
जुर्म स्वीकार कर लेने के बाद हिमानी को गिरफ्तार कर लिया गया. उसी शाम सागर के घर पर दबिश दे कर उसे भी दबोच लिया गया. पूछताछ के दौरान जब उसे बताया गया कि उस की माशूका हिमानी को गिरफ्तार कर लिया गया है, तो वह बुरी तरह चौंका.
जब उसे उस की काल डिटेल्स दिखाई गई तो उस ने भी अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. बाद में दोनों की निशानदेही पर सोनू की हत्या में प्रयुक्त वह रस्सी भी बरामद कर ली, जिस से सोनू का गला घोंटा गया था. सोनू हत्याकांड के पीछे की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस तरह है.
बाहरी दिल्ली जिले में एक गांव है बादली. माधव सिंह अपने परिवार के साथ यहीं रहते हैं. उन के परिवार में पत्नी अंजू (काल्पनिक नाम), 24 साल का बेटा सोनू, बेटी पिंकी थे. माधव सिंह की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी. वह एक होटल में काम करते थे. सोनू पेशे से ड्राइवर था, जबकि पिंकी एक बड़े अस्पताल में काम करती थी.
शादी के बाद खुश थे दोनों
सोनू की शादी करीब 3 साल पहले हिमानी के साथ हुई थी. हिमानी गोरे रंग, आकर्षक नैननक्श की खूबसूरत युवती थी. हंसमुख और मिलनसार स्वभाव की हिमानी को पत्नी के रूप में पा कर सोनू बहुत खुश था. हिमानी भी इस घर में आ कर खुश थी. पिंकी भाभी का पूरा खयाल रखती थी.
सोनू और हिमानी अपनी दुनिया में खुश रहते थे. सोनू का काम ऐसा था कि वह सुबह घर से निकलता था. इस के बाद उसे खुद भी पता नहीं रहता था कि वह घर कब लौटेगा.
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हिमानी अपनी सास के साथ घर का कामकाज निबटाती और दिन का बाकी समय टीवी देखती या सो कर गुजारती थी. जब कभी उसे सोनू की याद सताती तो वह उस के मोबाइल पर फोन कर के उस का हालचाल पूछ लिया करती थी. सोनू भी खाली वक्त में फोन करता था. बेटी के जन्म से घर में सभी खुश थे.
हिमानी का कमरा घर की पहली मंजिल पर था. जब कभी उसे बोरियत महसूस होती तो वह अपना मन बहलाने के लिए बालकनी में आ कर खड़ी हो जाती थी. इसी दौरान एक दिन उस की निगाहें पड़ोस में रहने वाले युवक सागर की निगाहों से टकराईं तो उस के तनबदन में सिहरन सी दौड़ गई.
पहले भी उस ने गौर किया था कि वह किसी न किसी बहाने उस के घर के सामने आ कर उसे एकटक निहारता है. उस दिन तो उसे सागर का यूं अपनी ओर बेशरमी से देखना अच्छा नहीं लगा, लेकिन बाद में उसे लगा कि पति के अलावा पड़ोस के लड़के भी उसे पसंद करते हैं तो उस के चेहरे पर मुसकराहट तैरने लगी.
हौलेहौले चाहत भरी नजरों के इस खेल में उसे भी मजा आने लगा. उस ने भी सागर की नजरों से नजरें मिलानी शुरू कर दीं. बात बढ़ती गई और मामला बातचीत से शुरू हो कर मोबाइल नंबर के आदानप्रदान तक पहुंच गया.
सागर में घुलमिल गई हिमानी
सागर हिमानी को फोन कर के उस से मिलने की जिद करने लगा तो एक दिन जब वह घर में अकेली थी तो उस ने मौका देख कर सागर को अपने कमरे में बुला लिया. सागर बहुत बातूनी युवक था. उस ने हिमानी को अपनी मीठीमीठी बातों में ऐसा फंसाया कि वह उस की बांहों में अपनी सुधबुध खो बैठी.
हिमानी के बदन से खेलने के बाद सागर वहां से चला गया, लेकिन उस दिन के बाद जब कभी हिमानी को मौका मिलता, वह सागर को मिलने के लिए अपने घर में बुला लेती थी. कभीकभी वह खुद भी किसी काम के बहाने घर से निकल कर सागर की बताई हुई जगह पर पहुंच जाती थी.
शुरुआत में हिमानी और सागर के अवैध रिश्तों की जानकारी किसी को नहीं हुई, लेकिन यह बात ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रह सकी. एक दिन सोनू को उस के किसी दोस्त ने उस की बीवी की बेवफाई की दास्तान बताई तो उसे उस की बातों पर विश्वास नहीं हुआ. लेकिन जब लोगों ने सागर के साथ हिमानी का नाम जोड़ कर छेड़ना शुरू कर दिया तो उसे उन की बात पर विश्वास करना पड़ा.
सागर मोहल्ले का दबंग युवक था. लोग उस के सामने आने में कतराते थे. फिर भी सोनू ने उस से कहा कि वह हिमानी से मिलना छोड़ दे. सागर ने उस समय तो उस की बात मान ली लेकिन उस ने अपनी हरकतें जारी रखीं.
घटना के 4 दिन पहले सोनू और सागर के बीच बच्चों को ले कर जोरदार झगड़ा हुआ. इस दौरान सागर ने सोनू को 8 दिनों के अंदर जान से मारने की धमकी दी.
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हिमानी का दिल अपने पति सोनू से भर चुका था. उसे सोनू से सागर ज्यादा प्यारा था, इसलिए जब सागर ने सोनू की हत्या करने की बात उसे बताई तो वह उस का साथ देने के लिए तैयार हो गई.
योजना के अनुसार 8 सितंबर की रात हिमानी ने सोनू के खाने में नींद की गोलियां मिला दीं. आधी रात को जब वह हिमानी के साथ अपने बैडरूम में पहुंचा तो लेटते ही नींद की आगोश में चला गया.
रात के करीब ढाईतीन बजे के बीच जब सारा मोहल्ला चैन की नींद सो रहा था, तभी हिमानी ने फोन कर सागर को अपने कमरे में आने के लिए कहा. सागर को पहले से ही हिमानी के फोन का इंतजार था. जैसे ही हिमानी ने बुलाया, वह दबे पांव छत के रास्ते हिमानी के कमरे में पहुंचा और एक रस्सी से सोनू का गला घोंट दिया.
रात भर हिमानी अपने पति की लाश के साथ सोई रही. सुबह 7 बजे उठ कर उस ने अपने ससुर माधव सिंह तथा सास अंजू को पति की हत्या होने की जानकारी दी.
12 सितंबर, 2019 को थानाप्रभारी अक्षय कुमार ने सोनू हत्याकांड के दोनों आरोपियों हिमानी और सागर उर्फ बलवा को रोहिणी कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
इस हत्याकांड में दूसरे नामजद आरोपी राहुल का कोई हाथ न होने के कारण उस के खिलाफ काररवाई नहीं की गई. मामले की जांच थानाप्रभारी अक्षय कुमार कर रहे थे. – कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
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कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां
24 वर्षीय सोनू अपनी पत्नी हिमानी के साथ बाहरी दिल्ली स्थित बादली गांव के सिसोदिया मोहल्ले में रहता था. वह और हिमानी घर की ऊपरी मंजिल पर रहते थे, जबकि उस के पिता माधव सिंह और बहन पिंकी ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे.
सोनू पेशे से ड्राइवर था और एक टूरिस्ट कंपनी की कार चला कर पूरे परिवार की जीविका चलाता था. 7 सितंबर, 2019 की रात 11 बजे तक परिवार के सभी सदस्य खाना खा चुके थे. सोनू को नींद आ रही थी, इसलिए वह हिमानी और डेढ़ साल के बच्चे के साथ पहली मंजिल पर अपने बैडरूम की ओर बढ़ गया. बेटे और बहू के जाने के बाद घर के बाकी सदस्य भी सोने चले गए.
सुबह करीब 7 बजे भाभी हिमानी के चीखनेचिल्लाने की आवाजें सुन कर पिंकी उस के कमरे में गई तो हिमानी ने रोते हुए बताया कि रात को किसी बदमाश ने इन की हत्या कर दी है. अभी थोड़ी देर पहले जब नींद खुली तो देखा तो ये मरे पड़े थे.
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बैड पर भाई सोनू की लाश देख कर पिंकी ने बदहवास हो कर रोना शुरू कर दिया. बेटी और बहू के रोने की आवाज सुन कर सोनू के मातापिता भी भागते हुए वहां पहुंच गए. सोनू की लाश देख कर चीखपुकार मच गई.
तभी पिंकी ने अपने मोबाइल से 100 नंबर पर पुलिस को फोन कर अपने भाई की हत्या की सूचना दे दी. थोड़ी देर बाद बादली थाने से एसआई मनीष कुमार वहां पहुंच गए. लाश को दख्ेने के बाद उन्होंने पाया कि सोनू के गले पर एक स्याह निशान बना हुआ था. चूंकि मामला हत्या का था, इसलिए उन्होंने इस मामले की सूचना थानाप्रभारी अक्षय कुमार को दे दी.
थोड़ी देर में थानाप्रभारी अक्षय कुमार थाने में मौजूद पुलिस स्टाफ के साथ सिसोदिया मोहल्ला स्थित माधव सिंह के घर जा पहुंचे. घर की पहली मंजिल पर पहुंच कर उन्होंने लाश का मुआयना किया तो मृतक के गले पर गहरा स्याह निशान मिला.
ऐसा लग रहा था मानो किसी ने रस्सी या चुन्नी से उस का गला घोंटा हो. कमरे का बारीकी से निरीक्षण करने पर उन्होंने पाया कि सभी सामान अपनी जगह पर था. घर से कोई सामान गायब नहीं था. मतलब हत्यारा जो भी रहा हो, उस की मंशा सिर्फ सोनू की हत्या करने की रही थी.
थानाप्रभारी ने फोरैंसिक टीम को बुला लिया. मृतक के पिता माधव सिंह से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि रात के 12 बजे सोनू अपनी पत्नी हिमानी के साथ ग्राउंड फ्लोर से पहली मंजिल स्थित इस कमरे में आ गया था. इस के बाद सुबह 7 बजे हिमानी ने नीचे आ कर बताया कि सोनू की हत्या कर दी है.
यह सुन कर थानाप्रभारी अक्षय कुमार ने मृतक की पत्नी हिमानी से पूछताछ की. पति की मौत से बुरी तरह आहत हिमानी की स्थिति बहुत खराब थी. वह छाती पीटपीट कर लगातार रोए जा रही थी. उस ने बस इतना बताया कि वह डेढ़ साल की बेटी के साथ पति की बगल में सो रही थी. गरमी ज्यादा होने के कारण ये कमरे का दरवाजा खुला छोड़ कर सोते थे. पता नहीं रात में वहां कौन आया और इन की हत्या करने के बाद फरार हो गया.
थानाप्रभारी अक्षय कुमार ने उस वक्त हिमानी से ज्यादा पूछताछ करना उचित नहीं समझा. क्योंकि घर में सभी रोपीट रहे थे और माहौल गमगीन था. अलबत्ता उन्हें हिमानी पर शक हुआ.
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फोरैंसिक एक्सपर्ट का काम निपट जाने के बाद उन्होंने एसआई मनीष कुमार तथा अन्य स्टाफ के साथ घर का मुआयना करना शुरू किया तो देखा बगल की छत उन की छत से मिली हुई थी. यह देख कर उन्होंने अनुमान लगाया कि हत्यारा संभवत: इसी रास्ते सोनू के कमरे तक पहुंचा होगा और वारदात को अंजाम देने के बाद चुपचाप इसी रास्ते फरार हो गया होगा. एसआई मनीष की भी यही सोच थी.
संदेह की हुई शुरुआत
मौकामुआयना करने के बाद पुलिस टीम ने सोनू की लाश पोस्टमार्टम के लिए बाबू जगजीवन राम अस्पताल, जहांगीरपुरी भेज दी. वहां की सारी काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस टीम थाने लौट गई.
10 सितंबर को मृतक की बहन पिंकी की शिकायत पर थाने में सोनू की हत्या का मामला सागर उर्फ बलवा और राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत दर्ज कर लिया गया.
मामले की जांच खुद थानाप्रभारी अक्षय कुमार कर रहे थे. उन्होंने एसआई मनीष को कुछ निर्देश दे कर दोबारा मृतक के परिजनों को टटोलने के लिए उन के घर भेजा. वहां सभी ने सोनू की हत्या में पड़ोस में रहने वाले बदमाश सागर उर्फ बलवा पर शक जताया. एफआईआर में भी सागर को ही नामजद किया गया था.
पूछताछ के दौरान एसआई मनीष ने मृतक की पत्नी हिमानी को बुला कर उस से एक बार फिर पूछताछ की तो उन्हें ऐसा लगा जैसे वह जानबूझ कर इस केस का रुख दूसरी दिशा में मोड़ना चाह रही हो. यह देख कर उन्होंने उस का मोबाइल नंबर नोट कर लिया.
थाने लौट कर उन्होंने हिमानी के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई और उस का बारीकी से निरीक्षण करने लगे.
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काल डिटेल्स की जांच के दौरान वह यह देख कर चौंके कि हिमानी लगातार एक मोबाइल नंबर के संपर्क में थी. वारदात वाली रात में भी हिमानी ने इस नंबर पर काफी देर बात की थी. मनीष कुमार ने यह बात थानाप्रभारी को बताई तो उन्होंने उस नंबर की काल डिटेल्स निकालने के आदेश दिए. मोबाइल नंबर की जांच की गई तो नंबर उसी सागर उर्फ बलवा का निकला, जिस पर मृतक के पिता एवं परिवार के अन्य लोगों ने सोनू की हत्या का आरोप लगाया था.
यह देख कर थानाप्रभारी और एसआई मनीष के चेहरों पर मुसकराहट दौड़ गई. उन्हें लगा कि हत्यारा अब उन की पकड़ से ज्यादा दूर नहीं है.
11 सितंबर की शाम को थानाप्रभारी अक्षय कुमार ने हिमानी को पूछताछ के लिए थाने बुलाया. पूछताछ के दौरान हिमानी मासूम बन कर चालाकी से पुलिस की जांच की दिशा भटकाने की कोशिश करती रही लेकिन जब उस के सामने उस की काल डिटेल्स दिखा कर उस के और सागर के रिश्तों के बारे में पूछा गया तो उस का हलक सूख गया.
आखिरकार उस ने स्वीकार कर लिया कि उस के और सागर उर्फ बलवा के बीच जिस्मानी रिश्ते हैं और उस ने सागर के साथ मिल कर 7-8 सितंबर के तड़के पति की हत्या की थी.
कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां
लेखक- पी.एल. कश्यप
चूंकि ज्ञान सिंह और रामकुमार के गांवों में महज 3 किलोमीटर की दूरी थी. ज्ञान सिंह का रामकुमार के घर भी आनाजाना हो गया और धीरेधीरे रामकुमार ज्ञान सिंह का विश्वासपात्र बन गया.
इसी दौरान ज्ञान सिंह की नजरें रामकुमार की पत्नी कमला पर जा टिकीं. रामकुमार दिन में जब दूध ले कर शहर को निकल जाता तो ज्ञान सिंह दोपहर के वक्त कमला के घर में बैठ कर उस से घंटों बतियाता. दरअसल वह उस के मन को टटोला करता था.
कमला की नजरों ने ज्ञान सिंह के मन को भांप लिया कि वह क्या चाहता है. ज्ञान सिंह कमला को भाभी कहता था. उम्र में वह कमला से काफी छोटा था. इसलिए दोनों में नजदीकियां काफी बढ़ गईं. वक्तजरूरत पर ज्ञान सिंह ने पैसे से मदद कर कमला का मन जीत लिया था. धीरेधीरे वह भी उस की तरफ आकर्षित होने लगी और कमला का झुकाव ज्ञान सिंह की तरफ हो गया था. फिर दोनों में करीबी रिश्ता बन गया.
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एक दिन कमला ने मौका देख कर ज्ञान सिंह से कहा, ‘‘तुम मेरे मकान के नजदीक खाली पड़े खंडहर में दूध की डेयरी का काम क्यों नहीं शुरू कर देते. तुम्हारे भाईसाहब को भी शिवपुरी मानपुर लाला से जा कर रोजाना दूध लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी और उन्हें भी आसानी हो जाएगी. समय निकाल कर मैं भी दूध की डेयरी पर हाथ बंटा दिया करूंगी. बच्चों का खर्च उठाने के लिए मुझे भी धंधा मिल जाएगा.’’
कमला की बात सुन कर ज्ञान सिंह हंसते हुए बोला, ‘‘अच्छा तो यह बात है. मैं अपने रिश्तेदार अंकित यादव से इस बारे में बात करूंगा.’’
ज्ञान सिंह उर्फ ज्ञानू अंकित यादव का रिश्तेदार था. उस के अंकित के परिवार से अच्छे संबंध थे. ज्ञान सिंह ने अंकित के सामने यह प्रस्ताव रखा कि वह शिवपुरी बरा खेमपुर में दूध की डेयरी खोलना चाहता है. अंकित ने ज्ञान सिंह के प्रस्ताव को सुन कर हामी भर ली और शिवपुरी बरा खेमपुर में रामकुमार के आवास के पास ही दूध की डेयरी खोल ली और दूध के कारोबार की जिम्मेदारी कमला के पति रामकुमार को सौंप दी. कमला ज्ञान सिंह की इस पहल से काफी खुश थी.
गांव में दूध की डेयरी खुल जाने के बाद कमला और ज्ञान सिंह की नजदीकियां बढ़ गईं तो दोनों ने इस का भरपूर फायदा उठाया. रामकुमार भी पहले से अधिक ज्ञान सिंह की डेयरी पर समय बिताने लगा. रामकुमार ज्ञान सिंह की काली करतूतों से अनजान था. धीरेधीरे ज्ञान सिंह और कमला की नजदीकियों की चर्चा रामकुमार के कानों तक पहुंच गई.
पहले तो रामकुमार ने इन चर्चाओं पर विश्वास नहीं किया. उस ने कहा कि जब तक वह आंखों से देख नहीं लेगा, विश्वास नहीं करेगा. लेकिन फिर एक दिन कमला और ज्ञान सिंह को रामकुमार ने अपने ही घर में आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया.
उस समय रामकुमार कमला से कुछ नहीं बोला लेकिन रात का खाना खा कर रामकुमार ने फुरसत के क्षणों में कमला से पूछा, ‘‘क्यों, मैं जो कुछ सुन रहा हूं और जो कुछ मैं ने अपनी आंखों से देखा, वह सच है?’’
चतुर कमला ने दोटूक जवाब देते हुए ज्ञान सिंह से अपने संबंधों की बात नकार दी. लेकिन रामकुमार के मन में संदेह का बीज पनपते ही घर में कलह की नींव पड़ गई. धीरेधीरे उस का मन ज्ञान सिंह की डेयरी पर काम करने को ले कर उचटने लगा.
मन में दरार पड़ते ही उस ने ज्ञान सिंह से साफ कह दिया कि उस की पत्नी और उस के बीच जो कुछ भी चल रहा है, वह उस के जीवन में जहर घोल रहा है. उस ने ज्ञान सिंह से उस की डेयरी पर काम करने के लिए न केवल इनकार कर दिया, बल्कि ज्ञान सिंह की डेयरी पर काम भी छोड़ दिया. दोनों की दोस्ती कमला को ले कर दुश्मनी में बदल गई.
यह बात ज्ञान सिंह और कमला को अच्छी नहीं लगी. कमला ने पति से कहा कि उस ने ज्ञान सिंह का कारोबार छोड़ कर दुश्मनी मोल ले ली है, लेकिन रामकुमार ने उस की एक नहीं सुनी. इतना ही नहीं, उस ने पत्नी कमला पर दबाव बना कर पत्नी की तरफ से ज्ञान सिंह के खिलाफ थाना बख्शी का तालाब में एससी/एसटी एक्ट के तहत शिकायत दर्ज करवा दी. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद ज्ञान सिंह की बदनामी हुई तो कुछ लोगों ने गांव में ही दोनों का फैसला करा दिया.
ज्ञान सिंह की दूध की डेयरी पर काम बंद करने एवं थाने में शिकायत दर्ज कराने को ले कर ज्ञान सिंह के मन में काफी खटास पैदा हो गई थी. दूसरे, दूध की डेयरी की जिम्मेदारी भी ज्ञान सिंह पर स्वयं आ पड़ी. रामकुमार ने भी अपनी मेहनतमजदूरी के वास्ते शहर जा कर काम ढूंढ लिया.
पुलिस की जानकारी में आया कि एक बार ज्ञान सिंह ने शहर के एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा रामकुमार पर हमला करवा दिया था. उस दिन से रामकुमार और ज्ञान सिंह दोनों एकदूसरे के कट्टर दुश्मन बन गए. उस दिन घर लौट कर रामकुमार ने कमला को खूब खरीखोटी सुनाई थी.
रामकुमार ने कमला को हिदायत देते हुए ज्ञान सिंह ने दूर रहने की चेतावनी दे दी. ऐसा न करने पर उस ने अंजाम भुगतने की धमकी भी दी. लेकिन दोनों में से कोई भी रामकुमार की हिदायतों को मानने के लिए तैयार नहीं था.
इधर कमला की भी मजबूरी थी. वह ज्ञान सिंह द्वारा वक्तवक्त पर आर्थिक मदद के कारण उस के दबाव और अहसानों से दबती चली गई. रामकुमार इस बात से बिलकुल अंजान था. कमला ने ज्ञान सिंह से ली हुई रकम को चुकता करने के लिए डेयरी पर आनेजाने का सिलसिला जारी रखा.
वह चाहती थी कि ज्ञान सिंह की दूध की डेयरी पर अधिक से अधिक दिनों तक काम कर के उस की ली हुई आर्थिक मदद में उधार की रकम की देनदारी को चुकता कर दे.
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रामकुमार को कमला का उस की डेयरी पर आनाजाना बिलकुल नहीं भाता था. लेकिन कमला ने पति की चिंता नहीं की. वह पति से ज्यादा प्रेमी ज्ञान सिंह को चाहती थी. इस की एक वजह यह थी कि ज्ञान सिंह उच्च जाति का धनवान व्यक्ति था. रामकुमार से अनबन कर लेने पर उसे कोई नुकसान नहीं था, लेकिन ज्ञान सिंह से अलग हो जाने पर गृहस्थी का सारा खेल बिगड़ सकता था.
इसी वजह से कमला ने ज्ञान सिंह से मिलनाजुलना जारी रखा. रामकुमार मन ही मन कुढ़ता रहता और रोजाना घर में कलह होती रहती. पति के चाहते हुए भी कमला ज्ञान सिंह को अपनी जिंदगी से दूर करने का विकल्प नहीं ढूंढ पा रही थी.
ज्ञान सिंह ने एक दिन कमला से कहा, ‘‘भाभी, पानी सिर से ऊपर हो चुका है. अब एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकतीं. तुम ही बताओ कुछ न कुछ तो करना होगा.’’
कमला ने कहा, ‘‘तुम ही बताओ, कौन सा रास्ता निकाला जाए.’’
ज्ञान सिंह ने कमला से मिल कर अपने मन की छिपी हुई बात बताते हुए कहा कि तुम्हारे पास मेरी जो 20 हजार रुपए की रकम है, वह तुम्हें वापस करनी थी. उन में से अब 13 हजार रुपए देने होंगे और रामकुमार को किराए के लोगों से बुला कर शाम के समय लखनऊ से गांव लौटते समय रास्ते से हटा देंगे.
इस प्रस्ताव को सुन कर कमला भी खुश हो गई. उस ने ज्ञान सिंह को रजामंदी दे दी, फिर ज्ञान सिंह ने कमला के साथ मिल कर षडयंत्रपूर्वक एक योजना बना ली. तब ज्ञान सिंह ने कमला के पति रामकुमार को रास्ते से हटाने के लिए अंकित यादव को इस वारदात के लिए राजी कर लिया. ज्ञान सिंह ने उस से और किराए के आदमी जुटाने को कहा.
तब अंकित यादव ने रामकुमार की हत्या के लिए 20 हजार रुपए में सौदेबाजी पक्की कर ली. इस काम के लिए उस ने राजा, निवासी बरगदी, के.डी. उर्फ कुलदीप सिंह निवासी बख्शी का तालाब, उत्तम कुमार निवासी अस्ती रोड, गांव मूसानगर को तैयार किया.
राजा के कहने पर कमला और ज्ञान सिंह ने 13 हजार रुपए अंकित यादव को सौंप दिए और 7 हजार रुपए काम हो जाने के बाद देने का वादा कर लिया गया.
सभी ने तय किया कि 25 दिसंबर, 2019 को लखनऊ से आते समय भखरामऊ गोलइया मोड़ पर रामकुमार की हत्या को अंजाम दिया जाएगा. योजना के अनुसार 25 दिसंबर, 2019 की शाम को के.डी. सिंह के साथ राजा और उस के साथी पहुंच गए. राजा ने रामकुमार पर बाइक से आते समय तमंचे से हमला कर दिया. उस समय बाइक रामकुमार स्वयं चला रहा था और उस का भतीजा मतोले पीछे बैठा हुआ था.
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पुलिस को अभी 2 अभियुक्तों राजा व कुलदीप सिंह की तलाश थी. पुलिस द्वारा मुखबिरों का जाल फैला दिया गया था. मुखबिर की सूचना पर 3 जनवरी, 2020 को राजा व कुलदीप दोनों को मय तमंचे और बाइक के साथ गिरफ्तार कर लिया गया. राजा ने पुलिस के साथ जा कर हमले में उपयोग किया गया तमंचा बरामद करा दिया. पुलिस ने अभियुक्तों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.
लेखक- पी.एल. कश्यप
शाम के यही कोई 6 बजे थे. धुंधलका उतर आया था. लखनऊ से सीतापुर जाने वाले मार्ग पर एक कस्बा है बख्शी का तालाब. इसी कस्बे से शिवपुरी बराखेमपुर गांव को एक रोड जाती है. सायंकाल का वक्त होने के कारण वह रोड सुनसान थी.
अचानक गुडंबा की तरफ से आ रही एक बाइक गोलइया मोड़ पर आ कर रुकी. बाइक पर 3 व्यक्ति सवार थे. वे सड़क किनारे खड़े हो कर किसी के आने का इंतजार करने लगे. कुछ देर के बाद सामने से एक बाइक आती हुई दिखाई दी, जिस पर 2 लोग बैठे थे.
इस से पहले कि मामला कुछ समझ में आता कि सड़क किनारे खड़े उन तीनों व्यक्तियों में से एक ने सामने से आती हुई उस बाइक को रोका. उस बाइक पर रामकुमार और उस का भतीजा मतोले बैठे थे, जो शिवपुरी बराखेमपुर में रहते थे.
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जैसे ही रामकुमार ने बाइक की गति धीमी की, तभी उन तीनों में से एक व्यक्ति ने तमंचे से फायर कर दिया. गोली बाइक रामकुमार के लगी जिस से बाइक सहित वे दोनों लड़खड़ा कर गिर पड़े. उन के गिरते ही तीनों हमलावर घटनास्थल से फरार हो गए. यह घटना 25 दिसंबर, 2019 की है.
रात काफी हो गई थी. मतोले ने उसी समय फोन कर के यह सूचना रामकुमार की पत्नी कमला को देते हुए कहा, ‘‘चाची, ज्ञानू ने अपने 2 साथियों राजा व अंकित के साथ चाचा रामकुमार पर हमला कर दिया है. उन के पेट में गोली लगी है. चाचा गोलइया मोड़ के पास घायल पड़े हैं.’’
यह खबर सुनते ही कमला फफक कर रो पड़ी. उस ने अपने जेठ यानी मतोले के पिता जयकरण व देवर दिनेश व अन्य परिवारजनों को यह जानकारी दे दी.
घटनास्थल गांव से 4-5 सौ मीटर की दूरी पर था. इसलिए जल्द ही परिवार व मोहल्ले वाले घटनास्थल पर पहुंच गए. परिवारजन घायल रामकुमार कोे बाइक से बख्शी के तालाब तक ले आए, फिर वहां से वाहन द्वारा लखनऊ के केजीएमयू मैडिकल अस्पताल ले गए.
रामकुमार की हालत गंभीर थी. उस के पेट में गोली लगने से खून ज्यादा मात्रा में बह चुका था, डाक्टरों की लाख कोशिशों के बाद भी रामकुमार को बचाया नहीं जा सका. मैडिकल कालेज में उपचार के दौरान उस की मृत्यु हो गई.
चूंकि मामला हत्या का था, इसलिए अस्पताल प्रशासन ने इस की सूचना स्थानीय थाना बख्शी का तालाब में दे दी. सूचना पा कर थानाप्रभारी बृजेश सिंह, एसएसआई कुलदीप कुमार सिंह और एसआई योगेंद्र कुमार, अवनीश कुमार और सिपाही नितेश मिश्रा के साथ मैडिकल कालेज जा पहुंचे.
डाक्टरों से बातचीत करने के बाद उन्होंने मृतक के परिजनों से पूछताछ की तो मतोले ने थानाप्रभारी को हमलावरों के नाम भी बता दिए. जरूरी काररवाई करने के बाद पुलिस ने रामकुमार का शव अस्पताल की मोर्चरी में भेज दिया. इस के बाद थानाप्रभारी रात में ही घटनास्थल पर पहुंच गए. रोशनी की व्यवस्था कर उन्होंने घटनास्थल से खून आलूदा मिट्टी से सबूत एकत्र किए.
अगले दिन 26 दिसंबर, 2019 को पोस्टमार्टम होने के बाद रामकुमार का शव उस के परिजनों को सौंप दिया. अंतिम संस्कार के बाद थानाप्रभारी ने रामकुमार की पत्नी कमला की ओर से ज्ञान सिंह उर्फ ज्ञानू और राजा के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 120बी व एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. चूंकि मुकदमे में एससी/एसटी एक्ट की धारा भी लगी थी, इसलिए इस की जांच की जिम्मेदारी सीओ स्वतंत्र सिंह ने संभाली.
पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि मृतक की पत्नी कमला का चरित्र ठीक नहीं था, इसलिए पुलिस ने कमला का मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले लिया और उस से ज्ञान सिंह यादव का फोन नंबर भी प्राप्त कर लिया. पुलिस ने उन के नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई.
घटना का चश्मदीद मृतक का भतीजा मतोले था, पूछताछ करने पर मतोले ने पुलिस को बताया कि पड़ोस की दूध की डेयरी पर काम करने वाले ज्ञान सिंह उर्फ ज्ञानू ने उस से कई बार कहा कि तुम शहर में कामधंधे के लिए अपने चाचा रामकुमार के साथ न जाया करो, क्योंकि तुम्हारे चाचा से मेरी रंजिश चल रही है. उस ने अपने दोस्तों के साथ घेर कर चाचा को गोली मार दी.
उधर पुलिस ने कमला और ज्ञान सिंह के फोन नंबरों की काल डिटेल्स का अध्ययन किया तो इस बात की पुष्टि हो गई कि कमला और ज्ञान सिंह के बीच दाल में कुछ काला अवश्य है.
एसएसआई कुलदीप सिंह ने इस बारे में मतोले से पूछा तो उस ने हां में सिर हिला दिया. ऐसे में कमला से पूछताछ करनी जरूरी थी. इसलिए 26 दिसंबर, 2019 की शाम एसएसआई कुलदीप सिंह अपने सहयोगियों एसआई अवनीश कुमार, हंसराज, महिला सिपाही श्रद्धा शंखधार, नेहा शर्मा को साथ ले कर कमला के घर पहुंचे. रात में पुलिस को अपने घर आया देख कर कमला सकपका गई. उस के चेहरे का रंग उतर गया. उस ने पूछा, ‘‘दरोगाजी, इतनी रात को घर आने का क्या मकसद है?’’
‘‘मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या ज्ञान सिंह उर्फ ज्ञानू से तुम्हारे पति रामकुमार की कोई रंजिश थी? मुझे पता चला है कि तुम्हारे पति पर ज्ञान सिंह ने ही भाड़े के लोगों के साथ हमला कराया था. पुलिस उसी की तलाश में गांव आई है.’’ एसएसआई ने कहा.
यह कह कर एसएसआई ने कमला के दिमाग से शक का कीड़ा निकाल दिया, ताकि उसे लगे कि वह पुलिस के शक के दायरे में नहीं है. इस केस की जांच में सहयोग करने के लिए तुम्हें कल सुबह थाने आना होगा. इस पूछताछ में पुलिस को ज्ञान सिंह उर्फ ज्ञानू व अंकित यादव के खिलाफ कुछ और तथ्य मिल गए.
अगले दिन पुलिस टीम ज्ञान सिंह यादव उर्फ ज्ञानू, अंकित आदि की तलाश में उन के घर गई तो वे घरों पर नहीं मिले. पता चला कि कमला भी अपने घर से फरार हो गई है. इस से पुलिस को पूरा विश्वास हो गया कि ये लोग इस अपराध से जुड़े हैं. इसलिए पुलिस ने तीनों के पीछे मुखबिर लगा दिए.
मुखबिरों द्वारा पुलिस को पता चला कि कमला अपने प्रेमी ज्ञान सिंह उर्फ ज्ञानू व उस के दोस्त अंकित यादव के साथ फरार होने के लिए गांव से निकल कर भगतपुरवा तिराहा, भाखामऊ रोड पर खड़ी है. कुछ ही देर में थाना बख्शी का तालाब से एक पुलिस टीम वहां पहुंच गई. वहीं से पुलिस ने कमला, ज्ञान सिंह और अंकित को गिरफ्तार कर लिया.
एक मुखबिर की सूचना पर एक अन्य आरोपी उत्तम कुमार को भैसामऊ क्रौसिंग से एक तमंचे व 2 कारतूस सहित गिरफ्तार कर लिया गया.
थाने पहुंच कर कमला निडरता के साथ बोली, ‘‘दरोगाजी, हमें थाने बुला कर काहे बारबार परेशान कर रहे हैं.’’
इतना सुनते ही थानाप्रभारी बृजेश कुमार सिंह ने महिला सिपाही नेहा शर्मा और सिपाही शंखधार को बुला कर कहा, ‘‘इस औरत को हिरासत में ले लो. एक तो इस ने अपने प्रेमी के साथ मिल कर अपने पति की हत्या करने की साजिश रची और ऊपर से स्वयं पतिव्रता बनने का नाटक कर रही है.’’
थानाप्रभारी ने हंसते हुए कमला से कहा, ‘‘परेशान न हो शाम तक तुम्हें घर वापस भेज दिया जाएगा. कुछ अधिकारी यहां आ रहे हैं, तुम उन्हें सचसच बता देना.’’
सीओ स्वतंत्र सिंह भी जांच हेतु थाने पहुंच गए. सूचना पा कर एसपी (ग्रामीण) आदित्य लंगेह भी थाना बख्शी का तालाब आ पहुंचे. चारों आरोपियों को अधिकारियों के सामने पेश किया गया.
चारों आरोपियों ने पुलिस के सामने स्वीकार किया कि कमला के गांव के ही निवासी ज्ञान सिंह उर्फ ज्ञानू से अवैध संबंध थे. उन्होंने ही रामकुमार को ठिकाने लगाया था. उन चारों से हुई पूछताछ के आधार पर रामकुमार हत्याकांड की गुत्थी सुलझ गई.
पूछताछ में कमला और ज्ञान सिंह के अवैध संबंधों की जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार है—
लखनऊ से 20 किलोमीटर दूर लखनऊ-सीतापुर राजमार्ग के किनारे तहसील बख्शी का तालाब है. इसी क्षेत्र में गांव शिवपुरी बरा खेमपुर है. रामकुमार रावत का परिवार इसी गांव में रहता था.
रामकुमार रावत अपने परिवार में सब से बड़ा था. उस के अन्य 2 भाई दिनेश (35 साल) व राजेश (30 साल) थे. रामकुमार का विवाह करीब 15 साल पहले मूसानगर के निकट कुरसी गांव की रहने वाले शिवचरण रावत की बेटी कमला के साथ हुआ था. उस के 2 बच्चे थे. रामकुमार लखनऊ के आसपास कामधंधे की तलाश में जाता रहता था.
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उस के पड़ोस में ही ज्ञान सिंह उर्फ ज्ञानू रहता था, जो मूलरूप से शिवपुरी मानपुर लाला, थाना बख्शी का तालाब का रहने वाला था. ज्ञान सिंह अविवाहित था. रामकुमार की पत्नी कमला की उम्र लगभग 40 वर्ष के आसपास रही होगी. कमला की एक बहन रामप्यारी शिवपुरी मानपुर लाला में रहती थी. निकटवर्ती रिश्तेदारी होने के कारण कमला का अपनी बहन के गांव शिवपुरी मानपुर लाला अकसर आनाजाना लगा रहता था.
ज्ञान सिंह उर्फ ज्ञानू अपने गांव में दूध की डेयरी का काम करता था. वह रोजाना अपने गांव से दूध इकट्ठा कर बाइक से बख्शी का तालाब कस्बे में बेचने के लिए आताजाता था. कमला की बहन रामप्यारी के कहने पर ज्ञान सिंह ने कमला के पति रामकुमार को अपने साथ दूध के काम पर लगा दिया.
इस के बाद दूध इकट्ठा करने का काम रामकुमार करने लगा. बाद में वह दूध बेचने के लिए लखनऊ व निकटवर्ती इलाकों में निकल जाता था और दूध बेच कर शाम तक अपने गांव शिवपुरी बराखेमपुर लौट आता था. रामकुमार की दिन भर की यही दिनचर्या थी. इस तरह कई सालों तक रामकुमार ज्ञान सिंह के साथ रह कर दूध बेचने का काम करता रहा.
अपराधी चाहे जितना शातिर हो, अपराध करते समय वह कितने ही हथकंडे अपना ले, कानून की नजरों से न बच सकता है न छिप सकता है.
हाल ही में एक ऐसी ही घटना घटी जिस पर यकीन करना एकबारगी कठिन लगता है.
जमीन संबंधी विवाद
घटना बिहार के बक्सर जिले की है, जहां रामधनी नाम का एक शख्स मठिया मोङ पर लिट्टी बेच कर घर चलाता था. जगह भीङभाङ वाली थी, इसलिए उसे दिनभर में अच्छी आमदनी हो जाती थी.
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वह अपने इस व्यवसाय को बढ़ाने की सोच रहा था और इसीलिए उस ने सोचा कि क्यों न वह जमीन का एक टुकड़ा बेच कर कारोबार बढ़ाने में लगा दे.
उस ने अपने जमीन के एक टुकङे को बेचा तो यह बात उस के विरोधियों को खटकने लगी. इस पर अच्छाखासा विवाद भी शुरू हो गया.
इस विवाद से छुटकारा पाने के लिए उस ने अपने विरोधियों से बातचीत करनी चाही और एक सुबह उन से मिलने पहुंच गया.
हत्या कर कब्र में दफना दिया
मगर विरोधियों ने इस दौरान न सिर्फ उस की हत्या कर दी, बल्कि पेशेवर तरीके से लाश को जमीन में दफना दिया. लाश सङ कर जल्दी जमीन में जल्द मिल जाए इस के लिए अपराधियों ने कब्र में नमक भी डाल दिया.
उधर सुबह का निकला रामधनी घर नहीं लौटा तो घर वालों को इस बात की चिंता हुई.
घर वालों ने पुलिस को घटना के बारे में बताया और कहा कि रामधनी घर नहीं लौटा है. पुलिस को बताने के बाद वे जगहजगह उसे ढूंढ़ने भी निकल पङे लेकिन रामधनी जीवित हो तब तो मिलता.
ढूंढ़ने के दौरान ही घर वाले एक कब्रिस्तान पहुंचे तो वहां देखा कि एक मुरदे का पैर कब्र से बाहर है. घर वालों ने पैर को तुरंत पहचान लिया. कब्र में रामधनी की लाश पङी थी.
घटना की सूचना पुलिस को दी गई. पुलिस ने शव को कब्र से निकाला और जरूरी तफ्तीश शुरू कर दी.
ऐसे मिला सुराग
दरअसल, मौनसून के दिनों वहां तेज बारिश हो रही थी और इस बारिश में मिट्टी बही तो मुरदे का एक पैर कब्र से बाहर आ गया. घर वालों ने तुरंत उस की पहचान कर पुलिस में सूचना दी.
खबरों की मानें तो पुलिस को हत्या करने वालों का सुराग मिल गया है और जल्दी ही सभी अपराधी पुलिस गिरफ्त में होंगे.
रामधनी की हत्या से लोगों में गुस्सा तो है पर वे मानते हैं कि मर कर भी रामधनी ने अपनी मौत की गवाही दे दी और पुलिस को सुराग भी ताकि जल्द ही हत्यारों पर कानूनी काररवाई हो.
पहला मामला-
छत्तीसगढ़ के न्यायधानी बिलासपुर के तोरवा थाना क्षेत्र में एक महिला फांसी पर लटकी मिली. मामला थाने पहुंचा, जांच पड़ताल हुई तो यह पर्दाफाश हुआ कि उसके दो पुत्रों ने ही महिला की अवैध संबंधों से नाराज होकर हत्या की थी.
दूसरा मामला-
जिला दुर्ग के कोतवाली थाना क्षेत्र में छत से गिरकर एक शख्स की मौत हो गई. जांच पड़ताल में यह पुलिस ने पाया की उसे पुत्र ने ही धक्का देकर नीचे गिरा दिया था. जिसके कारण मौत हुई.
तीसरा मामला-
कोरबा जिला के बाल्को थाना क्षेत्र में एक लड़की की लाश मिली .प्रारंभ में यह तथ्य सामने आया कि लड़की ने जहर खा लिया है. मगर पुलिस विवेचना में यह बात सिद्ध हो गई कि उसे जहर देकर मारा गया था.
अपराध की दुनिया में अपराधी आगे आगे चलता है और पुलिस पीछे पीछे. मगर पुलिस कब आगे हो जाती है यह अपराधी को पता ही नहीं चलता. यह खेल अपराधियों और पुलिस के मध्य चलता रहता है. अक्सर हम किसी की मौत की खबर मिलने पर चकित हो जाते हैं कि यह कैसे आत्महत्या कर सकता है? मगर जब तथ्य से तथ्य मिलते हैं और कोई अफसर ईमानदारी से जांच करता है तो सच्चाई सामने आ जाती है. अक्सर जिसे ‘”आत्महत्या” माना जाता है या “दुर्घटना”, जांच के पश्चात यह तथ्य उजागर होता है की इसके पीछे कोई षड्यंत्र था. कोई काला नकाब ओढ़े हुए था, जिसे पुलिस पकड़ कर कानून के हवाले करती है.
कब तक छिपेगा हत्यारा
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की सच्ची घटना आपको बताते हैं- 2 जुलाई 2020को करीब ढाई बजे मुजगहन थाना इलाके के कांदुल में खेत के पास 21 वर्षीय केशव निषाद की लाश फांसी पर टंगी मिली थी. मुजगहन पुलिस ने मामले में मर्ग कायम किया . मगर अब मृतक के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि केशव निषाद की पहले गला दबाकर हत्या की गई. इसके बाद उसे फांसी पर लटकाया गया था.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर अब पुलिस अज्ञात आरोपी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच में जुट गई है. मृतक केशव ने पेशे से ड्राइवर था. पुलिस उसके परिवार के लोगों के साथ ही उसके जान पहचान वालों से पूछताछ कर रही है. यही इस घटनाक्रम की हकीकत है. यह आसानी से समझा जा सकता है कि केशव निषाद की हत्या क्यों और किस लिए की गई होगी. अपराधी ने बड़ी चतुराई से उसे मार कर फांसी पर लटका दिया मगर क्या अब वह बच जाएगा?
छोटे बड़े होते हैं स्वार्थ
इस तरह की हत्याओं के पीछे, कभी-कभी बहुत बड़े स्वार्थ होते हैं और कभी बहुत ही छोटे छोटे.पुलिस अधिकारियों, अपराधिक मामले न्यायालय में पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं से बातचीत में यह तथ्य सामने आता है कि अक्सर हत्या के पीछे अपराधी की कोई ना कोई छोटी बड़ी मंशा होती है. पुलिस अधिकारी विवेक शर्मा बताते हैं कि ऐसे अनेक मामलों को उन्होंने जांच में लिया है और दोषियों को सजा भी हुई है. उन्होंने बताया कि एक ऐसे ही गंभीर मामले में परिजनों को न्यायालय से 10 वर्ष की सजा हुई अतः यह सोचना कि कोई कानून से बच सकता है, यह उसकी बहुत बड़ी भूल है.
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डॉ उत्पल अग्रवाल अधिवक्ता बताते हैं ऐसे 2 मामले उनके पास पैरवी के लिए आए और दोनों ही मामलों में अपराधियों को सजा मिली. दरअसल, लोग अपने आप को बेहद शातिर समझते हैं और कभी कभी क्रोध में आकर भी हत्या कर देते हैं और फिर जिंदगी भर पछताते हैं.