आखिर क्यों इस लड़के ने किया खुद का सौदा

तब पत्थरों के बीच बैठे प्रेमी जोड़ों को देखता तो सोचता कितना प्रेम है इन में. आज सोच रहा हूं क्या वाकई प्रेम है इस दुनिया में? यूपी के एक छोटे से कसबे से मुंबई आया तो सोचा था अच्छी नौकरी मिल जाए तो फिर शादी करूंगा और घर बसा लूंगा.
यहां आया तो एक परिचित ने एक चाल की खोली में मेरे लिए रहने की व्यवस्था कर दी. मैं अखबार में विज्ञापन देखता और फिर इंटरव्यू देने जाता. काफी दिन हो गए थे नौकरी ढूंढ़तेढूंढ़ते. पैसे खत्म हो गए थे और उधार से काम चला रहा था.

एक दिन मेरी मुलाकात टोनी नाम के एक शख्स से हुई. उस ने मुझे बताया, ‘‘छोड़ो, बेकार है चप्पलें घिसना. शाम को चलो एक बंदे से मिलवाता हूं.’’
मैं ने पूछा, ‘‘किसी कंपनी के मालिक हैं? या फिर कोई औफिसर?’’
वह तेज हंसा फिर बोला, ‘‘शाम को पता चल जाएगा.’’

मैं मजबूर था

शाम को हम चल दिए तय समय पर. वह एक दबड़ेनुमा जगह थी. उस में एक छोटे से कमरे में औफिस जैसा बना था.
उस में बैठा शख्स मुझ से कहने लगा, ‘‘खूब पैसा है पर तुम्हें टापचिक यानी फैशन में रहना पड़ेगा. कस्टमर जो कहे उसे करना होगा. किसी भी हालत में उसे नाराज नहीं करना है. जो पैसा मिलेगा 60% तुम्हारा 40% हमारा. स्मार्ट हो तुम, बस खुद को टापचिक रखो.’’
मेरे पास पैसे नहीं थे. मैं कर भी क्या सकता था? दूसरी तरफ मुझे लगा कि इस में मेरा क्या जाएगा. मैं तैयार हो गया.
अब कल से मुझे एक ऐस्कौर्ट पुरुष बनना था, जिसे जिगोलो भी कहते हैं.

बेचैनी में काटी रात

पूरी रात मैं ने बेचैनी में काटी. दूसरे दिन शाम 6 बजे मुझे तैयार हो कर एक कैफे के बाहर खड़ा होना था. बांए पर हरी पट्टी बांधनी थी, जिस से मेरी पहचान करने में कस्टमर को परेशानी न हो. मुझे सिर्फ कार का एक नंबर दिया गया था. कोड था ‘हैप्पी डे’.

शाम के 6:12 बजे एक कार आ कर रुकी. मैं ने कार का नंबर प्लेट देखा. यह वही नंबर था जो मुझे दिया गया था. मैं कार की ओर बढ़ा तो ड्राइवर की सीट पर एक 35-36 साल की महिला थी. उस ने खिडक़ी के शीशे को नीचे कर मुझे देखा तो मैं ने उसे ‘हैप्पी डे मैम’ बोला. वह मुसकराई फिर पिछली सीट पर बैठने को इशारा किया. थोड़ी ही देर बाद हम एक शानदार होटल के बाहर खड़े थे.

उस ने साथ नहाने को औफर किया

होटल के कमरे में जाते ही उस महिला ने बीयर पी और मुझे भी पीने को कहा. मैं ने कहा मैं नहीं पीता, यह बुरी लत है तो वह हंसी फिर बोली, ‘‘नए लगते हो. कहां के रहने वाले हो?’’
मैं ने कहा, ‘‘सौरी मैम, जगह और पता नहीं बता सकता आप को.’’
उस ने “ओके” कहा और मुझे साथ नहाने को औफर किया. वह नहाते समय मुझ से लिपट गई और अपनी नाभी को मुझे चूमने के लिए कहा. बाद में हम कमरे में आ गए. बातों ही बातों में उस ने मुझे बताया कि उस के पति को सैक्स में ज्यादा फंकी करना पसंद नहीं. नितंबों तक को चूमना किसे कहते हैं यह नहीं जाना आज तक.
थोड़ी देर बाद वह मेरे ऊपर थी और सैक्स के समय वह तेजतेज सिसकारियां ले रही थी. हद तो तब हो गई जब उस ने मोबाइल में एक पोर्न क्लिक दिखा कर मुझ से ऐसा ही करने को कहा.
खैर, लगभग 3 घंटे हम साथ रहे. फिर बाद में मैं अपनी खोली पर आ गया था. पैसे एडवांस में ही मुझे मिल गए थे. 1 दिन में 5 हजार रूपए मेरे जेब में थे.

1-2 दिन तक मुझे कोई फोन नहीं आया. तीसरे दिन मुझे दोपहर 3 बजे एक जगह जाने को बोला गया. वह एक फ्लैट था. डोरबेल बजाने पर एक 26-27 साल की युवती ने दरवाजा खोला. मैं ने कोडवर्ड बताया तो वह दरवाजे से हट गई. मैं अंदर आ गया. उस ने मेरे हाथ से मोबाइल ले लिया और उसे स्विच्ड औफ कर दिया. फिर मुझे ड्राइंगरूम में ले गई और पूछा, ‘‘कोई कैमरा या रिकौर्डर वगैरह हो तो बता दो, वरना अच्छा नहीं होगा.’’
मेरे मना करने पर उस ने मुझे कौफी बना कर पिलाई फिर पूरी तरह नंगा होने को बोली.

हैरान था मैं 

मैं उस के सामने पूरी तरह निर्वस्त्र था. उस ने मेरी अंग की तारीफ की और पूछ बैठी, ‘‘क्या सभी पुरुषों का ‘ऐसा’ ही होता है?’’ मैं हैरान था.
उस ने मुझे बताया कि अगले 3 महीने बाद उस की शादी होने वाली है और वह शादी से पहले पुरुष शरीर को करीब से देखना चाहती थी.
मैं अवाक था. वह सुंदर थी और तब तक मेरी भी इच्छा सैक्स करने को हो रही थी. मैं ने पूछा, ‘‘मैम, क्या कंडोम लगाऊं?’’ उस ने मना कर दिया और बोली, ‘‘नहींनहीं, बस कुछ देर इसी तरह खड़े रहो. मेरी शादी होने वाली है.’’
खैर, कुछ देर बाद मैं वहां से निकल कर अपने खोली पर आ गया. मूड औफ था पर आज फिर बतौर फीस पैसे मिले थे इसलिए बाजार घूमने निकल पङा.

एक बार तो मैं बुरी तरह घिर गया था

मुझे एकसाथ 2 युवतियों को खुश करना था. वे दोनों ही काफी तेजतर्रार लग रही थीं. उन्होंने एकएक कर मेरे कपड़े उतारे और मुझे निर्वस्त्र ही डांस को बोलने लगीं. मेरे लिए यह सब आश्चर्यजनक था. पर उन्हें न तो नाराज कर सकता था और न ही मैं भाग सकता था. उस दिन मैं थक कर चूर हो गया था. 4-5 घंटे बाद खोली पर आया तो आते ही बिना खाएपीए सो गया.

एक दिन तो अजीब वाकेआ हुआ मेरे साथ

उस दिन मुझे जहां जाना था, उस के लिए मैं ने नए कपड़े खरीदे थे. हेयरस्टाइल सही कराए थे और अच्छे से तैयार हो कर निकला था.
होटल के जिस कमरे में मैं पहुंचा था वहां लगभग 42 साल की एक महिला थी. वह मुझे बताते हुए रो पड़ी. उस ने बताया कि वह अकेलेपन का शिकार है और पति उसे प्यार नहीं करता. उस ने बताया कि उस के पति ने घुटनों के ऊपर कभी किस नहीं किया. फोरप्ले के लिए तरस जाती है वह.
मेरे साथ सैक्स के दौरान वह इतनी उत्तेजित हो गई थी कि उस ने जोश में मेरे दाएं कान पर कस कर दांत गड़ा दिए थे. मैं तो बिलबिला गया था.

लगभग 3 साल तक मैं पुरुष ऐस्कौर्ट का काम करता रहा. इस दौरान मैं ने बहुत पैसे कमाए. यह तो अच्छा रहा कि इस दौरान मैं कंप्यूटर कोर्स पूरा कर खुद एक कोचिंग सैंटर खोल कर बच्चों को पढ़ाने लगा.

मन में कई सवाल अधूरे रह गए

बीते दिनों को मैं याद करना नहीं चाहता. बस इतना ही कहना चाहूंगा कि पतियों को अपनी पत्नी को भरपूर प्यार करना चाहिए. उन्हें मानसिक सुख के साथ दैहिक सुख का भी खयाल रखना चाहिए. इतने दिनों में मैं ने जाना कि महिलाएं अकेलेपन और प्रेम के अभाव में ही गलत रास्ता चुनती हैं. यह अलग बात है कि कुछ महिलाएं इसे अपनी आजादी से जोड़ कर देखती हैं.

सही है, पुरुषों की तरह महिलाओं को भी अपनी जिंदगी अपने ढंग से जीने की आजादी मिलनी चाहिए. मगर मन में कई सवाल हैं जिन्हें अब जानने की कोई इच्छा नहीं है. पिछली गलतियों को भूल कर मुझे अब अपना और अपने परिवार का भविष्य संवारना है. अब से मैं बराबर समुद्र किनारे बैठने आऊंगा. मुझे यह देख कर अच्छा लगता है कि छोटीछोटी मछलियां लहरों के बहाव में किनारे जमीन पर आ जाती हैं. पर संघर्ष करतेकरते वे फिर से पानी में जा कर जिंदा बच जाती हैं.
काश, मैं भी कुछ साल पहले इन मछलियों से प्रेरणा ले पाता.

(नाम व पहचान गुप्त रखने के लिए पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं)

जिस ‘बीमारी’ से परेशान थे आयुष्मान, क्या आपको पता है उसके बारे में ?

आपने आयुष्मानखुराना की फिल्म “शुभ मंगल सावधान” तो देखी होगी उसमें उनको एक एक हेल्थ प्रौब्लम होती  हैं जिसके चलते उनकी शादी तो खतरे में पड़ती ही है साथ ही उनको शर्मिंदगी का सामना भी करना पड़ता  हैं, वो समस्या हैं….शीघ्रपतन (Premature ejaculation) .

आमतौर पर देखा जाता है की सेक्स से जुड़ी समस्या को लोग किसी को  भी जल्दी नही बताते. इसका कारण या तो शर्म होती है या फिर मन की झिझक, पर इस समस्या को जितना छिपाया जाता है उतनी ही परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं. इन्हीं समस्याओं मे से एक समस्या है शीघ्रपतन (Premature ejaculation) . आम भाषा में कहे तो शीघ्रपतन का मतलब होता है वीर्य का जल्दी निकलना.

सेक्स के दौरान या पहले पुरुषों का वीर्य स्‍खलित हो जाना शीघ्रपतन कहलाता है. स्‍त्री की कामोत्‍तेजना (Orgasm) शांत होने से पहले या हस्‍तमैथुन  (Masturbation) क्रिया के दौरान यदि पुरुषों का वीर्य स्‍खलित हो जाता है तो इसका मतलब है कि वह शीघ्रपतन की समस्‍या से गुजर रहा है.

इस समस्या को लेकर लोग डाक्टर के पास भी नहीं जाते पर देखा जाए तो शीघ्रपतन कोई बड़ी समस्या नहीं है और इसका उपचार भी हो सकता है. तो आज हम आपको शीघ्रपतन के बारे में विस्‍तार से बता रहे हैं, जिससे आपको काफी हद तक इस समस्‍या का समाधान मिल सके.

 क्यों होता है शीघ्रपतन

शीघ्रपतन के दो कारण है- लाइफ लौन्ग (प्राइमरी), एक्वायर्ड (सेकेंडरी). शीघ्रपतन की समस्‍या पहली बार या किसी नए पार्टनर के साथ संभोग करने के दौरान कामोउत्तेजना के ज्यादा प्रवाह होने के चलते भी ये हो सकता है. अगर लंबे समय के बाद संभोग किया जाए तो भी शीघ्रपतन की समस्‍या हो सकती है. इसके अलावा अपनी पार्टनर के बीच के रिश्‍तों के बारे में तनाव या ज्‍यादा सोचना भी शीघ्रपतन का कारण है.

क्या है इसके लक्षण

  • बार-बार प्रयास करने पर भी संभोग (sexual intercourse) के दौरान 1 मिनट तक ना रोक पाना.
  • सेक्स को टालना.
  • सेक्स करने के बाद पार्टनर को संतुष्ट नहीं कर पाना.
  • सेक्स से पहले मन में शीघ्रपतन का डर आना.

क्या है इसका उपचार

शीघ्रपतन कोई लाइलाज बीमारी नही है इसका इलाज सम्भव है. जहां तक स्‍टेमिना की बात है तो यह हर स्वस्थ पुरूष में नेचुरली रहती है जिसे वे ठीक तरह से महसूस नहीं कर पाते. यदि वे सेक्स के समय सहवास, भोजन के समय भोजन के बारे में सोचें तो उनकी स्‍टेमिना में फर्क साफ दिखेगा. यानी आप जब जो काम करें उसे अच्छे से करें. दिन-रात केवल सहवास के विषय में ही सोचते रहने से तथा अपनी स्‍टेमिना पर अकारण ही शंका करते रहने से वास्तविक यौन शक्ति पर मानसिक रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. जो धीरे-धीरे शारीरिक रूप से भी कमजोर कर देती है.

खाने पर दें ध्यान

शीघ्रपतन ठीक करने और ऊर्जा व स्फूर्ति को कायम रखने के लिए खान-पान का भी ध्यान रकना जरुरी है.  शाकाहारी भोजन प्राकृतिक गुणों से परिपूर्ण व सुपाच्य होता है. ऐसे भोजन को पचाने के लिए शरीर की अतिरिक्त ऊर्जा भी खर्च नहीं होती तथा व्यक्ति को यौन शक्ति भी अनुकूल बनी रहती है. ताजे मौसमी फल, कच्ची सब्जियां, अंकुरित आनाज, दूध, शहद, लस्सी आदि निरोगी पदार्थ हैं जिनके सेवन से शरीर शक्ति से भरपूर निरोग बना रहता है.

इसके अलावा  आपसे हमारी यही सलाह होगी की जैसे ही आपको लगे की आप इस समस्या से जूझ रहे है तो फौरन डाक्टर की सलाह ले और शर्माएं नही.

वर्जिनिटी को लेकर कोई भ्रम न पालें

किसी भी युवती के लिए पहले सैक्स के दौरान उस की वर्जिनिटी सब से ज्यादा माने रखती है. युवती की योनि के ऊपरी हिस्से में पतली झिल्ली होती है जो उस के वर्जिन होने का प्रमाण देती है, लेकिन किसी भी युवती की योनि और उस के ऊपरी सिरे में स्थित हाइमन झिल्ली को देख कर यह पता लगाना कि वह वर्जिन है कि नहीं न तो संभव है न ही ठीक. सैक्स के दौरान अकसर पार्टनर द्वारा युवती की योनि से रक्तस्राव की उम्मीद की जाती है लेकिन ज्यादातर मामलों में पाया गया है कि पहली बार सैक्स के दौरान युवती के वर्जिन होने के बावजूद उस की योनि से रक्तस्राव नहीं होता, फिर भी साथी  द्वारा यह मान लिया जाता है कि युवती पहले भी सैक्स कर चुकी है, जबकि पहली बार सैक्स के दौरान युवती की योनि से स्राव होने या न होने को उस के वर्जिन होने का सुबूत नहीं माना जा सकता, क्योंकि पहली बार में बहुत सी युवतियों को इसलिए रक्तस्राव नहीं होता, क्योंकि खेलकूद, साइकिल चलाना आदि की वजह से उन की योनि में स्थित झिल्ली कब फट जाती है उन्हें स्वयं नहीं पता चलता. इस का कारण हाइमन झिल्ली का बहुत पतला व लचीला होना है. कभीकभी युवती में जन्म के समय से ही यह झिल्ली मौजूद नहीं होती. ऐसे में पहले सैक्स के दौरान योनि से रक्तस्राव न होने के आधार पर युवती के चरित्र पर संदेह करना गलत होता है.

पहली बार सैक्स के दौरान युवक अपने साथी से उस के कुंआरी होने का सुबूत भी मांगते हैं, जबकि वह खुद के कुंआरे होने का सुबूत देना उचित नहीं समझते. इस वजह से पहला सैक्स जिसे हम वर्जिनिटी का नाम देते हैं, आगे चल कर सैक्स संबंधों में बाधा बन जाता है. युवती की वर्जिनिटी पर शक की वजह से कई तरह की गलतफहमियां जन्म लेती हैं. इस का प्रमुख कारण कुंआरेपन को ले कर लोगों से सुनीसुनाई बातें हैं.

किसी भी युवक या युवती के लिए पहली बार किए जाने वाले सैक्स का जो रोमांच होता है, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह एक ऐसी स्टेज है जहां युवकयुवती एकदूसरे के सामने अपने सारे कपड़े उतारने और सैक्स को ले कर होने वाली झिझक को दूर करने की शुरुआत करते हैं. यहीं से युवकयुवती के कुंआरेपन की समाप्ति होती है और यही वह स्टेज है जहां दोनों अपनी वर्जिनिटी खोते हैं.

युवती को अपने कुंआरेपन का सुबूत देने के लिए कई तरह की परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है जोकि सरासर गलत है. अगर युवती पुरुष से कुंआरे होने का सुबूत नहीं मांगती तो उसे भी चाहिए कि अपने साथी पर विश्वास करते हुए उस के कुंआरेपन पर सवाल खड़ा न करे. अकसर युवती के कुंआरेपन को ले कर घरेलू ंिहंसा व तलाक जैसी नौबत भी आ जाती है. अपने चरित्र का प्रमाण देने के लिए युवती को तमाम तरह के सुबूत पेश करने के लिए कहा जाता है.

सैक्स के दौरान वर्जिनिटी को ले कर आने वाले खून की कुछ बूंदों के प्रति पुरुषवर्ग इतना गंभीर होता है कि वह वर्षों से चले आ रहे इस दकियानूसी खयाल से बाहर आने की सोच भी नहीं सकता, जबकि अपने कुंआरेपन को गृहस्थी के बीच का मुद्दा बनाना गलत है. इसलिए युवकयुवतियों को चाहिए कि वे पहले सैक्स को यादगार बनाएं न कि वर्जिनिटी के चक्कर में पड़ कर संबंधों में दरार पैदा करें.

प्यार और भरोसे से करें शुरुआत

नीरज की अरेंज्ड मैरिज थी, अत: वह अपनी होने वाली पत्नी से कभी मिला नहीं था. ऐसे में नीरज के दोस्त शादी की पहली रात को ले कर नीरज को तमाम तरह की सलाह देने में लगे हुए थे. उस के एक दोस्त ने कहा कि वह अपनी पत्नी के साथ पहली रात के सैक्स यानी सुहागरात में पत्नी के वर्जिन होने का पता लगाने के लिए योनि से रक्तस्राव होने पर जरूर ध्यान दे. अगर रक्तस्राव हुआ तो समझ ले कि पत्नी ने किसी के साथ सैक्स नहीं किया है, अगर नहीं हुआ तो वह पहले सैक्स कर चुकी है.

लेकिन नीरज ने दोस्त की इस बात पर ध्यान न दिया, क्योंकि वह जानता था कि पहले सैक्स में रक्तस्राव होना जरूरी नहीं. इस से यह पता चलता है कि वर्जिन होने के लिए सुबूत देने की जरूरत नहीं होती बल्कि पहली बार किए जाने वाले सैक्स की शुरुआत प्यार और भरोसे के साथ की जाए तो यह न केवल ज्यादा मजा देने वाला होता है, बल्कि इस से रिश्ता और भी गहरा व विश्वसनीय बन जाता है.

बातचीत है जरूरी

सैक्स व मनोरोग विशेषज्ञ डा. मलिक मोहम्मद अकमलुद्दीन का कहना है कि कौमार्य खोने के पहले एकदूसरे के बारे में अच्छी तरह से जान लें, क्योंकि सैक्स आनंद के लिए किया जाता है न कि भूख मिटाने के लिए. इसलिए सैक्स को मजेदार बनाने की कोशिश करें, आपस में कामुक बातचीत की शुरुआत हो और धीरेधीरे यह बातचीत शर्म से ऊपर उठ कर सैक्स संबंध के रूप में आगे बढे़. इस तरह सैक्स का मजा दोगुना हो जाता है और पतिपत्नी के बीच शर्म का परदा भी उठ जाता है.

पहले सैक्स को ज्यादा मजेदार व यादगार बनाने के लिए वर्जिनिटी जैसे दकियानूसी खयाल से ऊपर उठ कर शारीरिक व मानसिक संतुष्टि को ज्यादा महत्त्व देना चाहिए. इस के अलावा किसी तरह की अजीबोगरीब उम्मीदें नहीं पालनी चाहिए जिन से जीवन साथी को किसी तरह की ठेस पहुंचे.

कैसी प्रेमिका की चाहत

एक सर्वे के अनुसार 51% युवा प्रेमियों को प्रेमिका की ब्यूटी, 36% को ब्रेन और 15% को प्रेमिका की ब्यूटी विद ब्रेन दोनों का कौंबिनेशन प्रभावित करता है. प्रेमी प्रेमिका की तरह अपनी पसंद और नापसंद के आधार पर प्रेमिका को चुनते हैं.

आइए जानें वे क्या पसंद करते हैं अपनी प्रेमिका में :

–       युवा प्रेमी को साफसफाई का खयाल रखने वाली प्रेमिका अधिक पसंद आती है.

–       युवा प्रेमी को प्रेमिका की बौडी लैंग्वेज, बाल, आंखें, मुसकराहट भी अपनी ओर आकर्षित करती है.

–       युवा प्रेमी बहुत होनहार प्रेमिका की चाहत नहीं रखते बल्कि उन्हें हर सामान्य कार्य में रुचि रखने वाली प्रेमिका ज्यादा पसंद आती है.

–       51% युवाओं का मानना है कि उन्हें प्रेमिका की खूबसूरती के अलावा उस का केयरिंग नेचर बहुत प्रभावित करता है.

–       आत्मविश्वासी प्रेमिका युवा प्रेमी को ज्यादा पसंद आती है.

–       अकसर युवक ऐसी प्रेमिका को पसंद करते हैं जो अपना अधिकांश समय उन्हें ही दे.

–       बातबात पर इमोशनल होने वाली पे्रमिका से वे दूरी बनाने में ही भलाई समझते हैं.

–       युवा प्रेमी अकसर ऐसी प्रेमिका चाहते हैं, जो सैक्सी और कौपरेट करती हो.

पिछले 2 साल से मैं अपने अंग में खुजली महसूस करता हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 21 साल है और पिछले 2 साल से मैं अपने अंग में खुजली महसूस करता हूं. खुजली इतनी ज्यादा होती है कि मैं वहां खूब खुजला लेता हूं. इस से मेरे अंग पर लाल निशान हो जाते हैं और बड़ी जलन मचती है. मैं ने कई जगह इलाज कराया, पर कोई फायदा नहीं हुआ. मैं क्या करूं?

जवाब

इस तरह की समस्या सैक्स इंफैक्शन या फंगल इंफैक्शन या दाद की वजह से हो सकती है. इस के अलावा मर्दाना अंग में हर्पीज, मस्से (वार्ट), सोराइसिस या कौंटैक्ट डर्मेटाइटिस जैसी साधारण समस्या के चलते भी ऐसा हो सकता है. यह डायबिटीज का शुरुआती लक्षण भी हो सकता है.

आप को चमड़ी बीमारी के माहिर डाक्टर से मिलना चाहिए, जो आप को इस के सही इलाज के बारे में सलाह दे सकता है.

 जब सताए दाद, खाज-खुजली तो अपनाएं ये टिप्स –

स्किन मानव शरीर का एक ऐसा हिस्सा है जिस में आएदिन कोई न कोई परेशानी हो ही जाती है. स्किन की बीमारियों की बात की जाए तो सबसे पहले खयाल दादखाजखुजली का आता है, जो गरमी के मौसम में ज्यादा परेशान करती है. हम अकसर इसे मामूली परेशानी समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह मामूली सी परेशानी कब भयानक रूप ले लेती है, इस का पता ही नहीं चलता. यह एक ऐसी बीमारी है, जो देश में 1 से 3% व्यक्तियों को इस प्रकार प्र्रभावित करती है कि वे कुछ ही समय में बहुत ज्यादा परेशान हो जाते हैं.

क्या है लक्षण

– यदि आप को हर दिन खुजली की प्रौब्लम रहती है तो यह खाज का लक्षण है.

– स्किन पर लाल चकत्ते उभर रहे हों जिन्हें आप का बारबार खुजलाने का मन करे तो वह दाद का लक्षण है.

– स्किन पर खिंचाव के साथ खुजली महसूस हो तो यह खाज का ही लक्षण है.

– स्किन पर दाने होना.

क्या है कारण

– दवाओं का ज्यादा सेवन करने से शरीर में साइड इफैक्ट हो सकता है, जिस से खुजली की परेशानी हो सकती है.

– मच्छरों और कीटों के काटने से खुजली की प्रौब्लम होती है.

– साफसफाई न रखने से स्किन में इन्फैक्शन हो सकता है, जो दादखाजखुजली का रूप ले सकता है.

– दाद, सोरायसिस, ऐक्जिमा जैसे चर्मरोग होने से भी खुजली होती है.

– गीले कपड़े पहनने से खुजली होती है.

– यदि किसी व्यक्ति को किसी चीज से ऐलर्जी है तो उस से खुजली हो सकती है.

– रूखी स्किन.

– चिलचिलाती धूप.

– इफैक्टेड व्यक्ति के संपर्क में आना.

 इन्फैक्शन से बचना जरूरी

जब दादखाज शरीर के अलग-अलग हिस्सों में एकसाथ हो जाए तो उसे ठीक कर पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है. यह प्रौब्लम देखने में तो बहुत ही साधारण लगती है, लेकिन असल में किसी भी व्यक्ति को अत्यधिक परेशान करने के लिए काफी है. ऐसे वक्त व्यक्ति को खुजलाने के अलावा कुछ नजर नहीं आता है. खुजलाने से उस क्षण तो राहत मिल जाती है लेकिन यही राहत बाद में परेशानी को गंभीर करने का कारण बन जाती है, जिस से दाद या खाज की जगह इन्फैक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है. खुजली करने की जगह यदि इस का समय पर इलाज करा लिया जाए तो इसे बढ़ने से रोका जा सकता है.

दाद और खाज के बीच अंतर

आमतौर पर लोग दाद और खाज को एक ही बीमारी समझ बैठते हैं, लेकिन दोनों में काफी अंतर है. दाद एक चर्मरोग है, जिस में स्किन पर लाल चकत्ते उभर आते हैं, जिन का सही समय पर इलाज न करने पर वे शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैलने लगते हैं. दाद में अत्यधिक खुजली महसूस होती है, जिस के कारण व्यक्ति मजबूर हो कर जब दाद को खुजलाता है, तो उसे आनंद महसूस होता है, लेकिन यही आनंद कुछ ही वक्त में दाद को और फैलने में मदद करता है. वहीं अगर बात खाज की करें, तो खाजएक तरह का इन्फैक्शन है, जो अकसर उंगलियों के बीच, घुटनों के पीछे, कलाइयों और कूल्हों और प्राइवेट पार्ट के किनारों पर देखने को मिलता है. आमतौर पर यह अंगों के गीले रहने पर जन्म लेता है जैसेकि गीले मोजे पहनना, लगातार पसीना आना, बारबार पानी में जाना, गीले कपड़े पहनना, जरूरत से ज्यादा कसे कपड़े पहनना आदि.

क्या है इलाज

आजकल बाजार में हर बीमारी की दवा उपलब्ध है. यदि आप दादखाज से परेशान हैं, तो डाक्टर की सलाह से दवा का सेवन कर सकते हैं या जैल के उपयोग से इस प्रौब्लम से छुटकारा पा सकते हैं. दाद खाज की प्रौब्लम का शुरुआत में ही इलाज कराने से यह आसानी से ठीक हो जाती है, लेकिन इलाज में देरी करने से इसे ठीक कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है. इस तरह की परेशानी होने पर चर्मरोग विशेषज्ञ से परमर्श लें.

जानें, इन वजहों से देते हैं आप एक-दूसरे को धोखा!

अमेरिकी लेखिका पेगी वौगैन अपनी किताब दि मोनोगैमी मिथ में अनुमान लगाती हैं कि तकरीबन 60 प्रतिशत पुरुष और 40 प्रतिशत महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन के दौरान कभी-न-कभी अपने साथी को धोखा देते हैं. और अक्सर इसका कारण सेक्स नहीं होता.

बेवफाई रिश्तों में कुछ समय से चली आ रही समस्या का लक्षण है; ऐसे प्रेम-संबंधों की शुरुआत बेवजह या फिर इसलिए नहीं होती कोई व्यक्ति ‘बुरा इंसान’ है. लोग रिश्ते में किसी कमी के चलते बेवफाई करते हैं – स्नेह की कमी, ध्यान की कमी, सेक्स या आदर की कमी या फिर भावनात्मक जुड़ाव की कमी. अत: यदि अब आप कभी किसी को बेवफाई करते पाएं तो ये न सोचें कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्योंकि हम वे कारण बता रहे हैं.

वे सुरक्षित नहीं महसूस करते:

यदि आप लगातार किसी बात को लेकर असुरक्षित महसूस करते हैं तो समझिए कि आपका रिश्ता टूटने की कगार पर है. वफादारी के पनपने के लिए जरूरी है कि पति-पत्नी के बीच प्यार और भरोसे का सतत प्रवाह बना रहे. ‘‘वैवाहिक रिश्तों में इन भावनाओं का होना अनमोल है और बहुत जरूरी भी. इससे सुनिश्चित होता है कि पति-पत्नी खुश और संतुष्ट हैं,’’ यह कहना है कोलकाता के साइकियाट्रिस्ट व रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ सिलादित्य रे का.

उनके पास बातचीत के लिए कुछ नहीं है:

जब मेरे पति की और मेरी मुलाक़ात हुई थी, तब हम दोनों हौस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में काम करते थे,’’ यह बताते हुए रिलेशनशिप एग्जेक्यूटिव प्रिया नायर, 29, कहती हैं,‘‘कुछ समय बाद मैंने वह इंडस्ट्री छोड़ दी और जनसंपर्क के क्षेत्र में आ गई. सालभर बाद तो हमारे पास एक-दूसरे से जुड़ने और बातचीत के लिए कोई साझा मुद्दा ही नहीं बचा था. थोड़े समय बाद हम दोनों को कुछ ऐसी गतिविधियों की जरूरत महसूस होने लगी, जिनका आनंद हम साथ-साथ उठा सकें. फिर हमने दौड़ने की अपनी रुचि पर ध्यान देना शुरू किया. हम एक-दूसरे को प्रोत्साहित करते, साथ-साथ मैराथन की तैयारी करते और इस बारे में चर्चा करते. इससे हमारी सेहत में भी सुधार आया और परस्पर रिश्ते में भी.’’

वे नाराज हैं, पर इसे छुपा रहे हैं:

यदि आपके बीच लड़ाई के दौरान अक्सर वे आपको ‘इमोशनल’ और आप उन्हें ‘संवेदनहीन’ कहती हैं तो साफ है कि आप दोनों एक-दूसरे की बात नहीं सुन रहे हैं. ऐसी टिप्पणियों से बचें और आरोप लगाने के बजाय एक-दूसरे से अपने एहसासात बांटें.

डॉ रे सलाह देते हैं,‘‘यदि उनकी किसी बात से आप आहत हो रही हैं तो उन्हें बताएं, पर इसका तरीका सही रखें. नकारात्मक भावनात्मक आवेग को बाहर निकालने का सेहतमंद रास्ता ढूंढ़ें. ये आपके वैवाहिक जीवन के लिए आवश्यक है.’’

उनके संकेतों को नजरअंदाज़ किया जा रहा है:

हर रिश्ते की कुछ सीमाएं होती हैं, जिनका सम्मान करना आप दोनों के लिए ज़रूरी है. आपको शायद ये अच्छा नहीं लगता हो कि आपके पति अब भी अपनी पूर्व-प्रेमिका से बातचीत करते हैं, पर वे इस बारे में आपको अक्सर संकेत देते रहते हैं.

डॉ रे कहते हैं कि इस तरह की सांकेतिक सीमाओं को समझना चाहिए और इनका आदर भी करना चाहिए. यदि आप इन अनकहे नियमों को तोड़ते हैं तो आपका साथी अपनी वफादारी को संदेह की दृष्टि से देखना शुरू कर सकता है और बेवफाई की संभावना बढ़ जाती है.

अपने व्यवहार में खुलापन लाइए. यदि आपको कोई आकर्षक लगता है तो इस बारे में बात कीजिए, क्योंकि यदि आप छिपाएंगी तो आपके इरादों को नेक नहीं कहा जा सकता.

उन्हें सेक्स की जरूरत है:

‘‘यदि आपके सेक्शुअल संबंध सेहतमंद नहीं है तो जाहिर है, आपका साथी यह सुख कहीं और से पाने का प्रयास करेगा,’’ कहना है डा. रे का. अपने सेक्स जीवन पर ध्यान दीजिए और यदि ये आपके, आपके साथी के या फिर आप दोनों के लिए संतुष्टिदायक नहीं है तो इस समस्या का समाधान ढूंढि़ए. इस मामले में मूक दर्शक मत बनिए, बल्कि किसी काउंसलर की मदद लीजिए.

पोर्न और सेक्स का खुला बाजार

सनी लियोनी को जिस तरह से भारतीय फिल्मों में करियर बनाने में कामयाबी मिली है, उस के बाद से कई पोर्न स्टार लड़कियां भारतीय इंडस्ट्री में आ कर करियर बनाना चाहती हैं.

रशियन पोर्न स्टार मिया मालकोवा हिंदी फिल्मों के जानेमाने फिल्मकार व डायरैक्टर रामगोपाल वर्मा की वैब सीरीज ‘गौड, सेक्स ऐंड ट्रुथ’ में काम कर चुकी हैं.

सोशल मीडिया पर इस के फोटो वायरल होने के बाद लोगों की बढ़ी दिलचस्पी से साफ है कि मिया मालकोवा को भी सनी लियोनी जैसी लोकप्रियता हासिल हो सकती है.

इस की सब से बड़ी वजह यह है कि भारतीय समाज अब पोर्न स्टार को ले कर अपनी पुरानी दकियानूसी सोच से बाहर निकल रहा है. सनी लियोनी को कलाकार के रूप में पैसा और शोहरत दोनों मिल रहे हैं.

सनी लियोनी को जब टैलीविजन के एक शो ‘बिग बौस’ में लाया गया था तो शो बनाने वालों पर आरोप लगा था कि वे अपने कार्यक्रम की टीआरपी बढ़ाने के लिए सनी लियोनी का सहारा ले रहे हैं. उस समय पहली बार हिंदुस्तानी दर्शकों को पता चला था कि सनी लियोनी पोर्न फिल्मों की बहुत बड़ी कलाकार हैं.

पोर्न फिल्मों और उस के कलाकारों को हिंदुस्तानी दर्शक पसंद करेंगे, इस बात को ले कर एक शक सा सभी के मन में था. फिल्मी दुनिया के जानकार मान रहे थे कि पोर्न फिल्मों का विरोधी देश सनी लियोनी को कभी पसंद नहीं करेगा. खुद सनी लियोनी को भी यही लगता था.

कनाडा में पैदा हुई सनी लियोनी भारतीय मूल की पंजाबी लड़की हैं.

5 फुट, 4 इंच लंबी सनी लियोनी गोरे रंग की 50 किलो वजन की हैं. पोर्न फिल्मों में आने से पहले वे जरमन बेकरी में काम करती थीं. इस के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए एक टैक्स फर्म में काम किया था. फिर उन की मुलाकात एक फोटोग्राफर से हुई जो पोर्न फोटो खींचता था.

उस फोटोग्राफर के कहने पर सनी लियोनी ने पोर्न फोटो शूट कराए, फिर यहीं से उन की पोर्न फिल्मों का सफर शुरू हो गया.

साल 2011 में सनी लियोनी ने डेनियल वेबर से शादी की. भारतीय फिल्म उद्योग में आने के बाद उन्हें भारी कामयाबी मिली.

पोर्न का देशी बाजार

सनी लियोनी के बाद भारतीय दर्शकों में पोर्न फिल्मों का क्रेज तेजी से बढ़ा है. विदेशों में पोर्न फिल्मों का उद्योग हिंदी फिल्मों जैसा ही है. इन फिल्मों के भी कलाकार होते हैं, जो दूसरे कलाकारों  जैसे होते हैं. उन का अपना घरपरिवार होता है.

अमेरिका के लौस एंजिल्स में पोर्न फिल्मों की शूटिंग के लिए पूरी तरह से कानूनी इजाजत दी जाती है. वहां साल में जितनी फिल्मों की शूटिंग के लिए इजाजत ली जाती है उन में से 5 फीसदी पोर्न फिल्में होती हैं.

भारत में भले ही पोर्न फिल्में बनाने के लिए कानूनी इजाजत न हो, पर चोरीछिपे पिछले 20 सालों से ऐसी फिल्मेंबनती रही हैं.

टैक्नोलौजी में बदलाव के साथसाथ पोर्न फिल्मों के कारोबार में भी बदलाव आया है. आज इंटरनैट, सीडी और मोबाइल फोन के जरीए पोर्न फिल्मों का मजा देश के हर तबके के लोग ले रहे हैं.

एक सर्वे के मुताबिक, इंटरनैट का इस्तेमाल करने वाले 80 फीसदी लोग कभी न कभी पोर्न फिल्में जरूर देखते हैं. 60 फीसदी लोग इस के पक्के दर्शक हैं. 20 फीसदीलोग इंटरनैट से पोर्न फिल्मों की खरीदारी करते हैं.

ज्यादातर लोग इंटरनैट पर ऐसी फिल्में देखते हैं, जिन के लिए उन को अलग से पैसा देने की जरूरत नहीं पड़ती है.

ज्यादातर हिंदुस्तानी दर्शक विदेशी पोर्न फिल्मों को पसंद करते हैं. कुछ ऐसे लोग भी हैं जो देशी पोर्न फिल्में देखने के आदी हैं. यही वजह है कि इंटरनैट पर देशी पोर्न फिल्मों की अलग साइटें तैयार होने लगी हैं.

विदेशों में बनती देशी पोर्न

अभी तक ज्यादातर देशी पोर्न फिल्में चोरीछिपे बनती थीं, जिन की फोटोग्राफी अच्छी नहीं होती थी. अब हिंदुस्तानी लड़केलड़कियों को ले कर विदेशों में फिल्में बनने लगी हैं. इन को सीडी और इंटरनैट के जरीए बेचा जा रहा है.

मुंबई में चोरीछिपे पोर्न फिल्में बनाने वाले भारतीय फिल्मकारों के लिए अब विदेशों में यह काम करना आसान हो गया है.

एक ऐसे ही फिल्मकार का कहना है, ‘‘अब पोर्न फिल्मों में काम करनेसे देशी लड़कियों को कोई परहेज नहीं है. कुछ शादीशुदा लड़कियां भी इस के लिए तैयार होती हैं.

‘‘देश के तमाम हिस्सों से मुंबई में काम की तलाश में आने वाली कुछ लड़कियां ऐसी फिल्मों में काम कर के पैसे कमाना चाहती हैं. सनी लियोनी के बाद इन को लगता है कि देश के लोग इन्हें भी इज्जत की नजर से देख सकते हैं. ये लड़कियां विदेशों में पोर्न फिल्मों की शूटिंग को तवज्जुह देती हैं.’’

देशी पोर्न फिल्मों में कालगर्ल भी काम करने को तैयार हो जाती हैं. इन में से ज्यादातर को अपना चेहरा दिखाने से कोई गुरेज भी नहीं होता है. ये विदेशी पोर्न फिल्में देख कर देशी पोर्न फिल्में तैयार कर लेती हैं.

देशी पोर्न फिल्मों का एक बड़ा क्षेत्र बैंकौक बन गया है. वहां पर देशी लड़कियों को ले कर पोर्न फिल्में तैयार हो रही हैं. इन लड़कियों को केवल शूटिंग करने के लिए ही बैंकौक भेजा जाता है. ऐसी पोर्न फिल्मों की बड़ी मांग अपने देश के अलावा पाकिस्तान, अरब देशों और नेपाल में होती है.

अरब देशों में पोर्न फिल्मों की शूटिंग भले ही न होती हो, पर वहां पर भी पोर्न फिल्मों की मांग सब से ज्यादा है. वे लोग पोर्न फिल्में खरीदने के लिए पैसा भी खर्च करते हैं.

कौमार्य भंग होती पोर्न फिल्मों की ज्यादा मांग अरब देशों में होती है. इस के साथ ही वहां सेक्स के दूसरे क्रूर तरीके दिखाने वाली फिल्में भी देखी जाती हैं.

ऐसे में अरब देश की औरतों के किरदार निभाने के लिए भी भारतीय लड़कियों का सहारा लिया जाता है. इन को मेकअप और कपड़ों से अरब देश की औरतों का लुक भी देने की कोशिश की जाती है.

भारतीय लड़कियां टूरिस्ट वीजा ले कर विदेशों में जाती हैं. वहां पोर्न फिल्मों की शूटिंग कर के वापस चली आती हैं.

इंटरनैट पर पोर्न फिल्मों के सहारे तमाम तरह के दूसरे सेक्स के सामान बेचने का सहारा भी लिया जाता है. इन के लिए पोर्न फिल्मों की साइटें सब से बड़ा सहारा बन गई हैं. इन सैक्सी इतिश्हारों में मर्द के अंग को लंबा और मोटा करने के लिए दवा, सैक्सी बातचीत करने वाली लड़कियों का प्रचार, पोर्न फिल्मों के कुछ सीन दिखा कर पूरी फिल्में और सैक्सी खिलौने बेचने का काम खूब होता है.

हर उम्र को लुभाती हैं

नैट बैंकिंग के शुरू होने के बाद इस क्षेत्र में भुगतान करना आसान हो गया है. इन फिल्मों का सब से बड़ा दीवाना आज का नौजवान तबका है.

इस के अलावा 40 साल के बाद की उम्र के लोग भी पोर्न फिल्मों का पूरा मजा लेते हैं. अब लड़के ही नहीं लड़कियां भी इन को खूब देखती हैं.

वैसे तो भारत में सेक्स को ले कर ज्यादा भरोसे लायक सर्वे नहीं होते हैं, फिर भी जो होते हैं उन में से एक सर्वे से पता चलता है कि 30 फीसदी लड़कियां पोर्न फिल्में देखने का शौक रखती हैं. 38 फीसदी शादीशुदा लड़के और 20 फीसदी लड़कियां पोर्न फिल्मों को देखते हैं.

गांव और शहर के आधार पर जब इस का सर्वे किया गया तो पता चला कि शहरों के 35 फीसदी और गांव के 26 फीसदी लड़के पोर्न फिल्में देखते हैं.

लड़के जहां शादी से पहले अपने साथियों के साथ पोर्न फिल्में देखने की शुरुआत करते हैं, वहीं लड़कियां शादी के बाद पतियों की पहल पर पोर्न फिल्में देखती हैं.

शादीशुदा लड़कियों ने सर्वे में बताया कि उन के  पतिउन्हें पोर्न फिल्में सेक्स में बढ़ावा देने के लिए दिखाते हैं.

सर्वे से यह भी पता चलता है कि गांव के 17 फीसदी और शहरों में रहने वाले 10 फीसदी लड़के शादी से पहले सेक्स का अनुभव ले चुके थे.

गांव में रहने वाली 4 फीसदी लड़कियां और शहरों में रहने वाली 2 फीसदी लड़कियां शादी से पहले ही सेक्स का अनुभव कर चुकी होती हैं.

गांव हो या शहर, पोर्न फिल्मों का चलन बढ़ाने में मोबाइल फोन का सब से अहम रोल रहा है. मोबाइल फोन पर ऐसी फिल्में लोड करने का अलग कारोबार चल पड़ा है. 1,500 से 2,000 रुपए की कीमत में ऐसे मोबाइल फोन बाजार में आ गए हैं जिन में 2 जीबी से ले कर 10 जीबी तक के मैमोरी कार्ड लगते हैं. ये कार्ड 200 रुपए की कीमत में मिल जाते हैं. इस कार्ड में ऐसी पोर्न फिल्में आसानी से लोड कराई जा सकती हैं.

जिन लोगों के पास कंप्यूटर या लैपटौप जैसे महंगे साधन नहीं हैं उन के लिए मोबाइल फोन सब से अच्छा साधन बन गया है. पहले कुछ लोग साइबर शौप पर जाते थे, पर वहां परेशानी होती थी. अब जिन लोगों के मोबाइल फोन में इंटरनैट चलाने की सुविधा है वे सीधे पोर्न फिल्में देख सकते हैं.

जागरूक करतीं पोर्न फिल्में    

पोर्नोग्राफी और सेक्स ऐजूकेशन की किताबों के बीच एक बहुत ही महीन सी दीवार होती है. इस तरह की जानकारी काफी हद तक पतिपत्नी के बीच जिस्मानी संबंधों को ले कर फैली हुई भ्रांतियों को दूर करती है. इस को गलत तब कहा जा सकता है जब इस को गलत लोग देखें या फिर जबरदस्ती किसी लड़की या लड़के को दिखाएं.

पहले बड़ा परिवार होता था. इन में भाभी, बड़ी ननद, बूआ और बड़ी बहन जैसे तमाम रिश्ते होते थे जो लड़की को शादी के बाद जिस्मानी संबंधों के बारे में बताती थीं.

अब इस तरह के रिश्ते कम हो गए हैं. लड़कियां अपने करियर और दूसरे मसलों में इतना उलझी हुई होती हैं कि वे अपने परिवार के लोगों से इतना नहीं घुलमिल पाती हैं कि उन से जिस्मानी संबंधों पर बात कर सके. इस के चलते शादी के बाद जिस्मानी संबंधों को ले कर वे अनजान ही बनी रहती हैं.

जिन दोस्तों या सहेलियों के जरीए उन को पता चलता है, वह भी सही जानकारी नहीं दे पाते हैं. कभीकभी इन जानकारियों की कमी में लड़कियों को कुंआरी मां बनने तक की नौबत आ जाती है.

आमतौर पर अपने देश में इस तरह की सेक्स ऐजूकेशन को गलत माना जाता है. इस की कमी में लड़कियां सेक्स से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो जाती हैं.

अपने देश में भले ही सेक्स सिखाने वाली किताबों को पोर्नोग्राफी माना जाता हो लेकिन दूसरे देशों में इस को इलाज के रूप में लिया जाता है.

एक डाक्टर बताते हैं, ‘‘जब मेरे पास कोई लड़का इस बात की शिकायत ले कर आता है कि वह नामर्दी का शिकार है, उस के अंग में तनाव नहीं आता है तो यह देखना पड़ता है कि यह तनाव हमेशा नहीं आता या फिर कभीकभी आता भी है.

‘‘जब लड़का कहता है कि सेक्स की किताबें पढ़ कर या फिर ब्लू फिल्में देख कर तनाव आता है, तब यह पता चलता है कि उस लड़के की नामर्दी केवल मन का वहम है. अगर इस हालत में भी तनाव नहीं आता है तो उस का इलाज थोड़ा मुश्किल हो जाता है.’’

विदेशों में पोर्नोग्राफी को ले कर कई तरह की रिसर्च होती रहती हैं. इसी तरह की एक रिसर्च बताती है कि ब्लू फिल्में देखने से आदमी के शुक्राणुओं की गति तेज हो जाती हैं.पोर्नोग्राफी को विदेशों में  एक कला की तरह देखा जाता है. कुछ कलाकार तो दूसरी फिल्मों में भी काम कर के अपना नाम कमाते हैं.

सेक्स संबंधों की काउंसलिंग करने वाले कुछ डाक्टरों का कहना है कि अपने देश में भी पोर्न फिल्मों को दिखा कर नामर्दी का इलाज करना कानूनी रूप से सही माना जाना चाहिए. कानून को इस बात की इजाजत देने के बारे में सोचना चाहिए. जब नामर्दी दूर करने के लिए दवाएं बनाई जाती हैं तो उन का असर देखने के लिए भी ब्लू फिल्मों का इस्तेमाल किया जाता है.

पोर्नोग्राफी का इस्तेमाल जब पतिपत्नी आपसी समझदारी के साथ करते हैं तो उन के रिश्ते रोचक हो जाते हैं. सेक्स संबंध शादीशुदा जोड़ों की बड़ी जरूरत होते हैं. कभीकभी जब ये संबंध टूटते हैं तो इन का असर शादीशुदा जिंदगी पर भी पड़ता है.

हमारे समाज में औरतों को सेक्स के बारे में अपनी बात कहने से रोका जाता है. इस के उलट आदमी सेक्स को ले कर हर तरह का प्रयोग करना चाहता है.

जब पतिपत्नी के बीच इस तरह की परेशानी आती है तो पति दूसरी औरत की तरफ भागने लगता है. अगर दूसरी औरत वाले मामले को देखें तो उस की सब से बड़ी वजह सेक्स ही है.

हमारे समाज में औरतों को कभी बराबरी का दर्जा नहीं दिया गया. कभी उस को देवी बना दिया गया तो कभी कोठे पर बिठा दिया गया. उस को अपनी जिंदगी जीने के बारे में सिखाया ही नहीं गया.

आज भी सेक्स को ले कर पत्नी में एक झिझक रहती है. उस को लगता है कि अगर सेक्स को ले कर उस ने पहल की तो उसे ही बदचलन मान लिया जाएगा. इसलिए वह चुप ही रहती है.

इस तरह के जोड़ों में तनाव और लड़ाईझगड़ा ज्यादा होता है. जिन लोगों की सेक्स जिंदगी ठीक होती है, वे हंसीखुशी व तालमेल के साथ रहते हैं.

मेरी शादी को 3 साल हो गए हैं पर अभी तक मैं प्रेग्नेंसी कंसीव नहीं कर पाई हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 26 वर्षीय विवाहिता हूं. शादी को 3 साल हो गए हैं पर अभी तक कंसीव नहीं कर पाई हूं. इस के लिए अब मैं सेक्स के दौरान नीचे तकिया भी रखती हूं और पति से कहती हूं कि स्खलित होने के बाद वे देर तक उसी अवस्था में रहें. फिर भी कंसीव नहीं कर पा रही जबकि मेरे पीरियड्स रैग्युलर हैं और हम नियमित रूप से सेक्स भी करते हैं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

सेक्स के दौरान इजैक्युलेशन के समय पुरुष के अंग से काफी तीव्र वेग से स्पर्म निकलते हैं और गहराई तक पहुंचते हैं. जो स्पर्म स्ट्रौंग नहीं होते वे वैजाइना से बाहर भी निकल जाते हैं, मगर इस से गर्भधारण प्रक्रिया में कोई फर्क नहीं पड़ता. यह एक आम प्रक्रिया है और इस से घबराने की भी जरूरत नहीं है.

अगर पति का स्पर्म काउंट सही है, आप का पीरियड्स रैग्युलर है तो संभव है कि आप के कंसीव न कर पाने के पीछे कोई और मैडिकल वजह हो. यह वजह आप में या फिर आप के पति दोनों में से किसी में भी हो सकती है.

अच्छा यही होगा कि आप किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से सलाह लें और फर्टिलिटी के बारे में बात करें. तभी आप जल्दी कंसीव कर पाएंगी.

मां बनने में न हो देरी इसलिए कराएं समय पर इलाज –

शादी के बाद मां बनने की ख्वाहिश हर महिला की होती है. लेकिन कैरियर के चक्कर में एक तो देरी से शादी करने का फैसला और उस के बाद भी मां बनने का फैसला लेने में देरी करना उन की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है, जिस से उन्हें कंसीव करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में जरूरी है समय पर सही फैसला लेने की व कंसीव करने में सफलता नहीं मिलने पर डाक्टरी परामर्श ले कर इलाज करवाने की.

जानते हैं इस संबंध में गाइनोकोलौजिस्ट ऐंड ओब्स्टेट्रिशिन (नर्चर आईवीएफ सैंटर) की डा. अर्चना धवन बजाज से:

कब आती है समस्या

पीसीओडी, ऐंडोमिट्रिओसिस, अंडे कम बनना या बनने पर उन की क्वालिटी का सही नहीं होना, फैलोपियन ट्यूब में ब्लौकेज, हारमोंस का इंबैलेंस, पुरुष में शुक्राणुओं की कमी की वजह से दंपती संतान सुख से वंचित रह जाते हैं.

आज संतान सुख से वंचित दंपतियों की संख्या दिनप्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जो तनाव का भी कारण बनती जा रही है. ऐसे में जरूरी है कि अगर आप दोनों साथ रहते हैं और 1 साल से भी ज्यादा समय से बच्चे के लिए ट्राई कर रहे हैं और आप को सफलता नहीं मिल रही है तो आप तुरंत डाक्टर से संपर्क करें ताकि समय पर इलाज शुरू हो सके. सक्सैस नहीं मिलने पर आईयूआई, आईवीएफ व आईसीएसआई का विकल्प आइए, जानते हैं विस्तार से आईयूआई, आईवीएफ व आईसीएसआई प्रक्रिया के बारे में:

आईयूआई

आईयूआई को इंट्रायूटरिन इंसेमिनिशेन कहते हैं. इस प्रक्रिया में पहले सोनोग्राफी के द्वारा महिला के एग के रिलीज होने के समय का पता लगाया जाता है. इस दौरान अंडे की क्वालिटी को अच्छा बनाने व रिलीज करने के लिए दवाइयां भी दी जाती हैं. जब अंडा रप्चर होने के करीब होता है तब पुरुष के अच्छे शुक्राणुओं को अलग कर लिया जाता है फिर उसे गर्भाशय में पहुंचाया जाता है ताकि अंडा आसानी से शुक्राणु से मिल सके और कंसीव करने में आसानी हो.

इस प्रक्रिया में महिला के पीरियड को ध्यान में रखा जाता है. इस में पीरियड के 10वें दिन से सोनोग्राफी करवाई जाती है, जो 14वें, 15वें दिन तक रोजाना या एक दिन छोड़ कर होती है. इस में नियमित रूप से सैक्स भी करने को कहा जाता है, क्योंकि अंडा 1 दिन तक जीवित रहता है जबकि स्पर्म 2 दिन तक.

आईयूआई के कम से कम 5-6 सर्किल ट्राई किए जाते हैं. फिर भी सफलता नहीं मिलने पर आईवीएफ का सु झाव दिया जाता है. इस के लिए पहले लैप्रोस्कोपी द्वारा स्थिति का पता लगाया जाता है.

आईवीएफ

आईवीएफ को इनविट्रो फर्टिलाइजेशन कहा जाता है, जिस में महिला के शरीर से विकसित हुए अंडे को बाहर निकाल कर पुरुष के अच्छे शुक्राणुओं से मिलाया जाता है. फिर इन्हें कल्चर डिश में डाल दिया जाता है. इस प्रक्रिया से बने भ्रूण को प्रयोगशाला में रखा जाता है और फिर 2 दिन बाद महिला के यूटरस में डाल दिया जाता है. इस से कंसीव करने में आसानी होती है.

आईसीएसआई

इसे इंट्रासाइटोप्लास्मिक मोफोलौजिकल सिलैक्टेड स्पर्म इंजैक्शन तकनीक कहा जाता है. इस तकनीक का सहारा तब लिया जाता है जब पुरुष शुक्राणुओं की संख्या काफी कम होती है. इस में टैस्ट द्वारा उच्च गुणवत्ता यानी अच्छे शुक्राणुओं को अलग कर के फिर प्रोसैस में लाया जाता है.

आईवीएफ से सक्सैस रेट

इस में सक्सैस इस बात पर निर्भर करती है कि दंपती की उम्र क्या है और उन की शादी को कितने साल हुए हैं. जैसे अगर उम्र 30 साल से कम है तो 50-55% सक्सैस के चांसेज होते हैं, वहीं 35-40 वर्ष की उम्र में सक्सैस रेट 30-35% रह जाता है. 40 में या उस के बाद सिर्फ 20-25%. कई बार पहली बार आईवीएफ करवाने पर सक्सैस नहीं मिलती है. लेकिन दूसरी, तीसरी, चौथी बार इस के सक्सैस के चांसेज काफी बढ़ जाते हैं.

फायदा

ट्यूब बंद होने, स्पर्म काउंट कम होने या फिर अंडे की क्वालिटी सही नहीं होने पर  भी आईवीएफ से आसानी से कंसीव कर के संतान सुख प्राप्त किया जा सकता है.

खास केयर की जरूरत

वैसे तो हर महिला यही चाहती है कि उसे नैचुरल तरीके से गर्भधारण हो, लेकिन जब इस में सफलता नहीं मिलती तो अन्य विकल्पों का सहारा लेना ही पड़ता है. अन्य विकल्पों को अपनाने के साथ ही प्रैगनैंसी में कौंप्लिकेशन न आए, इस के लिए ज्यादा सावधानियां बरतने की जरूरत होती है जैसे कई बार प्रैगनैंसी के दौरान डायबिटीज, हाइपरटैंशन, ओवेरियन हाइपर स्टिम्युलेशन हो जाता है. इसलिए जरूरत है कि इस दौरान डाक्टर की हर सलाह पर अमल करने की और किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत डाक्टर को दिखाने की ताकि स्थिति बिगड़े नहीं.

हारमोंस को बैलेंस में रखना जरूरी

हारमोंस के असंतुलित होने से हमारी शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक व इमोशनल हैल्थ पर भी प्रभाव पड़ता है. इस के लिए काफी हद तक हमारा मौडर्न लाइफस्टाइल जिम्मेदार होता है, जिसे अगर आप चाहें तो बड़ी आसानी से बैलेंस कर सकते हैं. जैसे-

– रोजाना पर्याप्त मात्रा में अपनी डाइट में प्रोटीन लें.

– बिजी शैड्यूल के बावजूद ऐक्सरसाइज के शैड्यूल को न छोड़ें.

– मोटापे को कंट्रोल करने व खुद को फिट रखने के लिए कार्बोहाइड्रेट व चीनी का इनटेक कम करें.

– खुश रहें ताकि तनाव से दूर रहें.

– ओवरईटिंग की आदत से बचें.

– पूरी नींद लेने के साथसाथ हाइफाइबर डाइट लें.

इस बात का ध्यान रखें कि अपने इलाज को ले कर स्ट्रैस में न रहें, क्योंकि स्ट्रैस में रहने से हारमोंस का संतुलन बिगड़ता है, जिस से आप को कंसीव करने में दिक्कत होगी.

डा. अर्चना धवन बजाज

कंसलटैंट ओब्स्टेट्रिशन, गाइनोकोलौजिस्ट इनफर्टिलिटी ऐंड आईवीएफ ऐक्सपर्ट, द नर्चर क्लीनिक

सैक्स के बाद मर्दाना अंग में जलन,डाक्टर से लें सलाह

माधव की उम्र 45 साल थी. उस के 2 बच्चे थे. पत्नी सविता की उम्र 40 साल थी. पतिपत्नी ज्यादा तो सैक्स नहीं कर पाते थे, पर उन में बहुत ज्यादा प्यार था. हां, जब कभी मूड कर गया, तो माधव सविता की देह मथ ही देता था.

सविता भी पति की बांहों में खो जाती थी. पर यह सब हफ्ते में 2-3 बार ही हो पाता था. लेकिन पिछले कुछ समय से माधव एक नई समस्या से जूझ रहा था. पत्नी के साथ सैक्स करने के बाद उस के अंग में तेज जलन होती थी और कई बार तो वह दर्द से बिलबिला जाता था. पहले तो माधव ने सोचा कि सविता के पास काफी दिनों में जाने से ऐसा हो सकता है, पर पिछले 2 दिन में 2 बार सैक्स करने पर भी उसे वही दर्द हुआ.

माधव ने यह बात किसी को नहीं बताई और इसे आम बात समझ कर चुप्पी साध गया, पर मन ही मन वह सैक्स करने के विचार से ही डरने लगा. सविता भी नहीं समझ पाई कि अब माधव उस से दूरी क्यों बना रहा है, जबकि वह तो उसे पूरा मजा देती है.

भारत में सब से ज्यादा दिक्कत की बात यह है कि अच्छे पढ़ेलिखे लोग भी सैक्स से जुड़ी बीमारियों को जानबूझ कर अनदेखा कर देते हैं और इलाज की कमी में उन्हें बड़ा बना देते हैं, जबकि किसी माहिर अच्छे डाक्टर के पास ऐसी बीमारियों का इलाज हो सकता है.

लेकिन माधव डाक्टर के बजाय किसी नीमहकीम के दरवाजे पर जा पहुंचा, जहां इलाज के नाम पर उसे इतना काढ़ा पिलाया गया कि वह हाथ जोड़ने लगा, जबकि उसे अपनी बीमारी से छुटकारा नहीं मिल पाया.

मर्दाना अंग में जलन बारे में ‘अल्फा वन सैंटर’ के डायरैक्टर और ‘यूरोपियन कमेटी औफ सैक्सुल मैडिसिन’ के फैलो डाक्टर अनूप धीर का मानना है, ‘‘सैक्स के बाद अंग में जलन एक एसटीआई का संकेत हो सकता है, जैसे अंग का दाद, सिफलिस, क्लैमाइडिया या गोनोरिया. अगर आप को संभावित एसटीआई पर शक है, तो सैक्स करने से बचें और अपने अंग की जलन की सटीक वजह का पता लगाने के लिए डाक्टर से मिलें.

‘‘सैक्स का रगड़ाव आप के अंग की चमड़ी को परेशान कर सकता है खासकर अगर आप का साथी सही रूप से लुब्रिकेटेड नहीं है. पार्टनर के शरीर पर रगड़ने से चमड़ी की ऊपरी परत घिस सकती है. यह नीचे की संवेदनशील परत को उजागर कर सकता है, जिस में तंत्रिकाएं और ऊतक होते हैं.

‘‘यह दर्द केवल एक दिन तक रह सकता है, अगर आप ऐसी गतिविधियों यानी सैक्स करने से परहेज करते हैं जो चमड़ी को और परेशान कर सकती हैं. कुछ देर तक सैक्स करने या फिर जोरजोर से सैक्स करने से आप के अंग में दर्द हो सकता है.

‘‘यह लंबे समय तक सीधा रहने का नतीजा हो सकता है, जो मांसपेशियों और ऊतकों को तनाव और कभीकभी चोट भी पहुंचा सकता है.’’

डाक्टर अनूप धीर का यह भी मानना है कि अगर यह समस्या बढ़ रही है तो माहिर डाक्टर से चैक कराने में देर न करें और उस के बताए गए इलाज का पूरी तरह पालन करें.

इन बातों का रखें खयाल

  1. सैक्स से पहले और बाद में दोनों पार्टनर अपने प्राइवेट पार्ट की सफाई जरूर करें.

2. कंडोम का इस्तेमाल करें.

3.  सैक्स के बाद अंडरवियर बदल दें.

4. अंग में दर्द होने पर कुछ समय के लिए सैक्स करना छोड़ दें.

5. ऐसी सैक्स पोजिशन न इस्तेमाल करें, जिन से बाद में दिक्कत होती हो.

क्या आपको पता हैं औरतों के ये 12 राज?

बहुत सी ऐसी बातें है जिसकी चाहत हर महिला को होती है लेकिन वो स्‍वयं इन्हें अपनी जुबां से कभी नहीं कहती. जैसे उनका प्रेमी उनके नखरे उठाएं, उनके आगे-पीछे घूमें, उन्हें महत्‍वपूर्ण समझें, उनकी हर बात मानें.

1. महिलाओं के सीक्रेट

महिलाओं का स्‍वभाव बहुत शार्मिला होता है. इसलिए उनके दिल की बात को जुबां तक आने में काफी समय लगता हैं. लेकिन बहुत सी बातें ऐसी है जो हर महिला चाहती हैं. जैसे अपने प्रेमी से प्‍यार और देखभाल की उम्‍मीद, साथ ही यह भी की उनका प्रेमी उनके नखरे उठाएं, उनके आगे-पीछे घूमें, उन्हें महत्‍वपूर्ण समझें, उनकी हर बात मानें. आइये इसके अलावा महिलाओं की सीक्रेट के बारे में जानें.

2. अपनी तारीफ सुनना

महिलाओं को हमेशा उनकी तारीफ करने वाले पुरुष बहुत अच्‍छे लगते हैं. ऐसे में उन्‍हें बहुत अच्‍छा लगता है जब प्रेमी उनमें किसी भी तरह का बदलाव दिखने पर तुरंत उनकी प्रशंसा करें. जैसे अगर महिला फिट दिखें, कोई नया हेयरकट करवाया हो या आकर्षक लगें, तो उनकी तारीफ जरुर करें.

3. ध्यान रखने वाला पुरुष

महिलाओं को केयर करने वाले पुरुष बहुत पसंद होते है. महिलाएं संवेदनशील होती है इसलिए उन्‍हें ऐसे ही पुरुष बहुत अच्‍छे लगते है. जो परेशानी के समय उनकी अच्‍छे से देखभाल कर सकें.

4. कपड़ों से प्रभावित होना

ज्‍यादातर महिलाएं पुरूषों को उनके पहनावे से भी पसंद करती है. इसलिए पुरुषों को चाहिए कि वह महिलाओं को अपने कपड़ों से प्रभावित करने की कोशिश करें. पुरुषों को हमेशा अपने सौंदर्य और कपडों पर ध्यान देना चाहिए. अगर, महिलाएं आपको टाइट जींस में देखना पसंद करती है, तो उनके लिए ज्यादातर टाइट जींस पहनें.

5. पुराने संबंधों के बारे में जानना

अगर महिलाएं आप से आपके पुराने संबंधों के बारे में बात करना चाहे, तो इसका अर्थ यह नहीं कि आपने कुछ गलत किया है. अपने संबंधों के बारे में बात करने से ना डरें. यह तो आप दोनों के लिए अच्छी बात है, क्‍योंकि सच्चाई और लंबी बातचीत आप लोगों को एक दूसरे के करीब ला सकती है.

6. सुझावों को थोपें नहीं

अकसर पुरुष महिलाओं की समस्‍या सुने बिना अपने सुझावों को उनपर थोपने लगते हैं. पुरुष, अपने राय को उन पर थोप कर उनकी दुनिया को सीमित कर देते हैं. इसलिए अगर वह किसी बात से परेशान है, तो उन्हें सलाह देने से पहले उनकी बात को अच्‍छे से सुनें.

7. रिश्‍ते में रोमांस

महिलाएं अपने रिश्‍ते की कद्र करने के साथ रिश्‍ते में रोमांस को निरंतर बनाये रखना चाहती हैं. इसलिए यह जरूरी है कि आपका रिश्‍ता चाहे वह 5 म‍हीने से हो या 5 सालों से उसमें रोमांस को हमेशा बनाये रखें.

8. कमियों को जानना

महिलाओं को प्रशंसा करने वाले पुरुषों के साथ-साथ कमियां बताने वाले पुरुष भी पसंद होते हैं. जैसे, अगर महिला लंबे समय तक काम करने के बाद काफी थक गई हैं और चिडचिडापन महसूस कर रहीं हैं तो उस समय उनकी कमी को बताने वाले पुरुष पसंद आते हैं.

9. बातों को ध्‍यान से सुनना

महिलाएं अकसर यह जानने की कोशिश करती हैं कि उनकी बातों को आप कितनी ध्‍यान से सुनते हो और कैसे प्रतिक्रिया देते हैं. इसलिये महिलाओं से बात करते समय केवल सर हिलाना काफी नहीं है उनकी बात को महत्वपूर्ण ढंग से सुने.

10. सेक्स में उनकी चाहत

महिला अकसर सेक्‍स के बारे में बात करना और अपने साथी को खुश करना चाहती हैं. इसलिए आप भी सेक्‍स के दौरान वह करें जो महिला साथी चाहती है. इसके लिए विनम्र दृष्टिकोण अक्सर सबसे अच्छा होता है. पहले, यह पूछे कि वह क्या चाहती है. फिर अपनी इच्छा को सकारात्मक और सही तरीके से उनके सामने व्यक्त करें.

11. शिष्टता का व्‍यवहार

जब रोमांस की बात आती है तो बहुत सारी महिलाएं पुरुषों की पारंपरिक मर्दाना भूमिका ही पसंद करती है. जैसे लड़की बैठने के लिये खुद ही कुर्सी खीच सकती हो, लेकिन वह आपका इंतजार करती है कि आप उसको कुर्सी खींच कर दें. तो समय आ गया है कि आप उसकी नजरों में सज्जन पुरुष बन जाएं.

12. आपकी शर्ट उनके लिए प्यार का चुंबक

क्‍या आपकी महिला साथी आपके स्‍वेटर में सिकुड़ने या शर्ट में घुसने का प्रयास करती हैं. कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, महिलाओं को पुरुष के पसीने की गंध से आरामदायक प्रभाव पड़ता है. क्‍या आप महिलाओं के इस सीक्रेट के बारे में जानते हैं.

कामुकता का राज क्या जानते हैं आप

मेरठ का 30 वर्षीय मनोहर अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं था, कारण शारीरिक अस्वस्थता उस के यौन संबंध में आड़े आ रही थी. एक वर्ष पहले ही उस की शादी हुई थी. वह पीठ और पैर के जोड़ों के दर्द की वजह से संसर्ग के समय पत्नी के साथ सुखद संबंध बनाने में असहज हो जाता था. सैक्स को ले कर उस के मन में कई तरह की भ्रांतियां थीं.

दूसरी तरफ उस की 24 वर्षीय पत्नी उसे सैक्स के मामले में कमजोर समझ रही थी, क्योंकि वह उस सुखद एहसास को महसूस नहीं कर पाती थी जिस की उस ने कल्पना की थी. उन दोनों ने अलगअलग तरीके से अपनी समस्याएं सुलझाने की कोशिश की. वे दोस्तों की सलाह पर सैक्सोलौजिस्ट के पास गए. उस ने उन से तमाम तरह की पूछताछ के बाद समुचित सलाह दी.

क्या आप जानते हैं कि सैक्स का संबंध जितना दैहिक आकर्षण, दिली तमन्ना, परिवेश और भावनात्मक प्रवाह से है, उतना ही यह विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है. हर किसी के मन में उठने वाले कुछ सामान्य सवाल हैं कि किसी पुरुष को पहली नजर में अपने जीवनसाथी के सुंदर चेहरे के अलावा और क्या अच्छा लगता है? रिश्ते को तरोताजा और एकदूसरे के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए क्या तौरतरीके अपनाने चाहिए?

सैक्स जीवन को बेहतर बनाने और रिश्ते में प्यार कायम रखने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है? रिश्ते में प्रगाढ़ता कैसे आएगी? हमें कोई बहुत अच्छा क्यों लगने लगता है? किसी की धूर्तता या दीवानगी के पीछे सैक्स की कामुकता के बदलाव का राज क्या है? खुश रहने के लिए कितना सैक्स जरूरी है? सैक्स में फ्लर्ट किस हद तक किया जाना चाहिए?

इन सवालों के अलावा सब से चिंताजनक सवाल अंग के साइज और शीघ्र स्खलन की समस्या को ले कर भी होता है. इन सारे सवालों के पीछे वैज्ञानिक तथ्य छिपा है, जबकि सामान्य पुरुष उन से अनजान बने रह कर भावनात्मक स्तर पर कमजोर बन जाता है या फिर आत्मविश्वास खो बैठता है.

वैज्ञानिक शोध : संसर्ग का संघर्ष

हाल में किए गए वैज्ञानिक शोध के अनुसार, यौन सुख का चरमोत्कर्ष पुरुषों के दिमाग में तय होता है, जबकि महिलाओं के लिए सैक्स के दौरान विविध तरीके माने रखते हैं. चिकित्सा जगत के वैज्ञानिक बताते हैं कि पुरुष गलत तरीके के यौन संबंध को खुद नियंत्रित कर सकता है, जो उस की शारीरिक संरचना पर निर्भर है.

पुरुषों के लिए बेहतर यौनानंद और सहज यौन संबंध उस के यौनांग, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर निर्भर करता है. पुरुषों में यदि रीढ़ की हड्डी की चोट या न्यूरोट्रांसमीटर सुखद यौन प्रक्रिया में बाधक बन सकता है, तो महिलाओं के लिए जननांग की दीवारें इस के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होती हैं और कामोत्तेजना में बाधक बन सकती हैं.

शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि एक पुरुष में संसर्ग सुख तक पहुंचने की क्षमता काफी हद तक उस के अपने शरीर की संरचना पर निर्भर है, जिस का नियंत्रण आसानी से नहीं हो पाता है. इस के लिए पुरुषों में मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और शिश्न जिम्मेदार होते हैं.

मैडिसन के इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल और मायो क्सीविक स्थित वैज्ञानिकों ने सैक्सुअल और न्यूरो एनाटोमी से संबंधित संसर्ग के प्रचलित तथ्यों का अध्ययन कर विश्लेषण किया. विश्लेषण के अनुसार,

डा. सीगल बताते हैं, ‘‘पुरुष के अंग के आकार के विपरीत किसी भी स्वस्थ पुरुष में संसर्ग करने की क्षमता काफी हद तक उस के तंत्रिकातंत्र पर निर्भर है. शरीर को नियंत्रित करने वाले तंत्रिकातंत्र और सहानुभूतिक तंत्रिकातंत्र के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए, जो शरीर के भीतर जूझने या स्वच्छंद होने की स्थिति को नियंत्रित करता है.’’

डा. सीगल अपने शोध के आधार पर बताते हैं कि शारीरिक संबंध के दौरान संवेदना मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी द्वारा पहुंचती है और फिर इस के दूसरे छोर को संकेत मिलता है कि आगे क्या करना है. इस आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया कि उत्तेजना 2 तथ्यों पर निर्भर है.

एक मनोवैज्ञानिक और दूसरी शारीरिक, जिस में शिश्न की उत्तेजना प्रत्यक्ष तौर पर बनती है.

इन 2 कारणों में से सामान्य मनोवैज्ञानिक तर्क की मान्यता में पूरी सचाई नहीं है. डा. सीगल का कहना है कि रीढ़ की हड्डी की चोट से शिश्न की उत्तेजना में कमी आने से संसर्ग सुख की प्राप्ति प्रभावित हो जाती है. इसी तरह से मस्तिष्क में मनोवैज्ञानिक समस्याओं में अवसाद आदि से तंत्रिका रसायन में बदलाव आने से संसर्ग और अधिक असहज या कष्टप्रद बन जाता है.

स्त्री की यौन तृप्ति

कोई युवती कितनी कामुक या सैक्स के प्रति उन्मादी हो सकती है? इस के लिए बड़ा सवाल यह है कि उसे यौन तृप्ति किस हद तक कितने समय में मिल पाती है? विश्लेषणों के अनुसार, शोधकर्ता वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ऐसे लोगों को चिकित्सकीय सहायता मिल सकती है और वे सुखद यौन संबंध में बाधक बनने वाली बहुचर्चित भ्रांतियों से बच सकते हैं.

इस शोध में यह भी पाया गया है कि युवतियों के लिए यौन तृप्ति का अनुभव कहीं अधिक जटिल समस्या है. इस बारे में पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने माइक्रोस्कोप के जरिए युवतियों के अंग की दीवारों में होने वाले बदलावों और असंगत प्रभाव बनने वाली स्थिति का पता लगाया है.

वैज्ञानिकों ने एमआरआई स्कैन के जरिए महिला के दिमाग में संसर्ग के दौरान की  सक्रियता मालूम कर उत्तेजना की समस्या से जूझने वाले पुरुषों को सुझाव दिया है कि वे अपनी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं. उन्हें सैक्सुअल समस्याओं के निबटारे के लिए डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए, न कि नीम हकीम की सलाह या सुनीसुनाई बातों को महत्त्व देना चाहिए. इस अध्ययन को जर्नल औफ क्लीनिकल एनाटौमी में प्रकाशित किया गया है.

महत्त्वपूर्ण है संसर्ग की शैली

डा. सीगल के अनुसार, महिलाओं के लिए संसर्ग के सिलसिले में अपनाई गई पोजिशन महत्त्वपूर्ण है. विभिन्न सैक्सुअल पोजिशंस के संदर्भ में शोधकर्ताओं द्वारा किए गए सर्वेक्षणों में भी पाया गया है कि स्त्री के यौनांग की दीवारों को विभिन्न तरीके से उत्तेजित किया जा सकता है.

आज की भागदौड़भरी जीवनशैली में मानसिक तनाव के साथसाथ शारीरिक अस्वस्थता भी सैक्स जीवन को प्रभावित कर देती है. ऐसे में कोई पुरुष चाहे तो अपनी सैक्स संबंधी समस्याओं को डाक्टरी सलाह के जरिए दूर कर सकता है.

कठिनाई यह है कि ऐसे डाक्टर कम होते हैं और जो प्रचार करते हैं वे दवाएं बेचने के इच्छुक होते हैं, सलाह देने में कम. वैसे, बड़े अस्पतालों में स्किन व वीडी रोग (वैस्कुलर डिजीज) विभाग होता है. अगर कोई युगल किसी सैक्स समस्या से जूझ रहा है तो वह इस विभाग में डाक्टर को दिखा कर सलाह ले सकता है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें