सही फैसला : क्या पूरी हुई सुनील और पूनम की प्रेम कहानी?

सुनील मुजफ्फरपुर का रहने वाला था. बीए करने के बाद उसे कोलकाता में नौकरी मिल गई. कुछ दिनों की कोशिश के बाद उसे किराए पर मकान भी मिल गया.

मकान मालिक का नाम रंजीत प्रसाद था. उन की उम्र 40 साल के आसपास थी. उन की पत्नी का नाम पूनम था, जिस की उम्र 22 साल के आसपास थी. वह बेहद खूबसूरत थी.

पूनम रंजीत प्रसाद की दूसरी पत्नी थी. उन की पहली पत्नी की 4 साल पहले मौत हो गई थी. बच्चे की लालसा में रंजीत प्रसाद ने 2 साल पहले पूनम से शादी की थी. मगर पूनम ने भी उन्हें अब तक कोई बच्चा नहीं दिया था.

मकान 2 मंजिल का था. मकान मालिक ऊपरी मंजिल पर रहते थे और सुनील नीचे रहता था.

सुनील रंजीत प्रसाद को भैया कहता था और पूनम को भाभी. वह उन के घर के छोटेमोटे काम भी कर देता था.

एक दिन रंजीत प्रसाद ने सुनील से कहा, ‘‘अब तुम्हें खाना बनाने की जरूरत नहीं. कल से तुम हमारे साथ ही खाना खाओगे.’’

पहले सुनील इस के लिए तैयार नहीं हुआ, मगर जब पूनम ने भी जोर दिया, तो वह उन लोगों के साथ खाना खाने के लिए राजी हो गया. मगर शर्त यह रखी कि भोजन के बदले उन्हें रुपए लेने होंगे. आखिरकार रंजीत प्रसाद ने भी उस की शर्त मान ली.

धीरेधीरे सुनील को लगने लगा कि वह पूनम को चाहने लगा है. अगर पूनम उसे नहीं मिलेगी, तो उस की जिंदगी बेकार हो जाएगी.

इसी तरह 6 महीने बीत गए. उस के बाद एक दिन ऐसा वाकिआ हुआ कि वे दोनों एकदूसरे में समाए बिना न रह सके.

उस दिन रविवार था. सुनील की छुट्टी थी. रंजीत प्रसाद रोजाना की तरह सुबह 11 बजे अपनी दुकान पर चले गए थे. वे रात के 10 बजे से पहले घर नहीं लौटते थे. वे अपनी दुकान वृहस्पतिवार को बंद रखते थे.

दोपहर का भोजन करते समय अचानक पूनम ने सुनील से कहा कि वह उस के साथ सिनेमाघर में कोई फिल्म देखना चाहती है.

सुनील को लगा कि जैसे उस के मन की मुराद पूरी हो गई हो. दोनों ने शाम को फिल्म देखने की योजना बना ली.

शाम को सुनील अपने कमरे में तैयार हो रहा था कि अचानक वहां पूनम आ गई. वह एकटक उसे देखने लगा. उस की नजरें पूनम के हर एक अंग को निहारने लगीं.

कसा हुआ बदन, उभरी हुई छाती, बड़ीबड़ी आंखें, पतली कमर, गुलाबी होंठ और उस समय उस ने काले रंग का सूट भी पहन रखा था, जो उस के गोरे रंग पर कयामत ढा रहा था.

सुनील कुछ कहता, इस से पहले पूनम बोली, ‘‘क्या हुआ? इस तरह आंखें फाड़ कर मुझे क्यों देख रहे हो? क्या मैं इस लिबास में अच्छी नहीं लग रही?’’

‘‘अच्छी तो आप हर लिबास में लगती हैं, मगर इस लिबास में तो कुछ और ही बात है भाभी.’’

पूनम मुसकराती हुई बोली, ‘‘क्या तुम्हारा दिल घायल हो गया है?’’

सुनील खुद पर काबू न पा सका और दिल की बात जबान पर झट से ला दिया, ‘‘अगर मैं कहूं कि मेरा दिल आप को पाने के लिए छटपटा उठा है, तो…?’’

‘‘ऐसी बात है, तो तुम्हीं बताओ कि तुम्हारे दिल की छटपटाहट दूर करने के लिए मुझे क्या करना होगा?’’

सुनील को लगा कि अगर उस ने यह मौका गंवा दिया, तो पूनम को कभी भी पा नहीं सकेगा.

उस ने बगैर देर किए झट से पूनम को अपनी बांहों में भर लिया और कहा, ‘‘आप को कुछ करना नहीं है. जो कुछ करना है, मुझे करना है. आप को सिर्फ मेरा साथ देना है.’’

इतना कहने के बाद सुनील पूनम के गुलाबी गालों और रसीले होंठों को बारबार चूमने लगा.

थोड़ी देर बाद पूनम बोली, ‘‘अब छोड़ो, नहीं तो फिल्म जाने में देर हो जाएगी.’’

सुनील ने पूनम को अपनी बांहों से जुदा नहीं किया. उस ने पूनम के गालों पर एक जोरदार चुंबन जड़ कर कहा, ‘‘मैं कुछ और ही सोच रहा हूं.’’

‘‘वह क्या?’’

‘‘आज जब हम दोनों ने एकदूसरे पर अपने प्यार का इजहार कर ही दिया है, तो क्यों न जिंदगी का असली मजा बिस्तर पर लिया जाए? फिल्म फिर कभी देख लेंगे.’’

पूनम मुसकरा कर बोली, ‘‘खयाल बुरा नहीं है. दरवाजा बंद कर लो. मैं बिस्तर पर चलती हूं.’’

पूनम को अपनी बांहों से अलग कर सुनील कमरे का दरवाजा बंद करने चला गया.

वह दरवाजा बंद कर के बिस्तर पर आया, तो वहां पूनम मुंह के बल लेटी थी. सुनील की बेकरारी बढ़ गई, तो वह पूनम के कपड़े उतारने लगा. पूनम का संगमरमरी बदन देख कर सुनील को लगा कि आज उस की प्यास बुझ जाएगी.

वह धीरेधीरे प्यार के रास्ते पर आगे बढ़ता गया… पूनम भी लाजशर्म छोड़ कर उस का साथ देती गई.

प्यार की मंजिल पर पहुंच कर जब दोनों शांत हो गए, तो पूनम ने कहा, ‘‘आज तुम से जो सुख मुझे मिला है, वैसा सुख मुझे मेरे पति से सुहागरात को भी नहीं मिला था.’’ न चाहते हुए भी सुनील ने उस से पूछ लिया, ‘‘ऐसा क्यों?’’

‘‘शायद इसलिए कि वे उम्र में मुझ से काफी बड़े हैं. मैं सच कहती हूं, पति से मैं एक दिन भी खुश नहीं हो पाई. अगर मैं उन से संतुष्ट होती, तो अपना जिस्म तुम्हें क्यों सौंपती?’’

‘‘फिर आप ने रंजीत भैया से शादी क्यों की?’’

‘‘यह मेरी मजबूरी थी. मेरे पिता बहुत गरीब थे. मेरे अलावा उन की

4 बेटियां और थीं. मैं सब से बड़ी थी. कोई भी बिना दहेज के मु?ा से शादी करने के लिए तैयार नहीं था. मेरे पिता की दहेज देने की हैसियत नहीं थी.

‘‘इसलिए जब रंजीत प्रसाद ने मुझसे शादी करने के लिए पिता को प्रस्ताव दिया, तो वे मान गए. मैं पिता की मजबूरी समझाती थी, इसलिए इस बेमेल शादी का विरोध नहीं कर पाई.

‘‘मैं ने सोचा था कि रंजीत प्रसाद उम्र में मुझ से 18 साल बड़े जरूर हैं, मगर जब वे मुझे प्यार करेंगे, तो मैं सुख से भर जाऊंगी, पर ऐसा नहीं हुआ.

‘‘2 साल तक मैं ने अपनी कामनाओं को दबा कर रखा, मगर जब तुम्हें देखा, तो अपनेआप पर काबू न रख सकी और सोचा कि अपनी प्यास बुझने के लिए अपनेआप को तुम्हारे हवाले कर दूंगी. अभी मैं तुम्हारी बांहों में हूं.’’

यह कह कर पूनम चुप हो गई, तो सुनील ने उसे अपनी बांहों में कस लिया. उस के गालों पर एक चुंबन जड़ने के बाद कहा, ‘‘मैं सच कहता हूं भाभी, अगर आप मुझे नहीं मिलतीं, तो मैं जी नहीं पाता.’’

उस दिन के बाद से दोनों को जब भी मौका मिलता, वे एकदूसरे में समा जाते.

2 साल बीत गए. इस बीच सुनील के मातापिता ने शादी करने के लिए उस पर कई बार दबाव डाला, मगर उस ने हर बार कोई न कोई बहाना बना दिया.

एक बार जब सुनील गांव गया, तो उस की मां ने अपना यह फैसला सुनाया कि अगर उस ने 6 महीने के अंदर शादी नहीं की, तो वे खुदकुशी कर लेंगी.

यह सुन कर सुनील चिंता में पड़ गया. उस की मां ने उस के लिए एक लड़की भी देख रखी थी.

पूनम को सुनील इतना ज्यादा प्यार करने लगा था कि किसी भी हाल में वह उस से अलग नहीं होना चाहता था. काफी सोचने के बाद उस ने फैसला किया कि वह समाज की परवाह किए बिना पूनम से शादी करेगा.

गांव से लौट कर सुनील कोलकाता आया. मौका देख कर एक दिन उस ने पूनम को अपनी बांहों में भर लिया और कहा, ‘‘मुझे तुम से कुछ कहना है.’’

‘‘मैं भी तुम्हें एक बात बताने के पिछले एक हफ्ते से बेचैन हूं. कहो तो बता दूं.’’

‘‘पहले तुम अपनी बात कहो, फिर मैं कहूंगा.’’

‘‘मैं तुम्हारे बच्चे की मां बनने वाली हूं…’’ कहतेकहते पूनम शरमा गई, ‘‘मैं जानती हूं कि तुम मुझे बहुत प्यार करते हो, इसीलिए मैं ने यह फैसला किया है कि अब मैं रंजीत प्रसाद के साथ नहीं रहूंगी. उन से तलाक ले कर तुम से शादी करूंगी. तुम मुझ से शादी करोगे न?’’

सुनील खुशी से झूम उठा. पूनम ने कहा कि सब से पहले वह अपने और सुनील के जिस्मानी संबंध की जानकारी अपने पति को देगी और फिर उन से तलाक की बात करेगी. अगर वे मान गए तो ठीक, नहीं तो उन्हें नामर्द साबित कर के कोर्ट से तलाक ले लेगी.

पूनम ने सुनील से कहा था कि वह रंजीत प्रसाद से रात में तलाक की बात करेगी और अगले दिन सुबह वह उसे उन का फैसला बता देगी.

मगर अगले दिन सुबह सुनील को पूनम से बात करने का मौका नहीं मिला. मजबूरी में वह दफ्तर चला गया.

दफ्तर से लौट कर सुनील शाम के 6 बजे घर आया, तो पूनम अपने कमरे में थी. रोज की तरह उस समय रंजीत प्रसाद घर पर नहीं थे.

पूनम के पास बैठ कर सुनील ने उस से पूछा, ‘‘तुम ने रंजीत से तलाक की बात की?’’

‘‘बात की थी, मगर उन्होंने जो कुछ कहा, उस पर सोचने के बाद मैं ने अपना फैसला बदल दिया.

‘‘अब मैं उन्हें तलाक नहीं दूंगी और न ही तुम्हारे साथ कोई संबंध रखूंगी.’’

यह सुन कर सुनील हैरान रह गया. उस ने पूनम से पूछा, ‘‘ऐसी कौन सी बात उन्होंने तुम्हें बताई कि तुम मेरे साथ विश्वासघात करने पर उतारू हो गई.’’

‘‘उन से बात करने के बाद मुझे पता चला कि उन्हें मेरे और तुम्हारे नाजायज संबंध की जानकारी बहुत पहले से थी. उन्होंने जानबूझ कर हमें रोकने की कोशिश नहीं की.

‘‘उन्होंने ऐसा इसलिए किया कि उन का मानना है कि औरत अगर किसी मर्द के साथ बेवफाई करना चाहे, तो सात तालों में बंद रहने के बावजूद कर डालेगी. अगर औरत किसी के प्रति वफादार रहना चाहेगी, तो दुनिया में ऐसी कोई ताकत नहीं है कि उसे बेवफाई करने पर मजबूर कर दे.

‘‘मेरे पति ने मुझे यह भी कहा, ‘अगर तुम्हें मुझ से संतुष्टि नहीं मिलती है, सुनील से मिलती है, तो तुम उस से नाजायज संबंध बनाए रख सकती हो. मगर मुझे तलाक दे कर उस से शादी करने की बात मत करो, क्योंकि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं, तुम्हारे बिना मेरी जिंदगी बेकार हो जाएगी.’

‘‘मेरे पति की बातों ने मुझे झकझोर कर रख दिया. आखिरकार मैं ने फैसला किया कि अब मैं पति को नहीं छोड़ूंगी.’’

पूनम का फैसला जान कर सुनील गुस्से में आ गया. उस ने पूनम का गला दबोच लिया और कहा, ‘‘अगर तुम मुझ से शादी नहीं करोगी, तो मैं तुम्हें जान से मार दूंगा.’’

पूनम ने कहा, ‘‘तुम मुझे जान से मार दो, मैं चूं तक नहीं करूंगी. पर पति के साथ बेवफाई करने को मत कहना.’’

सुनील उस के गले पर अपने हाथ का दबाव डालने ही जा रहा था कि अचानक उसे लगा कि वह सही नहीं है, सही रास्ते पर तो पूनम थी.

उस के बाद सुनील ने पूनम के गले पर से अपना हाथ हटा लिया और कहा, ‘‘मैं तुम्हें मार नहीं सकता पूनम, क्योंकि मैं तुम्हें दिल की गहराइयों से चाहता हूं. तुम्हें तुम्हारा पति भी चाहता है. तुम तो एक ही हो. तुम दोनों के साथ तो रह नहीं सकती, इसलिए तुम अपने पति के साथ ही रहो.

‘‘मैं कल ही तुम्हारे घर से, तुम्हारी दुनिया से दूर चला जाऊंगा. तुम अपने पति के साथ हमेशा खुश रहना.’’

हियरिंग ऐड : क्या सालों बाद भी माया ने किया उसका इंतजार

फूलों सी नाजुक उस लड़की से कोई तो रिश्ता है मेरा वरना उसे देखते ही दिल
इतना बेचैन क्यों होता है? उस की आंखों में मैं अपना अक्स क्यों ढूंढने
लगता हूं ? एक अजनबी लड़की के होठों से अपना नाम क्यों सुनना चाहता हूं ?
मेरा दिल कह रहा था एक बार उस से अपने दिल की बात कह दूं. मैं मौके की
तलाश में था.

उस दिन वह कॉलेज कैंटीन में अकेली बैठी कुछ पढ़ रही थी. कैंटीन उस वक्त
खाली सा था. मैं उस के सामने वाली चेयर पर जा कर बैठ गया और गला साफ करते
हुए कुछ कहने की हिम्मत जुटाने लगा. मगर उस का ध्यान मेरी तरफ नहीं था.
वह नौवल पढ़ने में मशगूल थी.

मैं ने फिर से अपना गला साफ किया और टेबल पर रखे उस के हाथ थाम कर कहना
शुरू किया,” आज तक मैं ने कभी किसी के लिए ऐसा महसूस नहीं किया जैसा आप
के लिए करता हूं. यह प्यारी बोलती सी आंखें, ये घुंघराले बाल, यह मासूम
सा चेहरा मेरी आंखों में बस गया है. सोतेजागते, पढ़तेलिखते हर वक्त आप ही
नजर आती हो. यू आर माय फर्स्ट लव एंड द फर्स्ट लव विल बी द लास्ट लव. डू
यू लाइक मी?”

माया एक हल्की मुस्कान लिए मेरी नजरों में देख रही थी. उस ने कोई जवाब
नहीं दिया तो मैं थोड़ा असहज हो गया,” देखिए मैं दूसरे लड़कों की तरह
नहीं हूं. आई रियली लव यू. रूह की गहराइयों से प्यार करता हूं आप को. ”

वह अब भी मुझे वैसे ही देखती रही. एक बार फिर कोई जवाब न पा कर मैं ने उस
के हाथ छोड़ दिए और आंखें नीची कर ली.

तब जैसे वह होश में आई और तुरंत बोली,” एक्चुअली आई डोंट नो व्हाट डिड यू
से. मैं ने सुना नहीं. मेरे कान खराब हैं न. ”

मैं हतप्रभ रह गया. मेरी इतनी मेहनत बेकार गई थी. इतनी फीलिंग्स के साथ
मैं ने इतना कुछ कहा और वह तो कुछ सुन ही नहीं सकी. बहरी है बेचारी. मन
में अफसोस हुआ. इशारे से कुछ कहती हुई वह बैग खोलने लगी और मैं सॉरी कह
कर वहां से उठ गया.

“अरे सुनो. रुको तो. कहाँ जा रहे हो?” वह पुकार रही थी. मगर मैं अपनी ही
धुन में बाहर निकल आया.

मेरे पहले प्यार का पहला प्रपोजल सुना ही नहीं गया था. पर मैं ने हिम्मत
नहीं आ हारी और वही सब बातें एक कागज पर लिख कर फिर से उस के पास पहुंचा
और उसे कागज थमा दिया. मैं ने यह भी लिख दिया था कि आप बहरी हैं यह जान
कर बहुत दुख हुआ. मगर आप के अंदर इतनी खूबियां हैं कि है एक कमी कोई
मायने नहीं रखती.

कागज पढ़ कर वह मुस्कुरा उठी और सहजता से बोली,” आई रियली लाइक यू. कल
तुम क्या कह रहे थे यह मैं ने कानों से तो नहीं सुना मगर तुम्हारे दिल
में क्या है यह अच्छी तरह महसूस किया था. जब तुम मेरे पास आ कर बैठे थे
उसी पल मैं ने तुम्हें अपना दिल दे दिया था. तुम दूसरे लड़कों से बहुत
अलग हो. जैसा मैं चाहती थी बिल्कुल वैसे हो. तुम्हें यह भी बता दूं कि
मैं बहरी नहीं, बस सुनाई कम देता है. यह हियरिंग ऐड न लगाऊं तो हल्की
आवाज कान तक नहीं पहुंचती. जब कोई चिल्ला कर बोले तभी सुनाई देता है. पर
यह हियरिंग ऐड लगाते ही सब कुछ क्लियर सुन सकती हूं. कल मैं इसे निकालने
के लिए ही बैग खोल रही थी. तब तक तुम चले गए. मुझे लगा बहरी समझ कर तुम
दोबारा नहीं आओगे. मगर आज तुम फिर से वापस आए तो मुझे यकीन हो गया है कि
तुम्हारा प्यार सच्चा है. ”

” प्यार तो रूह से होता है. एक जुड़ाव जो तुम्हारे लिए महसूस किया, कभी
किसी और के लिए नहीं किया, ” मैं ने कहा.

” मेरे आगेपीछे हजारों लड़के घूमते हैं मगर किसी की आंखों में वह प्यार
नहीं था जो प्यार तुम्हारी आंखों में है. कितनी सादगी और सरलता से तुमने
अपने दिल की बात कह दी. सच तुम्हारी ही तलाश थी मुझे, ” वह मुझे चाहत भरी
नजरों से देख रही थी.

इस तरह वह यानी माया मेरी जिंदगी में आ गई. हम साथ हंसते, साथ खातेपीते
और साथ ही पढ़ते. वह ऐसी लड़की थी जो जिंदगी पूरी तरह जीना चाहती थी. खुद
के साथ दूसरों का भी ख्याल रखती. खूब मस्ती करती और पढ़ाई के समय सीरियस
हो कर पढ़ती भी. उसे नोवेल्स पढ़ने का बहुत शौक था. अक्सर नोवेल्स के
किरदारों में गुम रहती.

हम ने बेहद खूबसूरत लम्हे साथ बिताए. वह कभी मुझ से बोर हो जाती या झगड़ा
होता तो वह अपने हियरिंग ऐड कान से निकाल कर पर्स में रख लेती. फिर मैं
कितना भी बोलता रहता उसे फर्क नहीं पड़ता. थोड़ी देर के बाद मुझे याद आता
कि उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा होगा. हम दोनों बाद में इस बात पर बहुत
हंसते.

इसी तरह समय बीत रहा था. हम ने ग्रेजुएशन कर लिया. माया और मैं ने अब
एमबीए का कोर्स ज्वाइन कर लिया था. इधर कुछ दिनों से मां मेरी शादी की
बातें करने लगी थी. मगर मैं अभी माया के मन की थाह लेना चाहता था. हम ने
अब तक शादी को ले कर कोई चर्चा नहीं की थी.

एक दिन माया एक नौवेल पढ़ती हुई उस के किरदारों के बारे में बताने लगी, ”
जानते हो इस नौवेल के दोनों मुख्य किरदारों ने शादी कहां की ?”

“कहां की?”

” उन्होंने पानी के जहाज पर शादी की,” यह बात बताते वक्त उस की आंखों में
एक चमक थी. फिर अचानक गंभीर हो कर बोली,” अच्छा यह बताओ कि हम अपनी शादी
कहां करेंगे?”

मैं मुस्कुरा पड़ा. मेरे दिल को तसल्ली मिली कि माया मेरे साथ पूरी
जिंदगी के सपने देख रही है. उस ने फिर से मुझ से पूछा तो मैं ने उस के
हाथों को चूम कर कहा,” हम आसमान में शादी करेंगे. बादलों के बीच प्लेन
में बैठ कर हमेशा के लिए एकदूसरे के बन जाएंगे. ”

सुन कर वह खिलखिला उठी और मेरे गले लग गई. बिना कुछ कहे ही हम ने एकदूसरे
को शादी के लिए प्रपोज कर लिया था. अगले दिन मैं ने विचार किया कि अब
मुझे मां से शादी की बात कर लेनी चाहिए. आखिर मां मेरी शादी को ले कर
बहुत सपने देख रही है. दरअसल मैं मां का इकलौता बेटा हूं. बड़ी दीदी की
शादी हो चुकी है और पापा 2 साल पहले हमें छोड़ कर जा चुके हैं. सही मायने
में मां के सिवा मेरा कोई नहीं था.

मैं ने मां को हर बात सच बताने की ठानी और उन के पास पहुंच गया.

” मां आप काफी समय से पूछ रही थीं न कि मैं शादी कब करूंगा. तो बस आज आप
से यही कहने आया हूं कि मैं अब शादी के लिए तैयार हूं. मैं ने आप के लिए
बहू भी देख रखी है. ”

“अच्छा सच,” मां का चेहरा खुशी से खिल उठा था.

मैं ने मां को माया के बारे में सब कुछ बताते हुए कहा ,” मां वह इतनी
खूबसूरत है जैसे स्वर्ग की अप्सरा हो, सांचे में ढला हुआ उस का बदन और मन
से इतनी भली लड़की है कि क्या बताऊँ. आंखें इतनी प्यारी हैं कि किसी को
देख ले तो वह फिर से जी जाए और बाल तो ऐसे कि आप देखोगे न तो आप को लगेगा
कि उस के अंदर कुदरत ने केवल खूबसूरती ही भर दी है. पर मां उसे नजर न लग
जाए इसलिए कुदरत ने एक छोटी सी कमी भी रख छोड़ी है, ” मेरी आवाज थोड़ी धीमी
हो गई थी.

” कमी? कैसी कमी बेटा ?” मां ने पूछा.

” मां उस के कानों में समस्या है. सुनने की समस्या.”

” यह क्या कह रहा है तू? मेरा इकलौता बेटा एक बहरी लड़की से शादी करेगा?
लोग क्या कहेंगे और भला तुझ में कौन सी कमी है जो तुझे ऐसी लड़की लाने की
सूझी?”मां एकदम से भड़क उठी.

” अरे मां वह बहरी नहीं है बस ऊंचा सुनती है. मगर हियरिंग ऐड लगा कर सब
कुछ सुन सकती है,” मैं ने मां को समझाना चाहा.

मगर मां अड़ गई थीं,” अरे बेटा वह हर समय तो मशीन लगा कर नहीं रहेगी न.
मान ले जब वह सो रही है या आराम कर रही है और उस ने मशीन उठा कर रखी हुई
है उस वक्त अचानक घर में कोई हादसा हो जाए, मैं गिर जाऊं, उस के बच्चे का
पैर फिसल जाए या फिर कुछ और हो जाए. तब हम तो चिल्लाते रह जाएंगे न और
उसे कुछ सुनाई ही नहीं देगा. बेटे आंखों देखी मक्खी नहीं निगली जा सकती.
केवल खूबसूरत होना काफी नहीं. घर भी तो चलाना होगा न. पूरी दुनिया में
तुझे एक बहरी लड़की ही मिली थी? नहीं बेटा मैं इस शादी की अनुमति नहीं दे
सकती.” मां ने अपना फैसला सुना दिया था. इस के बाद मैं ने मां को लाख
समझाना चाहा मगर वह नहीं मानी.

मां ने मुझे साफ शब्दों में कहा,” सुन ले अगर मां के लिए जरा सी भी
मोहब्बत और इज्जत है तो तू उस लड़की से शादी नहीं करेगा. उसे भूल जा या
फिर मुझे भूल जा. ”

मेरे लिए मां से बढ़ कर कोई नहीं था सो मैं ने मां के बजाय माया को भूलना
ही मुनासिब समझा. मैं माया से दूरियां बढ़ाने लगा. वह करीब आने की कोशिश
करती तो मैं बहाने बना कर दूर चला जाता. बहुत दिनों तक ऐसा ही चलता रहा.

एक दिन उस ने मेरा हाथ पकड़ कर नम आंखों से पूछा,” तुम मुझे अवॉयड क्यों
कर रहे हो मनीष? मुझ से शादी नहीं करोगे?”

” नहीं मैं तुम से शादी नहीं कर सकता. तुम किसी और को देख लो.,” मैं ने
जानबूझ कर बात इतनी खराब अंदाज में कही ताकि उसे बुरा लगे और वह मुझ से
दूर हो जाए. सचमुच ऐसा ही हुआ.

माया भड़क उठी,” किसी और को देख लो, इस का क्या मतलब होता है मनीष? आज तक
हम ने एकसाथ कितने ही सपने देखे और आज तुम ..”

” हां मैं कह रहा हूं कि किसी से भी कर लो शादी और मेरा पीछा छोड़ो ,” कह
कर मैं उस से हाथ छुड़ा कर घर आ गया और फिर कमरा बंद कर शाम तक रोता रहा.

मैं जानता था अब माया कभी भी मुझ से बात तक नहीं करेगी. ऐसा लग रहा था
जैसे किसी ने मेरे शरीर से रूह निकाल कर अलग कर दिया हो. मेरे होठों की
हंसी छिन गई हो. उस दिन के बाद माया मुझ से बिल्कुल कटीकटी रहने लगी. एक
दो महीने बाद ही फाइनल एग्जाम थे सो हमारे कॉलेज में प्रिपरेशन के लिए
छुट्टी हो गई. फिर एग्जाम हुए और इस बीच मेरा प्लेसमेंट एक मल्टीनेशनल
कंपनी में हो गया. माया ने भी कहीं और ज्वाइन कर लिया था. उस से मेरा कोई
संपर्क नहीं रह गया.

इन दिनों में जी तो रहा था मगर जीने की चाह मिट चुकी थी. मां सब समझ रही
थीं. फिर भी उन्हें लगता था कि कोई और लड़की मेरी जिंदगी में आएगी तो सब
नॉर्मल हो जाएगा. मगर मैं ने दिल के सारे दरवाजे इस कदर बंद कर लिए थे कि
कोई और लड़की दिल में आ ही नहीं सकती थी.

मां ने कई खूबसूरत लड़कियों के रिश्ते मुझे सुझाए. एक से बढ़ कर एक
लड़कियों के फोटो दिखाए मगर मुझे कोई पसंद नहीं आई. एक तो उन की बहन की
रिश्तेदार थी. मां ने उसे घर भी बुला लिया. मगर मुझे कोई रुचि लेते न देख
फिर उसे वापस भेज दिया. इस तरह 5 साल बीत गए. मां बीमार रहने लगी थी. वह
किसी भी तरह मुझे खुश देखना चाहती थीं .

अंत में एक दिन उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया और कहा,” बेटा मैं समझ
चुकी हूं कि तू माया के बगैर खुश नहीं रह सकता. देख तो क्या हालत बना ली
है अपनी. जा मैं कहती हूं माया को ही अपना ले. मां हूँ, तेरे चेहरे पर यह
गमी बर्दाश्त नहीं कर सकती. ”

मां की बात सुन कर में फूटफूट कर रो पड़ा.,” मां अब अनुमति देने से क्या
होगा? 5 साल बीत चुके हैं. उस ने कब की शादी कर ली होगी. मेरा कोई
कांटेक्ट भी नहीं है उस से, ” मैं ने बुझे स्वर में कहा..

” बेटा मेरा दिल कहता है, अगर वह भी तुझ से प्यार करती होगी तो उस ने भी
जरूर अब तक शादी नहीं की होगी.”

मैं ने मां की बात का मान रखा और अपनी जिंदगी को ढूंढने निकल पड़ा.बड़ी
मुश्किल से उस की सहेली का पता मालूम किया जो ससुराल में थी. मैं ने उस
से माया का पता पूछा तो उस ने कहा कि उसे भी कुछ नहीं पता. शायद माया ने
उस से कुछ भी न बताने का वादा किया लिया होगा. बाद में मैं ने एक दो
दोस्तों से भी बात की मगर किसी को भी उस के बारे में पता नहीं था.

फिर एक दिन अचानक मेरी मुलाकात कॉलेज के एक लड़के से हुई जो दिल ही दिल
में माया को चाहता था. हालचाल पूछने पर उसी ने माया का जिक्र छेड़ा. उस
ने बताया कि वह एक मीटिंग में के सिलसिले में शिमला गया था. वही माया से
मुलाकात हुई थी. वह अपनी कंपनी को रिप्रेजेंट कर रही थी.

” क्या वह शादीशुदा है ?” मैं ने छूटते ही पूछा तो वह हंस पड़ा.

” उस समय तक मतलब करीब 3 महीने पहले तक तो वह अविवाहिता ही थी.”

मेरे चेहरे पर सुकून की रेखा खिंच गई. मैं ने जल्दी से उस से माया का
एड्रेस लिया और शिमला पहुंच गया. रास्ते भर में यही सोचता रहा कि माया
कैसी होगी? मुझे देख कर उस का रिएक्शन क्या होगा? कहीं वह मुझ से मिलने
से मना तो नहीं कर देगी? मैं दिए गए एड्रेस पर पहुंचा तो मुझे गार्डन में
एक लड़की खुले बालों में पौधों को पानी देती नजर आई. मैं ने एक पल में
पहचान लिया वह माया ही थी. चेहरे पर वही सादगी भरी मुस्कान और ललाट पर
सूर्य की लाली. बेहद हसीन गजल सा उस का व्यक्तित्व. दिल किया उसे बाहों
में समेट लूँ. 5 सालों से दिल में दफन सारे जज्बात उमड़ पड़ने को बेकरार
से थे.

मगर फिर ठहर गया. इन 5 सालों में आई दूरी कहीं उस के लिए मुझे अजनबी तो
नहीं बना गई? मैं उस के सामने जा कर खड़ा हो गया. वह उन्हीं निगाहों से
मुझे देखने लगी जब पहली बार मैं ने उसे प्रपोज किया था मगर उस ने हियरिंग
ऐड न लगा होने की वजह से सुना नहीं था.

मैं ने एक बार फिर अपने दिल की बात उसी अंदाज में कहनी शुरू की ,”माया
इतने सालों में एक भी लम्हा ऐसा नहीं जब मैं ने तुम्हें याद न किया हो.
मैं ने तुम्हारा दिल दुखाया मगर मैं विवश था. मां नहीं चाहती थी कि तुम
उन की बहू बनो पर मैं तुम्हें मां की रजामंदी के बाद ही अपने घर ले जाना
चाहता था. आज वह दिन आ गया है. मैं इसीलिए आया हूं. बताओ माया क्या मुझ
से शादी करोगी?”

माया एकटक मुझे देख रही थी. मेरी बात खत्म होने पर उस ने कान की तरफ
इशारा करते हुए कहा कि उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा. तब मैं ने चिल्ला कर
कहा,” माया मुझ से शादी करोगी?”

माया हंस कर हां कहती हुई मेरे सीने से लग गई. आज हमारी इतने सालों की
तपस्या पूर्ण हो गई थी. हम एकदूसरे की बाहों में थे.

बदल गए है इन पौपुलर शो के कैरेक्टर्स, कार्तिक और न्यारा के बच्चे भी पौपुलर

टीवी में कई ऐसे शो है जो काफी पौपुलर है. ये शो आज भी उतने पौपुलर है जितने की शुरुआत होने के समय पर थे. इन पौपुलर शो की डिमांड आज भी दर्शकों के बीच काफी है. टीवी के कुछ ऐसे शो है जो आज बहुत बदल चुके है. जिनके लीड एक्टर और एक्ट्रैसेस में काफी बदलाव आ चुका है. लेकिन शो की पौपुलरेटी में बिलकुल बदलाव नहीं आया है. आज हम कुछ उन शो का ज्रिक करेंगे. जिनमें काफी बदलाव आ चुका है. लेकिन दर्शक आज भी उन्हे उतना ही पसंद करते है.

 

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ये रिश्ता क्या कहलाता है

ये रिश्ता क्या कहलाता है एक हिंदी टीवी सीरियल है. जिसकी शुरुआत साल 2009 में हुई थी. कहानी में लीड रोल करने वाले कैरेक्टर अक्षरा और नैतिक है. जिनके प्यार की कहानी इस सीरियल में दिखाई गई है. इसकी कहानी में कई बार लीप आया है, एक बार चार साल का, दस साल का, सात साल का,.

लीप आने के बाद सीरियल की कहानी दिनो दिन चेंज हो गई. पहले सीरियल में करन महता फिर और हिना खान ने शुरुआत की थी, लेकिन इसके बाद ये सीरियल के लीड एक्टर और एक्ट्रेस शिवांगी जोशी और मोहसिन खान है.

कई लीप के बाद, नायरा और कार्तिक शो की लीड बन गए. कार्तिक और नायरा की कहानी के साथ उनके भाई बहन – नक्ष, गायू, कीर्ति और शुभम की कहानी पर सीरियल दिखाया जाता है. बाद में, गायू को शो से हटा दिया जाता है और शुभम मर जाता है. तब कहानी में नक्ष और कीर्ति की शादीशुदा जिन्दगी को दिखाया जाता है.

गुम है किसी के प्यार में  

‘गुम है किसी के प्यार में’ स्टार प्लस पर दिखाया जाता है. आयशा सिंह, नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा भट्ट ये आज के कैरेक्टेर्स हैं. ये सीरियल अपने रोमांस और प्यार के लिए बहुत पौपुलर है.

स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाला शो ‘गुम है किसी के प्यार में’ छोटे पर्दे के सबसे मशहूर शोज में गिना जाता है. शो की कहानी विराट नाम के एक पुलिस अफसर के बारे में है जो एक पिता की मौत के वक्त उससे किए गए वादे के चलते उसकी बेटी से शादी कर लेता है. लेकिन, कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब विराट की पुरानी गर्लफ्रेंड उसकी जिंदगी में लौट आती है और अब वह दोनों तरफ आकर्षित हो रहा है. इस पर पूरी कहानी बेस्ड है जो कि दर्शकों को आज भी रोके हुए है. सीरियल में 6-7 साल का लीप भी आया.

तारक महता का उल्टा चश्मा

सबका पसंदीदा शो ‘तारक महता का उल्टा चश्मा’ इन दिनों लोगों के बीच बहुत पौपुलर है.  ये एक पौपुलर सीरियल है. जो कि सब टीवी पर आता है इसकी शुरुआत साल 2008 में हुई. इसका निर्माण नीला असित मोदी और असित कुमार मोदी ने किया है. यह कहानी मुंबई के गोकुलधाम की है, जहां अलग अलग जगह, कल्चर और परम्पराओं के लोग एक दूसरे के साथ खुशी से रहते है.

इस सीरियल में एक्ट्रेस दिशा वाकनी काफी पौपुलर कैरेक्टर है. जो कि जेठालाल की पत्नी है. इस सीरियल के एक्टर और एक्ट्रेस भी बदल चुके है. शो को 2020 में एक विवाद का सामना करना पड़ा थी. जब नेहा मेहता ने यह कहते हुए शो छोड़ दिया कि” मुझे लगता है कि कई क्षेत्रों में सेट पर अनुशासन और शिष्टाचार बनाए नहीं रखा गया था”. साल 2022 में, उन्होंने दावा किया कि शो के निर्माताओं ने शो छोड़ने के बाद उनका बकाया भुगतान नहीं किया है.

बता दें, शो में एक्टर और एक्टर्स चेंज होने से शो की टीआरपी जरूर गिर गई. लेकिन शो आज भी पौपुलर है. शो में कौमेडी का अच्छा तड़का लगा हुआ है.

मेरा पति सेक्स में फोरप्ले नहीं करता है, मैं क्या करूं ?

सवाल

मैं 35 साल महिला हूं. मेरी शादी को 10 साल हो गए हैं. मैं अपनी सैक्स लाइफ को एन्जौय नहीं कर पाती हूं, क्योंकि मेरे पति मुझे संतुष्ट नहीं करते. वह फोरप्ले नहीं करते. वह मुझे गले लगाते हैं  और मेरे साथ सैक्स करने लगते हैं और मुझे ओरल सैक्स करने के लिए कहते हैं. वह बहुत स्वार्थी है. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

पहले ये समझना जरूरी है कि आपका पार्टनर आपको कितना समझती है. आप दोनों में कितनी आपसी मेल है. यदि आपका पति आपकी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा है तो इसे सुलझाने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाएं.

कम्यूनिकेशन की कमी को दूर करें

अपनी भावनाओं और जरूरतों के बारे में खुलकर बात करें. प्यार से समझाएं कि आपको किन बातों की ज़रूरत है. पति से पूछें कि वे आपसे क्या चाहते हैं. दोनों पक्षों की बात सुनना जरूरी है. बिना आरोप लगाए, बिना गुस्सा किए बात करें. सकारात्मक रहें. रिश्ते में रोमांस लाएं साथ ही अपनी सैक्सुअल बात को रखें.

आपके मन में सैक्शुअल रिलेशन को लेकर जो भी सवाल या इच्छाएं हैं उन्हें पति के साथ शेयर करें. आप शर्म महसूस करती हैं तो यह बात भी पति को बताएं. आपस में बातचीत करके आप अपने रिश्ते को बेहतर बना सकते हैं.

फोरप्ले के बाद आफ्टर प्ले भी बहुत अहम रोल निभाता है. अगर आप चाहते हैं कि पार्टनर के साथ आपका कनेक्ट और मजबूत बनें तो आफ्टरप्ले पर कम से कम 20 मिनट जरूर लगाना चाहिए.

रही बात ओरल सैक्स करने की तो आप उनसे साफ कह सकती हैं कि ओरल सैक्स पहले आपसे शुरू होगा, और फिर उनकी बारी आएगी? इससे आपका समझौता हो सकता है.

मेरी फिजीकल ऐक्टिविटी ज्यादा नहीं है ऐसे में बहुत मोटी हो गई हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 25 वर्ष है. खानेपीने की जंकफूड का सेवन करना मेरी कमजोरी है. इसी का नतीजा है कि मैं बहुत मोटी हो गई हूं. मेरी फिजीकल ऐक्टिविटी ज्यादा नहीं है. घर पर ही रहती हूं. मेरा काम औनलाइन ही है, ऐक्सरसाइज करने में आलस करती हूं और खानेपीने पर कंट्रोल नहीं रख पाती. अपनी आदतों से खुद ही परेशान हो गई हूं. जिंदगी के प्रति उदासीन होती जा रही हूं. ऐसा लग रहा है मैं डिप्रैशन का शिकार हो रही हूं. कृपया मुझे इस स्थिति से उबारें.

जवाब

आप खुद मान रहीं हैं कि आप की आदतें गलत हैं फिर भी उन्हें दूर करने का प्रयास नहीं कर रहीं,
यह तो गलत है न. खानेपीने का शौकीन होना गलत बात नहीं लेकिन हर चीज की अति गलत होती है.
जंकफूड का ज्यादा सेवन, घर पर बैठे रहना, फिजिकल ऐक्सरसाइज न करना इन सब के कारण आप का मोटापा बढ़ा है.

उदास होने की जरूरत नहीं, अभी भी वक्त है. आप पहले की तरह पतली हो सकती हैं. ऐसा भी नहीं कि आप के पास वक्त नहीं. घर पर ही रहती हैं. आप अपनी सामान्य रूटीन लाइफ में कुछ परिवर्तन कर के अपना मोटापा कम कर सकती हैं, क्योंकि अभी तो आप की उम्र कम है, आगे चल कर यही मोटापा ब्लड प्रैशर, डायबिटीज, हाई कोलैस्ट्रौल व अन्य कई बीमारियों का कारण बन सकता है. रही बात ऐक्सरसाइज की तो वह तो करनी ही पड़ेगी, उस से आप बच नहीं सकतीं इसलिए आलस बिलकुल मत करें. एरोबिक्स क्लासेस जौइन कर सकतीं हैं. स्विमिंग, जौगिंग, साइक्ंिलग, स्किपिंग, पुशअप इन सब के बाद से शरीर से विभिन्न अंगों की चर्बी को कम किया जा सकता है.

दिन में 2 से 3 बार ग्रीन टी पिएं. एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद, 3 बड़े चम्मच नीबू का रस, एक चुटकी काली मिर्च पाउडर डाल कर हर रोज सुबह पिएं. रोटी कम सलाद ज्यादा खाएं. रोज 8 गिलास पानी जरूर पिएं. पानी गरम पिएंगी तो शरीर डिटौक्स होने लगेगा. इस में मैटाबोलिज्म बढ़ेगा और बौडी स्लिम होगी. इस के अलावा खाना थोड़ाथोड़ा कर के 4 बार खा सकती हैं. रात को खाना खाने के बाद थोड़ा टहल लें. इन सब बातों को फौलो करेंगी तो वह दिन दूर नहीं जब आप की एक बार फिर परफैक्ट बौडी होगी.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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शरणार्थी : मीना ने कैसे लगाया अविनाश को चूना

वह हांफते हुए जैसे ही खुले दरवाजे में घुसी कि तुरंत दरवाजा बंद कर लिया. अपने ड्राइंगरूम में अविनाश और उन का बेटा किशन इस तरह एक अनजान लड़की को देख कर सन्न रह गए.

अविनाश गुस्से से बोले, ‘‘ऐ लड़की, कौन है तू? इस तरह हमारे घर में क्यों घुस आई है?’’

‘‘बताती हूं साहब, सब बताती हूं. अभी मुझे यहां शरण दे दो,’’ वह हांफते हुए बोली, ‘‘वह गुंडा फिर मुझे मेरी सौतेली मां के पास ले जाएगा. मैं वहां नहीं जाना चाहती हूं.’’

‘‘गुंडा… कौन गुंडा…? और तुम सौतेली मां के पास क्यों नहीं जाना चाहती हो?’’ अविनाश ने जब सख्ती से पूछा, तब वह लड़की बोली, ‘‘मेरी सौतेली मां मुझ से देह धंधा कराना चाहती है. उदय प्रकाश एक गुंडे के साथ मुझे कोठे पर बेचने जा रहा था, मगर मैं उस से पीछा छुड़ा कर भाग आई हूं.’’

‘‘तू झूठ तो नहीं बोल रही है?’’

‘‘नहीं साहब, मैं झूठ नहीं बोल रही हूं. सच कह रही हूं,’’ वह लड़की इतना डरी हुई थी कि बारबार बंद दरवाजे की तरफ देख रही थी.

अविनाश ने पूछा, ‘‘ठीक है, पर तेरा नाम क्या है?’’

‘‘मीना है साहब,’’ वह लड़की बोली,

अविनाश ने कहा, ‘‘घबराओ मत मीना. मैं तुम्हें नहीं जानता, फिर भी तुम्हें शरण दे रहा हूं.’’

‘‘शुक्रिया साहब,’’ मीना के मुंह से निकल गया.

‘‘एक बात बताओ…’’ अविनाश कुछ सोच कर बोले, ‘‘तुम्हारी मां तुम से धंधा क्यों कराना चाहती है?’’

मीना ने कहा, ‘‘जन्म देते ही मेरी मां गुजर गई थीं. पिता दूसरी शादी नहीं करना चाहते थे, मगर रिश्तेदारों ने जबरदस्ती उन की शादी करा दी.

‘‘मगर शादी होते ही पिता एक हादसे में गुजर गए. मेरी सौतेली मां विधवा हो गई. तब से ही रिश्तेदार मेरी सौतेली मां पर आरोप लगाने लगे कि वह पिता को खा गई. तब से मेरी सौतेली मां अपना सारा गुस्सा मुझ पर उतारने लगी.

‘‘इस तरह तानेउलाहने सुन कर मैं ने बचपन से कब जवानी में कदम रख दिए, पता ही नहीं चला. मेरी सौतेली मां को चाहने वाले उदय प्रकाश ने उस के कान भर दिए कि मेरी शादी करने के बजाय किसी कोठे पर बिठा दे, क्योंकि उस के लिए वह कमाऊ जो थी.

‘‘मां का चहेता उदय प्रकाश मुझे कोठे पर बिठाने जा रहा था. मैं उस की आंखों में धूल झोंक कर भाग गई और आप का मकान खुला मिला, इसी में घुस गई.’’

अविनाश ने पूछा, ‘‘कहां रहती हो?’’

‘‘शहर की झुग्गी बस्ती में.’’

‘‘तुम अगर मां के पास जाना चाहती हो, तो मैं अभी भिजवा सकता हूं.’’

‘‘मत लो उस का नाम…’’ मीना जरा गुस्से से बोली.

‘‘फिर कहां जाओगी?’’ अविनाश ने पूछा.

‘‘साहब, दुनिया बहुत बड़ी है, मैं कहीं भी चली जाऊंगी?’’

‘‘तुम इस भेडि़ए समाज में जिंदा रह सकोगी.’’

‘‘फिर क्या करूं साहब?’’ पलभर सोच कर मीना बोली, ‘‘साहब, एक बात कहूं?’’

‘‘कहो?’’

‘‘कुछ दिनों तक आप मुझे अपने यहां नहीं रख सकते हैं?’’ मीना ने जब यह सवाल उठाया, तब अविनाश सोचते रहे. वे कोई जवाब नहीं दे पाए.

मीना ही बोली, ‘‘क्या सोच रहे हैं आप? मैं वैसी लड़की नहीं हूं, जैसी आप सोच रहे हैं.’’

‘‘तुम्हारे कहने से मैं कैसे यकीन कर लूं?’’ अविनाश बोले, ‘‘और फिर तुम्हारी मां का वह आदमी ढूंढ़ता हुआ यहां आ जाएगा, तब मैं क्या करूंगा?’’

‘‘आप उसे भगा देना. इतनी ही आप से विनती है,’’ यह कहते समय मीना की सांस फूल गई थी.

मीना आगे कुछ कहती, तभी दरवाजे के जोर से खटखटाने की आवाज आई. कमरे में तीनों ही चुप हो गए. इस वक्त कौन हो सकता है?

मीना डरते हुए बोली, ‘‘बाबूजी, वही गुंडा होगा. मैं नहीं जाऊंगी उस के साथ.’’

‘‘मत जाना. मैं जा कर देखता हूं.’’

‘‘वही होगा बाबूजी. मेरी सौतेली मां का चहेता. आप मत खोलो दरवाजा,’’ डरते हुए मीना बोली.

एक बार फिर जोर से दरवाजा पीटने की आवाज आई.

अविनाश बोले, ‘‘मीना, तुम भीतर जाओ. मैं दरवाजा खोलता हूं.’’

मीना भीतर चली गई. अविनाश ने दरवाजा खोला. एक गुंडेटाइप आदमी ने उसे देख कर रोबीली आवाज में कहा, ‘‘उस मीना को बाहर भेजो.’’

‘‘कौन मीना?’’ गुस्से से अविनाश बोले.

‘‘जो तुम्हारे घर में घुसी है, मैं उस मीना की बात कर रहा हूं…’’ वह आदमी आंखें दिखाते हुए बोला, ‘‘निकालते हो कि नहीं… वरना मैं अंदर जा कर उसे ले आऊंगा.’’

‘‘बिना वजह गले क्यों पड़ रहे हो भाई? जब मैं कह रहा हूं कि मेरे यहां कोई लड़की नहीं आई है,’’ अविनाश तैश में बोले.

‘‘झूठ मत बोलो साहब. मैं ने अपनी आंखों से देखा है उसे आप के घर में घुसते हुए. आप मुझ से झूठ बोल रहे हैं. मेरे हवाले करो उसे.’’

‘‘अजीब आदमी हो… जब मैं ने कह दिया कि कोई लड़की नहीं आई है, तब भी मुझ पर इलजाम लगा रहे हो? जाते हो कि पुलिस को बुलाऊं.’’

‘‘मेरी आंखें कभी धोखा नहीं खा सकतीं. मैं ने मीना को इस घर में घुसते हुए देखा है. मैं उसे लिए बिना नहीं जाऊंगा…’’ अपनी बात पर कायम रहते हुए उस आदमी ने कहा.

अविनाश बोले, ‘‘मेरे घर में आ कर मुझ पर ही तुम आधी रात को दादागीरी कर रहे हो?’’

‘‘साहब, मैं आप का लिहाज कर रहा हूं और आप से सीधी तरह से कह रहा हूं, फिर भी आप समझ नहीं रहे हैं,’’ एक बार फिर वह आदमी बोला.

‘‘कोई भी लड़की मेरे घर में नहीं घुसी है,’’ एक बार फिर इनकार करते हुए अविनाश उस आदमी से बोले.

‘‘लगता है, अब तो मुझे भीतर ही घुसना पड़ेगा,’’ उस आदमी ने खुली चुनौती देते हुए कहा.

तब एक पल के लिए अविनाश ने सोचा कि मीना कौन है, वे नहीं जानते हैं, मगर उस की बात सुन कर उन्हें उस पर दया आ गई. फिर ऐसी खूबसूरत लड़की को वे कोठे पर भिजवाना भी नहीं चाहते थे.

वह आदमी गुस्से से बोला, ‘‘आखिरी बार कह रहा हूं कि मीना को मेरे हवाले कर दो या मैं भीतर जाऊं?’’

‘‘भाई, तुम्हें यकीन न हो, तो भीतर जा कर देख लो,’’ कह कर अविनाश ने भीतर जाने की इजाजत दे दी. वह आदमी तुरंत भीतर चला गया.

किशन पास आ कर अविनाश से बोला, ‘‘यह क्या किया बाबूजी, एक अनजान आदमी को घर के भीतर क्यों घुसने दिया?’’

‘‘ताकि वह मीना को ले जाए,’’ छोटा सा जवाब दे कर अविनाश बोले, ‘‘और यह बला टल जाए.’’

‘‘तो फिर इतना नाटक करने की क्या जरूरत थी. उसे सीधेसीधे ही सौंप देते,’’ किशन ने कहा, ‘‘आप ने झूठ बोला, यह उसे पता चल जाएगा.’’

‘‘मगर, मुझे मीना को बचाना था. मैं उसे कोठे पर नहीं भेजना चाहता था, इसलिए मैं इनकार करता रहा.’’

‘‘अगर मीना खुद जाना चाहेगी, तब आप उसे कैसे रोक सकेंगे?’’ अभी किशन यह बात कह रहा था कि तभी वह आदमी आ कर बोला, ‘‘आप सही कहते हैं. मीना मुझे अंदर नहीं मिली.’’

‘‘अब तो हो गई तसल्ली तुम्हें?’’ अविनाश खुश हो कर बोले.

वह आदमी बिना कुछ बोले बाहर निकल गया.

अविनाश ने दरवाजा बंद कर लिया और हैरान हो कर किशन से बोले, ‘‘इस आदमी को मीना क्यों नहीं मिली, जबकि वह अंदर ही छिपी थी?’’

‘‘हां बाबूजी, मैं अगर अलमारी में नहीं छिपती, तो यह गुंडा मुझे कोठे पर ले जाता. आप ने मुझे बचा लिया. आप का यह एहसान मैं कभी नहीं भूलूंगी,’’ बाहर निकलते हुए मीना बोली.

‘‘हां बेटी, चाहता तो मैं भी उस को पुलिस के हवाले करा सकता था, मगर तुम्हारे लिए मैं ने पुलिस को नहीं बुलाया,’’ समझाते हुए अविनाश बोले, ‘‘अब तुम्हारा इरादा क्या है?’’

‘‘किस बारे में बाबूजी?’’

‘‘अब इतनी रात को तुम कहां जाओगी?’’

‘‘आप मुझे कुछ दिनों तक अपने यहां शरणार्थी बन कर रहने दो.’’

‘‘मैं तुम को नहीं रख सकता मीना.’’

‘‘क्यों बाबूजी, अभी तो आप ने कहा था.’’

‘‘वह मेरी भूल थी.’’

‘‘तो मुझे आप एक रात के लिए अपने यहां रख लीजिए. सुबह मैं खुद चली जाऊंगी,’’ मीना बोली.

‘‘मगर, कहां जाओगी?’’

‘‘पता नहीं.’’

‘‘नहीं बाबूजी, इसे अभी निकाल दो,’’ किशन विरोध जताते हुए बोला.

‘‘किशन, मजबूर लड़की की मदद करना हमारा फर्ज है.’’

‘‘वह तो ठीक है, पर कहीं इसी इनसानियत में हैवानियत न छिपी हो बाबूजी.’’

‘‘आप आपस में लड़ो मत. मैं तो एक रात के लिए शरणार्थी बन कर रहना चाहती थी. मगर आप लोगों की इच्छा नहीं है, तो…’’ कह कर मीना चलने लगी.

‘‘रुको मीना,’’ अविनाश ने उसे रोकते हुए कहा. मीना वहीं रुक गई.

अविनाश बोले, ‘‘तुम कौन हो, मैं नहीं जानता, मगर एक अनजान लड़की को घर में रखना खतरे से खाली नहीं है. और यह खतरा मैं मोल नहीं ले सकता. तुम जो कह रही हो, उस पर मैं कैसे यकीन कर लूं?’’

‘‘आप को कैसे यकीन दिलाऊं,’’ निराश हो कर मीना बोली, ‘‘मैं उस सौतेली मां के पास भी नहीं जाना चाहती.’’

‘‘जब तुम सौतेली मां के पास नहीं जाना चाहती हो, तो फिर कहां जाओगी?’’

‘‘नहीं जानती. मैं रहने के लिए एक रात मांग रही थी, मगर आप को एतराज है. आप का एतराज भी जायज है. आप मुझे जानते नहीं. ठीक है, मैं चलती हूं.’’

अविनाश उसे रोकते हुए बोले, ‘‘रुको, तुम कोई भी हो, मगर एक पीडि़त लड़की हो. मैं तुम्हारे लिए जुआ खेल रहा हूं. तुम यहां रह सकती हो, मगर कल सुबह चली जाना.’’

‘‘ठीक है बाबूजी,’’ कहते हुए मीना के चेहरे पर मुसकान फैल गई… ‘‘आप ने डूबते को तिनके का सहारा दिया है.’’

‘‘मगर, सुबह तुम कहां जाओगी?’’ अविनाश ने फिर पूछा.

‘‘सुबह मौसी के यहां उज्जैन चली जाऊंगी?’’

अविनाश ने यकीन कर लिया और बोले, ‘‘तुम मेरे कमरे में सो जाना.’’

‘‘आप कहां साएंगे बाबूजी?’’ मीना ने पूछा.

‘‘मैं यहां सोफे पर सो जाऊंगा,’’ अविनाश ने अपना फैसला सुना दिया और आगे बोले, ‘‘जाओ किशन, इसे मेरे कमरे में छोड़ आओ.’’

काफी रात हो गई थी. अविनाश और किशन को जल्दी नींद आ गई. सुबह जब देर से नींद खुली. मीना नहीं थी. सामान बिखरा हुआ था. अलमारियां खुली हुई थीं. उन में रखे गहनेनकदी सब साफ हो चुके थे.

अविनाश और किशन यह देख कर हैरान रह गए. उम्रभर की कमाई मीना ले गई. उन का अनजान लड़की पर किया गया भरोसा उन्हें बरबाद कर गया. जो आदमी रात को आया था, वह उसी गैंग का एक सदस्य था, तभी तो वह मीना को नहीं ले गया. चोरी करने का जो तरीका उन्होंने अपनाया, उस तरीके पर कोई यकीन नहीं करेगा.

मीना ने जोकुछ कहा था, वह झूठ था. वह चोर गैंग की सदस्य थी. शरणार्थी बन कर अच्छा चूना लगा गई.

खाउड्या : घूसखोर सिपाही सीतू

सीतू झोंपड़पट्टी वाले थाने में नयानया सिपाही भरती हुआ था. एक दिन थानेदार ने उसे रामू बनिए को बुला लाने के लिए भेजा.

रामू बनिया तो घर पर नहीं मिला, पर उस के मुनीम ने सीतू को 50 रुपए का नोट पकड़ा कर कहा, ‘‘थानेदार से कह देना कि सेठजी आते ही थाने में हाजिर हो जाएंगे.’’

लौट कर सीतू ने 50 रुपए का नोट थानेदार की मेज पर रख दिया और साथ ही मुनीम का पैगाम भी कह सुनाया.

जब वह जाने लगा तो थानेदार ने 50 रुपए का नोट उसे पकड़ाते हुए कहा, ‘‘इसे रख लो, यह तुम्हारा इनाम है.’’

बाद में थाने के सिपाहियों ने सीतू का काफी मजाक उड़ाया और बताया कि मुनीम ने 50 रुपए उसे दिए थे, न कि थानेदार को. थानेदार तो 100 रुपए से कम को हाथ तक नहीं लगाता.

सीतू 50 रुपए ले कर खुश हो गया. यह उस की पहली ऊपर की कमाई थी. थानेदार उस की ईमानदारी का कायल हो गया. इस के बाद से थानेदार को जहां से भी पैसा ऐंठना होता, तो वह सीतू को भेज देता या अपने साथ ले जाता.

सीतू जो भी पैसा ऐंठ कर लाता था, उस में से उसे भी हिस्सा मिलता था. धीरेधीरे उस के पास काफी पैसा जमा हो गया. पर मन के किसी कोने में उसे अपनी इस ऊपर की कमाई से एक तरह के जुर्म का अहसास होता, मगर जब वह अपनी तुलना दूसरों से करता तो यह अहसास कहीं गायब हो जाता.

सीतू को एक बात अकसर चुभती थी कि कसबे के लोग बाकी सिपाहियों को तो पूरी इज्जत देते और सलाम करते थे, मगर उसे केवल मजबूरी में ही सलाम करते थे. वह चाहता था कि उसे भी दूसरे सिपाहियों के बराबर समझा जाए, मगर वह इस बारे में कुछ कर नहीं सकता था.

वैसे, अब सीतू काफी सुखी था.

उस के पास सरकारी मकान था. एक साइकिल भी उस ने खरीद ली थी. वह शान से साफसुथरे कपड़ों में रहता था. कम से कम झोंपड़पट्टी के लोग तो उस की कद्र करते ही थे.

सीतू अपने साथी सिपाहियों के मुकाबले खुद को बेहतर समझता था. उस के सभी साथी शादीशुदा थे, मगर वह इस झंझट से अभी तक आजाद था. मांबाप की याद भी उसे ज्यादा नहीं आती थी, क्योंकि उसे उन से ज्यादा लगाव कभी रहा ही नहीं था.

एक दिन सीतू अपनी साइकिल पर सवार हो कर बाजार से गुजर रहा था कि एक जगह भीड़ लगी देख कर वह रुक गया. उस ने देखा कि झोंपड़पट्टी में रहने वाली एक लड़की भीड़ से घिरी खड़ी थी और रोते हुए गालियां बक रही थी. वह कभीकभार भीड़ पर पत्थर भी फेंक रही थी.

भीड़ में शामिल लोग लड़की के पत्थर फेंकने पर इधरउधर भागते हुए उस के बारे में उलटीसीधी बातें कर रहे थे.

सीतू ने देखा कि कुछ लफंगे से दिखाई देने वाले लड़के उस लड़की को घेरने की कोशिश कर रहे थे. सीतू ने पास खड़े झोंपड़पट्टी में रहने वाले एक बूढ़े आदमी से पूछा, ‘‘बाबा, आखिर माजरा क्या है?’’

बूढ़े ने सीतू को पुलिस की वरदी में देख कर पहले तो मुंह बिचकाया, फिर बोला, ‘‘यह लड़की यहां बैठ कर लकड़ी के खिलौने बेच रही थी. जब सब खिलौने बिक गए, तो उस ने पैसे रख लिए और थैले में से रोटी निकाल कर खाने लगी.

‘‘तभी ये 3 बदमाश लड़के यहां आ धमके. एक ने उसे 50 का नोट दिखा कर पूछा कि ‘चलती है क्या मेरे साथ?’ तो लड़की ने उस के मुंह पर थूक दिया.

‘‘बस फिर क्या था, तीनों लड़के उस पर टूट पड़े. लड़की की चीखपुकार सुन कर भीड़ जमा हो गई तो लड़कों ने शोर मचा दिया कि इस लड़की ने चोरी की है. बस, तभी से यह नाटक चल रहा है.’’

इतना बता कर वह बूढ़ा सीतू को इस तरह घूर कर देखने लगा मानो कह रहा हो, ‘है हिम्मत इस लड़की को इंसाफ दिलाने की?’

इतना सुनते ही सीतू साइकिल की घंटी बजाते हुए भीड़ में जा घुसा. उस ने कड़क लहजे में लड़की से पूछा, ‘‘ऐ लड़की, यह सब क्या हो रहा है?’’

‘‘साहब, ये तीनों मुझ से बदतमीजी कर रहे हैं. मैं ने रोका तो जबरदस्ती करने लगे. मैं ने शोर मचाया तो बोले कि मैं चोर हूं, पर मैं ने कोई चोरी नहीं की है,’’ लड़की गुस्से में बोली.

‘‘साहब, यह झूठी है. यह तो पक्की चोर है. इस ने पहले भी कई चोरियां की हैं. जो घड़ी इस के हाथ में बंधी है वह मेरी है,’’ एक लड़के ने कहा.

‘‘इस ने मेरा 50 का नोट चुराया है,’’ दूसरा लड़का बोला.

‘‘ये लड़के झूठ बोलते हैं साहब. मैं ने चोरी नहीं की है,’’ लड़की ने सीतू के आगे हाथ जोड़ कर कहा.

लड़की के मुंह से ‘साहब’ सुन कर सीतू की छाती चौड़ी हो गई. उस ने एक लड़के से पूछा, ‘‘क्या सुबूत है कि यह घड़ी तेरी है?’’

इस से पहले कि वह लड़का कुछ कह पाता, भीड़ में से किसी की आवाज आई, ‘‘इस लड़की के पास क्या सुबूत है कि यह घड़ी इसी की है?’’

यह सुन कर सीतू भड़क उठा. साइकिल स्टैंड पर लगा कर उस ने अपना डंडा निकाल लिया. फिर वह भीड़ की तरफ मुड़ गया और हवा में डंडा लहराते हुए बोला, ‘‘किसे चाहिए सुबूत? इस लड़की के पास यह सुबूत है कि घड़ी इस के कब्जे में है… और किसी को कुछ पूछना है? चलो, भागो यहां से. क्या यहां जादूगर का तमाशा हो रहा है?’’

सीतू की फटकार सुन कर वहां जमा हुए लोग धीरेधीरे खिसकने लगे.

‘‘देखो साहब, वे तीनों भी भाग रहे हैं,’’ लड़की बोली.

‘‘तुम तीनों यहीं रुको और बाकी सब लोग जाएं,’’ सीतू ने उन लफंगों को रोकते हुए कहा.

जब भीड़ छंट गई, तो सीतू उन लड़कों से बोला, ‘‘चलो, थाने चलो.’’

थाने का नाम सुन कर उन तीनों लड़कों के साथसाथ वह लड़की भी घबरा गई. वह बोली, ‘‘देखो साहब, ये तो बदमाश हैं, मगर मैं थाने नहीं जाना चाहती.’’

‘‘अरी, तुझे कोई खा जाएगा क्या वहां? मैं हूं न तेरे साथ,’’ सीतू उसे दिलासा देते हुए बोला.

‘‘साहब, घड़ी इसी के पास रहने दीजिए. कहां थाने के चक्कर में फंसाते हैं,’’ एक लड़का बोला.

‘‘साला… फिर कहता है कि मैं चोर हूं. चलो साहब, थाने ही चलो,’’ लड़की गुस्से में बोली.

‘‘गाली नहीं देते लड़की,’’ सीतू ने लड़की से कहा और फिर लड़कों से बोला, ‘‘मैं तुम लोगों को तब से देख रहा हूं, जब तुम ने इस लड़की को 50 का नोट दिखाया था.’’

यह सुन कर तीनों लड़कों के चेहरे फीके पड़ गए. सीतू ने लड़की को बूढ़े के पास रुकने को कहा और तीनों लड़कों को ले कर थाने की ओर बढ़ चला. लड़कों ने आपस में कानाफूसी की और एक लड़के ने सौ का नोट सीतू की ओर बढ़ाते हुए कहा, ‘‘अब तो जाने दो साहब. कभीकभी गलती हो जाती है.’’

सीतू ने एक नजर नोट पर डाली और फिर इधरउधर देखा, कुछ लोग उन्हें देख रहे थे.

‘‘रिश्वत देता है. इस जुर्म की दफा और लगेगी,’’ कहते हुए सीतू उन्हें धकेलता हुआ सड़क के मोड़ पर ले गया.

‘‘साहब, इस समय तो हमारे पास इतने ही पैसे हैं,’’ कहते हुए लड़के ने 50 का नोट और बढ़ा दिया.

सीतू ने इधरउधर देखा, वहां उन्हें कोई नहीं देख रहा था. वह बोला, ‘‘ठीक है, अब आगे ऐसी घटिया हरकत मत करना.’’

‘अरे साहब, कसम पैदा करने वाले की, अब ऐसा कभी नहीं करेंगे,’ तीनों ने एकसाथ कहा.

‘‘अच्छा जाओ, मगर दोबारा अगर पकड़ लिया तो सीधा सलाखों के पीछे डाल दूंगा,’’ सीतू ने नोट जेब में रखते हुए कहा.

सीतू कुछ देर तक वहीं खड़ा रहा, फिर धीरेधीरे साइकिल धकेलता हुआ वहीं जा पहुंचा, जहां बूढ़े के पास लड़की को छोड़ कर गया था. लड़की तो वहां नहीं थी, पर बूढ़ा वहीं बैठा हुआ था. बूढ़ा सीतू को सिर से पैर तक घूर रहा था.

‘‘ऐ बूढ़े, वह लड़की कहां गई?’’ सीतू ने पूछा.

बूढ़े ने सीतू को घूरते हुए कहा, ‘‘पुलिस में भरती हो गए तो क्या यह तमीज भी भूल गए कि बड़ेबूढ़ों से किस तरह बात करते हैं. वह लड़की चली गई, पर इस से तुम्हें क्या मतलब? तुम्हारी जेब तो गरम हो गई न, जाओ ऐश करो.’’

‘‘क्या बकता है? किस की जेब की बात करता है? तुम ने उस लड़की को क्यों जाने दिया?’’ सीतू भड़क उठा.

‘‘इस इलाके में कोई भी तुम पुलिस वालों पर यकीन नहीं करता. ऐसे में वह लड़की क्या करती? सोचा था कि अपनी बिरादरी का एक आदमी पुलिस में आया है तो वह कुछ ठीक करेगा, मगर वाह री पुलिस की नौकरी, बेच दी अपनी ईमानदारी शैतान के हाथों और बन गया खाउड्या… जा खाउड्या अपना काम कर.’’

‘‘क्या बकता है? थाने में बंद कर दूंगा,’’ कहने को तो सीतू कह गया, मगर न जाने क्यों वह बूढ़े से नजरें नहीं मिला पाया.

सीतू इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि रिश्वत लेना जुर्म है, मगर आज तक किसी पुलिस वाले ने उसे यह बात नहीं बताई थी. हां, साथियों ने यह जरूर समझाया था कि रिश्वत लेते समय पूरी तरह से चौकस रहना बहुत ही जरूरी होता है.

दिल का राज: क्या सरना ने पूरी की चौधराइन की इच्छा

जानवरों का चारादाना निबटाते हुए सरना को काफी देर हो गई थी. उस ने भल्लू चौधरी की गौशाला में ताला ठोंक कर झटका दिया और मुट्ठियां बगलों में दबा लीं. एक पल को उसे बड़ा अच्छा लगा. सोचने लगा कि अब रात अपनी है. पुआल के बिछावन में पुरानी रजाई ओढ़ कर लेटेगा, तो छमिया की याद थोड़ी गरमी दे जाएगी और वह मीठी नींद सो जाएगा.सरना को छमिया के गदराए बदन की याद आती थी, पर हर समय तो छमिया उस की बांहों में हो नहीं सकती. चौधराइन ने सरना को बाहर की कोठरी की चाबी देते वक्त लकड़ी निकालने को कहा था और कहा था कि अगले दिन बेचेंगे. अच्छा यह रहा कि घर पर चौधरी नहीं थे.

चौधराइन ने दोपहर को पेट भर बढि़या खाना करा दिया था. वह भी दोनों वक्त का एक ही बार में खा गया था. खाता न तो करता भी क्या? छमिया खाना तो ठीक बनाती थी, पर बढि़या कचौड़ी, रायता, 2-2 सब्जियां और खीर उसे कहां बनानी आती थी? चौधरी ने 2 दिन पहले रतजगा किया था. उस के लिए कई दिन खाने लायक खाना बचा था. चौधरी किसी स्वामी को छोड़ने उन के आश्रम 250 किलोमीटर दूर अपनी गाड़ी में गए हुए थे. चौधरी घर में होते तो चाहे कुछ भी बनता, सरना को सूखी रोटियां और बासी साग ही मिलता. वह मन ही मन सोच रहा था कि अच्छा होता, अगर चौधरी 5-7 दिन बाहर ही रहते. सरना ने दरवाजे की कुंडी खटकाई. चौधराइन ने दरवाजा खोला. सरना को लग रहा था कि चौधराइन कुंडी खोलते वक्त गुनगुना रही थीं. चौधराइन ने उस समय टाइट ब्लाउज पहन रखा था.

सरना कुछ सोचता सा खड़ा था कि सामने खड़ी चौधराइन ने कहा, ‘‘लाओ चाबी. और हां, कुछ लकडि़यां यहां भी डाल दो. बड़ी ठंड है. मैं भी जला लूंगी. हीटर से कहां काम चलता है.’’ हमेशा स्वैटर, शौल वगैरह से लदीफदी गुडि़या को उस समय इतने कम कपड़ों में देखने की बात सरना सपने में भी नहीं सोच सकता था.

‘इन्हें इतने कपड़े पहनने के बाद भी ठंड क्यों नहीं लग रही है?’ वह सोचने लगा, ‘पर बेचारी बूढ़े साहूकार के फंदे में फंस गई. यह किसी और गरमी की तलाश में है.’

जब तक सरना लकड़ी लाया, तो पानी की बूंदाबांदी बौछार में बदल गई थी. भीगने से बचने के लिए उसे तकरीबन दौड़ना पड़ा. शुक्र था कि चौधराइन किवाड़ खोले ही खड़ी थीं.

बरामदे में लकडि़यां रख कर उस ने चेहरे और नाक का पानी पोंछते हुए हाथ एक ओर झटका. चौधराइन ने उस की ओर देखा तो हंस पड़ीं, ‘‘अरे, तुम तो अच्छेखासे भीग गए.’’‘‘पानी में जो जाएगा, वह भीगेगा ही,’’ कहते हुए सरना कुढ़ सा गया. वह सोचने लगा, ‘पैसे वालों को गरीबी का मजाक उड़ाने में शायद कुछ खास मजा आता है.’ ‘‘वह तो ठीक है, लेकिन अब तुम रात कैसे काटोगे?’’ चौधराइन ने खूंटी पर टंगे पति के एक पुराने कुरते की ओर इशारा कर के कहा, ‘‘यह तो तुम्हारे बहुत ढीला होगा पर पहन लो. और वह रही लुंगी.’’ सरना को यह बात कुछ जंची नहीं. पर ठिठुरने के बजाय यही ठीक रहेगा, यही सोच कर उस ने कुरता उतार लिया. अब चौधराइन अंदर की ओर चली गई थीं.

लुंगी और ढीलाढाला कुरता पहनते हुए सरना को लगा कि चौधराइन उसे देख रही हैं. सरना को अजीब लग रहा था. वह सोचने लगा कि इन कपड़ों में तो वह जोकर लग रहा होगा. खैर, कौन इतनी रात में देखेगा. सरना ने आवाज दी, ‘‘किवाड़ बंद कर लीजिए, मैं जा रहा हूं. मैं ने बरामदे में लकडि़यां जला दी हैं. आप यहां बैठ कर आग सेंक सकती हैं.’’

तभी खाने की थाली लिए आती चौधराइन ने कहा, ‘‘अजीब बात है. पानी बरस रहा है, फिर भीगना है क्या? खाना खा लो, शायद तब तक पानी रुक जाए. घर में छाता भी नहीं है. चौधरी साहब छाते को अपने साथ ले गए हैं.’’ यह तो मुंहमांगी मुराद थी सरना के लिए. वह खाता जाता था और चौधराइन की खूबसूरती की दिल ही दिल में तारीफ भी करता जा रहा था. तब तक बरामदे की लकडि़यां जलने लगी थीं. उसे भी गरमी महसूस हो रही थी.

सरना को लग रहा था कि यह वाकई बड़ी नेक औरत है. इसे बूढ़े चौधरी के पल्ले बांध कर कुदरत ने इस के साथ बहुत बड़ा मजाक किया है. अब तक औलाद का मुंह तक नहीं देखा बेचारी ने… जबकि ब्याह हुए 7-8 बरस गुजर गए हैं. चौधरी ने इसीलिए किसी पोंगापंथी स्वामी को बुला कर बच्चे देने की मन्नत मांगी थी और भंडारा किया था. सरना खाना खा कर हाथमुंह धो चुका था. पर पानी रुकने का नाम नहीं ले रहा था. उलटे बारिश तेज होती जा रही थी. आग के पास हाथपैर सेंक कर सरना ने कहा, ‘‘अब मैं चलूंगा मालकिन.?’’

इतनी रात को अकेली चौधराइन के पास सूने घर में रुकने का सरना का मन था, पर जानता था कि पकड़ा गया तो उस का घरबार सब जला दिया जाएगा, इसीलिए उसे वहां से जाने की उतावली हो रही थी. चौधराइन ने नीचे से ऊपर तक उसे गौर से देखते हुए कहा, ‘‘बहुत अच्छे… पानी में भीग कर बीमार पड़ने का इरादा है क्या? ठीक है, जाओ, जरूर जाओ, तुम्हारे घर में दवादारू के लिए भी बहुतेरे लोग बैठे हैं…’’ ‘‘न जाऊं तो करूं भी क्या? यहां बैठने से तो रात कटनी नहीं. कोई देखेगा तो क्या कहेगा,’’ अपने दिल की बात झिझक के साथ सरना ने कह दी.

‘‘यह घर छोटा है न… यहां ओढ़नेबिछाने को कुछ नहीं है न? अरे सरना, यह घर तो रहने वालों के लिए तरसता है. यहां कमी भी किस बात की है. दुनिया के कहनेसुनने की चिंता है? क्या मैं तुझे वैसी लगती हूं, सच कहना?’’

‘‘नहीं, आप तो बड़ी नेक और रहमदिल हैं. मैं औरतों के मामले में आप की मिसाल देता हूं. आप का अंगअंग संगमरमर का सा सफेद है, छूने पर मखमली होगा. सुंदरता की खान.

‘‘चौधरी के बुढ़ापे का जब आप से मेल करता हूं तो मन करता है कि आप के कदमों पर माथा झुका दूं. ‘‘मालकिन, छोटी सी उम्र में मैं ने भी काफी दुनिया देखी है. पहले मैं लुधियाना गया था. वहां मेरे बूढ़े लालाजी की जवान बीवी मेरे देखतेदेखते ही अपने यार के साथ चंपत हो गई थी…’’ लगता था जैसे सरना की बात बांध तोड़ कर नदी की तरह बह निकली थी. चौधराइन ने आग और तेज करते हुए सिसक कर सरना की ओर आते हुए कहा, ‘‘और क्या देखा?’’

सरना को लगा, जैसे उन के चेहरे पर कुछ और लाली आ गई है और आंखों में नशा सा छा गया है. वे बात करने में कुछकुछ अटकने सी लगी हैं. उस ने लाला और यार की कहानी 2-4 बातों में बता दी कि कैसे उस ने ही उन्हें कमरे में साथ सोते देखा था. बात करतेकरते चौधराइन इधरउधर चौकन्नी निगाहों से देखती भी जा रही थीं, मानो दीवारों के कान होने पर उन्हें यकीन होता जा रहा हो.

सरना को ऐसा लगा, जैसे उस के शरीर की उठी मछलियों पर चौधराइन की नजरें गड़ी हैं. वे बोलीं, ‘‘सरना, यही तो वहम है… दुनिया भी यही जानती है. पर, तुम सब अपने को मेरी जगह रख कर सोचो. क्या धनदौलत से जवानी के जोश को दबाया जा सकता है? सच तो यह है कि ये सब देह की भूख को और बढ़ाने वाले हैं.

‘‘कई बार सोचती हूं कि मैं एक गरीब घर में होती. शाम को मेरा आदमी काम कर के पसीने से लथपथ आता. मैं पंखे से उस को हवा करती और वह सिर्फ मेरा होता, इन बहीखातों का नहीं. घर में नन्हेमुन्ने किलकते, मैं निहाल हो जाती. ये सोनेचांदी के गहने मेरे पैरोें में बड़ी माया की जंजीरें हैं. इन से मेरा दुख बढ़ता है,’’ कह कर उन्होंने सरना पर एक निगाह डाली.

सरना चौधराइन की तेज निगाहों से सिटपिटा गया. उस ने कहा, ‘‘मालकिन, कुदरत ने ही आप को इतना दयावान बनाया है. सुख दिया है और सब से ऊपर ‘सत’ दिया है. आज के जमाने में ऐसे लोग मिलते कहां हैं?’’ ‘‘सरना, तू क्या कभी जान सकेगा मेरे मन की पीर? बचपन गरीबी में बीता. तब मैं पैसे को दुनिया का सब से बड़ा सुख समझती थी, लेकिन फिर भी उस गरीबी में कहीं न कहीं कोई मजा भी था. जो जीने की तमन्ना पैदा करता था, जिस की बदौलत होंठों पर मुसकान रहती थी. मेरी समझ में अब बीता समय ही अच्छा जान पड़ता है. ‘‘लेकिन तब तो मुझे क्या, मेरे मांबाप को भी यही वहम था कि दुनिया का सारा सुख पैसे से खरीदा जा सकता है. तभी तो मुझे चौधरी के पल्ले बांध दिया गया.

‘‘अब मैं सोचती हूं कि चौधरी ने तो पैसे से सुख जरूर खरीदा, पर मेरी खुशियां पैसे के बदले बिक गईं. क्या यह सारा पैसा गरीब से गरीब औरत को वह सुख मुझे दे सकता है, जो पति की बांह का सिरहाना लगा कर सोई जवान औरत को मिलता है? ‘‘प्यारमुहब्बत का झरना बराबर उम्र वालों में भी फूट सकता है. चौधरी तो बिस्तर पर आने से पहले ही निढाल हो जाते हैं.’’ फिर चौधराइन खुल कर बोलीं, ‘‘सरना, सच मान मेरा रोमरोम उस सुख के लिए जब पागल होता है, तो चौधरी के पैसे के हिसाब में डूब कर पता नहीं किस दुनिया में चले जाते हैं. क्या पैसे की इस प्यास का कहीं अंत भी है?

‘‘तू जो समझता है, मैं अपने ‘सत’ पर मजबूत हूं, यह तेरा भोलापन है. दरअसल, मैं अंदर से इतनी नंगी हूं कि तुझे क्या बताऊं.’’ सरना को चौधराइन की बात का कोई जवाब नहीं सूझ रहा था, तभी उसे खांसी आ गई, जिस से वह जवाबदेही से बच गया. चौधराइन इस समय उसे पैसे के जोर से खरीदी गई एक कमजोर औरत लगी, जिस के जिस्म में एक नाजुक दिल धड़क रहा है और वे पैसे के सुख के बदले अनजाने ही जिंदगी की खुशियां हार चुकी हैं. सरना को लगा कि उसे जरूर चौधराइन के काम आना चाहिए.

सरना को चुप देख कर चौधराइन बोलीं, ‘‘तुझे मैं दूध धोई लगती हूं. मेरे तन पर कोई शक नहीं कर सकता, पर दिल को तो मैं ही जानती हूं. कभीकभी दिल की प्यास आंखों में भर आती है. लेकिन इसे पढ़ने वाला कम से कम वहां तो कोई नहीं मिला.’’

सरना सन्न रह गया. जिसे वह इतना ‘साफ’ समझे बैठा है, उस के दिल में ऐसी बात होगी, उस ने ऐसा कब सोचा था? उसे बड़ा दुख हुआ. उसे लगा जैसे चौधराइन की आवाज का काम उन की आंखों ने अपने जिम्मे ले लिया है. वे आंखें एक भूचाल के आने की खबर दे रही थीं.

सरना चौधराइन के सुंदर मुखड़े को देखता रह गया, तभी बिजली जोर से चमकी और चौधराइन डर के मारे उस के बदन से चिपक गईं. सरना की आंखों में भी अनजाने ही एक चमक सी आ गई. उस ने महसूस किया, जैसे चौधराइन के जिस्म के जरीए एक आग उस के तनमन में समाती चली जा रही हो. वे दोनों घंटाभर एकदूसरे की बांहों में बरामदे में ही खोए रहे.

दरवाजे पर खटका सा हुआ. चौधराइन ने कपड़े पहन कर किवाड़ खोल दिए. चौधरी सामने खड़े थे. बदन का पानी पोंछते हुए वे बोले, ‘‘रास्ता बारिश की वजह से खराब हो गया था, इसलिए एक गाड़ी को स्वामीजी के साथ छोड़ कर आ गया हूं…

‘‘यहां तुम अकेली जो थी. मन ने कहा कि लौट चलो, सो लौट आया. तुम्हें हैरानी तो नहीं हुई इस तरह मेरे लौटने पर? यह अच्छा किया कि सरना को रोक लिया था. यह बड़ा अच्छा लड़का है. ऐसी सुनसान रात में अकेले रहना भी तो ठीक नहीं था…’’

चौधराइन अपने आदमी के इस यकीन पर हैरान रह गईं. अगर वह थोड़ी देर और कर देते तो जवानी का तूफान दोनों को पता नहीं कहां ले जाता. चौधराइन मुसकरा कर बोली, ‘‘हैरानी, वह भी आप के आने की? हैरानी तो तब होती, जब आप न आते. सरना भी रुक नहीं रहा था. कह रहा था कि चौधरी आते ही होंगे… थोड़ी देर की तो बात है. आप अकेले ही वक्त काट लीजिए. पर सच मानिए, आप के बिना सब सूनासूना लगता है.’’

घर जाते समय सरना सोच रहा था, चौधराइन के दिल का सारा बोझ जैसे उस के दिल पर आ गया है. अब उसे इस बात की चिंता थी कि अगर फिर किसी दिन चौधरी रात को घर नहीं लौटे, तो उस वक्त क्या होगा?उधर चौधराइन खुश थीं कि दिल के अंदर उठता जोशीला तूफान कम गया था. चौधरी भी खुश हुआ, जब 2 महीने बाद पता चला कि चौधराइन पेट से है. उस ने स्वामीजी को पूरे 2 लाख रुपए का चढ़ावा दिया.सरना को भी चौधराइन ने बहुतकुछ दिया, पर वह बताने की बात नहीं है. राज को राज ही रहने दें.

आलिया और जाह्नवी से सीधेसीधे टक्कर ले रही है साउथ की सैक्सी एक्ट्रेस रश्मिका और नयनतारा

साउथ की फिल्मों का दबदबा दुनिया भर में दिखता रहा है, उनकी एक्ट्रैसेस भी ट्रेंड में रहती है. साउथ की एक्ट्रेस बौलीवुड एक्ट्रेस को भी टक्कर देती है. वे एक्टिंग, फैशन, ब्यूटी में काफी आगे है. इतना ही नहीं, साउथ सिनेमा की एक्ट्रैस बौलीवुड में भी काम कर चुकी है. जो आलिया और जाह्नवी को टक्कर देने में पीछे नहीं है.film

रश्मिका मंदाना

रश्मिका ने फिल्म ‘पुष्पा’ में अपनी परफौर्मेंस से दर्शकों को हैरान कर दिया था. उन्होंने फिल्म में श्रीवल्ली के रोल में दर्शकों का ध्यान खीचा था. सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ फिल्म ‘मिशन मजनू’ से बौलीवुड में अपनी शुरुआत की. रश्मिका मंदाना की फिल्में और एक्टिंग लोगों को खूब पसंद आई.

रश्मिका मंदाना अमिताभ बच्चन के साथ ‘गुडबाय’ और रणबीर कपूर के साथ ‘एनिमल’ में भी काम करती नजर आई है. इनकी एक्टिंग बौलीवुड की एक्ट्रैस आलिया भट्ट से कम नहीं है.

पूजा हेगड़े

पूजा हेगडे एक पौपुलर एक्ट्रेस है. जो साउथ से बौलीवुड की तरफ आई है. पूजा हेगड़े ने ‘मोहनजोदारो’ (2016) से ऋतिक रोशन के साथ बौलीवुड में कदम रखा था, लेकिन मूवी नहीं चली, तो तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने का फैसला किया. उन्होंने 2019 में ‘हाउसफुल’ के साथ हिंदी सिनेमा में वापसी की. उन्हें आखिरी बार ‘राधे श्याम’ में प्रभास के साथ देखा गया था. पूजा की एक्टिंग और खूबसूरती की हर जगह चर्चे हैं.

 

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पूजा एक बार फिर अपना ध्यान कुछ बड़ी बौलीवुड फिल्मों की ओर कर रही हैं. उनके पास सलमान खान के साथ ‘कभी ईद कभी दिवाली’ और रणवीर सिंह के साथ रोहित शेट्टी की ‘सर्कस’ है.

नयनतारा

नयनतारा दशकों से तेलुगु, तमिल और मलयालम इंडस्ट्री पर राज करने वाली एक्ट्रेस है, जो अब बौलीवुड की ओर रुख कर रही हैं. वे साउथ में सबसे अधिक फीस चार्ज करने वाली एक्ट्रैसेज में से एक हैं. वे एटली की ‘जवान’ में शाहरुख खान के साथ नजर आई थी. नयनतारा की एक्टिंग और स्टाइल का आज बौलीवुड में हर कोई दीवाना है.

सामंथा रूथ प्रभु

सामंथा रुथ प्रभु का एक जानीमानी साउथ एक्ट्रेस है. जो वेब सीरीज ‘फैमिली मैन सीजन 2’ में काम करने के बाद सुर्खियों में आई थीं. वे फिल्म ‘पुष्पा’ में अपने डांस नंबर ‘ऊ अंटवा ऊ ऊ अंटवा’ से दर्शकों के दिलों में छा गई थीं. वे अब टीवी पर अपनी शुरुआत करने के लिए तैयार हैं. वे ‘कौफी विद करण’ में नजर आने वाली पहली साउथ एक्ट्रेस बनने जा रही हैं. वे चैट शो के अगले एपिसोड में अक्षय कुमार के साथ नजर आएंगी.

बता दें कि सामन्था एक ही साल में दोनों, सर्वश्रेष्ठ तेलुगू एक्ट्रेस के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ तमिल एक्ट्रेस के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार को जीतने वाली एक्ट्रेस बनीं. समान्था रुथ प्रभु साउथ फिल्‍म इंडस्‍ट्री के सुपरस्‍टार नागार्जुन के बेटे नागा चैतन्‍य से शादी के बन्धन में बंधे.

फर्क: रवीना की एक गलती ने तबाह कर दी उसकी जिंदगी

18 साल की रवीना के हाथों में जैसे ही वोटर आईडी कार्ड आया, उसे लगा जैसे सारी दुनिया उस की मुट्ठी में समा गई हो. यह सिर्फ एक दस्तावेज मात्र नहीं था बल्कि उस की आजादी का सर्टिफिकेट था।

‘अब मैं कानूनी रूप से बालिग हूं और अपनी मरजी की मालिक, अपनी जिंदगी की सर्वेसर्वा. निर्णय लेने को स्वतंत्र. जो चाहे करूं, जहां चाहे जाऊं. जिस के साथ मरजी रहूं. कोई बंधन, कोई रोकटोक नहीं. बस, खुला आसमान और ऊंची उड़ान…’ मन ही मन खुश होती हुई रवीना पल्लव के साथ अपनी आजादी का जश्न मनाने का नायाब तरीका सोचने लगी.

ग्रैजुऐशन के आखिरी साल की स्टूडैंट रवीना मातापिता की इकलौती बेटी थी. फैशन और हाई प्रोफाइल लाइफ की दीवानी रवीना नाजों पली होने के कारण जिद्दी और मनमौजी थी. पढ़ाईलिखाई में तो वह एक औसत छात्रा ही थी इसलिए पास होने के लिए हर साल उसे ट्यूशन और कोचिंग का सहारा लेना पड़ता था.

पल्लव भी पिछले दिनों ही इस कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ाने लगा है. पहली नजर में ही रवीना उस की तरफ झुकने लगी थी. लंबा और ऊंचा कद, गहरीगंभीर आंखें और लापरवाही से पहने कस्बाई फैशन के हिसाब से आधुनिक लिबास. बाकी लड़कियों की निगाहों में पल्लव कुछ भी खास नहीं था मगर उस का बेपरवाह अंदाज अतिआधुनिक शहरी रवीना के दिलोदिमाग में खलबली मचाए हुए था.

पल्लव कहने को तो कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ाता था लेकिन असल में तो वह खुद भी एक स्टूडैंट ही था. उस ने इसी साल अपना ग्रैजुऐशन पूरा किया था और अब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए शहर में रुका था. कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ाने के पीछे उस का यह मकसद भी था कि इस तरीके से वह किताबों के संपर्क में रहेगा, साथ ही जेबखर्च के लिए कुछ अतिरिक्त आमदनी भी हो जाएगी.

पल्लव के पिता उस के इस फैसले से सहमत नहीं थे. वे चाहते थे कि पल्लव पूरी तरह से समर्पित हो कर अपना ध्यान केवल अपने भविष्य की तैयारी पर लगाए लेकिन पल्लव से पूरा दिन एक ही जगह बंद कमरे में बैठ कर पढ़ाई नहीं होती थी, इसलिए उस ने अपने पिता की इच्छा के खिलाफ पढ़ने के साथसाथ पढ़ाने का विकल्प चुना और इस तरह से रवीना के संपर्क में आया.

‘2 विपरीत ध्रुव एकदूसरे को आकर्षित करते हैं’, इस सर्वमान्य नियम से भला पल्लव कैसे अछूता रह सकता था. धीरेधीरे वह भी खुद के प्रति रवीना के आकर्षण को महसूस करने लगा था। मगर एक तो उस का संकोची स्वभाव, दूसरे सामाजिक स्तर पर कमतरी का एहसास उसे दोस्ती के लिए आमंत्रित करती रवीना की मुसकान के निमंत्रण को स्वीकार नहीं करने दे रहा था.

आखिर विज्ञान की जीत हुई और शुरुआती औपचारिकता के बाद अब दोनों के बीच अच्छीखासी ट्यूनिंग बनने लगी थी. फोन पर बातों का सिलसिला भी शुरू हो चुका था.

“लीजिए जनाब, सरकार ने हमें कानूनन बालिग घोषित कर दिया है,” पल्लव के चेहरे के सामने अपना वोटर कार्ड हवा में लहराते हुए रवीना खिलखिलाई.

“तो जश्न मनाएं…” पल्लव ने भी उसी गरमजोशी से जवाब दिया.

“चलो, आज तुम्हें पिज्जा खिलाने ले चलती हूं.”

“न… न… तुम अपने खुबसूरत हाथों से 1 कप चाय बना कर पिला दो. मैं तो इसी में खुश हो जाउंगा,” पल्लव ने रवीना के चेहरे पर शरारत करते बालों की लट को उस के कानों के पीछे ले जाते हुए कहा. रवीना उस का प्रस्ताव सुन कर हैरान थी.

“चाय? मगर कैसे? कहां?” रवीना ने पूछा.

“मेरे रूम पर और कहां?” पल्लव ने उसे आश्चर्य से बाहर निकाला. रवीना राजी हो गई.

रवीना ने मुसकरा कर स्कूटर स्टार्ट करते हुए पल्लव को पीछे बैठने के लिए आमंत्रित किया. यह पहला मौका था जब पल्लव उस से इतना सट कर बैठा था. कुछ ही मिनटों के बाद दोनों पल्लव के कमरे पर थे. जैसाकि आम पढ़ने वाले युवाओं का होता है, पल्लव के कमरे में भी सामान के नाम पर एक पलंग, टेबलकुरसी और रसोई का सामान था. रवीना अपने बैठने के लिए जगह तलाश कर ही रही थी कि पल्लव ने उसे पलंग पर बैठने का इशारा किया. रवीना सकुचाते हुए बैठ गई. पल्लव भी वहीं उस के पास आ बैठा.

एकांत में 2 युवा दिल एकदूसरे की धड़कनें महसूस करने लगे और कुछ ही पलों में दोनों के रिश्ते ने एक लंबा फासला तय कर लिया. दोनों के बीच बहुत सी औपचारिकताओं के किले ढह गए. एक बार ढहे तो फिर बारबार ये वर्जनाएं टूटने लगीं.

कहते हैं कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते. दोनों की नजदीकियों की भनक जब रवीना के घर वालों को लगी तो उसे लाइन हाजिर किया गया.

“मैं पल्लव से प्यार करती हूं,” रवीना ने बेझिझक स्वीकार किया. बेटी की मुंहजोरी पर पिता आगबबूला हो गए.
यह उम्र कैरियर बनाने की है, रिश्ते नहीं. समझीं तुम…” पापा ने उसे लताड़ दिया.

“मैं बालिग हूं. अपने फैसले खुद लेने का अधिकार है मुझे,” रवीना बगावत पर उतर आई थी. इसी दौरान बीचबचाव करने के लिए मां उन के बीच आ खड़ी हुईं.

“कल से इस का कालेज और इंस्टिट्यूट दोनों जगह जाना बंद,” पिता ने उस की मां की तरफ मुखातिब होते हुए कहा तो रवीना पांव पटकते हुए अपने कमरे की तरफ चल दी. थोड़ी ही देर में कपड़ों से भरा सूटकेस हाथ में लिए वह खड़ी थी.

“मैं पल्लव के साथ रहने जा रही हूं,” रवीना के इस ऐलान ने घर में सब के होश उड़ा दिए.

“तुम बिना शादी किए एक पराए मर्द के साथ रहोगी? क्यों समाज में हमारी नाक कटवाने पर तुली हो?” इस बार मां उस के खिलाफ हो गई.

“हम दोनों बालिग हैं. अब तो कोर्ट ने भी इस बात की इजाजत दे दी है कि 2 बालिग लिव इन में रह सकते हैं, उम्र चाहे जो भी हो,” रवीना ने मां के विरोध को चुनौती दी.

“कोर्ट अपने फैसले नियमकानून और सुबूतों के आधार पर देता है. सामाजिक व्यवस्थाएं इन सब से बिलकुल अलग होती हैं. कानून और समाज के नियम सर्वथा भिन्न होते हैं,” पापा ने उसे समझाने की कोशिश की मगर रवीना के कान तो पल्लव के नाम के अलावा कुछ और सुनने को तैयार ही नहीं थे.

उसे अब अपने और पल्लव के बीच कोई बाधा स्वीकार नहीं थी. वह बिना पीछे मुड़ कर देखे अपने घर की दहलीज लांघ गई. यों अचानक रवीना को सामान सहित अपने सामने देख कर पल्लव अचकचा गया. रवीना ने एक ही सांस में उसे पूरे घटनाक्रम का ब्यौरा दे दिया.

“कोई बात नहीं, अब तुम मेरे पास आ गई हो न. पुराना सब बातें भूल जाओ और मिलन का जश्न मनाओ,” कमरा बंद कर के पल्लव ने उसे अपने पास खींच लिया और कुछ ही देर में हमेशा की तरह उन के बीच रहीसही सारी दूरियां भी मिट गईं. रवीना ने एक बार फिर अपना सबकुछ पल्लव को समर्पित कर दिया.

2-4 दिन में ही पल्लव के मकानमालिक को भी सारी हकीकत पता चल गई कि पल्लव अपने साथ किसी लड़की को रखे हुए है. उस ने पल्लव को धमकाते हुए कमरा खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया. समाज की तरफ से उन पर यह पहला प्रहार था मगर उन्होंने हार नहीं मानी. कमरा खाली कर के दोनों एक सस्ते होटल में आ गए.

कुछ दिन तो सोने से दिन और चांदी सी रातें गुजरीं मगर साल बीततेबीतते ही उन के इश्क का इंद्रधनुष फीका पड़ने लगा. ‘प्यार से पेट नहीं भरता’ इस कहावत का मतलब पल्लव अच्छी तरह समझने लगा था.
समाज में बदनामी होने के कारण पल्लव की कोचिंग छूट गई और अब आमदनी का कोई दूसरा जरीया भी उन के पास नहीं था. पल्लव के पास प्रतियोगी परीक्षाओं का शुल्क भरने तक के पैसे नहीं बच पा रहे थे. उस ने वह होटल भी छोड़ दिया और अब रवीना को ले कर बहुत ही निम्न स्तर के मोहल्ले में रहने आ गया.

एक तरफ जहां पल्लव को रवीना के साथ अपना भविष्य अंधकारमय नजर आने लगा था, तो वहीं दूसरी तरफ रवीना तो अब पल्लव में ही अपना भविष्य तलाशने लगी थी. वह इस लिव इन को स्थाई संबंध में परिवर्तित करना चाहती थी और पल्लव से शादी करना चाहती थी. रवीना को भरोसा था कि जल्दी ही अंधेरी गलियां खत्म हो जाएंगी और उन्हें अपनी मंजिल के रास्ते मिल जाएंगे. बस, किसी तरह पल्लव कहीं सैट हो जाए.

एक बार फिर विज्ञान का यह आकर्षण का नियम पल्लव पर लागू हो रहा था,’2 विपरीत ध्रुव जब एक निश्चित सीमा तक नजदीक आ जाते हैं तो उन में विकर्षण पैदा होने लगता है।’ पल्लव भी इसी विकर्षण का शिकार होने लगा था. हालातों के सामने घुटने टेकता वह अपने पिता के सामने रो पड़ा तो उन्होंने रवीना से अलग होने की शर्त पर उस की मदद करना स्वीकार कर लिया. मरता क्या नहीं करता, पिता की शर्त के अनुसार उस ने फिर से कोचिंग जाना शुरू कर दिया और वहीं होस्टल में रहने लगा, मगर इस बार कोचिंग में पढ़ाने नहीं बल्कि स्वयं पढ़ने के लिए. रवीना के लिए यह किसी बड़े झटके से कम नहीं था. वह अपनेआप को ठगा सा महसूस करने लगी. मगर दोष दे भी तो किसे? यह तो उस का अपना फैसला था.

पल्लव के जाने के बाद वह अकेली ही उस मोहल्ले में रहने लगी. इतना सब होने के बाद भी उसे पल्लव का इंतजार था. वह भी उस के बैंक परीक्षा के रिजल्ट का इंतजार कर रही थी,’एक बार पल्लव का सिलैक्शन हो जाए तो फिर सब ठीक हो जाएगा. हमारा दम तोड़ता रिश्ता फिर से जी उठेगा,’ इसी उम्मीद पर वह हर चोट सहती जा रही थी.

आखिर रिजल्ट भी आ गया. पल्लव की मेहनत रंग लाई और उस का बैंक परीक्षा में में चयन हो गया. रवीना यह खुशी उत्सव की तरह मनाना चाहती थी. वह दिनभर तैयार हो कर उस का इंतजार करती रही मगर वह नहीं आया. रवीना पल्लव को फोन पर फोन लगाती रही मगर उस ने फोन भी नहीं उठाया.

आखिर रवीना उस के होस्टल जा पहुंची. वहां जा कर पता चला कि पल्लव तो सुबह रिजल्ट आते ही अपने घर चला गया. रवीना बिलकुल निराश हो गई. क्या करे? कहां जाए? वर्तमान तो खराब हुआ ही, भविष्य भी अंधकारमय हो गया. आसमान तो हासिल नहीं हुआ, पांवों के नीचे की जमीन भी अपनी नहीं रही. पल्लव का प्रेम तो मिला नहीं, मातापिता का स्नेह भी वह छोड़ आई. काश, उस ने अपनेआप को कुछ समय सोचने के लिए दिया होता. मगर अब क्या हो सकता है? पीछे लौटने के सारे रास्ते तो वह खुद ही बंद कर आई थी. रवीना बुरी तरह से हताश हो गई. वह कुछ भी सोच नहीं पा रही थी. कोई निर्णय नहीं ले पा रही थी.

आखिर उस ने एक खतरनाक निर्णय ले ही लिया,”तुम्हें तुम्हारा रास्ता मुबारक हो. मैं अपने रास्ते जा रही हूं. खुश रहो,” रवीना ने एक मैसेज पल्लव को भेजा और अपना मोबाइल स्विच औफ कर लिया. संदेश पढ़ते ही पल्लव के पांवों के नीचे से जमीन खिसक गई.

‘अगर इस लड़की ने कुछ उलटासीधा कर लिया तो मेरा कैरियर चौपट हो जाएगा,’ यह सोचते हुए उस ने 1-2 बार रवीना को फोन लगाने की कोशिश की मगर नाकाम होने पर तुरंत दोस्त के साथ बाइक ले कर उस के पास पहुंच गया. जैसाकि उसे अंदेशा था, रवीना नींद की गोलियां खा कर बेसुध पड़ी थी. पल्लव दोस्त की मदद से उसे हौस्पिटल ले कर आया और उस के घर पर भी खबर कर दी. डाक्टरों के इलाज शुरू करते ही दवा लेने के बहाने पल्लव वहां से खिसक गया.

बेशक रवीना अपने घर वालों से सारे रिश्ते खत्म कर आई थी मगर खून के रिश्ते भी कहीं टूटे हैं भला? खबर पाते ही मातापिता बदहवास से बेटी के पास पहुंच गए. समय पर चिकित्सा सहायता मिलने से रवीना अब खतरे से बाहर थी. मांपापा को सामने देख वह फफक पड़ी,”मां, मैं बहुत शर्मिंदा हूं. सिर्फ आज के लिए ही नहीं बल्कि उस दिन के अपने फैसले के लिए भी, जब मैं आप सब को छोड़ आई थी,” रवीना ने कहा तो मां ने कस कर उस का हाथ थाम लिया.

“यदि मैं ने उस दिन घर न छोड़ा होता तो आज कहीं बेहतर जिंदगी जी रही होती. मेरा वर्तमान और भविष्य, दोनों ही सुनहरे होते. मैं ने स्वतंत्र होने में बहुत जल्दबाजी की. मैं तो आप लोगों से माफी मांगने के लायक भी नहीं हूं…” रवीना फफक पङी.

“तुम घर लौट चलो. अपनेआप को वक्त दो और फिर से अपने फैसले का मूल्यांकन करो. जिंदगी किसी एक मोड़ पर रुकने का नाम नहीं बल्कि यह तो एक सतत प्रवाह है. इस के साथ बहने वाले ही अपनी मंजिल को पाते हैं,” पापा ने उसे समझाया.

“हां, किसी एक जगह अटके रहने का नाम जिंदगी नहीं है. यह तो अनवरत बहती रहने वाली नदी है. तुम भी इस के बाहव में खुद को छोड़ दो और एक बार फिर से मुकाम बनाने की कोशिश करो. हम सब तुम्हारे साथ हैं,” मां ने उस का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा.

मन ही मन अपने फैसले से सबक लेने का दृढ संकल्प करते हुए रवीना मुसकरा दी. अब उसे स्वतंत्रता और स्वछंदता में फर्क साफसाफ नजर आ रहा था.

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