मैं सुपरवाइजर हूं. मेरा मैनेजर मुझे घर बुलाता है ऐसे औफर की वजह से में तनाव में रहती हूं?

सवाल

मैं 46 साल की हूं और पटना में रहती हूं. मेरे 2 बच्चे हैं. मेरे पति कारोबार के सिलसिले में ज्यादातर शहर से बाहर रहते हैं. मैं एक प्राइवेट कंपनी में बतौर सुपरवाइजर काम करती हूं. वहां जो मैनेजर है, वह मुझ से बारबार चायकौफी पीने के लिए कहता है और मुझे अपने घर में भी बुलाता है.

उस मैनेजर की पत्नी की हाल ही में मौत हुई थी और बच्चे दूसरे शहर में पढ़ते हैं. मैं उस के इस औफर पर ज्यादा ध्यान नहीं देती हूं, पर उस के बारबार कहने पर मैं बहुत तनाव में रहने लगी हूं. मैं क्या करूं?

जवाब

अगर आप मैनेजर के बुलावे पर उस के घर नहीं जाना चाहती हैं, तो उसे एक बार सख्ती से मना कर दें. वैसे भी उस के साथ जाने से आप को हासिल क्या होगा, उलटे कोई बखेड़ा खड़ा हो गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे. उस की नीयत क्या है, यह समझ पाना मुश्किल नहीं कि वह आप पर डोरे डाल रहा है.

बेहतर होगा कि इस बारे में आप अपने पति को बता दें. अपने पति के साथ जा कर मैनेजर की चायकौफी पीने की ख्वाहिश पूरी कर दें, फिर वह दोबारा आप को नहीं बुलाएगा.

कमजोर न पड़ जाएं सेक्स संबंध

शहर कहें या गांव, भारतीय और इसलामिक समाज में स्त्रियों के लिए सेक्स पर चर्चा तथा इस मामले में अपनी इच्छाओं की अभिव्यक्ति को नीच मानसिकता कह कर अनुत्साहित किया जाता है. वैसी स्त्रियां जो अपने पार्टनर से सेक्स के बारे में अपनी इच्छाएं खुल कर कहना चाहती हैं सभ्य और सुसंस्कृत नहीं मानी जातीं. बड़े शहरों की बिंदास लड़कियों को छोड़ दें, तो बाकी सेक्स को पति की सेवा का ही अहम हिस्सा मान कर चलती हैं तथा अपनी इच्छाअनिच्छा पति से बोलने की जरूरत महसूस नहीं करतीं.

1. भेदभाव क्यों

थोड़ा गहराई में जाएं तो पाएंगे कि सेक्स की इच्छा और क्षमता को मानव जीवन का प्रधान तत्त्व समझा जा सकता है. सेक्स जीवन को नियंत्रित करने में जीववैज्ञानिक, नैतिक, सांस्कृतिक, कानूनी, धार्मिक आदि विभिन्न दृष्टिकोणों का योगदान होता है यानी सेक्स जीवन और इस की अभिव्यक्ति पर इन बातों का बहुत प्रभाव रहता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने व्यक्ति के सेक्स जीवन की महत्ता पर बल देते हुए इस के प्रति सकारात्मक और सम्माननीय दृष्टिकोण अपनाने की बात कही है. इस संगठन ने माना कि अपने साथी के साथ सेक्स संबंध बिना किसी भेदभाव, हिंसा और शारीरिक, मानसिक शोषण के पूरी ऊर्जा और भावनात्मक संतुलन के साथ होना चाहिए.

सवाल अहम है कि हमारे देश में जहां स्त्रियों पर सेक्स से संबंधित बलात्कार, मानसिक शोषण, घरेलू हिंसा बदस्तूर जारी है, स्त्री के सेक्स संबंधी अधिकार और सेक्स के प्रति खुली राय क्या स्वीकार्य है?

अगर जागरूकता आ जाए और स्त्रियां भी इस मामले में अपनी भावनाओं को पूरा महत्त्व दें व पार्टनर से खुली बातचीत करें तो बहुत फायदे मिल सकते हैं.

2. आपस में दोस्ती का रिश्ता:

अगर पतिपत्नी के बीच दोस्ती की भावना विकसित हो जाए तो इन के बीच ऊंचनीच, बड़ेछोटे का अहंकारपूर्ण भेद अपनेआप मिट जाए. दोनों का आपस में एकदूसरे की सेक्स इच्छाओं के बारे में बताने से यह आसानी से हो सकता है.

3. व्यक्तित्व का विकास:

अगर स्त्री सेक्स के मामले में सिर्फ समर्पिता न रह कर पसंदनापसंद को जाहिर करे, तो वह पुरुष पार्टनर के दिल में आसानी से अपने लिए रुचि जगा सकती है, जो व्यक्तित्व विकास में सहायक है.

4. आत्मविश्वास की बढ़ोत्तरी:

सिर्फ पुरुष की इच्छा पर चलना सेक्स जीवन में एक मशीनी प्रभाव उत्पन्न करता है, लेकिन स्त्री भी इस दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाए तो जीवन में फिर से नई ऊर्जा का संचार हो जाए.

वैसे तो भारतीय परिवेश को अभी भी लंबा वक्त लगेगा कुसंस्कारों के बंधनों से मुक्त होने में, लेकिन उन कारकों के बारे में बातें कर पिछड़ी मानसिकता को कुछ हद तक कम करने की कोशिश तो कर ही सकते हैं.

बचपन से ही पारिवारिक माहौल में लड़कियों को यह शिक्षा मिलती है कि सेक्स निकृष्ट है और इस से लड़कियों को दूर रहना चाहिए.

चरित्र को भी सेक्स के साथ जोड़ा जाता है. सेक्स की इच्छा को दबा कर या इस के बारे में अपनी राय को छिपा कर ही सद्चरित्र रहा जा सकता है.

चरित्र को परिवार की इज्जत के साथ जोड़ा जाता है. लड़की परिवार की इज्जत मानी जाती है यानी सेक्स के बारे में निजी खुली सोच दुष्चरित्र होने की निशानी है, जिस से परिवार की इज्जत मिट्टी में मिल जाती है.

शादी के बाद यही संस्कार स्त्री में मूलरूप से जमे होते हैं और वह सेक्स के बारे में पति से स्वयं अपनी इच्छा बताने में भारी संकोच महसूस करती है. इस मामले में आम पुरुषों की सोच भी परंपरावादी सामंती प्रथा से प्रभावित लगती है. उन्हें अपनी पत्नी का सेक्स मामले में खुलना और इच्छा जाहिर करना स्त्री सभ्यता के विपरीत लगता है. इस सोच के साथ पुरुष स्त्रियों का कई बार मजाक भी उड़ाते हैं या उन की भावनाओं की कद्र नहीं करते. तब स्त्री के पास भी अपनी खोल में सिमट जाने के अलावा और कोई चारा नहीं होता. बाद में यही पुरुष सेक्स के वक्त स्त्री के मृत जैसा पड़े रहने के उलाहने भी देते हैं, जो संबंध में भ्रम की स्थिति पैदा कर देते हैं.

स्त्री जब इन सारी बाधाओं को पार कर समान मूल्य और अधिकार का आनंद ले पाएगी तभी वह एक भोग्या की तरह नहीं एक सही साथी की तरह जिंदगी के इन खुशगवार पलों का उपभोग कर पाएगी.

दूसरा मर्द : दो नाव पर सवार श्यामली

श्यामली बैठ कर अखबार पढ़ने लगी. स्कूल के बच्चे बरामदे के पास घास पर बैठ कर दोपहर का खाना खाने लगे. मधुप भी अपना डब्बा खोलते हुए बोला, ‘‘श्यामलीजी, अब आ भी जाइए. खबरें तो बाद में भी पढ़ी जा सकती हैं. मुझे तो बड़ी जोर की भूख लगी है.’’

‘‘लेकिन मुझे भूख नहीं है. तुम खा लो,’’ अखबार से नजर हटाए बगैर श्यामली बोली.

‘‘इस का मतलब आज फिर अरुण से झगड़ा हुआ होगा?’’ मधुप ने श्यामली की उलझन समझते हुए पूछा.

‘‘हां… रात को वे देर से शराब पी कर आए. खाने में मिर्च कम होने पर तुनक पड़े और बेवजह मुझे मारने लगे,’’ कहते हुए श्यामली की आंखें भर आईं. बात जारी रखते हुए उस ने आगे बताया, ‘‘मैं रातभर सो न पाई. सुबहसुबह ही तो आंख लगी थी. अगर मैं जल्दी स्टेशन न आ पाती तो ट्रेन निकल जाती.’’

‘‘अब उठिए भी… मेरी मां ने आज वैसे ही ढेर सारा खाना रख दिया है,’’ मधुप ने कहा, तो श्यामली उस की बात टाल न सकी.

श्यामली को इस कसबे में नौकरी करते 5 साल बीत गए थे. वह सुबह 9 बजे तक अपने घर का सारा काम निबटा कर स्कूल आते समय साथ में खाने का डब्बा भी ले आती थी. उस का पति एक बैंक में क्लर्क था, जिस की सोहबत अच्छी नहीं थी. वह हमेशा नशे में धुत्त रहता था और अपनी बीवी की तनख्वाह पर नजर गड़ाए रहता था. जब कभी वह पैसा देने में आनाकानी करती, तब दोनों के बीच झगड़ा होता था.

एक तो रोजरोज रेलगाड़ी के धक्के खाना, ऊपर से स्कूल के बच्चों के साथ सिर खपाना, श्यामली बुरी तरह से थक जाती थी. उसे न घर में चैन था, न बाहर. उस के इस दुखभरे पलों को मुसकराहट में बदलने के लिए मधुप उस की जिंदगी में दाखिल हुआ था. वह उस के साथ ही नौकरी करता था.

मधुप भी उसी के शहर का रहने वाला था. रोजाना दोनों एक ही ट्रेन से साथसाथ आतेजाते थे. वे एकदूसरे में घुलमिल गए थे. श्यामली शादीशुदा थी, पर मधुप अभी कुंआरा था.

मधुप से श्यामली के घर की बात छिपी हुई नहीं थी. वह उस की दुखती रग को पहचान गया था. सोचना शायद उसे प्यार और हमदर्दी की जरूरत है, इसलिए वह उस की हिम्मत बढ़ाता रहता था.

तब श्यामली सोचती कि सब लोग एकजैसे नहीं होते. वह अपने मन की बात मधुप को बता कर हलकापन महसूस करती थी और उसे अपना हमराज मानने लगी थी.

एक दिन श्यामली तैयार हो कर बाहर निकली ही थी कि सामने मधुप को देख कर ठिठक गई.

‘‘क्या बात है?’’ श्यामली ने पूछा.

‘‘बाबूजी की तबीयत अचानक बहुत खराब हो गई है. उन्हें बाहर ले जाना होगा. यह छुट्टी की अर्जी रख लीजिए.’’

अर्जी देख कर श्यामली हैरान रह गई, फिर बोली, ‘‘क्या पूरे 15 दिन की छुट्टी ले रहे हो?’’

‘‘हां. डाक्टर ने सलाह दी है. अगर उन्हें आराम नहीं मिला, तो शायद और ज्यादा छुट्टी लेनी पड़ जाएं.’’

‘‘ठीक है,’’ कहते हुए श्यामली ने अर्जी अपने पास रख ली. वह मधुप को दूर तक जाते हुए देखती रही.

मधुप जब छुट्टी से लौट कर आया तो श्यामली खुशी से झूम उठी. फिर कुछ सोचते हुए बोली, ‘‘मधुप, बच्चों के इम्तिहान होने से पहले क्यों न हम सब पिकनिक पर चलें?’’

मधुप फौरन श्यामली की बात मान गया.

स्कूल से 4 किलोमीटर दूर एक झील थी. बड़ी अच्छी जगह थी. वहां छुट्टी के दिन जाना तय हुआ.

श्यामली ने घर आ कर अरुण से कहा, ‘‘क्योंजी, पिकनिक पर आप भी चलेंगे न? उस दिन आप की भी छुट्टी रहेगी.’’

अरुण गुस्से से बोला, ‘‘हफ्ते में एक दिन तो यारदोस्तों के साथ दारू पीने का मौका मिलता है… उसे भी तुम छीन लेना चाहती हो?’’

उस की बात सुन कर श्यामली का दिल नफरत से भर उठा.

पिकनिक वाले दिन श्यामली भोर होेते ही उठ बैठी. अरुण अभी तक सो रहा था. वह उस का खाना बना कर नहाधो कर तैयार हुई और समय से पहले ही स्टेशन पर आ गई.

मधुप भी उसी का इंतजार कर रहा था. श्यामली बेहद खुश थी. उस ने अपने सिंगार में कोई कमी नहीं रखी थी. उस के जिस्म से इत्र की बड़ी अच्छी महक आ रही थी.

श्यामली की खूबसूरती देख कर मधुप अंदर ही अंदर तड़प उठा. उस से रहा नहीं गया, बोला, ‘‘श्यामलीजी, आप आज बहुत हसीन लग रही हैं.’’

शायद वह मधुप से तारीफ सुनना चाहती थी, इसलिए उस के गाल और ज्यादा गुलाबी हो गए.

सभी बच्चे भोजन कर आराम करने लगे. लेकिन मधुप झील के किनारे एक इमली के पेड़ तले बैठा था.

‘‘अरे, तुम यहां बैठे हो, मैं तुम्हें कब से खोज रही हूं,’’ श्यामली उस के बिलकुल नजदीक आ बैठी.

‘‘बस यों ही इस झील की लहरों को देख रहा हूं. पानी कितना ठंडा?है.’’

थोड़ी देर दोनों के बीच चुप्पी छाई रही.

अचानक श्यामली बोली, ‘‘मधुप.’’

‘‘जी कहो…’’ श्यामली की ओर निगाहें घुमाते हुए मधुप ने पूछा.

‘‘मैं चाहती हूं कि तुम मुझे अपना लो,’’ अटकते हुए श्यामली ने कहा.

मधुप हैरान रह गया. बोला, ‘‘लेकिन आप तो शादीशुदा हैं.’’

‘‘जिसे तुम शादी कहते हो, वह नरक है. वहां सांस लेते हुए भी मुझे दर्द होता है. अगर तुम ‘हां’ कह दो तो मैं अपने मर्द से तलाक ले लूंगी.’’

‘‘श्यामलीजी, झगड़े हर घर में होते हैं लेकिन इस का मतलब यह तो नहीं कि बीवी और मर्द हमेशा के लिए एकदूसरे से अपना मुंह मोड़ लें,’’ समझाते हुए मधुप ने कहा.

‘‘फिर मैं क्या करूं? मधुप, मैं अब बिलकुल टूट चुकी हूं. मुझे तुम्हारे सहारे की जरूरत है. बोलो, मेरा साथ दोगे?’’ श्यामली उस की आंखों में झांकते हुए बोली.

मधुप सोच में डूब गया. वह फैसला नहीं कर पा रहा था. कुछ देर बाद उस ने कहा, ‘‘मर्द अगर गलत रास्ते पर जाता है तो बीवी ही आगे आ कर उसे सही रास्ते पर लाती है. अरुण पर एक बार फिर अपने प्यार का बादल बरसा कर देख लीजिए. आओ, अब चलें, सूरज ढलने लगा है,’’ उठते हुए मधुप ने कहा.

श्यामली किसी मुजरिम की तरह मधुप के पीछेपीछे चल पड़ी.

उन के स्कूल से जिले की हौकी टीम में हिस्सा लेने के लिए 2 लड़कियों को चुना गया था. श्यामली ने मधुप से कहा, ‘‘अगर तुम भी मेरे साथ चलोगे तो सफर अच्छा कट जाएग.’’

‘‘आप कहती हैं तो चल देता हूं,’’ मधुप बोला.

उन के जिले की टीम मैच जीत गई थी. शाम को दोनों लड़कियों को होस्टल की दूसरी लड़कियों के बीच छोड़ कर श्यामली मधुप के साथ तांगे पर बैठ कर घूमने निकल पड़ी. दोनों ने खूब चाटपकौड़े खाए.

मधुप ने अपनी पसंद की एक साड़ी खरीदी और तोहफे के तौर पर श्यामली को दे दी. फिर एक होटल में खाना खाया, उस के बाद पार्क में आ बैठे, जहां फव्वारे चल रहे थे और रंगबिरंगी रोशनी भी थी.

मधुप एक फूल वाले से मोगरे की लडि़यां ले आया, जिन्हें उस ने अपने हाथों से श्यामली के बालों में लगा दिया. वह उस के और नजदीक सिमट आई.

श्यामली को अपनी जिंदगी में इतना प्यार कभी भी नहीं मिल पाया था, जितना कि मधुप उस पर उड़ेल रहा था. न चाहते हुए भी वह बोली, ‘‘मधुप, रात बहुत हो चुकी है… होस्टल में लड़कियां हमारा इंतजार कर रही होंगी?’’

मधुप कुछ नहीं बोला. तब श्यामली ने अपना सिर उस की गोद में रख दिया तो वह प्यार से उस के बाल सहलाने लगा. धीरेधीरे पार्क से लोग जाने लगे थे. तब मधुप ने उस का हाथ पकड़ कर उठाया, ‘‘आओ, चलते हैं.’’

श्यामली उठ खड़ी हुई. बाहर आ कर मधुप ने एक रिकशा वाले से पूछा,’’ यहां पास में कोई होटल है?’’

श्यामली हैरानी से मधुप का मुंह ताकने लगी.

‘‘हां साहब, पास में ही एक होटल है… सस्ता भी है,’’ रिकशा वाले ने कहा. तो दोनों रिकशा में बैठ गए.

श्यामली का कलेजा ‘धकधक’ कर रहा था. वह मधुप के इस फैसले से बेहद खुश थी, लेकिन दिल में डर भी समाया हुआ था.

रिकशा से उतर कर मधुप ने कमरा लेते वक्त श्यामली को अपनी बीवी बताया और उस की कमर में हाथ डाल कर सीढि़यां चढ़ने लगा. रातभर 2 जवान जिस्म एकदूसरे में समाए रहे.

सुबह श्यामली का शरीर टूट रहा था. चादर पर बिखरे मोगरे के फूल अपनी हलकीहलकी खुशबू अभी तक बिखेर रहे थे. रात की बात याद आते ही उस का दिल एक बार फिर गुदगुदा उठा.

मधुप अभी तक सोया हुआ था. वह उसे उठाते हुए बोली, ‘‘देखो, सुबह हो गई है.’’

मधुप आंखें मलते हुए उठा. उस ने श्यामली को एक बार फिर अपनी बांहों में भरने की कोशिश की तो वह छिटकते हुए बोली, ‘‘हटो, जाने रातभर लड़कियां होस्टल में कैसे रही होंगी?’’

वे दोनों तैयार हो कर होस्टल पहुंच गए.

तकरीबन 3 महीने बाद मधुप का वहां से तबादला हो गया तो श्यामली तड़प उठी. उस से बिछड़ते वक्त मधुप ने कहा, ‘‘मैं एक हफ्ते बाद तुम से मिलने आऊंगा. इस बीच तुम भी अपने आदमी से तलाक के बारे में पूरी बात कर लेना. जल्दी ही हम दोनों ब्याह कर लेंगे.’’

श्यामली ने आंसू भरी निगाहों से उसे विदा किया.

अब वह फिर से अकेली स्कूल जाने लगी. मधुप के इंतजार में हफ्ते, महीने और फिर साल बीतते गए पर न तो मधुप की कोई चिट्ठी आई और न ही वह खुद आया. बाद में श्यामली को पता चला कि मधुप तो वहां जा कर शादी कर चुका है. वह अपने आदमी के अलावा दूसरे मर्द द्वारा भी ठगी जा चुकी थी.

News Kahani: बरेली का सीरियल किलर और चतुर चाल

‘‘अरे रश्मि, कहां जा रही है इतनी सुबह?’’ मां ने घर से निकलती बेटी रश्मि को रसोई से टोका.

‘‘थोड़ा रनिंग कर आऊं मां, देखूं तो सही इन स्पोर्ट्स शू में कितना दम है,’’ रश्मि ने दरवाजा बंद करते हुए कहा.

पिछले कई दिनों से 24 साल की रश्मि खुद को सेहतमंद रखने के लिए बड़ी मेहनत कर रही थी. जिला हैडक्वार्टर में क्लर्क की नौकरी मिलने के बाद रश्मि और उस की विधवा मां की जिंदगी बदल गई थी.

आज भी 5 किलोमीटर की रनिंग करने के बाद रश्मि एक दुकान पर पहुंची और वहां से सब्जी काटने का एक तेज धार वाला चाकू खरीदा. चाकू आकार में थोड़ा बड़ा था मानो कटहल जैसी कोई ठोस चीज काटने के लिए खरीदा गया हो.

जब रश्मि घर पहुंची, तो वह पसीने से तरबतर थी. मां ने उस के पास चाकू देख कर अपना माथा पीट लिया और बोलीं, ‘‘यह लड़की तो पागल हो गई है. पिछले एक हफ्ते में 3 चाकू खरीद लिए हैं. न जाने पर्स में रख कर उन का कौन सा अचार डालेगी. क्या जरूरत है इतने चाकू रखने की?’’

‘‘अरे मां, औफिस में कुछ न कुछ काटने के लिए चाकू की जरूरत पड़ ही जाती है. तुम चिंता मत करो, सस्ता सा चाकू है,’’ रश्मि ने इतना कह कर तौलिया लिया और नहाने चली गई. आज रविवार था, तो उसे औफिस जाने की कोई जल्दी नहीं थी.

रश्मि अपनी मां के साथ बरेली जिले के एक गांव में रहती थी. रोज जिला हैडक्वार्टर में अपने औफिस जाने के लिए उसे तकरीबन 3 किलोमीटर पैदल चल कर बसस्टैंड तक पहुंचना होता था. रास्ते में गन्ने के खेत थे और सुनसान इलाका था. पर चूंकि रश्मि यहीं पलीबढ़ी थी, तो उसे ज्यादा डर नहीं लगता है.

पर पिछले कुछ समय से रश्मि बड़ी चिंता में थी. दरअसल, कुछ दिन पहले उस ने एक ऐसा कांड देख लिया था, जिस से उस के दिन का चैन और रातों की नींद उड़ गई थी.

एक शाम को बसस्टैंड से घर लौटते हुए रश्मि ने एक गन्ने के खेत में किसी औरत पर हमला होते हुए देख लिया था. उसे हमलावर की पहचान थी, पर वह डर गई थी, क्योंकि उस आदमी ने भी उसे देख लिया था.

रश्मि डर कर वहां से भाग गई थी, पर उस के कानों में उस हमलावर की जोरदार आवाज गूंज रही थी, ‘मैं ने तेरा चेहरा देख लिया है. मेरा अगला शिकार तू ही बनेगी.’

पहले तो रश्मि पुलिस में जाना चाहती थी, पर फिर उसे लगा कि पुलिस में जाने से हो सकता है कि वह हमलावर चौकन्ना हो जाए, इसलिए यह लड़ाई तो उसे खुद ही लड़नी पड़ेगी.

बस, तभी से रश्मि ने खुद को मजबूत करना शुरू कर दिया था. वह रोज कसरत करती थी. सूटसलवार पर भी स्पोर्ट्स शू पहनती थी, ताकि मौका मिलने पर तेजी से भाग सके.

इस कांड को अब 3 महीने हो गए थे. एक सुबह की बात थी. रश्मि को औफिस जाने में देर हो गई. मां से लंच बौक्स ले कर वह जल्दी से भागी, ताकि उस की बस न निकल जाए.

गांव से पैदल ही जाने वाली बस की सवारियां काफी दूर जा चुकी थीं. लिहाजा, रश्मि अकेले ही सुनसान रास्ते पर तेजतेज चल रही थी.

गांव से कुछ दूर निकलते ही गन्ने के खेत आ गए थे. वहां एकदम सन्नाटा था. रश्मि को अपनी सांसों की आवाज भी आ रही थी, तभी उसे महसूस हुआ कि कोई साया उस का पीछा कर रहा है. वह समझ गई कि कोई तो है, जो जानबू?ा कर उस के पीछेपीछे चल रहा है.

रश्मि का हाथ अपने बैग में रखे बड़े चाकू पर चला गया. वह सोच रही थी कि अगर आज वह हिम्मत हार गई, तो अपनी जान से हाथ धो बैठेगी.

रश्मि ने दिमाग लगाया और वह 10 कदम तेज और 10 कदम धीरे चलने लगी. इस बात से उस के पीछे चल रहा साया चकरा गया. इतने में रश्मि एक पगडंडी की तरफ चल पड़ी. वह आज आरपार करने के मूड में थी.

दूसरी तरफ वह साया खुश हो गया कि शिकार खुद उस के जाल में फंस रहा है. पर अचानक रश्मि ने खेतों की ओट में अपनी चाल धीरे कर दी और थोड़ी ही देर में वह उस साए के पीछे थी.

एक पुराने कुएं के पास जा कर वह आदमी रुक गया. रश्मि धीरे से उस के नजदीक गई. उस के हाथ में चाकू था. फिर अचानक वह तेजी से झपटी, पर तब तक वह आदमी चौकस हो चुका था.

रश्मि का वार खाली गया और उस आदमी ने लड़खड़ाती रश्मि के हाथ से चाकू छीन लिया और फुरती से उसे कुएं में फेंक दिया.

‘‘आज जाल में फंसी है चिडि़या. तेरी तो मैं उस दिन से ही तलाश कर रहा हूं, जब तू ने मेरा चेहरा देख लिया था,’’ उस आदमी ने कहा.

यह तो वही हमलावर था. रश्मि जमीन पर पड़ी थी. उस के हाथ में तब तक दूसरा चाकू आ चुका था. जैसे ही वह आदमी दोबारा उस पर ?ापटा, रश्मि ने तेजी से चाकू वाला हाथ घुमाया.

इस बार वार खाली नहीं गया. उस आदमी का कंधा चिर गया था. वह दर्द के मारे बिलबिला गया और इसी बात का फायदा उठा कर रश्मि ने पूरी ताकत से उस की टांगों के बीच खींच कर जोर से लात मारी.

बस, फिर क्या था, वह आदमी धड़ाम से धरती पर जा गिरा. रश्मि ने पूरी ताकत से उस के दोनों हाथ अपनी चुन्नी से बांध दिए और दम लेने के लिए एक पेड़ के नीचे जा कर पसर गई.

बड़ी देर से रश्मि पेड़ के सहारे टिकी बेदम सी पड़ी थी. उस की सांसें ऊपरनीचे हो रही थीं. सामने वह राक्षस पड़ा था. उस के दोनों हाथ रश्मि की चुन्नी से बंधे हुए थे, पर उस के चेहरे पर शिकन की एक लकीर नहीं थी.

वह अभी भी रश्मि की ऊपरनीचे होती छाती को घूर रहा था. फिर उस ने रश्मि के कानों की बालियों को देखा और कुटिल मुसकान से फिर छातियों पर उस की नजर रेंग गई.

रश्मि ने ताड़ लिया था कि यह आदमी बड़ी सख्त जान है. वह चौकन्नी हो गई. उस ने वहीं पड़ेपड़े उस आदमी से पूछा, ‘‘अब तक कितनियों को मार दिया है तू ने? मैं तो तुझे तभी पहचान गई थी, जब तू ने उस मासूम औरत का गला घोंट कर उस के गले की चेन झपट ली थी. बता, क्या इरादा है तेरा?’’

‘‘मेरे इरादे की न पूछ ऐ जालिम, मुझे वफा के बदले बेवफाई का इनाम मिला है…  तू भी मेरे हाथ से कत्ल होगी. किसी को नहीं छोड़ूंगा,’’ वह आदमी अपना आपा खोने लगा.

‘‘ऐसा क्या जख्म दिया था उस औरत ने कि तू उस की जान का दुश्मन ही बन बैठा?’’ यह पूछते हुए रश्मि और भी संभल चुकी थी. उस का बैग अभी भी हाथ में था.

‘‘उस औरत की कोई गलती नहीं थी. वह तो किसी और के किए की सजा भुगत गई बेचारी. मैं तो उसे जानता भी नहीं था,’’ वह आदमी बोला.

‘‘तू है कौन? और यह सब क्यों कर रहा है?’’ रश्मि ने हिम्मत कर के पूछा.

‘‘चल, तू भी क्या याद करेगी. मेरा नाम कुलदीप है और मैं गांव बाकरगंज थाना नवाबगंज इलाके का रहने वाला हूं. मेरी 2 सगी बहनें हैं. मेरी सगी मां की मौत हो चुकी है.’’

‘‘सगी मां की मौत का मतलब…?’’ रश्मि ने पूछा.

‘‘मेरे बाप बाबूराम ने मेरी मां के जिंदा रहते समय ही किसी दूसरी औरत से शादी कर ली थी. मेरा बाप अपनी दूसरी पत्नी के कहने पर मेरी मां को खूब मारता था. यह देख कर मेरा खून खौल जाता था और मैं अपनी सौतेली मां से नफरत करने लगा था, इसलिए मैं अपनी सौतेली मां की उम्र की 45 से 50 साल की औरतों को अपना शिकार बनाने लगा.

‘‘पर, बेवफाई तो तुम्हारे बाप ने की थी तुम्हारी मां के साथ, फिर यह सब क्यों?’’ रश्मि ने हैरानी से पूछा.

‘‘मेरी बीवी के चलते मैं और ज्यादा हैवान बनता चला गया.’’

‘‘बीवी ने तेरे साथ क्या किया था?’’

‘‘मुझे नहीं पता. मेरी शादी साल 2014 में हुई थी. मैं अपनी बीवी के साथ भी मारपीट करता था. मुझ से परेशान हो कर वह कुछ साल पहले मुझे छोड़ कर चली गई थी.’’

‘‘उस के बाद क्या हुआ?’’ रश्मि को जैसे कुलदीप की कहानी में मजा आने लगा था.

‘‘फिर क्या था, मैं भांग, सुल्फा, शराब का नशा करने लगा और अपने घर से निकल कर आसपास के जंगल और गांवगांव भटकने लगा.

‘‘मैं इतना ज्यादा भटकता था कि अब तो मुझे आसपास के सुनसान इलाके, खेतों के रास्तों पर बनी सभी पगडंडियों की पूरी जानकारी है.

‘‘मैं केवल सुनसान इलाके से जा रही अकेली औरत को देख कर ही उस पर हमला करता था. हमला करने से पहले मैं पक्का कर लेता था कि किसी ने मुझे उस औरत के पीछे जाते हुए नहीं देखा है.

‘‘अगर किसी औरत का पीछा करते समय रास्ते में कोई भी बच्चा, मर्द या कोई दूसरी औरत मुझे मिल जाती थी, तब मैं उस दिन वारदात नहीं करता था.’’

‘‘तुम वारदात कहां करते हो?’’ रश्मि ने पूछा.

‘‘गन्ने के खेत में, क्योंकि वहां मुझे देख पाना मुश्किल होता था. अपने शिकार को मार कर वहां से जाते समय मैं उस औरत के गले में उसी की पहनी गई साड़ी या दुपट्टे से कस कर गांठ लगा देता था.’’

रश्मि समझे गई थी कि यह आदमी पागल है और मौका मिलते ही उसे भी मार डालेगा. उस ने ठान लिया कि इसे सबक सिखाना ही होगा. वह धीरे से उठी और अपने बैग से दूसरा चाकू निकाला. साथ में एक चुन्नी और निकाली, फिर वह कुलदीप की ओर बढ़ी.

‘‘क्या इरादा है तेरा? मेरे हाथ खोल, फिर बताता हूं कि मैं क्या चीज हूं,’’ कुलदीप गुर्राया, पर तब तक रश्मि उस के पीछे जा चुकी थी. उस ने अपनी चुन्नी कुलदीप के गले में लपेटी और कस दी.

थोड़ी ही देर में कुलदीप की आंखें उबल कर बाहर आने को हो गईं. वह छटपटा कर रह गया. फिर रश्मि ने न जाने क्या सोच कर अपनी पकड़ ढीली की और उसे वहीं बेहोश छोड़ कर वहां से चल दी.

इस सुनसान इलाके से कोई तो गुजरेगा, फिर इस हैवान को जो सजा होनी होगी, देखा जाएगा. क्या पता, तब तक इस की सांसें चलेंगी भी या नहीं.

लियो: आखिर जोया का क्या कुसूर था

राधा यश पर खूब बरसीं, धर्म, जाति, समाज की बड़ीबड़ी बातें कीं लेकिन जब यश भी उखड़ गया, तो रोने लगीं. ये कैसी मां हैं, क्या इन्हें अपने इकलौते व योग्य बेटे की खुशी पसंद नहीं? इंसानों ने अपनी खुशियों के बीच इतनी दीवारें क्यों खड़ी कर ली हैं? अपनों की खुशी इन दीवारों के आगे माने नहीं रखती क्या? राधा जोया को इतने अपशब्द क्यों कह रही हैं? आखिर, ऐसा क्या किया है उस ने?

अहा, जोया आ रही है. उस के परफ्यूम की खुशबू को मैं पहचानता हूं और वह मेरे लिए मटन ला रही है, मुझे यह भी पता चल गया है. अब आई, अब आई और यह बजी डोरबैल. यश लैपटौप पर कुछ काम कर रहा था, जिस फुरती से उस ने दरवाजा खोला, हंसी आई मुझे. प्यार करता है जोया से वह और जोया भी तो जान देती है उस पर. दोनों साथ में कितने अच्छे लगते हैं जैसे एकदूसरे के लिए ही बने हैं.

जैसे ही यश ने दरवाजा खोला, जोया अंदर आई. आते ही यश ने उस के गाल पर किस कर दिया. वह शरमा गई. मैं ने लपक कर अपनी पूंछ जोरजोर से हिला कर अपनी तरह से जोया का स्वागत किया. वह मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए नीचे ही बैठ गई. पूछा, ‘‘कैसे हो, लिओ? देखो, तुम्हारे लिए क्या लाई हूं.’’

मैं ने और तेजी से अपनी पूंछ हिलाई. फिर जोया ने आंगन की तरफ मेरे बरतनों के पास जाते हुए कहा, ‘‘आओ, लिओ.’’ मैं मटन पर टूट पड़ा, कितना अच्छा बनाती है जोया. उस के हाथ में कितना स्वाद है. राधारानी तो अपने मन का कुछ भी बनाखा कर अपनी खाली सहेलियों के साथ सत्संग, भजनों में मस्त रहती हैं. यश बेचारा सीधा है, मां जो भी बना देती है, चुपचाप खा लेता है. कभी कोई शिकायत नहीं करता. अच्छे बड़े पद पर काम करता है, पर घमंड नाम का भी नहीं. और जोया भी कितनी सलीकेदार, पढ़ीलिखी नरम दिल लड़की है. मैं तो इंतजार कर रहा हूं कि कब वह यश की पत्नी बन कर इस घर में आए.

यश के पापा शेखर भी बहुत अच्छे स्वभाव के हैं. घर में क्लेश न हो, यह सोच कर ज्यादातर चुप रहते हैं. राधा की जिदों पर उन्हें गुस्सा तो खूब आता है पर शांत रह जाते हैं. शायद इसी कारण से राधारानी जिद्दी और गुस्सैल होती चली गई हैं. यश का स्वभाव बिलकुल अपने पापा पर ही तो है. घर में मुझे प्यार तो सब करते हैं, राधारानी भी, पर मुझे उन का अपनी जाति पर घमंड करना अच्छा नहीं लगता. उन की बातें सुनता हूं तो बुरा लगता है. बोल नहीं पाता तो क्या हुआ, सुनतासमझता तो सब हूं.

मैं यश और जोया को बताना चाहता हूं कि राधारानी यश के लिए लड़कियां देख रही हैं, यह अभी यश को पता ही नहीं है. वह तो सुबह निकल कर रात तक ही आता है. वह घर आने से पहले जब भी जोया से मिल कर आता है, मैं समझ जाता हूं क्योंकि यश के पास से जोया के परफ्यूम की खुशबू आ जाती है मुझे. एक दिन जोया यश को बता रही थी कि उस का भाई समीर फ्रांस से यह परफ्यूम ‘जा दोर’ लाया था. जब घर में शेखर और राधा नहीं होते, यश जोया को घर में ही बुला लेता है. मैं खुश हो जाता हूं कि अब जोया आएगी, यश की फोन पर बात सुन लेता हूं न. जोया मुझे बहुत प्यार करती है, इसलिए हमेशा मेरे लिए कुछ जरूर लाती है.

यश जोया को अपने बैडरूम में ले गया तो मैं चुपचाप आंगन में आ कर बैठ गया. इतनी समझ है मुझ में. दोनों को बड़ी मुश्किल से यह तनहाई मिलती है. शेखर और राधा को, बस, इतना ही पता है कि दोनों अच्छे दोस्त हैं. दोनों एकदूसरे को बेइंतहा प्यार करते हैं, इस की भनक भी नहीं है उन्हें. मैं जानता हूं, जिस दिन राधारानी को इस बात का अंदाजा भी हो गया, जोया का इस घर में आना बंद हो जाएगा. एक विजातीय लड़की से बेटे की बाहर की दोस्ती तो ठीक है पर इस के आगे राधारानी कुछ सह न पाएंगी. धर्मजाति से बढ़ कर उन के जीवन में कुछ भी नहीं है, पति और बेटे की खुशी भी नहीं.

थोड़ी देर बाद जोया ने अपने और यश के लिए कौफी बनाई. फिर दोनों ड्राइंगरूम में ही बैठ कर बातें करने लगे. अब मैं उन दोनों के पास ही बैठा था.  कौफी पीतेपीते अपने पास बिठा कर मेरे  सिर पर हाथ फेरते रहने की यश की आदत है. मैं भी खुद ही कौफी का कप देख कर उस के पास आ कर बैठ जाता हूं. मुझे भी यही अच्छा लगता है. उस के स्पर्श में इतना स्नेह है कि मेरी आंखें बंद होने लगती हैं, ऊंघने भी लगता हूं. पर अचानक जोया के स्वर में उदासी महसूस हुई तो मेरे कान खड़े हुए.

जोया कह रही थी, ‘‘यश, अगर मैं ने अपने मम्मीपापा को मना भी लिया तो तुम्हारी मम्मी तो कभी राजी नहीं होंगी, सोचो न यश, कैसे होगा?’’

‘‘तुम चिंता मत करो जो, अभी टाइम है, सब ठीक हो जाएगा.’’

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जो, यश भी न. जोया के पहले से ही छोटे नाम को उस ने ‘जो’ में बदल दिया है, हंसी आती है मुझे. खैर, मैं यश को कैसे बताऊं कि अब टाइम नहीं है, राधारानी लड़कियां देख रही हैं. मैं ने अपने मुंह से कूंकूं तो किया पर समझाऊं कैसे. मुझे जोया के उतरे चेहरे को देख कर तरस आया तो मैं जोया की गोद में मुंह रख कर बैठ गया.

जोया की आंखें भर आई थीं, बोली, ‘‘यश, मैं तुम्हारे बिना जीने की कल्पना नहीं कर सकती.’’

‘‘ठीक है जो, मैं मम्मी से जल्दी ही बात करूंगा. तुम दुखी मत हो.’’

फिर यश अपने हंसीमजाक से जोया को हंसाने लगा. दोनों हंसते हुए कितने प्यारे लगते हैं. जोया की लंबी सी चोटी पकड़ कर यश ने उसे अपने पास खींच लिया था. वह हंस दी. मैं भी हंस रहा था. फिर जोया ने अपने फोन से हम तीनों की एक सैल्फी ली. वाह, ‘हैप्पी फैमिली’ जैसा फील हुआ मुझे. फिर जोया टाइम देखती हुई उठ खड़ी हुई, ‘‘अब आंटीअंकल के आने का टाइम हो रहा है, मैं चलती हूं.’’

‘‘हां, ठीक है,’’ कहते हुए यश ने खड़े हो कर उसे बांहों में भर लिया, फिर उस के होंठों पर किस कर दिया. मैं जानबूझ कर इधरउधर देखने लगा था.

जोया के जाने के 20 मिनट बाद शेखर और राधा आ गए. मैं ने सोचा, अच्छा हुआ, जोया टाइम से चली गई. जोया के परफ्यूम की जो खुशबू पूरे घर में आती रहती है, उसे शेखर और राधा महसूस नहीं करते. घंटों तक रहती है यह खुशबू घर में. कितनी अच्छी खुशबू है यह. पर आज शायद घर में मटन और परफ्यूम की अलग ही खुशबू राधारानी को महसूस हो ही गई, पूछा, ‘‘यश, कैसी महक है?’’

‘‘क्या हुआ, मम्मी?’’

‘‘कोई आया था क्या?’’

‘‘हां मम्मी, मेरे कुछ फ्रैंड्स आए थे.’’

शक्की तो हैं ही राधारानी, ‘‘अच्छा? कौनकौन?’’

‘‘अमित, महेश, अंजलि और जोया. जोया ही लिओ के लिए मटन ले आई थी.’’

शेखर ने जोया के नाम पर जिस तरह यश को देखा, मजा आ गया मुझे. बापबेटे की नजरें मिलीं तो यश मुसकरा दिया, वाह. बापबेटे की आंखोंआंखों में जो बातें हुईं, उन से मुझे मजा आया. दोनों का बढि़या दोस्ताना रिश्ता है. शेखर गरदन हिला कर मुसकराए, यश मुंह छिपा कर हंसने लगा. अचानक राधा ने कहा, ‘‘यश, अगले वीकैंड का कुछ प्रोग्राम मत रखना. फ्री रहना.’’

‘‘क्यों, मम्मी?’’

‘‘मैं ने तुम्हारे लिए एक लड़की पसंद की है, ज्योति, उसे देखने चलेंगे.’’

‘‘नहीं मम्मी, मुझे नहीं देखना है किसी को.’’

‘‘क्यों?’’ राधारानी के माथे पर त्योरियां उभर आईं.

‘‘बस, नहीं जाना मुझे.’’

‘‘कारण बताओ.’’

यश ने पिता को देखा, शेखर ने सस्नेह पूछा, ‘‘तुम्हारी कोईर् पसंद है?’’

यश साफ बात करने वाला सच्चा इंसान है. उसे लागलपेट नहीं आती, बोला, ‘‘मम्मी, मुझे जोया पसंद है, मैं उसी से मैरिज करूंगा.’’

जोया के नाम पर जो तूफान आया, पूरा घर हिल गया. राधा यश पर खूब बरसीं, धर्म, जाति, समाज की बड़ीबड़ी बातें कीं. जब यश भी उखड़ गया, तो रोने पर आ गईं. वैसा ही दृश्य हो गया जैसा फिल्मों में होता है. यश जब घर में कोई मूवी देखता है, मैं भी देखता हूं उस के साथ बैठ कर, ऐसा दृश्य तो खूब घिसापिटा है पर अब तो मेरे यश से इस का संबंध था तो मैं बहुत दुखी हो रहा था. मुझे बारबार जोया की आज की ही आंसुओं से भरी आंखें याद आ रही थीं.

मैं चुपचाप शेखर के पास बैठ कर सारा तमाशा देख रहा था और सोच रहा था, ये कैसी मां हैं, क्या इन्हें अपने इकलौते व योग्य बेटे की खुशी अजीज नहीं?

इंसानों ने अपनी खुशियों के बीच इतनी दीवारें क्यों खड़ी कर ली हैं? अपनों की खुशी इन दीवारों के आगे माने नहीं रखती? राधा जोया को इतने अपशब्द क्यों कह रही हैं? ऐसा क्या किया उस ने?

यश अपने बैडरूम की तरफ बढ़ गया तो मैं झट उठ कर उस के पीछे चल दिया. वह बैड पर औंधेमुंह पड़ गया. मैं ने उस के पैर चाटे. अपना मुंह उस के पैरों पर रख कर उसे तसल्ली दी. वह मुझे अपनी गोद में उठा कर वापस अपने पास लिटा कर एक हाथ अपनी आंखों पर रख कर सिसक उठा तो मुझे भी रोना आ गया. यश को तो मैं ने आज तक रोते देखा ही नहीं था. ये कैसी मां हैं? इतने में शेखर यश के पास आ कर बैठ गए.

यश के सिर पर हाथ फेरते हुए बोले,  ‘‘बेटा, तुम्हारी मां जोया को किसी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगी.’’

‘‘और मैं उस के सिवा किसी और से विवाह नहीं करूंगा, पापा.’’

घर का माहौल अजीब हो गया था. अगले कई दिन घर का माहौल बेहद तनावपूर्ण रहा. राधा और यश दोनों अपनी बात पर अड़े थे. शेखर कभी राधा को समझा रहे थे, कभी यश को. यश कभी घर में खाता, कभी बाहर से खा कर आता और चुपचाप अपने कमरे में बंद हो जाता. वह जोया से तो बाहर मिलता ही था, मुझे तो जोया के परफ्यूम की खुशबू अकसर यश के पास से आ ही जाती थी.

मैं ने जोया को बहुत दिनों से नहीं देखा था. मुझे जोया की याद आती थी. यश का उदास चेहरा देख कर भी राधा का हठ कम नहीं हो रहा था और मेरा यश तो मुझे आजकल बिलकुल रूठारूठा फिल्मी हीरो लगता था.

एक दिन राधा यश के पास आईं, टेबल पर एक लिफाफा रखती हुई बोलीं, ‘‘यह रही ज्योति की फोटो. एक बार देख लो, खूब धनी व समृद्ध परिवार है.  ज्योति परिवार की इकलौती वारिस है. तुम्हारा जीवन बन जाएगा और एक बात कान खोल कर सुन लो, यह इश्क का भूत जल्दी उतार लो, वरना मैं अन्नजल त्याग दूंगी.’’

मैं ने मन ही मन कहा, झूठी. आप तो भूखी रह ही नहीं सकतीं. व्रत में भी आप का मुंह पूरा दिन चलता है. मेरे यश को झूठी धमकियां दे रही हैं राधारानी. झूठी बातें कर के यश को परेशान कर रही हैं, बेचारा फंस न जाए. अन्नजल त्यागने की धमकी से सचमुच यश का मुंह उतर गया.

अब मैं कैसे बताऊं कि यश, इस धमकी से डरना मत, तुम्हारी मां कभी भूखी नहीं रह सकतीं. जोया को न छोड़ना, तुम दोनों साथ बहुत खुश रहोगे. पिछली बार जो मेरे फेवरेट पौपकौर्न तुम मेरे लिए लाए थे, आधे तो राधारानी ने ही खा लिए थे. 4 अपने मुंह में डाल रही थीं तो एक मेरे लिए जमीन पर रख रही थीं. एक बार भी नहीं सोचा कि मेरे फेवरेट पौपकौर्न हैं और तुम मेरे लिए लाए थे. तुम ने जोया के साथ मूवी देखते हुए खरीदे थे और आ कर झूठ बोला था कि एक दोस्त के साथ मूवी देख कर आए हो. हां, ठीक है, ऐसी मां से झूठ बोलना ही पड़ जाता है. गपड़गपड़ सारे पौपकौर्न खा गई थीं राधारानी. ये कभी भूखी नहीं रहतीं, तुम डरना मत, यश.

फोटो पटक कर राधा शेखर के साथ कहीं बाहर चली गई थीं. यश सिर पकड़ कर बैठ गया था. मैं तुरंत उस के पैरों के पास जा कर बैठ गया. इतने दिनों से घर में तूफान आया हुआ था. यश के साथ मैं भी थक चुका था. मैं ने उसे कभी अपने मातापिता से ऊंची आवाज में बात करते हुए भी नहीं सुना था. उसे अपनी पसंद की जीवनसंगिनी की इच्छा का अधिकार क्यों नहीं है? इंसानों में यह भेदभाव करता कौन है और क्यों? क्यों एक इंसान दूसरे इंसान से इतनी नफरत करता है? मेरा मन हुआ, काश, मैं बोल सकता तो यश से कहता, ‘दोस्त, यह तुम्हारा जीवन है, बेकार की बहस छोड़ कर अपनी पसंद का विवाह तुम्हारा अधिकार है. राधारानी ज्यादा दिनों तक बेटे से नाराज थोड़े ही रहेंगी. तुम ले आओ जोया को अपनी दुलहन बना कर. जोया को जाननेसमझने के बाद वे तुम्हारी पसंद की प्रशंसा ही करेंगी.’ यश मुझे प्यार करने लगा तो मैं  भी उस से चिपट गया.

मैं बेचैन सा हुआ तो यश ने कहा, ‘‘लिओ, क्या करूं? प्लीज हैल्प मी. बताओ, दोस्त. मां की पसंद देखनी है? मुझे भी पता है तुम्हें भी जोया पसंद है, है न?’’

मैं ने खूब जोरजोर से अपनी पूंछ हिला कर ‘हां’ में जवाब दिया. वह भी समझ गया. हम दोनों तो पक्के दोस्त हैं न. एकदूसरे की सारी बातें समझते हैं, फिर उसे पता नहीं क्या सूझा, बोला, ‘‘आओ, तुम्हें मां की पसंद दिखाता हूं.’’

यश ने मेरे आगे उस लड़की की फोटो की. मुझे धक्का लगा, मेरे हीरो जैसे हैंडसम दोस्त के लिए यह भीमकाय लड़की. पैसे व जाति के लिए राधारानी इसे बहू बना लेंगी. छिछि, लालची हैं ये. यश को भी झटका लगा था. वह चुपचाप अपनी हथेलियों में सिर रख कर बैठ गया. उस की आंखों की कोरों से नमी सी बह गई. मैं ने उस के घुटनों पर अपना सिर रख कर उसे प्यार किया. मुंह से कुछ आवाज भी निकाली. वह थके से स्वर में बोला.

‘‘लिओ, देखा? मां कितनी गलत जिद कर रही हैं. बताओ दोस्त, क्या करना चाहिए अब?’’

मेरा दोस्त, मेरा यार मुझ से पूछ रहा था तो मुझे बताना ही था. राधारानी को पता नहीं आजकल के घर के दमघोंटू माहौल में चैन आ रहा था, यह तो वही जानें. यश की उदासी मुझे जरा भी सहन नहीं हो रही थी. मेरा दोस्त अब मुझ से पूछ रहा था तो मुझे तो अपनी राय देनी ही थी. क्या करूं, क्या करूं, ऐसे समय न बोल पाना बहुत अखरता है. मैं ने झट न आव देखा न ताव, उस फोटो को मुंह में डाला और चबा कर जमीन पर रख दिया. यश को तो यह दृश्य देख हंसी का दौरा पड़ गया. मैं भी हंस दिया, खूब पूंछ हिलाई. दोनों पैरों पर खड़ा भी हो गया. यश तो हंसतेहंसते जमीन पर लेट गया था. मैं भी उस से चिपट गया. हम दोनों जमीन पर लेटेलेटे खूब मस्ती करने लगे थे.

अब यश की हंसी नहीं रूक रही थी. मैं भांप गया था, अब यश जोया से दूर नहीं होगा. वह फैसला ले चुका था और मैं इस फैसले से बहुत खुश था. मुझ पर अपना हाथ रखते हुए यश कह रहा था, ‘‘ओह लिओ, आई लव यू.’’

‘मी टू,’ मैं ने भी उस का हाथ चाट कर जवाब सा दिया था.

बदला: सुगंधा ने कैसे लिया रमेश से बदला

‘‘सुगंधा, तुम बहुत खूबसूरत हो. तुम्हारी खूबसूरती पर मैं एक क्या कई जन्म कुरबान कर सकता हूं.’’ ‘‘चलो हटो, तुम बड़े वो हो. कुछ ही मुलाकातों में मसका लगाना शुरू कर दिया. मुझे तुम्हारी कुरबानी नहीं, बल्कि प्यार चाहिए,’’ फिर अदा से शरमाते हुए सुगंधा ने रमेश के सीने पर अपना सिर टिका दिया.

रमेश ने सुगंधा के बालों में अपनी उंगलियां उलझा दीं और उस के गालों को सहलाते हुए बोला, ‘‘सुगंधा, मैं जल्दी ही तुम से शादी करूंगा. फिर अपना घर होगा, अपने बच्चे होंगे…’’ ‘‘रमेश, तुम शादी के वादे से मुकर तो नहीं जाओगे?’’

‘‘सुगंधा, तुम कैसी बात करती हो? क्या तुम को मुझ पर भरोसा नहीं?’’ सुगंधा रमेश की बांहों व बातों में इस कदर डूब गई कि रमेश का हाथ कब उस के नाजुक अंगों तक पहुंच गया, उस को पता ही नहीं चला. फिर यह सोच कर कि अब रमेश से उस की शादी होगी ही, इसलिए उस ने रमेश की हरकतों का विरोध नहीं किया.

दोनों की मुलाकातें बढ़ती गईं और हर मुलाकात के साथ जीनेमरने की कसमें खाई जाती रहीं. रमेश ने शादी का वादा कर के सुगंधा के साथ जिस्मानी संबंध बना लिया और फिर अकसर दोनों होटलों में मिलते और जिस्म की भूख मिटाते. इस तरह दोनों जब चाहते जवानी का मजा लूटते.

रमेश इलाहाबाद के पास के एक गांव का रहने वाला था. उस के परिवार में मातापिता और एक छोटा भाई दिनेश था. छोटे से परिवार में सभी अपनेअपने कामों में लगे हुए थे. पिताजी पोस्टमास्टर के पद से रिटायर हो कर अब घर पर ही रह कर खेतीबारी का काम देखने लगे थे. छोटा भाई दिनेश दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमए कर रहा था.

लखनऊ में एक विदेशी फर्म में कैशियर के पद पर काम करने की वजह से रमेश लखनऊ में एक फ्लैट ले कर रह रहा था. चूंकि घरपरिवार ठीक था और नौकरी भी अच्छी थी, इसलिए उस की शादी भी हो गई थी. बीवी को वह साथ नहीं रखता था, क्योंकि मां से घर का काम नहीं होता था. रमेश जिस फर्म में काम करता था, उसी फर्म में सुगंधा क्लर्क के पद पर काम करने आई थी.

सुगंधा को देखते ही रमेश उस पर मोहित हो गया और डोरे डालना शुरू कर दिया. रमेश की शराफत, पद और हैसियत देख कर सुगंधा भी उसे पसंद करने लगी. रमेश ने सुगंधा को बताया कि वह कुंआरा है और उस से शादी करना चाहता है. अब चूंकि रमेश ने उस से शादी का वादा किया, तो वह पूरी तरह उस की बातों में ही नहीं, आगोश में भी आ गई.

समय सरकता गया. रमेश सुगंधा की देह में इस कदर डूब गया कि घर भी कम जाने लगा. वह घर वालों को पैसा भेज देता और चिट्ठी में छुट्टी न मिलने का बहाना लिख देता था. एक दिन पार्क में जब वे दोनों मिले, तो सुगंधा ने रमेश से कहा, ‘‘रमेश, अब हमें शादी कर लेनी चाहिए. अभी तक आप ने मुझे अपने घर वालों से भी नहीं मिलाया है. मुझे जल्दी ही अपने मातापिता से मिलवाइए और उन्हें शादी के बारे में बता दीजिए.’’

रमेश सुगंधा को आगोश में लेते हुए बोला, ‘‘अरी मेरी सुग्गो, अभी शादी की जल्दी क्या है? शादी भी कर लेंगे, कहीं भागे तो जा नहीं रहे हैं?’’ ‘‘नहीं, मुझे शादी की जल्दी है. रमेश, अब मुझे अकेलापन अच्छा नहीं लगता है,’’ सुगंधा ने कहा.

‘‘ठीक है, कल शाम को मेरे कमरे पर आ जाना. वहीं शादी के बारे में बात करेंगे,’’ रमेश ने सुगंधा के नाजुक अंगों से खेलते हुए कहा. ‘‘मैं शाम को 8 बजे आप के कमरे पर आऊंगी,’’ रमेश ने सुगंधा के होंठों का एक चुंबन ले कर उस से विदा ली.

रमेश ने अभी तक शादी का वादा कर सुगंधा के साथ खूब मौजमस्ती की, लेकिन उस की शादी की जिद से उसे डर लगने लगा था. सच तो यह था कि वह सुगंधा से छुटकारा पाना चाहता था, क्योंकि एक तो सुगंधा से उस का मन भर गया था. दूसरे, वह उस से शादी नहीं कर सकता था. शाम को 8 बजने वाले थे कि रमेश के कमरे पर सुगंधा ने दस्तक दी. रमेश ने समझ लिया कि सुगंधा आ गई है. उस ने दरवाजा खोला और उसे बैडरूम में

ले गया. ‘‘हां, अब बताओ सुगंधा, तुम्हें शादी की क्यों जल्दी है? अभी कुछ दिन और मौजमस्ती से रहें, फिर शादी करेंगे,’’ रमेश ने उसे सीने से चिपकाते हुए कहा.

‘‘नहीं, जल्दी है. उस की कुछ वजहें हैं.’’

‘‘क्या वजहें हैं?’’ रमेश ने चौंकते हुए पूछा. तभी बाहर दरवाजे पर हुई दस्तक से दोनों चौंके. रमेश सुगंधा को छोड़ कर दरवाजा खोलने के लिए चला गया. सुगंधा घबरा कर एक तरफ दुबक कर बैठ गई.

इतने में रमेश को धकेलते हुए 3 लोग बैडरूम में आ गए.

‘‘अरे, तू तो कहता था कि यहां अकेले रहता?है. ये क्या तेरी बीवी है या बहन,’’ उन में से एक पहलवान जैसे शख्स ने कहा. ‘‘देखो, जबान संभाल कर बात करो,’’ रमेश ने कहा.

तभी एक ने रमेश के गाल पर जोर का थप्पड़ मारा और उसे जबरदस्ती कुरसी पर बैठा कर बांध दिया. तीनों सुगंधा की ओर बढ़े और उसे बैड पर पटक दिया. सुगंधा चीखतीचिल्लाती रही. उन से हाथ जोड़ती रही, पर उन्होंने एक न सुनी और बारीबारी से तीनों ने उस के साथ बलात्कार किया. उधर रमेश कुरसी से बंधा कसमसाता रहा.

जब सुगंधा को होश आया, तो वह लुट चुकी थी. उस का अंगअंग दुख रहा था. वह रोने लगी. रमेश उसे हिम्मत बंधाता रहा. फिर सुगंधा के आंसू पोंछते हुए रमेश ने कहा, ‘‘सुगंधा, इस को हादसा समझ कर भूल जाओ. हम जल्दी ही शादी कर लेंगे, जिस से यह कलंक मिट जाएगा.’’

सुगंधा उठी और अपने घर चली गई. वह एक हफ्ता की छुट्टी ले कर कमरे पर ही रही और भविष्य के बारे में सोच कर परेशान होती रही थी, लेकिन रमेश द्वारा शादी का वादा उसे कुछ राहत दे रहा था. सुगंधा हफ्तेभर बाद रमेश से मिली, तब बोली कि अब वह जल्द ही उस से शादी कर ले, क्योंकि वह बहुत परेशान है और वह उस के बच्चे की मां बनने वाली है.

‘‘क्या कहा तुम ने? तुम मेरे बच्चे की मां बनने वाली हो? सुगंधा, तुम होश में तो हो. अब तो यह तुम मुझ पर लांछन लगा रही हो. मालूम नहीं, यह मेरा बच्चा है या किसी और का,’’ रमेश ने हिकारत भरी नजरों से देखते हुए कहा. ‘‘नहींनहीं रमेश, ऐसा मत कहो. यह तुम्हारा ही बच्चा है. हादसे वाले दिन मैं तुम से यही बात बताने वाली थी,’’ सुगंधा ने कहा, पर रमेश ने धक्का दे कर उसे निकाल दिया.

सुगंधा जिंदगी के बोझ से परेशान हो उठी. जब लोगों को मालूम होगा कि वह बगैर शादी के मां बनने वाली है, तो लोग उसे जीने नहीं देंगे. अब वह जान दे देगी. अचानक रमेश का चेहरा उस के दिमाग में कौंधा, ‘धोखेबाज ने आखिर अपना असली रूप दिखा ही दिया.’

एक दिन जब सुगंधा बाजार जा रही थी, तो देखा कि रमेश किसी से बातें कर रहा था. उस आदमी का डीलडौल उसे कुछ पहचाना सा लगा. सुगंधा ने छिपते हुए नजदीक जा कर देखा, तो रमेश जिन लोगों से हंस कर बातें कर रहा था, वे वही लोग थे, जिन्होंने उस रात उस के साथ बलात्कार किया था.

अब सुगंधा रमेश की साजिश समझ गई थी. उस ने मन में ठान लिया कि अब वह मरेगी नहीं, बल्कि रमेश जैसे भेडि़ए से बदला लेगी. रमेश से बदला लेने की ठान लेने के बाद सुगंधा ने पहले परिवार के बारे में पता लगाया. जब मालूम हुआ कि रमेश शादीशुदा है, तो वह और भी जलभुन गई. उसे पता चला कि उस का छोटा भाई दिनेश दिल्ली में पढ़ाई कर रहा था. उस ने लखनऊ की नौकरी छोड़ दी.

दिल्ली जा कर सब से पहले सुगंधा ने अपना पेट गिराया, फिर उस ने वहीं एक कमरा किराए पर ले लिया, जहां दिनेश रहता था. धीरेधीरे उस ने दिनेश पर डोरे डालना शुरू किया. दिनेश को जब सुगंधा ने पूरी तरह अपने जाल में फांस लिया, तब उस ने दिनेश को शादी के लिए उकसाया. उस ने शादी की रजामंदी दे दी.

दिनेश ने रेलवे परीक्षा में अंतिम रूप से कामयाबी पा ली. अब वह अपनी मरजी का मालिक हो गया. उस ने सुगंधा से शादी के लिए अपने मातापिता को लिख दिया. लड़का अपने पैरों पर खड़ा हो गया है, इसलिए उन्होंने भी शादी की इजाजत दे दी. सुगंधा ने भी शर्त रखी कि शादी कोर्ट में ही करेगी. दिनेश को कोई एतराज नहीं हुआ.

जब दिनेश ने अपने मातापिता को लिखा कि उस ने कोर्ट में शादी कर ली है, तो उन्हें इस बात का मलाल जरूर हुआ कि घर में शादी हुई होती, तो बात ही कुछ और थी. अब जो होना था हो गया. उन्होंने गृहभोज के मौके पर दोनों को घर बुलाया. पूरा घर सजा था. बहुत से मेहमान, दोस्त, सगेसंबंधी इकट्ठा थे. रमेश भी उस मौके पर अपने दोस्तों के साथ आया था. दुलहन घूंघट में लाई गई.

मुंह दिखाई के समय रमेश और उस के दोस्त उपहार ले कर पहुंचे. रमेश ने जब दुलहन के रूप में सुगंधा को देखा, तो उस के पैरों के नीचे की जमीन ही खिसक गई. रमेश और उस के दोस्त जिन्होंने सुगंधा के साथ बलात्कार किया था, सब का चेहरा शर्म से झुक गया. इस तरह सुगंधा ने अपना बदला लिया.

मेरी एक फेसबुक फ्रैंड से गहरी दोस्ती हो गई है और मैं उस से बात किए बिना नहीं रह सकती, मैं क्या करूं?

सवाल-

32 वर्षीय विवाहित महिला हूं. 2 बच्चों की मां हूं. 11 साल हो गए शादी को. शुरुआत में सब ठीक नहीं रहा. सास बहुत प्रताडि़त करती थीं. झगड़े में पति ने कई बार हाथ भी उठाया. इन सब से अलग मेरी एक फेसबुक फ्रैंड से गहरी दोस्ती हो गई. हम लोग अलगअलग शहर में रहते हैं, बावजूद उस के मेरी लगातार चैटिंग और बातचीत होती रहती है.

उस से मेरी एक बार भी मुलाकात नहीं हुई पर हम आपस में बगैर बातचीत किए नहीं रह सकते. उस को कई बार ब्लौक भी किया पर फिर पहले जैसी स्थिति हो जाती है. कभीकभी मन कचोटता है कि पति से चीटिंग क्यों कर रही हूं? बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

आप किसी तरह के गिल्ट के चक्कर में न रहें. आप कोई गलत काम नहीं कर रही हैं. जब तक आप को मानसिक सुख घर में नहीं मिल रहा आप सुकून पाने के लिए फेसबुक फ्रैंड का सहारा ले रही हैं चाहे वह पुरुष हो या स्त्री, गलत नहीं है. नैतिकता के चक्कर में पड़ कर अपना मन खराब न करें. हां, एकदूसरे से मिलना हो तो उस से पहले 2 बार सोच लें कि जोखिम लेने लायक है या नहीं.

KISS को न करें मिस, होगें ये 9 फायदे

भारत में किस सिर्फ रील लाइफ में ही देखने को मिलता है, रियल लाइफ में नहीं. इस किस सीन को परदे पर देख कर हम खुश तो होते हैं, लेकिन जब इस पर अमल की बात आती है तो खुलेपन की बात तो छोडि़ए, बैडरूम में भी ज्यादातर दंपती एकदूसरे को सपोर्ट नहीं करते हैं. जबकि किस पर हुए कई सर्वे बता चुके हैं कि इस से कोई नुकसान नहीं, बल्कि फायदा ही होता है.

कई महिलाएं और पुरुष अकसर यह बहाने बनाते देखे जा सकते हैं कि सुनो न, आज मन नहीं है बहुत थक गया हूं/गई हूं. कल करेंगे प्लीज. जब आप अपने पार्टनर के साथ चंद प्यार भरे लमहे गुजारना चाहें और ऐसे में आप का पार्टनर कल कह कर बात टाल दे तो आप को बुरा लगना स्वाभाविक है. लेकिन क्या आप ने कभी यह सोचा है कि ऐसा कह कर आप अपना रिश्ता तो खराब नहीं कर रहे हैं? अगर ऐसा है तो सावधान हो जाएं. बहुत से ऐसे शादीशुदा जोड़े हैं, जो एकदूसरे की फीलिंग्स को इसी तरह हर्ट कर अपना रिश्ता बिगाड़ लेते हैं. सभी को प्यार को ऐक्सप्रैस करने का हक है. ऐसे में पार्टनर जब इस तरह से संबंध को रोकेगाटोकेगा तो इस से न सिर्फ आप का रिश्ता प्रभावित होगा वरन मन में भी खटास आएगी. इतना ही नहीं, ऐसा करना आप के शारीरिक व मानसिक संतुलन पर भी बुरा असर डालेगा. आप को मालूम होना चाहिए कि किस थेरैपी दे कर आप का पार्टनर पल भर में आप की सारी थकान को गायब कर सकता है. इसलिए इसे मना करने से पहले थोड़ा सोच लें. आइए, अब जानें किस की खूबियों को:

रिश्ता मजबूत बनाता है किस:

यह तो हम सभी जानते हैं कि लिपलौक करने से रिश्ता अधिक मजबूत बनता है. एकदूसरे के साथ लिपलौक करने से एकदूसरे के प्रति ऐक्स्ट्रा प्यार का एहसास मिलता है. ऐसा लगता है कि मेरा पार्टनर मुझ से बेहद प्यार करता है. किस करने से औक्सीटौसिन हारमोन बनता है, जो रिश्तों को ज्यादा मजबूत बनाता है.

सैक्सुअल प्लैजर को बढ़ाता है:

सैक्स करने से जहां दिनभर की थकान या किसी भी तरह का तनाव तो कम होता ही है, आप का रिश्ता भी ज्यादा स्ट्रौंग बनता है. लेकिन किसी भी किस के बिना आप की सैक्स ड्राइव अधूरी रहती है. सैक्स से पहले किस आप का सैक्सुअल प्लैजर बढ़ाता है. आसान शब्दों में कहें तो सैक्स करने से पहले अपने पार्टनर के साथ एक किस सैशन जरूर करें. ऐसा करना आप के प्लैजर को न सिर्फ बढ़ावा देगा, बल्कि आप के पार्टनर को भी पूरी तरह से संतुष्ट करेगा.

स्पिट स्वैपिंग भगाए बीमारी:

चुंबन करते समय जब तक स्पिट स्वैपिंग न हो तब तक किस करना बेमानी सा है. किस या लिपलौक करते समय अपने पार्टनर के साथ बेझिझक हो पूरा मजा लें और स्पिट यानी थूक आने पर पोंछें नहीं, बल्कि उस की स्वैपिंग करें, क्योंकि यह कई संक्रमणों को दूर करता है. सैक्स के दौरान किए जाने वाले किस से इम्यूनिटी भी बढ़ती है.

मिलती हैं जहां की खुशियां:

एकदूसरे को बारबार किस करने से पार्टनर की आप के प्रति सैक्स के प्रति इच्छा कितनी है, का भी पता चलता है. ज्यादातर केसेज में अधिकतर महिलाएं सैक्स के प्रति बड़ी रिजर्व रहती हैं. वे पार्टनर क्या सोचेगा सोच कर सैक्स में खुल कर सपोर्ट नहीं कर पातीं. ऐसा करना न सिर्फ आप को सैक्स के प्रति रूखा दिखाएगा, बल्कि आप के पार्टनर को भी जिस्मानी तौर पर संतुष्ट नहीं कराएगा. किस करते वक्त एंडोफिंस नाम का तत्त्व निकलता है जो आप को खुश रखने में मदद करता है. अगर आप टैंशन में हैं या गहन सोचविचार में तो पार्टनर को किस करना आप के लिए दवा का काम करेगा.

दवा का काम करे किसिंग सैशन:

हौट किसिंग सैशन के दौरान आप का शरीर एक ऐड्रेनलीन हारमोन रिलीज करता है, जो किसी भी तरह के दर्द को कम करने में मददगार होता है. अब दर्द को कम करने के लिए भी आप यह सैशन कई बार ट्राई कर सकते हैं. अगर आप के सिर में दर्द है तो लिपलौक जरूर ट्राई करें और इस का असर देखें और फिर इस का कोई साइड इफैक्ट भी नहीं होता है.

तनाव भगाए किस:

दिन के ढलतेढलते इंसान भी काफी थकाथका सा महसूस करने लगता है, इसलिए सिर्फ अपने काम का दबाव या अपने हारमोनल बदलावों को ब्लेम करना गलत होगा. थके होने पर आप घर जा कर बस अपने पार्टनर के साथ एक किस थेरैपी लीजिए. यकीन मानिए, आप की थकान पलक झपकते छूमंतर हो जाएगी और आप फ्रैश महसूस करेंगे. दरअसल, किसिंग करने से कार्टिसोल नामक हारमोन लैवल कम होता है और आप के इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है. एंडोक्राइन सिस्टम से दिमाग भी स्वस्थ रहता है.

ऐक्स्ट्रा कैलोरीज करता है कम:

अपनी हैल्थ के प्रति सचेत लोग अपनी अति कैलोरी को कम करने के लिए या तो ट्रेडमिल पर रनिंग करते हैं या फिर डाइट पार्ट फौलो करते हैं. अगर आप कभी जिम जाना भूल जाएं या पार्टी का मौका देख डाइट चार्ट को एक दिन के लिए फौलो न कर पाएं तब भी आप अपने पार्टनर के साथ किसिंग सैशन कर के अपनी कैलोरी बर्न कर सकते हैं. जी हां, जितनी कैलोरी आप की जिम सैशन में कम नहीं होगी उतनी आप की किसिंग सैशन में हो जाएगी. इतना ही नहीं, कैलोरी बर्न करने के अलावा किस करने से आप के चेहरे की भी ऐक्सरसाइज होती है. किस आप की स्किन मसल्स को भी टाइट करता है, जिस से आप दिखेंगे जवांजवां.

ऐलर्जी से छुटकारा:

किस न सिर्फ तनावग्रस्त लोगों को सहज करता है, बल्कि कई बार ऐलर्जी जैसे खुजली आदि होने को भी दूर करता है.

डैंटिस्ट को भी रखे दूर:

किस मुंह, दांतों और मसूड़ों की बीमारी से भी आप को दूर रखता है. मुंह में लार कम बने तो भी किसिंग फायदेमंद हो सकता है.

एक बहन की चिट्ठी शहीद भाई के नाम

हमारे प्रिय भैया,

आप मेरी चिट्ठी की बड़ी बेताबी से राह देखा करते हैं, यह मुझे मालूम है, क्योंकि लौटने पर आप ने खुद कहा था, ‘इस बार मेरे दोस्तों ने जब तक मुझ से पार्टी नहीं ले ली, मुझे तेरी राखी नहीं दी.’

उस नादान उम्र में भी मैं सोचा करती थी कि इस एक राखी ने भैया का कितना खर्च करवा दिया. पर, मैं जानती थी कि राखी बंधवाने की खुशी में आप कितने चहक उठते हैं.

जब आप यहां होते थे, तो राखियां और तोहफे भी आप ही ले आते थे. आप के चेहरे पर खिलखिलाती खुशी उस वक्त मेरी समझ से परे थी, पर आज उन्हीं पलों की याद में आंखों से आंसू निकल पड़ते हैं.

आप कुछ दिनों की छुट्टी लेकर आए थे. आप ने जिद की थी, ‘चल, तेरी राखी की नई ड्रैस ले लें.’

तब मैं ने कहा था, ‘भैया, आप लौट आइए, फिर दिलवा देना.’

आप को पुलिस कमांडो की पोस्ट के लिए अकोला का ट्रांसफर और्डर मिल चुका था. हम बहुत खुश थे कि बस कुछ ही दिनों में आप फिर से हमारे साथ होंगे.

भैया, आप का चुलबुला स्वभाव सारे घर को हिला देता था. आप के आने पर सारा घर खुशी से झूम उठता था. आप ने कई पुरस्कार जीते थे. आप की दमदार आवाज में वह रचना तो मेरे दिलोदिमाग में बस सी गई है, जिस पर तालियों की आवाज गूंज उठी थी, ‘तन समर्पित, मन समर्पित, जीवन का कणकण समर्पित, चाहता हूं देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूं…’

देश पर कुरबान होने की चाह कई बार आप के मुंह से निकल जाया करती थी और आप की वह चाह पूरी भी हुई.

हम उन 13 दिनों का इंतजार कर रहे थे, जब आप लौट कर आने वाले थे. यही सोच कर मैं ने आप को चिट्ठी भी नहीं लिखी कि आप आने वाले ही तो हैं. पूरे घर में आप का पलपल इंतजार हो रहा था. आप के लौट आने में सिर्फ 2-3 दिन बाकी थे.

उस दिन सुबहसुबह आप के छोटे भाई घर आए और अब्बू की गोद में सिर रख कर रोने लगे. हमें लगा कि आप के घर पर कुछ हुआ है, शायद आप की मां या बाबूजी… पर, उन की भर्राई आवाज निकली, ‘राजू अब इस दुनिया में नहीं रहा,’ कानों पर यकीन नहीं हो रहा था, पर वे रोतेरोते कहे जा रहे थे.

गढ़चिरोली के अहेरी में पुलिस चौकी के उद्घाटन के लिए जाते समय सुरंग लगा कर नक्सलवादियों ने आप के ग्रुप की 3 जीपों को उड़ा दिया था, जिन में शहीद हुए 7-8 जवानों में से एक आप भी थे.

भैया, मैं तो आप की धर्म बहन हूं, आप के दोस्त की बहन. जब इन 20-22 सालों में हम आप को नहीं भुला पाए, तो सोचिए कि आप के बिना आप के मांबाबूजी की क्या हालत रही होगी? फर्ज की सूली पर चढ़ कर आप की आरजू पूरी हो गई… लेकिन, आप के साथ जीने की हमारी आरजू का क्या?

भैया, हमें नाज है कि आप ने अपने वतन की खातिर अपनी जान कुरबान की. उन लोगों को कौन समझए, जो इस तरह किसी की जान से भी प्यारों को बिना किसी गुनाह के अपनों से दूर कर देते हैं? क्यों उन्हें एहसास नहीं होता कि किसी अपने के चले जाने के बाद उस के परिवार वालों की हालत क्या होती होगी?

सच कहती हूं भैया, याद आप की बहुत आती है. छलक पड़ते हैं आंखों से आंसू, जब कोई बात आप की याद आती है.

आप की बहन,

अर्जिन.

साली बनी घरवाली : क्या बहन का घर उजाड़ पाई आफरीन

आफरीन बहुत ही मजाकिया और चंचल लड़की थी. उस का जीजा अरमान जब भी अपनी बीवी राबिया के साथ ससुराल आता, तो आफरीन उन से ऐसेऐसे मजाक करती कि अरमान शर्म से पानीपानी हो जाता था.

राबिया की शादी 2 महीने पहले अरमान से हुई थी. अरमान एक सौफ्टवेयर कंपनी में काम करता था और अच्छाखासा कमा लेता था. साथ ही, अरमान देखने में भी लंबाचौड़ा और काफी हैंडसम था, जिसे पा कर राबिया बहुत खुश थी.

राबिया एक सीधीसादी घरेलू लड़की थी. वह अपने शौहर के साथ प्यार करने तक में हिचकिचाती थी और बहुत ही सादगी भरी जिंदगी गुजारती थी. नोएडा जैसे शहर में रहने के बावजूद उस का रहनसहन बिलकुल गंवारों वाला था.

अरमान राबिया को देख कर यह तो समझ गया था कि वह सीधीसादी और शौहर की प्रति वफादार है, क्योंकि रात को बिस्तर पर जब वह उस के साथ होती थी, तो काफी शरमाती थी.

लेकिन, राबिया जितनी सीधीसादी थी, उस की छोटी बहन आफरीन उतनी ही चंचल और हंसमुख थी, जो अपने जीजा अरमान से काफी घुलीमिली रहती थी और मस्तीमजाक करती रहती थी. यही वजह थी कि अरमान का ससुराल में काफी दिल लगता था.

आफरीन मौडर्न खयाल के साथसाथ रंगीनमिजाज लड़की थी, जो अकसर टाइट जींस और कसी हुई टीशर्ट पहनती थी, जिस में छाती झांकती थी. यह देख कर अरमान मन ही मन रोमांचित हो उठता था.

ऐसा नहीं था कि अरमान को साली आफरीन से डर लगता था, वह तो बस उस मौके की तलाश में था, जो उसे अकेले में मिलना चाहिए था.

एक रात की बात है. राबिया और अरमान कमरे में लेटे हुए थे कि तभी आफरीन वहां आ गई और अपने जीजा से बोली, ‘‘मुझे भी आप के पास सोना है. मैं भी तो आप की साली हूं और साली आधी घरवाली होती है.’’

यह सुन कर अरमान शरमा गया और कुछ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाया, क्योंकि पास में ही उस की बीवी राबिया लेटी थी.

राबिया आफरीन से बोली, ‘‘यह कैसा मजाक कर रही है तू. अपने शौहर के पास जा कर सोना, जब तेरी शादी हो जाए.’’

आफरीन ने कहा, ‘‘क्या बाजी, तुम तो जानती ही हो कि साली आधी घरवाली होती है. तुम तो अकसर इन के पास सोती हो, आज मुझे भी सोने दो. मेरा भी तो कुछ हक है अपने जीजा के पास सोने का.’’

राबिया उठते हुए बोली, ‘‘तू बहुत बातें बनाने लगी है. अभी अम्मी को बताती हूं.’’

आफरीन कमरे से भागते हुए बोली, ‘‘अरे बाजी, मैं तो जीजाजी से मजाक कर रही थी. देखा, इन की कैसे सिट्टीपिट्टी गुम हो गई और मेरे सोने की बात सुन कर पसीनापसीना हो गए.’’

राबिया अरमान की तरफ देख कर हंसते हुए बोली, ‘‘आप तो वाकई आफरीन के छोटे से मजाक से घबरा कर एकदम पसीनापसीना हो गए.’’

अरमान ने कहा, ‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है. दरअसल, वह मजाक इस ढंग से करती है कि सामने वाले के होश ही उड़ जाते हैं. मै तो उस की बातें सुन कर घबरा गया था कि वह तुम्हारे सामने कैसी जिद कर रही है.’’

राबिया ने कहा, ‘‘ दरअसल, वह है ही बड़ी नटखट. हंसीमजाक करने में बड़ी माहिर है.’’

एक रात की बात है. ठंड का महीना था. सब लोग गहरी नींद में सोए थे. अरमान खुद बड़ी मुश्किल से कंपकंपाता हुआ बाहर निकला था. उस ने जैसे ही आफरीन के कमरे में झांक कर देखा, तो आहट पा कर आफरीन तेज आवाज में बोली, ‘‘कौन है?’’

अरमान ने कहा, ‘‘कोई नहीं, मैं हूं. पानी पीने के लिए उठा था मैं. तुम्हारे कमरे की लाइट जली देखी, तो अंदर झांकने लगा.’’

‘‘अरे जीजू, आप भी बस. इतना शरमाते हो. लगता है, आप भी मेरी दीदी की तरह शरमीले हो. आओ बैठो. मैं आप को ऐसी फिल्म दिखाऊंगी कि आप के होश उड़ जाएंगे.’’

अरमान ने कहा, ‘‘नहीं बाबा. बहुत ठंड है. मैं तो अपने कमरे में जा रहा हूं.’’

आफरीन ने कहा, ‘‘तो मैं कोई आप को जमीन पर थोड़े ही बैठने को कह रही हूं, जो आप को ठंड लग जाएगी. आओ, कंबल में आ जाओ. ऐसी गरमी दूंगी कि आप पसीनापसीना हो जाएंगे और याद करेंगे कि किस से पाला पड़ा है.’’

अरमान ने धीमे से कहा, ‘‘नहीं, अगर कोई आ गया तो क्या कहेगा. मुझे डर लगता है.’’

‘‘अरे जीजू, आप भी बड़े डरपोक हो. ऐसी ठंड में कौन अपने बिस्तर से बाहर निकलने की हिम्मत करेगा. और राबिया बाजी तो एक बार सो गईं, तो सीधे सवेरे ही उठेंगी.

‘‘आओ न यार, कभी साली का भी खयाल कर लिया करो. वैसे भी साली आधी घरवाली होती है.’’

अरमान ने कहा, ‘‘नहीं, मैं चलता हूं. तुम आराम करो या फिल्म देखो.’’

आफरीन अपने बिस्तर से उठते हुए बोली, ‘‘आप भी पता नहीं कौन सी सदी में जी रहे हो. यह जिंदगी मजे लेने के लिए है. यों शरमाने से काम नहीं चलने वाला.’’

इस से पहले कि अरमान वहां से जाता, आफरीन ने उसे खींच लिया और अपने पास बैठाते हुए बोली, ‘‘एक ऐसी फिल्म दिखाती हूं, जो शायद आप ने कभी न देखी हो.’’

आफरीन ने अपने मोबाइल पर एक इंगलिश फिल्म चला दी और बोली, ‘‘जीजू, जब तक आप यह सब नहीं देखेंगे, तब तक आप की जिंदगी रंगीन नहीं बन सकती. देखो, इस में कैसे जिंदगी के मजे लिए जाते हैं.’’

अरमान ने फिल्म में चल रहे पोर्न सीन को देख कर कहा, ‘‘तुम भी क्या बकवास देखती हो? तुम्हें शर्म नहीं आती…’’

आफरीन ने अदा दिखाते हुए कहा, ‘‘मेरे साथ रहोगे तो आप भी शर्म नहीं करोगे, बल्कि खुशगवार जिंदगी जिओगे.’’

इतनी देर में मोबाइल में चल रही फिल्म के सैक्सी सीन देख कर अरमान के बदन में मानो आग लगने लगी.

आफरीन ने मामला भांपते हुए कंबल के अंदर अरमान का हाथ पकड़ लिया और कहा, ‘‘क्या जीजू, कुछ गरमी आई या अभी तक ठंडे पड़े हो…’’

अरमान समझ चुका था कि आज की रात उस की जिंदगी की रंगीन रात बनने वाली है.

आफरीन अपने हाथों से अरमान के बदन में गरमी भर ही रही थी कि वह बेकाबू हो गया और उस ने आफरीन को भींच लिया.

आफरीन अरमान की इस हरकत से और ज्यादा रोमांटिक हो गई और अपनी टीशर्ट खुद ही उतारते हुए बोली, ‘‘आज की फिल्म हम खुद बनाएंगे,’’ कहते हुए उस ने मोबाइल एक तरफ रख दिया.

इस के बाद वे दोनों एकदूसरे के जिस्म को ऐसे चूम रहे थे, जैसा उन्होंने अभी कुछ देर पहले फिल्म में देखा था. दोनों एकदूसरे में समाने के लिए बेताब हो रहे थे. खूब मौजमस्ती के बाद दोनों संतुष्ट हो गए और एकदूसरे से अलग हो गए.

आफरीन बोली, ‘‘जीजू, आप ने तो कमाल ही कर दिया. मेरे रोमरोम को ऐसे भर दिया, जिस के लिए मैं कब से बेचैन थी. आप तो बड़े ही रोमांटिक निकले.’’

अरमान ने कहा, ‘‘तुम ने भी आज मुझे वह मजा दिया है, जो मैं ने सपने में भी नहीं सोचा था.’’

आफरीन बोली, ‘‘लगता है कि आप दीदी से खुश नहीं हैं. दरअसल, दीदी बहुत सीधीसादी हैं. उन्हें क्या पता कि जिंदगी कैसे जी जाती है. आप मेरा साथ दोगे, तो मैं आप को वे खुशियां दूंगी, जो आप ने कभी सोची भी नहीं होंगी.’’

अरमान ने कहा, ‘‘तुम ने सही कहा. तुम्हारी दीदी में सैक्स को ले कर कोई फीलिंग है ही नहीं, वह तो बस नौर्मल ढंग से सैक्स करती है और जल्दी सो जाती है. उस के साथ रह कर मेरी जिंदगी बोर हो गई है.’’

आफरीन बोली, ‘‘आप चिंता न करें. जो खुशियां दीदी नहीं दे पाईं, वे साली देगी.’’

अब दोनों को जब भी मौका मिलता, वे एकदूसरे से खूब मजे लेते. कभी अरमान अपनी सुसराल आ कर आफरीन के जिस्म को भोगता, तो कभी आफरीन अपनी दीदी राबिया के घर जा कर अरमान के साथ मजे लेती.

धीरेधीरे वे एकदूसरे से प्यार कर बैठे और अब मियांबीवी बन कर जिंदगी गुजारना चाहते थे.

लेकिन, राबिया उन के रास्ते का रोड़ा बनी हुई थी, क्योंकि जब तक वह रास्ते से नहीं हटती, तब तक दोनों कानूनन एक नहीं हो सकते थे.

आफरीन और अरमान ने एक प्लान बनाया, जिस के तहत अरमान ने धीरेधीरे राबिया से लड़ाई झगड़े शुरू कर दिए. वह बातबात पर उसे ताने देता और कभीकभी उस पर हाथ भी उठा देता.

अरमान की इस हरकत से राबिया परेशान हो उठी और उस ने अपने अम्मीअब्बा से अरमान से अलग होने की बात कही.

राबिया के अम्मीअब्बा ने उन दोनों को बैठा कर समझाने की काफी कोशिश की, पर अरमान इस जिद पर अड़ गया कि वह एक गंवार और सीधीसादी औरत के साथ जिंदगी नहीं गुजार सकता. यह खुद तो मैलीकुचैली रहती है, साथ ही इस के अंदर वे जज्बात नहीं, जो एक शौहर को चाहिए. उस के आने से पहले सो जाती है और जब अरमान उस से अपनी ख्वाहिश जाहिर करता है, तो शरमाती है.

राबिया के अम्मीअब्बा सम?ा गए कि राबिया बहुत ही कम रोमांटिक है और वह अपने शौहर को वह जिस्मानी सुख नहीं दे पाती, जिस की उसे जरूरत है. लिहाजा, उन्होंने राबिया और अरमान के अलग होने पर कोई पाबंदी नहीं लगाई और दोनों खुशीखुशी एकदूसरे से अलग हो गए.

अरमान अब नोएडा के अपने घर में रह रहा था. उस की चाल कामयाब हो चुकी थी. उसे राबिया से आसानी से छुटकारा मिल गया था.

आफरीन भी नौकरी करने के बहाने नोएडा पहुंच गई. दोनों ने वहां निकाह कर लिया और निकाह होते ही अरमान की साली आफरीन उस की घरवाली बन गई. दोनों एकसाथ रह कर जिंदगी के मजे लेने लगे.

इस शादी से अरमान भी बहुत खुश था, तो आफरीन भी कम खुश न थी. उसे उस का मनपसंद जीवनसाथी मिल चुका था, जो उस के साथ उस की मरजी के मुताबिक सैक्स करता और उसे पूरा मजा देता.

अरमान को भी आफरीन के रूप में अब एक ऐसी जीवनसाथी मिली, जो बिस्तर पर भी और जिंदगीभर उस का पूरा साथ देती और उस की हर जरूरत पूरा करने को हर समय तैयार रहती.

कुछ महीने बाद राबिया और उस के घर वालों को भी यह पता चल गया कि आफरीन ने अरमान से निकाह कर लिया है और वह उस के साथ उस के घर पर रह रही है और वे दोनों बहुत खुश हैं.

राबिया अब यह सोचने पर मजबूर हो गई थी कि इन दोनों ने मिल कर उस के खिलाफ साजिश रची, ताकि वे आपस में एकसाथ मिल कर रह सकें. उसे अफसोस था तो बस इतना कि उसी की बहन ने उस के शौहर को अपने हुस्न के जाल में फंसा कर अपना कब्जा जमा लिया और साली से उस की घरवाली बन गई.

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