मिसाल : बहू और ससुर का निराला रिश्ता

किसी रेलवे प्लेटफौर्म पर खड़े हो जाओ, तो लगता है कि सारी दुनिया कहीं आनेजाने में लगी हुई है. यहां किसी को लेने आओ और इंतजार करो, तो उस का अलग ही मजा है. देखते रहो लोगों को आतेजाते, उन की गतिविधियां, अलग ही आनंद होता है इन सब को देखने का. कौन से स्टेशन पर कौन मिलेगा और कौन बिछुड़ेगा. कुछ नहीं पता, किस का साथ कितनी देर तक और कितनी दूर तक, यह भी नहीं मालूम, किस की यादों के फूल सदा सुगंध बिखेरते रहेंगे और किस के कांटे बन कर सदा चुभते रहेंगे, यह भी रहस्य ही रहता है.

एक बार बिटिया कानपुर गई थी. मैं उसे लेने के लिए स्टेशन गई थी. ट्रेन 3 घंटे देरी से आनी थी. मैं एक उपन्यास ले गई थी. प्लेटफौम पर स्टौल से कौफी खरीदी और उसे पढ़ने की जगह ढूंढ़ने लगी. कोने की एक बैंच पर एक बुजुर्ग और लगभग 3-4 साल का एक छोटा बच्चा बैठे हुए थे. बाकी सब जगहें भरी हुई थीं. मैं वहीं चली गई और उन के साथ बैठ गई. वे बुजुर्ग उस बच्चे के साथ खेलने में लगे हुए थे. बच्चा बड़े प्यार से खिलखिला कर उन के साथ खेल रहा था. यह देख कर मेरे चेहरे पर भी मुसकान आ गईर् और मैं मुसकराते हुए दूसरे कोने में बैठ गई और उपन्यास पढ़ने की कोशिश करने लगी. पर उस बच्चे की खिलखिलाती हुई हंसी से मेरा ध्यान बारबार उस की तरफ चला जाता. उन बुजुर्ग का ठेठ देहाती पहनावा होने के बावजूद वे एक संपन्न और संभ्रांत परिवार के लग रहे थे. सफेद धोतीकुरते और सफेद बड़ी सी पगड़ी लपेटे, बड़ीबड़ी सफेद रोबीली मूंछें और आंखों में काले फ्रेम के चश्मे में उन का तेजस्वी व्यक्तित्व झलक रहा था. बैठे हुए होने पर भी उन की कदकाठी ऊंची ही लग रही थी. लंबेलंबे पैरों में काली चमकदार जूतियां सजी थीं. वे देहाती नहीं, बहुत पढ़ेलिखे लगे. बच्चे को वे वैभव कह कर बुला रहे थे.

इतने में बच्चा पानी मांगने लगा तो उन्होंने अपने बैग से पानी की बोतल निकाली. वह खाली थी. वे पानी की बोतल लेने जाने लगे तो मैं ने उन्हें अपनी पानी की बोतल देते हुए कहा, ‘‘यह अभी खरीदी है, आप इसी से ही पिला दीजिए.’’

उन्हें संकोच हुआ पर मेरे बारबार कहने पर उन्होंने मेरी बोतल से थोड़ा पानी अपनी बोतल में ले कर वैभव को पानी पिला दिया. उन्होंने मुझसे पूछा, ‘‘कौन सी ट्रेन का वेट कर रही हो?’’

मैं ने कहा, ‘‘गरीब रथ, मेरी बेटी आ रही है कानपुर से और आप?’’

वे बोले, ‘‘मैं भी गरीब रथ का ही इंतजार कर रहा हूं, मेरी बहू यानी इस की मां भी कानपुर से ही आ रही है, उसे लेने आए हैं.’’

मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ कि ससुर अपनी बहू को लेने आए हैं.

मैं ने पूछा, ‘‘क्या अपने मायके से आ रही हैं?’’

वे बोले, ‘‘नहीं, उस का इम्तिहान था वहां, सिविल सर्विस का.’’

मैं ने कहा, ‘‘यह तो बड़ी अच्छी बात है कि आप लेने आए हैं, उन के पति कहीं बाहर हैं क्या?’’

इस के बाद जो कुछ उन्होंने मुझे बताया, वह केवल आंखों में अश्रु भरने वाला ही था. उन्होंने कहा, ‘‘वैभव के पिता कैप्टन विक्रम सिंह अब इस दुनिया में नहीं हैं, फौज में था मेरा बेटा और कश्मीर में पोस्टिंग के दौरान शहीद हो गया, वैभव तब 2-3 महीने का ही था. मेरा बड़ा बेटा भी आर्मी में था और वह भी सियाचिन बौर्डर पर हमले में शहीद हो गया था. उस की शादी भी नहीं हुई थी. विक्रम की शादी धूमधाम से की थी पर वह भी इस संसार में नहीं रहा.’’ यह कह कर वे चुप हो गए.

मन विचलित हो गया यह सुन कर, मैं ने पूछा, ‘‘आप के घर में और कौनकौन है?’’ वे बोले, ‘‘मेरी पत्नी तो बहुत पहले ही चल बसी थी, मैं खुद फौज में था पर बिन मां के बच्चों को पालने के लिए सेवानिवृत्त हो गया. आज मैं अपनी बहू के साथ रहता हूं और अपने इस नन्हे से पोते को खिलाता रहता हूं.’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘बहू को अपने मायके जाने को कहा. पर वह मानी नहीं, कहती है, ‘पापा, आप के साथ ही रहूंगी, आप के बच्चों ने देश की सेवा करते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी तो क्या मैं आप की सेवा नहीं कर सकती.’ अब उस ने एमए किया और सिविल सर्विस के लिए तैयारी की. मेरी भी बड़ी सेवा करती है. अब मेरा इन दोनों के अलावा और है ही कौन? काश, मेरे एकदो बेटे और होते तो उन को भी

मैं देश की सेवा के लिए सेना में भरती करा देता. अब यही इच्छा है कि वैभव भी बड़ा हो कर सेना में भरती हो या फिर डाक्टर बने. आगे उस की मरजी रहेगी.’’ फिर कुछ आजीविका की बात चली तो वे बोले, ‘‘मेरे गांव में मेरी काफी जमीन है, पुश्तैनी हवेली है, पैसे की कोई कमी नहीं और हम 3 जनों का बड़े अच्छे से गुजारा होता है. हम ने गांव में छोटा सा अस्पताल बनवाया है जहां गरीबों का मुफ्त इलाज होता है. 6 डाक्टर हैं वहां जिन से इलाज कराने दूरदूर से लोग आते हैं.’’

उन की बातें सुन कर मैं हैरान रह गई. समझ नहीं आया कि क्या कहूं? जिस व्यक्ति के दोनों जवान बेटे शहीद हो गए हों, वह कितनी जिंदादिली से बात कर रहा है. फिर भी हिम्मत कर के मैं ने पूछा, ‘‘आप क्या अपने पोते को भी शहीद होते हुए देख सकोगे अगर वह सेना में भरती हुआ तो?’’

उन के होंठों पर फीकी सी हंसी तैर गई, गोद में बैठे हुए वैभव के सिर पर हाथ फेरते हुए उन्होंने थोड़ा भावुक हो कर कहा, ‘‘कौन बाप अपने पुत्र की अर्थी को कंधा देना चाहता है पर देश के लिए हम इतना तो कर ही सकते हैं. आज लोग मुझे मेरे बेटों के नाम से जानते हैं, यह मेरे लिए बड़े ही गर्व की बात है. मेरी बहू राधिका बहुत ही सुशील और संस्कारी है. पूरा गांव उस की बड़ी इज्जत करता है.’’

मैं ने पूछा, ‘‘आप की बहू की उम्र तो अभी कम होगी, जिंदगी तो बहुत लंबी है, दूसरे विवाह के बारे में तो…’’ यह कहतेकहते मैं रुक गई.

तब वे खुद ही बोले, ‘‘मैं ने उस से कहा भी, ‘बेटा, तुम अभी छोटी उम्र की हो, दूसरा विवाह कर लो और अपनी जिंदगी को अच्छे से जियो.’ पर वह कहती है, ‘पापा यह क्या पता है कि मेरे दूसरे पति की उम्र भी कितनी हो. कम से कम मैं आज कैप्टन विक्रम सिंह की पत्नी के नाम से तो जानी जाती हूं. यह पहचान मेरे लिए बहुत बड़ी है. मेरे मांबाप ने तो मुझे आप लोगों को सौंप दिया था. अब मैं ही आप की बेटी और बेटा दोनों बन कर रहूंगी.’ और अब बहू मेरी बेटी ही बन गई है. हम दोनों अच्छे दोस्त भी हैं, खूब बातें करते हैं, बहस करते हैं, और रूठनामनाना भी करते हैं.’’ वे मुसकरा कर आगे बोले, ‘‘बड़ी जिद्दी है राधिका, जो भी ठान लिया, वह कर के ही छोड़ती है. मैं उस से हार जाता हूं और जिस का मुझे दुख भी नहीं होता.’’

यह सुन कर मेरी आंखों में आंसू आ गए. मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि इस संसार में ऐसे भी लोग हैं जो हमारे देश, समाज और परिवार के लिए कितनी मौन कुर्बानियां देते हैं और हम क्या कर रहे हैं? कुछ भी तो नहीं, मैं ने कहा, ‘‘आप से मिल कर बहुत ही अच्छा लगा, आप एक आदर्श हैं हम सब के लिए.’’

वे मुसकराए और बोले, ‘‘मुझे भी अच्छा लगा, अनाउंसमैंट हो गया है. गाड़ी के आने का, चलो अपनेअपने बच्चों से मिलते हैं, फिर वैभव से बोले, ‘‘ इन को नमस्ते करो,’’ देखो, बड़ी दीदी हैं न.’’ तो वैभव ने झट से मुझे नमस्कार किया.

मैं ने उसे गोदी में उठा कर प्यार किया. इस से ज्यादा कुछ था भी नहीं मेरे पास उस मासूम के लिए. मैंने भरेमन से हाथ जोड़ कर उन से विदा ली. उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया और हम अपनेअपने गंतव्य की ओर बढ़ गए. मेरी बिटिया मिली अपनी सब सहेलियों के साथ और उन की चहकती हुई आवाजों में वैभव की खिलखिलाती हुई हंसी कहीं गुम सी हो गई. टैक्सी में बैठते समय मुझे वे बुजुर्ग और उन की बहू वैभव को गोदी में लिए जाते हुए नजर आए. वे बहू से बात करते हुए जा रहे थे. ऐसा बिलकुल भी नहीं लगा कि वे एक ससुर और बहू हैं, बल्कि एक पिता अपनी बेटी से बात करता चलता हुआ दिखा.

वे  बुजुर्ग कितनी बड़ी सीख दे गए बिना कुछ सिखाए कि अपने देश से बड़ा कुछ भी नहीं. जो भी करना है निस्वार्थ करो और अपने परिवार के लिए भी. आज वे सबकुछ खो कर भी कितने संतुष्ट दिखाई दिए जबकि कितने लोगों के पास सबकुछ होते हुए भी उन को संतुष्टि नहीं होती. लोग जिंदगीभर दूसरों को ही नसीहतें दिए जाते हैं और जब अपने ऊपर बात आती है तो खिसक जाते हैं. पर वे बुजुर्ग अपनेआप में एक मिसाल हैं.

रोटी- वह पुलिस की रोटी बनाती है

उस बड़े शहर से दूसरे शहर जाने के लिए बस से तकरीबन एक घंटा लगता था. दोनों शहरों के बीच जीटी रोड पर कई कसबे आते थे, जहां बस थोड़ी देर रुक कर फिर चलती थी.इस बड़े शहर से मैं एक प्राइवेट बस में बैठ गया. बस खचाखच भरी हुई थी. बड़े शहर से तकरीबन आधे घंटे की दूरी पर एक मशहूर कसबा आता था. वहां बस 5 मिनट के लिए रुकती थी.

बस रुकी और कुछ मुसाफिर उतरे, तो कुछ चढ़े. भीड़ फिर उतनी की उतनी.ड्राइवर की सीट की पिछली सीट पर बैठी एक औरत ने शोर मचा दिया, ‘‘मेरा पर्स चोरी हो गया है… मेरे पास ही एक औरत खड़ी थी, उस ने ही मेरा पर्स चोरी किया है.’’ड्राइवर ने कहा, ‘‘मैं ने उस औरत को पर्स ले जाते हुए देखा है. मैं उस औरत को पहचानता हूं. वह इस बस में पहले भी आतीजाती रही है. लेकिन अब क्या किया जा सकता है? वह औरत तो पर्स ले कर रफूचक्कर हो गई है.

‘‘बहनजी, आप अपने पर्स का ध्यान नहीं रख सकती थीं क्या? आप के पास 2 बैग और भी हैं. इतना सामान उठाए फिरती हो, चोरी तो होनी ही थी.’’उस औरत ने रोंआसी आवाज में कहा, ‘‘भाई साहब, मैं तो पहले से ही बहुत परेशान हूं. मेरे पोते का आज शाम औपरेशन होना है.

मैं ने इधरउधर के रिश्तेदारों से उधार ले कर औपरेशन के लिए पैसे पूरे किए थे. उस पर्स में 20 हजार रुपए थे. मैं गरीब मारी जाऊंगी. हाय, अब मैं क्या करूं?’’बस के सभी मुसाफिरों की उस औरत के साथ हमदर्दी थी, पर अब किया क्या जाए? कौन दे उस को इतनी बड़ी रकम?बस चल पड़ी और 5 मिनट के बाद अगले चौक पर बस मुसाफिरों को लेने के लिए रुकी.

अचानक ड्राइवर की नजर उस औरत पर जा पड़ी, जिस ने पर्स चोरी किया था. वह पर्स पकड़े सड़क पार कर रही थी.ड्राइवर ने फुरती से उतर कर उस औरत को पकड़ लिया. बस से कई मुसाफिर भी उतर पड़े. चारों ओर शोर मच गया कि चोरनी पकड़ी गई.बस ड्राइवर ने उस औरत को पकड़ कर बस में बैठा लिया और पर्स उस औरत को दे दिया, जिस का था.

सारे रुपए पर्स में ही थे.पर्स वाली औरत ने ड्राइवर का लाखलाख शुक्रिया अदा किया. उस की आंखों में खुशी ?ालकने लगी.ड्राइवर ने बस पुलिस स्टेशन पर ला खड़ी की. मुसाफिर भी तमाशा देखने के लिए नीचे उतर पड़े कि अब इस चोरनी की खूब मरम्मत होगी.ड्राइवर ने उस चोरनी को थानेदार के सामने पेश करते हुए कहा, ‘‘जनाब, इस औरत ने बस में एक औरत का पर्स चोरी किया है,

जो इस से बरामद हुआ है,’’ साथ ही उस ने थानेदार को सारी कहानी सुना दी.थानेदार ने अपनी आंखें टेढ़ी करते हुए उस औरत की ओर ध्यान से देखा और कहा, ‘‘हां, तो तुम ने चोरी की है. इसे उस बरामदे में बैठा दो.’’थानेदार का गुस्सा सातवां आसमान छूने लगा था.

उस ने अपने मोटे पेट की बैल्ट ठीक करते हुए सभी मुसाफिरों को बस में बैठने को कहा. सभी मुसाफिर थानेदार का चढ़ा हुआ गुस्सा देख कर बस में बैठ गए.थानेदार ने पर्स वाली औरत और ड्राइवर को बहुत इतमीनान से सम?ाते हुए कहा, ‘‘देखो, बेवजह कोर्टकचहरी के चक्कर में पड़ोगे, तारीखें भुगतोगे, क्या फायदा? आप का पर्स मिल गया है.

आप के पूरे पैसे मिल गए हैं और क्या लेना आप को?‘‘इस औरत को अपना पर्स ले कर जाने दो. इस बेचारी को अस्पताल पहुंचना है. ‘‘बहनजी, आप जाइए. बैठिए बस में, हम अपनी कार्यवाही कर लेते हैं.’’पर ड्राइवर ने जोर दे कर कहा, ‘‘जनाब, इस इलाके की दूसरी बसों में भी कई चोरियां हुई हैं. इस औरत से कई और चोरियां पकड़ी जा सकती हैं. यह एक पूरा गैंग होगा. आप अर्जी रजिस्टर करें.’’एक शख्स ने कहा, ‘‘गवाही हम देंगे, आप पूरा गैंग पकड़ो.’’आखिरकार जब थानेदार की कोई तरकीब काम नहीं आई, तो वह सम?ा गया कि अब केस रजिस्टर करना ही पड़ेगा.

उस ने ड्राइवर और उस शख्स को थोड़ी दूर ले जा कर सम?ाया, ‘‘देखो यार, हमें भी समाज में जीना है. क्या करें, हमारी भी कई बार मजबूरी होती है.‘‘हमारी भी इज्जत का सवाल है, अर्जी रहने दो… बात यह है कि यह औरत, जिस ने चोरी की है, थाने में रोटी बनाती है. ‘‘छोड़ो, आप को क्या लेना? पूरे पैसे मिल गए न आप को. छोड़ो, अब जाने दो.’’

प्यार, सेक्स और हत्या : प्यार बना हैवान

‘‘सीमा, देखो शाम का समय है. मौसम भी मस्तमस्त हो रहा है. घूमने का मन कर रहा है. चलो, हम लोग कहीं घूम कर आते हैं.’’ लखनऊ के स्कूटर इंडिया के पास रहने वाली सीमा नाम की लड़की से उस के बौयफ्रैंड कैफ ने मोबाइल पर बात करते हुए कहा.

‘‘कैफ, अभी तो कोई घर में है नहीं, बिना घर वालों के पूछे कैसे चलें?’’ सीमा ने अनमने ढंग से मोहम्मद कैफ को जबाव दिया.

‘‘यार जब घर में कोई नहीं है तो बताने की क्या जरूरत है? हम लोग जल्दी ही वापस आ जाएंगे. जब तक तुम्हारे पापा आएंगे उस के पहले ही हम वापस लौट आएंगे. किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा.’’ कैफ को जैसे ही यह पता चला कि घर में सीमा अकेली है, वह जिद करने लगा. सीमा भी अपने प्रेमी कैफ को मना नहीं कर पाई.

सीमा के पिता सीतापुर जिले के खैराबाद के रहने वाले थे. लखनऊ में इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित एक प्राइवेट कंपनी में वह शिफ्ट के हिसाब से काम करते थे.

सीमा ने पिछले साल बीएससी में एडमिशन लिया था. इसी बीच कोरोना के कारण स्कूलकालेज बंद हो गए. इस के बाद वह अपने पिता रमेश कुमार के पास रहने चली आई थी. सीमा के एक छोटा भाई और एक बहन भी थी.

घर में वह बड़ी थी. इसलिए पिता की मदद के लिए उस ने पढ़ाई के साथ नादरगंज में चप्पल बनाने की एक फैक्ट्री में नौकरी कर ली.

गांव और शहर के माहौल में काफी अंतर होता है. लखनऊ आ कर सीमा भी यहां के माहौल में ढलने लगी थी. चप्पल फैक्ट्री में काम करते समय वहां कैफ नाम के लड़के से उस की दोस्ती हो गई. यह बात फैक्ट्री के गार्ड को पता चली तो वह भी उसे छेड़ने की कोशिश करने लगा.

यह जानकारी जब सीमा के पिता को हुई तो उन्होंने चप्पल फैक्ट्री से बेटी की नौकरी छुड़वा दी.

नौकरी छोड़ने के बाद सीमा ज्वैलरी शौप पर नौकरी करने लगी. कैफ के साथ दोस्ती प्यार में बदल चुकी थी. अब वह घर वालों को बिना बताए उस से मिलने जाने लगी थी. दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन चुके थे. 12 जून की शाम करीब साढ़े 7 बजे सीमा के पिता रमेश कुमार अपनी ड्यूटी पर जा रहे थे. सीमा उस समय शौप से वापस आ चुकी थी.

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रमेश कुमार ने सीमा को समझाते कहा, ‘‘बेटी रात में कहीं जाना नहीं. कमरे का दरवाजा बंद कर लो. खाना खा कर चुपचाप सो जाना.’’

‘‘जी पापा, आप चिंता न करें. मैं कहीं नहीं जाऊंगी. घर पर ही रहूंगी.’’

इस के बाद पिता के जाते ही कैफ का फोन आ गया और सीमा उसे मना करती रही पर उस की जबरदस्ती के आगे वह कुछ कर नहीं सकी.

शाम 8 बजे के करीब कैफ सीमा के घर के पास आया और उसे बुला लिया. मां ने शाम 5 बजे के करीब बेटी से फोन पर बात की थी. उसे हिदायत दी थी कि कहीं जाना नहीं. पिता ने भी उसे समझाया था कि घर में ही रहना, कहीं जाना नहीं. इस के बाद भी सीमा ने बात नहीं मानी. वह अपने प्रेमी मोहम्मद कैफ के साथ चली गई.

पिता जब अगली सुबह 8 बजे ड्यूटी से वापस घर आए तो सीमा वहां नहीं थी. उन्होंने सीमा के फोन पर काल करनी शुरू की तो उस का फोन बंद था. यह बात उन्होंने अपनी पत्नी को बताई तो बेटी की चिंता में वह सीतापुर से लखनऊ के लिए निकल गई.

इस बीच पिपरसंड गांव के प्रधान रामनरेश पाल ने सरोजनीनगर थाने में सूचना दी कि गहरू के जंगल में एक लड़की की लाश पड़ी है. लड़की के कपडे़ अस्तव्यस्त थे. देखने में ही लग रहा था कि पहले उस के साथ बलात्कार किया गया है. गले में दुपट्टा कसा हुआ था. पास में ही शराब, पानी की बोतल, 2 गिलास, एक रस्सी और सिगरेट के टुकड़े भी पड़े थे.

घटना की सूचना पुलिस कमिश्नर डी.के. ठाकुर, डीसीपी (सेंट्रल) सोमेन वर्मा और एडिशनल डीसीपी (सेंट्रल) सी.एन. सिन्हा को भी दी गई. पुलिस ने छानबीन के लिए फोरैंसिक और डौग स्क्वायड टीम को भी लगाया.

इस बीच तक सीमा के मातापिता भी वहां पहुंच चुके थे. पुलिस ने अब तक मुकदमा अज्ञात के खिलाफ कायम कर के छानबीन शुरू कर दी थी.

सीमा के घर वालों ने पुलिस को बताया कि मोहम्मद कैफ नाम के लड़के पर उन्हें शक है. दोनों की दोस्ती की बात सामने आई थी. पुलिस ने मोहम्मद कैफ के मोबाइल और सीमा के मोबाइल की काल डिटेल्स चैक करनी शुरू की.

पुलिस को कैफ के मोबाइल को चैक करने से पता चला कि उस ने सीमा से बात की थी. उस के बाद से सीमा का फोन बंद हो गया. अब पुलिस ने कैफ को पकड़ा और उस से पूछताछ की तो प्यार, सैक्स और हत्या की दर्दनाक कहानी सामने आ गई.

12 जून, 2021 की शाम मोहम्मद कैफ अपने 2 दोस्तों विशाल कश्यप और आकाश यादव के साथ बैठ कर ताड़ी पी रहा था. ये दोनों दरोगाखेड़ा और अमौसी गांव के रहने वाले थे. ताड़ी का नशा तीनों पर चढ़ चुका था. बातोंबातों में लड़की की बातें आपस में होने लगीं.

कैफ ने कहा, ‘‘ताड़ी पीने के बाद तो लड़की और भी नशीली दिखने लगती है.’’

आकाश बोला, ‘‘दिखने से काम नहीं होता. लड़की मिलनी भी चाहिए.’’

कैफ उसे देख कर बोला, ‘‘तुम लोगों का तो पता नहीं, पर मेरे पास तो लड़की है. अब तुम ने याद दिलाई है तो आज उस से मिल ही लेते हैं.’’

यह कह कर कैफ ने सीमा को फोन मिलाया और कुछ देर में वह सीमा को बुलाने चला गया.

इधर आकाश और विशाल को भी नशा चढ़ चुका था. दोनों भी इस मौके का लाभ उठाना चाहते थे. उन को पता था कि कैफ कहां जाता है. ये दोनों जंगल में पहले से ही पहुंच गए और वहीं बैठ कर पीने लगे.

सीमा और कैफ ने जंगल में संबंध बनाए. तभी विशाल और आकाश वहां पहुंच गए. वे भी सीमा से संबंध बनाने के लिए दबाव बनाने लगे. पहले तो कैफ इस के लिए मना करता रहा, बाद में वह भी सीमा पर दबाव बनाने लगा.

जब सीमा नहीं मानी तो तीनों ने जबरदस्ती उस के साथ बलात्कार करने का प्रयास किया. अब सीमा ने खुद को बचाने के लिए शोर मचाना चाहा और कच्चे रास्ते पर भागने लगी. इस पर विशाल ने सीमा की पीठ पर चाकू से वार किया. सीमा इस के बाद भी बबूल की झडि़यों में होते हुए भागने लगी.

‘‘इसे मार दो नहीं तो हम सब फंस जाएंगे.’’ विशाल और आकाश ने कैफ से कहा.

सीमा झाडि़यों से निकल कर जैसे ही बाहर खाली जगह पर आई, तीनों ने उसे घेर लिया. ताबड़तोड़ वार करने के साथ ही साथ उस के गले को भी दबा कर रखा. मारते समय चाकू सीमा के पेट में होता हुआ पीठ में फंस गया और वह टूट गया. 15 से 20 गहरे घाव से खून बहने के कारण सीमा की मौत हो गई. पेट में चाकू के वार से सीमा का यूरिनल थैली तक फट गई थी.

2 महीने पहले जब सीमा ने मोहम्मद कैफ से दोस्ती और प्यार में संबंध बनाए थे, तब यह नहीं सोचा था कि एक दिन उसे यह दिन देखना पड़ेगा.

लखनऊ पुलिस ने एसीपी स्वतंत्र कुमार सिंह की अगुवाई में बनी पुलिस टीम को पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की. पुलिस ने मोहम्मद कैफ और उस के दोनों साथी विशाल और आकाश को भादंवि की धारा 302 में गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया.

(कथा में सीमा और उस के परिजनों के नाम बदल दिए गए हैं

पति की दूरी ने बढ़ाया यार से प्यार

घटना मध्य प्रदेश के ग्वालियर क्षेत्र की है. 17 मार्च, 2019 की दोपहर 2 बजे का समय था. इस समय अधिकांशत:
घरेलू महिलाएं आराम करती हैं. ग्वालियर के पुराने हाईकोर्ट इलाके में स्थित शांतिमोहन विला की तीसरी मंजिल पर रहने वाली मीनाक्षी माहेश्वरी काम निपटाने के बाद आराम करने जा रही थीं कि तभी किसी ने उन के फ्लैट की कालबेल बजाई. घंटी की आवाज सुन कर वह सोचने लगीं कि पता नहीं इस समय कौन आ गया है.बैड से उठ कर जब उन्होंने दरवाजा खोला तो सामने घबराई हालत में खड़ी अपनी सहेली प्रीति को देख कर वह चौंक गईं. उन्होंने प्रीति से पूछा, ‘‘क्या हुआ, इतनी घबराई क्यों है?’’
‘‘उन का एक्सीडेंट हो गया है. काफी चोटें आई हैं.’’ प्रीति घबराते हुए बोली.‘‘यह तू क्या कह रही है? एक्सीडेंट कैसे हुआ और भाईसाहब कहां हैं?’’ मीनाक्षी ने पूछा.‘‘वह नीचे फ्लैट में हैं. तू जल्दी चल.’’ कह कर प्रीति मीनाक्षी को अपने साथ ले गई.
मीनाक्षी अपने साथ पड़ोस में रहने वाले डा. अनिल राजपूत को भी साथ लेती गईं. प्रीति जैन अपार्टमेंट की दूसरी मंजिल पर स्थित फ्लैट नंबर 208 में अपने पति हेमंत जैन और 2 बच्चों के साथ रहती थी.
हेमंत जैन का शीतला माता साड़ी सैंटर के नाम से साडि़यों का थोक का कारोबार था. इस शाही अपार्टमेंट में वे लोग करीब साढ़े 3 महीने पहले ही रहने आए थे. इस से पहले वह केथ वाली गली में रहते थे. हेमंत जैन अकसर साडि़यां खरीदने के लिए गुजरात के सूरत शहर आतेजाते रहते थे. अभी भी वह 2 दिन पहले ही 15 मार्च को सूरत से वापस लौटे थे.
मीनाक्षी माहेश्वरी डा. अनिल राजपूत को ले कर प्रीति के फ्लैट में पहुंची तो हेमंत की गंभीर हालत देख कर वह घबरा गईं. पलंग पर पड़े हेमंत के सिर से काफी खून बह रहा था. वे लोग हेमंत को तुरंत जेएएच ट्रामा सेंटर ले गए, जहां जांच के बाद डाक्टरों ने हेमंत को मृत घोषित कर दिया.
पुलिस केस होने की वजह से अस्पताल प्रशासन द्वारा इस की सूचना इंदरगंज के टीआई को दे दी. इस दौरान प्रीति ने मीनाक्षी को बताया कि उसे एक्सीडेंट के बारे में कुछ नहीं पता कि कहां और कैसे हुआ.
प्रीति ने बताया कि वह अपने फ्लैट में ही थी. कुछ देर पहले हेमंत ने कालबेज बजाई. मैं ने दरवाजा खोला तो वह मेरे ऊपर ही गिर गए. उन्होंने बताया कि उन का एक्सीडेंट हो गया. कहां और कैसे हुआ, इस बारे में उन्होंने कुछ नहीं बताया और अचेत हो गए. हेमंत को देख कर मैं घबरा गई. फिर दौड़ कर मैं आप को बुला लाई.
अस्पताल से सूचना मिलते ही थाना इंदरगंज के टीआई मनीष डाबर मौके पर पहुंचे तो प्रीति जैन ने वही कहानी टीआई मनीष डाबर को सुनाई, जो उस ने मीनाक्षी को सुनाई थी.

एक्सीडेंट की कहानी पर संदेह

टीआई मनीष डाबर को लगा कि हेमंत की कहानी एक्सीडेंट की तो नहीं हो सकती. इस के बाद उन्होंने इस मामले से एसपी नवनीत भसीन को भी अवगत करा दिया. एसपी के निर्देश पर टीआई अस्पताल से सीधे हेमंत के फ्लैट पर जा पहुंचे.
उन्होंने हेमंत के फ्लैट की सूक्ष्मता से जांच की. जांच में उन्हें वहां की स्थिति काफी संदिग्ध नजर आई. प्रीति ने पुलिस को बताया था कि एक्सीडेंट से घायल हेमंत ने बाहर से आ कर फ्लैट की घंटी बजाई थी, लेकिन न तो अपार्टमेंट की सीढि़यों पर और न ही फ्लैट के दरवाजे पर धब्बे तो दूर खून का छींटा तक नहीं मिला. कमरे में जो भी खून था, वह उसी पलंग के आसपास था, जिस पर घायल अवस्था में हेमंत लेटे थे.
बकौल प्रीति हेमंत घायलावस्था में थे और दरवाजा खुलते ही उस के ऊपर गिर पड़े थे, लेकिन पुलिस को इस बात का आश्चर्य हुआ कि प्रीति के कपड़ों पर खून का एक दाग भी नहीं था.
टीआई मनीष डाबर ने इस जांच से एसपी नवनीत भसीन को अवगत कराया. इस के बाद एडीशनल एसपी सत्येंद्र तोमर तथा सीएसपी के.एम. गोस्वामी भी हेमंत के फ्लैट पर पहुंच गए. सभी पुलिस अधिकारियों को प्रीति द्वारा सुनाई गई कहानी बनावटी लग रही थी.
प्रीति के बयान की पुष्टि करने के लिए टीआई ने फ्लैट के सामने लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज अपने कब्जे में लिए. फुटेज की जांच में चौंकाने वाली बात सामने आई. पता चला कि घटना से करीब आधा घंटा पहले हेमंत के फ्लैट में 2 युवक आए थे. दोनों कुछ देर फ्लैट में रहने के बाद एकएक कर बाहर निकल गए थे.
उन युवकों के चले जाने के बाद प्रीति भी एक बार बाहर आ कर वापस अंदर गई और कपड़े बदल कर मीनाक्षी को बुलाने तीसरी मंजिल पर जाती दिखी.
मामला साफ था. सीसीटीवी फुटेज में घायल हेमंत घर के अंदर या बाहर आते नजर नहीं आए थे. अलबत्ता 2 युवक फ्लैट में आतेजाते जरूर दिखे थे. प्रीति ने इन युवकों के फ्लैट में आने के बारे में कुछ नहीं बताया था. जिस की वजह से प्रीति खुद शक के घेरे में आ गई.
जो 2 युवक हेमंत के फ्लैट से निकलते सीसीटीवी कैमरे में कैद हुए थे, पुलिस ने उन की जांच शुरू कर दी. जांच में पता चला कि उन में से एक दानाखोली निवासी मृदुल गुप्ता और दूसरा सुमावली निवासी उस का दोस्त आदेश जैन था.
दोनों युवकों की पहचान हो जाने के बाद मृतक हेमंत की बहन ने भी पुलिस को बताया कि प्रीति के मृदुल गुप्ता के साथ अवैध संबंध थे. इस बात को ले कर प्रीति और हेमंत के बीच विवाद भी होता रहता था.
यह जानकारी मिलने के बाद टीआई मनीष डाबर ने मृदुल और आदेश जैन के ठिकानों पर दबिश दी लेकिन दोनों ही घर से लापता मिले. इतना ही नहीं, दोनों के मोबाइल फोन भी बंद थे. इस से दोनों पर पुलिस का शक गहराने लगा.
लेकिन रात लगभग डेढ़ बजे आदेश जैन अपने बडे़ भाई के साथ खुद ही इंदरगंज थाने आ गया. उस ने बताया कि मृदुल ने उस से कहा था कि हेमंत के घर पैसे लेने चलना है. वह वहां पहुंचा तो मृदुल और प्रीति सोफे के पास घुटने के बल बैठे थे जबकि हेमंत सोफे पर लेटा था.
इस से दाल में कुछ काला नजर आया, जिस से वह वहां से तुरंत वापस आ गया था. उस ने बताया कि वह हेमंत के घर में केवल डेढ़ मिनट रुका था. आदेश के द्वारा दी गई इस जानकारी से हेमंत की मौत का संदिग्ध मामला काफी कुछ साफ हो गया.
दूसरे दिन पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई. रिपोर्ट में बताया गया कि हेमंत के माथे पर धारदार हथियार के 5 और चेहरे पर 3 घाव पाए गए. उन के सिर पर पीछे की तरफ किसी भारी चीज से चोट पहुंचाई गई थी, जिस से उन की मृत्यु हुई थी.
इसी बीच पुलिस को पता चला कि मृतक की पत्नी प्रीति जैन रात के समय घर में आत्महत्या करने का नाटक करती रही थी. सुबह अंतिम संस्कार के बाद भी उस ने आग लगा कर जान देने की कोशिश की. पुलिस उसे हिरासत में थाने ले आई.
दूसरी तरफ दबाव बढ़ने पर मृदुल गुप्ता भी शाम को अपने वकील के साथ थाने में पेश हो गया. पुलिस ने प्रीति और मृदुल से पूछताछ की तो बड़ी आसानी से दोनों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उन्होंने स्वीकार कर लिया कि हेमंत की हत्या उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से की थी.
पूछताछ के बाद हेमंत की हत्या की कहानी इस तरह सामने आई—

हेमंत के बड़े भाई भागचंद जैन करीब 20 साल पहले ग्वालियर के खिड़की मोहल्लागंज में रहते थे. हेमंत का अपने बड़े भाई के घर काफी आनाजाना था. बड़े भाई के मकान के सामने एक शुक्ला परिवार रहता था. प्रीति उसी शुक्ला परिवार की बेटी थी. वह हेमंत की हमउम्र थी.
बड़े भाई और शुक्ला परिवार में काफी नजदीकियां थीं, जिस के चलते हेमंत का भी प्रीति के घर आनाजाना हो जाने से दोनों में प्यार हो गया. यह बात करीब 18 साल पहले की है. हेमंत और प्रीति के बीच बात यहां तक बढ़ी कि दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया. लेकिन प्रीति के घर वाले इस के लिए राजी नहीं थे. तब दोनों ने घर वालों की मरजी के खिलाफ प्रेम विवाह कर लिया था.
इस से शुक्ला परिवार ने बड़ी बेइज्जती महसूस की और वह अपना गंज का मकान बेच कर कहीं और रहने चले गए जबकि प्रीति पति के साथ कैथवाली गली में और फिर बाद में दानाओली के उसी मकान में आ कर रहने लगी, जिस की पहली मंजिल पर मृदुल गुप्ता अकेला रहता था. यहीं पर मृदुल की प्रीति के पति हेमंत से मुलाकात और दोस्ती हुई थी.
हेमंत ने साड़ी का थोक कारोबार शुरू कर दिया था, जिस में कुछ दिन तक प्रीति का भाई भी सहयोगी रहा. बाद में वह कानपुर चला गया. इधर हेमंत का काम देखते ही देखते काफी बढ़ गया और वह ग्वालियर के पहले 5 थोक साड़ी व्यापारियों में गिना जाने लगा. हेमंत को अकसर माल की खरीदारी के लिए गुजरात के सूरत शहर जाना पड़ता था.
हेमंत का काम काफी बढ़ चुका था, जिस के चलते एक समय ऐसा भी आया जब महीने में उस के 20 दिन शहर से बाहर गुजरने लगे. इस दौरान प्रीति और दोनों बच्चे ग्वालियर में अकेले रह जाते थे. इसलिए उन की देखरेख की जिम्मेदारी हेमंत अपने सब से खास और भरोसेमंद दोस्त मृदुल को सौंप जाता था.
हेमंत मृदुल पर इतना भरोसा करता था कि कभी उसे बाहर से बड़ी रकम ग्वालियर भेजनी होती तो वह मृदुल के बैंक खाते में ही ट्रांसफर कर देता था. इस से हेमंत की गैरमौजूदगी में भी मृदुल का प्रीति के घर में लगातार आनाजाना बना रहने लगा था.
प्रीति की उम्र 35 पार कर चुकी थी. वह 2 बच्चों की मां भी बन चुकी थी लेकिन आर्थिक बेफिक्री और पति के अति भरोसे ने उसे बिंदास बना दिया था. इस से वह न केवल उम्र में काफी छोटी दिखती थी बल्कि उस का रहनसहन भी अविवाहित युवतियों जैसा था.
कहते हैं कि लगातार पास बने रहने वाले शख्स से अपनापन हो जाना स्वाभाविक होता है. यही प्रीति और मृदुल के बीच हुआ. दोनों एकदूसरे से काफी घुलेमिले तो थे ही, अब एकदूसरे के काफी नजदीक आ गए थे. उन के बीच दोस्तों जैसी बातें होने लगी थीं, जिस के चलते एकदूसरे के प्रति उन का नजरिया भी बदल गया था. इस का नतीजा यह हुआ कि लगभग डेढ़ साल पहले उन के बीच शारीरिक संबंध बन गए.
दोस्त बन गया दगाबाज

प्रीति का पति ज्यादातर बाहर रहता था और मृदुल अभी अविवाहित था. इसलिए दैहिक सुख की दोनों को जरूरत थी. उन्हें रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था. क्योंकि खुद हेमंत ने ही मृदुल को प्रीति और बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी सौंप रखी थी. इसलिए हेमंत के ग्वालियर में न रहने पर मृदुल की रातें प्रीति के साथ उस के घर में एक ही बिस्तर पर कटने लगीं.
दूसरी तरफ प्रीति के नजदीक बने रहने के लिए मृदुल जहां हेमंत के प्रति ज्यादा वफादारी दिखाने लगा, वहीं जवान प्रेमी को अपने पास बनाए रखने के लिए प्रीति न केवल उसे हर तरह से सुख देने की कोशिश करने लगी, बल्कि मृदुल पर पैसा भी लुटाने लगी थी.
इसी बीच करीब 6 महीने पहले एक रोज जब हेमंत ग्वालियर में ही बच्चों के साथ था, तब बच्चों ने बातोंबातों में बता दिया कि मम्मी तो मृदुल अंकल के साथ सोती हैं और वे दोनों दूसरे कमरे में अकेले सोते हैं.
बच्चे भला ऐसा झूठ क्यों बोलेंगे, इसलिए पलक झपकते ही हेमंत सब समझ गया कि उस के पीछे घर में क्या होता है. हेमंत ने मृदुल को अपनी जिंदगी से बाहर कर दिया और उस के अपने यहां आनेजाने पर भी रोक लगा दी.

इस बात को ले कर उस का प्रीति के साथ विवाद भी हुआ. प्रीति ने सफाई देने की कोशिश भी की लेकिन हेमंत ने मृदुल को फिर घर में अंदर नहीं आने दिया. इस से प्रीति परेशान हो गई.
दोनों अकेलेपन का लाभ न उठा सकें, इसलिए हेमंत अपना घर छोड़ कर परिवार को ले कर अपनी बहन के साथ आ कर रहने लगा. ननद के घर में रहते हुए प्रीति और मृदुल की प्रेम कहानी पर ब्रेक लग गया.
लेकिन हेमंत कब तक अपना परिवार ले कर बहन के घर रहता, सो उस ने 3 महीने पहले पुराना मकान बेच कर इंदरगंज में नया फ्लैट ले लिया. यहां आने के बाद प्रीति और मृदुल की कामलीला फिर शुरू हो गई.
प्रीति अपने युवा प्रेमी की ऐसी दीवानी थी कि उस ने मृदुल पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि वह उसे अपने साथ रख ले. इस पर जनवरी में मृदुल ने प्रीति से कहीं दूर भाग चलने को कहा लेकिन प्रीति बोली, ‘‘यह स्थाई हल नहीं है. पक्का हल तो यह है कि हम हेमंत को हमेशा के लिए रास्ते से हटा दें.’’
मृदुल को भी अपनी इस अनुभवी प्रेमिका की लत लग चुकी थी, इसलिए वह इस बात पर राजी हो गया. जिस के बाद दोनों ने घर में ही हेमंत की हत्या करने की योजना बना कर 17 मार्च, 2019 को उस पर अमल भी कर दिया.
योजना के अनुसार उस रोज प्रीति ने पति की चाय में नींद की ज्यादा गोलियां डाल दीं, जिस से वह जल्द ही गहरी नींद में चला गया. फिर मृदुल के आने पर प्रीति ने गहरी नींद में सोए पति के पैर दबोचे और मृदुल ने हेमंत की गला दबा दिया.
इस दौरान हेमंत ने विरोध किया तो दोनों ने उसे उठा कर कई बार उस का सिर दीवार से टकराया, जिस से उस के सिर से खून बहने लगा और कुछ ही देर में उस की मौत हो गई.
टीआई मनीष डाबर ने प्रीति और मृदुल से विस्तार से पूछताछ के बाद दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से प्रीति को जेल भेज दिया और मृदुल को 2 दिनों के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया ताकि उस से वह कपड़े बरामद हो सकें जो उस ने हत्या के समय पहन रखे थे.
कथा लिखने तक पुलिस मृदुल से पूछताछ कर रही थी. हेमंत की हत्या में आदेश जैन शामिल था या नहीं, इस की पुलिस जांच कर रही थी.

 

सुहागरात का वीडियो बनाने से बचें, वरना ‘विक्की और विद्या का वो वाला वीडियो’ जैसे होगा हाल

बौलीवुड में विक्की विद्या का वो वाला वीडियो फिल्म काफी हिट रही है. फिल्म में जिस तरह कोमेडी रोमांस दिखाया गया है लोगों को खूब पसंद आया है. राजकुमार राव और तृप्ति डिमरी ने फिल्म में दमदार एक्टिंग की है. साथ ही फिल्म में असली तड़का मल्लिका शहरावत और विजय राज ने लगाया है. फिल्म की खास बात ये है कि सुहागरात की पहली रात अगर आप वीडियो डाल रहे है तो इससे सावधान हो जाएं. क्योंकि इसके साइड इफेक्ट फिल्म में बखूबी दिखाए गए है.

 

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आपको बता दें कि फिल्म में 90 के दशक का क्रेज दिखाया गया है. फिल्म में 1997 का जमाना की कहानी पर दिखाई गई है. जिस जमाने में वीडियो और वीसीआर के दीवाने होते थे लोग. ये वही जमाना था जब कुमार सानू और उदित नारायण के गाने बजा करते थे. ये फिल्म नौस्टैल्जिया फील कराने वाली सारे मसालों से भरी हुई है.

फिल्म को फैमिली के साथ भी देख सकते है क्योंकि फिल्म में कैसे घरों में दिखाया जाता है कि अगर आप भी सुहागरात का वीडियो बनाकर अपलोड़ कर रहे है तो सावधान हो जाएं. दूसरी तरफ फिल्म की कहानी सुहागरात की पहली रात पर दिखाई गई है और कुछ ऐसी चीजे दिखाई गई है कि आप आप अपनी सुहागरात का वीडियो बनाने से बचेंगे. फिल्म में टीकू तलसानिया, विजय राज और मुकेश तिवारी जैसी ऐसी स्टारकास्ट भी है जो कोमेडी के किंग कहे जाते हैं.

‘विक्की विद्या’ पर आरोप जरूर लगे कि ये हौलीवुड फिल्म ‘सेक्स टेप’ की कौपी है. हालांकि, फिल्म की कहानी लोगों को पसंद आई. फिल्म का डायरेक्शन ‘ड्रीम गर्ल’ और ‘ड्रीम गर्ल 2’ बना चुके राज शांडिल्य ने किया है.

ऐसी वीडियो लीक होने पर क्या हुए साइड इफेक्ट्स

इस फिल्म में ये बड़े ही बेहतर तरीक से दिखाया गया है कि वीडियो लीक होने पर उसके कैसे साइड इफेक्ट्स होते है. जैसे कि विक्की विद्या के साथ होता है. उनके घर में चोरी हो जाती है. जिससे वे डर जाते है. दोनों उस वीडियो को ढूंढने लग जाते है. साथ ही, यह मूवी नए जेनरेशन को यह मैसेज देती है कि सुहागरात या दूसरे अश्‍लील को बनाने और लीक होने से बचे. तो ऐसा आपके साथ भी हो सकता है. कि आप वीडियो बनाकर डाले और इस तरह की घटना या इससे बड़ा हादसा हो जाएं.

फिल्म के दमदार स्टार राजकुमार राव और तृप्ति डिमरी

‘स्त्री 2’ के स्टार राजकुमार राव एक बार फिर से दर्शकों का दिल जीतने के लिए इस फिल्म में दिखाई दिए. भले ही फिल्म की कहानी में नयेपन की कमी लेगी, लेकिन उनकी परफॉर्मेंस दमदार है. उनका लुक और स्टाइल भी जच रहा है. राजकुमार राव की डायलौग और कौमिक टाइमिंग भी सटीक बैठी है. उनकी हर बात पर आपको हंसी आएगी. तृप्ति डिमरी इसमें आपको फेल नजर आती हैं. उन्होंने एक ऐसा रोल चुना है, जहां उनके पास करने के लिए कुछ ज्यादा नहीं है, लेकिन वो जिन सीन्स में भी राजकुमार राव के साथ हैं, एक जोड़ी को तौर पर दोनों जच रहे हैं.

फिल्म की कहानी

कहानी की शुरुआत ऋषिकेश से शुरु होती है. फिल्म की कहानी को साल 1997 में सेट किया गया है, जब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का विभाजन नहीं हुआ था. फिल्म में विक्की (राजकुमार राव) नाम का लड़का है जो एक मेंहदी लगाने वाला है. विक्की के सपने बड़े हैं और वो खुद को किसी हीरो से कम नहीं समझता और उसका सपना एक लेडी डौक्टर से शादी करने का है. उसे विद्या (तृप्ति डिमारी) नाम की लड़की से प्यार होता है जो डौक्टर होती है.

जैसे-तैसे दोनों की शादी हो जाती है. कहानी में ट्विस्ट दोनों की शादी के बाद ही आता है. शादी के बाद मल्लिका शेरावत की एंट्री होती है. विजय राज और मल्लिका शेरावत कहानी में एक्स फैक्टर हैं. दोनों की केमिस्ट्री दिल जीतने वाली है. कहानी आगे बढ़ती है और विक्की विद्या को वो वाला वीडियो चोरी हो जाता है. अब पुलिस से लेकर घर वाले इस वीडियो की खोज में लग जाते हैं. इसी बीच फोन कौल आता है एक शख्स फिरौती भी मांगता है. कहानी यहां से नया मोड़ लेती है.

मेरे पड़ोस की दीदी गंदी हरकत करती है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 18 साल का एक लड़का हूं. मेरे पड़ोस में एक 22 साल की दीदी रहती हैंजो सब के सामने तो शरीफ बनती हैंपर अकेले में मुझे तंग करती हैं.

वे अपने कमरे में बुला कर मुझे यहांवहां चूमती हैं और बिस्तर पर लेटने को भी बोलती हैं. मुझे अंदर ही अंदर मजा भी आता है और डर भी लगता है कि अगर किसी ने देख लियातो महल्ले में बदनामी होगी. मैं क्या करूं?

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जवाब

बदनामी तो उस दीदी की ज्यादा होगी. लगता है कि आप उस जैसी हिम्मत नहीं कर पा रहे हैंलेकिन एक पुरानी कहावत है कि आग और घी पास रखे जाएंगेतो घी तो पिघलेगा ही. अब लड़ाई आप के सब्र और उस की बेचैनी के बीच हैजिस में आप हार भी सकते हैं.

दरअसलवह लड़की आप से सैक्स का लुत्फ लेना चाहती है. अब फैसला आप के हाथ में है कि या तो डरते रहें और बदनामी से बचते रहें या फिर हिम्मत जुटा कर मजे ले लें. ऐसी हालत में अकसर सैक्स संबंध एकदम बन जाते हैंइसलिए किसी झंझट से बचने के लिए कंडोम जेब में रखें.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  सरस सलिल- व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

कंडोम एक खूबियां अनेक

यह जान कर हैरानी होती है कि अब लोग कंडोम का इस्तेमाल हमबिस्तरी का ज्यादा से ज्यादा मजा उठाने और ओरल सैक्स के अलावा देर तक टिके रहने के लिए भी कर सकते हैं. कैसे हैं ये नए कंडोम? इस के पहले यह जान लेना जरूरी है कि कंडोम के इस्तेमाल में क्याक्या सावधानियां बरतनी चाहिए.

आमतौर पर पहली बार सैक्स करने वाले लोग कंडोम का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं, इसलिए उन्हें इन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए:

* कंडोम हमेशा नामी कंपनी का ही इस्तेमाल करना चाहिए और इस्तेमाल करने से पहले इस की ऐक्सपायरी डेट यानी इस्तेमाल करने की तारीख देख लेनी चाहिए जो इस के पैकेट पर लिखी रहती है.

* कंडोम के पैकेट को दांतों या धारदार चीज से नहीं खोलना चाहिए. ऐसा करने से इस के फट जाने का खतरा बना रहता है.

* कंडोम तभी खोलना चाहिए जब अंग पूरी तरह जोश में आ जाए. शुरू में ही कंडोम खोल लेने से भी इस के फटने का डर बना रहता है.

* कंडोम पहनते वक्त उस में हवा नहीं जानी चाहिए. ऐसी हालत में भी उस के फटने का डर बना रहता है.

* अगर गलती से या जल्दबाजी से कंडोम उलटा पहन लें तो उसे फिर सीधा कर के दोबारा पहनने की भूल न करें. इस से औरत के पेट से ठहरने का डर बना रहता है, क्योंकि कंडोम पर शुक्राणु लग सकते हैं.

* कंडोम पहनने के लिए थूक, चिकनाई या दूसरी किसी चीज मसलन तेल या वैसलीन वगैरह का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

* कंडोम को कभी पर्स में नहीं रखना चाहिए और इसे धूप से बचा कर रखना चाहिए.

* कंडोम के इस्तेमाल से पहले यह तसल्ली कर लेनी चाहिए कि कहीं वह कटाफटा तो नहीं है.

* कंडोम अपने अंग के साइज के मुताबिक ही खरीदें. बाजार में हर साइज के कंडोम मिलते हैं.

* कंडोम को अंग पर चढ़ाने के बाद इस की नोक पर जगह नहीं छोड़नी चाहिए. इस से भी उस के फटने का डर बना रहता है.

* एक कंडोम को एक बार ही इस्तेमाल करें.

* इस्तेमाल करने के बाद कंडोम को पहने नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे तुरंत उतार कर ठिकाने लगा देना चाहिए.

* कंडोम के हर पैकेट पर उस के इस्तेमाल करने का तरीका लिखा रहता है. उसे ध्यान से पढ़ लेना चाहिए.

ये तो हुईं कंडोम के इस्तेमाल से ताल्लुक रखती सावधानियां, लेकिन अब कंडोम की उन खूबियों के बारे में भी जानें जो सैक्स और रोमांस को और भी खास बनाती हैं.

1. ओरल सैक्स के लिए

आजकल के नौजवानों में ओरल सैक्स यानी मुख मैथुन का चलन तेजी से बढ़ रहा है जो कतई हर्ज या नुकसान की बात नहीं. लेकिन इस में साफसफाई का ध्यान रखा जाना बेहद जरूरी है ताकि किसी तरह का इंफैक्शन न हो.

ओरल सैक्स के इस नुकसान से बचने का खुशबूदार कंडोम एक बेहतर उपाय है. केला, आम, वनिला, स्ट्राबेरी और चौकलेट फ्लेवर के कंडोम बाजार में मौजूद हैं जो ओरल सैक्स के लिए मुफीद और सुरक्षित हैं.

अपनी पार्टनर की पसंद के मुताबिक फ्लेवर्ड कंडोम खरीद कर ओरल सैक्स का मजा लिया जा सकता है.

2. टिके रहने के लिए

देर तक हमबिस्तरी का मजा उठाने के लिए ऐक्स्ट्रा प्लेजर कंडोम बनाया गया है, जो खासतौर से उन लोगों के लिए है जो जल्द ही डिस्चार्ज हो जाते हैं.

ऐक्स्ट्रा प्लेजर कंडोम में बैंजोकिना नाम का पदार्थ होता है जो लंबे वक्त तक टिकाए रखने में मदद करता है.

3. डौटेड कंडोम का मजा

ये कंडोम हमबिस्तरी के दौरान आप की पार्टनर में ज्यादा जोश पैदा कर उसे मजा भी ज्यादा देते हैं. इन पर बने डौट्स के निशान से औरतों का मजा दोगुना बढ़ जाता है, लेकिन अगर उन के प्राइवेट पार्ट की चमड़ी नाजुक है तो इस के इस्तेमाल में सब्र रखना चाहिए.

4. धारीदार कंडोम भी

ये कंडोम भी डौटेड कंडोम की तरह ही होते हैं, फर्क बस इतना है कि इन में डौट्स की जगह धारियां होती हैं, जो आप की पार्टनर को एक अलग तरह के सुख का एहसास कराती हैं. इस के इस्तेमाल से भी आप ज्यादा देर तक सैक्स का लुत्फ उठा सकते हैं.

5. ज्यादा जोश के लिए

सब से बेहतर है अल्ट्रा थिन कंडोम, जो दूसरे कंडोम के मुकाबले पतले रबड़ का बना होता है. इस से आप देर तक सैक्स का मजा ले सकते हैं.

इस कंडोम के इस्तेमाल से पार्टनर में जोश भी ज्यादा पैदा होता है और उसे सैक्स का भरपूर मजा भी मिलता है. चूंकि यह पतले रबड़ का बना होता है, इसलिए इस के फटने का भी डर बना रहता है.

6. हर बार करें इस्तेमाल

अब हर तरह के कंडोम बाजार में मौजूद हैं तो इन को इस्तेमाल करने से हिचकना नहीं चाहिए. इस बाबत जरूरी है कि कंडोम हमेशा अपने पास रखा जाए. लड़कियां भी अपनी सुरक्षा और बाद की परेशानियों से बचने के लिए इन्हें खरीद कर अपने पास रख सकती हैं.

सुखदायक सेक्स लाइफ चाहते हैं तो इन चीजों को कहें अलविदा

डा. कुंदरा के मुताबिक, सेक्स सफल दांपत्य जीवन का महत्त्वपूर्ण आधार है. इस की कमी पतिपत्नी के रिश्ते को प्रभावित करती है. पतिपत्नी की एकदूसरे के प्रति चाहत, लगाव, आकर्षण खत्म होने के कई कारण होते हैं जैसे शारीरिक, मानसिक, लाइफस्टाइल. ये सेक्स ड्राइव को कमजोर बनाते हैं.

  • तनाव: औफिस, घर का वर्कलोड, आर्थिक समस्या, असमय खानपान आदि का सीधा असर तनाव के रूप में नजर आता है, जो हैल्थ के साथसाथ सेक्स लाइफ को भी प्रभावित करता है.
  • डिप्रैशन: यह सेक्स का सब से बड़ा दुश्मन है. यह पतिपत्नी के संबंधों को प्रभावित करने के साथसाथ परिवार में कलह को भी जन्म देता है. डिप्रैशन के कारण वैसे ही सेक्स की इच्छा में कमी आ जाती है. ऊपर से डिप्रैशन की दवा का सेवन भी कामेच्छा को खत्म करने लगता है.
  • नींद पूरी न होना: 4-5 घंटे की नींद से हम फ्रैश फील नहीं कर पाते, जिस से धीरेधीरे हमारा स्टैमिना कम होने लगता है. इतना ही नहीं सेक्स में भी हमारा इंट्रैस्ट नहीं रहता है.
  • गलत खानपान: वक्तबेवक्त खाना और जंक फूड व प्रोसैस्ड फूड का सेवन भी सेक्स ड्राइव को खत्म करता है.
  • टेस्टोस्टेरौन की कमी: शरीर में मौजूद यह हारमोन हमारी सेक्स इच्छा को कंट्रोल करता है. इस की कमी से पतिपत्नी दोनों ही प्रभावित होते हैं.
  • बर्थ कंट्रोल पिल्स: बर्थ पिल्स महिलाओं में टेस्टोस्टेरौन लैवल को कम करती हैं, जिस से महिलाओं में सेक्स संबंधों को ले कर विरक्ति हो जाती है. पतिपत्नी का दांपत्य जीवन तभी सफल होता है, जब सेक्स में दोनों एकदूसरे को सहयोग करें. सेक्स एक दोस्त की तरह भी जीवन में रंग भर देता है. शादीशुदा जिंदगी से प्यार की कशिश और इश्क का रोमांच खत्म होने लगा है तो सावधान हो जाएं.
  • यदि आप की सेक्स लाइफ अच्छी है तो इस का सकारात्मक प्रभाव आप की सेहत पर भी पड़ता है.
  • जानिए, सेक्स के सेहत से जुड़े कुछ फायदे:
  • शारीरिक तथा मानसिक पीड़ा में राहत दिलाता है: सेक्स के समय शरीर में हारमोन पैदा होते हैं, जो दर्द की अनुभूति कम करते हैं. भले ही कुछ समय के लिए.
    10.सर्दीजुकाम के असर को कम करता है: सेक्स गरमी, सर्दीजुकाम के प्रभाव को काफी हद तक कम कर देता है. अमेरिका स्थित ओहियो यूनिवर्सिटी के अध्ययन बताते हैं कि चुंबन एवं प्यारदुलार करने से रक्त में बीमारियों से लड़ने वाले टी सैल्स की तादाद बढ़ जाती है.
  • मानसिक तनाव को कम करता है: सेक्स मन को शांति देने के साथसाथ मूड को भी बढि़या बनाने वाले हारमोन ऐंडोर्फिंस के उत्पादन में वृद्धि करता है. इस के मानसिक तनाव कम हो जाता है.
  • मासिकधर्म के पूर्व की कमी को कम करता है: सेक्स में लगातार गरमी के चलते ऐस्ट्रोजन स्तर काफी हद तक कम होता है. इस दौरान शरीर में थकान कम महसूस होती है.
  • दिल के रोग और दौरों की आशंका कम होती है: अकसर दिल के मरीजों को सेक्स संबंध बनाने से दूर रहने की सलाह दी जाती है. मगर अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ,  डा. के.के. सक्सेना के अनुसार, पत्नी के साथ सेक्स संबंध बनाने से पूरे शरीर का समुचित व्यायाम होता है, जिस से दिमाग तनावरहित हो जाता है. दिल के दौरों की आशंका कम हो जाती है. सेक्स संबंध बनाने से धमनियों में रक्त का प्रवाह और हृदय की मांसपेशियों की क्षमता बढ़ती है.

जन्मकुंडली का चक्कर : पल्लवी की शादी की धूम

उस दिन सुबह ही मेरे घनिष्ठ मित्र प्रशांत का फोन आया और दोपहर को डाकिया उस के द्वारा भेजा गया वैवाहिक निमंत्रणपत्र दे गया. प्रशांत की बड़ी बेटी पल्लवी की शादी तय हो गई थी. इस समाचार से मुझे बेहद प्रसन्नता हुई और मैं ने प्रशांत को आश्वस्त कर दिया कि 15 दिन बाद होने वाली पल्लवी की शादी में हम पतिपत्नी अवश्य शरीक होेंगे.

बचपन से ही प्रशांत मेरा जिगरी दोस्त रहा है. हम ने साथसाथ पढ़ाई पूरी की और लगभग एक ही समय हम दोनों अलगअलग बैंकों में नौकरी में लग गए. हम अलगअलग जगहों पर कार्य करते रहे लेकिन विशेष त्योहारों के मौके पर हमारी मुलाकातें होती रहतीं.

हमारे 2-3 दूसरे मित्र भी थे जिन के साथ छुट्टियों में रोज हमारी बैठकें जमतीं. हम विभिन्न विषयों पर बातें करते और फिर अंत में पारिवारिक समस्याओं पर विचारविमर्श करने लगते. बढ़ती उम्र के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य और बच्चों की शादी जैसे विषयों पर हमारी बातचीत ज्यादा होती रहती.

प्रशांत की दोनों बेटियां एम.ए. तक की शिक्षा पूरी कर नौकरी करने लगी थीं जबकि मेरे दोनों बेटे अभी पढ़ रहे थे. हमारे कई सहकर्मी अपनी बेटियों की शादी कर के निश्ंिचत हो गए थे. प्रशांत की बेटियों की उम्र बढ़ती जा रही थी और उस के रिटायर होेने का समय नजदीक आ रहा था. उस की बड़ी बेटी पल्लवी की जन्मकुंडली कुछ ऐसी थी कि जिस के कारण उस के लायक सुयोग्य वर नहीं मिल पा रहा था.

हमारे खानदान में जन्मकुंडली को कभी महत्त्व नहीं दिया गया, इसलिए मुझे इस के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. एक बार कुछ खास दोस्तों की बैठक में प्रशांत ने बताया था कि पल्लवी मांगलिक है और उस का गण राक्षस है. मेरी जिज्ञासा पर वह बोला, ‘‘कुंडली के 1, 4, 7, 8 और 12वें स्थान पर मंगल ग्रह रहने पर व्यक्ति मंगली या मांगलिक कहलाता है और कुंडली के आधार पर लोग देव, मनुष्य या राक्षस गण वाले हो जाते हैं. कुछ अन्य बातों के साथ वरवधू के न्यूनतम 18 गुण या अंक मिलने चाहिए. जो व्यक्ति मांगलिक नहीं है, उस की शादी यदि मांगलिक से हो जाए तो उसे कष्ट होगा.’’

किसी को मांगलिक बनाने का आधार मुझे विचित्र लगा और लोगों को 3 श्रेणियों में बांटना तो वैसे ही हुआ जैसे हिंदू समाज को 4 प्रमुख जातियों में विभाजित करना. फिर जो मांगलिक नहीं है, उसे अमांगलिक क्यों नहीं कहा जाता? यहां मंगल ही अमंगलकारी हो जाता है और कुंडली के अनुसार दुश्चरित्र व्यक्ति देवता और सुसंस्कारित, मृदुभाषी कन्या राक्षस हो सकती है. मुझे यह सब बड़ा अटपटा सा लग रहा था.

प्रशांत की बेटी पल्लवी ने एम.एससी. करने के बाद बी.एड. किया और एक बड़े स्कूल में शिक्षिका बन गई. उस का रंगरूप अच्छा है. सीधी, सरल स्वभाव की है और गृहकार्य में भी उस की रुचि रहती है. ऐसी सुयोग्य कन्या का पिता समाज के अंधविश्वासों की वजह से पिछले 2-3 वर्ष से परेशान रह रहा था. जन्मकुंडली उस के गले का फंदा बन गई थी. मुझे लगा, जिस तरह जातिप्रथा को बहुत से लोग नकारने लगे हैं, उसी प्रकार इस अकल्याणकारी जन्मकुंडली को भी निरर्थक और अनावश्यक बना देना चाहिए.

प्रशांत फिर कहने लगा, ‘‘हमारे समाज मेें पढ़ेलिखे लोग भी इतने रूढि़वादी हैं कि बायोडाटा और फोटो बाद में देखते हैं, पहले कुंडली का मिलान करते हैं. कभी मंगली लड़का मिलता है तो दोनों के 18 से कम गुण मिलते हैं. जहां 25-30 गुण मिलते हैं वहां गण नहीं मिलते या लड़का मंगली नहीं होता. मैं अब तक 100 से ज्यादा जगह संपर्क कर चुका हूं किंतु कहीं कोई बात नहीं बनी.’’

मैं, अमित और विवेक, तीनों उस के हितैषी थे और हमेशा उस के भले की सोचते थे. उस दिन अमित ने उसे सुझाव दिया कि किसी साइबर कैफे में पल्लवी की जन्मतिथि थोड़ा आगेपीछे कर के एक अच्छी सी कुंडली बनवा लेने से शायद उस का रिश्ता जल्दी तय हो जाए.

प्रशांत तुरंत बोल उठा, ‘‘मैं ने अभी तक कोई गलत काम नहीं किया है. किसी के साथ ऐसी धोखाधड़ी मैं नहीं कर सकता.’’

‘‘मैं किसी को धोखा देने की बात नहीं कर रहा,’’ अमित ने उसे समझाना चाहा, ‘‘किसी का अंधविश्वास दूर करने के लिए अगर एक झूठ का सहारा लेना पड़े तो इस में बुराई क्या है. क्या कोई पंडित या ज्योतिषी इस बात की गारंटी दे सकता है कि वर और कन्या की कुंडलियां अच्छी मिलने पर उन का दांपत्य जीवन सफल और सदा सुखमय रहेगा?

‘‘हमारे पंडितजी, जो दूसरों की कुंडली बनाते और भविष्य बतलाते हैं, स्वयं 45 वर्ष की आयु में विधुर हो गए. एक दूसरे नामी पंडित का भतीजा शादी के महज  5 साल बाद ही एक दुर्घटना का शिकार हो गया. उस के बाद उन्होंने जन्मकुंडली और भविष्यवाणियों से तौबा ही कर ली,’’ वह फिर बोला, ‘‘मेरे मातापिता 80-85 वर्ष की उम्र में भी बिलकुल स्वस्थ हैं जबकि कुंडलियों के अनुसार उन के सिर्फ 8 ही गुण मिलते हैं.’’

प्रशांत सब सुनता रहा किंतु वह पल्लवी की कुंडली में कुछ हेरफेर करने के अमित के सुझाव से सहमत नहीं था.

कुछ महीने बाद हम फिर मिले. इस बार प्रशांत कुछ ज्यादा ही उदास नजर आ रहा था. कुछ लोग अपनी परेशानियों के बारे में अपने निकट संबंधियों या दोस्तों को भी कुछ बताना नहीं चाहते. आज के जमाने में लोग इतने आत्मकेंद्रित हो गए हैं कि बस, थोड़ी सी हमदर्दी दिखा कर चल देंगे. उन से निबटना तो खुद ही होगा. हमारे छेड़ने पर वह कहने लगा कि पंडितों के चक्कर में उसे काफी शारीरिक कष्ट तथा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा और कोई लाभ नहीं हुआ.

2 वर्ष पहले किसी ने कालसर्प दोष बता कर उसे महाराष्ट्र के एक प्रसिद्ध स्थान पर सोने के सर्प की पूजा और पिंडदान करने का सुझाव दिया था. उतनी दूर सपरिवार जानेआने, होटल में 3 दिन ठहरने और सोने के सर्प सहित दानदक्षिणा में उस के लगभग 20 हजार रुपए खर्च हो गए. उस के कुछ महीने बाद एक दूसरे पंडित ने महामृत्युंजय जाप और पूजाहवन की सलाह दी थी. इस में फिर 10 हजार से ज्यादा खर्च हुए. उन पंडितों के अनुसार पल्लवी का रिश्ता पिछले साल ही तय होना निश्चित था. अब एकडेढ़ साल बाद भी कोई संभावना नजर नहीं आ रही थी.

मैं ने उसे समझाने के इरादे से कहा, ‘‘तुम जन्मकुंडली और ऐसे पंडितों को कुछ समय के लिए भूल जाओ. यजमान का भला हो, न हो, इन की कमाई अच्छी होनी चाहिए. जो कहते हैं कि अलगअलग राशि वाले लोगों पर ग्रहों के असर पड़ते हैं, इस का कोई वैज्ञानिक आधार है क्या?

‘‘भिन्न राशि वाले एकसाथ धूप में बैठें तो क्या सब को सूर्य की किरणों से विटामिन ‘डी’ नहीं मिलेगा. मेरे दोस्त, तुम अपनी जाति के दायरे से बाहर निकल कर ऐसी जगह बात चलाओ जहां जन्मकुंडली को महत्त्व नहीं दिया जाता.’’

मेरी बातों का समर्थन करते हुए अमित बोला, ‘‘कुंडली मिला कर जितनी शादियां होती हैं उन में बहुएं जलाने या मारने, असमय विधुर या विधवा होने, आत्महत्या करने, तलाकशुदा या विकलांग अथवा असाध्य रोगों से ग्रसित होने के कितने प्रतिशत मामले होते हैं. ऐसा कोई सर्वे किया जाए तो एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आ जाएगा. इस पर कितने लोग ध्यान देते हैं? मुझे तो लगता है, इस कुंडली ने लोगों की मानसिकता को संकीर्ण एवं सशंकित कर दिया है. सब बकवास है.’’

उस दिन मुझे लगा कि प्रशांत की सोच में कुछ बदलाव आ गया था. उस ने निश्चय कर लिया था कि अब वह ऐसे पंडितों और ज्योतिषियों के चक्कर में नहीं पड़ेगा.

खैर, अंत भला तो सब भला. हम तो उस की बेटियों की जल्दी शादी तय होने की कामना ही करते रहे और अब एक खुशखबरी तो आ ही गई.

हम पतिपत्नी ठीक शादी के दिन ही रांची पहुंच सके. प्रशांत इतना व्यस्त था कि 2 दिन तक उस से कुछ खास बातें नहीं हो पाईं. उस ने दबाव डाल कर हमें 2 दिन और रोक लिया था. तीसरे दिन जब ज्यादातर मेहमान विदा हो चुके थे, हम इत्मीनान से बैठ कर गपशप करने लगे. उस वक्त प्रशांत का साला भी वहां मौजूद था. वही हमें बताने लगा कि किस तरह अचानक रिश्ता तय हुआ. उस ने कहा, ‘‘आज के जमाने में कामकाजी लड़कियां स्वयं जल्दी विवाह करना नहीं चाहतीं. उन में आत्मसम्मान, स्वाभिमान की भावना होती है और वे आर्थिक रूप से अपना एक ठोस आधार बनाना चाहती हैं, जिस से उन्हें अपनी हर छोटीमोटी जरूरत के लिए अपने पति के आगे हाथ न फैलाना पड़े. पल्लवी को अभी 2 ही साल तो हुए थे नौकरी करते हुए लेकिन मेरे जीजाजी को ऐसी जल्दी पड़ी थी कि उन्होंने दूसरी जाति के एक विधुर से उस का संबंध तय कर दिया.

वैसे मेरे लिए यह बिलकुल नई खबर थी. किंतु मुझे इस में कुछ भी अटपटा नहीं लगा. पल्लवी का पति 30-32 वर्ष का नवयुवक था और देखनेसुनने में ठीक लग रहा था. हम लोगोें का मित्र विवेक, प्रशांत की बिरादरी से ही था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर प्रशांत ने ऐसा निर्णय क्यों लिया. उस ने उस से पूछा, ‘‘पल्लवी जैसी कन्या के लिए अपने समाज में ही अच्छे कुंआरे लड़के मिल सकते थे. तुम थोड़ा और इंतजार कर सकते थे. आखिर क्या मजबूरी थी कि उस की शादी तुम ने एक ऐसे विधुर से कर दी जिस की पत्नी की संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत हो गई थी.’’

‘‘यह सिर्फ मेरा निर्णय नहीं था. पल्लवी की इस में पूरी सहमति थी. जब हम अलगअलग जातियों के लोग आपस में इतने अच्छे दोस्त बन सकते हैं, साथ खापी और रह सकते हैं, तो फिर अंतर्जातीय विवाह क्यों नहीं कर सकते?’’

प्रशांत कहने लगा, ‘‘एक विधुर जो नौजवान है, रेलवे में इंजीनियर है और जिसे कार्यस्थल भोपाल में अच्छा सा फ्लैट मिला हुआ है, उस में क्या बुराई है? फिर यहां जन्मकुंडली मिलाने का कोई चक्कर नहीं था.’’

‘‘और उस की पहली पत्नी की मौत?’’ विवेक शायद प्रशांत के उत्तर से संतुष्ट नहीं था.

प्रशांत ने कहा, ‘‘अखबारों में प्राय: रोज ही दहेज के लोभी ससुराल वालों द्वारा बहुओं को प्रताडि़त करने अथवा मार डालने की खबरें छपती रहती हैं. हमें भी डर होता था किंतु एक विधुर से बेटी का ब्याह कर के मैं चिंतामुक्त हो गया हूं. मुझे पूरा यकीन है, पल्लवी वहां सुखी रहेगी. आखिर, ससुराल वाले कितनी बहुओं की जान लेंगे? वैसे उन की बहू की मौत महज एक हादसा थी.’’

‘‘तुम्हारा निर्णय गलत नहीं रहा,’’ विवेक मुसकरा कर बोला.

जय किशोर बरेरिया

प्यासी धरती : ब्याहता दीपा का दर्द

‘‘मां, अब बस भी करो. अपने पारस के गुणगान करना बंद करो. बहुत हुआ. मैं ने बता दिया न कि मैं उस के साथ नहीं रह सकती. मुझे वह खुशी नहीं दे सकता, फिर क्या मतलब है उस के साथ रहने का. चलो अब, वरना कोर्ट पहुंचने में देर हो जाएगी,’’ ऐसा कहते हुए दीपा अपनी स्कूटी स्टार्ट करने लगी.

दोनों मांबेटी कोर्ट पहुंच गईं. उधर से पारस की फैमिली भी आई थी, जिस में पारस के साथ उस के मम्मीपापा भी थे. पारस की एक बहन है शालिनी, जो सिंगापुर में रहती है. वैसे, शालिनी की ससुराल जींद, हरियाणा में है, लेकिन वे दोनों पतिपत्नी सिंगापुर में नौकरी करते हैं.

इधर दीपा के पिता का 5-6 साल पहले एक सड़क हादसे में देहांत हो गया था. दीपा का एक भाई है आकाश, जो

8 साल पहले दुबई चला गया था, लेकिन अभी तक नहीं लौटा है… पिता की मौत पर भी नहीं आया.

आकाश कभीकभी वीडियो काल कर लेता है. वहां की एक लड़की से उस ने शादी कर ली है, जो भारत में आ कर रहना तो दूर यहां का नाम भी नहीं सुनना चाहती है, उसे वहीं रहना है. यहां बस दोनों अकेली मांबेटी ही हैं.

4 साल पहले दीपा की शादी पारस के साथ हुई थी. शालिनी और दीपा दोनों सहेलियां थीं. शालिनी को दीपा के घर के हालात पता थे. शालिनी ने ही अपने भाई पारस और दीपा के रिश्ते की बात की थी.

एक साल तक दीपा की मां को कुछ खबर नहीं थी, लेकिन उस के बाद से अकसर दीपा के घर में क्लेश रहने लगा था. रोज थाने और कोर्टकचहरी के चक्कर. कभी दीपा का पति और सासससुर पर मारपीट का इलजाम लगाना, तो कभी दहेज के लिए सताना, कभी खाना न देना, तो कभी ससुर पर बहू को छेड़ने का इलजाम… यहां तक कि एक बार तो दीपा ने पारस पर ड्रग्स इस्तेमाल करने का भी इलजाम लगा दिया था.

इस चक्कर में अकसर पारस थाने में होता था. मातापिता एक केस की जमानत करा कर उसे जेल से छुड़ा कर लाते तो दीपा कोई और केस बनवा देती. पिछले 3 साल से यही सब चल रहा था. आखिरकार दीपा ने तलाक की अर्जी दे ही दी.

आज इस केस का आखिरी फैसला सुनाया जाएगा. न जाने जज साहब क्या फैसला सुनाते हैं? न जाने वे उन दोनों का तलाक मंजूर करते हैं या नहीं? इतने में जज साहब आ गए. सब ओर खामोशी छा गई.

‘‘केस नंबर 788 दीपा और पारस का तलाक, दीपा और पारस कोर्ट में हाजिर हों…’’ एक जोरदार आवाज लगाई गई.

जज ने दीपा से पूछा, ‘‘तो दीपाजी क्या सोचा आप ने? सोचसमझ कर जवाब दीजिए. आप के हाथ में कोई भी ठोस वजह नहीं है तलाक की… और पारसजी, क्या आप भी वही चाहते हैं, जो दीपाजी चाहती हैं?’’

दीपा बोली, ‘‘जी सर, मैं ने सोच लिया है कि मुझे तलाक चाहिए.’’

इधर पारस ने कहा, ‘‘जज साहब, मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं हां कहूं या न, क्योंकि मैं ने दीपा को कभी कोई तकलीफ नहीं दी और न ही मेरे मातापिता ने… फिर भी दीपा ने हम पर ढेरों इलजाम लगा कर अनेक बार हमें जेल भिजवाया है.

‘‘जज साहब, मैं कईकई महीने जेल रह चुका हूं. मैं ने बिना किसी कुसूर के पुलिस की मार खाई है, वह भी दीपा के गलत इलजामों पर, फिर भी दीपा अगर तलाक लेने पर अड़ी है तो जैसी इस की मरजी…’’

जज साहब दोनों की बात सुन कर बोले, ‘‘कोई ठोस वजह न होने के चलते यह अदालत तलाक नामंजूर करती है. अगर किसी के पास तलाक लेने की कोई ठोस वजह हो तो जरूर बताए, तभी उस पर विचार किया जाएगा.’’

लेकिन दीपा को तो तलाक चाहिए था. यह फैसला सुनते ही वह फूटफूट कर रो पड़ी और बोली, ‘‘जज साहब, मेरे साथ नाइंसाफी न करें, मुझे तलाक दिलवा दें. मैं मर जाऊंगी इस तरह. मुझे छुटकारा चाहिए. प्यासी धरती सी मैं इस तरह से बंजर बन जाऊंगी, लेकिन मुझे बंजर जमीन नहीं बनना.’’

दीपा का इस तरह विलाप देख कर सब पसोपेश में थे कि आखिर अब तक कोई ठोस वजह वह सामने नहीं ला रही थी, अब अचानक से किस तरह की बातें कर रही है? ऐसी क्या वजह है, जो वह मरने की बातें कर रही है?

सब के सब हैरान हो कर दीपा को देख रहे थे. आखिर में मां के बहुत कहने पर दीपा ने अपनी कहानी सुनाई…

‘‘मुझे प्यार करने का हक नहीं था, क्योंकि न मेरे सिर पर पिता का साया था और न भाई ही मेरे पास था. पैसे कमाने की धुन भाई को अपनों से दूर ले गई. मुझे अगर किसी लड़के के साथ बात करते हुए भी देखा जाता तो न जाने कितनी बातें बनाते थे समाज वाले… बिन बाप और भाई की जो ठहरी… उस पर गरीबी का तमगा.

‘‘शालिनी बहुत अच्छी दोस्त थी मेरी. उस से मेरे घर के हालात छिपे नहीं थे. उस ने मुझ से पूछा कि क्या मैं उस के भाई से शादी करने के लिए तैयार हूं? तो मैं ने झट से हां बोल दी, क्योंकि मैं जानती थी कि अकेली मां क्याक्या करेंगी मेरे लिए.

‘‘मैं शालिनी की शुक्रगुजार थी कि जिस ने एक सच्चे दोस्त का फर्ज अदा किया. लड़की गरीब हो या अमीर, अरमान सब के दिल में एकजैसे उठते हैं. मेरे दिल में अरमान जगे, मैं ने भी शादी को ले कर अनेक सपने देख डाले, लेकिन मैं नहीं जानती थी कि मेरे सपनों का यह अंजाम होगा.

‘‘शादी की पहली रात मेरे दिल में सौ तरह के खयाल आ रहे थे, जिन्हें सोच कर ही मैं शर्म से लाल हो रही थी, लेकिन पारस जैसे ही कमरे में आए और बत्ती बुझा कर यह कह दिया कि ‘बहुत ज्यादा थक गया हूं, सो जाते हैं…’ मैं हैरान रह गई थी यह सुन कर.

‘‘सोचिए, उस समय मेरे दिल पर क्या बीती होगी. अगले 2-3 दिन पारस करीब तो आए, मगर मुझे भरपूर पति सुख न दे पाए. मैं अभी भी प्यासी ही थी. सहेलियां मुझ से पहली रात का किस्सा सुनाने को कहतीं, जिस पर मेरे मन की ज्वाला और भड़क जाती, लेकिन मैं किसी से कुछ नहीं कह सकती थी.

‘‘इस तरह तकरीबन 6 महीने बीत गए. कभी तो पारस सैक्स कर के थक जाते, लेकिन संतुष्टि न मिल पाती और कभी जब सैक्स की ताकत बढ़ाने की दवा खाते तो शुरू करने से पहले ही पस्त हो जाते.

‘‘इसी बात को ले कर एक दिन मैं शालिनी से झगड़ पड़ी थी, ‘शालिनी, तू तो मेरी सच्ची दोस्त थी. तू ने मुझे धोखे में क्यों रखा?’

‘‘इस पर शालिनी ने कहा था, ‘दीपा, मैं इस बारे में कुछ नहीं जानती. तुम सब्र रखो, धीरेधीरे सब ठीक हो जाएगा.’

‘‘अब तक सब्र ही तो करती आई थी. कुछ समय बाद हम लोग न्यू ईयर पार्टी में गए. पार्टी में सब एकदूसरे के साथ डांस कर रहे थे. पारस भी अपने दोस्त की पत्नी के साथ और मैं पारस के दोस्त के साथ डांस कर रही थी.

‘‘न जाने उस ने किस जोश से मुझे पकड़ा हुआ था कि मैं अपने जज्बात संभाल न पाई, बह गई और अपनेआप को उस की बांहों के सहारे छोड़ दिया. बेताब हो गई उस के आगोश में समा जाने को. कस कर पकड़ लिया उसे और उस के सीने से चिपक गई.

‘‘वहां पर मौजूद लोग मुझे इस तरह देख कर तरहतरह की बातें करने लगे, जो पारस के कानों तक पहुंचीं और पारस ने आ कर मुझे इतनी जोर से खींचा कि मैं वह दर्द बरदाश्त न कर सकी.

‘‘इस के बाद पारस मुझे कार में ले गए और गुस्सा करने लगे. उस समय मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी और अचानक गुस्से में मेरा भी हाथ पारस के चेहरे पर जा पहुंचा. वे इस थप्पड़ से तिलमिला गए थे.

‘‘इस तरह हमारा अकसर झगड़ा हो जाता था. जब मैं ज्यादा परेशान हो गई, तो एक दिन मैं ने पुलिस में पारस के खिलाफ शिकायत लिखवाई, लेकिन कुछ नहीं हुआ.

‘‘लेकिन इसी बीच अकसर सास भी पोतेपोते की रट लगाती थीं और जब ससुरजी भी बारबार ऐसी बातें करते तो मुझे बुरा लगता था. घर के रोजरोज के झगड़ों से परेशान प्यासी धरती सी मैं तड़पती रही. मैं जाऊं तो कहां जाऊं…

‘‘मैं ने अपनी मां को बचपन से ही परेशान देखा था. पापा अकसर मां पर हाथ उठाया करते थे, गंदीगंदी गालियां देते थे. उन के कमरे से आवाजें आती थीं, ‘पूरा मजा भी नहीं देती तो क्या तेरी आरती उतारूं. अब मजा लेने क्या मैं किसी और के पास जाऊं… जब तुझे ब्याह कर लाया हूं तो तेरा ही बदन चाटूंगा न, किसी पड़ोसन का तो नहीं…’

‘‘उस पर मां कहती थीं, ‘अब महीना आया हुआ है तो इस में भला मैं क्या कर सकती हूं… आप भी तो 3-4 दिन सब्र नहीं रखते… भला इन दिनों में कौन करता है…’

‘‘ऐसी बातों को सुन कर और खुद के अरमानों को जलता देख मैं सोचती थी कि अगर औरत पूरा मजा न दे तो भी वही कुसूरवार और अगर मर्द औरत को पूरा मजा न दे तो भी औरत ही पिसे. ऐसा क्यों?’’

दीपा सुबकते हुए अपनी सारी कहानी बयान कर रही थी. सभी चुपचाप सिर झुकाए बैठे थे.

जज साहब कमरे की खामोशी तोड़ते हुए बोले, ‘‘दीपाजी, आप का तलाक मंजूर किया जाता है.’’

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