शौहर की साजिश : भाग 1

उस दिन मार्च 2020 की 6 तारीख थी. सुबह के 9 बज चुके थे. अड़गोड़वां गांव का रहने वाला सुरेंद्र प्रताप सिंह ओलावृष्टि से फसल को हुए नुकसान का आकलन करने अपने खेत पर पहुंचा. पहले उस ने गेहूं की बरबाद हुई फसल को देख कर माथा पीटा फिर अरहर के खेत पर पहुंचा. जब वह अरहर के खेत में घुसा तो उस के मुंह से चीख निकल गई.

खेत के अंदर एक महिला की सिर कटी लाश पड़़ी थी. सिर विहीन लाश देख कर सुरेंद्र प्रताप नुकसान का आंकलन करना भूल गया. वह बदहवास हालत में गांव की ओर भागा. गांव पहुंच कर उस ने लोगों को लाश के बारे में जानकारी दी. 8-10 लोग उस के साथ खेत पर पहुंचे.

लाश की हालत देख कर सब की आंखें फटी रह गईं. गांव के चौकीदार जिमींदार को सिर विहीन महिला की लाश पाए जाने की खबर लगी तो वह भी वहां पहुंच गया. उस ने वहां मौजूद खेत मालिक सुरेंद्र प्रताप सिंह तथा अन्य लोगों से जानकारी हासिल की.

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उस ने सिर विहीन महिला की लाश को गौर से देखा, फिर कर्तव्य का पालन करते हुए सूचना देने थाना रूपईडीहा जा पहुंचा.

जिस समय जिमींदार थाने पहुंचा उस वक्त सुबह के 11 बज रहे थे. जिला बहराइच के थाना रूपईडीहा के प्रभारी निरीक्षक मनीष कुमार पांडेय थाने में ही मौजूद थे. पहरे पर तैनात सिपाही ने उन के कक्ष में आ कर खबर दी, ‘सर अड़गोड़वां गांव का चौकीदार आया है. आप से मिलना चाहता हैं.’

‘‘ठीक है, उसे भेज दो’’ मनीष कुमार पांडेय ने कहा, वह चौकीदार से परिचित थे.

जिमींदार ने थाना प्रभारी के कक्ष में पहुंच कर सलाम किया. पांडेय ने उसे गौर से देखा फिर पूछा, ‘‘चौकीदार कोई खास बात है क्या साफसाफ बताओ.’’

‘‘हां, साहब, खास बात है, तभी भाग कर थाने आया हूं. हमारे गांव अड़गोड़वा में सुरेंद्र प्रताप सिंह के अरहर के खेत में एक महिला की सिर विहीन लाश पड़ी हैं. महिला हमारे गांव या आसपास के गांवों की नहीं है.

भीड़ जुटी है, लेकिन कोई उसे पहचान नही पा रहा है.’’

महिला की सिर विहीन लाश पड़ी होने की सूचना से मनीष कुमार पांडेय विचलित हो उठे. उन्होंने चौकीदार की सूचना से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को अवगत कराया फिर सिपाहियों और एक सब इंस्पेक्टर को साथ ले कर घटना स्थल की ओर रवाना हो गए. चौकीदार जिमींदार भी उन के साथ था.

पुलिस जब घटना स्थल पर पहुंची तो वहां भीड़ जुटी थी. थाना प्रभारी मनीष कुमार पांडेय भीड़ को परे हटा कर अरहर के खेत में पहुंचे, जहां महिला की सिर कटी लाश पडं़ी थी. लाश देख कर पांडेय सिहर उठे. हत्यारों ने महिला का कत्ल बड़ी बेरहमी से किया था. हत्या से पूर्व उन्होंने महिला के हाथपैर रस्सी से बांधें थे. फिर पूरी बरबरता के साथ किसी तेज धारदार हथियार से सिर को धड़ से अलग कर दिया था. सिर को काट कर वह अपने साथ ले गए थे.

मृतका के हाथों में हरे रंग की चूडि़यां और लाल रंग के कंगन थे. वह हरा सलवार जंफर पहने थी और उस का काले रंग का नकाब वहीं पड़ा था. लग रहा था कि मृतका मुस्लिम है. सिर न होने से उस की उम्र का सही अंदाजा लगाना तो कठिन था, लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वह विवाहित थी और उस की उम्र 30 वर्ष से कम थी.

मृतक मुस्लिम समाज की थी

थाना प्रभारी मनीष कुमार पांडेय अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर पुलिस अधीक्षक विपिन कुमार मिश्रा, ए.एस.पी. रविंद्र सिंह और सी.ओ. जंगबहादुर सिंह आ गए. पुलिस अधिकारियों ने भी युवती के शव को हर नजरिए से देखा.

पुलिस ने मृतका के कटे सिर की तलाश अरहर, गेहूं व लाही के खेतों में कराई पर सिर नहीं मिला. पहनावे और काले नकाब से पुलिस अधिकारियों का मानना था कि मृतका  मुस्लिम समुदाय की है. वह खूबसूरत और जवान थी. पानी और ओला वृष्टि के कारण खेत के बाहर चक रोड की मिट्टी गीली थी, जिस पर किसी 2 पहिया वाहन के पहियों के निशान थे.

लगता था युवती को हत्या के इरादे से मोटर साइकिल पर बिठा कर खेत तक लाया गया था. पुलिस अधीक्षक विपिन कुमार मिश्रा ने घटना स्थल का निरीक्षण करने के बाद मृतका के रस्सी से बंधे हाथ पैर खुलवाए, फिर विभिन्न कोणों सें उस के फोटो खिचवाए. युवती की शिनाख्त के लिए उन्होंने घटना स्थल पर मौजूद महिलाओं और युवकों को बुला कर उस की पहचान करवाने की कोशिश की, लेकिन उस की पहचान नहीं हो सकी. घटनास्थल की कार्रवाई पूरी कर के शव पोस्टमार्टम के लिए बहराइच के जिला अस्पताल भेज दिया गया.

अगले दिन 7 मार्च, 2020 को सभी समाचार पत्रो में रूपईडीहा थाना क्षेत्र में युवती का सिर विहीन शव मिलने का समाचार सुर्खियों में प्रकाशित हुआ. इस समाचार को जब राजदा खातून ने पढ़ा तो उस का माथा ठनका. राजदा खातून बहराइच जिले के फरवरपुर थाना क्षेत्र के औसान पुरवां गांव की रहने वाली थी.

उस की बड़ी बहन का नाम नसरीन था. 5 मार्च को नसरीन का देवर मेराज उसे यह कह कर विदा करा कर ले गया था कि उस के अब्बू बीमार हैं. लेकिन वह अपनी सुसराल इटकौरी नहीं पहुंची थी. समाचारपत्रों में शव की जो पहचान छपी थी. हरी चूडियां, लाल कंगन , हरा सलवार जंफर, काला नकाब. यही सब पहनओढ़ कर उस की बहन ससुराल रवाना हुई थी.

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राजदा खातून ज्यादा पढ़ीलिखी तो नहीं थी, लेकिन थी तेज तर्रार और व होशियार. उस ने समाचार पत्र में छपी खबर कई बार पढ़ी और सिर विहीन छपी फोटो देखी तो उसे लगा फोटो उस की बहन नसरीन की ही है. उस ने यह सारी जानकारी अपने पिता इशहाक व परिवार के अन्य लोगों को दी, फिर शिनाख्त के लिए थाना रूपईडीहा जाने का निश्चय कर लिया.

होली के एक दिन पहले 8 मार्च को राजदा खातून अपने पिता इशहाक व परिवार के अन्य लोगों के साथ थाना रूपईडीहा जा पहुंची. थाना प्रभारी मनीष कुमार पांडेय उस वक्त थाने में थे.

उन्होंने इशहाक से थाने आने का कारण पूछा तो इशहाक ने बताया, ‘‘मेरी बेटी नसरीन 5 मार्च से लापता है. मैं बेहद परेशान हूं. हर जगह उस की खोज की, लेकिन कुछ पता न चला. उसे उस का देवर मेराज अपने वालिद की तबियत खराब बता कर साथ ले गया था.

उस के बाद उन दोनों का पता नहीं है. कल अखबार में मेरी छोटी बेटी ने खबर पढ़ी तब हम शव के बारे में जानकारी लेने आए हैं.

इशहाक के बगल में ही राजदा खातून खड़ी थी. थाना प्रभारी मनीष कुमार पांडेय उस की और मुखातिब हुए, ‘‘राजदा खातून, तुम यह यकीन के साथ कैसे कह सकती हो कि अखबार में छपी  फोटो तुम्हारी बहन नसरीन की है?’’

‘‘हुजूर, अखबार में शव का जो हुलिया, पहनावा, वेशभूषा छपा है, वह सब मेरी बहन नसरीन से मेल खाता है. दूसरी बात ससुराल विदाई से पहले मैं ने ही उस का साजश्रृंगार किया था. मैं ने ही हरी चूडि़या, लाल कंगन उस की कलाई में पहनाए थे. हरा सलवार और जंफर भी उस ने मेरी ही पसंद का पहना था. इसलिए मैं यकीन के साथ कह सकती हूं कि अखबार में छपी शव की तस्वीर नसरीन की ही है.

हो गई शिनाख्त

थाना प्रभारी मनीष कुमार को लगा कि शायद अज्ञात शव की पहचान हो जाएगी. अत: वह इशहाक तथा उस की बेटी राजदा खातून को साथ ले कर पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गए.

युवती के शव के करीब पहुंचते ही इशहाक थोड़ा सहम गया. मृतका के शरीर पर हरे रंग का सलवार जंफर देख कर उन के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उन्होंने तेजी से युवती के शव पर ढकी चादर हटाई तो सिर विहीन बेटी का शव देख उन के मुंह से चीख निकल गई.

वह उन की बेटी नसरीन ही थी. इशहाक फफक कर रो पड़े. बहन के शव की शिनाख्त राजदा खातून ने भी की. वह भी दहाड़ मार कर रो पड़ी. परिवार के अन्य लोगों ने भी शव की पहचान नसरीन के रूप में की. परिवार के लोग अपने आंसू नही रोक पा रहे थे. जैसेतैसे मनीष कुमार पांडेय ने उन लोगों को धैर्य बंधाया फिर शिनाख्त करवा कर इशहाक को पुलिस अधीक्षक कार्यालय ले गए, जहां उस से एस.पी. विपिन कुमार मिश्रा ने पूछताछ की. जो भी जानकारी इशहाक को थी, वह उस ने एस.पी. के सामने बयां कर दी.

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जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

शौहर की साजिश

पुष्पा का प्रेम ‘रतन’ : भाग 1

सांवले रंग का धनंजय सामान्य कदकाठी वाला युवक था. उस की एकमात्र खूबी यही थी कि वह सरकारी नौकरी में था. कहने का अभिप्राय यह कि वह जिंदगी भर अपने परिवार का बोझ अपने कंधों पर उठा सकता था.

बिहार के जिला गोपालगंज के बंगरा बाजार निवासी रामजी मिश्रा ने धनंजय की यही खूबी देख कर उस से अपनी बेटी ब्याही थी. मांबाप ने कहा और खूबसूरत पुष्पा शादी के बंधन में बंध कर मायके की ड्योढ़ी छोड़ ससुराल आ गई. लेकिन उसे धक्का तब लगा, जब उस ने पति को देखा. वह जरा भी उस के जोड़ का नहीं था.

पत्नी यदि खूबसूरत हो तो पति उस के हुस्न का गुलाम बन ही जाता है. धनंजय भी पुष्पा का शैदाई बन गया. पुष्पा ने धनंजय की कमजोरी का फायदा उठा कर उसे अपनी उंगलियों पर नचाना शुरू कर दिया.

पुष्पा को धनंजय चाहे जैसा लगा हो, लेकिन धनंजय खूबसूरत, पढ़ीलिखी बीवी पा कर खुश था.

धनंजय सुबह 9 बजे घर से निकलता था, तो फिर रात 8 बजे के पहले घर नहीं लौटता था. पीडब्ल्यूडी में लिपिक के पद पर कार्यरत धनंजय की ड्यूटी पड़ोसी जिले सीवान में थी. धनंजय को अपने गांव अमवां से सीवान आनेजाने में 2 घंटे लग जाते थे. धनंजय को जितनी पगार मिलती थी, वह पूरी की पूरी पुष्पा के हाथ पर रख देता था.

धंनजय के 2 भाई और थे, बड़ा रंजीत और छोटा राजीव. रंजीत मुंबई में तो राजीव दिल्ली में नौकरी करता था. विवाह के बाद से ही धनंजय पुष्पा के साथ अलग घर में रह रहा था. कालांतर में पुष्पा 2 बच्चों की मां बनी. एक बेटा था सौरभ और एक बेटी साक्षी.

गत वर्ष मई महीने में धनंजय के साले का विवाह देवरिया की भुजौली कालोनी में हुआ था. विवाह में धनंजय पांडे की मुलाकात दुलहन के चचेरे भाई रतन पांडे से हुई. मुलाकात के दौरान दोनों की काफी बातें हुई.

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इसी बातचीत के दौरान धनंजय ने उस से देवरिया में मकान किराए पर दिलाने को कहा तो रतन ने हामी भर दी. विवाह में शामिल  होने के बाद धनंजय और पुष्पा बच्चों के साथ वापस लौट आए.

रतन पांडे देवरिया के थाना गौरीबाजार के सिरजम हरहंगपुर निवासी सुभाष पांडेय का बेटा था. सुभाष पांडेय टीवी मैकेनिक थे. 24 वर्षीय रतन 4 बहनों में दूसरे नंबर का था. इंटर पास रतन देवरिया में मोबाइल कंपनी ‘एमआई’ के कस्टमर केयर सेंटर में नौकरी करता था और देवरिया खास में ही किराए पर कमरा ले कर रह रहा था.

धनंजय से बात होने के कुछ ही दिनों के अंदर रतन ने धनंजय को शहर के इंदिरा नगर मोहल्ले में सौरभ श्रीवास्तव का मकान किराए पर दिलवा दिया. धनंजय अपनी पत्नी पुष्पा और दोनों बच्चों के साथ उसी मकान में रहने लगा.

बिहार का सीवान जिला उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले की सीमा से सटा है. इसलिए धनंजय को वहां से सीवान जाने में कोई दिक्कत नहीं होती थी, वह अपनी ड्यूटी पर रोजाना आनेजाने लगा. बच्चों का एडमीशन भी पास के एक स्कूल में करा दिया था.

धनंजय रोजाना सुबह निकल जाता और देर रात वापस लौटता था. बच्चे भी स्कूल चले जाते थे. पुष्पा घर पर अकेली रह जाती थी. ऐसे में रतन का पुष्पा के पास आनाजाना बढ़ गया. रतन पुष्पा की खूबसूरती पर पहले ही मर मिटा था. इसीलिए उस ने पुष्पा के नजदीक रहने के लिए धनंजय को देवरिया में किराए पर मकान दिलवाया था. धनंजय के कहने पर वह उस के बच्चों सौरभ और साक्षी को ट्यूशन पढ़ाने लगा था.

बच्चों के जन्म के बाद से धनंजय अब पुष्पा में पहले जैसी रुचि नहीं लेता था. वैसे भी जैसेजैसे वैवाहिक जीवन आगे बढ़ता है, कई पतिपत्नी एकदूसरे में दोष खोजने लगते हैं, जो उन के बीच विवाद की जड़ बनते हैं. धनंजय भी पुष्पा में कमियां निकालने लगा था. वैसे भी पुष्पा को तो वह कभी नहीं भाया था, किसी तरह उस के साथ अपनी जिंदगी काट रही थी.

जब धनंजय उस के दोष और गलतियां निकालता था तो पुष्पा के अंदर दबा गुस्सा गुबार बन कर बाहर निकल पड़ता था, जिस पर धनंजय उस की पिटाई कर देता था. ऐसा अधिकतर धनंजय के शराब के नशे में होने पर ही होता था. धनंजय मारपिटाई पर उतर आया तो पुष्पा को उस से हद से ज्यादा नफरत हो गई.

रतन ने उस के घर आना शुरू किया तो पुष्पा की नजर उस पर टिकने लगीं. रतन गोराचिट्टा, स्मार्ट और कुंवारा था. पुष्पा ने ऐसे ही युवक की कामना की थी.

विवाह से पहले उस की 2 ही इच्छाएं थीं, एक तो उस का जीवनसाथी सरकारी नौकरी वाला हो और दूसरा वह खूबसूरत व स्मार्ट हो. उस की जोड़ी उस के साथ ‘रब ने बना दी जोड़ी’ जैसी हो. उस की एक इच्छा तो पूरी हो गई थी लेकिन दूसरी इच्छा ने उसे रूला दिया.

धनंजय ने कभी भी पुष्पा की तारीफ  नहीं की थी, लेकिन रतन पुष्पा की जम कर तारीफ करता था, साथ ही हंसीमजाक भी. पुष्पा सोचती थी कि रतन को सुंदरता की कद्र करनी आती है, लेकिन धनंजय को नहीं.

रतन लतीफे सुना कर पुष्पा को खूब हंसाता था. उस की पसंदनापसंद की चीजों का ख्याल रखता था. पुष्पा साड़ी या सलवारसूट पहनती तो उसे अपनी राय बताता. इन बातों से पुष्पा मन ही मन बहुत खुश होती. धीरेधीरे पुष्पा को भी रतन की आदत पड़ गई. उस के बिना अब उसे अच्छा नहीं लगता, घर में सब सूनासूना सा महसूस होता.

रतन ने पुष्पा को इतनी खुशियां दीं कि वह सोचने को मजबूर हो गई कि काश! मेरा पति रतन जैसा होता, तो कितना अच्छा होता…?

एकांत क्षणों में पुष्पा, रतन की तुलना धनंजय से करने लगती और यह सोच कर मायूस हो जाती कि धनंजय रतन के आगे किसी मामले में नहीं ठहरता. पुष्पा रतन के बारे में ज्यादा सोचती तो उस का मन उस की बांहों में ही सिमटने को मचल उठता.

पुष्पा और रतन की निगाहों में एकदूसरे के लिए तड़प भरी रहती थी. पानी का गिलास, चाय का कप लेतेदेते हुए दोनों की अंगुलियों का स्पर्श होता तो दोनों ही ओर चिंगारियां छूटने लगतीं.

पुष्पा का रतन

रतन का व्यक्तित्व पुष्पा के दिल में हलचल मचाए हुए था तो पुष्पा की आकर्षक देहयष्टि रतन के युवा मन में सरसराहट भरती रहती थी. वह पुष्पा से बिना नजरें मिलाए उस का दीदार करता रहता. उसे पूरी तरह पा कर न सही, स्पर्श कर के ही सुख लूटता रहता.

रतन कुछ कारणों से अपने गांव चला गया तो पुष्पा खुद को फिर तन्हा महसूस करने लगी. उसे ऐसा लगा, जैसे उस की रूह निकल कर चली गई हो और मुरदा जिस्म वहां रह गया हो.

धनंजय सीवान से अपनी ड्यूटी से वापस लौटता, रात में जब वह उस से संसर्ग करता, तब भी वह मुर्दों की तरह निष्क्रिय पड़ी रहती. धनंजय उस के व्यवहार से इसलिए स्तब्ध नहीं हुआ, क्योंकि वह जानता था कि पुष्पा उस से बिलकुल खुश नहीं है.

उधर गांव गए रतन का हाल भी ऐसा ही था. पुष्पा को याद कर के वह रात भर करवटें बदलता रहता, आंखें बंद करता तो सपने में पुष्पा ही नजर आती. जो वह हकीकत में करने की ख्वाहिश रखता था, उसे कल्पना में ही कर के खुद को तसल्ली दे लेता था.

आखिर रतन गांव से शहर लौटा तो पुष्पा से मिलने गया. पुष्पा उस समय अकेली थी. उसे रतन की यादों ने बेहाल कर रखा था. रतन को देखते ही पुष्पा का चेहरा खिल उठा.

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रतन के अंदर आते ही पुष्पा ने लपक कर दरवाजा बंद कर दिया. फिर नाराजगी प्रकट करते हुए बोली, ‘‘क्या इस तरह मुझे तड़पाना अच्छा लगता है तुम्हें?’’

‘‘मैं समझा नहीं.’’ रतन अंजान बनते हुए बोला.

‘‘कितने दिन हो गए तुम्हें. मैं तुम्हारी सूरत देखने को तरस गई थी.’’ पुष्पा ने शिकायती लहजे में कहा.

‘‘सच,’’ रतन खुश होते हुए बोला,‘‘मैं यही सुनने को तो गैरहाजिर था. मैं देखना चाहता था कि तुम्हारे दिल में मेरे लिए कितनी चाहत है. अगर ऐसा नहीं करता, तो तुम शायद आज अपने दिल की बात मुझ से न कहतीं.’’

‘‘तुम सच कह रहे हो रतन. तुम ने मुझ पर न जाने कैसा जादू कर दिया है कि मैं हर पल तुम्हारे बारें में ही सोचती रहती हूं.’’ कहते हुए उस ने रतन के गले में बांहें डाल दीं.

‘‘यही हाल मेरा भी है पुष्पा. जिस दिन तुम्हारा दीदार नहीं होता, वह दिन पहाड़ सा लगता है.’’ पुष्पा की पतली कमर में हाथ डालते हुए रतन ने उसे अपने करीब खींचा और उस के होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

पुष्पा के होंठों में ऐसी तपन थी, कि रतन को लगा जैसे उस ने अंगारों को छू लिया हो. पुष्पा के होंठों से अपने होंठ अलग करते हुए उस ने पुष्पा की सुरमई आंखों में झांका, तो लगा जैसे उन में पूरा मयखाना समाया हो. पुष्पा की नशीली आंखों, फूलों जैसे रुखसार, सुराही जैसी गरदन और उस के नाजुक अंगों को देख कर रतन के रोमरोम में लहर सी दौड़ गई.

गजब तो तब हुआ, जब पुष्पा ने अपने बंधे हुए गेसू खोल दिए. थोड़ी देर पहले ही उस ने सिर धोया था. सावन की घटाओं से भी श्यामवर्ण गेसू कमर के नीचे उभारों को छूने लगे, तो रतन बोल पड़ा, ‘‘वाह पुष्पा, क्या लाजवाब हुस्न है तुम्हारा.’’

पुष्पा ने खिलखिला कर हंसते हुए पूछा, ‘‘वो कैसे?’’

‘‘आइने में देख लो, खुद समझ जाओगी.’’

‘‘वो तो मैं तुम्हारी आंखों में देख कर समझ रही हूं.’’

‘‘क्या देख रही हो मेरी आंखों में?’’ रतन ने पूछा.

‘‘बेईमानी. किसी का माल हड़पने के लिए नीयत खराब कर रहे हो.’’ पुष्पा ने हौले से रतन के गाल पर चपत लगाई.

‘‘अगर वह माल लाजवाब और मीठा हो तो उसे उठा कर मुंह में रख लेने में कैसी झिझक. सच में दिल कर रहा है कि आज मैं तुम्हें लूट ही लूं.’’

‘‘तो रोका किस ने है?’’ कहते हुए पुष्पा रतन के गले से झूल गई और बोली,‘‘आओ लूट लो मेरे हुस्न के इस अनमोल खजाने को. मैं तो कब से तुम्हें सौंपने को बेताब थी.’’

रतन का गला सूखने लगा था, ‘‘कोई आ गया तो?’’

‘‘कोई नहीं आ रहा अभी, तुम निश्चिंत रहो.’’

इस के बाद दोनों वासना के खेल में डूबते चले गए. घर की तनहाई दोनों के दिलों की ही नहीं जिस्मों के मिलन की भी साक्षी बन गई. इस के बाद तो रोज ही उन के बीच यह खेल खेला जाने लगा.

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रतन ने पुष्पा को दिया अपने नाम वाला सिम

रतन ने पुष्पा को एक सिम खरीद कर दे दिया. उस ने सिम को अपने मोबाइल में डाल लिया. पुष्पा इस सिम का इस्तेमाल केवल रतन से बात करने के लिए करती थी.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

पुष्पा का प्रेम ‘रतन’ : भाग 2

धनंजय की अनुपस्थिति में रतन पूरे दिन पुष्पा के साथ उस के घर में मौजूद रहता. उस के साथ समय बिताता तो उन पलों को अपने स्मार्टफोन में भी कैद कर लेता. वह अपने मोबाइल से अंतरंग पलों के फोटो और वीडियो भी बनाता था.

18 अप्रैल की सुबह बंद चीनी मिल के परिसर में कुछ युवक लकड़ी लेने गए. इस बीच उन की नजर एक पेड़ के नीचे पड़ी एक लाश पर गई. उन्होंने आसपास के लोगों को बताया तो चंद मिनटों में वहां काफी भीड़ इकट्ठा हो गई. 112 नंबर पर काल कर के पुलिस को लाश मिलने की सूचना दी गई.

घटनास्थल थाना कोतवाली देवरिया में आता था, इसलिए कंट्रोल रूम से यह सूचना कोतवाली पुलिस को दे दी गई. सूचना पा कर इंसपेक्टर टीजे सिंह अपनी पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए.

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मृतक की उम्र 40-42 वर्ष रही होगी. उस के चेहरे को किसी भारी वस्तु से कूंचा गया था. चेहरा क्षतविक्षत होने के कारण मृतक की पहचान होना मुश्किल था. उस के गले पर भी कसे जाने के निशान मौजूद थे. घटनास्थल पर लाश से कुछ दूरी पर खून से सना एक ईंट का टुकड़ा पड़ा मिला. हत्यारे ने उसी ईंट के टुकड़े से मृतक का चेहरा कुचला था.

इंसपेक्टर टीजे सिंह निरीक्षण कर ही रहे थे कि तभी एसपी डा. श्रीपति मिश्र, एएसपी शिष्यपाल, सीओ सिटी निष्ठा उपाध्याय समेत अन्य अधिकारी भी वहां पहुंच गए. अधिकारियों ने भी लाश व घटनास्थल का निरीक्षण किया.

इंसपेक्टर टीजे सिंह के आदेश पर कुछ सिपाहियों ने मृतक के कपड़ों की तलाशी ली तो कपड़ों से मृतक का आधार कार्ड मिल गया, जिस में मृतक का नाम धनंजय पांडे लिखा था और पता देवरिया की सीमा से सटे बिहार के गोपालगंज जिले के कुचायकोट थाना क्षेत्र में आने वाले गांव अमवा का लिखा था.

मृतक के घर वालों को कुचायकोट थाना पुलिस के जरीए सूचना भेजी गई. इस के बाद पुलिस अधिकारी इंसपेक्टर टीजे सिंह को आवश्यक दिशानिर्देश दे कर वापस लौट गए.

सूचना पर मृतक के घर वाले और ससुराल वाले वहां पहुंचे. उन लोगों ने धनंजय की लाश की शिनाख्त कर दी. लाश की शिनाख्त होने के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया गया.

कोतवाली लौट कर इंसपेक्टर टीजे सिंह ने धनंजय पांडे के ससुर रामजी मिश्रा की लिखित तहरीर के आधार पर अज्ञात के विरूद्ध भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया.

केस की जांच शुरू करते हुए इंसपेक्टर टीजे सिंह ने सर्वप्रथम पुष्पा से पूछताछ की, जो कि घटना से एक महीने पहले से अपने मायके में रह रही थी.

उन्होंने पुष्पा से पूछा, ‘‘धनंजय की किसी से कोई दुश्मनी थी या उस का किसी से हाल ही में कोई लड़ाईझगड़ा हुआ था?’’

‘‘सर, उन की किसी से दुश्मनी नहीं थी और न ही उन का किसी से लड़ाईझगड़ा हुआ था. वह तो सुबह अपने आफिस के लिए निकल जाते थे और रात में लौटते थे.’’

‘‘फिर भी कोई दुश्मनी रही हो, याद करने की कोशिश कीजिए.’’

‘‘सर, मेरी जानकारी में तो नहीं है, अगर औफिस में कोई बात हुई हो तो मुझे पता नहीं. मेरे पति आफिस की कोई भी बात मुझे नहीं बताते थे.’’

पुष्पा बड़े ही सहज भाव से सवालों का जवाब दे रही थी. उस के चेहरे के भावों और बोलने के अंदाज से यह कतई नहीं झलक रहा था कि वह पति की मौत से गमगीन है. यह बात मन में शक पैदा करने वाली थी.

पुष्पा के चेहरे को पढ़ने की कोशिश करते हुए इंसपेक्टर टीजे सिंह ने एक और सवाल दागा, ‘‘घर में कौनकौन आता था?’’

‘‘सर, हम देवरिया में किराए पर रह रहे थे. हमारी किसी से जानपहचान नहीं है. इसलिए कोई भी नहीं आताजाता था.’’

‘‘कोई भी नहीं?’’ इंसपेक्टर टीजे सिंह ने उस की आंखों से आंखें मिला कर उस का सच और झूठ पकड़ने के लिए एक बार फिर एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा.

इंसपेक्टर सिंह को घुमाती रही पुष्पा

इंसपेक्टर टीजे सिंह द्वारा इस तरह पूछने पर पुष्पा एक पल के लिए हड़बड़ाई, लेकिन अगले ही पल खुद को संभालते हुए बोली, ‘‘जी सर कोई नहीं, बस मेरे बच्चों को पढ़ाने के लिए रतन पांडे आता था. वह हमारा दूर का रिश्तेदार है, उसी ने हमें देवरिया में रहने के लिए किराए पर मकान दिलवाया था.’’

‘‘तो बताना चाहिए था न… मैं दोबारा न पूछता तो आाप बताती भी नहीं.’’

‘‘सर, वह तो घर का ही है, बाहर का नहीं, इसीलिए नहीं बताया.’’ पुष्पा ने सफाई दी.

‘‘ये आप हमें तय करने दें कि कौन क्या है, हमारे निशाने पर सभी होते हैं चाहे घर के हों या बाहर के. वैसे भी अधिकतर केसों में हत्यारा घर का अपना ही कोई निकलता है.’’ कह कर टीजे सिंह ने पुष्पा की तरफ  देखा तो उस के चेहरे पर आने वाले भाव देख कर वह मुस्करा उठे और फिर उठते हुए बोले, ‘‘खैर अब मैं चलता हूं, जरूरत पड़ी तो आप से दोबारा पूछताछ करूंगा.’’

‘‘जी सर.’’

टीजे सिंह वहां से चले गए. वहां से निकलने से पहले वह पुष्पा का मोबाइल नंबर लेना नहीं भूले.

इंसपेक्टर सिंह ने उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई साथ ही जिस मोबाइल में सिम पड़ा था. उस मोबाइल में दूसरे सिम भी डाले गए थे तो उन सिम के नंबरों की भी डिटेल्स देने को कहा गया.

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जब पुष्पा के बताए नंबर की काल डिटेल आई तो उस में कुछ खास नहीं मिला. लेकिन साथ में एक और नंबर की काल डिटेल्स आई थी.  वह नंबर भी पुष्पा अपने डबल सिम वाले मोबाइल में प्रयोग कर रही थी. लेकिन उस नंबर के बारे में पुष्पा ने कुछ नहीं बताया था.

उस नंबर से केवल एक नंबर पर ही रोज बात की जाती थी. उस नंबर की डिटेल्स निकलवाई तो वह नंबर रतन पांडे के नाम पर था. रतन वही था जो धनंजय के घर ट्यूशन पढ़ाने आता था. उस का पता किया तो वह घर से फरार मिला.

20 अप्रैल को इंसपेक्टर टीजे सिंह ने एक मुखबिर की सूचना पर अमेठी तिराहे के खोराराम मोड़ से रतन पांडे को गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो रतन ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया, साथ ही हत्या की वजह भी बता दी. इस के बाद इंसपेक्टर सिंह पुष्पा को उस के मायके से गिरफ्तार कर के थाने ले आए.

थाने में जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने बरगलाने की कोशिश की कि रतन ने उस के अश्लील फोटो व वीडियो बना लिए थे, जिन के सहारे वह उसे ब्लैकमेल कर रहा था. उसी ने उस के पति की हत्या की है. लेकिन जब सख्ती दिखाई गई तो उस ने सच उगल दिया.

पुष्पा रतन को अपनी जान से भी ज्यादा चाहने लगी थी, उसी के साथ विवाह कर के वह अपनी आगे की जिंदगी गुजारना चाहती थी. इस के लिए वह रतन के साथ भाग जाती और विवाह कर लेती. लेकिन जिंदगी सिर्फ प्यार से नहीं गुजरती, पैसों की भी जरूरत होती है. रतन छोटीमोटी नौकरी करता था, उस से उस का खुद का गुजारा ही नहीं हो पाता था. ज्यादा पैसा तो सरकारी नौकरी में ही मिलता है जो कि धनंजय के पास थी. इसलिए पैसों की उसे कभी कोई दिक्कत नहीं हुई.

पुष्पा को सरकारी नौकरी का मोह था. इसलिए उस ने इस का रास्ता निकाल लिया. उस रास्ते पर चल कर उस की सारी इच्छाएं पूरी हो सकती थीं. वह रास्ता था धनंजय की मौत. धनंजय के मरने से पुष्पा को एक तो उस से छुटकारा मिल जाता, दूसरे उस की जगह मृतक आश्रित कोटे से उसे नौकरी मिल जाती और तीसरा वह रतन से विवाह कर के आराम से जिंदगी गुजार सकती थी.

पुष्पा अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए पति के खून से हाथ रंगने को तैयार थी. वह यह भूल गई कि केवल सोचने भर से जिंदगी आसान नहीं हो जाती. सब कुछ मनचाहा नहीं होता.

वह जिस रास्ते पर चलने को आमादा थी उस पर उसे सरकारी नौकरी तो नहीं जेल की सलाखें जरूर मिलने वाली थीं. दूसरी ओर धनंजय को अपनी मौत के षड़यंत्र का कैसे पता चलता, जबकि उसे पुष्पा और रतन के अवैध संबंधों तक की जानकारी नहीं थी.

पुष्पा अपने इरादों को अंजाम तक पहुंचाने को आतुर थी. रतन तो पहले से ही पुष्पा से बारबार धनंजय को मार देने की बात कहता रहता था. वह तो पुष्पा की तरफ से बस हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रहा था. पुष्पा ने अपने दिल की पूरी बात रतन को बता दी. इस के बाद दोनों ने धनंजय की हत्या की योजना बनाई. योजनानुसार 16 मार्च, 2020 को पुष्पा बच्चों के साथ अपने मायके गोपालगंज चली गई.

एक महीना पूरा होने पर 17 अप्रैल की शाम 4 बजे पुष्पा ने रतन को फोन कर के धनंजय की हत्या करने को कहा.

काश! धनंजय शराब के लालच में न पड़ता

18 अप्रैल की रात 8 बजे के करीब रतन ने धनंजय को शराब पीने के लिए बंद चीनी मिल परिसर में बुलाया. धनंजय के वहां पहुंचने पर रतन ने एक ईंट के टुकडे़ से उस के सिर पर प्रहार किया. धनंजय दर्द से बिलबिला उठा. इसी बीच रतन ने पास में उगी गिलोय की बेल उखाड़ कर धनंजय के गले में डाल दी और पूरी ताकत से कस दिया.

दम घुटने से धनंजय की मौत हो गई. इस के बाद रतन ने धनंजय के चेहरे को बुरी तरह से कुचल दिया. फिर धनंजय की जेब से मोबाइल निकाल कर रतन वहां से चला गया. उस ने वाट्सऐप पर मैसेज कर के पुष्पा को धनंजय की मौत की जानकारी दे दी. पुष्पा द्वारा मैसेज देख लेने के बाद रतन ने वह मैसेज डिलीट कर दिया.

लेकिन दोनों पकड़े गए. रतन ने अपना एंड्रायड मोबाइल फारमेट कर दिया था. इसलिए उस मोबाइल का डाटा रिकवर करने के लिए इंसपेक्टर टीजे सिंह ने मोबाइल में डाटा रिकवरी ऐप इंस्टाल किया और मोबाइल का पूरा डाटा रिकवर कर लिया. मोबाइल की गैलरी में रतन व पुष्पा के अनगिनत फोटो मिले, जिस में कई अश्लील भी थे, जिन को उन्होंने सुबूत के तौर रख लिया.

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अभियुक्त रतन के पास से इंसपेक्टर सिंह ने धनंजय का मोबाइल भी सिम सहित बरामद कर लिया. हत्या में प्रयुक्त ईंट का टुकड़ा पहले ही घटनास्थल से बरामद हो गया था.

कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर के दोनों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज  दिया.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

पुष्पा का प्रेम ‘रतन’

ब्लैकमेलर से ऐसे बचें

भय दोहन के अनेक मामले इन दिनों छत्तीसगढ़ में घटित हुए है.

प्रथम- रायगढ़ में  नाबालिक लड़की के साथ मित्रता करके उसके अश्लील फोटोग्राफ्स खींच लिए  और फिर लड़की के साथ मनमानी करने की कोशिशें की.

द्वितीय – कोरबा  मे महिला के साथ संबंध बनाने के पश्चात वीडियो बना लिया और दोस्तों को आमंत्रित कर महिला को ब्लैकमेल करने की  कोशिश की.

तृतीय-धमतरी में   एक बुजुर्ग ने एक युवक और युवती को आपत्तिजनक स्थिति में देख फोटो खींचकर भय दोहन करने की चेष्टा की.

अब लाख टके का सवाल यह है कि आखिर ब्लैक मेलिंग या भय दोहन से कैसे बचा जाए. आज हम आपको इसका एक रामबाण  तरीका बताने जा रहे  हैं. आप यह लेख गंभीरता से पढ़ें-

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भय दोहन या अंग्रेजी में कहें ब्लैकमेलिंग का धंधा बहुत पुराना है. और यह नए नए ढंग से कोरोना की तरह अपना रंग दिखाता रहता है. अगर आप सही हैं तो ऐसे ब्लैकमेल, भय दोहन करने वालों से बिल्कुल भी ना डरे. बल्कि खुलकर सामना करें. एक बार जरुर साहस का परिचय देते हुए पुलिस, कानून का सहारा ले सकते हैं. क्योंकि भय दोहन करने वाले एक बार शिकार को अपनी चंगुल में लेने के बाद  आसानी से नहीं छोड़ते. इसलिए जीवन भर ब्लेक मेलिंग का शिकार होने से अच्छा है सामना करें . समझदारी यही है कि साहस के साथ सामना कर आप सुकून से जीवन बिसार सकें.

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर मे एक ऐसा ही मामला सरगर्म होकर चर्चा में है.दरअसल, एक युवक के मोबाइल से उसकी गर्लफ्रेंड का फोटो और वीडियो वायरल करने की धमकी देते हुए रुपए और जेवर की मांग की. मामला पुलिस के समक्ष आया जिसे रायपुर पुलिस ने बड़ी हुई समझदारी के साथ सुलझा दिया है.

गर्लफ्रेंड के साथ फोटो वीडियो मोबाइल में ना रखें

राजधानी रायपुर में एक युवक को गर्लफ्रेंड के साथ फोटो और वीडियो रखना किस तरह भारी पड़ गया इस सनसनीखेज अपराध घटना का जीवंत साक्ष्य है. अंकुश वर्मा की शिकायत पर पुलिस ने कथित  आरोपी अजय कुमार को गिरफ्तार कर लिया है.पुलिस  के अनुसार, कबीर नगर का रहने वाला बीकॉम फाइनल ईयर का छात्र अंकुश वर्मा अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने रायपुर के  शंकर नगर गया था. वहीं निकट खड़े   आरोपी अजय कुमार  ने दोनों को आपत्ति  जनक  हालात  मे मिलते देख लिया था. मुलाकात के बाद घर के लिए निकले अंकुश का आरोपी ने पीछा करते हुए दुसाहसिक ढंग से गुढ़ियारी ओवरब्रिज के पास रोक लिया. और बड़े ही नाटकीय ढंग से उसे भयभीत करते हुए कहा-” मेरी भांजी से क्यों मिलकर आ रहा है.”यह  कहते हुए पीड़ित छात्र को उसके मोबाइल से उसकी गर्लफ्रेंड की फोटो डिलीट करने के नाम से मोबाइल अपने पास ले लिया और फिर युवक और उसकी गर्लफ्रेंड का फोटो और वीडियो अपने व्हाट्सएप पर शेयर कर  लिया. फिर  आरोपी ने उसे अपने साथ चलने को कहा और थोड़ी दूर जाकर वहां से फरार हो गया.

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लगभग  एक घंटा बाद उसने पीड़ित छात्र के मोबाइल नंबर पर फोन कर उसके लिए फ़ोटो और वीडियो को वायरल करने की धमकी देकर पांच लाख रुपये की मांग की. लेकिन पीड़ित ने साहस का परिचय देते हुए यह ठान लिया कि वह  भय दोहन का शिकार नहीं होगा  और उसे पैसा नहीं दिया तब दोबारा आरोपी अजय ने उसे फोन कर गर्लफ्रेंड के घर से जेवर लाने  का दबाव बनाने लगा. मगर फोटो और वीडियो वायरल करने की धमकी से डर चुके पीड़ित युवक ने थाने में आकर शिकायत दर्ज करायी . राजधानी पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए  आरोपी अजय  को  गिरफ्तार कर लिया है.

पत्नी के हाथों पति का “अंत” 

छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में एक महिला ने अपने ही पति की निर्मम हत्या करवा उसे दुर्घटना का स्वरूप देकर पुलिस को भरमाना चाहा. अक्सर हम पति अथवा पुरुष के द्वारा महिलाओं की हत्या की खबर सुर्खियां बनते देखते हैं. मगर ऐसा बहुत ही कम होता है जब कोई महिला अपने पति, जिसके साथ उसने सात फेरे लिए हैं को रास्ते से हटाने के लिए षडयंत्र करती है और पति को मौत के घाट उतार दिया जाता है.

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छत्तीसगढ़ के जिला सूरजपुर में पुलिस ने सप्ताह भर पहले हुए कत्ल की गुत्थी को सुलझाने में  सफलता हासिल की है. जिस एसईसीएल कोल इंडिया  कर्मचारी की हत्या कर हादसा का स्वरुप देने की  चेष्टा की  गई, वो दरअसल  हत्या  मे सहभागी मिली . पुलिस की जांच के बाद  यह तथ्य सामने आ गया कि  हत्या का मास्टर माइंड कोई औऱ नहीं, बल्कि उसी की पत्नी थी. जिसने अपने भाई के साथ मिलकर पति को मौत के घाट उतार दिया था.

कारण  बना  अवैध संबंध 

और जैसा कि अक्सर हर अपराध के पीछे कोई एक कारण बड़ा गंभीर होता है इस सनसनीखेज हत्याकांड में भी

हत्या की वजह पत्नी का अवैध संबंध उजागर हुआ है. विगत  26 मई2020 को भटगांव थाना क्षेत्र के चुनगढी खोपा मार्ग में एसईसीएल में काम करने वाले भैयालाल साहू की लाश सड़क किनारे मिली थी. मृतक के सर पर  चोट के निशान थे जिससे पुलिस को साफ जाहिर हो रहा था कि मामला  हत्या का  है. इस अंधे कत्ल की गुत्थी सुलझाने के लिए भटगांव पुलिस डाग स्क्वायड की मदद से जांच कर रही थी. पुलिस को पूछताछ करते करते भैयालाल की पत्नी तारा साहू पर शक हुआ, तो उससे भी  पूछताछ  पुलिस ने की.पुलिस की कड़ाई से पूछताछ में सप्ताह भर पश्चात  आरोपी पत्नी तारा  ने हत्या  की अंततः स्वीकारोक्ति की.

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भाई का सहारा  मिला 

इस सनसनीखेज हत्याकांड में यह बात सामने आई कि तारा साहू ने अपने भाई विकास साहू को किसी तरह अपने साथ मिला लिया था.आरोपी  तारा साहू ने इकबालिया बयान में  बताया कि पति को उसके अवैध संबंध के बारे में खबर लग चुकी थी. जिसके कारण वह तारा से मारपीट  किया  करता था. इस कारण  तारा अपने पति को रास्ते से हटाने के लिए विगत एक साल से  मौका ढूंढ रही थी. 25 मई2020 की रात जब पति शराब के नशे में था, तब तारा ने अपने भाई विकास साहू को घर बुलाया, फिर पति को नशे की हालत में रात को कार में बैठा गांव से बाहर ले गए. गांव से दूर खोपा मार्ग में भैयालाल  साहू को  कार से उतारा गया, उसके बाद सर पर तवे से तबाड़तोड़ वार कर मौत के घाट उतार दिया गया . हत्या को हादसा बताने के लिए उसके शरीर पर वाहन चढ़ा दिया. जिससे मामला दुर्घटना  का प्रतीत हो . मगर  पुलिस की पारखी नजर मे उनकी यह चालाकी ज्यादा समय  तक टिक  नहीं पाई.

पुलिस अधीक्षक  राजेश कुकरेजा ने अंधे कत्ल का खुलासा करते हुए बताया कि अवैध संबंध के चलते भैयालाल  साहू की हत्या की गई . हत्या के आरोपी पत्नी तारा साहू और भाई विकास साहू को गिरफ्तार कर लिया गया है.

संबंधों की बैसाखी बनी बंदूक : भाग 1

घड़ी की टिकटिक करती सुइयां 11 मार्च, 2020 को अलविदा कह कर अगली तारीख पर दस्तक दे चुकी थीं. प्रणव जैन और उस की नानी मनोरमा जैन रात का पहला पहर बीत जाने पर भी बेचैनी से घर में टहल रहे थे.

प्रणव रात 10 बजे से ही अपनी मां रिनी जैन को फोन पर फोन कर रहा था, लेकिन उन का फोन लगातार बंद जा रहा था. इस उम्मीद में कि शायद अब फोन औन हो गया होगा, वह दोबारा फोन करता. लेकिन दूसरी तरफ से वही स्विच्ड औफ की आवाज सुन कर दिल निराशा से भर उठता.

प्रणव और उस की नानी के मन में बुरेबुरे ख्याल आ रहे थे. मां के साथ किसी अनिष्ट की आशंका से ही प्रणव का पूरा शरीर सिहर जाता था.

रिनी जैन (42) अपनी मां मनोरमा जैन और बेटे प्रणव जैन के साथ दिल्ली से सटे गाजियाबाद में मोहननगर के पास स्थित गुलमोहर ग्रीन सोसायटी में जी-5 एए फ्लैट में रहती हैं.

उन का बेटा प्रणव डीएलएफ स्कूल में 12वीं का छात्र है. तलाकशुदा रिनी जैन के साथ उन की मां मनोरमा भी रहती हैं. रिनी जैन गाजियाबाद में इग्नू से संबद्ध एक इंस्टीट्यूट में इग्नू की तरफ से बतौर काउंसलर नियुक्त थीं. साधनसंपन्न परिवार था.

रिनी जैन जिदंगी को खुल कर जीने वाली महिला थीं, इसीलिए अपने परिचितों में वह एक बिंदास और शौकीन मिजाज महिला के रूप में जानी जाती थीं.

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11 मार्च, 2020 की शाम साढ़े 7 बजे रिनी अपनी मां और बेटे से यह कह कर घर से निकली थीं कि उन की किसी के साथ मीटिंग है और वह साढे़ 9 या 10 बजे तक लौट आएंगी. रिनी जैन अपनी स्विफ्ट कार यूपी14सी बी3394 ले कर अपनी सोसाइटी से निकलीं और देर रात तक घर नहीं लौटीं तो उन के बेटे व मां को चिंता सताने लगी.

परेशानहाल उन के बेटे व मां ने ऐसे तमाम लोगों को फोन करना शुरू कर दिया, जो रिनी जैन के परिचित थे और वह अकसर उन से मिलतीजुलती रहती थीं.

लेकिन किसी के पास रिनी के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं थी. उन्होंने अपनी ही सोसाइटी गुलमोहर ग्रीन के 812 एए में रहने वाले अपने परिचित संदीप कौशिक को भी फोन कर के रिनी के बारे में जानना चाहा. उन्होंने बताया कि दिन में एक बार उन की रिनी से बात तो हुई थी, लेकिन बीते दिन मुलाकात नहीं हुई थी.

प्रणव जैन और उन की नानी मनोरमा जैन की रात आंखोंआंखों में ही कटी. जैसेतैसे सुबह हुई तो प्रणव सोचने लगा कि अब क्या किया जाए. लेकिन 12 मार्च को सुबह 8 बजे कालोनी में रहने वाले उस के अंकल संदीप उन के घर पहुंच गए.

परिवार का हमदर्द बना संदीप

संदीप ने आते ही प्रणव से रिनी जैन के बारे में सारी बात पूछी. प्रणव ने उन्हें बताया कि वह घर में 9 या 10 बजे तक लौटने की बात कह कर गई थीं. यह जान संदीप भी चिंतित हो उठे. आखिरकार तय हुआ कि रिनी के लापता होने की गुमशुदगी दर्ज करा दी जाए.

इस दौरान 1-2 रिश्तेदार भी रिनी के लापता होने की खबर पा कर उन के घर पहुंच गए थे.

गुलमोहर ग्रीन सोसाइटी थाना साहिबाबाद के अंतर्गत आती है. प्रणव जैन रिश्तेदारों और संदीप कौशिक को ले कर सुबह करीब 10 बजे साहिबाबाद थाने पहुंच गए.

साहिबाबाद थाने के एसएचओ अनिल कुमार शाही, एडीशनल एसएचओ मुकेश कुमार तथा एसएसआई प्रमोद कुमार उस वक्त किसी मसले पर मंत्रणा कर रहे थे.

संदीप कौशिक के साथ साहिबाबाद थाने पहुंचे प्रणव जैन ने इंसपेक्टहर शाही को बताया कि उन की मां रिनी जैन बीती शाम से अपनी कार समेत लापता हैं और उन का मोबाइल फोन भी बंद है.

प्रणव जैन ने अपनी मां के साथ किसी अनहोनी की आशंका जताई, तो इंसपेक्टर शाही ने रिनी जैन का एक फोटो ले कर उन की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवा दी. साथ ही उन्होंने रिनी के हुलिए की जानकारी देते हुए जिले के सभी थानों और पूरे एनसीआर में वायरलैस पर उन की गुमशुदगी की सूचना प्रसारित करवा दी.

उसी दिन सिहानी गेट कोतवाली क्षेत्र में भट्ठा नंबर 5 के पास झाडि़यों में एक महिला का खून से लथपथ शव मिला था. उस के सिर में शायद गोली लगी थी. सिहानी गेट थाने की पुलिस ने उस अज्ञात महिला के शव के मिलने की जानकारी वायरलैस पर प्रसारित कराई थी.

वायरलैस पर मिली इस जानकारी से साहिबाबाद थाने की पुलिस को वह शव रिनी जैन का होने की आशंका हुई. इसलिए उसी दिन दोपहर में साहिबाबाद थाने के एसएसआई प्रमोद कुमार प्रणव जैन को साथ ले कर पहले सिहानी गेट थाने गए और फिर गाजियाबाद मोर्चरी पहुंचे.

सोसाइटी में रहने वाले फैमिली फ्रैंड संदीप कौशिक प्रणव के साथ थे. मोर्चरी में रखा महिला का शव बुरी तरह खून से लथपथ था. इस के बावजूद प्रणव शव को देखते ही फफकफफक कर रोने लगा. वह शव उस की मां का ही था.

प्रणव जैन ने पुलिस को बता दिया कि शव उस की मां का ही है. शव की शिनाख्त  हो गई थी. लिहाजा एसपी (सिटी) मनीष कुमार मिश्रा के आदेश पर सिहानी गेट पुलिस ने अज्ञात महिला की हत्या के दर्ज मामले को उसी दिन साहिबाबाद पुलिस के सुपुर्द कर दिया.

साहिबाबाद पुलिस ने निरीक्षण में पाया कि सिर पर वार कर हत्या करने के बाद शव को झाड़ी में फेंका गया था. महिला का मोबाइल व स्विफ्ट डिजायर कार गायब थी. रिनी अपने बेटे से पार्टी में जाने की बात कह कर घर से निकली थी. साहिबाबाद पुलिस ने 12 मार्च को ही रिनी जैन की गुमशुदगी के मामले को भादंसं की धारा 302 यानी हत्या के रूप में दर्ज कर लिया.

चूंकि मामला हत्या जैसे गंभीर अपराध का था, इसलिए इस मामले की जांच का दायित्व इंसपेक्टर इन्वैस्टीगेशन मुकेश कुमार के सुपुर्द कर दिया गया.

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मामला एक सभ्रांत परिवार की हाईप्रोफाइल महिला की हत्या का था, इसलिए गाजियाबाद के एसएसपी कलानिधि नैथानी ने भी इस पर तत्काल संज्ञान लिया और एसपी (सिटी) को निर्देश दिया कि घटना का जल्द से जल्द खुलासा करें.

एसपी (सिटी) ने उसी दिन बौर्डर इलाके के सीओ डा. राकेश कुमार मिश्रा  की निगरानी में थानाप्रभारी अनिल कुमार शाही, जांच अधिकारी इंसपेक्टर मुकेश कुमार, एसएसआई प्रमोद कुमार, सबइंसपेक्टर राजीव बालियान, नरेंद्र सिंह, हैडकांस्टेबल नाहर सिंह, कांस्टेबल सुजय कुमार, संजीव कुमार, ललित कुमार, सुनील कुमार और अनुज कुमार की टीम का गठन कर दिया और खुद जांच की मौनिटरिंग करने लगे.

जीवित गई रिनी लाश बन कर लौटी

थानाप्रभारी अनिल कुमार शाही ने उसी शाम को मृतका रिनी जैन के शव का पोस्टमार्टम करवा कर शव को उस के घर वालों के सुपुर्द करवा दिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि रिनी जैन की मौत उन के सिर में 2 गोली लगने से हुई थी.

साथ ही उन के शव पर कई जगह चोट के निशान भी मिले थे. चूंकि रिनी जैन का मोबाइल व स्विफ्ट डिजायर कार गायब थी, इसलिए पुलिस को पहली नजर में लगा कि ये मामला लूटपाट के विरोध में हुई हत्या का हो सकता है.

हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने तक पुलिस को शक था कि कहीं रिनी जैन की हत्या दुष्कर्म करने के बाद न की गई हो. लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह शक गलत निकला.

पुलिस को एक शक यह भी था कि इस वारदात के पीछे उन के किसी परिचित का हाथ न रहा हो. क्योंकि मोहननगर में रहने वाली रिनी जैन का शव राजनगर एक्सटेंशन से लगे भट्ठा नंबर 5 के इलाके में मिलना यह दर्शाता था कि वहां तक वह किसी परिचित के साथ ही आई होंगी. क्योंकि उस इलाके में आमतौर पर कोई अपनी मरजी से घूमने नहीं आता.

पुलिस को यकीन था कि रिनी जैन के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाने से कातिल तक पहुंचने में मदद मिल सकती है. इसलिए थानाप्रभारी अनिल कुमार शाही ने रिनी जैन के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवा कर उस की पड़ताल शुरू करा दी, जिस से यह साफ हो गया कि रात के 10 बजे जब रिनी जैन का मोबाइल बंद हुआ था, तो उस की आखिरी लोकेशन राजनगर एक्सटेंशन की थी.

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पुलिस ने जब उस के मोबाइल की काल डिटेल्स तथा शाम 6 बजे से उस के मोबाइल की लोकेशन को चैक करने का काम शुरू किया तो रिनी जैन के कातिल का चेहरा बेनकाब होता चला गया.

पुलिस ने मोबाइल की टैक्निकल सर्विलांस और कुछ सीसीटीवी फुटेज का सहारा लेने के बाद आखिरकार 14 मार्च की सुबह कातिल को पकड़ने के लिए जाल बिछा दिया.

थाना साहिबाबाद के प्रभारी अनिल कुमार शाही ने गठित की गई पुलिस टीम के साथ 14 मार्च को राजनगर एक्सटेंशन में घेराबंदी कर दी और किसी का इंतजार करने लगे. आखिरकार थोडे़ इंतजार के बाद 2 लोग रिनी जैन की कार में बैठे हुए राजनगर एक्सटेंशन से गाजियाबाद की तरफ जाते दिखे.

जब उस गाड़ी को रोका गया, तो उस में सवार व्यक्ति को देख कर पुलिस टीम की बांछें खिल गईं. क्योंकि उस व्यक्ति को पकड़ने के लिए ही टीम ने जाल बिछाया था. वह शख्स कोई और नहीं, रिनी जैन की सोसाइटी में रहने वाला उन का फैमिली फ्रैंड संदीप कौशिक और उस की पत्नी प्रीति त्यागी थे.

संदीप की पत्नी प्रीति त्यागी न्यू देहली इंस्टीट्यूट औफ मैनेजमेंट, ओखला में विजिटिंग प्रोफेसर थी. वे दोनों जिस स्विफ्ट कार में सवार हो कर राजनगर एक्सटेंशन से गाजियाबाद की तरफ जा रहे थे, वह रिनी जैन की थी, जो लापता थी. पुलिस ने जब उस कार की तलाशी ली तो उस में रिनी जैन की हत्या में प्रयुक्त 6.35 बोर का रशियन पिस्टल बरामद हुआ.

इस मामले में अब तक पीडि़त परिवार के साथ उन का हमदर्द बन कर पुलिस को चकरघिन्नी की तरह घुमा रहे संदीप और उस की पत्नी के चोरी पकड़े जाते ही होश उड़ गए.

दोनों को रिनी जैन की कार समेत थाने लाया गया. एसपी (सिटी) मनीष कुमार और सीओ डा. राकेश कुमार मिश्रा भी साहिबाबाद पहुंच गए.

जब पुलिस ने सख्ती के साथ रिनी जैन की हत्या के बारे में संदीप और प्रीति से पूछताछ की, तो हत्याकांड के सारे राज बेपरदा होते चले गए.

अपने खुले विचारों के कारण रिनी जैन का अपने पति से 2004 में तलाक हो चुका था. पति से तलाक के बदले उसे अच्छीखासी रकम मिली थी.जिस के सहारे रिनी जैन कुछ साल तक गाजियाबाद के कविनगर में रहते हुए अपने बेटे को पालने लगी. साथ में उन की मां रहने लगी थी.

2014 में रिनी जैन की जिंदगी में तब अचानक बदलाव आया जब संदीप कौशिक से उस की जानपहचान हुई.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

संबंधों की बैसाखी बनी बंदूक : भाग 2

संदीप कौशिक रेस्तरां चलाता था. उस के परिवार में पत्नी प्रीति कौशिक के अलावा एक बेटी थी, जो लगभग प्रणव जैन की उम्र की ही थी.

2014 में जब संदीप की बेटी और रिनी जैन का बेटा गाजियाबाद के राजेंद्रनगर स्थित डीएलएफ स्कूल में एक साथ पढते थे, तभी रिनी जैन और संदीप की एकदूसरे से जानपहचान हुई थी. दोनों ही अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने जाते थे. बाद में वे टीचर पेरैंट्स मीटिंग में भी मिलने लगे.

रिनी ने संदीप में ढूंढा पति का प्यार

कुछ समय बाद दोनों एकदूसरे के आकर्षण में बंध गए. पति से तलाक के बाद अकेले रह गई रिनी जैन को किसी ऐसे मर्द की जरूरत थी, जो उस के तन की प्यास बुझाने के साथ उस की भावनाओं को भी समझता हो. संदीप में उसे वे सारे गुण दिखे. फलस्वरूप दोनों के बीच नाजायज रिश्ते बन गए. जल्द ही दोनों का एकदूसरे के घर आनाजाना भी शुरू हो गया. हालांकि संदीप ने अपनी पत्नी से रिनी जैन से अपने असली रिश्ते की बात छिपा ली थी.

रिनी जैन संदीप को बेपनाह प्यार करती थी. संदीप भी उस के हर दुखदर्द में बढ़चढ़ कर उस का साथ देता था. देखतेदेखते कई साल गुजर गए. दोनों के बच्चे भी जवानी की दहलीज पर कदम रख चुके थे.

संदीप की बेटी और रिनी का बेटा प्रणव डीएलएफ स्कूल में ही कक्षा 12 में साथ पढ़ रहे थे. 2 साल पहले रिनी जैन ने भी संदीप जैन की ही गुलमोहर ग्रीन सोसायटी में फ्लैट ले लिया और वहां आ कर रहने लगी. इस दौरान दोनों के संबंध और भी ज्यादा प्रगाढ़ हो गए.

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इधर रिनी जैन ने एक साल पहले संदीप के राजेंद्रनगर स्थित रेस्तरां अमिगो में कुछ पैसा भी इनवैस्ट किया था. एक तरह से वह रेस्तरां में उस क ी साइलेंट पार्टनर बन गई थी.

लेकिन एकदूसरे के साथ घूमनेफिरने और गाढ़ी दोस्ती के कारण अब लोग दोनों के संबंधों पर अंगुलियां उठाने लगे थे. रिनी जैन की कई महिला दोस्त तो उसे सलाह देने लगीं कि वह संदीप की इतनी मदद करती है, तो उस से शादी क्यों नहीं कर लेती. जब कई लोगों ने रिनी को ऐसी सलाह दी तो करीब 10 महीना पहले रिनी जैन ने संदीप पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि वह उस के साथ शादी कर लें.

शुरू में तो संदीप रिनी की बातों को हंसी में कही गई बात मान कर टालता रहा. लेकिन कुछ दिनों बाद जब उस ने ज्यादा दबाव बनाना शुरू किया तो संदीप को उस से कहना पड़ा, ‘‘यार, जब हम दोनों रिलेशनशिप में आए थे तो दोनों के बीच ऐसा कुछ तय नहीं हुआ था कि शादी करेंगे.’’

‘‘हां, तय नहीं हुआ था. लेकिन अब मैं कह रही हूं कि तुम्हें  मुझ से शादी करनी पडे़गी.’’ रिनी ने धमकी भरे लहजे में कहा.

‘‘चलो तुम्हारी बात मान भी लूं तो अपने परिवार का क्या करूंगा. मेरी पत्नी तो मुझे जेल भिजवा देगी.’’ संदीप ने रिनी को अपनी मजबूरी समझाते हुए कहा.

‘‘अगर तुम उसे नहीं मना सकते तो उस की हत्या कर दो, लेकिन तुम्हें हर हाल में मुझ से शादी करनी पड़ेगी.’’

उस दिन रिनी ने संदीप को अंतिम चेतावनी देने के साथ जब संदीप को उस की पत्नी की हत्या करने का सुझाव दिया तो वह कांप उठा.

संदीप को लगा कि रिनी बहुत जहरीली औरत है. आखिर 2 महीने पहले संदीप  कौशिक ने अपनी पत्नी प्रीति त्यागी को रिनी जैन के साथ अपने रिलेशन की बात बता दी और यह भी बता दिया कि रिनी जैन उस पर शादी का दबाव बना रही है. वह कह रही है कि अगर तुम इस के लिए तैयार नहीं हो तो मैं तुम्हारी हत्या कर दूं.

पति के मुंह से उस के अवैध संबधों की बात सुन कर प्रीति को गुस्सा भी आया और संदीप से जम कर झगड़ा भी हुआ. लेकिन जब प्रीति को इस बात का अहसास हुआ कि संदीप उस से इतना प्यार करता है कि उस की हत्या की बात आने पर उस ने रिनी से अपने संबधों तक की बात उसे बता दी.

इस के बाद संदीप और प्रीति योजना बनाने लगे कि उन्हें रिनी जैन से किस तरह निबटना है. दोनों ने रिनी पर यह जाहिर नहीं होने दिया कि उन्होंने एकदूसरे को सब कुछ बता दिया है.

लेकिन कुछ समय पहले से रिनी ने संदीप पर कुछ ज्यादा ही दबाव बनाना शुरू कर दिया. लिहाजा संदीप को कहना पड़ा कि वह अपने ही हाथों से अपनी पत्नी की हत्या नहीं कर सकता. अगर वह ऐसा करेगा तो वह पुलिस की पकड़ में आ जाएगा.

लेकिन रिनी पर तो किसी भी तरह संदीप को पाने का जुनून सवार था. लिहाजा उस ने संदीप को धमकी दी कि वह 17 मार्च से पहले अपनी पत्नी को मार दे, नहीं तो वह 17 मार्च को संदीप के घर पहुंच कर खुद उस की हत्या कर देगी.

उस ने संदीप से कहा कि वह उस दिन अपने घर के सारे सीसीटीवी कैमरे जरूर बंद कर दे ताकि उस के घर में जाने का कोई सबूत रिकौर्ड में ना आए. रिनी का इरादा था कि प्रीति की हत्या के कुछ दिन बाद दोनों शादी कर लेंगे.

रिनी की धमकी भारी पड़ी

रिनी जैन की ये धमकी सुन कर संदीप बुरी तरह डर गया और उस ने प्रीति को यह बात भी बता दी. दोनों ने योजना बनाई कि अगर रिनी की इस धमकी से बचना है तो उसे रास्ते से हटाना होगा. बस संदीप ने रिनी की हत्या की साजिश का तानाबाना बुन लिया.

संदीप ने कुछ दिन पहले से ही रिनी के दिलोदिमाग में यह बात बैठा दी थी कि वह 17 तारीख तक अपनी पत्नी प्रीति की हत्या कर देगा. लेकिन इस से पहले संदीप ने रिनी को रेस्टोटरेंट का काम बढ़ाने के लिए 3 लाख रुपए देने के लिए मना लिया. रिनी ने उस से कहा कि वह 11 मार्च को रकम का इंतजाम कर देगी.

रिनी जैन के पास इतनी बड़ी रकम नहीं थी, उस ने अपने एक दोस्त से 3 लाख रुपए उधार ले लिए. रकम का इंतजाम होने के बाद उस ने 11 मार्च की शाम को 5 बजे संदीप को फोन किया कि पैसे का इंतजाम हो गया है, वह रकम देने के लिए कहां मिले.

संदीप ने प्रीति को मिलने के लिए रेस्टोरेंट की जगह राजेंद्रनगर में एक क्लब के पास बुलाया. रिनी जब अपनी कार से वहां पहुंची तो संदीप पहले से उस का इंतजार कर रहा था. संदीप ने रिनी से घूमने चलने के लिए कहा. इस के बाद दोनों रिनी की कार से ही घूमते रहे.

लेकिन इस से पहले संदीप ने साजिश के तहत अपनी पत्नी प्रीति को अपना मोबाइल दे कर दिल्ली भेज दिया, ताकि उस की लोकेशन वहां की मिले. कुछ देर तक दोनों कार में ही ड्रिंक करते रहे.

रात करीब साढे़ 9 बजे संदीप ने रिनी से गाड़ी में ही सैक्स करने की फरमाइश की तो रिनी ने कार को किसी सुनसान इलाके में ले चलने को कहा. जिस के बाद संदीप रिनी की कार को ड्राइव करते हुए भट्ठा नंबर 5 पर सुनसान जगह ले आया.

वहां पूरा सन्नाटा देख कर संदीप ने बहाने से उसे कार से नीचे उतारा. इसी दौरान पीछे से छोटी रशियन पिस्टल से उस के सिर में 2 गोलियां मार दीं. इस के बाद संदीप ने रिनी  का मोबाइल बंद कर दिया और वहां से निकल गया.

संदीप ने कार के पेपर हिंडन पुल के पास नदी में फेंक दिए और रिनी की कार, हत्या में प्रयुक्त पिस्टल व रकम के साथ गुलमोहर गार्डन में अपने एक परिचित के पास छोड़ दिया. बाद में वह कैब से घर आ गया. अगले दिन रिनी के बेटे के साथ हमदर्दी जताते हुए वह साहिबाबाद थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने पहुंच गया.

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खुल गया पूरा राज

दरअसल, पुलिस को संदीप कौशिक पर शक इसलिए हुआ क्योंकि जब रिनी जैन के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाली गई तो दोनों के बीच हर रोज कई बार लंबीलंबी बातचीत के रिकौर्ड मिले. इन काल रिकौर्ड से साफ हो गया कि दोनों के बीच सिर्फ फैमिली फ्रैंड वाले रिश्ते नहीं हैं.

संदीप पर शक का एक कारण यह भी था कि उस ने पुलिस को यह बात नहीं बताई थी कि वारदात वाले दिन सुबह से ले कर शाम 5 बजे तक उस की रिनी जैन से छह बार बात हुई थी. इस के अलावा पुलिस को उन के बीच वाट्सऐप चैट के भी सबूत मिले.

हालांकि पुलिस की सामान्य पूछताछ में संदीप ने यही बताया था कि वारदात वाली रात को साढे़ 10 बजे तक वह अपने रेस्तरां पर था. लेकिन जब उस के मोबाइल की लोकेशन निकाली गई तो 6 बजे के बाद उस के मोबाइल की लोकेशन दिल्ली के कनाट प्लेस में मिली. बस इसी से पुलिस को उस पर शक हो गया.

इस के अलावा पुलिस ने शाम को 7 बजे से उस पूरी रात में गुलमोहर ग्रीन सोसाइटी के साथ आसपास की सोसाइटी के करीब 100 से 200 सीसीटीवी की जांच की थी.

इन्हीं कैमरों की फुटेज में संदीप गुलमोहर गार्डन अपार्टमेंट में रिनी जैन की कार को पार्किंग में ले जाते हुए और उसे पार्क करते दिखा था.

इस के बाद पुलिस ने संदीप कौशिक के मोबाइल को निगरानी में ले लिया और उस की हर गतिविधि को वाच किया जाने लगा. बस संदीप पर शक के पुख्ता होते ही पुलिस ने उसे पकड़ने का जाल बिछाया और उसे तब गिरफ्तार कर लिया जब वह अपनी पत्नी के साथ कार को ठिकाने लगाने के लिए ले जा रहा था.

विस्तृत पूछताछ के बाद संदीप ने अपने घर में रखे 3 लाख रुपए भी बरामद करवा दिए जो उस ने हत्या के बाद रिनी जैन से लूटे थे. पुलिस ने हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप में संदीप की पत्नी  प्रीति त्यागी को भी संदीप के साथ सक्षम न्यायालय में पेश किया, जहां से दोनों को न्यायिक हिरासत में डासना जेल भेज दिया गया.

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एसएसपी गाजियाबाद ने केवल 72 घंटे में ही ब्लाइंड मर्डर केस को सुलझाने वाली साहिबाबाद पुलिस को 15 हजार रुपए का पुरस्कार दिया है.

– कथा पुलिस की जांच व आरोपियों के बयान पर आधारित है

संबंधों की बैसाखी बनी बंदूक

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