किसी भी युवती के लिए पहले सैक्स के दौरान उस की वर्जिनिटी सब से ज्यादा माने रखती है. युवती की योनि के ऊपरी हिस्से में पतली झिल्ली होती है जो उस के वर्जिन होने का प्रमाण देती है, लेकिन किसी भी युवती की योनि और उस के ऊपरी सिरे में स्थित हाइमन झिल्ली को देख कर यह पता लगाना कि वह वर्जिन है कि नहीं न तो संभव है न ही ठीक. सैक्स के दौरान अकसर पार्टनर द्वारा युवती की योनि से रक्तस्राव की उम्मीद की जाती है लेकिन ज्यादातर मामलों में पाया गया है कि पहली बार सैक्स के दौरान युवती के वर्जिन होने के बावजूद उस की योनि से रक्तस्राव नहीं होता, फिर भी साथी  द्वारा यह मान लिया जाता है कि युवती पहले भी सैक्स कर चुकी है, जबकि पहली बार सैक्स के दौरान युवती की योनि से स्राव होने या न होने को उस के वर्जिन होने का सुबूत नहीं माना जा सकता, क्योंकि पहली बार में बहुत सी युवतियों को इसलिए रक्तस्राव नहीं होता, क्योंकि खेलकूद, साइकिल चलाना आदि की वजह से उन की योनि में स्थित झिल्ली कब फट जाती है उन्हें स्वयं नहीं पता चलता. इस का कारण हाइमन झिल्ली का बहुत पतला व लचीला होना है. कभीकभी युवती में जन्म के समय से ही यह झिल्ली मौजूद नहीं होती. ऐसे में पहले सैक्स के दौरान योनि से रक्तस्राव न होने के आधार पर युवती के चरित्र पर संदेह करना गलत होता है.

पहली बार सैक्स के दौरान युवक अपने साथी से उस के कुंआरी होने का सुबूत भी मांगते हैं, जबकि वह खुद के कुंआरे होने का सुबूत देना उचित नहीं समझते. इस वजह से पहला सैक्स जिसे हम वर्जिनिटी का नाम देते हैं, आगे चल कर सैक्स संबंधों में बाधा बन जाता है. युवती की वर्जिनिटी पर शक की वजह से कई तरह की गलतफहमियां जन्म लेती हैं. इस का प्रमुख कारण कुंआरेपन को ले कर लोगों से सुनीसुनाई बातें हैं.

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