Diwali 2022: अपनों के साथ मनाएं दीवाली

त्योहार अपनों के साथ मिल कर मनाने में ही आनंद मिलता है, फिर चाहे आप कितने भी दूर क्यों न रह रहे हों. आप अपने करीबियों से त्योहार में मिलते हैं तो वे मीठे पुराने पल फिर से याद आते हैं जिन्हें आप ने कभी साथ में जिया था.

आज सुबहसुबह अंकित के पास मां का फोन आया. मां ने बड़े प्यार से उसे घर पर बुलाया तो अंकित चिढ़ता हुआ बोला,

‘‘नहीं मां, मैं नहीं आ पाऊंगा. औफिस में इतना सारा काम है. वैसे ही सब संभालना मुश्किल हो रहा है. आने का प्लान बनाया तो आनेजाने में 4 दिन बरबाद हो जाएंगे.’’

मां खामोश रह गई और उस ने फोन काट दिया. वह सोचने लगा एक तो दीवाली के समय काम इतना ज्यादा होता है, दूसरे, घरवाले बुलाने लगते हैं. उसे याद आया कि कैसे पिछले साल उस के पिता ने उसे बुलाने के लिए फोन किया था तब भी उस ने मना कर दिया था, मगर इस साल तो पिताजी गुजर चुके हैं, इसलिए मां ने फोन किया. तभी उसे खयाल आया कि कैसे एक साल में जिंदगी बदल जाती है.

पिताजी हर साल कितने प्यार से उसे दीवाली पर घर बुलाते थे पर अब वे हैं ही नहीं. वह अब उन से कभी मिल नहीं पाएगा. अब मां बुला रही हैं. कल को क्या जाने कहीं अचानक वे भी बुलाने के लिए न रहीं तो, अचानक यह खयाल आते ही उस ने मन ही मन फैसला किया कि उसे जाना है.

पिताजी के जाने के बाद वह सम झ चुका था कि जिंदगी बहुत छोटी होती है. अपनों के साथ जितना वक्त गुजार लो, वे ही सब से खूबसूरत लमहे होते हैं. बहन प्रिया भी शादी के लायक है. अगले साल तक शादी कर के वह अपने घर चली जाएगी. फिर वह दीवाली का त्योहार मनाने भाइयों के पास कहां आ पाएगी.

अंकित ने तुरंत अपने भाई कुशल को फोन किया जो बेंगलुरु में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था. फोन कर के वह भाई से बोला, ‘‘इस बार दीवाली में घर चलते हैं.’’

‘‘अरे नहीं भैया, मैं नहीं जा पाऊंगा. एग्जाम आने वाले हैं.‘‘

‘‘कुशल, मैं कह रहा हूं न, आ जा मां के लिए. मां अकेली है. तू घर आ जा, बस. मैं कुछ नहीं सुनूंगा. मैं भी जा रहा हूं.’’

कुशल सहमति देता हुआ बोला, ‘‘ठीक है भैया, मैं भी आ रहा हूं.’’

दीवाली से 2 दिनों पहले जब चुपके से कुशल और अंकित दरवाजा खोल कर अंदर दाखिल हुए तो मां और छोटी बहन प्रिया खिलखिला कर हंस पड़ीं. मां ने दौड़ कर दोनों बच्चों को सीने से लगा लिया. उन की आंखों से खुशी के आंसू बह रहे थे.

वह दीवाली बहुत खूबसूरत गुजरी. मां ने तरहतरह के पकवान बनाए. अंकित प्रिया के लिए खूबसूरत सी ड्रैस ले कर आया था जिसे दीवाली के दिन पहन कर वह शहजादी लग रही थी. मां की खुशी की सीमा न थी. पति के जाने के गम में वह इतने महीने तक मुसकराई नहीं थी. मगर दीवाली के नाम पर बच्चों के एकसाथ आ जाने से उस की जिंदगी में खुशियां जैसे फिर से लौट आई थीं.

मिल कर दीवाली मनाने के फायदे

आप त्योहार का असली मजा तभी ले पाते हैं जब अपनों के साथ होते हैं. इस से किसी भी त्योहार में जो खूबसूरती और रंगत आती है वह बड़े शहरों में अकेले एक या दो कमरे के फ्लैट में सिमट कर बैठे रहने से नहीं मिल सकती. मांबाप का प्यार, मां के हाथों की मिठाइयां, पिता की प्यारीप्यारी  िझड़कियां, भाईबहनों की मीठीमीठी लड़ाइयां और प्यारभरी बातें त्योहार का आनंद कई गुना बढ़ा देती हैं.

यह वो खुशी है जो और किसी भी तरह नहीं मिल सकती. भले ही आप की शादी हो जाए, बच्चे हो जाएं, आप करोड़ों कमा लें या फिर सफलता का आसमान छू लें मगर तब भी आप मांबाप, भाईबहन के साथ त्योहार मनाने की खूबसूरत यादें नहीं मिटा पाएंगे.

त्योहार एकसाथ मिल कर मनाने से प्यार बढ़ता है. आप को यह सम झ आता है कि आप इन लोगों के साथ कितने प्यारे से बंधन में बंधे हुए हैं. आप का आत्मविश्वास बढ़ता है. किसी भी चीज को देखने और महसूस करने का सकारात्मक रवैया मिलता है. जैसेजैसे इंसान बड़ा होता जाता है और अपनों से दूर होता जाता है, वैसेवैसे पुरानी बातें त्योहारों के मौके पर ही याद आती हैं.

आप जब अपने हाथों से पूरे घर को दीपों से सजाएंगे और खूबसूरत लाइटिंग कर के अपने जगमगाते घर के साथसाथ मांबाप के मुसकराते चेहरे को देखेंगे तो उन पलों को कभी नहीं भूल सकेंगे. दीवाली के दिन अपनों को गिफ्ट्स दे कर जो खुशी मिलती है वह खुद के लिए हजारों की शौपिंग कर के भी नहीं मिलती.

दीवाली में जब आप घरवालों के साथ होते हो तो रिश्ते को एक नया ठहराव मिलता है. आपसी प्यार और विश्वास की नींव मजबूत होती है. जीवन में सही माने में नया सवेरा आता है. इसलिए जब भी मौका मिल रहा हो, इस मौके को न गंवाए. कोई नहीं जानता, आगे जिंदगी में क्या होगा, इसलिए यादगार लमहों का कारवां इकट्ठा करते जाइए.

हमेशा घरवालों के साथ ही दीवाली मनाएं. औफिस का काम ज्यादा है या एग्जाम की तैयारी करनी है तो इस में भी कोई समस्या नहीं है. आप कुछ दिनों पहले से ज्यादा मेहनत शुरू कीजिए ताकि समय आने पर जिम्मेदारी निभा कर घर के लिए निकल सकें और कोई बहाना न बनाते हुए रिलैक्स हो कर घरवालों के साथ दीवाली मना सकें.

Diwali 2022: दीवाली कभी पति के घर कभी पत्नी के मायके

मधु की शादी के बाद की पहली दीवाली थी. ससुराल में सब खुश थे. पूरे घर में चहलपहल थी. घर में नई बहू आई थी, सो ननद परिवार समेत दीवाली सैलिब्रेट करने आई थी. मधु ससुराल वालों की खुशी में खुश थी मगर उस के मन के एक कोने में मायके के सूने आंगन का एहसास कसक पैदा कर रहा था. वह एकलौती बेटी थी. शादी के बाद उस के मांबाप अकेले रह गए थे. मां की तबीयत ठीक नहीं रहती थी. वैसे भी, पहले पूरे घर में उस की वजह से ही तो रौनक रहती थी. अब उस आंगन में कौन दौड़दौड़ कर दीये जलाएगा, यह एहसास उस के दिल के अंदर एक खालीपन पैदा कर रहा था.

मधु ने पति से कुछ कहा तो नहीं, मगर उस के मन की उदासी पति से छिपी भी न रह सकी. पति ने मधु से रात 9 बजे के करीब कार में बैठने को कहा. मधु हैरान थी कि वे कहां जा रहे हैं. गाड़ी जब उस के मायके के घर के आगे रुकी तो मधु की खुशी का ठिकाना न रहा. घर में सजावट थी पर थोड़ीबहुत ही. वह दौड़ती हुई अंदर पहुंची. मां बिस्तर पर बैठी थीं और पापा किचन में कुछ बना रहे थे. अपनी लाड़ली को देखते ही दोनों ने उसे गले लगा लिया. बीमार मां का चेहरा खुशी से दमकने लगा. दोनों करीब 1 घंटे वहां रहे. घर को रोशन कर जब वापस लौटे तो मधु का दिल पति के प्रेम में आकंठ डूबा हुआ था.

खुशियों के त्योहार दीवाली का आनंद पूरे परिवार के साथ मनाने में आता है.  एक लड़की के लिए उस का मायका और ससुराल दोनों ही महत्त्वपूर्ण होते हैं.  शादी के बाद उसे अपनी ससुराल में ही दीवाली मनानी होती है और तब वह अपनी मां के हाथों की मिठाई व भाईबहनों की चुहलबाजियां बहुत मिस करती है.  आज जबकि परिवार वैसे ही काफी छोटे होते हैं, दीवाली में सब के साथ मिल कर ही खुशियां बांटी जा सकती हैं.

शरीर से स्त्री भले ही ससुराल में हो  पर उस के मन का कोना मायके की याद में गुम रहता है. क्यों न इस दीवाली की रोशनी हर आंगन में बिखेरें. कभी पति की ससुराल तो कभी पत्नी की ससुराल खुशियों से आबाद करें.

कहां मनाएं दीवाली

आमतौर पर शादी के बाद की पहली दीवाली रिश्तों को बनाने और उन्हें रंगों से सजाने में खास महत्त्वपूर्ण होती है. यह दिन ससुराल में ही बीतना चाहिए ताकि नई बहू के आने की खुशी दोगुनी हो जाए. पर ध्यान रहे आप की बहू किसी घर की बेटी भी है. वह आप के घर में रौनक ले कर आई है पर उस का मायका सूना हो चला है. तो क्यों न पत्नी के मायके को भी नए दामाद के आने की खुशी से रोशन किया जाए.

यदि पत्नी का मायका और ससुराल एक ही शहर में हैं तो दोनों परिवार मिल कर भी दीवाली मना सकते हैं. इस से दोनों परिवारों को आपस में घुलनेमिलने का मौका मिलेगा और बच्चे भी दोनों परिवारों से जुड़ सकेंगे. दोनों घरों की खुशियों के लिए यह भी किया जा सकता है कि पतिपत्नी दोचार घंटे के लिए बच्चों को नानानानी के पास छोड़ आएं.

यदि दोनों घर अलगअलग शहरों में हैं तो पतिपत्नी बच्चों को ले कर एक दीवाली ससुराल में तो दूसरी मायके में मना सकते हैं.

आजकल कई घरों में एकलौती  बेटियां होती हैं. ऐसे में लड़की के मायके वाले यानी उस के मांबाप को भी हक  है कि वे अपनी बेटी और उस के बच्चों के साथ अपने जीवन की खुशियां बांटें.

जब पति दीवाली में अपनी ससुराल जाए तो दामाद के बजाय बेटे की तरह जाए.  अपनी आवभगत  कराने के बजाय इस बात का खयाल ज्यादा रखे कि सासससुर के लिए तोहफा क्या ले जाना है या मिठाइयों, कपड़ों, पटाखों और सजावटी सामानों का बढि़या इंतजाम कैसे किया जाए या घर को इस दिन कैसे अधिक खूबसूरत बनाया जाए या फिर सासससुर के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं कैसे दूर की जाएं.

पति की ससुराल का अर्थ है पत्नी के मांबाप का घर. जब पत्नी पति के मांबाप को अपने मांबाप और उस के घर को अपना घर मान सकती है तो पति क्यों नहीं? आखिर मांबाप तो लड़के के हों या लड़की के, उतने ही प्यारदुलार और केयर के साथ अपने बच्चों का पालनपोषण करते हैं. तो क्या लड़की के मांबाप को  बुढ़ापे में अपने बच्चों का प्यार और साथ पाने का हक नहीं है?

झगड़े दूर करें

यदि किसी बात को ले कर दोनों घरों में किसी भी तरह का मनमुटाव है तो दीवाली के मौके पर उसे जरूर दूर कर दें. परस्पर आगे बढ़ने और खुशियों को बांटने से ही जीवन सुखद बनता है.

Diwali 2022: जीवनसाथी के साथ स्वस्थ और मस्त दीवाली

रोशनी का त्योहार दीवाली यानी चारों ओर जगमगाहट, घर की खास साजसजावट की तैयारियां, दोस्तों, रिश्तेदारों के लिए उपहारों की खरीदारी, खानपान में सबकुछ खास. आप कहेंगे ये सब तो हम हर साल ही करते हैं, इस में नया क्या है. आप ने सही कहा, ये सब तो आप हर साल ही करते हैं. इसीलिए इस दीवाली इस सब के अलावा आप की दीवाली को स्वस्थ और मस्त बनाने के लिए हम आप को कुछ ऐसा करने को कह रहे हैं कि जिस से आप की दीवाली रोशन होने के साथसाथ यादगार भी बन जाएगी. आइए आप को बताते हैं कि आप को क्या करना और कैसे करना है.

दिन को करें रोशन

दीवाली की सारी तैयारियों, मेहमानों की आवभगत और अन्य कामों के बीच आप को निकालने हैं अपने लिए दिन के 2 घंटे और इस 2 घंटे में आप के साथ सिर्फ और सिर्फ होंगे आप के पति. उस दौरान आप दोनों के बीच और कोई नहीं होगा. यकीन मानिए इन 2 घंटों में बिताए गए एकदूसरे के साथ के अंतरंग पल हमेशा के लिए यादगार पल बन जाएंगे. दूसरे लोगों के लिए तो दीवाली रात को रोशन होती है लेकिन आप दोनों के लिए आप का दिन भी एकदूसरे के साथ बिताए खुशनुमा लमहों से रोशन हो जाएगा.

आइए, जानते हैं अंतरंग पलों के इस खास साथ के लिए आप को क्या खास तैयारी करनी है :

डैकोरेशन :  वह जगह जहां आप को एकदूसरे के साथ 2 घंटे बिताने हैं, दिन को रोशन करना है, खास होना चाहिए, इसलिए उसे डैकोरेट करें.

रोशनी से जगमगाए कमरा : पूरे कमरे को सैंटेड ऐरोमैटिक कैंडल्स की रोशनी से सराबोर कर दें. कमरे के हर कोने को जगमगाती कैंडल्स से सजाएं. आप चाहें तो कमरे में हार्टशेप्ड पेपर लैंटर्न भी लगा सकते हैं. जिस से छन कर आती रोशनी आप के प्यार भरे पलों को और रोमांच से भर देगी.

महके कमरे का हर कोना : कमरे को रोमानी बनाने के लिए कमरे को ताजे लाल गुलाब, कारनेशन व रजनीगंधा के फूलों से सजाएं. इस महकते कमरे को देख कर आप को यकीनन अपनी सुहागरात यानी फर्स्ट नाइट याद आ जाएगी और साथ ही याद आ जाएंगे पहले के एकदूसरे के साथ बिताए अंतरंग पल.

फर्निशिंग : कमरे के बैडकवर, परदे, कुशंस सभी हों सिंबल औफ लव वाले यानी जिन्हें देखते ही आप एकदूसरे में खो जाएं. रैड हार्टशेप्ड वाले कुशंस, रैड इरोटिक इमेजवाला बैडकवर आप का मूड बनाने करने में मदद करेगा.

खुद भी चकमें दमकें : घर की साजसजावट तो आप ने अच्छे से कर ली, अब बारी है आप दोनों के सजनेसंवरने की. इन खास पलों के लिए खुद का सौंदर्यीकरण करवाएं. चाहें तो पार्लर या स्पा जा कर खुद को रिफ्रैश करें. इस से आप नई ताजगी से भरपूर होंगे. इन सब तैयारियों से आप दोनों का प्यार एकदूसरे के लिए दोगुना हो जाएगा और आप दोनों एकदूसरे की खूबसूरती में खो जाएंगे. साथ ही, उन खास पलों के लिए हौट सैक्सी लिंगरी की शौपिंग करना न भूलें.

फूड से बनाएं मूड :  उन 2 घंटों के साथ के लिए कुछ स्पैशल फूड, जैसे चौकलेट, चौकलेट केक, आइसक्रीम, रंगबिरंगे मौकटेल तैयार रखें. ध्यान रहे, खाने की सभी चीजें ऐसी हों कि आप दोनों के दिल की बात फूड के जरिए एकदूसरे तक पहुंच जाए और आप उन पलों का भरपूर मजा ले सकें.

रोमांटिक नोट्स :  एकदूसरे के साथ इन पलों को रोमांटिक बनाने के लिए कमरे में जगहजगह रंगबिरंगे पेपर्स पर एकदूसरे के लिए रोमांटिक मैसेजेस वाले लवनोट्स लिख कर रख दें. इन्हें पढ़ कर प्यार के ये पल और मस्तीभरे हो जाएंगे. ऐसा कर के एकदूसरे को सरप्राइज करें. ये लवनोट्स आप दोनों को सैक्सुअल प्लेजर देने का काम करेंगे.

एकदूसरे में खो जाएं : सामान्य दिनों से अलग आप ने अपने मिलन की खास तैयारी तो कर ली जहां कोई आप को डिस्टर्ब नहीं करेगा. आप दोनों पूरे 2 घंटे तक एकदूसरे के साथ रहेंगे. अब इन लमहों को खास बनाने के लिए अपनाएं ये टिप्स-

शुरुआत करें छेड़छाड़ से :  सैक्सोलौजिस्ट मानते हैं कि जहां प्यार में छेड़छाड़ होती है वहां प्यार अधिक गहरा होता है. इसलिए सैक्स की शुरुआत छेड़छाड़ और फ्लर्टिंग से करें ताकि सैक्स का पूरा फायदा उठाया जा सके. पतिपत्नी के बीच सैक्स से पहले फ्लर्टिंग उन के उत्साह को बढ़ाती है जिस से सैक्स करते समय बोरियत नहीं होती और नयापन बना रहता है. छेड़छाड़ के दौरान पत्नी को चाहिए कि वह पति को अपनी अदाओं से रिझाए ताकि पति खुल कर इस मौके का लुत्फ ले सके. आप चाहें तो इस दौरान अपने खुशनुमा सैक्स पलों को याद कर सकते हैं या फिर कोई शौर्ट रोमांटिक मूवी साथ में देख सकते हैं ताकि सैक्स के लिए मूड बन सके. ध्यान रहे, इस दौरान आप दोनों का ध्यान पूरी तरह एकदूसरे पर ही रहे व आप इधरउधर की बातों के बजाय सिर्फ और सिर्फ सैक्स व रोमांस की बातें करें. सैक्स गेम खेलें और खुल कर मजा लें. आंखों ही आंखों में बातें करें ताकि साथ में बिताए ये पल हमेशा के लिए आप दोनों की यादों में बस जाएं.

हर पल को रोमानी बनाएं : चूंकि आप दोनों एकदूसरे से अनजान नहीं हैं, इसलिए बिना समय गंवाए एकदूसरे के जिस्म के हौट पार्ट्स के साथ खेलें और प्यार के उन पलों को यादगार बनाएं. प्यार के उन पलों में जब आप एकदूसरे के साथ हों तो ध्यान रखें आप किसी और चीज के बारे में न सोचें और जीभर एकदूसरे को सैक्सुअल प्लेजर दें.

दीवाली के दिन 2 घंटों का प्यारभरा यह साथ न केवल आप के आपसी रिश्तों को खुशनुमा बनाएगा बल्कि आप की दीवाली को यादगार भी बना देगा. दीवाली को नए तरह से मनाने का यह तरीका आप दोनों की बोरियतभरी जिंदगी में प्यार की फुलझडि़यां जलाएगा और आप के सैक्सुअल रिश्तों को नएपन की मिठास से भरेगा.

तो फिर, तैयार हैं न आप, दीवाली की रात में, नहींनहीं दिन में, हमतुम एक कमरे में बंद हों… गुनगुनाते हुए स्पैशल तरीके से एकदूसरे के साथ दीवाली मनाने के

लिए. हमें पूरा विश्वास है कि इस अनोखे तरीके से दीवाली मनाने के बाद आप हमें मन ही मन थैंक्स जरूर कहेंगे.

Diwali 2022: अबकी दीवाली मनाएं कुछ हट के

संध्या हर साल दीवाली का त्योहार अपने परिवार के साथ ही मनाती थी. वही शाम को पूजा-अर्चना, फिर घर-बाहर की दीया-बत्ती, पटाखे, खाना-पीना, पड़ोसियों-दोस्तों में मिठाईयों का आदान-प्रदान और बस लो मन गयी दीवाली. एक बारं संध्या कम्पनी के काम से लालपुर गयी थी. जिस औफिस में उसको काम था, उसके बगल वाली बिल्डिंग के लौन में उसने बहुत सारे नन्हें-नन्हें बच्चों को खेलते देखा था. पहले तो उसको लगा कि कोई छोटा-मोटा स्कूल है, मगर वहां लगे एक धुंधले से बोर्ड पर जब उसकी नजर पड़ी तो पता चला कि वह एक अनाथाश्रम है. लंच टाइम में फ्री होने पर संध्या उस अनाथाश्रम को देखने की इच्छा से भीतर चली गयी. दरअसल बच्चों के प्रति उसका खिचांव ही उसे वहां ले गया. बरसों से उसकी कोख सूनी थी. शादी के दस साल तक एक बच्चे की चाह में उसने शहर के हर डौक्टर, हर क्लीनिक के चक्कर लगा डाले थे, हर तरह की पूजा-पाठ कर ली थी, मगर उसकी मुराद पूरी नहीं हुई. धीरे-धीरे उसने अपना मन काम में लगा दिया और उसकी मां बनने की इच्छा कहीं भीतर दफन हो गयी. मगर उस दिन उन छोटे-छोटे बच्चों को लॉन में खेलता देख उसकी कामना फिर जाग उठी.

अनाथाश्रम में जीरो से सात सात तक के कोई पच्चीस बच्चे थे. बिन मां-बाप के बच्चे. जिन्हें पता ही नहीं कि परिवार क्या होता है. मां-बाप का प्यार क्या होता है. वे तो यहां बस आयाओं के रहमो-करम पर पल रहे थे. उनके इशारे पर उठते-बैठते, सोते-जागते और खेलते-खाते थे. संध्या ने देखा कि कुछ बच्चे यहां-वहां पड़े रो रहे थे, मगर उनको उठा कर छाती से चिपकाने वाला कोई नहीं था. आयाएं अपनी बातों में मशगूल थीं. संध्या ने अनाथाश्रम चलाने वाले के बारे में पूछा तो पता चला कि वह शनिवार को आते हैं और दोपहर तक रहते हैं. बाकी दिनों में अनाथाश्रम का सारा जिम्मा वहां काम करने वाली चार आयाएं ही उठाती थीं.

उस दिन के बाद से संध्या अक्सर ही उस अनाथाश्रम में जाने लगी थी. वह जगह उसके घर से ज्यादा दूर नहीं थी. एक शनिवार जाकर वह अनाथाश्रम के मालिक से भी मिल आयी थी और उन्होंने संध्या के वहां आने और बच्चों के साथ वक्त गुजारने पर कोई आपत्ति भी नहीं जाहिर की थी. दरअसल संध्या एक बड़ी कम्पनी में अच्छी पोस्ट पर काम कर रही थी. जिसका हवाला देने पर अनाथाश्रम के मालिक पर काफी प्रभाव पड़ा था. जब संध्या ने उनसे कहा कि वह बच्चों की जरूरत की चीजें डोनेट करना चाहती है, तो यह सुनकर वह खुश हो गये थे. संध्या जल्दी ही उन नन्हें-नन्हें बच्चों के साथ घुलमिल गयी थी. संडे की शाम तो वह उन बच्चों के लिए ही खाली रखने लगी थी और बच्चे भी उसके आने का इंतजार करते थे क्योंकि वह जब भी आती थी उनके लिए चॉकलेट्स, बिस्कुट, फल और चिप्स आदि के ढेर सारे पैकेट्स लेकर आती थी.

दीवाली आने वाली थी. संध्या ने अबकी दीवाली अलग तरह से मनाने का फैसला किया था. अपनी योजना से उसने जब अपने पति और परिवार के दूसरे सदस्यों को अवगत कराया तो वह भी खुशी-खुशी उसके फैसले में शामिल हो गये. योजना था कि इस बार की दीवाली सपरिवार अनाथाश्रम के बच्चों के साथ मनाएंगे. संध्या की ननद तो उनकी योजना के बारे में सुनकर खुशी से नाच उठी. हर साल एक जैसी दीवाली मनाने से यह योजना बहुत हट कर थी. दीवाली के दो दिन पहले ही संध्या और उसकी ननद बाजार से ढेर सारे पटाखे, दीये, मिठाइयां, चौकलेट्स, फल आदि खरीद लाये थे. दीवाली के साथ-साथ जाड़ा भी दस्तक दे देता है, इसको देखते हुए संध्या ने छोटी-छोटी पच्चीस दुलाइयां भी खरीद ली थीं. वहां की आयाओं के लिए साड़ियां और मिठाइयां अलग से पैक करवा ली थीं. घर के दूसरे सदस्यों ने भी संध्या की योजना में खूब हाथ बंटाया. दीवाली वाले दिन जब संध्या की सास ने उसके सामने एक बड़ा सा बैग खोला तो उसमें चार-पांच कम्बल, नन्हें-नन्हें मोजे, टोपे, स्वेटर्स, तौलिये, पाउडर के डिब्बे, सोप वगैरह देखकर तो संध्या खुशी के मारे अपनी सास के गले लग गयी. इन सब चीजों की तो उन बच्चों को बहुत जरूरत थी. पता नहीं मां और बाबू जी कब चुपके-चुपके जाकर इतनी सारी खरीदारी कर आये थे. संध्या के पति ने भी कमाल कर दिया. शौपिंग से हमेशा दूर रहने वाले पतिदेव टोकरी भर के खिलौने खरीद लाए थे.

दीवाली वाले दिन शाम को तीन बजे संध्या का पूरा परिवार सारे सामान के साथ अनाथाश्रम की ओर रवाना हो गया. अनाथाश्रम के गेट पर जैसे ही संध्या की गाड़ी रुकी, अन्दर शोर सा मच गया – संध्या दीदी आ गयीं, संध्या दीदी आ गयीं चिल्लाते एक आया भागती हुई गेट पर पहुंच गयी. उसके पीछे कई बच्चे भी भागते आये. सारे आकर संध्या से लिपट गये. संध्या के सास-ससुर, पति और ननद यह नजारा देखकर भावुक हो उठे. संध्या ने सबका परिचय वहां के लोगों से करवाया. उस दिन अनाथाश्रम के मालिक भी अपने परिवार के साथ वहां उपस्थित थे. सबने मिलकर पूरे अनाथाश्रम में दीये और मोमबत्तियां लगायीं. बच्चे तो इतने सारे लोगों को अपने बीच देख कर बेहद उत्साहित थे. संध्या ने सारे बच्चों को इकट्ठा करके एक मजेदार कहानी भी सुनायी. फिर कई तरह के खेल खेले गये. बच्चों को जब उनके मनपसंद तोहफे मिले तो वह खुशी से झूम उठे. किसी को गुड़िया, किसी को बत्तख, किसी को बंदर तो किसी को हाथी. बच्चे एक दूसरे को अपने खिलौने दिखाते घूम रहे थे. आज पूरा अनाथाश्रम खुशी के अलग ही रंग में रंगा हुआ था. बच्चे संध्या को छोड़ते ही न थे. कोई उसकी गोद में बैठा चौकलेट खा रहा था तो कोई उसकी पीठ पर झूल रहा था. संध्या की ननद भी जब से आयी थी उनके साथ खेलने में मशगूल थी. शाम को सबने एक साथ मिलकर दीवाली की पूजा की. फिर पटाखों का डिब्बा निकाला गया और बाहर के लौन में खूब जम कर पटाखे छुड़ाए गये. खूब रोशनी की गयी. बड़े बच्चों के हाथों में फुलझड़ियां भी दी गयीं. बच्चों को मिठाइयां, फल और चौकलेट्स बांटे गये. सच पूछो तो अबकी दीवाली संध्या के परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि अनाथाश्रम के बच्चों, आयाओं और उसके मालिक के लिए भी बिल्कुल नयी और अनोखी थी.

रात को सबने इकट्ठा होकर खाना बनवाने में मदद की और खाने के बाद जब संध्या ने बच्चों के लिए लाए जरूरी सामान का बैग खोला तो अनाथाश्रम के मालिक भावुक होकर बोल पड़े – बहनजी, अगर शहर के कुछ अन्य लोग भी आपकी तरह का दिल रखते तो यह बच्चे अनाथ न कहलाते. हम अपनी हैसियत भर जो हो सकता है, इन बच्चों के लिए करते हैं मगर वह कम ही पड़ता है. जिस तरह आप इन बच्चों से जुड़ी हैं, इनको अपनापन दिया है, इनकी जरूरतों को समझा है, ऐसा कोई कोई ही समझता है. अपना त्योहार हमारे इन बच्चों के साथ मनाना बहुत बड़ी बात है और आप इनके लिए जो तोहफे और जरूरत का सामान लायी हैं वह हमारे लिए बहुत बड़ी मदद है.

तब से संध्या हर साल दीवाली और होली इन्हीं नन्हें-मुन्नों के साथ मनाती है और इसमें हर साल उसके परिवार वाले भी शामिल होते हैं. क्या आपका दिल नहीं चाहता रुटीन से हट कर कुछ करने का? किसी के चेहरे पर मुस्कान बिखेरने का? सच्ची और असली खुशी पाने का? अगर करता है तो अपने खींचे हुए दायरों से बाहर निकलें. घर से बाहर निकलें. अपने आसपास नजर डालें. कितने वृद्धाश्रम हैं जहां मौत की कगार पर बैठे बूढ़ों की बुझती आंखों में आप अबकी त्यौहार में खुशियों की चमक पैदा कर सकते हैं. कितने अनाथाश्रम हैं जहां बच्चों को एक पैकेट फुलझड़ी की देकर आप उनकी खुशियों को आसमान पर पहुंचा सकते हैं. अगर यह न कर सकें तो देखें अपनी कॉलोनी के गार्ड को, अपनी मेड को, अपने रिक्शेवाले को, अपने ड्राइवर को… क्या इस दीवाली उनके बच्चों के लिए छोटा सा उपहार देकर आप उनके परिवार में थोड़ी सी खुशी भेज सकते हैं… अगर हां, तो इतना ही कर दीजिए… मगर इस दीवाली कुछ हट कर जरूर करिये…

Diwali 2021: चांद सा रोशन चेहरा

दीवाली पर सजनेसंवरने की उमंग आप में भी जगने लगती होगी. तो फिर देर किस बात की. दीवाली की जगमगाहट में आप के चेहरे का नूर कर देगा सब को हैरान. कैसे, बता रही हैं आभा यादव.

महिलाएं हमेशा से ही सजधज कर खूबसूरत दिखना चाहती हैं पर त्योहारों का मौसम आते ही उन में सजनेसंवरने की उमंगें ज्यादा ही उठने लगती हैं और जब दीवाली का त्योहार हो तो बात ही क्या, प्रकाशोत्सव उन्हें कुछ नया करने को प्रेरित करता है ताकि वे उस दिन लगें निखरीनिखरी और बहुत खूबसूरत.

ब्यूटी ट्रीटमैंट : रोशनी के त्योहार का रोशन चेहरे के साथ स्वागत करें. मेकअप ऐक्सपर्ट रेनू महेश्वरी का कहना है कि दीवाली पर खूबसूरत दिखने के लिए त्योहार से 1 महीना पहले ब्यूटी ट्रीटमैंट लेना चाहिए. फिर 15 दिन के बाद दोबारा ट्रीटमैंट लें. सब से पहले चेहरे की क्लीनिंग के लिए औक्सी फेसवाश का प्रयोग करें. यह फेसवाश चेहरे की सफाई के साथसाथ चेहरे पर नमी भी प्रदान करता है. इस मौसम में स्किन शुष्क होने लगती है. इसलिए मौश्चराइजिंग वाले प्रोडक्ट प्रयोग करने चाहिए. इस के अलावा अपनी त्वचा के स्वभाव को जानें कि वह किस प्रकार की है, उसी के अनुसार प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें. त्वचा को पोषण देने के लिए फेशियल करवाएं.

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फेशियल : कुछ फेशियल त्वचा की गहराई से सफाई करते हैं, चेहरे की धूलमिट्टी को आसानी से बाहर निकाल कर नए कोशों को विकसित करने में मदद करते हैं तो कुछ त्वचा पर उम्र के बढ़ते प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं. पर किसी भी फेशियल में स्ट्रोक्स बहुत महत्त्वपूर्ण है. अगर उचित तरीके से स्ट्रौक्स करना न आता हो तो ऐंटीक्लाकवाइज स्ट्रौक्स खुद कर सकते हैं. वैसे इसे एक ऐक्सपर्ट ही कर सकता है कि किस चेहरे की किनकिन जगहों पर प्रैशर पौइंट देने हैं. सही स्ट्रोक्स व प्रैशर पौइंट से रक्त संचार बढ़ने के साथसाथ थकान भी उतर जाती है, जिस से आप और भी ताजा महसूस करेंगी. फेशियल मसाज क्रीम बादाम व शहद वाली ही इस्तेमाल करें. ये त्वचा को अच्छा पोषण देती हैं.

डेविस ग्लो किट (इंस्टाग्लो) : मार्केट में फेशियल की तरहतरह की किट हैं पर डेविस ग्लो किट में चिनार की जड़ को डालते हैं जिस से त्वचा गोरी होती है. इस में नीबू, संतरे और गन्ने के रस का मिश्रण होता है. गन्ने का रस त्वचा को मौश्चराइज करता है. नतीजतन, त्वचा को अतिरिक्त विटामिन मिलता है और त्वचा शुष्क नहीं होती है. दीवाली के मौसम में एलोवीरा का प्रयोग भी करें. इस में रौयल जैली व शहद दोनों चीजें मिला कर त्वचा पर लगाएं. यह त्वचा में मिनरल की कमी को पूरा करता है, जींस और हार्मोंस को पुन: उत्पन्न करता है और वसा के स्तर को कम करता है.

घरेलू टिप्स : केला, पपीता, संतरा, खीरा व टमाटर में से किसी को भी कद्दूकस कर के उस में नीम व तुलसी के पत्तों को पीस कर साथ में शहद मिला लें. फिर अपने हाथपैर पर 10 मिनट लगा कर रखें. फिर गुलाबजल या सादे पानी से हलके हाथों से साफ कर लें. यह त्वचा के लिए ऐंटीसैप्टिक का काम करता है.

बौडी पौलिश्ंिग : जब त्वचा शुष्क होने लगे तो मसाज करें. त्वचा में नमी बनी रहेगी. कौन सी त्वचा पर कैसी मसाज करनी है, यह जानना जरूरी है. जिन की त्वचा औयली हो या दाने निकले हों उन्हें ‘जैल मसाज’ करनी चाहिए. त्वचा के सूखेपन से छुटकारा पाने के लिए क्रीम में हलदी मिला लें. ऐसा करने से त्वचा जल्दी ठीक होगी. हलदी का रस निकाल कर क्रीम में मिलाएं, फिर इस्तेमाल करें.

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गोल्ड पौलिश्ंिग : आजकल केसर और गोल्ड डस्क मिली हुई पौलिश्ंिग किट बाजार में उपलब्ध है. इस में आयुर्वेदिक प्रोडक्ट होते हैं. इस की मसाज से बौडी में चमक आती है, साथ ही इस में विटामिन ‘ई’ और बादाम का तेल मिला हुआ होता है. इस की मसाज से मृत त्वचा बाहर निकल जाती है और बौडी में लंबे समय तक चमक बनी रहती है. यह मसाज 10 मिनट तक करें. तैलीय त्वचा के लिए चौकलेट जैल मसाज करें. जिन को बौडी में चमक नहीं चाहिए वे चौकलेट मसाज करवाएं.

यदि केले और क्रीम को लगा रही हैं तो लगाने के बाद बालों को कपड़े या फौइल पेपर में लपेट कर रखें. इस से परिणाम अच्छा आता है और बालों को अच्छी तरह से पोषण मिलता है. आप चाहें तो मेथीदाने को पीस कर दही में मिला कर बालों में लगा सकती हैं. इस से बाल काले व चमकदार दिखेंगे. बालों में विटामिन ‘ई’ की मालिश करें. तेल गुनगुना कर के हर 15 दिन में लगाएं. इस से बालों में नई जान आ जाएगी.

इस तरह इस बार दीवाली के अवसर पर दीए ही नहीं आप का चेहरा भी रोशन होगा. ऐसे में आप को दीवाली का भरपूर मजा उठाने में कुछ ज्यादा ही खुशी का एहसास होगा और दूसरे लोग आप से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकेंगे.

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Diwali 2021: फेस्टिवल के दौरान पालतू का ऐसे रखें खयाल

दीवाली के दौरान आप का कुत्ता डरा, सहमा, कांपता और भूंकता रह सकता है लेकिन त्योहार की मौजमस्ती के बीच अकसर लोग कुत्तों की परेशानियों को दरकिनार कर देते हैं. हालांकि, यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि कुत्तों और बिल्लियों की सुनने की ताकत ज्यादा होती है, इसलिए हम जिस आवाज को तेज समझते हैं वह उन के लिए और ज्यादा तेज तथा कई बार असहनीय होती है. इस के अलावा, कुत्ते तेज आवाज से होने वाले कंपन के प्रति भी संवेदनशील होते हैं. सो, दीवाली के मौके पर कुत्ते,

बिल्ली जैसे पालतू जानवरों का अतिरिक्त खयाल रखा जाना जरूरी है.

क्या करें

सुनिश्चित करें कि आप का कुत्ता छुटपन में ही सभी से घुलमिल जाए. उसे भिन्न किस्म की आवाजें सुनने दें और अलग अनुभवों से गुजरने दें. हालांकि, कुछ कुत्ते आतिशबाजी से फिर भी डरेंगे. इसलिए यह सुनिश्चित करना उन के मालिकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने कुत्ते को इस तरह ट्रेंड करें कि आतिशबाजी के दौरान भी वह अपनेआप को सुरक्षित महसूस करे.

डा. कलाहल्ली उमेश कहते हैं कि दीवाली में आतिशबाजी के शोरशराबे से पालतू जानवर थोड़े सहम जाते हैं. जिस तरह से हम अपने बच्चों को आतिशबाजी या किसी अन्य बदलावों के बारे में बताते हैं, ठीक उसी तरह अपने पालतू जानवरों को भी इन बदलावों के अनुकूल होने में सहायता करने की जरूरत है ताकि वे डरमुक्त हो सकें.

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ऐसे करें ट्रेंड

अपने कुत्ते को आतिशबाजी शुरू होने से 1 दिन पहले बाहर घुमाने के लिए ले जाएं. अगर आतिशबाजी चल रही हो तो अपने कुत्ते को घर में रखें. ऐसे समय में कभी भी उसे घुमाने के लिए न ले जाएं और न बाहर रखें. पटाखों के शोर व प्रकाश के प्रभाव से बचने के लिए खिड़कियां और दरवाजे बंद कर परदे लगा दें. ध्यान रहे, अगर इस के बावजूद कमरे में धुआं भर गया हो तो खिड़कीदरवाजे खोल दें. पटाखों की आवाज कम करने के लिए टैलीविजन या रेडियो की आवाज थोड़ी तेज भी कर सकते हैं. साथ ही, कुत्ते का ध्यान भी बंटाए रखें.

अगर आप का कुत्ता डरने जैसा व्यवहार कर रहा हो तो उसे दुलारिए नहीं, क्योंकि इस से उस का यह व्यवहार मजबूत हो सकता है. उस से सामान्य व्यवहार कीजिए, जैसे डरने की कोई बात ही न हो. उसे एक उपयुक्त सुरक्षित जगह दीजिए जहां वह छिप सके और जब वह इस जगह पर जाए तो उसे परेशान नहीं करना चाहिए. आप चाहें तो उस के कान में रुई डालने की आदत भी डाल सकते हैं.

इस के अलावा कुछ लोग अपने पालतू जानवर को शोर के पास जाने के लिए मजबूर करते हैं. शोर डरावना होता है. ऐसा नहीं करना चाहिए. इस से आखिरकार आप अपने कुत्ते को और ज्यादा डरा देंगे. ऐसी स्थिति से बचने के लिए कुत्ता आक्रामक भी हो सकता है.

दीवाली के बाद

दीवाली गुजर जाए तो आतिशबाजी के प्रति अपने कुत्ते की संवेदनशीलता कम करने के बारे में सोचना शुरू कर दें. इस से आप को यह फायदा होगा कि अगली बार वह पटाखों से नहीं डरेगा. आप आतिशबाजी की सीडी या टेप खरीद सकते हैं. शुरू में चलाते समय आवाज काफी कम रखें. यह आप दीवाली से पूर्व भी कर सकते हैं ताकि आप का कुत्ता धीरेधीरे शोरशराबा सुनने का आदी हो जाए.

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  1.   आवाज वाली इस सीडी को चलाने के दौरान उसे पेडिग्री खाने जैसी कोई आनंददायक चीज दीजिए या फिर उस के साथ खेलिए. इसे हर दिन, कई बार, कुछ देर के लिए दोहराइए. जब तक आप का कुत्ता कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया न दिखाए, आप धीरेधीरे आवाज बढ़ा सकते हैं. कुछ समय के बाद आप का कुत्ता आवाज को डरावना मानना बंद कर देगा और इसे खानेखेलने जैसे आनंददायक अनुभवों से जोड़ने लगेगा.
  2.    कुछ बेहद गंभीर मामलों में आप के कुत्ते के डाक्टर उसे कुछ दवा देने के लिए कह सकते हैं ताकि आप के कुत्ते का आतिशबाजी से डर खत्म किया जा सके.
  3.     याद रखिए, दवाओं का उपचार सिर्फ डाक्टर की सलाह पर किया जाना चाहिए. हालांकि, यह सिर्फ अस्थायी समाधान है और समस्या को दूर नहीं करेगा. आतिशबाजी के प्रति अपने कुत्ते की संवेदनशीलता को कम करने के लिए विशेषज्ञ की सलाह लेना महत्त्वपूर्ण है.

Top 10 Best Diwali Tips In Hindi: दिवाली से जुड़ी टॉप 10 बेस्ट खबरें हिन्दी में

Top 10 Best Diwali Tips In Hindi: हम सभी चाहते हैं कि हर त्यौहार खुशियों से भरा है. लेकिन त्यौहार में खुशियों के साथ-साथ हमें सतर्क भी रहना चाहिए. अक्सर हम त्यौहार के जश्न में कुछ ऐसा कर देते हैं जिसका हमें पूरी जिंदगी पछतावा रहता है. तो इस दिवाली पर हम आपके लिए लेकर आए हैं  Best Diwali Tips In Hindi. तो अगर आप  हैप्पी और सेफ दिवाली मनाना चाहते हैं तो पढ़िए सरस सलिल की Top 10 Best Diwali Tips In Hindi.

  1. Diwali Special: गिफ्ट वही जो हो सही

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त्योहार यानी अपनों के साथ खुशियोंभरा समय, जिस में हम अपनी बिजी लाइफस्टाइल में से फुरसत के कुछ पल निकाल कर अपनों के साथ बिताते हैं. उन के साथ बातें करते हैं और खूबसूरत यादें बांटते हैं. अगर इस में उपहार का तड़का लग जाए तो सोने पे सुहागा वाली बात हो जाती है. बता दें कि उपहार लेना भला किसे पसंद नहीं होता. सभी को उपहार भाते हैं. लेकिन कई बार इन उपहारों में थोड़ी स्मार्टनैस न दिखाई जाए तो खुशियों का रंग फीका पड़ सकता है. जबकि, उपहार दे कर आप अपनों के चेहरे पर एक मीठी सी मुसकान बिखेर देते हैं. चलो जानते हैं कि इस दीवाली अपनों के लिए उपहारों का चयन कैसे करें. पसंद की चीजें दें

उपहार चेहरे पर मुसकान ला देता है, दिल को गार्डनगार्डन कर देता है. इस फैस्टिवल पर आप को अपनों को उपहार के नाम पर सिर्फ उपहार दे कर खानापूर्ति नहीं करनी है, बल्कि इस बार आप उन्हें उन की पसंद की चीजें गिफ्ट करें. जैसे बात करें मम्मीपापा को गिफ्ट देने की, तो आप कुछ समय पहले से ही बातोंबातों में उन के मन की बात जानने की कोशिश करें कि उन का क्या लेने का मन है.

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2. Diwali 2021: अपनों के साथ मनाएं दीवाली

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त्योहार अपनों के साथ मिल कर मनाने में ही आनंद मिलता है, फिर चाहे आप कितने भी दूर क्यों न रह रहे हों. आप अपने करीबियों से त्योहार में मिलते हैं तो वे मीठे पुराने पल फिर से याद आते हैं जिन्हें आप ने कभी साथ में जिया था.

आज सुबहसुबह अंकित के पास मां का फोन आया. मां ने बड़े प्यार से उसे घर पर बुलाया तो अंकित चिढ़ता हुआ बोला,

‘‘नहीं मां, मैं नहीं आ पाऊंगा. औफिस में इतना सारा काम है. वैसे ही सब संभालना मुश्किल हो रहा है. आने का प्लान बनाया तो आनेजाने में 4 दिन बरबाद हो जाएंगे.’’

मां खामोश रह गई और उस ने फोन काट दिया. वह सोचने लगा एक तो दीवाली के समय काम इतना ज्यादा होता है, दूसरे, घरवाले बुलाने लगते हैं. उसे याद आया कि कैसे पिछले साल उस के पिता ने उसे बुलाने के लिए फोन किया था तब भी उस ने मना कर दिया था, मगर इस साल तो पिताजी गुजर चुके हैं, इसलिए मां ने फोन किया. तभी उसे खयाल आया कि कैसे एक साल में जिंदगी बदल जाती है.

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3. Diwali Special: बॉयफ्रेंड के साथ दिवाली

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दीवाली आते ही खुशियों का माहौल बनने लगता है. खुशियों को मिल कर मनाना चाहिए. ऐसे में दीवाली गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड मिल कर मनाते हैं. आज समय बदल गया है. गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड अब जौब वाले भी हैं. वे खुद पर निर्भर होते हैं. पहले गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड टीनएज में होते थे तो उन के दायरे भी सीमित होते थे. आज युवा जल्दी ही जौब करने लगे हैं. इस के अलावा घरों से दूर होस्टल में या दूसरे शहरों में रह रहे हैं.

ऐसे में वे पहले के मुकाबले ज्यादा आजाद होते हैं. उन के सामने अब अवसर होते हैं कि वे आपस में मिल कर फैस्टिवल मना सकते हैं. पार्टीज करने के लिए जरूरी नहीं है कि महंगे होटल या पब में जाएं. किसी दोस्त के घर या छोटे होटल, पार्क में भी इस को कर सकते हैं.

प्रोफैशनल स्टडीज कर रही इसिका यादव कहती हैं, ‘‘गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड ही नहीं, हम अपने सामान्य फ्रैंड्स के साथ भी दीवाली कुछ खास तरह से मना सकते हैं. कालेज और होस्टल में रहने वाले लोग छुटिट्यों में अपने घर जाते हैं. ऐसे में दीवाली से पहले दीवाली पार्टी और दीवाली के बाद भी पार्टी का आयोजन कर सकते हैं. उस में खास दोस्तों को बुला सकते हैं. पार्टी में डांस, म्यूजिक, गेम्स और कई तरह के प्राइजेज के साथ खानेपीने के अच्छे मैन्यू रख सकते हैं. युवाओं को यह अच्छा लगता है. दीवाली रोशनी यानी लाइटिंग का त्योहार होता है. पार्टी में लाइटिंग भी होनी चाहिए.’’

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4. Diwali Special: डाइटिंग छोड़ें डाइट का मजा लें

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दीवाली के आने का मतलब होता है ढेर सारा खानापीना, ढेर सारी मस्ती करना. ऐसे में अगर हम डाइटिंग के बारे में सोचने लगे तो मजा फीका होगा ही. इसलिए दीवाली पर नो डाइटिंग. एंजौय करने का जो भी मौका मिले उसे कभी भी डाइटिंग के कारण खराब नहीं करना चाहिए. आप ही सोचिए त्योहार क्या रोजरोज आता है, ऐसे में भी अगर हम हर बाइट के साथ मोटे होने की बात सोचेंगे तो न हम खाने का मजा ले पाएंगे और न ही फैस्टिवल को पूरी तरह एंजौय कर पाएंगे.

अगर हम सही डाइट प्लान बना कर चलें तो 4 दिन हैवी डाइट लेने पर हम मोटे या फिर बीमार नहीं होंगे. आप को सिर्फ इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप को जितनी भूख हो उतना ही खाएं. जरूरत से ज्यादा खाना आप को बीमार कर सकता है.

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5. Diwali 2021: खुशियां मनाएं मिल-बांट कर

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शादी के बाद प्रिया पति के साथ पहली बार दूसरे शहर आई थी. उस के पति का ‘दृष्टि रेजीडैंसी’ में खूबसूरत फ्लैट था. अपने शहर में प्रिया का बड़ा सा परिवार था. त्योहार के दिन सभी एकजुट हो, मिलबांट कर खुशियां मनाते थे. यहां उसे अकेलापन महसूस हो रहा था. जैसेजैसे दीवाली करीब आ रही थी. प्रिया की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे? पति प्रकाश से बात करने पर पता चला कि उस के ज्यादातर दोस्त बाहर के रहने वाले हैं. वे लोग पहले से ही घर जाने का टिकट करा चुके हैं.

कुछ लोग हैं जो उस के फ्लैट से दूर रहते थे. प्रिया ने अपने कौंप्लैक्स में रहने वाले कुछ परिवारों से कम दिनों में अच्छी जानपहचान कर ली थी. उस ने उन सब के साथ मिल कर बात की तो पता चला कि कौंप्लैक्स में कुछ परिवार दीवाली मनाते हैं. वे भी अपने फ्लैट के अंदर ही दीवाली मना लेते हैं. बहुत हुआ तो किसी दोस्त को कुछ उपहार दे कर त्योहार मना लेते हैं. अब प्रिया ने तय कर लिया कि इस बार दीवाली को नए तरह से मनाना है. दृष्टि रेजीडैंसी बहुत ही खूबसूरत जगह पर थी. उस के पास में हराभरा पार्क था. प्रिया ने पार्क की देखभाल करने वाले से कह कर पार्क को साफ करा दिया.

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6. Diwali Special: हॉस्टल वाली दीवाली

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जो लोग होस्टल में रहे हैं उन्हें पता है कि वे उन की जिंदगी के कभी न भूलने वाले पल हैं. होस्टल की जिंदगी मजेदार भी होती है और परेशानियों से भरी भी. बावजूद इस के, होस्टल में रह कर त्योहारों के समय जो खुशियां मिलती हैं, जो आजादी और मस्ती मिलती है, वह कहीं और नहीं मिलती.

संध्या जब हैदराबाद से दिल्ली के एक एनजीओ में काम करने आई थी तो उस ने कई साल वुमन होस्टल में गुजारे थे. अब तो वह शादी कर के पति के घर में सैटल हो गई है मगर होस्टल के दिन उन्हें नहीं भूलते हैं. घर के ऐशोआराम से निकल कर कम संसाधनों और जुगाड़ों के बीच होस्टल की टफ लाइफ का भी अपना ही मजा था. उस जिंदगी को याद करते वक्त उन्हें सब से ज्यादा दीवाली की याद आती है.

संध्या कहती हैं, ‘‘किसी आसपास के शहर से होती तो त्योहारों में जरूर घर भाग जाती, मगर दिल्ली से ट्रेन में हैदराबाद तक 2 दिन का सफर बड़ा कठिन लगता था और वह भी सिर्फ दोतीन दिन के लिए जाना बिलकुल ऐसा जैसे देहरी छू कर लौट आओ. शुरू के 2 साल तो मैं दीवाली पर घर गई, मगर बाद में होलीदीवाली सब होस्टल में ही मनाने लगी.

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7. Diwali Special: जुआ खेलना जेब के लिए हानिकारक है

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कहते हैं जुए की लत में जर, जोरू और जमीन, सब दांव पर लग जाते हैं. महाभारत से ले कर आज के भारत में जुए की गंदी लत ने न जाने कितने घरों को बरबाद किया है, कितने घरों में अशांति फैलाई है. क्या आप भी इस की लत में सबकुछ खोने को तैयार हैं?

तीजत्योहारों पर धार्मिक रीतिरिवाजों के नाम पर कई कुरीतियां भी हम ने पाल रखी हैं, जैसे होली पर शराब और भांग का नशा करना और दीवाली पर जुआ खेलना, जिस के पीछे अफवाह यह है कि आप अपनी किस्मत और आने वाले साल की आमदनी आंक सकते हैं. दीवाली पर जुए के पीछे पौराणिक कथा यह है कि इस दिन सनातनियों के सब से बड़े देवता शंकर ने अपनी पत्नी पार्वती के साथ जुआ खेला था, तब से यह रिवाज चल पड़ा.

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8. Diwali 2021: दीवाली कभी पति के घर कभी पत्नी के मायके

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मधु की शादी के बाद की पहली दीवाली थी. ससुराल में सब खुश थे. पूरे घर में चहलपहल थी. घर में नई बहू आई थी, सो ननद परिवार समेत दीवाली सैलिब्रेट करने आई थी. मधु ससुराल वालों की खुशी में खुश थी मगर उस के मन के एक कोने में मायके के सूने आंगन का एहसास कसक पैदा कर रहा था. वह एकलौती बेटी थी. शादी के बाद उस के मांबाप अकेले रह गए थे. मां की तबीयत ठीक नहीं रहती थी. वैसे भी, पहले पूरे घर में उस की वजह से ही तो रौनक रहती थी. अब उस आंगन में कौन दौड़दौड़ कर दीये जलाएगा, यह एहसास उस के दिल के अंदर एक खालीपन पैदा कर रहा था.

मधु ने पति से कुछ कहा तो नहीं, मगर उस के मन की उदासी पति से छिपी भी न रह सकी. पति ने मधु से रात 9 बजे के करीब कार में बैठने को कहा. मधु हैरान थी कि वे कहां जा रहे हैं. गाड़ी जब उस के मायके के घर के आगे रुकी तो मधु की खुशी का ठिकाना न रहा. घर में सजावट थी पर थोड़ीबहुत ही. वह दौड़ती हुई अंदर पहुंची. मां बिस्तर पर बैठी थीं और पापा किचन में कुछ बना रहे थे. अपनी लाड़ली को देखते ही दोनों ने उसे गले लगा लिया. बीमार मां का चेहरा खुशी से दमकने लगा. दोनों करीब 1 घंटे वहां रहे. घर को रोशन कर जब वापस लौटे तो मधु का दिल पति के प्रेम में आकंठ डूबा हुआ था.

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9. Diwali 2021: वातावरण को शुद्ध बनाएं व जीवन मे खुशियां लाएं  

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त्योहारों का सीजन शुरू हो गया है. सभी के घरों मे त्योहारों की तैयारी जोरों पर है. लोग घरों की साफ सफाई में जुट गए हैं या शौपिंग करने मे बिजी है. त्यौहारों के सीजन में  हर कोई अपने दोस्तों, रिश्तेदारों से भी मिलने जाते हैं. ऐसे में लोगों के रिश्तों मे मिठास बढ़ती है. लेकिन इस त्यहारों के सीजन में एक और चीज बढ़ रही है जिसकी कोई परवहा नहीं कर रहा है और वो है हमारे आस पास बढ़ता हुआ प्रदूषण का स्तर. चाहे वो धुआं हो, प्लास्टिक कचरा या पटाखों से बढ़ता प्रदूषण. दिवाली से पहले ही आकाश में प्रदूषण के धुंध की चादर फैली हुई है. दिवाली के त्योहार पर बढ़ते प्रदूषण का स्तर आपकी सेहत के लिए खतरा ना बन जाए इस बात को ध्यान में रखते हुए हम कुछ जरूरी टिप्स बता रहे है जिससे आप अपने आस पास प्रदूषण को बढ़ने से बचा सकते हैं.

दिवाली पर सब साफ सफाई में जुट जाते हैं. सफाई करते समय ध्यान रखें की अगर आपके पास कोई प्लास्टिक का ऐसा कचरा है जिस को हम किसी न किसी तरह  दोबारा इस्तेमाल कर सकते है तो उसे फेकें नहीं. उससे आप अपने घर की सजावट का सामान बना सकते हैं या उसमे पौधे लगा सकते हैं. जिससे आप वातावरण को भी शुद्ध बना सकते हैं और प्लास्टिक का दोबारा अच्छे तरीके से इस्तेमाल भी कर सकते हैं. क्योंकि प्लास्टिक मिट्टी के उपजाऊपन को नुकसान पहुंचाता है और ये आसानी से नष्ट नहीं होता है.

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10. Diwali Special: मिलन के त्योहारों को धर्म से न बांटे

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त्योहारों का प्रचलन जब भी हुआ हो, यह निश्चित तौर पर आपसी प्रेम, भाईचारा, मिलन, सौहार्द और एकता के लिए हुआ था. पर्वों को इसीलिए मानवीय मिलन का प्रतीक माना गया है. उत्सवों के पीछे की भावना मानवीय गरिमा को समृद्धि प्रदान करना है. सामाजिक बंधनों और पारिवारिक दायित्वों में बंधा व्यक्ति अपना जीवन व्यस्तताओं में बिता रहा है. वह इतना व्यस्त रहता है कि उसे परिवार के लिए खुशियां मनाने का वक्त ही नहीं मिलता.

इन सब से कुछ राहत पाने के लिए तथा कुछ समय हर्षोल्लास के साथ बिना किसी तनाव के व्यतीत करने के लिए ही मुख्यतया पर्वउत्सव मनाने का चलन हुआ, इसलिए समयसमय पर वर्ष के शुरू से ले कर अंत तक त्योहार के रूप में खुशियां मनाई जाती हैं.

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Diwali 2021: खुशियां मनाएं मिल-बांट कर

शादी के बाद प्रिया पति के साथ पहली बार दूसरे शहर आई थी. उस के पति का ‘दृष्टि रेजीडैंसी’ में खूबसूरत फ्लैट था. अपने शहर में प्रिया का बड़ा सा परिवार था. त्योहार के दिन सभी एकजुट हो, मिलबांट कर खुशियां मनाते थे. यहां उसे अकेलापन महसूस हो रहा था. जैसेजैसे दीवाली करीब आ रही थी. प्रिया की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे? पति प्रकाश से बात करने पर पता चला कि उस के ज्यादातर दोस्त बाहर के रहने वाले हैं. वे लोग पहले से ही घर जाने का टिकट करा चुके हैं.

कुछ लोग हैं जो उस के फ्लैट से दूर रहते थे. प्रिया ने अपने कौंप्लैक्स में रहने वाले कुछ परिवारों से कम दिनों में अच्छी जानपहचान कर ली थी. उस ने उन सब के साथ मिल कर बात की तो पता चला कि कौंप्लैक्स में कुछ परिवार दीवाली मनाते हैं. वे भी अपने फ्लैट के अंदर ही दीवाली मना लेते हैं. बहुत हुआ तो किसी दोस्त को कुछ उपहार दे कर त्योहार मना लेते हैं. अब प्रिया ने तय कर लिया कि इस बार दीवाली को नए तरह से मनाना है. दृष्टि रेजीडैंसी बहुत ही खूबसूरत जगह पर थी. उस के पास में हराभरा पार्क था. प्रिया ने पार्क की देखभाल करने वाले से कह कर पार्क को साफ करा दिया.

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इस के बाद उस ने एक खूबसूरत सा दीवाली कार्ड डिजाइन किया. इस के कुछ प्रिंट लिए और अपने कौंप्लैक्स में रहने वालों के लिए चाय, नमकीन और मिठाई का प्रबंध भी कर लिया था. उस ने दृष्टि रेजीडैंसी के सभी 50 फ्लैट के लोगों को बुलाया था. प्रिया को यकीन था कि ज्यादातर लोग आएंगे. शाम को पति प्रकाश के आने पर उस ने अपना पूरा प्लान उन को बताया. पहले तो प्रकाश को यकीन ही नहीं हुआ, लेकिन सारी तैयारियां देख कर उस का मन खुशी से भर गया. प्रकाश ने प्रिया का हाथ बंटाते हुए खुशियों को बढ़ाने के लिए दीवाली के प्रदूषणमुक्त पटाखे और गीतसंगीत के लिए डीजे का भी इंतजाम कर लिया.

शाम 8 बजे प्रिया और प्रकाश पार्क में सजधज कर पहुंच गए. थोड़ी देर के बाद एकएक कर लोग वहां पहुंचने लगे. ऐसे में दीवाली का एक नया रूप सामने आ गया. देर रात तक पार्टी चलती रही, नाचगाना, मस्ती सब कुछ खास था. बाद में लोगों ने अपने हिसाब से पटाखे और फुलझडि़यां भी चलाईं. सभी लोगों ने इस शानदार आयोजन के लिए प्रिया को दिल से धन्यवाद दिया. प्रिया ने जो शुरुआत की वह हर साल होने लगी. अब इस आयोजन में सभी परिवार मिलजुल कर काम करने लगे. पार्टी में होने वाले खर्च को भी आपस में बांट लिया गया. बहुत लोग जुटे तो पार्टी का अलग ही मजा आने लगा. दीवाली रात का त्योहार है. ऐसे में रोशनी और पटाखों का अपना अलग मजा होता है. मिठाई और नमकीन के साथ ऐसे त्योहार का मजा और भी ज्यादा बढ़ जाता है.

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खर्च घटाएं और मजा बढ़ाएं

मिलजुल कर त्योहार मनाने से त्योहार में होने वाला खर्च घटता और मजा बढ़ता है. अपने घरपरिवार से दूर रह कर भी घर जैसे मजे लिए जा सकते हैं. आज के समय में ज्यादातर लोग अपने शहर और घर से दूर कमाई के लिए दूसरे शहरों में रहते हैं. अपने घर जाने के लिए उन को छुट्टी लेनी होती है. कई बार छुट्टियों में घर जाने के लिए रेल, बस और हवाई जहाज के महंगे टिकट लेने पड़ते हैं. मुसीबत उठा कर अपने घर जाना कई बार परेशानी का सबब बन जाता है. ऐसे में त्योहारों के संयुक्तरूप से होने वाले आयोजन अच्छे होते हैं. मिलजुल कर इन का आयोजन करने से सभी लोगों की हर तरह से भागीदारी रहती है. इस से कोई किसी को अपने पर बोझ नहीं समझता है. कम खर्च में अच्छा आयोजन हो जाता है. परिवार के साथ रहने से पति दोस्तों के साथ शराब पीने और जुआ जैसे कृत्य से परहेज करता है.

मिलेगा हर रिश्ता

संयुक्त आयोजन में हर रिश्ता मिलता है. जिस के मातापिता साथ नहीं रहते वे दूसरों के परिवार में रहने वाले मातापिता का साथ पाते हैं. किसी को भाभीभाई, अंकलआंटी, देवरानीजेठानी, बेटाबेटी और बहन जैसे हर रिश्ते अलगअलग परिवारों से मिल जाते हैं. आपस में जो दोस्ती पहले से होती है वह और प्रगाढ़ हो जाती है. त्योहारों के समय रिश्तों के आपस में जुड़ने से केवल खुशियां ही नहीं बांटी जा सकतीं, जरूरत पड़ने पर दुखदर्द भी बांटे जा सकते हैं. धर्म, रूढि़वादिता और कुरीतियां हमें बांटने का काम करते हैं. त्योहारों का लाभ उठा कर इस दूरी को कम किया जा सकता है.

आज एकल परिवारों का दौर है. ऐसे में बच्चों को बहुत सारे रिश्तों और उन की गंभीरता का अंदाजा नहीं होता है. अगर ऐसे आयोजन होते रहेंगे तो एकल परिवार में रहते हुए भी किसी हद तक संयुक्त परिवारों का मजा लिया जा सकता है.

मजेदार होंगे पार्टी गेम्स

संयुक्त आयोजन को मजेदार बनाने के लिए पार्टी गेम्स को भी उस में शामिल कर सकते हैं. ये हर उम्र को ध्यान में रख कर तैयार किए जाने चाहिए. इस से आयोजन में रोचकता बनी रहेगी. लोगों का समय पास होगा. गीतसंगीत का हलकाफुलका आयोजन भी करना चाहिए. इस में पार्टी में शामिल हुए लोगों की हिस्सेदारी होनी चाहिए. हर किसी में कुछ अलग काम करने की प्रतिभा होती है. सब को प्रतिभा के अनुरूप काम देना चाहिए. बच्चों को ऐसे आयोजनों में नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. उन को भी उन की प्रतिभा के अनुसार कुछ काम देना चाहिए. संयुक्त आयोजन होने से दीवाली में पटाखों से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सकता है.

संयुक्त आयोजन होने से त्योहार का मजा दोगुना हो जाता है. सभी धर्मों के बीच रहने वाले लोग भी इस का हिस्सा बन जाते हैं. इस से अलगअलग जगहों की संस्कृति और खानपान का मजा भी लिया जा सकता है. आज जिस तरह से आपस में दूरियां बढ़ रही हैं उसे कम करने का एक बड़ा माध्यम है कि त्योहारों की खुशियां मिलजुल कर मनाएं. केवल रेजीडैंशियल कौंप्लैक्स में ही नहीं, कसबों, महल्लों, शहरों और गांवों में भी दीवाली उत्सव के संयुक्त आयोजन होने चाहिए. इस से समाज में एक नए प्यार और सौहार्द का माहौल बनेगा.

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