Satyakatha: फरीदाबाद- नफरत का खतरनाक अंजाम- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

Writer- शाहनवाज

यह सुन कर नीरज ने सक्षम के कंधे पर हाथ रखा और घर के अंदर आ गया. सक्षम को यह देख कर थोड़ा अजीब लगा. उस ने अपने पिता को रोकना चाहा, लेकिन वह कहां रुकने वाला था. उन दोनों के अंदर घुसते ही बाहर से एक और आदमी मकान में आ घुसा.

यह शख्स नीरज का दोस्त लेखराज था. लेखराज के अंदर आते ही उस ने भीतर से मुख्य दरवाजे की कुंडी बंद कर दी और भाग कर पहली मंजिल पर जा पहुंचा.

लेखराज को देखते ही इस से पहले कि सक्षम कुछ कहता, नीरज ने उस के मुंह पर हाथ रख दिया और उसे अपनी गोद में उठा कर उस कमरे की ओर चल पड़ा, जहां पर उस की पत्नी आयशा और उस की सास सुमन सोए हुए थी.

एक तरफ नीचे ग्राउंड फ्लोर पर नीरज अपने बेटे के साथ था तो दूसरी ओर लेखराज पहली मंजिल पर गगन और राजन के कमरे में था. लेखराज ने अपनी कमर से एक देसी तमंचा निकाल कर सोते हुए राजन पर गोली चला दी.

गोली चलने की आवाज सुन कर गगन नींद से जाग गया और उस की नजर लेखराज और उस के हाथ में तमंचे पर पड़ी. गगन के अवचेतन दिमाग ने खुद को बचाने के लिए बिस्तर किनारे रखे फोन को लेखराज की ओर जोर से फेंका. वह फोन लेखराज के चेहरे पर जा कर लगा और कुछ पलों के लिए उस का ध्यान गगन से हट गया.

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इतने में गगन भाग कर दरवाजे की ओर से निकलने ही वाला था कि लेखराज ने गगन पर पीछे से गोली चला दी, जोकि उस की कमर पर लगी. गोली लगते ही वह गिर पड़ा.

गगन के शरीर से निकला खून पूरे फर्श पर फैल चुका था, जिसे देख लेखराज को लगा कि वह मर गया है, क्योंकि गगन के शरीर से किसी तरह की कोई हरकत नहीं हो रही थी.

पहली मंजिल पर गोली चलने की आवाज सुन कर 12 साल का छोटा बच्चा इस से पहले कि कुछ समझ पाता, नीरज ने उसे नीचे उतार दिया. फिर उस ने अपने थैले में से तमंचा बाहर निकाल कर अपनी सास सुमन पर निशाना साधते हुए 2 गोलियां चला दीं.

नीरज की पत्नी आयशा जो गहरी नींद में सो रही थी, बाहर होने वाले शोर से वह भी जाग गई. इस से पहले कि वह कुछ समझ पाती, नीरज ने मौका देख कर एक गोली अपनी पत्नी की छाती पर दाग दी. गोली मारने के बाद नीरज ने इधरउधर देखा तो सक्षम वहां मौजूद नहीं था.

नीरज ने जब उसे अपनी गोद से उसे नीचे उतारा था, तब वह भाग कर बाथरूम में चला गया था. उस ने खुद को बाथरूम में बंद कर लिया. सक्षम इतनी दहशत में था कि उस ने बाथरूम में किसी तरह की कोई हरकत करने की हिम्मत नहीं दिखाई.

इतने में लेखराज अपना काम पूरा कर के नीचे आया और उस ने नीरज से पूछा, ‘‘काम हो गया, अब आगे क्या करना है?’’

नीरज ने अपने थैले में से 2 धारदार चाकू निकाले और एक उस के हाथ में थमाते हुए बोला, ‘‘ये दोनों किसी भी कीमत पर जिंदा नहीं रहने चाहिए. इन्होंने मेरा जीना हराम कर दिया है, इसलिए इन्हें पूरी तरह से खत्म कर दो.’’

कहते हुए लेखराज और नीरज दोनों सुमन और आयशा की लाश की ओर बढ़े और दोनों उन के शरीर पर चढ़ कर उन के शरीर पर लगातार चाकू से वार करने लगे. उन्होंने उन का शरीर गोदने के बाद महसूस किया कि मकान में उन का नौकर भी रहता है, उस नौकर को भी उन्होंने ठिकाने लगाना जरूरी समझा. उसी समय उन्होंने महसूस किया कि कोई मकान का मेन दरवाजा खोल रहा है.

वह उस मकान में काम करने वाला नौकर शिवा ही था. उसे देख कर नीरज उस की ओर अपना तमंचा ले कर दौड़ा. शिवा अपनी जान बचाने के लिए तेजी से भागा और दीवार फांदते हुए वह मकान के इर्दगिर्द खाली पड़े प्लौट को पार करते हुए भाग निकला.

इस बीच नीरज ने उस की ओर निशाना साध कर गोली भी चलाई थी, लेकिन गोली के तमंचे में फंस जाने की वजह से शिवा अपनी जान बचाने में कामयाब रहा. नीरज और लेखराज सक्षम को छोड़ घर में सभी को गोली मारने के बाद तुरंत वहां से नौ दो ग्यारह हो गए.

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नीरज और लेखराज ने सभी को गोली तो मार दी थी, लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि गगन को गोली लगने के बाद भी वह बच जाएगा. गगन को उस की कमर पर गोली लगी थी, उस का खून भी काफी बह चुका था लेकिन वह जिंदगी और मौत के बीच लटक गया था.

नीरज और लेखराज के वहां से निकल जाने के बाद सक्षम रोताबिलखता एकएक कर अपने परिवार के पास जा कर उन्हें देख रहा था, तभी उस ने देखा कि उस के मामा के शरीर में हरकत हो रही थी. यह देख कर फोन ले कर वह भागते हुए अपने मामा गगन के पास पहुंचा.

गगन ने 100 नंबर डायल कर पुलिस को फोन लगाया और पुलिस को कराहती आवाज में जल्द ही अपने घर पर आने के लिए कहा.

सुबह के करीब साढ़े 3 बज रहे थे, जब इस घटना की सूचना फरीदाबाद में धौज थाना क्षेत्र को मिली. धौज थाना गगन के नए घर से मात्र 5 मिनट की दूरी पर ही था.

मामले की सूचना मिलते ही धौज थानाप्रभारी दयानंद अपनी टीम के साथ कुछ ही देर में गगन के घर जा पहुंचे और उन्होंने सब से पहले मकान में गगन को ढूंढ निकाला और उसे पास के अस्पताल ले गए. उसी दौरान उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को इस मामले की सूचना दी.

सूचना मिलने पर थोड़ी देर में जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और फोरैंसिक टीम भी वहां पहुंच गई. फोरैंसिक टीम द्वारा अपना काम निपटाने के बाद पुलिस ने दोनों लाशें पोस्टमार्टम के लिए भेज दीं.

इस के बाद उच्चाधिकारियों के निर्देश पर थानाप्रभारी ने जांच शुरू कर दी. पुलिस ने सक्षम से उस के पिता का मोबाइल नंबर ले कर टैक्निकल टीम को दे दिया. टीम ने ट्रेसिंग कर के नीरज की लोकेशन का पता लगा लिया.

घटना के 9 घंटे बाद डीएलएफ और धौज की क्राइम ब्रांच की टीमों ने 22 अक्तूबर को एनआईटी फरीदाबाद से दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.

अगले भाग में पढ़ें- पिछले एक साल से आयशा अपने बेटे सक्षम के साथ अपने मायके में ही थी

Crime: और एक बार फिर साबित हो गया “कानून के हाथ” लंबे होते हैं

आज आपको इस रिपोर्ट में हम एक ऐसे सनसनीखेज घटना बता रहे हैं जिसमें एक नारी ही नारी की दुश्मन बन गई एक मां ने अपनी नवजात बालिका की अपने ही हाथों से हत्या कर दी.

यह एक सर्वमान्य सिद्धांत माना गया है कि पूत कपूत हो सकता है मगर मां कभी कुमाता नहीं हो सकती.मां अपने बच्चों के साथ, उनके साथ अत्याचार, भेदभाव नहीं करती. मगर  आज  21 वीं शताब्दी के भारत में कुछ एक ऐसी घटनाएं घट जाती है जो इस धारणा को ध्वस्त कर देती हैं की एक नारी, एक मां अपनी औलाद को अपने ही हाथों से नहीं मारती. वह भी सिर्फ इसलिए कि वह एक लड़की है!

जी हां!! एक ऐसा ही दर्दनाक दुखद घटना क्रम आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताने जा रहे हैं. किस किस तरह मां ने अपने पहले बच्चे को जो एक लड़की पैदा हुई थी को अपने ही हाथों से इस लिए मार डाला कि वह लड़का नहीं थी. समाज में लड़कों और लड़कियों के भेदभाव पर हमेशा प्रश्न चिन्ह खड़ा होता रहा है और अब तो यह भी कहा जा रहा है कि लड़कियां लड़कों से कहीं ज्यादा काबिल, संवेदनशील, कर्तव्य परायण और अपने मां पिता को आगे चलकर के संरक्षण देने में योग्य साबित हुई है.

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इस सब के बावजूद एक मां ने जब उसे लड़की पैदा हुई तो उसकी हत्या के लिए आज के सबसे बड़े हथियार “गूगल” का इस्तेमाल किया और उससे पूछा कि हत्या का तरीका क्या हो सकता है?

मासूम  की दुखदाई मौत

उज्जैन,  मध्य प्रदेश में तीन माह की मासूम के हत्या के मामले में सनसनीखेज खुलासा पुलिस ने किया  है.  बच्ची की मां स्वाति ने पुलिस को बताया  कि वह बेटा चाहती थी! पिंकी के जन्म के बाद से ही उसे नफरत करने लगी थी.मानसिक रूप से अपने आप को उसकी हत्या के लिए तैयार करती रही.

पुलिस के मुताबिक अपनी ही बच्ची की हत्यारी स्वाति बहुत शातिर किस्म की औरत है. वह बार-बार बयान बदल रही है. वह पुलिस को लगातार गुमराह कर रही है. पुलिस यह रिपोर्ट लिखे जाने के समय तक उसके साथ पूछताछ कर रही थी और वह कभी उसको कभी कुछ कर रही थी, पड़ताल के बाद और भी तथ्य सामने आएंगे.

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हमारे संवाददाता को पुलिस अधिकारियों ने बताया

मासूम पिंकी परिवार की लाड़ली बेटी थी, मगर  उसकी मां स्वाति  उसे पसंद नहीं करती थी. वह लगातार उसकी उपेक्षा करती थी.उसके सभी काम भी परिवार के दूसरे सदस्य ही करते थे. दरअसल, स्वाति बेटा चाहती थी, लेकिन बेटी होने के बाद से ही वह परेशान रहने लगी थी. पुलिस अधिकारी आकाश भूरिया के मुताबिक पुलिस के पास पर्याप्त सबूत हैं कि पिंकी को स्वाति ने ही मारा है. और सबूतों के आधार पर स्वाति को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया है, लेकिन बहुत सारे तथ्य हम सार्वजनिक नहीं कर सकते. स्वाति से अर्पित की शादी दो साल पहले  2019 में हुई थी.

बच्ची की आसान हत्या कैसे होगी?

स्वाति इतना होने के बावजूद अपनी कोख से जन्म लेने वाली पिंकी की हत्या के लिए जो काम किया उसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे स्वाति ने पिंकी की हत्या के लिए गूगल में सर्च किया और यह जानना चाहा कि कैसे हत्या करती हो वह आसानी से बच सकती है इस हत्याकांड के बाद पुलिस अधिकारियों ने विवेचना की और स्वाति को अपराधी पाया है संपूर्ण कहानी कुछ इस तरह सामने आई है. दरअसल,

पति अर्पित ने 5 दिन पहले ही पत्नी स्वाति  को एक नया स्मार्टफोन  दिलाया था. मोबाइल हाथ में आते ही सबसे पहले स्वाति ने गूगल पर अकाउंट बनाया. इसके बाद अगले 3 दिन  इंटरनेट पर वह बच्ची को मारने की तरीके ही सर्च करती रही.

आखिरकार  उसने बच्ची को पानी की हौद में डुबोकर मार दिया. उसने कुछ ऐसे सवाल ऑनलाइन सर्च किए थे- जैसे, बच्ची को कैसे मारें, कैसे बच्चों को आसानी से मारा जा सकता है? ऐसा क्या करें कि मारने वाला पकड़ा न जाए? सबसे आसान मौत क्या हो सकती है? बच्चों को कैसे मारें कि उनके शरीर पर कोई चोट के निशान न हो? कैसे मारें कि पोस्टमार्टम में किसी पर शक न हो?

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जैसे अनेक सवाल स्वाति ने गूगल पर सर्च किए  और अंततः 20 मिनट में  पिंकी की हत्या पानी में डालकर कर दी. घटना के वक्त घर पर कोई नहीं था  दोपहर 1.20 से 1.40 बजे के दौरान घर में से लापता हुई थी. उस समय पति घर के नीचे दुकान पर था.उसके पिता कुछ समय पहले बाहर गए थे. घर में स्वाति और उसकी सास अनीता भटेवरा के अतिरिक्त कोई नहीं था.

कहते हैं कि कानून के हाथ लंबे होते हैं अपराधी बच नहीं सकता यहां भी यह सत्य सिद्ध हुआ.

जांच की गई तो आखिर स्वाति शंका के घेरे में आ गई.

अंततः पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर न्यायालय में पेश किया है जहां से उसे जेल भेज दिया गया है.

Satyakatha: विदेशियों से साइबर ठगी- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

‘‘मगर क्यों?’’ यश ने सिर्फ इतना ही पूछा कि लैपटौप संभालने वाले पुलिसकर्मी ने कहा, ‘‘यहां छापेमारी हुई है. तुम्हारे काल सेंटर के खिलाफ कंप्लेन है. जो कुछ भी कहना है, वह थाने में कहना. चलो, लाओ तुम्हारा अपना मोबाइल फोन कहां है? वह भी दो.’’

‘‘जी, वो तो आप ने ले रखा है.’’ यश बोला.

‘‘…और कंपनी का मोबाइल?’’ पुलिसकर्मी ने सवाल किया.

‘‘जी, वह चार्ज हो रहा है.’’ दाईं ओर चार्जर पौइंट की ओर इशारा करते हुए यश बोला. पुलिस ने उस मोबाइल को भी अपने कब्जे में ले लिया.

‘‘कंपनी का कोई दूसरा डिवाइस या फाइल वगैरह भी है?…उसे भी दो.’’

‘‘कोई और डिवाइस नहीं है सर, सिर्फ एक फाइल है,’’ बैड के नीचे से नीले रंग की एक फाइल निकालते हुए यश बोला.

थोड़ी देर में पुलिस यश को रिसौर्ट के रिसैप्शन पर ले आई. वहां उस के कुछ और साथियों को पुलिस ने पकड़ रखा था. उन्हीं में रवि भी था. वहीं उसे मालूम हुआ कि दोनों रिसौर्ट में पुलिस ने छापेमारी की है और कुल 18 लोगों को पकड़ लिया है.

छापेमारी कथित काल सेंटर द्वारा फरजीवाड़ा करने की शिकायत पर की गई थी. पुलिस हिरासत में लिए गए युवाओं में एक युवती भी थी. सभी के लैपटौप, मोबाइल और हेडफोन के अलावा माडम, राउटर एवं दूसरे उपकरण भी जब्त कर लिए गए थे.

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दरअसल, अजमेर जिले में स्थित पुष्कर की पुलिस को जयपुर हेडक्वार्टर से सूचना मिली थी कि वहां 2 रिसौर्ट में फरजी काल सेंटर चलाया जा रहा है. सेंटर के कर्मचारी वर्क फ्रौम होम के तहत जौब कर रहे हैं.

वे विदेशियों से औनलाइन फ्रौड के धंधे में लिप्त हैं. काल सेंटर के कर्मचारी उन्हें अमेजन का प्रतिनिधि बताते हैं. कुछ कर्मचारी खुद को इनकम टैक्स का अधिकारी भी बताते हैं.

इसी शिकायत के आधार पर पुलिस ने दोनों रिसौर्ट पर दबिश दी थी और सेंटर के कर्मचारियों को पकड़ लिया था. उन की ठगी का शिकार होने वाले अमेरिका और आस्ट्रेलिया के लोग थे.

पुलिस सभी को पुष्कर थाने ले आई. उन से पूछताछ से मालूम हुआ कि सभी 10वीं-12वीं तक ही पढ़े हैं, लेकिन वे फर्राटेदार अंगरेजी बोलते हैं. कुछ तो अमेरिकन और ब्रिटिश अंगरेजी दोनों बोलने में माहिर थे.

हैरानी की बात यह थी उन में से कोई भी स्थानीय नहीं था. यहां तक कि जयपुर का भी नहीं था. सभी दिल्ली, गजियाबाद, मुंबई, कोटा, पटना, नागौर और गुजरात के आनंद के थे. उन्हें सेंटर में कुछ माह पहले ही जौब मिली थी. सभी लंबे समय से बेरोजगार थे.

फरजीवाड़े के लिए सेंटर के संचालक ने विदेशी साइटों पर जा कर उन का डेटा खरीदा था. फिर काल या मैसेजिंग के जरिए उन से संपर्क किया और विविध औफर के साथ ठगी को अंजाम दिया. इस काम के लिए नियुक्त किए गए युवाओं को 25 हजार रुपए मंथली सैलरी पर रखा गया था. साथ ही उन्हें इंसेंटिव भी मिलता था.

इस तरह से एक कर्मचारी को 70-80 हजार रुपए तक मिल जाते थे. कुछ लोग एक महीने में एक लाख रुपए तक इंसेंटिव पा चुके थे. यह उन के द्वारा क्लाइंट के संतुष्ट होने और उन के काम से ठगी गई रकम पर निर्भर करता था.

सभी के नाम दोनों रिसौर्ट के अलगअलग कमरे बुक थे. एक तरह से उन का वही औफिस और रहने का ठिकाना था. कमरे में ही खानेपीने की तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवा दी गई थीं. सेंटर के ये सारे इंतजाम पिछले जून माह से किए गए थे.

अगस्त के महीने में जयपुर की पुलिस को उस सेंटर की संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिली थी. उस के बाद से ही जयपुर पुलिस ने अजमेर और पुष्कर की पुलिस को अलर्ट कर दिया था. इस की तहकीकात की जिम्मेदारी एएसपी (ग्रामीण) सुमित मेहरड़ा, आईपीएस को सौंपी गई थी.

उस के बाद ही मौका देख कर पुलिस ने 7 अक्तूबर को दोनों रिसौर्ट पर अचानक रेड डाली, जिस में सेंटर के कर्मचारी पकड़े गए और उन से ठगी के कई दस्तावेज भी हाथ लगे.

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उन दस्तावेजों और लैपटौप से मिली जानकारियों के आधार पर ठगी का पूरा मामला सामने आ गया. ठगी के तरीके का खुलासा हो गया. कुछ बातें जौब करने वाले सेंटर के कर्मचारियों ने बताईं. हालांकि कर्मचारियों की आईडेंटिटी में किसी भी तरह की हेराफेरी या फरजीवाड़ा नहीं किया गया था.

पूछताछ में पुलिस को मालूम हुआ कि वे ठगी को किस तरह से अंजाम देते थे. दूर बैठे विदेशियों को फोन पर इस तरह की बातें करते थे, जिस से वे सेंटर द्वारा बुने गए ठगी के जाल में फंस जाते थे. हालंकि इस की पूरी जानकारी सेंटर के उन युवाओं को भी नहीं होती थी कि उन के काम से कोई ठगा जा रहा है.

उन के सभी क्लाइंट आस्ट्रेलिया और अमेरिका के थे. उन्हें वे इनकम टैक्स औफिसर की हैसियत से फोन करते थे या फिर मैसेज भेजते थे. वे कहते थे कि उन के 4-5 साल की औडिट रिपोर्ट में कई खामियां हैं, उसे वे तुरंत सही करवा लें, वरना उन्हें भारी जुरमाना भरना पड़ सकता है.

इसी के साथ उन्हें एक राशि बताई जाती थी और कहा जाता था, वह उन की पिछली गलतियों के लिए निर्धारित किया गया फाइन है. उसे भर देने पर वित्तीय कानून के मुताबिक भविष्य में किसी भी तरह के मुकदमे की काररवाई से बचे रहेंगे.

उस के बाद विदेश में बैठा वह व्यक्ति सेंटर के खाते में पैसा ट्रांसफर कर देता था, जो लाखों में होता था.

अमेरिका के लिए ठगी का तरीका अलग तरह का था. वहां के क्लाइंट के लिए सेंटर के कर्मचारी खुद को अमेजन कंपनी के रिप्रजेंटेटिव कहते थे.

इस के लिए सेंटर के संचालक द्वारा पहले से कर्मचारियों को अलगअलग एग्जीक्यूटिव के रूप में पोस्ट बंटे होते थे. उन से कहा जाता था कि आप ने अमेजन कंपनी का जो सामान खरीदा है, उस बारे वे कुछ विशेष जानकारी बताना चाहते हैं.

उन के द्वारा मना करने पर कहा जाता था कि उन का सिस्टम पहले सामान की खरीद के बारे में दिखा रहा है. इस तरह से उन्हें बातोंबातों किसी गिफ्ट या पहले के किसी औफर को ठुकराने या लौटाने का जिक्र कर उलझा देते थे.

कुछ समय में ही क्लाइंट उस के झांसे में आ जाता था. फिर अमेजन अकाउंट हैक होने की बात कर उस का आईपी एड्रेस आदि ले लेते थे. यहां तक कि एनीडेस्क का इस्तेमाल कर सीधे उस के कंप्यूटर, लैपटौप या मोबाइल में घुस जाते थे.

इस घुसपैठ के बाद क्लाइंट को हैकिंग का भय दिखाया जाता था और छुटकारा पाने के एवज में एक रकम मांगी जाती थी. बदले में उन्हें अमेजन के कूपन का औफर दिया जाता था और उन का यूनिक नंबर ले कर डालर में मोटी राशि सेंटर के अकाउंट में ट्रांसफर करवा ली जाती थी.

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Manohar Kahaniya: करोड़ों की चोरियां कर बना रौबिनहुड- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

अदालत में वकीलों के चैंबर से ले कर अदालत के बाहर जाने वाले रास्तों पर सादा लिबास में पुलिस की टीमों ने जाल बिछा दिया. दोपहर बाद करीब साढ़े 3 बजे जब इरफान अपने वकील से मिल कर आरडीसी कालोनी से निकल कर बसअड्डे की तरफ जाने के लिए कचहरी के गेट से बाहर निकला तो सादा लिबास में खड़ी पुलिस की टीमों ने उसे दबोच लिया और गाड़ी में डाल कर कविनगर थाने ले आई.

जिस इरफान को पकड़ने के लिए कविनगर थाने की पुलिस 2 महीनों से हाथपांव मार रही थी, उस से पूछताछ करने के लिए एसपी (सिटी) निपुण अग्रवाल और एसएसपी पवन कुमार ने खुद इरफान उर्फ उजाला उर्फ आर्यन से पूछताछ की तो उस के बारे में जान कर सभी की आंखें हैरत से फैल गईं.

शातिर चोर निकला इलाके का रौबिनहुड

क्योंकि जिस शख्स को वे महानगर का सब से बड़ा चोर मान कर पकड़ने में लगे थे, असल में अपराधी के रूप में वह एक रौबिनहुड था, जो अमीरों के घर में चोरी कर के उन से की गई कमाई को गरीबों में बांट देता था. वह गरीब परिवार की लड़कियों की शादियां कराता था.

सीतामढ़ी में उस के गांव में रहने वाला कोई गरीब अगर बीमार पड़ता या किसी ऐसी गंभीर बीमारी से पीडि़त हो जाता कि उस का इलाज करना उस की सामर्थ्य में नहीं होता तो वह ऐसे लोगों के इलाज का पूरा खर्च खुद उठाता था.

किसी गरीब की बेटी की डोली अगर पैसे के बिना न उठ रही हो तो इरफान पैसा दे कर इस नेक काम में परिवार की मदद करता.

इरफान दिल्ली के कुख्यात चोर बंटी के कारनामे से बेहद प्रभावित था और उसे वह अपना आदर्श मानता है.

मूलरूप से बिहार के सीतामढ़ी में जोगिया गाढ़ा गांव के रहने वाले इरफान (35) का परिवार पहले बहुत गरीब था. पिता खेतों में मजदूरी किया करते थे और साल 2000 में उन की मौत हो गई. छोटे से टूटेफूटे मकान में रहने वाले इरफान के परिवार में उस के 2 भाई और 2 बहनें हैं.

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इरफान के साथ उस की 65 साल की मां नसीमा खातून, बड़ा भाई फरमान भाभी गिन्नी खातून और इरफान की पत्नी गुलशन परवीन तथा उस की 2 बेटियां रहते हैं. उस की एक बड़ी विधवा बहन लाडली खातून भी अपने एक बच्चे के साथ उसी के साथ रहती थी.

पांचवीं कक्षा तक पढ़ा इरफान लिखना नहीं जानता. बस वह अपने हस्ताक्षर कर सकता है. लेकिन इस के बावजूद उस के अंदर ऐसी खासियत है कि वह जिस से भी एक बार मिल ले, वह उस का मुरीद हो कर रह जाता है.

इरफान ने 2 शादियां की थीं. उस की दोनों ही शादियां प्रेम विवाह थीं. पहली शादी उस ने सीतामढ़ी की गुलशन परवीन से की, जबकि दूसरी मुंबई में रहने वाली हिंदू भोजपुरी एक्ट्रैस से.

पहली चोरी में ही मिले थे 35 लाख रुपए

पहली पत्नी गुलशन को उस ने पहली बार अपनी बड़ी भाभी के घर जाने के दौरान देखा था. वहीं दोनों में प्यार हो गया और जल्द ही दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया. उस वक्त इरफान चोरी के धंधे में नहीं था और परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी.

दोनों की शादी के लिए उन के परिवार वाले रजामंद नहीं थे, लेकिन उन की मरजी के खिलाफ दोनों ने शादी कर ली. शादी के बाद गुलशन परवीन ने पति इरफान के साथ घर की गरीबी को दूर करने के लिए एक छोटा सा होटल खोलने से ले कर कपड़े की दुकान चलाने तक के कई छोटेबड़े काम किए. लेकिन हालात नहीं सुधरे.

इसीलिए कुछ समय बाद अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए इरफान पत्नी को गांव में छोड़ कर मुंबई से दिल्ली तक घूमा. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. तभी उस की छोटी बहन की शादी तय हो गई. लेकिन परिवार के पास इतना भी पैसा नहीं था कि उस की शादी की जा सके.

यह 11 साल पहले की बात है. तब इरफान को लगा कि सीधे रास्ते से जिदंगी में कुछ नहीं किया जा सकता. इरफान ने बहन की शादी के लिए पहली बार बिहार में ही बड़ी चोरी की थी, जिस में उसे 35 लाख रुपए मिले.

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बहन की शादी हो गई, लेकिन इस के बाद इरफान की जिदंगी बदल गई. इस के बाद इरफान ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. उसे लगा कि अगर किसी नेक काम के लिए अमीर लोगों के घर से माल उड़ा कर जरूरतमंदों की मदद की जाए तो यह पाप नहीं, बल्कि दुनिया का सब से नेक काम है.

बस रौबिनहुड के इसी सिद्धांत को अपना कर इरफान अपराध के दलदल में उतरा तो फिर उस ने वापस मुड़ कर नहीं देखा. वह चोरी दर चोरी करता चला गया.

इरफान उर्फ उजाला 22 साल की उम्र में ही मुंबई चला गया. उस के बारे में लोगों को यही जानकारी थी कि वह मुंबई, हैदराबाद, कानपुर, दिल्ली में बैग बनाने का बिजनैस करता है.

बाद में 2012 में जब वह घर आया तो उस ने लोगों को बताया कि कि वह मुंबई में बियर बार चलाता है.

हालांकि एक जमाना था जब इरफान का परिवार मजदूरी करता था. रहने के नाम पर बस एक झोपड़ी थी. काम नहीं मिलने पर खाने को लाले पड़ जाते थे. लेकिन परिवार की माली हालत सुधारने के लिए जब उस ने चोरी करनी शुरू की तो उस का रुतबा ही बदल गया था.

गांव वालों को वह अपने काम के बारे में कुछ नहीं बताता था. गांव आते ही करीब करीब 10 साल पहले उस ने गांव में पहले जमीन खरीदी, उस के बाद जब और पैसा आया तो आलीशान घर बनवाया.

अगले भाग में पढ़ें- जगुआर से जाता था चोरी करने

Satyakatha: पति बदलने वाली मनप्रीत कौर को मिली ऐसी सजा- भाग 4

सौजन्य- सत्यकथा

वह हर रोज रात में क्राइम सीरियल देखने के साथसाथ मारधाड़ वाली फिल्में भी देखने लगा था. फिल्म देखने के दौरान ही उसे एक फिल्म से एक आइडिया मिल भी गया.

उस ने एक फिल्म में ऐसा ही सीन देखा, जिस में एक विलेन ने एक हीरो को ट्रक से कुचल कर मार दिया था. उस के बाद उस ने उस की पहचान छिपाने के लिए उस के चेहरे को ट्रक के पहियों से बुरी तरह से कुचल दिया था.

फिल्म का वही सीन देखने के बाद नफीस ने वही फार्मूला अपना कर मनप्रीत से पीछा छुड़ाने की योजना तैयार कर ली थी. योजनानुसार 17 सितंबर, 2021 को नफीस ट्रक ले कर काशीपुर पहुंचा. मनप्रीत के कमरे पर पहुंचते ही उस ने उस से कहा, ‘‘मनप्रीत, आज मैं बहुत खुश हूं. आज तुम जो भी मुझ से मांगोगी, वह दे दूंगा.’’

नफीस की बात सुनते ही मनप्रीत ने उस के सामने एक ही प्रस्ताव रखा, ‘‘अगर तुम मुझे कुछ देने की चाह रखते हो तो आज मुझ से शादी करने का वचन दो. मैं तभी समझूंगी कि तुम मुझ से सच्चा प्यार करते हो.’’

‘‘बस, इतनी सी बात? चलो, ठीक है मुझे तुम्हारी शर्त मंजूर है. इसी खुशी में आज तुम्हें मैं कहीं घुमाने ले जाना चाहता हूं.’’

नफीस की बात सुनते ही मनप्रीत का मुरझाया चेहरा खिल उठा. फिर उस ने प्यार से नफीस को चाय पिलाई और उस के साथ जाने की तैयारी करने लगी. मनप्रीत के तैयार होते ही वह उसे साथ ले कर अफजलगढ़ चला आया.

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उस वक्त तक शाम हो चुकी थी. शाम होते ही नफीस के मन में पक रही खिचड़ी उबाल लेने लगी थी. नफीस का इरादा था कि उसे किसी सुनसान जगह पर ले जा कर ट्रक से नीचे धक्का दे कर मौत के घाट उतार डालेगा. उस के लिए उस ने हरिद्वार जाने वाली सड़क को चुन भी लिया था.

शाम होते ही मनप्रीत कौर ने नफीस के सामने खाना खाने की इच्छा जाहिर की तो उस ने ट्रक को एक ढाबे पर रोका. वहीं पर बैठ कर नफीस ने शराब पी और मनप्रीत ने बीयर.

उस के बाद दोनों ने उसी ढाबे पर खाना भी खाया. खाना खाने के दौरान ही मनप्रीत के मोबाइल पर किसी का फोन आया तो उस ने नफीस से उसे काशीपुर छोड़ने को कहा.

काशीपुर छोड़ने की बात सुनते ही नफीस को अपने किएकराए पर पानी फिरते दिखा. फिर उस ने उसे समझाते हुए कहा, ‘‘तुम्हें कल सुबह ही काशीपुर छोड़ दूंगा. आज रात हरिद्वार चलते हैं. वहीं पर रात गुजारेंगे.’’

मनप्रीत ने नफीस से साफ शब्दों में कहा कि वह आज किसी भी हालत में हरिद्वार जाने के मूड में नहीं है. इसलिए वह उसे जल्दी से काशीपुर छोड़ दे.

मनप्रीत की जिद को देख कर नफीस का माथा घूमने लगा. उसे लगा कि काशीपुर में रहते हुए उस ने किसी और से संबंध बना लिए हैं. इसी कारण वह काशीपुर जाने की जिद पर अड़ी है. उस ने मनप्रीत से बारबार फोन करने वाले का नाम पूछा तो उस ने उसे बताने से साफ मना कर दिया. इस के बाद दोनों के बीच काफी तूतूमैंमैं भी हुई.

आखिरकार, मनप्रीत की जिद के आगे नफीस को हार माननी पड़ी. फिर वह उसे ट्रक में बैठा कर काशीपुर की ओर चल दिया. उस वक्त तक बीयर का नशा मनप्रीत पर हावी हो चुका था. वह नींद में झूमने लगी थी. उस की हालत को देखते ही नफीस को लगा कि उस से छुटकारा पाने का इस से बढि़या मौका शायद नहीं मिलेगा.

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मौका पाते ही उस ने ट्रक के टूल बौक्स से लोहे की रौड निकाली. रौड निकालते ही उस ने नशे में पड़ी मनप्रीत कौर के सिर पर कई वार किए.

बेहोशी की हालत में वह उस का विरोध भी नहीं कर पाई. उस के बेहोश होते ही उस ने उस का मोबाइल और आधार कार्ड अपने कब्जे में ले लिया, ताकि उस की पहचान न हो सके.

मनप्रीत के मरणासन्न हालत में जाते ही उस ने एकांत का लाभ उठाते हुए उसे ट्रक से नीचे धक्का दे दिया. उस के बाद उस की पहचान छिपाने के लिए उस ने ट्रक को आगेपीछे करते हुए उस के सिर को बुरी तरह से कुचल दिया.

मनप्रीत को मौत की नींद सुलाने के बाद वह ट्रक ले कर वापस अपने घर चला गया था. नफीस को उम्मीद थी कि अब यह केस खुल नहीं पाएगा और पुलिस इसे दुर्घटना का ही मामला समझेगी. लेकिन मनप्रीत कौर की शिनाख्त हो जाने के बाद केस खुल गया.

पुलिस ने हत्यारोपी नफीस से पूछताछ करने के बाद उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया था.

Crime: सोशल मीडिया बनता ब्लैकमेलिंग का अड्डा

सावधान, इन दिनों सोशल मीडिया ब्लैकमेलिंग का अड्डा बनता जा रहा है. पहले दोस्ती, फिर सैक्ंिस्टग और अंत में ब्लैकमेलिंग के जरिए लाखों रुपए ऐंठे जा रहे हैं. ऐसा शातिर गिरोह द्वारा योजनापूर्ण तरीके से किया जा रहा है. आप भी इस की गिरफ्त में तो नहीं?

सोशल मीडिया का जाल जैसेजैसे बढ़ रहा है, लोगों के संबंध अनजान लोगों से बन रहे हैं. इन अनजान लोगों में चंद लोग तो अच्छे होते हैं. आमतौर पर सोशल मीडिया लोगों को लूटने, ब्लैकमेल करने का एक अड्डा बन चुका है.

जी हां, सोशल मीडिया की दोस्ती आप को कंगाल बना सकती है. आप को बरबाद कर सकती है. एक लंबी त्रासदी और पीड़ा से गुजरने के लिए मजबूर कर सकती है.

इस रिपोर्ट में हम आप को ऐसे ही कुछ घटनाक्रम बता रहे हैं जो एकदम सच्चे हैं और लोगों की सोशल मीडिया की दोस्ती की पीड़ा की गवाही भी.

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ह्ल पहला घटनाक्रम

राजस्थान की गुलाबी नगरी अर्थात राजधानी जयपुर में सोशल मीडिया पर दोस्ती कर लोगों की फोटो एडिट कर, उसे अश्लील बना कर, वसूली करने वाले गिरोह की करतूत का आखिरकार पुलिस ने परदाफाश कर दिया है. इस गिरोह ने एक के बाद एक कई मामले अंजाम दिए. यह गिरोह नएनए लोगों को फंसा कर उन से मोटी रकम वसूल रहा था.

जयपुर के बजाज नगर थाने में एक युवक ने 2 युवतियों सहित 4 लोगों के खिलाफ ब्लैकमेलिंग कर 1.75 लाख रुपए वसूल लेने के साथ और वसूली के लिए धमकी देने का मामला दर्ज करवाया.

दरअसल, हुआ यह कि एक युवती रागिनी (काल्पनिक नाम) ने सोशल मीडिया की एक साइट देख कर व्हाट्सऐप मैसेज किया. फिर उक्त नंबर को ब्लौक कर दिया. इस के बाद एक अन्य नंबर से फोन आया और फोन करने वाले ने धमकी दी कि पीडि़त का नंबर गलत साइट पर डाल देंगे.

धमकी देने वाले ने पीडि़त युवती के फेसबुक से पीडि़त और उस के परिवार की फोटो डाउनलोड कर ली और एडिट कर के उन फोटो को अश्लील बना दिया. फोन करने वालों ने रुपए मांगते हुए पीडि़त को ही व्हाट्सऐप पर उस की और परिवार की एडिट की हुई अश्लील फोटो भेज दी और धमकाने लगे कि रुपए नहीं दिए तो यह फोटो फेसबुक पर वायरल कर दी जाएगी.

दूसरा घटनाक्रम

कवर्धा के पुलिस अधीक्षक शलभ कुमार सिन्हा के मुताबिक एक युवती ने अपने परिजनों के साथ सिटी कोतवाली पहुंच कर शिकायत दर्ज कराई थी. पीडि़ता ने बताया कि एक युवक सोशल मीडिया पर उस की और उस की सहेली की फोटो अपलोड कर आपत्तिजनक बातें और कमैंट कर रहा है.

युवती ने बताया कि आरोपी फोटो और कमैंट को सोशल मीडिया से डिलीट करने के बदले पैसे की डिमांड कर रहा है. शिकायत पर थाना कवर्धा में अज्ञात आरोपी के खिलाफ धारा 509 और आईटी एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया गया था.

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तीसरा घटनाक्रम

सोशल मीडिया में अश्लील फोटो वायरल कर युवती को ब्लैकमेल करने वाले आरोपी को लखनऊ से गिरफ्तार कर छत्तीसगढ़ लाया गया है. आरोपी ने सोशल मीडिया पर युवती के साथ दोस्ती की और जानपहचान होने के बाद पीडि़ता के साथ की कुछ अंतरंग तसवीरें लीं. इस के बाद सोशल मीडिया में फोटो वायरल कर ब्लैकमेल करने लगा. युवती ने डोंगर गांव थाने में इस की शिकायत दर्ज कराई थी.

अश्लील वीडियो बनाने वाले गैंग

महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के एक बैंक मैनेजर की शिकायत पर पुलिस ने एक बड़ा खुलासा किया है. ब्लैकमेलिंग के खेल में महिला का भाई और पति का दोस्त शामिल पाया गया है. सोशल मीडिया के इस जाल में पुलिस को फोन से कई अश्लील वीडियो मिले हैं. जो सच सामने आया है वह यह बताता है कि किस तरह यह एक बड़ा ब्लैकमेलिंग का धंधा बन गया है.

सोशल मीडिया के जरिए दोस्ती कर लोगों को हनी ट्रैप में फंसाने वाली महिला को थाना बिसरख पुलिस ने एक शिकायत के बाद उस के साथी के साथ गिरफ्तार किया. पकड़ा गया आरोपी महिला के पति का दोस्त है. इस मामले में एक अन्य आरोपी, जो महिला का भाई है, को भी दोषी माना जा रहा है.

दरअसल, पुलिस की गिरफ्त में आई शिवानी और अमित कुमार को थाना बिसरख पुलिस ने मुंबई के एक बैंक मैनेजर की शिकायत के बाद गिरफ्तार किया. पुलिस जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं जो बताते हैं कि सोशल मीडिया का भयंकर चक्रव्यूह लोगों के लिए किस तरह ब्लैकमेलिंग का एक मंच बन गया है.

पुलिस अधिकारी, नोएडा सैंट्रल, अंकुर अग्रवाल ने बताया, ‘एक वैवाहिक वैबसाइट पर शादी के लिए विज्ञापन दिया गया था. विज्ञापन देख कर महिला ने उस से संपर्क किया और विवाह की इच्छा जताई.

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‘इस के बाद दोनों फोन पर बातें करने लगे. कुछ दिनों पहले प्रबंधक एक कार्यक्रम में शामिल होने दिल्ली आया था. महिला ने उसे जिद कर अपने फ्लैट पर बुला लिया. इस के बाद उसे हनी ट्रैप में फंसा कर 5 लाख रुपए वसूलने का प्रयास किया था. पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया लेकिन इस मामले में महिला का भाई फरार है.

पुलिस अधिकारी के मुताबिक, महिला का पति प्रौपर्टी डीलिंग का काम करता था. आरोपी अमित पति शिवम का दोस्त था और उस का घर आनाजाना था. 4 वर्षों पहले शिवम की मौत हो गई.

इस के बाद महिला और अमित के बीच निकटता बढ़ गई. दोनों ने मिल कर हनी ट्रैप की साजिश रची और इस में महिला के भाई को भी शामिल कर लिया. आरोपी अमित के मोबाइल से पुलिस ने कई अश्लील वीडियोज भी बरामद किए हैं.

Manohar Kahaniya: प्यार के जाल में फंसा बिजनेसमैन- भाग 3

यह सुन कर संजीव आश्चर्य में पड़ गया, ‘‘मानसी ऐसी क्या बात हो गई, मैं हूं न.’’

‘‘अब क्या बताऊं, शादी के बाद तो मैं मानो पिंजरे का पंछी बन गई हूं. यह भी सह लेती, मगर सासससुर के ताने और घर का माहौल बहुत ही तकलीफ देता है. मुझे मौत के सिवा कोई रास्ता नजर नहीं आता.’’ वह बोली.

इस पर संजीव ने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा, ‘‘देखो मरने जैसी बात कभी नहीं करना, जब तक मैं जिंदा हूं, कभी नहीं. कहो तो मैं आ जाऊंगा.’’

‘‘क्या आप मेरठ आएंगे?’’ आश्चर्य से मानसी ने कहा.

‘‘अरे मेरठ क्या, मैं तो तुम से मिलने दुनिया के किसी भी कोने में आ सकता हूं. मैं आज ही निकलता हूं, कल पहुंच जाऊंगा, तुम बिलकुल भी चिंता न करो.’’

आपत्तिजनक हालत में संजीव को देख लिया ललित ने

दूसरे दिन शाम होतेहोते संजीव जैन ने मेरठ के कोतवाली थाना क्षेत्र पहुंच कर मानसी को काल की. मानसी खुशी से बावरी हो गई. अपनी ससुराल में मायके जाने के बहाने से निकली, लेकिन सीधा संजीव के ठहरे हुए होटल में चली गई.

महीनों बाद संजीव मानसी से मिला था. उस ने उसे अपनी आगोश में ले लिया. मानसी ने उस रात अपना जिस्म सौंपने के एक लाख रुपए संजीव से वसूल लिए. दूसरे दिन संजीव जैन खुशीखुशी मेरठ से राजनंदगांव की ओर अपनी गाड़ी में निकल पड़ा और मानसी रायपुर मायके चली आई.

उस के बाद संजीव और मानसी की मुलाकातें फिर पहले की तरह होने लगीं. मानसी के मायके में सभी को दोनों की दोस्ती के बारे में पता था. वे उस की मदद के बारे में भी जानते थे. इस कारण उस की खूब आवभगत होती थी.

एक दिन संजीव जब मानसी के घर आया हुआ था, उस वक्त मानसी का पति ललित भी आया हुआ था. उसे भी संजीव के बारे में थोड़ी जानकारी थी.

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यहां तक कि संजीव जैन की मानसी से अवैध संबंध की कहानी भी कानोकान उस के घरपरिवार तक पहुंच चुकी थी. मगर उस के प्रभाव और उस की मदद के बोझ के आगे कोई कुछ खुल कर नहीं बोल पाता था.

संयोग से एक रोज ललित ने मानसी और संजीव को अलिंगनबद्ध देख लिया था. फिर उसे उन के संबंध के बारे में समझते देर नहीं लगी. ललित को सामने देख कर संजीव भी घबरा गया. ललित ने इस की प्रतिक्रिया में संजीव को 3-4 थप्पड़ जड़ दिए. वह गालीगलौज करने लगा. तब संजीव वहां से चुपचाप निकल गया.

दूसरे दिन मानसी ने संजीव को फोन कर बताया कि मेरे साथ गलत काम करने का आरोप लगा कर ललित पुलिस में शिकायत करने जा रहा है. उस ने उस से हाथपैर जोड़ कर रोक के रखा है.

आज ही उस से बात कर मामले को निपटा लो. इस के साथ ही मानसी ने संजीव यह भी कहा कि उसे किस तरह से मनाना है. वह कर्ज से लदा हुआ है उसे कुछ पैसे दे कर उसे पुलिस में जाने से रोक सकते हो.

पुलिस की बात सुन कर संजीव भी घबरा गया और बोला, ‘‘अगर वह पुलिस में चला गया, तो मेरी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी. तुम किसी भी तरीके से बात करवाओ, मैं उसे मनाने का प्रयास करूंगा.’’

देर शाम संजीव की काल आई. मानसी ने ललित को फोन दे दिया. उस ने सिर्फ कहा, ‘‘तुम मुझ से आ कर मिलो, सारी बातें फोन पर नहीं की जा सकतीं.’’

संजीव और ललित की मुलाकात हुई. ललित ने साफ शब्दों में पैसे की मांग रखते हुए कहा कि 20 लाख रुपए चाहिए. वह उस पैसे से कर्ज उतारेगा. मानसी की खुशी के लिए उसे ऐसा करना चाहिए.

ललित की शर्तनुमा बातें सुन कर संजीव ने थोड़ी राहत महसूस की, किंतु चिंतित भी हो गया. कारण इतनी बड़ी रकम का बंदोबस्त करने में समय लग सकता था. उस ने ललित को आश्वासन दिया कि पैसों का इंजताम जल्द कर लेगा. उस के लिए उसे अपना एक मकान बेचना होगा.

कुछ दिनों में ही संजीव ने कुआं चौक नंदई में स्थित अपना पुराना मकान बेच दिया. उस से मिले रुपए ललित को दे दिए और राहत की सांस ली. सोचा ललित रुपए पा कर शांत हो जएगा, मगर ऐसा नहीं हुआ. कुछ दिनों बाद उस की फिर कौल आई.

उस ने धमकाते हुए और रुपए की मांग की. इस पर संजीव ने मानसी से बात की, तब उस ने भी अपना दूसरा रूप दिखा दिया. उस ने ललित को समझाने और समझौता करवाने के बजाय संजीव से रुपए की मांग करने लगी.

संजीव मानसी पर पहले ही करोड़ों लुटा चुका था, कारोबार भी प्रभावित हो चुका था. रहीसही कसर लौकडाउन ने निकाल दी थी. लिहाजा वह कंगाली की ओर बढ़ने लगा था. इस कारण उस ने पैसे की मांग को पूरा करने से इनकार कर दिया.

मजबूरी बताते हुए उस ने कहा, ‘‘मुझ में अब रुपए देने की ताकत नहीं है, मेरा मकान भी बिक चुका है. मेरा बहुत सारा कामधंधा ठप हो गया है. रुपए आने के सारे स्रोत भी बंद हो चुके हैं, अब मैं तुम्हें कहां से पैसे दूं?’’

यह सुन कर मानसी और भी भड़क उठी, कहा, ‘‘देखो, तुम झूठ कह रहे हो, मैं जानती हूं कि मरा हुआ हाथी भी लाखों रुपए का होता है, मुझे पैसों की बहुत सख्त जरूरत है.’’

संजीव से रूखा व्यवहार करने लगी मानसी

मानसी ने संजीव से इस तरह रूखेपन और नाराजगी से बात पहली बार की थी. संजीव को काफी बुरा लगा. लेकिन वह इतना तो समझ ही गया कि मानसी का प्यार महज एक दिखावा था. वह उसे रुपए देता था और मानता रहा कि मानसी उस से प्यार करती है, लेकिन वह गलत था. यह सोच कर वह गहरी पीड़ा से भर गया.

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संजीव अब मानसी से पीछा छुड़ाने की सोचने लगा, जबकि मानसी बारबार उसे अपना दुखड़ा सुनाने के साथसाथ उस पर दूसरे तरह के दबाव बना कर पैसे की मांग करती रही. संजीव उस से बचने के लिए तरीके निकालने लगा. कभी आश्वासन दे कर तो कभी समय नहीं रहने का बहाना बना कर बचता रहा.

एक दिन संजीव ने कहा, ‘‘देखो, तुम चाहो तो मैं तुम्हें बैंक से लोन दिलवा देता हूं, इंस्टालमेंट तुम भरना. मैं गारंटी दे दूंगा, तुम पैसे ले कर अपना काम चलाओ.’’

मानसी कुछ सोच कर तैयार हो गई, उस ने कहा, ‘‘ठीक है मैं एक परिचित बैंक अधिकारी से बात कर के देखती हूं.’’

एक हफ्ते में ही मानसी को एक सरकारी बैंक से पर्सनल लोन मिल गया. उस का गारंटर संजीव बन गया. लोन अप्रूवल के लिए प्रोसेसिंग फीस संजीव ने ही जमा करवा दी.

इसी बीच संजीव की बेटी का रिश्ता तय होने जा रहा था. उसे बेटी की शादी मे होने वाले खर्च को लेकर चिंता होने लगी थी. अपने स्टेटस के मुताबिक. मगर कामधंधा सब चौपट हो चुका था.

संजीव राजनीति से भी हाशिए में आ चुका था. बेटी के विवाह में समाज के सम्मान के अनुरूप लंबे रुपए  की आवश्यकता थी. नगर निगम में ठेके बंद हो चुके थे. अब हाथों में रुपए भी नहीं थे. वह बड़ा चिंतित हो गया, आखिर कैसे बेटी का विवाह संपन्न होगा.

संजीव इसी उधेड़बुन में लगा हुआ था कि उस पर एक और मुसीबत आ गई. दरअसल, मानसी लोने लेने के बाद 2 किस्त ही जमा करवा पाई. बैंक के काल सेंटर से रिमाइंडर फोन आने पर उस ने मोबाइल ही बंद कर दिया. नतीजतन गारंटर संजीव के पास भी लोन की किस्त जमा करने के फोन आने लगे.

वह करता भी तो क्या, उस ने खुद ही दीवार पर अपना सिर दे मारा था. उस के सामने पछताने और मानसी को कोसने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था.

उस ने मानसी को समझाने का फैसला किया. उस ने बात की. लोन की किस्त जमा करवाने का आग्रह किया. बख्श देने की भीख मांगी. किंतु उस की बातों का मानसी पर कोई असर नहीं हुआ. उलटे मानसी ने साफसाफ कहा कि उस के सामने खुद पैसों का संकट है.

अगले भाग में पढ़ें- परेशान हो कर किया सुसाइड

Satyakatha: पैसे का गुमान- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

मुस्तफा ने बताया कि दोपहर होने पर दुकान की चहलपहल थोड़ी कम हो गई. 12 बजे के बाद बगैर किसी सूचना के कुलदीप की पत्नी सुनीता जब दुकान पर पहुंची तो वह चौंक गया. उन्होंने अपने हैंडबैग से निकाल कर एक मोटा पैकेट पकड़ा दिया.

पैकेट के बारे में पूछने से पहले ही सुनीता ने बताया कि उस के पति ने 4 लाख रुपए बैंक से निकलवाए हैं. इस में वही पैसे हैं. इतना कह कर सुनीता जाने की जल्दबाजी के साथ बोलीं कि उसे पास में कुछ खरीदारी करनी है और घर पर बहुत काम पसरा पड़ा है, इसलिए वह तुरंत दुकान से चली गईं.

उन के जाने के तुरंत बाद मुस्तफा के पास कुलदीप का फोन आया. उन्होंने फोन पर कहा कि एक आदमी बाइक पर पैसे लेने आएगा. सुनीता जो पैसे दे गई है वह उसे दे देना.

मुस्तफा ने कुलदीप को बता दिया कि सुनीता मैडम पैसा अभीअभी दे गई हैं. इतनी मोटी रकम और उसे लेने के बारे में कुलदीप ने अधिक बातें नहीं बताईं.

दोपहर एक बजे के करीब कुलदीप के बताए अनुसार एक आदमी काले रंग की बाइक पर आया. उस में नंबर प्लेट नहीं लगी थी.

मुस्तफा ने समझा कि बाइक मरम्मत के दौरान ट्रायल पर होगी. हेलमेट पहने मास्क लगाए व्यक्ति ने मुस्तफा से कहा कि उसे कुलदीप ने पैसा लेने के लिए भेजा है.

मुस्तफा ने इशारे से सामने बैठने को कहा और कुलदीप को फोन लगाया. तुरंत फोन रिसीव कर कुलदीप बोले, ‘‘इस आदमी को पैसे दे दो.’’

मुस्तफा ने कुछ पूछना चाहा, किंतु कुलदीप ने फोन कट कर दिया. लग रहा था, जैसे वह काफी हड़बड़ी में थे.

तब तक वह व्यक्ति अपना हेलमेट उतार चुका था और मास्क हटा रहा था. मुस्तफा ने उस से बगैर कोई सवालजवाब किए पैसे का पैकेट उसे दे दिया.

पैकेट से पैसे निकाल कर वह वहीं काउंटर पर गिनने लगा. पैकेट में 2 हजार और 5 सौ के नोटों के बंडल थे. बंडल के नोट गिनते समय उस के मोबाइल पर फोन आया. उस ने फोन का स्पीकर औन कर बोला, ‘‘हां, पैसे मिल गए हैं, मैं अभी गिन रहा हूं.’’

दूसरी तरफ से डांटने की आवाज आई, ‘‘मैं ने तुम्हें पैसे लेने भेजा है या गिनने? पैसा ले और  वहां से निकल.’’ यह आवाज कुलदीप की नहीं थी. उस के बाद मुस्तफा दुकान के कामकाज में लग गया.

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उसे सुनीता का फोन शाम को 5 बजे के करीब आया. उन्होंने घबराई आवाज में कुलदीप का फोन बंद होने की बात बताई. यह सुन कर मुस्तफा कुछ समय में ही दुकान बंद कर कुलदीप के घर आ गया. उस दिन बिक्री का हिसाब और पैसे उन्हें दिए और कुछ देर रुक कर चला गया.

इतनी जानकारी मिलने के बाद एसपी प्रभाकर चौधरी ने मामले को अपने हाथों में ले लिया और एसओजी टीम के प्रभारी अजय पाल सिंह एवं सर्विलांस टीम के प्रभारी आशीष सहरावत के नेतृत्व में एक टीम गठित कर दी.

कुलदीप की गुमशुदगी की रिपोर्ट के आधार पर तलाशी की काररवाई की. शुरुआत फोन ट्रेसिंग से  की गई. इस जांच से संबंधित पलपल के जांच की जानकारी डीआईजी शलभ माथुर उन से ले रहे थे..

कुलदीप के फोन की आखिरी लोकेशन बिजनौर के नजीबाबाद कस्बे की मिली. मुरादाबाद पुलिस तुरंत वहां रवाना हो गई. इस की जानकारी बिजनौर पुलिस को भी दे दी गई. प्रभाकर चौधरी ने 3 अन्य टीमों का भी गठन किया.

बिजनौर जनपद की सीमाओं पर कुलदीप की आखिरी लोकेशन के आधार पर छानबीन जारी थी. फोन की लोकेशन कभी चांदपुर तो कभी नूरपुर और कभी नगीना की मिल रही थी. इस तरह से 5 जून का पूरा दिन ऐसे ही निकल चुका था.

रात के 8 बजे बिजनौर में कस्बा थाना स्यौहारा के गंगाधरपुर गांव में एक शव पड़े होने की सूचना मिली. इस की जानकारी स्यौहारा के थानाप्रभारी नरेंद्र कुमार को गांव वालों ने दी थी.

सूचना के आधार पर खून सनी लाश बरामद हुई. लाश सड़क के किनारे पड़ी हुई थी. उस के सिर और शरीर पर चोटों के निशान साफ दिख रहे थे.

लाश बरामदगी की सूचना और हुलिया समेत तसवीरें तुरंत मुरादाबाद पुलिस को भेज दी गईं. लाश कुलदीप गुप्ता के होने की आशंका के साथ उन के भाई संजीव गुप्ता को तुरंत शिनाख्त के लिए बुला लिया गया.

संजीव ने तसवीर और हुलिए के आधार पर लाश की पहचान अपने भाई कुलदीप के रूप में कर दी. इसी के साथ उन्होंने दुखी मन से इस की सूचना अपने परिवार वालों को भी दी.

कुलदीप की हत्या की सूचना से घर में कोहराम मच गया. सुनीता, इशिता, दिव्यांशु का रोरो कर बुरा हाल था. पूरे परिवार पर अचानक दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था.

मुरादाबाद की पुलिस के सामने अब सब से बड़ी चुनौती हत्या के बारे में पता लगाने और हत्यारे को धर दबोचने की थी. उसी रात लाश को पंचनामे के साथ बिजनौर अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई.

पोस्टमार्टम के बाद लाश कुलदीप के घर वालों को सौंप दी गई. उन का मुरादाबाद के लोकोशेड मोक्षधाम में अंतिम संस्कार कर दिया गया.

उधर बिजनौर और मुरादाबाद जिले की पुलिस ने दोनों जगहों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की. कुलदीप की दुकान के कर्मचारियों से एक बार फिर डिटेल में पूछताछ हुई. पैसा लेने आए व्यक्ति के हुलिए के आधार पर छानबीन शुरू की गई.

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मुस्तफा ने घटना के दिन उस व्यक्ति और नंबर प्लेट के बगैर काली मोटरसाइकिल की मोबाइल से ली गई तसवीर पुलिस को उपलब्ध करवा दी. पुलिस को मृतक कुलदीप की काल डिटेल्स भी मिल चुकी थी.

जल्द ही 2 व्यक्तियों नंदकिशोर और कर्मवीर उर्फ भोलू को गिरफ्तार कर लिया. उन से कुलदीप की हत्या के कारण की जो कहानी सामने आई, वह पैसा, दोस्ती, गुमान और अपमान से पैदा हुई परिस्थितियों की दास्तान निकली—

मुरादाबाद के कस्बा पाकबाड़ा के रहने वाले कुलदीप के 2 बड़े भाई संजीव गुप्ता और राजीव गुप्ता के अलावा उन का अपना छोटा सा परिवार था. पत्नी सुनीता और 2 बच्चों में बेटा दिव्यांशु और बेटी इशिता के साथ मिलन विहार कालोनी में रह रहे थे.

Manohar Kahaniya- आसाराम बापू: जिसने आस्था को सब से बड़ी चोट पहुंचाई

सौजन्य- मनोहर कहानियां

शाहजहांपुर की एक युवती से बलात्कार के आरोप में जोधपुर की जिला अदालत में उम्रकैद की सजा काट रहा संत आसाराम बापू देश का पहला और सब से बड़ा संत था, जो स्वामी रामेश्वरानंद के बाद आस्था की आड़ में अय्याशी और व्यभिचार करने के आरोप में कानून के शिकंजे में फंसा.

17 अप्रैल, 1941 को बंटवारे से पहले के भारत के नवाबशाह जिले के बेराणी गांव, जो अब पाकिस्तान में है, वहां आसूमल सिरूमलानी का जन्म हुआ था. उस की मां का नाम महंगीबा एवं पिता का नाम थाऊमल सिरूमलानी था.

1947 में भारतपाक विभाजन के समय वह और उस के परिवार के सभी लोग भारत के गुजरात राज्य के अहमदाबाद में बस गए. धनवैभव सब कुछ छूट जाने के कारण परिवार आर्थिक संकट में फंस गया.

अहमदाबाद आने के बाद आजीविका के लिए थाऊमल ने शक्कर बेचने का धंधा शुरू किया. पिता के निधन के बाद, अपनी मां से ध्यान और आध्यात्मिकता की शिक्षा प्राप्त कर आसूमल ने घर छोड़ दिया और देश भ्रमण पर निकल गया. भ्रमण करतेकरते वह स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज के आश्रम नैनीताल पहुंच गए. नैनीताल में गुरु से दीक्षा लेने के बाद गुरु ने आसूमल को नया नाम दिया आसाराम.

इस के बाद आसाराम घूमघूम कर आध्यात्मिक प्रवचन के साथसाथ स्वयं भी गुरुदीक्षा देने लगा. उस के सत्संग में श्रद्धालु भारी संख्या में पहुंचने लगे. आसाराम बापू पहली बार अगस्त, 2013 में कानून के शिकंजे में फंसा, जब उस के ऊपर जोधपुर में उस के ही आश्रम में 16 साल की एक लड़की के साथ अप्राकृतिक दुराचार के आरोप लगे.

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लड़की के पिता ने दिल्ली जा कर पुलिस में इस कांड की रिपोर्ट दर्ज कराई. बाद में लड़की का बयान दर्ज कर सारा मामला राजस्थान पुलिस को ट्रांसफर कर दिया.

आसाराम को पूछताछ के लिए 31 अगस्त 2013 तक का समय देते हुए सम्मन जारी किया गया. इस के बावजूद जब वह हाजिर नहीं हुआ तो दिल्ली पुलिस ने उस के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 376 (बलात्कार), 506 (आपराधिक हथकंडे) के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करने हेतु जोधपुर की अदालत में सारा मामला भेज दिया.

फिर भी आसाराम गिरफ्तारी से बचने के उपाय करता रहा. पहली सितंबर 2013 को राजस्थान पुलिस ने आसाराम को गिरफ्तार कर लिया . इस मामले में 25 अप्रैल, 2018 को आसाराम को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

साबरमती नदी के किनारे एक झोपड़ी से शुरुआत करने से ले कर देश और दुनियाभर में 400 से अधिक आश्रम बनाने वाले आसाराम ने 4 दशक में 10,000 करोड़ रुपए का साम्राज्य खड़ा कर लिया था. आसाराम बापू को अब तक दुष्कर्म के 2 मामलों में अदालत से सजा मिल चुकी है.

अध्यात्म यूनिवर्सिटी के नाम पर अय्याशी का घिनौना सच

जिन दिनों देश में धर्म और अध्यात्म के नाम पर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख बाबा राम रहीम के पाखंड और बड़ी संख्या  में महिलाओं के यौनशोषण की गूंज सुनी जा रही थी. उसी वक्त देश की राजधानी दिल्ली से एक ऐसे बाबा के रंगीन किस्से सामने आ रहे थे, जो महिलाओं को अध्यात्म दीक्षा के नाम पर उन का यौन शोषण करता था.

वीरेंद्र देव दीक्षित नाम के इस बाबा के आश्रमों से 190 नाबालिग व बालिग लड़कियों और महिलाओं को मुक्त  कराया गया, जिन्हें अध्यात्म के नाम पर यौनशोषण का शिकार बनाया गया था.

दिल्ली के रोहिणी, नांगलोई, द्वारका जैसे इलाकों में बड़े भूभाग पर आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के नाम से बने इन आश्रमों के अलावा देश के करीब 9 राज्यों में इस रंगीनमिजाज बाबा के 80 आश्रम थे.

वीरेंद्र देव दीक्षित उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद जिले के गांव चौधरियान का रहने वाला है. 1975 में वीरेंद्र देव का अपने पिता से किसी बात को ले कर विवाद हो गया था.

इस से नाराज हो कर वह घर से निकल गया. इस के बाद उस ने गुजरात यूनिवर्सिटी में संस्कृत में शोध शुरू किया. बाद में वह राजस्थान के माउंट आबू में प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से जुड़ गया, लेकिन जल्दी  ही उसे वहां से भगा दिया गया.

1984 में पिता की मृत्यु के बाद वीरेंद्र देव घर लौटा तो अपने पैतृक मकान में कुछ स्थानीय लोगों के सहयोग से आध्यात्मिक कार्यक्रम शुरू किया. कुछ समय बाद ही उस ने आश्रम का निर्माण कराया.

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यह आश्रम पहली बार 1998 में तब चर्चा में आया जब 3 अलगअलग राज्यों के लोगों की शिकायतों पर पुलिस ने 3 लड़कियों को बरामद कर उसे व उस के कई सेवादारों को गिरफ्तार किया. इस के बाद उस ने खुद को बाबा के तौर पर स्थापित किया और देशभर में 80 आश्रम खोले.

12 नवंबर को यह मामला तब सामने आया, जब राजस्थान के झुंझनूं व दिल्ली के 2 परिवारों ने रोहिणी के आध्यात्मिक विश्वविद्यालय पहुंच कर हंगामा करते हुए आरोप लगाया कि उन की बेटी वहां जबरन कैद है और उन के साथ सैक्सुअल हिंसा होती है.

मामला बढ़ा तो फाउंडेशन फौर सोशल एम्पावरमेंट नाम के एनजीओ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस आश्रम के क्रियाकलापों की जांच की मांग की. हाईकोर्ट के आदेश पर आश्रम की छानबीन के लिए बनी कमेटी में दिल्ली पुलिस के अलावा दिल्ली महिला आयोग और शिकायकर्ता पक्ष तथा कुछ अन्य एजेंसियों के सदस्यों को भी शामिल किया गया.

21 दिसंबर से छापेमारी शुरू हुई तो आध्यात्मिक विश्वविद्यालय की सच्चाई सामने आई. दिल्ली के 8 आश्रमों से शुरू हुई जांच दूसरे राज्यों तक पहुंच गई. हर जगह एक ही शिकायत मिली कि आश्रमों में लड़कियों का यौन शोषण होता था. बाबा खुद उन्हें अपनी हवस का शिकार बनाता था.

हाईकोर्ट ने अपराध का दायरा बढ़ता देख इस मामले की छानबीन और वीरेंद्र देव को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया.

Manohar Kahaniya: कातिल घरजमाई- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

इस के बाद शोभना और काव्या की लाशों को कब्जे में ले कर घटनास्थल की सारी काररवाई पूरी कर दोनों ही लाशों को बड़ौदा के सयाजीराव गायकवाड़ अस्पताल भिजवा दिया गया, जहां अगले दिन यानी सोमवार को दोनों लाशों का पोस्टमार्टम डा. आर.वी. पटेल ने अपने 2 सहयोगियों के साथ किया.

जहर से मौत की हुई पुष्टि

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया कि मांबेटी की मौत जहर से हुई थी, गला दबाने से नहीं. पर जहर देने के बाद दोनों का गला दबाया गया था, जिस का निशान शोभना के गले पर पाया गया था.

दोनों की मौत जहर से ही हुई थी, इस की सहीसही जानकारी के लिए दोनों के विसरा जांच के लिए भेज दिए गए थे. पोस्टमार्टम होने के बाद मृतका के घर वालों ने दोनों लाशों को पंचमहल स्थित गांव ले जा कर अंतिम संस्कार कर दिया.

पुलिस ने उसी दिन तेजस के घर जा कर तलाशी ली तो घर से चूहा मारने वाली दवा मिली. इस के अलावा डस्टबीन से कोन आइसक्रीम के रैपर, फ्रिज में आधी चौकलेट तथा आइसक्रीम मिली थी.

पुलिस ने पड़ोसियों से पूछा कि यहां चूहे बहुत हैं क्या? पड़ोसियों ने बताया कि यहां चूहे बिलकुल नहीं हैं. तब पुलिस यह सोचने पर मजबूर हो गई कि जब यहां चूहे नहीं हैं तो तेजस के घर चूहा मारने की दवा कहां से और क्यों आई? कहीं यह दवा उस ने पत्नी और बेटी को तो नहीं खिलाई थी?

अब तक मिले तथ्यों से पूरी तरह साफ हो गया था कि शोभना और काव्या की हत्या की गई थी और यह हत्या किसी और ने नहीं शोभना के पति और काव्या के पिता तेजस पटेल ने ही की थी.

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शक के आधार पर पुलिस ने तेजस को हिरासत में ले लिया. तेजस को थाने ला कर थानाप्रभारी ने जोन-4 के डीसीपी लखधीर सिंह की मौजूदगी में पूछताछ शुरू की.

तेजस ने बहाने तो बहुत बनाए, पर पुलिस के आगे उस की एक नहीं चली. क्योंकि सारे सबूत उस के खिलाफ थे. आखिर रोते हुए उस ने पत्नी और बेटी की हत्या का अपराध स्वीकार करते हुए कहा, ‘‘क्या करता सर, मैं बहुत परेशान हो गया था अपनी इस पत्नी से. उस ने मेरा जीना हराम कर दिया था. इसलिए मजबूर हो कर मैं ने उस की हत्या की है.’’

इस के बाद तेजस पटेल ने पत्नी और बेटी की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी.गुजरात के जिला पंचमहल के गांव एरडी में अपने परिवार के साथ रहते थे चंद्रकांत बारिया. उन के परिवार में पत्नी बिमलाबेन के अलावा बेटा जितेंद्र बारिया तथा एक बेटी शोभना थी. चंद्रकांत बड़ौदा में नौकरीकरते थे. इसलिए उन का परिवार बड़ौदा में ही रहता था.

पहले वह बड़ौदा शहर में किराए के मकान में रहते थे. लेकिन जब उन का बेटा भी कमाने लगा तो उन्होंने बड़ौदा शहर से बाहर न्यू समा रोड पर स्थित चंदन पार्क सोसायटी में अपना मकान खरीद लिया. इस के बाद उन्होंने अपने बेटे की शादी कर दी.

बापबेटे मिल कर ठीकठाक कमा रहे थे. इसलिए उन्होंने जो मकान खरीदा था, उस में दो मंजिल और बनवा कर किराए पर उठा दिया था.

उन की बेटी शोभना ने बीए पास कर के पढ़ाई छोड़ दी थी. पढ़ाई छोड़ कर वह घर में ही रहती थी. जब वह शादी लायक हुई तो चंद्रकांत ने सन 2012 में उस की शादी पंचमहल में ही अपने पुश्तैनी गांव से करीब 15 किलोमीटर दूर नांदरवा गांव में तेजस पटेल के साथ कर दी थी. 12वीं पास कर के तेजस गांव में खेती करता था. शोभना उम्र में तेजस से 6 साल बड़ी थी.

तेजस की क्रोमा स्टोर में लगी नौकरी

शोभना शहर में रह कर पलीबढ़ी थी. भला वह गांव में कैसे रह सकती थी. उस ने यह बात अपने भाई और पिता से कही तो उस के भाई जितेंद्र बारिया ने तेजस को शादी के लगभग साल भर बाद यानी 2013 में बड़ौदा बुला लिया और यहां गेंडा सर्कल के पास स्थित क्रोमा स्टोर में सेल्समैन की नौकरी लगवा दी.

बड़ौदा में नौकरी लग जाने के बाद तेजस बड़ौदा में किराए का मकान ले कर पत्नी शोभना के साथ रहने लगा. बड़ौदा आने के लगभग डेढ़ साल बाद उन के घर एक बेटी पैदा हुई, जिस का नाम उन्होंने काव्या रखा.

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तेजस को उस स्टोर से जितना वेतन मिलता था, उस से उस का खर्च किसी तरह चलता था. जबकि शोभना की अपेक्षाएं बहुत ज्यादा थीं. उस में कभी तेजस के घर से कोई आ जाता तो उस का बजट गड़बड़ा जाता. जिसे ठीक करने में उसे कई महीने लग जाते.

उस का बजट ठीक होतेहोते फिर कोई आ जाता, जिस की वजह से वह हमेशा परेशान ही रहता था. इस का असर शोभना पर भी पड़ता. बजट गड़बड़ होने की वजह से तेजस उस की अपेक्षाएं पूरी नहीं कर पाता था, जिस की वजह से उस की तेजस से लड़ाई होती रहती थी.

बेटी होने पर घर का खर्च और बढ़ गया. तेजस का वेतन उतना नहीं बढ़ा था, जितना खर्च बढ़ गया था. खर्च को ले कर तेजस तो परेशान रहता ही था, साथ ही शोभना भी परेशान रहती थी. उस ने यह बात अपने पिता चंद्रकांत बारिया से कही तो वह भी बेटी की परेशानी से परेशान हो गए.

अब तक उन्होंने अपने मकान पर एक मंजिल और बनवा ली थी, जिसे अभी उन्होंने किराए पर नहीं दिया था. बेटीदामाद को परेशान देख कर उन्होंने बेटी से कहा, ‘‘बेटा, तुम ऐसा करो, अपना किराए का मकान छोड़ कर यहीं मेरे मकान में आ जाओ. वहां जो किराया दे रही हो, वह बचेगा, जो तुम्हारे अन्य खर्च में काम आएगा.’’

‘‘पर तेजस यहां आने को तैयार नहीं होगा.’’ शोभना ने कहा.

‘‘क्यों?’’ चंद्रकांत ने पूछा.

‘‘ससुराल में रहना उसे पसंद नहीं है. यहां रहना वह अपनी बेइज्जती समझता है.’’

‘‘इस में बेइज्जती की क्या बात है बेटा. अरे, जैसे मेरे लिए जितेंद्र है, उसी तरह तेजस है. इसलिए उसे यहां रहने में क्या परेशानी है.’’ चंद्रकांत ने कहा.

‘‘पापा, मैं तो इस बारे में तेजस से कुछ बात कर नहीं सकती. क्योंकि मैं कहूंगी तो मेरी बात वह मानेगा नहीं. इसलिए जो कुछ भी कहना है, आप ही कहिए. आप कहेंगे तो आप की बात वह टालेगा नहीं.’’ शोभना बोली.

इस के बाद ससुर के कहने पर तेजस पत्नी और बेटी के साथ ससुर के चंदन पार्क सोसायटी स्थित मकान में रहने आ गया. उस मकान में पहली मंजिल पर उस के सासससुर और दूसरी मंजिल पर साला जितेंद्र अपनी पत्नी के साथ रहता था. तीसरी मंजिल खाली थी, जिस में तेजस शोभना बेटी काव्या के साथ रहने लगा.

अब शोभना अपने मायके में थी. घर उस के बाप का था. मांबाप और भाई साथ ही रहते थे, इसलिए वह पति पर हावी होने लगी. वहां तेजस की बिलकुल नहीं चलती थी. जब तक तेजस बड़ौदा में किराए के मकान में रहा, वहां उस के मांबाप और भाईबहन भी कभीकभार मिलने आ जाते थे. लेकिन जब से वह ससुराल में रहने आया, शोभना उन के आने पर रोक लगाने लगी.

वह तेजस से साफ कहती, ‘‘यह घर मेरे बाप का है, तुम्हारे बाप का नहीं. इसलिए यहां वही आएगा, जिसे मैं चाहूंगी. ये जो तुम्हारे घर वाले हमें लूटने आते हैं न,  इन से साफसाफ कह दो, अब तक उन्होंने बहुत लूट लिया. यहां हमारा ही खर्च नहीं पूरा होता, उसी में वे लोग भी भीख मांगने आ जाते हैं.’’

पति पर शोभना हो गई हावी

तेजस पत्नी की इन बातों का जवाब तो देना चाहता, पर अब उस में हिम्मत नहीं रह गई थी और न ही उस की कोई सुनता था.

ऐसा नहीं है कि उस ने जवाब नहीं दिया. शुरूशुरू में उस ने शोभना को जवाब दिया था. पर उस के जवाब देने पर शोभना ने उस की शिकायत अपने मांबाप और भाई से कर दी थी.

उस के बाद तो सासससुर ने ही नहीं, साले ने भी उस की ऐसी बेइज्जती की थी कि उस के बाद उस ने यही तय कर लिया कि अब सासससुर और साले की बातें सुनने से अच्छा है कि बीवी की ही 4 बातें सुन ले. इसलिए शोभना जो कुछ भी उस से कहती, वह चुपचाप सुन लेता.

शोभना की बातें तेजस सुन जरूर लेता था, पर था तो वह भी मर्द. पत्नी 4 अच्छी बातें कहे, जो मन को सुकून पहुंचाएं तो अच्छी लगती हैं. पर दिल को जलाने वाली बातें कहे तो सभी का खून खौल उठता है.

वह कैसा भी मर्द क्यों न हो. पत्नी की हों या किसी की भी हों, मजबूरी में ही आदमी किसी की जलीकटी सुनता है. तेजस भी मजबूरी में ही पत्नी की जलीकटी सुन रहा था. पर अंदर ही अंदर वह सुलग रहा था. अब उसे बीवी से यानी शोभना से नफरत होने लगी थी.

अगले भाग में पढ़ें- अपमान का घूंट पी कर रह जाता तेजस

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