कोरोना: चीन, अमेरिका और नरेंद्र मोदी

दुनिया की महाशक्ति अमेरिका, चीन इत्यादि जो कभी किसी बड़े से बड़े ब्रह्मास्त्र यानी मिसाइलों को थामने की शक्ति रखते थे, आज  कोरोना  वायरस के  समक्ष बेबस दिखाई दे रहे हैं. एक अदद कोरोना वायरस के दंश झेलते हुए…! आज से पहले, कोई ऐसा कहता, सोचता तो उसे खारिज कर दिया जाता. हथियारों की होड़, ऊंची परमाणु शक्तियों से समृद्ध ऐश्वर्या पूर्ण जीवन और उच्च संस्था शीर्ष पर मानव सभ्यता, आज एक वायरस के समक्ष कैसी बेबस है. यह देखकर आप क्या यह महसूस नहीं करते हैं की एक दिन तो  ऐसा होना ही था.

दरअसल, कोरोना वायरस चीन की ईजाद है, वुहान शहर की प्रयोगशाला से वैज्ञानिकों, डॉक्टरों को धत्ता बता, उन्हें ही मार यह निकल पड़ा. कहते हैं, चीन इसके लिए दोषी है, जिसने संपूर्ण मानवता को खतरे में डाल दिया है. इस भूमिका के पश्चात इस लेख का जो विषय है हम उस पर आते हैं. कोरोना वायरस को लेकर जो स्थितियां हैं उससे प्रतीत होता है की चीन, अमेरिका सहित अन्य  प्रमुख  राष्ट्र  को नेस्तनाबूद करने आमदा है.दुनिया की  सबसे  ताकतवर हस्ती  राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को झुकाना चीन का उद्देश्य पूर्ति होता दिखाई दे रहा है, दुनिया पर अपने वर्चस्व की रणनीति के तहत कोरोना वायरस की इजाद की गई है. और प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जिस तरह अमेरिका के आगे पीछे घूम रहे थे, चीन को नीचा दिखाने की कोशिश उनकी बांडी लैंग्वेज से अक्सर दिखाई पड़ती थी के दुष्परिणाम स्वरूप भारत भी चीन के एजेंडे पर है.

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कोरोना :  चीन की मानसिकता

नरेंद्र दामोदरदास मोदी जैसे ही प्रधानमंत्री बने उन्होंने विश्व नेता बनने भूमिका बनानी शुरू कर दी. उनकी चाल ढाल, भाव भंगिमा ऐसी रही की भारत एक महाशक्तिशाली राष्ट्र है और उसके प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी विश्व को अपनी मुट्ठी में भींच लेंगे .

यही गतिविधि थी की नरेंद्र मोदी ने प्रथम कार्यकाल में “दुनिया भर” का चक्कर लगाया और हर जगह मोदी- मोदी के नारे लगवाए . चीन के राष्ट्रपति अमेरिका के राष्ट्रपति हो या जापान, जर्मनी के प्रमुख सब जगह बेवजह यह दिखाया गया की नरेंद्र मोदी एक सशक्त नेता हैं और जल्द ही दुनिया का नेतृत्व करेंगे.भारत  पुनः  विश्व गुरु बनेगा.दरअसल, जब कोई छोटा आदमी बड़ी-बड़ी बातें करता है तो उसे डपट दिया जाता है… यह मानसिकता हर जगह है. भले ही वह सही हो… नरेंद्र दामोदरदास मोदी के इन हाव भाव, एक्शन से चीन का चिढ़ना स्वाभाविक है.

पाकिस्तान का मामला हो या चीन का सीमा विवाद, नरेंद्र मोदी का एक्शन, चीन के प्रमुख को कतई पसंद नहीं आता होगा. यही कारण है की जब “कोरोना का प्रकोप”भारत में प्रसारित हो रहा है और चीन उस पर काबू पा चुका है तो उसका  प्रशिक्षण आदि तक चीन भारत को शेयर नहीं कर रहा है.

कोरोना : चीन की रणनीति

कोरोना को लेकर चीन की रणनीति को अभी  समीक्षक समझने का प्रयास कर रहे हैं. मगर जो तथ्य सामने आ रहे हैं उसमें यह तो स्पष्ट है  की कोरोना चीन की ईजाद है. क्षति होने के बाद भी चीन ने उस पर काबू पा लिया है और पुनः उसकी गाड़ी पटरी पर लौट रही है. पार्क,सड़कें खुल गई हैं मगर दूसरी तरफ विश्व में तबाही मची हुई है. अमेरिका,भारत सहित दुनिया के 182 देश कोरोना की चपेट में है. विश्व की अर्थव्यवस्था, मानव सभ्यता रसातल में जाने की परिस्थितियां निर्मित हो चुकी है. भारत में ही देखें, सारी ट्रेन, फैक्ट्रियां, सड़क बंद है.क्या यह भारत को घुटनों पर लाने के लिए पर्याप्त नहीं है.इन हालातों में भारत  50 वर्ष पीछे चला जाएगा.

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चीन से गुहार जरूरी

ऐसे समय में भारत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को, सारी कुंठाये भूल बिसार कर,चीन के राष्ट्अध्यक्ष से चर्चा करके मदद मांगनी चाहिए. भारत अर्थव्यवस्था, सामरिक शक्ति, और समृद्धि के समक्ष बेहद कमतर है, जब दुनिया के महा शक्तिशाली देश कोरोना से निजात नहीं पा पा रहे हैं तो भारत अपने दम पर कैसे विजय प्राप्त करेगा. ऐसे में चीन से सवांद करके उससे मदद मांगनी चाहिए .भारत-चीन भाई भाई का वास्ता देकर, एक पड़ोसी का वास्ता देकर भारत को मदद मांगनी चाहिए. चीन ही ऐसा उत्स है जहां से कोरोना प्रारंभ हुआ था, और वही है जो, इसे खत्म करने की ताकत रखता है यह दुनिया देख चुकी है.

#Lockdown: बेजुबानों का भी है शहर

लौकडाउन हो जाने से दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान जैसे राज्यों के तमाम हजारों गरीब कामगार अपने गांव लौट रहे हैं, वहीं जंगली जानवर भी कैद से निकल सड़कों पर उतर आए हैं.

इन जानवरों के सड़कों पर उतरने से घरों में रह रहे लोगों में भय बना हुआ है कि ये जानवर कहीं घरों में घुस कर हमला न कर दें, वहीं सड़कों से अपने गांव जा रहे लोग भी डरेसहमे हैं.

इन जानवरों के सड़कों पर दिख जाने से लोग भी अपने घरों की खिड़कियों से अजीब नजरों से देख रहे हैं और इन के फोटो मोबाइल में कैद कर रहे हैं.

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देहरादून, केरल, चंडीगढ़, नोएडा की सड़कों के अलावा भी कई जगहों पर ऐसे दुर्लभ प्रजाति के जानवरों को देखा गया.

हालांकि इंसानों पर हमले की कोई खबर नहीं है. ये जानवर अभी तो कैद से बाहर निकल खेतों को बर्बाद कर रहे हैं. इस वजह से किसानों को फसलों के और भी चौपट हो जाने की उम्मीद है.

विलुप्त होने की कगार पर पहुंचे कस्तूरी बिलाव को भारतीय वन सेवा के कुछ अधिकारियों ने देखा है. केरल के कोझीकोड में सड़क पर घूमते कस्तूरी बिलाव का वीडियो साझा करते हुए कहा कि यह जीव गंभीर रूप से खतरे में हैं और अब सिर्फ 250 वयस्क बिलाव ही बचे हैं. कस्तूरी बिलाव को आखिरी बार 1990 में देखा गया था.

फ़िल्म कलाकार अर्जुन कपूर ने भी विलुप्त हो रही प्रजाति के जानवरों के वीडियो साझा किए हैं. केरल की सड़कों पर एक भारतीय कस्तूरी बिलाव का वीडियो है, जो दुर्लभ जानवरों की केटेगिरी में आता है. उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर कैप्शन में लिखा है, मालाबार कस्तूरी बिलाव. यह बेहद दुर्लभ प्रजाति का जानवर है.

इस के अलावा नोएडा के सेक्टर-38 में नीलगाय सड़क पर घूमती दिखी है, वहीं चीतल देहरादून की सड़कों पर दौड़ता दिख रहा है. चंडीगढ़ में भी सड़क पर सांभर हिरण नजर आया है, वहीं मध्य प्रदेश की सड़कों पर जंगली जानवर घूमते नजर आ रहे हैं.

कोरोना वायरस के इस दौर ने यह सच्चाई उगल दी है कि प्रकृति कैसे खुद को संभाल कर फिर से मजबूत हो सकती है.

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शहरी इलाकों के साथ साथ ग्रामीण इलाकों में भी मौसम साफ हो जाने से हर तरह के पक्षी नजर आ रहे हैं और उन की चहचहाहट सुनाई दे रही है. वहीं इंसानी दखल कम होने से प्रकृति एक बार फिर से मजबूत हो रही है.

एक तरफ बेजबानों जंगली जानवरों का सड़क पर दिखना कौतूहल का विषय है, वहीं इन की भूख से बेहाली की सुध भी एक बड़ी चुनौती है.

Lockdown के बीच कुछ इस अंदाज में नजर आ रही हैं ये बौलीवुड एक्ट्रेसेस

इन दिनों बौलीवुड (Bollywood) के सभी एक्टर और ऐक्ट्रेस अपने घरों में समय बिता रहें है. इस खाली समय में बौलीवुड एक्ट्रेसेस की  सोशल मीडिया एकाउंट पर बहुत ही फनी, मोहक और मजेदार तस्वीरें आ रहीं हैं. इसमें किसी ने योगा की तस्वीरें और वीडियोज शेयर किया है तो किसी ने घर में झाड़ू लगाते हुए की तस्वीर शेयर की है. कोई घर में वर्क आउट करती नजर आ रहीं हैं है तो कोई कुत्तों को खाना खिला रहीं हैं. वहीं कोई घर में लेट कर किताबें पढने की तस्वीरें भी सामने आ रहीं हैं. इस लौक डाउन में हमने बौलीवुड की टौप एक्ट्रेसेस रूटीन के बारे में उनके इन्स्टाग्राम अकाउंट पर जा कर जाननें की कोशिश की तो मजेदार तस्वीरें सामनें आई.

पूर्व क्रिकेटर और अभिनेत्री मंदिरा बेदी (Mandira Bedi) नें अपने इन्स्टाग्राम एकाउंट पर वर्क आउट और योगा की तस्वीर और वीडियो शेयर कर लिखा है. की “मैं शांतिपूर्ण पक्षियों को चहकते हुए सुनना चाहतीं हूँ” (Core. In silence. I wanted to hear the birds chirping!).

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उर्वशी रौतेला (Urvashi Rautela) नें बिकनी में स्वीमिंग पुल में मस्ती करते हुए की वीडियो शेयर करते हुए उसके कैप्शन में लिखा है. आप व्यस्त रहने के लिए क्या कर रहे हैं? (Back when I used to take going outside for granted what are you doing to stay busy?) वहीं उन्होंने डांस करते हुए की एक वीडियो भी शेयर की है जिसमें वह फुल मस्ती करती हुई नजर आ रहीं है.

 

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Just another day… ❤️

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एक कमरा उसमें तीन चार लडकियां सब अपने में बिजी कोई टीवी देख रहा है तो कोई योगा कर रहा है कोई वर्क आउट में लगा है तो कोई पेंटिंग बना रहा है, है न यह तस्वीर निराली इसे शेयर किया इशिता दत्ता (Ishita Dutta) नें.

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Cleaning and tending to the garden for these last few days. This lockdown time has made me realise and remember that having help in any form is one of those few things we should always appreciate. Our lives become so much easier because of all our house help/staff but unfortunately, sometimes we only realise this in times like these. Today, I’m grateful for every single person who has made life easier for us in their own way. It is because of them that we can enjoy the gift of time to go out and pursue our dreams. When life gets back to normal, don’t forget to let them know that you value them. . . . . . #20DaysOfGratefulness #SwasthRahoMastRaho #GetFit2020 #stayhome #staysafe #blessed #gratitude #quarantinelife #selfisolation

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लौक डाउन का सबसे ज्यादा मजा कोई ले रहा है तो वह है शिल्पा शेट्टी (Shilpa Shetty). वह अपने बच्चे,पति के साथ फुल मस्ती के मूड में दिखाई पड़ रहीं है. इन दिनों वह घर के काम निबटाने और योगा करने में ज्यादा बिजी हैं. उन्होंने दो वीडियो शेयर किए है एक में वह योगा कर रहीं हैं तो दूसरे में बगीचे की सफाई करती नजर आ रहीं है. उन्होंने वीडियो में अपील किया है नींद नहीं रहीं है है तो गार्डन हो घर हो उसकी सफाई करो. उन्होंने कहा की इससे बेटर वर्क आउट नहीं हो सकता है.

 

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Locked in …. #yogainthetimesofcorona #lockdown #day4

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एक्ट्रेस नेहा धूपिया (Neha Dhupia) बहुत सेक्सी अंदाज में योगा करते हुए की तस्वीरें शेयर की है और हैशटैग के साथ लिखा है “योगा इन द टाइम्स औफ कोरोना” (#yogainthetimesofcorona #lockdown #day4) जिसे ढेर सारे लाइक्स मिल रहें हैं.

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अमिषा पटेल (Ameesha Patel) नें सोफे पर लेट कर किताबें पढ़ते हुए का एक वीडियो शेयर किया है इसमें वह बड़े ही मोहक अंदाज में फ़्लाइंग किस देती नजर आ रहीं हैं. उन्होंने इस वीडियो के कैप्सन में लिखा है “किताबें हमें एक ही जगह पर रहकर दुनिया के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करने की अनुमति देती हैं” कुछ उपयुक्त वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए) BE SAFE .. STAY HOME’’ (Books allow us to travel to different parts of the world by remaining in the same place .. (something Soo appropriate given the current scenario) BE SAFE .. STAY HOME).

अभिनेत्री सोनाली सहगल (Sonnalli Seygall) नें कई फोटोज व वीडियोज शेयर किया है. जिसमें वह अलग अलग अंदाज में नजर आ रहीं हैं. एक फोटो में सोनाली में बेहद सेक्सी अंदाज में पोज दिया है तो वहीँ दूसरी तरफ उन्होंने एक वीडियो भी शेयर किया है जिसमें वहढेर सारे पिल्लों के बीच नजर आ रहीं हैं. इस वीडियो में वह इन पिल्लों के लिए दूध लेकर आई हैं.

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#coronavirus: कोरोना के नाम पर भ्रम फैलाता अंधविश्वास

कोरोना वायरस से जहां पूरा विश्व परेशान है, लोगों की जिंदगियां खतरे में हैं, वैज्ञानिक तरीके ढूंढ़े जा रहे हैं, वहीं सोशल मीडिया पर अंधविश्वास का बाजार गरम है.

और देशों की तरह भारत में भी कोरोना वायरस तेजी से पांव पसार रहा है मगर दूसरी तरफ सुरक्षा के तमाम उपायों की अपील के बावजूद धर्म के ठेकेदारों द्वारा अंधविश्वास फैला कर लोगों को गुमराह किया जा रहा है.

यों भी भारत में धार्मिक अंधविश्वास तेजी से फैलता है और अनपढ़ों की बात तो छोङ दें, पढ़ेलिखे लोग भी इन अंधविश्वासों में पड़ कर खुद का मजाक उङाने के साथसाथ अपनी जान भी सांसत में डाल देते हैं.

इन दिनों कैसे-कैसे अंधविश्वास फैला कर लोगों को गुमराह किया जा रहा है, आप भी जानिए :

रामचरितमानस के बालकांड में ‘बाल’ करेगा कोरोना का इलाज : सोशल मीडिया पर फैल रहे इस अफवाह ने एक बार फिर 90 के दशक में फैले अफवाह की याद ताजा करा दी जिस में यह दावा किया गया था कि मंदिरों, घरों में रखी गणेश की मूर्ति दूध पीने लगा है. इस अफवाह की वजह से लोगों का हुजूम मंदिरों में उमङ पङा था और हजारोंलाखों टन दूध नालियों में बहा दिए गए थे. तब दुनिया के आधुनिक देशों ने हमारा खूब मजाक उङाया था.

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आज जहां कोरोना वायरस महामारी बन चुका है, इस के खतरों के बीच आजकल सोशल मीडिया पर एक अंधविश्वास खूब फैलाया जा रहा है, जिस में यह दावा किया जा रहा है रामचरितमानस के बालकांड के पन्नों  को ध्यान से देखने पर उस में एक बाल दिख सकता है. यह बाल उसी को दिखेगा जो धर्म के रास्ते पर चलता है या भगवान की आराधना करता है. लोगों को बताया जा रहा है कि इस बाल को गंगाजल या जिस के पास गंगाजल उपलब्ध नहीं है वह घर में एक साफ लोटे में पानी भर ले और इस बाल को उस में डाल कर पूरे परिवार को यह पानी पिला दे तो उसे और उस के परिवार का कोरोना वायरस कुछ नहीं बिगाङ पाएगा.

पैर के दाएं अंगूठे में हलदी लगाने से कोरोना वायरस नहीं होगा : उत्तराखंड की रहने वाली रानी बिष्ट को किसी ने व्हाट्सअप पर भेजा,

“अभीअभी जानकारी मिली है कि ग्राम नागेलाव, वाया पीसांगन, जिला अजमेर के एक अस्पताल में एक बालिका का जन्म हुआ. बालिका ने जन्म लेते ही बोला कि भारत में जो कोरोना वायरस संक्रमण फैला हुआ है, उस के बचाव के लिए भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने दाएं पैर के अंगूठे के नाखून पर हलदी का लेप (मेहंदी की तरह) लगाना है. इस से कोरोना का संक्रमण समाप्त हो जाएगा और सभी नागरिक सकुशल रहेंगे. यह कह कर बालिका की उसी समय मृत्यु हो गई. यह देख कर अस्पताल के डक्टर भी आश्चर्यचकित हो गए. अतः आप से निवेदन है कि आप भी तत्काल इस तरह का लेप अपने दाएं पैर के अंगूठे के नाखून पर लगा कर कोरोना वायरस संक्रमण से अपना एवं अपने परिवार के जीवन को बचाएं.’

रानी ने फोन पर बताया,”कोरोना वायरस से हमलोग काफी डरे हुए हैं और इसी डर की वजह से हम ने सोचा कि चलो क्या हरज है इस में, सो खुद भी लगाया और परिवार के अन्य लोगों को भी लगा दिए.”

जाहिर है, लोग ऐसा डर कर करते हैं.जाहिर है, पूजापाठ करने वाले लोग भी इसी डर की वजह से पत्थर की मूर्तियों के आगे अपना सिर झुकाते हैं. मगर इस बात से अनजान रहते हैं कि जीवन में तरक्की अथवा किसी कष्ट का समाधान पूजापाठ नहीं बल्कि कर्म करते रहने और वैज्ञानिक तरीके से जीने से मिलती है.

शास्त्रों और ग्रंथों का हवाला दे कर डर का माहौल बनाया जा रहा है : सोशल मीडिया पर आजकल शास्त्रों और ग्रंथों का हवाला दे कर यह दावा किया जा रहा है कि इस महामारी का उल्लेख सैकड़ों साल पहले साधुसंतों ने अपने लिखित ग्रंथों में किया था और यह दावा किया था कि पृथ्वी पर कलियुग का अंत महामारी और प्रलय से होगा. लाखोंकरोङ जीवजंतु मारे जाएंगे. अतः अधिक से अधिक लोग धर्म के रास्ते पर चलें और देवीदेवताओं व गुरूओं की आराधना करें.

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जाहिर, यह डर भी धर्म के उन्हीं पाखंडियों की ओर से फैलाया जा रहा है जो चाहते हैं कि लोग विज्ञान का रास्ता छोङ कर भगवान की आराधना में लगे रहें, पूजापाठ करें जिस से वे तो मजे में रहें, लुटतीपिटती जनता रहे.

सिलबट्टे को गोबर और बालटी से उठाने पर कोरोना से मुक्ति

ग्रामीण क्षेत्रों में एक अंधविश्वास का चलन जोरों पर है. इस में एक सिलबट्टे पर किसी बरतन अथवा बालटी रख कर उसे गोबर से पाट दिया जाता है. कुछ देर बाद उस बरतन को पकङ कर उठाने बोला जाता है. अफवाह फैला दिया गया है कि बरतन को पकङ कर उठाने से अगर सिलबट्टा छूट कर नहीं गिरा तो समझो उस के घर कोरोना वायरस का असर नहीं होगा. जिस का सिलबट्टा हट कर गिर जाएगा उसे खतरा है और इस के लिए उसे हवन व पूजापाठ कराना होगा.

यह एक कोरा अंधविश्वास है जो भौतिकी यानी फिजिक्स के सिद्धांत पर आधारित है.

विशेषज्ञ मानते हैं कि गोबर भारी होता है और सिलबट्टे और बालटी के बीच आने से वैक्यूम हो जाता है यानी इस में हवा का दबाव होता है जो सिलबट्टे और बालटी को मजबूती से जकङ लेता है. यह थ्योरी भी उसी सिद्धांत पर कार्य करता है जो एक गिलास में भरे हुए पानी और कागज रख कर उलटा करने पर भी गिलास में से पानी का नहीं गिरने जैसा होता है. यह कोई चमत्कार नहीं बल्कि विज्ञान पर आधारित एक चमत्कार है.

ऐसे बच सकते हैं कोरोना से

दुनियाभर के वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जोर दे कर कहा है कि कोरोना वायरस का संक्रमण एक इंसान में दूसरे इंसान में होता है. कोविड-19 नामक यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने, खांसने और छूने के बाद उस का मानव शरीर में प्रवेश करने की वजह से होता है. अभी तक इस का कोई वैक्सीन अथवा दवा उपलब्ध नहीं है और जितना संभव हो लोगों से हाथ मिलाना, करीब जाना, भीङभाङ वाले इलाके से दूर रहना आदि से ही बचाव संभव है. विशेषज्ञों ने लोगों को इस दौरान धार्मिक जगहों पर भी जाने से मना किया है तो जाहिर है इस बीमारी का इलाज तथाकथित देवीदेवता आदि के हाथों में तो कतई नहीं है.

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बेहतर यही होगा कि सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सुझावों को मानें और तभी इस जानलेवा बीमारी से बचा जा सकता है. धार्मिक अंधविश्वास के चक्कर में तो कतई न पड़ें.

कोरोना : उन्हें मौत का डर नहीं रोक पाया, आप की 2 रोटी क्या खाक रोकेंगी

केंद्र और राज्य सरकारें अपनी पूरी कोशिश में हैं कि लोग घर में रहें, बेवजह बाहर न निकलें. इसी उपाय से कोरोना को हराया जा सकता है. पर दिल्ली में बाहरी लोगों ने जो अपनेअपने राज्यों में जाने की जल्दबाजी दिखाई है उस से पूरा मामला गड़बड़ा सा गया है.

दिल्ली ही क्या पूरे एनसीआर में कुछकुछ ऐसे ही हालात हैं. फरीदाबाद को ही देख लें. वहां से भी बड़ी तादाद में प्रवासी मजदूर अपनेअपने घरों की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि यहां के प्रशासन ने उन के ठहरने और खानेपीने के इंतजाम नहीं किए हैं, सरकारी स्कूलों में भी हर तरह की व्यवस्था है, पर वे नहीं मान रहे.

इस की सब से बड़ी वजह यह है कि बड़े शहरों में मजदूर तबके की रोजीरोटी के साधन छिन गए हैं. जब अमीर लोग घरों में बैठे हैं और सारे छोटेमोटे काम खुद कर रहे हैं तो गुमटी लगा कर प्रेस करने वाले, घरों में झाड़ूपोंछा लगाने वाले या वालियों की नौकरी चली गई है. इतना ही नहीं, शहरों में सन्नाटा है तो रिक्शा में  कौन बैठेगा, किसी कारखाने के बाहर रेहड़ी पर छोलेकुलचे बेचने वाले की कौन सुध लेगा.

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गरीबों पर मार इतनी ही नहीं पड़ी है. दड़बे जैसे घरों कमरों में 8-10 की तादाद में रहने वाले बाहरी मजदूरों को कौन मकान मालिक मुफ्त में रहने की जगह देगा. बीमारी फैलने का डर है तो उन पर मकान खाली करने का भारी दबाव. इतना ही नहीं, सरकारें बोल तो रही हैं कि कोरोना से लड़ने के सारे इंतजाम कर दिए गए हैं, पर जमीनी हकीकत से सभी वाकिफ हैं.

फरीदाबाद में पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह ने बताया कि 28 मार्च को पुलिस कंट्रोल रूम में शाम के 5 बजे तक 115 लोगों ने फोन कर के बताया कि उन के घर का राशन खत्म हो गया है. पुलिस पेट्रोलिंग कर के लोगों तक खानेपीने का सामान पहुंचा तो रही है, पर वह ऊंट के मुंह में जीरा है. जहांजहां गरीबों के लिए शिविर भी लगाए गए हैं वहां सन्नाटा पसरा है.

फरीदाबाद के तिलपत इलाके के सरकारी स्कूल में, जिसे ऐसा ही शिविर बना दिया गया है, केवल 7 लोग ही मिले. पहले 10-12 लोग आए थे, पर बाद में उन की तादाद घट गई.

ऐसा ही नजारा सराय ख्वाजा में भी देखने को मिला. वहां के सरकारी स्कूल को शिविर बनाया है, पर वहां भी लोग ज्यादा देर तक नहीं ठहर रहे हैं. इस सिलसिले में डीसी यशपाल यादव ने बताया, ‘हमारी तरफ से स्कूल में इंतजाम में कोई कमी नहीं है. मेरे पास रिपोर्ट आई थी कि लोग रुकना ही नहीं चाह रहे हैं. वे अपने घर जाने के लिए बस की डिमांड कर रहे हैं.’

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दरअसल, इस बड़े पलायन की एक और वजह यह भी है कि अब गरीब लोग ऐसा मानने लगे हैं कि उन का अपने गांव लौटना ही एकमात्र हल है. वहां कच्चापक्का ही सही अपना घर है और फसलें कटने वाली हैं तो शायद दो वक्त की रोटी का भी इंतजाम हो जाए,

इसलिए वे मौत से लड़ कर शहर छोड़ रहे हैं और फिर जान है तो जहान है, रोटी तो कहीं भी कमाई जा सकती है.

कोरोना : एक मौत के डर से मरा, दूसरे ने मौत को दी मात

फरीदाबाद में आज 4-5 दिनों के बाद सुबह दरवाजे पर अखबार की ‘धपाक’ हुई तो एक सुकून सा मिला कि अब छपी हुई खबरों से देशदुनिया को जानेंगे, पर जब खबरें पढ़ी तो लगा जैसे किसी क्लिनिक में रखी कोई हैल्थ मैगजीन को पलट रहा हूं. हर पन्ने पर कोरोना महामारी से जुड़ी खबरें.

लेकिन एक छोटी सी खबर के बड़े असर ने सोचने पर मजबूर कर दिया. मामला हरियाणा के बल्लभगढ़ के छांयसा इलाके में गढ़खेड़ा गांव का है जहां 27 मार्च को 40 साल के एक आदमी ने कोरोना के डर से फांसी लगा कर अपनी जिंदगी खत्म कर ली, जबकि उसे या उस के परिवार में तो किसी को यह बीमारी हुई भी नहीं थी.

पद्म सिंह नाम का वह किसान हर रोज कोरोना की खबरें जानसुन कर बहुत ज्यादा परेशान हो गया था. उस के घर वालों ने खूब समझाया भी, पर उस ने यह बचकाना कदम उठा लिया जिस से उस का पूरा परिवार अब सदमे में है.

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सवाल उठता है कि अभी जब कोरोना बीमारी का कोई इलाज नहीं है, कोई पुख्ता दवा नहीं है, तो इस बीमारी से जूझ रहे लोगों की मानसिक हालत कैसी होती होगी? और उन लोगों की सोचिए जो ऐसे लोगों की जान बचाने के लिए दिनरात लगे हुए हैं.

पद्म सिंह मानसिक रूप से कमजोर था और कोरोना से होने वाली संभावित तबाही से बुरी तरह घबरा गया था, पर हमारे देश से हजारों किलोमीटर दूर अमेरिका में इस बीमारी से पीड़ित नैशनल बास्केटबाल एसोसिएशन के 2 नामचीन खिलाड़ी रूडी गोबर्ट और डोनोवन मिचेल ठीक हो गए हैं.

यूटा जैज क्लब के हवाले से बताया गया था कि इन दोनों खिलाड़ियों का कोरोना का टैस्ट पाजिटिव पाया गया था लेकिन अब उन के अंदर कोई लक्षण नहीं है.

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यह रूडी गोबर्ट और डोनोवन मिचेल की खेल भावना का ही असर है कि उन्होंने इस बीमारी का डट कर सामना किया और अपने जीतने के जज्बे को जिंदा रखा.

डौक्टरों की लापरवाही से सैकड़ों को कोरोना का खतरा, 3 डौक्टर, 4 नर्स और 2 सहकर्मी हुए क्वारन्टीन

लेखक- हरीश भंडारी

उत्तराखंड के कोटद्वार बेस अस्पताल मे कोरोना आइसोलेशन वार्ड में भर्ती एक स्थानीय कोरोना पौजिटिव युवक के उपचार के दौरान डौक्टरों की लापरवाही सामने आने से उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग में हडकंप मच है. डॉक्टरों ने बिना पीपीई यानी पर्सनल इक्विपमेंट किट का इस्तेमाल किए ही 7 दिन तक स्पेन से लौटे इस युवक का इलाज किया, जिससे पूरे क्षेत्र में व अस्पताल स्टाफ में कोरोना संक्रमण की दहशत बनी है. एहतियात के तौर पर उसके उपचार में शामिल 3 डॉक्टर, 4 नर्स और 2 सफाईकर्मी को 14 दिन के लिए होम क्वारन्टीन किया गया है.

कोरोना से डरिए नहीं सावधानी बरतें

इस वायरस का फैलाव रोकने के लिए बार बार हाथों को साबुन से धोइए. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लगभग 20 सेकंड तक हाथों को रगड़ें, तभी फायदा होगा. अकसर लोग केवल हथेलियों को रगड़कर आणि डालकर हाथ साफ कर लेते हैं, जोकि गलत तरीके है. यदि हमें कोरोना वायरस से लड़ना है तो विधिवत तरीके से हाथ धोकर उन्हें सेनेटाइज करना चाहिए.

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हाथों पर काम नहीं कर सेनेटाइज चिकनाईयुक्त

सेनेटाइज से हर तरह के कीटाणु नहीं मरते. बहुत गेंद या चिकनाई लगे हाथों को सेनेटाइजर से कोई लाभ नहीं होता, कीटाणुनाशक दवा या केमिकल लगे हाथों को यह साफ नहीं करता है. हाथों को ठंडे या कुनकुने पानी से गीला करें, हैंडवाश या साबुन दोनों हथेलियों में लगाकर रगड़ें फिर झाग बनाकर हथेलियों को एकदूसरे से रगड़ें और उंगलियों के पोरों को हथेलियों पर रगड़ें. अंगूठे और बीच के हिस्से को दूसरे हाथ से रगड़ें फिर हथेली को दूसरे हाथ की उंगलियों से घुमावदार तरीक़े से रगड़ें. नल खोलकर पानी से हाथों को धो लें. हाथों को साफ तोलिया या एयर ड्राई मशीन से सुखाएं.

हाथ धोना कब कब जरूरी-

  • भोजन पकाने से पहले और पकाने के बाद.
  • खाना खाने से पहले और बाद में
  • किसी घाव या कटी हुई चीज छूने के बाद.
  • शौचालय जाने के बाद.
  • बच्चे का डायपर बदलने और उसे शौच कराने के बाद.‌
  • खांसी, छींक या बहती नाक पोंछने के बाद.
  • किसी जानवर को छूने, खाना खिलाने या उसका मल साफ करने के बाद.
  • किसी भी कूड़े को छूने के बाद जरूर हाथ धोऐं.

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#coronavirus: कोरोना का शिकार सरकार

लेखक- एस. ए. जैदी

सरकार ने लौक डाउन और कर्फ्यू को इलाज मान लिया है जबकि इस से सिर्फ बीमारी को एक हद तक ही रोका जा सकता है. ये  मान लेना चाहिए कि सरकार असल मरीज़ों की पहचान करने में नाकाम रही है. संक्रमित लोगों की पहचान करके उन को सामान्य लोगों से अलग करने के बजाय सही लोगों को भी संक्रमित लोगों के साथ बंद कर दिया गया है. अगर पहला केस मिलते ही लौक डाउन हुआ होता तब शायद कुछ अलग स्थिति की कल्पना की जा सकती थी.

सरकार न सिर्फ समय रहते स्थिति की गंभीरता को भांप पाने में नाकाम रही बल्कि आपदा को उत्सव में बदलने की गुनहगार भी है। कम से कम दो मौके़ ऐसे आए हैं जिन की वजह से कोरोना संक्रमण बुरी तरह फैला है. पहला थाली उत्सव और दूसरा प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद लोगों में राशन समेटने के लिए मची मार.

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अब ये प्राकृतिक नहीं बल्कि मानव निर्मित आपदा है. जितनी बेशर्मी से सरकार ने जांच उपलब्ध कराने, मरीजों की पहचान और इलाज मुहैया कराने में अपनी नाकामी छिपाने के लिए लौक डाउन के बाद लोगों पर लाठियों से प्रहार किया है वो मानवीय अपराध है. पहले लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया गया, फिर बिना तैयारी के उन का राशन, पानी और आवागमन रोकने का ऐलान किया और अब जान बचाने के लिए घर लौट रहे लोगों का बर्बर दमन मानवीय इतिहास में कहीं और नहीं मिलेगा.

जिन लोगों का नैसर्गिक न्याय में यकीन है वो यक़ीनन सरकार और उस का समर्थन कर रहे लोगों के लिए इस घड़ी में दुआ नहीं कर रहे होंगे. अगर गरीब, कमज़ोर, असहाय की हाय में वाक़ई कोई असर होता होगा तो इतनी अमानवीयता, बर्बरता और दुष्टता के बाद न सिर्फ आपदा कुप्रबंधन के लिए ज़िम्मेदार लोगों का बल्कि जाने अंजाने उन का समर्थन कर रहे मध्यम और कारोबारी वर्ग का भी बेड़ा गर्क होगा.

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क्या आने वाले 29 अप्रैल को दुनिया खत्म हो जाएगी!

व्हाट्सअप, फेसबुक, यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया पर आजकल अफवाहों का बाजार गरम है. व्हाट्सअप के एक ग्रुप में विजय नाम के एक शख्स ने पृथ्वी की एक तसवीर शेयर करते हुए लिखा,”दोस्तो, देख लो हमारी धरती को. इस बार महाप्रलय आने वाला है. मुझे एक ज्योतिषी ने बताया है कि कलयुग का दौर अब खत्म होने वाला है और यह पृथ्वी नष्ट होने वाली है क्योंकि आने वाले 29 नवंबर को एक विशालकाय ग्रह पृथ्वी से टकराने वाला है जो आकार में हिमालय पर्वत से भी बड़ा है.

इस के पृथ्वी से टकराते ही महाविनाश होगा और सभी जीवजंतु, पेड़-पौधे का अंत हो जाएगा.

कोरोना के खतरों के बीच क्या है नई मुसीबत

सोशल मीडिया पर इस तरह की खबरों ने लोगों को उस समय और परेशानी में डाल दिया है जब कोरोना वायरस महामारी बन कर लोगों की जिंदगियां छीन रहा है.

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एक यूजर ने लिखा,”सही कहते हो भाई, शायद तभी आजकल बेमौसम बारिश हो रही हैं, ओले पङ रहे हैं.

जाहिर है, अगर ऐसा होता है तो निश्चित ही महाविनाश होगा.

कोरोना के खतरों के बीच यह नई मुसीबत इन दिनों सोशल मीडिया पर लोगों को डरा रहा है. सोशल मीडिया पर धरती के अंत का दावा करने वाली इस तरह की खबरें मानसिक तनाव बढ़ा देती हैं.

यूट्यूब पर ढेरों वीडियो

यू ट्यूब पर ऐसे कई वीडियो इन दिनों चल रहे हैं जिन में यह दावा किया जा रहा है कि आगामी 29 एक लघु या क्षुद्र ग्रह Asteroid पृथ्‍वी से टकराएगा और इस के साथ ही बड़ी तबाही मच सकती है. वायरल हो रहे इन वीडियो में दावा किया जा रहा है कि यह Asteroid आकार में एवरेस्‍ट पर्वत के बराबर है. यह बेहद तेज़ गति से पृथ्‍वी की ओर हर पल बढ़ रहा है.

जानें क्या है सचाई

यह सच है कि 29 अप्रैल के आसपास एक Asteroid पृथ्वी के सौर मंडल से और वह भी बेहद पास से गुजरेगा पर इस का पृथ्वी से टकराने की संभावना न के बराबर है. दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने कहा है कि जिस समय यह पृथ्वी से गुजरेगा तब उस की यहां से दूरी लगभग 4 मिलियन किलोमीटर यानी 40 लाख किलोमीटर होगी. इस Asteroid की गति पृथ्वी के पास से गुजरते समय 20 हजार मील प्रति घंटा होगी. अमेरिका की अंतरिक्ष शोध अनुसंधान ऐजेंसी NASA ने इस का नाम 52768 व 1998 ओआर-2 दिया है. यह चपटी आकार की है और इस की खोज साल 1998 में ही हो गई थी और तभी से वैज्ञानिक इस का गहन अध्ययन कर रहे हैं.

यह लघुग्रह 1344 दिनों में सूर्य की परिक्रमा पूरी करता है. यह सच है कि यह बेहद खतरनाक ग्रह है और यदि यह पृथ्वी से टकरा जाता है तो महाविनाश ला सकता है पर इस की संभावना न के बराबर है. इसलिए डरने की जरूरत नहीं है.

क्या कहा है वैज्ञानिकों ने

दरअसल, हमारे सौरमंडल में ऐसे लघुग्रह गुजरते रहते हैं पर पृथ्वी से लाखों किलोमीटर दूर ही.

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भारत के वैज्ञानिकों ने भी इस का पृथ्वी पर टकराने की किसी संभावना से इनकार किया है. भारतीय भौतिकी संस्थान बैंगलुरू के वरिष्ठ प्रोफैसर व वैज्ञानिक आरसी कपूर ने भी कहा है कि यह उपग्रह पृथ्वी से बिलकुल नहीं टकराने वाला है.

वैज्ञानिकों ने इस लघुग्रह का पृथ्वी से टकराने और महाविनाश होने की बात को सिरे से नकार दिया है.

हां 2079 में यह उपग्रह जरूर पृथ्वी के काफी करीब से गुजरेगा बावजूद भी यह टकराएगा नहीं.

इसलिए बेहतर यही है कि कोरी अफवाहों पर कतई ध्यान नहीं दें और सोशल मीडिया पर ऐसी किसी खबर पर भरोसा नहीं करें.

मजदूरों पर बरसा लौकडाउन का कहर

लेखक- हरीश भंडारी

कोरोना वायरस के चलते मंगलवार की रात यानी 21 मार्च से लौक डाउन का सबसे ज्यादा असर मजदूरों पर पड़ा, जहां उन्हें दैनिक मजदूरी से हाथ धोना पीडीए, वहीं उन्हें अपने मौजूदा आवासों को भी छोड़ना पड़ा. यही नहीं उन्हें अपने पैतृक शहरों, कस्बों और गांवों तक सैकड़ों किलोमीटर तक जाने के लिए कोई व्यवस्था सरकार की तरफ से नहीं कि गई, जिसके फलस्वरूप उन्हें पैदल ही भूखे प्यासे यह सफर तय करना पड़ रहा है. यही नहीं वे अपने परिवार और छोटे मोटे समान को कंधों व सिर पर लादकर अपने गंतव्य की तरफ जा रहे हैं. ये बड़े ही भयावह हृदय विदारक दृश्य हैं, जिन्हें देखकर हर किसी का रोमरोम कांप जाता है, लेकिन हमारी केंद्र व राज्य सरकार ने अपने नाककान बंद कर रखे हैं. वे धिरतराष्ट्र की तरह बस अपने कौरवों की चिंता करते हैं, अन्य से उन्हें कुछ लेनादेना नहीं. केंद्र और. राज्य सरकारें दिशा निर्देश देकर अपनी इतिश्री समझ रही हैं.

चारों तरफ अफरा तफरी

इस वायरस की भयावहता से जहां आमजन भयभीत हैं वहीं ये असहाय अपने परिवार, भूख प्यास और बारिश की परवाह न करते हुए येनकेन प्रकारेण अपने घर पहुचना  चाहते हैं. ये लोग राष्ट्रीय राजमार्गों पर सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल ही तय कर रहे हैं. सरकार की तरफ से इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है. बस सरकार लॉक डाउन का शंखनाद करके इतिश्री समझ रही है. उसे न तो यह दिखाई दे रहा है कि किस तरह ये लोग सेकड़ों किलोमीटर का सफर तय करेंगे. हां, कहीं न कहीं गलती इनकी भी है, इन्हें आ  निवास से बाहर नहीं निकलना चाहिए था, लेकिन कहते हैं न मरता क्या नहीं करता, ये बिना काम के कैसे रहते, क्योंकि दिनभर ये लोग जो कमाते हैं शाम को वही खाते हैं, यानी हैंड टू माउथ वाला हिसाब है.

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अच्छा तो यह होता कि जहां भी ये मजदूर थे उन्हें वहीं रैनबसेरों में रखा जाता, जिससे ये लोग कुछ हद तक निश्चिंत हो जाते और इस भयानक वायरस को भी फैलने से रोका जा सकता था. लेकिन भई ये तो मजदूर हैं , हां अगर किसी राजनेता या उद्योग पति का बेटा होता तो उसे एयर लिफ्ट किया जाता, कैसे भी samdamdndbhed से उन्हें लाया जाता. लेकिन सरकार की ओर से इनके लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं कि गई. यह तसवीर पिछले 3-4 दिन से लगभग सभी टीवी चैनल और अखबारों में प्रकाशित किए जा रहे हैं लेकिन सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है. सोशल मीडिया द्वारा जरूर इस पर हायतोबा मचाई गई तो देश के सफेद पोशों की कुंभकर्णी निंद टूटी और सर कुछ हरकत में आई. इनके लिए रैनबसेरों में खानेपीने की व्यवस्था की गई. जैसे दिल्ली सरकार ने कश्मीरी गेट, आनंदविहार, रेलवे स्टेशनों पर फंसे हुए यात्रियों को खानापानी मुहैया कराया.

देश ने ठाना है कोरोना को हराना है

उपरोक्त स्लोगन जहां कोरोना वायरस को मात देने कि  बात करता है, लेकिन देश में तो इसे मात देने वाले पहले ही सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल कर ह र गये हैं. इस स्थिति में वे कोरोना को कैसे हराएंगे. कहते हैं न भूखे पेट भजन नहीं भाई. दूसरी बात जो सोशल डिस्टेंस की है वह भी सड़कों पर उमड़े इस रैली जैसे माहौल में कैसे सम्भव होगा.

वहीं कुछ लोग ऐसे भी दिखे जो दिल्ली से बिहार के आरा तक अपनी हाथ ठेलों से ही जाने की कूवत रखते हैं, जबकि यदि ये सही सलामत चले तो इन्हें वहां पहुंचने में लगभग एक सप्ताह लगेगा. क्या इस स्थिति में देश की जनता कोरोना को मात दे पाएगी.

चारों तरफ अफरा तफरी

देश में हर तरफ अफरा तफरी मची है. प्रधानमंत्री की लक्षमण रेखा न पार करने की अपील को बिगड़ैल जनता मुंह चिढ़ा रही है. हर तरफ रेला दिखाई देता है चाहे वह राशन की दुकान हो, सब्जियों की या फिर दवाइयों की. जमकर कर्फ़्यू का उल्लंघन हो रहा है. प्रशासन को इनसे दोदो हाथ करने पड़ रहे हैं. पुलिस को इन्हें काबू करने में नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं. कहीं पुलिस इन्हें मुर्गा बना कर लठ बज रही है तो कहीं वह इनके हाथ पिटती भी नजर आ रही है.

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वसूली करने वालों की पौबारह

कोरोना वायरस के भय से जहाँ लोग अपने घर मे दुबके हैं, वहीं कुछ मौके का फायदा उठाने से भी नहीं चूक रहे हैं. भले ही सरकार ने इन वाहनों को सड़क पर चलने की छूट दे रखी है, लेकिन यह मौके का गलत फायदा उठा कर मुनाफा कमाने कीसोच रहे हैं. जैसे दूध के टैंकर और बड़े बड़े कन्टेनर मजदूरों की मजबूरी का फायदा उठा कर उनसे जरा सी दूरी का भी 2 हजार किराया वसूल रहे हैं.

कुलमिलाकर हर तरफ से गरीब ही मारा जा रहा है.सरकार इन बातों पर बारीकी से नजर रखे और इन जालसाजों पर कड़ी कार्रवाई करे अन्यथा इस अफरा तफरी के माहौल को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा.

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