‘मृग मरीचिका’ कहनेसुनने में जितना जादुई शब्द लगता है, असलियत में उतना ही भयानक होता है. यह शब्द उस प्यासे हिरन की कहानी से उपजा है, जो गरम रेत के मरुस्थल में पानी होने का धोखा खाता गया, पर यहांवहां भटकने के बाद भी प्यास से मर गया.

जब किसी इनसान में ऐसी ही ‘मृग मरीचिका’ का भरम होता है, तो वह अपनी जान को जोखिम में डालने से नहीं चूकता है. अब एक और शब्द पर गौर फरमाते हैं, जिसे इंगलिश में ‘डंकी फ्लाइट’ कहते हैं. इस शब्द की तह में जाने से पहले यह जान लें कि अचानक यह शब्द क्यों सुर्खियों में आ गया है?

दरअसल ऐसी खबर आई है कि शाहरुख खान और राज कुमार हिरानी एक फिल्म पर काम कर रहे हैं, जो गैरकानूनी तरीके से किसी दूसरे देश में दाखिल होने वाले लोगों और उन की समस्याओं से जुड़ी हुई बताई जा रही है. शाहरुख खान इस फिल्म ऐसे इनसान का किरदार निभाएंगे, जो विदेश जाने के लालच में अपना सबकुछ दांव पर लगा देता है.

फिल्म की तो छोडि़ए, अगर असली जिंदगी की बात करें तो भारत में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो किसी भी कीमत पर और किसी भी तरीके से विदेश जाने का नशा पाले रखते हैं.

अकेले पंजाब राज्य के बहुत से नौजवान अमेरिका और कनाडा में घुसने के लिए दलालों को लाखों रुपए देने के लिए तैयार रहते हैं. यही वजह है कि न जाने कितने भारतीय नागरिक अपनी जान जोखिम में डाल कर लैटिन अमेरिका के रास्ते अमेरिका पहुंचने की कोशिश करते हैं.

ये भी पढ़ें- Crime Story- तनु की त्रासदी: जिस्म की चाहत का असर

मैक्सिको ने साल 2019 में 311 भारतीय लोगों को वापस भारत भेज दिया था. वे सब गैरकानूनी तरीके से बौर्डर पार कर अमेरिका जाने की फिराक में थे. हद तो यह थी कि अमेरिका में घुसने के लिए उन्होंने मानव तस्करों को 20 लाख से 50 लाख रुपए दिए थे.

इन लोगों में से ज्यादातर भारत से पहले इक्वाडोर पहुंचे थे, उस के बाद कोलंबिया, पनामा और होंडुरास होते हुए आखिरकार मैक्सिको पहुंचे थे. उन में से ज्यादातर पंजाब और हरियाणा के किसान परिवारों के बेरोजगार नौजवान थे.

पनामा के जंगलों से गुजरते हुए उन नौजवानों ने कई लाशें देखी थीं, जो शायद उन लोगों की थीं, जो उन की ही तरह गैरकानूनी तरीके से अमेरिका जाना चाहते थे. जंगल में न खाना था और न ही पानी. पकड़े गए बहुत से नौजवानों ने बताया कि प्यास बु?ाने के लिए उन्हें अपनी कमीजों से पसीना निचोड़ कर पीना पड़ा था.

साल 2019 में ही एक बापबेटी की तसवीर ने पूरी दुनिया को ?ाक?ार दिया था, जो नदी के किनारे पड़े हुए थे. वह बाप अपनी मासूम बच्ची को टीशर्ट में छिपाए हुए था.

बाद में पता चला कि वह शख्स एल सल्वाडोर का रहने वाला था, जो अपनी तकरीबन 2 साल की बेटी के साथ अमेरिका में घुसने की कोशिश कर रहा था. रिपोर्टों के मुताबिक, वह आदमी काफी समय से अमेरिका में शरण लेने की कोशिश कर रहा था, पर नाकाम होने के बाद उस ने नदी के रास्ते अमेरिका में घुसने की कोशिश की और यह हादसा हो गया.

अमेरिकी कस्टम ऐंड बौर्डर पैट्रोल के मुताबिक, साल 2018 में मैक्सिको के रास्ते गैरकानूनी तरीके से अमेरिका में घुसने की कोशिश में तकरीबन 9,000 भारतीय लोगों को पकड़ा गया था. साल 2017 के मुकाबले यह तादाद तकरीबन 3 गुना ज्यादा थी. इसी साल अमेरिका की दक्षिणपश्चिमी सीमा के रास्ते गैरकानूनी तरीके से देश में घुसते पकड़े जाने वालों में सब से बड़ा समुदाय भारतीयों का था.

जब ऐसे लोग पकड़े जाते हैं, तो अमेरिका में बसने के लिए तरहतरह की दलील देते हैं, जैसे अपने देश में वे भुखमरी के शिकार हैं या जाति और धर्म के नाम पर उन्हें सताया जाता है या फिर वहां राजनीतिक तौर पर उन पर जुल्म होते हैं.

लेकिन किसी देश में घुसना आसान काम नहीं है. ऐसा ही एक मामला 6 साल की गुरुप्रीत कौर के साथ हुआ था, जो एरिजोना के मरुस्थल में अपनी मां के साथ सीमा पार करते हुए प्यास से मर गई थी.

हरियाणा के फरीदाबाद जिले के गांव में रहने वाले एक नौजवान ने नाम और पता न छापने की शर्त पर बताया कि वह भी एक एजेंट के भरोसे मैक्सिको से अमेरिका में घुसा था. यह 2-3 साल पुरानी बात है और इस के लिए लाखों रुपए का खर्च भी हुआ था.

एजेंट ने पक्के कागज बनवाने का दावा किया था और अमेरिका में घुसने में कोई दिक्कत नहीं होगी, यह भी वादा किया था, पर अमेरिका में जाने के बाद वहां के एयरपोर्ट पर अफसरों को शक हो गया. नौकरी की आस लिए वहां पहुंचे उस नौजवान के कागजात में उन्हें कमी लगी और उसे पूछताछ के बाद एक ऐसे कैंप में, जहां 2,000 से ज्यादा ऐसे लोग थे, जो अमेरिका में घुसने में नाकाम रहे थे.

ये भी पढ़ें- Satyakatha: पत्नी की बेवफाई

उस कैंप में वैसे तो हर तरह की सुविधा थी, खानापीना भी ठीक था, पर तकरीबन 10 महीने वहां रहने के बावजूद उसे अपने घर वालों से बात करने की इजाजत नहीं थी. वहां कई देशों के नौजवान थे, जिन में से ज्यादातर अमेरिका में बसने के लिए अपने घर से निकले थे.

जब उस नौजवान को इस बात की आस खत्म हो गई कि अब वह अमेरिका में किसी तरह दाखिल नहीं हो सकता है तो उस ने वापस लौटने की अपील की, जो वहां से जुड़े जज ने मंजूर कर ली.

क्यों है विदेश का लालच

अगर कानूनी तरीके से किसी देश में जा कर बसना हो, तो बहुत से नियमकानूनों का पालन करना होता है, जो हर किसी के बूते की बात नहीं है और इसीलिए दलाल पैसे ले कर नौजवानों को विदेश भेजने के सब्जबाग दिखाते हैं, जो असलियत के आसपास भी नहीं होते हैं.

सवाल उठता है कि लोग अपनी जान जोखिम में डाल कर विदेश क्यों जाना चाहते हैं? बेरोजगारी इस की सब से बड़ी वजह है. साथ ही, अमेरिका जैसे अमीर देशों की चकाचौंध और डौलर में कमाई का लालच उन्हें वहां जाने को उकसाता है.

हरियाणा और पंजाब के बहुत से किसान अपनी कीमती जमीन की वजह से अमीर हो गए हैं. उन के बच्चे खेती करना नहीं चाहते हैं और पढ़ाईलिखाई में भी वे तीसमारखां नहीं होते हैं. लिहाजा, जमीन बेच कर विदेश में जाना उन्हें आसान और सस्ता सौदा लगता है.

अकेले अमेरिका में साल 2019 में  7,720, साल 2017 में 4,620, साल 2016 में 3,544, साल 2015 में 3,091 और साल 2014 में 1,663 भारतीय मूल के लोग घुसपैठ करते हुए पकड़े गए थे, जिन में महिलाएं और नाबालिग भी शामिल थे.

बहुत से लोग हैं, जो जानते हैं कि इस तरह की समस्याएं आ सकती हैं और बहुत से तो भुगत भी चुके होते हैं, पर फिर भी न जाने क्यों वे इसी उम्मीद में बारबार कोशिश करते रहते हैं कि दांव लगते ही वे अमेरिका में घुस ही जाएंगे.

इस के लिए बहुत से घरपरिवार अपनी जमीन गिरवी रख देते हैं, कई बार बेच भी देते हैं या नातेरिश्तेदारों से उधार या ब्याज पर कर्ज भी ले लेते हैं, पर विदेश जाने की अपनी इच्छा को जिंदा रखते हैं.

मिडिल ईस्ट देशों में भी भारतीयों के जाने का चसका देखा जा सकता है. वहां तो बहुत से शेखों के जोरजुल्म सह रही औरतें डिटेंशन कैंपों से ज्यादा बदहाली में जीती हैं.

साल 2018 की बात करें, तो दुबई की एक गैरसरकारी भारतीय संस्था ‘सरबत दा भला’ के मुताबिक, मिडिल ईस्ट देशों में 100 से ज्यादा पंजाबी महिलाएं अमीर शेखों की कैद में थीं, जो भारत लौटना चाहती थीं.

ये भी पढ़ें- Satyakatha: पैसे का गुमान

ऐसी औरतें जालसाजी और लालची ट्रैवल एजेंटों के चंगुल में फंस कर वहां नरक से बदतर जिंदगी जी रही थीं. इन यातनाओं में मारपीट, यौन शोषण, बहुत ज्यादा काम करवाना या फिर काम के बदले कोई पैसा न देना भी शामिल है.

कहने का मतलब है कि यह ‘डंकी फ्लाइट’ ज्यादातर नौजवानों पर भारी पड़ती है और उन की जिंदगी को नरक बना देती है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...