरहतरह की शंकाए होने लगीं. इसी तरह से 14 और 15 जून को भी जब बबीता का फोन बंद मिला, तब लक्ष्मी देवी की बेचैनी और बढ़ गई.

16 जून, 2021 को लक्ष्मी देवी ने डाबड़ी मोड़ थाने के थानाप्रभारी सुरेंद्र संधू को बबीता के लापता होने जानकारी दी और रिपोर्ट दर्ज करने का आग्रह किया. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने राजेश को फोन मिलाया और बबीता के बारे पूछा.

राजेश ने बबीता के साथ होने से इनकार कर दिया. राजेश ने पुलिस को बताया कि उसे नहीं पता बबीता कहां है. 11 जून को थाने से निकलने के बाद बबीता अपनी मां के साथ ही घर चली गई थी. यह सुन कर लक्ष्मी देवी दंग रह गई. पुलिस 2 तरह के बयान से हैरत में पड़ गई. एक तरफ बबीता की मां लक्ष्मी देवी का अपने दामाद राजेश पर आरोप था कि बबीता 11 जून को उसी के साथ उत्तराखंड के लिए निकली थी. दूसरी तरफ राजेश अपनी सास लक्ष्मी देवी पर आरोप लगा रहा था

कि बबीता अपनी मां के साथ महिंद्रा पार्क अपने घर गई थी. दोनों में से कौन सही है, इस का पता लगाने के लिए पुलिस ने एक टीम बनाई.

बबीता की चिंता में मां लक्ष्मी देवी की रातों की नींद हराम होने लगी. उन्होंने एक वकील की मदद से जिला कोर्ट द्वारका में राजेश के खिलाफ सीआरपीसी धारा 97 का इस्तेमाल करते हुए अपनी बेटी को अपहरण कर बंदी बना लेने की अपील दर्ज कर दी.

मामले की गंभीरता को देखते हुए द्वारका कोर्ट ने पुलिस को जांच जल्द से जल्द निपटाने के आदेश दिए. कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए डीसीपी संतोष कुमार मीणा ने डाबड़ी मोड़ के थानाप्रभारी सुरेंद्र संधू को इस केस में तुरंत काररवाई करने के निर्देश दिए.

थानाप्रभारी ने 8 जुलाई, 2021 को एसआई नरेंदर सिंह के हाथों इस केस की जिम्मेदारी सौंपी. नरेंदर सिंह ने काल डिटेल्स और टैक्निकल टीम की मदद से 11 जून से राजेश और बबीता के फोन की आखिरी लोकेशन का पता लगाया.

उन्हें पता लगा कि राजेश के फोन की आखिरी लोकेशन 11 जून को दिल्ली में थी. अगले दिन उस की लोकेशन उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर में मिली. जबकि बबीता के फोन की लोकेशन लगातार बदल रही थी. जो पहले दिल्ली, फिर पूर्वी उत्तर प्रदेश और अंत में उत्तराखंड के नैनीताल की मिली.

इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए राजेश को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया. उस ने पूछताछ के दौरान पहले तो एसआई नरेंदर सिंह और पुलिस टीम को गुमराह करने की कोशिश की.

उस ने बताया कि 11 जून को बबीता अपनी मां के साथ महिंद्रा पार्क अपने घर चली गई थी. किंतु जब उसे यह बताया गया कि बबीता के फोन की अंतिम लोकेशन नैनीताल में थी, तब यह सुन कर वह हकला और सकपका गया.

फिर क्या था, उस से सख्ती से पूछताछ की जाने लगी. गहन पूछताछ के सवालों के सामने राजेश टिक नहीं पाया. उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने नैनीताल ले जा कर बबीता की हत्या कर दी है और उस की लाश खाई में फेंक दी थी. उस ने सिलसिलेवार ढंग से हत्याकांड से ले कर लाश को ठिकाने लगाने की बात इस प्रकार बताई—

11 जून की शाम के करीब 6 बजे जब बसअड्डे से बस उत्तराखंड के लिए रवाना हो रही थी, तब उस ने प्लान के मुताबिक अपना फोन बंद कर लिया था. बस दिल्ली से निकल कर उत्तर प्रदेश से होते हुए अगले दिन 12 जून की सुबह करीब 9 बजे उत्तराखंड के नैनीताल पहुंचा.

राजेश और बबीता दोनों नैनीताल बसअड्डे पर उतरे. वहां थोड़ा आराम किया और पैदल ही आगे की ओर निकल गए.

नैनीताल से करीब 12 किलोमीटर पैदल चलने के बाद रास्ते में पड़ने वाले हनुमान मंदिर पर दोनों ने चाय पी, थोड़ा आराम किया और फिर आगे की ओर निकल पड़े.

नैनीताल हल्द्वानी रोड पर स्थित हनुमान मंदिर पर आराम करने के बाद करीब 40-50 मीटर उसी रास्ते पर आगे चलते रहे. फिर राजेश बल्दियाखान गांव के पास रिया गांव की तरफ जाने वाली सड़क पर सुस्ताने के बहाने से रुका. वह जगह काफी सुनसान थी. उस के साथ बबीता भी रुक गई.

दोनों रास्ते के किनारे बनी पुलिया नंबर 162 पर 10-15 मिनट तक बैठे रहे. उस पुलिया के नीचे 7-8 फीट गहरा एक गड्ढा था. वह जगह दूर से नहीं दिखती थी.

बातोंबातों में राजेश उस गहरे गड्ढे में उतर गया. उस ने बबीता का हाथ पकड़ कर उसे नीचे आने का इशारा किया. जब बबीता ने पूछा कि यहां क्यों, तब उस ने नए अंदाज में प्यार का इजहार करने की बात कही. बबीता राजेश की बातों में आ गई और वह गड्ढे में उतर आई.

जैसे ही बबीता गड््ढे में उतरी, राजेश ने पहले उसे गले लगाया. एक पल के लिए बबीता शांत हो गई. राजेश ने वक्त बरबाद न करते हुए अचानक से बबीता का गला दबोच लिया.

बबीता ने गला छुड़ाने की कोशिश की लेकिन राजेश की पकड़ मजबूत थी. कुछ ही पलों में बबीता की सांसें उखड़ने लगीं. कुछ मिनटों में जब बबीता का शरीर पूरी तरह से शांत हो गया तो निर्जीव हो चुके शरीर को राजेश ने वहीं छोड़ दिया.

उस के बाद राजेश गड्ढे से बाहर आ कर अपने गांव जाने वाले रास्ते की ओर बढ़ गया. थोड़ा चलने के बाद पीछे से आ रही गाड़ी पर सवार हो गया. अपने गांव पहुंचने से पहले आनंदनगर के पास शक्ति फार्म के धान के खेतों में बबीता का फोन फेंक दिया. 12 जून की दोपहर करीब 2 बजे के आसपास वह अपने गांव पहुंच गया.

राजेश के यह सब कबूलने के बाद बबीता की लाश तलाशने के लिए दिल्ली पुलिस की टीम ने 2 दिनों का सर्च औपरेशन चलाया. लाश ढूंढने के लिए दिल्ली पुलिस ने उत्तराखंड की स्थानीय तल्लीताल पुलिस की मदद ली.

पुलिस की सर्च टीम ने 26 जुलाई, को बबीता की लाश पुलिया नंबर 162 से ढूंढ निकाली.

27 जुलाई को एसआई नरेंदर सिंह ने आरोपी राजेश को गिरफ्तार कर लिया. फिर उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें