दुनिया की महाशक्ति अमेरिका, चीन इत्यादि जो कभी किसी बड़े से बड़े ब्रह्मास्त्र यानी मिसाइलों को थामने की शक्ति रखते थे, आज कोरोना वायरस के समक्ष बेबस दिखाई दे रहे हैं. एक अदद कोरोना वायरस के दंश झेलते हुए…! आज से पहले, कोई ऐसा कहता, सोचता तो उसे खारिज कर दिया जाता. हथियारों की होड़, ऊंची परमाणु शक्तियों से समृद्ध ऐश्वर्या पूर्ण जीवन और उच्च संस्था शीर्ष पर मानव सभ्यता, आज एक वायरस के समक्ष कैसी बेबस है. यह देखकर आप क्या यह महसूस नहीं करते हैं की एक दिन तो ऐसा होना ही था.
दरअसल, कोरोना वायरस चीन की ईजाद है, वुहान शहर की प्रयोगशाला से वैज्ञानिकों, डॉक्टरों को धत्ता बता, उन्हें ही मार यह निकल पड़ा. कहते हैं, चीन इसके लिए दोषी है, जिसने संपूर्ण मानवता को खतरे में डाल दिया है. इस भूमिका के पश्चात इस लेख का जो विषय है हम उस पर आते हैं. कोरोना वायरस को लेकर जो स्थितियां हैं उससे प्रतीत होता है की चीन, अमेरिका सहित अन्य प्रमुख राष्ट्र को नेस्तनाबूद करने आमदा है.दुनिया की सबसे ताकतवर हस्ती राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को झुकाना चीन का उद्देश्य पूर्ति होता दिखाई दे रहा है, दुनिया पर अपने वर्चस्व की रणनीति के तहत कोरोना वायरस की इजाद की गई है. और प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जिस तरह अमेरिका के आगे पीछे घूम रहे थे, चीन को नीचा दिखाने की कोशिश उनकी बांडी लैंग्वेज से अक्सर दिखाई पड़ती थी के दुष्परिणाम स्वरूप भारत भी चीन के एजेंडे पर है.
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कोरोना : चीन की मानसिकता
नरेंद्र दामोदरदास मोदी जैसे ही प्रधानमंत्री बने उन्होंने विश्व नेता बनने भूमिका बनानी शुरू कर दी. उनकी चाल ढाल, भाव भंगिमा ऐसी रही की भारत एक महाशक्तिशाली राष्ट्र है और उसके प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी विश्व को अपनी मुट्ठी में भींच लेंगे .
यही गतिविधि थी की नरेंद्र मोदी ने प्रथम कार्यकाल में “दुनिया भर” का चक्कर लगाया और हर जगह मोदी- मोदी के नारे लगवाए . चीन के राष्ट्रपति अमेरिका के राष्ट्रपति हो या जापान, जर्मनी के प्रमुख सब जगह बेवजह यह दिखाया गया की नरेंद्र मोदी एक सशक्त नेता हैं और जल्द ही दुनिया का नेतृत्व करेंगे.भारत पुनः विश्व गुरु बनेगा.दरअसल, जब कोई छोटा आदमी बड़ी-बड़ी बातें करता है तो उसे डपट दिया जाता है… यह मानसिकता हर जगह है. भले ही वह सही हो… नरेंद्र दामोदरदास मोदी के इन हाव भाव, एक्शन से चीन का चिढ़ना स्वाभाविक है.
पाकिस्तान का मामला हो या चीन का सीमा विवाद, नरेंद्र मोदी का एक्शन, चीन के प्रमुख को कतई पसंद नहीं आता होगा. यही कारण है की जब “कोरोना का प्रकोप”भारत में प्रसारित हो रहा है और चीन उस पर काबू पा चुका है तो उसका प्रशिक्षण आदि तक चीन भारत को शेयर नहीं कर रहा है.
कोरोना : चीन की रणनीति
कोरोना को लेकर चीन की रणनीति को अभी समीक्षक समझने का प्रयास कर रहे हैं. मगर जो तथ्य सामने आ रहे हैं उसमें यह तो स्पष्ट है की कोरोना चीन की ईजाद है. क्षति होने के बाद भी चीन ने उस पर काबू पा लिया है और पुनः उसकी गाड़ी पटरी पर लौट रही है. पार्क,सड़कें खुल गई हैं मगर दूसरी तरफ विश्व में तबाही मची हुई है. अमेरिका,भारत सहित दुनिया के 182 देश कोरोना की चपेट में है. विश्व की अर्थव्यवस्था, मानव सभ्यता रसातल में जाने की परिस्थितियां निर्मित हो चुकी है. भारत में ही देखें, सारी ट्रेन, फैक्ट्रियां, सड़क बंद है.क्या यह भारत को घुटनों पर लाने के लिए पर्याप्त नहीं है.इन हालातों में भारत 50 वर्ष पीछे चला जाएगा.
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चीन से गुहार जरूरी
ऐसे समय में भारत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को, सारी कुंठाये भूल बिसार कर,चीन के राष्ट्अध्यक्ष से चर्चा करके मदद मांगनी चाहिए. भारत अर्थव्यवस्था, सामरिक शक्ति, और समृद्धि के समक्ष बेहद कमतर है, जब दुनिया के महा शक्तिशाली देश कोरोना से निजात नहीं पा पा रहे हैं तो भारत अपने दम पर कैसे विजय प्राप्त करेगा. ऐसे में चीन से सवांद करके उससे मदद मांगनी चाहिए .भारत-चीन भाई भाई का वास्ता देकर, एक पड़ोसी का वास्ता देकर भारत को मदद मांगनी चाहिए. चीन ही ऐसा उत्स है जहां से कोरोना प्रारंभ हुआ था, और वही है जो, इसे खत्म करने की ताकत रखता है यह दुनिया देख चुकी है.