एक बार संबंध बन जाने के बाद यह सिलसिला सा बन गया. इस के बाद आतिश मोनिका की और ज्यादा मदद करने लगा. मोनिका का व्यवहार भी अब बदल चुका था. अब वह केसरवानी परिवार में ऐसे आत्मविश्वास के साथ काम और बातें करने लगी जैसे वह उस परिवार की ही सदस्य हो. मौका मिलने पर आतिश भी मोनिका को मौल, रेस्टोरेंट आदि जगहों पर ले जाने लगा.
अवैध संबंधों को कोई लाख छिपाने की कोशिश करे, लेकिन एक न एक दिन उन की पोल खुल ही जाती है. आतिश और मोनिका के साथ भी यही हुआ. एक दिन आतिश की बहन नीहारिका ने अपने भाई को मोनिका के साथ छेड़छाड़ करते देख लिया. हालांकि नीहारिका को मोनिका की बातों आदि से शक तो काफी दिनों से हो रहा था, लेकिन उस दिन सब कुछ अपनी आंखों से देखने के बाद उस का शक विश्वास में बदल गया.
यह बात छिपाने वाली नहीं थी. लिहाजा उस ने यह बात अपनी मां के कानों में डाल दी. मां ने आतिश को तो समझाया ही, साथ ही मोनिका को भी अपने घर के कामों से हटाने का फैसला ले लिया. लेकिन आतिश ने मोनिका का काम छुड़वाने का विरोध किया और साथ ही मां से वादा किया कि अब वह मोनिका से दूर रहेगा.
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घर वालों ने भी सोचा कि शायद आतिश अब मान जाएगा, लेकिनवह नहीं माना. मौका मिलते ही वह और मोनिका अपनी हसरतें पूरी कर लेते थे. उधर नीहारिका और किरण की निगाहें आतिश और मोनिका की हरकतों को समझ लेती थीं.
यह बात जब आतिश की पत्नी प्रियंका को पता चली तो उस ने घर में कोहराम मचा दिया. तब गुस्से में आतिश ने पत्नी की पिटाई कर दी. घर के सभी लोग आतिश को समझातेसमझाते थक गए, लेकिन उस के दिमाग में उन की बातें नहीं घुसी. उसे तो मोनिका के अलावा घर के सभी लोग दुश्मन लगने लगे थे.
आतिश की बहन नीहारिका को कहीं से आतिश और मोनिका की एक फोटो मिल गई, जिस में दोनों साथसाथ थे. उस ने भाई से कहा कि वह मोनिका को भूल जाए, वरना इस फोटो को सोशल मीडिया पर डाल देगी.
आतिश ने उस से कहा कि अगर वह अपने मोबाइल से फोटो डिलीट कर देगी तो वह मोनिका से नहीं मिलेगा. नीहारिका ने कहा कि वह कुछ दिनों तक देखेगी, अगर इस दौरान उस ने मोनिका से बात नहीं की तो वह फोटो डिलीट कर देगी.
आतिश 2-4 दिन तो मोनिका से नहीं मिला, लेकिन वह फिर उस से बातें करने लगा. जब नीहारिका ने देखा कि दोनों ने अपनी आदत नहीं सुधारी है तो उस ने आतिश और मोनिका की वह फोटो फेसबुक पर डाल दी. यह बात जब आतिश को पता लगी तो उस ने नीहारिका की पिटाई कर दी.
नौकरानी मोनिका से पति के संबंधों की वजह से प्रियंका मानसिक तनाव में रहने लगी, क्योंकि पति से वह कुछ कहती तो वह उस की पिटाई कर देता था.
इस बात को ले कर घर में कलह रहने लगी. मां किरण बेटी और बहू का पक्ष लेती थीं, इसलिए आतिश मां को बुराभला कहने से नहीं चूकता था.
दिनोंदिन घर के हालात सुधरने के बजाए बिगड़ते जा रहे थे. आतिश अपने मांबाप तक की पिटाई करने लगा था. शोरशराबा सुन कर पड़ोसी घर आ कर आतिश को समझाने की कोशिश करते तो वह उन्हें भी बेइज्जत कर देता. लिहाजा पड़ोसी भी परेशान हो गए.
पिता तुलसीदास केसरवानी जब ज्यादा परेशान हो गए तो उन्होंने एक दिन अपने शुभचिंतक पड़ोसी से बात की. पड़ोसी की सलाह पर तुलसीदास ने फैसला लिया कि वह धूमनगंज थाने जा कर बेटे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराएंगे.
किसी तरह आतिश को इस बात की भनक लग गई कि उस के पिता थाने में उस के खिलाफ रिपोर्ट लिखाने जाने वाले हैं. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद उस के खिलाफ काररवाई हो सकती थी, लिहाजा उस ने अपने मातापिता के सामने हाथ जोड़ते हुए अपने किए की माफी मांगी और सुधर जाने का भरोसा दिया. मांबाप ने भी सोचा कि बेटे को अपनी गलती का अहसास हो रहा है तो उसे माफ कर देने में कोई बुराई नहीं है. लिहाजा उन्होंने उसे सुधर जाने की नसीहत देते हुए माफ कर दिया.
लेकिन माफी मांगने के पीछे आतिश के दिमाग में दूसरी ही खिचड़ी पक चुकी थी. उस ने सोच लिया था कि वह किसी तरह घर के सारे लोगों का काम तमाम कराएगा. उस के बाद पिता की सारी संपत्ति का मालिक बन जाएगा. साथ ही मोनिका के साथ रहने से उसे कोई रोकने वाला भी नहीं होगा.
आतिश की दुकान पर कई सालों से अनुज श्रीवास्तव नाम का एक युवक काम कर रहा था. वह दबंग किस्म का था. आतिश ने अपने घर वालों का कत्ल करने की बात उस से शेयर की, इस के लिए वह पैसे देने को भी तैयार था. अनुज पैसों के लालच में आ गया. 8 लाख रुपए में आतिश ने घर के 4 सदस्यों की हत्या कराने का सौदा पक्का कर दिया. इस के लिए उस ने अनुज को 75 हजार रुपए एडवांस भी दे दिए.
अनुज को लगा कि यह काम वह अकेला नहीं कर सकेगा, इसलिए उस ने कौशांबी के अजुहा गांव के अपने मामा राजकृष्ण श्रीवास्तव व एक अन्य आदमी को भी योजना में शामिल कर लिया. सभी ने तय किया कि गोली के बजाए चाकू से वारदात को अंजाम देना आसान रहेगा.
योजना को अंजाम देने के लिए 14 मई, 2020 बृहस्पतिवार का दिन तय हो गया. योजना के अनुसार आतिश दोपहर डेढ़ बजे किस्त जमा कराने के लिए बैंक चला गया, ताकि उस पर कोई शक न करे और बैंक के सीसीटीवी में भी उस की फुटेज आ जाए.
लौकडाउन की वजह से तुलसीदास की दुकान बंद थी. आतिश के घर से निकलने के बाद अनुज अपने मामा और साथी को ले कर तुलसीदास के घर पहुंच गया. चूंकि अनुज को घर के सभी लोग जानते थे, इसलिए उन्होंने सभी को घर में बुला लिया.
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अनुज ने तुलसीदास केसरवानी से साथ आए लोगों का परिचय अपने रिश्तेदारों के रूप में कराया और कहा कि लौकडाउन की वजह से इन्हें आर्थिक परेशानी है. अगर आप कुछ मदद कर दें तो इन का भला हो जाएगा.
उस समय तुलसीदास केसरवानी और उन की पत्नी किरण ही वहां मौजूद थे. बेटी नीहारिका ऊपर की मंजिल पर अपनी भाभी प्रियंका के पास थी. अनुज की बात पर तुलसीदास को दया आ गई. वह पैसे लेने के लिए अपनी दुकान की तरफ गए. क्योंकि उन की दुकान में जाने का एक दरवाजा घर के अंदर से भी था.
तुलसीदास के पीछेपीछे अनुज और उसका मामा भी गया. उन दोनों ने वहीं पर तुलसीदास केसरवानी का मुंह दबोच कर गला रेत दिया. गला कटने के बाद तुलसीदास जमीन पर गिरे तो आवाज सुन कर उन की पत्नी किरण वहां आई तो बदमाशों ने उन का भी गला रेत दिया. उसी दौरान बेटी नीहारिका भाभी के पास से नीचे आई तो उस की भी उन्होंने गला रेत कर हत्या कर दी.
इस के बाद वे ऊपर की मंजिल पर गए. वहां आतिश की पत्नी प्रियंका की भी उन्होंने हत्या कर दी. घर में 4 लोगों की हत्या करने के बाद उन्होंने बाथरूम में पहुंच कर खून से सने हाथ साफ किए. फिर दरवाजा भिड़ा कर वहां से चले गए.
सीओ बृजनारायण सिंह ने आरोपी आशीष उर्फ आतिश से पूछताछ के बाद अन्य आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए उन के घरों पर टीमें भेजीं. लेकिन अनुज श्रीवास्तव ही पुलिस के हाथ लग सका, अन्य अभियुक्त अपने घरों से फरार मिले. पूछताछ में अनुज श्रीवास्तव ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया.
हत्यारोपी अनुज श्रीवास्तव और आशीष उर्फ आतिश से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश कर जिला जेल भेज दिया.
– कथा पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित