कहते हैं जुए की लत में जर, जोरू और जमीन, सब दांव पर लग जाते हैं. महाभारत से ले कर आज के भारत में जुए की गंदी लत ने न जाने कितने घरों को बरबाद किया है, कितने घरों में अशांति फैलाई है. क्या आप भी इस की लत में सबकुछ खोने को तैयार हैं?

तीजत्योहारों पर धार्मिक रीतिरिवाजों के नाम पर कई कुरीतियां भी हम ने पाल रखी हैं, जैसे होली पर शराब और भांग का नशा करना और दीवाली पर जुआ खेलना, जिस के पीछे अफवाह यह है कि आप अपनी किस्मत और आने वाले साल की आमदनी आंक सकते हैं. दीवाली पर जुए के पीछे पौराणिक कथा यह है कि इस दिन सनातनियों के सब से बड़े देवता शंकर ने अपनी पत्नी पार्वती के साथ जुआ खेला था, तब से यह रिवाज चल पड़ा.

बात सौ फीसदी सच है कि जिस धर्म के देवीदेवता तक जुआरी हों, उस के अनुयायियों को भला यह दैवीय रस्म निभाने से कौन रोक सकता है. महाभारत का जुए का किस्सा और भी ज्यादा मशहूर है जिस में कौरवों ने पांडवों से राजपाट तो दूर की बात है, उन की पत्नी द्रौपदी तक को जीत लिया था. मामा शकुनी ने ऐसे पांसे फेंके थे कि पांडव बेचारे 12 साल जंगलजंगल भटकते यहांवहां की धूल फांकते रहे थे. महाभारत की लड़ाई, जिस में हजारोंलाखों बेगुनाह मारे गए थे, के पीछे वजह यही जुआ था.

जुए के नुकसान आज भी ज्यों के त्यों हैं, फर्क इतना है कि युग, सतयुग, त्रेता या द्वापर न हो कर कलियुग है और किरदार यानी जुआरी आम लोग हैं जो पांडवों की तरह दांव पर दांव हारे हुए जुआरी की तरह लगाए चले जाते हैं लेकिन सुधरते नहीं. भोपाल के अनिमेश का ही उदाहरण लें जो पुणे में एक सौफ्टवेयर कंपनी में इंजीनियर हैं. पिछले साल दीवाली पर लौकडाउन के चलते घर नहीं आ पाए थे, सो दीवाली अपने किराए के फ्लैट में दोस्तों के साथ मनानी पड़ी. शाम को जम कर जाम छलके, फिर रात 9 बजे के करीब प्रशांत ने जुआ खेलने का प्रस्ताव रिवाज का हवाला देते रखा तो सभी पांचों दोस्तों ने हां कर दी.

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