क्या यही प्यार है

सुबह का आगाज होते ही ग्वालियर के निंबाजी की तंग गलियों में 20 जुलाई, 2022 को पुलिस सायरन की आवाज सुन कर लोग चौंक

गए. वे अपनेअपने घरों से निकल आए. देखते ही देखते घनी आबादी वाले इलाके में स्थित भंवर सिंह के घर के बाहर लोगों की भीड़ जुट गई. वहां कई पुलिसकर्मी भी मौजूद थे. भंवर सिंह की कुंवारी बेटी किरण की हत्या के बारे में सुन कर लोग सन्न रह गए थे. इस का उन्हें जरा भी विश्वास ही नहीं हो रहा था.

इस तरह की वारदात उन के इलाके में हुई, यह जान कर लोग आक्रोशित भी हो गए. हालांकि वे अपने गुस्से को दबाए हुए आपस में तरहतरह की बातें कर उस बारे में विस्तार से जानने की कोशिश कर रहे थे.

इस वारदात की सूचना पौ फटते ही जनकगंज थाने के एसएचओ आलोक परिहार को घर वालों ने ही दी थी. बिना देरी किए वह पुलिस टीम के साथ मौकाएवारदात पर पहुंच गए थे. पुलिस ने घटनास्थल और लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. पाया कि मृतका किरण की हत्या हरे रंग के गमछे से गला घोट कर की गई थी.

गला घोटे जाने का निशान गले पर साफ नजर आ रहा था. किरण की लाश बैठक में फर्श पर पड़ी थी और उस के गले में गमछे का फंदा भी कसा था. किरण की उम्र करीब 20-21 साल के आसपास थी. वहीं टेबल पर प्लेट में नमकीन, बिसकुट और चाय रखी थी.

इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि हत्यारे से मृतका के मधुर संबंध रहे होंगे. तभी उस की आवभगत हुई होगी. किरण का घर जिस गली में था, वह काफी संकरी थी. सभी के घर एकदूसरे से जुड़े हुए थे. यदि किरण मदद के लिए शोर मचाती तो घर में मौजूद उस की बड़ी बहन की बेटी सोनिया और पासपड़ोस में रहने वाले लोग अवश्य उस की मदद के लिए दौड़ पड़ते.

एसएचओ आलोक परिहार ने इस हत्या की गुत्थी सुलझाने के सिलसिले में कई बिंदुओं पर गौर किया. जैसे, घर का सारा कीमती सामान सुरक्षित था. अलमारियों में ताले जस के तस लगे थे. घर में लूटपाट का कहीं कोई निशान नजर नहीं आ रहा था.

इस से यह बात स्पष्ट था कि हत्या लूटपाट के लिए कतई नहीं की गई थी. इन्हीं वजहों से पुलिस का ध्यान करीबी लोगों पर गया. पुलिस ने मृतक के पड़ोसी के घर पर लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज की जांच शुरू की.

सीसीटीवी फुटेज में एक युवक मुंह पर गमछा बांधे भंवर सिंह के घर में दाखिल होता दिखाई दिया. वही जब 15 मिनट बाद घर से वापस बाहर निकला, तब उस के मुंह पर गमछा नहीं बंधा था. उस का चेहरा स्पष्ट दिखाई दिया. एसएचओ परिहार ने इसे भंवर सिंह को दिखा कर उस युवक के बारे में पूछा. भंवर सिंह ने उसे पहचान लिया और उस का नाम मुकुल बताया.

लाश के गले से लिपटा गमछा वही था, जो मुकुल ले कर घर में घुसा था. इस के अलावा कोई और सबूत नहीं मिला. फोरैंसिक एक्सपर्ट ने भी घटनास्थल और लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. प्रारंभिक जांच पूरी करने के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

उस वक्त एसएचओ ने किरण के परिजनों को दहाड़ मार कर रोते पाया. उन में एक बूढ़ी महिला और दूसरी लड़की की आंखों से आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे. बूढ़ी महिला किरण की नानी और मृतका की हमउम्र युवती उस की मौसी की बेटी सोनिया थी. एसएचओ ने उन्हें ढांढस बंधाया और उन से किरण के जानने वालों के बारे में पूछा.

किरण की मौत के बारे में सब से पहले घर में मौजूद सोनिया सिहोते को पता चला था. उस ने पुलिस को बताया कि घटना के दिन वह और उस की मौसी किरण सिंघानिया अपने नाना के घर पर थी. रोज की तरह सुबह होने से पहले नानानानी 4 बजे अपनी ड्यूटी पर चले गए थे. वे नगरनिगम में काम करते हैं.

उसी दौरान सुबह साढ़े 5 बजे के करीब किसी ने डोरबैल बजाई थी. घंटी बजने की आवाज सुन जब उस ने खिड़की का एक पल्ला खोल कर बाहर झांका तो विकास मौसा के छोटे भाई मुकुल धौलपुरिया को घर के दरवाजे पर खड़ा पाया.

इस बारे में उस ने मौसी किरण को बताया. मौसी ने उन्हें भीतर बुला कर ड्राइंगरूम में बैठाने के लिए कहा. उस के बाद वह मुकुल मौसा के लिए चाय नाश्ता लेने किचन में चली गई. मौसी चायनाश्ता टेबल पर रख कर मुकुल मौसा से बातचीत करने लगी और वह किचन में साफसफाई करने चली गई गई.

थोड़ी देर बाद किचन की साफसफाई कर वह घर के बाहर आई. उस ने देखा कि मुकुल बाहर से ड्राइंगरूम की कुंडी लगा कर झूला चौक की तरफ तेज कदमों से चले जा रहे हैं.

फिर उस ने ड्राइंगरूम की कुंडी खोली. वहां का दृश्य देख कर वह डर गई. कमरे में उस की किरण मौसी जमीन पर बेहोश पड़ी थी. उस ने मौसी को पुकारा, हिलायाडुलाया. लेकिन उस ने कोई हरकत नहीं की.

उस ने देखा कि किरण मौसी के गले में वही हरे रंग का गमछा कसा हुआ था, जो उस ने सुबह के वक्त मुकुल के गले में लिपटा देखा था. सोनिया ने बताया कि तुरंत किरण मौसी को आटोरिक्शा से अस्पताल ले गई. डाक्टर ने नब्ज देखते ही उसे मृत बता दिया.

फिर तो वह और घबरा गई. उस ने तुरंत पुलिस को काल कर दी. सोनिया ने मौसी के मर जाने की सूचना नानानानी को भी फोन कर दे दी और उन्हें जल्द घर आने को कहा.

खबर सुन कर नानानानी उलटे पैर वापस घर आ गए. नानी किरण की हालत देख कर रोनेचिल्लाने लगी. नाना की आंखों में भी आंसू आ गए. उन के रोनेचिल्लाने की आवाज सुन कर पासपड़ोस के कुछ लोग वहां आ गए.

किरण के बारे में छोटी से छोटी जानकारी जुटा कर एसएचओ आलोक परिहार थाने लौट आए. उन्होंने मृतका की बड़ी बहन की बेटी सोनिया की तहरीर पर अज्ञात हत्यारे के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज कर लिया.

इस मामले की जांच एसएचओ परिहार ने अपने हाथों में ले ली. भंवर सिंह और सोनिया से मिली जानकारी के आधार पर घटनास्थल की स्थिति से इतना तो स्पष्ट हो चुका था कि किरण की हत्या में किसी जानने वाले का ही हाथ है.

सोनिया से मिली जानकारी के मुताबिक मुकुल ही मामले का मुख्य दोषी था. परिहार ने देर किए बगैर उसे दबोच लिया. वह आसानी से मिल गया. फिर उसे सबूत के तौर सीसीटीवी फुटेज और बरामद गमछे को दिखा कर सख्ती से पूछताछ की गई.

उस ने जल्द ही अपना जुर्म कुबूल कर लिया. और फिर इस हत्याकांड की

जो कहानी सामने आई, वह काफी दिलचस्प थी.

किरण जवानी की दहलीज पर खड़ी थी और मुकुल भी जवान हो चुका था. दोनों रिश्तेदार थे. उन के रिश्ते अगर काफी दूर के नहीं थे तो पास के भी नहीं थे. मुकुल किरण की बड़ी बहन का देवर था. इस कारण उस का बड़े भैया के साथ उन की सुसराल आनाजाना लगा रहता था.

इस लिहाज से किरण और मुकुल के बीच मजाक का रिश्ता था. किरण बड़े भाई की साली थी. इस लिहाज से वह उस की भी साली थी. दोनों हमउम्र थे. एक तरफ किरण की चढ़ती जवानी थी, दूसरी तरफ मुकुल का बांकपन और मदमस्ती की छेड़छाड़ वाली आदतें थीं.

फिर भी किरण ने न तो मुकुल को नजर भर कर देखा था और न ही मुकुल ने किरण को, जबकि उन के बीते सालों की जानपहचान थी.

बात बीते साल की है. एक दिन मुकुल जब भैया की ससुराल आया था, तब किरण घर में अकेली थी. किरण उसे अपने ड्राइंगरूम में बिठा कर खुद रसोई में चली गई. किंतु उस रोज मुकुल की नजर रसोई में जाती किरण की मदमस्त चाल पर पड़ी.

उस से रहा नहीं गया और बोल पड़ा, ‘‘हाय सैक्सी, तू चीज बड़ी है मस्तमस्त…’’

गाने की यह लाइन किरण के कानों तक पहुंची. वह पीछे मुड़ कर मुसकराई और फिर तेज कदमों से कमर मटकाती हुई चली गई. उस रोज मुकुल उसे देखता ही रह गया.

थोड़ी देर में किरण चाय और प्लेट में नमकीन बिसकुट ले कर आ गई. मुकुल के सामने के स्टूल पर रख कर फिर वापस जाने लगी. तभी मुकुल ने उस का हाथ पकड़ लिया और अपनी ओर खींचते हुए बैठने को कहा. लेकिन किरण पानी लाने के बहाने हाथ छुड़ा कर दोबारा किचन में चली गई.

उस रोज पहली बार मुकुल ने किरण की देह पर गहरी नजर डाली थी और उसे घर में अकेला पा कर छेड़ने के मूड में था. इस का असर किरण के मन पर भी हुआ, लेकिन उस के दिल की धड़कनें बढ़ गईं. उस ने शर्म और रिश्ते की मानमर्यादा को बनाए रखा.

किरण ने मुकुल से आने का कारण पूछा. बड़ी बहन का समाचार लिया और मुकुल के साथ ड्राइंगरूम में समय गुजारते हुए औपचारिक बातें कीं.

कुछ दिनों बाद ही मुकुल फिर किरण से मिला. इस बार उस की मुलाकात घर पर नहीं, भीड़भाड़ वाले बाजार में हुई. छूटते ही उस ने किरण की तारीफ में कहा, ‘‘आज तो तुम इस ड्रेस में और भी सैक्सी लग रही हो.’’

किरण केवल मुसकरा कर रह गई. सिर झुकाते हुए बोली, ‘‘बाजार में ऐसी बातें करना ठीक नहीं है.’’

‘‘तो चलें किसी एकांत जगह में?’’ मुकुल तपाक से बोला.

‘‘…अरे नहींनहीं. मुझे जल्द घर जाना है. अपना कुछ सामान खरीदने बाजार आई थी.’’ किरण बोली.

‘‘ऐसा करो, तुम अपना मोबाइल नंबर बताओ,’’ मुकुल ने कहा.

‘‘लिखो 97…’’

‘‘अरे! 9 नंबर ही हुए.’’ मुकुल बोला.

‘‘अंत में 7 नहीं डाला क्या?’’ किरण बोली.

‘‘अच्छाअच्छा… लो, 7 डाल दिया. अब काल करता हूं. मेरे नंबर को सेव कर लेना. रात को काल करूंगा.’’ मुकुल लगातार बोलता चला गया.

किरण के मोबाइल पर मुकुल की मिस्ड काल आ गई. किरण देखते हुए बोली, ‘‘हां, आ गया नंबर. तुम्हारे नंबर के अंत में भी 37 है…’’

‘‘अब तुम्हीं बताओ हमारेतुम्हारे बीच कितनी समानता है,’’ मुकुल के इस तर्क पर किरण ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. चुपचाप वहां से चली गई.

किरण अपने परिवार, संस्कार और समाज के रीतिरिवाज में बंधी थी. उम्र 22 की हो चुकी थी. दिलदिमाग में उस के कई रंगीन सपने थे. उन में मनपसंद जीवनसाथी का भी था. लेकिन वह किस रूप में मिलने वाला था पता नहीं था.

दूसरी तरफ जब से मुकुल ने किरण की कमसिन जवानी को भरी नजर से देखा था, उसे पाने के लिए बेचैन हो गया था. उस का मन उस से हटता ही नहीं था. वह बड़े भाई की साली थी. उस से मिलनाजुलना आसानी से हो जाता था. किरण की खूबसूरती ने मुकुल का मन कुछ इस तरह मोह लिया था कि वह उसे पाने के लिए लालायित हो उठा था. एक दिन हसरत भरी नजरों से देखने पर किरण ने मुकुल का ध्यान तोड़ते हुए कहा, ‘‘ऐसे क्या देख रहे हो मुकुल, क्या कोई खास बात है?’’

मुकुल को लगा, जैसे उस की चोरी पकड़ी गई हो. वह झेंपते हुए बोला, ‘‘न..नहीं. यूं ही… कुछ भी तो नहीं…’’

‘‘कुछ बात तो जरूर है,’’ इस बार किरण ने उसे छेड़ा था.

‘‘बात तो है जरूर,’’ मुकुल बोला.

‘‘जरा मैं भी तो सुनूं,’’ किरण दोबारा मजाकिया अंदाज में बोली.

‘‘आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो. बहुत सजीधजी हो. कहीं जाने वाली हो क्या?’’ मुकुल बोला.

‘‘कुछ दिन पहले मैं सैक्सी दिखती थी, आज सिर्फ सुंदर दिख रही हूं?’’ किरण बिंदास हो कर चहकती हुई बोल पड़ी.

‘‘ऐसी बात नहीं है, तुम बहुत सैक्सी हो. दिन पर दिन और सैक्सी होती जा रही हो.’’

‘‘सो तो हूं ही.’’ किरण थोड़ा शरमाई.

वैसे किरण दूसरी लड़कियों की तरह झिझकती नहीं थी. जिस से खुल जाती थी, तो बस पूछिए मत, उस से दिल खोल कर बातें करती थी. पिछले कुछ हफ्तों से किरण मुकुल के साथ काफी खुल गई थी.

उस ने बताया कि वह अपनी सहेली के बर्थडे में जा रही है. और फिर इठलाती हुई वहां से चली गई. मुकुल उसे तब तक टकटकी लगाए निहारता रहा, जब तक कि वह उस की नजरों से ओझल नहीं हो गई.

उस दिन मुकुल ने पहली बार किरण को इस तरह खुल कर बातें करते हुए देखा था.  किरण आंखों के रास्ते उस के दिल में उतर गई थी. किरण की बातें और अदाओं ने मुकुल के दिल में हचलच मचा रखी थी.

मुकुल घर पहुंचते ही सीधा अपनी भाभी के पास गया. भाभी यानी किरण की बड़ी बहन से अपने दिल की बात कह डाली. मुकुल ने बड़ी हिम्मत कर अपनी भाभी से किरण के साथ शादी की बात चलाई. उस ने कहा कि वह किरण को बहुत चाहता है. किरण भी उस से प्यार करती है. यह सुनते ही किरण की बड़ी बहन मुकुल पर बरस पड़ी.

तिलमिलाती हुई नाराजगी के साथ डांट लगाई, ‘‘कमाताधमाता एक धेला नहीं है और सपने देख रहा है मेरी छोटी बहन से शादी करने के. पहले कमाने की सोच, उस के बाद शादी करने की बात मुझ से करना. …और किरण को तो तुम भूल ही जाओ…’’

मुकुल बेरोजगार था. वह भाभी की बातों पर चुप रहा. उस समय उन से किरण को ले कर बहस करना सही नहीं समझा. दूसरी तरफ किरण के दिलोदिमाग में मुकुल रच बस गया था.

प्यार के अंकुर फूट चुके थे. प्यार की खुशबू उसे भी बेचैन किए जा रही थी, लेकिन वह भी परिवार की मर्यादाओं से बंधी हुई थी. दोनों मन ही मन एकदूसरे को चाहने लगे थे.

मुकुल की भाभी ने किरण को भी जबरदस्त डांट पिलाई. उसे डांटते हुए कहा कि बेरोजगार और दिन भर आवारागर्दी करते घूमने वाले मुकुल से शादी कर वह अपना जीवन क्यों बरबाद करना चाह रही है.

साथ ही उस ने किरण को हिदायत भी दी कि आइंदा मुकुल का नाम तक जुबां पर नहीं लाए. उस से दूर रहे. यहां तक कि उस के घर से बाहर जाने और मुकुल से मिलने तक पर नाना से कह कर पाबंदी लगवा दी.

किरण की बड़ी बहन नहीं चाहती थी कि उस की छोटी बहन की शादी उस के देवर से हो. किरण मन मसोस कर रह गई. किरण को तो परिजनों की पाबंदी से कोई खास फर्क नहीं पड़ा, उस ने अपने दिल को तसल्ली दे दी कि उसे परिवार वालों की पसंद के लड़के के साथ ही शादी करना पड़ेगी. किंतु मुकुल किरण को पाने के बेचैन रहने लगा.

किरण से मिलने की पाबंदी लगने के बाद मुकुल उस के घर चोरीछिपे जाने लगा. वह किरण के पास तभी जाता था, जब वह घर में अकेली होती. इस बारे में वे पहले मोबाइल से बातें कर लेते थे. इस के लिए सुबह 4 बजे का समय सब से सही था.

मुकुल 20 जुलाई, 2022 की सुबह किरण के घर तब गया था, जब उस के नाना और घर के दूसरे सदस्य नहीं हों. किंतु उसे इस का पता नहीं था, उस दिन उस की भतीजी सोनिया वहां आई हुई थी.

किरण मुकुल को ड्राइंग रूम में बैठा कर साथसाथ चाय पीने लगी. इसी दौरान मुकुल ने किरण से सैक्स करने की इच्छा जताई. किंतु किरण ने इंकार कर दिया. फिर मुकुल छेड़छाड़ करने लगा. उस के अंगों को छूने छेड़ने लगा. किरण उस का विरोध जताने लगी.

जबकि मुकुल के दिमाग पर सैक्स का फितूर सवार था. वह उस से हर हाल में सैक्स करना चाहता था. इसी क्रम में मुकुल ने उस से कहा कि वह एक न एक दिन तो उस से शादी करेगा ही.

इस पर जैसे ही किरण ने कहा, ‘‘कतई नहीं.’’

मुकुल सैक्स की जद में पागल जैसा हो गया. उस ने अपने गले का गमछा किरण के गले में डाल दिया. दोनों हाथों से गमछे को कसता रहा और उस से शादी करने की बात कुबूल करवाने की जिद करता रहा.

उस वक्त वह इस बात से एकदम अनजान था कि किरण की गला दबने से मौत हो चुकी है. वह अपना होशोहवास खो बैठा था.

किरण की सांस बंद होने पर वह घबरा गया और उसी घबराहट में गमछा लिए बगैर ही वहां से फरार हो गया. जाने से पहले उस ने ड्राइंगरूम के दरवाजे की बाहर से कुंडी लगा दी. मुकुल एक पल गंवाए बगैर वहां से निकल भागा. जबकि पुलिस उसी रोज मुकुल का नाम आते ही उसे पकड़ने का अपना जाल बिछा चुकी थी. पूरे शहर और वहां से बाहर जाने वाले रास्ते, रेलवे स्टेशन एवं बस अड्डे पर मुखबिरों को लगा दिया गया था.

एसएचओ आलोक परिहार को मुखबिर से मिली सूचना के बाद मुकुल मुरैना रेलवे स्टेशन पर खड़ा मिल गया था. वहां वह ट्रेन के आने का इंतजार कर रहा था. पुलिस ने उसे तत्काल हिरासत में ले लिया. थाने ला कर उस से पूछताछ की गई. उस के द्वारा किरण की हत्या करने का जुर्म कुबूल करने के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश कर दिया. वहां से उसे जेल भेज दिया गया.

पति ना हो ऐसा

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की वाटिका विहार कालोनी के रहने वाले राजेश और पुनीता की शादी के 2 दशक बीत चुके थे. वह इतना लंबा समय खट्टेमीठे अनुभवों के साथ गुजारते आए थे. राजेश की जब शादी हुई थी, तब उस की उम्र केवल 16 साल की थी. वह 16 साल की पुनीता को विदिशा से साल 2002 में ब्याह कर लाया था. दोनों ने कच्ची उम्र में दांपत्य जीवन की शुरुआत की.

राजेश आजीविका के लिए सूर्यवंशी गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया स्थित एक फैक्ट्री में काम पर लग गया. जबकि पुनीता घरपरिवार को संभालने में लगी रही. किंतु हां, परिवार को कैसे खुश रखा जाए, घर की जरूरतें कैसे पूरी हों, परिवार के दूसरे सदस्यों के साथसाथ सामाजिक मानमर्यादा का किस तरह निर्वाह किया जाए? आदि बातों का वे काफी खयाल रखते थे.

एक तरह से उन्होंने अपना एक संतुलित परिवार बना लिया. वे 2 बच्चों के मातापिता बन गए. उन का बड़ा बेटा 14 साल का और छोटा 10 साल का हो चुका था. दोनों एक पब्लिक स्कूल में पढ़ते थे.

पुनीता एक कुशल गृहिणी की तरह घरपरिवार को संभाले हुए थी, लेकिन कुछ समय से घर के बढ़ते खर्च, बच्चों की अच्छी पढ़ाईलिखाई को ले कर परेशान रहने लगी थी. उसे मकान बनवाने की भी चिंता थी, लेकिन पति की आमदनी बहुत ही सीमित थी. इस के लिए उस ने अपने भाई मंगलेश से 2 लाख रुपए की मदद भी ली थी.

फिर भी सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. कोरोना काल में उन की माली हालत बिगड़ गई थी और राजेश चाह कर भी अपने साले का कर्ज नहीं उतार पा रहा था. इसे ले कर आए दिन राजेश की पुनीता से तूतूमैंमैं होने लगी थी.

बात शुरू होती थी घर के खर्च से, जो मकान बनवाने और भाई से लिए कर्ज तक जा पहुंचती थी. जब भी पुनीता उसे भाई के कर्ज के पैसे देने की बात करती थी, तब राजेश गुस्सा हो जाता था. उलटे उस पर तरहतरह के आरोप लगाने लगता था.

एक दिन तो हद हो गई. राजेश ने अपने साले मंगलेश को फोन कर बताया कि उस की बहन के रंगढंग तब से ठीक नहीं हैं, जब से वह पास के अस्पताल में काम करने लगी है.

‘‘हैलो मंगलेश, सुन रहा है न तू?’’ राजेश तेज आवाज में मोबाइल को मुंह के पास ले जा कर बोल रहा था.

‘‘हांहां बोलो जीजा, तुम्हारी आवाज साफ आ रही है. बोलो न, क्या बता रहे थे… दीदी को क्या हो गया है?’’ मंगलेश बोला.

‘‘अरे मंगलेश, उसे कुछ हुआ नहीं है. उस के चालचलन बदल गए हैं. बेहया हो गई है. जब से वह अस्पताल में काम करने जाने लगी है, तब से उस के रंगढंग बहुत बदल गए हैं. जरा उसे समझा दियो, वरना बहुत बुरा हो जाएगा.’’ राजेश एक तरह से धमकी भरे अंदाज में बोला और फोन कट कर दिया.

मंगलेश अपने जीजा की बातों को आधाअधूरा ही समझ पाया था. फिर भी उस ने अपनी बहन पुनीता  से एक बार बात करना सही समझ कर उसे काल कर दी, ‘‘हैलो दीदी! कैसी है तू?’’

‘‘मैं ठीक हूं, तू कैसा है? घर में सब कुशल से है न?’’ पुनीता मायके का हालसमाचार लेने लगी.

‘‘अरे दीदी, जीजा का फोन आया था. बोल रहे थे तुम्हें क्या हो गया है? कोई परेशानी है क्या?’’ मंगलेश बोला.

‘‘अरे नहीं रे भाई! तू उन की बातों पर ध्यान मत दे. यह हमारे उन के बीच की बात है.’’ पुनीता ने भाई को समझाया.

‘‘बच्चे कैसे हैं? उन की पढ़ाई ठीक से चल रही है न! स्कूल तो खुल गए होंगे? उन से मिले बहुत दिन हो गए. राखी के दिन उन्हें भी ले कर आ जाना,’’ मंगलेश बोला.

उस रोज बात आईगई हो गई. न तो पुनीता ने अपने पति के साथ आए दिन होने वाली तकरार के बारे में कुछ बताया और न ही मंगलेश ने बहन की निजी जिंदगी में गहराई तक झांकने की कोशिश की.

लेकिन यह क्या? अगले दिन ही राजेश ने मंगलेश को फिर फोन कर वही बात दुहराई. कहने लगा अपनी बहन को संभाल ले वरना अनर्थ हो जाएगा. उस ने सीधेसीधे आरोप लगा दिया कि उस का अस्पताल के ही एक युवक के साथ टांका भिड़ गया है. उस के साथ घूमनेफिरने लगी है. जिस से पासपड़ोस में उस की बदनामी हो रही है. उसे बच्चों को ले कर चिंता हो रही है.

एक तरह से राजेश ने उस रोज अपनी पत्नी पुनीता पर बदचलन होने और एक युवक के साथ अवैध संबंध रखने का आरोप लगा दिया था.

बहन के बारे में यह सुन कर मंगलेश ने उस रोज फोन पर ही बहन को काफी डांट लगाई. उस ने यहां तक कह डाला कि वह अपने परिवार पर ध्यान दे, बच्चों का भविष्य बनाए. गलत रास्ता नहीं अपनाए. दोबारा जीजा की शिकायत आई, तब समझ लेना कि उस के मायके का दरवाजा हमेशा के लिए बंद हो गया है.

राजेश द्वारा पुनीता को ले कर शिकायतों का सिलसिला लगातार चलता रहा. जब भी मंगलेश के फोन आते तो वह बातचीत का सिलसिला ही पुनीता की शिकायतों से करता. उस पर बदचलनी का आरोप लगाता.

दूसरी तरफ साला मंगलेश हर बार उसे भरोसा देता कि एक दिन उस के पास आ कर वह उसे समझाएगा. लेकिन उस के लिए वह दिन नहीं आया. उसे अपनी बहन को उस बारे में आमनेसामने बैठ कर बातें करने का मौका ही नहीं मिला.

मंगलेश 14 सितंबर, 2022 की सुबह 7 बजे के करीब अपने काम पर जाने के लिए तैयार हो रहा था. तभी राजेश का फोन आया. मोबाइल चार्जिंग में लगा हुआ था. वह झुंझला गया. नहीं चाहते हुए भी मोबाइल हाथ में ले लिया.

काल देख कर चौंक गया. फोन राजेश का नहीं, बल्कि उस की बहन पुनीता का था. कुछ पल के लिए सोचने लगा कि सबेरेसबेरे पुनीता ने क्यों फोन किया होगा? इस से पहले तो उस ने कभी फोन नहीं किया. जब भी उस से बात की, तब उसी ने बहन को फोन किया था. जरूर कोई खास बात होगी. मंगलेश फोन रिसीव करते हुए बोला, ‘‘हैलो, हां पुनीता, बोलो क्या बात हो गई, इतनी सुबह फोन किया?’’

‘‘अ…अ अरे, मैं बोल रहा हूं, त…त…तेरा जीजा राजेश.’’ आवाज में थरथराहट थी.

मंगलेश किसी अनहोनी से आशंकित हो गया. घबरा कर पूछ बैठा, ‘‘क्या बात है जीजा, तुम परेशान लग रहे हो और मरी आवाज में क्यों बोल रहे हो? सब कुछ ठीक तो है न?’’

‘‘अरे नहीं रे मेरे भाई! कुछ भी ठीक नहीं है. तुम्हारी बहन की उस के प्रेमी ने घर आ कर हत्या कर दी है,’’ राजेश एक सांस में बोल गया.

‘‘हत्या कर दी है? पूनम की हत्या कर दी है? किस ने? कैसे?’’ मंगलेश चौंकते हुए कई सवाल कर बैठा.

‘‘अरे तू फोन पर ही सब कुछ पूछता रहेगा या फिर जल्दी से आएगा भी. हम ने पुलिस को भी फोन कर दिया है. पुलिस आती ही होगी…’’

‘‘चल, मैं भी आता हूं,’’ कहते हुए मंगलेश ने तुरंत फोन कट किया और राजेश के यहां जाने के लिए झटपट तैयार हो गया. जेब में कुछ पैसे भी रख लिए.

उस से कुछ समय पहले ही राजेश ने 100 नंबर पर पुलिस को हत्या की सूचना दे दी थी. कहा था कि उस की पत्नी के दोस्त आनंद ने बांके से हमला कर उस की पत्नी की हत्या कर दी है. यह सूचना पा कर कुछ समय में ही भोपाल के छोला मंदिर थाने की पुलिस मौके पर पहुंच गई थी.

पुलिस ने जांच शुरू की और राजेश के बयान लिए. राजेश ने पुलिस को बताया कि वह अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने गया हुआ था. पत्नी घर में अकेली थी. जब वह वापस लौटा तो पत्नी के हाथपैर बंधे हुए थे और उस का गला कटा हुआ था.

मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच शुरू की. राजेश पुलिस को गुमराह करता रहा. शक के आधार पर पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने जुर्म कुबूल कर लिया. आरोपी की पड़ोसन यासमीन ने पुलिस को बताया कि उसे सुबह करीब पौने 8 बजे राजेश के घर से झगड़े की आवाज आ रही थी. राजेश के घर पहुंची तो वह पुनीता को चारपाई पर पटक कर उस पर चाकू से वार कर रहा था.

पुलिस ने वारदात के बारे में पड़ोसियों के अलावा मृतका के भाई मंगलेश से भी पूछताछ की. साथ ही घटनास्थल पर बरामद हत्या के सामान में भी बड़ा फर्क नजर आया. भाई ने पुलिस को राजेश से कुछ दिनों से फोन पर हो रही बात के बारे में बताया, जबकि पड़ोसियों ने भी बताया कि राजेश का पत्नी से हमेशा झगड़ा होता रहता था.

मोहल्ले के लोग उन के झगड़े से परेशान रहते थे. कई बार उन्होंने झगड़े का कारण जानने की कोशिश की, लेकिन पतिपत्नी में से किसी ने कोई बड़ा कारण नहीं बताया. यहां तक कि उन के बच्चे भी पिता की मरजी के बगैर किसी से कुछ भी नहीं बोलते थे.

पति ने जिस आनंद नाम के व्यक्ति पर हत्या का आरोप लगाया, उसे पुनीता गुरुभाई मानती थी. उसे राखी बांधती थी. उस ने उस के भाग जाने का भी आरोप लगया. कई बातों से जब पुलिस को शक हुआ और उस के घर की तलाशी ली, तब उन्हें वाशरूम में उस के ही खून से सने कपड़े मिले. वह चाकू भी बरामद हो गया, जिस पर खून लगा था.

जबकि राजेश ने अपने बयान में कहा था कि हत्या बांके से की गई है. पुलिस को समझते देर नहीं लगी, क्योंकि शव के गले पर उस के रेतने के निशान साफ दिख रहे थे और वहीं से खून अधिक रिस रहा था. जिस चारपाई पर शव पड़ा था, उस के इधरउधर खिसकाने पर भी संदेह पैदा हो गया था.

पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद राजेश को थाने ला कर सख्ती से पूछताछ की. जल्द ही वह टूट गया और अपनी पत्नी के साथ प्रेम प्रसंग का आरोप लगाते हुए हत्या करने की बात कुबूल कर ली.

असल में पुनीता ने छोला के द्वारकाधाम निवासी आटोरिक्शा चालक आनंद को अपना गुरुभाई बना रखा था. वह अकसर उस के घर जाता था, जो राजेश को यह पसंद नहीं था. इस वजह से दोनों के बीच झगड़ा होता रहता था. इस झगड़े से पुनीता ऊब चुकी थी और उस ने इस की पुलिस में शिकायत भी दर्ज करने के लिए छोला पुलिस से संपर्क किया था.

चूंकि यह एक घरेलू मामला था, इसलिए पुलिस ने उन्हें महिला थाने रेफर कर दिया, जहां परिवार परामर्श केंद्र में उन की काउंसलिंग की जा रही थी. पुलिस ने इस मामले को ले कर राजेश और पुनीता के बीच समझौता करवा दिया था.

एसीपी ऋचा जैन ने दोनों को आपसी मतभेद से दूर रहने की हिदायत दी थी. पुलिस ने पुनीता का ही पक्ष लिया था और राजेश के खिलाफ काररवाई करने की भी चेतावनी दी थी.

राजेश गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र में एक फैक्ट्री में सिक्योरिटी गार्ड के रूप में काम करता है. पुलिस की चेतावनी के बावजूद राजेश पुनीता की शिकायतें अपने साले से करता रहता था. कोई भी दिन ऐसा नहीं बीतता था, जब उस की पुनीता से बकझक नहीं हो जाती थी.

मामले की जांच के दौरान एसीपी जैन ने पाया कि वारदात के एक दिन पहले 13 सितंबर को राजेश जब घर लौटा, तब पड़ोसियों से मालूम हुआ कि उस की पत्नी का भाई उस की गैरहाजिरी में घर पर आया था. वह करीब 4-5 घंटे रुका भी था.

यह सुनते ही राजेश का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया. उस रोज तो वह किसी तरह से अपने गुस्से को काबू में किए रहा, लेकिन अगले रोज सुबह उठते ही उस ने खतरनाक योजना बना डाली.

सुबह वह बेटों को स्कूल छोड़ कर घर लौट आया. इसी बात को ले कर उस की उस से तीखी नोकझोंक हो गई. आते ही राजेश बीते दिन की बात पूछ बैठा. उस ने नाराजगी दिखते हुए गुस्से में कहा, ‘‘हरामजादी! मेरे पीछे गुलछर्रे उड़ाती है और मेरे खिलाफ ही पुलिस में शिकायत भी करती है.’’

इतना कहना था कि पुनीता भी गुस्से में आ गई. उस ने भी गालियां देनी शुरू कर दीं. उस ने पति को भिखारी कहा. भाई का पैसा लौटाने की बात करने लगी.

पुनीता के तेवर देखते हुए वह आगबबूला हो गया और चिकन काटने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले भारी चाकू से उस पर हमला कर दिया. उस ने चाकू से उस के चेहरे और गरदन पर वार किया जिस से उस की मौके पर ही मौत हो गई.

उस के बाद वह नहाया और खून सने कपड़े बाथरूम में छोड़ कर पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दे दी. उस के बाद उस ने पुनीता के मातापिता को भी फोन कर घटना की जानकारी दी.

इस वारदात का अपराध कुबूल करने के बाद पुलिस ने उसे हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.

मांबाप के झगड़े के बारे में बच्चें ने पुलिस को बताया कि पापा उन्हें नानामामा से बात नहीं करने देते थे. इस बार रक्षाबंधन पर नाना के घर गए थे तो रुकने भी नहीं दिया था. उसी दिन वापस आ गए थे.

घटना के दिन के बारे में उन्होंने बताया कि वे उस दौरान स्कूल गए थे. उस रोज पापा गार्ड की वरदी में नहीं थे. दोनों को सुबह स्कूल बस में बैठा कर चले गए थे. औफिस भी नहीं गए थे. जबकि पहले वह वहीं से ही औफिस चले जाते थे.

राजेश से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

एक लाख की दुल्हन

प्यार में खलल डालने वाली सीक्रेट वाइफ

एक लाख की दुल्हन : भाग 3

चायनाश्ता ले कर महेंद्री आई तो उस ने सानिया के साथ चायनाश्ता किया. फिर सानिया से बोला, ‘‘सानिया, इसे भी अपना ही घर समझो, मौसी शाम को लड़का दिखा देगी. मुझे जरूरी काम न होता तो मैं भी शाम तक रुक जाता. लड़का पसंद आ जाए तो मैं और नीलम तुम्हारे हाथ पीले कर देंगे.’’
‘‘ठीक है अंकल,’’ सानिया मुसकरा कर बोली.सानिया को महेंद्री के सुपुर्द कर के दिलीप वहां से चला आया. उसे सानिया की कीमत मिल गई थी. एक ही रात में उस ने 40 हजार रुपए कमा लिए थे.

महेंद्री ने सानिया को आराम करने को कहा और दूसरे कमरे में जा कर किसी से फोन पर बात करने लगी.
शाम को 2-3 आदमी सानिया को देखने आए. उन्होंने चेहरों पर मास्क लगा रखे थे. महेंद्री से बात करने के बाद दूसरे दिन वह अपने साथ सानिया को ले कर राजस्थान के लिए चले गए. वहां कितनी ही जगह सानिया को दिखाया गया. एक पार्टी से एक लाख रुपए में शादी के लिए सौदा हुआ, लेकिन उन्होंने पूरी रकम का इंतजाम नहीं किया तो वे लोग सानिया को वापस महेंद्री के पास छोड़ कर चले गए.
महेंद्री को अपने 40 हजार रुपयों की फिक्र होने लगी. वह सानिया को अच्छे दाम में बेचना चाहती थी. इस के लिए सानिया को अच्छा भी दिखना जरूरी था. महेंद्री उस के बनावशृंगार और कपड़ों की खरीद के लिए सावित्री के घर ले गई.

सावित्री बवाना में ही रहती थी. सावित्री को महेंद्री ने बताया कि सानिया उस की रिश्तेदार है. लेकिन पारखी सावित्री ने एक ही नजर में ताड़ लिया कि महेंद्री इस लड़की को बेचने के लिए कहीं से फांस लाई है.
महेंद्री के काले कारनामों से सावित्री परिचित थी. उसे सानिया पर तरस आ गया. उस ने एकांत में सानिया को महेंद्री की हकीकत से वाकिफ करा दिया. सानिया सकते में आ गई. उस का दिल बैठ गया. वह यह जान कर घबरा गई कि वह गलत लोगों के हाथों में फंस गई है. उस ने निर्णय ले लिया कि वह सावित्री के पास रहेगी.सानिया ने महेंद्री के साथ जाने को मना किया तो महेंद्री गुस्से में आ गई. उस ने सावित्री को खरीखोटी सुनाई. सावित्री ने उसे अच्छे से जलील कर के भगा दिया.

सानिया अब सावित्री को अपनी मां मान कर उसी के साथ रहने लगी थी लेकिन महेंद्री को यह कैसे सहन होता कि उस का माल सावित्री हड़प जाए. वह फिर सावित्री से मिलने के लिए और सानिया को ले जाने के लिए उस के घर पहुंची तो मालूम हुआ कि वह सानिया को ले कर बाजार गई है.महेंद्री बाजार में उसे तलाश करने निकली तो डिफेंस कालोनी थाने की एसआई चंचल की नजर में आ गई. एसआई चंचल के साथ कांस्टेबल होशियार सिंह था. उसी की मदद से उस ने महेंद्री को पकड़ लिया और डिफेंस कालोनी थाने में ले आई.

दरअसल, कुछ दिनों से 3 लड़कियां घर से लापता थीं. उन की रिपोर्ट डिफेंस कालोनी थाने में दर्ज थी. एसआई चंचल उन्हीं की तलाश में बवाना आई थी. उसे मालूम था कि महेंद्री लड़कियों की खरीदफरोख्त करती है.महेंद्री से जब सख्ती से पूछताछ हुई तो उन गुमशुदा लड़कियों का तो नहीं, सानिया का महेंद्री के पास से सावित्री के कब्जे में जाने का राज जरूर खुल गया.डिफेंस कालोनी पुलिस ने इस मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों को दी. उन के दिशानिर्देशन में एक पुलिस टीम का गठन किया गया, जिस की कमान एसआई चंचल, किशोर, कांस्टेबल होशियार के हाथों में सौंपी गई.

एसआई चंचल की टीम ने सानिया का एम्स में मैडिकल एग्जामिनेशन करवा कर इस बात की पुष्टि की कि क्या सानिया के साथ यौनाचार भी किया गया.ऐसी बात सामने नहीं आई तो पुलिस जांच दल ने सानिया को निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन, नई दिल्ली, शिवाजी ब्रिज, मिंटो ब्रिज आदि स्टेशनों के प्लेटफार्म दिखाए. पुलिस टीम यह पता लगाना चाहती थी कि पहली बार वह किस स्टेशन और किस प्लेटफार्म पर नीलम को मिली थी.सानिया दिल्ली के स्टेशनों और स्थानों से अपरिचित थी, उसे मालूम नहीं था कि वह टे्रन से कहां उतरी थी.

एसआई चंचल ने अपनी टीम के साथ इस विषय पर माथापच्ची की तो उन्हें पुरानी दिल्ली स्टेशन को जांच के दायरे में लेने का खयाल आया, कारण सानिया गुवाहाटी से अवध आसाम एक्सप्रैस से दिल्ली आई थी और यह ट्रेन पुरानी दिल्ली स्टेशन ही आती है.जांच के लिए टीम सानिया को पुरानी दिल्ली स्टेशन ले कर आई. सानिया ने वह प्लेटफार्म और जगह पहचान ली, जहां बैठ कर वह हताशा में रोने लगी थी. वह 13 नंबर का प्लेटफार्म था.जांच दल ने वहां लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली तो पहली अगस्त के दिन शाम के समय सानिया 2 कैमरों में दिखाई दे गई. उस के साथ नीलम भी बैठी नजर आ रही थी. पुलिस के लिए यह एक पुख्ता सबूत था.

जांच दल चूंकि डिफेंस कालोनी थाने का था और पुरानी दिल्ली का एरिया उन के क्षेत्र में नहीं आता था, इसलिए अपने यहां जीरो एफआईआर दर्ज कर के यह केस पुरानी दिल्ली स्टेशन के दायरे में आने वाले थाने को 23 अगस्त, 2022 को ट्रांसफर कर दिया गया.क्षेत्र के एसीपी प्रवीण कुमार के संज्ञान में यह केस आया तो उन्होंने थाने के प्रभारी शिवदत्त जैमिनी को आदेश दिया कि इस केस को बड़ी संजीदगी से हैंडल करें.थानाप्रभारी शिवदत्त जैमिनी ने एसआई राजेंद्र कुमार के दिशानिर्देशन में काम करने के लिए एक टीम का गठन कर दिया. इस में एएसआई सुखपाल, कांस्टेबल रवि, पल्लवी को शामिल किया गया.
महेंद्री को भी इस थाने की कस्टडी में दे दिया गया था. सानिया और सावित्री भी इस थाने को सौंप दी गईं.
पुख्ता सबूत एकत्र करने के बाद एसआई राजेंद्र ने अपनी टीम के साथ शास्त्री पार्क इलाके में दबिश दे कर दिलीप और नीलम को भी गिरफ्तार कर लिया.

दिलीप अपनी पत्नी नीलम के साथ शास्त्री पार्क की गली नंबर 1, मकान नंबर एफ-3 में रहता था. उस का पुश्तैनी पता वार्ड नंबर-15, खाटी गांव, थाना छातापुर, जिला सुपोल, बिहार था. शास्त्री पार्क में अपनी पत्नी नीलम के साथ रहते हुए छोटेमोटे अपराध करता था. कभीकभी वे दोनों कोई बड़ा अपराध भी करते थे.महेंद्री लड़कियां खरीद कर उन्हें ऐसे लोगों को बेचती थी, जिन की किसी कारणवश शादी नहीं हो पाती थी. वह कई लड़कियों को देहमंडी में भी बेच चुकी थी. उस पर पहले भी कई केस चल रहे थे. इस बार सानिया को बेचने के चक्कर में वह फिर पकड़ी गई थी. पुलिस ने भादंवि धारा 363, 366ए, 370, 370ए, 372, 373,120/34 तथा 21 पोक्सो एक्ट लगा कर दिलीप पूर्वे, नीलम और महेंद्री को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. सावित्री बेकुसूर थी, इसलिए उसे छोड़ दिया गया.

सानिया के पिता का नाम नौइमुल था. सानिया को मां का नाम मालूम नहीं था. मांबाप बांग्लादेश में कहां काम करते हैं, वह नहीं जानती थी.बचपन से वह दादादादी के पास पली थी. दादा की मौत के बाद घर में फाके पड़े तो वह काम की तलाश में दिल्ली आ गई थी और लड़कियों का सौदा करने वाले लोगों के चंगुल में फंस गई थी.पुलिस ने दिलीप पूर्वे, उस की पत्नी नीलम और महेंद्री से पूछताछ कर उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. सानिया वापस अपने घर रामपुर टाउन नहीं जाना चाहती थी, इसलिए पुलिस ने उसे नारी निकेतन में भेज दिया.

एक लाख की दुल्हन : भाग 2

सानिया उठ कर खड़ी हो गई.‘‘पहले नल पर चल कर आंसुओं से भीगा यह चेहरा धो डालो, फिर मेरे साथ नाश्ता करो.’’ नीलम ने कहा.सानिया ने एक नल पर चेहरा धो कर बालों को ठीक किया, फिर नीलम की ओर देख कर बोली, ‘‘अब ठीक है न आंटी.’’नीलम मुसकरा पड़ी, ‘‘अब अच्छी लग रही हो. चलो, तुम्हें नाश्ता करवाती हूं.’’सानिया उस के साथ स्टेशन से बाहर आ गई. बाहर एक पटरी पर सजी चाय की दुकान पर नीलम ने 2 चाय और बिसकुट लिए और सानिया को नाश्ता करवाया. नाश्ता कर लेने के बाद सानिया को ले कर नीलम एक आटो में सवार हो गई और उसे अपने घर ले आई.

39 साल का दिलीप पूर्वे खूबसूरत शख्स था. वह जरायम की दुनिया का मंझा हुआ खिलाड़ी था. उस ने अपनी पत्नी नीलम के साथ आटो से उतर रही युवती को देखा तो तुरंत ताड़ गया कि पत्नी किसी चिडि़या को फांस लाई है.उस ने उस युवती को सिर से पांव तक देखा. वह नवयौवना नौर्थईस्ट की लग रही थी. उस में गजब का आकर्षण था. यह लड़की सोने का अंडा देगी, यह ताड़ते ही दिलीप की आंखों में गहरी चमक आ गई.वह लपक कर पत्नी नीलम के पास आया और बोला, ‘‘तुम इस मेहमान को अंदर ले कर जाओ. मैं आटो का किराया देता हूं.’’

नीलम सानिया को ले कर अपने घर में आ गई. कुछ ही क्षणों में दिलीप भी आटो का किराया चुका कर कमरे मेआ गया.उस ने नीलम की तरफ प्रश्नसूचक नजरों से देख कर पूछा, ‘‘यह तो अजनबी लगती है.’’
‘‘बेचारी स्टेशन पर बैठी रो रही थी. इस का इस शहर में कोई नहीं है. मैं इसे अपने साथ ले आई.’’ नीलम ने मुसकरा कर बताया.‘‘खाने का समय हो रहा है, तुम फ्रैश होना चाहो तो वहां बाथरूम है. फ्रैश हो जाओ, फिर हम तीनों खाना खाएंगे.’’ नीलम ने सानिया से कहा.

सानिया को नीलम ने तौलिया दे दिया. वह बाथरूम में चली गई तो दिलीप ने नीलम का चेहरा हथेलियों में भर लिया.‘‘कहां मिला यह हीरा?’’ उस ने मुसकरा कर पूछा.‘‘पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर. मैं शिकार की तलाश में भटक रही थी कि इस पर नजर पड़ गई. बस, सहानुभूति का मरहम लगा कर पटा लाई. अब तुम इसे संभालो, मैं खाना तैयार कर लाती हूं.’’दिलीप पूर्वे ने सिर हिलाया.नीलम रसोई में चली गई. दिलीप ने इस बीच सानिया के विषय में बहुत कुछ जान लिया.

एक घंटे बाद वे तीनों एक साथ बैठ कर खाना खा रहे थे. सानिया अब तक काफी सामान्य अवस्था में आ गई थी और उन दोनों से इस प्रकार से हंसबोल रही थी जैसे उन्हें बरसों से जानती हो.‘‘सानिया, तुम अपनी सहेली के पास किस मकसद से आई थी?’’ दिलीप ने पूछा.‘‘काम की तलाश में आई थी अंकल.’’
‘‘कोई बात नहीं. सहेली तुम्हें काम ही तो दिलवाती, यह काम तो मैं भी कर सकता हूं. तुम्हें परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है.’’ दिलीप ने उसे आश्वासन दिया. फिर नीलम को आंख से इशारा किया.
नीलम ने तुरंत दांव चला, ‘‘ऐ जी, मैं एक बात सोच रही हूं.’’

‘‘क्या?’’ दिलीप ने पूछा.‘‘सानिया काम किस के लिए करेगी, अपनी जरूरत के लिए ही न, क्यों सानिया?’’
‘‘हांहां आंटी, इंसान की जरूरतें ही तो उस से कामधंधा करवाती हैं. मैं भी अपनी जरूरतों के लिए काम करना चाहती हूं.’’‘‘तुम्हारे मांबाप, भाईबहन भी होंगे. कमाओगी तो रुपया उन्हें भी भेजोगी?’’ दिलीप ने पूछा.‘‘मांपिताजी बांग्लादेश में कहीं काम करते हैं, उन्होंने मुझे बचपन में ही दादादादी के पास छोड़ दिया था. मुझे दादादादी पढ़ा रहे थे और पाल रहे थे. अब दादाजी चल बसे तो खानेपीने की परेशानी आ गई, इसलिए…’’‘‘हूं…’’ नीलम ने उस की बात काट दी, ‘‘तब तो केवल तुम्हें पेट भर कर खाना, कपड़ा और शौक पूरा करने का सामान चाहिए, इसी के लिए तो काम करना चाहोगी.’’‘‘हां, आंटी.’’‘‘तो फिर इस नाजुक शरीर को क्यों मेहनत की भट्ठी में झोंकना चाहती हो. तुम्हारी उम्र ऐसी नहीं है कि कहीं नौकरी करो.’’
‘‘बगैर मेहनत किए रोटी कहां से मिलेगी आंटी?’’ सानिया ने प्रश्न किया.

‘‘मिलेगी. बगैर मेहनतमजदूरी किए भी रोटी, कपड़ा मिलेगा सानिया.’’ नीलम ने कहा.
‘‘कैसे?’’‘‘हम तुम्हारा घर बसा देंगे. अच्छा सा लड़का देख कर तुम्हारी शादी कर देंगे. तुम्हें वह रोटी, कपड़ा और जरूरत की तमाम चीजें देगा. प्यार भी.’’ नीलम ने कहने के बाद सानिया की तरफ देखा.सानिया के चेहरे पर लाज की रेखाएं उभर आईं, ‘‘अभी से शादी…’’‘‘क्यों?’’ नीलम मुसकराई, ‘‘कितने साल की हो तुम?’’‘‘17 पूरे हो गए हैं, 18वां लगा है.’’ सानिया ने बताया.‘‘अरे, तो कौन सा छोटी हो,’’ नीलम हंस कर बोली, ‘‘मेरी इन से शादी हुई थी तब मैं तो 16 साल की थी और यह मुझ से दोगुनी उम्र के. देख लो, मैं फिट हूं और इन का घर संभाल रही हूं.’’

‘‘जैसा आप लोग ठीक समझें,’’ सानिया धीरे से बोली.‘‘आप बहुत अच्छे हैं,’’ सानिया भावुक स्वर में बोली, ‘‘मुझ अजनबी लड़की को सहारा दिया और अब मेरा घर बसाने की सोच रहे हैं. मैं आप लोगों की जीवन भर अहसानमंद रहूंगी.’’‘‘अहसान नहीं कर रहे हैं,’’ नीलम तुरंत बोली, ‘‘मेरा काम ही है समाज सेवा का. अब तुम सो जाओ. कल तुम्हारे अंकल अपने मिशन पर लग जाएंगे.’’
सानिया मुसकराई और फिर चारपाई पर लेट गई. सुबह सो कर उठी तो नीलम ने उसे फ्रैश हो कर तैयार होने के लिए कह दिया.दिलीप के साथ तैयार हो कर सानिया घर से निकली. दिलीप उसे बस से बाहरी दिल्ली क्षेत्र में स्थित बवाना ले कर आया.

मोहल्ला धुलान के मकान नंबर 294 में महेंद्री रहती थी. दिलीप ने सानिया को बताया कि महेंद्री उस की मौसी है. उस ने 2-3 लड़के देख रखे हैं. वह तुम्हें अच्छे घर में बिठा देगी.महेंद्री ने सानिया को सिर से पांव तक देखा और खुशी से बोली, ‘‘ऐसी हसीन लड़की को कौन पसंद नहीं करेगा. नीलम ने मुझे रात को ही बता दिया था कि इस के लिए अच्छा सा लड़का देखना है. मैं ने एक लड़का देख रखा है. वह शाम तक यहां आ जाएगा.’’‘‘लेकिन मैं शाम तक नहीं रुक सकता मौसी,’’ दिलीप ने असहज होने का नाटक किया.
‘‘तुझे रुक कर करना भी क्या है. सानिया को छोड़ जा, मैं इसे लड़के वालों को दिखा दूंगी.’’ महेंद्री ने कहा, ‘‘तुम दूर से आए हो, बैठो मैं चायनाश्ता लाती हूं.’’

महेंद्री दूसरे कमरे में गई तो दिलीप भी थोड़ी देर में उठ कर उस के पास पहुंच गया.‘‘मैं इस की कीमत 30 हजार दूंगी.’’ महेंद्री ने दिलीप से कहा.‘‘30 हजार? मौसी, यह सोने की चिडि़या है, 30 हजार बहुत कम हैं.’’‘‘रंग सांवला है और उम्र भी कम है. इस के सौदे में रिस्क है…’’‘‘फिर भी 30 हजार कम है.’’ दिलीप ने बात काटी, ‘‘ऐसा करो, तुम 50 हजार दे दो.’’‘‘नहीं, यह बहुत ज्यादा है.’’ महेंद्री गंभीरता से बोली, ‘‘ज्यादा से ज्यादा मैं 40 हजार दे सकती हूं.’’

‘‘ठीक है, दो 40 हजार.’’ दिलीप खुश हो कर बोला.महेंद्री ने ट्रंक से निकाल कर उसे 40 हजार रुपए दे दिए.
‘‘अब तुम जा कर बैठक में बैठो, मैं चायनाश्ता ले कर आती हूं.’’
दिलीप पूर्वे रुपए पैंट की जेब में रख कर बैठक में आ गया.

एक लाख की दुल्हन : भाग 1

अवध आसाम एक्सप्रैस ट्रेन अपना लंबा सफर तय करती हुई दिल्ली के करीब पहुंच गई थी. जिन्हें दिल्ली
उतरना था, वे अपनाअपना सामान संभालने लगे थे. उन के चेहरे प्रफुल्लित थे, दिल्ली पहुंचने का उत्साह व खुशी थी. वहीं पैसेंजर डिब्बे के एक कोने में गठरी बनी बैठी 18 साल की सानिया परेशान और चिंता में डूबी बारबार अपने छोटे से मोबाइल को उलटपुलट कर देख रही थी.

दिल्ली में उसे जिस के पास पहुंचना था, उस का न तो उस के पास एडे्रस था, न उस से फोन से संपर्क हो पा रहा था. शायद यही सानिया की परेशानी का सबब था.जब वह गुवाहाटी से इस ट्रेन में सवार हुई थी, उस ने अपनी परिचित को फोन किया था और अपने दिल्ली आने की खबर की थी. परिचित जो उस की गांव की ही थी और 8वीं तक उस के साथ पढ़ी थी, ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा था कि वह दिल्ली आ जाए, वह उसे यहां स्टेशन पर लेने पहुंच जाएगी.

सानिया तब बेफिक्र ट्रेन में सवार हो गई थी. जब दिल्ली करीब आने की सुगबुगाहट उस के कानों में पड़ी तो उस ने अपनी सहेली को फिर से संपर्क करना चाहा था, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया था.बस, इसी चिंता ने सानिया को परेशान कर के रख दिया था. उस के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आई थीं, उसे दिल्ली के नजदीक आने की जरा भी खुशी नहीं हो रही थी.सानिया अपना छोटा सा बैग ले कर वह डिब्बे से नीचे आ गई. प्लेटफार्म पर बहुत भीड़ थी. बहुत शोर था. वह घबरा गई.

अपना बैग सीने से चिपकाए वह अंजान लोगों की भीड़ से बचतीबचाती निकास द्वार की तरफ बढ़ने लगे. तभी उसे भीड़ का धक्का लगा और वह गिर गई. हाथ से छूट कर उस का बैग एक तरफ उछल गया. सानिया ने उठना चाहा तो भीड़ के बीच से उठ नहीं पाई. कितने ही लोग उसे रौंदते हुए निकल गए.
सानिया ज्यादा घबरा गई. वह एक बेंच पर आ कर बैठ गई. बैग में उस के कपड़े और पर्स था, जिस में डेढ़ सौ रुपए के करीब थे. वह बैग के खो जाने से परेशान हो उठी. उस के पास एक रुपया नहीं बचा था.
मोबाइल निकाल कर उस ने अपनी सहेली का नंबर मिलाया. दूसरी ओर से मोबाइल के स्विच्ड औफ होने का संदेश आने लगा. सानिया रो पड़ी. उस की आंखों से झरझर कर आंसू बहने लगे. उस ने घुटनों में सिर छिपा लिया और अपनी बेबसी पर आंसू बहाने लगी.अभी कुछ ही देर हुई थी कि उस के कंधे पर किसी का स्पर्श हुआ और किसी का सुरीला स्वर उस के कानों में पड़ा, ‘‘क्या हुआ, तुम रो क्यों रही हो?’’

सानिया ने घुटनों से सिर ऊपर उठाया. सामने एक युवती खड़ी हुई उसे देख रही थी.
‘‘कौन हो तुम, इस तरह यहां बैठी क्यों रो रही हो?’’ उस युवती ने प्यार से पूछा.सानिया और जोर से रो पड़ी. वह युवती उस के पास बैठ गई. स्नेह से उस के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली, ‘‘रोओ मत, मुझे बताओ, तुम्हें क्या परेशानी है?’’‘‘मेरा बैग…’’ सानिया रोते हुए बोली, ‘‘वह भीड़ के धक्के से नीचे गिरा, मैं भी गिर गई थी, संभल कर उठी तो बैग मुझे नहीं मिला.’’‘‘उस में तुम्हारे कपड़े होंगे और खानेपीने का सामान..?’’ युवती ने पूछा.

‘‘कपड़े और पैसे थे,’’ सानिया ने आंसू बहाते हुए बताया, ‘‘अब इस अजनबी शहर में मेरा क्या होगा.’’
युवती की आंखों में तीखी चमक उभर आई, ‘‘अजनबी शहर… तो यहां तुम्हारा कोई अपना नहीं रहता है क्या?’’‘‘मेरी एक सहेली है, उसी के पास आई हूं. उस का नंबर मोबाइल में है, वह नहीं लग पा रहा है.’’
‘‘तुम्हारे पास उस का एड्रेस तो होगा? मुझे बताओ, मैं उस के घर तुम्हें पहुंचा दूंगी.’’
‘‘एड्रेस नहीं है,’’ सानिया ने रुंधे गले से बताया.‘‘कहां से आई हो?’’‘‘डिब्रूगढ़, असम से.’’
‘‘ओह?’’ उस युवती ने होंठों को गोल सिकोड़ा, ‘‘इतनी दूर से आई हो, इतने बड़े शहर में कहां जाओगी, तुम्हारे पास पैसे भी नहीं हैं… अब क्या करोगी?’’

सानिया ने आशा और उम्मीद भरी नजरों से उस युवती की ओर देखते हुए कहा, ‘‘आप मेरी मदद करेंगी?’’
‘‘हां, इस अंजान शहर में तुम कहां भटकोगी, मैं तुम्हें सहारा दूंगी.’’ उस युवती ने प्यार से कहा तो सानिया ने उस के सीने पर अपना सिर रख दिया और भर्राए कंठ से बोली, ‘‘आप बहुत अच्छी हैं.’’
‘‘वो तो मैं हूं ही,’’ युवती होंठों में बुदबुदाई और प्रत्यक्ष में बोली, ‘‘तुम्हारा नाम क्या है?’’
‘‘सानिया.’’‘‘मेरा नाम नीलम है,’’ अपना नाम बताने के बाद नीलम ने सानिया का हाथ पकड़ लिया, ‘‘उठो, मेरे साथ चलो.’’

प्यार में खलल डालने वाली सीक्रेट वाइफ- भाग 3

उस के जाने के बाद काफी समय तक उस की उपस्थिति का एहसास नरसिंह को होता रहा. बातबात पर खनकती हंसी कानों में सुनाई देती रही. जब भी दुकान पर किसी औरत की आवाज सुनता, उसे लगता रितु ही बोल रही है. उस रोज नरसिंह के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी.उसी दिन रात को वाट्सऐप मैसेज आया, ‘हैलो! गुड नाइट!!’’नरसिंह उसे अभी पढ़ ही रहा था कि एक और मैसेज आ गया, ‘स्वीट मीटिंग विद रेनी डे… यादगार बन गया!’नरसिंह समझ गया कि मैसेज किस ने भेजा है. उस ने भी रितु का नंबर ‘आर रेनीडे’ नाम से सेव कर लिया और उसे लव चिह्न का जवाबी मैसेज भी भेज दिया.

दूसरी प्रेमिका रानी से जलती थी रितु

प्रेम की पहली सफलता मिलने के बाद नरसिंह रितु के साथ अकेले में मिलने का मौका निकालने लगा. यहां तक कि उसे अपने घर पर भी बुलाने लगा. पत्नी से परिचय करवाया. उस के शादीशुदा होने पर पत्नी ने उन की मुलाकातों पर संदेह नहीं किया. दोनों बाहर भी मिलनेजुलने लगे.कुछ दिनों में ही दोनों ने महसूस किया कि उन को अपनेअपने जीवनसाथी से मिलने वाली खुशी इस नए प्रेम संबंध से मिल रही है.उन की प्रेम कहानी सरपट दौड़ती रही. कहीं कोई बाधा नहीं और न ही एकदूसरे से शिकायतें. किंतु उस में खलल तब पड़ गई, जब 3 साल पहले नरसिंह ने अपने मैडिकल स्टोर पर सीहोर की रानी नाम की युवती को सेल्सगर्ल के रूप में नौकरी पर रख लिया. वह मात्र 20 साल की कुंवारी थी. जबकि रितु की उम्र बढ़ने के साथसाथ उस की चंचलता और मादकता में कमी आ गई थी.

दुकान पर जब रितु ने एक बार रानी को नरसिंह से हंसहंस कर बातें करते देखा, तब उसे बहुत बुरा लगा. उस ने तुरंत इस का विरोध जताया कि उसे इस तरह से अपने स्टाफ से हंसीमजाक नहीं करनी चाहिए. उस समय नरसिंह कुछ नहीं बोला, लेकिन उसे रानी से हंसीमजाक करना या बातबात पर उसे छेड़ देना अच्छा लगता था. कारण, रानी उस की बातों का बुरा नहीं मानती थी.रसिकमिजाज नरसिंह किसी कमसिन लड़की को देखते ही उस पर फिदा हो जाता था. वह उसे अपने प्रेम जाल में फंसा कर ही छोड़ता था. न केवल उस के साथ रंगरलियां मनाने के सपने देखने लगता था, बल्कि उसे अपने अनुरूप भी बना लेता था. ऐसा ही उस ने रानी के साथ किया था. वह उस की भावना में आ गई थी. जबकि एक सच्चाई यह भी थी कि रानी पैसों की भूखी थी और बबलू उस पर पैसे खर्च करने लगा था.

शादीशुदा नरसिंह ने रानी से भी कर ली शादी

रानी एक गरीब परिवार से थी. उसे पैसे की जरूरत थी. नरसिंह उस की जरूरत को अच्छी तरह समझ गया था. एक दिन रानी के कहने पर वह उस के कमरे में ठहर गया. दोनों ने मरजी से सैक्स संबंध बनाए. अगले रोज रानी बिफरती हुई उसे शादी करने को बोली. नरसिंह के इनकार करने पर रानी ने उस पर रेप का मुकदमा करने की धमकी दी. आखिरकार नरसिंह ने रानी से गुपचुप शादी कर ली और उसे हर महीने पैसे भी देने लगा.उन्होंने कोरोना काल में लौकडाउन का भरपूर फायदा उठाया. मैडिकल की दुकानें खुली रहने के चलते रानी और नरसिंह का संपर्क बना रहा. सड़कें, गलियां और बाजार पसरे सन्नाटे का फायदा उठा कर नरसिंह अकसर रानी के कमरे पर समय गुजारने लगा.

दूसरी तरफ लौकडाउन में रितु की ज्वैलरी की दुकान बंद हो गई थी, जिस से उस का घर से निकलना नहीं हो पा रहा था. रितु का पति भी घर पर रहता था. नरसिंह से मिलने के लिए रितु की तड़प बढ़ती जा रही थी. मुलाकात का कोई रास्ता नहीं होने के कारण रितु परेशान थी, तो नरसिंह उस की कमी को रानी संग रातें रंगीन कर पूरी कर रहा था.कुछ दिनों बाद ही नरसिंह रितु समेत अपनी बीवी को भी भूल गया. उस की बीवी अपने पति की आशिकमिजाजी से वाकिफ थी, लेकिन रानी संग गुप्त शादी रचाने से अनजान थी. कोरोना के बाद जब बाजार पूरी तरह खुल गए, तब रितु का अपने आशिक नरसिंह से सामना हुआ.

नरसिंह ने उस से ठीक तरह से बात तक नहीं की. इस का कारण समझने में रितु को जरा भी समय नहीं लगा. तब तक वह रानी और नरसिंह के संबंधों के बारे में अच्छी तरह पता चल चुका था.रितु को अपने प्यार के छिन जाने का गुस्सा था, लेकिन विवाहित होने के चलते कुछ कर भी नहीं सकती थी. उस ने नरसिंह की पहली पत्नी को सब कुछ बताने की सोची, लेकिन डर गई कि ऐसा होने से वह भी फंस जाएगी और उस के पति तक भी बात पहुंच जाएगी. दूसरी तरफ रितु ने जब नरसिंह से रानी से संबंध तोड़ने की बात कही थी, तब उस ने खुदकुशी करने की धमकी दे डाली थी.

स्वार्थ के लिए रानी को लगा दिया ठिकाने

रितु और नरसिंह जब भी मिलते, उन के बीच रानी को ले कर तकरार हो ही जाती थी. एक दिन तंग आ कर नरसिंह उर्फ बबलू ने रितु से कह दिया था कि वह घर और बाहर की किचकिच से काफी तंग आ चुका है. अगर उसे और परेशान किया तो किसी दिन नींद की गोलियां खा कर हमेशा के लिए सो जाएगा.
मौत की बात से रितु का दिमाग भन्ना गया था. मन बेचैन रहने लगा था. उस के बाद एक दिन उस ने ही निर्णय लिया कि प्रेमी के मरने के बजाय क्यों न उसी की मौत हो जाए, जिस ने उस का प्यार छीना है. इस बारे में उस ने नरसिंह से इशारेइशारे में कह भी दिया था.नरसिंह भी रितु के जिद्दी स्वभाव को जानता था. हालांकि एक सच्चाई यह भी थी कि वह खुद रानी से पीछा छुड़ाना चाहता था. रितु को रोकने के बजाय वह रानी को रास्ते से हटाने के लिए उकसाने लगा. वह रानी को ले कर ताने भी मारने लगा. एक दिन रितु ने अपने प्यार की राजदार सहेली प्रियंका से अपनी योजना बताई. उस से मदद मांगी तो वह तैयार हो गई.

प्रियंका ही वह लड़की थी, जो रितु और नरसिंह को एकांत में समय गुजारने के लिए जगह उपलब्ध करवाती थी. बदले में उसे पैसे मिल जाते थे. रितु ने उसे साथ देने के बदले में पैसे देने का वादा किया. उस के कहने पर 7 अगस्त, 2022 को रानी की हत्या की योजना में प्रियंका भी शामिल हो गई. दोनों एक साथ अखाड़ा रोड पर रानी के घर पहुंचीं.रितु से रानी पहले से परिचित थी. दरवाजे पर ही रितु ने कहा कि वह आपसी मतभेद मिटाने आई है. वह जैसा कहेगी, मानने के लिए तैयार है. रानी ने रितु और प्रियंका को कमरे में बैठाया और उन की आवभगत की तैयारी में लग गई. इसी दौरान मौका पा कर रितु और प्रियंका ने उस की चुन्नी को उसी के गले में लपेट कर वहीं गिरा दिया.

रानी अचानक हुए इस हमले से खुद को नहीं संभाल पाई. चुन्नी के एक सिरे को मजबूत बदन की प्रियंका और दूसरे सिरे को रितु ने जोर लगा कर खींच दिया. रानी छटपटा कर रह गई. कुछ समय में ही उस का दम घुट गया.उस के बाद रितु ने तुरंत नरसिंह को फोन मिलाया. उस से आधे मिनट के करीब बात की और प्रियंका को अपने घर भेज कर उस के घर चली गई. सब कुछ रानी को रास्ते से हटाने की योजना के अनुसार ही हो रहा था.

उधर नरसिंह दुकान पर रितु की सूचना आने का इंतजार कर रहा था. इस की जानकारी उसे घर से पत्नी ने दी कि उस की सेल्सगर्ल घर में बेहोश पड़ी हुई है. नरसिंह तुरंत रानी के कमरे पर गया और उसे ले कर अस्पताल के इमरजेंसी में ले गया.इस तरह से इस अनैतिक प्रेम कहानी में से एक ने तो दुनिया से विदा ले ली, लेकिन बाकी एक अपनी सहेली के साथ सलाखों के पीछे चली गई. प्रेमी नरसिंह पर भी साजिश रचने का आरोप लगा. इस का असर उस के परिवार पर भी हुआ.

प्यार में खलल डालने वाली सीक्रेट वाइफ- भाग 2

नरसिंह के 2 लड़कियों से संबंध होने की जानकारी मिलने पर पुलिस ने उन में छिपे प्रेम त्रिकोण की कहानी का अनुमान लगाया. इस की आशंका भी हुई कि रानी इसी प्रेम त्रिकोण के चलते मारी गई होगी. नरसिंह द्वारा रानी को अस्पताल लाने के कारण वह पहले से ही संदेह के दायरे में आ चुका था.
फिर क्या था, एसपी डा. शिवदयाल ने कोतवाली पुलिस को नरसिंह से गहन पूछताछ के निर्देश दिए. नरसिंह को हिरासत ले लिया गया. पूछताछ की शुरुआत में तो उस ने खुद को निर्दोष बताया, लेकिन जब उसे कुछ बातें रितु के साथ प्रेम संबंध और रानी से सीक्रेट शादी के बारे में बताई गईं, तब वह मानसिक दबाव में आ गया. और फिर वह लोगों से छिपाए सच को मन में दबाए नहीं रख सका. उस ने रानी के साथ गुप्त शादी और रितु से प्रेम संबंध की बात उगल दी.

उस ने पुलिस को यह भी बताया कि रानी के साथ उस की शादी की जानकारी होने पर ही रितु उस से नफरत करने लगी थी. इस कारण ही रितु ने रानी को मारने का काम किया.इस तरह नरसिंह ने रितु पर रानी की हत्या का आरोप लगाते हुए बताया कि इस में उस ने अपनी एक सहेली प्रियंका की मदद ली. रानी के बेहोश होने की जानकारी उसी ने दी थी. फिर वह भागाभागा सीधा रानी के कमरे पर गया था और उसे बेहोश जान कर उपचार के लिए अस्पताल ले गया.

कई युवतियों से चल रहा था प्रेम प्रसंग

नरसिंह से मिली जानकारी पर पुलिस ने समय गंवाए बगैर रितु और उस की सहेली प्रियंका को भी हिरासत में ले लिया. साथ ही चुन्नी भी बरामद कर ली गई, जिस की मदद से दोनों ने रानी का गला घोटा था. उन दोनों ने भी अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. उस के बाद तीनों आरोपियों को अदालत में पेश कर दिया गया. वहां से सभी न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिए गए.इस तरह से रानी की मौत के बाद नरसिंह के कारनामे की जो कहानी सामने आई, उस में 3 युवतियों की जिंदगियां शामिल थीं. प्रेम संबंध चतुष्कोणीय बने हुए थे तो लिवइन रिलेशन और अवैध विवाह की कहानी भी थी. उस की पूरी दास्तान इस प्रकार जगजाहिर हुई—

देवास के हेमंतराव मार्ग निवासी नरसिंह उर्फ बबलू की परमार्थी मेन मार्केट में एक मैडिकल स्टोर है. उस की शादी 14 साल पहले हो चुकी है. खूबसूरत पत्नी और 3 बच्चे हैं. उन की पारिवारिक जिंदगी मजे में कट रही थी, फिर भी उस के दिल को सुकून नहीं था.दरअसल, नरसिंह किशोरावस्था से ही दिलफेंक किस्म का रहा है. उस के दोस्तों की मानें तो शादी से पहले उस ने कई लड़कियोंं को अपने प्रेमजाल में फंसा रखा था. वह बात करने की लच्छेदार शैली और मधुरता से थोड़े समय में ही किसी भी लड़की को अपना दीवाना बना लेता था. पहनावा भी अच्छा होता था. धनवान की तरह दिखता था. हमेशा उस के कपड़े से भीनीभीनी इत्र की खुशबू आती रहती थी.

लड़कियों पर प्रेम जाल फेंकने की हरकत से उस के घर वाले भी चिंतित हो गए थे. मोहल्ले की लड़कियों को छेड़ने की शिकायतें आने पर पिता ने 19 साल की उम्र में ही उस की शादी कर दी थी.खूबसूरत बीवी पा कर वह खुश हो गया था. कुछ सालों में ही 3 बच्चों का बाप भी बन गया. पत्नी बच्चों को संभालने में लग गई और वह पहले जैसे प्यार में कमी महसूस करने लगा. पारिवारिक जिम्मेदारियों में उलझी पत्नी की जब रोमांस में नीरसता आने लगी, तब नरसिंह तन्हाई की जिंदगी पा कर तड़प उठा.

उस की नजर दूसरी लड़कियों की तरफ घूमने लगी. नए दौर के प्यार के बोल और नई बाहों की तलाश करने लगा. संयोग से उस के मैडिकल स्टोर पर कई कमसिन लड़कियां अपनी निजी जरूरतों का सामान खरीदने आती थीं. नरसिंह उन से काफी घुलमिल कर बातें करने के साथसाथ कीमत में भी अतिरिक्त छूट दे दिया करता था.दुकान पर अकसर आने वाले लड़कियों में रितु भी थी. वैसे तो नरसिंह ने कई लड़कियों को अपनी चिकनीचुपड़ी बातों और व्यवहार से आकर्षित कर लिया था, लेकिन रितु पर उस का असर कुछ अधिक ही हुआ था.

शादीशुदा रितु भी फंस गई जाल में

उस वक्त रितु 23 साल की थी और नरसिंह 26 साल का था. दोनों युवा दिलों की धड़कनों से वाकिफ थे. रितु की नईनई शादी हुई थी और वह किसी से भी बात करने में संकोच नहीं करती थी. दूसरों के बारे में जानने की जिज्ञासा रखती थी.वह बेहद खूबसूरत और स्मार्ट थी. उस की सुंदरता और लटकेझटके देख कर नरसिंह भी उस का दीवाना बन गया था. एक बार बातोंबातों में उस ने बताया कि वह एक ज्वैलर्स की दुकान पर सेल्सगर्ल की नौकरी करती है.

उन की प्रेम कहानी की शुरुआत करीब 7 साल पहले बारिश के मौसम में उस वक्त शुरू हुई थी, जब रितु कुछ सामान खरीदने नरसिंह के मैडिकल स्टोर पर आई थी. तेज बारिश शुरू होने के कारण वह काफी समय तक उस की दुकान में रुकी रही थी. बारिश रुकने का इंतजार कर रही थी. उस वक्त तेज बारिश के कारण दुकान पर दूसरे ग्राहक भी नहीं आ रहे थे.इस मौके का फायदा नरसिंह ने मजे लेले कर उठाया. रितु के साथ खूब बातें कीं. उन के बीच इधरउधर की बातों के साथसाथ प्यारमोहब्बत की भी बातें होने लगीं.
नरसिंह ने उस की खूबसूरती के पुल बांध दिए. मेकअप से ले कर फिटिंग ड्रेस के फबने की तारीफ की. यहां तक कि उस की तुलना कैटरीना कैफ और प्रियंका चोपड़ा तक से कर दी.

जब नरसिंह ने उसे अच्छी दिखने वाली सैक्सी मौडल कहा, तब वह शरमा गई. रितु बारिश रुकने के बाद जाने लगी, तब नरसिंह एक पर्ची पर अपना मोबाइल नंबर लिख कर देते हुए बोला, ‘‘जब भी जरूरत हो काल कर लेना. जरूरी सामान भिजवा दूंगा.’’‘‘क्यों, मेरा आना अच्छा नहीं लगेगा?’’ रितु मजाकिया आंदाज में बोली.तब नरसिंह ने तुरंत उस का हाथ पकड़ते हुए कहा, ‘‘ऐसा क्यों बोलती हो? मैं तो चाहता हूं कि तुम रोज कम से कम एक बार आओ…’’‘‘तो फिर हाथ छोड़ो, अभी चलती हूं. बहुत देर हो चुकी है. मैं काल करूंगी, नंबर सेव कर लेना.’’ कहती हुई रितु चली गई.

गुनाह जो छिप न सका

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