Crime Story: रिश्तों से बड़ी मोहब्बत- भाग 1

सौजन्य: मनोहर कहानियां

विकास और आरती एक ही कुनबे के भाईबहन थे, इस के बावजूद वे रिश्ते को दरकिनार करते हुए शादी करना चाहते थे. लेकिन दोनों के घर वालों ने उन की मांग सिरे से ठुकरा दी तो…

कानपुर शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर पश्चिम में थाना बिल्हौर के तहत एक गांव है

अलौलापुर. ज्ञान सिंह कमल इसी गांव के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी गीता कमल के अलावा 2 बेटे विकास, आकाश तथा 2 बेटियां शोभा व विभा थीं. ज्ञान सिंह कमल किसान थे. उन के पास 10 बीघा उपजाऊ भूमि थी, जिस में अच्छी पैदावार होती थी. कृषि उपज से ही वह परिवार का भरणपोषण करते थे.

ज्ञान सिंह का बेटा विकास अपने भाईबहनों में सब से बड़ा था. इंटरमीडिएट पास करने के बाद उस ने नौकरी पाने के लिए दौड़धूप की. लेकिन जब नौकरी नहीं मिली तो वह पिता के कृषि कार्य में हाथ बंटाने लगा. उस ने ट्रैक्टर चलाना सीख लिया था. ट्रैक्टर से वह अपनी खेती तो करता ही था, दूसरे काम कर वह अतिरिक्त आमदनी भी करता था. विकास किसानी का काम जरूर करता था, लेकिन ठाटबाट से रहता था.

ज्ञान सिंह के घर से चंद कदम दूर सुरेश कमल का घर था. उस के परिवार में पत्नी ममता के अलावा 2 बेटियां आरती, प्रीति तथा एक बेटा नंदू था. सुरेश और ज्ञान सिंह एक ही कुनबे के थे और रिश्ते में भाईभाई थे. सुरेश भी किसान था. उस की आर्थिक स्थिति कमजोर थी. लेकिन दोनों में खूब पटती थी.

दोनों का एकदूसरे के घर आनाजाना लगा रहता था और सुखदुख में एकदूसरे का साथ देते थे. दोनों परिवारोें के बच्चों का बचपन भी साथसाथ खेलते बीता था.

विकास को  बचपन से ही चाचा सुरेश कमल की बेटी आरती से बहुत लगाव था. आरती भी विकास के साथ ज्यादा खेलती थी. दोनों के इस लगाव पर घर वालों ने कभी ध्यान नहीं दिया, क्योंकि बच्चे अकसर इसी तरह खेलते हैं.

बचपन के दिन गुजर जाने के बाद विकास और आरती ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो उन के बीच का लगाव पहले की ही तरह बना रहा. लेकिन उन के नजरिए में बदलाव जरूर आ गया था.

अब उन की चंचलता खामोशी के साथ दूसरा मुकाम अख्तियार कर चुकी थी. उन के दिल में प्यार के बीज अंकुरित हो चुके थे. इसलिए अब जब भी उन्हें मौका मिलता, वे प्यार भरी बातें करते.

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आरती की आंखों के सामने जब भी विकास होता, वह उसी को देखा करती. उस पल उस के चेहरे पर जो खुशी होती थी, कोई भी देख कर भांप सकता था कि दोनों के बीच जरूर कुछ चल रहा है.

विकास को भी उस का इस तरह से देखना भाता था, क्योंकि उस का दिल भी तो आरती के प्यार का मरीज था. दोनों की आंखों में एकदूसरे के लिए प्यार साफ झलकता था. वे इस बात को महसूस भी करते थे. लेकिन दिल की बात एकदूसरे से कह नहीं पा रहे थे.

प्यार का किया इजहार

एक दिन विकास आरती के घर पहुंचा, तो उस समय वह घर में अकेली थी. आरती को देखते ही उस का दिल तेजी से धड़क उठा. उसे लगा कि दिल की बात कहने का उस के लिए यह सब से अच्छा मौका है. आरती उसे कमरे में बिठा कर फटाफट 2 कप चाय बना लाई. चाय की चुस्कियों के बीच दोनों बातें करने लगे. अचानक विकास गंभीर हो कर बोला, ‘‘आरती मुझे तुम से एक बात कहनी है.’’

‘‘कहो, क्या कहना चाहते हो?’’ आरती भी गंभीर हो गई.

‘‘आरती, मैं तुम से प्यार करता हूं. यह प्यार आज का नहीं, बरसों का है, जो आज किसी तरह हिम्मत जुटा कर कह पाया हूं. ये आंखें सिर्फ तुम्हें देखना पसंद करती हैं. मैं तुम्हारे प्यार में इतना दीवाना हो चुका हूं कि अगर तुम ने मेरा प्यार स्वीकार नहीं किया, तो मैं पागल हो जाऊंगा.’’

आखिर विकास ने दिल की बात कह ही दी, जिसे सुन कर आरती का चेहरा शरम से लाल हो गया, पलकें झुक गईं. होंठों ने कुछ कहना चाहा, लेकिन जुबान ने साथ नहीं दिया. आरती की हालत देख कर विकास बोला, ‘‘कुछ तो कहो आरती, क्या मैं तुम से प्यार करने लायक नहीं हूं.’’

‘‘कहना जरूरी है क्या? तुम खुद को दीवाना कहते हो और मेरी आंखों में बसी चाहत को नहीं देख सकते. जो हाल तुम्हारा है, वही मेरा भी है. मैं ने भी तुम्हें बहुत पहले से दिल में बसा लिया है. डरती थी कि कहीं यह मेरा एकतरफा प्यार न हो.’’ आरती ने भी चाहत का इजहार कर दिया.

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आरती की बात सुन कर विकास खुशी से झूम उठा. उसे लगा कि सारी दुनिया की दौलत, आरती के रूप में उस की झोली में आ कर समा गई है.

दोनों के बीच प्यार का इजहार हो गया तो फिर एकांत में भी मिलनेजुलने का सिलसिला शुरू हो गया. दोनों गांव के बाहर सुनसान जगह पर मिलने लगे. वे एकदूसरे पर जम कर प्यार बरसाते और हमेशा एकदूसरे का साथ निभाने की कसमें खाते. जैसेजैसे समय बीतता गया, दोनों की चाहत बढ़ती और प्रगाढ़ होती गई.

अगले भाग में पढ़ें- ममता ने आरती को थप्पड़ मारा

Crime Story: रिश्तों से बड़ी मोहब्बत- भाग 2

सौजन्य: मनोहर कहानियां

घर वालों को उन पर किसी तरह का शक इसलिए नहीं हुआ, क्योंकि दोनों पारिवारिक रिश्ते में भाईबहन थे. इसी रिश्ते की आड़ में वे घर वालों को बेवकूफ बनाते रहे. उन के बीच जो प्यार उपजा था, वह भाईबहन के रिश्ते को भूल गया था. मर्यादाओं में रहते हुए वे जीवन के हसीन ख्वाब देखने लगे थे. लेकिन उन के संबंध ज्यादा दिनों तक छिपे न रह सके. एक दिन आरती की मां ममता ने उस की और विकास की बातें सुन लीं. इस के बाद वह आरती और विकास के ज्यादा मिलने का मतलब समझ गई. शाम को उस ने इस बारे में बेटी से पूछा तो उस ने मुसकराते हुए कह दिया कि उस का विकास से इस तरह का कोई संबंध नहीं है.

ममता ने भी जमाना देखा था. वह समझ गई कि बेटी झूठ बोल रही है. इसलिए उस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो आरती को सच उगलना ही पड़ा. उस ने डरतेडरते कह दिया कि वह विकास से प्यार करती है.

इस के बाद ममता का गुस्सा फट पड़ा. वह आरती की पिटाई करते हुए बोली, ‘‘कुलच्छिनी, तुझे शर्म नहीं आई. जानती है, वह तेरा क्या लगता है? कम से कम अपने रिश्ते का तो लिहाज किया होता.’’

‘‘मम्मी, वह कोई सगा भाई थोड़े ही है और जब प्यार होता है, तो वह रिश्ता नहीं देखता. हम दोनों ही एकदूसरे को चाहते हैं.’’ आरती ने रोते हुए कहा.

‘‘अच्छा, बहुत जुबान चल रही है, अभी खींचती हूं तेरी जुबान,’’ कहते हुए ममता ने उस पर लात और थप्पड़ों की बरसात कर दी. लेकिन आरती यही कहती रही कि चाहे वह उसे कितना भी मार ले, वह विकास को नहीं छोड़ेगी.

आरती की पिटाई करतेकरते जब ममता हांफने लगी तो एक ओर बैठ कर उसे भलाबुरा कहने लगी. साथ ही उस ने धमकी दी, ‘‘आने दे तेरे बाप को, वही तेरी ठीक से खबर लेंगे. बहुत उड़ने लगी है न तू. अब तेरे पर कतरने ही पड़ेंगे.’’

आरती सुबकती रही. शाम को जब सुरेश आया तो ममता ने सारी बात उसे बता दी. सुरेश को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन उस ने समझदारी से काम लिया. उस ने उसे दूसरे कमरे में ले जा कर समझाया, उसे भाईबहन के रिश्ते की गहराई बताते हुए कहा कि उस के इस कदम से गांव में रहना दूभर हो जाएगा. किसी के सामने वह सिर तक नहीं उठा सकेगा.

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पिता के समझाने का हुआ असर

पिता की बातें आरती को अच्छी तो लगीं, लेकिन उस के सामने समस्या यह थी कि वह विकास से उस के साथ जीनेमरने का वादा कर चुकी थी. अब उस के सामने एक ओर पिता की इज्जत थी तो दूसरी ओर वह प्यार था, जिस के लिए वह कुछ भी करने का वादा कर चुकी थी.

अंत में वह इस नतीजे पर पहुंची कि वह घर वालों की इज्जत के लिए अपने प्यार को एक सपने की तरह भुलाने की कोशिश करेगी. इसलिए उस ने पिता से वादा कर लिया कि अब वह विकास से नहीं मिलेगी. यह बात करीब एक साल पहले की है.

आरती की पिटाई वाली बात विकास को पता चल चुकी थी. उस के मन में इस बात का डर था कि कहीं चाचा सुरेश यह शिकायत उस की मां से न कर दें. इसी डर की वजह से उस ने आरती के घर जाना बंद कर दिया. दूसरी ओर आरती उसे भुलाने की कोशिश करने लगी थी. इसलिए उस ने भी विकास की देहरी नहीं लांघी.

लेकिन यह सिलसिला ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सका. चूंकि दोनों लंबे समय से एकदूसरे को प्यार करते आ रहे थे, इसलिए उन की यादें जेहन में घूम रही थीं, जो उन्हें विचलित कर रही थीं. विकास का मन आरती से मिलने को विचलित था. लेकिन समस्या यह थी कि वह उस से कैसे मिले?

आरती का व्यवहार देख कर उस के घर वालों ने यही समझा कि वह विकास को भूल चुकी है. इसलिए उन्होंने उस पर निगरानी बंद कर दी. एक दिन आरती घर में अकेली थी तो विकास उस से मिलने पहुंच गया. अचानक घर में विकास को देख कर आरती बोली, ‘‘तुम यहां क्यों आ गए? कोई आ गया तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी.’’

‘‘मैं तुम से सिर्फ यह पूछने आया हूं कि तुम मुझे इतनी जल्दी भूल कैसे गई?’’ विकास ने पूछा.

‘‘भूली नही हूं, मजबूरी है. मेरी जगह तुम होते तो तुम भी यही करते.’’ आरती ने कहा.

आरती की इस बात से विकास खुश हो गया और उस ने आरती को झट से अपने गले लगा कर कहा, ‘‘तुम चिंता मत करो, मैं मुलाकात का कोई न कोई रास्ता निकाल लूंगा.’’

प्रेमी से मिलने के बाद आरती अपने पिता से किए गए वादे को भूल गई. वह भी विकास से खूब बातें करना चाहती थी. लेकिन उसे इस बात का डर था कि कहीं उस की मां या पिता न आ जाएं. इसलिए उस ने विकास से कहा, ‘‘विकास, इस से पहले कि यहां कोई आ जाए, तुम चले जाओ.’’

विकास वहां से चला गया. प्रेमिका से मिल कर उसे बड़ा सुकून मिला था. 2-3 दिन बाद उस ने एक मोबाइल फोन खरीद कर आरती को दे दिया. इस के बाद आरती चोरीछिपे विकास से बातें करने लगी. इस से उन के मिलने में आसानी हो गई.

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इस तरह उन का प्यार पहले की तरह ही चलने लगा. लेकिन उन का चोरीछिपे मिलनेमिलाने का यह खेल ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका.

एक रात अचानक आरती की मां ममता की आंखें खुलीं तो उस ने आरती को चारपाई से गायब पाया. बेटी की तलाश में वह छत पर पहुंची तो वह वहां उसे कुरसी पर बैठी देख कर चौंकी.

मां की आहट पाते ही आरती ने प्रेमी से चल रही बातचीत बंद कर दी और मोबाइल फोन छिपाने लगी. ममता ने उसे कुछ छिपाते देख तो लिया था, लेकिन उसे यह पता नहीं था कि उस ने क्या छिपाया है. उस ने आरती से इतनी रात को छत पर अकेली बैठने की वजह पूछी, तो वह सकपका गई. तब उस ने पूछा, ‘‘तूने अभी क्या छिपाया है, दिखा?’’

‘‘कुछ नहीं छिपाया है मम्मी.’’ आरती घबरा कर बोली.

ममता ने कोई चीज रखते हुए देखा था. बेटी की बात सुन कर ममता को लगा कि वह झूठ बोल रही है. उस ने आरती के सीने पर हाथ डाला, तो वहां मोबाइल देख कर पूछा, ‘‘यह किस का मोबाइल है और किस से बातें कर रही थी?’’

‘‘किसी से नहीं मम्मी.’’ आरती सकपका कर बोली.

बेटी के झूठ बोलने पर ममता समझ गई कि वह विकास से ही बातें कर रही थी. इस का मतलब वह जरूर हमारी आंखों में धूल झोंक कर उस से लगातार मिल रही है.

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ममता ने रात में हंगामा करना उचित नहीं समझा. सुबह उस ने सारी सच्चाई पति को बता दी. सुरेश कमल समझ गया कि बेटी को कितना भी समझा ले, वह विकास से मिलना नहीं छोड़ेगी. इस से पहले कि समाज में उन की बदनामी हो, उस ने उस के हाथ पीले करने का फैसला कर लिया.

आरती की मां ममता ने भी अपनी जेठानी गीता से उस के बेटे विकास की शिकायत कर दी. ममता की शिकायत पर गीता को बेटे पर बहुत गुस्सा आया. उस ने ममता को भरोसा दिया कि वह विकास को समझाएगी.

अगले भाग में पढ़ें- आरती की शादी की बात सुन कर विकास घबरा गया

Crime Story: रिश्तों से बड़ी मोहब्बत- भाग 3

सौजन्य: मनोहर कहानियां

गीता ने विकास से इस बाबत बात की तो डरने के बजाय उस ने बेबाक कह दिया कि वह आरती से प्यार करता है और शादी भी उसी से करेगा. विकास की दोटूक बात सुन कर गीता को आश्चर्य हुआ. तब गुस्से में उस ने उसे 2-3 थप्पड़ जड़ दिए और बोली, ‘‘तुझे अपनी बहन के साथ शादी करने की बात कहते हुए शर्म नहीं आई?’’

लेकिन विकास अपनी जिद पर अड़ा रहा. मां के गुस्से का उस पर कोई असर न पड़ा.

इधर सुरेश कमल अपनी इज्जत बचाने के लिए बेटी के लिए लड़का खोजने लगा तो आरती घबरा उठी. उस ने एक रोज किसी तरह विकास से मुलाकात की और बताया कि उस के घर वाले जल्द ही उस का रिश्ता तय करने वाले हैं. लेकिन वह किसी और की दुलहन बनने के बजाय मौत को गले लगाना पसंद करेगी. उस ने जो वादा किया है, वह जरूर निभाएगी.

आरती की शादी की बात सुन कर विकास भी घबरा गया. उस ने कहा, ‘‘आरती, तुम्हारी जुदाई मैं बरदाश्त नहीं कर पाऊंगा. फिर तो एक ही रास्ता बचा है.’’

‘‘वह क्या?’’ आरती ने पूछा.

‘‘यही कि हम साथ जीनेमरने का वादा पूरा करे.’’

‘‘शायद, तुम ठीक कहते हो विकास.’’ इस के बाद दोनों ने एक साथ आत्महत्या करने का निश्चय किया.

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प्यार की विदाई

3 जनवरी, 2021 की रात 10 बजे जब घर के लोग सो गए, तब आरती ने विकास को फोन कर के बात की. विकास ने उसे बताया कि वह घर से निकल रहा है. वह गांव के बाहर अनिल के बाग में उस का इंतजार करेगा. जितनी जल्दी हो सके आ जाए.

आरती ने कमरे में सो रहे अपने मांबाप पर एक नजर डाली. फिर चुपके से दरवाजे की कुंडी खोल कर घर के बाहर आ गई और तेज कदमों से अनिल के बाग की ओर चल पड़ी.

कुछ देर बाद वह बगीचे में पहुंची तो आम के पेड़ के नीचे विकास उस का इंतजार कर रहा था. पेड़ के नीचे कुछ देर तक दोनों बातें करते रहे. उस के बाद विकास ने पेड़ की डाल में रस्सी बांध कर 2 फंदे बनाए. फिर एकएक फंदा गले में डाल कर दोनों फांसी के फंदे पर झूल गए.

इधर सुबह ममता की आंखें खुलीं तो आरती को चारपाई पर न पा कर उस का माथा ठनका. उस ने घरबाहर आरती की खोज की लेकिन कुछ पता न चला.

उस ने सोचा कहीं विकास आरती को बहलाफुसला कर भगा तो नहीं ले गया. वह विकास के घर जा पहुंची. विकास भी घर से गायब था. अब दोनों के घर वाले विकास और आरती की खोज करने लगे.

ज्ञान सिंह व सुरेश अपने साथियों के साथ दोनों की तलाश में गांव के बाहर अनिल के बाग में पहुंचे तो उन के मुंह से चीख निकल गई. विकास और आरती पेड़ की डाल से बंधी रस्सी के सहारे फांसी के फंदे पर झूल रहे थे. इस के बाद तो पूरे गांव में सनसनी फैल गई. देखते ही देखते सैकड़ों लोग घटनास्थल पर आ गए. ममता और गीता अपने बच्चों को फांसी के फंदे पर झूलता देख कर फफक कर रो पड़ीं.

इसी बीच गांव के किसी युवक ने थाना बिल्हौर पुलिस को सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी प्रेम नारायण बाजपेई घटनास्थल आ गए. उन की सूचना पर एसपी (पश्चिम) अनिल कुमार तथा सीओ अशोक कुमार सिंह भी आ गए.

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पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा दोनों के घर वालों से पूछताछ की.

मृतक विकास की उम्र 22 वर्ष के आसपास थी तथा मृतका आरती की उम्र 20 साल थी. निरीक्षण के बाद दोनों शवों को फांसी के फंदे से उतार कर पोस्टमार्टम के लिए हैलट अस्पताल भिजवा दिया गया.

थानाप्रभारी प्रेम नारायण बाजपेई को पूछताछ से पता चला कि विकास और आरती प्रेमीप्रेमिका थे. घर वालों को उन का रिश्ता मंजूर न था. अत: दोनों ने आत्महत्या कर ली.

थानाप्रभारी बाजपेई ने आत्महत्या प्रकरण को थाने में दर्ज तो किया, लेकिन दोनों की मौत हो जाने से प्रकरण को बंद कर दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime Story- रवि पुजारी: भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

करीब 20 सालों से फरार रंगदारी, हत्या समेत लगभग 200 मामलों में वांटेड फिल्मी हस्तियों, बिल्डरों, नेताओं और बिजनैसमैनों को धमकी दे कर पैसे की उगाही करने वाला कुख्यात गैंगस्टर रवि पुजारी आखिर पकड़ा ही गया. कर्नाटक पुलिस उसे पश्चिमी अफ्रीकी देश सेनेगल से भारत ले तो आई, पर क्या उस का अंजाम भी छोटा राजन जैसा ही…

अंडरवर्ल्ड डौन रवि पुजारी करीब 2 साल के अथक प्रयास के बाद आखिर पश्चिमी अफ्रीकी देश

सेनेगल की राजधानी डकार से नाटकीय ढंग से एक नाई की दुकान से पुलिस के हाथ लग ही गया. डौन रवि पुजारी 90 के दशक का मुंबई का सक्रिय अपराधी रह चुका था.

उस के खिलाफ ही नहीं, उस की पत्नी के खिलाफ भी इंटरपोल का रेड कार्नर नोटिस जारी था. लेकिन वह लंबे समय से फरार चल रहा था. वह बहुत ही चालाक अपराधी था, इसलिए उसे पकड़ने के लिए काफी सतर्कता बरती गई थी.

रवि पुजारी कई बार पुलिस के हाथों से निकल चुका था. उसे पकड़ने के लिए सेनेगल पुलिस 3 बसों में भर कर पहुंची थी और उसे चारों तरफ से घेर लिया था.

रवि पुजारी की कहानी भी वैसी ही है, जैसी आम बदमाशोें या अंडरवर्ल्ड डौन की होती है. मूलरूप से वह मंगलुरु का रहने वाला था. मंगलुरु में एक जगह है माल्पे, जहां वह 1968 में पैदा हुआ था.

उस के पिता शिपिंग फर्म में काम करते थे. रवि पढ़ाई में काफी कमजोर था. लगातार फेल होने की वजह से उसे स्कूल से निकाल दिया गया. बचपन से ही उसे फिल्मों का बहुत शौक था. स्कूल से निकाले जाने के बाद अपने इसी शौक की वजह से रवि मुंबई आ गया था. मुंबई में रोजीरोटी के लिए यह अंधेरी में एक चाय की दुकान पर काम करने लगा, जहां वह लोगों को चाय सर्व करता था.

रवि पुजारी की मुंबई में यह शुरुआत थी. यह उस समय की बात है, जब मुंबई के पुराने डौन खत्म हो रहे थे और नएनए डौन उभर रहे थे. उन में दाऊद इब्राहीम और छोटा राजन मुख्य थे. रवि पुजारी जिस चाय की दुकान पर काम करता था, उस दुकान पर इलाके के तमाम मवाली और गुंडे चाय पीने आते थे. उन का रौबदाब और शाही रहनसहन देख कर रवि पुजारी उन मवालीगुंडों से काफी प्रभावित था.

फलस्वरूप रवि पुजारी भी जुर्म की दुनिया में अपना नाम कमाने के बारे में सोचने लगा. संबंध बनाने के लिए वह ऐसे लोगों की खूब आवभगत करता था. उन्हें बढि़या से बढि़या चाय बना कर पिलाता था. उन से दोस्ती करने की कोशिश करता था.

उस दुकान पर आनेजाने वाले मवालीगुंडों में रोहित वर्मा और विनोद मटकर नाम के 2 गुंडे भी थे. ये दोनों छोटा राजन के लिए काम करते थे. एक तरह से ये छोटा राजन के शूटर थे. उस समय छोटा राजन दाऊद इब्राहीम के लिए काम करता था. यह 80 के दशक यानी सन 90 के पहले की बात है.

उसी इलाके में एक गैंगस्टर और था, जिस का नाम था बाला जाल्टे. बाला जाल्टे और रोहित वर्मा के बीच किसी बात को ले कर ठनी हुई थी. एक दिन रोहित वर्मा अपने साथियों के साथ वहां पहुंचा और बाला जाल्टे की गोली मार कर हत्या कर दी. कहा जाता है कि बाला जाल्टे की हत्या करने के लिए हथियार रवि पुजारी ने ही ला कर दिया था.

इस के बाद रोहित वर्मा की रवि पुजारी से दोस्ती हो गई. रवि पुजारी शूटर बनना चाहता ही था, इसलिए जल्दी ही वह रोहित वर्मा के करीब आ गया. रोहित वर्मा ने उस से वादा किया कि वह उसे छोटा राजन से मिलवा देगा.

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करीब आने के बाद रोहित वर्मा उस से छोटेमोटे काम कराने के साथसाथ उसे टे्रनिंग दे कर शूटर बनाने लगा, जो वह जल्दी ही बन भी गया. उस का नाम भी छोटा राजन के शूटरों में जुड़ गया और धमकी दे कर उस के पास पैसा आने लगा. उस का निशाना होते थे फिल्म वाले, बिल्डर, नेता, होटल मालिक और बिजनैसमैन. जरूरत होती तो वह बात न मानने पर किसी की हत्या भी करा देता था.

हथियार हाथ में आया तो रवि का ठिकाना मुंबई ही नहीं, कर्नाटक भी बन गया. जान से मारने की धमकी दे कर वह बिल्डरों, बिजनैसमैनों और नेताओं से लाखोंकरोड़ों वसूलता था.

जल्दी ही कर्नाटक में उस के खिलाफ 90 केस दर्ज हो गए. इन में से 37 केस बेंगलुरु में और 36 मेंगलुरु में दर्ज हुए. सरकार तक बात पहुंची तो उसे पकड़ने के लिए स्पैशल टीम बनाई गई. जो कर्नाटक, मुंबई में उसे सब जगह ढूंढ रही थी.

पैसा आया तो रवि पुजारी दुबई चला गया और वहीं से अपने टारगेट को धमकी दे कर वसूली करने लगा. रवि पुजारी से लोग काफी परेशान हो चुके थे. वह देश में भले नहीं था, लेकिन उस की दहशत काफी थी. इसी वजह से उसे ले कर कर्नाटक पुलिस काफी परेशान थी. अंतत: कर्नाटक सरकार ने पुलिस टीम से कहा कि रवि पुजारी नाम की इस आफत का किसी भी तरह पता लगाओे और उसे गिरफ्तार कर के भारत ले आओ.

2 मार्च, 2018 को कर्नाटक के एडीजीपी अमर कुमार पांडेय की अगुवाई में पुलिस की एक टीम बना कर रवि पुजारी को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई. पुलिस को रवि पुजारी की गिरफ्तारी की जिम्मेदारी तो सौंप दी गई, लेकिन उस के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी.

सिर्फ इतना पता था कि 20 साल पहले 1990 में वह मुंबई से दुबई गया था और वहां से वह लोगों को धमका कर पैसे मांगता था. कर्नाटक और मुंबई में उस के कई शूटर थे. पुलिस टीम ने पता लगाना शुरू किया तो जानकारी मिली कि रवि दुबई से युगांडा गया और वहां से केन्या. कुछ समय वह आस्ट्रेलिया में भी रहा. आस्ट्रेलिया छोड़ कर अब वह साउथ अफ्रीका में कहीं रह रहा है. रवि का टैरर गुजरात में भी था. वहां उस के कई साथी भी थे. गुजरात की एसटीएफ को भी उस की तलाश थी.

रवि पुजारी के बारे में पुलिस के पास कोई निश्चित जानकारी नहीं थी. काफी कोशिश के बाद भी उस का पता नहीं चल पा रहा था. इस की एक वजह यह भी थी कि रवि पुजारी थोड़ा अलग किस्म का डौन था. वह टेक्नोलौजी का उपयोग बहुत कम करता था, जिस से किसी को उस का सुराग नहीं मिल पा रहा था.

इस के बावजूद उस का वसूली का धंधा धड़ल्ले से चल रहा था. वह मुंबई में ही नहीं, कर्नाटक, केरल, उत्तर प्रदेश और गुजरात तक लोगों को धमकी दे कर वसूली कर रहा था.

रवि पुजारी को गिरफ्तार करने के लिए एडीजीपी अमर कुमार पांडेय की अगुवाई में टीम बन गई थी. उसे गिरफ्तार करने के लिए टीम ने अपने मुखबिर लगा दिए. क्योंकि उस के आदमी तो भारत में थे ही, जिन के माध्यम से वह वसूली कर रहा था.

उन्हीं मुखबिरों से पुलिस टीम को पता चला कि मंगलुरु में एक ऐसा आदमी है, जिसे रवि पुजारी के बारे में हर छोटी से छोटी जानकारी है. दबिश दे कर पुलिस ने उस आदमी को उठा लिया.

दबाव में आ कर वह आदमी वादामाफ गवाह बन कर रवि पुजारी की हर छोटी से छोटी जानकारी देने लगा. लेकिन उस आदमी द्वारा दी गई जानकारी से भी पुलिस को कोई खास सफलता नहीं मिली.

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उसी दौरान पुलिस को कर्नाटक के एक और डौन बन्नाजी राजा के बारे में पता चला. वह मोरक्को में रह रहा था. सन 2015 में उसे मोरक्को से पकड़ कर भारत लाया गया.

पुलिस को लगा था कि बन्नाजी राजा और मंगलुरु से पकड़े गए आदमी से रवि पुजारी के बारे में कुछ इस तरह की जानकारी मिल जाएगी कि उस तक पहुंचा जा सके. पर दोनों से ही इस तरह की कोई जानकारी नहीं मिली.

फिर भी पुलिस दोनों से लगातार बातचीत करती रही. इस बातचीत में रवि पुजारी के साथी ने पुलिस टीम को बताया कि वह रेस्टोरेंट की चेन खोलना चाहता था. चूंकि वह इंडिया में मोस्टवाटेंड था, इसलिए उस ने अपना नाम भी बदल लिया था. उसे एक नाम बहुत पसंद था और वह था एंथोनी फर्नांडीज.

रवि का परिवार भी नहीं लगा हाथ

पुलिस को रवि पुजारी का नाम तो पता चल गया था, पर इतनी बड़ी दुनिया में किसी को सिर्फ नाम के सहारे तो नहीं ढूंढा जा सकता था. फिर भी पुलिस उस के पीछे लगी रही. रवि पुजारी की पत्नी पद्मा दिल्ली में अपनी सास, 2 बेटियों और बेटे के साथ रह रही थी.

सन 2005 में वह फरजी पासपोर्ट बनवाने के आरोप में गिरफ्तार हुई थी. लेकिन जमानत होते ही अपनी बेटियों और बेटे के साथ अचानक फरजी पासपोर्ट के सहारे गायब हो गई थी. पुलिस ने जब उस के बारे में पता लगाया तो पता चला कि वह भाग कर अपने पति रवि पुजारी के पास पहुंच गई है.

इस के बाद पुलिस रवि की खोज में और जोरशोर से लग गई. आखिर पुलिस की कोशिश रंग लाई और इस बार एक अहम जानकारी यह मिली कि रवि को अफ्रीका के एक पश्चिमी अफ्रीकी देश सेनेगल की राजधानी डकार में देखा गया है.

पुलिस ने अपने मुखबिरों से उस के बारे में पता किया, पर कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली. इसी बीच पुलिस को अपने सूत्रों से पता चला कि रवि पुजारी पश्चिमी अफ्रीकी देश बुर्कीना फासो में देखा गया है. लेकिन वह वहां से निकल गया.

उसी दौरान पुलिस को कुछ फोटो मिले, जिन्हें रवि पुजारी के 20 साल पुराने फोटो से मिलाया गया. वे फोटो पूरी तरह तो नहीं मिल रहे थे, फिर भी ऐसा लग रहा था कि फोटो उसी के हैं.

इस के बाद कर्नाटक पुलिस ने अपने मुखबिरों को सतर्क कर दिया. स्थानीय पुलिस की भी मदद ली गई. तब पुलिस को पता चला कि बुर्कीना फासो में एंथोनी फर्नांडीज नाम का एक आदमी रह रहा है. वहां पर एक रेस्टोरेंट की चेन चल रही है, जिस का नाम है नमस्ते इंडिया.

अगले भाग  में पढ़ें- बहुत चालाक निकला रवि पुजारी

Crime Story- रवि पुजारी: भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

रवि पुजारी भी इंडिया का था और रेस्टोरेंट की चेन का भी नाम नमस्ते इंडिया था. उस के इंडिया वाले साथी ने पुलिस को बताया भी था कि वह रेस्टोरेंट की चेन खोलना चाहता था. इस से लगा कि हो न हो ये नमस्ते इंडिया नाम के जो रेस्टोरेंट हैं, वे रवि पुजारी के ही हों. इस का मतलब था कि इन का मालिक एंथोनी फर्नांडीज ही रवि पुजारी है.

मुखबिरों और स्थानीय पुलिस से कर्नाटक पुलिस को पता चला कि नमस्ते इंडिया रेस्टोरेंट की चेन का मालिक एंथोनी फर्नांडीज बुर्कीना फासो के कंबोडिया इंटरनैशनल स्कूल के पास रहता है. इस के बाद पुलिस ने उस घर के जरिए काफी जानकारियां जुटाईं.

पुलिस अब उस घर की निगरानी करने लगी थी कि शायद रवि पुजारी के बारे में और कोई पुख्ता जानकारी मिल जाए.

उसी दौरान अक्तूबर, 2018 में पुलिस को पता चला कि सेनेगल में नमस्ते इंडिया रेस्टोरेंट की जो चेन चल रही है, उस का मालिक डांडिया नाइट करा रहा है. उस डांडिया नाइट में वही सब होगा, जो इंडिया में डांडिया नाइट में होता है. इस के बाद पुलिस ने मुखबिर के जरिए उस डांडिया नाइट की वीडियो और तस्वीरें हासिल कीं. उस वीडियो में पुलिस ने देखा कि एंथोनी फर्नांडीज वहां के लड़कों से हाथ मिला रहा है और डांस कर रहा है. पुलिस ने उन तसवीरों को गौर से देखा तो 20 साल पहले के रवि पुजारी से एंथोनी फर्नांडीज की शक्ल काफी मिलतीजुलती लगी.

लेकिन पुलिस के लिए इतना काफी नहीं था. पुलिस और सबूत जुटाती, उस के पहले ही एंथोनी फर्नांडीज बुर्कीना फासो से गायब हो गया. लेकिन वहां स्थित पुलिस के मुखबिर उस के बारे में पता करने में लगे थे. पुलिस को उन मुखबिरों से पता चला कि डकार में भी नमस्ते इंडिया रेस्टोरेंट की चेन है.

पुलिस मुखबिरों की मदद से डकार में नमस्ते इंडिया नाम के रेस्टोरेंट्स पर नजर रखने लगी.

पुलिस इस चक्कर में थी कि शायद यहां से भी उस की कुछ तसवीरें मिल जाएं. तभी पता चला कि डकार में नमस्ते इंडिया रेस्टोरेंट की ओर से वहां एक क्रिकेट मैच कराया जा रहा है, जिस का नाम है इंडियन क्रिकेट क्लब सेनेगल.

इस क्रिकेट मैच के आर्गनाइजरों में जो नाम थे, उन में एक नाम एंथोनी फर्नांडीज का भी था. इनविटेशन कार्ड में जो फोन नंबर थे, उन में एक नंबर बुर्कीना फासो स्थित एंथोनी फर्नांडीज के घर का था, इस से पुलिस को लगा कि यह वही आदमी है.

जहां मैच हो रहा था, पुलिस ने मुखबिर के जरिए उस पर नजर रखी. जिस समय क्रिकेट खेला जा रहा था, उसे इंडियन जर्सी में मैच देखते पाया गया. मुखबिर द्वारा पुलिस को उस की फोटो भी मिल गई. इस बार टेक्नोलौजी के जरिए रवि पुजारी की 20 साल पहले की फोटो से मिलाई गई तो साफ हो गया कि एंथोनी फर्नांडीज ही रवि पुजारी है.

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बहुत चालाक निकला रवि पुजारी

नाम, रेस्टोरेंट की चेन और फोटो से यह बात जाहिर हो गई कि एंथोनी फर्नांडीज ही रवि पुजारी है तो कर्नाटक पुलिस ने कर्नाटक सरकार की मदद से सेनेगल सरकार से संपर्क किया. कहा जाता है कि सेनेगल के राष्ट्रपति मैकी शाल अपराध और अपराधी से बहुत नफरत करते हैं.

उन्होंने कई देशों के गैंगस्टरों को पकड़वा कर उन के देश भेजा भी था. इस से उम्मीद जागी कि वह रवि पुजारी को भी गिरफ्तार कराने में जरूर मदद करेंगे.

भारत सरकार ने इंटरपोल के जरिए इस बात के सारे दस्तावेज सेनेगल की सरकार को सौंपे कि भारत को रवि पुजारी की 100 से ज्यादा मामलों में तलाश है तो वहां के राष्ट्रपति ने मदद करने का वादा ही नहीं किया, बल्कि अपनी पुलिस और इंटेलिजेंस को

नमस्ते इंडिया रेस्टोरेंट पर नजर रखने के लिए लगा दिया.

महीनों की कोशिश के बाद जब निश्चित हो गया कि एंथोनी फर्नांडीज नाम का आदमी ही रवि पुजारी है तो रविवार के दिन जब वह सैलून गया तो सेनेगल की पुलिस ने उसे दबोच लिया.

इस के बाद कर्नाटक पुलिस को सूचना दी गई. पुलिस को पूरा विश्वास था कि अब रवि पुजारी को उन्हें सौंप दिया जाएगा. लेकिन रवि पुजारी कर्नाटक पुलिस से भी ज्यादा होशियार निकला.

उस ने पुलिस वालों, कुछ माफियाओं और अपने लोगों के जरिए बुर्कीना फासो में अपने खिलाफ धोखाधड़ी का एक पुराना मामला दर्ज करा दिया. सेनेगल का यह कानून है कि किसी भी आदमी के खिलाफ अगर वहां कोई मामला दर्ज है, तो जब तक उस का निपटारा नहीं हो जाता, उसे किसी भी देश को नहीं सौंपा जा सकता.

रवि पुजारी के मामले में भी यही हुआ. उस के खिलाफ मामला दर्ज होते ही वहां की सरकार ने फैसला आने तक उसे सौंपने से मना कर दिया. इस तरह रवि पुजारी पुलिस के हाथ आतेआते रह गया.

धोखाधड़ी का मामला बहुत गंभीर नहीं था, इसलिए पुलिस को लगा कि यह जल्दी ही निपट जाएगा. परंतु मामला गंभीर न होने की वजह से रवि पुजारी को जमानत मिल गई. जमानत इस शर्त पर मिली थी कि वह सेनेगल छोड़ कर कहीं नहीं जाएगा. जबकि रवि पुजारी को इसी का इंतजार था.

वह जनवरी, 2019 में पकड़ा गया था, फरवरी में जमानत मिली. जमानत इस शर्त पर मिली थी कि वह सेनेगल से बाहर नहीं जाएगा, परंतु जमानत मिलते ही वह गायब हो गया. इस के बाद एक बार फिर उस की तलाश शुरू हुई.

8-9 महीने बाद फिर उस का पता चला. इस बार वह साउथ अफ्रीका में मिला. वहां से भारत लाने में काफी दिक्कतें पेश आतीं, इसलिए भारत के अनुरोध पर साउथ अफ्रीका से गिरफ्तार कर के उसे सेनेगल ले जाया गया.

सेनेगल में धोखाधड़ी का एक मुकदमा उस पर पहले से ही था, दूसरा जमानत तोड़ने का हो गया था. लेकिन दोनों ही मामले ज्यादा गंभीर नहीं थे, इसलिए दोनों मामलों में उसे जल्दी ही सजा सुना दी गई. जिसे पूरा करतेकरते सन 2019 बीत गया.

फरवरी, 2020 में सजा पूरी होते ही सेनेगल सरकार ने उसे भारत की कर्नाटक पुलिस के हवाले कर दिया. उस के बाद कर्नाटक पुलिस उसे 22 फरवरी, 2020 को भारत ले आई.

कैसे बना छोटा राजन का खास

1993 में जब मुंबई में बम धमाके हुए तो दाऊद इब्राहीम और छोटा राजन के बीच दुश्मनी हो गई. दोनोें ने अपनेअपने अलग गैंग बना लिए. दाऊद से अलग होने के बाद छोटा राजन बैंकाक चला गया और वहीं से अपना गैंग चलाने लगा.

रवि पुजारी भी बैंकाक में छोटा राजन से मिलने गया. पहली बार बैंकाक में उस की मुलाकात छोटा राजन से हुई. इस के बाद छोटा राजन से उस की बातचीत होने लगी. जबकि अभी तक वह छोटा राजन के लिए रोहित वर्मा के माध्यम से काम करता था. अब वह उस के लिए सीधे काम करने लगा था.

रवि पुजारी अब छोटा राजन के कहने पर मुंबई में बिल्डरों, नंबर दो का बिजनैस करने वालों और फिल्मी दुनिया से जुड़े लोगों से उगाही करने लगा. इस के बाद रवि पुजारी की छोटा राजन से अच्छी दोस्ती हो गई. वह उसे काफी इज्जत देने लगा. लेकिन अभी भी वह रोहित वर्मा को ज्यादा महत्त्व देता था.

रवि पुजारी के साथ ही एक और शूटर था गुरु साटम. दोनों में अच्छी बनती थी. इन्हें एक बात खटकती थी कि मोटी रकम वसूल कर के तो वे दोनों छोटा राजन को देते हैं, जबकि छोटा राजन उन दोनों के बजाय रोहित वर्मा पर ज्यादा विश्वास ही नहीं करता, बल्कि ज्यादा महत्त्व भी देता है.

इसी बात को ले कर दोनों के मन में छोटा राजन के प्रति खटास पैदा होने लगी. वे दोनों उस से अलग हो कर अपना गैंग बनाना चाहते थे. तभी दाऊद के खास छोटा शकील ने बैंकाक में छोटा राजन पर हमला करा दिया, जिस में वह बालबाल बच गया, लेकिन रोहित वर्मा उस हमले में मारा गया.

इस के बाद हालात काफी बदल गए. छोटा राजन को अपनी जान बचाने के लिए ठिकाना ढूंढना पड़ा, तो रवि पुजारी ने अपना खुद का गैंग बना लिया. गुरु साटम उस के साथ था ही. बैंकाक में ही रह कर उस ने उगाही का काम शुरू भी कर दिया. उस का एक ही लक्ष्य था बहुत बड़ा डौन बनना और खूब पैसा कमाना.

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उस समय मुंबई में अंडरवर्ल्ड के 2 ही बड़े गैंग थे. एक दाऊद इब्राहीम का और दूसरा छोटा राजन का. छोटा राजन पर हमले के बाद उस का गैंग थोड़ा कमजोर पड़ गया था. इसी का फायदा उठा कर रवि पुजारी ने अपना गैंग बनाया और लोगों को धमका कर वसूली शुरू कर दी.

इस के लिए उस ने उगाही का अपना अलग ही रास्ता अपनाया. वह उन लोगों की लिस्ट पहले ही बना लेता था, जिन से वसूली करनी होती थी, साथ ही यह भी तय कर लेता था कि किस से किस तरह और कितना पैसा लेना है.

उस ने अपनी उस लिस्ट में कुछ नेताओं, बिल्डरों, फिल्मी दुनिया से जुड़े लोगों, होटल मालिकों के अलावा 2 नंबर का काम करने वाले इस तरह के लोगों को शामिल किया, जिन से उगाही की जा सकती थी.

अपनी इस लिस्ट में उस ने नेताओं और फिल्मी हस्तियों का नाम इसलिए शामिल किया, क्योंकि उन से पैसे भले न मिलें, पर पब्लिसिटी जरूर मिले. वह किसी को भी फोन कर के पैसे देने के लिए कह कर वादा करता था कि अगर वे उसे पैसे देंगे तो वह सुरक्षित तो रहेंगे ही, साथ ही वह उन्हें दूसरे अंडरवर्ल्ड के लोगों से भी बचाएगा.

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Crime Story- रवि पुजारी: भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

जान सब को प्यारी होती है, लोग डर के मारे रवि पुजारी को पैसे देने लगे. जिस ने उसे पैसे नहीं दिए, उन पर उस ने हमला भी करवाया. अपनी दहशत फैलाने के लिए उस ने 1990 में चेंबूर में कुकरेजा बिल्डर के मालिक ओमप्रकाश कुकरेजा की हत्या करवा दी थी.

इस के बाद उस ने नवी मुंबई के बिल्डर सुरेंद्र बाधवा पर भी हमला कर के उन की हत्या करानी चाही, पर उन्होंने भाग कर किसी तरह अपनी जान बचा ली थी.

रवि पुजारी ने भारत में रहना ठीक नहीं समझा. क्योंकि वह जानता था कि भारत में रहने पर वह कभी भी पकड़ा जा सकता था. इसलिए वह पहले आस्टे्रलिया गया और फिर वहां से अफ्रीकी देश सेनेगल पहुंच गया और वहीं पर अपना स्थाई ठिकाना बना लिया.

क्योंकि अभी तक वहां भारत के किसी अन्य डौन की पहुंच नहीं थी. वह वहां से मुंबई पुलिस को फोन कर के कहता था कि पुलिस के वे लोग भी उस के निशाने पर हैं, जो दाऊद की मदद करते हैं.

धीरेधीरे उस ने अपना वसूली का काम बढ़ा दिया. इसी के साथ उस ने रेस्टोरेंट की चेन नमस्ते इंडिया नाम से सेनेगल के शहरों में रेस्टोरेंट खोलने शुरू कर दिए. उसी बीच उस ने अपना नाम ही नहीं बदला, बल्कि एंथोनी फर्नांडीज नाम से अपना पासपोर्ट भी बनवा लिया. अब वह बुर्कीना फासो का निवासी बन गया.

रवि पुजारी लोगों को इंटरनेट के जरिए फोन करता था, जिस की वजह से पता नहीं चल पाता था कि फोन कहां से किया गया है. वह फोन कर के लोगों से पैसे मांगता और कहता कि अगर पैसे नहीं दिए तो जान से जाओगे. वह उन्हें ज्यादा से ज्यादा तीन दिनों का समय देता था.

रवि पुजारी ने कुछ ऐसे लोगों को भी फोन कर के धमकियां दीं, जिन से उसे कुछ मिला तो नहीं, पर उस की पब्लिसिटी जरूर हुई. ऐसे लोगों में गुजरात के विधायक जिग्नेश मेमानी और केरल के विधायक पी. जार्ज भी शामिल थे. पुलिस का कहना है कि वह ऐसा जानबूझ कर करता था.

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पब्लिसिटी का भूखा था रवि

उस ने उत्तर प्रदेश के एक ब्लौक प्रमुख अरुण सिंह को भी फोन कर के 5 करोड़ रुपए मांगे थे. उस ने कहा था कि अगर उन्होंने उसे पैसे नहीं दिए तो वह उन्हें ठोक देगा. अरुण सिंह अपनी सुरक्षा के लिए एसएसपी के पास पहुंच गए. यहां स्पष्ट कर दें कि नाम के आगे पुजारी लगा होने से लोग उसे उत्तर प्रदेश का रहने वाला समझते थे.

रवि पुजारी को अरुण सिंह से मिला तो कुछ नहीं, पर यह धमकी खबर बन गई. उत्तर प्रदेश के अखबारों में भी उस के बारे में खूब छपा. इस के बाद उत्तर प्रदेश के लोग भी उस के बारे में जान गए.

दरअसल उसे मीडिया में अपनी पब्लिसिटी का बहुत शौक था. इसीलिए वह इस तरह के नेताओं, बड़ीबड़ी फिल्मी हस्तियों को फोन कर के धमकाता था.

वह जानता था कि इस तरह के लोगों को फोन करने से उस की बात मीडिया वालों तक पहुंचेगी और मीडिया वाले उस की खबर छापेंगे या टीवी पर दिखाएंगे तो आम लोगों में उस की दहशत फैलेगी और उसे उगाही करने में आसानी रहेगी.

उस ने फिल्मी हस्तियों सलमान खान, शाहरुख खान, अक्षय कुमार, महेश भट्ट, प्रीति जिंटा, नेस वाडिया, करन जौहर, फरहान अख्तर आदि को फोन कर के मोटी रकम मांगी थी. करिश्मा कपूर के पूर्व पति को भी उस ने पैसों के लिए ईमेल भेजा था. उन से उस ने 50 करोड़ रुपए मांगे थे. उस ने महेश भट्ट को धमकी देने के बाद अपने लड़कों को भेज कर उन के घर के बाहर गोलियां भी चलवाई थीं.

प्रीति जिंटा और नेस वाडिया को फोन करने के बाद उस ने प्रैस वालों को फोन कर के सफाई दी थी कि वह प्रीति जिंटा की बड़ी इज्जत करता है, वह बड़ी एक्ट्रैस हैं. उन का तो वह फैन है. उन के साथ भला वह ऐसा कैसे कर सकता है. वह गलत कह रही हैं. इसी तरह नेस वाडिया के बारे में भी उस ने कहा था कि उसे किसी वाडिया का नंबर चाहिए था, इसलिए फोन किया था.

अलग तरह का डौन

रवि पुजारी के बारे में यह भी कहा जाता है कि रंगदारी वसूली की जो प्रोफेशनल रूपरेखा है, वह इसी की देन है. ऐसे तमाम लोग हैं, जिन्होंने उसे मोटी रकम दी है. क्योंकि उसने जिस तरह सेनेगल में रेस्टोरेंट बनवाए हैं, उस से साफ लगता है कि वह इसी तरह की गई उगाही के पैसों से बने हैं.

कहा जाता है कि उस ने गुजरात के एक बिल्डर से करोड़ों रुपए वसूले थे. लेकिन इस तरह पैसे देने वाले जल्दी सामने नहीं आते. इसलिए इस मामले में कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई गई थी.

रवि पुजारी के बारे में एक बात यह भी कही जाती है कि अगर कोई दूसरा अंडरवर्ल्ड डौन भी इस तरह पैसों के लिए धमकी देता था तो अपनी पब्लिसिटी के लिए रवि मीडिया वालों को फोन कर के कहता था कि वह धमकी उसी ने दी थी. मुंबई के जानेमाने दीपा बार के मालिक को भी उस ने पैसों के लिए धमकी दी थी. यही नहीं, उस ने दीपा बार के बाहर अपने गुर्गों को भेज कर गोली भी चलवाई थी.

मुंबई के एक जानेमाने वकील हैं माजिद मेमन. सन 2004-5 में उन्हें भी उस ने धमका कर पैसे ही नहीं मांगे, बल्कि उन की हत्या कराने की कोशिश भी की थी. उस का कहना था कि मेमन के संबंध अंडरवर्ल्ड डौन दाऊद इब्राहीम से हैं, इसलिए वह उन्हें जिंदा नहीं छोड़ेगा. वह खुद को हिंदू डौन कहता था. इसीलिए दाऊद इब्राहीम और छोटा शकील भी उस के निशाने पर थे.

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13 फरवरी, 2016 को उस ने कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सैय्यद अली शाह गिलानी को भी खत्म करने की धमकी दी थी. रवि पुजारी का कहना था कि वह उन सभी लोगों को खत्म कर देना चाहता है, जिन का दाऊद या छोटा शकील से किसी भी तरह का संबंध है. दाऊद इब्राहीम भारत विरोधी है और उस का संबंध आईएसआई से है.

मुबई, कर्नाटक ही नहीं, पूरे देश में दहशत फैलाने वाले रवि पुजारी को आखिर सेनेगल से गिरफ्तार कर लिया गया और 22 फरवरी, 2020 को भारत लाया गया, जहां उसे अदालत में पेश किया गया. उसे रिमांड पर ले कर उस से विस्तारपूर्वक पूछताछ की गई. फिलहाल वह बेंगलुरु की जेल में बंद है. अलगअलग राज्यों की पुलिस उस से पूछताछ करने का प्रयास कर रही है.

Crime Story: प्यार का कांटा- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

कन्नौज जिले का एक बड़ा कस्बा है सौरिख. इसी कस्बे के नगरिया तालपार में शिक्षक इंद्रपाल रहते
थे. उन के पिता श्रीकृष्ण मुर्रा गांव के निवासी थे. वहां उन का पुश्तैनी मकान तथा खेती की जमीन है. उन के बेटे इंद्रपाल ने सौरिख कस्बे में दोमंजिला मकान बनवा लिया था. इंद्रपाल की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. वह शिक्षक संघ का अध्यक्ष भी था.

वर्ष 2001 में इंद्रपाल का विवाह फर्रुखाबाद (गदराना) निवासी सरयू प्रसाद की बेटी सुधा के साथ हुआ था. सुधा साधारण रंगरूप वाली युवती थी. लगभग 2 साल तक दोनों का दांपत्य जीवन हंसीखुशी से बीता, उस के बाद कड़वाहट घुलने लगी. कड़वाहट का पहला कारण था, इंद्रपाल का शराब पी कर घर आना तथा दूसरा कारण था झगड़ा और मारपीट करना. सुधा शराब पीने को मना करती तो वह उसे ही दोषी ठहराता और उस के चरित्र पर अंगुली उठाता, सुधा तब परेशान हो कर मायके चली जाती.

सुधा जब पहले मायके आती थी तो उल्लास से भरे उस के पैर एक स्थान पर नहीं टिकते थे. लेकिन अब जब भी आती थी तो वह गुमसुम और उदास रहती थी. उस की मां तारावती ने कई बार उस से पूछा भी कि बेटी, क्या ससुराल में तुम्हें किसी तरह का दुख या परेशानी है?

‘‘नहीं मां सब ठीक है. ऐसा कुछ भी गलत नहीं है कि उसे सही करने के लिए तुम्हें दखल देने की जरूरत हो.’’ कह कर सुधा हर बार टाल देती.

तारावती के सीने में मां का दिल था. वह खूब समझ रही थी कि सुधा असल बात बता नहीं रही, कुछ छिपाए हुए है. इस बारे में उस ने पति से राय ली तो सरयू प्रसाद ने कहा कि उन लोगों का कोई घरेलू और आपसी मामला होगा. उन्हें ही सुलझाने दो. हमें दखल देने की जरूरत नहीं है. हम दखल देंगे, तो बात बनने के बजाय बिगड़ने का अंदेशा है.

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लेकिन तारावती का मन बेटी की उदासी को स्वाभाविक मतभेद मानने को तैयार नहीं था. उसे लग रहा था कि कोई तो बात है, जो सुधा को घुन की तरह खाए जा रही है. उस ने तय कर लिया कि अब की बार सुधा आई, तो वह उस से जान कर रहेगी कि उस की उदासी का कारण क्या है?

कुछ दिनों बाद सुधा मायके आई तो उस के चेहरे पर पहले की तरह उदासी की परछाइयां कायम थीं. उचित समय पर तारावती ने सुधा को पास बिठा कर स्नेह से उस के सिर पर हाथ फेरा, ‘‘बेटी मां से बड़ी शुभचिंतक और हितैषी कोई दूसरी नहीं होती. न ही मां से बेहतर कोई सहेली होती है.’’

सुधा ने सिर उठा कर मां को सूनीसूनी आंखों से देखा, लेकिन कुछ बोली नहीं. तारावती ने अपनी रौ में बोलना जारी रखा, ‘‘सुधा, मैं तुम्हें दुखी और उदास नहीं देख सकती. मां न सही सहेली ही समझ कर आज तुम अपना दुख कह दो.’’

संभवत: उस दिन सुधा का अंतस कुछ अधिक भरा हुआ था. ममता की आंच से वह पिघल गई. उस की आंखों से आंसुओं की धारा बह निकली. कुछ देर बाद सुधा के आंसू थमे तो वह बोली, ‘‘मां मेरा दुख यह है कि कुछ महीनों से इंद्रपाल पहले जैसे नहीं रहे, वह बहुत बदल गए हैं.’’

सुधा ने रुंधे कंठ से बताया, ‘‘न वह सीधे मुंह बात करते है. न प्यार से पेश आते हैं. शराब पी कर झगड़ा भी करते हैं. मैं थाली परोसती हूं तो, वह उस पर नजर तक नहीं डालते. मेरे साथ सोते जरूर हैं, पर पीठ कर के.’’

सुधा की बात सुन कर तारावती की आंखें हैरत से फैल गईं. वह जान गई कि बेटी का जीवन अंधकारमय है. तारावती ने इस बाबत इंद्रपाल से बात की तो वह झगड़े पर उतारू हो गया. उस ने साफ कह दिया कि वह सुधा को पसंद नहीं करता. वह उस से तलाक चाहता है. दामाद की बात सुन कर तारावती सन्न रह गई. उस ने दोनों के बीच तनाव खत्म करने के लिए अनेक उपाय किए. रिश्तेदारों के बीच समझौते का प्रयास किया. लेकिन जब बात नहीं बनी तो मामला कोर्टकचहरी तक जा पहुंचा. आखिर में दोनों की रजामंदी से इंद्रपाल और सुधा का तलाक हो गया. फिर सुधा मायके में रहने लगी.

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सुधा से तलाक होने के बाद इंद्रपाल दूसरी शादी के लिए प्रयास करने लगा. परिवार के लोग भी चाहते थे कि इंद्रपाल का दूसरा विवाह हो जाए, तो वह भी प्रयास करने लगे. घर वालों को कई रिश्ते पसंद भी आए, लेकिन इंद्रपाल ने रिश्ता नकार दिया. परिवार के लोग भी समझ गए कि इंद्रपाल अपनी मनपसंद युवती से ही शादी करेगा.

इंद्रपाल फर्रूखाबाद शहर के आरबीआरडी इंटर कालेज में पढ़ाता था. वह प्राइवेट शिक्षक था. इसी कालेज में सीमा पाल नाम की लड़की पढ़ती थी. इंटरमीडिएट में पढ़ाई के दौरान सीमा और इंद्रपाल एकदूसरे की ओर आकर्षित हुए. कुछ दिनों बाद दोनों की मुलाकातें कालेज के बाहर भी होने लगीं.

सीमा पाल के पिता अवध पाल, हुसैनपुर के रहने वाले थे. परिवार में पत्नी के अलावा बेटा मनोज तथा बेटी सीमा थी. अवध पाल किसान थे. सीमा उन की होनहार बेटी थी. पढ़ने में भी तेज थी, सो वह उसे पढ़ालिखा कर अपने पैरों पर खड़ा करना चाहते थे.

सीमा, छरहरी काया और तीखे नाकनक्श वाली लड़की थी. उस की मुसकान सामने वाले पर गहरा असर करती थी. सीमा की खूबसूरती और मुसकान इंद्रपाल के दिल पर भी असर कर गई थी. एक दिन इंद्रपाल ने उस से अपने मन की बात भी कह दी, ‘‘सीमा हंसते हुए तुम बहुत अच्छी लगती हो. इसी तरह हंसती रहा करो. यदि तुम मेरा प्यार कबूल कर लोगी तो मैं खुद को दुनिया का सब से खुशनसीब आदमी समझूंगा.’’

सीमा उम्र के जिस पायदान पर थी, उस में लड़कियों को ऐसी बातें गुदगुदा देती हैं. सीमा का भी दिलोदिमाग सुखद सनसनी से भर गया. उस ने इंद्रपाल की आंखों में देखा. उन आंखों में प्यार का सागर ठाठे मार रहा था. उस की आंखों में देखते हुए कुछ देर तक वह सोच में डूबी रही, उस के बाद बोली, ‘‘अगर मैं तुम्हारा प्यार कबूल कर लूं तो तुम्हारा अगला कदम क्या होगा?’’

‘‘शादी.’’ इंद्रपाल ने तपाक से जवाब दिया.

‘‘लेकिन मेरे घर वाले राजी नहीं हुए तो..?’’ सीमा ने पूछा.
‘‘…तो हम दोनों प्रेम विवाह कर लेंगे.’’

सीमा मुसकराई और फिर नजरें झुका कर स्वीकृति में सिर हिला दिया.

इंद्रपाल का दिल बल्लियां उछल पड़ा. उस ने तो एक मुट्ठी आसमान की तमन्ना की थी, लेकिन यहां तो पूरा का पूरा आसमान उस का हो गया था.

कुछ दिनों बाद इंद्रपाल के कहने पर सीमा ने घर वालों को अपने प्रेम से अवगत कराया और विवाह की इच्छा प्रकट की तो उन्होंने सीमा को समझाया, ‘‘बेटी, इंद्रपाल पहली पत्नी को धोखा दे चुका है. तुम्हें भी धोखा दे सकता है. बेहतर यही होगा कि उस का खयाल अपने मन से निकाल दो.’’

सीमा ने मुलाकात कर ये सारी बातें इंद्रपाल को बताईं, तो उस ने पूछा, ‘‘तुम क्या चाहती हो? तुम्हारे जवाब पर ही सब कुछ निर्भर है.’’

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‘‘मैं तुम्हें पाना चाहती हूं.’’ सीमा ने जवाब दिया.

इस के बाद वर्ष 2007 में सीमा पाल ने अपने घर वालों की मरजी के बिना इंद्रपाल के साथ प्रेम विवाह कर लिया और उस की दुलहन बन कर इंद्रपाल के साथ रहने लगी. इंद्रपाल के घर वालों ने भी सीमा को बहू के रूप में स्वीकार कर लिया.

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Crime Story: प्यार का कांटा- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

चूंकि सीमा और इंद्रपाल ने प्रेम विवाह किया था. अत: दोनों खुश थे. वैसे भी संपन्न घर और शिक्षक पति पा कर सीमा फूली नहीं समा रही थी. सौरिख कस्बे के नगरिया तालपार स्थित 2 मंजिला मकान की ऊपरी मंजिल पर वह पति इंद्रपाल के साथ रहती थी, भूतल और प्रथम तल पर किराएदार रहते थे. हंसीखुशी से 3 साल कब बीत गए, दोनों को पता ही न चला. इन 3 सालों में सीमा ने एक बेटी रक्षा को जन्म दिया. रक्षा के जन्म के 3 साल बाद सीमा ने एक और बेटी दीक्षा को जन्म दिया. दोनों बेटियों को सीमा और इंद्रपाल बेहद प्यार करते थे.

सीमा पाल की इच्छा टीचर बनने की थी. अत: उस ने इंद्रपाल से प्रेम विवाह करने के बावजूद पढ़ाई जारी रखी. इस में इंद्रपाल ने भी उस का सहयोग किया. बीए पास करने के बाद उस ने बीएड किया. फिर जब शिक्षकों की भरती निकली तो उस ने भी आवेदन किया.

सीमा पाल के भाग्य ने साथ दिया और उस का चयन प्राथमिक पाठशाला की शिक्षिका के लिए हो गया. चयन होने के बाद सीमा पाल प्राथमिक पाठशाला, चिकनपुर में सहायक अध्यापिका के तौर पर पढ़ाने लगी.

सीमा पाल को सरकारी नौकरी मिली तो उस की खुशी का ठिकाना न रहा. अब वह मायके भी जाने लगी थी. उस का भाई मनोज पाल भी उस के घर आनेजाने लगा था. इंद्रपाल का भी ससुराल आनाजाना शुरू हो गया था. मनोज की शादी में सीमा और इंद्रपाल ने मनोज की हरसंभव मदद भी की थी. वैसे भी मनोज को जब भी आर्थिक परेशानी होती थी, इंद्रपाल उस की मदद कर देता था.

सीमा और इंद्रपाल की जिंदगी खुशियों से भरी थी. दोनों खूब कमाते थे. सीमा सरकारी टीचर थी, तो इंद्रपाल ने भाउलपुर में अपना निजी विद्यालय खोल लिया था. दोनों की खुशियों में ग्रहण तब लगा, जब एक रोज मनोज अपने जीजा इंद्रपाल की शिकायत करने बहन के घर आया. उस ने सीमा को बताया कि जीजाजी ने उस के घर आतेजाते उस की पत्नी शिखा को अपने प्रेम जाल में फंसा कर उस से नाजायज रिश्ता बना लिया है. बहन आप उन को समझाओ कि वह उस का घर बरबाद न करें.

भाई की बात सुन कर सीमा के तनबदन में आग लग गई. शाम को इंद्रपाल जब विद्यालय से घर आया तो सीमा ने शिखा को ले कर सवालजवाब किया. इस पर इंद्रपाल हंस कर बोला, ‘‘शिखा हमारी सलहज है. उस से मैं हंसबोल कर अपना मन बहला लेता हूं. उस से हमारा कोई नाजायज रिश्ता नहीं है. किसी ने जरूर तुम्हारे कान भरे हैं.’’

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लेकिन सीमा को पति की बात पर यकीन नहीं हुआ. उसे पता था कि उस का भाई झूठ नहीं बोल सकता. इस के बाद तो शिखा को ले कर अकसर सीमा और इंद्रपाल में झगड़ा होने लगा. कभीकभी झगड़ा इतना ज्यादा बढ़ जाता कि दोनों के बीच मारपीट हो जाती. इंद्रपाल शराब तो पहले से ही पीता था, लेकिन अब वह कुछ ज्यादा ही पीने लगा और सीमा से झगड़ा करने लगा. इसी लड़ाईझगड़े के बीच सीमा ने तीसरी बेटी दिशा को जन्म दिया.

सीमा और इंद्रपाल के बीच में अब गहरी दरार पड़ गई थी. वह दोनों रहते जरूर एक छत के नीचे थे, लेकिन दोनों के बिस्तर अलग हो गए थे.

सीमा अपने बच्चों के साथ अलग कमरें में रहने लगी थी. इंद्रपाल दूसरे कमरे में बिस्तर पर करवटें बदलता रहता था. कईकई दिनों तक दोनों में बातचीत भी नहीं होती थी.

पतिपत्नी के बीच तनाव चल ही रहा था कि इसी बीच अशोक ने सीमा के घर आनाजाना शुरू किया. अशोक, सौरिख में ही रहता था और रिश्ते में इंद्रपाल का भाई लगता था. वह कार चलाता था और खूब सजसंवर कर रहता था. अशोक को सीमा और इंद्रपाल के बीच तनाव की बात पता चली तो वह सीमा को रिझाने की कोशिश करने लगा.

वह जब भी आता, सीमा से मीठीमीठी बातें करता तथा उस के रूप की प्रशंसा भी करता. सीमा पति की उपेक्षा की शिकार थी. इस कारण धीरेधीरे सीमा, अशोक की ओर आकर्षित होने लगी. दोनों के बीच देवरभाभी का रिश्ता था, सो हंसीमजाक भी होने लगी.

सीमा और अशोक के बीच चाहत बढ़ी तो अवैध रिश्ता कायम होने में भी देर नहीं लगी. अशोक का सीमा से मिलनाजुलना बढ़ा तो इंद्रपाल के कान खड़े हो गए. उस ने दोनों पर नजर रखनी शुरू की तो एक रोज दोनों को रंगे हाथ पकड़ लिया.

फिर तो उस रोज इंद्रपाल ने सीमा की जम कर पिटाई की और सारा गुबार निकाला. इस के बाद तो यह रवैया ही चल पड़ा. जिस रोज इंद्रपाल को पता चल जाता कि अशोक आया था, वह सीमा की जम कर पिटाई करता. कई बार उस का अशोक से भी झगड़ा हुआ.

सीमा, अशोक की इतनी दीवानी बन गई थी कि वह पति की पिटाई के बावजूद उस का साथ छोड़ने को तैयार नहीं थी. एक दिन तो सीमा ने हद ही कर दी. उस ने अपनी तीनों बेटियों को बहाने से अपनी सास माया के पास छोड़ा और प्रेमी अशोक के साथ भाग गई.

इंद्रपाल और उस के घरवालों को जानकारी हुई तो वह सब दंग रह गए. उन्होंने थाना सौरिख में शिकायत दर्ज कराई. तब पुलिस ने कई रोज बाद सीमा को अशोक के एक रिश्तेदार के घर से बरामद किया. घरवालों के मनाने व समझाने के बाद सीमा, इंद्रपाल के साथ रहने को राजी हुई.

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सीमा और इंद्रपाल में समझौता तो हो गया था, लेकिन उन के दिलों में गांठ पड़ गई थी. दोनों एक दूसरे पर शक भी करते थे. उन के बीच तूतू मैंमैं अब भी होती रहती थी. कभीकभी मारपीट भी हो जाती थी. सीमा ने अशोक से संबंध अब भी खत्म नहीं किए थे. वह उस से चोरीछिपे मिलती रहती थी.

28 नवंबर, 2020 की सुबह 4 बजे सीमा चीखनेचिल्लाने लगी कि उस के पति इंद्रपाल की किसी ने हत्या कर दी. उस की चीख सुन कर उस के मकान में रहने वाले किराएदर आ गए. इन्हीं में से किसी ने इंद्रपाल के घर वालोें को सूचना दे दी. उस के बाद तो घर में सनसनी फैल गई.

इंद्रपाल के पिता श्रीकृष्ण, मां माया देवी, चाचा लंकुश तथा चचेरा भाई राजू आ गया. इंद्रपाल का शव देख कर वह सब हैरान रह गए. कुछ देर बाद श्रीकृष्ण ने बेटे की हत्या की सूचना थाना सौरिख पुलिस को दी.
सूचना पाते ही थानाप्रभारी विजय बहादुर वर्मा पुलिस दल के साथ रवाना हो लिए. रवाना होने से पहले उन्होंने शिक्षक इंद्रपाल की हत्या की सूचना पुलिस अधिकारियों को भी दे दी थी. थानाप्रभारी विजय बहादुर वर्मा जिस समय इंद्रपाल के नगरिया तालपार स्थित मकान पर पहुंचे. उस समय वहां भारी भीड़ जुटी थी.

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सौजन्य- सत्यकथा

श्री वर्मा पुलिसकर्मियों के साथ मकान के द्वितीय तल स्थित उस कमरे में पहुंचे जहां इंद्रपाल की लाश पड़ी थी. श्री वर्मा ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. इंद्रपाल की हत्या बड़ी बेरहमी से की गई थी. उस के शरीर पर चोटों के कई निशान थे. शरीर को किसी नुकीली चीज से गोदा गया था. शव के पास ही शराब की टूटी बोतल पड़ी थी. संभवत: इसी टूटी बोतल से उस के शरीर को गोदा गया था.

हत्या संभवत: मुंह नाक दबा कर की गई थी. कमरे में खून फैला था. मृतक की उम्र लगभग 45 वर्ष के आसपास थी. पुलिस ने शराब की टूटी बोतल को साक्ष्य के तौर पर सुरक्षित कर लिया.

थानाप्रभारी विजय बहादुर वर्मा अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह तथा डीएसपी शिवकुमार थापा मौका ए वारदात आ गए. उन्होंने मौके पर फौरेंसिक टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तथा मृतक की पत्नी व घर वालों से पूछताछ की.

फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए. उस के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए कन्नौज के जिला अस्पताल भेज दिया गया.

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हत्या का खुलासा करने के लिए एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने डीएसपी शिवकुमार थापा के निर्देशन में पुलिस टीम का गठन कर दिया. इस टीम में थानाप्रभारी विजय बहादुर वर्मा, स्वाट टीम प्रभारी राकेश कुमार सिंह तथा सर्विलांस प्रभारी शैलेंद्र सिंह को शामिल किया गया.

गठित टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया फिर मृतक की पत्नी सीमा पाल से पूछताछ की. सीमा ने बताया कि पति की हत्या उस के मकान में रहने वाले किराएदार प्रवीण उर्फ विक्की ने की है. उस का पति से झगड़ा हुआ था.

टीम ने प्रवीण को हिरासत में ले कर पूछताछ की तो उस ने बताया कि इंद्रपाल ने प्लौट खरीदने के लिये डेढ़ लाख रुपए उस से उधार लिया था, जिस में 70 हजार रुपए वह लौटा चुका था. उस का इंद्रपाल से कोई झगड़ा न था. सीमा उसे गलत फंसा रही है. जबकि सच्चाई यह है कि इंद्रपाल की हत्या का रहस्य सीमा के ही पेट में छिपा है.

प्रवीण से पूछताछ के बाद पुलिस टीम ने मृतक के पिता श्रीकृष्ण, चाचा लंकुश, मां माया देवी तथा चचेरे भाई राजू से पूछताछ की. उन सब ने बताया कि सीमा बदचलन है. उस ने अपने प्रेमी अशोक के साथ मिल कर इंद्रपाल की हत्या की है. यदि उस से सख्ती से पूछताछ की जाए तो आज ही हत्या का भेद खुल सकता है.

सीमा संदेह के घेरे में आई तो पुलिस टीम ने उसे घर से गिरफ्तार कर लिया तथा उस का मोबाइल कब्जे में ले लिया. सर्विलांस प्रभारी शैलेंद्र सिंह ने उस के मोबाइल को खंगाला तो 27 नवंबर की रात 11 बजे उस ने 2 मोबाइल नंबरों पर बात की थी.

इन नंबरों को खंगाला गया तो पता चला कि एक मोबाइल नंबर सीमा के भाई मनोज पाल का है तथा दूसरा सीमा के प्रेमी अशोक का है. पुलिस टीम ने इन फोन नंबरों के आधार पर सीमा से कड़ाई से पूछताछ की तो वह टूट गई और पति इंद्रपाल की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. सीमा ने बताया कि अशोक के साथ उस के नाजायज संबंध थे, जिस का विरोध इंद्रपाल करता था और उस के साथ मारपीट करता था.

इस मारपीट से वह आजिज आ गई थी और पति से छुटकारा पाना चाहती थी. 27 नवंबर की रात 10 बजे इंद्रपाल शराब पी कर घर आया और अशोक को ले कर झगड़ा करने लगा. उस ने उसे खूब पीटा. तब उस ने फोन कर अपने भाई मनोज पाल व प्रेमी अशोक को बुलवा लिया. अशोक अपने भाई राजेश को भी साथ लाया था.

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उन चारों ने मिल कर इंद्रपाल की हत्या की योजना बनाई. इंद्रपाल उस समय अपने कमरे में नशे में धुत पड़ा था. उन चारों ने मिल कर पहले इंद्रपाल की पिटाई की फिर शराब की बोतल जो कमरे में लुढ़की पड़ी थी, अशोक ने उसी बोतल को तोड़ कर उस के नुकीले भाग से उस के शरीर को गोदा.
उस के बाद नाकमुंह दबा कर उस की हत्या कर दी. फिर अशोक, राजेश व मनोज फरार हो गए. उन के जाने के बाद वह रोनेधोने का ड्रामा करने लगी.

सीमा से पूछताछ करने के बाद पुलिस टीम ने अन्य आरोपियों को पकड़ने के लिए मुखबिरों को लगाया. दूसरे ही दिन एक मुखबिर की सूचना पर मनोज पाल को सौरिख विधूना मार्ग स्थित बिजलीघर के पास से गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने सहज ही हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. अशोक व राजेश पुलिस की गिरफ्त में न आ सके.

चूंकि सीमा व मनोज पाल ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था. अत: थानाप्रभारी विजय बहादुर वर्मा ने मृतक के पिता श्रीकृष्ण की तरफ से भादंवि की धारा 302 के तहत सीमा, मनोज, अशोक तथा राजेश के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा सीमा व मनोज को विधि सम्मत गिरफ्तार कर लिया.

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2 दिसंबर 2020 को पुलिस ने अभियुक्त सीमा व मनोज पाल को कन्नौज कोर्ट में पेश किया. जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. अशोक व राजेश फरार थे. आरोपी सीमा की बेटियां बाबा श्रीकृष्ण के संरक्षण में पल रही थीं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

गैस एजेंसी के नाम पर ‘दंश’!

गैस एजेंसी का इन दिनों बड़ा ही क्रेज बना हुआ है इसी तरह पेट्रोल पंप भी लगाने की सनक लोगों में इन दिनों कुछ ज्यादा ही देखी जा रही है. क्योंकि यह एक ऐसा व्यवसाय है, जिसमें एक दफा इन्वेस्ट करने के बाद ताजिंदगी आने वाली पीढ़ियां भी तरह जाती है. यही कारण है कि भोले भाले लोगों को “गैस एजेंसी” दिलाने के नाम पर ठगी का खेल जारी है. आइए! आपको सावधान करती इस रिपोर्ट में दिखाते हैं गैस एजेंसी का गहरा जख्म. जिसे आज भी लोग भूल नहीं पाए हैं और जो निरंतर बना हुआ है.

पहली घटना-

छत्तीसगढ़ के जिला मुंगेली में राम दास महंत से गैस एजेंसी दिलाने के नाम पर सात लाख रुपए लेकर एक शख्स धत्ता बता गायब हो गया. मामला पुलिस थाना पहुंचा. पुलिस जांच कर रही है.

दूसरी घटना-

छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में रामलोचन अग्रवाल ने गैस एजेंसी हेतु आवेदन भरा तो 1 दिन एक शख्स ने आ कर उसे ऐसा पाठ पढ़ाया की 10 लाख रुपए ले लिए. अंततः जब ठगी का अहसास होने पर मामला पुलिस के पास पहुंचा.

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तीसरी घटना-

छत्तीसगढ़ के आदिवासी जिला कांकेर में एक आदिवासी शख्स ने गैस एजेंसी हेतु ऑनलाइन अप्लाई किया 1 दिन मोबाइल पर फोन आया और धीरे-धीरे लाखों रुपए लेकर शख्स ने उसे ठेंगा बता दिया. एहसास होने पर मामला थाना पहुंचा.

ऐसे ही अन्य कुछ घटनाक्रम छत्तीसगढ़ में इन दिनों चर्चा में है. जिसका निष्कर्ष यही है कि गैस एजेंसी दिलाने के नाम पर लोगों को बेतरह ठगा गया है.

क्या आपने गैस एजेंसी हेतु आवेदन किया है?

राजधानी रायपुर में गैस एजेंसी दिलाने के नाम पर 8.77 लाख रुपए की ठगी का मामला प्रकाश में आया है. ये ठगी चंगोराभाठा निवासी चंद्रभान देवांगन के साथ हुई उसने हिंदुस्तान पेट्रोलियम के वेबसाइट पर ऑनलाइन गैस एजेंसी के लिए आवेदन किया था .

पुलिस नहीं हमारे संवाददाता को बताया रायपुर के चंगोराभाठा के रहने वाले चंद्रभान देवांगन ने कुछ समय पहले हिंदुस्तान पेट्रोलियम के वेबसाइट में ऑनलाइन आवेदन किया था विगत 18 फरवरी को एक मोबाइल नंबर से उसके पास फोन आया. कॉल करने वाले व्यक्ति ने अपना नाम कुसलाल बताते हुए पीड़ित से पूछा कि क्या आपने गैस एजेंसी के लिए आवेदन किया है? जिस पर प्रार्थी द्वारा हां कहा गया. और इसके बाद धीरे-धीरे शुरू हुआ ठगी का एक ऐसा खेल जिसके कारण चंद्रभान आज हतप्रभ है.

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मीठी चुपड़ी बातें और ठगी

गैस एजेंसी के लिए आवेदन करने वाले चंद्रभान को कथित रूप से कुसलाल नामक व्यक्ति ने गैस एजेंसी दिलाने की थोथे आश्वासन देकर अपनी गिरफ्त में ले लिया. जब चंद्रभान को यह साफ हो गया कि मुझे गैस एजेंसी अब मिल जाएगी और मैं आने वाले समय में मालामाल हो जाऊंगा तो उसने दोनों हाथों से रूपए लुटाना शुरू कर दिया.

चंदभान को एक दफा कथित ठग ने कहा कि मैं आपको आवेदन मेल और व्हाट्सएप कर रहा हूं, आप भरकर फिर से दस्तावेजो के साथ मेल आईडी पर मेल या व्हाट्सएप कर देना फिर देखना, मैं कैसे तुम्हारा काम जल्द से जल्द करवाता हूं. चंद्रभान कथित बातों में आ गया और मेल और व्हाट्सएप करने के बाद उसे एक एप्रूवल लेटर देकर 19500 रुपये देने की बात की गई. फिर ठग ने कभी अर्थराइजेशन के नाम पर, तो कभी सिलेंडर स्टॉक की अमानती राशि के नाम पर, पैसे मांगे गए. पीड़ित चंद्रभान ने कुल 8 लाख 77 हजार रुपये आरोपी द्वारा दिये गए खाते में जमा कराए है.

इतने पैसे देने के बाद भी जब एजेंसी नहीं मिली तो वह सर पीट कर रह गया. पुलिस इस मामले में अब बैंक खाते और मोबाइल ट्रेस कर आरोपी की तलाश कर रही है.

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