अपनी बेटी को खो चुके सुरेश के परिवार वाले उस की जमानत के लिए तारीखों पर पैसे खर्च कर रहे थे. 2 महीने पहले सुरेश के एक मिलने वाले ने उस की बीवी चंद्रवती को बताया कि उस ने बिलकुल उस की बेटी की तरह एक लड़की को देखा है. लेकिन किसी ने भी उस की बात पर गहराई से नहीं सोचा. जबकि चंद्रवती अपनी बेटी जैसी युवती दिखने वाली बात सुन कर परेशान हो उठी.
चंद्रवती को पूरा विश्वास था कि उस की बेटी जिंदा है और एक न एक दिन घर वापस जरूर आएगी. यही सोच कर चंद्रवती ने अपनी बेटी के जिंदा होने की बात कहते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर उसे बरामद कराने की मांग की थी. लेकिन लौकडाउन के चलते उस के प्रार्थना पर कोई सुनवाई न हो सकी.
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कमलेश को जीवित देख कर पुलिस रह गई भौचक
मामला खुलने पर जब पुलिस को पता चला कि जिस कमलेश की हत्या के आरोप में वह उस के पिता और भाई को 7 महीने पहले जेल भेज चुकी है, वह जिंदा मिल गई है तो पुलिस के होश फाख्ता हो गए. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एसपी डा. विपिन ताड़ा, सीओ धनौरा और इंसपेक्टर पंकज वर्मा ने किशोरी व राकेश से विस्तृत जानकारी हासिल की.
इस मामले में पुलिस का फरजीवाड़ा उजागर होते ही लोगों का गुस्सा भड़क उठा. देखते ही देखते थाने पर ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई. उस के बाद भीड़ ने खूब हंगामा किया. थाने पर लोगों की भीड़ जुटने की सूचना पाते ही शासनप्रशासन हिल गया.
सूचना पाते ही एसपी डा. विपिन ताड़ा थाने पहुंचे और वहां पर इकट्ठा भीड़ को भरोसा दिया कि इस मामले में फिर से निष्पक्ष जांच कर के दोषी पाए जाने वाले पुलिसकर्मियों को उचित दंड दिया जाएगा. इस के तुरंत बाद उन्होंने थानाप्रभारी अशोक कुमार शर्मा को निलंबित कर दिया. पुलिस ने कमलेश और राकेश से कड़ी पूछताछ की. पुलिस पूछताछ में राकेश और उस की प्रेमिका कमलेश के द्वारा जो जानकारी मिली वह इस प्रकार थी.
मलकपुर गांव से लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित था राकेश का गांव पौरारा. राकेश सैनी शादियों में खाना बनाने का काम करता था. उसी काम के सिलसिले में उसे आसपास के गांवों में जाना पड़ता था.
सुरेश ने अपनी बेटी राधा और बेटे राहुल की शादी में खाना बनवाने के लिए राकेश को ही बुलाया था. उसी दौरान राकेश को खाना बनाने के लिए किसी सामान की जरूरत होती तो घर के सदस्यों के व्यस्त होने की वजह से कमलेश ही सामान ला कर देती थी. इसी के चलते कमलेश उस के दिल को भा गई थी. उस की नजर हर वक्त उसी की राह ताकती रहती थी.
हालांकि कमलेश नाबालिग थी. लेकिन उसे दूसरों की नजरें पढ़ने का भी ज्ञान था. वह समझ गई कि राकेश उस से क्या चाहता है. धीरेधीरे दोनों के दिलों में एकदूसरे के प्रति प्यार अंकुरित हुआ. राकेश ने कमलेश को अपने दिल की रानी बनाने का निर्णय ले लिया.
कमलेश ने राकेश का मोबाइल नंबर ले लिया और उस के जाने के बाद जब कभी उस की याद सताती तो वह परिवार वालों से नजर बचा कर उस से बात करने लगी थी. राकेश भी उस के गांव आ कर कमलेख से खेतों पर मिलने लगा.
राकेश के साथ हो गई फरार
इस प्रेम कहानी के चलते दोनों को फिर से रूबरू होने का मौका मिल जाता. राकेश और कमलेश के बीच काफी समय से प्रेम प्रसंग चला आ रहा था, लेकिन उस के परिवार वालों को इस की भनक तक नहीं थी. इसी प्रेम प्रसंग के चलते ही दोनों ने एक साथ जीनेमरने की कसम ली और जिंदगी के सफर पर आगे बढ़ने के लिए घर से भागने का फैसला भी कर लिया.
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6 फरवरी, 2019 को वादे के मुताबिक दोनों अपनेअपने घरों से निकले. राकेश को कहीं भी जाने से रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था. कमलेश ने उस दिन घर वालों से खेतों पर जाने की बात कही और निकल पड़ी गंगा किनारे की ओर. राकेश पहले से ही गंगा पुल पर खड़ा मिल गया.
राकेश पक्का खिलाड़ी था. उस ने घाटघाट का पानी पी रखा था. कमलेश को साथ ले कर वह सीधा दिल्ली पहुंचा. वहां उस ने दोस्त की मदद से दिल्ली में एक किराए का कमरा लिया और वहीं रह कर काम करने लगा.
कुछ दिन दिल्ली में रहने के बाद दोनों गाजियाबाद में आ कर रहने लगे थे. वहीं पर दोनों ने लव मैरिज कर ली. लव मैरिज कर के दोनों घर वालों की चिंता से मुक्त हो गए. राकेश के साथ शादी करने के बाद कमलेश ऐसी मस्त हुई कि उस ने एक बार भी अपने परिवार वालों की खैरखबर तक जानने की कोशिश नहीं की.
गाजियाबाद में शादी कर के राकेश कमलेश को साथ ले कर मुरादाबाद आ कर रहने लगा था. मुरादाबाद में उस का काम ठीकठाक चलने लगा था. इसी दौरान कमलेश एक बेटे की मां बनी. मुरादाबाद आ कर राकेश की आर्थिक स्थिति ठीकठाक हो गई थी. लेकिन इसी दौरान मार्च में लौकडाउन लग गया, जिस के बाद शहर में काम के लाले पड़ने लगे थे.
ऐसे में राकेश को कमलेश के साथ अपने गांव पौरारा लौट पड़ा. तब से दोनों गांव में रह रहे थे. इसी दौरान राहुल को घर के बाहर कमलेश दिखाई दी. जिस के बाद उस की पोल खुल गई थी.
षडयंत्रकारी आदमपुर पुलिस की झूठी स्क्रिप्ट ने सुरेश और उस के परिवार वालों को जो दर्द दिया, उस की भरपाई कभी नहीं हो सकती. लेकिन सुरेश के परिवार को इस बात की खुशी थी कि उस पर लगने वाला बेटी के कत्ल का कलंक गया था. उन्हें गम भी नहीं था कि उन की बेटी ने घर से भाग कर उन के चेहरे पर कालिख पोती थी.
उन्हें सब से ज्यादा दुख पुलिस की षडयंत्रकारी दरिंदगी का था. पुलिस ने सुरेश सिंह, उस के बेटे रूपकिशोर व रिश्तेदार को असहनीय यातनाएं दे कर मुलजिम बना कर जेल में डाल दिया था. इस केस के खुलते ही इस केस की तफ्तीश कर रहे पंकज वर्मा ने कमलेश के सीआरपीसी की धारा 164 के तहत न्यायालय में बयान दर्ज कराए.
कोर्ट ने कमलेश को मुरादाबाद स्थित बाल कल्याण समिति के पास भेज दिया. समिति के सदस्य मसरूर सिद्दीकी और जहीरुल इसलाम ने कमलेश की काउंसलिंग की.
समिति ने कमलेश के सामने नारी निकेतन या फिर अपने मातापिता के पास जाने के विकल्प रखे. कमलेश ने अपने पति राकेश के साथ जाने की इच्छा जताई. उस की मां चंद्रवती ने उस से अनुरोध किया कि वह उस के साथ घर चले. कोई भी उसे कुछ नहीं कहेगा लेकिन कमलेश अपनी जिद पर अड़ी रही. इसलिए समिति ने उसे 6 महीने के लिए नारी निकेतन भेज दिया ताकि वह सोच कर अपने लिए सही फैसला कर सके.
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दूसरी ओर आदमपुर पुलिस ने बेगुनाही में जेल में बंद उस के पिता सुरेश सिंह, भाई रूपकिशोर और रिश्तेदार देवेंद्र की रिहाई के लिए कोर्ट में प्रार्थनापत्र दे दिया. कानूनी प्रक्रियाओं के बाद तीनों को रिहा कर दिया गया.