सौजन्य: मनोहर कहानियां

26 साल के छत्रपति शर्मा की आंखों में नींद नहीं थी. वह लगातार अपनी नईनवेली बीवी प्रिया को निहार रहा था. जैसे ही प्रिया की नजरें उस से टकराती थीं, वह शरमा कर सिर झुका लेती थी. 20 साल की प्रिया वाकई खूबसूरती की मिसाल थी. लंबी, छरहरी और गोरे रंग की प्रिया से उस की शादी हुए अभी 2 दिन ही गुजरे थे, लेकिन शादी के रस्मोरिवाज की वजह से छत्रपति को उस से ढंग से बात करने तक का मौका नहीं मिला था.

छत्रपति मुंबई में स्कूल टीचर था. उस की शादी मध्य प्रदेश के सिंगरौली शहर के एक खातेपीते घर में तय हुई थी और शादी मुहूर्त 23 नवंबर, 2017 का निकला था. इस दिन वह मुंबई से बारात ले कर सिंगरौली पहुंचा और 24 नवंबर को प्रिया को विदा करा कर वापस मुंबई जा रहा था. सिंगरौली से जबलपुर तक बारात बस से आई थी. जबलपुर में थोड़ाबहुत वक्त उसे प्रिया से बतियाने का मिला था, लेकिन इतना भी नहीं कि वह अपने दिल की बातों का हजारवां हिस्सा भी उस के सामने बयां कर पाता.

बारात जबलपुर से ट्रेन द्वारा वापस मुंबई जानी थी, जिस के लिए छत्रपति ने पहले से ही सभी के रिजर्वेशन करा रखे थे. उस ने अपना, प्रिया और अपनी बहन का रिजर्वेशन पाटलिपुत्र एक्सप्रैस के एसी कोच में और बाकी बारातियों का स्लीपर कोच में कराया था. ट्रेन रात 2 बजे के करीब जब जबलपुर स्टेशन पर रुकी तो छत्रपति ने लंबी सांस ली कि अब वह प्रिया से खूब बतियाएगा. वजह एसी कोच में भीड़ कम रहती है और आमतौर पर मुसाफिर एकदूसरे से ज्यादा मतलब नहीं रखते.

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