वाणी कपूर ने शेयर की हौट फोटो, जालीदार ड्रैस में दिखाया कर्वी फिगर

बौलीवुड की हौट हीरोइनों में से एक वाणी कपूर ने कम फिल्मों से ही अपनी अलग पहचान बनाई है. ‘वार’ और ‘बेफिक्रे’ फिल्म फेम ऐक्ट्रैस इन दिनों सोशल मीडिया पर अपनी हौटनैस के लिए वायरल हो रही हैं. उन्होंने हाल ही में अपनी ब्लैक ड्रैस में फोटो शेयर की है, जिसे देख फैंस घायल हो गए हैं. उन्होंने ये तसवीरें अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर की हैं.

 

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वाणी कपूर ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट को अपडेट करते हुए कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिस में वे ट्रांसपेरेंट गाउन में कहर ढाती दिख रही हैं. सामने आई तसवीरों में उन्होंने ब्रालैस गाउन पहन कर अपना बोल्ड लुक फैंस को दिखाया है, जिसे देख कर फैंस के पसीने छूट गए हैं. इतना ही नहीं, इन तसवीरों में ऐक्ट्रैस अपना कर्वी फिगर फ्लॉन्ट करती हुई नजर आ रही हैं. ये तसवीरें फैंस के बीच खलबली मचा रही हैं.

 

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ऐक्ट्रैस वाणी कपूर ने सामने आईं इन तसवीरों में बेहद बोल्ड अंदाज में फोटोशूट करवाया, जिस में उन की एकएक अदा फैंस का दिल चुरा ले गई. वाणी कपूर का ये जालीदार गाउन बैकलैस था, जिस में वे बेहद बोल्ड नजर आईं. वाणी कपूर की ये तसवीरें सोशल मीडिया पर आते ही चर्चा में आ गईं, जिस पर लोग जम कर कमैंट्स कर रहे हैं.

यह पहली दफा नहीं है जब वाणी कपूर ने अपनी बोल्ड तसवीरें फैंस के साथ शेयर की हों. इस से पहले भी वे कई दफा अपना बोल्ड लुक फैंस को दिखाती रही हैं.

 

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‘वार’ और ‘बेफिक्रे’ फिल्म में अपने बोल्ड तेवर दिखा कर फैंस को क्लीन बोल्ड कर चुकीं अदाकारा वाणी कपूर की इन फोटोज ने भी खलबली मचा दी. अदाकारा की तसवीरें हर किसी का ध्यान खींच ले गई हैं.

उर्फी के उफ करने वाले कपड़े, आहें भरते फैंस

अक्तूबर 1996 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्मी उर्फी जावेद कम उम्र में ही अपने घर से भाग कर मुंबई आ गई थी. नवंबर 2021 को उस ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट में एक वीडियो शेयर किया जिस में उस ने बहुत ही छोटी ड्रैस पहन रखी थी. ड्रैस में एक चैन लगी हुई थी. वीडियो में वह अपनी चैन को खोल कर अपनी फिगर दिखाती हुई नजर आई थी. इस के बाद कुछ छोटेमोटे टीवी सीरियल रोल्स और बिग बौस ओटीटी के कारण उसे पहचाना जाने लगा. वैसे उस की मुख्य पहचान हमेशा से उस के अजीबोगरीब पहनावे को ले कर ही रही है.

 

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उर्फी इंस्टाग्राम पर अकसर अपने ऊटपटांग फैशन सैंस से लोगों का दिमाग गरम करती नजर आती है. उस के वीडियोज और रील्स पर तारीफ के इक्कादुक्का ही मैसेज रहते हैं. बाकी के सारे मैसेज हेटर्स के होते हैं जो उसे जीभर गालियां देते हैं. बहुत से लोग उसे कपड़े पहनने का सलीका सिखाते और सुधर जाने की सीख देते भी दिखते हैं.

उर्फी के जीवन का एक ही मकसद है और वह है सोशल मीडिया पर दिखना. इस के लिए कभी उस ने कीवी फ्रूट से ड्रैस बनाई, कभी रस्सियों से, कभी ब्लड्स से, कभी पिज्जा से, कभी हैंडबैग, कभी फोन के वायर, कभी टेप से, कभी धागे से, कभी साइकिल की चेन से, कभी शीशे से तो कभी अक्षरों से ऐसी ड्रैसेस बनाईं जिन्हें देखने के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स ने अपना सिर पकड़ लिया. मतलब यह कि उस के हाथ में जो चीज आती है उसी से कपड़े बना लेती है. वह कभीकभी टौपलेस भी नजर आती है. एक बार तो ऊपर के हिस्से को ढकने के लिए वह केवल 2 गिलास थामे भी नजर आ चुकी है. कभी उर्फी ब्रा की जगह पंख लगाए नजर आती है. उस के बदन पर नाममात्र के कपड़े या कुछ चीजें होती हैं जो इतनी भद्दी, बेहूदी और हास्यास्पद होती हैं कि लोगों की आंखें फटी रह जाती हैं.

 

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ऊलजलूल विवाद में फंसती उर्फी

कोई उसे नौटंकी कहता है, कोई पागल, कोई नमूना, कोई कार्टून तो कोई मैंटल कहता है पर उसे कोई फर्क नहीं पड़ता. वह वही करती है जो उसे लोगों का ध्यान खींचने के लिए करना होता है. कभी खिलौनों वाली कार से ड्रैस बना लेती है, कभी पैंट को टौप की तरह पहन लेती है तो कभी कोट को हैंगर के साथ अपने सिर के ऊपर चढ़ा लेती है. कभी बदन के कुछ छिपाने वाले हिस्सों को छोटे फूलों से आधाअधूरा ढकने का दिखावा करती है तो कभी सीपियों से. वह हमेशा अपने पहनावे को ले कर ट्रोल होती रहती है. एक बार उर्फी ने पैंट के साथ क्रौप टौप पहना और पैंट के बटन खुले रखे. अपने अजीब से पहनावे और बेढंगे कपड़ों की वजह से वह हमेशा लोगों की नजर में आई है.

कुछ समय पहले ऐक्टर फैजान अंसारी ने उर्फी जावेद को ‘ट्रांसजैंडर’ तक कह डाला. फैजान ने कहा कि जिस तरह से उर्फी जावेद माहौल को गंदा कर रही है उस तरह कोई लड़की नहीं बल्कि किन्नर ही कर सकता है. उर्फी पर एक वकील ने सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंच पर अवैध व अश्लील हरकतें करने का आरोप लगाया था. लेखक चेतन भगत ने आरोप लगाया था कि उर्फी अपने कपड़ों के जरिए लड़कों को विचलित व भ्रमित कर रही हैं.

इसी तरह एयरपोर्ट में जब पैपराजी उस की फोटो लेने के लिए उस के पीछे भागे, तभी एक अंजान उम्रदराज शख्स ने उस को देख कर कमैंट किया, ‘तुम ऐसे कपड़े पहन कर देश का नाम खराब कर रही हो.’ उर्फी गुस्से में बोली, ‘आप के बाप का कुछ नहीं जा रहा.’

 

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ऐसे किस्से उर्फी के जीवन में आम हैं. सोशल मीडिया पर ऐक्टिव रहना या नाम बनाना अलग बात है मगर नजर आने के लिए बदनाम होना समझ नहीं आता. ऐसे नमूने कम ही पैदा होते हैं.

रेव पार्टी: ऐसे लगता है डांस, ड्रग्स और सैक्स का तड़का

Crime News in Hindi: शनिवार, 5 मई, 2019 की रात. जश्न का माहौल. तेज म्यूजिक पर नाचते लड़केलड़कियां. रात जैसेजैसे गहराती जा रही थी, डीजे पर म्यूजिक तेज होता जा रहा था. थिरकते कदम रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. नोएडा में हो रही एक रेव पार्टी (Rave Party) में यह सब चल रहा था. अमीर घरों के बच्चे, कारोबारी घराने के लोग, नेता वगैरह इस पार्टी की शान थे. उन के साथ आई हुईं लड़कियां भी किसी से पीछे नहीं थीं. इस पार्टी में क्या नहीं था, हुक्का (Hookah), बीयर (Beer), ड्रग्स(Drugs), तंबाकू का नशा, शराब (Hard Drinks), कबाब, शबाब. लड़केलड़कियां नशे की हालत में डीजे की धुनों पर मस्त हो कर थिरक रहे थे. तेज रोशनी उन की आंखों को चौंधिया रही थीं. बाहरी दुनिया से अलगथलग थी यह रंगीन दुनिया.

इतनी बड़ी रेव पार्टी हो रही थी और पुलिस को पता न हो, ऐसा कैसे हो सकता है. पुलिस को पता था, पर उसे मोटा चढ़ावा पहले ही चढ़ाया जा चुका था. फिर भी छापामारी हो गई. बाहरी पुलिस ही इलाके की पुलिस के लिए सिरदर्द बन गई. इसलिए अब तो पुलिस की मिलीभगत भी चर्चा का विषय हो गई है. जांच चल रही है. इस पार्टी में एक-दो पुलिस वाले भी थे.

वे अपना चेहरा छिपाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे. अमीर घरों के तमाम बच्चे, कारोबारी, राजनीतिक लोग जो इस पार्टी में मौजूद थे, धरे गए और न्यायिक हिरासत में हैं.

यह मामला नोएडा के यमुना किनारे बसे सैक्टर-135 का है. यहां इको फार्महाउस पर हर वीकेंड पर महफिलें सजती थीं. इन पार्टियों के लिए खासमखास लोगों को बुलाया जाता था. बुलाने का तरीका व्हाट्सएप और फेसबुक पर बने क्लोज्ड ग्रुप को हिंट के जरीए होता था. इस महफिल में शरीक होने वाले इस हिंट को आसानी से समझ जाते थे. लड़केलड़कियों को पूरी रात डांस, म्यूजिक, ड्रग्स और सैक्स का कौकटेल मिलता. रातभर लुत्फ उठाने के बाद वे अपनी गाड़ियों से अगले दिन घर लौट जाते.

रेव यानी पैशन, एक्साइटमैंट और पागलपन. यह सैक्स, म्यूजिक और ड्रग्स का कौकटेल है. पार्टी शुरू हो चुकी थी. बड़े से ओपेन स्पेस में बजता तेज म्यूजिक और इलैक्ट्रौनिक लाइटिंग का फ्यूजन और ड्रग्स का असर. वहां मौजूद लड़केलड़कियों को पागल करने के लिए काफी था.

‘फुल सैटरडे नाइट विद डीजे ईशू एंड आशू’ के नाम से चल रही इस पार्टी में तमाम लड़केलड़कियों का हुजूम था. ज्यादातर लड़के दिल्ली, हरियाणा के अलावा नोएडा के थे. पार्टी में लड़कियों की मौजूदगी ठीकठाक रहे, इसलिए उन की एंट्री फ्री थी जबकि लड़कों से 10,000 रुपए एंट्री फीस वसूली गई थी.
लड़कों का भरपूर मनोरंजन करने के लिए ऐस्कौर्ट सर्विस की लड़कियां बुलाई गई थीं. ऐस्कौर्ट लड़कियों को प्रति इवैंट 1,000 रुपए की फीस पर लाया गया था. भड़कीले कपड़े पहने इन लड़कियों का काम अपनी सैक्सी अदाओं से इन लड़कों का मनोरंजन करना और उन्हें वहां जुए व दूसरी नशीली चीजों की खरीदारी के लिए तैयार करना था. पर्सनल एंजौयमैंट के लिए फार्महाउस में 3 कमरे भी थे.

ऐस्कौर्ट लड़कियों  की अमीर घरों के लड़कों के साथ टेबल पर बैठने के साथ शराब पिलाने तक की कीमत तय थी. टेबल पर बैठने, गिलास देने, शराब देने, खाना परोसने, साथ में शराब पीने समेत दूसरी चीजों का ऐस्कौर्ट लड़कियां अलग से चार्ज लेती थीं. टेबल पर बैठा युवक जितना पैसा खर्च करता था, उस का 10 फीसदी कमीशन इन लड़कियों को मिलता था. बाकी लड़कियां अपने बौयफ्रैंड के साथ पार्टी में आई थीं. ज्यादातर सभी लड़कियां हाईप्रोफाइल घरों की थीं.

आयोजकों ने रेव पार्टी का प्रचारप्रसार फेसबुक, व्हाट्सएप समेत अन्य सोशल मीडिया के जरीए किया था. प्रवेश शुल्क को आयोजक नकद के साथ पेटीएम वालेट या दूसरे साधनों से लेते हैं. मौके से एक रजिस्टर बरामद हुआ, जिस में पूरा हिसाब लिखा हुआ था.

पुलिस को किसी ने सूचना दी. उसी को आधार मानते हुए पुलिस ने पहले घेरा बनाया गया, तब दबिश दी. जब पुलिस अंदर घुसी तो वहां तमाम लड़केलड़कियां नशे में डीजे पर झूम रहे थे. कई लड़के टेबल और पूल में घुस कर हुक्के का कश लगा रहे थे. पुलिस ने मौके से पार्टी के आयोजक व फार्महाउस मालिक अमित त्यागी को उस के साथियों कपिल सिंह भाटी, पंकज शर्मा, अदनान और बालेश कोहली के साथ पकड़ा है.

आरोप है कि अमित त्यागी वहां पर पहले भी 40- 50 ऐसी पार्टियों को करवा चुका है. हर पार्टी से पहले वह इलाके की पुलिस को मोटा चढ़ावा देता था. फार्महाउस पर अवैध रूप से चल रही रेव पार्टी पर छापेमारी कर 192 लड़केलड़कियोंको गिरफ्तार किया. इस में आयोजक व मनोरंजन के लिए लाई गई लड़कियां भी शामिल थीं या यों कहें कि पार्टी में 161 लड़के और 31 लड़कियां पकड़ी गई थीं. इन में से 8 ऐस्कौर्ट से बुलाई गई लड़कियां शामिल थीं जबकि बाकी अपने बौयफ्रैंड के साथ आईं थीं.

दूसरी ओर फार्महाउस में बड़ी मात्रा में नशीले पदार्थ और आपत्तिजनक सामान बरामद किया गया. इस के अलावा पुलिस ने फार्महाउस से 39 कारों के अलावा 9 महंगी मोटर बाइकों को भी अपने कब्जे में लिया. इन में कई लग्जरी कारें भी थीं. ज्यादातर लड़केलड़कियां 10वीं व 12वीं के स्टूडेंट्स थे. वे सभी कारोबारी, नौकरशाहों, बड़े घरानों, प्रभावशाली परिवारों से ताल्लुक रखते थे. ज्यादातर घर से झूठ बोल कर पार्टी में शरीक होने आए थे.

रेव पार्टी में बड़ी तादाद में लड़केलड़कियों के पकड़े जाने के बाद पूरी रात पुलिस अफसरों के फोन घनघनाते रहे. अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य का हवाला दे कर उन्हें माफ कर छोड़ देने की गुहार करते रहे. बाद में पुलिस ने छात्रछात्राओं के भविष्य को देखते हुए उन के नामपते बताने से इनकार कर दिया. रविवार, 5 मई की सुबह 6 बजे पुलिस की बसें मंगवा कर सभी को फार्महाउस से पुलिस लाइन भेजा गया. वहीं से पुलिस ने आरोपितों को जिला न्यायालय में पेश कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया.

जांच में यह भी सामने आया है कि एक सप्ताह तक चलने वाली रेव पार्टी की एंट्री फीस एक से डेढ़ लाख रुपए, वहीं 2 दिनों के लिए 20,000-22,000 रुपए थी. वीकेंड पर एक पार्टी कर के आयोजक 15 से 20 लाख रुपए कमा लेते थे. इन में से 2-3 लाख रुपए लोकल पुलिस को जाते थे और बाकी पार्टनर आपस में बांट लेते थे. रेव पार्टी में आने के लिए इन बच्चों ने झूठ का सहारा लिया. क्यों? क्योंकि मांबाप सच से वाकिफ नहीं होना चाहते. अगर हो गए तो मनमानी करने नहीं देंगे.

अमीरजादों को अपने बच्चों को सुधारना जरूरी है, डांटफटकार से बात नहीं बनने वाली. पैसे दे देना किसी समस्या का हल नहीं, उन पैसों का हिसाबकिताब भी पूछना चाहिए. बच्चों के साथ बैठें, बात करें, उन की परेशानी को बढ़ाने के बजाय दूर करने की कोशिश करें. तभी सही माने में आपका बच्चा ठीक दिशा में चल सकता है अन्यथा बच्चों के बिगड़ते देर नहीं लगती, इसलिए जरूरी है बच्चों पर नजर रखना, ताकि बाद में पछताना न पड़े.

मेरी पत्नी नाराज होने पर पूरा घर सिर पर उठा लेती है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 25 साल का नौजवान हूं. मेरी शादी को 2 साल हो गए हैं. मेरी पत्नी वैसे तो बहुत अच्छी है, पर अगर वह किसी बात पर नाराज होती है, तो पूरा घर सिर पर उठा लेती है. उस समय अगर उस की बात न मानी जाए, तो वह अपना ही नुकसान कर बैठती है, खुद को चोट पहुंचा लेती है. पत्नी के इस रवैए से घर में तनाव का माहौल रहता है. पड़ोसी सोचते हैं कि हम उसे सता रहे हैं, पर ऐसा नहीं है. मैं अपनी पत्नी के इस इमोशनल ड्रामे से परेशान हो गया हूं. मैं क्या करूं?

जवाब

आप खुद मान रहे हैं कि पत्नी अच्छी है यानी बात बन सकती है. इस बात पर गौर करें कि उसे किन बातों पर ज्यादा गुस्सा आता है और किस समय आता है. खुद को चोट पहुंचाना खतरे की बात है. इस से कभी जानेअनजाने में बड़ा नुकसान या हादसा भी हो सकता है. जब वह गुस्से में हो तब उस का विरोध करने के बजाय उस की हां में हां मिलाते रहें और कभी डाक्टर को दिखा लें कि कहीं उस का ब्लड प्रैशर ज्यादा तो नहीं हो जाता. उसे नाराज करने वाली बातों से बचें और कभीकभार उसे बाजार और रिश्तेदारी में घुमानेफिराने ले जाएं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  सरस सलिल- व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

कचरे में फेंकते बच्चे, आखिर क्यों मिलती है नवजातों को यह सजा

Society News in Hindi: भीड़ आमतौर पर तमाशा देखने और बातें बनाने के लिए ही जमा होती है, ऐसा ही इस मामले में भी हुआ. किसी की हिम्मत नहीं पड़ रही थी कि बच्चे को जा कर उठा ले, मानो वह किसी इनसान की औलाद नहीं, बल्कि कोई खतरनाक बम हो. भीड़ में मौजूद हर शख्स देख पा रहा था कि उस नवजात के जिस्म पर चींटियां रेंग रही थीं और हर कोई यह समझ भी रहा था कि अगर जल्द ही बच्चे को इलाज नहीं मिला तो उस की मौत भी हो सकती है. आखिरकार हिम्मत करते हुए एक आदमी डालचंद कुशवाहा ने बच्चे को उठा कर कपड़े से साफ किया और उसे काट रही चींटियों को उस के बदन से हटाया. इसी बीच वहां मौजूद दूसरे लोगों ने एंबुलैंस और पुलिस को फोन कर दिया था. एंबुलैंस और पुलिस वाले आए और बच्चे को अस्पताल ले गए. पुलिस वालों ने नामालूम मांबाप के खिलाफ पैदाइश छुपाने की धारा के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी.

छंटती हुई भीड़ में यही बातें हो रही थीं कि न जाने किस के पाप की निशानी है… घोर कलियुग आ गया है जो कुंआरी लड़कियां हमबिस्तरी तो मजे से करती हैं, लेकिन जब पेट से हो जाती हैं तो बच्चा गिराने के बजाय उसे घूरे या कचरे में फेंक देती हैं. ऐसा होना तो अब आएदिन की बात हो गई है… कितनी पत्थरदिल होगी वह मां, जो अपने कलेजे के टुकड़े को यों फेंक गई.

हकीकत से सरोकार नहीं

भीड़ अपनी भड़ास निकालते हुए छंट गई, लेकिन कई सवाल जरूर अपने पीछे छोड़ गई कि क्यों लाखों नवजात हर साल देशभर के घूरों पर जिंदा या फिर मरे मिलते हैं? इन के लिए मां का दूध और प्यार क्यों नहीं होता और घूरे या कचरे के ढेर पर मिले बच्चे पाप की निशानी ही क्यों माने और कहे जाते हैं?

हर कोई यह जरूर मानता और जानता है कि ऐसे बच्चे अकसर कुंआरी लड़कियां ही पैदा करती हैं जो प्यारमुहब्बत में पड़ कर पेट से हो आती हैं और वक्त रहते, वजह कुछ भी हो, बच्चा नहीं गिरा पातीं. पेट में पल रहा बच्चा कभीकभार जोरजबरदस्ती यानी बलात्कार की देन भी हो सकता है, लेकिन लड़की का कुसूर यही रहता है कि वह समय रहते बच्चा गिरा नहीं पाती है.

कोई यह नहीं सोच पाता कि क्यों एक लड़की नाजायज करार दिए जाने वाले बच्चे को 9 महीने तक पेट में रख कर ढोने और छुपाने को मजबूर होती है और अकसर क्यों इस में उस का साथ घर वाले भी देते हैं?

जाहिर है, समाज में इज्जत बचाए रखने और लड़की के भविष्य की खातिर वे यह फैसला लेते हैं कि अगर बच्चा गिराया जाना मुमकिन न हो तो पैदा होने के बाद उसे किसी घूरे पर फेंक देना ही बेहतर है, क्योंकि समाज किसी भी हालत में उसे मंजूरी नहीं देगा और बात उजागर हो गई तो लड़की की शादी तो दूर की बात है, लोग उसे चैन से जीने भी नहीं देंगे, क्योंकि उस ने कुंआरी मां बनने का संगीन जुर्म जो किया है.

इस जुर्म में लड़की का भागीदार कौन था, उस की चर्चा न के बराबर होती है और चूंकि वह मर्द होता है इसलिए लोग उसे गुनाहगार नहीं मानते यानी लड़की या औरत होने का खमियाजा इस तरह भी भुगतना पड़ता है.

लड़कियां ये एहतियात बरतें

प्यारमुहब्बत में धोखा खा कर या धमका कर या फिर बहलाफुसला कर किसी ने कोख में बच्चा रूपी बीज बो दिया है, इसलिए लड़कियों को होशियार रहने की जरूरत है, क्योंकि पूरा खमियाजा उन्हें ही भुगतना पड़ता है. इन परेशानियों से बचने के लिए उन्हें ये एहतियात बरतनी चाहिए:

* अगर किसी से हमबिस्तरी की है और तयशुदा वक्त पर पीरियड न आए तो समझ लेना चाहिए कि पेट में बच्चा ठहर गया है.

* आशिक से हमबिस्तरी करते वक्त उसे कंडोम लगाने को मजबूर करना चाहिए, पर कई बार जल्दबाजी और हड़बड़ाहट में कंडोम का इस्तेमाल नहीं हो पाता है, इसलिए भी यह नौबत आ जाती है.

* वक्त पर पीरियड न आए तो तुरंत पेशाब की जांच करानी चाहिए कि कहीं आप पेट से नहीं हो गई हैं. आजकल यह जांच हर कोई खुद भी आसानी से सस्ते में कर सकती है.

* कई नामी कंपनियों की प्रैगनैंसी किट या स्ट्रिप यानी पट्टियां बाजार में मिलती हैं जिन से मिनटों में पता चल जाता है कि पेट में बच्चा है या नहीं.

* अगर ये स्ट्रिप जिन पर हिदायतें और इस्तेमाल का तरीका लिखा होता है, पेट से होने की तसदीक करें तो बिना वक्त गंवाए बच्चा गिराने के लिए भागादौड़ी करनी चाहिए.

* बच्चा गिराने के लिए सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में जाना चाहिए. पहचान उजागर होने का डर अपने गांवकसबे या शहर के अस्पताल में बना रहता है, इसलिए दूर के शहर जाना ही ठीक रहता है.

* चूंकि लड़कियां अकेली यह काम नहीं कर सकतीं इसलिए पेट से होने की बात घर वालों को बता देनी चाहिए. तय है कि वे गुस्सा होंगे और मारेंगेपीटेंगे भी, लेकिन इस के अलावा कोई चारा भी नहीं रह जाता है. वैसे भी बहुत जल्द पेट से होने की बात उन पर जाहिर हो जाती है, इसलिए डर और शर्म छोड़ देनी चाहिए, नहीं तो 5 महीने के बाद तो बच्चा गिराना आसान नहीं रह जाता है.

* सरकारी या प्राइवेट अस्पतालों में बच्चा गिराने वाली लड़कियों की पहचान उजागर नहीं की जाती, इसलिए बेवजह डरना नहीं चाहिए लेकिन अस्पताल वाले पहचानपत्र मांगते हैं जो उन्हें दे देना चाहिए, क्योंकि यह कानूनन जरूरी होता है.

* ज्यादा सोचविचार में वक्त नहीं गंवाना चाहिए और न ही बच्चा गिराने के लिए देशी नुसखे या टोटके का इस्तेमाल करना चाहिए. नीमहकीमी से कई दफा लेने के देने पड़ जाते हैं.

* शुरुआत के 3 महीने तक गर्भनिरोधक गोलियों से भी बच्चा आसानी से गिराया जा सकता है, पर इस बाबत नजदीक या दूर के अस्पताल जा कर डाक्टर या स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से जानकारी लेनी चाहिए. बच्चा गिराने की गोलियां सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में मिलती हैं, लेकिन इन्हें अपने मन से नहीं खाना चाहिए.

तो मंजिल यही है

इस के बाद भी बच्चा न गिरे तो लड़कियों के पास इस के सिवा कोई और रास्ता नहीं रह जाता कि वे दुनिया और समाज से छिप कर बच्चे को जन्म दें और फिर बाद की परेशानियों से बचने के लिए उसे यों ही किसी घूरे या कचरे के ढेर में फेंक दें. यह कोई पाप नहीं है, बल्कि एक अनचाही मुसीबत से छुटकारा पाने का आसान तरीका है.

* भोपाल के शाहपुरा के लक्ष्मण नगर के कचरे के ढेर में मिले बच्चे के मामले में इस से ज्यादा कुछ हुआ लगता नहीं कि लड़की मजबूर थी और उस के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था.

एक रास्ता अकसर पेट से हो आई लड़कियों के पास खुदकुशी का रह जाता है, लेकिन यह समस्या का हल नहीं है, क्योंकि राज तो इस के बाद भी खुल ही जाता है, इसलिए बेहतर यही है कि जो भी सहूलियत वाला रास्ता मिले, उसे अपना लिया जाए.

* घर वालों को भी चाहिए कि वे लड़की की मदद करें, क्योंकि इस में उस की खास गलती नहीं होती है. जो थोड़ीबहुत होती भी है वह उस की नादानी ही मानी जाएगी जिसे माफ करते हुए उसे भी एक बेहतर जिंदगी जीने का मौका दिया जाना कोई गुनाह नहीं है.

समाज तो ऐसे बच्चों को नाजायज या लावारिस कहने से कभी चूकेगा नहीं, लेकिन कानून को जरूर अपना नजरिया बदलना चाहिए कि घूरे के ढेर में मिले बच्चों की पैदाइश छिपाने को संगीन गुनाह न माने, बल्कि एक लड़की की मजबूरी मानते हुए उसे नजरअंदाज करे, क्योंकि बाद की जांच से किसी को कुछ हासिल नहीं होता है. हां, लड़की की जिंदगी जरूर बरबाद हो जाती है, क्योंकि उस की पहचान कानूनी तौर पर उजागर हो जाती है.

 

वो भूली दास्तां : बारिश में मिले दो अजनबी

कभीकभी जिंदगी में कुछ घटनाएं ऐसी भी घटती हैं, जो अपनेआप में अजीब होती हैं. ऐसा ही वाकिआ एक बार मेरे साथ घटा था, जब मैं दिल्ली से हैदराबाद जा रहा था. उस दिन बारिश हो रही थी, जिस की वजह से मुझे एयरपोर्ट पहुंचने में 10 मिनट की देरी हो गई थी और काउंटर बंद हो चुका था.

आज पूरे 2 साल बाद जब मैं दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा और बारिश को उसी दिन की तरह मदमस्त बरसते देखा, तो अचानक से वह भूला हुआ किस्सा न जाने कैसे मेरे जेहन में ताजा हो गया.

मैं खुद हैरान था, क्योंकि पिछले 2 सालों में शायद ही मैं ने इस किस्से को कभी याद किया होगा.

एक बड़ी कंपनी में ऊंचे पद पर होने के चलते काम की जिम्मेदारियां इतनी ज्यादा हैं कि कब सुबह से शाम और शाम से रात हो जाती है, इस का हिसाब रखने की फुरसत नहीं मिलती. यहां तक कि मैं इनसान हूं रोबोट नहीं, यह भी खुद को याद दिलाना पड़ता है.

लेकिन आज हवाईजहाज से उतरते ही उस दिन की एकएक बात आंखों के सामने ऐसे आ गई, जैसे किसी ने मेरी जिंदगी को पीछे कर उस दिन के उसी वक्त पर आ कर रोक दिया हो.

चैकआउट करने के बाद भी मैं एयरपोर्ट से बाहर नहीं निकला या यों कहें कि मैं जा ही नहीं पाया और वहीं उसी जगह पर जा कर बैठ गया, जहां 2 साल पहले बैठा था.

मेरी नजरें भीड़ में उसे ही तलाशने लगीं, यह जानते हुए भी कि यह सिर्फ मेरा पागलपन है. मेन गेट की तरफ देखतेदेखते मैं हर एक बात फिर से याद करने लगा.

टिकट काउंटर बंद होने की वजह से उस दिन मेरे टिकट को 6 घंटे बाद वाली फ्लाइट में ट्रांसफर कर दिया गया था. मेरा उसी दिन हैदराबाद पहुंचना बहुत जरूरी था. कोई और औप्शन मौजूद न होने की वजह से मैं वहीं इंतजार करने लगा.

बारिश इतनी तेज थी कि कहीं बाहर भी नहीं जा सकता था. बोर्डिंग पास था नहीं, तो अंदर जाने की भी इजाजत नहीं थी और बाहर ज्यादा कुछ था नहीं देखने को, तो मैं अपने आईपैड पर किताब पढ़ने लगा.

अभी 5 मिनट ही बीते होंगे कि एक लड़की मेन गेट से भागती हुई आई और सीधा टिकट काउंटर पर आ कर रुकी. उस की सांसें बहुत जोरों से चल रही थीं. उसे देख कर लग रहा था कि वह बहुत दूर से भागती हुई आ रही है, शायद बारिश से बचने के लिए. लेकिन अगर ऐसा ही था तो भी उस की कोशिश कहीं से भी कामयाब होती नजर नहीं आ रही थी. वह सिर से पैर तक भीगी हुई थी.

यों तो देखने में वह बहुत खूबसूरत नहीं थी, लेकिन उस के बाल कमर से 2 इंच नीचे तक पहुंच रहे थे और बड़ीबड़ी आंखें उस के सांवले रंग को संवारते हुए उस की शख्सीयत को आकर्षक बना रही थीं.

तेज बारिश की वजह से उस लड़की की फ्लाइट लेट हो गई थी और वह भी मेरी तरह मायूस हो कर सामने वाली कुरसी पर आ कर बैठ गई. मैं कब किताब छोड़ उसे पढ़ने लगा था, इस का एहसास मुझे तब हुआ, जब मेरे मोबाइल फोन की घंटी बजी.

ठीक उसी वक्त उस ने मेरी तरफ देखा और तब तक मैं भी उसे ही देख रहा था. उस के चेहरे पर कोई भाव नहीं था. मैं सकपका गया और उस पल की नजर से बचते हुए फोन को उठा लिया.

फोन मेरी मंगेतर का था. मैं अभी उसे अपनी फ्लाइट मिस होने की कहानी बता ही रहा था कि मेरी नजर मेरे सामने बैठी उस लड़की पर फिर से पड़ी. वह थोड़ी घबराई हुई सी लग रही थी. वह बारबार अपने मोबाइल फोन पर कुछ चैक करती, तो कभी अपने बैग में.

मैं जल्दीजल्दी फोन पर बात खत्म कर उसे देखने लगा. उस ने भी मेरी ओर देखा और इशारे में खीज कर पूछा कि क्या बात है?

मैं ने अपनी हरकत पर शर्मिंदा होते हुए उसे इशारे में ही जवाब दिया कि कुछ नहीं.

उस के बाद वह उठ कर टहलने लगी. मैं ने फिर से अपनी किताब पढ़ने में ध्यान लगाने की कोशिश की, पर न चाहते हुए भी मेरा मन उस को पढ़ना चाहता था. पता नहीं, उस लड़की के बारे में जानने की इच्छा हो रही थी.

कुछ मिनट ही बीते होंगे कि वह लड़की मेरे पास आई और बोली, ‘सुनिए, क्या आप कुछ देर मेरे बैग का ध्यान रखेंगे? मैं अभी 5 मिनट में चेंज कर के वापस आ जाऊंगी.’

‘जी जरूर. आप जाइए, मैं ध्यान रख लूंगा,’ मैं ने मुसकराते हुए कहा.

‘थैंक यू. सिर्फ 5 मिनट… इस से ज्यादा टाइम नहीं लूंगी आप का,’ यह कह कर वह बिना मेरे जवाब का इंतजार किए वाशरूम की ओर चली गई.

10-15 मिनट बीतने के बाद भी जब वह नहीं आई, तो मुझे उस की चिंता होने लगी. सोचा जा कर देख आऊं, पर यह सोच कर कि कहीं वह मुझे गलत न समझ ले. मैं रुक गया. वैसे भी मैं जानता ही कितना था उसे. और 10 मिनट बीते. पर वह नहीं आई.

अब मुझे सच में घबराहट होनेल लगी थी कि कहीं उसे कुछ हो तो नहीं गया. वैसे, वह थोड़ी बेचैन सी लग रही थी. मैं उसे देखने जाने के लिए उठने ही वाला था कि वह मुझे सामने से आती हुई नजर आई.

उसे देख कर मेरी जान में जान आई. वह ब्लैक जींस और ह्वाइट टौप में बहुत अच्छी लग रही थी. उस के खुले बाल, जो शायद उस ने सुखाने के लिए खोले थे, किसी को भी उस की तरफ खींचने के लिए काफी थे.

वह अपना बैग उठाते हुए एक फीकी सी हंसी के साथ मुझ से बोली, ‘सौरी, मुझे कुछ ज्यादा ही टाइम लग गया. थैंक यू सो मच.’

मैं ने उस की तरफ देखा. उस की आंखें लाल लग रही थीं, जैसे रोने के बाद हो जाती हैं. आंखों की उदासी छिपाने के लिए उस ने मेकअप का सहारा लिया था, लेकिन उस की आंखों पर बेतरतीबी से लगा काजल बता रहा था कि उसे लगाते वक्त वह अपने आपे में नहीं थी. शायद उस समय भी वह रो रही हो.

यह सोच कर पता नहीं क्यों मुझे दर्द हुआ. मैं जानने को और ज्यादा बेचैन हो गया कि आखिर बात क्या है.

मैं ने अपनी उलझन को छिपाते हुए उस से सिर्फ इतना कहा, ‘यू आर वैलकम’.

कुछ देर बाद देखा तो वह अपने बैग में कुछ ढूंढ़ रही थी और उस की आंखों से आंसू बह रहे थे. शायद उसे अपना रूमाल नहीं मिल रहा था.

उस के पास जा कर मैं ने अपना रूमाल उस के सामने कर दिया. उस ने बिना मेरी तरफ देखे मुझ से रूमाल लिया और उस में अपना चेहरा छिपा कर जोरजोर से रोने लगी.

वह कुरसी पर बैठी थी. मैं उस के सामने खड़ा था. उसे रोते देख जैसे ही मैं ने उस के कंधे पर हाथ रखा, वह मुझ से चिपक गई और जोरजोर से रोने लगी. मैं ने भी उसे रोने दिया और वे कुछ पल खामोश अफसानों की तरह गुजर गए.

कुछ देर बाद जब उस के आंसू थमे, तो उस ने खुद को मुझ से अलग कर लिया, लेकिन कुछ बोली नहीं. मैं ने उसे पीने को पानी दिया, जो उस ने बिना किसी झिझक के ले लिया.

फिर मैं ने हिम्मत कर के उस से सवाल किया, ‘अगर आप को बुरा न लगे, तो एक सवाल पूछं?’

उस ने हां में अपना सिर हिला कर अपनी सहमति दी.

‘आप की परेशानी का सबब पूछ सकता हूं? सब ठीक है न?’ मैं ने डरतेडरते पूछा.

‘सब सोचते हैं कि मैं ने गलत किया, पर कोई यह समझाने की कोशिश नहीं करता कि मैं ने वह क्यों किया?’ यह कहतेकहते उस की आंखों में फिर से आंसू आ गए.

‘क्या तुम्हें लगता है कि तुम से गलती हुई, फिर चाहे उस के पीछे की वजह कोई भी रही हो?’ मैं ने उस की आंखों में आंखें डालते हुए पूछा.

‘मुझे नहीं पता कि क्या सही है और क्या गलत. बस, जो मन में आया वह किया?’ यह कह कर वह मुझ से अपनी नजरें चुराने लगी.

‘अगर खुद जब समझ न आए, तो किसी ऐसे बंदे से बात कर लेनी चाहिए, जो आप को नहीं जानता हो, क्योंकि वह आप को बिना जज किए समझाने की कोशिश करेगा?’ मैं ने भी हलकी मुसकराहट के साथ कहा.

‘तुम भी यही कहोगे कि मैं ने गलत किया?’

‘नहीं, मैं यह समझाने की कोशिश करूंगा कि तुम ने जो किया, वह क्यों किया?’

मेरे ऐसा कहते ही उस की नजरें मेरे चेहरे पर आ कर ठहर गईं. उन में शक तो नहीं था, पर उलझन के बादलजरूर थे कि क्या इस आदमी पर यकीन किया जा सकता है? फिर उस ने अपनी नजरें हटा लीं और कुछ पल सोचने के बाद फिर मुझे देखा.

मैं समझ गया कि मैं ने उस का यकीन जीत लिया है. फिर उस ने अपनी परेशानी की वजह बतानी शुरू की.

दरअसल, वह एक मल्टीनैशनल कंपनी में बड़ी अफसर थी. वहां उस के 2 खास दोस्त थे रवीश और अमित. रवीश से वह प्यार करती थी. तीनों एकसाथ बहुत मजे करते. साथ ही, आउटस्टेशन ट्रिप पर भी जाते. वे दोनों इस का बहुत खयाल रखते थे.

एक दिन उस ने रवीश से अपने प्यार का इजहार कर दिया. उस ने यह कह कर मना कर दिया कि उस ने कभी उसे दोस्त से ज्यादा कुछ नहीं माना.

रवीश ने उसे यह भी बताया कि अमित उस से बहुत प्यार करता है और उसे उस के बारे में एक बार सोच लेना चाहिए.

उसे लगता था कि रवीश अमित की वजह से उस के प्यार को स्वीकार नहीं कर रहा, क्योंकि रवीश और अमित में बहुत गहरी दोस्ती थी. वह अमित से जा कर लड़ पड़ी कि उस की वजह से ही रवीश ने उसे ठुकरा दिया है और साथ में यह भी इलजाम लगाया कि कैसा दोस्त है वह, अपने ही दोस्त की गर्लफ्रैंड पर नजर रखे हुए है.

इस बात पर अमित को गुस्सा आ गया और उस के मुंह से गाली निकल गई. बात इतनी बढ़ गई कि वह किसी और के कहने पर, जो इन तीनों की दोस्ती से जला करता था, उस ने अमित के औफिस में शिकायत कर दी कि उस ने मुझे परेशान किया. इस वजह से अमित की नौकरी भी खतरे में पड़ गई.

इस बात से रवीश बहुत नाराज हुआ और अपनी दोस्ती तोड़ ली. यह बात उस से सही नहीं गई और वह शहर से कुछ दिन दूर चले जाने का मन बना लेती है, जिस की वजह से वह आज यहां है.

यह सब बता कर उस ने मुझ से पूछा, ‘अब बताओ, मैं ने क्या गलत किया?’

‘गलत तो अमित और रवीश भी नहीं थे. वह थे क्या?’ मैं ने उस के सवाल के बदले सवाल किया.

‘लेकिन, रवीश मुझ से प्यार करता था. जिस तरह से वह मेरी केयर करता था और हर रात पार्टी के बाद मुझे महफूज घर पहुंचाता था, उस से तो यही लगता था कि वह भी मेरी तरह प्यार में है.’

‘क्या उस ने कभी तुम से कहा कि वह तुम से प्यार करता है?’

‘नहीं.’

‘क्या उस ने कभी अकेले में तुम से बाहर चलने को कहा?’

‘नहीं. पर उस की हर हरकत से मुझे यही लगता था कि वह मुझे प्यार करता है.’

‘ऐसा तुम्हें लगता था. वह सिर्फ तुम्हें अच्छा दोस्त समझ कर तुम्हारा खयाल रखता था.’

‘मुझे पता था कि तुम भी मुझे ही गलत कहोगे,’ उस ने थोड़ा गुस्से से बोला.

‘नहीं, मैं सिर्फ यही कह रहा हूं कि अकसर हम से भूल हो जाती है यह समझाने में कि जिसे हम प्यार कह रहे हैं, वो असल में दोस्ती है, क्योंकि प्यार और दोस्ती में ज्यादा फर्क नहीं होता.’

‘लेकिन, उस की न की वजह अमित भी तो सकता है न?’

‘हो सकता है, लेकिन तुम ने यह जानने की कोशिश ही कहां की. अच्छा, यह बताओ कि तुम ने अमित की शिकायत क्यों की?’

‘उस ने मुझे गाली दी थी.’

‘क्या सिर्फ यही वजह थी? तुम ने सिर्फ एक गाली की वजह से अपने दोस्त का कैरियर दांव पर लगा दिया?’

‘मुझे नहीं पता था कि बात इतनी बढ़ जाएगी. मैं सिर्फ उस से माफी मंगवाना चाहती थी?

‘बस, इतनी सी ही बात थी?’ मैं ने उस की आंखों में झांक कर पूछा.

‘नहीं, मैं अमित को हर्ट कर के रवीश से बदला लेना चाहती थी, क्योंकि उस की वजह से ही रवीश ने मुझे इनकार किया था.’

‘क्या तुम सचमुच रवीश से प्यार करती हो?’

मेरे इस सवाल से वह चिढ़ गई और गुस्से में खड़ी हो गई.

‘यह कैसा सवाल है? हां, मैं उस से प्यार करती हूं, तभी तो उस के यह कहने पर कि मैं उस के प्यार के तो क्या दोस्ती के भी लायक नहीं. यह सुन कर मुझे बहुत हर्ट हुआ और मैं घर क्या अपना शहर छोड़ कर जा रही हूं.’

‘पर जिस समय तुम ने रवीश से अपना बदला लेने की सोची, प्यार तो तुम्हारा उसी वक्त खत्म हो गया था, प्यार में सिर्फ प्यार किया जाता है, बदले नहीं लिए जाते और वह दोनों तो तुम्हारे सब से अच्छे दोस्त थे?’

मेरी बात सुन कर वह सोचती हुई फिर से कुरसी पर बैठ गई. कुछ देर तक तो हम दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला. कुछ देर बाद उस ने ही चुप्पी तोड़ी और बोली, ‘मुझ में क्या कमी थी, जो उसे मुझ से प्यार नहीं हुआ?’ और यह कहतेकहते वह मेरे कंधे पर सिर रख कर रोने लगी.

‘हर बार इनकार करने की वजह किसी कमी का होना नहीं होता. हमारे लाख चाहने पर भी हम खुद को किसी से प्यार करने के लिए मना नहीं सकते. अगर ऐसा होता तो रवीश जरूर ऐसा करता,’ मैं ने भी उस के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.

‘सब मुझे बुरा समझाते हैं,’ उस ने बच्चे की तरह रोते हुए कहा.

‘नहीं, तुम बुरी नहीं हो. बस टाइम थोड़ा खराब है. तुम अपनी शिकायत वापस क्यों नहीं ले लेतीं?’

‘इस से मेरी औफिस में बहुत बदनामी होगी. कोई भी मुझ से बात तक नहीं करेगा?’

‘हो सकता है कि ऐसा करने से तुम अपनी दोस्ती को बचा लो और क्या पता, रवीश तुम से सचमुच प्यार करता हो और वह तुम्हें माफ कर के अपने प्यार का इजहार कर दे,’ मैं ने उस का मूड ठीक करने के लिए हंसते हुए कहा.

यह सुन कर वह हंस पड़ी. बातों ही बातों में वक्त कब गुजर गया, पता ही नहीं चला. मेरी फ्लाइट जाने में अभी 2 घंटे बाकी थे और उस की में एक घंटा.

मैं ने उस से कहा, ‘बहुत भूख लगी है. मैं कुछ खाने को लाता हूं,’ कह कर मैं वहां से चला गया.

थोड़ी देर बाद मैं जब वापस आया, तो वह वहां नहीं थी. लेकिन मेरी सीट पर मेरे बैग के नीचे एक लैटर था, जो उस ने लिखा था:

‘डियर,

‘आज तुम ने मुझे दूसरी गलती करने से बचा लिया, नहीं तो मैं सबकुछ छोड़ कर चली जाती और फिर कभी कुछ ठीक नहीं हो पाता. अब मुझे पता है कि मुझे क्या करना है. तुम अजनबी नहीं होते, तो शायद मैं कभी तुम्हारी बात नहीं सुनती और मुझे अपनी गलती का कभी एहसास नहीं होता. अजनबी ही रहो, इसलिए अपनी पहचान बताए बिना जा रही हूं. शुक्रिया, सहीगलत का फर्क समझाने के लिए. जिंदगी ने चाहा, तो फिर कभी तुम से मुलाकात होगी.’

मैं खत पढ़ कर मुसकरा दिया. कितना अजीब था यह सब. हम ने घंटों बातें कीं, लेकिन एकदूसरे का नाम तक नहीं पूछा. उस ने भी मुझ अजनबी को अपने दिल का पूरा हाल बता दिया. बात करते हुए ऐसा कुछ लगा ही नहीं कि हम एकदूसरे को नहीं जानते और मैं बर्गर खाते हुए यही सोचने लगा कि वह वापस जा कर करेगी क्या?

फोन की घंटी ने मुझे मेरे अतीत से जगाया. मैं अपना बैग उठा कर एयरपोर्ट से बाहर निकल गया. लेकिन निकलने से पहले मैं ने एक बार फिर चारों तरफ इस उम्मीद से देखा कि शायद वह मुझे नजर आ जाए. मुझे लगा कि शायद जिंदगी चाहती हो मेरी उस से फिर मुलाकात हो. यह सोच कर मैं पागलपन पर खुद ही हंस दिया और अपने रास्ते निकल पड़ा.

अच्छा ही हुआ, जो उस दिन हम ने अपने फोन नंबर ऐक्सचेंज नहीं किए और एकदूसरे का नाम नहीं पूछा. एकदूसरे को जान जाते, तो वह याद आम हो जाती या वह याद ही नहीं रहती.

अकसर ऐसा होता है कि हम जब किसी को अच्छी तरह जानने लगते हैं, तो वो लोग याद आना बंद हो जाते हैं. कुछ रिश्ते अजनबी भी तो रहने चाहिए, बिना कोई नाम के.

मरजाना : आखिर क्या हुआ उन के प्यार का अंजाम

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सैक्स के भ्रम से निकलें युवा, नहीं तो होगा यह नुकसान

Sex News in Hindi: अकसर युवा सैक्स को ले कर कई तरह की भ्रांतियों से घिरे रहते हैं. अपनी गर्लफ्रैंड से सैक्स को ले कर अपने इमैच्योर फ्रैंड्स से उलटीसीधी ऐडवाइज लेते हैं और जब उस ऐडवाइज का सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ता है तो शर्मिंदगी से किसी से बताने में संकोच करते हैं. यहां युवाओं को यह बात समझनी जरूरी है कि सैक्स से सिर्फ मजा ही नहीं आता बल्कि इस से सेहत का भी बड़ा गहरा संबंध है. सैक्स (Sex) और सेहत (Health) को ले कर कम उम्र के युवकों और युवतियों में ज्यादातर नकारात्मक भ्रांतियां फैली हैं. स्वास्थ्य के लिए सैक्स कितना अच्छा है, यह बात न इन्हें स्कूल और कोचिंग सैंटर्स में पढ़ाई जाती है और न ही पैरेंट्स सैक्स ऐजुकेशन (Sex Education) को ले कर इतने जागरूक हैं कि अपने युवा बच्चों को सैक्स और सेहत के बीच के सही तालमेल और पोजिटिवनैगेटिव फैक्टर्स से रूबरू करा सकें.

आएदिन देशदुनिया में कहीं न कहीं सैक्स और सेहत को ले कर रिसर्च होती रहती है जिस से अंदाजा लगाना आसान होता है कि सैक्स कोई बीमारी नहीं बल्कि आप की सेहत के लिए बहुत आवश्यक है बशर्तें इस के बाबत आप को सही गाइडैंस मिली हो.

सैक्स, सेहत और भ्रांतियां

 सैक्स के बाद युवतियों के हिप्स और ब्रैस्ट का वजन बढ़ जाता है. सैक्स करने से कमजोरी आती है. सैक्स करने से शरीर में खून की कमी होती है. सैक्स के दौरान भयानक पीड़ा से गुजरना पड़ता है. सैक्स करने से पढ़ाई में मन नहीं लगता. ज्यादा सैक्स करने से वजन कम हो जाता है. सैक्स करने से लड़की तुरंत प्रैग्नैंट हो जाती है. सैक्स तनाव का बड़ा कारण है, सैक्स करने से हार्टअटैक का खतरा बढ़ जाता है. सैक्स का याद्दाश्त पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, सैक्स करने से ब्लड प्रेशर अनियंत्रित रहता है… वगैरावगैरा.

यह तमाम भ्रांतियां आजकल के युवकयुवतियों के दिमाग में घर कर गई हैं. इन के चलते सैक्स को ले कर जो रवैया युवाओं में होना चाहिए, वह नहीं दिखता.

हर मिथक और गलतफहमी के वैज्ञानिक और मैडिकल तथ्य हैं जो इन को सिरे से खारिज करते हैं. मसलन, वजन बढ़ने वाली बात की जाए, तो सैक्सुअल रिलेशन की शुरुआत होते ही युवतियों के हिप्स और ब्रैस्ट का वजन नहीं बढ़ता है. एक तर्क यह है कि युवतियों और महिलाओं के खून में स्पर्म आत्मसात हो जाता है और वह बाहर नहीं निकल पाता, लेकिन समझने वाली बात यह है कि 2-3 मिलीलिटर स्पर्म से मात्र 15 कैलोरी बढ़ती हैं. इसलिए सैक्स को मनोवैज्ञानिक रूप से वजन बढ़ने का सही तथ्य नहीं माना गया है.

विल्किस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक और एक अन्य अमेरिकन शोध बताते हैं कि  सप्ताह में एक या दो बार सैक्स करने से इम्युनोग्लोबुलिन नाम के ऐंटीबौडी में बढ़ोतरी होती है. इसलिए रैगुलर ऐक्सरसाइज करें और हैल्दी डाइट से वजन मैंटेन करें न कि सैक्स न करने से. शोध में यह बात भी सामने आई है कि यह हार्ट के लिए बेहद फायदेमंद है. वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि सप्ताह में 2 बार या इस से ज्यादा बार सैक्स करने वाले पुरुषों में दिल की बीमारी होने की आशंका 45 फीसदी तक कम होती है. इतना ही नहीं सैक्स करना आप के ब्लडप्रैशर और हृदयगति के लिए भी अच्छा है. सैक्स के दौरान जितना ज्यादा स्खलन होगा उस से प्रोस्टैट कैंसर होने की आशंका उतनी ही कम होगी.

रिसर्च से यह सच भी सामने आया कि जो लोग ज्यादा तनाव में रहते हैं वे ज्यादा सैक्स करते हैं. ऐसा करने से तनाव दूर हो जाता है. यह शोध मैसाच्यूसैट्स स्थित न्यू इंगलैंड इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों ने किया है.

परफैक्ट टाइमिंग है जरूरी

सैक्स के दौरान अगर सेहत को भी अनुकूल रखना चाहते हैं तो युवाओं को सैक्स का समय, माहौल और मानसिक दशा पर सतर्कता बरतने की जरूरत होती है. मान लीजिए आप सैक्स रात को ढाई बजे कर रहे हैं. उस समय एक सैक्स पार्टनर को हलकीहलकी नींद आ रही है. ऐसे में जाहिर है सैक्स का भरपूर आनंद तो मिलेगा नहीं, मानसिक तनाव ही बढे़गा. सैक्स सर्वे भी स्पष्ट करते हैं कि मौर्निंग सैक्स करने वाले ज्यादा खुश रहते हैं और हैल्दी भी यानी सैक्स के साथ टाइमिंग की बड़ी भूमिका है. स्कूल या औफिस से लौट कर सैक्स करने में जो आनंद और शरीर को रिलैक्स मिलेगा उस का अनुपात सुबहसुबह तरोताजा मूड में सैक्स करने वाले कपल से अलग होगा. इस का एक कारण यह भी है कि मोर्निंग सैक्स करने वालों के शरीर में एक ऐसे तत्त्व का रिसाव होता है जो पूरे दिन प्यार बनाए रखने में लाभदायक सिद्ध होता है. हफ्ते में तीन बार सुबहसुबह सैक्स करने वालों को हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा भी कम हो जाता है.

इसी तरह अगर किसी से झगड़ा हुआ है किसी नुकसान के चलते मन अस्थिर है, तो ऐसे समय सैक्स करने से न तो शारीरिक संतुष्टि मिलती है और न सैक्स का मजा, उलटा यह गलती बारबार दोहराने में सैक्स के प्रति मन भी उचटने लगता है और उदासीनता सैक्स लाइफ के लिए बिलकुल भी ठीक नहीं है.

सैक्स से रहें हैल्दी 

 सैक्स का सेहत से कितना गहरा रिश्ता है इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते साल  स्वीडिश सरकार ने अपने देश के नागरिकों की सैक्स लाइफ से चिंतित हो कर व्यापक पैमाने पर एक स्टडी शुरू की. 2019 में पूरी होनी वाली यह स्टडी इसलिए करवाई गई क्योंकि लोगों का सैक्स के प्रति झुकाव कम हो रहा था. वहां के हैल्थ मिनिस्टर के मुताबिक यदि स्वीडिश नागरिकों की सैक्स लाइफ तनाव और अन्य हैल्थ समस्याओं के कारण प्रभावित हो रही है तब भी यह एक राजनीतिक समस्या है.

सैक्स स्टडी कर रहे शोधकर्ताओं के मुताबिक, ‘‘सैक्स से लोगों की सेहत पर व्यापक असर होता है. जो लोग हफ्ते में कम से कम एक बार सैक्स करते हैं वे सैक्स न करने वालों की तुलना में ज्यादा खुश और प्रोडक्टिव रहते हैं.’’

सैक्स के दौरान न सिर्फ इम्यून सिस्टम बेहतर होता है बल्कि शरीर की फुरती में भी इजाफा होता है. इतना ही नहीं सही मूड, अवस्था और जगह में किए गए सैक्स से बालों, स्किन और नाखूनों को भी बेहतर बनाने में मदद मिलती है. सैक्स करने से हड्डियां और मसल्स भी मजबूत होते हैं. जो सैक्स को ले कर उदासीन रहते हैं उन्हें मीनोपोज के बाद आस्टियोपोरोसिस की समस्या का खतरा रहता है. नियमित सैक्स से एस्ट्रोजन हारमोंस का रिसाव ज्यादा होता है जो सेहत के लिए फायदेमंद होता है. सैक्स ऐक्सपर्ट मानते हैं कि युवाओं में अकसर सैक्स के दौरान एनर्जी लैवल और ऐक्ससाइटमैंट की कमी के चलते तनाव रहता है. ऐसे में वे सुझाव देते हैं कि ऐरोबिक्स शरीर को फिट रखने के लिए सब से बेहतरीन और शानदार वर्कआउट है. इस को करने से शरीर में हमेशा उत्तेजना और फुरती बनी रहेगी. ऐरोबिक्स एनर्जी लैवल को हमेशा बढ़ाए रखता है.

सैक्स, नुकसान और समाधान

जीवनयापन के लिए खाना, पानी, हवा की तरह सैक्स भी एक शारीरिक जरूरत है और इसे सक्रिय रखना युवा रहने के लिए बेहद जरूरी है. एक तरफ जहां सैक्स न करने के कई नुकसान हैं वहीं कुछ हमारी बिगड़ी आदतें ऐसी होती हैं जो हमें सेहत और सैक्स के मोरचे पर कमजोर कर देती हैं.

पहले बात करते हैं सैक्स से जुड़े नफेनुकसानों की. सैक्स न करने वाले हमेशा तनाव में डूबे रहते हैं और यह तनाव हमारे जीवन की सभी जरूरी चीजों को बुरी तरह से प्रभावित करता है. काम, पढ़ाई और निजी संबंधों में तनाव जहर का काम करता है.

जहां सैक्स के कई फायदे हैं वहीं कुछ नुकसान भी हैं. कहते हैं न कि अति हर चीज की बुरी होती है. सैक्स के मामले में यह बात लागू होती है. दिन में 2-3 बार सैक्स करना उसी को सूट करता है जिस का स्टेमिना बेहद अच्छा हो वरना इस से दिल के रोगियों के लिए मुश्किलें भी पैदा हो सकती हैं. इसी तरह जो युवा हस्तमैथुन के आदी हो जाते हैं, उन के लिए भी यह अनहैल्दी हो सकता है. गर्लफ्रैंड नहीं हो जिस की वजह से जो युवा पोर्न का सहारा लेते हैं, धीरेधीरे वे पोर्न के भी इतने आदी हो जाते हैं कि हर पल उन के दिमाग में वही चलता रहता है. इस एडिक्शन के चलते असली सैक्स के दौरान वह उत्तेजना नहीं आती जो पोर्न देखने के दौरान आती है. कई बार युवा अपने साथी दोस्तों, उन की गर्लफ्रैंड और सैक्स लाइफ के किस्से सुन कर कौंप्लैक्स के शिकार हो जाते हैं और चिड़चिडे़ और गुस्सैल होने लगते हैं. यह चीज आप के बोलचाल और व्यव्हार में भी दिखती है.

स्मोकिंग करने से भी सैक्स लाइफ बुरी तरह से बिगड़ जाती है. आजकल के युवा स्मोकिंग को फैशन और लाइफस्टाइल का हिस्सा मान कर कूल और टशन के नाम पर स्मोकिंग करते हैं. इस से सैक्स और्गन के सिकुड़ने से ले कर नपुंसक होने तक का खतरा रहता है.

मोटापा, अनियमित जीवनशैली और मानसिक तनाव जैसे कई तत्त्व सैक्स का खेल बिगाड़ सकते हैं. युवाओं को इन्ही कमियों को दूर करना होगा तभी वे युवावस्था का आनंद ले सकेंगे. याद रखें जिन युवाओं की सैक्सुअल जरूरतें समय से पूरी हो जाती हैं उन का स्वास्थ्य ऐसा न कर पाने वालों की तुलना में अच्छा होता है. इसलिए सैक्स से सेहत के तालमेल को सही बैठा कर बिंदास जिंदगी जीने के लिए कमर कस लीजिए, क्योंकि न तो जवानी बारबार आती है और न आप चिर युवा रह सकते हैं.

भाजपा की कमंडल और मंडल की दोहरी चाल, विपक्ष क्यों बेहाल

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में गुमनाम चेहरों को सत्ता सौंप कर भारतीय जनता पार्टी के आलाकमान ने जो संदेश देने की कोशिश की है, वह नेताओं को तो मिल चुका है, पर राजनीति के तमाम जानकार इस के अपने अलगअलग मतलब निकाल रहे हैं, लेकिन यह एकदम सौ फीसदी तय है कि केंद्र में ऐसा नहीं होने वाला है, बल्कि केंद्र की सत्ता को और मजबूत करने के लिए ही इन राज्यों में इतनी कवायद की गई है.

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह राजनीति के व्याकरण को ही बदल रहे हैं. वह व्याकरण यह है कि फैसला एक है, लेकिन उस के संदेश कई निकल रहे हैं. एक पौजिटिव संदेश यह निकला है कि पिछली कतार में बैठा संगठन के लिए काम करने वाला कार्यकर्ता भी किसी दिन बड़ा नेता बन कर मुख्यमंत्री की कुरसी पर बैठ सकता है, लेकिन इसे भाजपा में साल 2014 के बाद समयसमय पर लाई जा रही वीआरएस स्कीम भी माना जाना चाहिए.

अगर थोड़ा पीछे मुड़ कर देखा जाए, तो इसी स्कीम के शिकार भाजपा के बड़े मुसलिम चेहरे मुख्तार अब्बास नकवी और शहनवाज हुसैन के साथ बिहार में सुशील मोदी भी हुए थे. यह संदेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के लिए भी है, क्योंकि साल 2023 की राजस्थान और मध्य प्रदेश की जीत के बाद वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान मान कर चल रहे थे कि उन्हें तो कोई हटाने की हिम्मत ही नहीं करेगा, मगर वैसा हुआ नहीं.

राज्यों में भाजपा का शिवराज सिंह चौहान के कद का कोई नेता नहीं है, इसलिए भाजपा आलाकमान ने साल 2022 में उत्तर प्रदेश के घटनाक्रम को देखते हुए कोई जोखिम नहीं लेना चाहा. जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद नौकरशाह रहे अरविंद शर्मा से जिस तरह से पेश आए थे, किसी ने ऐसी कल्पना तक नहीं की थी, जबकि वसुंधरा राजे के तीखे तेवर और भाजपा नेतृत्व से टकराव के किस्से कोई नए नहीं हैं. साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के भाजपा की कमान संभालने से पहले भी वसुंधरा राजे अकसर भाजपा आलाकमान की परवाह न करते देखी गई हैं.

वसुंधरा राजे को हटा कर भाजपा नेतृत्व ने एक संदेश यह भी देने की कोशिश की है कि यह सब अब नहीं चलने वाला है. यहां तक कि नतीजे आने के बाद भी वसुंधरा राजे विधायकों की बाड़ेबंदी में सक्रिय दिखी थीं. आखिर में राजनाथ सिंह ने उन्हें कोई घुट्टी पिलाई और विधायक दल की बैठक में केंद्रीय नेतृत्व की ओर से भेजा गया एक लाइन का प्रस्ताव उन्हीं से पेश करवाया.

इन बदलावों के पीछे भाजपा का एक बड़ा मकसद यह भी है कि वह साल 2024 के आम चुनाव में विपक्ष को मंडल की राजनीति के दौर में नहीं लौटना देना चाहती है. वह 25 साल से सफलता का सूत्र बने कमंडल के साथ मंडल का तालमेल भी बैठना चाहती थी.

राजस्थान में भजन लाल शर्मा कमंडल के आइकन हैं तो मध्य प्रदेश में मोहन लाल यादव और छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय मंडल का झंडा बुलंद करेंगे. सत्ता संभालते ही तीनों मुख्यमंत्री मंडल और कमंडल को साधने में जुट गए हैं.

भाजपा ने हिंदुत्व के मुद्दे के साथसाथ क्या विपक्ष को जातिगत राजनीति में भी पीछे छोड़ दिया है? सनद रहे कि मंडल आयोग ने क्षेत्रीय पार्टियों और जातिगत पहचान से जुड़ी राजनीति को भी पंख दिए थे.

उत्तर प्रदेश और बिहार में राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड) जैसी पार्टियों का कद बढ़ा. राहुल गांधी समेत समूचा विपक्ष हर सभा में जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाते रहे हैं.

वैसे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस के जवाब में हर बार यही कहा कि देश में सिर्फ चार जातियां हैं- गरीब, किसान, महिला और युवा. आरोप भी लगाया कि विपक्ष जाति सर्वे के जरीए देश को बांटने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इसी का नाम है कि जो कहा और दिखाया जाता है वह असल में होता नहीं है.

भाजपा ने तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का चुनाव अलग तरीके से कर के यादव ओबीसी के बीच एक मजबूत आधार बना कर समाजवादी पार्टी और राजद के मुसलिमयादव गठजोड़ को साल 2024 के लिए सीधे चुनौती दी है.

आंकड़े बताते हैं कि मध्य प्रदेश में 50 फीसदी ओबीसी वोटर हैं. कहा जाता है कि मध्य प्रदेश में भाजपा की जीत में ओबीसी समुदाय के वोटरों की बड़ी भूमिका रही है, इसीलिए भाजपा ने यहां ओबीसी समुदाय के मोहन यादव को ही सीएम बनाया, लेकिन साथ में ब्राह्मण राजेंद्र शुक्ला और अनुसूचित जाति से आने वाले जगदीश देवड़ा को डिप्टी सीएम बना दिया.

राजेंद्र शुक्ला जो कभी कांग्रेसी हुआ करते थे, इस समय मध्य प्रदेश के सब से बड़े और जनाधार वाले ब्राह्मण नेता हैं. विंध्य क्षेत्र में उन की छवि विकास पुरुष की है. यही वजह है कि कभी कांग्रेस का गढ़ रहा विंध्य क्षेत्र चुनाव दर चुनाव भाजपा की कामयाबी की नई इबारत लिख रहा है. अर्जुन सिंह जैसे दिग्गज नेता के बेटे अजय सिंह को अपनी विरासत बचाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है.

सतना से भाजपा के कई बार के सांसद गणेश सिंह की हार को अपवाद माना जाना चाहिए. यह राजेंद्र शुक्ला का ही कमाल है कि ऐन चुनाव के समय कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवासन तिवारी के नाती सिद्धार्थ तिवारी को सिटिंग एमएलए का टिकट काट कर त्योंथर से जीता कर लाए.

वहीं छत्तीसगढ़ में आदिवासी इलाकों में मिली बढ़त को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने इसी समुदाय के विष्णु देव साय को सीएम पद दिया है. राजस्थान में भी पार्टी ने ब्राह्मण सीएम के साथ राजपूत और दलित समुदाय से आने वाले 2 डिप्टी सीएम भी नियुक्त कर दिए हैं. जाहिर है कि मोदीशाह की जोड़ी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं, जिस का असर 2024 के चुनाव में दिखना चाहिए, वह भी बिना किसी चुनौती के साथ.

मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने विधानसभा में आदिवासी नेता उमंग सिंगार को नेतृत्व सौंप कर मुकाबले की कोशिश की है, लेकिन यह देखना होगा कि वह विपक्षी साथियों के साथ कितना तालमेल बैठाती है.

24.75 करोड़ में बिक कर इस कंगारू ने बनाया इतिहास, यह कीवी खिलाड़ी हुआ फुस

हाल ही में वनडे का क्रिकेट वर्ल्ड कप भारत में खत्म हुआ था, जिस में भारत ने लगातार 10 मैच जीत कर दर्शकों का दिल अपने नाम कर लिया था, पर फाइनल मुकाबले में आस्ट्रेलिया ने भारत को आसानी से हरा कर खिताब अपने नाम कर लिया था. इस बार पैट कमिंस की अगुआई में वर्ल्ड कप खेल रही आस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम कागजों पर ज्यादा मजबूत नहीं दिख रही थी और सैमीफाइनल मुकाबले तक जाने की राह भी ज्यादा आसान नहीं दिख रही थी, पर जैसे ही वह सैमीफाइनल तक पहुंची, तो फिर उस ने अपना असली रंग दिखाते हुए भारत के रंग में भंग डाल दिया.

अब पैट कमिंस को उस जीत का आईपीएल की नीलामी में बहुत बड़ा इनाम मिला है. उन्होंने साढ़े 20 करोड़ रुपए में बिक कर नया इतिहास बना दिया है. सनराइजर्स हैदराबाद ने इतनी बड़ी रकम चुका कर उन्हें अपनी टीम में शामिल कर लिया है.

इस बार की नीलामी में पैट कमिंस का बेस प्राइस 2 करोड़ रुपए था. उन्हें खरीदने के लिए रौयल चैलेंजर्स बैंगलोर और सनराइजर्स हैदराबाद में बोली के दौरान काफी जद्दोजेहद हुई थी, जिस में सनराइजर्स हैदराबाद ने बाजी मारी.

पर अभी पिक्चर बाकी थी. इसी आस्ट्रेलियाई टीम के तेज गेंदबाज मिचेल स्टार्क को कोलकाता नाइट राइडर्स ने पौने 25 करोड़ रुपए में खरीद कर सब को चौंका दिया. वैसे तो आईपीएल का मतलब इंडियन प्रीमियर लीग है, पर जिस तरह से खिलाड़ियों पर पैसा बरसता है, इसे लोग ‘इंडियन पैसा लीग’ भी कहने लगे हैं.

19 दिसंबर, 2023 को दुबई के कोला एरिना हुई आईपीएल की बोली में न्यूजीलैंड के स्टार आलराउंडर डेरिल मिचेल को चेन्नई सुपर किंग्स ने 14 करोड़ रुपए की मोटी रकम दे कर खरीदा. डेरिल मिचेल का बेस प्राइस एक करोड़ रुपए था.

इसी तरह वैस्टइंडीज के तेज गेंदबाज अल्जारी जोसेफ पर रौयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने साढ़े 11 करोड़ रुपए की बोली लगाई और अपनी टीम में शामिल किया. उन का बेस प्राइस एक करोड़ रुपए था.

ऐसा पहली बार हुआ है जब देश के बाहर यह नीलामी की गई है. इस साल की मिनी औक्शन में कुल 333 खिलाड़ियों की नीलामी लगने वाली थी, जिस में 10 टीमों में कुल 77 जगहें भरी जानी थीं. इन में से 30 स्लौट विदेशी खिलाड़ियों के लिए थे.

एक टीम में ज्यादा से ज्यादा 25 खिलाड़ी और कम से कम 18 खिलाड़ी हो सकते थे, तो फ्रैंचाइजी अपनी सहूलियत के मुताबिक खिलाड़ी चुन सकते थे. इस नीलामी में उतरने वाले 333 खिलाड़ियों में से कुल 214 भारतीय और 119 विदेशी खिलाड़ी थे.

अगर भारतीय खिलाड़ी की बात करें तो भारतीय टीम के आलराउंडर हर्षल पटेल को पंजाब किंग्स ने पौने 12 करोड़ रुपए की मोटी रकम दे कर खरीदा. उन का बेस प्राइस 2 करोड़ रुपए था.

भारतीय टीम के तेज गेंदबाज उमेश यादव को गुजरात टाइटंस ने 5 करोड, 80 लाख रुपए में खरीदा. उन का बेस प्राइस 2 करोड़ रुपए था. नएनवेले खिलाड़ी शिवम मावी को लखनऊ सुपर जायंट्स ने 6 करोड़, 40 लाख रुपए में खरीदा.

इस बार न्यूजीलैंड के भारतीय मूल के आलराउंडर खिलाड़ी रचिन रविंद्र पर सब की निगाहें थीं और लग रहा था कि वे भी बिकने का कोई नया इतिहास बना देंगे, पर ऐसा हो नहीं पाया. 5 बार की आईपीएल चैंपियन चेन्नई सुपर किंग्स ने रचिन रविंद्र को एक करोड़, 80 लाख रुपए में खरीदा. उन का बेस प्राइस 50 लाख रुपए था. भारत के करन नायर, मनीष पांडे के अलावा आस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ, जोश हेजलवुड के साथसाथ दूसरे देशों के कई खिलाड़ियों को इस बार कोई खरीदार नहीं मिला.

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