मौत के मुंह में पहुंचे लोग, लूटने में शामिल धोखेबाज नेता, व्यापारी और सेवक

सौजन्य- मनोहर कहानियां

पिछले साल कोरोना त्रासदी से सबक लेते हुए दुनिया के अधिकांश देशों ने इस बीमारी से भविष्य में निपटने के पुख्ता इंतजाम कर लिए थे. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबक लेने के बजाए विभिन्न राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी को जिताने की योजनाएं बनाते रहे. इस से लोगों के मन में एक ही सवाल उठ रहा है कि कोरोना की दूसरी लहर में बरती गई उन की उदासीनता उन की किसी योजना का हिस्सा तो नहीं है…

इस साल कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश में कहर ढहाया. मरीजों को न दवाएं मिलीं न ही अस्पताल में बैड. चिकित्सा उपकरण भी नसीब नहीं हुए. इलाज नहीं मिलने से मरीज तड़प कर दम तोड़ते रहे. लाशों की कतारें लग गईं. कोरोना काल का यह संकट आजादी के बाद का सब से भयावह था.

21वीं सदी के इस सब से भयावह संकट काल में इस साल मार्चअप्रैल के महीने में जब देश में कोरोना वायरस अपना फन फैला रहा था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा नीत सरकार 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में सत्ता हासिल करने की कोशिशों में जुटी थी. मोदीजी का सब से बड़ा सपना पश्चिम बंगाल में भगवा झंडा फहराने का था. इस के लिए प्रधानमंत्री के अलावा गृहमंत्री अमित शाह और तमाम दूसरे प्रमुख नेता बंगाल में डेरा डाल कर रैलियां और चुनावी सभाएं कर रहे थे.

कोरोना का वायरस फलफूल रहा था. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस महामारी का भयानक रूप नजर नहीं आ रहा था. इस का नतीजा यह हुआ कि जिम्मेदार नौकरशाही भी लापरवाह हो गई. सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ती जा रही थी. मरीजों की जान बचाने के संसाधन कम पड़ते गए. हालात यह हो गए कि अस्पतालों में मरीजों के लिए बैड ही नहीं मिल रहे थे. आईसीयू बैड, वेंटिलेटर और औक्सीजन तो दूर की बात थी. मरीज अस्पतालों के बाहर और फर्श पर भी दम तोड़ रहे थे.

मोदी सरकार इस भयावह दौर में राजनीति करती रही. प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी चुनावी रैलियां तब रोकीं, जब बंगाल में चौथे चरण के मतदान हो रहे थे. केवल पांचवें चरण के मतदान बाकी थे. इस बीच पूरे देश में हालात बेकाबू हो चुके थे. विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार से चिकित्सा संसाधनों की गुहार लगाते रहे, लेकिन केंद्र सरकार को यह सुनने की फुरसत ही नहीं थी.

देश में इस बीच सांसों के सौदागरों की नई फौज खड़ी हो गई. कोरोना मरीजों के लिए जीवनरक्षक समझे जाने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शनों और औक्सीजन सिलेंडरों की कालाबाजारी शुरू हो गई. संकट के दौर में धंधेबाजों ने पैसा कमाने के नएनए तरीके खोज निकाले. मरीजों के परिजनों से जालसाजी और धोखाधड़ी होती रही. लोगों ने नकली इंजेक्शन बनाने की फैक्ट्रियां लगा लीं. कोरोना से बचाव के काम आने वाली पीपीई किट, सैनेटाइजर, मास्क और ग्लव्ज भी निम्न गुणवत्ता के आ गए.

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कोरोना मरीजों के लिए औक्सीजन मिलनी मुश्किल हो गई. देशभर में औक्सीजन वितरण का जिम्मा मोदी सरकार ने अपने हाथ में ले लिया. औक्सीजन बांटने में भी राजनीति की गई. भाजपाशासित राज्यों को जरूरत से ज्यादा औक्सीजन आवंटित की जाती रही और कांग्रेस व दूसरे दलों के शासन वाले राज्यों से भेदभाव किया जाता रहा. इस का नतीजा यह हुआ कि औक्सीजन का संकट पैदा होने से मरीजों की जानें जाती रहीं.

वैक्सीन पर चली राजनीति

वैक्सीन को लेकर अभी तक राजनीति चल रही है. 45 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए केंद्र सरकार ने इस साल की शुरुआत में राज्यों को टीका देने की हामी भर ली, लेकिन राज्यों को पर्याप्त टीका ही नहीं मिला. लोगों की जान बचाने के लिए 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी टीके लगाने का फैसला केंद्र सरकार ने ले लिया, लेकिन केंद्र सरकार ने इन टीकों के खर्च की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाल दी.

हजारों करोड़ रुपए का बोझ बढ़ने से राज्य सरकारों की आर्थिक हालत पतली होने लगी है. खास बात यह रही कि देश की जनता से टैक्स के रूप में वसूले गए पैसों से वैक्सीनेशन हो रहा है और सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो लगी हुई है.

अफसोस की बात यह भी रही कि मोदीजी ने अपनी दोस्ती निभाने और अपना नाम चमकाने और वाहवाही लूटने के लिए भारत के लोगों के हिस्से की वैक्सीन दूसरे देशों को भेज दी. लेकिन जब देश में त्राहित्राहि होने लगी तो सरकार को दूसरे देशों से मदद लेने के लिए मजबूर होना पड़ा. अब पूरे देश में टीके का टोटा हो रहा है. लोगों को समय पर टीका नहीं लगने से कोरोना का खतरा कम नहीं हो रहा है.

अभी कोरोना की तीसरी लहर की चेतावनी दी जा रही है. अगर तीसरी लहर आई, तो बच्चों पर इस का सब से ज्यादा असर होने की आशंका जताई जा रही है. इस बीच, मई के पहले सप्ताह से उत्तर प्रदेश में गंगा और यमुना सहित दूसरी नदियों के तटों पर सैकड़ों की संख्या में लाशें मिलने लगीं. इन लाशों को देख कर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना से दम तोड़ने वालों की लाशें जमीन में दफन कर दी गई या नदियों में बहा दी गई.

पिछले साल कोरोना से पहली बार भारत सहित पूरी दुनिया के लोगों का परिचय हुआ. कोरोना की इस पहली लहर को उस समय लौकडाउन कर के कुछ हद तक काबू कर लिया गया. हालांकि इस से देश की जनता के आर्थिक हालात बिगड़ गए.

ये हालात ठीक होते, इस से पहले ही कोरोना की दूसरी लहर आ गई. इस बीच, एक साल के दौरान मोदी सरकार ने कोई सबक नहीं लिया. चिकित्सा संसाधन नहीं बढ़ाए गए. इस बार मोदी सरकार लापरवाह बनी रही. इस का नतीजा सब के सामने है.

इस से ज्यादा अफसोस की बात क्या होगी कि केंद्र सरकार का मंत्री सोशल मीडिया पर अपने रिश्तेदार के लिए किसी अस्पताल में बैड दिलाने की गुहार करता रहा. मंत्रियों और सांसदों के कहने पर भी अस्पतालों में मरीजों को बैड नहीं मिले. मोदी सरकार कोरोना पर काबू पाने के लिए अब कुएं खोदने की तैयारी कर रही है, लेकिन अब क्या फायदा, चिडि़या तो खेत चुग चुकी. क्योंकि देश में हजारोंलाखों लोग अपने परिजनों को खो चुके.

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कोरोना संकट के बीच, मई के महीने में ब्लैक फंगस के मामले एकाएक बढ़ गए. इस ने लोगों की चिंता और बढ़ा दी थी. महामारी के दौर में सामने आई केंद्र सरकार की लापरवाही को ले कर पूरी दुनिया में भारत की किरकिरी होने लगी थी. और तो और मोदी के कट्टर समर्थक भी विरोध में उतर आए थे.

लुटेरे हो गए सक्रिय

खतरा अभी टला नहीं था. लुटेरों के रूप में सामने आए सांसों के सौदागरों ने ऐसी लूटखसोट शुरू कर दी, जिन से लोग भी परेशान हो गए. दिल्ली से जयपुर तक और लखनऊ से अहमदाबाद तक, सभी जगह इन सौदागरों ने कोरोना मरीजों से ठगी के नएनए हथकंडे अपनाए थे.

दिल्ली में कोरोना के नाम पर सब से ज्यादा ठगी की वारदातें हुईं. देश का आम आदमी सोचता है कि दिल्ली में बड़ेबड़े और नामी अस्पताल हैं. इन में अच्छा इलाज होता होगा, लेकिन कोरोना काल में हालात बिलकुल उलट रहे. सरकारी अस्पतालों में तो सामान्य मरीजों को छोडि़ए, मंत्रियों और अफसरों को भी कोरोना मरीजों के लिए बैड नहीं मिले, अस्पतालों में सुविधाओं की बातें तो दूर रहीं.

अस्पताल वालों के अलावा ठगों और जालसाजों ने कोरोना से जूझ रहे मरीजों के परिवार वालों से पैसे ठगने के नए से नए तरीके निकाल लिए थे. मरीजों के लिए जरूरी उपकरणों की कालाबाजारी करने वालों ने लोगों को जम कर लूटा.

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अप्रैल के आखिरी सप्ताह में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाली एक फैक्ट्री पकड़ी. यह फैक्ट्री उत्तराखंड के कोटद्वार में चल रही थी. इसे सील कर दिया गया. इस मामले में एक महिला सहित 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इन से बड़ी संख्या में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की भरी और खाली शीशियां, पैकिंग मशीन, पैकिंग मटीरियल, स्कौर्पियो गाड़ी सहित दूसरे वाहन जब्त किए गए.

इस फैक्ट्री का पता भी मुश्किल से चला. कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के बीच अप्रैल में जब जीवन रक्षक दवा के तौर पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग पूरे देश में तेजी से बढ़ी, तो इस की कालाबाजारी की सूचनाएं पुलिस को मिलने लगी थीं.

क्राइम ब्रांच की टीम ने महरौली बदरपुर रोड पर स्थित संगम विहार से 23 अप्रैल को 2 लोगों मोहम्मद शोएब खान और मोहन कुमार झा को पकड़ा. इन के पास कुछ इंजेक्शन मिले. इन से पता चला कि बड़े शहरों में ये इंजेक्शन 40 से 50 हजार रुपए तक में बेचे जा रहे हैं.

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दिल्ली पुलिस ने की गिरफ्तारियां

इन से पूछताछ के आधार पर 25 अप्रैल को यमुना विहार से मनीष गोयल और पुष्कर चंदरकांत को पकड़ा गया. इन से पता चलने पर एक इवेंट मैनेजर साधना शर्मा को गिरफ्तार किया. इन तीनों से भी बड़ी संख्या में ये इंजेक्शन बरामद हुए. फिर 27 अप्रैल को हरिद्वार से वतन कुमार सैनी को पकड़ा. वतन बीफार्मा और एमबीए डिग्रीधारी है. उस के घर से पैकिंग मशीन, खाली शीशियां, पैकिंग मटीरियल आदि सामान मिला. वतन कुमार से पूछताछ के बाद रुड़की से आदित्य गौतम को गिरफ्तार किया गया.

कौमर्स ग्रैजुएट आदित्य गौतम फार्मेसी से जुड़ा काम करता है. उस ने हजारों की संख्या में बायोटिक इंजेक्शन की शीशियां खरीदीं. इन इंजेक्शनों की शीशियों पर कोटद्वार की फैक्ट्री में रेमडेसिविर के लेबल लगवाए.

पुलिस ने उस की निशानदेही पर एक मशीन, लेबल तैयार करने के काम लिया कंप्यूटर और नकली इंजेक्शन की शीशियां बरामद कीं. इन लोगों ने बाकायदा अपना नेटवर्क बना रखा था, जिस के जरिए ये जरूरतमंदों से मोटी रकम ले कर उन्हें नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन देते थे.

इसी तरह दिल्ली पुलिस ने औक्सीजन कंसंट्रेटर की कालाबाजारी का बड़ा मामला पकड़ा. दक्षिणी जिला पुलिस ने मई के पहले सप्ताह में लोधी कालोनी के सेंट्रल मार्केट में एक रेस्तरां बार ‘नेगे एंड जू बार’ में छापा मार कर 32 औक्सीजन कंसंट्रेटर के बौक्स बरामद किए. एक बौक्स में थर्मल स्कैनर और एन-95 मास्क मिले. पुलिस ने वहां से 4 लोगों रेस्तरां के मैनेजर हितेश के अलावा सतीश सेठी, विक्रांत और गौरव खन्ना को पकड़ा.

मगरमच्छों तक पहुंची पुलिस

इन से पूछताछ के आधार पर छतरपुर के मांडी गांव स्थित खुल्लर फार्महाउस में एक गोदाम पर छापा मारा. यहां से 398 औक्सीजन कंसंट्रेटर बरामद हुए. पूरे देश में कोरोना मारामारी के बीच पकड़े गए करीब 4 करोड़ रुपए कीमत के ये औक्सीजन कंसंट्रेटर कालाबाजारी से बेचे जा रहे थे.

पूछताछ में पता चला कि इस रेस्टोरेंट का मालिक नवनीत कालरा है. कालरा दिल्ली का प्रसिद्ध व्यवसाई है. पेज थ्री सोसायटी से जुड़े रहने वाले दलाल के कई फिल्मी सितारों और क्रिकेटरों से अच्छे संबंध हैं. वह होटल खान चाचा, नेगे एंड जू बार, टाउनहाल रेस्ट्रो बार, मिस्टर चाऊ के अलावा दयाल आप्टिकल्स से जुड़ा हुआ है.

वह इन रेस्टोरेंट की आड़ में औक्सीजन कंसंट्रेटर की कालाबाजारी कर रहा था. गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने कालरा के खान मार्केट के मशहूर रेस्टोरेंट ‘खान चाचा’ से 96 कंसंट्रेटर और बरामद किए. पता चला कि कालरा ने ये कंसंट्रेटर लंदन में रहने वाले अपने दोस्त गगन दुग्गल की कंपनी मैट्रिक्स सेल्युलर के संपर्कों की मदद से यूरोप और चीन से मंगवाए थे. गिरफ्तार गौरव खन्ना गगन की कंपनी का सीईओ और चार्टर्ड अकाउंटेंट है.

कोरोना का कहर शुरू होने और मांग बढ़ने पर कालरा ने बड़ी संख्या में कंसंट्रेटर बेच भी दिए थे. पुलिस ने कालरा की तलाश में उस के ठिकानों पर छापे मारे, लेकिन सेंट्रल मार्केट में छापे की सूचना मिलने के बाद ही वह 2 लग्जरी गाडि़यों से परिवार के कुछ लोगों के साथ फरार हो गया.

पुलिस ने उस की तलाश में दिल्ली और उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड में भी छापे मारे. कोई सुराग नहीं मिलने पर पुलिस ने कालरा के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया.

पुलिस को आशंका थी कि कालरा विदेश भाग सकता है. इस बीच, कालरा ने गिरफ्तारी से बचने के लिए दिल्ली की एक अदालत में अग्रिम जमानत की अरजी लगा दी. यह अरजी खारिज हो गई. बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी कालरा की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. बाद में कालरा को 17 मई, 2021 को दिल्ली पुलिस ने गुड़गांव से गिरफ्तार कर लिया.

विदेशी महिला भी हुई गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने ही देश भर में औक्सीजन सिलेंडर के नाम पर लोगों से धोखाधड़ी करने वाले मेवाती गिरोह के इमरान को राजस्थान के भरतपुर जिले से गिरफ्तार किया

यूं तो दिल्ली पुलिस ने कोरोना काल में लोगों से दवाओं और इंजेक्शन के नाम पर धोखाधड़ी करने और कालाबाजारी के मामलों में सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया है. खास बात यह है कि इस में महामारी के इस दौर में अमानवीय बन कर मुनाफाखोरी करने में विदेशी भी पीछे नहीं रहे.

दिल्ली की शाहबाद डेयरी थाना पुलिस ने कैमरून की रहने वाली एक विदेशी महिला अश्विनगवा अशेलय अजेंबुह को गिरफ्तार किया. वह इंजेक्शन देने के पर दरजनों लोगों से लाखों रुपए की ठगी कर चुकी थी. पुलिस ने उस के दरजन भर बैंक खाते भी सीज करा दिए. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 16 मई, 2021 को 2 विदेशी जालसाज चीका बैनेट और जोनाथन को गिरफ्तार किया. इन में एक नाइजीरिया और दूसरा घाना का रहने वाला है. इन्होंने देश भर में करीब एक हजार लोगों से कोरोना की दवा और औक्सीजन के नाम पर 2 करोड़ रुपए की ठगी की थी. इन से 22 मोबाइल फोन, 165 सिमकार्ड, 5 लैपटौप और बड़ी मात्रा में डेबिट कार्ड बरामद हुए. इन के करीब 20 बैंक खाते भी मिले हैं.

दिल्ली पुलिस के सामने ऐसा ही एक और मामला भी आया, जिस में ठग ने देश भर में साइबर ठगी की यूनिवर्सिटी के नाम पर विख्यात झारखंड के जामताड़ा से ठगी की ट्रेनिंग ली थी.

कोरोना संकट में औक्सीजन सिलेंडर दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के 4 बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार किया. इन में यूपी के फर्रुखाबाद का रहने वाला रितिक, गुरुग्राम निवासी योगेश सिंह, मोहम्मद आरजू और रवीश शामिल थे. इन से 4 मोबाइल, 16 सिमकार्ड, एक लैपटौप, 2 बाइक, एक स्कूटर और कुछ दस्तावेज बरामद किए गए.

इस गिरोह ने देश भर के लोगों से औनलाइन ठगी की वारदात की. दिल्ली में संत नगर, करोलबाग निवासी एक शख्स ने इन के खिलाफ करोलबाग में मुकदमा दर्ज कराया था. इस में रवीश ने जामताड़ा से साइबर ठगी की ट्रेनिंग ली थी.

टीकाकरण और सावधानी के साथ सामान्य होता उत्तर प्रदेश: श्री नवनीत कुमार सहगल

लखनऊ . अपर मुख्य सचिव ‘सूचना’ श्री नवनीत सहगल ने बताया कि कोविड नियंत्रण करने में मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में 3टी की विशेष रणनीति के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्रदेश में 340 कोविड के नये मामले आयें हैं, जबकि डेढ़ माह पूर्व 23 अप्रैल कोे 38,000 मामले थे.

‘3 टी’ की विशेष रणनीति में एक अभिनव प्रयोग करते हुए आंशिक कोरोना कफ्र्यू तथा टीकाकरण अभियान को जोड़ा गया है. इन पांच तत्वों का अभियान चलाकर कोविड संक्रमण को नियत्रित करने में सफलता मिली है.

उत्तर प्रदेश में संक्रमण अन्य प्रदेशों अपेक्षा कम हो रहे है. आंशिक कोरोना कफ्र्यू में जीवन और जीविका दोनों को बचाने के उद्देश्य से आंशिक कोरोना कफ्र्यू में औद्योगिक गतिविधियां, आर्थिक गतिविधियां, कृषि से संबंधित खाद, बीज, कृषि उपकरणों की मरम्मत, आवश्यक सामग्रियों से संबधित आवागमन तथा उनसे सम्बन्धित दुकाने भी खुली रखी गयी थी.

टीकाकरण की गति तेज :

श्री सहगल ने बताया कि प्रदेश में टीकाकरण का अभियान चलाया जा रहा है. प्रदेश में 02 करोड़ 35 लाख से अधिक वैक्सीन की डोज दी गयी है तथा 18 से 44 वर्ष के लगभग 50 लाख लोगों को वैक्सीन की डोज दी गयी है. मुख्यमंत्री जी द्वारा इस माह 06 लाख से 09 लाख तथा अगले माह से 10 लाख प्रतिदिन टीकाकरण कराने के निर्देश दिए हैं.

अगले 02 महीनों में 07 करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य है. 31 अगस्त तक 10 करोड़ टीकाकरण कराने हेतु प्रशिक्षण एवं आवश्यक व्यवस्थाओं करने हेतु स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया गया है. दिसम्बर 2021 तक प्रदेश की पूरी जनता को टीकाकरण लगाने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंनेे बताया कि अभिभावक स्पेशल अभियान के तहत 12 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों के अभिभावकों का टीकाकरण कराया जा रहा है.

श्री सहगल ने बताया कि सर्विलांस के माध्यम से निगरानी समितियों द्वारा ट्रेसिंग के तहत घर-घर जाकर संक्रमण की जानकारी ली जा रही है. उन्होंने बताया कि 97000 ग्रामीण पंचायतों में 5 मई, 2021 से एक विशेष अभियान चलाकर, जिसमें लगभग 80 हजार निगरानी समितियों द्वारा घर-घर जाकर उन लोगों का जिनमें किसी प्रकार के संक्रमण के लक्षण होने पर उनका एन्टीजन टेस्ट भी कराया जा रहा है. अगर एन्टीजन टेस्ट निगेटिव आ रहा है और लक्षण हैं तो उनका आरटीपीसीआर टेस्ट भी कराया जा रहा है, इसके साथ-साथ लगभग 14 लाख से अधिक मेडिकल किट भी बांटी गयी है. उन्होंने बताया कि सर्विलांस के माध्यम से सरकारी मशीनरी द्वारा उत्तर प्रदेश की 24 करोड़ की जनसंख्या में से अब तक लगभग 17 करोड़ से अधिक लोगों से उनका हालचाल जाना गया है. उन्होंने बताया कि माह अगस्त से बच्चों के लिए एक सघन अभियान चलाया जायेगा जिसके तहत निगरानी समितियों द्वारा बच्चों का हालचाल लिया जायेगा. उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक टेस्ट कराये जा रहे हैं.

कोरोना कर्फ्यू में समय बढेगा

श्री सहगल ने बताया कि मुख्यमंत्री जी द्वारा टीम-19 के समीक्षा बैठक में आगामी सोमवार, 21 जून से कोरोना कर्फ्यू में और छूट दिए जाने का निर्णय लिया गया हैं. रात्रिकालीन कोरोना कफ्र्यू रात्रि 09 बजे से अगले दिन प्रातः 07 बजे तक प्रभावी होगा.

कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन के साथ रेस्टोरेंट व मॉल को 50 फीसदी क्षमता के साथ खुलेगा. इसी तरह, पार्क, स्ट्रीट फूड आदि के संचालन की अनुमति भी दी जाएगी. इन स्थलों पर कोविड हेल्प डेस्क की स्थापना अनिवार्य होगी.

नई व्यवस्था के संबंध में विस्तृत गाइडलाइंस समय से जारी की जायेगी. साप्ताहिक बंदी के दौरान शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सेनेटाइजेशन, फाॅगिंग तथा साफ-सफाई का अभियान चलाया जा रहा है.

प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजना से मदद

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री जी द्वारा संगठित एवं असंगठित श्रमिकों तथा रेहड़ी, पटरी वाले लोगों को 1000 रुपये का भत्ता दिया गया है. प्रधानमंत्री जी द्वारा ‘‘प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण’’ योजना के तहत मुफ्त राशन नवम्बर तक बढ़ाए जाने की घोषणा की गई है.

प्रदेश में संक्रमण कम होने पर भी कोविड-19 के टेस्टों की संख्या में निरन्तर बढ़ोत्तरी की जा रही है, ताकि संक्रमित व्यक्ति की पहचान करके इलाज किया जा सके. प्रदेश में विगत 24 घंटे में 2,57,135 टेस्ट किये गये हैं तथा 05 करोड़ 38 लाख से अधिक टेस्ट किए गये हैं, जो देश में सर्वाधिक हैं.

उन्होंने बताया कि प्रदेश में 7,221 कोरोना के एक्टिव केस हैं, जिनमें 4,382 कोविड मरीज होम आइसोलेशन में हैं. कल विगत 24 घंटे में 1104 तथा अब तक 16 लाख 73 हजार लोग कोविड-19 से ठीक हुए हैं.

ऑक्सीजन की समुचित व्यवस्था

श्री सहगल ने बताया कि प्रदेश में आॅक्सीजन समुचित मात्रा में उपलब्ध है. प्रदेश में आॅक्सीजन की कोई समस्या भविष्य में न हो इसके लिए 427 आॅक्सीजन प्लाण्ट अस्पतालों में लगाये जा रहे हैं, जिसमें से 83 प्लाण्ट क्रियाशील हो गए हैं.

उन्होंने बताया कि संभावित कोविड की तीसरी लहर के तहत सभी मेडिकल कालेज में 100-100 बेड पीआईसीयू के, हर जिला अस्पताल में 20-20 बेड पीआईसीयू के और कम से कम दो सीएससी में पीकू/नीकू के बेड बढ़ाये जा रहे हैं. जिसे 20 जून, 2021 तक पूरा करने का समय दिया गया है.

इसके साथ-साथ सभी सीएचसी में 20-20 आॅक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराये जा रहे हैं. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और वेंटिलेटर संचालन के लिए सभी जिलों में तकनीशियनों की तैनाती सुनिश्चित कराने के निर्देश मुख्यमंत्री जी द्वारा दिए गए हैं. आईटीआई से प्रशिक्षित योग्य युवाओं को आवश्यकतानुसार इन मशीनों के संचालन के संबंध में दक्षता दिलाई जाएगी.

किसानों को एमएसपी का लाभ

श्री सहगल ने बताया कि प्रदेश सरकार किसानों के हितों के लिए कृतसंकल्प है और किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उनकी फसल को खरीदे जाने की प्रक्रिया कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए तेजी से चल रही है. गेहँू क्रय अभियान के तहत 12 लाख से अधिक किसानों से 53,80,801.30 मी0 टन गेहूँ खरीदा गया है.

मुख्यमंत्री जी द्वारा गेहूँ खरीद अभियान जो आज 15 जून 2021 तक था उसे एक सप्ताह के लिए बढ़ा दिया गया है.

मुख्यमंत्री जी द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि गेंहूँ क्रय केन्द्रों का नियमित रूप से निरीक्षण किया जाए तथा किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उनकी फसल खरीदी जाए.

उन्होंने बताया कि अगली फसल के लिए खाद-बीज आदि किसानों को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गये हैं.

कोरोना के कहर से कराह रहे गांव

आजकल वैश्विक महामारी कोरोना का कहर गांवदेहात के इलाकों में तेजी से बढ़ रहा है, फिर वह चाहे उत्तर प्रदेश हो, बिहार, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश या फिर कोई दूसरा राज्य ही सही, जबकि राज्य सरकारों का दावा

है कि कोरोना महामारी का संक्रमण गांवों में बढ़ने से रोकने के लिए ट्रैकिंग, टैस्टिंग और ट्रीटमैंट के फार्मूले पर कई दिन से सर्वे किया जा रहा है यानी अभी तक सिर्फ सर्वे? इलाज कब शुरू होगा?

खबरों के मुताबिक, राजस्थान के जिले जयपुर के देहाती इलाके चाकसू में एक ही घर में 3 मौतें कोरोना के चलते हुई हैं.

यही हाल राजस्थान  के टोंक जिले का है. महज 2 दिनों में टोंक के अलगअलग गांवों में कई दर्जन लोगों की एक दिन  में मौत की कई खबरें थीं. इस के बाद शासनप्रशासन हरकत में आया.

जयपुर व टोंक के अलावा कई जिलों के गांवों में बुखार से मौतें होने की सूचनाएं आ रही हैं. राजस्थान के भीलवाड़ा में भी गांवों में बहुत ज्यादा मौतें हो रही हैं. इसी तरह दूसरे गांवों में भी कोरोना महामारी के बढ़ने की खबरें आ रही हैं. हालांकि सब से ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के गांवों में हो रही हैं, उस से कम गुजरात, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मौतें हो रही हैं.

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कोरोना की पहली लहर में गांव  बच गए थे, लेकिन इस बार गांवों से बुखारखांसी जैसी समस्याएं ही नहीं, बल्कि मौतों की लगातार खबरें आ रही हैं. पिछली बार शहर से लोग भाग कर गांव गए थे, लेकिन इस बार गांव के हालात भी बदतर होते जा रहे हैं.

गौरतलब है कि पिछले साल कोरोना बड़े शहरों तक ही सीमित था, कसबों और गांवों के बीच कहींकहीं लोगों के बीमार होने की खबरें आती थीं. यहां तक कि पिछले साल लौकडाउन में तकरीबन डेढ़ करोड़ प्रवासियों के शहरों से देश के गांवों में पहुंचने के बीच कोरोना से मौतों की सुर्खियां बनने वाली खबरें नहीं आई थीं, लेकिन इस बार कई राज्यों में गांव के गांव बीमार पड़े हैं, लोगों की जानें जा रही हैं. हालांकि, इन में से ज्यादातर मौतें आंकड़ों में दर्ज नहीं हो रही हैं, क्योंकि टैस्टिंग नहीं है या लोग करा नहीं रहे हैं.

राजस्थान में जयपुर जिले की चाकसू तहसील की ‘भावी निर्माण सोसाइटी’ के गिर्राज प्रसाद बताते हैं, ‘‘पिछले साल मुश्किल से किसी गांव से किसी आदमी की मौत की खबर आती थी, लेकिन इस बार हालात बहुत बुरे हैं. मैं आसपास के 30 किलोमीटर के गांवों में काम करता हूं. गांवों में ज्यादातर घरों में कोई न कोई बीमार है.’’

गिर्राज प्रसाद की बात इसलिए खास हो जाती है, क्योंकि वे और उन की संस्था के साथी पिछले 6 महीने से कोरोना वारियर का रोल निभा रहे हैं.

राजस्थान के जयपुर जिले में कोथून गांव है. इस गांव के एक किसान  44 साला राजाराम, जो खुद घर में आइसोलेट हो कर अपना इलाज करा रहे हैं, के मुताबिक, गांव में 30 फीसदी लोग कोविड पौजिटिव हैं.

राजाराम फोन पर बताते हैं, ‘‘मैं खुद कोरोना पौजिटिव हूं. गांव में ज्यादातर घरों में लोगों को बुखारखांसी की दिक्कत है. पहले गांव में छिटपुट केस थे, फिर जब 5-6 लोग पौजिटिव निकले तो सरकार की तरफ से एक वैन आई और उस ने जांच की तो कई लोग पौजिटिव मिले हैं.’’

जयपुरकोटा एनएच 12 के किनारे बसे इस गांव की जयपुर शहर से दूरी महज 50 किलोमीटर है और यहां की आबादी राजाराम के मुताबिक तकरीबन 4,000 है.

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गांव में ऐसा क्या हुआ कि इतने लोग बीमार हो गए? इस सवाल के जवाब में राजाराम बताते हैं, ‘‘सब से पहले तो गांव में 1-2 बरातें आईं, फिर 23-24 अप्रैल, 2021 को यहां बारिश आई थी, जिस के बाद लोग ज्यादा बीमार हुए.

‘‘शुरू में लोगों को लगा कि मौसमी बुखार है, लेकिन लोगों को दिक्कत होने पर जांच हुई तो पता चला कि कोरोना  है. ज्यादातर लोग घर में ही इलाज करा रहे हैं.’’

जयपुर में रहने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ता और जनस्वास्थ्य अभियान से जुड़े आरके चिरानियां फोन पर बताते हैं, ‘‘कोरोना का जो डाटा है, वह ज्यादातर शहरों का ही होता है. गांव में तो पब्लिक हैल्थ सिस्टम बदतर है. जांच की सुविधाएं नहीं हैं. लोगों की मौत हो भी रही है, तो पता नहीं चल रहा. ये मौतें कहीं दर्ज भी नहीं हो रही हैं.

‘‘अगर आप शहरों के हालात देखिए, तो जो डाटा हम लोगों तक आ रहा है, वह बता रहा है कि शहरों में ही मौतें आंकड़ों से कई गुना ज्यादा हैं. अगर ग्रामीण भारत में सही से जांच हो, आंकड़े दर्ज किए जाएं तो यह नंबर कहीं ज्यादा होगा.’’

ग्रामीण भारत में हालात कैसे हैं, इस का अंदाजा छोटेछोटे कसबों के मैडिकल स्टोर और इन जगहों पर इलाज करने वाले डाक्टरों (जिन्हें बोलचाल की भाषा में झोलाछाप कहा जाता है) के यहां जमा भीड़ से लगाया जा सकता है.

गांवकसबों के लोग मैडिकल स्टोर पर इस समय सब से ज्यादा खांसीबुखार की दवाएं लेने आ रहे हैं. एक मैडिकल स्टोर के संचालक दीपक शर्मा बताते हैं, ‘‘रोज के 100 लोग बुखार और बदन दर्द की दवा लेने आ रहे हैं. पिछले साल इन दिनों के मुकाबले ये आंकड़े काफी ज्यादा हैं.’’

कोविड 19 से जुड़ी दवाएं तो अलग बात है, बुखार की गोली, विटामिन सी की टैबलेट और यहां तक कि खांसी के अच्छी कंपनियों के सिरप तक नहीं मिल रहे हैं. ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में एक बड़ी दिक्कत यह भी है कि खांसी और बुखार को लोग सामान्य फ्लू मान कर चल रहे हैं.

जयपुर जिले के चाकसू उपखंड से 7-8 किलोमीटर की दूरी पर छांदेल कलां गांव है. इस गांव में तकरीबन 200 घर हैं और हर घर में कोई न कोई बीमार है. पिछले दिनों यहां एक बुजुर्ग की बुखार के बाद मौत भी हो गई थी, जो कोरोना पौजिटिव भी थे.

कोरोना से मां को खो चुके और पिता का इलाज करा रहे बेटे ने बताया, ‘‘मैं  2 लाख रुपए से ज्यादा का उधार ले चुका हूं. अब तो रिश्तेदार भी फोन नहीं उठाते.’’

उस बेटे की आवाज और चेहरे की मायूसी बता रही थी कि वह हताश है. हो भी क्यों न, उस के घर से एक घर छोड़ कर एक बुजुर्ग की मौत हुई थी.

रमेश और उन की पत्नी 15 दिनों से बीमार हैं. जिन के यहां मौत हुई, वे  इन के परिवार के ही थे. हाल पूछने पर रमेश कहते हैं, ‘‘

15 दिन से दवा चल रही है. कोई फायदा ही नहीं हो रहा, अब क्या कहें…’’

रमेश की बात खत्म होने से पहले उन से तकरीबन 15 फुट की दूरी पर खड़े 57 साल के लोकेश कुमावत बीच में ही बोल पड़ते हैं, ‘अरे, बीमार तो सब हैं, लेकिन भैया यहां किसी को भी कोरोना नहीं है और जांच कराना भी चाहो तो कहां जाएं, अस्पताल में न दवा है और न ही औक्सीजन. घर में रोज काढ़ा और भाप ले रहे हैं, बुखार की दवा खाई है, अब सब लोग ठीक हैं. और मौत आती है तो आने दो, एक बार मरना तो सभी को है.’’

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गांवों के हालात कैसे हैं? लोग जांच क्यों नहीं करवा रहे हैं? क्या जांच आसानी से हो रही है? इन सवालों पर सब के अलगअलग जवाब हैं, लेकिन कुछ चीजें बहुत सारे लोगों में बात करने पर सामान्य नजर आती हैं.

‘‘गांवदेहातों में मृत्युभोजों और शादीबरातों ने काम खराब किया है. लोग देख रहे हैं कि सिर पर मौत नाच रही है, लेकिन फिर भी वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं,’’ ग्रामीण इलाके के एक मैडिकल स्टोर संचालक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया.

एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा प्रभारी गांव में बुखार और कोविड 19 के बारे में पूछने पर कहते हैं, ‘‘कोविड के मामलों से जुड़े सवालों के जवाब सीएमओ (जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी) साहब ही दे पाएंगे, बाकी बुखारखांसी का मामला है कि इस  बार के बजाय पिछली बार कुछ नहीं था.

कई गांवों से लोग दवा लेने आते  हैं. फिलहाल तो हमारे यहां तकरीबन 600 ऐक्टिव केस हैं.’’

इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीन 42 ग्राम पंचायतें आती हैं यानी तकरीबन 250 गांव शामिल हैं. चिकित्सा प्रभारी आखिर में कहते हैं, ‘‘अगर सब की जांच हो जाए, तो 40 फीसदी लोग कोरोना पौजिटिव निकलेंगे. गांवों के तकरीबन हर घर में कोई न कोई बीमार है, लक्षण सारे कोरोना जैसे, लेकिन न कोई जांच करवा रहा है और न सरकारों को चिंता है.’’

यह महामारी बेकाबू रफ्तार से ग्रामीण इलाकों पर अपना शिकंजा कसती जा रही है. हालात ये हैं कि ग्रामीण इलाकों के कमोबेश हर घर को संक्रमण अपने दायरे में ले चुका है. लगातार हो रही मौतों से गांव वाले दहशत में हैं. इस के बावजूद प्रशासन संक्रमण की रफ्तार थाम नहीं पा रहा है. यहां तक कि कोरोना जांच की रफ्तार भी बेहद धीमी है.

कोरोना की पहली लहर में ग्रामीण इलाके महफूज रहे थे, लेकिन दूसरी लहर ने शहर की पौश कालोनियों से ले कर गांव की पगडंडियों तक का सफर बेकाबू रफ्तार के साथ तय कर लिया है.

दूसरी लहर में ग्रामीण इलाकों में कोरोना वायरस के संक्रमितों की तादाद में बेतहाशा रूप से बढ़ोतरी हुई है. हालात ये हैं कि कमोबेश हर घर में यह महामारी अपनी जड़ें जमा चुकी है. संक्रमितों की मौत के बाद मची चीखपुकार गांव की शांति में दहशत घोल देती है.

ग्रामीण इलाकों में हाल ही में सैकड़ों लोगों को यह महामारी मौत के आगोश में ले चुकी है. ग्रामीणों के घर मरीजों की मौजूदगी की वजह से ‘क्वारंटीन सैंटरों’ में तबदील होते जा रहे हैं. गलियों में सन्नाटा पसरा रहता है और चौपालें दिनभर सूनी पड़ी रहती हैं.

ज्यादातर ग्रामीण सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं. ऐसे में मजबूरी में उन्हें अपना इलाज खुद करना पड़ रहा है. मैडिकल स्टोरों से दवा खरीद कर वे कोरोना से जंग लड़ रहे हैं, जो सरकार के लिए शर्मनाक बात है.

जनता की जान बचाने के लिए डंडाधारी पुलिस होना जरूरी है?

इस देश की पुलिस पूरी तरह से कोरोना से लड़ने को तैयार है जैसे वह हर आपदा में तैयार रहती है. हर आपदा में पुलिस का पहला काम होता है कि निहत्थे, बेगुनाहों, बेचारों और गरीबों को कैसे मारापीटा जाए. चाहे नोटबंदी हो, चाहे जीएसटी हो, चाहे नागरिक कानून हों, हमारी पुलिस ने हमेशा सरकार का पूरा साथ दे कर बेगुनाह गरीबों पर जीभर के डंडे बरसाए हैं. किसान आंदोलन में भी लोगों ने देखा और उस से पहले लौकडाउन के समय सैकड़ों मील पैदल चल रहे गरीब मजदूरों की पिटाई भी देखी.

किसी भी बात पर पुलिस सरकार की हठधर्मी के लिए उस के साथ खड़ी होती है और जरूरत से ज्यादा बल दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती. पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, तमिलनाडु में केंद्र के साथ पार्टियों की पुलिस 5 नहीं 50,000 से 5 लाख तक लोगों के गृह मंत्री या प्रधानमंत्री की चुनावी भीड़ को कोरोना के खिलाफ नहीं मान रही थी पर अब जब चुनाव खत्म हो गए हैं, हर चौथे दिन एकदो घटनाएं सामने आ ही जाती हैं, जिन में लौकडाउन को लागू कराने के लिए धड़ाधड़ डंडे बरसाए जा रहे थे.

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भारत की जनता अमेरिकी जनता की तरह नहीं जो पुलिस से 2-2 हाथ भी कर सकती है. यह तो वैसे ही डरीसहमी रहती है. बस भीड़ हो तो थोड़ी हिम्मत रहती है पर इस पर जो बेरहमी बरती जाती है वह अमेरिका के जार्ज फ्लायड की हत्या की याद दिलाती है. फर्क इतना है कि अमेरिका में दोषी पुलिसमैन को लंबी जेल की सजा दी गई. यहां 5-7 दिन लाइनहाजिर कर इज्जत से बुला लिया जाएगा.

अदालत में तो मामला चलाना ही बेकार है क्योंकि पुलिस वालों के अत्याचार, डंडों, मामलों में फंसा देने की धमकियों से गवाह आगे आते ही नहीं.  कोविड की तैयारी भी यहां पुलिस कर रही है, अस्पताल, डाक्टर, लैब या दवा कंपनियां नहीं. सरकार को मालूम है कि पुलिस हर मौके का पूरा नाजायज फायदा उठाएगी.  कोविड के लिए लौकडाउन में जो लोग सड़क पर चल रहे हैं या दुकान चला रहे हैं वे अपने लिए खुद जोखिम ले रहे हैं. वे नियम तोड़ रहे हैं पर दूसरों से ज्यादा नुकसान उन्हीं को है. सिर्फ इसलिए उन पर डंडे बरसाना कि आदेश को तोड़ा जा रहा है बेरहमी है. यह सिनेमाघर के आगे टिकट के लिए लगी लंबी लाइन पर आंसू गैस छोड़ने की तरह है क्योंकि इस से किसी और को नुकसान नहीं हो रहा है.

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पुलिस असल में मौका ढूंढ़ती है कि अपनी ताकत आम जनता को दिखा सके ताकि हर समय दहशत का माहौल बना रहे. यहां आमतौर पर शिकायत करने वालों को भी शक की निगाह से देखा जाता है. सिर्फ खेलेखाए लोग ही पुलिस की मिलीभगत से शिकायतें करने की हिम्मत करते हैं. गरीब आदमी तो दूसरों की मार भी खा लेता है पुलिस की भी.  उम्मीद थी कि कोरोना में लोग बाहर न निकलें, इसे समझाने के लिए सत्ता में बैठी पार्टियों के पेशेवर ग्राहक आगे आएंगे. लेकिन उन्हें तो वोट चाहिए, मंदिर चाहिए, सत्ता चाहिए, ठेके चाहिए. जनता की जान बचानी है तो डंडाधारी पुलिस ही है उन के पास. बस, यही इस देश की हालत है.

बेदर्द सरकार पेट पर पड़ी मार

आज भी बहुत से कामधंधे और कारोबार ऐसे हैं, जो सालभर न चल कर एक खास सीजन में ही चलते हैं और इन कारोबारों से जुड़े लोग इसी सीजन में कमाई कर अपने परिवार के लिए सालभर का राशनपानी जमा कर लोगों का पेट पाल लेते हैं. पर लगातार दूसरे साल कोरोना महामारी ने इन कारोबारियों पर रोजीरोटी का संकट पैदा कर दिया है.

हमारे देश में सब से ज्यादा शादीब्याह अप्रैल से जुलाई महीने तक होते हैं. इस वैवाहिक सीजन में कोरोना की मार से टैंट हाउस, डीजे, बैंडबाजा, खाना बनाने और परोसने वाले, दोनापत्तल बनाने वाले लोग सब से ज्यादा प्रभावित हुए हैं.

सरकारी ढुलमुल नीतियां भी इस के लिए कम जिम्मेदार नहीं हैं. पूरे मध्य प्रदेश में अप्रैल महीने में लौकडाउन लागू कर दिया, जबकि दमोह जिले में विधानसभा उपचुनाव के चलते सरकार बड़ी सभाओं और रैलियों में मस्त रही. सरकार की इन ढुलमुल नीतियों की वजह से लोगों का गुस्सा आखिरकार फूट ही पड़ा.

दमोह में उमा मिस्त्री की तलैया पर  चुनावी सभा संबोधित करने पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का  डीजे और टैंट हाउस वालों ने खुला विरोध कर दिया. मुख्यमंत्री को इन लोगों ने जो तख्तियां दिखाईं, उन पर बड़ेबड़े अक्षरों में लिखा था :

‘चुनाव में नहीं है कोरोना,

शादीविवाह में है रोना.

चुनाव का बहिष्कार,

पेट पर पड़ रही मार.’

आंखों पर सियासी चश्मा चढ़ाए मुख्यमंत्री को इन लोगों का दर्द समझ नहीं आया. लोगों के गुस्से की यही वजह भाजपा उम्मीदवार राहुल लोधी की हार का सबब बनी.

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पिछले साल के लौकडाउन से सरकार ने कोई सबक नहीं लिया और न ही कोरोना से लड़ने के लिए कोई माकूल इंतजाम किए. मध्य प्रदेश के गाडरवारा तहसील के सालीचौका रोड के बाशिंदे दिनेश मलैया अपनी पीड़ा बताते हुए कहते हैं, ‘‘मेरा टैंट डैकोरेशन का काम है, जिसे मैं घर से ही चलाता हूं, लेकिन इस कोरोना बीमारी के चलते पिछले साल सरकार के लगाए हुए लौकडाउन में पूरा धंधा चौपट हो गया.

‘‘पिछले साल का नुकसान तो जैसेतैसे सहन कर लिया, लेकिन इस साल फिर वही बीमारी और लौकडाउन ने तंगहाली ला दी है. इस साल शादियों के सीजन को देखते हुए कर्ज ले कर टैंट डैकोरेशन का सामान खरीद लिया था, पर लौकडाउन की वजह से धंधा चौपट हो गया.’’

साईंखेड़ा के रघुवीर और अशोक वंशकार का बैंड और ढोल आसपास के इलाकों में जाना जाता है, लेकिन पिछले 2 साल से शादियों में बैंडबाजा की इजाजत न होने से उन के सामने रोजीरोटी का संकट खड़ा हो गया है.

वे कहते हैं कि सरकार और उन के मंत्री व विधायक सभाओं और रैलियों में तो हजारों की भीड़ जमा कर सकते हैं, पर 10-15 लोगों की बैंड और ढोल बजाने वाली टीम से उन्हें कोरोना फैलने का खतरा नजर आता है.

दोनापत्तल का कारोबार करने वाले नरसिंहपुर के ओम श्रीवास बताते हैं, ‘‘मार्च के महीने में ही बड़ी तादाद में दोनापत्तल बनवा कर रख लिए थे, पर अप्रैल महीने में लौकडाउन के चलते शादियों में 20 लोगों के शामिल होने की इजाजत मिलने से दोनापत्तल का कारोबार ठप हो गया.’’

शादीब्याह में भोजन बनाने का काम करने वाले राकेश अग्रवाल बताते हैं कि उन के साथ 50 से 60 लोगों की टीम रहती है, जो खाना बनाने और परोसने का काम करती है, लेकिन इस बार इन लोगों को खुद का पेट भरने का कोई काम नहीं मिल रहा है.

शादियों में मंडप की फूलों से डैकोरेशन करने वाले चंदन कुशवाहा ने तो कर्ज ले कर फूलों की खेती शुरू की थी. चंदन को उम्मीद थी कि उन के खेतों से निकले फूलों से वे शादियों में डैकोरेशन कर खूब पैसा कमा लेंगे, पर कोरोना महामारी के चलते सरकार ने जनता कर्फ्यू लगा कर उन की उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

हाथ ठेला पर सब्जी और फल बेचने वालों का बुरा हाल है. लौकडाउन में वे अपने परिवार के लिए भोजनपानी की तलाश में कुछ करना चाहते हैं, तो पुलिस की सख्ती उन्हे रोक देती है. हाथ ठेला लगाने वाले ये विक्रेता गांव से सब्जी खरीद कर लाते हैं और दिनभर की मेहनत से उन्हें सिर्फ 200-300 रुपए ही मिल पाते हैं.

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रायसेन जिले के सिलवानी में नगरपरिषद के सीएमओ ने जब एक फलसब्जी बेचने वाले का हाथ ठेला पलट दिया, तो उस का गुस्सा फूट पड़ा और मजबूरन उसे सीएमओ से गलत बरताव करना पड़ा.

यही समस्या दिहाड़ी मजदूरों की भी है, जिन्हें लौकडाउन की वजह से काम नहीं मिल पा रहा है और उन के बीवीबच्चे भूख से परेशान हैं. दिहाड़ी मजदूर रोज कमाते हैं और रोज राशन दुकान से सामान खरीदते हैं, पर राशन दुकान भी बंद हैं.

राजमिस्त्री का काम करने वाले रामजी ठेकेदार का कहना है कि सरकारी ढुलमुल नीतियों की वजह से गरीब मजदूर ही परेशान होता है.

सरकार अभी तक यह नहीं समझ पाई है कि कोरोना वायरस का इलाज लौकडाउन नहीं है, बल्कि सतर्क और जागरूक रह कर उस से मुकाबला किया जा सकता है. पिछले साल से अब तक सरकार अस्पतालों में कोई खास इंतजाम नहीं कर पाई है. जैसे ही अप्रैल महीने  में संक्रमण बढ़ा, तो सरकार ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए लौकडाउन  लगा दिया.

सरकार की इस नीति से लाखों की तादाद में छोटामोटा कामधंधा करने वाले लोगों की रोजीरोटी पर जो बुरा असर पड़ा है, उस की भरपाई सालों तक पूरी नहीं हो सकती.

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मैं इन दिनों घर से बाहर निकलता हूं तो चिंता छाई रहती है कि कहीं मैं भी कोरोना पॉजिटिव हो गया?

सवाल

मैं 26 वर्षीय युवक हूं. आजकल जैसी हालत है उस में घर से बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं. लेकिन औफिस खुल गया है, नौकरी करनी भी जरूरी है तो घर से बाहर निकलता हूं.  पर, हमेशा मनमस्तिष्क पर चिंता छाई रहती है कि कहीं मैं भी कोरोना पौजिटिव हो गया और मुझ से घरवालों को हो गया तो क्या होगा. घर छोटा है, तो होम क्वारंटीन भी नहीं हो सकते. अस्पताल जाना ही पड़ेगा और फिर अस्पताल का खर्च भी तो उठाना पड़ेगा. दिमाग बड़ा परेशान रहता है, क्या करूं?

जवाब

सब से पहले तो हम यही कहेंगे कि अपनी सोच पौजिटिव रखें. आप यंग हैं, समझदार हैं, पढ़ेलिखे हैं. इतना पढ़सुन रहे हैं कि कोरोना वायरस से बचने के लिए सिर्फ सावधानी की जरूरत है. अगर आप जागरूक हैं और सावधानी के साथ आगे कदम बढ़ा रहे हैं तो इस संकट की घड़ी में आप खुद को सुरक्षित रख सकते हैं.

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कुछ बातों का ध्यान रखें, जैसे घर से बाहर निकलें तो मास्क पहने रहें. भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें. यदि जाएं तो मास्क बिलकुल न उतारें, न उसे हाथों से बारबार छुएं. अपने हाथ साफ करते रहें, इसलिए सैनिटाइजर अपने साथ ही कैरी करें. लिफ्ट या गेट खोलने के लिए कुहनी का इस्तेमाल करें. अच्छा यह रहेगा कि अपने साथ टिशूपेपर ले कर चलें. इस्तेमाल हुए टिशू को तुरंत डस्टबिन में डाल दें. छींकते या खांसते समय अपने मुंह को टिशू से ढक लें. बारबार चेहरे पर हाथ लगाने से बचें. सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों को नजरअंदाज न करें. लोगों से उचित दूरी बनाए रखें. इस बात का ध्यान रखें कि अभी कोरोना का खतरा टला नहीं है.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  सरस सलिल- व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

जनप्रतिनिधि लें गांव के अस्पताल गोद

लखनऊ . कोविड के संक्रमण से ठीक हुए लोगों की सेहत को लेकर भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फिक्रमंद हैं. करीब तीन हफ्ते पहले ही उन्होंने हर जिला हॉस्पिटल में पोस्ट कोविड केयर सेंटर बनाने के निर्देश दिए थे. इसी क्रम में अपने बस्ती दौरे के दौरान उन्होंने सभी जिलों में सौ बेड का पोस्ट कोविड वॉर्ड शुरू करने का निर्देश दिया.

बस्ती मंडल की समीक्षा बैठक के दौरान सीएम ने कहा कि प्रदेश के सभी जिलो में 01 जून से 18 से 44 वर्ष आयु के लोगों को कोविड-19 का टीका लगाया जाएगा . 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के अभिभावको, न्यायिक अधिकारियों, सरकारी कर्मचारियों तथा मीडिया के प्रतिनिधियों को टीका लगाने के लिए अलग से काउंटर खोले जायेंगे. उन्होने जनप्रतिनिधियों से कहा कि वे एक-एक सीएचसी/पीएचसी गोद लें और वहां नियमित रूप से विजिट करें. अधिकारियों को निर्देश दिया कि टीकाकरण, सैनिटाइजेशन तथा फागिंग की सूचना जनप्रतिनिधियों को भी उपलब्ध कराएं जिससे वे इसका सत्यापन कर सके.

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि   कि प्रत्येक जिले में स्वच्छता, सैनिटाइजेशन एवं फागिंग, निगरानी समिति द्वारा स्क्रीनिंग एंव दवा किट वितरण, कोविड कमांड एवं कंट्रोल सेंटर द्वारा फील्ड में किए जा रहे कार्य का सत्यापन तथा कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के लिए अस्पतालों की तैयारी को  प्राथमिकता दें.

मुख्यमंत्री ने कहा कि बरसात को देखते हुए इंसेफेलाइटिस डेंगू, चिकुनगुनियां आदि बीमारियों से सुरक्षा के लिए भी समुचित प्रबन्ध किए जाएं. इसके लिए हर गांव एवं वार्ड में दिन में सैनिटाइजेशन तथा रात में फागिंग किया जाय.

मच्छरों के लार्वा को खत्म करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए. उन्होंने ग्रामीणों को खुले में शौच न करने तथा शौचालय का उपयोग करने को लेकर जागरूकता बढाने पर जोर दिया.

उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर को रोकने में सभी ने अच्छा कार्य किया है, लेकिन तब भी हमें सर्तक रहना होगा. यह एक महामारी है इसलिए सामान्य बीमारी से इसकी तुलना करना उचित नहीं है.

प्रदेश के सभी जिलों को आक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर जिले में प्लांट स्वीकृत किया गया है, उस पर काम भी चल रहा है. उन्होने निर्देश दिया कि प्रत्येक आक्सीजन प्लांट के लिए एक नोडल अधिकारी नामित करें, जो कार्यदायी संस्था से समन्वय स्थापित करके इसको शीघ्र स्थापित कराए . सरकार ब्लैक फंगस से निपटने के लिए विशेष प्रयास कर रही है.

उन्होंने कहा कि सीएचसी/पीएचसी पर अभी ओपीडी शुरू नही की जाएगी, लेकिन जिला अस्पताल में नानकोविड अस्पताल संचालित करके गंभीर रोगों के मरीजो का इलाज किया जायेगा .

अन्य लोग टेली कन्सल्टेन्सी के माध्यम से डाक्टरों से परामर्श कर सकते हैं . साथ ही महिला एवं बच्चों के लिए अलग से अस्पताल संचालित किए जाने पर उन्होंने जोर दिया . सभी सीएचसी/पीएचसी में साफ-सफाई, रंगाई-पोताई अगले एक सप्ताह में कराने और सभी उपकरण एंव मशीन सही कराने के निर्देश दिए . उन्होंने जिले के अस्पतालों में जिलाधिकारी तथा मेडिकल कालेज में वहां के प्रधानाचार्य, पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति के संबंध में कार्रवाई शुरू करने को कहा .

पैरामेडिकल स्टाफ, नर्स को मेडिकल कालेज से सम्पर्क करके टेनिंग दिलाए जाने की बात भी कही. उन्होंने वेंटीलेटर संचालित करने के लिए आईटीआई के छात्रों को ट्रेंड करने के निर्देश दिए.

जिले में कोई भूखा न रहे लिहाजा कम्युनिटी किचन का संचालन हो जिससे अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजन, मजदूर, स्ट्रीट वेंडर, पल्लेदार एवं फुटपाथ पर रह कर गुजारा करने वालों को दो वक्त का शुद्ध ताजा भोजन मिल सके.

उन्होने कोरोना कर्फ्यू के नियमों का कड़ाई से पालन कराने को कहा. साथ ही कंटेनमेंट जोन में कड़ाई बरते जाने को लेकर निर्देश दिए . उन्होंने कहा कि उद्योग, कृषि, सब्जी मण्डी खोलने की अनुमति दी गयी है, लेकिन वहां बेवजह की भीड़ एकत्र न होने दें. शादी-विवाह में 25 से अधिक लोगों को जाने की अनुमति न दें और इसका कड़ाई से पालन भी कराएं. जून माह में फ्री खाद्यान्न वितरित किया जाएगा. ऐसी व्यवस्था बनाये की पात्र व्यक्तियों को खाद्यान्न मिल सके .

कोरोनल डिप्रेशन का बढ़ता खतरा

लेखक- धीरज कुमार   

जिस तरह से अपने देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर बढ़ रही है और पूरे देश में संक्रमित लोगों की तादाद रोजाना बढ़ती जा रही है, उस से डाक्टरों के साथसाथ आम लोग भी कोरोना वायरस के बदले हुए स्ट्रेन के चलते चिंतित और परेशान हैं. हर किसी के मन में यह लग रहा है कि कहीं वह कोरोना वायरस से ग्रसित न हो जाए.

कुछ पढ़ेलिखे और समझदार लोग मास्क लगा रहे हैं और दूरी का पालन कर रहे हैं, वहीं कुछ बेपरवाह लोग मौजमस्ती में हाटबाजार और सड़कों पर घूमते नजर आ रहे हैं. कुछ सम झदार लोग वायरस से बचाव के लिए काफी एहतियात बरत रहे हैं, ठंडी चीजों से परहेज कर रहे हैं, गरम पानी पी रहे हैं व भीड़भाड़ से अपनेआप को दूर रख रहे हैं.

कुछ लोग टीका लगवाने की भी कोशिश कर रहे हैं, ताकि इस बीमारी के जोखिम से बचा जा सके, वहीं कुछ लोग कोरोना वायरस के चलते जितने ज्यादा चिंतित हो गए हैं कि एक तरह से डिप्रैशन का शिकार हो गए हैं.

वैसे तो लोग बारबार हाथ धो रहे हैं, तरहतरह के सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहे हैं, यहां तक तो ठीक है, लेकिन कुछ लोग बारबार अपनी सांसें चैक कर के देख रहे हैं. कुछ लोग टैलीविजन और दूसरे मीडिया में खबरें देख कर जिनजिन लक्षणों के बारे में बताया जा रहा है, उन्हें खुद में ढूंढ़ कर अपनेआप को शक के घेरे में डाल रहे हैं. ऐसा करना सही नहीं है.

शक की इसी बीमारी को कोरोनल डिप्रैशन का नाम दिया जा रहा है. आज इस तरह के डिप्रैशन से सैकड़ों लोग पीडि़त हो चुके हैं. कई लोगों को इस डिप्रैशन की वजह से नींद नहीं आ रही है. कई लोग बारबार नींद खुलने की शिकायतें भी कर रहे हैं. मन में घुसे इस डर की वजह से सिरदर्द और चिंता होना लाजिमी है.

संजीव कुमार रोहतास, बिहार में एक कालेज में पढ़ाते हैं. उन्होंने बताया, ‘‘कई बार बुरे सपनों के चलते मेरी नींद टूट जा रही है. ऐसा लग रहा है कि मुझे कोरोना हो चुका है. खुद के तापमान को बारबार नापने की कोशिश करता हूं. अपनी सांसें रोक कर चैक कर रहा हूं.

‘‘कभी गुड़, तो कभी गोल मिर्च (गोलकी मसाला) खा कर अपनेआप को टैस्ट करने की कोशिश कर रहा हूं कि कहीं खाने का स्वाद तो नहीं चला गया है? कहीं मेरी सांसें तो नहीं अटक रही हैं? सीने में दर्द तो नहीं हो रहा है? ऐसा मन में डर के चलते हो रहा है.

‘‘पर, जब मैं डाक्टर के पास गया, तो उन्होंने मु झे पूरी तरह से ठीक बताया और जरूरत पड़ने पर नींद की गोली खाने को दे दी. अब मैं इस वहम से छुटकारा पा गया हूं.’’

वहीं डेहरी ओन सोन की रहने वाली मंजू देवी का कहना है, ‘‘घर पर कोई आ रहा है, तो मु झे इस बात का डर रहता है कि कहीं उन से मैं भी कोविड 19 से ग्रस्त न हो जाऊं. मैं काफी डरी हुई हूं. ऐसे माहौल में मैं क्या करूं, सम झ में नहीं आ रहा है. दिनरात चिंता के चलते सिर में दर्द और नींद नहीं आने की बीमारी हो गई है.

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‘‘कभीकभी तो शक के चलते जब तक खुद को साफसुथरा नहीं कर लेती हूं, तब तक अपने बच्चों के पास भी  नहीं जा पाती हूं. कभी बीच में उठ कर अपने बच्चों को चैक करती हूं, तो कभी खुद को.’’

इस तरह की बेवजह की चिंता और घबराहट बढ़ने की अहम वजह है कि टैलीविजन और दूसरे मीडिया में यह दिखाया जा रहा है कि श्मशान घाटों पर अनेक लाशें रोजाना जल रही हैं. वहां लंबीलंबी कतारें लगी हुई हैं. अस्पताल के बाहर उन के परिवार वालों को चीखतेचिल्लाते हुए दिखाया जा रहा है. देशभर में औक्सीजन सिलैंडर की काफी कमी हो गई है. उन के लिए जगहजगह मारामारी हो रही है.

इस तरह की खबरें सभी चैनलों पर कमोबेश दिखाई जा रही हैं. यह सब आम लोगों में डर पैदा कर रहा है. इस तरह की खबरों से लोगों में घबराहट बढ़ रही है और इस घबराहट से उन में डिप्रैशन बढ़ रहा है.

कुछ लोगों को तो यह लग रहा है कि इस महामारी के बाद वे अपनेआप को बचा पाएंगे या नहीं?

इतना ही नहीं, कुछ लोग मोबाइल पर और मीडिया में देख रहे वीडियो को एकदूसरे को भेज रहे हैं, जिस से डर का माहौल बनता जा रहा है. ऐसे में सम झ में नहीं आ रहा है कि कुछ लोग अपने परिवार वालों को जागरूक कर रहे हैं या उन्हें डरा रहे हैं? हालांकि यह डर लाजिमी है, लेकिन कुछ लोगों में डर इतना बढ़ गया है कि उन में डिप्रैशन बढ़ता ही जा रहा है.

सासाराम के अर्ष मल्टीस्पैशलिटी नर्सिंगहोम के डायरैक्टर डाक्टर आलोक तिवारी का कहना है, ‘‘कोरोना की वजह से लोगों में घबराहट ज्यादा बढ़ गई है. कोरोना से पीडि़त की मौत कोरोना वायरस से कम, बल्कि घबराहट के चलते हार्टअटैक से ज्यादा हो रही है. कुछ लोग एहतियात के तौर पर पहले से ही काढ़ा पी रहे हैं, अपने ऊपर तरहतरह के प्रयोग कर रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए. ऐसी चीजें लिवर के लिए नुकसान देने वाली हो सकती हैं.

‘‘सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइन का पालन करें. पर इस के लिए दहशत में पड़ने की जरूरत नहीं है. अगर किसी आदमी में कोरोना के लक्षण जैसे सर्दी, खांसी, बुखार, पेट खराब, शरीर में दर्द, आंखों का लाल हो जाना, थकावट जैसे लक्षण पाए जाते हैं, तो तुरंत अस्पताल में इस की जांच कराएं.

‘‘अगर जांच के बाद यह पता चलता है कि किसी को कोरोना हो गया है, तो घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि डाक्टर के निर्देशों का पूरी तरह से पालन करें.

‘‘वैसे, घर पर ही शरीर के तापमान को माप कर पता किया जा सकता है  कि बुखार है या नहीं. घर पर ही औक्सीमीटर से औक्सीजन लैवल को जांच सकते हैं. अगर औक्सीजन लैवल 94 से नीचे आ रहा है तो अस्पताल में जाने की जरूरत है, वरना घर पर भी इलाज किया जा सकता है.’’

घबराने से काम नहीं चलेगा. घर पर रह कर डाक्टर के निर्देशों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए. पौष्टिक आहार, जैसे फलसब्जियां वगैरह का सेवन करें. सांस लेने की कसरत करनी चाहिए. साफसफाई का ध्यान रखना चाहिए. सब से जरूरी बात है कि खुद को घर के दूसरे लोगों से अलग कमरे में कर लेना चाहिए, ताकि घर के बाकी लोग कोरोना वायरस की चपेट में न आने पाएं.

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सोशल मीडिया पर डाले गए तरहतरह के काढ़ा वगैरह के सेवन के बारे में भरम फैलाया जा रहा है. उस के बहुत ज्यादा सेवन से बचना चाहिए. बेवजह की चिंता भी नहीं करनी चाहिए. सब से जरूरी है कि भरम फैलाती खबरों से दूर रहना चाहिए.

अपने आसपास क्या हो रहा है, इस पर नजर जरूर रखनी चाहिए. घर की छत पर या अपने गार्डन में कसरत  करनी चाहिए. खुद को अफवाहों से दूर रख कर कोरोनल डिप्रैशन से बचा जा सकता है.

उत्तर प्रदेश में गांव और वार्ड स्तर पर कोरोना को निगरानी से बदले हालत

लखनऊ . उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड-19 से बचाव और उपचार की व्यवस्थाओं को निरन्तर प्रभावी बनाए रखने के निर्देश दिये हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ‘ट्रेस, टेस्ट एण्ड ट्रीट’ की नीति कोरोना संक्रमण की रोकथाम में अत्यन्त सफल सिद्ध हो रही है. प्रदेश में कोविड संक्रमण के मामलों में तेजी से कमी आ रही है. रिकवरी दर में लगातार वृद्धि हो रही है. इसके दृष्टिगत कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के प्रयासों को पूरी प्रतिबद्धता से जारी रखा जाये.

मुख्यमंत्री वर्चुअल माध्यम से आहूत एक उच्च स्तरीय बैठक में प्रदेश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे. बैठक में मुख्यमंत्री जी को बातया गया कि विगत 24 घण्टों में प्रदेश में कोरोना संक्रमण के 7,735 केस आए हैं. इसी अवधि में 17,668 संक्रमित व्यक्तियों का सफल उपचार करके  डिस्चार्ज किया गया है. प्रदेश में 30 अप्रैल, 2021 को संक्रमण के अब तक के सर्वाधिक 3,10,783 मामले थे.

वर्तमान में संक्रमण के एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 1,06,276 हो गयी है. इस प्रकार विगत 30 अप्रैल के सापेक्ष एक्टिव मामलों की संख्या में 2,04,507 की कमी आयी है.

मुख्यमंत्री जी को यह भी अवगत कराया गया कि राज्य में कोरोना संक्रमण की रिकवरी दर में लगातार वृद्धि हो रही है. वर्तमान में यह दर 92.5 प्रतिशत है. प्रदेश में कोरोना संक्रमण की पॉजिटिविटी दर लगातार कम हो रही है. प्रदेश में पिछले 24 घण्टों में 2,89,810 कोविड टेस्ट किए गए हैं. इनमें 1,32,226 कोरोना टेस्ट आर0टी0पी0सी0आर0 विधि से किये गये हैं.

ब्लैक फंगस से निपटने की तैयारी

प्रदेश में अब तक 4 करोड़, 61 लाख, 12 हजार 448 कोविड टेस्ट किए जा चुके हैं. मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत सरकार द्वारा ब्लैक फंगस के उपचार के सम्बन्ध में दिये गए सुझावों एवं निर्देशों का यथाशीघ्र क्रियान्वयन किया जाए. महामारी अधिनियम-1897 के अन्तर्गत ब्लैक फंगस को अधिसूचित बीमारी घोषित किया जाए. प्रदेश में इस रोग से प्रभावित व्यक्तियों के उपचार के सभी प्रबन्ध सुनिश्चित किये जाएं.

ब्लैक फंगस के संक्रमण से प्रभावित सभी मरीजों को दवा तत्काल उपलब्ध कराई जाए. यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी जनपदों में ब्लैक फंगस की दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता रहे. निजी अस्पतालों में भर्ती ब्लैक फंगस के मरीजों को भी दवा उपलब्ध कराई जाए. यह भी सुनिश्चित किया जाए कि इस संक्रमण की दवा की कालाबाजारी न होने पाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गांवों को संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए संचालित वृहद जांच अभियान के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं.

गांव स्तर पर हो अच्छी देखभाल

प्रदेश में संक्रमण दर निरन्तर कम हो रही है. इसे और गति प्रदान करने के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर जागरूकता सृजित की जाए. इसके अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में ‘मेरा गांव, कोरोना मुक्त गांव’ तथा शहरी क्षेत्रों में ‘मेरा वाॅर्ड, कोरोना मुक्त वाॅर्ड’ अभियान संचालित किया जाए. अभियान का संचालन व्यापक जनसहभागिता से किया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने निर्देशित किया कि कोविड बेड की संख्या में निरन्तर वृद्धि की जाए. आवश्यक मानव संसाधन की संख्या में भी लगातार बढ़ोत्तरी की जाए, इसके लिए भर्ती की कार्यवाही तेजी से सम्पन्न की जाए. मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि कोविड-19 के उपचार की व्यवस्था को प्रभावी बनाए रखने के लिए उनके निर्देशों के अनुरूप कार्यवाही की जा रही है. कोविड बेड की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी की जा रही है. विगत दिवस प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों तथा अस्पतालों में 197 बेड की वृद्धि हुई है. इसमें आइसोलेशन बेड के अलावा आई0सी0यू0 बेड भी शामिल हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के सभी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा हेल्थ एवं वेलनेस सेण्टर को सुदृढ़ बनाकर प्रभावी ढंग से क्रियाशील रखा जाए. इन केन्द्रों के मेडिकल उपकरणों के रख-रखाव, आवश्यक मानव संसाधन, पेयजल, शौचालय, विद्युत आपूर्ति व्यवस्था को सुचारू बनाया जाए. स्वास्थ्य केन्द्रों की साफ-सफाई तथा रंगाई-पुताई कराई जाए. जनपदवार सभी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा हेल्थ एवं वेलनेस सेण्टर में उपलब्ध मेडिकल उपकरणों तथा तैनात चिकित्सकों तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की सूची संकलित कर उपलब्ध कराई जाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सभी जनपदों में उपलब्ध समस्त वेंटिलेटर कार्यशील अवस्था में रहे. खराब वेंटिलेटर की तुरन्त मरम्मत कराई जाए. प्रत्येक जनपद के अस्पतालों तथा मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध कुल वेंटिलेटर्स, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स तथा डायलिसिस यूनिट की संख्या तथा उनकी क्रियाशीलता के सम्बन्ध में विस्तृत विवरण उपलब्ध कराया जाए. उन्होंने कहा कि आयुष विभाग द्वारा संचालित हेल्थ एण्ड वेलनेस सेण्टर को सक्रिय किया जाए. आयुष विभाग द्वारा प्राणायाम के अभ्यास के सम्बन्ध में व्यापक जानकारी दी जाए, इसका प्रचार प्रसार भी कराया जाए.

अस्पताल रहे तैयार

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सभी जनपदों एवं राजकीय मेडिकल कॉलेजों में पीडियाट्रिक आई0सी0यू0 (पीकू) स्थापित किये जाने हैं. इस सम्बन्ध में की गई कार्रवाई की जानकारी प्राप्त करते हुए उन्होंने कहा कि पीकू की स्थापना की कार्यवाही को युद्ध स्तर पर आगे बढ़ाया जाए. प्रतिदिन की प्रगति रिपोर्ट उपलब्ध करायी जाए. उन्होंने कहा कि पीकू के संचालन के लिए पीडियाट्रिशियन्स, टेक्नीशियन्स तथा पैरामेडिकल स्टाफ के प्रशिक्षण का कार्य भी साथ-साथ कराया जाए.

मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि विगत 24 घण्टों में राज्य में 753 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई है. विगत कुछ दिनों में कोरोना संक्रमित रोगियों की संख्या में कमी आने से ऑक्सीजन की मांग में भी तेजी से कमी आई है. अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों तथा रीफिलर्स के पास पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन बैकअप उपलब्ध है. होम आइसोलेशन के मरीजों में भी ऑक्सीजन की डिमाण्ड में कमी आयी है. मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिए कि राज्य में ऑक्सीजन संयंत्रों की स्थापना की कार्यवाही को त्वरित गति से आगे बढ़ाया जाए.

कोविड वैक्सीन का रखे ध्यान

मुख्यमंत्री जी ने निर्देशित किया कि कोविड वैक्सीनेशन की कार्यवाही निर्बाध और सुचारु ढंग से संचालित की जाए. जीरो वेस्टेज को ध्यान में रखकर टीकाकरण कार्य किया जाए. वैक्सीनेशन कार्य को व्यापक स्तर पर संचालित किए जाने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि आगामी 06 माह में लक्षित आयु वर्ग के सभी प्रदेशवासियों के वैक्सीनेशन के लक्ष्य के साथ योजनाबद्ध ढंग से तैयारी की जाए. ग्रामीण क्षेत्र में वैक्सीनेशन कार्य को त्वरित और प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए कॉमन सर्विस सेण्टर (सी0एस0सी0) को सक्रिय कर वैक्सीनेशन हेतु रजिस्ट्रेशन में उपयोग किया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि स्वच्छता, सैनिटाइजेशन तथा फाॅगिंग की कार्यवाही सुचारु ढंग से जारी रखी जाए. ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, हेल्थ एवं वेलनेस सेण्टर तथा घनी आबादी के क्षेत्रों में स्वच्छता, सैनिटाइजेशन एवं फाॅगिंग का विशेष अभियान संचालित किया जाए. इसी प्रकार सभी नगर निकायों में भी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हेल्थ एवं वेलनेस सेण्टर पर स्वच्छता, सैनिटाइजेशन तथा फाॅगिंग का कार्य कराया जाए. जलजमाव को रोकने के लिए नाले व नालियों की सफाई करा ली जाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आंशिक कोरोना कफ्र्यू का प्रभावी ढंग से पालन कराया जाए. यह सुनिश्चित किया जाए कि घर से बाहर निकलने वाले लोग मास्क का इस्तेमाल और दो-गज की दूरी का पालन करें. उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी गेहूं क्रय केन्द्र कार्यशील रहे.

एमएसपी के तहत हो खरीददारी

एम0एस0पी0 के तहत गेहूं खरीद तथा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अन्तर्गत खाद्यान्न का वितरण कोविड प्रोटोकाॅल के पूर्ण पालन के साथ सुचारु ढंग से किया जाए. स्थानीय जनप्रतिनिधियों से संवाद बनाकर उन्हें खाद्यान्न वितरण के समय राशन की दुकानों का भ्रमण करने के लिए आमंत्रित किया जाए. डोर स्टेप डिलीवरी व्यवस्था सुदृढ़ रखी जाए, जिससे आम जनता को असुविधा न हो.

कोरोना: साधु संत, ओझाओं के चक्कर में!

कोरोना कोविड 19 का भयावह रूप आज देश देख रहा है. आज वैज्ञानिक भी इस संक्रमण के सामने असहाय हैं‌ और एक गाइडलाइन जारी कर दी गई है. ऐसे में देश में कुछ साधु, संत, ओझा, गुनिया ज्ञान बघार रहे हैं. और एक तरह से कानून को चैलेंज करते हुए बकायदा सोशल मीडिया में वीडियो वायरल करके अपनी बात प्रसारित कर रहे हैं.

जिससे यह सिद्ध हो जाता है कि आज भी हमारे देश में किस तरह साधु संत और ओझाओं की तूती बोल रही है. होना यह चाहिए कि ऐसे लोगों पर शासन प्रशासन तत्काल लगाम लगाए, ताकि कोई भी कुछ मनगढ़ंत ज्ञान बघार करके लोगों की जान का दुश्मन न बन सके.

आज हालात इतने गम्भीर हो रहे हैं कि यह साधु संत झूठे ही कोरोना से बचाव के दावे करके, एक तरह से लोगों की जान सांसत में डालने का काम कर रहे हैं.

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छत्तीसगढ़ में इन दिनों एक अनाम तिलकधारी साधु का वीडियो वायरल है, जो बड़े ही धीरे गंभीर वाणी में नींबू के दो चार रस के प्रयोग की सलाह दे रहा है, यह वीडियो बड़ी तेजी से गांव गांव पहुंच रहा है. लोग इस गेरुआ वस्त्र धारी के बताए हुए बातों में विश्वास भी कर रहे हैं जो कि सौ फीसदी झूठ के अलावा कुछ भी नहीं है.

वायरल वीडियो में कथित साधु! कि दावा है – ‘एक नींबू लो और उसके रस की दो-तीन बूंदें अपनी नाक में डालें…. इसे डालने के महज 5 सेकेंड के बाद आप देखेंगे कि आपका नाक, कान, गला और हृदय का सारा हिस्सा शुद्ध हो जाएगा.’
वीडियो में गेरूए कपड़ा पहने साधु कह रहा है- ‘आपका गला जाम है, नाक जाम है, गले में दर्द है या फिर इनफेक्शन की वजह से बुखार है, ये नुस्खा सारी चीजें दूर कर देगा. आप इसका प्रयोग जरूर कीजिए, मैंने आज तक इस घरेलू नुस्खे का उपयोग करना वालों को मरते हुए नहीं देखा है. यह नुस्खा नाक, कान, गला और हृदय के लिए रामबाण है. बाकी आपको जो करना है कीजिए लेकिन एक बार इसे जरूर आजमाइए.

यह साधु इतने भोलेपन से अपनी बात कह रहा है कि लोग सहज ही इसे मान सकते हैं. क्योंकि सोशल मीडिया में प्रसारित ऐसे लोगों के झूठे वायरल वीडियो की कोई काट सरकार के पास नहीं है और न ही प्रशासन कोई सख्त कार्रवाई कर पाता है.

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झूठ फैलाने का माध्यम बना सोशल मीडिया….!

जैसा कि हम जानते हैं सोशल मीडिया आज लोगों तक बात पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम मंच बन चुका है.

मगर जैसा की कहावत है किसी भी चीज की अच्छाई और बुराई दोनों होती है सोशल मीडिया की भी यही सच्चाई है इसका प्रयोग कई जगह नकारात्मक ढंग से भी किया जाता है. प्रणाम स्वरूप झूठ बड़ी तेजी से फैलता है और यह लोगों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. ऐसे में नींबू की चार बूंद से कोरोना के इलाज का दवा यह बता जाता है कि किस तरह सोशल मीडिया का दुरुपयोग किया जा रहा है. इसलिए जहां सरकार को इसके लिए कुछ कठोर नियम बनाने चाहिए वहीं लोगों में भी यह समझ होनी चाहिए कि सोशल मीडिया में प्रसारित हर बात का तथ्य सही नहीं होता उसे हम अपने नीर क्षीर बुद्धि से समझे कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो नहीं है. दरअसल कई संदर्भ आ चुके हैं जब सोशल मीडिया में प्रसारित नुस्खों के कारण लोगों की जान पर बन आई.

एक्शन और जागृति जरूरी

सोशल मीडिया में कुछ भी अपने अधकचरे ज्ञान से परोस देना समझदारी नहीं है. वस्तुत: लोगों का हित सोचते सोचते लोग बुरा कर बैठते हैं. इसकी प्रमुख वजह है हमारे देश ने बहुतायत लोग अशिक्षित हैं और अफवाह बाजी में सिद्धहस्त हैं. ऐसे लोग अपने आप को परम ज्ञानी समझते हैं. और साथ ही कुछ लोग अपने प्रचार प्रसार के लिए और इसे एक धंधा बनाने के लिए भी झूठे अध कचरे ज्ञान को प्रसारित करने की चेष्टा करते है. देश में बहुसंख्यक लोग आज भी गांव में रहते हैं, वही शहरों में भी साधु संत के चोले में आकर के कुछ भी कहने वाले लोगों के लिए बड़ी श्रद्धा और अंधविश्वास है, परिणाम स्वरूप इसका नुकसान भी लोग उठाते हैं.ऐसे में यही कहा जा सकता है कि सोशल मीडिया में आ रहे किसी जानकारी को आंख बंद करके कभी भी स्वीकार ना करें. इसके लिए वैज्ञानिक सच्चाई को जानने समझने और मानने में ही आपका भला है.

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